• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

Erotica मनमोहक गंदी कहानियाँ

RoccoSam

Well-Known Member
7,514
31,332
219

RoccoSam

Well-Known Member
7,514
31,332
219
nice update ..aniket ke aane se dono ka mood kharab ho gaya ?...
Age gap :)
 
  • Like
Reactions: DARK WOLFKING

harshit1890

" End Is Near "
Prime
5,642
8,370
219
I don't use system. Don't know how to do it on mobile... it seems complicated
U can take help from any mod sir, can understand the mobile problem :(
 

RoccoSam

Well-Known Member
7,514
31,332
219
कहानी :

लड़कपन

EPISODE 4
-----------------*******----------------

अनिकेत के बारे में मेघना गलत थी, और कुछ हद तक अभिषेक भी... क्यूंकि उस दिन के बाद से अनिकेत ने उनके घर आना जाना बंद नहीं किया !

अभिषेक समझ नहीं पा रहा था कि उसकी पत्नि ने जब अनिकेत से कहा था कि " पर I think आप हमारे घर में जब जी चाहे आ सकतें हैं !!! " तो वो बस उसे बहलाने के लिए कहा था, या फिर इस वाक्य का मतलब वही था जो सुनने में लग रहा है !!!

बहरहाल जो भी हो, मुद्दे कि बात ये थी कि अनिकेत उनके घर में आने जाने लगा था, रोज़ाना ना सही, फिर भी एक दो दिन छोड़कर तो आता ही था. इस दौरान अभिषेक उससे कोई बात नहीं करता था, शुरू में तो एकदम ही नहीं, फिर कुछ दिन बाद से बस " हाय " " हेलो " " कैसे हो " तक ही सिमित रहा करता था. मेघना अपने पति को किसी तरह संभालती थी, और कहती थी कि अनिकेत कि वजह से उसे गुस्सा होकर खुद अपना मूड ख़राब करने कि कोई ज़रूरत नहीं. उसी के सुझाव पर अभिषेक हर संभव कोशिश करता था कि जब भी अनिकेत घर में आये, वो उसके सामने ना जाये.

अनिकेत युवा लड़का ज़रूर था पर सब कुछ समझता तो था ही. उसे बुरा ना लगे, इसलिए वो जब भी घर आता था, मेघना उससे अच्छे से बात किया करती थी, इनफैक्ट जब कभी अभिषेक घर में नहीं होता था, तो वो अनिकेत को घर के ड्राइंग रूम में छोड़कर निश्चिन्त होकर घर के अपने सारे काम किया करती थी, यहाँ तक कि कुछ कामों में अनिकेत उसका हाथ भी बटा दिया करता था. दोनों कभी कभार साथ बैठकर टीवी भी देखते थें, अभिषेक घर में रहे या ना रहे, दोनों सूरतों में. दोनों घुलमिल गएँ थें, ऐसा कहना तो गलत होगा, मगर इतना तो तय था कि मेघना अनिकेत पर भरोसा करती थी, वो जवान था, कम उम्र का लड़का था, थोड़ा ज़्यादा बकबक करता था, थोड़ा बेबाक था, पर अच्छे स्वभाव का था और उससे किसी को कोई हानि होने वाली नहीं थी.

पहले अनिकेत मेघना को " मेघना जी " कहकर बुलाया करता था, फिर बाद में " भाभी " और " मेघना भाभी " पर उतर आया. मेघना को इसमें कोई ऐतराज़ नहीं था. अभिषेक को वो " अभिषेक भैया " कहकर बुलाता था, जो कि ज़ाहिर है अभिषेक को पसंद नहीं था, पर वो कुछ बोलता नहीं था, वैसे भी उसे उससे ज़्यादा बात करने कि नौबत तो आती ही नहीं थी.

जो भी हो, बस ऐसे ही दिन गुजर रहा था, और करीब एक महीना और बीत गया................................

" अरे अनिकेत... अच्छा हुआ तुम आ गये ! ". अनिकेत को घर में आता देख मेघना को आज पहली बार इतनी ख़ुशी हुई थी.

" क्या हुआ भाभी ? ". अंदर आते ही अनिकेत ने अपना मोबाइल अपनी जीन्स में रखते हुये कहा.

मेघना का चेहरा मुरझाया हुआ था. लाल रंग कि पुरानी सी नाईटी पहने और कमर से दुपट्टा बांधे, बिखरे उलझे अस्त व्यस्त बालों में वो काफ़ी परेशान दिख रही थी. लेकिन फिर भी उसके चेहरे पर एक अजीब सी चमक आ गई थी, जब उसने अनिकेत को देखा.

" कोई काम था क्या भाभी ? ". अनिकेत ने पूछा.

" काम तो था अनिकेत... कैसे कहूं ! ". मेघना ने कहा. " देखो ना, तुम्हारे भैया भी घर पर नहीं हैं, फैक्टरी जाना पड़ा उन्हें ! ".

" हाँ हाँ बोलिये ना भाभी... मेहनत वाला काम है क्या ? ". अनिकेत हँसते हुये बोला. " पलंग आलमारी वगैरह शिफ्ट करना है क्या ? ".

मेघना हल्के से मुस्कुराई, पर कुछ बोली नहीं, जैसे कि उसके मन में कुछ और उधेड़बुन चल रहा हो.

" आप परेशान भी लग रहीं हैं... क्या हो गया ? ". अनिकेत ने पूछा.

" तुम्हें थोड़ा मार्केट जाना पड़ेगा... ". मेघना ने कहा. " जा पाओगे ? ".

" हाँ... क्यूँ नहीं ? बाइक है तो मेरे पास ! ".

" Okay... good ! ". बोलकर मेघना चुप हो गई, जैसे कि उसे पता ना हो कि आगे क्या बोले.

