, आराधना अपने कमरे में अपने पति का इंतजार करते हुए सो गई थी,,,, आज उसकी शादी की सालगिरह थी,,,, सुबह से ही वह आज बहुत खुश नजर आ रही थी,,, ऐसा कम ही होता था कि जब वह बहुत खुश होती थी,,,,
शादी की सालगिरह की खुशी उसे बिल्कुल भी नहीं थी खुशी तो उसे इस बात की थी कि आज उसका पति रमेश अपनी सालगिरह पर शराब ना पीने का कसम खाकर गया था और आते समय उसके लिए गिफ्ट लाने का वादा करके गया था,,,,,, अपने पति के बर्ताव को देखकर उसके मन में उम्मीद की किरण नजर आने लगी थी कि अब से सही उसका पति सुधर तो जाएगा,,, इसी उम्मीद से वह रात की तैयारी सुबह से ही करना शुरू कर दी थी,,, रात के भोजन के लिए वह पूड़ी सब्जी और खीर बना कर रखी थी ,,,,
संजू आराधना का बड़ा लड़का था और मोहिनी उसकी छोटी लड़की थी दोनों भी अपने मम्मी पापा के इस खुशी में हाथ बताते हुए उसकी मदद कर रहे थे आराधना गौर से अपने बच्चों को देखकर अपने मन में भगवान से यह प्रार्थना करती रहती थी कि हे भगवान अब से उसकी जिंदगी सुधर जाती तो बहुत अच्छा होता,,,,
रात के 9:00 बज गए थे सारी तैयारियां हो गई थी बस इंतजार था रमेश का जो कि अपनी ड्यूटी खत्म करके इस समय तक आ ही जाता था लेकिन धीरे-धीरे 10:00 बज गए संजू और मोहिनी भी अपनी मां के साथ दरवाजे पर खड़े होकर अपने पापा का इंतजार करने लगे,,,, आराधना का दिल जोरों से धड़क रहा था उसे लगने लगा था कि सुबह सुबह सुबह कसम खाकर गया था उसे भी तोड़ दिया होगा तभी तो 10:00 बज गए और उसका पता नहीं था,,,, बाहर का रास्ता देखते देखते आराधना की आंखों में आंसू भर आए थे लेकिन वह अपने बच्चों से अपने आंसुओं को छुपा ले रही थी,,, क्योंकि वह अपने बच्चों की खुशी को दुख में नहीं बदलना चाहती थी इसलिए वह अपने बच्चों को खाना परोस दी और उन्हें खिलाकर उन्हें अपने कमरे में भेज दी जोकि उसके ही कमरे से सटा हुआ था,,,,।
संजू को अपने पापा की आदत के बारे में अच्छी तरह से मालूम था उसे लगने लगा था कि आज भी उसके पापा पीकर ही आएंगे इसलिए वह अपनी बहन मोहिनी को लेकर कमरे में चला गया और सो गया,,, राह देखते देखते 12:00 बज गए तो आराधना भी आंखों में आंसू लिए दरवाजे को बंद कर दी लेकिन उसकी कड़ी नहीं लगाई क्योंकि वह जानती थी कि रात में वह कभी भी आएगा जरूर,,,,। आराधना सुबह से बहुत खुश थी अपने पति को हर तरह से खुश करने के लिए वह एकदम से सज-धज कर तैयार हुई थी एकदम दुल्हन की तरह लग रही थी,,,,। एक औरत होने के नाते वहां अच्छी तरह से जानती थी किसान की राखी रात को उसके पति के लिए और उसके लिए सुहागरात वाली रात होती है इसलिए वह अपनी चूत के बाल को क्रीम लगाकर अच्छे से साफ कि थी क्योंकि वह किसी भी तरह से अपने पति को खुश करना चाहती थी,,,,,,, बदले में वह यही चाहती थी कि उसका पति सुधर जाए,,,,
दुल्हन की तरह सज धज कर अपने पति का इंतजार करते हुए रात के 1:00 बज गए वह खाना नहीं खाई थी खाती भी कैसे उसकी खुशियों में ग्रहण जो लग गया था शराब उसके लिए सौतन बन चुकी थी,,,, आखिरकार इंतजार करते करते थक गई और बिना खाए ही सो गई,,,,
