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Incest मजबूरी या जरूरत

Raj_sharma

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भाई अपडेट का इन्तजार हैं
 

Kammy sidhu

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मोहिनी बाथरूम में अपने बदन के साथ मनमानी करके चली गई थी,,,, क्योंकि संजू बाहर खड़ा होकर उसका इंतजार कर रहा था और उसे भी देर हो रही थी,,,, मोहिनी अपनी मां की इस्तेमाल करने वाली वीट क्रीम को अपनी चूत पर लगाकर उसे पूरी तरह से चिकनी मखमली कर ली थी,,, जैसे कि उसे इस बात का अंदाजा था कि एक जवान लड़के को लड़कियों की चिकनी चूत ज्यादा पसंद होती है,,,,उत्तेजित अवस्था में मोहिनी को भी इस बात का आभास हुआ था कि उसकी चूत कचोरी की तरफ फूल गई थी और फुली हुई चूत और भी ज्यादा खूबसूरत नजर आ रही थी,,, इसलिए तो अपनी चूत को देखकर मोहिनी खुद अपने आप को संभाल नहीं पाई और अपनी उंगली से कुरेद कुरेद कर उसका सारा काम रस बाहर निकाल दी,,,,।
Sadhna


मोहिनी नाश्ता करके कॉलेज के लिए निकल चुकी थी और संजु बाथरूम के अंदर प्रवेश कर चुका था,,,,,,,वह अपने सारे कपड़े उतार कर केवल अंडरवियर में नहाना शुरू कर दिया था कि तभी उसकी नजर,,, नीचे पड़ी लाल रंग की पैंटी पर पड़ी तो उसकी आंखें चमक गई,,,,,,,उसे समझते देर नहीं लगी कि उसके पैरों के नीचे जो पैंटी पड़ी है वह उसकी बहन की है,,,,,, और कोई समय होता तो शायद वह इस बात पर बिल्कुल भी गौर नहीं करता लेकिन अपनी मौसी के साथ शारीरिक संबंध बनाने के बाद और अपनी मां के प्रति आकर्षित होने के बाद से एक औरत और लड़की के प्रति उसका रवैया बदल चुका था इसलिए वह उत्सुकता बस नीचे झुक कर अपनी बहन की पैंटी को उठा दिया,,,, अपनी बहन की पेंटी को अपने हाथों में लेकर उसे अजीब से उथल पुथल का एहसास हो रहा था,,,, संजू के मन में औरतों के प्रति आकर्षण का भाव जागने लगा था लेकिन उसने अभी तक अपनी बहन के बारे में कुछ भी गलत बातें नहीं सोचा था और ना ही उसकी तरफ आकर्षित हुआ था लेकिन अपनी बहन की पहनी हुई पेंटिंग को अपने हाथों में लेकर उसे अजीब सी हलचल सा महसूस हो रहा था,,,वह अपनी बहन की लाल रंग की पैंटी को अपने हाथ में लेकर इधर-उधर घुमा कर देख रहा था,,,,,। उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें लेकिन इतना एहसास उसे अच्छी तरह से हो गया था कि अपनी बहन की पैंटी को हाथ में लेते ही उसके लंड का कड़क पन बढ़ने लगा था,,,,।
Sadhna ki gadrayi jawani

तन बदन में उत्तेजना का संचार होते ही संजू के दिलों दिमाग पर मदहोशी का आलम छाने लगा वह उत्तेजित होने लगा और अपनी बहन की पैंटी को ध्यान से देखते हुए वह,,, अंदाजा लगा रहा था कि पेंटिं कहां से सीधी है और कहां से उल्टी है,,, बहुत ही जल दवा इस निष्कर्ष पर पहुंच गया था कि पेंटी को किस ओर से पहनी जाती है,,,, और मदहोशी के आलम में वह अपनी बहन की पेंटिं को हाथों में लेकर उस जगह पर अपनी उंगली से इन स्पर्श करने लगा जिस जगह पर वह पहनती पहनने के बाद चूत ढंकी होती है,,,, उस छोटे से स्थान पर हाथ रखते ही संजू के तन बदन में आग लगने लगी,,,, क्योंकि अब वह पूरी तरह से औरत की चूत से वाकिफ हो चुका था,,,, उसके आकार से उसके भूगोल से और तो और उसका उपयोग करके भी देख चुका था इसलिए अपनी बहन की पेंटी को पकड़कर उस छोटे से स्थान पर रखकर उसके तन बदन में आग लग रही थी तो अपनी बहन की चूत के बारे में कल्पना करने लगा था,,, अपने मन में अपनी बहन की चूत को लेकर उसके आकार को लेकर उसके भूगोल को लेकर एक अद्भुत आकर्षक चित्र बनाने लगा था,,,,,वह धीरे-धीरे उसे स्थान पर अपनी उंगली को सहना रहा था मानो जैसे कि वह वास्तविक में,, अपनी बहन की चूत पर अपनी उंगली घुमा रहा हो,,,,

ऐसा करने में उसे अधिक उत्तेजना का एहसास हो रहा था उसे अपने लंड में प्रचंड गति से लहू का दौरा महसूस हो रहा था जिससे उसके लंड का अकड़न पूरी तरह से बढ चुका था,,,, उससे रहा नहीं गया होगा अपनी बहन की पेंटी को अपनी नाक से लगाकर उस स्थान पर की खुशबू को अपने अंदर उतारने लगा जहां पर उसकी बहन की चूत होती थी,,,, संजू की यह सोच ,यह हरकत रंग ला रही थी,,, उसे अपनी बहन की चूत की खुशबू अपने नथुनों में महसूस होने लगी,,,, वह पूरी तरह से मदहोश हुआ जा रहा था,,,,उसे समझते देर न लगी कि उसकी बहन ने जल्दबाजी में अपनी पेंटी साबुन से धोना भूल गई थी और वहीं छोड़कर चली गई थी जिसका फायदा संजू को मिल रहा था,,,,,।
अपनी बहन की चूत की खुशबू पाते ही संख्या पूरी तरह से मदहोश होने लगा और उसकी यह मादक खुशबू उसके तन बदन में आग लगाने लगी जिसका असर उसकी दोनों टांगों के बीच लटकते हुए उसके खंजर पर हो रहा था,,,, अंडरवियर के अंदर उसका लंड पूरी तरह से गदर मचाने को तैयार हो चुका था,,,, संजू की सांसे ऊपर नीचे हो रही थी,,,,, उसे अपने लंड की स्थिति पर दया आ रही थी और वह तुरंत अपनी अंडरवियर को घुटनों तक सरका कर अपने मोटे तगड़े लंड को बाहर निकाल लिया अगर ऐसा हुआ नहीं करता तो शायद अंडरवियर फाडकर उसका लंड खुद ही बाहर आ जाता ,,,,।



