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Incest भूल का फूल !!

parkas

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अगले दिन सुबह सुलिप्सा उठी और रात की बाते याद करके शर्मा गई और नहाने के लिए बाथरूम में घुस गई। आज वो नहाते हुए कोई मधुर गीत गुनगुना रही थी और बेहद खुश थी।

उसने अपनी जांघो के बीच देखा जहां बड़े बड़े काले बालों का गुच्छा सा बन गया था जिसमे उसकी चूत छुप सी गई थी। सुलिप्सा ने कभी बालो को साफ ही नही किया क्योंकि कभी जरूरत ही महसूस नहीं हुई लेकिन आज उसने अपनी चूत के बालो को एक एक करके बिलकुल पूरी तरह से साफ कर दिया और यहां तक कि जांघो पर से भी बिलकुल चिकना कर दिया। ये सब करते हुए उसे बेहद उत्तेजक लग रहा था और जल्दी ही नहा धोकर बाहर आ गई।

तैयार होकर वो ऑफिस के लिए निकल गई जबकि सूरज अभी तक सोया ही पड़ा था और उसने उठाने की कोशिश भी नही करी। ऑफिस में आज सुलिप्सा की कुछ कस्टमर के साथ मीटिंग थी जो बेहद अच्छी रही।


सुलिप्सा शाम को पांच बजे घर वापिस आ गई और देखा कि सूरज बैठा हुआ ऑफिस की जरूरी फाइल देख रहा था तो उसे बेहद खुशी हुई और बोली:"

" गुड सूरज, ऐसे ही काम करते रहो बेटा। जल्दी ही तुम बिजनेस में मेरे साथ दोगे।

सूरज:" हान मम्मी मैं तो आपका साथ देने के लिए तैयार हु।

सुलिप्सा:" अच्छा तो ठीक हैं फिर कल से ऑफिस आना शुरू कर दो तुम।

सूरज:" ठीक है मम्मी। पापा ने इतनी मेहनत से जो बिजनेस खड़ा किया हैं मैं उसका ध्यान रखूंगा और उसे आगे लेकर जाऊंगा।

सुलिप्सा:" बिलकुल बेटा, बेटे के नाम होता हैं कि पिता के नाम और काम को आगे लेकर जाए और अपने पिता की हर एक चीज का ख्याल रखे।

सुलिप्सा ने बोला तो सूरज को लगा कि शायद उसकी मम्मी ये बोल रही कि तुम्हे मेरा भी ध्यान रखना चाहिए। शायद सीधे सीधे न बोलकर घूमा फिर कर बात कर रही है तो सूरज बोला:"

" आप फिकर मत कीजिए। बस कल से मैं एक नई जिंदगी की शुरुवात करूंगा। इतना नाम कमाऊंगा कि आपको मुझे अपना बेटा कहने में खुशी महसूस होगी और अब पापा की हर चीज मेरी होगी।

सुलिप्सा उसकी बात सुनकर खुश हुई और बोली:"

" यही तो मैं भी चाहती हूं कि तुम खूब आगे बढ़ो। अच्छा आज रात में क्या खाने का प्लान हैं ?

सूरज:" कुछ भी बना लो आप।

सुलिप्सा:" अच्छा तो चलो ठीक है, मैं कुछ बना देती हु। थोड़ी देर बाद आ जाना।

सूरज:" मम्मी मैं आपकी मदद कर देता हूं।

सुलिप्सा:" नही तुम पढ़ो या कुछ भी करो। मैं खुद कर लूंगी।

मम्मी के जाने के बाद सूरज अपने कमरे में गया और फ्रिज से कुछ सामान बाहर निकाला और टेबल पर सजाने लगा करीब 10 मिनट के बाद उसने अपने मम्मी को आवाज लगाई तो सुलिप्सा उसके कमरे में गई और देखा कि मेज पर एक बेहद खूबसूरत केक उसकी फोटो वाला बना हुआ था और उसे याद आया कि आज तो उसका जन्मदिन है तो सुलिप्सा खुशी से भर गई और सूरज के गले लग गई तो सूरज बोला:".