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रात के 3:00 बज रहे थे,,, आराधना कोई ऐसा लगा कि कोई उसके ब्लाउज के बटन खोल रहा है और जैसे ही उसकी नींद खुली तो उसका पति एक तरह से उसके ऊपर चढ़कर अपने घुटनों के बल अपने घुटनों को उसकी कमर के इर्द-गिर्द रखकर उसके ब्लाउज के बटन खोल रहा था,,,, अपने पति को अपने ऊपर देख कर वह पहले तो डर गई,,,, लेकिन शराब की बदबू जैसे ही उसके नाक में पहुंची उसे इस बात का अहसास हुआ कि,,, उसके ऊपर कोई और नहीं बल्कि उसका पति रमेश,,,।
आखिरकार तुमने अपनी कसम तोड़ दी फिर से शराब पीकर आए हो और आज के दिन अपनी शादी की सालगिरह के दिन आज मैं कितनी उम्मीद लगाकर तुम्हारा इंतजार कर रही थी,,,।
तो क्या हुआ मेरी रानी आ तो गया हूं ना,,,(रमेश एकदम लड़खड़ाते स्वर में बोला)
चलो पहले खाना खा लो,,,,(आराधना अपने पति का हाथ उठाते हुए पूरी लेकिन उसका पति माना नहीं है और जबरदस्ती उसके ब्लाउज के बटन खोलते हुए बोला)
नहीं पहले मुझे चोद लेने दे,,,,,
नहीं अब मेरा मन बिल्कुल भी नहीं,,,(आराधना फिर से उसका हाथ उठाते हुए बोली तो इस बार और गुस्सा दिखाते हैं उसके गाल पर दो-चार तमाचा लगा दिया और बोला)
साली तैयार होकर बैठी है और कहती है मेरा मन नहीं है कोई और से चुदवा कर तो नहीं सोई है,,,,(रमेश अपनी बीवी को गंदा इल्जाम लगाते हुए उसके ब्लाउज के सारे बटन खोल दिया,,,,और उसकी ब्रा को बिना खोले उसे पकड़ कर उसकी छाती के ऊपर का खींच लिया जिससे उसकी दोनों चूचियां एकदम से आजाद हो गई और वह तुरंत उसे दोनों हाथों में तो दबोचकर दबाने लगा,,,)
तुम्हें शर्म नहीं आती इस तरह की बातें करते हो मुझे पता भी है कि आज क्या है अपनी शादी की सालगिरह है कितनी उम्मीद लगाकर में आज तुम्हारा इंतजार कर रहे थे कि आज तुम सुधर गए होगे,,,, लेकिन तुम कभी को सुधारने वाले नहीं हो शराब छोड़ने वाले नहीं हो,,,,
हां मुझ से शराब छूटने वाली नहीं है,,,,(इतना कहने के साथ ही वह नीचे झुक कर अपनी बीवी की चुचियों को मुंह में लेकर पीना शुरू कर दिया,,,, रमेश एकदम उत्तेजित हो गया था और वह जोर-जोर से अपनी बीवी की चूची को पी रहा था लेकिन इसमें आराधना को जरा भी आनंद की अनुभूति नहीं हो रही थी उसकी आंखों से आंसू टपक रहे थे क्योंकि वह जानती थी कि उसका पति उसके जज्बातों को कभी नहीं समझ पाएगा,,,,)
तुम्हें सिर्फ मेरे बदन से प्यार है मुझसे नहीं,,,
अब बकवास मत कर मुझे अपना काम करने दे,,,