संजू के दिलों दिमाग पर उसके बहन की चूत की मादक खुशबू छाई हुई थी,,,उसे ऐसा महसूस हो रहा था कि जैसे उसके हाथों में उसकी बहन की पेंटी ना होकर उसकी भरपूर गांड आ गई हो और मैं उसे अपने हाथों में लेकर उससे खेल रहा हो,,,, संजू संपूर्णता उत्तेजना के परम शिखर पर विराजमान हो चुका था,,, वह अपनी बहन के बारे में गंदी विचारधारा को जन्म दे रहा था जो कि उसकी उत्तेजना का कारण भी था,,,,,,,संजू के तन बदन में मदहोशी अपना असर दिखा रही थी आंखों में खुमारी छाई हुई थी और वह अपनी जीएफ को हल्के से बाहर निकालकर उस चूत वाली जगह पर रखकर उसकी खुशबू से लस लसे नमकीन काम रस को काटना शुरू कर दिया जो कि मोहिनी की उत्तेजना के कारण उसकी चूत से निकला काम रस उस पर लगा हुआ था,,,, संजू की हालत खराब होने लगी वह ऐसा महसूस कर रहा था कि जैसे वह खुद अपनी बहन की दोनों टांगों को फैला कर उसकी गुलाबी चूत को अपने होंठों पर रखकर उसे जीभ से चाट रहा हो,,,। संजू के आनंद की कोई सीमा नहीं थे एक हाथ में उसकी बहन की पेंटी और दूसरा हाथ उसके लंड पर था जिसे वो धीरे-धीरे हीला रहा था,,,
संजू अपनी आंखों को बंद करके कल्पना के सागर में गोते लगाना शुरू कर दिया था वह अपने मन में यही सोच रहा था कि वह अपनी बहन के नंगे बदन से खेल रहा है उसकी दोनों टांगों को फैला कर अपने मोटे तगड़े लंड को उसकी गुलाबी चूत में डालने की कोशिश कर रहा है,,, और अपनी चूत में लेने के लिए उसकी बहन खुद लालायित हुए जा रही है,,,।

पूरा नजारा बेहद अद्भुत था संजू जिंदगी में पहली बार अपनी बहन के बारे में इस तरह की गंदी कल्पना कर रहा था और अपने आप को शांत करने की कोशिश कर रहा था,,,, बाथरूम कुछ खास बडा नहीं था,,, बाथरूम के अंदर संजू अपनी चड्डी को घुटनों तक नीचे सरकाए विकास में अपनी बहन की लाल रंग की पैंटी को लेकर उसे नाक लगाकर सुंघते हुए और दूसरे हाथ मेंअपने लंड को पकड़ कर अपनी बहन के बारे में गंदी से गंदी कल्पना करते हुए आनंद के सागर में सरोबोर हुआ जा रहा था,,,।

कल्पना में उसका मोटा लंड धीरे-धीरे उसकी बहन की गुलाबी चूत के अंदर सरकता चला जा रहा था,,, और मोहिनी संजू की कल्पना में पूरी तरह से मस्त होकर अपनी आंखों को मूंदकर उत्तेजना के मारे अपने लाल-लाल होठों को अपने दांतों से काट रही है उसकी मदमस्त कर देने वाले दोनों अमरूद उसके होश उड़ा रहे हैं,,, जिसे संजू खुद अपने दोनों हाथ आगे बढ़ाकर उसे अपने दोनों हाथों में थाम लिया और जोर जोर से दबाने लगा,,,, संजू वास्तविक मैं अपना हाथ हिला रहा था और कल्पना में अपनी कमर,,, दोनों तरफ की लय बराबर थी लेकिन कल्पना का अपना अलग मजा था,,,, अपनी बहन की गरम चूत की गर्मी को संजु ज्यादा देर तक बर्दाश्त नहीं कर पाया और उसका पानी निकल गया,,,,।कल्पना की दुनिया से जैसे ही वह बाहर आया तो अपनी हालत को देखकर उसके होश उड़ गए,,,, वह तुरंत पेंटी को जिस तरह से नीचे पड़ी थी उसी तरह से रख दिया ताकि किसी को शक ना हो और थोड़ी देर में वह भी नहा कर बाहर आ गया,,,,, अपने कमरे में कपड़े पहनते हुए उसे अपनी बहन के बारे में इस तरह की बातें सोचना कुछ अजीब सा लग रहा था लेकिन जिस तरह का आनंद से प्राप्त हुआ था उस‌से वह इंकार नहीं कर पा रहा था,,,,, लेकिन वो जानता था कि जिस तरह कल्पना बहन के बारे में कर रहा था वह गलत है अभी उसका दूसरा मन उसे समझाते को बोल रहा था कि जब वह अपनी मां के बारे में इतनी गंदी सोच रख सकता है तो बहन के बारे में क्यों नहीं आखिर दोनों के पास उसकी जरूरत की चीज जो है,,,,,,संजू इस बारे में ज्यादा देर तक विचार नहीं कर पाया तभी नाश्ता तैयार होने की आवाज उसके कानों में सुनाई दी और तुरंत रसोई घर में आ गया जहां उसकी मां उसके लिए नाश्ता निकाल रही थी,,,।रसोई घर में प्रवेश करने से पहले ही उसकी नजर अपनी मां की बड़ी बड़ी गांड पर चली गई थी जोकी पहले की ही तरह खाना बनाते समय थिरक रही थी,,,, आराधना की बड़ी-बड़ी और थिरकती हुई गांड संजू की सबसे बड़ी कमजोरी बन गई थी,,, जिसको वह कभी भी नजरअंदाज नहीं कर पा रहा था,,,,,,,,वह अपनी मां की बड़ी बड़ी गांड को घुरते हुए रसोई घर में प्रवेश किया,,।
मोहिनी और संजू


जिस दिन से उसकी मां ने उसके अरमानों पर पानी फेर रहा था तब से वह अपनी मां से ठीक से बात नहीं कर पाया था और यह बात संजू को भी अंदर ही अंदर कचोट रही थी,,, संजू को अपनी मां से बात करना बहुत अच्छा लगता था खास करके उस दिन से जिस दिन से वह अपनी मां की तरफ आकर्षित होता चला जा रहा था क्योंकि उससे बात करने में भी उसे उत्तेजना महसूस होती थी,,, वो किसी भी तरह से अपनी मां से बात करना चाहता था और यही हाल आराधना का भी था,,,, अपने बेटे की अपने लिए जिस तरह की सोच थी उसे लेकर आराधना परेशान थी इसलिए उसे आगे बढ़ने देना नहीं चाहती थी लेकिन अपने बेटे की हरकतों से भी अच्छी लगती थी लेकिन कुछ दिनों से सब कुछ शांत था संजू की तरफ से किसी भी प्रकार की हरकत को उसने देखी नहीं थी इसलिए ना जाने क्यों उसके मन में भी अजीब सी हलचल हो रही थी,,,, और वह भी शायद इसलिए कि वह दो दो बच्चों की मां थी और वो भी जवान बच्चों की,,,, और इस उमर में उसका खुद का जवान लड़का उसकी तरफ आकर्षित हुआ जा रहा था यह बात उसे अंदर ही अंदर गर्वित करती थी,,, की अभी भी उसमें जवानी की आग बाकी है,,,।

दोनों में से संजू ही बात की शुरुआत करते हुए बोला,,,।

मम्मी पापा अब तुम्हें परेशान तो नहीं करते ना,,,,

नहीं,,,(संजू की तरफ देखे बिना ही वह बोली,,,)


चलो अच्छा है कि सुधर तो गए,,,,लेकिन यह काम तुम्हें पहले ही कर देना चाहिए था तुम डरती रही सहती रही इसीलिए उनकी हिम्मत बढ़ती रही,,, तुम पहले दिन ही उन्हें डांट फटकार लगाई होती तो शायद ऐसा नहीं होता,,,।(नाश्ते की प्लेट को हाथ में लेते हुए बोला)