" लाना क्या है भाभी जी, ये तो बताइये ! ". अनिकेत बोला. " चीनी, चायपत्ती, दाल... बस सब्जी मत बोलियेगा, मुझे सब्जी मार्केट जाना पसंद नहीं... प्लीज् ! ".

" नहीं नहीं... वो सब नहीं ! ".

" फिर ? ".

" सुनो ना अनिकेत... ". मेघना कुछ कहने जा रही थी, पर फिर से हिचकिचाई . " कैसे कहूं तुमसे ? ".

" फिर वही बात ! बोलिये ना भाभी... क्या ??? ".

" तुम कुछ सोचोगे तो नहीं ना अनिकेत ? ".

" My God... भाभी प्लीज् ! ". अनिकेत तंग आते हुये बोला.

" Okay okay... ". मेघना ने जल्दी से कहा, थोड़ी रुकी, फिर नज़रें नीची करते हुये बोली. " सुनो ना... मुझे Sanitary Napkin ला दोगे ? "

अनिकेत स्तब्ध होकर मेघना का मुँह ताकने लगा.

अनिकेत कि चुप्पी से मेघना का साहस थोड़ा सा बढ़ा, उसने अबकी बार आँखें ऊपर उठाकर अनिकेत कि आँखों में देखते हुये कहा.

" प्लीज् अनिकेत... I hope you don't mind ! ".

" No.. no भाभी... It's fine ! ". अनिकेत ने हकलाते हुये कहा.

" अपना मोबाइल दो... ". मेघना ने कहा.

मंत्रमुग्ध से खोये हुये अनिकेत ने अपनी जीन्स के पॉकेट से अपना मोबाइल निकाला और अनलॉक करके मेघना के हाथ में दे दिया. मेघना जब तक उसकी मोबाइल लेकर कुछ करती रही, अनिकेत बेवकूफ़ कि तरह इधर उधर देखता रहा, फिर अनायास ही उसकी नज़र मेघना कि चूत वाली जगह पर चली गई, जहाँ मेघना ने अपनी नाईटी के ऊपर से एक दुपट्टा बाँध रखा था, पर किसी और कि बीवी के अंदरूनी अंग को इस तरह से घूरना गलत है, ये एहसास होते ही उसने तुरंत अपनी नज़रें वहाँ से हटा ली.

" ये लो... ". मेघना ने अनिकेत को उसका मोबाइल वापस करते हुये कहा. " मैंने जिस ब्रांड कि फोटो ली है वही वाला दिखा देना, शॉपकीपर दे देगा, तुम्हें कुछ बोलना नहीं पड़ेगा ! ".

अनिकेत अपनी मोबाइल देख ही रहा था कि मेघना ने फिर से कहा, मगर थोड़े धीमे से हिचकती हुई आवाज़ में.

" दो जोड़ी पैंटी भी ला देना प्लीज्... मैंने ब्रांड कि फोटो दी हुई है, साइज वगैरह सब है उसमें ! ".

अनिकेत को कुछ बोलने या पूछने का मौका दिए बिना मेघना जल्दी से कमरे से बाहर गई, और वापस आकर अनिकेत के हाथ में कुछ नोट देकर उसकी मुट्ठी बंद कर दी, और एक गहरी साँस लेकर थोड़ा शांत होकर बोली.

" I am so sorry अनिकेत... मैं तुम्हें कभी नहीं बोलती, पर मुझे अभी के अभी ज़रूरत है ! तुम्हारे अभि भैया के आने का वेट नहीं कर सकती मैं ! ".

" कोई बात नहीं भाभी जी... मैं चला जाता हूँ ! ". अनिकेत ने रोबोट कि तरह कहा.

" This is so embarrassing... सॉरी अनिकेत !!! ".

अनिकेत जबरदस्ती मुस्कुराया, और जाने के लिए पीछे मुड़ा.

" और थोड़ा जल्दी आना अनिकेत... थैंक्स ! ". मेघना ने पीछे से जल्दी से पुकारकर कहा.

उनके घर से बाहार निकलते हुये, फिर अपने घर जाकर अपनी बाइक निकालकर स्टार्ट करते हुये, बाज़ार जाते हुये, और मेघना भाभी के लिए स्पेशल खरीदारी करते हुये अनिकेत अपने आपे में नहीं था, बस यही सोच रहा था, कि अभी अभी क्या हुआ उसके साथ...भला ऐसे कोई औरत किसी पड़ोसी लड़के को ये सब लड़कीयों वाला सामान लाने भेंजती है क्या ??? वो भी ऐसे लोग जो अपने पड़ोसीयों से सीधे मुँह बात तक नहीं करतें... सेल्फिश कहीं के... लेकिन ये भी तो सच था कि मेघना भाभी ने तो उससे कभी बुरा बर्ताव नहीं किया... बस उनका पति उसे ऐटिटूड दिखता था... कमीना साला !!! खैर, हो सकता है मेघना भाभी को लगा हो कि उनके पास ये सारी चीज़े स्टॉक में है, पर अचानक से ऐसी इमरजेंसी में पता चला होगा कि... कह नहीं सकतें... पता नहीं क्या माज़रा है !

20 साल कि उम्र में अनिकेत को ये एक Shocking Incident लग रहा था, अगर वो थोड़ा बड़ा और Matured होता, मेघना और अभिषेक कि तरह, तो शायद उसका रिएक्शन ऐसा ना होकर थोड़ा सामान्य, थोड़ा अलग होता !

मर्ज़ी से, बिना मर्ज़ी से, जो भी हो जैसा भी हो, आखिरकार बेचारा अनिकेत बाज़ार से मेघना का बताया हुआ सारा सामान ले आया... जल्द से जल्द, जैसा कि मेघना ने रिक्वेस्ट किया था !

