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भैया बने सैंया

Rajizexy

punjabi doc
Supreme
43,437
42,942
289
जवानी का तन पर चढे खुमार,
खिलने लगे हैं मेरे बड़े उभार,
फ्रॉक, टेप औ स्कर्ट की गयी उमर,
अब घाघरा चोली संग होगा समर।

बढ़ती जा रही है मेरी चुच्ची,
बात है ये बिल्कुल सच्ची- मुच्ची,
गाँड़ समाती नहीं अब कच्छी में,
बुर छुपती, घुंघराये केसों की गुच्छी में।

रिसती रहती है जो बुर से लार,
ऐसे में करती उंगली हर बार,
कभी बैगन भी तो कभी ककड़ी,
ऐसे में भैया की नज़रों ने पकड़ी।

शर्म से मैंने आंखें मींची,
भैया ने आकर चादर खींची,
मुझको बिल्कुल अधनंगी पाया,
देखके उनका मन ललचाया।

उसने मुझको गोद में उठाया,
तन से उठा दिया कपड़ो का साया,
अपना काला मोटा लंड दिखाया,
ये नज़ारा मुझको बड़ा भाया

चूस रहे थे वो मेरे आम,
भूल बिसर के सारे काम,
मुझपर छा चुकी थी पूरी मस्ती,
भूल गयी थी भाई-बहन की हस्ती

रात में भैया बन गए सैंया
बहन की पार लगा दी नैया,
शक्ल सूरत से हूँ पूरी भोली,
कल रात पर भैया संग सोली।

पूरी रात भैया ने मुझको चोदा,
कोमल प्यारी बुर को खोदा,
पहले ना तो, लंड से थी चुदवाई,
गाँड़ में भैया की उंगली भी थी समाई

बढ़ते दर्द से अब थोड़ा चिल्लाई
मैं बोली,"इतनी जल्दी क्या है भाई,
तुझे अपना सैंया बनाने की है ठानी,
वो बोले," अबसे तू है मेरे लंड की रानी"

“सूंघी है गुसलखाने में तेरी कच्छी,
आज मेरी किस्मत है बड़ी अच्छी,
तुझको आज चोदूँगा जी भरकर,
सारी रात बाहों में भरकर,

बुर में लंड हर रोज़ पेलूँगा,
तेरी जवानी से रोज़ खेलूंगा,
चुसूंगा तेरा यौवन ये पावन,
ए लैला, मज़े करेंगे इस सावन,

“हाँ भैया, चोद ले अब अपनी बहना,
संभलता नहीं अब यौवन का गहना,
प्यार का एहसास तुमसे ही लूँगी,
तुम्हारा मस्त लंड बुर में खूब लूँगी,

बुर से रिसता है, हरदम पानी,
लंड की प्यासी है, तेरी रानी,
मैं हूँ तेरी गाय, तू है मेरा सांड,
चोदो मुझे भाई, मैं हूँ तेरी रांड,

ना जाने कब होगा मेरा लगन,
दुल्हन बन कब चुदूँगी, हो मगन,
बनो आज मेरे पति, और मैं तेरी लुगाई,
आज है अपनी सुहागरात, करो मेरी ठुकाई”

हो चुकी थी पूरी मदहोश, लेकर बुर में लंड,
भाई चोद रहा था मुझको, जैसे दे रहा हो दंड,
घोड़ी बनाया उसने मुझको, खींच के मेरे बाल,
कोई रहम ना खाया उसने, बुरा था मेरा हाल,

चूतड़ों पर थप्पड़ों की हो रही थी बौछार,
बच्चेदानी के मुहाने तक, घुसा था औज़ार,
दोनों एक दूसरे के मिलन में थे इतने मशगूल,
ख्याल रहा ना हम दोनों को हो गयी भारी भूल,

बुर में ही भाई ने गिरा दिया लंड का पानी,
मैं अनजान, जोश में डूबी होने दी मनमानी,
दोनों होश में जब आये, नंगेपन में नहाये,
एक दूजे के होने की, जीवन में कसमें खाये।

