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Serious *महफिल-ए-ग़ज़ल*

क्या आपको ग़ज़लें पसंद हैं..???

  • हाॅ, बेहद पसंद हैं।

    Votes: 12 85.7%
  • हाॅ, लेकिन ज़्यादा नहीं।

    Votes: 2 14.3%

  • Total voters
    14

TheBlackBlood

αlѵíժα
Supreme
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354
मोहब्बत करने वाले कम न होंगे।
तिरी महफ़िल में लेकिन हम न होंगे।।

मैं अक्सर सोचता हूँ फूल कब तक,
शरीक-ए-गिर्या-ए-शबनम न होंगे।।

ज़रा देर-आश्ना चश्म-ए-करम है,
सितम ही इश्क़ में पैहम न होंगे।।

दिलों की उलझनें बढ़ती रहेंगी,
अगर कुछ मशवरे बाहम न होंगे।।

ज़माने भर के ग़म या इक तिरा ग़म,
ये ग़म होगा तो कितने ग़म न होंगे।।

कहूँ बेदर्द क्यूँ अहल-ए-जहाँ को,
वो मेरे हाल से महरम न
होंगे।।
 

Mr. Perfect

"Perfect Man"
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3,721
143
Fantastic______

मोहब्बत करने वाले कम न होंगे।
तिरी महफ़िल में लेकिन हम न होंगे।।

मैं अक्सर सोचता हूँ फूल कब तक,
शरीक-ए-गिर्या-ए-शबनम न होंगे।।

ज़रा देर-आश्ना चश्म-ए-करम है,
सितम ही इश्क़ में पैहम न होंगे।।

दिलों की उलझनें बढ़ती रहेंगी,
अगर कुछ मशवरे बाहम न होंगे।।

ज़माने भर के ग़म या इक तिरा ग़म,
ये ग़म होगा तो कितने ग़म न होंगे।।

कहूँ बेदर्द क्यूँ अहल-ए-जहाँ को,
वो मेरे हाल से महरम न
होंगे।।
 

VIKRANT

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तुम आए हो तुम्हें भी आज़मा कर देख लेता हूँ।
तुम्हारे साथ भी कुछ दूर जा कर देख लेता हूँ।।

हवाएँ जिन की अंधी खिड़कियों पर सर पटकती हैं,
मैं उन कमरों में फिर शमएँ जला कर देख लेता हूँ।।

अजब क्या इस क़रीने से कोई सूरत निकल आए,
तिरी बातों को ख़्वाबों से मिला कर देख लेता हूँ।।

सहर-ए-दम किर्चियाँ टूटे हुए ख़्वाबों की मिलती हैं,
तो बिस्तर झाड़ कर चादर हटा कर देख लेता हूँ।।

बहुत दिल को दुखाता है कभी जब दर्द-ए-महजूरी,
तिरी यादों की जानिब मुस्कुरा कर देख लेता हूँ।।


_______अहमद मुश्ताक़
Beautiful poetry bro. :applause: :applause: :applause:
 

Ristrcted

Now I am become Death, the destroyer of worlds
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34,990
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अब एक वक्त पे सिर्फ एक ही नशा होगा,

या तो तेरी याद नहीं आएगी,

या तो मेरे शहर का महखाना तबाह होगा ।।
 

Wanderlust

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581
920
93
कहाँ है...

आज कल की ज़िन्दगी में
भागते सब लोग रहते
दो घड़ी रुकने की किसी को
फुर्सत अब रहती कहाँ है...

घर से निकली काम से जब
लौटती वापस नही है
किसी सूनी अंधीयारी गली में
नारी कष्ट सहती यहाँ है...

देह मैली मन भी मैला
इंसान का विचार है मैला
बेच दी है लाज अब तो
शर्म भी आती कहाँ है...

लोग रूक कर देखते हैं
बस देखते ही देखते हैं
पर बुराई से निपटने
की ज़रूरत अब कहाँ है...

कुछ चुनिंदों की हिमाक़त
इतनी ज़्यादा बढ़ गयी है
बेज़ुबानों की ये रूहें
अब घृणा से भर गयी हैं...

ज़ुल्म सहती कष्ट सहती
पीर हर इंसान है देता
कुछ ना कहती चुप ही रहती
बस तड़प कर रह गयी है...

आज कल की ज़िन्दगी में
भागते सब लोग रहते
पर किसी को दे दिलासा
ये बात अब रहती कहाँ है

नारी कष्ट सहती यहाँ है...
 

Ristrcted

Now I am become Death, the destroyer of worlds
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34,990
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कहाँ है...

आज कल की ज़िन्दगी में
भागते सब लोग रहते
दो घड़ी रुकने की किसी को
फुर्सत अब रहती कहाँ है...

घर से निकली काम से जब
लौटती वापस नही है
किसी सूनी अंधीयारी गली में
नारी कष्ट सहती यहाँ है...

देह मैली मन भी मैला
इंसान का विचार है मैला
बेच दी है लाज अब तो
शर्म भी आती कहाँ है...

लोग रूक कर देखते हैं
बस देखते ही देखते हैं
पर बुराई से निपटने
की ज़रूरत अब कहाँ है...

कुछ चुनिंदों की हिमाक़त
इतनी ज़्यादा बढ़ गयी है
बेज़ुबानों की ये रूहें
अब घृणा से भर गयी हैं...

ज़ुल्म सहती कष्ट सहती
पीर हर इंसान है देता
कुछ ना कहती चुप ही रहती
बस तड़प कर रह गयी है...

आज कल की ज़िन्दगी में
भागते सब लोग रहते
पर किसी को दे दिलासा
ये बात अब रहती कहाँ है

नारी कष्ट सहती यहाँ है...
:approve: sahi baat hai
 
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Wanderlust

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मार...

मैं ज़ुबानों से तुम्हारी
मार ही ख़ाता रहा हूँ
और अपना प्यार तुम पर
मैं लुटाता जा रहा हूँ...

प्यार की आस ले तुम्हारी
मुर्ख ही हरदम बना हूँ
दूर जो तुम हो गयी हो
पीर को सहता रहा हूँ
मैं ज़ुबानों से तुम्हारी
मार ही ख़ाता रहा हूँ...

किनारे पर तुम जाके बैठी
बीच में हाथ मेरा छोड़े
इस भंवर में मैं अकेला
डूबता ही जा रहा हूँ
मौत की आगोश में अब
पल-पल मैं बढ़ता जा रहा हूं
मैं ज़ुबानों से तुम्हारी

मार ही ख़ाता रहा हूँ...
 

Mr. Perfect

"Perfect Man"
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Gajab bhai_____

अब एक वक्त पे सिर्फ एक ही नशा होगा,

या तो तेरी याद नहीं आएगी,

या तो मेरे शहर का महखाना तबाह होगा ।।
 
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