मैं कर भी क्या सकती थी आखिरकार में हूं तो एक औरत ही,,,


औरत हो तो क्या हुआ औरत तो आजकल बहुत से काम कर रही है जरूरी नहीं कि औरत का काम हो सिर्फ अपने आदमी का बिस्तर गरम करना,,, खुश करना,,,, अपने आप को बचाना भी उसका धर्म होता है,,,,।
(अपने बेटे के मुंह से अपने पति को खुश करना बिस्तर गर्म करना यह सब बातें सुनकर उसकी दोनों टांगों के बीच अजीब सी हलचल होने लगी वह अपने बेटे के मुंह से इस समय इस तरह की बातें सुनने के लिए बिल्कुल भी तैयार नहीं थी और इस तरह की बातें सुनकर ना जाने क्यों उसके तन बदन में भी अजीब सी हलचल होने लगी,,,वह कुछ दिनों से देखते आ रही थी कि उसके बेटे का उसके साथ बात करने का रवैया पूरी तरह से बदल चुका था ऐसा लग रहा था कि जैसे वह किसी अनजान औरतों के साथ बातें कर रहा हो उसे इस बात की बिल्कुल भी चिंता नहीं रहती थी कि वह अपनी मां के साथ इस तरह की बातें कर रहा है,,,, अपने बेटे की बातों को सुनकर आराधना कुछ बोल नहीं पा रही थी,,,,, तो संजु ही अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला,,,)

चलो कोई बात नहीं अगर कोई भी तकलीफ हो तो मुझे जरूर बताना,,,,,मैं नहीं चाहता कि मम्मी तुम्हें किसी भी प्रकार की तकलीफ हो तो मैं तकलीफ में देखना मुझे पसंद नहीं है,,,,,,, और हां अपनी खुशी के लिए भी थोड़ा सोच लिया करो मैं जानता हूं तुम खुश नहीं हो अपनी जिंदगी से अपनी जरूरत से,,,(आराधना यह बात अच्छी तरह से जानती थी कि उसका बेटा किस बारे में बातें कर रहा है इसलिए उसके बोलने के मतलब को समझते हुए आराधना के तन बदन में उत्तेजना की चिंगारियां फूटने लगी थी पल भर के लिए तो वह भी यही सोच रही थी कि क्यों ना इस खेल में आगे बढ़ जाया जाए,,, जब उसका बेटा उसके साथ इतना खुल चुका है तो थोड़ा सा और खुलने में क्या हर्ज है,,,, आराधना के मन में कभी-कभी इस तरह के ख्यालात आते जरूर थे,,, लेकिन,, वह अपने आप को संभाल ले जाती थी,,,, अपनी मां की तरफ से ना उम्मीद हो चुका संजु के मन में अभी भी उम्मीद की किरण नजर आती थी यह बात अच्छी तरह से जानता था कि किसी भी औरत का मन वह लाया जा सकता है उनकी मान मर्यादा की दीवार को गिराया जा सकता है संस्कारों की चादर को अपने हाथों से खींचा जा सकता है बस थोड़ी बहुत मशक्कत करनी पड़ती है और उसी में संजू लगा हुआ था,,,, संजू नाश्ता कर चुका था और हाथ धो रहा था तभी उसकी मां उसके तरफ देखे बिना ही बोली,,,।)


तूने जो मेरे लिए किया है उसके लिए तेरा बहुत-बहुत शुक्रिया,,, नहीं तो अभी तक ना जाने क्या हो गया होता,,,।


कोई बात नहीं यह तो मेरा फर्ज था लेकिन मेरा एक और फर्जी था जिसे तुम निभाने नहीं दे रही हो,,,,।
(अपने बेटे की बातें सुनकर आश्चर्य से उसकी तरफ देखते हुए उसकी कही गई बात को समझने की कोशिश कर रही थी कि तभी संजू अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला) तुम्हारी जरूरत को पूरा करने का फर्ज तुम्हारी खुशियों वापस लौटाने का फर्ज और तुम्हें संपूर्ण रूप से स्त्री सुख देने का फर्ज,,,,।
(इससे ज्यादा संजू कुछ बोला नहीं और ना ही अपनी मां की बात सुनने के लिए वहां खड़ा रहा वह तुरंत बाहर निकल गया और अपना बैग लेकर कॉलेज के लिए निकल गया आराधना अपने बेटे को जाते हुए देखती रह गई उसे समझ में नहीं आ रहा था कि उसका जवान बेटा खुद अपनी मां के पीछे इस कदर क्यों हाथ धोकर पड़ा है,,,, उसे क्या अच्छा लगने लगा है कि वह दुनियादारी मान मर्यादा संस्कार रिश्तेदारी भुलकर सिर्फ उसे पाना चाहता है,,,। आराधना को समझ में नहीं आ रहा था कि वह अपने बेटे को कैसे समझाएं,,, वह इस बारे में सोच ही रही थी कि तभी उसे वह पल याद आ गया जब अभी अभी थोड़ी देर पहले संजू से बात कर रहा था और अचानक ही उसकी नजर उसके पैंट की तरफ चली गई थी जिसमें अच्छा खासा तंबु बना हुआ था,,, उसे दृश्य और उस पल को याद करके आराधना के तन बदन में हलचल सी उठने लगी,,,, आराधना यह बात अच्छी तरह से समझ गई थी कि उसी से बात करते समय उसके बेटे का लंड खड़ा हो जाता था और उसका लंड उसे चोदने के उद्देश्य से ही खड़ा होता था,,,।,,उसका बेटा उसके बारे में ना जाने कैसी कैसी गंदी बातों को सोचता होगा और से करने के लिए लालायित होगा यह सब सोचकर ही आराधना की चुत पानी छोड़ने लग रही थी,,,,इस तरह की बातों को सोचते हुए आराधना का मन भी अपने बेटे की तरह ही हो जाता था वह भी अपनी बेटी के साथ संभोग के इस खेल को खेलने के लिए मन ही मन तैयार हो जाती थी लेकिन फिर अपने आप को मना कर इस तरफ से अपने ध्यान को दूसरी तरफ लगा देती थी,,,,।



रात का समय हो चुका था,,,संजू और मोहिनी दोनों खाना खा चुके थे उसकी मां भी खाना खा चुकी थी अब वह अपने पति का इंतजार नहीं करती थी अपने कमरे में जा चुकी थी और वह दोनों अपने कमरे में,,, मोहिनी जांघो तक का फ्रॉक पहनी हुई थी और फ्रॉक के नीचे कुछ भी नहीं पहनी थी ,,,आज फ्रॉक के नीचे चड्डी ना पहनकर वह अपने भाई को पूरी तरह से पागल बना देना चाहती थी जिसके तैयारी स्वरुप वह सुबह ही क्रीम लगाकर अपनी चूत को साफ कर चुकी थी,,,,,,,आज तक उसने इस तरह की हरकत को अंजाम नहीं की थी इसलिए इस तरह की हरकत करते हो उसके तन बदन में अजीब सी हलचल हो रही थी,,,,उसे शर्म भी महसूस हो रही थी कि अपने भाई के सामने ऐसी हरकत कैसे कर सकती है लेकिन जवानी के जोश में वह मजबूर हो चुकी थी,,,,कुछ देर तक दोनों पढ़ाई करते रहे अभी तक संजु अपनी बहन की तरफ बिल्कुल भी ध्यान नहीं दिया था,,,,। मोहिनी संजु से बोली,,,


संजू तू लाइट बंद बंद किया कर उस दिन लाइट बंद कर दिया था रात को मैं नींद में दीवार से टकरा गई थी,,,,