" मेरी प्यारी मम्मी को जन्मदिन की बहुत बहुत। ईश्वर करे आप ऐसे ही जवान खूबसूरत बनी रहे।

सुलिप्सा उसकी बात सुनकर हंस पड़ी और बोली:"

" तुम भी ना, बहुत जुबान चलती है आज कल तुम्हारी। मैं तो भूल ही गई थी कि आज मेरा जन्मदिन भी है लेकिन तुम नही भूले।

सूरज हंसते हुए :" मम्मी मैं कैसे भूल सकता हु आपका जन्मदिन, अच्छा आप जल्दी से केक काटने के लिए तैयार होकर आ जाओ।

सुलिप्सा:" अच्छा ठीक हैं। फिर मैं नहाकर आती हू।

सुलिप्सा नहाने के लिए घुस गई और थोड़ी देर बाद नहाकर तैयार होने लगी। उसने आज फिर एक गहरे नीले रंग का पेटीकोट और उससे मिलता ब्लाउस पहना और उसके बाद साड़ी पहन ली। कल अपने बेटे से अपने होंठो की तारीफ सुनकर उसे बेहद खुशी हुई थी इसलिए आज उसने आज अपने होंठो को बेहद गहरे लाल रंग की लिपिस्टिक से सजाया और अपने कुछ कीमती गहने भी पहन लिए और किसी अप्सरा सी सज कर सूरज के सामने पहुंच गई तो सूरज अपनी मम्मी की सुंदरता को देखकर फूला नहीं समाया और बोला:"

" वाव मम्मी, ये बात हुई ना, आप सच में बेहद खूबसूरत लग रही है। किसी की नजर न लग जाए आपको।

सुलिप्सा स्माइल करती हुई:"

" तेरे अलावा तो कोई नजर नहीं आता मुझे। बस तुम अपने नजर मत लगा देना मुझे।

सूरज:" बेटे की नजरे कभी मां को नही लगती। चलो अब आप जल्दी से केक काटो।

सुलिप्सा इठलाती हुई आगे बढ़ी और केक को काटने लगी तो सूरज बोला:"

" मेरी प्यारी मम्मी आप हमेशा खुश रहे। आपको जन्मदिन की ढेर सारी शुभकामनाएं। ईश्वर करे आप यूंही हंसती मुस्कुराती रहे।

केक काटने के बाद सुलिप्सा ने केक का एक पीस लिया और सूरज को खिलाने लगी तो सूरज ने पीस को हाथ में लिया और सुलिप्सा को खिला दिया तो अगला पीस सुलिप्सा ने अपने बेटे को खिलाया और बोली

" सच मे सूरज मुझे बहुत अच्छा लगा आज। तुमने साबित कर दिया कि तुम मुझे बहुत प्यार करते हो बेटा।

सूरज:" अपनी मम्मी से प्यार नही करूंगा तो भला और किससे करूंगा। मैं तो एक बड़ी सी पार्टी करने की सोच रहा था बस फिर करी नही।

सुलिप्सा:" तो कर लेते तुम। मुझे बताया होता तो मैं बहुत अच्छी पार्टी करने में तेरी मदद करती।


सूरज:" लेकिन आपके चेहरे पर जो खुशी अब अचानक से पता चलने पर मिली हैं पार्टी से नही मिलती ना।

सुलिप्सा:" हान वो बात भी है। अच्छा चलो फिर मैं खाना बना लेती हु जल्दी से।

सूरज:" क्या मम्मी उसकी जरूरत नही है। मैंने ऑर्डर कर दिया था बस आता ही होगा।
वैसे चाहो तो आज भी पार्टी कर सकते है हम दोनो।

सुलिप्सा:" वो कैसे भला ?