उनके घर के बाहर ही अपनी बाइक स्टैंड करके अनिकेत घर के अंदर घुस गया, दरवाज़ा खुला हुआ ही था.

" अनिकेत ??? तुम हो क्या ??? ". बाहर अनिकेत के बाइक के शोर और फिर घर में दाखिल होने कि उसकी आहट से पहचानते हुये मेघना ने अंदर किसी कमरे से पूछा.

मेघना कि आवाज़ तो अनिकेत ने सुनी, पर वो कहाँ थी, ये वो समझ नहीं पाया. इतने बड़े घर के ड्राइंग रूम को छोड़कर वो कभी अंदर कहीं गया भी तो नहीं था ना !

" हाँ भाभी... कहाँ हैं आप ??? ".

" इधर... इधर आओ अनिकेत... मैं बाथरूम में हूँ !!! ".

मेघना कि पुकार से दिशा निर्देश लेते समझते हुये दो कमरों को पार करके अनिकेत बाथरूम तक पहुँच गया और दरवाज़े के सामने खड़े होकर बुलाया.

" भाभी... ".

बाथरूम का दरवाज़ा कुछेक इंच भर अंदर से खुला, और मेघना का एक हाथ बाहर निकल आया. दूसरी ओर मुँह घुमाकर न्यूज़पेपर में लिपटे Sanitary Pad और पैंटी के पैकेट को अनिकेत ने उसके हाथ में दे दिया. मेघना का हाथ उसका अपना सामान थामे वापस से अंदर चला गया, पर दरवाज़ा जितना खुला हुआ था, उसने उसे उतना ही खुला हुआ वैसे ही छोड़ दिया, अनिकेत को लगा कि वो उसका शुक्रिया अदा करेगी, पर मेघना ने कुछ नहीं कहा... शायद वो जल्दी में थी !

ऐसा नहीं कि अनिकेत ने जानबूझकर किया हो, पर वहाँ से जाने से पहले अनायास ही उसकी नज़र बाथरूम के उस थोड़े से खुले हुये दरवाज़े से अंदर कि ओर चली गई - भीतर बाथरूम में मेघना पूरी तरह से नंगी थी !! हाथ में अपनी चीज़े थामे मेघना बाथरूम के अंदर शावर को पार करके बाथटब कि ओर बढ़ रही थी तो उसके हिलते थिरकते बड़े बड़े गोल गोल चूतड़ देखकर अनिकेत का कलेजा मुँह को आ गया !!!



उसे और कुछ नहीं देखना था, ये तो बिना चाहे हो गया था, अचानक से ऐसा दृश्य देखकर वो घबराकर वहाँ से तेज़ कदमो के साथ बाहर निकल गया.

करीब चालीस मिनट बाद मेघना नहाकर अनिकेत कि लाई हुई पैंटी में से एक नई पैंटी पहनकर बाथरूम से बाहर निकली. वो अब काफ़ी रिलैक्स दिख रही थी. अपने बेडरूम में जाकर उसने बिना ब्रा पहने ही ऊपर से एक साफ सुथरी नाईटी डाल ली. उसे हेयरड्रायर से बाल सुखाना पसंद नहीं था, वो एक तौलिये से अपने बाल सुखाने लगी. तभी उसे याद आया कि अनिकेत के जाने के बाद बाहर घर का दरवाज़ा खुला हुआ ही रह गया होगा.

" अरे अनिकेत... तुम यहीं हो, घर नहीं गये ??? ".

अपने भींगे बाल तौलिये से झाड़ते सुखाते हुये मेघना जब ड्राइंग रूम में पहुँची तो अनिकेत को सोफे पर बैठे टीवी देखते हुये देख उसे बहुत आश्चर्य हुआ.

मेघना को कमरे में आता देख अनिकेत ने टीवी स्विच ऑफ करके रिमोट वहीँ सोफे पर रख दिया और तुरंत सोफे पर से उठ गया और बोला.

" आप ठीक तो हैं ना भाभी जी ? ".

" अरे... मुझे क्या हुआ है ??? ". मेघना हँसने लगी.

अनिकेत ने देखा... सचमुच मेघना भाभी को कुछ भी तो नहीं हुआ था ! नई साफ सुथरी नाईटी में नहा धोकर वो एकदम ताज़ी फ्रेश और रोज़ कि ही तरह बेहद खूबसूरत लग रही थी !

" मैंने सोचा कि रुककर एक बार पूछ लूं... आपकी तबियत ठीक नहीं लग रही थी ना ! ". अनिकेत बोला.

" अभी कैसी लग रही हूँ ? ". मेघना ने अपने दोनों हाथ बगल में फ़ैलाते हुये मुस्कुराकर पूछा.

अनिकेत हँसने लगा.

मेघना आगे बढ़ कर आई, और इससे पहले कि अनिकेत कुछ समझ पाता, उसने अनिकेत के गाल पर एक छोटा सा चुम्मा दे दिया.

" So sweet of you अनिकेत... ". अनिकेत के गाल से अपने होंठ हटाकर मेघना ने धीरे से कहा. " I am okay now... तुमने आज मेरी बहुत हेल्प कि ! ".

अनिकेत मेघना के इतने करीब कभी भी नहीं आया था, उसके भींगे बालों से आ रही शैम्पू कि भीनी भीनी महक, नहाने के बाद का पोछा हुआ पानी से तर बदन कि हल्की हल्की खुशबु, और उसपर से उसके नर्म होंठों का उसके गाल पर चुम्बन - अनिकेत तो जैसे बावला दीवाना ही हो गया हो, उसके दिल कि धड़कन एकबारगी तेज़ हो गई !

पर इससे ज़्यादा कुछ कहने सुनने या सोचने को नहीं था, क्यूंकि अनिकेत के किसी भी प्रकार के प्रतिक्रिया कि प्रतीक्षा किये बिना ही मेघना तुरंत से पीछे मुड़कर बिना कुछ और बोले अंदर कमरे में चली गई.