ठीक है तो चिंता मत कर उस दिन अनजाने में बंद हो गई थी,,, मुझे भी अंधेरे में सोने की आदत नहीं है,,,,।
(लाइट बंद करने वाली बात है तो संजू को मोहिनी ने जानबूझकर डाली थी ताकि कमरे में उजाला रहे और उस उजाले में उसका भाई उसकी जवानी के केंद्र बिंदु को अपनी आंखों से देख सकें,,, इसलिए वह अपने भाई से पहले ही सोने का नाटक करते हुए अपने स्कूल के लिए के
बैग को एक तरफ रख कर सोने का नाटक करने लगी अभी तक संजू ने अपनी बहन की तरफ देखा तक नहीं था उसके दिलो-दिमाग पर उसकी मां का खूबसूरत बदन छाया हुआ था वह एक-एक पल को याद करके उत्तेजित हो जा रहा था जब अपनी मां को बीच बचाव करते हुए कपड़े में दाखिल हुआ था और उस समय वह अपनी मां को पूरी तरह से नंगी देख लिया था और बरसात में घर लौटने पर उत्तेजना के चलते अपनी मां के लाल लाल होठों का चुंबन करते हुए उसके रस को पी रहा था और उसकी मां भी साथ दे रही थी ऐसी ने अपनी मां को कस के अपनी बाहों में पकड़े हुए उसकी बड़ी बड़ी गांड पर अपनी हथेली रखकर जोर जोर से दबा रहा था,,,, उस पल को याद करके संजू पूरी तरह से व्याकुल हुए जा रहा था,,, अपने मन में यही सोच रहा था कि काश उस दिन कुछ हो गया होता तो कितना मजा आ जाता,,,,यही सोचते-सोचते 12:00 बज गया था और मांगने की आंखों से नींद गायब थी क्योंकि वह इंतजार कर रही थी कि कब उसके भाई की नजर उसके ऊपर पड़े और नींद में होने का बहाना करके वह खुद ही अपनी फ्रॉक को अपनी कमर तक उठा कर लेटी हुई थी और वह भी पीठ के बल,,,, उसका दिल जोरों से धड़क रहा था अंदर ही अंदर और कसमसा रही थी,,,,।

कमरे में बल्ब जल रहा था जिसकी रोशनी में सब को साफ नजर आ रहा था पंखा चालू होने की वजह से वातावरण में थोड़ी ठंडा कहां गई थी इसलिए संजू जैसे चादर लेने के लिए अपनी बहन की तरफ नजर घुमाया तो उस नजारे को देखकर उसके होश उड़ गए,,,।
Wah bhai kitna amazing view likhte ho aap, too much romantic update bro and continue story
 

Hunk1988

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आराधना बहुत खुश नजर आ रही थी,,,ऑटो में बैठते वक्त उसके होठों पर हल्की मुस्कान थी जो कि उसकी खूबसूरती में चार चांद लगा रहा था,,, आखिरकार ये मुस्कान महीनों बाद उसके होठों पर आई थी और वह भी इस वजह से कि उसका बेटा उसकी खूबसूरती की तारीफ कर रहा था और उसे घूर घूर कर देख रहा था,,, ऐसा नहीं था की अपने बेटे के इस बदलते रहोगे और नजरिए से उसे ताज्जुब नहीं हो रहा था वह भी बेहद हैरान थी लेकिन जिस तरह के हालात बनते जा रहे थे उसे देखते हुए ना जाने क्यों आराधना के तन बदन में उसके मन में उमंग सी उठ रही थी,,, जो अधिकांशतः जवानी के दिनों में ही होती थी जब लड़कियों को पहली नजर में किसी के प्रति आकर्षण हो जाता था यह लड़की को इस बात का एहसास हो जाता था कि कोई लड़का उसे पसंद करने लगा है,,,,ठीक उसी तरह का एहसास इस समय आराधना के मन में हो रहा था,,,।

हालात बिल्कुल भी ठीक नहीं थी घर में राशन खत्म हो चुका था पति की बेरुखी उसे पल-पल कचोट रही थी लेकिन ऐसे में उसके बेटे का साथ आराधना को हिम्मत के साथ साथ खुशी दे रहा था,,,, आराधना को अपनी बेटी का उसके खूबसूरत बदन को घूरना,,उसके खूबसूरत चेहरे की तरफ देख कर उसकी खूबसूरती की तारीफ करना और यह कहना कि लगता ही नहीं कि 2 बच्चों की मां हो,,, किसी और के मुंह से तो वह इस तरह की बातें शायद सुन सकती थी लेकिन अपने ही बेटे के मुंह से इस तरह की तारीफ सुनने में उसे गर्व का अहसास हो रहा था,,,,,, यह तो रही तारीफ की बात लेकिन पिछले कुछ दिनों में जिस तरह की हरकत संजू की तरफ से आराधना को देखने को मिली थी आराधना उसी से पूरी तरह से हैरानी के साथ-साथ प्रभावित भी थी,,,, पति के साथ मारपीट में बीच-बचाव करना उसके खातिर अपने ही पिता के साथ हाथापाई पर उतर आना,,, और तो और एकदम नग्न अवस्था की हालत में नंगे बदन को प्यासी नजरों से घुरना,,, यह सब आराधना के लिए बिल्कुल अद्भुत था,,,, ऑटो में दोनों पास पास में बैठे हुए थे और पास में बैठे होने की वजह से दोनों का बदन आपस में स्पर्श हो रहा था,,,,और एक दूसरे का बदन स्पर्श होने की वजह से दोनों की तन बदन में अजीब सी हलचल भी हो रही थी आराधना को तो बार-बार अपनी पेंटिंग गीली होती भी महसूस हो रही थी इस तरह की उत्तेजना वह बरसों के बाद महसूस कर रही थी,,, और यही हाल संजू का भी था पेंट के अंदर लंड पूरी तरह से गदर मचाने के लिए बेताब था,,,अपनी मां की मदहोश कर देने वाली जवानी को देखकर वह पूरी तरह से पानी पानी में जा रहा था उसका बस चलता तो किसी कोने में ले जाकर अपनी मां की साड़ी उठाकर उसकी चुदाई कर दिया होता,,,वैसे भी पहले सिर्फ उसे इस बात का अहसास होता था वह कल्पना करता था लेकिन उसकी मौसी ने उसे चोदना सिखा दिया था इसलिए अच्छी तरह से जानता था कि औरत को कैसे चोदा जाता है,,,,इसलिए उसके लिए यह काम नामुमकिन बिल्कुल भी नहीं था लेकिन मुश्किल भरा जरूर था क्योंकि यह तो वह खुद ऐसा सोच रहा था लेकिन उसे क्या मालूम था कि उसकी मां के मन में क्या चल रहा है,,,,।



मौसी के घर जाने सेसंजू की काफी उत्साहित और उत्सुक था समझ में नहीं आ रहा था कि किस हालात में मौसी से मुलाकात होगी मौका मिलेगा या नहीं और वैसे भी जहां तक उसे अंदेशा था कि अपनी मां की मौजूदगी में उसे बिल्कुल भी मौका नहीं मिलेगा,,, हालांकि इस बात से उसे तसल्ली भी थी कि अपनी मौसी के खूबसूरत बदन का भूगोल तो उसे देखने को मिल ही जाएगा और मौका मिला तो उसकी मौसी किसी ना किसी बहाने उसे जन्नत का नजारा दिखा ही देगी,,,,