सूरज:" जैसे आपने रात करी थी। मधु के यहां पर। लेकिन अगर आपका दिल करे तब।

सुलिप्सा:" ओह अच्छा, पार्टी तो होनी चाहिए। मुझे भी अच्छा लगेगा। जाओ तुम एक काम करो कार को डिक्की में से बॉटल ले आओ। लेकिन मैं आज सिर्फ एक ही पैग लुंगी।

सूरज:" क्या मम्मी आप भी पहले से ही छोटे बच्चों की तरह करने लगी। तीन पैग तो कम से कम होने चाहिए आज ।

सुलिप्सा कुछ नही बोली बस उसे देख कर मुस्कुरा दी और सूरज खुशी खुशी बाहर गया और बॉटल लेकर आ गया। सूरज को अच्छा मौका मिल गया था और उसने पैग बनाना शुरू कर दिया और सुलिप्सा को देते हुए बोला

" चीयर्स

दोनो के ग्लास एक साथ टकराए और सुलिप्सा ने एक घूंट भरी और बोली

" अच्छा सूरज मैंने सुना था कि दारू कड़वी होती हैं और उसमे से बदबू आती है। लेकिन ये तो बहुत स्वादिष्ट और अच्छी है।

सूरज:" मम्मी वो तो स्वाद पर होता है। ये अच्छा इंग्लिश ब्रांड है , मैं आपके लिए और लेकर आ जाऊंगा कल।

सुलिप्सा ने पैग एक बड़े घूंट में खत्म किया तो सूरज ने भी खत्म किया और दूसरा बनाने लगा तो सुलिप्सा बस देखती रही और कुछ नहीं बोली। शायद उसे सुरूर होना शुरू हो गया था और देखते ही देखते वो दूसरा भी पैग पीने लगी तो सूरज पीते हुए बोला

" वैसे मम्मी कल ज्यादा मजा आया था जब आपने गोद में बैठाकर पिलाई थी मुझे। आप अपने हाथ से पिलाओ तो ज्यादा नशा होता है।

सुलिप्सा को नशा चढ़ना शुरू हो गया था और अपनी बांहे फैला दी तो सूरज अपने पैग को टेबल पर रख कर उसकी गोद में बैठ गया। सुलिप्सा की साड़ी का पल्लू नीचे गिर गया और सुलिप्सा को ठीक करने का होश नही था। सुलिप्सा ने अपना पैग उठाकर उसके मुंह से लगा लिया और बोली:"

" अच्छा मेरे हाथ से पीने में ज्यादा नशा क्यों होता हैं तुम्हे ?

सूरज ने एक जोरदार घूंट भरा और बोला:"

" क्योंकि आपके हाथ भी तो नशीले हैं इसलिए नशा डबल हो जाता है।

सुलिप्सा उसकी बात सुनकर हंस पड़ी और बोली:" अच्छा तुझे एक पैग पीते ही अपनी मम्मी के हाथ नशीले लगने लगे।

सूरज का सिर सुलिप्सा के पेट से थोड़े से उपर लगा था और उसकी चुचियों के उभार को छू रहा था और सूरज उसकी आंखों में देखते हुए बोला:"

" पैग की बात नही, सच में नशीले हैं आपके हाथ। मम्मी वैसे आज आपकी लिपिस्टिक ज्यादा अच्छी लग रही है कल से।

उसकी मस्ती भरी बाते सुनकर सुलिप्सा ने एक घूंट भरी और अपने होंठो को सख्ती से ग्लास पर रगड़ सा दिया और उसके ऊपर झुकती हुई बोली:"

" अच्छा जी ऐसा क्या है आज लिपिस्टिक में ?

झुकने से उसकी चूचियां छलकने लगी और उसने ग्लास को अपने बेटे के मुंह से ठीक उसी जगह से लगाया जहां लिपिस्टिक लगी हुई थी तो सूरज ने सिर्फ अपनी जीभ बाहर निकाली और सुलिप्सा की आंखो में देखते हुए लिपिस्टिक को चाट लिया और चुचियों को सिर से सहलाते हुए बोला:"

" वाव मम्मी, सच मे कितनी टेस्टी है, मन करता हैं और चाटने के लिए मिल जाए।

सुलिप्सा को भी अपनी तारीफ सुनकर इसमें मजा आ रहा था और बोली:

" रात क्या कह रहे थे तुम वैसे मेरे बारे में ?

