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Adultery मम्मी की डायरी (सिर्फ हिंदी फॉन्ट)

Danish Mukharji

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यह सेक्शन इस स्टोरी की डिटेलिंग के लिए है

कहानी में आ रह पात्र

जैसे जैसे कहानी में नए नए पात्र आते जाएंगे, ये भाग अपडेट किया जाएगा। और पात्रों के रेफेरेंस कौन से कौन से पार्ट में आ रहे है, वो भी यहां लिखा हुआ मिलेगा!
पात्रनाम
मम्मीसुनीता
इकोनॉमिक्स प्रोफेसरसमीर
फैमिली डॉक्टररमणीक
मम्मी की मम्मीअनामिका
मम्मी के पिताहरीश
मम्मी के अंकलचंद्रेश
मम्मी का पहला बॉयफ्रेंड राहुल
चंद्रेश अंकल का लड़काकेतन
राहुल की एक्स गर्लफ्रेंड शालू

सेक्शन 1: मम्मी का कौमार्य
स्टोरी के इस हिस्से में हम जानेंगे के कैसे मेरी मम्मी का कौमार्य टूटा। मेरी मम्मी की डायरी में बीच मे लिखा हुआ है। मेरी मम्मी के 30वे जन्मदिन पर मा को उसके पहले मर्द की याद आई होगी और वही उसने अपनी डायरी में लिखा हुआ है। वो बात आपके सामने रखने का प्रयास है।
पार्टटाइम
पार्ट 0117/10/2022
पार्ट 0219/10/2022
पार्ट 0322/10/2022
पार्ट 0425/10/2022
पार्ट 0527/10/2022
पार्ट 0606/11/2022
पार्ट 0706/11/2022
पार्ट 08
पार्ट 09

सेक्शन 2: मम्मी का पहला बॉयफ्रेंड
इस सेक्शन में ये दिखाने की कोशिश होने वाली है, के कैसे माँ अपने पहले बॉयफ्रेंड से मिली? ये मेरी मम्मी की डायरी में 30वे जन्मदिन पर जब अपने कौमार्य की बात लिखी थी, उसके बाद ही अपने पहले बॉयफ्रेंड की बात लिखी हुई है!

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मैंने जितनी डायरी पढ़ी है, जितना पढ़ते जा रहा हूँ, जो अलग अलग चैटिंग के पासवर्ड्स से मैंने चैट्स पढ़ी है, वो सब मिला कर मुझे लग रहा है के इतने सारे पार्ट्स अभी बन सकते है। इसमें से कोई गायब भी हो सकता है और कुछ नए भी आ सकते है, क्योंकि मैं जब भी वक़्त मिलता है सारी कड़ी से कड़ी मिला कर पढ़ के लिखने बैठ रहा हूँ।

सेक्शन 03: मम्मी के बॉयफ्रैंड्स
सेक्शन 04: मम्मी की शादी
सेक्शन 05: मम्मी और पापा का हनीमून
सेक्शन 06: मम्मी और पापा का जीवन
सेक्शन 07: मम्मी का पहला बच्चा (मैं)
सेक्शन 08: मम्मी और पापा में दूरी
सेक्शन 09: मम्मी का शादी के बाद पहला गलत कदम
सेक्शन 10: मम्मी का पहला अफैर
सेक्शन 11: मम्मी के अफेयर्स
सेक्शन 12: मम्मी का एक खतरनाक अफैर
सेक्शन 13: मम्मी के खतरनाक अफेयर्स
सेक्शन 14: मम्मी का ख़ुशी ख़ुशी जाना
 
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Danish Mukharji

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दोस्तो, मैंने येके कहानी पहले सोचा के आपने ही किसी मित्र के द्वारा लिखवाने की कोशिश करू। इसके लिए मैंने एक पुराने लेखक, जिसकी कहानी मुझे पर्सनली पसन्द है, जगदीश भी का कॉन्टेक्ट किया। जगदीश भाईने लिखने की जिम्मेदारी तो ली। पर फिर उसने मुझे इंसिस्ट किया के मेरी माँ की कहानी है तो कहानी भी मैं लिखू। पर मैं पहले माना नही। तो उसने पोस्ट कर दी। और फिर मुझे लगा के नहीं मैं ही करता हु। तो उसने अपना पोस्ट डिलीट करने के लिए रिक्वेस्ट कर दिया। जगदीश भाऊ का दिल से धन्यवाद। और ये मेरे सारे निर्णय में सपोर्टिंगली सपोर्ट करने के लिए भी धन्यवाद।

कहानी का प्लाट और कहानी का सोर्स

आप लोगों को पता है कि अभी अभी मेरी मम्मी का देहांत हुआ. मेरी दादी भी भूतकाल में गुजर गई थी. तो अब हमारे घर में टोटल तीन मर्द है जो जिंदा है. मैं, मेरे पापा और मेरे दादाजी. दादाजी ज्यादातर घर में सोते रहते हैं. पिताजी अपना ज्यादातर वक्त ऑफिस के काम में बिताते हैं. मेरा और उनका आमना सामना ना हो उस वजह से वह ज्यादातर घर के बाहर ही रहते है. मैं दादाजी की देखभाल करने के लिए घर पर रहता हूं. और वर्क फ्रॉम होम कल्चर को अपना लिया है. घर में खाना बनाने के लिए रखा हुआ है। बना जाते हैं. घर की साफ सफाई भी काम वाले करके चले जाते हैं.

तो घर में अकेला ही रहता हूं ऐसा मानकर चल सकते हैं. शनिवार को और रविवार को मेरी छुट्टी होती है. और इस शनिवार रविवार को मैं, खाली दिमाग शैतान का घर बन जाता हूं. मेरे पापा शनिवार और रविवार को भी या तो ऑफिस चले जाते हैं, या फिर अपने दोस्तों के साथ बाहर चले जाते हैं. सच बताऊं तो मैं पूछता ही नहीं कि मेरे पापा कहां जाते हैं. उन्होंने अभी-अभी अपनी पत्नी खोई है. मेरे लिए तो जिंदा है वही बहुत है.

यार मैं जवान हूं. और कैसा हूं आप सबको पता है. मतलब अगर कुछ अभद्र काम ना करो, तो रात को नींद नहीं आती. और मैं इन सबसे ऊपर आ चुका हूं. तो मैं देख रहा था मम्मी की अलमारी. और वहां मेरे लिए काफी सेक्सी सामान पड़ा था. जो हर मर्द को मुठ मारने के लिए सफिशिएंट था.