रोज़ लगने लगा यौवन का मेला,
जिस आंगन में हमारा बचपन खेला,
कल तक हमदोनों थे बहन भैया
अकेले में बन चुके थे सजनी सैंया।
Awesome poetry, gazab writing 👌👌👌👌👌💯💯💯💯💯⭐⭐⭐⭐⭐
 
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जवानी का तन पर चढे खुमार,
खिलने लगे हैं मेरे बड़े उभार,
फ्रॉक, टेप औ स्कर्ट की गयी उमर,
अब घाघरा चोली संग होगा समर।

बढ़ती जा रही है मेरी चुच्ची,
बात है ये बिल्कुल सच्ची- मुच्ची,
गाँड़ समाती नहीं अब कच्छी में,
बुर छुपती, घुंघराये केसों की गुच्छी में।

रिसती रहती है जो बुर से लार,
ऐसे में करती उंगली हर बार,
कभी बैगन भी तो कभी ककड़ी,
ऐसे में भैया की नज़रों ने पकड़ी।

शर्म से मैंने आंखें मींची,
भैया ने आकर चादर खींची,
मुझको बिल्कुल अधनंगी पाया,
देखके उनका मन ललचाया।

उसने मुझको गोद में उठाया,
तन से उठा दिया कपड़ो का साया,
अपना काला मोटा लंड दिखाया,
ये नज़ारा मुझको बड़ा भाया

चूस रहे थे वो मेरे आम,
भूल बिसर के सारे काम,
मुझपर छा चुकी थी पूरी मस्ती,
भूल गयी थी भाई-बहन की हस्ती

रात में भैया बन गए सैंया
बहन की पार लगा दी नैया,
शक्ल सूरत से हूँ पूरी भोली,
कल रात पर भैया संग सोली।

पूरी रात भैया ने मुझको चोदा,
कोमल प्यारी बुर को खोदा,
पहले ना तो, लंड से थी चुदवाई,
गाँड़ में भैया की उंगली भी थी समाई

बढ़ते दर्द से अब थोड़ा चिल्लाई
मैं बोली,"इतनी जल्दी क्या है भाई,
तुझे अपना सैंया बनाने की है ठानी,
वो बोले," अबसे तू है मेरे लंड की रानी"

“सूंघी है गुसलखाने में तेरी कच्छी,
आज मेरी किस्मत है बड़ी अच्छी,
तुझको आज चोदूँगा जी भरकर,
सारी रात बाहों में भरकर,

बुर में लंड हर रोज़ पेलूँगा,
तेरी जवानी से रोज़ खेलूंगा,
चुसूंगा तेरा यौवन ये पावन,
ए लैला, मज़े करेंगे इस सावन,

“हाँ भैया, चोद ले अब अपनी बहना,
संभलता नहीं अब यौवन का गहना,
प्यार का एहसास तुमसे ही लूँगी,
तुम्हारा मस्त लंड बुर में खूब लूँगी,

बुर से रिसता है, हरदम पानी,
लंड की प्यासी है, तेरी रानी,
मैं हूँ तेरी गाय, तू है मेरा सांड,
चोदो मुझे भाई, मैं हूँ तेरी रांड,

ना जाने कब होगा मेरा लगन,
दुल्हन बन कब चुदूँगी, हो मगन,
बनो आज मेरे पति, और मैं तेरी लुगाई,
आज है अपनी सुहागरात, करो मेरी ठुकाई”

हो चुकी थी पूरी मदहोश, लेकर बुर में लंड,
भाई चोद रहा था मुझको, जैसे दे रहा हो दंड,
घोड़ी बनाया उसने मुझको, खींच के मेरे बाल,
कोई रहम ना खाया उसने, बुरा था मेरा हाल,

चूतड़ों पर थप्पड़ों की हो रही थी बौछार,
बच्चेदानी के मुहाने तक, घुसा था औज़ार,
दोनों एक दूसरे के मिलन में थे इतने मशगूल,
ख्याल रहा ना हम दोनों को हो गयी भारी भूल,

