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भैया बने सैंया

vyabhichari

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जवानी का तन पर चढे खुमार,
खिलने लगे हैं मेरे बड़े उभार,
फ्रॉक, टेप औ स्कर्ट की गयी उमर,
अब घाघरा चोली संग होगा समर।

बढ़ती जा रही है मेरी चुच्ची,
बात है ये बिल्कुल सच्ची- मुच्ची,
गाँड़ समाती नहीं अब कच्छी में,
बुर छुपती, घुंघराये केसों की गुच्छी में।

रिसती रहती है जो बुर से लार,
ऐसे में करती उंगली हर बार,
कभी बैगन भी तो कभी ककड़ी,
ऐसे में भैया की नज़रों ने पकड़ी।

शर्म से मैंने आंखें मींची,
भैया ने आकर चादर खींची,
मुझको बिल्कुल अधनंगी पाया,
देखके उनका मन ललचाया।

उसने मुझको गोद में उठाया,
तन से उठा दिया कपड़ो का साया,
अपना काला मोटा लंड दिखाया,
ये नज़ारा मुझको बड़ा भाया

चूस रहे थे वो मेरे आम,
भूल बिसर के सारे काम,
मुझपर छा चुकी थी पूरी मस्ती,
भूल गयी थी भाई-बहन की हस्ती

रात में भैया बन गए सैंया
बहन की पार लगा दी नैया,
शक्ल सूरत से हूँ पूरी भोली,
कल रात पर भैया संग सोली।

पूरी रात भैया ने मुझको चोदा,
कोमल प्यारी बुर को खोदा,
पहले ना तो, लंड से थी चुदवाई,
गाँड़ में भैया की उंगली भी थी समाई

बढ़ते दर्द से अब थोड़ा चिल्लाई
मैं बोली,"इतनी जल्दी क्या है भाई,
तुझे अपना सैंया बनाने की है ठानी,
वो बोले," अबसे तू है मेरे लंड की रानी"

“सूंघी है गुसलखाने में तेरी कच्छी,
आज मेरी किस्मत है बड़ी अच्छी,
तुझको आज चोदूँगा जी भरकर,
सारी रात बाहों में भरकर,

बुर में लंड हर रोज़ पेलूँगा,
तेरी जवानी से रोज़ खेलूंगा,
चुसूंगा तेरा यौवन ये पावन,
ए लैला, मज़े करेंगे इस सावन,

“हाँ भैया, चोद ले अब अपनी बहना,
संभलता नहीं अब यौवन का गहना,
प्यार का एहसास तुमसे ही लूँगी,
तुम्हारा मस्त लंड बुर में खूब लूँगी,

बुर से रिसता है, हरदम पानी,
लंड की प्यासी है, तेरी रानी,
मैं हूँ तेरी गाय, तू है मेरा सांड,
चोदो मुझे भाई, मैं हूँ तेरी रांड,

ना जाने कब होगा मेरा लगन,
दुल्हन बन कब चुदूँगी, हो मगन,
बनो आज मेरे पति, और मैं तेरी लुगाई,
आज है अपनी सुहागरात, करो मेरी ठुकाई”

हो चुकी थी पूरी मदहोश, लेकर बुर में लंड,
भाई चोद रहा था मुझको, जैसे दे रहा हो दंड,
घोड़ी बनाया उसने मुझको, खींच के मेरे बाल,
कोई रहम ना खाया उसने, बुरा था मेरा हाल,

चूतड़ों पर थप्पड़ों की हो रही थी बौछार,
बच्चेदानी के मुहाने तक, घुसा था औज़ार,
दोनों एक दूसरे के मिलन में थे इतने मशगूल,
ख्याल रहा ना हम दोनों को हो गयी भारी भूल,

बुर में ही भाई ने गिरा दिया लंड का पानी,
मैं अनजान, जोश में डूबी होने दी मनमानी,
दोनों होश में जब आये, नंगेपन में नहाये,
एक दूजे के होने की, जीवन में कसमें खाये।

रोज़ लगने लगा यौवन का मेला,
जिस आंगन में हमारा बचपन खेला,
कल तक हमदोनों थे बहन भैया
अकेले में बन चुके थे सजनी सैंया।
 

Nick107

Ishq kr..❤
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जवानी का तन पर चढे खुमार,
खिलने लगे हैं मेरे बड़े उभार,
फ्रॉक, टेप औ स्कर्ट की गयी उमर,
अब घाघरा चोली संग होगा समर।

बढ़ती जा रही है मेरी चुच्ची,
बात है ये बिल्कुल सच्ची- मुच्ची,
गाँड़ समाती नहीं अब कच्छी में,
बुर छुपती, घुंघराये केसों की गुच्छी में।