मम्मी वाकई में काफी सेक्सी सेक्सी कपड़े अपनी अलमारी में छुपा के रखी थी. मस्त लॉन्जरी, सेक्सी ब्रा पेंटी, छोटे छोटे कपड़े, कितना सारा माल मां की अलमारी में था. जो भी बोलो, मेरी मां थी बहुत सेक्सी. अलग-अलग छोटे छोटे कपड़ों में मैं मां को इमेजिन करने लगा. हां मुझे पता है कि यह गलत है. पर हम में से कई सारे ऐसे लोग हैं, जिसने एक बार तो मम्मी के ब्रा पेंटी को छुआ तो है. किसीने मुठ भी मारी है. बस मेरे यहां पर मेरी मां अब गुजर चुकी है.

पर यह मैं लिख रहा हूं उसकी एक वजह है. और वह वजह है मम्मी की डायरी. मैं मम्मी के कपड़े इधर-उधर कर रहा था, उसमें मुझे मां की लिखी हुई एक डायरी मिली. मम्मी के सारे कपड़े, सारी साड़ियां, सब के नीचे अलमारी के एक कोने में यह डायरी पड़ी थी. डायरी के हालात को देखकर ऐसा बिल्कुल भी नहीं लग रहा था, के पापा ने उसको छुआ भी था. मैं कोई फॉरेंसिक एक्सपर्ट तो नहीं हूं. डायरी किसी मर्द के हाथ में आई हो ऐसा लग नहीं रहा था. क्योंकि अगर किसी ने वह डायरी को हाथ लगाया होता. तो घर में तलवार उठने के चांसेस थे. मैंने जैसे-जैसे डायरी को पढ़ना शुरू किया, वैसे वैसे मुझे लगने लगा, कि पक्का पापा ने तो यह डायरी नहीं देखी. क्योंकि पापा ने अगर पढ़ा होता तो, मम्मी और पापा का तलाक हो चुका होता.

मैंने अभी तक 200 पन्ने वाली इस डायरी में डेढ़ सौ पन्ने पढ़ लिए हैं. और अभी से मुझसे रहा नहीं जा रहा. एक तरह से अगर मैं अपनी मां को ट्रिब्यूट देना चाहता हूं, तो मुझे इस कहानी को आप सबके सामने लाना जरूरी है. और इस कहानी को पढ़ते हुए मुझे गर्व महसूस हुआ, कि मेरी मां ने अपनी जिंदगी को अच्छे से जिया है. मैं खुश हूं कि मम्मी गुजरी पर उसके कोई भी ख्वाब अधूरे नहीं रहे. जो भी ख्वाब उसके अधूरे रहे वह मैं अपने जरिए, इस कहानी के जरिए पूरे कर दूंगा. कहानी के ज्यादा पार्ट्स नहीं है. और इसकी वजह है यह डायरी. क्योंकि डायरी करीब 180 पन्नों तक लिखी हुई है. पर इसमें हर एक पेज पूरा का पूरा नहीं भरा. तो अगर मैं इस डायरी को एक ही नोटबुक में लिखना शुरु कर भी दूं, तो ज्यादा से ज्यादा मैं 50 पन्ने लिख पाऊंगा. ऐसा लग रहा है कि मम्मी ने पन्ना खोला और उस दिन का उसमें लिख दिया. और फिर दूसरे दिन दूसरे पन्ने में लिख दिया. कहीं कहीं पर कुछ कुछ दिन के लिए डिटेल में लिखा है. तो कहीं कहीं दिन पूरे पन्ने पर सिर्फ दो या तीन लाइन ही लिखी थी. इस डायरी से मुझे काफी सारे पासवर्ड भी मिले. मम्मी के मोबाइल में प्रोटेक्टेड फाइल्स को ओपन करने का मौका भी मिला. कुछ वेबसाइट के क्रेडेंशियल भी मिले. जहां पर मैंने काफी सारी चैट भी देखे हुए हैं. वैसे यह पूरा खजाना मुझे लग रहा है तब तक 5 साल का है. मैं अभी कड़ी से कड़ी मिलाकर कहानी बना लूंगा और आपके सामने रख लूंगा. तो मुझे अभी से नहीं पता कि मैं इसके कितने पार्ट्स बनाऊंगा. हां पर इतना तय है कि शायद 20 या 25 पार्ट में सब खत्म हो जाएगा। ऐसा लग रहा है। फिर भी डिटेलिंग डालने की पूरी कोशिश करूंगा. ऊपर से वेबसाइट से भी काफी खजाना अभी पढ़ना बाकी है। डायरी में सिर्फ रेफरेंस दिया है के आज कुरेशी के साथ चैट करके मजा आया। अब वो चैट की वेबसाइट देखूंगा मैच करूंगा तारीख से और फिर वो लिखूंगा।

तो इस कहानी में सारी घटनाएं सटीक है. यह मैंने मम्मी की डायरी में से पड़ी हुई है. पर मम्मी ने जो लिखा है वह वास्तविकता है और मैं जो लिख रहा हूं उसमें थोड़ा मसाला डालूंगा कहानी बनाने के लिए. तो यही सेक्सी स्टोरी का प्लॉट है. जो मैं एक तरह से अपनी मम्मी को ट्रिब्यूट देने के लिए लिख रहा हूं. तो सारी घटनाएं सही है बस इसकी लिखावट ही मेरी है. तो आइए शुरू करते हैं सच्चाई पर आधारित यह कहानी. इसीलिए मम्मी के बारे में मैं अभी कुछ ज्यादा नही बताऊंगा। नाम भी आपको प्रॉपर समय पर मिलेगा

यह कहानी मेरे दिल के बहुत करीब रहने वाली है। इसलिए मैं इसे बहुत दिल से लिखने की कोशिश करूंगा। तो एक सप्ताह में सिर्फ एक ही पार्ट आएगा। इससे ज्यादा की उम्मीद भी मत रखना। इस कहानी को हिंगलिश में भी लिखूंगा पर अभी नही, बाद में।
 
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Danish Mukharji

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Danish Mukharji

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मम्मी का कौमार्य (पार्ट 1)

तो इस कहानी का सबसे पहला हिस्सा है मम्मी का कौमार्य. एक पतिव्रता पत्नी की यही खासियत है, कि उसके पति को उसकी पत्नी के चरित्र के बारे में कभी पता नहीं होता. और यही वजह है, कि वह अपनी पत्नी को अच्छे से खुश भी नहीं कर सकता. मम्मी के कौमार्य की इस कहानी में मुझे यही जानने को मिला. मम्मी ने बीकॉम किया हुआ था. मम्मी कॉलेज में ताजा ताजा 18 वर्ष की हुई थी. जवानी थिरक रही थी. किसी मर्द की चाह में बदन भी कस रहा था. हर लड़के मम्मी को ऐसे लग रहे थे कि मानो अभी क्योंकि उसकी बाहों में चली जाए. काले गोरे का भेद यह बदन समझ नहीं रहा था. खुद को कैसे संभाले वह भी उसे पता नहीं था. ऐसी थी मेरी मम्मी प्रेरणा. 18 साल की उम्र में ही 32 की छाती, 26 की पतली कमर, और 32 की मटकती गांड थी. किताब से पता चला कि मम्मी को छोटे छोटे कपड़े पहनने का शौक बहुत था. शौक तो होगा क्योंकि बदन को एक मर्दाना हाथ की जरूरत थी. आइए सुनते हैं मम्मी की जुबानी से.