बुर में ही भाई ने गिरा दिया लंड का पानी,
मैं अनजान, जोश में डूबी होने दी मनमानी,
दोनों होश में जब आये, नंगेपन में नहाये,
एक दूजे के होने की, जीवन में कसमें खाये।

रोज़ लगने लगा यौवन का मेला,
जिस आंगन में हमारा बचपन खेला,
कल तक हमदोनों थे बहन भैया
अकेले में बन चुके थे सजनी सैंया।
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vyabhichari

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मुझको देखकर सहमा, भैया मेरे पास आया,
सहसा मेरा हाथ थामा,मम्मी के सामने लाया,
बहते आँसू पोछे मम्मी के, टपक रहे थे गालों से,
समझाने को मुँह खोला, निकलके अपने ख्यालों से,

भैया बोले,” मुझसे किया था तुमने वादा,
जो घर की ज़िम्मेदारी अपनी पीठ पे लादा,
बनाके बहु, लाएगी तू मेरी मनचाही दुल्हन,
जिस लड़की को चाहा, वो है मेरी सगी बहन,

चाहा हमने एक दूजे को, सच्ची है हमारी प्रीत,
एक दूजे की खातिर हमने, तोड़ी दुनिया की रीत,
पाकर संग एक दूजे का, बन चुके दोनों मनमीत,
छोड़ेंगे ना साथ एक दूजे का, चाहे कुछ जाए बीत,

बहना मुझको अब भी बहुत है प्यारी,
खयाल रखा जब तक थी ये कुंवारी,
अब आगे भी ये रहेगी मेरी जिम्मेदारी,
बहु बनकर लेगी, तेरे प्यार की हिस्सेदारी,

इसके पेट में जो पल रहा तेरा सुंदर सा नाति,
बीज है वो मेरा, प्यार देना उसको पोते की भांति,
फिर भी तुझको लगता है, करना सकेगी हमको माफ,
छोड़ चले जायेंगे हम दोनों, रहेगा तेरा दामन साफ,

दे देना तू हमको बस अपना आशीर्वाद,
तोड़ देना सब रिश्ता, रखना न कोई संवाद,
हम दूर चले जायेंगे, वापिस ना कभी आएंगे,
तेरी ममता की यादें, इस बच्चे में पाएंगे,

भाई ने रख दिया माँ का हाथ मेरे पेट पर,
अपनी बातों में उलझा, माँ को लिया सेट कर,
मैं हिम्मत कर बोली,” हमें खुद से अलग ना कर,
इस बच्चे की खातिर, हम पर थोड़ी दया तो कर,

किया हमने जो भी, जानता नहीं कोई बाहिर,
अब तक दबाये थे, कभी ना होने दी जाहिर,
अगर दोनों घर छोड़ेंगे, बाहर लोग बातें करेंगे,
हो ना जाये कहीं शक, हर जगह तुमको धरेंगे,

लेकिन माँ, एक दिन ये जरूर है आनी,
जब ये खोजेगा, दोनों अपनी दादी-नानी,
क्या कहूंगी , इस नन्ही सी जान को,
छोड़ दिया तुझको, पकड़के अपनी आन को,

समझ ना पायी प्यार हमारा, बेदखल किया घर बार से,
डरकर छोड़ दिया हमको, इस दुनिया इस संसार से,
अपने सगे बच्चों को कोई माँ ना छोड़ सकती,
कैसी निर्दयी होगी माँ, जो बच्चों ओर न तकती,

माँ हम तो तेरे आँचल में है खेले,
चाहे ये बच्चा भी तेरी गोद में खेले,
कर दया हम पर बसने दे हमारा घर,
संभाल लेंगे सब, ना तू इस जग से डर,"

ना जाने पिताजी, कब से थे पीछे खड़े,
ये सारी बातें, वो बड़ी देर से थे सुन रहे,
उनका गुस्सा लाल आंखों से था फूट रहा,
जैसे उनका कोई सपना अंदर ही टूट रहा,