सूरज को ठीक से समझ नहीं आया तो बोला:"

" किस बारे में भला ? मुझे ठीक से समझ नहीं आया।

सुलिप्सा ने अब अपनी जीभ को ग्लास में घुसा दिया और दारू को पीती हुई बोली:"

" यही कि मेरा नाम सुलिप्सा क्यों रखा गया?

सूरज तो मानो ये सुनकर तड़प सा उठा और सीधे बिना किसी भूमिका के बोला:"

" क्योंकि आपके लिप्स दुनिया में सबसे ज्यादा अच्छे और रसीले हैं। एक दम चूसने लायक, दबा दबा कर चूसने लायक।

उसकी बात सुनकर सुलिप्सा मचल उठी और सूरज के होंठो से फिर से ग्लास लगा दिया तो सूरज ने ग्लास को एक झटके में खाली कर दिया और सुलिप्सा के लिप्स पर उंगली फेरते हुए बोला:"

" ग्लास से नही मेरी सेक्सी लिप्स वाली मम्मी सुलिप्सा सीधे बॉटल से ही पिला डालो।

सुलिप्सा भी बहक गई थी तो एक झटके से बॉटल को उठा लिया और मुंह पर झुकते हुए बॉटल उसके मुंह से लगा दी। सूरज गटागट पीने लगा। सूरज के लिप्स और सुलिप्सा के लिप्स में बस बॉटल का ही फासला था। सूरज ने पीने के बाद बॉटल को उसके मुंह से लगा लिया और सुलिप्सा ने भी कई बड़े घूंट भरे और उसके बाद उसने अपनी जीभ को अपने होंठों पर फिरते हुए सूरज को चिढ़ा कर सूरज के मुंह पर बॉटल से दारू गिराना शुरू किया तो सूरज ने एक बड़ी घूंट को भरा और दारू को सुलिप्सा के मुंह पर उछाला तो सुलिप्सा ने शर्म लिहाज को छोड़कर अपने लिप्स को अपने बेटे के लिप्स से जोड़ दिया।


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बॉटल कब की एक तरफ रखी गई थी और सुलिप्सा पूरी तरह से अपने बेटे के उपर झुकी ही उसके होंठ चूस रही थी। दोनो मदहोशी में एक दूसरे के होंठ चूस रहे थे, सूरज कभी उसके ऊपर के होंठ को चूसता तो कभी नीचे के होंठ को। सुलिप्सा ने मस्ती मे अपना मुंह खोल दिया और सूरज की जीभ उसके मुंह में घुस गई और सुलिप्सा ने उसकी जीभ को लपक लिया और दोनो एक दुसरे के लिप्स के साथ साथ अब जीभ भी चूस रहे थे।

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तभी घर की कॉल बेल बजी तो उनकी किस टूट गई और सुलिप्सा का चेहरा शर्म से लाल हो गया और वही सोफे पर गिर पड़ी । सूरज ने गेट खोला तो खाने का ऑर्डर आ गया था और सूरज ने उसे बिल देकर वापिस भेज दिया और खाने को टेबल पर लगा दिया और सुलिप्सा को बोला

" मम्मी आ जाओ आप खाना खा लो।

सुलिप्सा को नशा पूरा चढ़ गया था और उसकी तरफ देख कर हंसने लगी और खड़ी हुई तो बुरी तरह से लड़खड़ाने लगी तो सूरज ने आगे बढ़कर उसे अपनी बांहों में थाम लिया और खाने की टेबल की तरफ ले जाने लगा। दोनो की लड़खड़ा रहे थे और सुलिप्सा की हालत ज्यादा खराब थी


