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Incest भैया ने ट्रेन में की मेरी चुदाई !

Kdy999

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हैल्लो दोस्तों, मेरा नाम रिया है और में 20 साल की लड़की हूँ और यह मेरी बिल्कुल वास्तविक कहानी है. अब में आपको अपने बारे में शुरू से बताती हूँ. दोस्तों में अपने घर में अपने भाई बहनों में तीसरे नंबर की हूँ. मेरे सबसे बड़े भैया है, जो आर्मी में है और अभी उनकी शादी नहीं हुई है, मुझसे छोटा एक भाई है और में होस्टल में रहकर पढाई करती हूँ.

एक दिन मेरे भैया मुझसे मिलने होस्टल आए तो में उन्हें देखकर बहुत खुश हुई, वो सीधे आर्मी से मेरे पास ही आए थे और अब घर जा रहे थे. फिर मैंने भी उनके साथ घर जाने का मन बना लिया और कॉलेज से 8 दिन की छुट्टी लेकर में और भैया घर के लिए रवाना हो गये. अब जिस ट्रेन से हम घर जा रहे थे, उस ट्रेन में मेरा रिजर्वेशन नहीं था सिर्फ़ भैया का था, इसलिए हम लोगों को सिंगल बर्थ ही मिली. अब ट्रेन में बहुत भीड़ थी और रात के 11 बजे थे और हम इस ट्रेन से सुबह में घर पहुँचने वाले थे.
 

Kdy999

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मित्रों अगर आपको यह कहानी पसंद आ रही है तो पढ़ें मेरे ही द्वारा पोस्ट की गई यह अन्य कहानियां,

1. Madam ko jaal mein fasaya !

https://xforum.live/threads/madam-ko-jaal-mein-fasaya.957/

2. भैया ने ट्रेन में की जमकर चुदायी !

https://xforum.live/threads/भैया-ने-ट्रेन-में-की-मेरी-चुदाई.958/

3. शादी के घर में किसी और के धोखे में मैं चुद गई !

https://xforum.live/threads/शादी-के-घर-में-किसी-और-के-धोखे-में-चुद-गई-मैं.959/
 
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Kdy999

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फिर में और भैया अकेले उस बर्थ पर बैठ गये, जब सर्दियों के दिन थे और आधी रात के बाद ठंड बहुत हो जाती थी. फिर भैया ने अपने बैग से कम्बल निकालकर आधा मुझे ढक दिया और आधा खुद ने ओढ़ लिया और में मुस्कुराती हुई उनसे चिपककर बैठ गई. अब सारी सवारियां सोने लगी थी और अब ट्रेन अपनी रफ़्तार से भागी जा रही थी. अब मुझे भी नींद आने लगी थी और भैया को भी नींद आने लगी थी. फिर भैया ने मुझे अपनी गोदी में सर रखकर सो जाने के लिए कहा तो भैया का इशारा मिलते ही मैंने उनकी गोदी में अपना सर रखकर अपने पैरों को फैला लिया.

अब में उनकी गोदी में आराम के लिए अच्छी तरह से ऊपर हो गई तो भैया ने भी अपने पैर समेटकर अच्छी तरह कम्बल में मुझे और खुद को ढक लिया और मेरे ऊपर अपना एक हाथ रखकर बैठ गये. अब तक मैंने कभी किसी पुरुष को इतने करीब से टच नहीं किया था.

अब भैया की मोटी-मोटी जांघो में मुझे बहुत आराम पहुँचाया था और अब मेरा एक गाल उनकी दोनों जाँघो के बीच में रखा हुआ था और एक हाथ से मैंने उनके पैरों को पकड़ रखा था. तभी मेरे सोते हुए दिमाग ने एक झटका सा खाया और मेरी आखों से नींद गायब हो गई और वो वजह थी भैया की जांघो के बीच का स्थान फूलता जा रहा था और जब वो मेरे गाल पर टच करने लगा तो में समझ गई कि वो क्या चीज़ है? अब मेरी जवानी अंगड़ाई लेने लगी थी. अब में समझ गई थी कि भैया का लंड मेरे बदन का स्पर्श पाकर उठ रहा है, अब ये ख्याल मेरे मन में आते ही मेरे दिल की गति बढ़ गई थी.