पापा भैया को थे बेदर्दी से कूट रहे, गुस्से से खीजे,
मुझ पर भी बरसा रहे थे चाटें, मेरे बालों को खींचे,
मैं रोते बोली,” मम्मी माफ कर दो हो गयी भूल,
पापा छोड़ दो भाई को करते हैं हम गलती कुबूल,

"राम जाने कैसी गंदी औलादें हमने पाई,
बाहर पता चला तो, होगी कितनी जगहँसाई,
और कोई मिला नहीं मुंह मारने को कुल्टा,
कोई मिला नहीं, फंसा लिया भाई को उल्टा,

गिरवा दो इस पाप को, नहीं चाहिए ऐसा बच्चा,
हो चुकी थी शादी इसकी,बनाएंगे झूठ को सच्चा,
आज से इसकी बंद कर दो पढ़ाई लिखाई,
घर से बाहर निकली तो, होगी तेरी खूब पिटाई,"

गुस्से में पापा इतने हो गए थे अंधे,
जैसे हमारी वजह से झुक गए थे कंधे,
हाथ उठाकर करना चाहा अबकी मेरे पेट पर वार,
अचानक रुक गया हाथ उनका,हुआ एक चमत्कार,

आखिर नियति ने हम दोनों का दिया साथ,
सामने आकर उनका माँ ने पकड़ लिया हाथ,
हमारी बातों का उनपर हो चुका था असर गहरा,
बोली," जानते नहीं आप इसे है गर्भ ठहरा"

"तुम दोनों अंदर जाओ, करने दो हमे कुछ बात,
कैसे पिता हो आप, जवान बेटी पर करते घात,
जानती हूँ, इन दोनों ने समाज के नियम को तोड़ा,
भाई बहन के बीच, अनुचित संबंध को जोड़ा,

ये इनकी गलती नहीं, ऊपरवाले की है मर्ज़ी,
मुझे एतराज़ नहीं, मंज़ूर है इस शादी की अर्ज़ी,
चाहते तो भाग जाते, करते हैं हमारा सम्मान,
इनकी होशियारी से अभी भी बचा है घर का मान,

बाहर कुछ किया नहीं बेटी ने किया घर के अंदर,
भाग जाती किसी और के साथ, होती छेछा लेदर,
इनदोनों ने जो किया, मैंने दी इनको माफी,
रहने दो बस करो, इनको सजा मिल चुकी काफी,"

"पागल हो गयी हो तुम, हो गयी है तेरी बुद्धि मंद,
रिश्तेदार पूछेंगे सवाल, कैसे करोगी मुंह उनका बंद,
क्या बेटी बनेगी तेरी बहु, या बेटा तेरा दामाद,
इनकी शादी करवाकर, तू करेगी घर बरबाद,

इनकी वासना के चक्कर में, डूब जाएगा घर बार,
ऐसे रिश्तों को ना मिलेगी मंज़ूरी, ना मानेगा संसार,
मुझे नहीं मंज़ूर, भले तुमने दी इनको मंज़ूरी,
रखो अपने पास, अगर फिर भी लगता हो जरूरी।"

पापा चले गए कमरे में, माँ आयी हमारे पास,
"भूल हुई तुमको समझने में, मुझे हुआ एहसास,
बेटा, क्या सोचा है कब करोगे दोनों शादी,
पापा अभी मानेंगे नहीं, उनके लिए ये बर्बादी,"

मैं बोली ," कैसे होगी शादी बगैर आप दोनों के,
पूरी करनी होगी रश्म पापा को, शादी में हम दोनों के,
उनको मनाना होगा, वरना सफल ना होगी शादी,
उनका श्राप लेकर, सच में शादी हो जाएगी बर्बादी,