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सूरज ने टेबल पर खाना लगाया और उसके बाद दोनो मा बेटे खाना खाने लगे। सूरज पानी लेने के लिए आगे को झुका तो उसके पैर सुलिप्सा के पैरो से टेबल के नीचे टकरा गए और सुलिप्सा ने अपने पैर नही हटाए तो सूरज भी ने हिम्मत करके अपना पूरा पैर उसके पैर पर रख दिया और खाना खाने लगा।

सुलिप्सा बोली:" पता हैं सूरज आज मैं बहुत खुश हूं। मैने कभी नही सोचा था कि तुम जन्मदिन ऐसे मनाओगे।

सूरज उसका पैर सहलाते हुए बोला:" मम्मी मैं आपसे बहुत प्यार करता हूं।

सुलिप्सा:" अच्छा मुझसे प्यार करता हैं , वो क्यों भला ?

सूरज भी अब खुल रहा था तो बोला:" मम्मी क्योंकि आप बेहद खूबसूरत लगती हो।

सुलिप्सा ने ने अपने लिप्स को गोलाकार किया और बोली:"

" अच्छा जी और मेरे लिप्स के बारे में क्या क्या बोल रहे थे तुम ?

सूरज ने एक बार सुलिप्सा के पैर पर अपना अंगूठा फिराया और बोला:"

" आपके लिप्स बेहद खूबसूरत है, तभी तो आपका नाम सुलिप्सा रखा गया है। एक दम चूसने लायक सेक्सी लिप्स है आपके।

सुलिप्सा:" हट बेशर्म कहीं का, लगता हैं तुझे दारू चढ़ गई हैं आज जो ऐसी बाते कर रहा है।

सूरज:" दारू से ज्यादा तो आपकी खूबसूरती का नशा चढ़ गया है मुझे। आप नीले रंग की इस ड्रेस में बेहद सेक्सी लग रही हो आज।

सुलिप्सा जान बूझकर थोड़ा आगे को झुक गई और उसे अपनी चुचियों का उभार दिखाती हुई बोली:"

" अच्छा जी, बहुत बात करते हो तुम, चलो अब जल्दी से खाना खत्म करो।

उसके बाद दोनो ने जल्दी से खाना खत्म किया और उसके बाद सुलिप्सा उठी और बोली

" मैं अब सोने के लिए चलती हु।

सुलिप्सा इतना कहकर चलने लगी पूरी तरह से नशे मे लड़खड़ाती हुई। सूरज उसे पकड़ने के आगे बढ़ा तो सुलिप्सा उसे चिड़ाते हुए बोली

" मत छुओ, खुद चली जाऊंगी, इतना ज्यादा भी नशा नही हुआ है मुझे।

सूरज उसकी बात सुनकर निराश सा हुआ लेकिन बोला:"

" मम्मी आप गिर जायेगी और आपके जवान मजबूत बेटे के होते हुए आप गिर जाए ये अच्छा नही लगेगा मुझे।

सुलिप्सा जान बूझकर थोड़ा ज्यादा लड़खड़ाई और बोली:"

"तुम जवान मजबूत हो तो क्या हुआ, मैं भी छोटी बच्ची नही हु, नशे में झूमने का भी मजा लेने दो मुझे आज।

सुलिप्सा चलते हुए अपने रूम के सामने पहुंचने वाली थी और सूरज की शक्ल देखकर वो अंदर ही अंदर खुश हो रही थी। सुलिप्सा अब बिल्कुल रूम के सामने खड़ी हुई थी और नाइट बल्ब की रोशनी मे बेहद कामुक लग रही थी और और सेक्सी स्माइल देते हुए बोली:"

" अच्छा सूरज गुड नाईट।


इतना कहकर आगे बढ़ी तो सूरज का मुंह देखने लायक था और सूरज बोला:"

" मम्मी रुको न थोड़ी देर,बात करो ना मुझसे, देखो कितना अच्छा मौसम हैं और भी इतनी खूबसूरत लग रही है आज।

सुलिप्सा भी जाना ही कहां चाह रही थी इसलिए एकदम रुक गई और बोली:"

" जाने दो ना, नींद आने लगी अब मुझे। नशा इतना ज्यादा हैं कि कुछ भी होश नही है अब।

इतना कहकर सुलिप्सा पलटी और कमरे के गेट पर पहुंच गई और जैसे ही गेट खोलने लगी तो सूरज का दिल टूट गया और सुलिप्सा पलट कर स्माइल करती हुई बोली
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"थैंक्स सूरज बेटा एक बार फिर से मुझे ये खुशी देने के लिए।

सूरज ने उसे स्माइल दी और सुलिप्सा जान बूझकर गिर पड़ी और सूरज उसे उठाने के लिए आगे बढ़ा तो उसकी तरफ देखने लगी

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सूरज उसके सामने खड़ा हुआ था और सुलिप्सा खड़ी होने लगी और फिर से जैसे ही गिरने लगी तो सूरज ने उसे पीछे से पकड़ लिया और सुलिप्सा के मुंह से आह निकल पड़ी। सूरज की छाती उसकी पीठ से लगी हुई थी और सूरज का खड़ा हुआ लंड उसकी गांड़ पर दबाव दे रहा था तो सुलिप्सा दिल तेजी से धड़क उठा और सांसें तेज हो गई। सुलिप्सा के हाथ सूरज के हाथ में थे और सुलिप्सा थोड़ी देर ऐसे ही खड़ी रही।

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अब सुलिप्सा अपने बेटे की बांहों में थर थर कांप रही थी और उसकी चूचियां उपर नीचे होकर सूरज के लंड को और कठोर बना रही थी जिससे लंड हर पल और ज्यादा सख्ती से उसकी गांड़ पर चुभ रहा था।सूरज ने अपने चेहरे को उसकी गर्दन के पास किया और सूरज ने अपनी गर्म सांसे जैसे ही उसकी गर्दन पर छोटी तो सुलिप्सा मचल उठी और एक झटके के साथ उससे अलग हो गई। सूरज और सुलिप्सा दोनो एक दूसरे के सामने खड़े हुए थे और दोनो की ही सांसे तेज चल रही थी और आंखे वासना से लाल सुर्ख हो गई थी। दोनो एक दूसरे की आंखों में देख रहे थे और कौन पहल करेगा ये सोच रहे थे बस।

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तभी सुलिप्सा एक बार फिर से गेट के अंदर घुसने लगी तो सूरज हिम्मत करके आगे बढ़ा और उसके बिलकुल एकदम पीछे सट गया और उसका हाथ पकड़ कर बोला:

" मम्मी आप बहुत सेक्सी है बिलकुल अपने लिप्स की तरह।

सुलिप्सा ने उसकी तरफ से फिर से पहल पाकर पलट कर देखा तो सूरज उसके और करीब हुआ और तो सुलिप्सा भी अब हल्की सी पलटी और उसके हाथो में अपनी उंगलियां फांसती हुई उसके चेहरे के करीब अपना चेहरा ले आई और बोली

" तुम्हे आज कुछ ज्यादा ही चढ़ गई है सूरज, अब मुझे जाने दीजिए ना आप प्लीज।

इतना कहकर सुलिप्सा ने अपनी आंखे बंद कर ली और बिलकुल वहीं खड़ी रही।

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सूरज ने बिना कुछ बोले अपना चेहरा आगे किया और उसके लिप्स को अपने लिप्स से छू लिया तो सुलिप्सा आह भरते हुए पलट गई लेकिन सूरज से दूर नही हुई तो सूरज अब हिम्मत करके पूरी तरह से उसकी गांड़ से सट गया और उसकी उंगलियों को हल्का हल्का मसलते हुए सहलाना शुरू कर दिया। सुलिप्सा की सांस अब पूरी तेजी से चल रही थी और उसकी चूचियां नीचे से उपर नीचे हो रही थी। उसके ठीक पीछे खड़े हुए सूरज को ये कामुक दृश्य और बहका रहा था और सूरज ने अपने चेहरे को उसकी गर्दन के करीब किया तो सुलिप्सा उसकी गर्म सांसे महसूस करके पागल सी हो गई और अपनी गर्दन को बिलकुल पीछे झुका दिया और उसकी चूचियां पूरी तरह से उभर आई। ऊपर गर्दन करने से सुलिप्सा के पैर सूरज के पैर पर हल्के से चढ़ गए और सूरज ने बेशर्म होते हुए लंड को उसकी गांड़ की गहराई में घुसा दिया तो सुलिप्सा का चेहरा उत्तेजना से पूरा लाल होकर दहक उठा और होंठ चूसे जाने के लिए लरज उठे