फिर मैंने अपने गाल को दबाकर उनके लंड का जायज़ा लिया, जो ज़िप वाले स्थान पड़ गया था. अब भैया भी थोड़े कसमसाए थे, शायद वो भी मेरे बदन से गर्म हो गये थे. तभी तो वो बार-बार मुझे अच्छी तरह से अपनी टांगो में समेटने की कोशिश कर रहे थे. अब उनकी क्या कहूँ? में खुद भी बहुत गर्म होने लगी थी. फिर मैंने उनके लंड को अच्छी तरह से महसूस करने की चाहत में अपनी करवट बदली. अब मेरा मुँह भैया के पेट के सामने था.

फिर मैंने करवट लेने के बहाने ही अपना एक हाथ उनकी गोदी में रख दिया और सरकते हुए उनकी पेंट के उभरे हुई जगह पर आकर रुकी. फिर मैंने अपने हाथ को वहाँ से नहीं हटाया, बल्कि दबाव देकर उनके लंड को देखा. अब उधर भैया ने भी मेरी कमर में हाथ डालकर मुझे अपने से चिपका लिया था. फिर मैंने कुछ भी सोचे बिना उनके लंड को अपनी उंगलियों से टटोलना शुरू कर दिया और उस वक़्त भैया भी शायद मेरी हरकतों को जान गये थे. तभी तो वो मेरी पीठ को सहलाने लगे थे.

अब हिचकोले लेती ट्रेन जितनी तूफ़ानी रफ़्तार पकड़ रही थी, उतना ही मेरे अंदर तूफान उभरता जा रहा था. अब भैया की तरफ से कोई प्रतिक्रिया ना होते देखकर मेरी हिम्मत बढ़ी और अब मैंने उनकी जांघों पर से अपना सर थोड़ा सा पीछे खींचकर उनकी ज़िप को धीरे-धीरे खोल दिया. फिर भैया इस पर भी कुछ कहने की बजाए मेरी कमर को कस-कसकर दबा रहे थे और भैया ने अपनी पेंट के नीचे अंडरवियर पहन रखा था. अब मेरी सारी झिझक ना जाने कहाँ चली गई थी?

फिर मैंने उनकी ज़िप के खुले हिस्से से अपना हाथ अंदर डाला और उनके अंडरवियर के अंदर अपना हाथ डालकर उनके भारी लंड को बाहर खींच लाई, लेकिन अंधेरे के कारण में उसे देख तो ना सकी मगर हाथ से पकड़कर ही ऊपर नीचे करके उसकी लंबाई मोटाई को नापा, उनका लंड लगभग 7-8 इंच लंबा और 3-4 इंच मोटा था. अब मेरे दिल के सारे तार झनझना गये थे. अब इधर मेरे हाथ में लंड था तो उधर मेरी पेंटी में कसी मेरी चूत बुरी तरह से फड़फड़ा उठी थी.

इस वक़्त मेरे बदन पर टाईट जींस और टी-शर्ट थी. अब मेरे इतना करने पर भैया भी अपने हाथों को बेझिझक होकर हरकतें देने लगे थे. अब वो मेरी शर्ट को जींस से खींचने के बाद उसे मेरे बदन से हटाना चाह रहे थे तो में उनके दिल की बात को समझते हुए थोड़ा ऊपर उठ गई तो भैया ने मेरी नंगी पीठ पर अपना हाथ फैरना शुरू किया तो मेरे बदन में करंट दौड़ने लगा था.

फिर उन्होंने अपने हाथों को मेरी चूचियों पर पहुँचाया तो मैंने सिसकी लेकर झटके खाते हुए लंड को अपने गाल के साथ चिपकाकर ज़ोर से दबा दिया. अब भैया मेरी चूचियों को सहलाते-सहलाते धीरे-धीरे दबाने भी लगे थे. फिर मैंने उनके लंड को अपने गाल से सहलाया तो भैया ने एक बार फिर से बहुत ज़ोर से मेरी चूचियों को दबाया और मेरे मुँह से सिसकारी निकल गई. अब हम दोनों में इस समय भले ही बातचीत नहीं हो रही थी, मगर हम एक दूसरे के दिल की बातें अच्छी तरह समझ रहे थे.

अब भैया अपने एक हाथ को सरकाकर पीछे की और से मेरी पेंट की बेल्ट में अपना हाथ घुसा रहे थे, लेकिन मेरी पेंट टाईट होने की वजह से उनकी थोड़ी-थोड़ी उंगलियाँ ही अंदर जा सकी. फिर मैंने उनके हाथ को सुविधा अनुसार मन चाही जगह पर पहुँचने देने के लिए में अपने हाथ को नीचे लाई और अपनी पेंट की बेल्ट को खोल दिया.
 

Kdy999

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फिर उनका हाथ अंदर पहुँचा और मेरे भारी-भारी चूतड़ो को दबोचने लगा और फिर उन्होंने मेरी गांड को भी अपनी उँगलियों से सहलाया.

फिर उनका हाथ जब और नीचे यानी मेरी जांघो पर पेंट टाईट होने के कारण नहीं पहुँच सका तो वो अपने हाथ को पीछे से खींचकर सामने की और लाए. फिर इस बार उन्होंने मेरी पेंट की ज़िप खुद खोली और मेरी चूत पर अपना हाथ फैरा. अब मेरी चूत पर उनका हाथ लगते ही में बैचेन हो गई थी. अब वो मेरी फूली हुई चूत को अपनी मुठ्ठी में लेकर भींच रहे थे. फिर मैंने बेबसी से अपना सर थोड़ा सा ऊपर उठाकर भैया का सुपाड़ा चूमा और उसे मुँह में लेने की कोशिश की, लेकिन उसकी मोटाई के कारण मैंने उसे मुँह में लेना उचित नहीं समझा और उसे अपनी जीभ निकालकर चाटने लगी.

अब मेरी गर्म और खुरदरी जीभ के स्पर्श से भैया बुरी तरह गर्म हो गये थे. फिर उन्होंने मुझे अपने आवेश में भरकर मेरी गीली चूत को टटोलते हुए एक झटके से मेरी चूत में अपनी उंगली घुसा दी, तो में सिसकी भरकर उनके लंड सहित उनकी कमर से लिपट गई. अब मेरा दिल कर रहा था कि भैया फ़ौरन अपनी उंगली को निकालकर मेरी चूत में अपना लंड डाल दें और मेरी ये इच्छा भी जल्द ही पूरी हो गई. अब भैया मेरी टांगो में अपना हाथ डालकर अपनी तरफ खींचने लगे थे.

फिर मैंने उनकी इच्छा को समझकर अपना सर उनकी जांघो से उतारा और कम्बल के अंदर ही अंदर घूम गई. अब मेरी टागें भैया की तरफ थी और मेरा सर बर्थ के दूसरी तरफ था. फिर भैया ने अपनी टांगो को मेरे बराबर में फैलाया और फिर मेरे कूल्हों को उठाकर अपनी टांगो पर चढ़ा लिया और धीरे-धीरे करके पहले मेरी पेंट खींचकर उतार दी और उसके बाद मेरी पेंटी को भी खींचकर उतार दिया. अब में कम्बल में पूरी तरह नीचे से नंगी थी.