माँ मुस्कुराई," ठीक है, हम सब मिलके मनाएंगे,
वो भी हैं बाप, ज्यादा तुम दोनों से रूठ ना पाएंगे,
लेकिन जब तक मान ना जाते, अलग रहोगे तुम दोनों,
बेटा, तू दूसरे कमरे में, साथ रहेंगे हम माँ बेटी दोनों।
 
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veerpal

I don't have dirty mind but have sexy imagination.
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एक दम सही कहा
 

Yug Purush

सादा जीवन, तुच्छ विचार
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Rajizexy

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मुझको देखकर सहमा, भैया मेरे पास आया,
सहसा मेरा हाथ थामा,मम्मी के सामने लाया,
बहते आँसू पोछे मम्मी के, टपक रहे थे गालों से,
समझाने को मुँह खोला, निकलके अपने ख्यालों से,

भैया बोले,” मुझसे किया था तुमने वादा,
जो घर की ज़िम्मेदारी अपनी पीठ पे लादा,
बनाके बहु, लाएगी तू मेरी मनचाही दुल्हन,
जिस लड़की को चाहा, वो है मेरी सगी बहन,

चाहा हमने एक दूजे को, सच्ची है हमारी प्रीत,
एक दूजे की खातिर हमने, तोड़ी दुनिया की रीत,
पाकर संग एक दूजे का, बन चुके दोनों मनमीत,
छोड़ेंगे ना साथ एक दूजे का, चाहे कुछ जाए बीत,

बहना मुझको अब भी बहुत है प्यारी,
खयाल रखा जब तक थी ये कुंवारी,
अब आगे भी ये रहेगी मेरी जिम्मेदारी,
बहु बनकर लेगी, तेरे प्यार की हिस्सेदारी,

इसके पेट में जो पल रहा तेरा सुंदर सा नाति,
बीज है वो मेरा, प्यार देना उसको पोते की भांति,
फिर भी तुझको लगता है, करना सकेगी हमको माफ,
छोड़ चले जायेंगे हम दोनों, रहेगा तेरा दामन साफ,

दे देना तू हमको बस अपना आशीर्वाद,
तोड़ देना सब रिश्ता, रखना न कोई संवाद,
हम दूर चले जायेंगे, वापिस ना कभी आएंगे,
तेरी ममता की यादें, इस बच्चे में पाएंगे,

भाई ने रख दिया माँ का हाथ मेरे पेट पर,
अपनी बातों में उलझा, माँ को लिया सेट कर,
मैं हिम्मत कर बोली,” हमें खुद से अलग ना कर,
इस बच्चे की खातिर, हम पर थोड़ी दया तो कर,

किया हमने जो भी, जानता नहीं कोई बाहिर,
अब तक दबाये थे, कभी ना होने दी जाहिर,
अगर दोनों घर छोड़ेंगे, बाहर लोग बातें करेंगे,
हो ना जाये कहीं शक, हर जगह तुमको धरेंगे,

लेकिन माँ, एक दिन ये जरूर है आनी,
जब ये खोजेगा, दोनों अपनी दादी-नानी,
क्या कहूंगी , इस नन्ही सी जान को,
छोड़ दिया तुझको, पकड़के अपनी आन को,

समझ ना पायी प्यार हमारा, बेदखल किया घर बार से,
डरकर छोड़ दिया हमको, इस दुनिया इस संसार से,
अपने सगे बच्चों को कोई माँ ना छोड़ सकती,
कैसी निर्दयी होगी माँ, जो बच्चों ओर न तकती,

माँ हम तो तेरे आँचल में है खेले,
चाहे ये बच्चा भी तेरी गोद में खेले,
कर दया हम पर बसने दे हमारा घर,
संभाल लेंगे सब, ना तू इस जग से डर,"

ना जाने पिताजी, कब से थे पीछे खड़े,
ये सारी बातें, वो बड़ी देर से थे सुन रहे,
उनका गुस्सा लाल आंखों से था फूट रहा,
जैसे उनका कोई सपना अंदर ही टूट रहा,

