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Incest मजबूरी या जरूरत

Ajju Landwalia

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काव्या के साथ संजू अद्भुत और अविस्मरणीय पल गुजार कर अपने घर वापस आ चुका था लेकिन इस बारे में किसी को कानों कान तक खबर नहीं हुई थी,,, उसके बिस्तर पर आने वाली काव्य तीसरी औरत थी पहली उसकी मौसी दूसरी उसकी खुद की बहन और तीसरी मनीषा की सहेली काव्या काव्या के साथ बिताया गया एक-एक पल उसके लिए मद भरी थी जिसमें पूरी तरह से नशा छाया हुआ था वह कभी सोचा भी नहीं था कि इस तरह से कोई लड़की अपने ही घर ले जाकर उससे चुदवाएगी,,, धीरे-धीरे संजु को अपनी मर्दाना ताकत पर गर्व होने लगा था औरत को चोदने और उसको संतुष्टि प्रदान करने में उसका आत्मविश्वास बढ़ता जा रहा था उसे पूरा यकीन हो गया था कि अब वह किसी भी तरह की औरत को अपनी मर्दाना ताकत से तृप्त करने की क्षमता रखता है,,,, काव्या की गोल-गोल और बड़ी बड़ी चूची उसे अभी तक याद आ रही थी,,,,,, एक तरह से वह मन ही मन काव्या को धन्यवाद कर रहा था क्योंकि काव्या की वजह से ही मनीषा अपने प्यार का इजहार उससे कर पाई थी और वह इस बात को भी समझ गया था कि बहुत ही जल्द मनीषा भी उसके बिस्तर पर आने वाली है क्योंकि जिस तरह से उसने पहल करते हुए उसके होठों को चुंबन की थी और उसने खुद उसका सहकार देते हुए उसके होंठों का रसपान करना शुरू किया था और अपने दोनों हाथों से उसके गोल गोल नितंबों को पकड़कर दबाया था,,, यह सब उसकी जिंदगी में आने वाले सुख के लक्षण थे,,,,,, मनीषा ने जिस तरह से अपने प्यार का इजहार की थी उसे लगने लगा था कि संजू काव्या के करीब बिल्कुल भी नहीं जाएगा लेकिन वह कहां जानती थी कि संजू औरतों के मामले में चालाक हो गया है और एक तरफ उसका प्यार पाने के बावजूद भी उसे धोखा देते हुए,, काव्या के साथ संभोग सुख प्राप्त करके अपने घर आ चुका होगा,,,, इस बात से अनजान वह अपने ख्यालों में खोई हुई थी संजू उसे बहुत अच्छा लगने लगा था जिस तरह से उसने उसका साथ देते हुए कोचिंग क्लास चलाने में मदद किया था और धीरे-धीरे कोचिंग क्लास को और भी आगे लेते जा रहा था यह सब देखते हुए मनीषा उसे प्यार करने लगी थी वैसे भी संजू का व्यक्तित्व और उसकी कद काठी उसका भोला चेहरा सब कुछ मनीषा को भा गया था इसलिए वह चचेरी बहन होने के बावजूद भी संजु को किसी और से बांटना नहीं चाहती थी संजू को अपना बॉयफ्रेंड समझने लगी थी,,,।

ऐसे ही धीरे-धीरे दिन गुजरने लगे थे,,, काव्या का जब भी मन होता वह फोन करके संजू को अपने घर बुला लेती और संजू काव्या को पूरी तरह से संतुष्टि प्रदान करके खुद संतुष्ट होकर वहां से वापस आ जाता था संजू की कोशिश उसकी मां को पाने में लगातार जारी थी लेकिन आराधना अपने कदम को डगमगाने से बार-बार रोक ले रही थी वहीं दूसरी तरफ मोहिनी अपनी जवानी की खुशबू अपने भाई पर लुटा रही थी,,,,,, अशोक धीरे-धीरे घर पर आना छोड़ दिया था संजू ए बात अच्छी तरह से जानता था कि उसके पिताजी आई आज किस्म के इंसान हो चुके हैं जब से वह अपने पिताजी को गेस्ट हाउस में किसी लड़की को ले जाते देखा था तब से वह अपने बाप से और ज्यादा नफरत करने लगा था और यही हाल मोहिनी का भी था पहले उसे अपने पापा की बहुत याद आती थी लेकिन सच्चाई जानने के बाद वह भी अपने पापा से घृणा करने लगी थी,,,,,,

ऐसे ही रविवार का दिन था रविवार का दिन होने की वजह से मोहिनी और संजू दोनों को कॉलेज नहीं जाना था दोनों देर तक कमरे में सो रहे थे और आराधना उठकर घर का काम करते हुए नहा धोकर तैयार हो गई थी और रसोई बना रही थी वही बगल वाले कमरे में नींद खुल जाने की वजह से सुबह की उत्तेजना का पूरा फायदा उठाते हुए संजू अपनी बहन के दोनों टांगों को फैला कर उसकी चूत में अपना लंड डालकर अपनी कमर हिला रहा था इस बात से आराधना बिल्कुल अनजान थी उसे अपने बेटे और अपनी बेटी पर बिल्कुल भी शक नहीं होता था यह जानते हुए भी कि एक जवान बेटा होने के बावजूद भी अपनी ही मां पर गंदी नजर रखता है तो वह अपनी बहन के साथ क्या करता होगा इस बात का ख्याल कभी भी आराधना के मन में नहीं आया था और इसी का फायदा उठाते हुए संजू और मोहिनी एक दूसरे में समाने की कोशिश कर रहे थे,,,, मोहिनी शुरू शुरू में अपना संपूर्ण दामोदार अपना संपूर्ण वजूद संजू के हाथों में सौंप देती थी लेकिन धीरे-धीरे वह चलाक होने लगी थी औरतों को अपने तरीके से किस तरह का सुख प्राप्त करना है वह समझने लगी थी इसलिए अब वह पूरी तरह से कंट्रोल अपने हाथों में रख लेती थी और आज सुबह भी वह पूरी तरह से अपने भाई पर छा जाने की कोशिश कर रही थी उसके ऊपर सवार होकर वहां पर अपनी चूची को पकड़कर खुद उसके मुंह में डाल रही थी और उसे जबरजस्ती पिला रही थी संजू को अपनी बहन का यह रवैया बहुत ज्यादा उत्तेजित कर जाता था वह भी अपनी बहन के हाथों में पूरा कंट्रोल देकर पूरी तरह से उसके हाथों की कठपुतली बन जाना पसंद करता था,,,, और उसे इसमें मजा भी आता था,,,।

सुबह के 6:15 बज रहे थे आराधना रसोई तैयार कर रही थी और संजू और मोहिनी अपने कमरे में बिल्कुल नग्न अवस्था में काम क्रीड़ा में खोए हुए थे संजू पीठ के बल लेटा हुआ था और मोहिनी उसके ऊपर सवार होकर अपनी चूची उसके मुंह में डालकर उसे अपना दूध पिला रही थी,,।

ले पी मेरे भाई ले पी,,,आहहहहह कितना मजा आता है जब तु पीता है,,,, ले दूसरा भी पी,,( पहले चूची को मुंह में से निकाल कर दूसरी चूची उसके मुंह में डालते हुए) पहले कितनी नारंगी जैसी थी तो धीरे-धीरे से खरबूजा की तरह बनाता जा रहा है,,,ऊहहहहहह‌ निप्पल को चाट,,,आहहहहह बस मेरे भाई ऐसे ही बहुत मस्त पीता है तू,,,,ऊफफ,,,,,आहहहहहहह ,,,,
(मोहिनी पूरी तरह से गर्म हो जा रही थी उसकी गरम सिसकारियां एकदम सीमित आवाज में थी जो कि कमरे से बाहर तक नहीं पहुंच पा रहे थे क्योंकि मोहिनी को मालूम था कि अगर जोर-जोर से वह सिसकारी लेना शुरू कर देगी तो उसकी मां को शक हो जाएगा इसीलिए वह अपने आप पर पूरी तरह से काबू करके आनंद ले रहे थे संजय पूरी तरह से मस्त हुआ जा रहा था अपनी बहन की इस हरकत पर वह आनंद विभोर हुआ जा रहा था उसे यकीन नहीं हो रहा था कि यह वही मोहिनी है जो पहले लड़कों से शर्म आती थी लेकिन अब देखो खुद ही उसके नंगे बदन पर बैठी हुई है और मजा ले रही है मोहिनी को इस कदर बेशर्म बनाने में भी संजू का ही हाथ था अगर संजू उसके साथ इस तरह की गलत हरकत ना करता तो शायद मोहिनी अभी भी पहले वाली ही मोहिनी रहती,,,, संजू औरतों के बदन से कैसे आनंद लेना है अच्छी तरह से जानता था वह पूरी तरह से मस्त होकर मोहिनी की चूची को दबा दबा कर पी रहा था और मोहिनी भी उसे पिला रही थी संजू का लंड पूरी तरह से खड़ा होकर मोहिनी की पीठ पर ठोकर मार रहा था जिसे अपनी पीठ पर महसूस करके मोहिनी के तन बदन में उत्तेजना की लहर उठ रही थी,,,,

इस तरह की कामुक हरकत की वजह से मोहिनी की चूत से मदन रस टपक रहा था जो की पूरी तरह से संजू के पेट को भिगो रहा था,,,,, संजीव को मोहिनी कुछ भी बोलने का मौका नहीं दे रही थी बार-बार उसके मुंह में अपनी चूचियां दे दे रही थी और संजू को अपनी बहन की चूची पीने में बहुत मजा आता था अपनी बहन की क्या संजू को किसी भी औरत की चूची पीने में बहुत मजा आता था इस तरह से उसकी उत्तेजना और ज्यादा बढ़ जाती थी,,,, कुछ देर तक मोहिनी और संजू इसी तरह से मजा लेते रहे दोनों अच्छी तरह से जानते थे कि आज छुट्टी का दिन है और उसकी मां उसे सात 7:30 बजे से पहले उठाने वाली नहीं थी इसीलिए इस मौके का वह दोनों पूरी तरह से फायदा उठा रहे थे,,,

भाई इसी तरह से तु मां की भी चूचियों को पी रहा था ना,,,, बड़ा मजा आया होगा तुझे मेरे से ज्यादा बड़ी बड़ी चूचीया है मां की,,,, काश तू मां की चूत में लंड डालकर चोद‌ पाता तो मुझे और मजा आता,,, कोई बात नहीं तू बिल्कुल भी चिंता मत कर एक दिन देखना मम्मी खुद तुझे अपनी चूत परोस कर देगी,,,,(अपनी बात का खुद ही जवाब देते हुए मोहिनी बोल रही थी क्योंकि वह खुद संजू को बोलने का मौका नहीं दे रही थी,,, लेकिन मोहिनी के मुंह से अपनी मां का जिक्र करते हैं उसकी उत्तेजना हो ज्यादा बढ़ गई और वह अपने दोनों हाथ को पीछे की तरफ ले जाकर मोहिनी की नंगी गांड को अपनी हथेली में दबोच लिया और उसे जोर से दबाना शुरू कर दिया,,,,,, संजू के लिए अपनी उत्तेजना दबा पाना मुश्किल हुआ जा रहा था क्योंकि मोहिनी ने आराधना का जिक्र करके आग में घी डालने का काम कर दी थी,,,, इसलिए संजू पूरी तरह से उत्तेजित हो चुका था,,,, अपनी फाइल की हालत देखकर मोहिनी भी समझ गई थी कि उसका भाई एकदम से चुदवासा हो गया है,,, किस लिए वह अपने भाई के मुंह में से अपनी चूची को बाहर निकाल कर उसके ऊपर से उतर गई और उसके लंड को पकड़ कर ले जाने लगी जो कि काफी मोटा महसूस हो रहा था,,,।

ओहहहह भाई लगता है कि तू आज मेरी चूत फाड़ डालेगा आज तो तेरा लंड और ज्यादा मोटा हो गया है,,,,।

हारे मोहिनी तुमने मम्मी का जिक्र करके मेरी हालत खराब कर दी है,,,

तू चिंता मत कर भाई मैं तेरी हालत एकदम सही कर दूंगी,,,(और इतना कहने के साथ ही मोहिनी अपने भाई के लंड को अपने लाल-लाल होठों के बीच भर ली और उसे लॉलीपॉप कि तरह चूसना शुरु कर दी,,,,,, मोहिनी भी पूरी तरह से चुदक्कड़ हो गई थी उसे भी पूरा ज्ञान हो चुका था कि मजा कैसे लिया जाता है इसलिए वह अपने भाई के लंड को पूरा का पूरा अपने गले तक उतारकर उसे चूसने का आनंद ले रही थी,,,,,, जिस समय दोनों शुरुआत किए थे दोनों इस खेल में नए-नए थे हालांकि संजू को एक बार की चुदाई का अनुभव हो चुका था और वह भी अपनी मौसी के साथ अपनी मौसी के साथ उसने औरत को खुश करने के लिए बहुत कुछ क्रियाओं को सीखा था जो कि वह अपनी बहन पर पूरी तरह से आजमा चुका था और देखते ही देखते मोहिनी खुद इस खेल में इतनी माहिर हो गई थी कि अपने भाई पर पूरी तरह से हावी हो रही थी वह उसके मोटे तगड़े लंबे लंड को बड़े आराम से अपने गले तक उतार लेती थी और उसे इतना तड़पाती थी कि कभी-कभी संजू को लगने लगता था कि उसका पानी छूट जाएगा,,,, मोहिनी उसकी तड़प और ज्यादा बढ़ाते हुए उसके लंड के बैगनी रंग के सुपाड़े को आइसक्रीम के कौन की तरह जीभ लगाकर चाट रही थी और मोहिनी के जीभ की गर्मी से धीरे-धीरे संजू का लंड आइसक्रीम के बर्फ की तरह पिघल रहा था और उसमें से लार नहीं कर रही थी जिसे मोहिनी खुद अपनी जीभ से चाट रही थी संजू हाथ की कोहनी के सहारे अपनी गर्दन को ऊपर उठाकर अपने लंड की तरफ देख रहा था और मोहिनी के खूबसूरत चेहरे की तरफ संजू अपनी बहन की तरफ देखकर समझ ही नहीं पा रहा था कि यह वही सीधी साधी भोली भाली मोहिनी है अब उसमें कितना बदलाव आ चुका था इस समय संजू को अपनी बहन में एक रंडी पन दिख रहा था जो कि एक मर्द को खुश करने के सारे तरीके को आजमा रही थी,,, मोहिनी के बाल में बकल लगा हुआ था और संजू अपना हाथ आगे बढ़ा कर उस बक्कल को खींच लिया और देखते ही देखते उसके खूबसूरत रेशमी बाल एकदम से खुल गए और खुले बालों में मोहिनी की खूबसूरती और ज्यादा बढ़ गई रह-रहकर संजू अपनी कमर को ऊपर की तरफ उछाल देता था,,,, मोहिनी अपनी हरकत से अपने भाई को पूरी तरह से पागल कर चुकी थी संजु को लगता था कि किसी भी वक्त उसके लंड का फव्वारा फूट पड़ेगा,,,,, इसलिए वह कसमसा रहा था और अपने भाई की कसम साहट को देखकर मोहिनी समझ गई कि उसका भाई पूरी तरह से गर्म हो चुका है और देखते ही देखते मोहिनी अपने भाई के लंबे मोटे लंड को अपने मुंह में से बाहर निकाल कर खुद अपने भाई के कमर के इर्द-गिर्द अपने घुटने रख कर अपने लिए जगह बनाने लगी देखते ही देखते मोहिनी की खूबसूरत सुगठित मांसल गांड संजू के मोटे तगड़े लंड के ऊपर आ चुकी थी संजू समझ चुका था कि उसकी बहन का करने वाली है और मोहिनी तुरंत अपना एक हाथ नीचे की तरफ से जाकर अपने भाई के लंड को पकड़ लिया और धीरे से अपनी तरबूज जैसी गांड को नीचे की तरफ ले जाने लगी देखते ही देखते मोहिनी अपने हाथों से अपने भाई के लंड के सुपाड़े को रास्ता दिखाते हुए अपने गुलाबी चूत से सटा दी और गरम चूत का स्पर्श होते हैं संजू पूरी तरह से गनगना गया,,,, मोहिनी की हर एक हरकत जानलेवा साबित हो रही थी संजू पल पल चुदास की आग में जल रहा था,,,,, संजू को इस समय अपनी तरफ से कुछ नहीं करना था जो कुछ करना था मोहिनी को करना था इसलिए मोहिनी जैसे ही संजू के लंड को अपने चूत का द्वार दिखाइ,,, मोहिनी तुरंत अपनी तरबूज जैसी गांड का भार अपने भाई के भालानुमा लंड पर बढ़ाने लगी और देखते ही देखते चूत की चिकनाहट पाते ही संजू का मोटा तगड़ा लंड धीरे-धीरे करके मोहिनी की चूत में समाने लगा यह नजारा संजू अपनी आंखों से एकदम साफ देख रहा था और इस नजारे को देखकर काम विह्वल हुआ जा रहा था,,,,।

देखते ही देखते ही मोहिनी अपने अनुभव का फायदा उठाते हुए अपने भाई के मोटे तगड़े लंबे लंड को अपनी चूत की गहराई में छुपा ली और अपने भाई के लंड को पूरी तरह से गप कर लेने के बाद उसके ऊपर आसन लगाकर बैठ गई,,,, दोनों की सांसे गहरी चल रही थी कुछ देर तक मोहिनी उसी अवस्था में बैठी रही अपने भाई के मोटे तगड़े लंड की गर्माहट को अपनी चूत के अंदर महसूस करके वह पल पल मदहोश हुए जा रही थी,, मोहिनी आज अपने अनुभव से संजू को पूरी तरह से तड़पा दाल रही थी संजू का मन नीचे से धक्का लगाने को कर रहा था,,, लेकिन मोहिनी ने पूरी तरह से अपने भाई पर कब्जा जमा रखा था वह नीचे से अपनी कमर तक मिला नहीं पा रहा था लेकिन मोहिनी को इस बात का एहसास हो रहा था कि संजू धक्का लगाना चाहता है इसलिए वह बोली,,,।

आज तू कुछ नहीं करेगा भाई जो कुछ करना है मुझे करना है ,,,,(और इतना कहने के साथ ही मोहिनी धीरे से अपनी गांड को ऊपर की तरफ उठाने लगी और संजू का लंड धीरे-धीरे उसकी चूत के छेद से बाहर होने लगा देखते ही देखते संजीव को लगने लगा कि मोहिनी उसकी चूत से उसके नंबर को पूरी तरह से बाहर निकाल देंगे लेकिन जैसे ही सुपाड़ा किनारे पर आया मोहिनी तुरंत नीचे बैठ गई और इसी तरह से ऊपर नीचे करके उठक बैठक करने लगी संजु को स्वर्ग का सुख प्राप्त हो रहा था वह पूरी तरह से मदहोश हुआ जा रहा था देखते ही देखते मोहिनी की रफ्तार उठक बैठक में बढ़ने लगी और उसकी चूत से चप्प चप्प की आवाज आना शुरू हो गई संजू की सबसे बड़ी गहरी चलने लगी मोनी पूरी तरह से मदहोश में जा रही थी वह अपने भाई के कंधों को दोनों हाथों से पकड़ कर अपनी गांड को जोर-जोर से अपने भाई के लंड पर पटक रही थी ऐसा लग रहा था कि जैसे ही वह कपड़े धो रही हो,,, संजू का मोटा तगड़ा लंड बड़े आराम से सटाक सटाक करके चूत के अंदर बाहर हो रहा था,,,,,,,

देखते ही देखते घड़ी में 7:15 बज गए दोनों की इस काम क्रीड़ा को 1 घंटे जैसा समय हो गया था,,,,, आराधना को लगने लगा कि मोहिनी और संजू आज देर तक सो रहे हैं इसलिए वहां रसोई का काम छोड़कर उनके कमरे के बाहर आकर दरवाजा खटखटाते हुए बोली,,,।

संजू अरे मोहिनी कब तक सोते रहोगे बहुत देर हो रही है चलो जल्दी उठो,,,,।
(अपनी मां की आवाज सुनते ही दोनों एकदम से चौंक गए मोहिनी उसी तरह से अपने भाई के लैंड कर बैठी रह गई कोई जवाब ना मिलने पर आराधना फिर से उन दोनों का नाम लेकर बुलाई तो इस बार संजू नींद में होने का नाटक करते हुए बोला,,,)

क्या मम्मी आज रविवार है आज तो सोने दो,,,

7:15 बज रहे हैं कितना सोएगा जल्दी से उठ कर नहा धो लो नाश्ता तैयार हो गया,,, चलो जल्दी,,,,,