रिसती रहती है जो बुर से लार,
ऐसे में करती उंगली हर बार,
कभी बैगन भी तो कभी ककड़ी,
ऐसे में भैया की नज़रों ने पकड़ी।

शर्म से मैंने आंखें मींची,
भैया ने आकर चादर खींची,
मुझको बिल्कुल अधनंगी पाया,
देखके उनका मन ललचाया।

उसने मुझको गोद में उठाया,
तन से उठा दिया कपड़ो का साया,
अपना काला मोटा लंड दिखाया,
ये नज़ारा मुझको बड़ा भाया

चूस रहे थे वो मेरे आम,
भूल बिसर के सारे काम,
मुझपर छा चुकी थी पूरी मस्ती,
भूल गयी थी भाई-बहन की हस्ती

रात में भैया बन गए सैंया
बहन की पार लगा दी नैया,
शक्ल सूरत से हूँ पूरी भोली,
कल रात पर भैया संग सोली।

पूरी रात भैया ने मुझको चोदा,
कोमल प्यारी बुर को खोदा,
पहले ना तो, लंड से थी चुदवाई,
गाँड़ में भैया की उंगली भी थी समाई

बढ़ते दर्द से अब थोड़ा चिल्लाई
मैं बोली,"इतनी जल्दी क्या है भाई,
तुझे अपना सैंया बनाने की है ठानी,
वो बोले," अबसे तू है मेरे लंड की रानी"

“सूंघी है गुसलखाने में तेरी कच्छी,
आज मेरी किस्मत है बड़ी अच्छी,
तुझको आज चोदूँगा जी भरकर,
सारी रात बाहों में भरकर,

बुर में लंड हर रोज़ पेलूँगा,
तेरी जवानी से रोज़ खेलूंगा,
चुसूंगा तेरा यौवन ये पावन,
ए लैला, मज़े करेंगे इस सावन,

“हाँ भैया, चोद ले अब अपनी बहना,
संभलता नहीं अब यौवन का गहना,
प्यार का एहसास तुमसे ही लूँगी,
तुम्हारा मस्त लंड बुर में खूब लूँगी,

बुर से रिसता है, हरदम पानी,
लंड की प्यासी है, तेरी रानी,
मैं हूँ तेरी गाय, तू है मेरा सांड,
चोदो मुझे भाई, मैं हूँ तेरी रांड,

ना जाने कब होगा मेरा लगन,
दुल्हन बन कब चुदूँगी, हो मगन,
बनो आज मेरे पति, और मैं तेरी लुगाई,
आज है अपनी सुहागरात, करो मेरी ठुकाई”

हो चुकी थी पूरी मदहोश, लेकर बुर में लंड,
भाई चोद रहा था मुझको, जैसे दे रहा हो दंड,
घोड़ी बनाया उसने मुझको, खींच के मेरे बाल,
कोई रहम ना खाया उसने, बुरा था मेरा हाल,

चूतड़ों पर थप्पड़ों की हो रही थी बौछार,
बच्चेदानी के मुहाने तक, घुसा था औज़ार,
दोनों एक दूसरे के मिलन में थे इतने मशगूल,
ख्याल रहा ना हम दोनों को हो गयी भारी भूल,

बुर में ही भाई ने गिरा दिया लंड का पानी,
मैं अनजान, जोश में डूबी होने दी मनमानी,
दोनों होश में जब आये, नंगेपन में नहाये,
एक दूजे के होने की, जीवन में कसमें खाये।

रोज़ लगने लगा यौवन का मेला,
जिस आंगन में हमारा बचपन खेला,
कल तक हमदोनों थे बहन भैया
अकेले में बन चुके थे सजनी सैंया।
Bahot khub💋💋💋💋😍😍😍 mja aa gya👅👅
 

Rajug8804

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जवानी का तन पर चढे खुमार,
खिलने लगे हैं मेरे बड़े उभार,
फ्रॉक, टेप औ स्कर्ट की गयी उमर,
अब घाघरा चोली संग होगा समर।

बढ़ती जा रही है मेरी चुच्ची,
बात है ये बिल्कुल सच्ची- मुच्ची,
गाँड़ समाती नहीं अब कच्छी में,
बुर छुपती, घुंघराये केसों की गुच्छी में।

रिसती रहती है जो बुर से लार,
ऐसे में करती उंगली हर बार,
कभी बैगन भी तो कभी ककड़ी,
ऐसे में भैया की नज़रों ने पकड़ी।