पापा भैया को थे बेदर्दी से कूट रहे, गुस्से से खीजे,
मुझ पर भी बरसा रहे थे चाटें, मेरे बालों को खींचे,
मैं रोते बोली,” मम्मी माफ कर दो हो गयी भूल,
पापा छोड़ दो भाई को करते हैं हम गलती कुबूल,

"राम जाने कैसी गंदी औलादें हमने पाई,
बाहर पता चला तो, होगी कितनी जगहँसाई,
और कोई मिला नहीं मुंह मारने को कुल्टा,
कोई मिला नहीं, फंसा लिया भाई को उल्टा,

गिरवा दो इस पाप को, नहीं चाहिए ऐसा बच्चा,
हो चुकी थी शादी इसकी,बनाएंगे झूठ को सच्चा,
आज से इसकी बंद कर दो पढ़ाई लिखाई,
घर से बाहर निकली तो, होगी तेरी खूब पिटाई,"

गुस्से में पापा इतने हो गए थे अंधे,
जैसे हमारी वजह से झुक गए थे कंधे,
हाथ उठाकर करना चाहा अबकी मेरे पेट पर वार,
अचानक रुक गया हाथ उनका,हुआ एक चमत्कार,

आखिर नियति ने हम दोनों का दिया साथ,
सामने आकर उनका माँ ने पकड़ लिया हाथ,
हमारी बातों का उनपर हो चुका था असर गहरा,
बोली," जानते नहीं आप इसे है गर्भ ठहरा"

"तुम दोनों अंदर जाओ, करने दो हमे कुछ बात,
कैसे पिता हो आप, जवान बेटी पर करते घात,
जानती हूँ, इन दोनों ने समाज के नियम को तोड़ा,
भाई बहन के बीच, अनुचित संबंध को जोड़ा,

ये इनकी गलती नहीं, ऊपरवाले की है मर्ज़ी,
मुझे एतराज़ नहीं, मंज़ूर है इस शादी की अर्ज़ी,
चाहते तो भाग जाते, करते हैं हमारा सम्मान,
इनकी होशियारी से अभी भी बचा है घर का मान,

बाहर कुछ किया नहीं बेटी ने किया घर के अंदर,
भाग जाती किसी और के साथ, होती छेछा लेदर,
इनदोनों ने जो किया, मैंने दी इनको माफी,
रहने दो बस करो, इनको सजा मिल चुकी काफी,"

"पागल हो गयी हो तुम, हो गयी है तेरी बुद्धि मंद,
रिश्तेदार पूछेंगे सवाल, कैसे करोगी मुंह उनका बंद,
क्या बेटी बनेगी तेरी बहु, या बेटा तेरा दामाद,
इनकी शादी करवाकर, तू करेगी घर बरबाद,

इनकी वासना के चक्कर में, डूब जाएगा घर बार,
ऐसे रिश्तों को ना मिलेगी मंज़ूरी, ना मानेगा संसार,
मुझे नहीं मंज़ूर, भले तुमने दी इनको मंज़ूरी,
रखो अपने पास, अगर फिर भी लगता हो जरूरी।"

पापा चले गए कमरे में, माँ आयी हमारे पास,
"भूल हुई तुमको समझने में, मुझे हुआ एहसास,
बेटा, क्या सोचा है कब करोगे दोनों शादी,
पापा अभी मानेंगे नहीं, उनके लिए ये बर्बादी,"

मैं बोली ," कैसे होगी शादी बगैर आप दोनों के,
पूरी करनी होगी रश्म पापा को, शादी में हम दोनों के,
उनको मनाना होगा, वरना सफल ना होगी शादी,
उनका श्राप लेकर, सच में शादी हो जाएगी बर्बादी,

माँ मुस्कुराई," ठीक है, हम सब मिलके मनाएंगे,
वो भी हैं बाप, ज्यादा तुम दोनों से रूठ ना पाएंगे,
लेकिन जब तक मान ना जाते, अलग रहोगे तुम दोनों,
बेटा, तू दूसरे कमरे में, साथ रहेंगे हम माँ बेटी दोनों।
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simapatel