देखते ही देखते थोड़ी देर में वह दोनों अपनी मौसी के घर पहुंच गए,,,, आराधना के मन में हलचल सी मच आई हुई थी कि वह अपनी बड़ी बहन से क्या बोलेगी हालांकि वह तो सब कुछ जानती नहीं थी लेकिन फिर भी यह पहली बार था जब वह अपनी बड़ी बहन से मदद मांगने के लिए आई थी,,,क्या बोलकर मांगना है इसके बारे में उसने कुछ सोच ही नहीं कि अगर ऐसा कहती है कि घर में राशन खत्म हो गया है और एक पैसा भी नहीं है तो उसकी और ज्यादा बदनामी होगी इसलिए अपने मन में यही सोच रही थी कि किस तरह से वह अपनी बहन से मदद मांगी यही सोचते हो वह दरवाजे के बाहर खड़ी होकर बेल बजा दी,,, थोड़ी ही देर में दरवाजा खुला और दरवाजा साधना ने खोली थी तो सामने दरवाजे पर अपनी छोटी बहन और संजू को देखकर एकदम से उसके चेहरे पर खुशी आगई,,,,वह एकदम से खुश होते हुए बोली,,,


अरे आराधना तु बहुत दिनों बाद आई,,,आ आ जल्दी अंदर आ,,,,(आराधना मुस्कुराते हुए कमरे में दाखिल हुई और उसके पीछे-पीछे संजु,, संजू की तरफ देखकर अपने होठों पर मादक मुस्कान बिखेरते हुए,, आराधना से नजर बचाकर वह अपना हाथ संजू के पेंट पर रखकर पेंट के ऊपर से इस कमेंट को दबा दी जो कि उत्तेजित अवस्था में था,,,, पेंट में संजू का लंड खड़ा होता है एहसास होते ही उसकी भौवें तन गई,,, और अपनी जीभ को अपने लाल-लाल होठों पर फेरते हुए संजू की तरफ देख कर आंख मार दी,,, अपनी मौसी की इस हरकत से संजू पूरी तरह से उत्तेजना से गनगना गया था,,,,,,,और जब उसकी मौसी इस तरह की हरकत कर रही है तो वह क्यों पीछे रहे यही मन में सोच कर वह अपनी मां से नजरे बचाता हुआ अपनी मौसी की बड़ी बड़ी गांड पर साड़ी के ऊपर से ही हाथ फेर दिया,,,,,,,
दोनों की यह छोटी सी छेड़खानी दोनों के तन बदन में उत्तेजना की चिंगारी फैलाने लगी दोनों को अपने अपने अंगों में सुरसुरा हट सी महसूस होने लगी,,,।

आराधना सोफे पर बैठ गई थी ठीक उसके सामने सोफे पर साधना बैठ गई,,, और संजू उसी तरह से खड़ा रह गया तो साथ ना बोली,,,।


अरे खड़ा क्यों है बैठ जा,,,
(अपनी मौसी की बात सुनकर संजू अपनी मां के बगल में जाकर बैठ गया,,, बातों का दौर शुरू करते हुए आराधना बोली)


आज तू बड़े दिनों बाद आई है,,, आज तुझे ऐसे नहीं जाने दूंगी,,,, खाना खाकर ही जाना,,,

अरे खाना खाकर ही जाऊंगी किसी गैर का घर थोड़ी है,,, मेरी दीदी का घर है,,,(इतना कहकर मुस्कुराने लगी संजु अच्छी तरह से जानता था कि वह दोनों उधार पैसे के लिए ही घर पर आए हैं लेकिन कहने में शर्म महसूस हो रही थी,,,,, क्या कहें कैसे कहें आदमी को समझ में नहीं आ रहा था इसलिए बात को इधर-उधर घुमाते हुए बोली,,)

बच्चे नजर नहीं आ रहे हैं,,,


अरे वह दोनों मॉल गए हैं शॉपिंग करने के लिए,,, बस अभी अभी निकले हैं,,,,(यह बताते हुए उसे बेहद अफसोस हो रहा था इस बात के लिए की उसके बच्चे घर पर नहीं थे और ऐसे में संजू उसके घर आया था लेकिन अपनी मां को लेकर काश वह अकेले आया होता तो आज उसे बहुत मजा आ जाता,,,,,,)

ओहहहह ,,, बच्चों से मुलाकात हो जाती तो अच्छा था,,,


अरे यार वह तो अब शाम को ही लौटेंगे आज छुट्टी का भी दिन था,,,,,, अच्छा तु यहीं बैठ में चाय बना कर लाती हूं,,,,

अरे दीदी रुको ना चाय तो पीती रहूंगी तुमसे एक जरूरी बात कहनी थी,,,।
(आराधना की बात सुनते ही चाय बनाने के लिए अपनी भारी-भरकम गांड को सोफे के ऊपर से उठाकर खड़ी होती हुई साधना एकदम सही स्थिर हो गई और अपनी भारी-भरकम गांड को उसी तरह से हवा में ही उठाए रह गई यह संजु देख रहा था,,,अपनी मौसी की बड़ी बड़ी गांड देखकर वह अपने मन में सोचने लगा की मौसी की गांड कितनी खूबसूरत है जिसके साथ वह दो-तीन बार मस्ती कर चुका है,,, अगर मौसी उसे अपने करीब आने का मौका ना दी होती तो शायद इस समय बाद सोफे पर बैठा बैठा अपनी मौसी के नंगे बदन केऔर उसकी बड़ी बड़ी गांड के बारे में सिर्फ कल्पना ही कर पाता लेकिन वह अपनी मौसी को सर से लेकर पांव तक पूरी तरह से नंगी देख भी चुका है और उसे भोग भी चुका है,,,।,,, हवा में लहराती हुई भारी भरकम गांड को आराधना की बात सुनते ही हल्के से वापस सोफे कर रख दी,,,, और यह देखकर संजू अपने मन में सोचने लगा कि सोफे की भी किस्मत कितनी अच्छी है जो इतनी खूबसूरत औरत की गांड अपने ऊपर रखे हुए हैं,,,, आराधना की बात सुनकर साधना बोली,,,)

हां बोल क्या जरूरी बात करनी है,,,

वो ,,, दीदी वह क्या है ना कि,,,


अरे तू हिचकिचाह क्यो रही है बोलना,,,,


वो दीदी मुझे पैसों की कुछ जरूरत थी,,, और इस समय घर पर पैसे नहीं है तो,,,,,(इतना कहकर शर्म के मारे आराधना अपनी नजरों को नीचे कर लिया तो साधना बोल पड़ी)

तो पगली इसमें कौन सी बड़ी बात है पैसों की जरूरत है सबको पढ़ती रहती है और तू तो मेरी छोटी बहन है तेरी मदद नहीं करूंगी तो किसकी करूंगी,,, बोल कितने पैसों की जरूरत है,,,


ज्यादा नहीं दीदी 5000,,,,


बस पाच हजार,,,, अरे पगली तू 10000 ले जा,,,मैं जानती हूं जिस तरह के हालात है घर में दिक्कत होती होगी और मैं नहीं चाहती कि मेरे होते हुए तुझे इतनी परेशानी हो और किसी चीज में तो शायद में मदद नहीं कर सकती लेकिन पैसों के मामले में और तेरे साथ खड़े रहने के मामले में मै हमेशा तेरे साथ हूं,,,(और किसी चीज का मतलब आराधना अच्छी तरह से समझ रही थी,,,)

दीदी तुम्हारा बहुत बहुत शुक्रिया,,,, मुझे पूरा विश्वास था कि आप मेरी मदद जरूर करेंगी,,, लेकिन मन में हिचकिचाहट थी कभी पैसे उधार मांगी नहीं ना इसलिए,,,।


