Naina
Nain11ster creation... a monter in me
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Greattt bro. Beautiful poetry.हकीक़त भी यहीं है और है फ़साना भी,
मुश्किल है किसी का साथ निभाना भी।
यूँ ही नहीं कुछ रिश्ते पाक होते हैं,
पल में रूठ जाना भी पल में मान जाना भी।
लिहाज़ नहीं दिखता की हो बेग़ैरत तुम,
लाज़िम है किसी एक वक़्त में शरमाना भी।
मोहब्बत हो शहर में इश्क़ हर दिल में हो,
जरूरी है दीवानी भी जरूरी है दीवाना भी।
जरा सा सोच-समझ के करना बातें आपस में,
होने लगे हैं आजकल के बच्चे सयाना भी।
झूठ और सच बता सकता हूँ तेरे चेहरे से,
आया अब तक नहीं एक राज़ छुपाना भी।
- प्रभाकर "प्रभू"
Vikrant bhai,,,Greattt bro. Beautiful poetry.
Greattt bro. Beautiful poetry.गुज़रे जो अपने यारों की सोहबत में चार दिन।
ऐसा लगा बसर हुए जन्नत में चार दिन।।
उम्र-ए-ख़िज़र की उस को तमन्ना कभी न हो,
इंसान जी सके जो मोहब्बत में चार दिन।।
जब तक जिए निभाएँगे हम उन से दोस्ती,
अपने रहे जो दोस्त मुसीबत में चार दिन।।
ऐ जान-ए-आरज़ू वो क़यामत से कम न थे,
काटे तिरे बग़ैर जो ग़ुर्बत में चार दिन।।
फिर उम्र भर कभी न सुकूँ पा सका ये दिल,
कटने थे जो भी कट गए राहत में चार दिन।।
जो फ़क़्र में सुरूर है शाही में वो कहाँ,
हम भी रहे हैं नश्शा-ए-दौलत में चार दिन।।