अब शायद मेरी बारी थी. फिर मैंने भी भैया की पेंट और अंडरवियर को बहुत प्यार से उतार दिया. फिर भैया ने थोड़ा आगे सरककर मेरी टांगो को खींचकर अपनी कमर के इर्द-गिर्द करके पीछे की और लिपटवा दिया. इस समय में पूरी की पूरी उनकी टांगो पर बोझ बनी हुई थी. अब मेरा सर उनके पंजो पर रखा हुआ था. फिर मैंने ज़रा सा कम्बल हटाकर आसपास की सवारियों पर नज़र डाली तो सभी नींद में मस्त थे, किसी का भी ध्यान हमारी तरफ नहीं था.

फिर मेरी नज़र भैया की तरफ पड़ी तो उनका चेहरा आवेश के कारण लाल हो रहा था और वो मेरी तरफ ही देख रहे थे. फिर ना जाने क्यों उनकी नज़रो से मुझे बहुत शर्म आई? और मैंने वापस कम्बल के अंदर अपना मुँह छुपा लिया. फिर भैया ने वापस से मेरी चूत को टटोला तो मेरी चूत इस समय पूरी तरह रस से भरी हुई थी.

फिर भी भैया ने अपना ढेर सारा थूक उस पर लगाया और अपने लंड को मेरी चूत पर रखा तो उनके गर्म सुपाड़े ने मेरे अंदर आग लगा दी. फिर उन्होंने टटोलकर मेरी चूत के मुहाने को देखा और अच्छी तरह से अपना सुपाड़ा मेरी चूत के मुँह पर रखने के बाद मेरी जांघें पकड़कर हल्का सा एक धक्का दिया, मगर उनका लंड अंदर नहीं गया, बल्कि ऊपर की और हो गया.

फिर भैया ने इसी तरह एक दो बार और ट्राई किया और अब वो आसपास की सवारियों की वजह से बहुत सावधानी से कर रहे थे. इस तरह जब वो अपना लंड नहीं डाल सके तो वो बाहर खींचकर अपने लंड को मेरी चूत के आस पास मसलने लगे. फिर मैंने अपनी शर्म त्यागकर अपना मुँह खोला और उन्हें सवालियां निगाहों से देखा.

फिर वो बड़ी बेबस निगाहों से मुझे देख रहे थे. फिर मैंने अपने सर और आँखों के इशारे से पूछा कि क्या हुआ? तो वो थोड़े से नीचे झुककर धीरे से फुसफुसाए कि आस पास सवारियाँ मौजूद है रिया, इसलिए में आराम से काम करना चाहता था, मगर इस तरह होगा ही नहीं, थोड़ी ताक़त लगानी पड़ेगी. फिर में उखड़े स्वर में बोली तो लगाओ ना ताक़त भैया, तो भैया बोले कि ताक़त तो में लगा दूँगा, लेकिन तुम्हें दर्द होगा, क्या तुम बर्दाश्त कर लोगी?
 

