parkas
Prime
- 22,817
- 52,540
- 258
Bahut hi badhiya update diya hai Unique star bhai....अगले दिन सुबह सुलिप्सा उठी और रात की बाते याद करके शर्मा गई और नहाने के लिए बाथरूम में घुस गई। आज वो नहाते हुए कोई मधुर गीत गुनगुना रही थी और बेहद खुश थी।
उसने अपनी जांघो के बीच देखा जहां बड़े बड़े काले बालों का गुच्छा सा बन गया था जिसमे उसकी चूत छुप सी गई थी। सुलिप्सा ने कभी बालो को साफ ही नही किया क्योंकि कभी जरूरत ही महसूस नहीं हुई लेकिन आज उसने अपनी चूत के बालो को एक एक करके बिलकुल पूरी तरह से साफ कर दिया और यहां तक कि जांघो पर से भी बिलकुल चिकना कर दिया। ये सब करते हुए उसे बेहद उत्तेजक लग रहा था और जल्दी ही नहा धोकर बाहर आ गई।
तैयार होकर वो ऑफिस के लिए निकल गई जबकि सूरज अभी तक सोया ही पड़ा था और उसने उठाने की कोशिश भी नही करी। ऑफिस में आज सुलिप्सा की कुछ कस्टमर के साथ मीटिंग थी जो बेहद अच्छी रही।
सुलिप्सा शाम को पांच बजे घर वापिस आ गई और देखा कि सूरज बैठा हुआ ऑफिस की जरूरी फाइल देख रहा था तो उसे बेहद खुशी हुई और बोली:"
" गुड सूरज, ऐसे ही काम करते रहो बेटा। जल्दी ही तुम बिजनेस में मेरे साथ दोगे।
सूरज:" हान मम्मी मैं तो आपका साथ देने के लिए तैयार हु।
सुलिप्सा:" अच्छा तो ठीक हैं फिर कल से ऑफिस आना शुरू कर दो तुम।
सूरज:" ठीक है मम्मी। पापा ने इतनी मेहनत से जो बिजनेस खड़ा किया हैं मैं उसका ध्यान रखूंगा और उसे आगे लेकर जाऊंगा।
सुलिप्सा:" बिलकुल बेटा, बेटे के नाम होता हैं कि पिता के नाम और काम को आगे लेकर जाए और अपने पिता की हर एक चीज का ख्याल रखे।
सुलिप्सा ने बोला तो सूरज को लगा कि शायद उसकी मम्मी ये बोल रही कि तुम्हे मेरा भी ध्यान रखना चाहिए। शायद सीधे सीधे न बोलकर घूमा फिर कर बात कर रही है तो सूरज बोला:"
" आप फिकर मत कीजिए। बस कल से मैं एक नई जिंदगी की शुरुवात करूंगा। इतना नाम कमाऊंगा कि आपको मुझे अपना बेटा कहने में खुशी महसूस होगी और अब पापा की हर चीज मेरी होगी।
सुलिप्सा उसकी बात सुनकर खुश हुई और बोली:"
" यही तो मैं भी चाहती हूं कि तुम खूब आगे बढ़ो। अच्छा आज रात में क्या खाने का प्लान हैं ?
सूरज:" कुछ भी बना लो आप।
सुलिप्सा:" अच्छा तो चलो ठीक है, मैं कुछ बना देती हु। थोड़ी देर बाद आ जाना।
सूरज:" मम्मी मैं आपकी मदद कर देता हूं।
सुलिप्सा:" नही तुम पढ़ो या कुछ भी करो। मैं खुद कर लूंगी।
मम्मी के जाने के बाद सूरज अपने कमरे में गया और फ्रिज से कुछ सामान बाहर निकाला और टेबल पर सजाने लगा करीब 10 मिनट के बाद उसने अपने मम्मी को आवाज लगाई तो सुलिप्सा उसके कमरे में गई और देखा कि मेज पर एक बेहद खूबसूरत केक उसकी फोटो वाला बना हुआ था और उसे याद आया कि आज तो उसका जन्मदिन है तो सुलिप्सा खुशी से भर गई और सूरज के गले लग गई तो सूरज बोला:".