यार यह मर्द कैसे अपने प्राइवेट पार्ट को खुजा कर खुद को संतोष दे देते हैं. मुझे भी पानी आ रहा है. मुझे भी कुछ आने का मन है. प्रोफेसर को देख रहे हो. कितना हैंडसम और कितना स्ट्रांग दिख रहा है. क्या मेरे साथ में खड़ी हुई एक भी लड़की को नीचे खुजली नहीं हो रही है? यह पूछा देखो ना कब से आहें भर रही है. पर मेरे तो पानी निकलना शुरू कर दिया है. कोई इतना मर्दाना कैसे हो सकता है. समीर मेरा इकोनॉमिक्स का प्रोफेसर. जो मेरा पहला क्रश. अगर वह गंदे इशारे से भी बुला ले तो आज मैं उनके साथ बाहों में चली जाऊंगी. बदन की गर्मी भी इतनी है कि उसे मिटाने के लिए ऐसा कोई मर्दाना मिल जाए, तभी लगता है कि बात बनेगी. करीब 45 उम्र के होंगे समीर सर.


रितिक रोशन भी उनके आगे फेल है। मर्दों की अगर कोई कंपटीशन होती तो समीर सर के अलावा कोई नहीं जीत सकता। हमसे बात करने का लहजा घायल कर देता था। हर लड़की उनके पीछे दीवानी जी। भले ही कोई एक्सेप्ट नहीं करता था पर सबको दिख रहा था कि हर लड़की उनके पीछे पागल थी। मैं भी उनसे मिलने के लिए कोई ना कोई बहाना ढूंढती रहती थी। एक नया बहाना ढूंढने के लिए, मैंने अपना दिमाग लगाना शुरू कर दिया। मैं यह सोच रही थी कि बहाना ऐसा यूनिक हो यह किसी के ध्यान में जल्दी ना आए। जय समीर सर के साथ भी रहूं और किसी को भनक भी ना हो।

1 दिन की बात है जब लेक्चर खत्म करके सारी लड़कियां अपने डाउट सोल कर रही थी। आज के लेक्चर में ऐसा कुछ भी नहीं था जो समझ में ना आए, पर फिर भी सब को उनके पास जाने का मौका चाहिए था। मैं पीछे की बेंच पर बैठी रही। यह आखिर का लेक्चर था। जब सारे के सारे डाउट सॉल्व करके निकल गए, तब समीर सरने मुझे अकेले बैठे हुए देखकर पूछा। "क्यों तुम्हें सब समझ में आ गया?" मैंने हंसते हुए कहा "सर आपको नहीं लगता कि आज की क्लास में ऐसा कुछ भी नहीं था जो अलग से समझने की जरूरत पड़े?" तो समीर सर मुस्कुरा कर बोले "वैसे तो मैं जो बढ़ाता हूं किसी को रिवीजन करने की भी जरूरत नहीं होती, फिर भी तुम तो पूछने आ जाती हो!

सर तो इतनी सी बात कर के निकलने ही वाले थे। तो मुझे अपना दाव खेलना था!

मैं: सर मैं सोच रही थी के आप न पर्सनल क्लासिस शुरू कर दो
सर: क्यों? अभी तो बोल रही थी के तुम्हे तो सब समझ आ गया है!
मैं: सर प्लीज मुझे आपसे काफी कुछ सीखना है, मुझे बड़े हो कर आप ही कि तरह एक काबिल टीचर बनना है। मैंने यहां आपने प्रिंसिपल मैडम से भी बात कर ली है। मैं यहां पर 3 साल खत्म करके ज्वाइन होने वाली हूं। तो मुझे इकोनॉमिक्स नहीं सीखना है, मुझे पढ़ाने का तरीका सीखना है। जयपुरी कॉलेज में आपके अलावा किसी को नहीं आता। अभी कोई एग्जांपल देते हो, कैसे देते हो? आप क्या सोच कर आते हो? आप किस तरह से तैयारी करते हो? वह सब समझना है!

कितना सोच समझ कर मैंने ये पूछा था।

सर: मैं ऐसे किसी को नहीं ट्रेनिंग देता। और मुझे ट्रेनिंग देने आता भी नहीं है!
मैं: पर सर आप नहीं चाहते के एक आपके जैसा ही एक टीचर आपकी तरह तैयार होता जाए? या फिर लड़की आपके टक्कर की हो वो आप नहीं चाहते?


मैंने कई बार अपनी मम्मी को देखा हुआ है, जब भी मेरे पापा मेरी मम्मी को भाव नहीं देते थे तब मेरी मम्मी उसको उखड़े उखड़े जवाब देती थी जिसके चलते मेरे पापा उसको अटेंशन देना शुरु कर देते थे। मैंने एक और बात नोटिस की थी। अगर तुम लड़कों के दिमाग में तुम्हारे प्रति सस्पेंस क्रिएट कर सकते हो तो फिर वह लड़का तुम्हारे सस्पेंस चलने के लिए तुम्हारे आसपास घूमता रहेगा। अभी तक में समीर सर के नोटिस में नहीं आई थी पर आज के बाद से इतना तो तय है केसर मुझे नोटिस करना शुरू कर देंगे।

उस दिन सर मुझे भाव नहीं दिया और सर चले गए। तब मेरा यह फर्ज था कि मैं सर को भाव देना बंद कर दूंगी। अब मैं एक खास वजह से सर के नोटिस में थी पहले सर को भाव नहीं देने वाली थी। मतलब सर को मैं ऐसा दिखाने वाली थी कि मुझे उसमें बिलकुल भी दिलचस्पी नहीं है। सारी लड़कियां उनको भले ही अटेंशन दे। पर मैंने अटेंशन देने के बाद भी उसे इग्नोर करना शुरु कर दिया। ऐसा करीब 10 दिन तक चलता रहा। सर को लगा था कि मैं वापस उनसे कुछ ना कुछ पूछने जाओगी। पर मैंने ऐसा कुछ नहीं किया। उल्टा में प्रिंसिपल मैडम के पास सीखने के लिए बार-बार जाने लगी। उसने सर को इसका अहसास हो गया कि मैं वाकई टीचर बनने के लिए इंटरेस्टेड हूं। 10 दिन के बाद जब समय सर ने अपना लेक्चर खत्म किया सारी लड़कियां उसे डाउट सॉल्व करने उसे गिर कर बैठी हुई थी। उस वक्त समीर सर ने सब को इग्नोर करके मुझे अपनी केबिन में बुलाया। क्लास में सारी लड़कियों के चेहरे देखने लायक थे। चेहरे में साफ साफ दिख रहा था कि सारे के सारे जलकर राख हो गए। कि मैं सर को तो भाव भी नहीं देती थी फिर भी सर ने मुझे डायरेक्टली उनके केबिन में बुला लिया।