(और इतना कहते हुए वह साड़ी को बिना उतारे साड़ी को पकड़कर ऊपर की तरफ करने लगा और अगले ही पल अपनी बीवी की साड़ी को कमर तक उठाकर उसकी लाल रंग की पैंटी को अपने दोनों हाथों से खींचने लगा,,,,आराधना की भारी-भरकम गांड के नीचे उसकी लाल रंग की पैंटी दबी हुई थी जो कि निकल नहीं रही थी यार अब मैं जानती थी क्या करने के लिए कि नहीं तो वह खींचकर उसकी नई पेंटी को जो कि वह 2 महीने पहले ही अपने पैसे बचा कर इसी दिन के लिए खरीद कर रखी थी वह नहीं चाहती थी कि वह फट जाए,,, इसलिए मन ना होने के बावजूद भी वह अपनी भारी भरकम गांड को ऊपर की तरफ उठा कर पेंटी निकलवाने में मदद करने लगी,,,,, अपनी बीवी को इस तरह से अपनी गांड उपर उठाते हुए देखकर रमेश हंसते हुए बोली,,,।)
Ramesh apni bibi k sath kuch is tarah se
हाय मेरी रानी तेरा भी बहुत मन कर रहा है ना सिर्फ नखरा कर रही है,,,
(जवाब नहीं आ रहा देना नहीं कुछ नहीं कहीं वह बस दूसरी तरफ मुंह करके सब कुछ सहती रही,,,, रमेश अपनी बीवी की चिकनी चूत देखकर पूरी तरह से बावला हो गया एक तो शराब का नशा उस पर से अपनी बीवी की मदमस्त जवानी का नशा उस पर दोगुना असर करने लगा और वह अकेले ही पर अपने सारे कपड़े उतार कर नंगा हो गया,,,,आराधना अपने मन में सोचने लगी कि अगर उसका पति एक सही इंसान होता तो शायद इस पल का वह भी भरपूर मजा लेती लेकिन उस के नसीब में शायद यह सब बिल्कुल भी नहीं था,,,, रमेश आराधना की दोनों टांगों के बीच अपने लिए जगह बनाते हुए अपने खड़े लंड को एक बार में ही उसकी चूत में डाल दिया जो कि उत्तेजना रहित सूखी हुई थी उसमें गीलापन बिल्कुल भी नहीं था क्योंकि आराधना को बिल्कुल भी आनंद नहीं आ रहा था इसलिए वह दर्द से बिलबिला उठी लेकिन उसके पति कोउसके दर्द की बिल्कुल भी चिंता नहीं थी लेकिन बगल वाले कमरे में सो रहे संजू की आंख खुल गई और वह जवान हो रहा लड़का था इसलिए उसे समझते देर नहीं लगी कि बगल वाले कमरे में क्या हो रहा है,,
Ramesh apni bibi aaradhna k sath
ascendium
, अच्छी तरह से जानता था कि उसका बाप उसकी मां पर अत्याचार करता है उसकी इज्जत नहीं करता उसे खुशियां नहीं देता और बस इस तरह से अपनी मनमानी करता रहता है,,,, रमेश आराधना को चोदना शुरू कर दिया था,,, आखिरकार वह भी एक औरत की लंड के अंदर बाहर होते ही उसकी चूत से पानी निकलना शुरू हो गया था उसे भी आनंद आने लगा था लेकिन जब तक कि वह गर्म होती है उससे पहले ही रमेश हांफने लगा,,,, वह झड़ चुका था अपनी बीवी को भी ना संतुष्ट कि वे खुद संतुष्ट होकर उसके ऊपर से उठकर बगल में पसर गया था खाने की शुध उसे बिल्कुल भी नहीं थी,,,,
Ramesh aaradhna ki chudai karta hua
थोड़ी देर बाद अपने आंसुओं को पोछते हुएआराधना उठी और अपने कपड़ों को तरसे करके उसे भी खाने के लिए उठाने लगे लेकिन वह शराब के नशे में चूर होकर सो चुका था,,,, वह कभी सपने में भी नहीं सोची थी कि उसकी जिंदगी इस तरह से नरक हो जाएगी सुबह परोसी हुई थाली को एक तरफ रख कर वह भी बिस्तर पर लेट गई और कब उसकी आंख लग गई उसे पता भी नहीं चला,,,,,। संजु को इस बात का मलाल था कि,,, इतना बड़ा होने के बावजूद भी वह अपनी मां के लिए कुछ कर नहीं पा रहा है,,,,
आखिरकार वह भी काफी देर तक सोचते-सोचते नींद की आगोश में चला गया,,,।