" मेरी प्यारी मम्मी को जन्मदिन की बहुत बहुत। ईश्वर करे आप ऐसे ही जवान खूबसूरत बनी रहे।
सुलिप्सा उसकी बात सुनकर हंस पड़ी और बोली:"
" तुम भी ना, बहुत जुबान चलती है आज कल तुम्हारी। मैं तो भूल ही गई थी कि आज मेरा जन्मदिन भी है लेकिन तुम नही भूले।
सूरज हंसते हुए :" मम्मी मैं कैसे भूल सकता हु आपका जन्मदिन, अच्छा आप जल्दी से केक काटने के लिए तैयार होकर आ जाओ।
सुलिप्सा:" अच्छा ठीक हैं। फिर मैं नहाकर आती हू।
सुलिप्सा नहाने के लिए घुस गई और थोड़ी देर बाद नहाकर तैयार होने लगी। उसने आज फिर एक गहरे नीले रंग का पेटीकोट और उससे मिलता ब्लाउस पहना और उसके बाद साड़ी पहन ली। कल अपने बेटे से अपने होंठो की तारीफ सुनकर उसे बेहद खुशी हुई थी इसलिए आज उसने आज अपने होंठो को बेहद गहरे लाल रंग की लिपिस्टिक से सजाया और अपने कुछ कीमती गहने भी पहन लिए और किसी अप्सरा सी सज कर सूरज के सामने पहुंच गई तो सूरज अपनी मम्मी की सुंदरता को देखकर फूला नहीं समाया और बोला:"
" वाव मम्मी, ये बात हुई ना, आप सच में बेहद खूबसूरत लग रही है। किसी की नजर न लग जाए आपको।
सुलिप्सा स्माइल करती हुई:"
" तेरे अलावा तो कोई नजर नहीं आता मुझे। बस तुम अपने नजर मत लगा देना मुझे।
सूरज:" बेटे की नजरे कभी मां को नही लगती। चलो अब आप जल्दी से केक काटो।
सुलिप्सा इठलाती हुई आगे बढ़ी और केक को काटने लगी तो सूरज बोला:"
" मेरी प्यारी मम्मी आप हमेशा खुश रहे। आपको जन्मदिन की ढेर सारी शुभकामनाएं। ईश्वर करे आप यूंही हंसती मुस्कुराती रहे।
केक काटने के बाद सुलिप्सा ने केक का एक पीस लिया और सूरज को खिलाने लगी तो सूरज ने पीस को हाथ में लिया और सुलिप्सा को खिला दिया तो अगला पीस सुलिप्सा ने अपने बेटे को खिलाया और बोली
" सच मे सूरज मुझे बहुत अच्छा लगा आज। तुमने साबित कर दिया कि तुम मुझे बहुत प्यार करते हो बेटा।
सूरज:" अपनी मम्मी से प्यार नही करूंगा तो भला और किससे करूंगा। मैं तो एक बड़ी सी पार्टी करने की सोच रहा था बस फिर करी नही।
सुलिप्सा:" तो कर लेते तुम। मुझे बताया होता तो मैं बहुत अच्छी पार्टी करने में तेरी मदद करती।
सूरज:" लेकिन आपके चेहरे पर जो खुशी अब अचानक से पता चलने पर मिली हैं पार्टी से नही मिलती ना।
सुलिप्सा:" हान वो बात भी है। अच्छा चलो फिर मैं खाना बना लेती हु जल्दी से।
सूरज:" क्या मम्मी उसकी जरूरत नही है। मैंने ऑर्डर कर दिया था बस आता ही होगा।
वैसे चाहो तो आज भी पार्टी कर सकते है हम दोनो।
सुलिप्सा:" वो कैसे भला ?
