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Incest "मांगलिक बहन " (Completed)

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प्यार भरा नमस्कार, आदाब, सलाम।


आप सब कुशल होंगे। अभी मेरे पास कुछ समय हैं और स्वास्थ्य लाभ भी हुआ है तो मैंने ये कहानी लिखने का सोचा।

तो एक बार फिर से आप लोगो के समक्ष एक और कहानी जिसका मैंने आपसे वादा किया था और पिछली कहानियों की तरह आपको पसंद आएगी।
 
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"मांगलिक बहन " वरदान या अभिशाप



" बेटी मेरी बात तो सुन, तुझे मेरी कसम हैं मेरी प्यारी सी बेटी, प्लीज़ दरवाजा खोल दे।

अंदर से क़दमों की कोई आवाज नहीं आती बल्कि एक लड़की के जोर जोर से सिसकने की आवाज घर में गूंज रही थी जिसे सुनकर बाहर खड़ी हुई उसकी मा के दिल पर पहाड़ सा टूट रहा था और उसकी भी आंखे भीग गई थी। लेकिन आखिर कार मा तो मा होती हैं और अपनी औलाद का दुख दुनिया की कोई मा बर्दाश्त नहीं कर सकती इसलिए बाहर खड़ी हुई कमला की आंखो से आंसू टपक पड़े।

तभी उसके मस्तिष्क ने उसे कचोट दिया कि मैं तो अपनी बेटी को दिलासा देने अाई हूं और यहां उसके साथ खुद ही रोने लगी, नहीं नहीं मुझे अपने आपको संभालना होगा, मुझे हिम्मत रखनी होगी तभी तो मैं अपनी बेटी को समझा सकती हूं।

कमला ने फुर्ती से अपने आंसू साफ किए और अपने आपको पूरी तरह से नॉर्मल करते हुए बोली:"

" बेटी प्लीज़ मेरी बात तो सुन, भगवान की कसम तुझे, बस दरवाजा खोल दे बेटी। तेरा ये दुख मुझसे देखा नहीं जाता।

" मा आह जाओ आप, भगवान के लिए मुझे मेरे हाल पर छोड़ दो, आपको तो सब पता ही हैं मा, फिर मुझसे क्यों पूछ रहे हो ?

सौंदर्या ने बड़ी मुश्किल से रुंधे हुए गले से कहा और फिर से उसकी रुलाई फूट पड़ी। इस बार उसके सिसकने की आवाजे पहले के मुकाबले ज्यादा तेज थी और बाहर खड़ी कमला उसकी मा का दिल उसका करुण रुदन सुनकर तार तार हो रहा था। कमला की समझ में नहीं अा रहा था कि कैसे अपनी बेटी को समझाऊं??

सबसे पहले तो जरूरी था कि सौंदर्या दरवाजा खोले और तभी उसके मन में एक विचार अाया और वो भरे हुए गले से बोली:"

" बेटी तुझे मेरी कसम हैं सौंदर्या दरवाजा खोल दे नहीं तो तू अपनी मा का मरा हुआ मुंह देखेगी।

कमला ने आखिर कार मजबूर होकर अपना ब्रह्मास्त्र चला दिया और जिसका नतीजा ये हुआ कि सौंदर्या दौड़ती हुई और उसने दरवाजा खोल दिया और अपनी मा से लिपट गई और रोने लगी।

कमला की भी रुलाई छूट गई और वो भी अपनी बेटी के गले लगकर जोर जोर से रोने लगी। सौंदर्या किसी अमरबेल की तरह अपनी मा से लिपट गई और अपने आंसूओं से अपनी मा का आंचल भिगोने लगी।

बाहर मौसम तो पहले से ही खराब था और अब हल्की हल्की बारिश शुरू हो गई थी मानो आज आसमान भी उनके साथ उनकी बेबसी पर रो रहा था। शायद आज आसमान के भी सब्र का बांध टूट गया था और वो भी इन मा बेटी के दुख में शामिल हो गया था। बारिश जरूर धीरे धीरे हो रही थी कि लेकिन अंदर कमरे में दोनो मा बेटी के आंसुओ की रफ्तार उससे कहीं ज्यादा तेज थी।

कमरा उपर छत पर बना हुआ था और हर तरह की आधुनिक सुख सुविधा से सजा हुआ था। कमरे में फर्श पर पड़े हुए महंगे कार्पेट, थोड़ा सा फर्श का खुला हुआ हिस्सा जिससे फर्श पर हुआ एपॉक्सी साफ दिख रहा था और चींखं चींखं इस बात की गवाही दे रहा था कि कमरे अपने आप में अद्भुत हैं।

