- 191
- 1,237
- 124
माँ का मायका-2 (INCEST, GROUP)
Season 1-Update1
Season 1-Update1
मा का मायका पार्ट 1 सभी ने पढ़ा होगा,उसे अच्छा रिस्पॉन्स भी मिला।उसी के चलते ये दूसरा पार्ट बना रहा हु।जिसने पहला पार्ट नही देखा होगा वो जरूर जाके पढ़े,पर चिंता न करे,पार्ट 2 उससे बहोत ज्यादा सलग्न नही है,क्योकि जिनको उतना समय नही है या इच्छा नही है पार्ट 1 पढ़ने की उनके लिए ये पार्ट समझना सुलभ जाए।
डिस्क्लेमर: इस कहानी के सभी पात्र काल्पनिक है,अगर किसी के व्यक्तिगत जीवन से कहानी जुड़े तो उसे बस संयोग समझे।कहानी में जात धर्म,लिंग या किसी समाज के भावनाओ को गलती से ठेच पहोंच रही हो तो मुझे कमेंट करके बताइएगा।मुझे किसी भी जाती धर्म से कोई द्वेषपूर्ण भावना नही है,वो बस कहानी का अंग हो सकता है तो उसे व्यक्तिगत न ले।इस कहानी के सारे हक और जिम्मेदारी मि सेक्सी वेबी और xforum एडमिनिस्ट्रेशन के पास है।बिना अनुमति इसे repost ना करे।
कहानी की शुरवात:
बहोत ज्यादा खून खराबा और काफी बहोत मुश्किलों के बाद वीरू(विराज-44 नायक का बाप) और संजू(संजना-48 नायक की मा) ने तय किया की वो अपना भविष्य,अपना संसार परिवार से दूर कही दूसरे शहर में बसायेंगे। वीरू के नाम पे जितनि जायदाद थी उतनी जायदाद मेसे बड़े मामा छोटे और छोटे मामा के बेटे के नाम समान हक से बाट वीरू मुम्बई में आके खुदका अलग बिज़नेस खोल दिया.छोटी मामी की छोटे मामा के जाने के बाद तबियत बिघड गयी सदमे से और उनका देहांत हो गया।अभी बड़े मामा,मामी,भैया और भाभी हवेली पर रहके बाप दादाओं का कारोबार संभाल रहे है।वीरू से चाचा गिरफ्तारी के बाद चाची ने बोलना बन्द कर दिया था,कई सालों से उनका कोई बात चित नही था।
सब पुरानी बाते भुलाने के लिए और नए से जिंदगी शुरू करने के मकसद से वो शहर छोड़ वीरू मुम्बई आया,बड़े घर के सुखों से तंग आया था तो उसने एक खड़ी चॉल में एक कमरा खरीद लिया।कुछ दिनों बाद उसे बच्चा भी हुआ था।जिसका नाम रखा था "विजय"(इस कहानी का नायक)
आज विजय पूरे 18 साल का होने वाला था और वीरू को भी आज पुरानी जिंदगी छोड़े 18 साल होने वाले थे। वो पुरानी जिंदगी भूल चुका था।उसे बस अपने बेटे की भविष्य की फिक्र थी।
आज जन्मदिन मनाने के बाद चॉल वाले अपने घर गए,विजय(विजु) भी दोस्तो के साथ चॉल के नीचे खेल रहा था।
इधर संजु और वीरू:
संजू:अभी अपना बेटा 18 साल का हो गया,उसे सब कुछ सिखाना पड़ेगा जो एक नोजवान को सिखाते है।
वीरू:बात तो सही है,पर वो बात उसके साइड से होनी चाहिए,अगर तुम सामने से उसे देने गयी तो वो तुम्हारे बारे में गलत सोचेगा।
संजू:क्या गलत? मा हु मैं उसकी।
वीरू :वही तो,मा हो तुम उसकी,अगर उसको बाद में मालूम पड़ा चुदाई के बारे में तो बाद में वो तुम्हे मा नही रंडी की तरह देखेगा। तुम्हे मंजूर है?
संजू:नही नही,मुझे मेरे मा होने का हक नही खोना।
वीरू:अगर सिखाना ही है तो,उसे फुसलाओ,या किसी ओर को उसके पास भेजो।खुद जाओ ये जरूरी नही।हमारी बचपन से अबतक की जिंदगी चुदाई में गयी है,बेटे को चुदाई सिखाओ पर इतना मत बिघड़वाओ की कोई कांड कर दे।
संजू:जी!!!