सूरज:" जैसे आपने रात करी थी। मधु के यहां पर। लेकिन अगर आपका दिल करे तब।
सुलिप्सा:" ओह अच्छा, पार्टी तो होनी चाहिए। मुझे भी अच्छा लगेगा। जाओ तुम एक काम करो कार को डिक्की में से बॉटल ले आओ। लेकिन मैं आज सिर्फ एक ही पैग लुंगी।
सूरज:" क्या मम्मी आप भी पहले से ही छोटे बच्चों की तरह करने लगी। तीन पैग तो कम से कम होने चाहिए आज ।
सुलिप्सा कुछ नही बोली बस उसे देख कर मुस्कुरा दी और सूरज खुशी खुशी बाहर गया और बॉटल लेकर आ गया। सूरज को अच्छा मौका मिल गया था और उसने पैग बनाना शुरू कर दिया और सुलिप्सा को देते हुए बोला
" चीयर्स
दोनो के ग्लास एक साथ टकराए और सुलिप्सा ने एक घूंट भरी और बोली
" अच्छा सूरज मैंने सुना था कि दारू कड़वी होती हैं और उसमे से बदबू आती है। लेकिन ये तो बहुत स्वादिष्ट और अच्छी है।
सूरज:" मम्मी वो तो स्वाद पर होता है। ये अच्छा इंग्लिश ब्रांड है , मैं आपके लिए और लेकर आ जाऊंगा कल।
सुलिप्सा ने पैग एक बड़े घूंट में खत्म किया तो सूरज ने भी खत्म किया और दूसरा बनाने लगा तो सुलिप्सा बस देखती रही और कुछ नहीं बोली। शायद उसे सुरूर होना शुरू हो गया था और देखते ही देखते वो दूसरा भी पैग पीने लगी तो सूरज पीते हुए बोला
" वैसे मम्मी कल ज्यादा मजा आया था जब आपने गोद में बैठाकर पिलाई थी मुझे। आप अपने हाथ से पिलाओ तो ज्यादा नशा होता है।
सुलिप्सा को नशा चढ़ना शुरू हो गया था और अपनी बांहे फैला दी तो सूरज अपने पैग को टेबल पर रख कर उसकी गोद में बैठ गया। सुलिप्सा की साड़ी का पल्लू नीचे गिर गया और सुलिप्सा को ठीक करने का होश नही था। सुलिप्सा ने अपना पैग उठाकर उसके मुंह से लगा लिया और बोली:"
" अच्छा मेरे हाथ से पीने में ज्यादा नशा क्यों होता हैं तुम्हे ?
सूरज ने एक जोरदार घूंट भरा और बोला:"
" क्योंकि आपके हाथ भी तो नशीले हैं इसलिए नशा डबल हो जाता है।
सुलिप्सा उसकी बात सुनकर हंस पड़ी और बोली:" अच्छा तुझे एक पैग पीते ही अपनी मम्मी के हाथ नशीले लगने लगे।
सूरज का सिर सुलिप्सा के पेट से थोड़े से उपर लगा था और उसकी चुचियों के उभार को छू रहा था और सूरज उसकी आंखों में देखते हुए बोला:"
" पैग की बात नही, सच में नशीले हैं आपके हाथ। मम्मी वैसे आज आपकी लिपिस्टिक ज्यादा अच्छी लग रही है कल से।
उसकी मस्ती भरी बाते सुनकर सुलिप्सा ने एक घूंट भरी और अपने होंठो को सख्ती से ग्लास पर रगड़ सा दिया और उसके ऊपर झुकती हुई बोली:"
" अच्छा जी ऐसा क्या है आज लिपिस्टिक में ?