कमरे में लगी हुई एयर कंडीशनर, फ्रिज में भरे हुए सूखे मेवे, एक से बढ़कर एक अच्छे किस्म के तरल पदार्थ, जिनका सेवन करना आम आदमी के लिए सपने के सच होने जैसा हो। दो शानदार कुर्सियां और आगे एक छोटी सी कांच की टेबल, कमरे के बीच में सुसज्जित एक विशालकाय आकार का गोल बेड कमरे की सुंदरता में चार चांद लगा रहा था। बेड पर पड़े हुए रेशमी गद्दे अपनी एक अलग ही छटा बिखेर रहे थे। कमरे की खिड़कियों पर पड़े हुए महंगे विदेशी पर्दे कमरे की भव्यता को दर्शा रहे थे।

लेकिन इन सबसे बेखबर दोनो मा बेटी बस एक दूसरे से लिपटी हुई रोए जा रही थी। कमला ने बड़ी मुश्किल से अपने आंसू रोके और अपनी बेटी की पीठ सहलाते हुए बोली:"

" बस कर बेटी, और कितना रोएगी, बस चुप हो जा, मैं तेरा दुख समझती हूं।

सौंदर्या ने अपना आंसूओं से भीगा हुआ चेहरा उपर उठाया तो कमला को एहसास हुआ कि रोने के कारण उसकी बेटी की आंखे सूजकर लाल हो गई है। कमला ने अपनी बेटी के चांद से किए चेहरे को अपने हाथो से साफ किया और बोली:"

" बेटी आज ऐसा क्या हो गया जो तू इतनी ज्यादा रों रही हैं ?

सौंदर्या ने अपनी भीगी हुई पलके उपर उठाई और बोली:"

" मम्मी वो वो सीमा हैं ना जो एक पैर से लंगड़ी हैं और पहले से ही एक बच्चे की मा हैं आज उसकी फिर से सगाई हो गई है।

इतना कहकर सौंदर्या अपनी मा से कसकर लिपट गई। कमला को अब अपनी बेटी के दुख का असली कारण पता चला। कमला ने एक लम्बी सांस ली और अपनी बेटी के बालो में उंगलियां घुमाते हुए बोली:'

" बेटी उसकी अपनी किस्मत हैं, भगवान सबके साथ अच्छा ही करता हैं, देख तेरे लिए भी उसने जरूर कुछ अच्छा सोचा होगा। चिंता ना कर तेरा भाई घर कल घर अा जाएगा और हम दोनों मिलकर तेरे लिए कोई अच्छा लड़का देखेंगे।

अपनी मा की बात सुनकर सौंदर्या को झटका सा लगा और बोली:"

" मम्मी आप शायद गलत समझ रही हैं, मैं अपनी शादी ना होने की वजह से नहीं बल्कि समाज के बनाए गए कानूनों से दुखी हूं। क्या एक लड़की का मांगलिक होना इतना बड़ा अपराध हैं कि उसे कदम कदम पर सिर झुका कर चलना पड़े।

कमला:" बेटी देख अब बड़ों ने हो नियम कायदे कानून बनाए हैं वो कुछ सोच समझ कर ही बनाए होंगे। हमे भी इनका पालन करना चाहिए और इसमें ही हमारी भलाई होगी।

सौंदर्या:" लेकिन मा जरूरी नहीं कि जो नियम हजारों साल पहले बनाए थे वो आज के माहौल में भी ठीक हो। समय बदल रहा हैं तो काफी कुछ अब पहले जैसा नहीं हैं।

कमला:" मैं तेरी बात से सहमत हूं बेटी, लेकिन फिर भी हमे समाज के साथ ही चलना होगा। हम समाज का सिर्फ एक हिस्सा हैं अपने आप में पूरा समाज नहीं।

सौंदर्या:" लेकिन मा मैं नहीं मानती ऐसे नियम कानूनों को। बताओ मेरे मांगलिक होने में मेरा क्या कसूर, मुझे तो पता भी नहीं था कि गृह और नक्षत्र क्या होते हैं, उसकी गति और स्थिति क्या होती हैं।

कमला से आज भी अपनी बेटी के सवालों का जवाब नहीं बन रहा था इसलिए उसने अपने आपको बचाने के लिए कहा:"

" देख मैं तेरी तरह ज्यादा समझदार और पढ़ी लिखी नहीं हू, तेरा भाई अा रहा है उसे ही बताना ये ज्ञान की बाते तू।

कमला ने अपनी बेटी की तरफ देखते हुए अपने मुंह को हल्का सा गुस्से से फूला लिया तो सौंदर्या के होंठो पर पहली बार मुस्कान साफ दिखाई दी और उसने अपने मम्मी को कहा:"

" अच्छा मम्मी एक बात बताओ, चलो मैं तो बच्ची थी जब मेरा जन्म हो रहा था लेकिन आपको तो ग्रहों और नक्षत्रों के बारे में पूरी जानकारी थी, आपको फिर मुझे उस समय जन्म नहीं देना चाहिए था, कुछ घंटे या एक दिन बाद दे देती।