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मुझको देखकर सहमा, भैया मेरे पास आया,
सहसा मेरा हाथ थामा,मम्मी के सामने लाया,
बहते आँसू पोछे मम्मी के, टपक रहे थे गालों से,
समझाने को मुँह खोला, निकलके अपने ख्यालों से,

भैया बोले,” मुझसे किया था तुमने वादा,
जो घर की ज़िम्मेदारी अपनी पीठ पे लादा,
बनाके बहु, लाएगी तू मेरी मनचाही दुल्हन,
जिस लड़की को चाहा, वो है मेरी सगी बहन,

चाहा हमने एक दूजे को, सच्ची है हमारी प्रीत,
एक दूजे की खातिर हमने, तोड़ी दुनिया की रीत,
पाकर संग एक दूजे का, बन चुके दोनों मनमीत,
छोड़ेंगे ना साथ एक दूजे का, चाहे कुछ जाए बीत,

बहना मुझको अब भी बहुत है प्यारी,
खयाल रखा जब तक थी ये कुंवारी,
अब आगे भी ये रहेगी मेरी जिम्मेदारी,
बहु बनकर लेगी, तेरे प्यार की हिस्सेदारी,

इसके पेट में जो पल रहा तेरा सुंदर सा नाति,
बीज है वो मेरा, प्यार देना उसको पोते की भांति,
फिर भी तुझको लगता है, करना सकेगी हमको माफ,
छोड़ चले जायेंगे हम दोनों, रहेगा तेरा दामन साफ,

दे देना तू हमको बस अपना आशीर्वाद,
तोड़ देना सब रिश्ता, रखना न कोई संवाद,
हम दूर चले जायेंगे, वापिस ना कभी आएंगे,
तेरी ममता की यादें, इस बच्चे में पाएंगे,

भाई ने रख दिया माँ का हाथ मेरे पेट पर,
अपनी बातों में उलझा, माँ को लिया सेट कर,
मैं हिम्मत कर बोली,” हमें खुद से अलग ना कर,
इस बच्चे की खातिर, हम पर थोड़ी दया तो कर,

किया हमने जो भी, जानता नहीं कोई बाहिर,
अब तक दबाये थे, कभी ना होने दी जाहिर,
अगर दोनों घर छोड़ेंगे, बाहर लोग बातें करेंगे,
हो ना जाये कहीं शक, हर जगह तुमको धरेंगे,

लेकिन माँ, एक दिन ये जरूर है आनी,
जब ये खोजेगा, दोनों अपनी दादी-नानी,
क्या कहूंगी , इस नन्ही सी जान को,
छोड़ दिया तुझको, पकड़के अपनी आन को,

समझ ना पायी प्यार हमारा, बेदखल किया घर बार से,
डरकर छोड़ दिया हमको, इस दुनिया इस संसार से,
अपने सगे बच्चों को कोई माँ ना छोड़ सकती,
कैसी निर्दयी होगी माँ, जो बच्चों ओर न तकती,

माँ हम तो तेरे आँचल में है खेले,
चाहे ये बच्चा भी तेरी गोद में खेले,
कर दया हम पर बसने दे हमारा घर,
संभाल लेंगे सब, ना तू इस जग से डर,"

ना जाने पिताजी, कब से थे पीछे खड़े,
ये सारी बातें, वो बड़ी देर से थे सुन रहे,
उनका गुस्सा लाल आंखों से था फूट रहा,
जैसे उनका कोई सपना अंदर ही टूट रहा,

पापा भैया को थे बेदर्दी से कूट रहे, गुस्से से खीजे,
मुझ पर भी बरसा रहे थे चाटें, मेरे बालों को खींचे,
मैं रोते बोली,” मम्मी माफ कर दो हो गयी भूल,
पापा छोड़ दो भाई को करते हैं हम गलती कुबूल,