झुकने से उसकी चूचियां छलकने लगी और उसने ग्लास को अपने बेटे के मुंह से ठीक उसी जगह से लगाया जहां लिपिस्टिक लगी हुई थी तो सूरज ने सिर्फ अपनी जीभ बाहर निकाली और सुलिप्सा की आंखो में देखते हुए लिपिस्टिक को चाट लिया और चुचियों को सिर से सहलाते हुए बोला:"
" वाव मम्मी, सच मे कितनी टेस्टी है, मन करता हैं और चाटने के लिए मिल जाए।
सुलिप्सा को भी अपनी तारीफ सुनकर इसमें मजा आ रहा था और बोली:
" रात क्या कह रहे थे तुम वैसे मेरे बारे में ?
सूरज को ठीक से समझ नहीं आया तो बोला:"
" किस बारे में भला ? मुझे ठीक से समझ नहीं आया।
सुलिप्सा ने अब अपनी जीभ को ग्लास में घुसा दिया और दारू को पीती हुई बोली:"
" यही कि मेरा नाम सुलिप्सा क्यों रखा गया?
सूरज तो मानो ये सुनकर तड़प सा उठा और सीधे बिना किसी भूमिका के बोला:"
" क्योंकि आपके लिप्स दुनिया में सबसे ज्यादा अच्छे और रसीले हैं। एक दम चूसने लायक, दबा दबा कर चूसने लायक।
उसकी बात सुनकर सुलिप्सा मचल उठी और सूरज के होंठो से फिर से ग्लास लगा दिया तो सूरज ने ग्लास को एक झटके में खाली कर दिया और सुलिप्सा के लिप्स पर उंगली फेरते हुए बोला:"
" ग्लास से नही मेरी सेक्सी लिप्स वाली मम्मी सुलिप्सा सीधे बॉटल से ही पिला डालो।
सुलिप्सा भी बहक गई थी तो एक झटके से बॉटल को उठा लिया और मुंह पर झुकते हुए बॉटल उसके मुंह से लगा दी। सूरज गटागट पीने लगा। सूरज के लिप्स और सुलिप्सा के लिप्स में बस बॉटल का ही फासला था। सूरज ने पीने के बाद बॉटल को उसके मुंह से लगा लिया और सुलिप्सा ने भी कई बड़े घूंट भरे और उसके बाद उसने अपनी जीभ को अपने होंठों पर फिरते हुए सूरज को चिढ़ा कर सूरज के मुंह पर बॉटल से दारू गिराना शुरू किया तो सूरज ने एक बड़ी घूंट को भरा और दारू को सुलिप्सा के मुंह पर उछाला तो सुलिप्सा ने शर्म लिहाज को छोड़कर अपने लिप्स को अपने बेटे के लिप्स से जोड़ दिया।
बॉटल कब की एक तरफ रखी गई थी और सुलिप्सा पूरी तरह से अपने बेटे के उपर झुकी ही उसके होंठ चूस रही थी। दोनो मदहोशी में एक दूसरे के होंठ चूस रहे थे, सूरज कभी उसके ऊपर के होंठ को चूसता तो कभी नीचे के होंठ को। सुलिप्सा ने मस्ती मे अपना मुंह खोल दिया और सूरज की जीभ उसके मुंह में घुस गई और सुलिप्सा ने उसकी जीभ को लपक लिया और दोनो एक दुसरे के लिप्स के साथ साथ अब जीभ भी चूस रहे थे।
तभी घर की कॉल बेल बजी तो उनकी किस टूट गई और सुलिप्सा का चेहरा शर्म से लाल हो गया और वही सोफे पर गिर पड़ी । सूरज ने गेट खोला तो खाने का ऑर्डर आ गया था और सूरज ने उसे बिल देकर वापिस भेज दिया और खाने को टेबल पर लगा दिया और सुलिप्सा को बोला
" मम्मी आ जाओ आप खाना खा लो।
सुलिप्सा को नशा पूरा चढ़ गया था और उसकी तरफ देख कर हंसने लगी और खड़ी हुई तो बुरी तरह से लड़खड़ाने लगी तो सूरज ने आगे बढ़कर उसे अपनी बांहों में थाम लिया और खाने की टेबल की तरफ ले जाने लगा। दोनो की लड़खड़ा रहे थे और सुलिप्सा की हालत ज्यादा खराब थी
सूरज ने टेबल पर खाना लगाया और उसके बाद दोनो मा बेटे खाना खाने लगे। सूरज पानी लेने के लिए आगे को झुका तो उसके पैर सुलिप्सा के पैरो से टेबल के नीचे टकरा गए और सुलिप्सा ने अपने पैर नही हटाए तो सूरज भी ने हिम्मत करके अपना पूरा पैर उसके पैर पर रख दिया और खाना खाने लगा।
सुलिप्सा बोली:" पता हैं सूरज आज मैं बहुत खुश हूं। मैने कभी नही सोचा था कि तुम जन्मदिन ऐसे मनाओगे।
सूरज उसका पैर सहलाते हुए बोला:" मम्मी मैं आपसे बहुत प्यार करता हूं।
सुलिप्सा:" अच्छा मुझसे प्यार करता हैं , वो क्यों भला ?