चल कोई बात नहीं,,,,,,, मैं चाय बना देती हूं,,,,(इतना कहकर साधना अपनी चेहरा पर से खड़ी हो गई और एक नजर संजू की तरफ डालकर मुस्कुराते हुए किचन की तरफ जाने लगी तो आराधना भी खड़ी हो गई संजू को लगा की आराधना मौसी की मदद करने के लिए किचन की तरफ जा रही है लेकिन वह बाथरूम की तरफ जा रही थी जाहिर था कि उसे जोरो की पिशाब लगी होगी इसीलिए बाथरूम की तरफ जा रही थी और इसी मौके की तलाश में था,,,, जैसे ही आराधना बाथरूम के अंदर घुसकर दरवाजा बंद करें और दरवाजा बंद करने की आवाज जैसे संजू के कानों में पड़ी संजू लगभग दौड़ता हुआ किचन की तरफ गया और देखा भी उसकी मौसी चाय बनाने की तैयारी कर रही थी और पीछे से उसका पिछवाड़ा गजब ढा रहा था यह देखकर संजू से रहा नहीं गया और पीछे से जाकर अपनी मौसी को अपनी बाहों में भर कर उसकी गर्दन को चूमने लगा,,,
Sanju or Sadhna kitchen me



,संजू की इस हरकत की वजह से साधन से सिहर उठी वह बेहद उत्तेजित हो गई लेकिन तभी उसे ज्ञात हुआ कि आराधना भी बाहर मौजूद है इसलिए वह संजु को हटाने की कोशिश करते हुए बोली,,,।

पागल हो गया क्या तेरी मां घर में है और तू है कि यह सब कर रहा है,,,,(साधना संजु को हटाने की कोशिश करते हुए बोली और संजू तब तक पूरी तरह से उत्तेजित हो गया था पेंट में उसका लंड पूरी तरह से खाना हो गया था जोकी साधना की भारी-भरकम गांड पर धंस रहा था,,,, अपनी गांड पर संजू के लंड की चुभन महसूस करते ही साधना का भी धैर्य टूटने लगा और वह अपना हाथ पीछे की तरफ लाकर पेंट के ऊपर से ही संजु के लंड को पकड़ ली और बोली,,,)

बाप रे तेरा तो इतनी जल्दी खडा हो गया,,,



Sadhna se bilkul bhi sabra nahi ho raha tha

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मौसी तुम्हारी गांड देखकर मुझ से रहा नहीं गया,,,(अपने दोनों हाथों को ब्लाउज के ऊपर रखकर ब्लाउज के ऊपर से ही अपनी मासी के चूचियों को दबाते हुए गहरी सांस लेते हुए बोला साधना भी पूरी तरह से उत्तेजित हो गई थी,,,संजू की हरकत उसके तन बदन में उत्तेजना की आग को और ज्यादा भड़का रही थी वैसे भी संजू को अपने घर में देखा करवा पूरी तरह से उत्सुक थी उसके साथ कुछ कर गुजरने के लिए लेकिन अपनी छोटी बहन की उपस्थिति में यह होना संभव बिल्कुल भी नहीं था लेकिन संजू ने जिस तरह की हिम्मत दिखाते हुए उसकी हमको से खेलना शुरू किया था उसकी आंख फड़कने लगी थी,,,,)

तेरी मां इधर ही है यह सब करना था तो अपनी मां को क्यों लेकर आया तू अकेले आ गया होता,,, तुझे पैसे भी मिल जाते और मजा भी,,,


क्या करूं मौसी में तो अकेले आने वाला था लेकिन मम्मी मानी नहीं,,,,,,(इतना कहते हुए अपनी मौसी के ब्लाउज का बटन खोलने लगा तो साधना उसे रोकते हुए,,,)


पागल हो गया है तेरी मां ईधर ही है,,,


मममी बाथरूम में गई है,,,
Sadhna or Sanju



तो तेरी मां बाथरूम में मुतने गई होगी आराम करने नहीं जो इतना उतावला हो रहा है,,, जा बाहर जाकर बैठ में कुछ करती हूं,,,,


तुम्हें छोड़कर जाने का मन नहीं कर रहा है मौसी,,,


मुझे छोड़कर या मेरी चूत को,,,


चूत भी तो तुम्हारी है मौसी,,, जितनी खूबसूरत तुम हो उतनी खूबसूरत तुम्हारी चूत भी है,,,,(संजीव पुरी तरह से उत्तेजित हो गया था और अपनी बात कहते हुए वह अपनी मौसी की सारी ऊपर की तरफ उठाने लगा था संजू की हिम्मत देखकर साधना का भी हौसला टूट रहा था उसका भी धैर्य जवाब दे रहा था लेकिन वह जानती थीआराधना की मौजूदगी में उन दोनों की एक गलती सब कुछ बिगाड़ सकती थी,,,, ईसलिए साधना समझदारी दिखाते हुए संजु को रोकने का की और उसे बाहर जाने के लिए कहने लगी,,,)

देख संजू तुझे मेरी कसम अगर तेरी मां को इस बारे में पता चल गया था जो मजा तु ले रहा है सब बंद हो जाएगा,,,,
( अपनी मौसी की बात को समझो अच्छी तरह से समझ रहा था मैं जानता था कि उन दोनों की एक गलती दोनों के लिए सजा बन सकती है इसलिए वह अपनी मौसी की बात मान गया लेकिन बोला,,)

तूम कहती हो तो चला जाता हूं मौसी लेकिन एक बार अपनी साड़ी ऊपर करके दिखा तो दो कौन से रंग की पैंटी पहनी हो,,,
Sadhna or Sanju



क्या पागलों जैसी बात कर रहा है,,,(साधना मुस्कुराते हुए बोली संजू की हरकतों से पूरी तरह से उत्तेजित कर रही थी और वह अच्छी तरह से देख रही थी कि एक जवान लड़का कैसे उसकी जवानी का दीवाना हो गया है,,, सिर्फ संजू का ही मन नहीं था उसके अंगों को देखने का उसके कपड़ों को देखने का बल्कि साधना भी चाहती थी कि संजू अगर अकेले में मिलता है तो अपना सारा वस्त्र निकालकर पूरी तरह से नंगी होकर उसे अपनी जवानी के रस में डुबो देती लेकिन इस समय मजबूर थी क्योंकि उसकी छोटी बहन घर पर मौजूद थी,,,)

तू चला जा बाद में दिखा दूंगी,,,


नहीं नहीं मुझे अभी दिखाओ तुम्हें मेरी कसम,,,


कितना पागल है तू,,,, अच्छा रुक दिखा देती हूं,,,(किचन के दरवाजे की तरफ देखते हुए बोली,,,, और पूरी तरह से एहतियात बरतते हुए साधना अपनी साड़ी को एकदम से कमर तक उठाती वह लाल रंग की पैंटी पहनी हुई थी जो कि गोरी गोरी जांघों पर बहुत खूबसूरत लग रही थी यह देख कर संजू पूरी तरह से उत्तेजित हो गया और उसे अपनी मौसी का काम रस भी नजर आ रहा था जिससे पेंटिं गोलाकार बिंदु में भीगी हुई थी,,,, संजू से रहा नहीं गया और वो अपना हाथ आगे बढ़ा कर अपनी मौसी की चूत को पेंटी सहीत अपनी हथेली में दबाते हुए बोला,,,)

सहहहहह ,,,,,ओहहहहह मौसी,,,, तुम्हारी चुत तो गीली हो गई है,,,,(साधना की चूत को अपनी हथेली में दबोचे हुए ही बोला,,पर उसकी हरकत से साधना को अपनी चूत में मीठा मीठा दर्द महसूस हुआ तो वह बोली,,)

