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भैया बने सैंया

hunter09

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जवानी का तन पर चढे खुमार,
खिलने लगे हैं मेरे बड़े उभार,
फ्रॉक, टेप औ स्कर्ट की गयी उमर,
अब घाघरा चोली संग होगा समर।

बढ़ती जा रही है मेरी चुच्ची,
बात है ये बिल्कुल सच्ची- मुच्ची,
गाँड़ समाती नहीं अब कच्छी में,
बुर छुपती, घुंघराये केसों की गुच्छी में।

रिसती रहती है जो बुर से लार,
ऐसे में करती उंगली हर बार,
कभी बैगन भी तो कभी ककड़ी,
ऐसे में भैया की नज़रों ने पकड़ी।

शर्म से मैंने आंखें मींची,
भैया ने आकर चादर खींची,
मुझको बिल्कुल अधनंगी पाया,
देखके उनका मन ललचाया।

उसने मुझको गोद में उठाया,
तन से उठा दिया कपड़ो का साया,
अपना काला मोटा लंड दिखाया,
ये नज़ारा मुझको बड़ा भाया

चूस रहे थे वो मेरे आम,
भूल बिसर के सारे काम,
मुझपर छा चुकी थी पूरी मस्ती,
भूल गयी थी भाई-बहन की हस्ती

रात में भैया बन गए सैंया
बहन की पार लगा दी नैया,
शक्ल सूरत से हूँ पूरी भोली,
कल रात पर भैया संग सोली।

पूरी रात भैया ने मुझको चोदा,
कोमल प्यारी बुर को खोदा,
पहले ना तो, लंड से थी चुदवाई,
गाँड़ में भैया की उंगली भी थी समाई

बढ़ते दर्द से अब थोड़ा चिल्लाई
मैं बोली,"इतनी जल्दी क्या है भाई,
तुझे अपना सैंया बनाने की है ठानी,
वो बोले," अबसे तू है मेरे लंड की रानी"

“सूंघी है गुसलखाने में तेरी कच्छी,
आज मेरी किस्मत है बड़ी अच्छी,
तुझको आज चोदूँगा जी भरकर,
सारी रात बाहों में भरकर,

बुर में लंड हर रोज़ पेलूँगा,
तेरी जवानी से रोज़ खेलूंगा,
चुसूंगा तेरा यौवन ये पावन,
ए लैला, मज़े करेंगे इस सावन,

“हाँ भैया, चोद ले अब अपनी बहना,
संभलता नहीं अब यौवन का गहना,
प्यार का एहसास तुमसे ही लूँगी,
तुम्हारा मस्त लंड बुर में खूब लूँगी,

बुर से रिसता है, हरदम पानी,
लंड की प्यासी है, तेरी रानी,
मैं हूँ तेरी गाय, तू है मेरा सांड,
चोदो मुझे भाई, मैं हूँ तेरी रांड,

ना जाने कब होगा मेरा लगन,
दुल्हन बन कब चुदूँगी, हो मगन,
बनो आज मेरे पति, और मैं तेरी लुगाई,
आज है अपनी सुहागरात, करो मेरी ठुकाई”

हो चुकी थी पूरी मदहोश, लेकर बुर में लंड,
भाई चोद रहा था मुझको, जैसे दे रहा हो दंड,
घोड़ी बनाया उसने मुझको, खींच के मेरे बाल,
कोई रहम ना खाया उसने, बुरा था मेरा हाल,

चूतड़ों पर थप्पड़ों की हो रही थी बौछार,
बच्चेदानी के मुहाने तक, घुसा था औज़ार,
दोनों एक दूसरे के मिलन में थे इतने मशगूल,
ख्याल रहा ना हम दोनों को हो गयी भारी भूल,

बुर में ही भाई ने गिरा दिया लंड का पानी,
मैं अनजान, जोश में डूबी होने दी मनमानी,
दोनों होश में जब आये, नंगेपन में नहाये,
एक दूजे के होने की, जीवन में कसमें खाये।

रोज़ लगने लगा यौवन का मेला,
जिस आंगन में हमारा बचपन खेला,
कल तक हमदोनों थे बहन भैया
अकेले में बन चुके थे सजनी सैंया।
Waah bhai ekdam jabardast
 
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Sanjay dutt

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पेट में पल रहा था, मेरे प्यारे भाई का बच्चा,
कुछ दिन में बन जाउंगी युवती से जच्चा,
मैं खुशी से बौराई, भैया की बांहों में दौड़ी,
सुनके बात अनोखी, छाती हुई गर्व से चौड़ी,

उसने मुझको गोद उठाया, चूम लिया माथा,
सच्ची बहना, पूरी होगी अपनी प्रेम की गाथा,
“भैया सच, प्यार की ऊंचाई को हमने कभी ना भापा,
जल्दी ही बनूँगी मैं मम्मी, तुम बनोगे अच्छे पापा,

अगले ही पल हम दोनों की खुशी हो गयी ओझल,
क्या बताएंगे घर में, चिंता से हम दोनों थे बोझल,
कलंकित कर चुके थे दोनों, भाई बहन का पवित्र रिश्ता,
कैसे कहेंगे माँ पापा से, आनेवाला है एक नन्हा फरिश्ता,

वैसे तो दुनिया के लिए हमारा बच्चा था नाजायज,
संसार के लिए ये नया रिश्ता भी कहाँ था जायज़,
हम तो कामवासना के समुन्दर में डुबकी लगाते,
लंड और बुर एक दूजे को खोजके चुभकी हैं लगाते,

“ ये मौका है बेहद नाजुक, लेना होगा धीरज से काम,
तुझे देना होगा साथ मेरा, चाहती है मिले इसे मेरा नाम,
अभी बताना मत मम्मी को, बोलेंगे इसको गिराने,
नहीं देंगे मौका उनको, प्यार की निशानी को मिटाने,

जब तक पेट फूलेगा तेरा, पार हो जाएंगे तीन चार माह,
पाप है भगवान की देन को ठुकराना, लगेगी सबको आह,
हम लाएंगे इस बच्चे को दुनिया में, कसम खा मेरे साथ,
भिड़ जाऊंगा इस दुनिया से, बस तू छोड़ना मत मेरा हाथ”

“भैया कसम खाती हूं तेरी, करती हूँ वादा ये सच्चा,
चाहे दुश्मन हो दुनिया मेरी, पर जनूँगी तेरा बच्चा,
जो उनको किसी तरह लग जाये पता, कि मैंने किया ये पाप,
ये पता लगने ना दूंगी उनको कि, तू है इस बच्चे का बाप,

घूम रहा था समय का पहिया, जारी थी हमारी परीक्षा,
अकेले जब होते मैं और भैया, करते रहते मेरी समीक्षा,
तन पर रहने ना देते कोई कपड़ा, हो जाते थे कामुक,
सहलाता था बदन को मेरे, क्योंकि लंड नहीं था गामुक,

मैं भी थी पूरी सहभागी इस गंदे व्यभिचार में,
रिसती रहती थी बुर, फंसी थी जिस अनाचार में,
चूसवाति थी बुर और उन्नत चुच्ची होकर पूरी नंगी,
सहलाता था पेट को चूम, जब कोई ना होता भंगी,

होंठों का बड़े शौक़ से करते थे रसपान,
उसके कठोर लंड से करती थी वीर्यपान,
बालों को पकड़ करवाता था मुख मैथुन,
थूक से भीग जाती थी, लौड़ा और दो जैतून,

जब जी में आता देता मुंह में लंड को पेल,
गर्भ ठहरने के बाद भी चालू था गंदा खेल,
चोद चोदके कर दी उसने मेरी गाँड़ बड़ी भारी,
अपने लंड से, बुझाता था मेरी मृगतृष्णा सारी,

लाज शर्म सब छोड़ , ना मैंने बचाई कोई हया,
उसने भी मुझको मोड़, चोदता था गाँड़ बिना कोई दया,
उसकी गंदी नज़रों पर, किसीका ना था अवरोध,
दिन रात व्यभिचार कर, बन चुका था बहनचोद,

इसे चोरी छुपे मिलन में थी अजब चिंगारी,
और अति कामुक हो गई थी, पैर हुए जो भारी,
एक कोख से जन्मे थे, बनके भाई बहिनिया
पर अकेले में चुदाई करते, थे दूल्हा दुल्हनिया,

एक दिन बोली,” भैया तेरी दुल्हन बनने को मैं हूँ तत्पर,
व्रत रखती हूं तेरे लिए, तू बन जाये जल्दी बड़ा अफसर,
फिर तू मांग लेना अपनी सगी बहना को इनाम में उनसे,
तेरी खुशी के लिए, सौंप देंगे मुझे बिना कुछ कहे तुझसे,

“ बहना तेरे लिए ही कर रहा अथक कठोर परिश्रम,
सफल होकर तेरे संग ही बसाउंगा गृहस्थ आश्रम,
जो मान गए तो, इसी घर के बन जाएंगे दामाद बहु,
नही तो दूर कहीं चल देंगे,जहां तू होगी औ मेरा लहू,

धीरे धीरे अब चाल मेरी लगी थी बदलने,
होने लगती थी उल्टी, जब लगता जी मचलने,
मम्मी कहती थी, ठीक से तू खाया कर खाना,
क्या पता था उन्हें, कुछ और था ताना बाना,

एक दिन आखिर मम्मी ने पकड़ ली, मेरी चाल,
गुस्से से पूछी पड़ी किसने किया तेरा ऐसा हाल,
घूम रही है, उगाये पेट जैसे हो कोई बड़ा गमला,
सच बता किसने किया तेरे कुंवारेपन पर हमला,

अरे बदचलन, तुझे ज़रा भी शर्म ना आई,
जाने किस हरामी संग मुंह काला कर आई,
किसका पाल रही है अपने कोख में पाप,
सच- सच बता कौन है इस बच्चे का बाप,
जाने अब कौन करेगा तुझसे शादी,
तूने खुद ही बुलाई है अपनी बर्बादी,
चल तू मेरे संग डॉक्टर के पास,
भगवान करे ना हो, ऐसी बात,
वरना हो जाएगा सत्यानाश,
गिराना पड़ेगा, अगर पेट में पल रहा किसीका पाप,
चोरी छुपे करना होगा, वरना जीवन हो जाएगा साप,

“मम्मी ठीक पकड़ा है तुमने, मेरे पैर हैं भारी,
पांच महीने हो चुके देर हो चुकी बहुत सारी,
नहीं गिरा सकती ये बच्चा है मेरा अंश,
इसके सहारे तो आगे बढ़ेगा किसीका वंश,

तभी भैया आ गए लेकर हाथ में मिठाई,
रोती मां को उसने जबरदस्ती वो खिलाई,
हो चुका था उसका बड़े पद पर चयन,
आंसू बह रहे थे, खुशी से लदे थे नयन,

मैं खुश थी, सुनके ये शुभ समाचार,
ये रिश्ता अब ना रह पायेगा लाचार,
इशारे से बताया, पूछ रही किसने किया ये मेरे साथ,
भाई यही मौका, तुम मम्मी से मांग लो मेरा हाथ।
Puri ki puri kahani ,ek kavita me bata di aap ne
 
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