अनिकेत समझ गया कि अब उसे जाना चाहिए...............

सारा दिन और शाम अनिकेत आज हुई घटना के बारे में ही सोचता रहा और मन ही मन मुस्कुराता भी रहा, एक ही दिन में कितना कुछ हो गया था... वैसे कुछ ज़्यादा नहीं, पर उसकी उम्र के हिसाब से काफ़ी कुछ !

रात को सोने के समय बिस्तर पर लेटकर अनिकेत फिर से दिनभर कि हुई सारी घटना एक एक करके याद करने लगा, खासकर मेघना भाभी का पीछे से दिखा नंगा शरीर और उनका उसकी गाल पर का चुम्बन ! अनिकेत जब थोड़ा सा रिलैक्स होकर सब कुछ याद करने लगा तो उसका लण्ड खड़ा हो गया. उसने देखा कि उसकी छोटी बहन बिस्तर से दूर एक टेबल के पास कुर्सी पर बैठी पढ़ाई कर रही है - उसके Exams थें. अनिकेत को अपनी बहन के साथ अपना कमरा शेयर करना पड़ता था.

अपनी उम्र के बाकि लड़को कि तरह अनिकेत को भी मूठ मारने कि आदत थी, वो प्रायः रोज़ ही मूठ मारा करता था, कभी कभार तो दिन भर में दो से तीन बार भी ! अधिकतर समय वो अपने मोबाइल पर पोर्न वगैरह देखकर ही मूठ मारता था या फिर अपने कॉलेज कि किसी लड़की या रास्ते पर आते जाते दिखी किसी खास सेक्सी लड़की, जिसका फिगर भुलाये ना भूले, के बारे में सोचकर अपना माल गिरा लेता था.

बिस्तर पर सोये सोये मूठ मारने के लिए उसे अपनी छोटी बहन के सोने का इंतज़ार करना पड़ता था, और अगर वो जगी रहती थी, जैसा कि आज रात हुआ था, तो वो बाथरूम में चला जाता था.

पर आज कि बात कुछ और थी.

मेघना भाभी ने आज उसे चूमा था... शायद बस ऐसे ही, धन्यवाद स्वरुप ख़ुशी ज़ाहिर करने के लिए ही सही, पर चूमा तो था ! अनिकेत कि अब तक कोई गर्लफ्रेंड नहीं बनी थी और ये उसके जीवन का पहला Kiss था, ( Well, अगर थैंक्स बोलने के लिए गाल पर लिए गये छोटे से चुम्मे को Kiss का नाम दिया जा सके तो ).

और फिर मेघना भाभी का गांड़ !!!

कपड़े के ऊपर से तो पता नहीं चलता, पर कितने बड़े हैं ना मेघना भाभी के चूतड़ !!!

अनिकेत ने आज तक मेघना के बारे में कभी कुछ गंदा तो क्या, कुछ भी नहीं सोचा था, वो उसे उस नज़र से देखता ही नहीं था. लेकिन उसकी नंगी छवि जो उसने आज बाथरूम में गलती से देख ली थी, वो उसे कैसे भुला दे ??? आखिर मेघना पहली स्त्री थी जिसे उसने नंगा देखा था, जितना सा भी दिखा हो !

ये सोच सोच कर उसका मन विचलित होने लगा कि क्या इस वक़्त मेघना भी उसके बारे में कुछ सोच रही होगी ?

शायद नहीं...

Kiss करते समय उसने क्या सोचा होगा ?

कुछ भी नहीं...

उसके मन में क्या चल रहा होगा ?

पता नहीं...

एक शादीशुदा औरत के बारे में ऐसा सोचना तो अच्छा नहीं लग रहा था, मगर अनिकेत का बहुत मन कर रहा था कि वो मेघना भाभी के बारे में सोचकर मूठ मार ले, उसके लण्ड कि बेचैनी शायद थोड़ी तो कम हो ! उसका लण्ड तनते ही जा रहा था ! उसे पता था कि अगर वो मेघना भाभी कि गांड़ का दृश्य याद करके अपना लण्ड हिलायेगा, तो एक दो मिनट में ही उसकी सारी मलाई बाहर निकल जाएगी, मज़ा जो आएगा सो अलग !!!

लेकिन घूम फिरकर बात वहीँ आ पहुँची...

मेघना भाभी के चुम्बन का क्या ???

बड़ी दिक्कत से अनिकेत एक निश्चित फैसले पर पहुँचा - मेघना भाभी के नाम कि मूठ गिरा कर वो उनकी चुम्बन वाली मीठी याद को गंदा नहीं करना चाहता था. उसने मुड़कर देखा, उसकी बहन अभी भी पढ़ाई में मसगुल थी. उसने एक तकिया अपने पेट के पास रखा, और करवट बदलकर उसपे अपना पैर चढ़ाये अपनी पैंट में अपना खड़ा लण्ड किसी तरह से दबाकर सो गया !!!..........................

अनिकेत जो एक बार सोया तो सीधे सुबह दस बजे उठा. नींद खुली तो उसने महसूस किया कि उसका पैंट वीर्य से सना पड़ा है, जिस तकिये को वो अपनी टांगों के बीच रखकर सोया था, उसका कवर भी गीला हो गया था - बेचारे का लण्ड नींद में ही झड़ गया था, स्वप्नदोष हो गया था उसे, क्यूंकि उसने रात को मेघना के बारे में इतना कुछ सोचने के बावजूद भी मूठ ना मारकर अपना वीर्य ज़बरदस्ती रोक लिया था !

अनिकेत बहुत Frustrated महसूस कर रहा था, उसका लण्ड सिकुड़ कर अपने सामान्य आकार में आ गया था. एक बात अच्छी थी, उसे सुबह सुबह सबसे पहले मेघना भाभी का चुम्बन याद आया था, ना कि उनका नंगा शरीर !