मैं बड़ी चाव से खड़ी हुई और सर के पीछे पीछे चल दी। सर एक बड़े अच्छे इंसान थे उन्होंने अपनी केबिन का दरवाजा बंद नहीं किया। ताकि आने जाने वाले के लिए साफ साफ दिखाई दे कि वह एक स्टूडेंट के तौर पर ही मुझसे बात कर रहे हैं।

सर: तो तुम वाकई टीचर बनना चाहती हो
मैं: जी हां सर मुझे नहीं पता था कि आप मुझे बस आप मुझे हल्के में लोगे।
सर: देखो मैं तुम्हें एक बात साफ-साफ बता देता हूं। टीचर की पर्सनल जिंदगी और प्रोफेशनल जिंदगी में काफी अंतर होता है।
सर: मतलब मैं समझी नहीं
मैं: आप चाहकर भी अपनी पर्सनल जिंदगी और वह पर्सनल जिंदगी को टीचर की प्रोफेशन में नहीं डाल सकते। उसका जीता जागता उदाहरण में हूं। तुम शायद मेरी किसी को देखकर यह मेरी बॉडी लैंग्वेज को देखकर इंप्रेस हुई होगी। और मेरे जैसे बनने के ख्वाब देखने शुरू कर दिया होंगे। घर में नहीं है साफ-साफ बता दो कि मैं शादीशुदा था और अब मेरा डिवोर्स का केस चल रहा है। कोर्ट के चक्कर काट रहा हूं और कई बार पुलिस के चक्कर भी काट चुका हूं। फिर भी चेहरे के आगे स्माइल लेकर मैं आप लोगों के सामने आ जाता हूं। लाइफ मेंटेन करना इतना आम बात नहीं है।

मेरे दिमाग को कुछ और कहना चाहिए था। पर बदन की आग ये कह रही थी के सर कितने साल से प्यासे है, और मैं भी प्यासी हु। प्यासी तो क्या शुरू ही नही किया कुछ। तो अगर ये समीर सर मेरे बदन से प्यास बुझाने लगे तो मुझे कितना ज्यादा आनंद मिलेगा?

सर: क्या सोच रही हो
मैं: सर यही सोच रही थी के मुझे आपके जैसा बनना ही है! मेरे जीवन मे भी कोई कम गम नही है।

वैसे मुझे कोई कमी नहीं थी किसी भी बात के लिए। मेरा बाप तो अमीर है। पानी मांगा तो दूध दिल दे ऐसा है मेरा खानदान। सर के साथ उस दिन अच्छे से बात हुई। मैंने जान बूझकर अपने बारे में ज्यादा नहीं बताया। मेरे कपड़े और मैं जो अपने हालात बता रही हूं, वो दोनों अलग अलग बाते बयान दे रही है। ये सर को भी पता चल सकता है। और पैसेवाले के घर में भी तकलीफे तो हो सकती है। जो होगा देखा जाएगा। सर ने मेरी इच्छा को मान देते हुए मेरे लिए ही क्लास का आयोजन करना शुरू कर दिया। पर वो सब हो रहा था कॉलेज में। कॉलेज के बाहर नही। मुझे जाना था उसके रूम में। उसकी बाहों में उसके बिस्तरमें।

पर मेरे लिए एक और अच्छी बात हुई, ऊपरवाला मेरे ऊपर महेरबान है। लड़कियों में पॉलिटिक्स शुरू हो गया। अब गर किसी लड़की को आगे जा कर टीचर बनना था। सर ने मेरे साथ ये डिसकस किया

सर: अब तो हर किसी को टीचर बनना है।
मैं: एक बात कर सकते हो आप सर
सर: क्या?
मैं: आप एग्जाम लेना शुरू कर दो। जो पास होगा वो आपके क्लास में आ सकती है।
सर: लड़के भी आ रहे है
मैं: वो सब अपनी बन्दी के साथ आते है
सर: हा वही
मैं: तो अब एग्जाम लो। जो पास होगा वो आपके क्लास में आ सकता है। जिसको मन होगा वो पास होगी मेहनत कर के

मुझे एक बात पता थी के सर को सब को पढ़ाने में कोई इंटरेस्ट नही था। ये तो मैं पहली थी और मेरे में सर ने पोटेंशियल देखा तो मुझे ले लिया।

सर: यार ये लोग न मेरे लुक्स के कारण आकर्षित है। इसलिए आ रही है। तुम अलग हो इन सब से। तुमने मुझे सिर्फ टीचर माना है। तुम पढ़ने आती हो, सीखने आती हो। तो मुझे तुम्हारे साथ अच्छा लगता है। ये सब दिखावे के खेल बना कर रख दिया है बाकी की लड़कियों ने

चलो मेरी मेहनत रंग तो लाई। तो मैंने आखरी दाव खेला

मैं: सर अगर आप बुरा न मानो तो हम आपके घर पर ही ट्रेनिंग ले? यहां आप क्लास ही बंद कर दो। बोल दो आप करना ही नही चाहते। मैं खुद बोल दूंगी के मुझे ही इंटरेस्ट नही है। तो आपको भी ज्यादा परेशानी नहीं होगी।

सर के दिमाग मे ये बात बैठ गई। सर ने मेरे आइडिया को सपोर्ट किया। प्लान एक्सएक्यूट हुआ और आंशिक सफल हुआ। आंशिक इसलिए क्योंकि, लडकिया ने सर के पास जाने के लिए बहुत फोर्स किया। ये सब जो भी बखेड़ा हुआ उसमे मैं और सर ज्यादा करीब आ गए। उल्टा सर को मेरे साथ रहने में मजा आने लगा। उसे लगा के इन सब लड़कियों में मैं ही हु जो उसे समझती है। और मैच्योर हु। हम लोग करीब 1 महीने नहीं मिले। लडकिया मुझे कोसती रही। मेरे साथ जघडे भी हुए। पर मैंने साफ साफ बोल दिया। के मैं कोई उन लोगो की कठपुतली नही हु। मुझे नही बनना अब टीचर तो नहीं बनना। मेरी मर्जी है, मेरा करियर है, मेरा फ्यूचर है, मेरी जिंदगी है। और अब सर को मन नहीं है पढ़ाने का तो उसमें मेरी क्या गलती है? तो लोगो ने ये समझ लिया के मेरे और सर के बीच मे कोई लफड़ा हुआ है। बात इतनी बढ़ गई के बात प्रिंसिपल मेडम तक पहुंची गई।

प्रिंसिपल: समीर सर हुआ क्या है कुछ आपको पता है?
मैं: मेडम ये मेरा किया कराया है, सर को कुछ मत बोलो। मैं आपको सब बताती हु। लड़कियों को समीर सर पसन्द है। सब समीर सर के साथ रहना चाहती है। समीर सर सब का क्रश है। वरना आप ही सोचो के मेरे सर के पास जाने के बाद ही अचानक सब को टीचर बनना है? अचानक ही? और मेरे ऊपर भी प्रेशर इतना बनता जा रहा था के सारी लडकिया मेरे ऊपर ये इल्जाम लगा रही थी, के मेरे और समीर सर के बीच मे....