आऊचचच,,,, क्या कर रहा है तो इस तरह की हरकत करेगा तो चुत तो गीली होगी ही,,,,
(संजू की आंखों में उत्तेजना और वासना का तोहफा नजर आ रहा था वह किसी भी हाल में अपनी मौसी की चूत को अपने हाथों से अलग नहीं करना चाहता था वह बल्कि अपनी मौसी की पैंटी को उतार कर उसकी नंगी चूत को देखना चाहता था कि तभी बाथरूम का दरवाजा खुला और भड़ाक की आवाज के साथ बंद भी हो गया,,,जैसे ही बाथरूम का दरवाजा बंद होने की आवाज दोनों के कानों में पड़ी दोनों एकदम से चौकन्ने हो गए और साधना अपनी साड़ी को नीचे करते हुए बोली,,)


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हट तेरी मां आ गई,,,,
(संजू भी तुरंत साधना से दूर हो गया और फ्रिज का दरवाजा खोल कर पानी की बोतल निकालने लगा तब तक आराधना भी किचन में आ गई थी और उसे जरा भी शक नहीं हुआ था क्योंकि साधना एकदम सहज हो चुकी थी और संजू भी फ्रिज में से पानी की बोतल निकाल कर पीना शुरू कर दिया था,,,,)

मैं कुछ मदद करूं क्या दीदी,,,,


नहीं रहने दे मैं बना लूंगी,,,(जिस तरह की आंख संजू ने साधना के तन बदन में लगाया था वह चुदवाने के लिए पूरी तरह से ललाईत हो गई थी,,,वह अच्छी तरह से जानती थी क्या करें इस समय वहां संजू के लंड को अपनी चूत में नहीं ली तो अपनी चूत की आग बुझाने के लिए उसे काकड़ी और बैगन का सहारा लेना पड़ेगा और उससे भी उसे ज्यादा आनंद नहीं मिल पाएगा जितना मजा संजू के लंड से उसे आने लगा था,,, इसलिए साधना अपना दिमाग चलाने लगी कि क्या युक्ति लगाया जाए कि आज वह अपनी बहन की मौजूदगी में ही उसके बेटे से चुदवा सके,,,,इसी मामले में उसका दिमाग शायद कुछ ज्यादा ही तेजी से काम करता था जैसा कि अगले बार संजू घर पर आया था तो सब की मौजूदगी में ही वह कपड़े सुखाने के बहाने समझू को सीढ़ियों पर ले गई थी और सीडी पर का दरवाजा बंद करके अद्भुत चुदाई का सुख प्राप्त की थी आज भी उसे कुछ ऐसा ही करना था,,,,,,, और उसकी आंखों में खुशी की चमक नजर आने लगी और वह आराधना से बोली,,,।


अच्छा एक काम कर तू चाय बना तब तक मैं अपने कमरे में जाकर पैसे ले करके आती हूं क्योंकि सूटकेश ऊपर ऊंचाई पर रखा हुआ है और मैं उसे उतार नहीं पाऊंगी,,,

ठीक है दीदी तुम जाओ मैं बना दूंगी,,,


संजू तु मेरे साथ चल तो,,, और हां आराधना इलायची वाली कड़क चाय बनाना जैसा कि तू बनाती है तेरे हाथ की चाय का मजा ही कुछ और है जल्दबाजी बिल्कुल भी मत करना बहुत दिन हो जाते हैं तेरे हाथ की चाय पीए,,,


ठीक है दीदी तुम चिंता मत करो तुम्हें अच्छी चाय पिलाऊंगी,,,,

(साधना की युक्ति काम कर गई थी केवल 10 मिनट का समय चाहिए था उसे और वह कैसे अपने सूटकेस में नहीं रखी थी वह तो एक बहाना था संजु को अपने कमरे में ले जाने का क्योंकि पहले से ही दोनों एकदम कामातुर हो चुके थे एक दूसरे में समाने के लिए तड़प रहे थे,,,, संजू का भी कोई जरूरत है साथ में लगा था क्योंकि वह अपनी मौसी के इरादे को अच्छी तरह से समझ गया था और मन ही मन अपनी मौसी के दिमाग की दाद दे रहा था,,,,अपनी मौसी के कमरे में क्या करना है यह सोच कर ही उसका लंड ठुनकी मारने लगा था,,,, आराधना चाय बनाने की तैयारी करने लगी और साधना आगे आगे और संजु अपनी मौसी की बड़ी-बड़ी गांड देखकर लार टपकाते हुए उसके पीछे पीछे जाने लगा,,, साधना आगे आगे चलते हुए पीछे की तरफ संजु को देखते हुएउत्तेजना के मारे अपने लाल-लाल होठों को बात से काटते हुए इशारा कर रही थी कि आज बहुत मजा आएगा,,,,।

अगले ही पल साधना संजु को अपने कमरे में ले आई,,, दोनों की सांसे बड़ी तेजी से चल रही थी,, साधना तुरंत दरवाजा बंद करके कड़ी लगा दी,,,, और संजू की तरफ घूम कर उसे अपनी बांहों में भरते हुए बोली,,,।

देखा ना सब्र का फल बहुत मीठा होता है,,, तेरी मां की मौजूदगी में तेरा लंड अपनी चूत में लुंगी,,,


मान गए मौसी तुम्हारे दिमाग की दाद देनी होगी ऐसे ही उस दिन भी घर में सब की हाजिरी में ही चुदवाली और किसी को कानों कान खबर तक नहीं हुआ,,,,

अब बातें मत कर अपना काम कर जो करने आया है,,,


वही तो कर रहा हूं मेरी जान,,,
(इंसान इसी तरह से खुल जाता है अगर आपस में इस तरह के संबंध स्थापित हो जाए तो और उसी तरह से संजू भी अपनी मौसी के साथ पूरी तरह से खुल चुका था इसीलिए तो मौसी की जगह से जान कहकर बुला रहा था और उसकी मौसी को जान कहने में कोई बुराई भी नजर नहीं आ रही थी क्योंकि एक तरह से उसने अपना सब कुछ अपने भतीजे को सौंप दी थी,,, संजू झटके से अपनी मौसी को अपनी बांहों में कस लिया और उसके होठों पर होठ रखकर चूसना शुरू कर दिया,,, और अपना हाथ उसकी गांड पर रखकर जोर जोर से दबाना शुरू कर दिया,,,, दोनों पूरी तरह से कामातुर हो चुके थे,,, संजू का लंड पेंट में होने के बावजूद भी साधना की दोनों टांगों के बीच ठोकर मार रहा था,,, इसलिए उत्तेजना के मारे उसकी चूत और ज्यादा पानी छोड़ रही थी,,,।

आहहहह ,,संजु,,,,ऊमममममम,,, बहुत मजा आ रहा है,,,

अभी डाला कहां हु मौसी जब लंड डालूंगा तो और मजा आएगा,,,


तो डालना हरामजादे रुका क्यों है,,,,

इतना सुनना था कि संजू दोनों हाथों से अपनी मौसी की सारी ऊपर की तरफ उठाने लगा और देखते ही देखते साधना की साड़ी को वह कमर तक उठा दिया,,,, साड़ी कमर तक उठाते ही संजू अपनी दोनों हाथेली ,,,साधना की लाल रंग की पेंटी के अंदर डालकर उसकी बड़ी बड़ी गांड को अपनी हथेली में दबोच लिया,,,, साधनआ पूरी तरह से गर्मा जा रही थी,,,संजू की इस तरह की हरकत उसे और ज्यादा उत्तेजित कर रहे थे लेकिन वह जानती थी कि दोनों के पास समय बहुत कम है इसलिए साधना समय बर्बाद ना करते हो अपना दोनों हाथ में से की तरफ ले जाकर के संजू का बेल्ट खोलने लगी वह संजू के पेंट को उसके अंडरवियर सहित नीचे की तरफ सरका ने लगी,,,,,, और उसके टनटनाए लंड को अपनी हथेली में लेकर आगे पीछे करके मुठिया ना शुरू कर दी,,,अपनी मौसी के नरम नरम हथेली में अपना कड़क लंड महसूस करते ही उसके लंड की गर्मी और ज्यादा बढ़ने लगी,,,,।