सूरज भी अब खुल रहा था तो बोला:" मम्मी क्योंकि आप बेहद खूबसूरत लगती हो।
सुलिप्सा ने ने अपने लिप्स को गोलाकार किया और बोली:"
" अच्छा जी और मेरे लिप्स के बारे में क्या क्या बोल रहे थे तुम ?
सूरज ने एक बार सुलिप्सा के पैर पर अपना अंगूठा फिराया और बोला:"
" आपके लिप्स बेहद खूबसूरत है, तभी तो आपका नाम सुलिप्सा रखा गया है। एक दम चूसने लायक सेक्सी लिप्स है आपके।
सुलिप्सा:" हट बेशर्म कहीं का, लगता हैं तुझे दारू चढ़ गई हैं आज जो ऐसी बाते कर रहा है।
सूरज:" दारू से ज्यादा तो आपकी खूबसूरती का नशा चढ़ गया है मुझे। आप नीले रंग की इस ड्रेस में बेहद सेक्सी लग रही हो आज।
सुलिप्सा जान बूझकर थोड़ा आगे को झुक गई और उसे अपनी चुचियों का उभार दिखाती हुई बोली:"
" अच्छा जी, बहुत बात करते हो तुम, चलो अब जल्दी से खाना खत्म करो।
उसके बाद दोनो ने जल्दी से खाना खत्म किया और उसके बाद सुलिप्सा उठी और बोली
" मैं अब सोने के लिए चलती हु।
सुलिप्सा इतना कहकर चलने लगी पूरी तरह से नशे मे लड़खड़ाती हुई। सूरज उसे पकड़ने के आगे बढ़ा तो सुलिप्सा उसे चिड़ाते हुए बोली
" मत छुओ, खुद चली जाऊंगी, इतना ज्यादा भी नशा नही हुआ है मुझे।
सूरज उसकी बात सुनकर निराश सा हुआ लेकिन बोला:"
" मम्मी आप गिर जायेगी और आपके जवान मजबूत बेटे के होते हुए आप गिर जाए ये अच्छा नही लगेगा मुझे।
सुलिप्सा जान बूझकर थोड़ा ज्यादा लड़खड़ाई और बोली:"
"तुम जवान मजबूत हो तो क्या हुआ, मैं भी छोटी बच्ची नही हु, नशे में झूमने का भी मजा लेने दो मुझे आज।
सुलिप्सा चलते हुए अपने रूम के सामने पहुंचने वाली थी और सूरज की शक्ल देखकर वो अंदर ही अंदर खुश हो रही थी। सुलिप्सा अब बिल्कुल रूम के सामने खड़ी हुई थी और नाइट बल्ब की रोशनी मे बेहद कामुक लग रही थी और और सेक्सी स्माइल देते हुए बोली:"
" अच्छा सूरज गुड नाईट।
इतना कहकर आगे बढ़ी तो सूरज का मुंह देखने लायक था और सूरज बोला:"
" मम्मी रुको न थोड़ी देर,बात करो ना मुझसे, देखो कितना अच्छा मौसम हैं और भी इतनी खूबसूरत लग रही है आज।
सुलिप्सा भी जाना ही कहां चाह रही थी इसलिए एकदम रुक गई और बोली:"
" जाने दो ना, नींद आने लगी अब मुझे। नशा इतना ज्यादा हैं कि कुछ भी होश नही है अब।
इतना कहकर सुलिप्सा पलटी और कमरे के गेट पर पहुंच गई और जैसे ही गेट खोलने लगी तो सूरज का दिल टूट गया और सुलिप्सा पलट कर स्माइल करती हुई बोली
"थैंक्स सूरज बेटा एक बार फिर से मुझे ये खुशी देने के लिए।
सूरज ने उसे स्माइल दी और सुलिप्सा जान बूझकर गिर पड़ी और सूरज उसे उठाने के लिए आगे बढ़ा तो उसकी तरफ देखने लगी
सूरज उसके सामने खड़ा हुआ था और सुलिप्सा खड़ी होने लगी और फिर से जैसे ही गिरने लगी तो सूरज ने उसे पीछे से पकड़ लिया और सुलिप्सा के मुंह से आह निकल पड़ी। सूरज की छाती उसकी पीठ से लगी हुई थी और सूरज का खड़ा हुआ लंड उसकी गांड़ पर दबाव दे रहा था तो सुलिप्सा दिल तेजी से धड़क उठा और सांसें तेज हो गई। सुलिप्सा के हाथ सूरज के हाथ में थे और सुलिप्सा थोड़ी देर ऐसे ही खड़ी रही।
अब सुलिप्सा अपने बेटे की बांहों में थर थर कांप रही थी और उसकी चूचियां उपर नीचे होकर सूरज के लंड को और कठोर बना रही थी जिससे लंड हर पल और ज्यादा सख्ती से उसकी गांड़ पर चुभ रहा था।सूरज ने अपने चेहरे को उसकी गर्दन के पास किया और सूरज ने अपनी गर्म सांसे जैसे ही उसकी गर्दन पर छोटी तो सुलिप्सा मचल उठी और एक झटके के साथ उससे अलग हो गई। सूरज और सुलिप्सा दोनो एक दूसरे के सामने खड़े हुए थे और दोनो की ही सांसे तेज चल रही थी और आंखे वासना से लाल सुर्ख हो गई थी। दोनो एक दूसरे की आंखों में देख रहे थे और कौन पहल करेगा ये सोच रहे थे बस।
तभी सुलिप्सा एक बार फिर से गेट के अंदर घुसने लगी तो सूरज हिम्मत करके आगे बढ़ा और उसके बिलकुल एकदम पीछे सट गया और उसका हाथ पकड़ कर बोला:
" मम्मी आप बहुत सेक्सी है बिलकुल अपने लिप्स की तरह।
सुलिप्सा ने उसकी तरफ से फिर से पहल पाकर पलट कर देखा तो सूरज उसके और करीब हुआ और तो सुलिप्सा भी अब हल्की सी पलटी और उसके हाथो में अपनी उंगलियां फांसती हुई उसके चेहरे के करीब अपना चेहरा ले आई और बोली
" तुम्हे आज कुछ ज्यादा ही चढ़ गई है सूरज, अब मुझे जाने दीजिए ना आप प्लीज।
इतना कहकर सुलिप्सा ने अपनी आंखे बंद कर ली और बिलकुल वहीं खड़ी रही।
सूरज ने बिना कुछ बोले अपना चेहरा आगे किया और उसके लिप्स को अपने लिप्स से छू लिया तो सुलिप्सा आह भरते हुए पलट गई लेकिन सूरज से दूर नही हुई तो सूरज अब हिम्मत करके पूरी तरह से उसकी गांड़ से सट गया और उसकी उंगलियों को हल्का हल्का मसलते हुए सहलाना शुरू कर दिया। सुलिप्सा की सांस अब पूरी तेजी से चल रही थी और उसकी चूचियां नीचे से उपर नीचे हो रही थी। उसके ठीक पीछे खड़े हुए सूरज को ये कामुक दृश्य और बहका रहा था और सूरज ने अपने चेहरे को उसकी गर्दन के करीब किया तो सुलिप्सा उसकी गर्म सांसे महसूस करके पागल सी हो गई और अपनी गर्दन को बिलकुल पीछे झुका दिया और उसकी चूचियां पूरी तरह से उभर आई। ऊपर गर्दन करने से सुलिप्सा के पैर सूरज के पैर पर हल्के से चढ़ गए और सूरज ने बेशर्म होते हुए लंड को उसकी गांड़ की गहराई में घुसा दिया तो सुलिप्सा का चेहरा उत्तेजना से पूरा लाल होकर दहक उठा और होंठ चूसे जाने के लिए लरज उठे
सुलिप्सा की गर्दन पीछे होने से सूरज का मुंह उसकी गर्दन पर आ लगा और सुलिप्सा तड़प सी गई। सूरज ने अपनी जीभ को बाहर निकाल कर हल्का सा उसकी गर्दन पर छुआ और सुलिप्सा के मुंह से आह निकल पड़ी और सूरज ने उसके होठों को अपने हाथो में लिए उसके पेट पर बांध दिया और सुलिप्सा पागल सी होने लगी। सूरज के हाथ उसके पेट और घूम कर उसकी मुलायम त्वचा को सहला रहे थे और मसल रहे थे और सुलिप्सा अपने हाथ का दबाव उसके हाथ पर डाल रही थी जिससे लंड ज्यादा जोर से चुभने लगा और सूरज ने उसकी गर्दन पर जोर से चूम लिया तो सुलिप्सा सिसक उठी और पूरी तरह से मदहोश होकर उसके पैरो पर चढ़ गई। सूरज ने भी अब अपनी पूरी जीभ बाहर निकाली और सुलिप्सा की गर्दन पर फेर दिया तो सुलिप्सा उत्तेजना से पागल सी होकर एक झटके से आगे को हुई सूरज ने जोर से उसे पीछे को खींचा तो लंड किसी सख्त रॉड की तरह उसकी गांड़ पर चुभ गया और सुलिप्सा फिर से सिसकते हुए आगे को हुई और इस बार सूरज ने अपनी टांगो की कैची सी बनाकर उसकी टांगो मे फसाते हुए उसे पीछे को खींचा और जैसे कमाल ही हो गया। सुलिप्सा की दोनो टांगे पूरी तरह से चौड़ी होकर खुल गई और सूरज का लंड उसकी गांड़ की गहराई में घुसा और आगे चूत तक पहुंच गया और सुलिप्सा इस अदभुत एहसास से ऐसी चुदासी हुई कि अपने बेटे के हाथ को अपनी छाती पर रखते हुए अपने बदन को पूरा ढीला छोड़ दिया। सूरज अब सुलिप्सा की तरफ से खुला सहयोग पाकर अपने लंड को धीरे से आगे पीछे करने लगा और सुलिप्सा जैसे स्वर्ग में पहुंच गई और उसने अपनी छाती पर रखे अपने बेटे के हाथो पर अपने हाथो का दबाव दिया और सिसक उठी। सूरज कपड़ो के उपर से ही उसकी चुचियों की सख्ती और मोटाई महसूस करके तड़प सा उठा और लंड को अब थोड़ी सख्ती से रगड़ने लगा। सुलिप्सा की चूत के होंठो पर लंड की रगड़ उसे पूरा जोश दिला रही थी सुलिप्सा अपने बेटे का साथ देने के लिए और आगे को झुक गई और जैसे कमाल ही हो गया। लंड अब सीधे चूत को छू रहा था और लहंगे के उपर से ही पूरी लंबाई में चूत को सख्ती से रगड़ने लगा तो सुलिप्सा के मुंह से आह निकल पड़ी। सुलिप्सा की चूत में पूरी आग सी लगी हुई थी और उसकी चूत गर्म होकर दहक रही थी तो सुलिप्सा