Kdy999

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फिर वो बड़ी बेबस निगाहों से मुझे देख रहे थे. फिर मैंने अपने सर और आँखों के इशारे से पूछा कि क्या हुआ? तो वो थोड़े से नीचे झुककर धीरे से फुसफुसाए कि आस पास सवारियाँ मौजूद है गुड्डू, इसलिए में आराम से काम करना चाहता था, मगर इस तरह होगा ही नहीं, थोड़ी ताक़त लगानी पड़ेगी. फिर में उखड़े स्वर में बोली तो लगाओ ना ताक़त भैया, तो भैया बोले कि ताक़त तो में लगा दूँगा, लेकिन तुम्हें दर्द होगा, क्या तुम बर्दाश्त कर लोगी?
फिर मैंने कहा कि आप फ़िक्र ना करें, कितना ही दर्द क्यों ना हो? में एक ऊफ तक नहीं करूँगी, आप अपना लंड डालने में चाहे पूरी शक्ति ही क्यों ना लगा दें? फिर उन्होंने कहा कि ठीक है, में अभी अंदर करता हूँ.
अब भैया को विश्वास हो गया और इस बार उन्होंने दूसरी ही तरकीब से काम लिया. फिर उन्होंने उसी तरह बैठे हुए मुझे अपनी टांगो पर उठाकर बैठाया और हम दोनों को अच्छी तरह से कम्बल से लपेटने के बाद मुझे अपने पेट से चिपकाकर थोड़ा सा ऊपर किया और इस बार बिल्कुल चूत की दिशा में अपने लंड को रखकर और मेरी चूत को टटोलकर उसे अपने सुपाड़े पर मेरी चूत पर टिका दिया तो में उनके लंड पर बैठ गई. अभी मैंने अपना वजन नीचे नहीं गिराया था और मैंने सुविधा के लिए भैया के कंघो पर अपने हाथ रख लिए थे.
फिर भैया ने मेरे कूल्हों को कसकर पकड़ा और मुझसे बोले कि अब एकदम से नीचे बैठ जाओ.
फिर में मुस्कुराई और एक तेज़ झटका अपने बदन को देकर उनके लंड पर छपक से बैठ गई. फिर उधर भैया ने भी मेरे बदन को नीचे की और दबाया तो अचानक से मुझे ऐसा लगा जैसे कोई तेज़ धार खंजर मेरी चूत में घुस गया हो और में तकलीफ़ से बिलबिला गई, क्योंकि मेरी और भैया की मिली जुली ताक़त के कारण उनका विशाल लंड मेरी चूत के छोटे से दरवाज़े को तोड़ता हुआ अंदर समा गया था और में सरकती हुई भैया की गोदी में जाकर रुकी.
फिर मैंने तड़पकर उठना चाहा, लेकिन भैया की गिरफ़्त से में आज़ाद ना हो सकी. अगर ट्रेन में बैठी सवारियों का ख्याल ना होता तो में बुरी तरह चीख पड़ती. फिर में मचलते हुए वापस से भैया के पैरों पर पड़ी तो मेरी चूत में लंड तनने के कारण मुझे और दर्द का सामना करना पड़ा. अब में उनके पैरों पर बारी-बारी बिन पानी मछली की तरह तड़पने लगी थी.
अब भैया मुझे अपने हाथों से दिलासा देते हुए मेरी चूचियों को सहला रहे थे. फिर करीब 10 मिनट के बाद मेरा दर्द कुछ कम हुआ तो भैया अपने कूल्हों को हल्के-हल्के हिलाकर अंदर बाहर करने लगे. फिर मेरा दर्द कम होते-होते बिल्कुल ही समाप्त हो गया और में असीमित सुख के सागर में गोते लगाने लगी. अब भैया धीरे से अपना लंड बाहर खींचकर अंदर डाल देते थे और उनके लंड के अंदर बाहर करने से मेरी चूत से पचक-पचक की अजीब-अजीब सी आवाज़ें पैदा हो रही थी.
अब मैंने अपनी कोहनियों को बर्थ पर टेककर मेरे बदन को ऊपर उठा रखा था और खुद थोड़ा सा आगे सरककर अपनी चूत को वापस से उनके लंड पर धकेल देती थी. इस तरह से आधे घंटे तक धीरे-धीरे से चोदा चोदी का खेल चलता रहा और अंत में मैंने जो सुख पाया उसे में बयान नहीं कर सकती.
फिर भैया ने टावल निकालकर पहले मेरी चूत को पोछा जो खून और हम दोनों के रस से सनी हुई थी. फिर उसके बाद मैंने उनके लंड को पोछा और फिर बारी-बारी से बाथरूम में जाकर फ्रेश हुए और अपने कपड़े पहने. अब मेरे पूरे बदन में मीठा-मीठा सा दर्द हो रहा था और यही से हम दोनों भाई बहन ना होकर प्रेमी प्रेमिका बन गये. अब जब भी भैया घर आते है तो वो मुझे बिना चोदे नहीं मानते है. अब मुझे भी उनका इंतज़ार रहता है, मगर मैंने अभी तक किसी और को अपना बदन नहीं सौंपा है और ना कोई इरादा है और फिर आगे राम जाने.