संजू के गरम लगने के कारण साधना की चूत पिघल रही थी उसे रहा नहीं जा रहा था उसे बर्दाश्त नहीं हो रहा था इसलिए वह संजू से बोली,,,।

सहहह संजु मुझसे रहा नहीं जा रहा है जल्दी से डाल दे,,,,


जैसी आज्ञा महारानी,,, आपका यह सेवक सेवा में हाजिर है,,,(इतना कहकर वह एक कदम पीछे हटा और अपने लंड को हाथ में लेकर हिलाना शुरू कर दिया साधना की नजर संजू के खड़े लंड पर पड़ी तो वह एकदम से ललच उठी,,,, अपने लंड को हिलाते हुए संजू बोला,,,


चूत में लेने से पहले मौसी इसे एक बार अपने मुंह में लेकर गीला तो कर दो बहुत मजा आएगा,,,,
(संजू की बात को साधना इनकार नहीं कर पाई और तुरंत संजू के लंड पर झुक गई और उसे मुंह में लेकर चूसना शुरू कर दी,,, और उत्तेजना के मारे संजू साधना के घने बाल को अपनी मुट्ठी में लेकर अपनी कमर को आगे पीछे करके उसके मुंह को चोदना शुरू कर दिया साधना को बहुत मजा आ रहा था लेकिन समय ज्यादा नहीं था इसलिए वह जल्द ही अपने मुंह में से संजु के लंड को बाहर निकाल दी,,, और गहरी सांस लेते अपने बिस्तर के करीब आई और दोनों टांगों को बिस्तर के नीचे रखकर अपने हाथ की कोहनी को नरम नरम गद्दे पर रखकर झुककर घोड़ी बन गई,,,, साधना का यह रूप संजू के तन बदन में आग लगा रहा था वह तुरंत आगे बढ़ा और अपनी मौसी के लाल रंग की पैंटी को खींच कर नीचे घुटनों में फंसा दिया अपनी मौसी की बड़ी बड़ी गांड देख कर उससे रहा नहीं गया और वह दो चार चपत गांड पर लगा दिया,,,, जिससे साधना के मुंह से आह निकल गई और संजू बिना देर किए अपने लंड को उसके गुलाबी छेद में डालकर चोदना शुरू कर दिया,,, शुरुआत से ही संजू अपनी रफ्तार को तेज किए हुए था और तेज रफ्तार की चुदाई में लपा लप धक्के पर धक्का लगाने लगा पल भर में ही साधना के मुंह से गर्म सिसकारी की आवाज छूटने लगी जो कि बड़ी मुश्किल से वहां कंट्रोल में किए हुए थे लेकिन फिर भी वह ज्यादा जोर से गर्म सिसकारी की आवाज नहीं निकल रही थी उसे डर था कि कहीं कमरे से बाहर आवाज चली गई तो कहीं आराधना के कानों में आवाज ना पड़ जाए,,,।

संजू पूरी मस्ती के साथ अपनी मौसी की चुदाई कर रहा था वह अपने दोनों हाथ को आगे की तरफ लाकर अपनी मौसी के ब्लाउज के बटन को खोल कर उसकी चूचियों को दबाना शुरू कर दिया था,,, और संजू की इस हरकत की वजह से उसका मजा दुगुना होता जा रहा था क्योंकि एक तरफ वह स्तनमर्दन कर रहा था और दूसरी तरफ चूत में अपना लंड पेल रहा था,,,,देखते ही देखते 15 मिनट के करीब होने वाला था ज्यादा समय गुजर गया था इतनी देर में चाय बन कर तैयार हो जानी चाहिए थी इसलिए साधना संजू से बोली,,,।

जोर जोर से धक्के मार संजू अपना पानी निकाल,,,, ऐर मेरा भी,,,


चिंता मत करो मैसी,,, यह लो,,,,( ईतना कहने के साथ ही संजू की रफ्तार और ज्यादा बढ़ गई किसी मशीन की तरह उसका मौसी की चूत में अंदर बाहर हो रहा था और देखते ही देखते दोनों एक साथ झड़ गए,,,, थोड़ी देर में गहरी सांस लेते हुए संजु अपने लंड को अपनी मौसी की चूत में से बाहर निकाला और अपने कपड़ों को दुरुस्त करने लगा,,,, साधना भी पूरी तरह से मस्त हो चुकी थी,,,, वापी गहरी गहरी सांस लेते हुए नीचे की तरफ झुकी और अपने घुटनों में फंसी पेंटी को ठीक करके उसे ऊपर की तरफ उठाने लगी और अपने बेशकीमती खजाने को पेंटी की आड़ में छुपा ली,,,।

कैसा लगा मौसी,,,(अपने बेल्ट को बंद करते हुए,,,)


हमेशा की तरह बहुत मजा आया,,,(अपने ब्लाउज के बटन को बंद करते हुए साधना बोली,,, साधना अपने कपड़ों को दुरुस्त कर चुकी थी,,, दोनो बाहर निकलने की तैयारी में थे तभी संजू बोला,,)

मौसी सूटकेस उतारू क्या,,,

नहीं रे सूटकेस उतारने की जरूरत नहीं है मैं पैसे सूटकेस में थोड़ी रखती हूं रुक,,,(इतना कहकर अलमारी के पास गई बार आलमारी खोलकर उसमें से ₹10000 निकालकर मुस्कुराते हुए बोली,,,)
वह तो एक बहाना था तुझे अपने कमरे में लाकर चुदवाने का,,,

मान‌ गए मौसी तुम्हारे जैसा दिमाग किसी का भी नहीं है,,,

(और मुस्कुराते हुए दोनों कमरे से बाहर आ गए,,, चाय बन कर तैयार हो चुकी थी और आराधना ने कप मे निकाल भी दी थी,,,, तीनों बैठकर चाय पीने लगे इधर उधर की बातें होने लगी आराधना को बिल्कुल भी शक नहीं हुआ कि 15 मिनट से साधना उसके जवान बेटे को अपने कमरे में ले जाकर के सूटकेस खोलकर पैसे निकलवा रही थी या साड़ी उठाकर कुछ और करवा रही थी,,,,,, संजु साधना बहुत खुश थे दोनों से भी ज्यादा खुशी साधना को थी क्योंकि उसकी बहन ने उसे ₹10000 दिए थे,,,, बात ही बात में साधना ने आराधना को कोई अच्छी सी नौकरी करने की सलाह दी ताकि वह अपने पैरों पर खड़ी रह सके क्योंकि वह पढ़ी लिखी थी और कंप्यूटर का भी अच्छा खासा ज्ञान था अपनी दीदी का प्रस्ताव आराधना को भी अच्छा लगा और इस बारे में सोचने के लिए वह बोल दी थी,,,

दोपहर का खाना खाने के बाद कुछ देर तक आराधना और संजू वहीं रुके रहे हो और शाम के 4:00 बजते हैं वह लोग साधना के घर से बाहर निकल गए क्योंकि साधना ने संजू से बताई थी कि कर चलते समय मार्केट में से राशन की खरीदी करना है,,, पर वह लोग ऑटो करके मार्केट के लिए निकल गए,,,।)
Mausi to poori kalakar h,poore ghar walo k rhte chudwa li thi ,ab to chhoti bahan k rhte v usi k bete se chudwa liya,poori raand h
 
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