ठीक है मम्मी 10 मिनट में आया,,

10 मिनट से 1 मिनट भी ज्यादा नहीं होना चाहिए,,,(इतना कहने के साथ ही आराधना वापस रसोई घर में चली गई तो संजू मोहिनी की तरफ देख कर मुस्कुराया और उसे अपनी बाहों में लेकर तुरंत पलट गया यह देखकर मोहिनी भी हैरान हो गई अब वह नीचे और संजू ऊपर था अब पूरा कंट्रोल संजू के हाथ में आ चुका था और संजू कमर हिलाना शुरू कर दिया मोहिनी को भी मजा आने लगा संजू का लंड बड़ी तेजी से मोहिनी की चूत के अंदर बाहर हो रहा था मोहिनी बड़ी मुश्किल से अपनी सिसकारी को रोके हुए थी,,,, अपने वादे के मुताबिक संजू मोहिनी को और 5 मिनट तक चोदता रहा और घर जाने के बाद कुछ ही देर में अपने कपड़े पहन कर कमरे से बाहर आ गया और थोड़ी देर में मोहिनी भी कमरे से बाहर आ गई थी,,,,।

संजू कुछ देर तक यूं ही कुर्सी पर बैठा रहा और मोहिनी जल्दी-जल्दी बाथरूम जाकर नहा कर बाहर आ गई थी मोहिनी को देखकर संजू मुस्कुराया और वह भी उठकर बाथरूम में चला गया और नहाने के लिए अपने सारे कपड़े उतार कर नंगा हो गया बाथरूम का दरवाजा बंद कर दिया था और से मालूम था कि आप कोई आने वाला नहीं है इसलिए निश्चिंत होकर वा नहा रहा था कि तभी उसकी नजर सामने की दीवार पर बनी हुई पेंटिं पर गई और संजू उत्सुकता बस उस पेंटी को अपने हाथ में ले लिया और पेंटी को हाथ में लेते उसे समझते देर नहीं लगी कि वह पहनती उसकी मां की है और अपनी मां की पेंटिंग को हाथ में लेते हुए उसके तन बदन में एक बार फिर से उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी,,,,,

Ekdum mast update he Rohnny Bhai

Keep posting
 

Raj_sharma

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काव्या के साथ संजू अद्भुत और अविस्मरणीय पल गुजार कर अपने घर वापस आ चुका था लेकिन इस बारे में किसी को कानों कान तक खबर नहीं हुई थी,,, उसके बिस्तर पर आने वाली काव्य तीसरी औरत थी पहली उसकी मौसी दूसरी उसकी खुद की बहन और तीसरी मनीषा की सहेली काव्या काव्या के साथ बिताया गया एक-एक पल उसके लिए मद भरी थी जिसमें पूरी तरह से नशा छाया हुआ था वह कभी सोचा भी नहीं था कि इस तरह से कोई लड़की अपने ही घर ले जाकर उससे चुदवाएगी,,, धीरे-धीरे संजु को अपनी मर्दाना ताकत पर गर्व होने लगा था औरत को चोदने और उसको संतुष्टि प्रदान करने में उसका आत्मविश्वास बढ़ता जा रहा था उसे पूरा यकीन हो गया था कि अब वह किसी भी तरह की औरत को अपनी मर्दाना ताकत से तृप्त करने की क्षमता रखता है,,,, काव्या की गोल-गोल और बड़ी बड़ी चूची उसे अभी तक याद आ रही थी,,,,,, एक तरह से वह मन ही मन काव्या को धन्यवाद कर रहा था क्योंकि काव्या की वजह से ही मनीषा अपने प्यार का इजहार उससे कर पाई थी और वह इस बात को भी समझ गया था कि बहुत ही जल्द मनीषा भी उसके बिस्तर पर आने वाली है क्योंकि जिस तरह से उसने पहल करते हुए उसके होठों को चुंबन की थी और उसने खुद उसका सहकार देते हुए उसके होंठों का रसपान करना शुरू किया था और अपने दोनों हाथों से उसके गोल गोल नितंबों को पकड़कर दबाया था,,, यह सब उसकी जिंदगी में आने वाले सुख के लक्षण थे,,,,,, मनीषा ने जिस तरह से अपने प्यार का इजहार की थी उसे लगने लगा था कि संजू काव्या के करीब बिल्कुल भी नहीं जाएगा लेकिन वह कहां जानती थी कि संजू औरतों के मामले में चालाक हो गया है और एक तरफ उसका प्यार पाने के बावजूद भी उसे धोखा देते हुए,, काव्या के साथ संभोग सुख प्राप्त करके अपने घर आ चुका होगा,,,, इस बात से अनजान वह अपने ख्यालों में खोई हुई थी संजू उसे बहुत अच्छा लगने लगा था जिस तरह से उसने उसका साथ देते हुए कोचिंग क्लास चलाने में मदद किया था और धीरे-धीरे कोचिंग क्लास को और भी आगे लेते जा रहा था यह सब देखते हुए मनीषा उसे प्यार करने लगी थी वैसे भी संजू का व्यक्तित्व और उसकी कद काठी उसका भोला चेहरा सब कुछ मनीषा को भा गया था इसलिए वह चचेरी बहन होने के बावजूद भी संजु को किसी और से बांटना नहीं चाहती थी संजू को अपना बॉयफ्रेंड समझने लगी थी,,,।

ऐसे ही धीरे-धीरे दिन गुजरने लगे थे,,, काव्या का जब भी मन होता वह फोन करके संजू को अपने घर बुला लेती और संजू काव्या को पूरी तरह से संतुष्टि प्रदान करके खुद संतुष्ट होकर वहां से वापस आ जाता था संजू की कोशिश उसकी मां को पाने में लगातार जारी थी लेकिन आराधना अपने कदम को डगमगाने से बार-बार रोक ले रही थी वहीं दूसरी तरफ मोहिनी अपनी जवानी की खुशबू अपने भाई पर लुटा रही थी,,,,,, अशोक धीरे-धीरे घर पर आना छोड़ दिया था संजू ए बात अच्छी तरह से जानता था कि उसके पिताजी आई आज किस्म के इंसान हो चुके हैं जब से वह अपने पिताजी को गेस्ट हाउस में किसी लड़की को ले जाते देखा था तब से वह अपने बाप से और ज्यादा नफरत करने लगा था और यही हाल मोहिनी का भी था पहले उसे अपने पापा की बहुत याद आती थी लेकिन सच्चाई जानने के बाद वह भी अपने पापा से घृणा करने लगी थी,,,,,,

ऐसे ही रविवार का दिन था रविवार का दिन होने की वजह से मोहिनी और संजू दोनों को कॉलेज नहीं जाना था दोनों देर तक कमरे में सो रहे थे और आराधना उठकर घर का काम करते हुए नहा धोकर तैयार हो गई थी और रसोई बना रही थी वही बगल वाले कमरे में नींद खुल जाने की वजह से सुबह की उत्तेजना का पूरा फायदा उठाते हुए संजू अपनी बहन के दोनों टांगों को फैला कर उसकी चूत में अपना लंड डालकर अपनी कमर हिला रहा था इस बात से आराधना बिल्कुल अनजान थी उसे अपने बेटे और अपनी बेटी पर बिल्कुल भी शक नहीं होता था यह जानते हुए भी कि एक जवान बेटा होने के बावजूद भी अपनी ही मां पर गंदी नजर रखता है तो वह अपनी बहन के साथ क्या करता होगा इस बात का ख्याल कभी भी आराधना के मन में नहीं आया था और इसी का फायदा उठाते हुए संजू और मोहिनी एक दूसरे में समाने की कोशिश कर रहे थे,,,, मोहिनी शुरू शुरू में अपना संपूर्ण दामोदार अपना संपूर्ण वजूद संजू के हाथों में सौंप देती थी लेकिन धीरे-धीरे वह चलाक होने लगी थी औरतों को अपने तरीके से किस तरह का सुख प्राप्त करना है वह समझने लगी थी इसलिए अब वह पूरी तरह से कंट्रोल अपने हाथों में रख लेती थी और आज सुबह भी वह पूरी तरह से अपने भाई पर छा जाने की कोशिश कर रही थी उसके ऊपर सवार होकर वहां पर अपनी चूची को पकड़कर खुद उसके मुंह में डाल रही थी और उसे जबरजस्ती पिला रही थी संजू को अपनी बहन का यह रवैया बहुत ज्यादा उत्तेजित कर जाता था वह भी अपनी बहन के हाथों में पूरा कंट्रोल देकर पूरी तरह से उसके हाथों की कठपुतली बन जाना पसंद करता था,,,, और उसे इसमें मजा भी आता था,,,।

सुबह के 6:15 बज रहे थे आराधना रसोई तैयार कर रही थी और संजू और मोहिनी अपने कमरे में बिल्कुल नग्न अवस्था में काम क्रीड़ा में खोए हुए थे संजू पीठ के बल लेटा हुआ था और मोहिनी उसके ऊपर सवार होकर अपनी चूची उसके मुंह में डालकर उसे अपना दूध पिला रही थी,,।

ले पी मेरे भाई ले पी,,,आहहहहह कितना मजा आता है जब तु पीता है,,,, ले दूसरा भी पी,,( पहले चूची को मुंह में से निकाल कर दूसरी चूची उसके मुंह में डालते हुए) पहले कितनी नारंगी जैसी थी तो धीरे-धीरे से खरबूजा की तरह बनाता जा रहा है,,,ऊहहहहहह‌ निप्पल को चाट,,,आहहहहह बस मेरे भाई ऐसे ही बहुत मस्त पीता है तू,,,,ऊफफ,,,,,आहहहहहहह ,,,,
(मोहिनी पूरी तरह से गर्म हो जा रही थी उसकी गरम सिसकारियां एकदम सीमित आवाज में थी जो कि कमरे से बाहर तक नहीं पहुंच पा रहे थे क्योंकि मोहिनी को मालूम था कि अगर जोर-जोर से वह सिसकारी लेना शुरू कर देगी तो उसकी मां को शक हो जाएगा इसीलिए वह अपने आप पर पूरी तरह से काबू करके आनंद ले रहे थे संजय पूरी तरह से मस्त हुआ जा रहा था अपनी बहन की इस हरकत पर वह आनंद विभोर हुआ जा रहा था उसे यकीन नहीं हो रहा था कि यह वही मोहिनी है जो पहले लड़कों से शर्म आती थी लेकिन अब देखो खुद ही उसके नंगे बदन पर बैठी हुई है और मजा ले रही है मोहिनी को इस कदर बेशर्म बनाने में भी संजू का ही हाथ था अगर संजू उसके साथ इस तरह की गलत हरकत ना करता तो शायद मोहिनी अभी भी पहले वाली ही मोहिनी रहती,,,, संजू औरतों के बदन से कैसे आनंद लेना है अच्छी तरह से जानता था वह पूरी तरह से मस्त होकर मोहिनी की चूची को दबा दबा कर पी रहा था और मोहिनी भी उसे पिला रही थी संजू का लंड पूरी तरह से खड़ा होकर मोहिनी की पीठ पर ठोकर मार रहा था जिसे अपनी पीठ पर महसूस करके मोहिनी के तन बदन में उत्तेजना की लहर उठ रही थी,,,,

इस तरह की कामुक हरकत की वजह से मोहिनी की चूत से मदन रस टपक रहा था जो की पूरी तरह से संजू के पेट को भिगो रहा था,,,,, संजीव को मोहिनी कुछ भी बोलने का मौका नहीं दे रही थी बार-बार उसके मुंह में अपनी चूचियां दे दे रही थी और संजू को अपनी बहन की चूची पीने में बहुत मजा आता था अपनी बहन की क्या संजू को किसी भी औरत की चूची पीने में बहुत मजा आता था इस तरह से उसकी उत्तेजना और ज्यादा बढ़ जाती थी,,,, कुछ देर तक मोहिनी और संजू इसी तरह से मजा लेते रहे दोनों अच्छी तरह से जानते थे कि आज छुट्टी का दिन है और उसकी मां उसे सात 7:30 बजे से पहले उठाने वाली नहीं थी इसीलिए इस मौके का वह दोनों पूरी तरह से फायदा उठा रहे थे,,,

भाई इसी तरह से तु मां की भी चूचियों को पी रहा था ना,,,, बड़ा मजा आया होगा तुझे मेरे से ज्यादा बड़ी बड़ी चूचीया है मां की,,,, काश तू मां की चूत में लंड डालकर चोद‌ पाता तो मुझे और मजा आता,,, कोई बात नहीं तू बिल्कुल भी चिंता मत कर एक दिन देखना मम्मी खुद तुझे अपनी चूत परोस कर देगी,,,,(अपनी बात का खुद ही जवाब देते हुए मोहिनी बोल रही थी क्योंकि वह खुद संजू को बोलने का मौका नहीं दे रही थी,,, लेकिन मोहिनी के मुंह से अपनी मां का जिक्र करते हैं उसकी उत्तेजना हो ज्यादा बढ़ गई और वह अपने दोनों हाथ को पीछे की तरफ ले जाकर मोहिनी की नंगी गांड को अपनी हथेली में दबोच लिया और उसे जोर से दबाना शुरू कर दिया,,,,,, संजू के लिए अपनी उत्तेजना दबा पाना मुश्किल हुआ जा रहा था क्योंकि मोहिनी ने आराधना का जिक्र करके आग में घी डालने का काम कर दी थी,,,, इसलिए संजू पूरी तरह से उत्तेजित हो चुका था,,,, अपनी फाइल की हालत देखकर मोहिनी भी समझ गई थी कि उसका भाई एकदम से चुदवासा हो गया है,,, किस लिए वह अपने भाई के मुंह में से अपनी चूची को बाहर निकाल कर उसके ऊपर से उतर गई और उसके लंड को पकड़ कर ले जाने लगी जो कि काफी मोटा महसूस हो रहा था,,,।

ओहहहह भाई लगता है कि तू आज मेरी चूत फाड़ डालेगा आज तो तेरा लंड और ज्यादा मोटा हो गया है,,,,।

हारे मोहिनी तुमने मम्मी का जिक्र करके मेरी हालत खराब कर दी है,,,

तू चिंता मत कर भाई मैं तेरी हालत एकदम सही कर दूंगी,,,(और इतना कहने के साथ ही मोहिनी अपने भाई के लंड को अपने लाल-लाल होठों के बीच भर ली और उसे लॉलीपॉप कि तरह चूसना शुरु कर दी,,,,,, मोहिनी भी पूरी तरह से चुदक्कड़ हो गई थी उसे भी पूरा ज्ञान हो चुका था कि मजा कैसे लिया जाता है इसलिए वह अपने भाई के लंड को पूरा का पूरा अपने गले तक उतारकर उसे चूसने का आनंद ले रही थी,,,,,, जिस समय दोनों शुरुआत किए थे दोनों इस खेल में नए-नए थे हालांकि संजू को एक बार की चुदाई का अनुभव हो चुका था और वह भी अपनी मौसी के साथ अपनी मौसी के साथ उसने औरत को खुश करने के लिए बहुत कुछ क्रियाओं को सीखा था जो कि वह अपनी बहन पर पूरी तरह से आजमा चुका था और देखते ही देखते मोहिनी खुद इस खेल में इतनी माहिर हो गई थी कि अपने भाई पर पूरी तरह से हावी हो रही थी वह उसके मोटे तगड़े लंबे लंड को बड़े आराम से अपने गले तक उतार लेती थी और उसे इतना तड़पाती थी कि कभी-कभी संजू को लगने लगता था कि उसका पानी छूट जाएगा,,,, मोहिनी उसकी तड़प और ज्यादा बढ़ाते हुए उसके लंड के बैगनी रंग के सुपाड़े को आइसक्रीम के कौन की तरह जीभ लगाकर चाट रही थी और मोहिनी के जीभ की गर्मी से धीरे-धीरे संजू का लंड आइसक्रीम के बर्फ की तरह पिघल रहा था और उसमें से लार नहीं कर रही थी जिसे मोहिनी खुद अपनी जीभ से चाट रही थी संजू हाथ की कोहनी के सहारे अपनी गर्दन को ऊपर उठाकर अपने लंड की तरफ देख रहा था और मोहिनी के खूबसूरत चेहरे की तरफ संजू अपनी बहन की तरफ देखकर समझ ही नहीं पा रहा था कि यह वही सीधी साधी भोली भाली मोहिनी है अब उसमें कितना बदलाव आ चुका था इस समय संजू को अपनी बहन में एक रंडी पन दिख रहा था जो कि एक मर्द को खुश करने के सारे तरीके को आजमा रही थी,,, मोहिनी के बाल में बकल लगा हुआ था और संजू अपना हाथ आगे बढ़ा कर उस बक्कल को खींच लिया और देखते ही देखते उसके खूबसूरत रेशमी बाल एकदम से खुल गए और खुले बालों में मोहिनी की खूबसूरती और ज्यादा बढ़ गई रह-रहकर संजू अपनी कमर को ऊपर की तरफ उछाल देता था,,,, मोहिनी अपनी हरकत से अपने भाई को पूरी तरह से पागल कर चुकी थी संजु को लगता था कि किसी भी वक्त उसके लंड का फव्वारा फूट पड़ेगा,,,,, इसलिए वह कसमसा रहा था और अपने भाई की कसम साहट को देखकर मोहिनी समझ गई कि उसका भाई पूरी तरह से गर्म हो चुका है और देखते ही देखते मोहिनी अपने भाई के लंबे मोटे लंड को अपने मुंह में से बाहर निकाल कर खुद अपने भाई के कमर के इर्द-गिर्द अपने घुटने रख कर अपने लिए जगह बनाने लगी देखते ही देखते मोहिनी की खूबसूरत सुगठित मांसल गांड संजू के मोटे तगड़े लंड के ऊपर आ चुकी थी संजू समझ चुका था कि उसकी बहन का करने वाली है और मोहिनी तुरंत अपना एक हाथ नीचे की तरफ से जाकर अपने भाई के लंड को पकड़ लिया और धीरे से अपनी तरबूज जैसी गांड को नीचे की तरफ ले जाने लगी देखते ही देखते मोहिनी अपने हाथों से अपने भाई के लंड के सुपाड़े को रास्ता दिखाते हुए अपने गुलाबी चूत से सटा दी और गरम चूत का स्पर्श होते हैं संजू पूरी तरह से गनगना गया,,,, मोहिनी की हर एक हरकत जानलेवा साबित हो रही थी संजू पल पल चुदास की आग में जल रहा था,,,,, संजू को इस समय अपनी तरफ से कुछ नहीं करना था जो कुछ करना था मोहिनी को करना था इसलिए मोहिनी जैसे ही संजू के लंड को अपने चूत का द्वार दिखाइ,,, मोहिनी तुरंत अपनी तरबूज जैसी गांड का भार अपने भाई के भालानुमा लंड पर बढ़ाने लगी और देखते ही देखते चूत की चिकनाहट पाते ही संजू का मोटा तगड़ा लंड धीरे-धीरे करके मोहिनी की चूत में समाने लगा यह नजारा संजू अपनी आंखों से एकदम साफ देख रहा था और इस नजारे को देखकर काम विह्वल हुआ जा रहा था,,,,।

देखते ही देखते ही मोहिनी अपने अनुभव का फायदा उठाते हुए अपने भाई के मोटे तगड़े लंबे लंड को अपनी चूत की गहराई में छुपा ली और अपने भाई के लंड को पूरी तरह से गप कर लेने के बाद उसके ऊपर आसन लगाकर बैठ गई,,,, दोनों की सांसे गहरी चल रही थी कुछ देर तक मोहिनी उसी अवस्था में बैठी रही अपने भाई के मोटे तगड़े लंड की गर्माहट को अपनी चूत के अंदर महसूस करके वह पल पल मदहोश हुए जा रही थी,, मोहिनी आज अपने अनुभव से संजू को पूरी तरह से तड़पा दाल रही थी संजू का मन नीचे से धक्का लगाने को कर रहा था,,, लेकिन मोहिनी ने पूरी तरह से अपने भाई पर कब्जा जमा रखा था वह नीचे से अपनी कमर तक मिला नहीं पा रहा था लेकिन मोहिनी को इस बात का एहसास हो रहा था कि संजू धक्का लगाना चाहता है इसलिए वह बोली,,,।

आज तू कुछ नहीं करेगा भाई जो कुछ करना है मुझे करना है ,,,,(और इतना कहने के साथ ही मोहिनी धीरे से अपनी गांड को ऊपर की तरफ उठाने लगी और संजू का लंड धीरे-धीरे उसकी चूत के छेद से बाहर होने लगा देखते ही देखते संजीव को लगने लगा कि मोहिनी उसकी चूत से उसके नंबर को पूरी तरह से बाहर निकाल देंगे लेकिन जैसे ही सुपाड़ा किनारे पर आया मोहिनी तुरंत नीचे बैठ गई और इसी तरह से ऊपर नीचे करके उठक बैठक करने लगी संजु को स्वर्ग का सुख प्राप्त हो रहा था वह पूरी तरह से मदहोश हुआ जा रहा था देखते ही देखते मोहिनी की रफ्तार उठक बैठक में बढ़ने लगी और उसकी चूत से चप्प चप्प की आवाज आना शुरू हो गई संजू की सबसे बड़ी गहरी चलने लगी मोनी पूरी तरह से मदहोश में जा रही थी वह अपने भाई के कंधों को दोनों हाथों से पकड़ कर अपनी गांड को जोर-जोर से अपने भाई के लंड पर पटक रही थी ऐसा लग रहा था कि जैसे ही वह कपड़े धो रही हो,,, संजू का मोटा तगड़ा लंड बड़े आराम से सटाक सटाक करके चूत के अंदर बाहर हो रहा था,,,,,,,

देखते ही देखते घड़ी में 7:15 बज गए दोनों की इस काम क्रीड़ा को 1 घंटे जैसा समय हो गया था,,,,, आराधना को लगने लगा कि मोहिनी और संजू आज देर तक सो रहे हैं इसलिए वहां रसोई का काम छोड़कर उनके कमरे के बाहर आकर दरवाजा खटखटाते हुए बोली,,,।

संजू अरे मोहिनी कब तक सोते रहोगे बहुत देर हो रही है चलो जल्दी उठो,,,,।
(अपनी मां की आवाज सुनते ही दोनों एकदम से चौंक गए मोहिनी उसी तरह से अपने भाई के लैंड कर बैठी रह गई कोई जवाब ना मिलने पर आराधना फिर से उन दोनों का नाम लेकर बुलाई तो इस बार संजू नींद में होने का नाटक करते हुए बोला,,,)

क्या मम्मी आज रविवार है आज तो सोने दो,,,

7:15 बज रहे हैं कितना सोएगा जल्दी से उठ कर नहा धो लो नाश्ता तैयार हो गया,,, चलो जल्दी,,,,,


ठीक है मम्मी 10 मिनट में आया,,

10 मिनट से 1 मिनट भी ज्यादा नहीं होना चाहिए,,,(इतना कहने के साथ ही आराधना वापस रसोई घर में चली गई तो संजू मोहिनी की तरफ देख कर मुस्कुराया और उसे अपनी बाहों में लेकर तुरंत पलट गया यह देखकर मोहिनी भी हैरान हो गई अब वह नीचे और संजू ऊपर था अब पूरा कंट्रोल संजू के हाथ में आ चुका था और संजू कमर हिलाना शुरू कर दिया मोहिनी को भी मजा आने लगा संजू का लंड बड़ी तेजी से मोहिनी की चूत के अंदर बाहर हो रहा था मोहिनी बड़ी मुश्किल से अपनी सिसकारी को रोके हुए थी,,,, अपने वादे के मुताबिक संजू मोहिनी को और 5 मिनट तक चोदता रहा और घर जाने के बाद कुछ ही देर में अपने कपड़े पहन कर कमरे से बाहर आ गया और थोड़ी देर में मोहिनी भी कमरे से बाहर आ गई थी,,,,।

संजू कुछ देर तक यूं ही कुर्सी पर बैठा रहा और मोहिनी जल्दी-जल्दी बाथरूम जाकर नहा कर बाहर आ गई थी मोहिनी को देखकर संजू मुस्कुराया और वह भी उठकर बाथरूम में चला गया और नहाने के लिए अपने सारे कपड़े उतार कर नंगा हो गया बाथरूम का दरवाजा बंद कर दिया था और से मालूम था कि आप कोई आने वाला नहीं है इसलिए निश्चिंत होकर वा नहा रहा था कि तभी उसकी नजर सामने की दीवार पर बनी हुई पेंटिं पर गई और संजू उत्सुकता बस उस पेंटी को अपने हाथ में ले लिया और पेंटी को हाथ में लेते उसे समझते देर नहीं लगी कि वह पहनती उसकी मां की है और अपनी मां की पेंटिंग को हाथ में लेते हुए उसके तन बदन में एक बार फिर से उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी,,,,,
Awesome, jabarjust, kamuk update bhai, mohini or sanju ki kaam leela dekh kar man kaam vivhal ho gaya,
Aaradhna ka pati chutia hai jo itna gadraya maal pas me hone per bhi idhar udhar mu maarta fir raha hai, ab sanju kouska faydanutha chahiye.
Intzaar rahega besabri se sanju or aardhna ki prem leela ka.
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Napster

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आराधना की तबीयत खराब होने से कुछ दिन तक मोहिनी ही शाम को खाना बनाने लगी थी क्योंकि उसे लगता था कि उसकी मां घर का सारा काम करके ऑफिस का काम करके थक जाती है उसे भी थोड़ा आराम की जरूरत है,,,, हालांकि आराधना मोहिनी के इस तरह से मदद करने से बेहद खुश थी,,, लेकिन वह मोहिनी को परेशान करना नहीं चाहती थी इसलिए मोहिनी के साथ वह भी खाना बनाने बैठ जाती थी,,, दूसरी तरफ आराधना का ध्यान अपने बेटे पर लगा रहता था क्लीनिक लेकर जाने पर जो कुछ भी वहां पर हुआ था उन दोनों के बीच उस बात को लेकर जिस तरह से खुले तौर पर चर्चा हुई थी उसे देखते हुए आराधना के तन बदन में उस पल को याद करके अजीब सी हलचल सी होने लगती थी,,, धीरे-धीरे उसका बेटा उसके सामने ही अश्लील शब्दों का प्रयोग करने लगा था लेकिन ना जाने क्यों आराधना अपने बेटे की इस तरह की हरकत पर एतराज जताने की जगह मन ही मन अंदर ही अंदर उसके कहे शब्दों से आनंद लेने लगी थी,,,,,,,,,, उसका बेटा जिस कदर उसके आकर्षण में पूरी तरह से बंधा हुआ था उसे देखते हुए आराधना ना चाहते हुए भी अपने बेटे के बारे में सोचने लगी थी आखिरकार वह भी एक औरत थी,, कभी-कभी तो आराधना को खुद लगने लगा था कि जो कुछ भी उसका बेटा कह रहा है उसमें शत-प्रतिशत सच्चाई है उसे भी वही सुख की जरूरत है जिस सुख के बारे में वह उससे बात करता था,,,,,,,,, आराधना जब कभी भी अपने बेटे के बारे में सोचती थी तो उसकी कही बातें याद आने लगती थी और वह उन बातों को याद करके अपने तन बदन में अजीब सी हलचल को महसूस करके पूरी तरह से मस्त हो जाती थी,,, ऐसा उसके साथ पहले कभी नहीं होता था लेकिन जब से उसका बेटा उसका ख्याल रखने लगा था उसे समझने लगा था तब से आराधना के भी मन में ना जाने क्यों अपने बेटे को लेकर एक हरकत सी होने लगी थी,,,,,,,



दूसरी तरफ मोहिनी अभी तक अपने भाई को दुबारा अपनी चूत के दर्शन नहीं करा पाई थी,,,हालांकि उसका मन तो बहुत करता था एक बार फिर से अपने भाई के प्यासे होठों को अपनी चूत पर महसूस करने के लिए,,, उसके लंड अपनी चूत की पतली दरार पर रगड़ खाने के लिए,,,,लेकिन वहां यह सब जल्दी-जल्दी नहीं करना चाहती थी उसे इस बात का डर था कि कहीं उसके भाई को शक हो गया तो वह उसके बारे में क्या सोचेगा क्योंकि वह अपने भाई को यह जताना चाहती थी कि जो कुछ भी हो रहा है वह सब कुछ अनजाने में हो रहा है,,,, इसीलिए तो मोहिनी दोबारा फ्रॉक नहीं पहनी थी और संजू अपनी बहन को फ्रॉक में देखना चाहता था उसकी चूत को अपनी आंखों से देखना चाहता था,,,, लेकिन ऐसा हो नहीं पा रहा था,,,,,,,


ऐसे ही एक दिन रविवार का दिन था और छुट्टी होने की वजह से,,, कोई काम नहीं था तो मोहिनी अपने भाई को बुक खरीदने के लिए बोली थी जो कि थोड़ा दूर पर मिलता था और मोहिनी चाहती थी कि उसका भाई उसे स्कूटी पर बैठा कर ले कर जाए,,,क्योंकि उसका भी मन बहुत करता था जब वह कभी लड़के और लड़की को स्कूटी पर आते-जाते देखी थी तो वह भी उसी तरह से स्कूटी पर बैठ कर घूमने का मजा लेना चाहती थी और अब तो उसकी मां की जॉब की वजह से घर पर एक स्कूटी थी और उसी का फायदा उठाना चाहती थी और अपने मन की मुराद को पूरा करना चाहती थी इसलिए वह अपने भाई संजु से बोली,,,,।




संजू मुझे कुछ किताबे खरीदनी है,,, अगर तू स्कूटी लेकर चलता तो मैं भी तेरे साथ चलती और हम दोनों किताबें खरीद लेते,,,
(संजू का मन तो था छुट्टी के दिन स्कूटी लेकर घूमने का लेकिन वह नहीं जानता था कि उसकी बहन भी उसके साथ चलना चाहती है वह तो अंदर ही अंदर खुश होने लगा था क्योंकि जब से वह अपनी बहन की नंगी चूत का दर्शन किया था और उसके साथ थोड़ी बहुत अपनी मनमानी किया था तब से,,, उसके मन में मोहिनी के लिए अजीब सी हलचल होने लगी थी,,,,, इसलिए अपनी बहन के प्रस्ताव पर वह ज्यादा सोच विचार किए बिना ही हां बोल दिया,,, उसकी मां को भी कोई एतराज नहीं था कि स्कूटी लेकर वह दोनों किताब खरीदने जाएं,,, क्योंकि वह भी दूसरे लड़कों को देखती थी घूमते हुए तो उसका भी मन करता था कि उसके बच्चे भी इसी तरह से घूमे फिरे,,, लेकिन पहले की स्थिति सही नहीं थी घर में स्कूटी नहीं थी लेकिन जब से वह जॉब करने लगी थी तब से ऑफिस की तरफ से उसे स्कूटी मिल गई थी जिससे उसके बच्चे भी अपनी इच्छा पूरी कर सकते थे,,, इसलिए संजू के जवाब देने से पहले ही वह बोली,,,)

हां चला जा संजू,,, वैसे भी किताब की दुकान थोड़ी दूरी पर है स्कूटी लेकर जाएगा तो अच्छा रहेगा,,,।


ठीक है मम्मी लेकिन पैसे,,,


तू पैसे की चिंता मत कर मेरे पास पैसे हैं रुक अभी लेकर आती हूं,,,(इतना कहकर आराधना अंदर कमरे में चली गई और अलमारी में से पैसे निकाल कर संजू को थमाते हुए बोली,,,)

ले और तुम दोनों कुछ खा भी लेना,,,।
(मोहिनी बहुत खुश नजर आ रही थी,,, आराधना एक तनख्वाह ले चुकी थी और उसमें के पश्चात से ही वह उन दोनों को पैसे दे रही थी संजू भी बहुत खुश था कि उसकी मां के जॉब करने से घर की काफी समस्या हल हो चुकी थी,,, बस अशोक को छोड़कर जो कि अब वह कम ही घर पर आता जाता था,,,अब इस परिवार का अशोक से केवल नाम का ही रिश्ता रह गया था,,,,, संजू और मोहिनी दोनों नाश्ता करके घर से निकल गए थे,,,संजू स्कूटी स्टार्ट करके मोहिनी के बैठने का इंतजार कर रहा था मोहिनी भी काफी खुश नजर आ रही थी वह सलवार और कमीज पहनी हुई थी जिसमें से उसकी मदहोश कर देने वाली जवानी अपना उभार लेकर बाहर निकलने को मचल रही थी स्कूटी पर बैठने से पहले ही संजू एक नजर अपनी बहन पर डाल लिया था,,,संजू यह बात अच्छी तरह से जानता था कि उसकी बहन की खूबसूरती उसकी मां की खूबसूरती से बिल्कुल भी कम नहीं थी बस दोनों के बदन के भराव का अंतर था,,, फिर भी इस उम्र में एक लड़की का खूबसूरत बदन जिस ढांचे में होना चाहिए था मोहिनी का पतन उसी ढांचे में तराशा हुआ था,,, छातियों की शोभा बढ़ाती दोनों नारंगी या अपने मदहोश कर देने वाले आकार के साथ मोहिनी की खूबसूरती बढ़ा रही थी नितंबों का घेराव सीमित रूप में भी बेहद मादक और घातक नजर आ रहा था,,,, संजू तो अपनी बहन के खूबसूरत पतन के बारे में सोच कर ही पागल हुआ जा रहा था और अपने आप को खुश किस्मत समझ रहा था कि बहुत से लोग उसकी बहन को कपड़ों में देखकर उसके नंगे पन की कल्पना करके अपने हाथ से हिला कर शांत हो जाते होंगे लेकिन उसने अपनी आंखों से अपनी बहन की नंगी जवानी के दर्शन कर चुका था,,, और तो और उसकी चूत की गर्मी को अपने बदन मे महसूस भी कर चुका था अपने लंड को उस पर रगड़ कर अपना पानी भी गिरा चुका था यह सब हरकत को संजू अपनी खुशकिस्मती समझ रहा था और वास्तव में ऐसा ही था,,,,।

मोहिनी स्कूटी पर दोनों टांगों को अगल-बगल करके बैठ गई थी और अपने भाई के कंधे पर दोनों हाथ रखकर उसका सहारा लेते हुए अपनी मां पर एक नजर डाली जो कि दरवाजे पर खड़ी होकर दोनों को देख रही थी,,,, और अपने भाई को चलने के लिए बोली,,,, संजू स्कूटी स्टार्ट कर के जैसे ही केयर में डालकर एक्सीलेटर दबाया वैसे ही तुरंत मोहिनी झटका खाकर आगे की तरफ अपने भाई की पीठ से सट गई,,,देखने में तो यह बेहद औपचारिक रूप से था लेकिन इसके बीच जो कुछ भी हुआ था उसे संजू अपने अंदर महसूस करके पूरी तरह से उत्तेजित हो गया था मोहिनी की जानलेवा चूचियां सीधे-सीधे संजू की पीठ से दब गई थी और संजू अपनी बहन की चूचियों की रगड़ और दबाव को अच्छी तरह से महसूस करके पूरी तरह से उत्तेजित हो गया था,,,,,, यह वाक्यापल भर के लिए ही था लेकिन इस पल भर में संजू के तन बदन में अद्भुत हलचल को जन्म दे दिया था,,, क्योंकि संजू ने अपनी बहन की कड़ी निप्पल को अपनी पीठ पर चुभता हुआ महसूस किया था,,,,, लेकिन यह सब इतनी जल्दी हुआ था कि मोहिनी को इस बात का अहसास तक नहीं हुआ था कि उसकी वजह से उसका भाई पूरी तरह से उत्तेजित हो चुका है,,,।


electronic die

संजू स्कूटी को एक्सीलेटर देता हुआ आगे बढ़ाने लगा मोहिनी को बहुत अच्छा लग रहा था आज उसे ऐसा महसूस हो रहा था कि जैसे वह अपने भाई के साथ नहीं बल्कि अपने प्रेमी के साथ उसकी स्कूटी पर बैठकर जा रही है,,,,,,मोहिनी के लिए यह पहला मौका था जब वह स्कूटी पर बैठकर अपने भाई के साथ कहीं जा रही थी स्कूटी पर बैठना भी उसके लिए किसी उपलब्धि से कम नहीं था,,,, स्कूटी पर बैठे-बैठे इधर-उधर देखते हुए आगे बढ़ने में उसे बहुत मजा आ रहा था,,,,दोनों के बीच किसी भी प्रकार की वार्तालाप बिल्कुल भी नहीं हो रही थी क्योंकि संजु तो पहले से ही अपनी बहन की चूची की रगड़ को अपनी पीठ पर महसूस करके पूरी तरह से मस्त हो गया था और अपनी बहन के बारे में सोचने लगा था,,,,,,,,, संजू को भी किसी भी तरह की जल्दबाजी नहीं थी इसलिए वह आराम से स्कूटी चला रहा था,,,,,,, और बात की शुरुआत करते हुए वह मोहिनी से बोला,,,।

तुझे कौन सी बुक लेनी है,,,


अरे दो-तीन बुक लेनी है,,, अच्छा हुआ भैया की मां की जॉब लग गई और उन्हें आने-जाने के लिए स्कूटी मिल गई हम लोगों का भी काम आसान हो गया नहीं तो हम लोग कहां स्कूटी से घूमने वाले थे,,,


हां बात तो तू सच ही कह रही है,,,मैं भी अपने दोस्तों को गाड़ी से आती जाती देखता था तो मैं भी सोचता था कि ना जाने कब ऐसा दिन होगा कि मैं भी इसी तरह से गाड़ी से आऊंगा जाऊंगा लेकिन वहां की बदौलत देख हम दोनों स्कूटी पर घूम रहे हैं,,,,(इतना कहना था कि तभी अचानक छोटा सा खड्डा आ गया और संजू ब्रेक लगा दिया मोहिनी अपने भाई के कंधे पर हाथ रख कर बैठी हुई थी और एकाएक ब्रेक लगने की वजह से एकदम से उससे सट गई और एक बार फिर से संजीव को अपनी बहन की नरम नरम चुचियों का कड़क पन अपनी पीठ पर महसूस हुआ और इस बार संजू पूरी तरह से गनगना गया क्योंकि मोहिनी एक दम से झटका खाकर उसकी पीठ से एकदम से चिपक गई थी जिसकी वजह से उसकी गोल-गोल नारंगी या एकदम दबती हुई संजू को अपनी पीठ पर महसूस हुई थी दोनों नारंगीयो का इस तरह से पीठ पर दबने की वजह से संजू का लंड पूरी तरह से खड़ा हो चुका था,,,, और मोहिनी अपने आप को संभालते हुए बोली,,)


देख के,,,,,


देख तो रहा हूं एकाएक खड्डा आ गया,,,


चल ठीक है,,,,।



(संजू स्कूटी को आगे बढ़ा दिया था इस बार मोहिनी को इस बात का अहसास हुआ था कि उसकी चूची पूरी तरह से उसके भाई की पीठ से सट गई थी,,, और इस बार उत्तेजना की झनझनाहट उसके तन बदन को भी झकझोर कर रख दी थी,,,, ,, रास्ते भर एक से एक होटल और एक से एक गेस्ट हाउस आता जा रहा था गेस्ट हाउस के बाहर खूबसूरत खड़ी लड़कियाें को देखकर संजू अच्छी तरह से समझ रहा था लेकिन इन सब से मोहिनी अनजान थी,,, उन लड़कियों को देख कर संजू अपने मन में सोच रहा था कि यह भी कितना अच्छा है मर्दों के लिए कि पैसा देखकर कुछ भी कर सकते हैं और वह लड़कियां भी पैसा लेकर कुछ भी करवाने को तैयार हो जाती हैं,,,, उसके पास पैसा होता तो शायद वह भी घंटे भर के लिए गेस्ट हाउस में जरूर जाता और वह भी एक खूबसूरत लड़की के साथ जिसे वह बिल्कुल भी जानता ना हो पहचानता ना हो,,,संजू अपने मन में यही सोच रहा था कि अनजान लड़की के साथ चुदाई करने में कितना अद्भुत सुख मिलता होगा जिसके बारे में वह कुछ भी नहीं जानता हो ना वह लड़की उसके बारे में जानती हो,,,, यही सब सोचकर संजू अपने मन को बहलाने की कोशिश कर रहा था कि तभी एक जगह पर रोकने के लिए मोहिनी संजू से बोली,,,।)

बस बस यहीं पर यहीं पर रोक दो,,,,
(सामने बुक की दुकान देख कर संजू भी ब्रेक मार कर स्कूटी पर साइड में लगाकर खड़ी कर दिया,,, मोहिनी स्कूटी पर से उतरी और बुक स्टॉल में प्रवेश कर गई पीछे-पीछे संजू भी,,,यहां पर दुनिया भर की किताबें रखी हुई थी हर जात की मस्जिद से लेकर के कॉलेज की किताबों तक सब का ढेर लगा हुआ था,,,,)

तो किताबें खरीद मैं तब तक दूसरी किताबे देख लो यहां पर तो किताबों का ढेर लगा हुआ है,,,


तभी तो मैं यहां आने के लिए बोली थी क्योंकि जो किताबें कहीं नहीं मिलती यहां मिल जाती हैं,,,


ठीक है,,,,(इतना कहने के साथ संजु कुछ मैगजीन को लेकर उनके पन्ने पलट कर देखने लगा,,, और मोहिनी अपने लिए किताब निकलवाने लगी थोड़ी देर में मोहीनी अपनी जरूरत की किताब को निकाल कर अपने भाई से पैसे लेकर उस किताब को खरीद चुकी थी,,,, लेकिन यहां पर इतनी सारी किताबें थी कि मोहिनी एक-एक करके सारी किताबों को हाथ में लेकर देख रही थी,,, संजू की दूसरी तरफ मेगज़ीन के पन्ने छांट रहा था अभी महीने की नजर एक किताब पर पड़ी जो कि थोड़ी छोटी सी थी और उस पर लिखा था भाई का प्यार कुतुहल बस मोहिनी उस किताब को लेकर देखने लगी,,,, किताब के मुखपृष्ठ पर एक लड़का और एक लड़की की फोटो छपी हुई थी जो कि एक दूसरे को चिम्मन कर रहे थे,,,, मुखपृष्ठ के रंगीन दृश्य को देखकर मोहिनी को समझ में नहीं आया कि यह कैसा भाई का प्यार किताब है इसलिए वह पन्ने पलट कर अंदर की कुछ लाइनों को पढ़ने की कोशिश करने लगी और बीच के पन्ने को पलटते ही जिस लाइन को वह पढ़ रही थी उसे पढ़कर उसके होश उड़ गए,,,, उस लाइन में लिखा हुआ था,,, "भैया ने मुझ पर बिल्कुल भी रहे नहीं किया और पहली बार में ही अपने लंड पर तेल लगाकर मेरी बुर में डाल दिया,,,,"

इस लाइन को पढते ही मोहीनी की आंखों के सामने अंधेरा सा छाने लगा,,, उसे यकीन नहीं हो रहा था कि जो कुछ भी उसने पढी थीवह सच में उस किताब में लिखा हुआ था वह अगल-बगल नजर घुमा कर देखने लगी कि कहीं कोई उसे देख तो नहीं रहा है,,,जब उसे पूरी तरह से तसल्ली हो गई कि कोई भी उसकी तरफ नहीं देख रहा है तो वह दूसरा पन्ना पलट कर उसमें की लाइन पड़ने लगी जिसके पडते ही उसकी चूत से काम रस टपकने लगा उसमें लिखा था,,,।


आधी रात को भैया अपने कमरे से निकलकर एकदम चुप चाप चोर कदमों से मां की नजर से बचकर मेरे कमरे में आए और मैंने पहले से ही दरवाजे की कुंडी खोल रखी थी और अंदर प्रवेश करते ही भाई ने खुद दरवाजे की कुंडी लगाकर दरवाजा बंद कर दिया और मुझे अपनी बाहों में लेकर बेतहाशा मेरे होठों का रसपान करते हुए कमीज के ऊपर से ही मेरी चूची को दबाना शुरू कर दिया,,,,(इतना पढ़ते ही महीने के तन बदन में आग लगने लगी उसकी सांसे ऊपर नीचे होने लगी और फिर से सबकी नजरें बचाकर उसके आगे की लाइन पढने लगी,,,) मैं कुछ भी कर सकेंगे की स्थिति में नहीं थी मैं तो भैया की हरकत का मजा ले रही थी भैया तुरंत मेरे सलवार की डोरी खोल कर सलवार को मेरे बदन से अलग कर दिया और मुझे अपनी गोद में उठाकर पलंग पर लाकर पटक दिए,,,, मेरी आंखों के सामने अपने सारे कपड़े उतार कर नंगा हो गया,,,मैं पहली बार अपने भाई के लंड को देख रही थी एकदम 8 इंच का लंबा मोटा तगड़ा लंड देखकर मेरी बुर से पानी निकलने लगा,,,,।
(मोहिनी की हालत खराब होने लगी थी,,,मोहिनी की इच्छा उस किताब को वापस रखने की बिल्कुल भी नहीं हो रही थी लेकिन उस किताब को खरीद भी नहीं सकती थी,,,लेकिन उसके आगे की लाइन पढ़ने के लिए वह बेहद व्याकुल नजर आ रही थी इसलिए फिर से सबसे नजर बचा कर उसके आगे की लाइन पढने लगी,,,।)
मैं पलंग पर पीठ के बल लेटी हुई थी,,,, भैया मेरी टांग को पकड़कर अपनी तरफ खींच कर एकदम पलंग के किनारे कर दी है और अपनी उंगलियों को हरकत देते हुए मेरी पैंटी को अपनी उंगली में फंसाकर खींचना शुरू कर दिए मैं भी उनका साथ देते हुए अपनी गांड को ऊपर की तरफ उठाकर पेंटिंग निकलवाने में उनकी मदद करने लगी,,,और देखते ही देखते मेरे भैया ने मुझे पूरी तरह से अपनी ही तरह एकदम नंगी कर दिया था,,,यह सब कुछ मेरे लिए पहली बार था इसलिए कुछ समझ में नहीं आ रहा था लेकिन मेरा भैया बहुत जानकार था और वह अगले ही पल मेरी दोनों टांगों के बीच जगह बनाते हुए अपने प्यासे होठों को मेरी बुर पर रख कर चाटना शुरू कर दिया,,,मेरे लिए बर्दाश्त से बाहर हुआ जा रहा था और मैं अपने दोनों हाथ को अपने भाई के सर पर रख कर उसे उत्तेजना के मारे जोर जोर से अपनी बुर पर दबाने लगी,,,,।
( ईतना पढ़ते ही मोहिनी को अपनी पेंटिं गीली होती हुई महसूस होने लगी,,,, क्या करें उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था,,,, मोहिनी सबसे नजर बचा कर वह पन्ना पलट कर उसका दूसरा पन्ना पड़ने लगी जिसके पढ़ते ही वह अपनी उत्तेजना पर काबू नहीं कर पाई और उसकी चूत से बदल रस फूट पड़ा,,, उस अगले पन्ने पर लिखा था,,,) भैया का लैंड तेल लगाने की वजह से बड़े आराम से मेरी बुर के अंदर बाहर हो रहा था भैया अपनी कमर हिला हिला कर मुझे चोद रहा था मैं भी एकदम मस्ती में अपनी कमर ऊपर की तरफ उछाल रही थी,,,, मां की नजरों से बचकर उसके ही बगल वाले कमरे में हम भाई बहन चुदाई का अद्भुत खेल खेल रहे थे,,,,(मोहिनी इससे ज्यादा पढ़ पाती इससे पहले ही संजू की आवाज उसके कानों में पड़ी,,,)

हो गया मोहीनी,,,,।


ह,ह, हां,,,,, हो गया,,,(और इतना कहने के साथ ही मोहिनी उस किताब को उसी जगह पर रख दी क्योंकि उसका भी हो गया था उसका भी काम रस निकल चुका था जिससे उसकी पैंटी पूरी तरह से गीली हो चुकी थी,,,, अपनी भावनाओं पर काबू करके वह किताब की दुकान से बाहर निकल गई,,,,लेकिन उसकी सांसे अभी भी ऊपर नीचे हो रही थी पेंटी में चिपचिपाहट महसूस हो रही थी,,,, उसके भाई को मोहिनी के हालत के बारे में बिल्कुल भी खबर नहीं थी वरना जिस तरह से मोहिनी उत्तेजना का अनुभव कर रही थी अगर उसके भाई को जरा भी इस बात का एहसास होता तो शायद वह किसी केस था उसमें अपनी बहन को ले जाता और वही जमकर चुदाई करता,,,, स्कूटी स्टार्ट करके मोहिनी के बेठते ही संजू बोला,,,)

तुझे क्या खाना है,,,


मुझे तो चाइनीज खाना है,,,,,,


ठीक है चल तुझे चाइनीज खिलाता हूं,,,,।
(जब तक संजू स्कूटी को चाइनीस की रेस्टोरेंट्स के सामने नहीं रोक दिया तब तक मोहिनी उस किताब के बारे में सोचने लगी और उसमें लिखी हुई बातों के बारे में,,,मैंने पहली बार इस तरह की किताब पढ़ रही थी जिसमें गंदे में शब्दों में सब कुछ खुला खुला लिखा था और वह भी भाई-बहन के बीच गंदे संबंध के बारे में,,,,महीने के दिलों दिमाग पर बार-बार किताब में लिखी हुई वही सब लाइने घूम रही थी,,,,,मोहिनी की हालत वाकई में एकदम खराब हो चुकी थी वह पूरी तरह से उत्तेजना का अनुभव कर रही थी और किताब में लिखी बातों को अपने भाई के साथ सच करने का सोच रही थी,,,, तभी स्कूटी खड़ी करके संजू और मोहिनी स्कूटी पर से उतर गए और संजू उसे रेस्टोरेंट में चलने के लिए बोला,,,, दोनों रेस्टोरेंट में आकर खाली टेबल पर बैठ गए और वेटर को ऑर्डर करके बातें करने लगे,,,)


आज कितना अच्छा लग रहा है ना मोहिनी इस तरह से रेस्टोरेंट में हम दोनों ने कभी नाश्ता नहीं किया होगा,,, लेकिन मम्मी की बदौलत,,, हम दोनों को ऐसा लग रहा है कि जैसे हम दोनों कोई अपना अधूरा सपना पूरा कर रहे हैं है ना,,,।


हां भाई एकदम ठीक कह रहा है मैं तो कभी सोची भी नहीं थी कि जिस तरह से हम दोनों स्कूटी पर घूमेंगे और किसी रेस्टोरेंट में नाश्ता करेंगे,,,,।
(वह दोनों बातें कर ही रहे थे कि तभी वेटर दो प्लेट लेकर आगे और टेबल पर रख कर चला गया दोनों कांटे वाली चम्मच से चाइनीस खाने लगे,,, रेस्टोरेंट के सामने ही गेस्ट हाउस था जिसके नीचे कुछ लड़कियां सज धज कर खड़ी थी,,,मोहिनी उन्हीं लड़कियों को देख रही थी लेकिन मोहिनी यह बात नहीं जानती थी कि वह लड़कियां गेस्ट हाउस के नीचे खड़ी क्यों है,,, मोहिनी खाते हुए वही देख रही थी कि तभी गेस्ट हाउस के सामने एक रिक्शा आकर रुकी और उसमें से एक आदमी और एक नौजवान लड़की नीचे उतरी,,,, उस आदमी को देखकर मोहिनी पहचान लिया और संजू से बोली,,,।


संजू वह देख पापा रिक्शा से अभी-अभी उतरे हैं लेकिन उनके साथ वह लड़की कौन है जो मुंह पर दुपट्टा बांधी हुई है,,,।
(मोहिनी की बात सुनकर संजू एकदम सौंपते हुए उस दिशा में देखा तो उसके भी होश उड़ गए क्योंकि रिक्शा से उतरने वाले उसके पापा ही थे और उसके साथ जो लड़की थी अपने मुंह पर दुपट्टा पानी हुई थी और वह दोनों गेस्ट हाउस के सामने उतरे थे,,, संजू को पूरा मामला समझते देर नहीं लगी थी,,,मोहिनी के पापा उस लड़की का हाथ पकड़कर गेस्ट हाउस की सीढ़ियां चढ़ने लगे थे यह देखकर मोहिनी बोली,,,।)

भाई पापा उस लड़की का हाथ पकड़कर गेस्ट हाउस में जा रहे हैं वह लड़की है कौन,,,?(मोहिनी आश्चर्य से गेस्ट हाउस की तरफ देखते हुए बोले उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था लेकिन संजु सब कुछ समझता था,,, लेकिन वह मोहिनी को बताना नहीं चाहता था इसलिए बात को टालने की गरज से वह बोला,,,)

अरे मोहीनी उनकी कंपनी की कोई एम्पलाई होगी मीटिंग में आए होंगे,,,।


लेकिन इस तरह से हाथ पकड़ कर,,,


अरे तो क्या हुआ,,, तू ज्यादा मत सोच जल्दी से खत्म कर हमें घर चलना है,,,,।
(संजू मोहिनी का ध्यान वहां से हटाने के लिए बोला और मोहिनी भी ज्यादा ना सोचते हुए खाना शुरु कर दी लेकिन संजू का दिमाग घूमने लगा था क्योंकि जो कुछ भी उसने आंखों से देखा था उसमें कुछ भी उसकी बातों को गलत साबित नहीं कर सकता था संजीव जानता था कि गेस्ट हाउस में उसके पापा किसी लड़की को लेकर आई थी और वह उसकी चुदाई करने के लिए निकल गए थे जिसका मतलब साफ था कि उसके पापा परिवार की जिम्मेदारी से पूरी तरह से भटक चुके हैं और जो पैसा परिवार के पीछे खर्च करना चाहिए था वह लड़की चोदने के पीछे खर्च हो रहा था,,,,संजू को अब समझ में आ गया था कि उसके पापा घर पर पैसे क्यों नहीं देती थी क्योंकि उसके पापा के पैसे इन्हीं सब कामों में खर्च हो रहे थे संजु को समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें,,,,,,, दोनों खा चुके थे और संजू मिल चुका कर रेस्टोरेन से बाहर आ गया था और स्कूटी पर अपनी बहन को बिठाकर घर की तरफ लौटने लगा था संजु इस बात को अच्छी तरह से जानता था कि
मोहिनी घर पर जाकर मम्मी को सब कुछ बता देगी कि उसने पापा को किसी लड़की के साथ देखा है और उसकी मम्मी को समझते देर नहीं लगेगी कि सारा मामला क्या है इसलिए संजू रास्ते में ही मोहिनी को,,,अपने पापा के देखने वाली बात क्यों मम्मी से ना बताने के लिए बोल दिया था और मोहिनी भी इस बात से राजी हो गई थी,,,,,,।

मोहिनी दिन भर अपने पापा वाली बात तो भूल गई थी लेकिन उस किताब वाली बात को नहीं भूल पा रही थी बार-बार उस में लिखी बातें मोहिनी के दिमाग पर छा रही थी किताब में लिखी सारी बातें मोहिनी के दिमाग पर कब्जा जमाए हुए थे और इसी के चलते वह एक बार फिर से अपने भाई को अपनी चूत के दर्शन करा कर मोहित करना चाहती थी इसलिए वहां रात को सोते समय फ्रॉक पहन ली थी और जब संजू ने देखा कि उसकी बहन फ्रॉक पहनी हुई है तब अपने आप ही संजु का लंड खड़ा होने लगा,,, खाना खा कर आराधना अपने कमरे में चली गई थी और संजू और मोहिनी अपने कमरे में आ गए थे,,, अपनी बहन को फ्रॉक में देखकर संजू का दिल जोरो से धड़क रहा थाऔर वह मन ही मन भगवान से प्रार्थना कर रहा था कि उस दिन की तरह आज भी उसकी बहन अगर पेंटी ना पहनी हो तो बहुत मजा आ जाए,,,,
बहुत ही सुंदर लाजवाब और मनमोहक उत्तेजक अपडेट है भाई मजा आ गया
 

rohnny4545

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मोहिनी की अद्भुत कामलीला और और उसकी संभोग की छटपटाहट को देखते हुए आखिरी पल में संजू ने अपनी बहन को अपने नीचे लेकर जबरदस्त चुदाई का प्रदर्शन किया और अद्भुत संतुष्टि को प्राप्त किया उसके बाद बाथरूम में आते ही सामने टंगी पेंटी को हाथ में लेकर इधर-उधर करके देखने लगा,,, पेंटी की चौड़ाई और उसकी रूपरेखा को देख कर उसे समझते देर नहीं लगी कि यह पेंटिंग उसकी मां की है क्योंकि मोहिनी की पेंटी से वह अच्छी तरह से वाकिफ था क्योंकि हम रात को वह अपने हाथों से ही उतारता था अपनी मां की पेंटी अपने हाथ में लेते हैं फिर से उसके तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी कुछ मिनटों पहले ही वह अपनी बहन की चुदाई करके झड़ चुका था लेकिन एक बार फिर से उसके लंड में झनझनाहट होना शुरू हो गया था क्योंकि उसके हाथों में उसकी सपनों की रानी की चड्डी जो आ गई थी,,, चड्डी बिल्कुल भी धुली हुई नहीं थी चड्डी को देखकर संजू अपने मन में सोचने लगा कि शायद उसकी मां उसे धोना भूल गई है जल्दबाजी में उतार कर वही टांग दी होगी और फिर बाथरूम से बाहर निकल गई होगी,,,,,,
अपनी मां के बदन से उतरी हुई चड्डी हाथ में आते ही उसके तन बदन में होते सेना की जो लहर उठ रही थी उसे बयां करना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन था पल भर में उसका लंड लोहे की तरह कड़क हो चुका था जबकि जुदाई के बाद तुरंत खड़ा होने में कुछ मिनट का समय जरूर लगता था लेकिन उसकी उत्तेजना का केंद्र बिंदु जो उसके हाथ लग गया था इसके लिए लंड को खड़ा होने में ज्यादा समय नहीं लगा और वह भी 1 दिन की पहनी हुई पेंटी थी,,, राजू के तन बदन में उत्तेजना का संचार बड़ी तेजी से हो रहा था वह भी बाथरूम में घुसते ही अपने सारे कपड़े उतार कर नंगा हो चुका था,,,,, राजू के हाथों में उसकी खुद की उत्तेजना बढ़ाने का खिलौना हाथ लग गया था जिसे वह पूरी तरह से उपयोग में ले लेना चाहता था चड्डी को दोनों हाथों में पकड़ कर वहां उसे फैलाते हुए अपनी मां की गांड के आकार की कल्पना करने लगा और उस पेंटिं को देखकर अपने मन में सोचने लगा कि उसकी मां की भारी-भरकम गोल-गोल गांड इतनी सी पेंटी में कैसे समा जाती है,,,,,, संजू अपनी मां की पेंटिंग को गांड की तरफ से पकड़ा था और उसे अपने चेहरे पर रगडना शुरू कर दिया मानो कि जैसे वह अपनी मां की पेंटी नहीं बल्कि अपने चेहरे को अपनी मां की गांड के बीचों बीच धंशा कर रगड़ रहा हो,,, अपनी मां की यूज की हुई पेंटी को अपने चेहरे पर रगड़ने हुए उसे अद्भुत सुख की प्राप्ति हो रही थी,,,, अपनी मां की नंगी गांड की कल्पना करते हुए वह पूरी तरह से मस्त हुआ जा रहा था एक अद्भुत माधव खुशबू उस चड्डी से उठ रही थी जो कि संजू के सांसो में घुलकर उसके बदन में आग लगा रही थी,,,,,

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,, देखते ही देखते उस चड्डी का सहारा लेकर संजू उत्तेजना के परम शिखर पर पहुंचना चला जा रहा था अब वह एक हाथ से चड्डी को अपने चेहरे पर लगाते हुए दूसरे हाथ से अपने लंड को मुट्ठीयाना शुरू कर दिया था,,, तभी जैसे उसे कुछ याद आया हो वह तुरंत अपने लंड पर से अपना हाथ हटा कर फिर से अपनी मां की चड्डी को दोनों हाथों से पकड़ लिया और उसकी चूत वाली जगह को तलाश करने लगा दूसरी तरफ पलटने के बाद ही संजू को चड्डी के अंदर वह हिस्सा नजर आने लगा जिसमें उसकी मां की खूबसूरत चूत पर्दे के पीछे छुपी हुई होती है उस जगह को देखकर संजू पूरी तरह से हैरान रह गया था क्योंकि चूत वाली जगह पर उसकी मां की चड्डी मैं हल्का सा छेद बन चुका था देखने पर ही पता चल रही थी की पेंटिं पुरानी हो चुकी है,,, अपनी मां को अभी भी पुरानी पेंटिं पहनता हुआ देखकर संजू को थोड़ा दुख होने लगा,,,, लेकिन फिर अपनी मां की चड्डी में उस छोटे से बने हुए चेहरे को देखकर कुछ उसके दिमाग में चमक आने लगे और वह तुरंत अपनी मां की चड्डी को दोनों हाथों से पकड़ कर उस चूत वाली जगह पर बने छेद में अपने लंड के सुपाड़े को सटाकर उसके अंदर डालने की कोशिश करने लगा,,,,, संजू के लिए यह अनुभव बेहद अद्भुत और उत्तेजना आत्मक था वह पूरी तरह से मदहोश बजा रहा था अपनी मां की चड्डी में बने छोटे से छेद में धीरे-धीरे करके अपना पूरा लंड डाल दिया था और ऐसा लग रहा था कि जैसे वह अपनी मां की जल्दी में नहीं बल्कि अपनी मां की चूत में लंड डाल रहा हो वह पूरी तरह से उत्तेजना के महासागर में डुबकी लगाना शुरू कर दिया था दोनों हाथों से अपनी मां की चड्डी पकड़े बाद धीरे-धीरे उस छोटे से छेद में अपने लंड को डालकर आगे पीछे अपनी कमर हिलाना शुरू कर दिया था,,,

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तीन तीन औरतों का साथ होने के बावजूद भी संजीव को अपनी उत्तेजना शांत करने के लिए इस तरह का सहारा लेना पड़ रहा था जो कि यह दर्शा रहा था कि संजू का लगाओ उसकी मां की खूबसूरत बदन से कितना अधिक है वह अपनी मां को भोगने के लिए किस तरह से तत्पर है,, जोकि उसे अपनी मां की चूत और उसकी चड्डी में बने छोटे से छेद में जरा भी फर्क महसूस नहीं हो रहा है और वह उस छोटे से छेद को ही अपनी मां की चूत समझ कर अपनी गर्मी शांत करने का जुगाड़ कर रहा था देखते ही देखते संजू का मोटा तगड़ा लंड उस छोटे से छेद को और ज्यादा बड़ा कर दिया वह छोटा सा छेद संजू के लंड के गोलाई का छल्ला बन चुका था,,,,,, संजू के तन बदन में पूरी तरह से मदहोशी जाने लगी थी ऐसा लग रहा था कि जैसे वह अपनी आगोश में अपनी मां को लेकर उसकी चूत में अपना लंड पहल रहा हूं दोनों हाथों में पकड़ी गई अपनी मां की चड्डी को वह उसकी चिकनी कमर समझकर और जोर से दबाई जा रहा था और अपनी कमर का धक्का लगातार उस छोटी सी चड्डी पर बढ़ाए जा रहा था देखते ही देखते संजू की आंखें बंद हो चुकी थी वह अपने उत्तेजना के परम शिखर पर पहुंच चुका था किसी भी पल उसके लंड से लावा निकलने को तैयार हो चुका था,,,,,,,, और देखते ही देखते वह अपनी मां की चड्डी की हालत खराब करते हुए झड़ने लगा और झड़ने के साथ ही उसके मुंह से,,,ओहहहह मम्मी,,,,,ओहहहहह मम्मी,,, की आवाज निकलने लगी वह पूरी तरह से मदहोश हो चुका था अपनी मां की चड्डी को वह उसकी चूत समझकर अद्भुत हस्तमैथुन का कला प्रदर्शन किया था,,,,, वासना का तूफान शांत होने के बाद अपने लैंड में से अपनी मां की चड्डी को बाहर निकाल कर एक बार फिर से उस पर नजर दौड़ा या तो हैरान रह गया था वह छोटा सा छेद पूरी तरह से छल्ला बन चुका था और वह भी उसके लंड के गोलाई के माप का,,,।

थोड़ी ही देर में वह नहा कर बाहर आ चुका था,,,, और तैयार होकर रसोई घर में अपनी मां के पास जाकर खड़ा हो गया था और ठीक उसके पीछे जहां से उसकी मां का पिछवाड़ा उसे साफ नजर आ रहा था और वह भी कसी हुई साड़ी में नितंबों पर साड़ी की धार बहते हुए नदी की धार की तरह लग रही थी नितंबों में उठ रही थी थिरकन नदी में बहाव की तरह लग रहा था,,,, राजू अपनी मां की मदमस्त गांड को देखकर पूरी तरह से मदहोश हुआ जा रहा था,,, वह अपनी मां के द्वारा निकाले गए प्लेट में नाश्ता और चाय लेकर ठीक अपनी मां के पीछे कुर्सी लेकर बैठ गया था उसकी मां को अपने बेटे की मौजूदगी बहुत अजीब लग रही थी उसके तन बदन में कसमस आहट महसूस हो रही थी क्योंकि वह ठीक उसके पीछे बैठा हुआ था और एक औरत होने के नाते एक मर्द की नजर औरत के किस अंग पर पड़ती है या उसे भलीभांति मालूम था और उसे इसी बात का शक भी हो रहा था कि उसका बेटा जरूर उसके पीछे बैठकर उसकी थीरकती हुई गांड को देख रहा होगा और यही जानने के लिए अपने शक को मजबूत करने के लिए वह पीछे नजर घुमाकर देखी तो एकदम सन्न रह गई क्योंकि उसके सोच के मुताबिक उसका बेटा उसकी गोल-गोल गांड को ही देख रहा था,,,,,, नाश्ता करते हुए अपनी मां के बदन के बारे में सोच रहा था और कल्पना करने लगा था,,,, वहीं दूसरी तरफ आराधना से बिल्कुल भी सहज रहा नहीं जा रहा था वह असहजता महसूस कर रही थी उसके तन बदन में अजीब सी हलचल हो रही थी,, अपने बेटे के चुंबन की गर्मी को अपने अंदर महसूस कर चुकी थी उसके द्वारा स्तन मर्दन का आनंद रह चुकी थी इसलिए वह ना जाने क्यों पुरुष संसर्ग के लिए रह-रहकर तड़प उठती थी,,,,
Sanju ki kalpna



दोनों में किसी भी प्रकार की वार्तालाप नहीं हो रही थी दोनों अपने ही अपने मन में अपनी भावनाओं को लेकर परेशान हुए जा रहे थे संजू रसोई घर में अपनी मां को लेकर पूरी तरह से कल्पना के सागर में गोते लगाना शुरू कर दिया था वहां कल्पना कर रहा था कि काश अगर उसकी मां उसकी जज्बात को समझती तो वह उसके बेहद करीब जाकर उससे प्यार करता उसकी साड़ी को अपने हाथों से उठाकर उसकी नंगी चिकनी गांड को देखता उसे अपने हाथों से जोर-जोर से दबाता,,,, उसकी मां की गरम सिसकारियां उसकी उत्तेजना को और ज्यादा बढ़ाती,,, अपनी हरकतों से वह अपनी मां को पूरी तरह से कामातुर कर देता,,, उसके इस काम क्रीडा में उसकी मां भी उसका भरपूर सहयोग करती वह किचन फ्लोर पर ही झुक जाती और संजू को अपनी चड्डी उतारने की इजाजत दे देती और संजू भी उस मौके का फायदा उठाता हुआ,,, अपनी मां की चड्डी उतारने का सुख प्राप्त करने लगा कल्पना में उसे सब कुछ साफ नजर आ रहा था वह अपनी मां की चड्डी उतारकर खुद अपने कपड़े उतारने लगा और अपनी मां के सामने ही नंगा होकर अपना लड हिलाने लगा जो की पूरी तरह से कड़क हो चुका था,,,, आराधना तिरछी नजरों से अपने बेटे के लंड को देखी तो वह अंदर ही अंदर एकदम सिहर उठे क्योंकि उसके बेटे का लंड कुछ ज्यादा ही मोटा और लंबा था जिसे अपनी चूत में लेने के लिए वह खुद फड़फड़ा रही थी,,, देखते ही देखते संजु अपनी मां को घोड़ी बनाकर पीछे से उसकी चूत में लंड डालकर चोदने शुरू कर दिया अपने बेटे के गर्म मोटे लंड को अपनी चूत में महसूस करके आराधना पूरी तरह से मस्त हो गई और मदहोशी में गरमागरम सिसकारियां लेने लगी संजू बड़ी मस्ती के साथ अपनी मां की चूत में धक्के लगा रहा था और देखते ही देखते दोनों एक साथ झड़ गए जैसे ही यह कल्पना टूटा संजू की सांसे गहरी चलने लगी वह अपने आप पर गौर किया तो वह पूरी तरह से उत्तेजित हो चुका था ,,, कुछ घंटों के अंतराल में ही संजू की उत्तेजना है तीसरी बार थी जिसमें वह पूरी तरह से उत्तेजित हो चुका था अपना नाश्ता खत्म करके अपनी मां को बिना कुछ बोले वह रसोई घर से बाहर चला गया,,,,,,
Sanju kalpna me apni ma ki panty utarte huye


दोपहर का समय हो गया था दोपहर का खाना खाकर तीनों घर में आराम कर रहे थे कुछ देर आराम करने के बाद मोहिनी अपनी सहेली के घर चली गई और संजू अपनी मां से बोला,,,।

चलो मम्मी आज तुम्हें मैं कहीं घुमा लाता हूं,,,

अरे नहीं मुझे नहीं जाना है तू भी जा कर घूम के आ जा,,,

यह क्या मम्मी आज रविवार का दिन है छुट्टी का दिन है चलो ना कहीं घूम कर आते हैं,,,,

अरे लेकिन घूम कर क्या करेंगे,,,

थोड़ी बहुत खरीदी कर लेंगे और क्या,,,,

अरे लेकिन मेरे पास पैसे नहीं है,,,,

अरे मम्मी तुम भी गजब करती हो मेरे पास तो है ना कोचिंग क्लास से अच्छी कमाई हो रही है तुम चिंता मत करो मेरे पास पैसे हैं तुम्हें जो मन करे वह खरीद लेना,,,
Saree utarte huye


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क्या बात है तू तो सच में बड़ा हो गया है,,,(और इतना कहने के साथ ही अपने मन में बोली और तेरे साथ साथ तेरा वह भी बहुत बड़ा हो गया है)

आखिर बेटा किसका हुं,,,,
(अपने बेटे के मुंह से इतना सुनकर खुश होते हुए आराधना उसे अपने गले लगाते हुए बोली)
मेरा बेटा है,,,,
(इतना कहते हुए वह उसकी पीठ पर अपनी हाथ फेरने लगी लेकिन उसे कहा मालूम था कि इस मौके का भी फायदा संजू उठा लेगा वह तुरंत अपनी बाहों में अपनी मां को कस लिया और उसके गले लगे हुए हैं वह अपनी दोनों हथेली को उसकी गोलाकार नितंबों पर रखकर उसे दबाते हुए अपनी तरफ खींच लिया ऐसा करने से पेंट में तना हुआ उसका लंड सीधे उसकी चूत पर दस्तक देने लगा इस बात का अहसास होते ही आराधना के तन बदन में आग लग गई उसके बदन में अजीब सी हलचल होने लगी वह कसमसा हाट महसूस करने लगी और गहरी सांस लेते हुए एक बहाने से अपने बेटे को अपने से अलग करते हुए बोली,,,)

Aradhna k blouse k button kholte huye

तू रूक में तैयार होकर आती हूं,,,,
(इतना कहने के साथ ही वह झट से अपने कमरे में चली गई और गहरी गहरी सांस लेने लगी उसे समझ में नहीं आ रहा था कि उसका बेटा इतनी जल्दी कैसे होते जीत हो जाता है वह साफ महसूस कर पा रही थी कि उसके बेटे का लंड पूरी तरह से खड़ा हो चुका था जो कि सीधे-सीधे साड़ी के ऊपर से ही उसकी चूत पर दस्तक दे रहा था साड़ी के ऊपर से ही अपनी चूत पर अपनी बेटी के लंड को महसूस करके आराधना समझ गई थी कि उसके बेटे का लंड बेहद दमदार है,,,, वह आईने के सामने खड़ी थी अभी भी उसकी सांसे दूरी चल रही थी वह तुरंत अपनी साड़ी उतारने लगी और देखते ही देखते आईने के सामने केवल ब्लाउज और पेटीकोट में खड़ी हो गई आईने में उसे साफ नजर आ रहा था कि उसकी चुचियों का आकार अभी भी जानलेवा था उसका कसाव किसी भी मर्द के पानी को पिघला देने के लिए सक्षम था,,, ना चाहते हुए भी अपने बेटे की हरकत से मदहोश होते हुए वह थोड़ा सा घूमकर आईने में अपनी गांड का उभार देखने लगी जो कि बेहद कातिलाना अंदाज में उभरा हुआ नजर आ रहा था आईने में अपनी गांड को देखकर वह मन में सोचने लगी कि कुछ देर पहले ही उसकी गांड को उसका बेटा अपनी हथेली में लेकर दबाया था, यह ख्याल अपने मन में आते ही उसकी चूत से काम रस टपकना शुरू हो गया,,,, बहुत ज्यादा देर लगाना नहीं चाहती थी क्योंकि उसे मालूम था कि थोड़ा भी देर होगा तो उसका बेटा कमरे में आ जाएगा और इस हालत में उसे देखकर ना जाने क्या घर बैठे अपने बेटे के बारे में सोच कर उसे थोड़ा गुस्सा भी आ रहा था लेकिन उसके होठों पर मुस्कान भी तैर रही थी जो किस बात का सबूत था कि उसके बेटे की हरकत उसे भी कहीं ना कहीं अच्छी लगती थी,,,
Kitchen floor par jhuka kar lete huye



थोड़ी ही देर में अपनी साड़ी बदल कर तैयार हो चुकी थी हल्का सा मेकअप करने के बाद वह आईने में अपने बदले हुए रूप को देखी तो खुद ही शर्मा गई,,, और जैसे ही अपने कमरे से बाहर आई तो संजु अपनी मां को देखा तो देखता ही रह गया,,, अपनी मां की खूबसूरती की चमक में उसकी आंखें चौंधिया जा रही थी और आश्चर्य से उसका मुंह खुला का खुला रह गया था अपने बेटे की हालत को देखकर आराधना मन ही मन खुश हो रही थी और बोली,,,।

ऐसे क्या देख रहा है पहले कभी देखा नहीं क्या,,,,(अपनी साड़ी का पल्लू ठीक करते हुए आराधना बोली)

अरे देखा तो बहुत बार हो लेकिन आज तुम सच में बहुत खूबसूरत लग रही हो ऐसा लग रहा है कि जैसे आसमान से कोई अप्सरा नीचे जमीन पर आ गई हो,,,
(अपने बेटे के मुंह से अपनी खूबसूरती की तारीफ सुनकर वह शर्म से पानी पानी हो जा रही थी और अपने बेटे को शांत करते हुए बोली)


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धत्,,,, पागलों जैसी बात करता है चल जल्दी देर हो रही है और लेकर कहां जा रहा है तू,,,

अरे मम्मी तुम चलो तो सही,,,,।
(और इतना कहने के साथ ही दोनों घर से बाहर आ गए और दरवाजा बंद करके ताला लगा दिए,,,, स्कूटी स्टार्ट करके वह दोनों पैर जमीन पर रखकर खड़ा हो गया और उसकी मां अपने बेटे के कंधे का सहारा लेकर पीछे बैठ गई संजू के तन बदन में उत्तेजना की लहर उठ रही थी ऐसा लग रहा था कि जैसे वह स्कूटी के पीछे अपनी मां को नहीं बल्कि अपनी प्रेमिका को बैठाकर कहीं घुमाने ले जा रहा है,,,, देखते ही देखते संजू की स्कूटी सड़क पर दौड़ने लगी दोपहर का समय होने की वजह से सड़क पर भीड़भाड़ बिल्कुल भी नहीं थी इसलिए संजू बड़े आराम से स्कूटी लेकर जा रहा था,,, आराधना के तन बदन में और उसके मन में अजीब सी हलचल हो रही थी उसे भी ऐसा महसूस हो रहा था कि जैसे वह अपने बेटे के साथ नहीं अपने प्रेमी के साथ घूमने जा रही हो क्योंकि उसने तैयार भी इसी तरह से हुई थी,,,, स्कूटी पर चलते हुए हवा के झोंकों से उसकी बाल की लट ए बार-बार उसके चेहरे पर आ जा रही थी जिसे वह अपनी हाथ की उंगलियों से लटको समझा कर अपने कान के पीछे ले जाने की कोशिश कर रही थी और बार-बार हवा के झोंकों से उसकी लटे उसे परेशान कर रही थी उसकी मां की यह हरकत संजू को स्कूटी में लगे शीशे में साफ नजर आ रही थी जिसे देखकर वह मन ही मन उत्तेजित हुआ जा रहा था,,,,,,,।

स्कूटी को संजू ज्यादा रफ्तार से नहीं भगा रहा था क्योंकि वह ज्यादा से ज्यादा समय अपनी मां के साथ गुजारना चाहता था अपने पीछे बैठा कर उसे बहुत अच्छा लग रहा था रह रह कर आराधना भी अपने बेटे के कंधे का सहारा ले लेती थी ऐसा करने से दोनों के बदन में अजीब सी हलचल हो जा रहे थे जब-जब संजू स्कूटी की ब्रेक लगा था तब तब आराधना आगे को सरक जाती और ऐसा करने से उसकी दाईं चूची सीधे जाकर उसकी पीठ से दब जाती थी और यह अनजाने में ही हुई हरकत की वजह से संजू के तन बदन में आग लग जाती थी संजू अपनी मां की चूची के आकार से अच्छी तरह से वाकिफ था इसलिए उसके बारे में कल्पना करने में उसे जरा भी दिक्कत नहीं पेश आती थी,,,, देखते ही देखते संजू काफी दूर आ गया था और अभी तक कहां जाना है इस बात का अंदाजा आराधना को बिल्कुल भी नहीं था इसलिए वह बोली,,,।

अरे बताएगा कि कहां जा रहा है,,,

क्या मम्मी तुम भी सिर्फ चुपचाप बैठी रहो मैं तुम्हें ले चलता हूं ना जहां चलना है,,,,

लेकिन कहां चलना है,,,

तुम्हारे लिए कुछ कपड़े खरीदने हैं,,,

मेरे लिए,,,(आराधना आश्चर्य जताते हुए बोली)

हां मम्मी तुम्हारे लिए,,,,


लेकिन मेरे पास तो कपड़ों की कोई कमी नहीं है,,

कमी है मम्मी जिस कपड़े की तुम्हें जरूरत है वह कपड़ा तुम्हारे पास नहीं है और मैं नहीं चाहता कि तुम मेरे होते हुए अपने बदन के किसी भी वस्त्र के लिए तरसती रह जाओ,,,



(अपने बेटे की यह बात सुनकर आराधना के तन बदन में हलचल सी मच ने लगी थी उसे समझ में नहीं आ रहा था कि उसका बेटा कौन से कपड़े की बात कर रहा है वह इस बात से बिल्कुल अनजान थी कि बाथरूम में टंगी उसकी छेद वाली पेंटिं को उसके बेटे ने देख लिया है और उसके साथ अपनी मनमानी करते हुए अपने लंड का लावा भी निकाल चुका है,,,, अपने बेटे की बात सुनकर आराधना बोली,,)

तेरी बातें मेरे पल्ले नहीं पड़ रही है चल देखती हूं कि तू क्या खरीदना चाहता है,,,

मैं जो भी खरीद लूंगा तुम्हारे बदन पर बहुत खूबसूरत लगेगा,,

यह बात है,,,

हां मम्मी मैं सच कह रहा हूं,,,,
(इतना कहते हुए उसकी स्कूटी उसी जगह से गुजरी जहां पर वह और मोहिनी दोनों ने अपने पिताजी को किसी अनजान लड़की के साथ गेस्ट हाउस में जाते हुए देखा था उस गेस्ट हाउस से गुजरते हुए संजू के मन में आया कि मम्मी को उस दिन वाली सारी बात बता दें और उन्हें भी अपने तरीके से जीने के लिए बोल दे लेकिन कुछ सोचकर वह शांत रहा,,, देखते ही देखते थोड़ी ही देर में वह दोनों बड़े से मोल के सामने पहुंच गए संजू स्कूटी खड़ा करने लगा तो स्कूटी पर बैठे-बैठे ही आराधना बोली,,,)

यह कहां लेकर आया संजू तु,,,

तुम्हारे लिए कपड़े खरीदने,,,

लेकिन मेरे पास कपड़े हैं तू खामखा इधर आ गया है,,,

सब कुछ तुम्हारे पास है लेकिन एक चीज तुम्हारे पास अभी भी ढंग की नहीं है,,,

क्या,,,?

बुरा ना मानो तो कहूं,,,,

नहीं मैं बुरा नहीं मानूंगी,,,(इतना कहते हुए भी आराधना का दिल जोरों से धड़क रहा था उसे समझ में नहीं आ रहा था कि उसका बेटा क्या कहने वाला है किस चीज के बारे में कह रहा है अभी तक उसे इस बात का अंदाजा तक नहीं था)


तुम्हारी चड्डी,,,(इतना कहने के साथ ही संजू इधर-उधर देखने लगा और अपनी जेब में जिसे वह घर से निकलने से पहले ही बाथरूम में जाकर अपनी मां की चड६ को अपनी जेब में रख लिया था उसे अपनी जेब से निकाल कर अपनी हथेली में लेकर अपनी मां को दिखाने लगा,,, एक तो पहले वह संजू के मुंह से चड्डी शब्द सुनकर एकदम से गनगना गई थी उसे समझ में नहीं आया कि उसका बेटा क्या कह रहा है,, लेकिन जब संजू की हथेली में अपनी चड्डी देखी तो एकदम शर्म से पानी पानी हो गई उसका बेटा साफ तौर पर उसकी चड्डी के बारे में ही बात कर रहा था आराधना को तो जैसे सांप सूंघ गया होगा एकदम से सन्न रह गई,,, वह इधर-उधर देखकर तुरंत अपने बेटे के हाथ से अपनी चड्डी ले ली,,,)

यह क्या है संजू यह कहां से लाया तु,,,,

बाथरूम में से वहां टंगी हुई थी लेकिन बीच में छेद है और मैं नहीं चाहता कि तुम इस तरह के खराब कपड़े पहनो,,,

कहां छेद है,,,, इतना ज्यादा भी नहीं था जो तू अपनी जेब में लेकर आ गया इसे तुझे शर्म नहीं आ रही थी,,,(इतना कहते हुए सबसे से नजरें बचाकर दीवार की तरफ मुंह करके अपनी चड्डी को अपने दोनों हाथों में लेकर फैलाने लगी ताकि कुछ छोटे से छेद को संजू को दिखा सके लेकिन जैसे ही आराधना उस व्यक्ति को अपने हाथ में लेकर खिलाई तो उसके होश उड़ गए क्योंकि छोटा सा छेंद एकदम बड़ा हो गया था,,,, जिस तरह से छोटा सा छेद एकदम बड़ा हो गया था उसी तरह से आश्चर्य से आराधना की आंखें फटी की फटी रह गई तो उसे समझ में नहीं आ रहा था कि छोटा सा छेद इतना बड़ा कैसे हो गया था उसे छेद को गौर से देखने पर आराधना को कुछ कुछ समझ आ रहा था कि जैसे उसकी गोलाई पूरी तरह से लंड के बराबर हो गई थी लेकिन आराधना यह निश्चय नहीं कर पा रही थी कि आखिरकार यह हुआ कैसे,,,, आराधना जहां हैरान थी वहीं दूसरी तरफ उसके बदन में उत्तेजना की लहर उठने लगी थी खास करके उसे अपनी चूत में गीलापन महसूस हो रहा था,,,, आराधना ना तो खुद समझ पा रही थी और ना ही अपनी बेटी को समझा पा रही थी,,,,। अपनी मां को इस तरह से आश्चर्य से अपनी चड्डी को देखते हुए देखकर संजू बोला,,,।)

लाओ मुझे दो और अंदर चलते हैं,,(इतना कहने के साथ ही संजू अपना हाथ बढ़ाया ही था की आराधना खुद उस चड्डी को अपना पर्स खोलकर उसमें भरली संजू से नजर तक मिलाने की उसने हिम्मत नहीं थी क्योंकि संजू ने उसके अंतर्वस्त्र उसकी चड्डी को अपने हाथ में ले लिया था और उसे जेब में रखकर यहां तक लाया था और खुद उसे उसकी पसंद की चड्डी दिलाने के लिए मॉल लेकर आया था यह सब आराधना के लिए शर्मनाक था वह शर्म से पानी पानी हो जा रही थी उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें,,,, लेकिन पलभर में ही उसके विवाहित जीवन की वह सारी घड़ियां याद आने लगी जिनमें विवाहित जीवन में एक भी वह पल नहीं था जिस पर उसके पति ने उसे उसके अंतर्वस्त्र उसे ब्रा पेंटी चड्डी दिलाने के लिए कपड़े की दुकान पर लेकर आया हो,,, उसके जीवन का यह पहला अवसर था जब उसे उसका ही बेटा उसके लिए चड्डी और ब्रा दीलाने के लिए लेकर आया था,,, अपने बेटे की बात मानते हुए अपनी आंखों में शर्म लिए हुए वह अपने बेटे के साथ मॉल की तरफ जाने लगी,,,,,
 
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Ajju Landwalia

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मोहिनी की अद्भुत कामलीला और और उसकी संभोग की छटपटाहट को देखते हुए आखिरी पल में संजू ने अपनी बहन को अपने नीचे लेकर जबरदस्त चुदाई का प्रदर्शन किया और अद्भुत संतुष्टि को प्राप्त किया उसके बाद बाथरूम में आते ही सामने टंगी पेंटी को हाथ में लेकर इधर-उधर करके देखने लगा,,, पेंटी की चौड़ाई और उसकी रूपरेखा को देख कर उसे समझते देर नहीं लगी कि यह पेंटिंग उसकी मां की है क्योंकि मोहिनी की पेंटी से वह अच्छी तरह से वाकिफ था क्योंकि हम रात को वह अपने हाथों से ही उतारता था अपनी मां की पेंटी अपने हाथ में लेते हैं फिर से उसके तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी कुछ मिनटों पहले ही वह अपनी बहन की चुदाई करके झड़ चुका था लेकिन एक बार फिर से उसके लंड में झनझनाहट होना शुरू हो गया था क्योंकि उसके हाथों में उसकी सपनों की रानी की चड्डी जो आ गई थी,,, चड्डी बिल्कुल भी धुली हुई नहीं थी चड्डी को देखकर संजू अपने मन में सोचने लगा कि शायद उसकी मां उसे धोना भूल गई है जल्दबाजी में उतार कर वही टांग दी होगी और फिर बाथरूम से बाहर निकल गई होगी,,,,,,
अपनी मां के बदन से उतरी हुई चड्डी हाथ में आते ही उसके तन बदन में होते सेना की जो लहर उठ रही थी उसे बयां करना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन था पल भर में उसका लंड लोहे की तरह कड़क हो चुका था जबकि जुदाई के बाद तुरंत खड़ा होने में कुछ मिनट का समय जरूर लगता था लेकिन उसकी उत्तेजना का केंद्र बिंदु जो उसके हाथ लग गया था इसके लिए लंड को खड़ा होने में ज्यादा समय नहीं लगा और वह भी 1 दिन की पहनी हुई पेंटी थी,,, राजू के तन बदन में उत्तेजना का संचार बड़ी तेजी से हो रहा था वह भी बाथरूम में घुसते ही अपने सारे कपड़े उतार कर नंगा हो चुका था,,,,, राजू के हाथों में उसकी खुद की उत्तेजना बढ़ाने का खिलौना हाथ लग गया था जिसे वह पूरी तरह से उपयोग में ले लेना चाहता था चड्डी को दोनों हाथों में पकड़ कर वहां उसे फैलाते हुए अपनी मां की गांड के आकार की कल्पना करने लगा और उस पेंटिं को देखकर अपने मन में सोचने लगा कि उसकी मां की भारी-भरकम गोल-गोल गांड इतनी सी पेंटी में कैसे समा जाती है,,,,,, संजू अपनी मां की पेंटिंग को गांड की तरफ से पकड़ा था और उसे अपने चेहरे पर रगडना शुरू कर दिया मानो कि जैसे वह अपनी मां की पेंटी नहीं बल्कि अपने चेहरे को अपनी मां की गांड के बीचों बीच धंशा कर रगड़ रहा हो,,, अपनी मां की यूज की हुई पेंटी को अपने चेहरे पर रगड़ने हुए उसे अद्भुत सुख की प्राप्ति हो रही थी,,,, अपनी मां की नंगी गांड की कल्पना करते हुए वह पूरी तरह से मस्त हुआ जा रहा था एक अद्भुत माधव खुशबू उस चड्डी से उठ रही थी जो कि संजू के सांसो में घुलकर उसके बदन में आग लगा रही थी,,,,,

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,, देखते ही देखते उस चड्डी का सहारा लेकर संजू उत्तेजना के परम शिखर पर पहुंचना चला जा रहा था अब वह एक हाथ से चड्डी को अपने चेहरे पर लगाते हुए दूसरे हाथ से अपने लंड को मुट्ठीयाना शुरू कर दिया था,,, तभी जैसे उसे कुछ याद आया हो वह तुरंत अपने लंड पर से अपना हाथ हटा कर फिर से अपनी मां की चड्डी को दोनों हाथों से पकड़ लिया और उसकी चूत वाली जगह को तलाश करने लगा दूसरी तरफ पलटने के बाद ही संजू को चड्डी के अंदर वह हिस्सा नजर आने लगा जिसमें उसकी मां की खूबसूरत चूत पर्दे के पीछे छुपी हुई होती है उस जगह को देखकर संजू पूरी तरह से हैरान रह गया था क्योंकि चूत वाली जगह पर उसकी मां की चड्डी मैं हल्का सा छेद बन चुका था देखने पर ही पता चल रही थी की पेंटिं पुरानी हो चुकी है,,, अपनी मां को अभी भी पुरानी पेंटिं पहनता हुआ देखकर संजू को थोड़ा दुख होने लगा,,,, लेकिन फिर अपनी मां की चड्डी में उस छोटे से बने हुए चेहरे को देखकर कुछ उसके दिमाग में चमक आने लगे और वह तुरंत अपनी मां की चड्डी को दोनों हाथों से पकड़ कर उस चूत वाली जगह पर बने छेद में अपने लंड के सुपाड़े को सटाकर उसके अंदर डालने की कोशिश करने लगा,,,,, संजू के लिए यह अनुभव बेहद अद्भुत और उत्तेजना आत्मक था वह पूरी तरह से मदहोश बजा रहा था अपनी मां की चड्डी में बने छोटे से छेद में धीरे-धीरे करके अपना पूरा लंड डाल दिया था और ऐसा लग रहा था कि जैसे वह अपनी मां की जल्दी में नहीं बल्कि अपनी मां की चूत में लंड डाल रहा हो वह पूरी तरह से उत्तेजना के महासागर में डुबकी लगाना शुरू कर दिया था दोनों हाथों से अपनी मां की चड्डी पकड़े बाद धीरे-धीरे उस छोटे से छेद में अपने लंड को डालकर आगे पीछे अपनी कमर हिलाना शुरू कर दिया था,,,

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तीन तीन औरतों का साथ होने के बावजूद भी संजीव को अपनी उत्तेजना शांत करने के लिए इस तरह का सहारा लेना पड़ रहा था जो कि यह दर्शा रहा था कि संजू का लगाओ उसकी मां की खूबसूरत बदन से कितना अधिक है वह अपनी मां को भोगने के लिए किस तरह से तत्पर है,, जोकि उसे अपनी मां की चूत और उसकी चड्डी में बने छोटे से छेद में जरा भी फर्क महसूस नहीं हो रहा है और वह उस छोटे से छेद को ही अपनी मां की चूत समझ कर अपनी गर्मी शांत करने का जुगाड़ कर रहा था देखते ही देखते संजू का मोटा तगड़ा लंड उस छोटे से छेद को और ज्यादा बड़ा कर दिया वह छोटा सा छेद संजू के लंड के गोलाई का छल्ला बन चुका था,,,,,, संजू के तन बदन में पूरी तरह से मदहोशी जाने लगी थी ऐसा लग रहा था कि जैसे वह अपनी आगोश में अपनी मां को लेकर उसकी चूत में अपना लंड पहल रहा हूं दोनों हाथों में पकड़ी गई अपनी मां की चड्डी को वह उसकी चिकनी कमर समझकर और जोर से दबाई जा रहा था और अपनी कमर का धक्का लगातार उस छोटी सी चड्डी पर बढ़ाए जा रहा था देखते ही देखते संजू की आंखें बंद हो चुकी थी वह अपने उत्तेजना के परम शिखर पर पहुंच चुका था किसी भी पल उसके लंड से लावा निकलने को तैयार हो चुका था,,,,,,,, और देखते ही देखते वह अपनी मां की चड्डी की हालत खराब करते हुए झड़ने लगा और झड़ने के साथ ही उसके मुंह से,,,ओहहहह मम्मी,,,,,ओहहहहह मम्मी,,, की आवाज निकलने लगी वह पूरी तरह से मदहोश हो चुका था अपनी मां की चड्डी को वह उसकी चूत समझकर अद्भुत हस्तमैथुन का कला प्रदर्शन किया था,,,,, वासना का तूफान शांत होने के बाद अपने लैंड में से अपनी मां की चड्डी को बाहर निकाल कर एक बार फिर से उस पर नजर दौड़ा या तो हैरान रह गया था वह छोटा सा छेद पूरी तरह से छल्ला बन चुका था और वह भी उसके लंड के गोलाई के माप का,,,।

थोड़ी ही देर में वह नहा कर बाहर आ चुका था,,,, और तैयार होकर रसोई घर में अपनी मां के पास जाकर खड़ा हो गया था और ठीक उसके पीछे जहां से उसकी मां का पिछवाड़ा उसे साफ नजर आ रहा था और वह भी कसी हुई साड़ी में नितंबों पर साड़ी की धार बहते हुए नदी की धार की तरह लग रही थी नितंबों में उठ रही थी थिरकन नदी में बहाव की तरह लग रहा था,,,, राजू अपनी मां की मदमस्त गांड को देखकर पूरी तरह से मदहोश हुआ जा रहा था,,, वह अपनी मां के द्वारा निकाले गए प्लेट में नाश्ता और चाय लेकर ठीक अपनी मां के पीछे कुर्सी लेकर बैठ गया था उसकी मां को अपने बेटे की मौजूदगी बहुत अजीब लग रही थी उसके तन बदन में कसमस आहट महसूस हो रही थी क्योंकि वह ठीक उसके पीछे बैठा हुआ था और एक औरत होने के नाते एक मर्द की नजर औरत के किस अंग पर पड़ती है या उसे भलीभांति मालूम था और उसे इसी बात का शक भी हो रहा था कि उसका बेटा जरूर उसके पीछे बैठकर उसकी थीरकती हुई गांड को देख रहा होगा और यही जानने के लिए अपने शक को मजबूत करने के लिए वह पीछे नजर घुमाकर देखी तो एकदम सन्न रह गई क्योंकि उसके सोच के मुताबिक उसका बेटा उसकी गोल-गोल गांड को ही देख रहा था,,,,,, नाश्ता करते हुए अपनी मां के बदन के बारे में सोच रहा था और कल्पना करने लगा था,,,, वहीं दूसरी तरफ आराधना से बिल्कुल भी सहज रहा नहीं जा रहा था वह असहजता महसूस कर रही थी उसके तन बदन में अजीब सी हलचल हो रही थी,, अपने बेटे के चुंबन की गर्मी को अपने अंदर महसूस कर चुकी थी उसके द्वारा स्तन मर्दन का आनंद रह चुकी थी इसलिए वह ना जाने क्यों पुरुष संसर्ग के लिए रह-रहकर तड़प उठती थी,,,,
Sanju ki kalpna



दोनों में किसी भी प्रकार की वार्तालाप नहीं हो रही थी दोनों अपने ही अपने मन में अपनी भावनाओं को लेकर परेशान हुए जा रहे थे संजू रसोई घर में अपनी मां को लेकर पूरी तरह से कल्पना के सागर में गोते लगाना शुरू कर दिया था वहां कल्पना कर रहा था कि काश अगर उसकी मां उसकी जज्बात को समझती तो वह उसके बेहद करीब जाकर उससे प्यार करता उसकी साड़ी को अपने हाथों से उठाकर उसकी नंगी चिकनी गांड को देखता उसे अपने हाथों से जोर-जोर से दबाता,,,, उसकी मां की गरम सिसकारियां उसकी उत्तेजना को और ज्यादा बढ़ाती,,, अपनी हरकतों से वह अपनी मां को पूरी तरह से कामातुर कर देता,,, उसके इस काम क्रीडा में उसकी मां भी उसका भरपूर सहयोग करती वह किचन फ्लोर पर ही झुक जाती और संजू को अपनी चड्डी उतारने की इजाजत दे देती और संजू भी उस मौके का फायदा उठाता हुआ,,, अपनी मां की चड्डी उतारने का सुख प्राप्त करने लगा कल्पना में उसे सब कुछ साफ नजर आ रहा था वह अपनी मां की चड्डी उतारकर खुद अपने कपड़े उतारने लगा और अपनी मां के सामने ही नंगा होकर अपना लड हिलाने लगा जो की पूरी तरह से कड़क हो चुका था,,,, आराधना तिरछी नजरों से अपने बेटे के लंड को देखी तो वह अंदर ही अंदर एकदम सिहर उठे क्योंकि उसके बेटे का लंड कुछ ज्यादा ही मोटा और लंबा था जिसे अपनी चूत में लेने के लिए वह खुद फड़फड़ा रही थी,,, देखते ही देखते संजु अपनी मां को घोड़ी बनाकर पीछे से उसकी चूत में लंड डालकर चोदने शुरू कर दिया अपने बेटे के गर्म मोटे लंड को अपनी चूत में महसूस करके आराधना पूरी तरह से मस्त हो गई और मदहोशी में गरमागरम सिसकारियां लेने लगी संजू बड़ी मस्ती के साथ अपनी मां की चूत में धक्के लगा रहा था और देखते ही देखते दोनों एक साथ झड़ गए जैसे ही यह कल्पना टूटा संजू की सांसे गहरी चलने लगी वह अपने आप पर गौर किया तो वह पूरी तरह से उत्तेजित हो चुका था ,,, कुछ घंटों के अंतराल में ही संजू की उत्तेजना है तीसरी बार थी जिसमें वह पूरी तरह से उत्तेजित हो चुका था अपना नाश्ता खत्म करके अपनी मां को बिना कुछ बोले वह रसोई घर से बाहर चला गया,,,,,,
Sanju kalpna me apni ma ki panty utarte huye


दोपहर का समय हो गया था दोपहर का खाना खाकर तीनों घर में आराम कर रहे थे कुछ देर आराम करने के बाद मोहिनी अपनी सहेली के घर चली गई और संजू अपनी मां से बोला,,,।

चलो मम्मी आज तुम्हें मैं कहीं घुमा लाता हूं,,,

अरे नहीं मुझे नहीं जाना है तू भी जा कर घूम के आ जा,,,

यह क्या मम्मी आज रविवार का दिन है छुट्टी का दिन है चलो ना कहीं घूम कर आते हैं,,,,

अरे लेकिन घूम कर क्या करेंगे,,,

थोड़ी बहुत खरीदी कर लेंगे और क्या,,,,

अरे लेकिन मेरे पास पैसे नहीं है,,,,

अरे मम्मी तुम भी गजब करती हो मेरे पास तो है ना कोचिंग क्लास से अच्छी कमाई हो रही है तुम चिंता मत करो मेरे पास पैसे हैं तुम्हें जो मन करे वह खरीद लेना,,,
Saree utarte huye


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क्या बात है तू तो सच में बड़ा हो गया है,,,(और इतना कहने के साथ ही अपने मन में बोली और तेरे साथ साथ तेरा वह भी बहुत बड़ा हो गया है)

आखिर बेटा किसका हुं,,,,
(अपने बेटे के मुंह से इतना सुनकर खुश होते हुए आराधना उसे अपने गले लगाते हुए बोली)
मेरा बेटा है,,,,
(इतना कहते हुए वह उसकी पीठ पर अपनी हाथ फेरने लगी लेकिन उसे कहा मालूम था कि इस मौके का भी फायदा संजू उठा लेगा वह तुरंत अपनी बाहों में अपनी मां को कस लिया और उसके गले लगे हुए हैं वह अपनी दोनों हथेली को उसकी गोलाकार नितंबों पर रखकर उसे दबाते हुए अपनी तरफ खींच लिया ऐसा करने से पेंट में तना हुआ उसका लंड सीधे उसकी चूत पर दस्तक देने लगा इस बात का अहसास होते ही आराधना के तन बदन में आग लग गई उसके बदन में अजीब सी हलचल होने लगी वह कसमसा हाट महसूस करने लगी और गहरी सांस लेते हुए एक बहाने से अपने बेटे को अपने से अलग करते हुए बोली,,,)

Aradhna k blouse k button kholte huye

तू रूक में तैयार होकर आती हूं,,,,
(इतना कहने के साथ ही वह झट से अपने कमरे में चली गई और गहरी गहरी सांस लेने लगी उसे समझ में नहीं आ रहा था कि उसका बेटा इतनी जल्दी कैसे होते जीत हो जाता है वह साफ महसूस कर पा रही थी कि उसके बेटे का लंड पूरी तरह से खड़ा हो चुका था जो कि सीधे-सीधे साड़ी के ऊपर से ही उसकी चूत पर दस्तक दे रहा था साड़ी के ऊपर से ही अपनी चूत पर अपनी बेटी के लंड को महसूस करके आराधना समझ गई थी कि उसके बेटे का लंड बेहद दमदार है,,,, वह आईने के सामने खड़ी थी अभी भी उसकी सांसे दूरी चल रही थी वह तुरंत अपनी साड़ी उतारने लगी और देखते ही देखते आईने के सामने केवल ब्लाउज और पेटीकोट में खड़ी हो गई आईने में उसे साफ नजर आ रहा था कि उसकी चुचियों का आकार अभी भी जानलेवा था उसका कसाव किसी भी मर्द के पानी को पिघला देने के लिए सक्षम था,,, ना चाहते हुए भी अपने बेटे की हरकत से मदहोश होते हुए वह थोड़ा सा घूमकर आईने में अपनी गांड का उभार देखने लगी जो कि बेहद कातिलाना अंदाज में उभरा हुआ नजर आ रहा था आईने में अपनी गांड को देखकर वह मन में सोचने लगी कि कुछ देर पहले ही उसकी गांड को उसका बेटा अपनी हथेली में लेकर दबाया था, यह ख्याल अपने मन में आते ही उसकी चूत से काम रस टपकना शुरू हो गया,,,, बहुत ज्यादा देर लगाना नहीं चाहती थी क्योंकि उसे मालूम था कि थोड़ा भी देर होगा तो उसका बेटा कमरे में आ जाएगा और इस हालत में उसे देखकर ना जाने क्या घर बैठे अपने बेटे के बारे में सोच कर उसे थोड़ा गुस्सा भी आ रहा था लेकिन उसके होठों पर मुस्कान भी तैर रही थी जो किस बात का सबूत था कि उसके बेटे की हरकत उसे भी कहीं ना कहीं अच्छी लगती थी,,,
Kitchen floor par jhuka kar lete huye



थोड़ी ही देर में अपनी साड़ी बदल कर तैयार हो चुकी थी हल्का सा मेकअप करने के बाद वह आईने में अपने बदले हुए रूप को देखी तो खुद ही शर्मा गई,,, और जैसे ही अपने कमरे से बाहर आई तो संजु अपनी मां को देखा तो देखता ही रह गया,,, अपनी मां की खूबसूरती की चमक में उसकी आंखें चौंधिया जा रही थी और आश्चर्य से उसका मुंह खुला का खुला रह गया था अपने बेटे की हालत को देखकर आराधना मन ही मन खुश हो रही थी और बोली,,,।

ऐसे क्या देख रहा है पहले कभी देखा नहीं क्या,,,,(अपनी साड़ी का पल्लू ठीक करते हुए आराधना बोली)

अरे देखा तो बहुत बार हो लेकिन आज तुम सच में बहुत खूबसूरत लग रही हो ऐसा लग रहा है कि जैसे आसमान से कोई अप्सरा नीचे जमीन पर आ गई हो,,,
(अपने बेटे के मुंह से अपनी खूबसूरती की तारीफ सुनकर वह शर्म से पानी पानी हो जा रही थी और अपने बेटे को शांत करते हुए बोली)


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धत्,,,, पागलों जैसी बात करता है चल जल्दी देर हो रही है और लेकर कहां जा रहा है तू,,,

अरे मम्मी तुम चलो तो सही,,,,।
(और इतना कहने के साथ ही दोनों घर से बाहर आ गए और दरवाजा बंद करके ताला लगा दिए,,,, स्कूटी स्टार्ट करके वह दोनों पैर जमीन पर रखकर खड़ा हो गया और उसकी मां अपने बेटे के कंधे का सहारा लेकर पीछे बैठ गई संजू के तन बदन में उत्तेजना की लहर उठ रही थी ऐसा लग रहा था कि जैसे वह स्कूटी के पीछे अपनी मां को नहीं बल्कि अपनी प्रेमिका को बैठाकर कहीं घुमाने ले जा रहा है,,,, देखते ही देखते संजू की स्कूटी सड़क पर दौड़ने लगी दोपहर का समय होने की वजह से सड़क पर भीड़भाड़ बिल्कुल भी नहीं थी इसलिए संजू बड़े आराम से स्कूटी लेकर जा रहा था,,, आराधना के तन बदन में और उसके मन में अजीब सी हलचल हो रही थी उसे भी ऐसा महसूस हो रहा था कि जैसे वह अपने बेटे के साथ नहीं अपने प्रेमी के साथ घूमने जा रही हो क्योंकि उसने तैयार भी इसी तरह से हुई थी,,,, स्कूटी पर चलते हुए हवा के झोंकों से उसकी बाल की लट ए बार-बार उसके चेहरे पर आ जा रही थी जिसे वह अपनी हाथ की उंगलियों से लटको समझा कर अपने कान के पीछे ले जाने की कोशिश कर रही थी और बार-बार हवा के झोंकों से उसकी लटे उसे परेशान कर रही थी उसकी मां की यह हरकत संजू को स्कूटी में लगे शीशे में साफ नजर आ रही थी जिसे देखकर वह मन ही मन उत्तेजित हुआ जा रहा था,,,,,,,।

स्कूटी को संजू ज्यादा रफ्तार से नहीं भगा रहा था क्योंकि वह ज्यादा से ज्यादा समय अपनी मां के साथ गुजारना चाहता था अपने पीछे बैठा कर उसे बहुत अच्छा लग रहा था रह रह कर आराधना भी अपने बेटे के कंधे का सहारा ले लेती थी ऐसा करने से दोनों के बदन में अजीब सी हलचल हो जा रहे थे जब-जब संजू स्कूटी की ब्रेक लगा था तब तब आराधना आगे को सरक जाती और ऐसा करने से उसकी दाईं चूची सीधे जाकर उसकी पीठ से दब जाती थी और यह अनजाने में ही हुई हरकत की वजह से संजू के तन बदन में आग लग जाती थी संजू अपनी मां की चूची के आकार से अच्छी तरह से वाकिफ था इसलिए उसके बारे में कल्पना करने में उसे जरा भी दिक्कत नहीं पेश आती थी,,,, देखते ही देखते संजू काफी दूर आ गया था और अभी तक कहां जाना है इस बात का अंदाजा आराधना को बिल्कुल भी नहीं था इसलिए वह बोली,,,।

अरे बताएगा कि कहां जा रहा है,,,

क्या मम्मी तुम भी सिर्फ चुपचाप बैठी रहो मैं तुम्हें ले चलता हूं ना जहां चलना है,,,,

लेकिन कहां चलना है,,,

तुम्हारे लिए कुछ कपड़े खरीदने हैं,,,

मेरे लिए,,,(आराधना आश्चर्य जताते हुए बोली)

हां मम्मी तुम्हारे लिए,,,,


लेकिन मेरे पास तो कपड़ों की कोई कमी नहीं है,,

कमी है मम्मी जिस कपड़े की तुम्हें जरूरत है वह कपड़ा तुम्हारे पास नहीं है और मैं नहीं चाहता कि तुम मेरे होते हुए अपने बदन के किसी भी वस्त्र के लिए तरसती रह जाओ,,,



(अपने बेटे की यह बात सुनकर आराधना के तन बदन में हलचल सी मच ने लगी थी उसे समझ में नहीं आ रहा था कि उसका बेटा कौन से कपड़े की बात कर रहा है वह इस बात से बिल्कुल अनजान थी कि बाथरूम में टंगी उसकी छेद वाली पेंटिं को उसके बेटे ने देख लिया है और उसके साथ अपनी मनमानी करते हुए अपने लंड का लावा भी निकाल चुका है,,,, अपने बेटे की बात सुनकर आराधना बोली,,)

तेरी बातें मेरे पल्ले नहीं पड़ रही है चल देखती हूं कि तू क्या खरीदना चाहता है,,,

मैं जो भी खरीद लूंगा तुम्हारे बदन पर बहुत खूबसूरत लगेगा,,

यह बात है,,,

हां मम्मी मैं सच कह रहा हूं,,,,
(इतना कहते हुए उसकी स्कूटी उसी जगह से गुजरी जहां पर वह और मोहिनी दोनों ने अपने पिताजी को किसी अनजान लड़की के साथ गेस्ट हाउस में जाते हुए देखा था उस गेस्ट हाउस से गुजरते हुए संजू के मन में आया कि मम्मी को उस दिन वाली सारी बात बता दें और उन्हें भी अपने तरीके से जीने के लिए बोल दे लेकिन कुछ सोचकर वह शांत रहा,,, देखते ही देखते थोड़ी ही देर में वह दोनों बड़े से मोल के सामने पहुंच गए संजू स्कूटी खड़ा करने लगा तो स्कूटी पर बैठे-बैठे ही आराधना बोली,,,)

यह कहां लेकर आया संजू तु,,,

तुम्हारे लिए कपड़े खरीदने,,,

लेकिन मेरे पास कपड़े हैं तू खामखा इधर आ गया है,,,

सब कुछ तुम्हारे पास है लेकिन एक चीज तुम्हारे पास अभी भी ढंग की नहीं है,,,

क्या,,,?

बुरा ना मानो तो कहूं,,,,

नहीं मैं बुरा नहीं मानूंगी,,,(इतना कहते हुए भी आराधना का दिल जोरों से धड़क रहा था उसे समझ में नहीं आ रहा था कि उसका बेटा क्या कहने वाला है किस चीज के बारे में कह रहा है अभी तक उसे इस बात का अंदाजा तक नहीं था)


तुम्हारी चड्डी,,,(इतना कहने के साथ ही संजू इधर-उधर देखने लगा और अपनी जेब में जिसे वह घर से निकलने से पहले ही बाथरूम में जाकर अपनी मां की चड६ को अपनी जेब में रख लिया था उसे अपनी जेब से निकाल कर अपनी हथेली में लेकर अपनी मां को दिखाने लगा,,, एक तो पहले वह संजू के मुंह से चड्डी शब्द सुनकर एकदम से गनगना गई थी उसे समझ में नहीं आया कि उसका बेटा क्या कह रहा है,, लेकिन जब संजू की हथेली में अपनी चड्डी देखी तो एकदम शर्म से पानी पानी हो गई उसका बेटा साफ तौर पर उसकी चड्डी के बारे में ही बात कर रहा था आराधना को तो जैसे सांप सूंघ गया होगा एकदम से सन्न रह गई,,, वह इधर-उधर देखकर तुरंत अपने बेटे के हाथ से अपनी चड्डी ले ली,,,)

यह क्या है संजू यह कहां से लाया तु,,,,

बाथरूम में से वहां टंगी हुई थी लेकिन बीच में छेद है और मैं नहीं चाहता कि तुम इस तरह के खराब कपड़े पहनो,,,

कहां छेद है,,,, इतना ज्यादा भी नहीं था जो तू अपनी जेब में लेकर आ गया इसे तुझे शर्म नहीं आ रही थी,,,(इतना कहते हुए सबसे से नजरें बचाकर दीवार की तरफ मुंह करके अपनी चड्डी को अपने दोनों हाथों में लेकर फैलाने लगी ताकि कुछ छोटे से छेद को संजू को दिखा सके लेकिन जैसे ही आराधना उस व्यक्ति को अपने हाथ में लेकर खिलाई तो उसके होश उड़ गए क्योंकि छोटा सा छेंद एकदम बड़ा हो गया था,,,, जिस तरह से छोटा सा छेद एकदम बड़ा हो गया था उसी तरह से आश्चर्य से आराधना की आंखें फटी की फटी रह गई तो उसे समझ में नहीं आ रहा था कि छोटा सा छेद इतना बड़ा कैसे हो गया था उसे छेद को गौर से देखने पर आराधना को कुछ कुछ समझ आ रहा था कि जैसे उसकी गोलाई पूरी तरह से लंड के बराबर हो गई थी लेकिन आराधना यह निश्चय नहीं कर पा रही थी कि आखिरकार यह हुआ कैसे,,,, आराधना जहां हैरान थी वहीं दूसरी तरफ उसके बदन में उत्तेजना की लहर उठने लगी थी खास करके उसे अपनी चूत में गीलापन महसूस हो रहा था,,,, आराधना ना तो खुद समझ पा रही थी और ना ही अपनी बेटी को समझा पा रही थी,,,,। अपनी मां को इस तरह से आश्चर्य से अपनी चड्डी को देखते हुए देखकर संजू बोला,,,।)

लाओ मुझे दो और अंदर चलते हैं,,(इतना कहने के साथ ही संजू अपना हाथ बढ़ाया ही था की आराधना खुद उस चड्डी को अपना पर्स खोलकर उसमें भरली संजू से नजर तक मिलाने की उसने हिम्मत नहीं थी क्योंकि संजू ने उसके अंतर्वस्त्र उसकी चड्डी को अपने हाथ में ले लिया था और उसे जेब में रखकर यहां तक लाया था और खुद उसे उसकी पसंद की चड्डी दिलाने के लिए मॉल लेकर आया था यह सब आराधना के लिए शर्मनाक था वह शर्म से पानी पानी हो जा रही थी उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें,,,, लेकिन पलभर में ही उसके विवाहित जीवन की वह सारी घड़ियां याद आने लगी जिनमें विवाहित जीवन में एक भी वह पल नहीं था जिस पर उसके पति ने उसे उसके अंतर्वस्त्र उसे ब्रा पेंटी चड्डी दिलाने के लिए कपड़े की दुकान पर लेकर आया हो,,, उसके जीवन का यह पहला अवसर था जब उसे उसका ही बेटा उसके लिए चड्डी और ब्रा दीलाने के लिए लेकर आया था,,, अपने बेटे की बात मानते हुए अपनी आंखों में शर्म लिए हुए वह अपने बेटे के साथ मॉल की तरफ जाने लगी,,,,,


Ekdum Jhakkas update Rohnny Bhai,

Aardhana ab dheere dheere Sanju ke sath khulne lagi he.............

Keep posting Bhai
 

Raj_sharma

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मोहिनी की अद्भुत कामलीला और और उसकी संभोग की छटपटाहट को देखते हुए आखिरी पल में संजू ने अपनी बहन को अपने नीचे लेकर जबरदस्त चुदाई का प्रदर्शन किया और अद्भुत संतुष्टि को प्राप्त किया उसके बाद बाथरूम में आते ही सामने टंगी पेंटी को हाथ में लेकर इधर-उधर करके देखने लगा,,, पेंटी की चौड़ाई और उसकी रूपरेखा को देख कर उसे समझते देर नहीं लगी कि यह पेंटिंग उसकी मां की है क्योंकि मोहिनी की पेंटी से वह अच्छी तरह से वाकिफ था क्योंकि हम रात को वह अपने हाथों से ही उतारता था अपनी मां की पेंटी अपने हाथ में लेते हैं फिर से उसके तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी कुछ मिनटों पहले ही वह अपनी बहन की चुदाई करके झड़ चुका था लेकिन एक बार फिर से उसके लंड में झनझनाहट होना शुरू हो गया था क्योंकि उसके हाथों में उसकी सपनों की रानी की चड्डी जो आ गई थी,,, चड्डी बिल्कुल भी धुली हुई नहीं थी चड्डी को देखकर संजू अपने मन में सोचने लगा कि शायद उसकी मां उसे धोना भूल गई है जल्दबाजी में उतार कर वही टांग दी होगी और फिर बाथरूम से बाहर निकल गई होगी,,,,,,
अपनी मां के बदन से उतरी हुई चड्डी हाथ में आते ही उसके तन बदन में होते सेना की जो लहर उठ रही थी उसे बयां करना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन था पल भर में उसका लंड लोहे की तरह कड़क हो चुका था जबकि जुदाई के बाद तुरंत खड़ा होने में कुछ मिनट का समय जरूर लगता था लेकिन उसकी उत्तेजना का केंद्र बिंदु जो उसके हाथ लग गया था इसके लिए लंड को खड़ा होने में ज्यादा समय नहीं लगा और वह भी 1 दिन की पहनी हुई पेंटी थी,,, राजू के तन बदन में उत्तेजना का संचार बड़ी तेजी से हो रहा था वह भी बाथरूम में घुसते ही अपने सारे कपड़े उतार कर नंगा हो चुका था,,,,, राजू के हाथों में उसकी खुद की उत्तेजना बढ़ाने का खिलौना हाथ लग गया था जिसे वह पूरी तरह से उपयोग में ले लेना चाहता था चड्डी को दोनों हाथों में पकड़ कर वहां उसे फैलाते हुए अपनी मां की गांड के आकार की कल्पना करने लगा और उस पेंटिं को देखकर अपने मन में सोचने लगा कि उसकी मां की भारी-भरकम गोल-गोल गांड इतनी सी पेंटी में कैसे समा जाती है,,,,,, संजू अपनी मां की पेंटिंग को गांड की तरफ से पकड़ा था और उसे अपने चेहरे पर रगडना शुरू कर दिया मानो कि जैसे वह अपनी मां की पेंटी नहीं बल्कि अपने चेहरे को अपनी मां की गांड के बीचों बीच धंशा कर रगड़ रहा हो,,, अपनी मां की यूज की हुई पेंटी को अपने चेहरे पर रगड़ने हुए उसे अद्भुत सुख की प्राप्ति हो रही थी,,,, अपनी मां की नंगी गांड की कल्पना करते हुए वह पूरी तरह से मस्त हुआ जा रहा था एक अद्भुत माधव खुशबू उस चड्डी से उठ रही थी जो कि संजू के सांसो में घुलकर उसके बदन में आग लगा रही थी,,,,,

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,, देखते ही देखते उस चड्डी का सहारा लेकर संजू उत्तेजना के परम शिखर पर पहुंचना चला जा रहा था अब वह एक हाथ से चड्डी को अपने चेहरे पर लगाते हुए दूसरे हाथ से अपने लंड को मुट्ठीयाना शुरू कर दिया था,,, तभी जैसे उसे कुछ याद आया हो वह तुरंत अपने लंड पर से अपना हाथ हटा कर फिर से अपनी मां की चड्डी को दोनों हाथों से पकड़ लिया और उसकी चूत वाली जगह को तलाश करने लगा दूसरी तरफ पलटने के बाद ही संजू को चड्डी के अंदर वह हिस्सा नजर आने लगा जिसमें उसकी मां की खूबसूरत चूत पर्दे के पीछे छुपी हुई होती है उस जगह को देखकर संजू पूरी तरह से हैरान रह गया था क्योंकि चूत वाली जगह पर उसकी मां की चड्डी मैं हल्का सा छेद बन चुका था देखने पर ही पता चल रही थी की पेंटिं पुरानी हो चुकी है,,, अपनी मां को अभी भी पुरानी पेंटिं पहनता हुआ देखकर संजू को थोड़ा दुख होने लगा,,,, लेकिन फिर अपनी मां की चड्डी में उस छोटे से बने हुए चेहरे को देखकर कुछ उसके दिमाग में चमक आने लगे और वह तुरंत अपनी मां की चड्डी को दोनों हाथों से पकड़ कर उस चूत वाली जगह पर बने छेद में अपने लंड के सुपाड़े को सटाकर उसके अंदर डालने की कोशिश करने लगा,,,,, संजू के लिए यह अनुभव बेहद अद्भुत और उत्तेजना आत्मक था वह पूरी तरह से मदहोश बजा रहा था अपनी मां की चड्डी में बने छोटे से छेद में धीरे-धीरे करके अपना पूरा लंड डाल दिया था और ऐसा लग रहा था कि जैसे वह अपनी मां की जल्दी में नहीं बल्कि अपनी मां की चूत में लंड डाल रहा हो वह पूरी तरह से उत्तेजना के महासागर में डुबकी लगाना शुरू कर दिया था दोनों हाथों से अपनी मां की चड्डी पकड़े बाद धीरे-धीरे उस छोटे से छेद में अपने लंड को डालकर आगे पीछे अपनी कमर हिलाना शुरू कर दिया था,,,

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तीन तीन औरतों का साथ होने के बावजूद भी संजीव को अपनी उत्तेजना शांत करने के लिए इस तरह का सहारा लेना पड़ रहा था जो कि यह दर्शा रहा था कि संजू का लगाओ उसकी मां की खूबसूरत बदन से कितना अधिक है वह अपनी मां को भोगने के लिए किस तरह से तत्पर है,, जोकि उसे अपनी मां की चूत और उसकी चड्डी में बने छोटे से छेद में जरा भी फर्क महसूस नहीं हो रहा है और वह उस छोटे से छेद को ही अपनी मां की चूत समझ कर अपनी गर्मी शांत करने का जुगाड़ कर रहा था देखते ही देखते संजू का मोटा तगड़ा लंड उस छोटे से छेद को और ज्यादा बड़ा कर दिया वह छोटा सा छेद संजू के लंड के गोलाई का छल्ला बन चुका था,,,,,, संजू के तन बदन में पूरी तरह से मदहोशी जाने लगी थी ऐसा लग रहा था कि जैसे वह अपनी आगोश में अपनी मां को लेकर उसकी चूत में अपना लंड पहल रहा हूं दोनों हाथों में पकड़ी गई अपनी मां की चड्डी को वह उसकी चिकनी कमर समझकर और जोर से दबाई जा रहा था और अपनी कमर का धक्का लगातार उस छोटी सी चड्डी पर बढ़ाए जा रहा था देखते ही देखते संजू की आंखें बंद हो चुकी थी वह अपने उत्तेजना के परम शिखर पर पहुंच चुका था किसी भी पल उसके लंड से लावा निकलने को तैयार हो चुका था,,,,,,,, और देखते ही देखते वह अपनी मां की चड्डी की हालत खराब करते हुए झड़ने लगा और झड़ने के साथ ही उसके मुंह से,,,ओहहहह मम्मी,,,,,ओहहहहह मम्मी,,, की आवाज निकलने लगी वह पूरी तरह से मदहोश हो चुका था अपनी मां की चड्डी को वह उसकी चूत समझकर अद्भुत हस्तमैथुन का कला प्रदर्शन किया था,,,,, वासना का तूफान शांत होने के बाद अपने लैंड में से अपनी मां की चड्डी को बाहर निकाल कर एक बार फिर से उस पर नजर दौड़ा या तो हैरान रह गया था वह छोटा सा छेद पूरी तरह से छल्ला बन चुका था और वह भी उसके लंड के गोलाई के माप का,,,।

थोड़ी ही देर में वह नहा कर बाहर आ चुका था,,,, और तैयार होकर रसोई घर में अपनी मां के पास जाकर खड़ा हो गया था और ठीक उसके पीछे जहां से उसकी मां का पिछवाड़ा उसे साफ नजर आ रहा था और वह भी कसी हुई साड़ी में नितंबों पर साड़ी की धार बहते हुए नदी की धार की तरह लग रही थी नितंबों में उठ रही थी थिरकन नदी में बहाव की तरह लग रहा था,,,, राजू अपनी मां की मदमस्त गांड को देखकर पूरी तरह से मदहोश हुआ जा रहा था,,, वह अपनी मां के द्वारा निकाले गए प्लेट में नाश्ता और चाय लेकर ठीक अपनी मां के पीछे कुर्सी लेकर बैठ गया था उसकी मां को अपने बेटे की मौजूदगी बहुत अजीब लग रही थी उसके तन बदन में कसमस आहट महसूस हो रही थी क्योंकि वह ठीक उसके पीछे बैठा हुआ था और एक औरत होने के नाते एक मर्द की नजर औरत के किस अंग पर पड़ती है या उसे भलीभांति मालूम था और उसे इसी बात का शक भी हो रहा था कि उसका बेटा जरूर उसके पीछे बैठकर उसकी थीरकती हुई गांड को देख रहा होगा और यही जानने के लिए अपने शक को मजबूत करने के लिए वह पीछे नजर घुमाकर देखी तो एकदम सन्न रह गई क्योंकि उसके सोच के मुताबिक उसका बेटा उसकी गोल-गोल गांड को ही देख रहा था,,,,,, नाश्ता करते हुए अपनी मां के बदन के बारे में सोच रहा था और कल्पना करने लगा था,,,, वहीं दूसरी तरफ आराधना से बिल्कुल भी सहज रहा नहीं जा रहा था वह असहजता महसूस कर रही थी उसके तन बदन में अजीब सी हलचल हो रही थी,, अपने बेटे के चुंबन की गर्मी को अपने अंदर महसूस कर चुकी थी उसके द्वारा स्तन मर्दन का आनंद रह चुकी थी इसलिए वह ना जाने क्यों पुरुष संसर्ग के लिए रह-रहकर तड़प उठती थी,,,,
Sanju ki kalpna



दोनों में किसी भी प्रकार की वार्तालाप नहीं हो रही थी दोनों अपने ही अपने मन में अपनी भावनाओं को लेकर परेशान हुए जा रहे थे संजू रसोई घर में अपनी मां को लेकर पूरी तरह से कल्पना के सागर में गोते लगाना शुरू कर दिया था वहां कल्पना कर रहा था कि काश अगर उसकी मां उसकी जज्बात को समझती तो वह उसके बेहद करीब जाकर उससे प्यार करता उसकी साड़ी को अपने हाथों से उठाकर उसकी नंगी चिकनी गांड को देखता उसे अपने हाथों से जोर-जोर से दबाता,,,, उसकी मां की गरम सिसकारियां उसकी उत्तेजना को और ज्यादा बढ़ाती,,, अपनी हरकतों से वह अपनी मां को पूरी तरह से कामातुर कर देता,,, उसके इस काम क्रीडा में उसकी मां भी उसका भरपूर सहयोग करती वह किचन फ्लोर पर ही झुक जाती और संजू को अपनी चड्डी उतारने की इजाजत दे देती और संजू भी उस मौके का फायदा उठाता हुआ,,, अपनी मां की चड्डी उतारने का सुख प्राप्त करने लगा कल्पना में उसे सब कुछ साफ नजर आ रहा था वह अपनी मां की चड्डी उतारकर खुद अपने कपड़े उतारने लगा और अपनी मां के सामने ही नंगा होकर अपना लड हिलाने लगा जो की पूरी तरह से कड़क हो चुका था,,,, आराधना तिरछी नजरों से अपने बेटे के लंड को देखी तो वह अंदर ही अंदर एकदम सिहर उठे क्योंकि उसके बेटे का लंड कुछ ज्यादा ही मोटा और लंबा था जिसे अपनी चूत में लेने के लिए वह खुद फड़फड़ा रही थी,,, देखते ही देखते संजु अपनी मां को घोड़ी बनाकर पीछे से उसकी चूत में लंड डालकर चोदने शुरू कर दिया अपने बेटे के गर्म मोटे लंड को अपनी चूत में महसूस करके आराधना पूरी तरह से मस्त हो गई और मदहोशी में गरमागरम सिसकारियां लेने लगी संजू बड़ी मस्ती के साथ अपनी मां की चूत में धक्के लगा रहा था और देखते ही देखते दोनों एक साथ झड़ गए जैसे ही यह कल्पना टूटा संजू की सांसे गहरी चलने लगी वह अपने आप पर गौर किया तो वह पूरी तरह से उत्तेजित हो चुका था ,,, कुछ घंटों के अंतराल में ही संजू की उत्तेजना है तीसरी बार थी जिसमें वह पूरी तरह से उत्तेजित हो चुका था अपना नाश्ता खत्म करके अपनी मां को बिना कुछ बोले वह रसोई घर से बाहर चला गया,,,,,,
Sanju kalpna me apni ma ki panty utarte huye


दोपहर का समय हो गया था दोपहर का खाना खाकर तीनों घर में आराम कर रहे थे कुछ देर आराम करने के बाद मोहिनी अपनी सहेली के घर चली गई और संजू अपनी मां से बोला,,,।

चलो मम्मी आज तुम्हें मैं कहीं घुमा लाता हूं,,,

अरे नहीं मुझे नहीं जाना है तू भी जा कर घूम के आ जा,,,

यह क्या मम्मी आज रविवार का दिन है छुट्टी का दिन है चलो ना कहीं घूम कर आते हैं,,,,

अरे लेकिन घूम कर क्या करेंगे,,,

थोड़ी बहुत खरीदी कर लेंगे और क्या,,,,

अरे लेकिन मेरे पास पैसे नहीं है,,,,

अरे मम्मी तुम भी गजब करती हो मेरे पास तो है ना कोचिंग क्लास से अच्छी कमाई हो रही है तुम चिंता मत करो मेरे पास पैसे हैं तुम्हें जो मन करे वह खरीद लेना,,,
Saree utarte huye


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क्या बात है तू तो सच में बड़ा हो गया है,,,(और इतना कहने के साथ ही अपने मन में बोली और तेरे साथ साथ तेरा वह भी बहुत बड़ा हो गया है)

आखिर बेटा किसका हुं,,,,
(अपने बेटे के मुंह से इतना सुनकर खुश होते हुए आराधना उसे अपने गले लगाते हुए बोली)
मेरा बेटा है,,,,
(इतना कहते हुए वह उसकी पीठ पर अपनी हाथ फेरने लगी लेकिन उसे कहा मालूम था कि इस मौके का भी फायदा संजू उठा लेगा वह तुरंत अपनी बाहों में अपनी मां को कस लिया और उसके गले लगे हुए हैं वह अपनी दोनों हथेली को उसकी गोलाकार नितंबों पर रखकर उसे दबाते हुए अपनी तरफ खींच लिया ऐसा करने से पेंट में तना हुआ उसका लंड सीधे उसकी चूत पर दस्तक देने लगा इस बात का अहसास होते ही आराधना के तन बदन में आग लग गई उसके बदन में अजीब सी हलचल होने लगी वह कसमसा हाट महसूस करने लगी और गहरी सांस लेते हुए एक बहाने से अपने बेटे को अपने से अलग करते हुए बोली,,,)

Aradhna k blouse k button kholte huye

तू रूक में तैयार होकर आती हूं,,,,
(इतना कहने के साथ ही वह झट से अपने कमरे में चली गई और गहरी गहरी सांस लेने लगी उसे समझ में नहीं आ रहा था कि उसका बेटा इतनी जल्दी कैसे होते जीत हो जाता है वह साफ महसूस कर पा रही थी कि उसके बेटे का लंड पूरी तरह से खड़ा हो चुका था जो कि सीधे-सीधे साड़ी के ऊपर से ही उसकी चूत पर दस्तक दे रहा था साड़ी के ऊपर से ही अपनी चूत पर अपनी बेटी के लंड को महसूस करके आराधना समझ गई थी कि उसके बेटे का लंड बेहद दमदार है,,,, वह आईने के सामने खड़ी थी अभी भी उसकी सांसे दूरी चल रही थी वह तुरंत अपनी साड़ी उतारने लगी और देखते ही देखते आईने के सामने केवल ब्लाउज और पेटीकोट में खड़ी हो गई आईने में उसे साफ नजर आ रहा था कि उसकी चुचियों का आकार अभी भी जानलेवा था उसका कसाव किसी भी मर्द के पानी को पिघला देने के लिए सक्षम था,,, ना चाहते हुए भी अपने बेटे की हरकत से मदहोश होते हुए वह थोड़ा सा घूमकर आईने में अपनी गांड का उभार देखने लगी जो कि बेहद कातिलाना अंदाज में उभरा हुआ नजर आ रहा था आईने में अपनी गांड को देखकर वह मन में सोचने लगी कि कुछ देर पहले ही उसकी गांड को उसका बेटा अपनी हथेली में लेकर दबाया था, यह ख्याल अपने मन में आते ही उसकी चूत से काम रस टपकना शुरू हो गया,,,, बहुत ज्यादा देर लगाना नहीं चाहती थी क्योंकि उसे मालूम था कि थोड़ा भी देर होगा तो उसका बेटा कमरे में आ जाएगा और इस हालत में उसे देखकर ना जाने क्या घर बैठे अपने बेटे के बारे में सोच कर उसे थोड़ा गुस्सा भी आ रहा था लेकिन उसके होठों पर मुस्कान भी तैर रही थी जो किस बात का सबूत था कि उसके बेटे की हरकत उसे भी कहीं ना कहीं अच्छी लगती थी,,,
Kitchen floor par jhuka kar lete huye



थोड़ी ही देर में अपनी साड़ी बदल कर तैयार हो चुकी थी हल्का सा मेकअप करने के बाद वह आईने में अपने बदले हुए रूप को देखी तो खुद ही शर्मा गई,,, और जैसे ही अपने कमरे से बाहर आई तो संजु अपनी मां को देखा तो देखता ही रह गया,,, अपनी मां की खूबसूरती की चमक में उसकी आंखें चौंधिया जा रही थी और आश्चर्य से उसका मुंह खुला का खुला रह गया था अपने बेटे की हालत को देखकर आराधना मन ही मन खुश हो रही थी और बोली,,,।

ऐसे क्या देख रहा है पहले कभी देखा नहीं क्या,,,,(अपनी साड़ी का पल्लू ठीक करते हुए आराधना बोली)

अरे देखा तो बहुत बार हो लेकिन आज तुम सच में बहुत खूबसूरत लग रही हो ऐसा लग रहा है कि जैसे आसमान से कोई अप्सरा नीचे जमीन पर आ गई हो,,,
(अपने बेटे के मुंह से अपनी खूबसूरती की तारीफ सुनकर वह शर्म से पानी पानी हो जा रही थी और अपने बेटे को शांत करते हुए बोली)


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धत्,,,, पागलों जैसी बात करता है चल जल्दी देर हो रही है और लेकर कहां जा रहा है तू,,,

अरे मम्मी तुम चलो तो सही,,,,।
(और इतना कहने के साथ ही दोनों घर से बाहर आ गए और दरवाजा बंद करके ताला लगा दिए,,,, स्कूटी स्टार्ट करके वह दोनों पैर जमीन पर रखकर खड़ा हो गया और उसकी मां अपने बेटे के कंधे का सहारा लेकर पीछे बैठ गई संजू के तन बदन में उत्तेजना की लहर उठ रही थी ऐसा लग रहा था कि जैसे वह स्कूटी के पीछे अपनी मां को नहीं बल्कि अपनी प्रेमिका को बैठाकर कहीं घुमाने ले जा रहा है,,,, देखते ही देखते संजू की स्कूटी सड़क पर दौड़ने लगी दोपहर का समय होने की वजह से सड़क पर भीड़भाड़ बिल्कुल भी नहीं थी इसलिए संजू बड़े आराम से स्कूटी लेकर जा रहा था,,, आराधना के तन बदन में और उसके मन में अजीब सी हलचल हो रही थी उसे भी ऐसा महसूस हो रहा था कि जैसे वह अपने बेटे के साथ नहीं अपने प्रेमी के साथ घूमने जा रही हो क्योंकि उसने तैयार भी इसी तरह से हुई थी,,,, स्कूटी पर चलते हुए हवा के झोंकों से उसकी बाल की लट ए बार-बार उसके चेहरे पर आ जा रही थी जिसे वह अपनी हाथ की उंगलियों से लटको समझा कर अपने कान के पीछे ले जाने की कोशिश कर रही थी और बार-बार हवा के झोंकों से उसकी लटे उसे परेशान कर रही थी उसकी मां की यह हरकत संजू को स्कूटी में लगे शीशे में साफ नजर आ रही थी जिसे देखकर वह मन ही मन उत्तेजित हुआ जा रहा था,,,,,,,।

स्कूटी को संजू ज्यादा रफ्तार से नहीं भगा रहा था क्योंकि वह ज्यादा से ज्यादा समय अपनी मां के साथ गुजारना चाहता था अपने पीछे बैठा कर उसे बहुत अच्छा लग रहा था रह रह कर आराधना भी अपने बेटे के कंधे का सहारा ले लेती थी ऐसा करने से दोनों के बदन में अजीब सी हलचल हो जा रहे थे जब-जब संजू स्कूटी की ब्रेक लगा था तब तब आराधना आगे को सरक जाती और ऐसा करने से उसकी दाईं चूची सीधे जाकर उसकी पीठ से दब जाती थी और यह अनजाने में ही हुई हरकत की वजह से संजू के तन बदन में आग लग जाती थी संजू अपनी मां की चूची के आकार से अच्छी तरह से वाकिफ था इसलिए उसके बारे में कल्पना करने में उसे जरा भी दिक्कत नहीं पेश आती थी,,,, देखते ही देखते संजू काफी दूर आ गया था और अभी तक कहां जाना है इस बात का अंदाजा आराधना को बिल्कुल भी नहीं था इसलिए वह बोली,,,।

अरे बताएगा कि कहां जा रहा है,,,

क्या मम्मी तुम भी सिर्फ चुपचाप बैठी रहो मैं तुम्हें ले चलता हूं ना जहां चलना है,,,,

लेकिन कहां चलना है,,,

तुम्हारे लिए कुछ कपड़े खरीदने हैं,,,

मेरे लिए,,,(आराधना आश्चर्य जताते हुए बोली)

हां मम्मी तुम्हारे लिए,,,,


लेकिन मेरे पास तो कपड़ों की कोई कमी नहीं है,,

कमी है मम्मी जिस कपड़े की तुम्हें जरूरत है वह कपड़ा तुम्हारे पास नहीं है और मैं नहीं चाहता कि तुम मेरे होते हुए अपने बदन के किसी भी वस्त्र के लिए तरसती रह जाओ,,,



(अपने बेटे की यह बात सुनकर आराधना के तन बदन में हलचल सी मच ने लगी थी उसे समझ में नहीं आ रहा था कि उसका बेटा कौन से कपड़े की बात कर रहा है वह इस बात से बिल्कुल अनजान थी कि बाथरूम में टंगी उसकी छेद वाली पेंटिं को उसके बेटे ने देख लिया है और उसके साथ अपनी मनमानी करते हुए अपने लंड का लावा भी निकाल चुका है,,,, अपने बेटे की बात सुनकर आराधना बोली,,)

तेरी बातें मेरे पल्ले नहीं पड़ रही है चल देखती हूं कि तू क्या खरीदना चाहता है,,,

मैं जो भी खरीद लूंगा तुम्हारे बदन पर बहुत खूबसूरत लगेगा,,

यह बात है,,,

हां मम्मी मैं सच कह रहा हूं,,,,
(इतना कहते हुए उसकी स्कूटी उसी जगह से गुजरी जहां पर वह और मोहिनी दोनों ने अपने पिताजी को किसी अनजान लड़की के साथ गेस्ट हाउस में जाते हुए देखा था उस गेस्ट हाउस से गुजरते हुए संजू के मन में आया कि मम्मी को उस दिन वाली सारी बात बता दें और उन्हें भी अपने तरीके से जीने के लिए बोल दे लेकिन कुछ सोचकर वह शांत रहा,,, देखते ही देखते थोड़ी ही देर में वह दोनों बड़े से मोल के सामने पहुंच गए संजू स्कूटी खड़ा करने लगा तो स्कूटी पर बैठे-बैठे ही आराधना बोली,,,)

यह कहां लेकर आया संजू तु,,,

तुम्हारे लिए कपड़े खरीदने,,,

लेकिन मेरे पास कपड़े हैं तू खामखा इधर आ गया है,,,

सब कुछ तुम्हारे पास है लेकिन एक चीज तुम्हारे पास अभी भी ढंग की नहीं है,,,

क्या,,,?

बुरा ना मानो तो कहूं,,,,

नहीं मैं बुरा नहीं मानूंगी,,,(इतना कहते हुए भी आराधना का दिल जोरों से धड़क रहा था उसे समझ में नहीं आ रहा था कि उसका बेटा क्या कहने वाला है किस चीज के बारे में कह रहा है अभी तक उसे इस बात का अंदाजा तक नहीं था)


तुम्हारी चड्डी,,,(इतना कहने के साथ ही संजू इधर-उधर देखने लगा और अपनी जेब में जिसे वह घर से निकलने से पहले ही बाथरूम में जाकर अपनी मां की चड६ को अपनी जेब में रख लिया था उसे अपनी जेब से निकाल कर अपनी हथेली में लेकर अपनी मां को दिखाने लगा,,, एक तो पहले वह संजू के मुंह से चड्डी शब्द सुनकर एकदम से गनगना गई थी उसे समझ में नहीं आया कि उसका बेटा क्या कह रहा है,, लेकिन जब संजू की हथेली में अपनी चड्डी देखी तो एकदम शर्म से पानी पानी हो गई उसका बेटा साफ तौर पर उसकी चड्डी के बारे में ही बात कर रहा था आराधना को तो जैसे सांप सूंघ गया होगा एकदम से सन्न रह गई,,, वह इधर-उधर देखकर तुरंत अपने बेटे के हाथ से अपनी चड्डी ले ली,,,)

यह क्या है संजू यह कहां से लाया तु,,,,

बाथरूम में से वहां टंगी हुई थी लेकिन बीच में छेद है और मैं नहीं चाहता कि तुम इस तरह के खराब कपड़े पहनो,,,

कहां छेद है,,,, इतना ज्यादा भी नहीं था जो तू अपनी जेब में लेकर आ गया इसे तुझे शर्म नहीं आ रही थी,,,(इतना कहते हुए सबसे से नजरें बचाकर दीवार की तरफ मुंह करके अपनी चड्डी को अपने दोनों हाथों में लेकर फैलाने लगी ताकि कुछ छोटे से छेद को संजू को दिखा सके लेकिन जैसे ही आराधना उस व्यक्ति को अपने हाथ में लेकर खिलाई तो उसके होश उड़ गए क्योंकि छोटा सा छेंद एकदम बड़ा हो गया था,,,, जिस तरह से छोटा सा छेद एकदम बड़ा हो गया था उसी तरह से आश्चर्य से आराधना की आंखें फटी की फटी रह गई तो उसे समझ में नहीं आ रहा था कि छोटा सा छेद इतना बड़ा कैसे हो गया था उसे छेद को गौर से देखने पर आराधना को कुछ कुछ समझ आ रहा था कि जैसे उसकी गोलाई पूरी तरह से लंड के बराबर हो गई थी लेकिन आराधना यह निश्चय नहीं कर पा रही थी कि आखिरकार यह हुआ कैसे,,,, आराधना जहां हैरान थी वहीं दूसरी तरफ उसके बदन में उत्तेजना की लहर उठने लगी थी खास करके उसे अपनी चूत में गीलापन महसूस हो रहा था,,,, आराधना ना तो खुद समझ पा रही थी और ना ही अपनी बेटी को समझा पा रही थी,,,,। अपनी मां को इस तरह से आश्चर्य से अपनी चड्डी को देखते हुए देखकर संजू बोला,,,।)

लाओ मुझे दो और अंदर चलते हैं,,(इतना कहने के साथ ही संजू अपना हाथ बढ़ाया ही था की आराधना खुद उस चड्डी को अपना पर्स खोलकर उसमें भरली संजू से नजर तक मिलाने की उसने हिम्मत नहीं थी क्योंकि संजू ने उसके अंतर्वस्त्र उसकी चड्डी को अपने हाथ में ले लिया था और उसे जेब में रखकर यहां तक लाया था और खुद उसे उसकी पसंद की चड्डी दिलाने के लिए मॉल लेकर आया था यह सब आराधना के लिए शर्मनाक था वह शर्म से पानी पानी हो जा रही थी उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें,,,, लेकिन पलभर में ही उसके विवाहित जीवन की वह सारी घड़ियां याद आने लगी जिनमें विवाहित जीवन में एक भी वह पल नहीं था जिस पर उसके पति ने उसे उसके अंतर्वस्त्र उसे ब्रा पेंटी चड्डी दिलाने के लिए कपड़े की दुकान पर लेकर आया हो,,, उसके जीवन का यह पहला अवसर था जब उसे उसका ही बेटा उसके लिए चड्डी और ब्रा दीलाने के लिए लेकर आया था,,, अपने बेटे की बात मानते हुए अपनी आंखों में शर्म लिए हुए वह अपने बेटे के साथ मॉल की तरफ जाने लगी,,,,,
Bhai kya baat hai Bohot Khoob rony bhai ati kaum.
Kya likhte ho bhai, sanju ka aaradhna ko penty kharidne ke liye le jana sanju ke liye ek bohot hi uttejna bhara kadam hoga.👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥
 

sunoanuj

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Bhaut jabardast updates… 👏🏻👏🏻👏🏻
 
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