ये कहकर सौंदर्या की हंसी छूट गई और कमला को जैसे ही सारी बात समझ में अाई तो वो हंसती हुई मारने के लिए अपनी बेटी की तरफ बढ़ी और बोली:"

" रुक जा तू, अभी ठीक करती हूं, तेरी जुबान बहुत ज्यादा चलती है आज तुझे सबक सिखा देती हूं।

सौंदर्या फुर्ती से बचकर निकल गई और बेड के पास खड़ी हो गई। कमला तेजी से आगे बढ़ी और अपनी बेटी को पकड़ लिया और कान पकड़ कर खींचती हुई बोली:"

" कुछ ज्यादा ही बिगड़ गई है तू, आज तेरी अच्छे से खबर लेती हूं।

सौंदर्या ने अपने दोनो कान पकड़ लिए और मासूम सी सूरत बनाते हुए बोली:"

" मम्मी प्लीज़, माफ कर दो ना, छोटी बच्ची हूं। इतनी समझ नहीं हैं मुझे।

कमला उसकी इस हरकत पर मुस्कुरा उठी और दोनो मा बेटी हंसने लगीं। अब कमरे में दोनो मा बेटी की प्यारी सी हंसी गूंज रही थी और बाहर आसमान में छाए हुए काले बादल भी अब काफी हद तक छंट चुके थे और बारिश रुक गई थी। हल्की हल्की धूप निकल रही थीं और सूरज की किरणें अपनी अलग ही छटा बिखेरती हुई नजर आ रही थी मानो सौंदर्या की गूंजती हुए हंसी पर अपनी खुशी प्रदर्शित कर रही हो।
 
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पात्र परिचय:"

सौंदर्या:" करीब 34 साल की एक गोरी चित्ती लड़की, लंबाई लगभग 5 फीट 5 इंच, दूध सा गोरा चित्ता रंग, काले घने बाल, उसके जांघो तक लहराते हुए, चौड़ा लेकिन बहुत ही प्यारा सुंदर सा माथा, हिरनी जैसी दो गोल गोल झील सी गहरी आंखे, जिनके उपर कवि ना जाने कितनी ही कविता लिख दे, एक गज़ब का सम्मोहन जिसे देखे वो चुंबक की तरह खीच जाए, गोरे गोरे गाल बिल्कुल गुलाबी रंग की रंगत लिए हुए, बिल्कुल भरे भरे, होंठ ऐसे मानो दो गुलाब की पंखुड़ियों को आपस में जोड़ दिया गया हो, बिल्कुल कोमल, नाजुक, नर्म, पतले पतले, गालों से भी कही ज्यादा गुलाबी, उसके बाद उसकी सुंदर की ठोड़ी जिस पर एक काला तिल उसकी सुंदरता की आभा को और ज्यादा निखार देता, बहुत ही प्यारी सी सुंदर सी लंबी की गर्दन बिल्कुल किसी मोरनी की तरह।

फिगर:" 36: 28: 38

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सौंदर्या एक डिग्री कालेज में अध्यापक हैं। वहां सभी लोग उसके दीवाने हैं जिसका कारण हैं उसका सभी के प्रति अच्छा व्यवहार, उसका मदमस्त शरीर, उसकी गोल पुष्ट, कठोर उभरी हुई चूचियां और पीछे की तरफ निकली हुई उसकी गांड़।
सौंदर्या की सबसे बड़ी समस्या उसका मांगलिक होना हैं जिसके चलते उसकी उमर 34 साल हो गई है लेकिन फिर भी उसे कोई उचित वर नहीं मिला है। उसके साथ की सभी लड़कियों की एक एक करके शादी हो गई और एक वो ही बची हैं बस। 34 साल की उम्र के कारण उसका जिस्म पूरी तरह से परिपक्व होकर अपनी अनोखी छटा बिखेर रहा है।

कमला:"

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कमला:" अजय और सौंदर्या की मम्मी, उम्र 52 साल, एक उच्च विचार और संस्कारी महिला, अपने बच्चो से बहुत प्यार करने वाली जिसके लिए उसके बच्चे ही उसकी दुनिया हैं।

अजय:" उम्र करीब 22 साल, लंबाई 5 फीट 11 इंच, देखने में सुन्दर और सबसे बड़ी बात ये मार्शल आर्ट में ब्लैक बेल्ट भी हैं, लेकिन अपनी मा की जिद के चलते इसने वो सब छोड़ दिया और अभी सिर्फ पढ़ाई पर अपना ध्यान देता हैं। शादाब का दोस्त हैं

शादाब:" वही मा का दीवाना बेटा, अपनी मा शहनाज का आशिक, जिसके बारे में आप सभी पहले ही पढ़ चुके हैं।

शहनाज:" शादाब की अम्मी, अब उसकी बीवी बन चुकी हैं और अपने बेटे के साथ अमेरिका में जाकर बस गई है।

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