मैंने थोड़ा रोने का नाटक किया। इमोशनल हो गई। मेडम सारी बातें समझ गई। उल्टा सर को क्लीन चिट दी और बाकी सारी लड़कियों को अलग से वार्निंग दे कर उसे सब ठिकाने लगाने की जिम्मेदारी खुद प्रिंसिपल मेडम ने ले ली। और ये भी कहा के अगर मैं चाहती हु टीचर बनना तो बाहर कहीं मिले। मेरी ख्वाहिश पर रोक लगाने की जरूरत नहीं है।

थोड़ा स्ट्रेसफुल टाइम गया पर आखिरकार सर भी इस बात के लिए एग्री हो गए के मैं सर के घर ट्रेनिग के लिए जा सकती हूं।
 
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Danish Mukharji

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Jis tarah se rukhi sukhi shuruat hui hai. Lagta hai ise koi jyada log nahi padhne wale. Par koi bat nahi. Mai ye kahani likhta rahunga bina kisi apeksha ke. Kyonki ye kahani mere dil ke karib hai.

Baki comments karenge to achha jarur lagega
 

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दोस्तो, मैंने येके कहानी पहले सोचा के आपने ही किसी मित्र के द्वारा लिखवाने की कोशिश करू। इसके लिए मैंने एक पुराने लेखक, जिसकी कहानी मुझे पर्सनली पसन्द है, जगदीश भी का कॉन्टेक्ट किया। जगदीश भाईने लिखने की जिम्मेदारी तो ली। पर फिर उसने मुझे इंसिस्ट किया के मेरी माँ की कहानी है तो कहानी भी मैं लिखू। पर मैं पहले माना नही। तो उसने पोस्ट कर दी। और फिर मुझे लगा के नहीं मैं ही करता हु। तो उसने अपना पोस्ट डिलीट करने के लिए रिक्वेस्ट कर दिया। जगदीश भाऊ का दिल से धन्यवाद। और ये मेरे सारे निर्णय में सपोर्टिंगली सपोर्ट करने के लिए भी धन्यवाद।
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आप लोगों को पता है कि अभी अभी मेरी मम्मी का देहांत हुआ. मेरी दादी भी भूतकाल में गुजर गई थी. तो अब हमारे घर में टोटल तीन मर्द है जो जिंदा है. मैं, मेरे पापा और मेरे दादाजी. दादाजी ज्यादातर घर में सोते रहते हैं. पिताजी अपना ज्यादातर वक्त ऑफिस के काम में बिताते हैं. मेरा और उनका आमना सामना ना हो उस वजह से वह ज्यादातर घर के बाहर ही रहते है. मैं दादाजी की देखभाल करने के लिए घर पर रहता हूं. और वर्क फ्रॉम होम कल्चर को अपना लिया है. घर में खाना बनाने के लिए रखा हुआ है। बना जाते हैं. घर की साफ सफाई भी काम वाले करके चले जाते हैं.

तो घर में अकेला ही रहता हूं ऐसा मानकर चल सकते हैं. शनिवार को और रविवार को मेरी छुट्टी होती है. और इस शनिवार रविवार को मैं, खाली दिमाग शैतान का घर बन जाता हूं. मेरे पापा शनिवार और रविवार को भी या तो ऑफिस चले जाते हैं, या फिर अपने दोस्तों के साथ बाहर चले जाते हैं. सच बताऊं तो मैं पूछता ही नहीं कि मेरे पापा कहां जाते हैं. उन्होंने अभी-अभी अपनी पत्नी खोई है. मेरे लिए तो जिंदा है वही बहुत है.

यार मैं जवान हूं. और कैसा हूं आप सबको पता है. मतलब अगर कुछ अभद्र काम ना करो, तो रात को नींद नहीं आती. और मैं इन सबसे ऊपर आ चुका हूं. तो मैं देख रहा था मम्मी की अलमारी. और वहां मेरे लिए काफी सेक्सी सामान पड़ा था. जो हर मर्द को मुठ मारने के लिए सफिशिएंट था.

मम्मी वाकई में काफी सेक्सी सेक्सी कपड़े अपनी अलमारी में छुपा के रखी थी. मस्त लॉन्जरी, सेक्सी ब्रा पेंटी, छोटे छोटे कपड़े, कितना सारा माल मां की अलमारी में था. जो भी बोलो, मेरी मां थी बहुत सेक्सी. अलग-अलग छोटे छोटे कपड़ों में मैं मां को इमेजिन करने लगा. हां मुझे पता है कि यह गलत है. पर हम में से कई सारे ऐसे लोग हैं, जिसने एक बार तो मम्मी के ब्रा पेंटी को छुआ तो है. किसीने मुठ भी मारी है. बस मेरे यहां पर मेरी मां अब गुजर चुकी है.

पर यह मैं लिख रहा हूं उसकी एक वजह है. और वह वजह है मम्मी की डायरी. मैं मम्मी के कपड़े इधर-उधर कर रहा था, उसमें मुझे मां की लिखी हुई एक डायरी मिली. मम्मी के सारे कपड़े, सारी साड़ियां, सब के नीचे अलमारी के एक कोने में यह डायरी पड़ी थी. डायरी के हालात को देखकर ऐसा बिल्कुल भी नहीं लग रहा था, के पापा ने उसको छुआ भी था. मैं कोई फॉरेंसिक एक्सपर्ट तो नहीं हूं. डायरी किसी मर्द के हाथ में आई हो ऐसा लग नहीं रहा था. क्योंकि अगर किसी ने वह डायरी को हाथ लगाया होता. तो घर में तलवार उठने के चांसेस थे. मैंने जैसे-जैसे डायरी को पढ़ना शुरू किया, वैसे वैसे मुझे लगने लगा, कि पक्का पापा ने तो यह डायरी नहीं देखी. क्योंकि पापा ने अगर पढ़ा होता तो, मम्मी और पापा का तलाक हो चुका होता.

मैंने अभी तक 200 पन्ने वाली इस डायरी में डेढ़ सौ पन्ने पढ़ लिए हैं. और अभी से मुझसे रहा नहीं जा रहा. एक तरह से अगर मैं अपनी मां को ट्रिब्यूट देना चाहता हूं, तो मुझे इस कहानी को आप सबके सामने लाना जरूरी है. और इस कहानी को पढ़ते हुए मुझे गर्व महसूस हुआ, कि मेरी मां ने अपनी जिंदगी को अच्छे से जिया है. मैं खुश हूं कि मम्मी गुजरी पर उसके कोई भी ख्वाब अधूरे नहीं रहे. जो भी ख्वाब उसके अधूरे रहे वह मैं अपने जरिए, इस कहानी के जरिए पूरे कर दूंगा. कहानी के ज्यादा पार्ट्स नहीं है. और इसकी वजह है यह डायरी. क्योंकि डायरी करीब 180 पन्नों तक लिखी हुई है. पर इसमें हर एक पेज पूरा का पूरा नहीं भरा. तो अगर मैं इस डायरी को एक ही नोटबुक में लिखना शुरु कर भी दूं, तो ज्यादा से ज्यादा मैं 50 पन्ने लिख पाऊंगा. ऐसा लग रहा है कि मम्मी ने पन्ना खोला और उस दिन का उसमें लिख दिया. और फिर दूसरे दिन दूसरे पन्ने में लिख दिया. कहीं कहीं पर कुछ कुछ दिन के लिए डिटेल में लिखा है. तो कहीं कहीं दिन पूरे पन्ने पर सिर्फ दो या तीन लाइन ही लिखी थी. इस डायरी से मुझे काफी सारे पासवर्ड भी मिले. मम्मी के मोबाइल में प्रोटेक्टेड फाइल्स को ओपन करने का मौका भी मिला. कुछ वेबसाइट के क्रेडेंशियल भी मिले. जहां पर मैंने काफी सारी चैट भी देखे हुए हैं. वैसे यह पूरा खजाना मुझे लग रहा है तब तक 5 साल का है. मैं अभी कड़ी से कड़ी मिलाकर कहानी बना लूंगा और आपके सामने रख लूंगा. तो मुझे अभी से नहीं पता कि मैं इसके कितने पार्ट्स बनाऊंगा. हां पर इतना तय है कि शायद 20 या 25 पार्ट में सब खत्म हो जाएगा। ऐसा लग रहा है। फिर भी डिटेलिंग डालने की पूरी कोशिश करूंगा. ऊपर से वेबसाइट से भी काफी खजाना अभी पढ़ना बाकी है। डायरी में सिर्फ रेफरेंस दिया है के आज कुरेशी के साथ चैट करके मजा आया। अब वो चैट की वेबसाइट देखूंगा मैच करूंगा तारीख से और फिर वो लिखूंगा।

तो इस कहानी में सारी घटनाएं सटीक है. यह मैंने मम्मी की डायरी में से पड़ी हुई है. पर मम्मी ने जो लिखा है वह वास्तविकता है और मैं जो लिख रहा हूं उसमें थोड़ा मसाला डालूंगा कहानी बनाने के लिए. तो यही सेक्सी स्टोरी का प्लॉट है. जो मैं एक तरह से अपनी मम्मी को ट्रिब्यूट देने के लिए लिख रहा हूं. तो सारी घटनाएं सही है बस इसकी लिखावट ही मेरी है. तो आइए शुरू करते हैं सच्चाई पर आधारित यह कहानी. इसीलिए मम्मी के बारे में मैं अभी कुछ ज्यादा नही बताऊंगा। नाम भी आपको प्रॉपर समय पर मिलेगा

यह कहानी मेरे दिल के बहुत करीब रहने वाली है। इसलिए मैं इसे बहुत दिल से लिखने की कोशिश करूंगा। तो एक सप्ताह में सिर्फ एक ही पार्ट आएगा। इससे ज्यादा की उम्मीद भी मत रखना। इस कहानी को हिंगलिश में भी लिखूंगा पर अभी नही, बाद में।
:congrats: for new thread
 

ChestNut

Okay
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मम्मी का कौमार्य (पार्ट 1)

तो इस कहानी का सबसे पहला हिस्सा है मम्मी का कौमार्य. एक पतिव्रता पत्नी की यही खासियत है, कि उसके पति को उसकी पत्नी के चरित्र के बारे में कभी पता नहीं होता. और यही वजह है, कि वह अपनी पत्नी को अच्छे से खुश भी नहीं कर सकता. मम्मी के कौमार्य की इस कहानी में मुझे यही जानने को मिला. मम्मी ने बीकॉम किया हुआ था. मम्मी कॉलेज में ताजा ताजा 18 वर्ष की हुई थी. जवानी थिरक रही थी. किसी मर्द की चाह में बदन भी कस रहा था. हर लड़के मम्मी को ऐसे लग रहे थे कि मानो अभी क्योंकि उसकी बाहों में चली जाए. काले गोरे का भेद यह बदन समझ नहीं रहा था. खुद को कैसे संभाले वह भी उसे पता नहीं था. ऐसी थी मेरी मम्मी प्रेरणा. 18 साल की उम्र में ही 32 की छाती, 26 की पतली कमर, और 32 की मटकती गांड थी. किताब से पता चला कि मम्मी को छोटे छोटे कपड़े पहनने का शौक बहुत था. शौक तो होगा क्योंकि बदन को एक मर्दाना हाथ की जरूरत थी. आइए सुनते हैं मम्मी की जुबानी से.

यार यह मर्द कैसे अपने प्राइवेट पार्ट को खुजा कर खुद को संतोष दे देते हैं. मुझे भी पानी आ रहा है. मुझे भी कुछ आने का मन है. प्रोफेसर को देख रहे हो. कितना हैंडसम और कितना स्ट्रांग दिख रहा है. क्या मेरे साथ में खड़ी हुई एक भी लड़की को नीचे खुजली नहीं हो रही है? यह पूछा देखो ना कब से आहें भर रही है. पर मेरे तो पानी निकलना शुरू कर दिया है. कोई इतना मर्दाना कैसे हो सकता है. समीर मेरा इकोनॉमिक्स का प्रोफेसर. जो मेरा पहला क्रश. अगर वह गंदे इशारे से भी बुला ले तो आज मैं उनके साथ बाहों में चली जाऊंगी. बदन की गर्मी भी इतनी है कि उसे मिटाने के लिए ऐसा कोई मर्दाना मिल जाए, तभी लगता है कि बात बनेगी. करीब 45 उम्र के होंगे समीर सर.