उसे आज कि सुबह कुछ नई नई सी लग रही थी !!
 

RoccoSam

Well-Known Member
7,514
31,332
219
  • Like
Reactions: kamdev99008

Iron Man

Try and fail. But never give up trying
37,591
94,779
304
कहानी :

लड़कपन

EPISODE 4
-----------------*******----------------

अनिकेत के बारे में मेघना गलत थी, और कुछ हद तक अभिषेक भी... क्यूंकि उस दिन के बाद से अनिकेत ने उनके घर आना जाना बंद नहीं किया !

अभिषेक समझ नहीं पा रहा था कि उसकी पत्नि ने जब अनिकेत से कहा था कि " पर I think आप हमारे घर में जब जी चाहे आ सकतें हैं !!! " तो वो बस उसे बहलाने के लिए कहा था, या फिर इस वाक्य का मतलब वही था जो सुनने में लग रहा है !!!

बहरहाल जो भी हो, मुद्दे कि बात ये थी कि अनिकेत उनके घर में आने जाने लगा था, रोज़ाना ना सही, फिर भी एक दो दिन छोड़कर तो आता ही था. इस दौरान अभिषेक उससे कोई बात नहीं करता था, शुरू में तो एकदम ही नहीं, फिर कुछ दिन बाद से बस " हाय " " हेलो " " कैसे हो " तक ही सिमित रहा करता था. मेघना अपने पति को किसी तरह संभालती थी, और कहती थी कि अनिकेत कि वजह से उसे गुस्सा होकर खुद अपना मूड ख़राब करने कि कोई ज़रूरत नहीं. उसी के सुझाव पर अभिषेक हर संभव कोशिश करता था कि जब भी अनिकेत घर में आये, वो उसके सामने ना जाये.

अनिकेत युवा लड़का ज़रूर था पर सब कुछ समझता तो था ही. उसे बुरा ना लगे, इसलिए वो जब भी घर आता था, मेघना उससे अच्छे से बात किया करती थी, इनफैक्ट जब कभी अभिषेक घर में नहीं होता था, तो वो अनिकेत को घर के ड्राइंग रूम में छोड़कर निश्चिन्त होकर घर के अपने सारे काम किया करती थी, यहाँ तक कि कुछ कामों में अनिकेत उसका हाथ भी बटा दिया करता था. दोनों कभी कभार साथ बैठकर टीवी भी देखते थें, अभिषेक घर में रहे या ना रहे, दोनों सूरतों में. दोनों घुलमिल गएँ थें, ऐसा कहना तो गलत होगा, मगर इतना तो तय था कि मेघना अनिकेत पर भरोसा करती थी, वो जवान था, कम उम्र का लड़का था, थोड़ा ज़्यादा बकबक करता था, थोड़ा बेबाक था, पर अच्छे स्वभाव का था और उससे किसी को कोई हानि होने वाली नहीं थी.

पहले अनिकेत मेघना को " मेघना जी " कहकर बुलाया करता था, फिर बाद में " भाभी " और " मेघना भाभी " पर उतर आया. मेघना को इसमें कोई ऐतराज़ नहीं था. अभिषेक को वो " अभिषेक भैया " कहकर बुलाता था, जो कि ज़ाहिर है अभिषेक को पसंद नहीं था, पर वो कुछ बोलता नहीं था, वैसे भी उसे उससे ज़्यादा बात करने कि नौबत तो आती ही नहीं थी.

जो भी हो, बस ऐसे ही दिन गुजर रहा था, और करीब एक महीना और बीत गया................................

" अरे अनिकेत... अच्छा हुआ तुम आ गये ! ". अनिकेत को घर में आता देख मेघना को आज पहली बार इतनी ख़ुशी हुई थी.

" क्या हुआ भाभी ? ". अंदर आते ही अनिकेत ने अपना मोबाइल अपनी जीन्स में रखते हुये कहा.

मेघना का चेहरा मुरझाया हुआ था. लाल रंग कि पुरानी सी नाईटी पहने और कमर से दुपट्टा बांधे, बिखरे उलझे अस्त व्यस्त बालों में वो काफ़ी परेशान दिख रही थी. लेकिन फिर भी उसके चेहरे पर एक अजीब सी चमक आ गई थी, जब उसने अनिकेत को देखा.

" कोई काम था क्या भाभी ? ". अनिकेत ने पूछा.

" काम तो था अनिकेत... कैसे कहूं ! ". मेघना ने कहा. " देखो ना, तुम्हारे भैया भी घर पर नहीं हैं, फैक्टरी जाना पड़ा उन्हें ! ".

" हाँ हाँ बोलिये ना भाभी... मेहनत वाला काम है क्या ? ". अनिकेत हँसते हुये बोला. " पलंग आलमारी वगैरह शिफ्ट करना है क्या ? ".

मेघना हल्के से मुस्कुराई, पर कुछ बोली नहीं, जैसे कि उसके मन में कुछ और उधेड़बुन चल रहा हो.

" आप परेशान भी लग रहीं हैं... क्या हो गया ? ". अनिकेत ने पूछा.

" तुम्हें थोड़ा मार्केट जाना पड़ेगा... ". मेघना ने कहा. " जा पाओगे ? ".

" हाँ... क्यूँ नहीं ? बाइक है तो मेरे पास ! ".

" Okay... good ! ". बोलकर मेघना चुप हो गई, जैसे कि उसे पता ना हो कि आगे क्या बोले.

" लाना क्या है भाभी जी, ये तो बताइये ! ". अनिकेत बोला. " चीनी, चायपत्ती, दाल... बस सब्जी मत बोलियेगा, मुझे सब्जी मार्केट जाना पसंद नहीं... प्लीज् ! ".

" नहीं नहीं... वो सब नहीं ! ".

" फिर ? ".

" सुनो ना अनिकेत... ". मेघना कुछ कहने जा रही थी, पर फिर से हिचकिचाई . " कैसे कहूं तुमसे ? ".

" फिर वही बात ! बोलिये ना भाभी... क्या ??? ".

" तुम कुछ सोचोगे तो नहीं ना अनिकेत ? ".

" My God... भाभी प्लीज् ! ". अनिकेत तंग आते हुये बोला.

" Okay okay... ". मेघना ने जल्दी से कहा, थोड़ी रुकी, फिर नज़रें नीची करते हुये बोली. " सुनो ना... मुझे Sanitary Napkin ला दोगे ? "

अनिकेत स्तब्ध होकर मेघना का मुँह ताकने लगा.

अनिकेत कि चुप्पी से मेघना का साहस थोड़ा सा बढ़ा, उसने अबकी बार आँखें ऊपर उठाकर अनिकेत कि आँखों में देखते हुये कहा.

" प्लीज् अनिकेत... I hope you don't mind ! ".

" No.. no भाभी... It's fine ! ". अनिकेत ने हकलाते हुये कहा.

" अपना मोबाइल दो... ". मेघना ने कहा.

मंत्रमुग्ध से खोये हुये अनिकेत ने अपनी जीन्स के पॉकेट से अपना मोबाइल निकाला और अनलॉक करके मेघना के हाथ में दे दिया. मेघना जब तक उसकी मोबाइल लेकर कुछ करती रही, अनिकेत बेवकूफ़ कि तरह इधर उधर देखता रहा, फिर अनायास ही उसकी नज़र मेघना कि चूत वाली जगह पर चली गई, जहाँ मेघना ने अपनी नाईटी के ऊपर से एक दुपट्टा बाँध रखा था, पर किसी और कि बीवी के अंदरूनी अंग को इस तरह से घूरना गलत है, ये एहसास होते ही उसने तुरंत अपनी नज़रें वहाँ से हटा ली.

" ये लो... ". मेघना ने अनिकेत को उसका मोबाइल वापस करते हुये कहा. " मैंने जिस ब्रांड कि फोटो ली है वही वाला दिखा देना, शॉपकीपर दे देगा, तुम्हें कुछ बोलना नहीं पड़ेगा ! ".

अनिकेत अपनी मोबाइल देख ही रहा था कि मेघना ने फिर से कहा, मगर थोड़े धीमे से हिचकती हुई आवाज़ में.

" दो जोड़ी पैंटी भी ला देना प्लीज्... मैंने ब्रांड कि फोटो दी हुई है, साइज वगैरह सब है उसमें ! ".

अनिकेत को कुछ बोलने या पूछने का मौका दिए बिना मेघना जल्दी से कमरे से बाहर गई, और वापस आकर अनिकेत के हाथ में कुछ नोट देकर उसकी मुट्ठी बंद कर दी, और एक गहरी साँस लेकर थोड़ा शांत होकर बोली.

" I am so sorry अनिकेत... मैं तुम्हें कभी नहीं बोलती, पर मुझे अभी के अभी ज़रूरत है ! तुम्हारे अभि भैया के आने का वेट नहीं कर सकती मैं ! ".

" कोई बात नहीं भाभी जी... मैं चला जाता हूँ ! ". अनिकेत ने रोबोट कि तरह कहा.

" This is so embarrassing... सॉरी अनिकेत !!! ".

अनिकेत जबरदस्ती मुस्कुराया, और जाने के लिए पीछे मुड़ा.

" और थोड़ा जल्दी आना अनिकेत... थैंक्स ! ". मेघना ने पीछे से जल्दी से पुकारकर कहा.

उनके घर से बाहार निकलते हुये, फिर अपने घर जाकर अपनी बाइक निकालकर स्टार्ट करते हुये, बाज़ार जाते हुये, और मेघना भाभी के लिए स्पेशल खरीदारी करते हुये अनिकेत अपने आपे में नहीं था, बस यही सोच रहा था, कि अभी अभी क्या हुआ उसके साथ...भला ऐसे कोई औरत किसी पड़ोसी लड़के को ये सब लड़कीयों वाला सामान लाने भेंजती है क्या ??? वो भी ऐसे लोग जो अपने पड़ोसीयों से सीधे मुँह बात तक नहीं करतें... सेल्फिश कहीं के... लेकिन ये भी तो सच था कि मेघना भाभी ने तो उससे कभी बुरा बर्ताव नहीं किया... बस उनका पति उसे ऐटिटूड दिखता था... कमीना साला !!! खैर, हो सकता है मेघना भाभी को लगा हो कि उनके पास ये सारी चीज़े स्टॉक में है, पर अचानक से ऐसी इमरजेंसी में पता चला होगा कि... कह नहीं सकतें... पता नहीं क्या माज़रा है !

20 साल कि उम्र में अनिकेत को ये एक Shocking Incident लग रहा था, अगर वो थोड़ा बड़ा और Matured होता, मेघना और अभिषेक कि तरह, तो शायद उसका रिएक्शन ऐसा ना होकर थोड़ा सामान्य, थोड़ा अलग होता !

मर्ज़ी से, बिना मर्ज़ी से, जो भी हो जैसा भी हो, आखिरकार बेचारा अनिकेत बाज़ार से मेघना का बताया हुआ सारा सामान ले आया... जल्द से जल्द, जैसा कि मेघना ने रिक्वेस्ट किया था !

उनके घर के बाहर ही अपनी बाइक स्टैंड करके अनिकेत घर के अंदर घुस गया, दरवाज़ा खुला हुआ ही था.

" अनिकेत ??? तुम हो क्या ??? ". बाहर अनिकेत के बाइक के शोर और फिर घर में दाखिल होने कि उसकी आहट से पहचानते हुये मेघना ने अंदर किसी कमरे से पूछा.

मेघना कि आवाज़ तो अनिकेत ने सुनी, पर वो कहाँ थी, ये वो समझ नहीं पाया. इतने बड़े घर के ड्राइंग रूम को छोड़कर वो कभी अंदर कहीं गया भी तो नहीं था ना !

" हाँ भाभी... कहाँ हैं आप ??? ".

" इधर... इधर आओ अनिकेत... मैं बाथरूम में हूँ !!! ".

मेघना कि पुकार से दिशा निर्देश लेते समझते हुये दो कमरों को पार करके अनिकेत बाथरूम तक पहुँच गया और दरवाज़े के सामने खड़े होकर बुलाया.

" भाभी... ".

बाथरूम का दरवाज़ा कुछेक इंच भर अंदर से खुला, और मेघना का एक हाथ बाहर निकल आया. दूसरी ओर मुँह घुमाकर न्यूज़पेपर में लिपटे Sanitary Pad और पैंटी के पैकेट को अनिकेत ने उसके हाथ में दे दिया. मेघना का हाथ उसका अपना सामान थामे वापस से अंदर चला गया, पर दरवाज़ा जितना खुला हुआ था, उसने उसे उतना ही खुला हुआ वैसे ही छोड़ दिया, अनिकेत को लगा कि वो उसका शुक्रिया अदा करेगी, पर मेघना ने कुछ नहीं कहा... शायद वो जल्दी में थी !

ऐसा नहीं कि अनिकेत ने जानबूझकर किया हो, पर वहाँ से जाने से पहले अनायास ही उसकी नज़र बाथरूम के उस थोड़े से खुले हुये दरवाज़े से अंदर कि ओर चली गई - भीतर बाथरूम में मेघना पूरी तरह से नंगी थी !! हाथ में अपनी चीज़े थामे मेघना बाथरूम के अंदर शावर को पार करके बाथटब कि ओर बढ़ रही थी तो उसके हिलते थिरकते बड़े बड़े गोल गोल चूतड़ देखकर अनिकेत का कलेजा मुँह को आ गया !!!



उसे और कुछ नहीं देखना था, ये तो बिना चाहे हो गया था, अचानक से ऐसा दृश्य देखकर वो घबराकर वहाँ से तेज़ कदमो के साथ बाहर निकल गया.

करीब चालीस मिनट बाद मेघना नहाकर अनिकेत कि लाई हुई पैंटी में से एक नई पैंटी पहनकर बाथरूम से बाहर निकली. वो अब काफ़ी रिलैक्स दिख रही थी. अपने बेडरूम में जाकर उसने बिना ब्रा पहने ही ऊपर से एक साफ सुथरी नाईटी डाल ली. उसे हेयरड्रायर से बाल सुखाना पसंद नहीं था, वो एक तौलिये से अपने बाल सुखाने लगी. तभी उसे याद आया कि अनिकेत के जाने के बाद बाहर घर का दरवाज़ा खुला हुआ ही रह गया होगा.

" अरे अनिकेत... तुम यहीं हो, घर नहीं गये ??? ".

अपने भींगे बाल तौलिये से झाड़ते सुखाते हुये मेघना जब ड्राइंग रूम में पहुँची तो अनिकेत को सोफे पर बैठे टीवी देखते हुये देख उसे बहुत आश्चर्य हुआ.

मेघना को कमरे में आता देख अनिकेत ने टीवी स्विच ऑफ करके रिमोट वहीँ सोफे पर रख दिया और तुरंत सोफे पर से उठ गया और बोला.

" आप ठीक तो हैं ना भाभी जी ? ".

" अरे... मुझे क्या हुआ है ??? ". मेघना हँसने लगी.

अनिकेत ने देखा... सचमुच मेघना भाभी को कुछ भी तो नहीं हुआ था ! नई साफ सुथरी नाईटी में नहा धोकर वो एकदम ताज़ी फ्रेश और रोज़ कि ही तरह बेहद खूबसूरत लग रही थी !

" मैंने सोचा कि रुककर एक बार पूछ लूं... आपकी तबियत ठीक नहीं लग रही थी ना ! ". अनिकेत बोला.

" अभी कैसी लग रही हूँ ? ". मेघना ने अपने दोनों हाथ बगल में फ़ैलाते हुये मुस्कुराकर पूछा.

अनिकेत हँसने लगा.

मेघना आगे बढ़ कर आई, और इससे पहले कि अनिकेत कुछ समझ पाता, उसने अनिकेत के गाल पर एक छोटा सा चुम्मा दे दिया.

" So sweet of you अनिकेत... ". अनिकेत के गाल से अपने होंठ हटाकर मेघना ने धीरे से कहा. " I am okay now... तुमने आज मेरी बहुत हेल्प कि ! ".

अनिकेत मेघना के इतने करीब कभी भी नहीं आया था, उसके भींगे बालों से आ रही शैम्पू कि भीनी भीनी महक, नहाने के बाद का पोछा हुआ पानी से तर बदन कि हल्की हल्की खुशबु, और उसपर से उसके नर्म होंठों का उसके गाल पर चुम्बन - अनिकेत तो जैसे बावला दीवाना ही हो गया हो, उसके दिल कि धड़कन एकबारगी तेज़ हो गई !

पर इससे ज़्यादा कुछ कहने सुनने या सोचने को नहीं था, क्यूंकि अनिकेत के किसी भी प्रकार के प्रतिक्रिया कि प्रतीक्षा किये बिना ही मेघना तुरंत से पीछे मुड़कर बिना कुछ और बोले अंदर कमरे में चली गई.

अनिकेत समझ गया कि अब उसे जाना चाहिए...............