"राम जाने कैसी गंदी औलादें हमने पाई,
बाहर पता चला तो, होगी कितनी जगहँसाई,
और कोई मिला नहीं मुंह मारने को कुल्टा,
कोई मिला नहीं, फंसा लिया भाई को उल्टा,

गिरवा दो इस पाप को, नहीं चाहिए ऐसा बच्चा,
हो चुकी थी शादी इसकी,बनाएंगे झूठ को सच्चा,
आज से इसकी बंद कर दो पढ़ाई लिखाई,
घर से बाहर निकली तो, होगी तेरी खूब पिटाई,"

गुस्से में पापा इतने हो गए थे अंधे,
जैसे हमारी वजह से झुक गए थे कंधे,
हाथ उठाकर करना चाहा अबकी मेरे पेट पर वार,
अचानक रुक गया हाथ उनका,हुआ एक चमत्कार,

आखिर नियति ने हम दोनों का दिया साथ,
सामने आकर उनका माँ ने पकड़ लिया हाथ,
हमारी बातों का उनपर हो चुका था असर गहरा,
बोली," जानते नहीं आप इसे है गर्भ ठहरा"

"तुम दोनों अंदर जाओ, करने दो हमे कुछ बात,
कैसे पिता हो आप, जवान बेटी पर करते घात,
जानती हूँ, इन दोनों ने समाज के नियम को तोड़ा,
भाई बहन के बीच, अनुचित संबंध को जोड़ा,

ये इनकी गलती नहीं, ऊपरवाले की है मर्ज़ी,
मुझे एतराज़ नहीं, मंज़ूर है इस शादी की अर्ज़ी,
चाहते तो भाग जाते, करते हैं हमारा सम्मान,
इनकी होशियारी से अभी भी बचा है घर का मान,

बाहर कुछ किया नहीं बेटी ने किया घर के अंदर,
भाग जाती किसी और के साथ, होती छेछा लेदर,
इनदोनों ने जो किया, मैंने दी इनको माफी,
रहने दो बस करो, इनको सजा मिल चुकी काफी,"

"पागल हो गयी हो तुम, हो गयी है तेरी बुद्धि मंद,
रिश्तेदार पूछेंगे सवाल, कैसे करोगी मुंह उनका बंद,
क्या बेटी बनेगी तेरी बहु, या बेटा तेरा दामाद,
इनकी शादी करवाकर, तू करेगी घर बरबाद,

इनकी वासना के चक्कर में, डूब जाएगा घर बार,
ऐसे रिश्तों को ना मिलेगी मंज़ूरी, ना मानेगा संसार,
मुझे नहीं मंज़ूर, भले तुमने दी इनको मंज़ूरी,
रखो अपने पास, अगर फिर भी लगता हो जरूरी।"

पापा चले गए कमरे में, माँ आयी हमारे पास,
"भूल हुई तुमको समझने में, मुझे हुआ एहसास,
बेटा, क्या सोचा है कब करोगे दोनों शादी,
पापा अभी मानेंगे नहीं, उनके लिए ये बर्बादी,"

मैं बोली ," कैसे होगी शादी बगैर आप दोनों के,
पूरी करनी होगी रश्म पापा को, शादी में हम दोनों के,
उनको मनाना होगा, वरना सफल ना होगी शादी,
उनका श्राप लेकर, सच में शादी हो जाएगी बर्बादी,

माँ मुस्कुराई," ठीक है, हम सब मिलके मनाएंगे,
वो भी हैं बाप, ज्यादा तुम दोनों से रूठ ना पाएंगे,
लेकिन जब तक मान ना जाते, अलग रहोगे तुम दोनों,
बेटा, तू दूसरे कमरे में, साथ रहेंगे हम माँ बेटी दोनों।
fantastic very nice
 

Yug Purush

सादा जीवन, तुच्छ विचार
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आपने कविता को हिंदी से यहां डाल दिया, poetry का कोई सेक्शन नहीं है, इसलिए वहां पोस्ट किया था।
Poetry, shayari ka yahi section hai.. Other discussion
 
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