रितिक रोशन भी उनके आगे फेल है। मर्दों की अगर कोई कंपटीशन होती तो समीर सर के अलावा कोई नहीं जीत सकता। हमसे बात करने का लहजा घायल कर देता था। हर लड़की उनके पीछे दीवानी जी। भले ही कोई एक्सेप्ट नहीं करता था पर सबको दिख रहा था कि हर लड़की उनके पीछे पागल थी। मैं भी उनसे मिलने के लिए कोई ना कोई बहाना ढूंढती रहती थी। एक नया बहाना ढूंढने के लिए, मैंने अपना दिमाग लगाना शुरू कर दिया। मैं यह सोच रही थी कि बहाना ऐसा यूनिक हो यह किसी के ध्यान में जल्दी ना आए। जय समीर सर के साथ भी रहूं और किसी को भनक भी ना हो।

1 दिन की बात है जब लेक्चर खत्म करके सारी लड़कियां अपने डाउट सोल कर रही थी। आज के लेक्चर में ऐसा कुछ भी नहीं था जो समझ में ना आए, पर फिर भी सब को उनके पास जाने का मौका चाहिए था। मैं पीछे की बेंच पर बैठी रही। यह आखिर का लेक्चर था। जब सारे के सारे डाउट सॉल्व करके निकल गए, तब समीर सरने मुझे अकेले बैठे हुए देखकर पूछा। "क्यों तुम्हें सब समझ में आ गया?" मैंने हंसते हुए कहा "सर आपको नहीं लगता कि आज की क्लास में ऐसा कुछ भी नहीं था जो अलग से समझने की जरूरत पड़े?" तो समीर सर मुस्कुरा कर बोले "वैसे तो मैं जो बढ़ाता हूं किसी को रिवीजन करने की भी जरूरत नहीं होती, फिर भी तुम तो पूछने आ जाती हो!

सर तो इतनी सी बात कर के निकलने ही वाले थे। तो मुझे अपना दाव खेलना था!

मैं: सर मैं सोच रही थी के आप न पर्सनल क्लासिस शुरू कर दो
सर: क्यों? अभी तो बोल रही थी के तुम्हे तो सब समझ आ गया है!
मैं: सर प्लीज मुझे आपसे काफी कुछ सीखना है, मुझे बड़े हो कर आप ही कि तरह एक काबिल टीचर बनना है। मैंने यहां आपने प्रिंसिपल मैडम से भी बात कर ली है। मैं यहां पर 3 साल खत्म करके ज्वाइन होने वाली हूं। तो मुझे इकोनॉमिक्स नहीं सीखना है, मुझे पढ़ाने का तरीका सीखना है। जयपुरी कॉलेज में आपके अलावा किसी को नहीं आता। अभी कोई एग्जांपल देते हो, कैसे देते हो? आप क्या सोच कर आते हो? आप किस तरह से तैयारी करते हो? वह सब समझना है!

कितना सोच समझ कर मैंने ये पूछा था।

सर: मैं ऐसे किसी को नहीं ट्रेनिंग देता। और मुझे ट्रेनिंग देने आता भी नहीं है!
मैं: पर सर आप नहीं चाहते के एक आपके जैसा ही एक टीचर आपकी तरह तैयार होता जाए? या फिर लड़की आपके टक्कर की हो वो आप नहीं चाहते?


मैंने कई बार अपनी मम्मी को देखा हुआ है, जब भी मेरे पापा मेरी मम्मी को भाव नहीं देते थे तब मेरी मम्मी उसको उखड़े उखड़े जवाब देती थी जिसके चलते मेरे पापा उसको अटेंशन देना शुरु कर देते थे। मैंने एक और बात नोटिस की थी। अगर तुम लड़कों के दिमाग में तुम्हारे प्रति सस्पेंस क्रिएट कर सकते हो तो फिर वह लड़का तुम्हारे सस्पेंस चलने के लिए तुम्हारे आसपास घूमता रहेगा। अभी तक में समीर सर के नोटिस में नहीं आई थी पर आज के बाद से इतना तो तय है केसर मुझे नोटिस करना शुरू कर देंगे।

उस दिन सर मुझे भाव नहीं दिया और सर चले गए। तब मेरा यह फर्ज था कि मैं सर को भाव देना बंद कर दूंगी। अब मैं एक खास वजह से सर के नोटिस में थी पहले सर को भाव नहीं देने वाली थी। मतलब सर को मैं ऐसा दिखाने वाली थी कि मुझे उसमें बिलकुल भी दिलचस्पी नहीं है। सारी लड़कियां उनको भले ही अटेंशन दे। पर मैंने अटेंशन देने के बाद भी उसे इग्नोर करना शुरु कर दिया। ऐसा करीब 10 दिन तक चलता रहा। सर को लगा था कि मैं वापस उनसे कुछ ना कुछ पूछने जाओगी। पर मैंने ऐसा कुछ नहीं किया। उल्टा में प्रिंसिपल मैडम के पास सीखने के लिए बार-बार जाने लगी। उसने सर को इसका अहसास हो गया कि मैं वाकई टीचर बनने के लिए इंटरेस्टेड हूं। 10 दिन के बाद जब समय सर ने अपना लेक्चर खत्म किया सारी लड़कियां उसे डाउट सॉल्व करने उसे गिर कर बैठी हुई थी। उस वक्त समीर सर ने सब को इग्नोर करके मुझे अपनी केबिन में बुलाया। क्लास में सारी लड़कियों के चेहरे देखने लायक थे। चेहरे में साफ साफ दिख रहा था कि सारे के सारे जलकर राख हो गए। कि मैं सर को तो भाव भी नहीं देती थी फिर भी सर ने मुझे डायरेक्टली उनके केबिन में बुला लिया।

मैं बड़ी चाव से खड़ी हुई और सर के पीछे पीछे चल दी। सर एक बड़े अच्छे इंसान थे उन्होंने अपनी केबिन का दरवाजा बंद नहीं किया। ताकि आने जाने वाले के लिए साफ साफ दिखाई दे कि वह एक स्टूडेंट के तौर पर ही मुझसे बात कर रहे हैं।

सर: तो तुम वाकई टीचर बनना चाहती हो
मैं: जी हां सर मुझे नहीं पता था कि आप मुझे बस आप मुझे हल्के में लोगे।
सर: देखो मैं तुम्हें एक बात साफ-साफ बता देता हूं। टीचर की पर्सनल जिंदगी और प्रोफेशनल जिंदगी में काफी अंतर होता है।
सर: मतलब मैं समझी नहीं
मैं: आप चाहकर भी अपनी पर्सनल जिंदगी और वह पर्सनल जिंदगी को टीचर की प्रोफेशन में नहीं डाल सकते। उसका जीता जागता उदाहरण में हूं। तुम शायद मेरी किसी को देखकर यह मेरी बॉडी लैंग्वेज को देखकर इंप्रेस हुई होगी। और मेरे जैसे बनने के ख्वाब देखने शुरू कर दिया होंगे। घर में नहीं है साफ-साफ बता दो कि मैं शादीशुदा था और अब मेरा डिवोर्स का केस चल रहा है। कोर्ट के चक्कर काट रहा हूं और कई बार पुलिस के चक्कर भी काट चुका हूं। फिर भी चेहरे के आगे स्माइल लेकर मैं आप लोगों के सामने आ जाता हूं। लाइफ मेंटेन करना इतना आम बात नहीं है।

मेरे दिमाग को कुछ और कहना चाहिए था। पर बदन की आग ये कह रही थी के सर कितने साल से प्यासे है, और मैं भी प्यासी हु। प्यासी तो क्या शुरू ही नही किया कुछ। तो अगर ये समीर सर मेरे बदन से प्यास बुझाने लगे तो मुझे कितना ज्यादा आनंद मिलेगा?