End.
 

vickyrock

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फिर वो बड़ी बेबस निगाहों से मुझे देख रहे थे. फिर मैंने अपने सर और आँखों के इशारे से पूछा कि क्या हुआ? तो वो थोड़े से नीचे झुककर धीरे से फुसफुसाए कि आस पास सवारियाँ मौजूद है गुड्डू, इसलिए में आराम से काम करना चाहता था, मगर इस तरह होगा ही नहीं, थोड़ी ताक़त लगानी पड़ेगी. फिर में उखड़े स्वर में बोली तो लगाओ ना ताक़त भैया, तो भैया बोले कि ताक़त तो में लगा दूँगा, लेकिन तुम्हें दर्द होगा, क्या तुम बर्दाश्त कर लोगी?
फिर मैंने कहा कि आप फ़िक्र ना करें, कितना ही दर्द क्यों ना हो? में एक ऊफ तक नहीं करूँगी, आप अपना लंड डालने में चाहे पूरी शक्ति ही क्यों ना लगा दें? फिर उन्होंने कहा कि ठीक है, में अभी अंदर करता हूँ.
अब भैया को विश्वास हो गया और इस बार उन्होंने दूसरी ही तरकीब से काम लिया. फिर उन्होंने उसी तरह बैठे हुए मुझे अपनी टांगो पर उठाकर बैठाया और हम दोनों को अच्छी तरह से कम्बल से लपेटने के बाद मुझे अपने पेट से चिपकाकर थोड़ा सा ऊपर किया और इस बार बिल्कुल चूत की दिशा में अपने लंड को रखकर और मेरी चूत को टटोलकर उसे अपने सुपाड़े पर मेरी चूत पर टिका दिया तो में उनके लंड पर बैठ गई. अभी मैंने अपना वजन नीचे नहीं गिराया था और मैंने सुविधा के लिए भैया के कंघो पर अपने हाथ रख लिए थे.
फिर भैया ने मेरे कूल्हों को कसकर पकड़ा और मुझसे बोले कि अब एकदम से नीचे बैठ जाओ.
फिर में मुस्कुराई और एक तेज़ झटका अपने बदन को देकर उनके लंड पर छपक से बैठ गई. फिर उधर भैया ने भी मेरे बदन को नीचे की और दबाया तो अचानक से मुझे ऐसा लगा जैसे कोई तेज़ धार खंजर मेरी चूत में घुस गया हो और में तकलीफ़ से बिलबिला गई, क्योंकि मेरी और भैया की मिली जुली ताक़त के कारण उनका विशाल लंड मेरी चूत के छोटे से दरवाज़े को तोड़ता हुआ अंदर समा गया था और में सरकती हुई भैया की गोदी में जाकर रुकी.
फिर मैंने तड़पकर उठना चाहा, लेकिन भैया की गिरफ़्त से में आज़ाद ना हो सकी. अगर ट्रेन में बैठी सवारियों का ख्याल ना होता तो में बुरी तरह चीख पड़ती. फिर में मचलते हुए वापस से भैया के पैरों पर पड़ी तो मेरी चूत में लंड तनने के कारण मुझे और दर्द का सामना करना पड़ा. अब में उनके पैरों पर बारी-बारी बिन पानी मछली की तरह तड़पने लगी थी.
अब भैया मुझे अपने हाथों से दिलासा देते हुए मेरी चूचियों को सहला रहे थे. फिर करीब 10 मिनट के बाद मेरा दर्द कुछ कम हुआ तो भैया अपने कूल्हों को हल्के-हल्के हिलाकर अंदर बाहर करने लगे. फिर मेरा दर्द कम होते-होते बिल्कुल ही समाप्त हो गया और में असीमित सुख के सागर में गोते लगाने लगी. अब भैया धीरे से अपना लंड बाहर खींचकर अंदर डाल देते थे और उनके लंड के अंदर बाहर करने से मेरी चूत से पचक-पचक की अजीब-अजीब सी आवाज़ें पैदा हो रही थी.
अब मैंने अपनी कोहनियों को बर्थ पर टेककर मेरे बदन को ऊपर उठा रखा था और खुद थोड़ा सा आगे सरककर अपनी चूत को वापस से उनके लंड पर धकेल देती थी. इस तरह से आधे घंटे तक धीरे-धीरे से चोदा चोदी का खेल चलता रहा और अंत में मैंने जो सुख पाया उसे में बयान नहीं कर सकती.
फिर भैया ने टावल निकालकर पहले मेरी चूत को पोछा जो खून और हम दोनों के रस से सनी हुई थी. फिर उसके बाद मैंने उनके लंड को पोछा और फिर बारी-बारी से बाथरूम में जाकर फ्रेश हुए और अपने कपड़े पहने. अब मेरे पूरे बदन में मीठा-मीठा सा दर्द हो रहा था और यही से हम दोनों भाई बहन ना होकर प्रेमी प्रेमिका बन गये. अब जब भी भैया घर आते है तो वो मुझे बिना चोदे नहीं मानते है. अब मुझे भी उनका इंतज़ार रहता है, मगर मैंने अभी तक किसी और को अपना बदन नहीं सौंपा है और ना कोई इरादा है और फिर आगे राम जाने.