शर्म से मैंने आंखें मींची,
भैया ने आकर चादर खींची,
मुझको बिल्कुल अधनंगी पाया,
देखके उनका मन ललचाया।

उसने मुझको गोद में उठाया,
तन से उठा दिया कपड़ो का साया,
अपना काला मोटा लंड दिखाया,
ये नज़ारा मुझको बड़ा भाया

चूस रहे थे वो मेरे आम,
भूल बिसर के सारे काम,
मुझपर छा चुकी थी पूरी मस्ती,
भूल गयी थी भाई-बहन की हस्ती

रात में भैया बन गए सैंया
बहन की पार लगा दी नैया,
शक्ल सूरत से हूँ पूरी भोली,
कल रात पर भैया संग सोली।

पूरी रात भैया ने मुझको चोदा,
कोमल प्यारी बुर को खोदा,
पहले ना तो, लंड से थी चुदवाई,
गाँड़ में भैया की उंगली भी थी समाई

बढ़ते दर्द से अब थोड़ा चिल्लाई
मैं बोली,"इतनी जल्दी क्या है भाई,
तुझे अपना सैंया बनाने की है ठानी,
वो बोले," अबसे तू है मेरे लंड की रानी"

“सूंघी है गुसलखाने में तेरी कच्छी,
आज मेरी किस्मत है बड़ी अच्छी,
तुझको आज चोदूँगा जी भरकर,
सारी रात बाहों में भरकर,

बुर में लंड हर रोज़ पेलूँगा,
तेरी जवानी से रोज़ खेलूंगा,
चुसूंगा तेरा यौवन ये पावन,
ए लैला, मज़े करेंगे इस सावन,

“हाँ भैया, चोद ले अब अपनी बहना,
संभलता नहीं अब यौवन का गहना,
प्यार का एहसास तुमसे ही लूँगी,
तुम्हारा मस्त लंड बुर में खूब लूँगी,

बुर से रिसता है, हरदम पानी,
लंड की प्यासी है, तेरी रानी,
मैं हूँ तेरी गाय, तू है मेरा सांड,
चोदो मुझे भाई, मैं हूँ तेरी रांड,

ना जाने कब होगा मेरा लगन,
दुल्हन बन कब चुदूँगी, हो मगन,
बनो आज मेरे पति, और मैं तेरी लुगाई,
आज है अपनी सुहागरात, करो मेरी ठुकाई”

हो चुकी थी पूरी मदहोश, लेकर बुर में लंड,
भाई चोद रहा था मुझको, जैसे दे रहा हो दंड,
घोड़ी बनाया उसने मुझको, खींच के मेरे बाल,
कोई रहम ना खाया उसने, बुरा था मेरा हाल,

चूतड़ों पर थप्पड़ों की हो रही थी बौछार,
बच्चेदानी के मुहाने तक, घुसा था औज़ार,
दोनों एक दूसरे के मिलन में थे इतने मशगूल,
ख्याल रहा ना हम दोनों को हो गयी भारी भूल,

बुर में ही भाई ने गिरा दिया लंड का पानी,
मैं अनजान, जोश में डूबी होने दी मनमानी,
दोनों होश में जब आये, नंगेपन में नहाये,
एक दूजे के होने की, जीवन में कसमें खाये।

रोज़ लगने लगा यौवन का मेला,
जिस आंगन में हमारा बचपन खेला,
कल तक हमदोनों थे बहन भैया
अकेले में बन चुके थे सजनी सैंया।
Bhai ek maa bete par v likho
 

vyabhichari

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अब हूँ भाई की मैं उर्वशी और रंभा,
देख खड़ा हो जाता है उसका खंभा,
जहां मिले मौका चोदके कर देता बुर लाल,
लंड पर कूदने को मैं भी हरदम थी बेहाल,

जब घर में ना होते मम्मी पापा,
तब खो देते हैं हम अपना आपा,
उतारकर कपड़ों का मेला, शुरू हो जाता नंगे नाच का खेला,
छत हो या घर का कोई कमरा, हर हिस्से में उसने बड़ा पेला,
बिस्तर हो चाहे घर का सोफा, मैंने उसका चूसा काला केला,
गोदी उठाया घोड़ी बनाया, बुर ही नहीं गाँड़ में लंड को ठेला,

मम्मी पापा की आवाज़ जब तक ना देती सुनाई,
वो बना रहता मरद मेरा और मैं उसकी लुगाई,
एक दिन दोनों चले गए, किसी रिश्तेदार के पास,
भाई ने बोला,” सुन बहना ये मौका है बहुत खास,
हो जा तैयार, मस्त पिक्चर लगी है घर के पास,
बहन नहीं, बनकर चलेगी तू गर्लफ्रेंड मेरे साथ,
ऐसा मौका ना जाने आगे कब लगे अपने हाथ,