सारा दिन और शाम अनिकेत आज हुई घटना के बारे में ही सोचता रहा और मन ही मन मुस्कुराता भी रहा, एक ही दिन में कितना कुछ हो गया था... वैसे कुछ ज़्यादा नहीं, पर उसकी उम्र के हिसाब से काफ़ी कुछ !

रात को सोने के समय बिस्तर पर लेटकर अनिकेत फिर से दिनभर कि हुई सारी घटना एक एक करके याद करने लगा, खासकर मेघना भाभी का पीछे से दिखा नंगा शरीर और उनका उसकी गाल पर का चुम्बन ! अनिकेत जब थोड़ा सा रिलैक्स होकर सब कुछ याद करने लगा तो उसका लण्ड खड़ा हो गया. उसने देखा कि उसकी छोटी बहन बिस्तर से दूर एक टेबल के पास कुर्सी पर बैठी पढ़ाई कर रही है - उसके Exams थें. अनिकेत को अपनी बहन के साथ अपना कमरा शेयर करना पड़ता था.

अपनी उम्र के बाकि लड़को कि तरह अनिकेत को भी मूठ मारने कि आदत थी, वो प्रायः रोज़ ही मूठ मारा करता था, कभी कभार तो दिन भर में दो से तीन बार भी ! अधिकतर समय वो अपने मोबाइल पर पोर्न वगैरह देखकर ही मूठ मारता था या फिर अपने कॉलेज कि किसी लड़की या रास्ते पर आते जाते दिखी किसी खास सेक्सी लड़की, जिसका फिगर भुलाये ना भूले, के बारे में सोचकर अपना माल गिरा लेता था.

बिस्तर पर सोये सोये मूठ मारने के लिए उसे अपनी छोटी बहन के सोने का इंतज़ार करना पड़ता था, और अगर वो जगी रहती थी, जैसा कि आज रात हुआ था, तो वो बाथरूम में चला जाता था.

पर आज कि बात कुछ और थी.

मेघना भाभी ने आज उसे चूमा था... शायद बस ऐसे ही, धन्यवाद स्वरुप ख़ुशी ज़ाहिर करने के लिए ही सही, पर चूमा तो था ! अनिकेत कि अब तक कोई गर्लफ्रेंड नहीं बनी थी और ये उसके जीवन का पहला Kiss था, ( Well, अगर थैंक्स बोलने के लिए गाल पर लिए गये छोटे से चुम्मे को Kiss का नाम दिया जा सके तो ).

और फिर मेघना भाभी का गांड़ !!!

कपड़े के ऊपर से तो पता नहीं चलता, पर कितने बड़े हैं ना मेघना भाभी के चूतड़ !!!

अनिकेत ने आज तक मेघना के बारे में कभी कुछ गंदा तो क्या, कुछ भी नहीं सोचा था, वो उसे उस नज़र से देखता ही नहीं था. लेकिन उसकी नंगी छवि जो उसने आज बाथरूम में गलती से देख ली थी, वो उसे कैसे भुला दे ??? आखिर मेघना पहली स्त्री थी जिसे उसने नंगा देखा था, जितना सा भी दिखा हो !

ये सोच सोच कर उसका मन विचलित होने लगा कि क्या इस वक़्त मेघना भी उसके बारे में कुछ सोच रही होगी ?

शायद नहीं...

Kiss करते समय उसने क्या सोचा होगा ?

कुछ भी नहीं...

उसके मन में क्या चल रहा होगा ?

पता नहीं...

एक शादीशुदा औरत के बारे में ऐसा सोचना तो अच्छा नहीं लग रहा था, मगर अनिकेत का बहुत मन कर रहा था कि वो मेघना भाभी के बारे में सोचकर मूठ मार ले, उसके लण्ड कि बेचैनी शायद थोड़ी तो कम हो ! उसका लण्ड तनते ही जा रहा था ! उसे पता था कि अगर वो मेघना भाभी कि गांड़ का दृश्य याद करके अपना लण्ड हिलायेगा, तो एक दो मिनट में ही उसकी सारी मलाई बाहर निकल जाएगी, मज़ा जो आएगा सो अलग !!!

लेकिन घूम फिरकर बात वहीँ आ पहुँची...

मेघना भाभी के चुम्बन का क्या ???

बड़ी दिक्कत से अनिकेत एक निश्चित फैसले पर पहुँचा - मेघना भाभी के नाम कि मूठ गिरा कर वो उनकी चुम्बन वाली मीठी याद को गंदा नहीं करना चाहता था. उसने मुड़कर देखा, उसकी बहन अभी भी पढ़ाई में मसगुल थी. उसने एक तकिया अपने पेट के पास रखा, और करवट बदलकर उसपे अपना पैर चढ़ाये अपनी पैंट में अपना खड़ा लण्ड किसी तरह से दबाकर सो गया !!!..........................

अनिकेत जो एक बार सोया तो सीधे सुबह दस बजे उठा. नींद खुली तो उसने महसूस किया कि उसका पैंट वीर्य से सना पड़ा है, जिस तकिये को वो अपनी टांगों के बीच रखकर सोया था, उसका कवर भी गीला हो गया था - बेचारे का लण्ड नींद में ही झड़ गया था, स्वप्नदोष हो गया था उसे, क्यूंकि उसने रात को मेघना के बारे में इतना कुछ सोचने के बावजूद भी मूठ ना मारकर अपना वीर्य ज़बरदस्ती रोक लिया था !

अनिकेत बहुत Frustrated महसूस कर रहा था, उसका लण्ड सिकुड़ कर अपने सामान्य आकार में आ गया था. एक बात अच्छी थी, उसे सुबह सुबह सबसे पहले मेघना भाभी का चुम्बन याद आया था, ना कि उनका नंगा शरीर !

उसे आज कि सुबह कुछ नई नई सी लग रही थी !!
:reading:
 
Top