(अभी कहानी विजु की ओर से)
वो दिन अइसे ही निकल गया।दूसरे दिन मै(विजु) कॉलेज चला गया।12 वी का साल था।तो एक्स्ट्रा क्लासेस भी थे।पर क्लासेस चॉल में ही थे।
इधर मा(संजू) को मुझे चुदाई के लिये कोई औरत नही मिल रही थी। तो वो खुद फुसलाने के तरीके आजमा रही थी।जब मैं क्लासेस से पहले नाश्ते के लिए घर गया तो पहलेसे बहोत अजीब से नखरे दिख रहे थे उनके।खुली छाती ,कमर तक सारी।मुझे देखके अजीब सा हँसना।पहले तो मुझे बहुत ज्यादा अजीब लगा पर मेरे मन में वो भावना नही थी।तो मैं अपने रोज के तरीकों में जाकर डायनिंग पे बैठा और नास्ता मंगाया
(घर-बड़ा नही था,10×20 हॉल,10×5 का किचन,एक बाथरूम सिर्फ नहाने का,बाकी का बाथरूम कॉमन था चौल का )
मा नाश्ता लेके आ गयी,और मेरे सामने सटीक खड़ी हो गयी और प्यार से हाथ फेरते हुए लाडप्यार में बोलने लगी:हाय रे मेरा बच्चा ,थक गया है,कितना पढ़ाई करता है।
मैं:माँ अभी मैं बच्चा नही हु,अभी मै बड़ा हो गया हु,अइसे छोटे बच्चे की तरह मत किया कर।
माँ:तू कितना भी बड़ा हो,मेरे लिए बच्चा ही रहेगा
इतना बोलके इन्होंने मुझे अपने छाती से लपेट लिया।ये बात मुझे चौका देने वाली नही थी,क्योकि अइसे तो वो बचपन से करती आ रही थी।बात मुझे अजीब वो लगी की उसने आज परफ्यूम बहोत ही ज्यादा और हैवी वाला लगाया था जो वो कभी नही लगाती थी।उसका सुगंध मेरा मन विचलित कर रहा था।मेरी नियत बिगड़ती जा रही थी अइसे मुझे जैसे ही महसूस हुआ,मैन खुदको उनसे दूर किया।
मैं:ठीक है ठीक है,अभी मुझे क्लास के लिए देर हो रही है,बाद में जो लाड़ प्यार दुलार है वो कर लेना।
जल्दी से नाश्ता खत्म कर मैं उठा तो मुझे पेंट में कुछ फसा है अइसे महसूस हुआ।देखा तो मेरे हतियार ने लम्बाई पकड़ ली थी।मुझे शर्म सी आने लगी।हल्के से मा के पास देखा तो उनकी नजर मेरे ऊपर नही थी।मैं किचन से थोड़ा आड़े गया और पेंट में हतियार को सेट किया जिससे मैं थोड़ा फ्री महसूस करू,और क्लास के लिए निकल गया।
मा(संजू) की तरफ से-
इधर जब संजू ने उसे गले से लगाया था तभी उसके सांसों के चुचो पर के अहसास से संजू की हालत खराब हो रही रही।ऊपर से उसने जो सेक्सी वाला परफ्यूम लगाया था वो और उत्तेजित कर रहा था।उसने अपने बेटे के लन्ड की हरकत को तभी देख लिया था पर उसको देखना था की उसका रिएक्शन क्या आता है।जब संजू उठा और उसका रिएक्शन आया तो उस समय संजू देख चुकी थी,उसे मालूम था की विजु अभी उसके पास देखेगा इसलिए उसने फट से नजर दूसरी तरफ की और मन ही मन खुश होने लगी की अगर वो उत्तेजित हो रहा है तो उसमे मर्दाना ताकद आ चुकी है और उसे मेरे लिए भी कुछ नियत खराब हुई है।बस वीरू(संजू का पति-विजु का बाप) जैसे बोले थे वैसे ही वो मुझे मा के नजर से देख अपनी भावनाओ को काबू कर रहा है।पर ये बात तो तय है की वो उत्तेजित हुआ था।
j
अभी वो सब सोचते सोचते रात के खाने के तैयारी में लग गयी
Last edited: