पेट में पल रहा था, मेरे प्यारे भाई का बच्चा,
कुछ दिन में बन जाउंगी युवती से जच्चा,
मैं खुशी से बौराई, भैया की बांहों में दौड़ी,
सुनके बात अनोखी, छाती हुई गर्व से चौड़ी,
उसने मुझको गोद उठाया, चूम लिया माथा,
सच्ची बहना, पूरी होगी अपनी प्रेम की गाथा,
“भैया सच, प्यार की ऊंचाई को हमने कभी ना भापा,
जल्दी ही बनूँगी मैं मम्मी, तुम बनोगे अच्छे पापा,
अगले ही पल हम दोनों की खुशी हो गयी ओझल,
क्या बताएंगे घर में, चिंता से हम दोनों थे बोझल,
कलंकित कर चुके थे दोनों, भाई बहन का पवित्र रिश्ता,
कैसे कहेंगे माँ पापा से, आनेवाला है एक नन्हा फरिश्ता,
वैसे तो दुनिया के लिए हमारा बच्चा था नाजायज,
संसार के लिए ये नया रिश्ता भी कहाँ था जायज़,
हम तो कामवासना के समुन्दर में डुबकी लगाते,
लंड और बुर एक दूजे को खोजके चुभकी हैं लगाते,
“ ये मौका है बेहद नाजुक, लेना होगा धीरज से काम,
तुझे देना होगा साथ मेरा, चाहती है मिले इसे मेरा नाम,
अभी बताना मत मम्मी को, बोलेंगे इसको गिराने,
नहीं देंगे मौका उनको, प्यार की निशानी को मिटाने,
जब तक पेट फूलेगा तेरा, पार हो जाएंगे तीन चार माह,
पाप है भगवान की देन को ठुकराना, लगेगी सबको आह,
हम लाएंगे इस बच्चे को दुनिया में, कसम खा मेरे साथ,
भिड़ जाऊंगा इस दुनिया से, बस तू छोड़ना मत मेरा हाथ”
“भैया कसम खाती हूं तेरी, करती हूँ वादा ये सच्चा,
चाहे दुश्मन हो दुनिया मेरी, पर जनूँगी तेरा बच्चा,
जो उनको किसी तरह लग जाये पता, कि मैंने किया ये पाप,
ये पता लगने ना दूंगी उनको कि, तू है इस बच्चे का बाप,
घूम रहा था समय का पहिया, जारी थी हमारी परीक्षा,
अकेले जब होते मैं और भैया, करते रहते मेरी समीक्षा,
तन पर रहने ना देते कोई कपड़ा, हो जाते थे कामुक,
सहलाता था बदन को मेरे, क्योंकि लंड नहीं था गामुक,
मैं भी थी पूरी सहभागी इस गंदे व्यभिचार में,
रिसती रहती थी बुर, फंसी थी जिस अनाचार में,
चूसवाति थी बुर और उन्नत चुच्ची होकर पूरी नंगी,
सहलाता था पेट को चूम, जब कोई ना होता भंगी,
होंठों का बड़े शौक़ से करते थे रसपान,
उसके कठोर लंड से करती थी वीर्यपान,
बालों को पकड़ करवाता था मुख मैथुन,
थूक से भीग जाती थी, लौड़ा और दो जैतून,
जब जी में आता देता मुंह में लंड को पेल,
गर्भ ठहरने के बाद भी चालू था गंदा खेल,
चोद चोदके कर दी उसने मेरी गाँड़ बड़ी भारी,
अपने लंड से, बुझाता था मेरी मृगतृष्णा सारी,
लाज शर्म सब छोड़ , ना मैंने बचाई कोई हया,
उसने भी मुझको मोड़, चोदता था गाँड़ बिना कोई दया,
उसकी गंदी नज़रों पर, किसीका ना था अवरोध,
दिन रात व्यभिचार कर, बन चुका था बहनचोद,
इसे चोरी छुपे मिलन में थी अजब चिंगारी,
और अति कामुक हो गई थी, पैर हुए जो भारी,
एक कोख से जन्मे थे, बनके भाई बहिनिया
पर अकेले में चुदाई करते, थे दूल्हा दुल्हनिया,
एक दिन बोली,” भैया तेरी दुल्हन बनने को मैं हूँ तत्पर,
व्रत रखती हूं तेरे लिए, तू बन जाये जल्दी बड़ा अफसर,
फिर तू मांग लेना अपनी सगी बहना को इनाम में उनसे,
तेरी खुशी के लिए, सौंप देंगे मुझे बिना कुछ कहे तुझसे,
“ बहना तेरे लिए ही कर रहा अथक कठोर परिश्रम,
सफल होकर तेरे संग ही बसाउंगा गृहस्थ आश्रम,
जो मान गए तो, इसी घर के बन जाएंगे दामाद बहु,
नही तो दूर कहीं चल देंगे,जहां तू होगी औ मेरा लहू,
धीरे धीरे अब चाल मेरी लगी थी बदलने,
होने लगती थी उल्टी, जब लगता जी मचलने,
मम्मी कहती थी, ठीक से तू खाया कर खाना,
क्या पता था उन्हें, कुछ और था ताना बाना,
एक दिन आखिर मम्मी ने पकड़ ली, मेरी चाल,
गुस्से से पूछी पड़ी किसने किया तेरा ऐसा हाल,
घूम रही है, उगाये पेट जैसे हो कोई बड़ा गमला,
सच बता किसने किया तेरे कुंवारेपन पर हमला,
अरे बदचलन, तुझे ज़रा भी शर्म ना आई,
जाने किस हरामी संग मुंह काला कर आई,
किसका पाल रही है अपने कोख में पाप,
सच- सच बता कौन है इस बच्चे का बाप,
जाने अब कौन करेगा तुझसे शादी,
तूने खुद ही बुलाई है अपनी बर्बादी,
चल तू मेरे संग डॉक्टर के पास,
भगवान करे ना हो, ऐसी बात,
वरना हो जाएगा सत्यानाश,
गिराना पड़ेगा, अगर पेट में पल रहा किसीका पाप,
चोरी छुपे करना होगा, वरना जीवन हो जाएगा साप,
“मम्मी ठीक पकड़ा है तुमने, मेरे पैर हैं भारी,
पांच महीने हो चुके देर हो चुकी बहुत सारी,
नहीं गिरा सकती ये बच्चा है मेरा अंश,
इसके सहारे तो आगे बढ़ेगा किसीका वंश,
तभी भैया आ गए लेकर हाथ में मिठाई,
रोती मां को उसने जबरदस्ती वो खिलाई,
हो चुका था उसका बड़े पद पर चयन,
आंसू बह रहे थे, खुशी से लदे थे नयन,
मैं खुश थी, सुनके ये शुभ समाचार,
ये रिश्ता अब ना रह पायेगा लाचार,
इशारे से बताया, पूछ रही किसने किया ये मेरे साथ,
भाई यही मौका, तुम मम्मी से मांग लो मेरा हाथ।