सर: क्या सोच रही हो
मैं: सर यही सोच रही थी के मुझे आपके जैसा बनना ही है! मेरे जीवन मे भी कोई कम गम नही है।

वैसे मुझे कोई कमी नहीं थी किसी भी बात के लिए। मेरा बाप तो अमीर है। पानी मांगा तो दूध दिल दे ऐसा है मेरा खानदान। सर के साथ उस दिन अच्छे से बात हुई। मैंने जान बूझकर अपने बारे में ज्यादा नहीं बताया। मेरे कपड़े और मैं जो अपने हालात बता रही हूं, वो दोनों अलग अलग बाते बयान दे रही है। ये सर को भी पता चल सकता है। और पैसेवाले के घर में भी तकलीफे तो हो सकती है। जो होगा देखा जाएगा। सर ने मेरी इच्छा को मान देते हुए मेरे लिए ही क्लास का आयोजन करना शुरू कर दिया। पर वो सब हो रहा था कॉलेज में। कॉलेज के बाहर नही। मुझे जाना था उसके रूम में। उसकी बाहों में उसके बिस्तरमें।

पर मेरे लिए एक और अच्छी बात हुई, ऊपरवाला मेरे ऊपर महेरबान है। लड़कियों में पॉलिटिक्स शुरू हो गया। अब गर किसी लड़की को आगे जा कर टीचर बनना था। सर ने मेरे साथ ये डिसकस किया

सर: अब तो हर किसी को टीचर बनना है।
मैं: एक बात कर सकते हो आप सर
सर: क्या?
मैं: आप एग्जाम लेना शुरू कर दो। जो पास होगा वो आपके क्लास में आ सकती है।
सर: लड़के भी आ रहे है
मैं: वो सब अपनी बन्दी के साथ आते है
सर: हा वही
मैं: तो अब एग्जाम लो। जो पास होगा वो आपके क्लास में आ सकता है। जिसको मन होगा वो पास होगी मेहनत कर के

मुझे एक बात पता थी के सर को सब को पढ़ाने में कोई इंटरेस्ट नही था। ये तो मैं पहली थी और मेरे में सर ने पोटेंशियल देखा तो मुझे ले लिया।

सर: यार ये लोग न मेरे लुक्स के कारण आकर्षित है। इसलिए आ रही है। तुम अलग हो इन सब से। तुमने मुझे सिर्फ टीचर माना है। तुम पढ़ने आती हो, सीखने आती हो। तो मुझे तुम्हारे साथ अच्छा लगता है। ये सब दिखावे के खेल बना कर रख दिया है बाकी की लड़कियों ने

चलो मेरी मेहनत रंग तो लाई। तो मैंने आखरी दाव खेला

मैं: सर अगर आप बुरा न मानो तो हम आपके घर पर ही ट्रेनिंग ले? यहां आप क्लास ही बंद कर दो। बोल दो आप करना ही नही चाहते। मैं खुद बोल दूंगी के मुझे ही इंटरेस्ट नही है। तो आपको भी ज्यादा परेशानी नहीं होगी।

सर के दिमाग मे ये बात बैठ गई। सर ने मेरे आइडिया को सपोर्ट किया। प्लान एक्सएक्यूट हुआ और आंशिक सफल हुआ। आंशिक इसलिए क्योंकि, लडकिया ने सर के पास जाने के लिए बहुत फोर्स किया। ये सब जो भी बखेड़ा हुआ उसमे मैं और सर ज्यादा करीब आ गए। उल्टा सर को मेरे साथ रहने में मजा आने लगा। उसे लगा के इन सब लड़कियों में मैं ही हु जो उसे समझती है। और मैच्योर हु। हम लोग करीब 1 महीने नहीं मिले। लडकिया मुझे कोसती रही। मेरे साथ जघडे भी हुए। पर मैंने साफ साफ बोल दिया। के मैं कोई उन लोगो की कठपुतली नही हु। मुझे नही बनना अब टीचर तो नहीं बनना। मेरी मर्जी है, मेरा करियर है, मेरा फ्यूचर है, मेरी जिंदगी है। और अब सर को मन नहीं है पढ़ाने का तो उसमें मेरी क्या गलती है? तो लोगो ने ये समझ लिया के मेरे और सर के बीच मे कोई लफड़ा हुआ है। बात इतनी बढ़ गई के बात प्रिंसिपल मेडम तक पहुंची गई।

प्रिंसिपल: समीर सर हुआ क्या है कुछ आपको पता है?
मैं: मेडम ये मेरा किया कराया है, सर को कुछ मत बोलो। मैं आपको सब बताती हु। लड़कियों को समीर सर पसन्द है। सब समीर सर के साथ रहना चाहती है। समीर सर सब का क्रश है। वरना आप ही सोचो के मेरे सर के पास जाने के बाद ही अचानक सब को टीचर बनना है? अचानक ही? और मेरे ऊपर भी प्रेशर इतना बनता जा रहा था के सारी लडकिया मेरे ऊपर ये इल्जाम लगा रही थी, के मेरे और समीर सर के बीच मे....

मैंने थोड़ा रोने का नाटक किया। इमोशनल हो गई। मेडम सारी बातें समझ गई। उल्टा सर को क्लीन चिट दी और बाकी सारी लड़कियों को अलग से वार्निंग दे कर उसे सब ठिकाने लगाने की जिम्मेदारी खुद प्रिंसिपल मेडम ने ले ली। और ये भी कहा के अगर मैं चाहती हु टीचर बनना तो बाहर कहीं मिले। मेरी ख्वाहिश पर रोक लगाने की जरूरत नहीं है।

थोड़ा स्ट्रेसफुल टाइम गया पर आखिरकार सर भी इस बात के लिए एग्री हो गए के मैं सर के घर ट्रेनिग के लिए जा सकती हूं।
Galat soch rahe ho bro..... Jaldi hi hit ho jayegi
 
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