“ कोई हो मेरा बॉयफ्रेंड, बड़ा ये शौक था मेरा,
मिला जब कोई ना, तूने ही हाथ थामा मेरा,
अभी आती हूँ, पहनके मनपसंद सूट तेरा,
खुदको तैयार करूं, लगाके लिपस्टिक मस्करा,”

पिक्चर रोमांटिक दिखाके , भाई ले गया होटल,
पूरी हुई तमन्ना, बनी उसकी गर्लफ्रैंड टोटल,
पहले भाई बिस्तर पर बैठा बनके नवाब,
लगा रही थी कातिल ठुमके, मैं बनके शबाब,

लाज शरम सब भूलकर, नाच रही थी होकर नंगी,
भाई ने भी उतार दिए कपड़े और हो गया था संगी,
कमरे के अंदर दोनों थे एक दूजे में मगन,
बझाने लगे अगन एक दूजे के नंगे बदन,

चूस रही थी लौड़ा उसका, और वो मेरी बुर,
बुर लंड पर जीभ की, बजने लगी मधुर सुर,
चाट रहे थे हम दोनों उनको ऐसे,
मधुरस टपक रहा हो उनमें से जैसे,

मुंह में लौड़ा, बुर पर जीभ, उंगली समाई मेरे गाँड़,
थूक से हो चुके थे गीले लौड़ा और दोनों आंड़,
हो गयी मैं गीली चूत लिए घोड़े पर सवार,
मज़े लेकर झेल रही थी, लौड़े का हर वार,

मेरी दोनों सीने की चुलबुली सहेलियाँ,
उछल उछल कर रही थी अठखेलियां,
उनको भैया ने कसके धर पकड़ा,
चूस रहा था वो, मेरा तन अकड़ा,

चोद रहा था उठाके मुझको लेकर अपने गोद,
मैं बौराई बोली,” आह भैया ऐसे ही मुझको चोद,
बुर में लंड घुसा हुआ था, जैसे बिल में कोई सांप,
कमर पर कैंची बनाये लटकी, थर थर रही थी कांप,

बुर से बह निकली मधुरस की गंगा,
पर अभी खड़ा था सहलाता लंड को नंगा,
मेरी सिंकुड़ी भूरी गाँड़ को भेदा,
घुसा लंड, फैला दिया नन्हा छेदा,
मुँह से मेरे निकली दर्दभरी सिसकारी,
पर अंदर तक घुसी थी लंबी पिचकारी,

दर्द छलक आया आंखों में,
भाई ने चूमा मुझको बांहों में,
“ बस अब थोड़ा झेल ले बहना,
इसके बाद नही पड़ेगा दर्द सहना,

मज़ा आएगा तुझको खुद चुदने में,
आएगा मज़ा गाँड़ के लंड चुभने में,
खुद आगे से कहेगी, मारो मेरी गाँड़,
कुदेगी तू लंड पे मेरे, लेके मेरा लांड,”

आखिर में लगाने लगी डुबकी आनंद में जी भरकर,
जब लंड देने लगा मज़ा, दर्द की बेड़ियों को तोड़कर,
“ चोदो भैया मेरी नन्ही सी सिंकुड़ी भूरी छेद,
पूरी करो हसरत अपनी, मन में रह ना जाये खेद,
बन गयी मैं अब सदा के लिए तेरी सजनी,
अब तेरे लौड़े से मेरी गाँड़ हर रोज़ है बजनी”

चोद चोद कर भैया की बहनी थी धारा,
घुटनों पर बैठकर चाटने लगी लंड सारा,
लंड से आखिर फूट पड़ी पिचकारी,
मेरे चेहरे पर आ गिरी मलाई सारी,
बेझिझक मैंने सुपाड़े को होंठों से सहलाया,
आंखों में आंखे डाल उसका रस गटकाया,
भैया को बहुत भाई मेरी ये अदा,
बोले,” तू बन गई है, मेरी रंडी सदा।“

ब्लू फिल्म जैसी भैया ने कि मेरी ठुकाई,
मन लगा मचलने, आने लगी उबकाई,
हो गई मुझको उल्टी,थामे भैया की आगोश,
संभल ना पायी, जाने कब हो गई बेहोश।

आंख खुली तो, डॉक्टर मुस्काई मेरे सामने,
बोली, आ रही नन्ही जान तेरी उंगली थामने,
पेट में पल रहा, तुम्हारे पति का प्यार,
उसको क्या पता, वो था मेरे भाई का प्यार।
 
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