अपना एक हाथ अपने बेटे से छुड़ा कर नीचे चूत पर ले आई और जैसे ही चूत पर लहंगे के उपर से छुआ तो सुलिप्सा पागल सी होकर एक के बाद एक सिसकियां लेने लगी और सूरज को मानो बिना मांगे खजाना मिल गया था और उसने सुलिप्सा की एक चूची को बिलकुल पूरी की पूरी अपने हाथ में भर लिया और जैसे ही धीरे से सहलाया तो सुलिप्सा मस्ती से सुलिप्सा की आंखो के आगे तारे नाच उठे और उसने पूरी बेशर्मी करते हुए अपना दूसरा हाथ भी अपनी चूची पर से हटा दिया और अपने लहंगे में घुसा बैठी। सूरज के दोनो हाथो में अब उसकी मस्त कठोर भरी हुई चूचियां थी और सूरज धीरे धीरे मसल रहा था। सुलिप्सा ने जैसे ही अपनी चूत के होंठो को अपनी उंगली से हुआ तो उसकी चूत मस्ती से अपना रस छोड़ने लगी और सूरज का लंड जैसे ही इस बार चूत से रगड़ा तो उसे चूत पर अपनी मां की उंगलियों का एहसास हुआ और सूरज ने सब शर्म छोड़कर अपने लंड को पूरी ताकत से उसकी चूत पर रगड़ा तो सुलिप्सा मस्ती से बेहाल होकर उसकी गोद में झूल सी गई और सहारे के लिए एक हाथ को दीवार से लगा दिया और दूसरे हाथ से अपनी चूत को पूरी तरह से उपर की तरफ उभार दिया और जैसे ही इस बार लंड चूत पर रगड़ा तो सुलिप्सा के साथ साथ सूरज भी सिसक पड़ा और पागलों की तरह उसकी गर्दन पर झुक गया और जीभ निकाल कर उसे किसी जानवर की तरफ चाटने लगा। सुलिप्सा की चूत में उबाल सा आने लगा और अपनी तरफ से पूरा सहयोग कर रही थी। सूरज भी अब पूरी ताकत से पूरी सख्ती से उसकी चूत रगड़ रहा था। सुलिप्सा का जिस्म किसी हिंडोले सा हिल रहा था और सूरज ने उसकी चुचियों जो ताकत से मसल दिया तो सुलिप्सा जोर से मस्ती से चींख सी पड़ी उसकी चूत में मानो भूचाल सा आ गया और वो अपनी चूत पर लंड को हाथ से पकड़ कर जोर से दबा बैठी और उसकी चूत ने लंड को अपने रस से सरोबार कर दिया और सूरज ने अब उसे पलटा और अपनी गोद में उठाते हुए दीवार से सटा कर लंड का जोरदार धक्का उसकी चूत पर जड़ा और सुलिप्सा उसकी गर्दन में अपनी बांहे लपेट कर जोर से सिसक पड़ी क्योंकि कपड़ो के ऊपर से लंड का आधा सुपाड़ा उसकी चूत में घुस गया और इसके साथ ही सूरज के लंड ने भी उसकी चूत पर अपना रस छोड़ दिया और दोनो मदहोश से होकर एक दूसरे के होंठ चूसने लगे।
दोनो की सांस नॉर्मल हुई तो एक दूसरे की तरफ देखा और मुस्कुरा उठे। सूरज ने उसे गोद में ही उसके बेड पर लिटाया और सुलिप्सा ने उसे अपने ऊपर खींच लिया तो सूरज उसके पास ही उससे लिपट कर सो गया।
Nice and lovely update....