End.
इसके आगे लम्बी कहानी है मैंने xossip पे पड़ी थी
 
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Siraj Patel

The name is enough
Staff member
Sr. Moderator
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Hello Everyone :hello:

We are Happy to present to you The annual story contest of Xforum "The Ultimate Story Contest" (USC).

Jaisa ki aap sabko maalum hai abhi pichle hafte he humne USC ki announcement ki hai or abhi kuch time Pehle Rules and Queries thread bhi open kiya hai or Chit chat thread toh pehle se he Hind section mein khulla hai.

Iske baare Mein thoda aapko btaadun ye ek short story contest hai jisme aap kissi bhi prefix ki short story post kar shaktey ho jo minimum 700 words and maximum 7000 words takk ho shakti hai. Isliye main aapko invitation deta hun ki aap Iss contest Mein apne khayaalon ko shabdon kaa Rupp dekar isme apni stories daalein jisko pura Xforum dekhega ye ek bahot acha kadam hoga aapke or aapki stories k liye kyunki USC Ki stories ko pure Xforum k readers read kartey hain.. Or jo readers likhna nahi caahtey woh bhi Iss contest Mein participate kar shaktey hain "Best Readers Award" k liye aapko bus karna ye hoga ki contest Mein posted stories ko read karke unke Uppar apne views dene honge.

Winning Writer's ko well deserved Awards milenge, uske aalwa aapko apna thread apne section mein sticky karne kaa mouka bhi milega Taaki aapka thread top par rahe uss dauraan. Isliye aapsab k liye ye ek behtareen mouka hai Xforum k sabhi readers k Uppar apni chaap chhodne ka or apni reach badhaane kaa.

Entry thread 7th February ko open hoga matlab aap 7 February se story daalna suru kar shaktey hain or woh thread 21st February takk open rahega Iss dauraan aap apni story daal shakte hain. Isliye aap abhi se apni Kahaani likhna suru kardein toh aapke liye better rahega.

Koi bhi issue ho toh aap kissi bhi staff member ko Message kar shaktey hain..


Rules Check karne k liye Iss thread kaa use karein :- Rules And Queries Thread.

Contest k regarding Chit chat karne k liye Iss thread kaa use karein :- Chit Chat Thread.


Regards : XForum Staff.
 
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