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सुलिप्सा की गर्दन पीछे होने से सूरज का मुंह उसकी गर्दन पर आ लगा और सुलिप्सा तड़प सी गई। सूरज ने अपनी जीभ को बाहर निकाल कर हल्का सा उसकी गर्दन पर छुआ और सुलिप्सा के मुंह से आह निकल पड़ी और सूरज ने उसके होठों को अपने हाथो में लिए उसके पेट पर बांध दिया और सुलिप्सा पागल सी होने लगी। सूरज के हाथ उसके पेट और घूम कर उसकी मुलायम त्वचा को सहला रहे थे और मसल रहे थे और सुलिप्सा अपने हाथ का दबाव उसके हाथ पर डाल रही थी जिससे लंड ज्यादा जोर से चुभने लगा और सूरज ने उसकी गर्दन पर जोर से चूम लिया तो सुलिप्सा सिसक उठी और पूरी तरह से मदहोश होकर उसके पैरो पर चढ़ गई। सूरज ने भी अब अपनी पूरी जीभ बाहर निकाली और सुलिप्सा की गर्दन पर फेर दिया तो सुलिप्सा उत्तेजना से पागल सी होकर एक झटके से आगे को हुई सूरज ने जोर से उसे पीछे को खींचा तो लंड किसी सख्त रॉड की तरह उसकी गांड़ पर चुभ गया और सुलिप्सा फिर से सिसकते हुए आगे को हुई और इस बार सूरज ने अपनी टांगो की कैची सी बनाकर उसकी टांगो मे फसाते हुए उसे पीछे को खींचा और जैसे कमाल ही हो गया। सुलिप्सा की दोनो टांगे पूरी तरह से चौड़ी होकर खुल गई और सूरज का लंड उसकी गांड़ की गहराई में घुसा और आगे चूत तक पहुंच गया और सुलिप्सा इस अदभुत एहसास से ऐसी चुदासी हुई कि अपने बेटे के हाथ को अपनी छाती पर रखते हुए अपने बदन को पूरा ढीला छोड़ दिया। सूरज अब सुलिप्सा की तरफ से खुला सहयोग पाकर अपने लंड को धीरे से आगे पीछे करने लगा और सुलिप्सा जैसे स्वर्ग में पहुंच गई और उसने अपनी छाती पर रखे अपने बेटे के हाथो पर अपने हाथो का दबाव दिया और सिसक उठी। सूरज कपड़ो के उपर से ही उसकी चुचियों की सख्ती और मोटाई महसूस करके तड़प सा उठा और लंड को अब थोड़ी सख्ती से रगड़ने लगा। सुलिप्सा की चूत के होंठो पर लंड की रगड़ उसे पूरा जोश दिला रही थी सुलिप्सा अपने बेटे का साथ देने के लिए और आगे को झुक गई और जैसे कमाल ही हो गया। लंड अब सीधे चूत को छू रहा था और लहंगे के उपर से ही पूरी लंबाई में चूत को सख्ती से रगड़ने लगा तो सुलिप्सा के मुंह से आह निकल पड़ी। सुलिप्सा की चूत में पूरी आग सी लगी हुई थी और उसकी चूत गर्म होकर दहक रही थी तो सुलिप्सा अपना एक हाथ अपने बेटे से छुड़ा कर नीचे चूत पर ले आई और जैसे ही चूत पर लहंगे के उपर से छुआ तो सुलिप्सा पागल सी होकर एक के बाद एक सिसकियां लेने लगी और सूरज को मानो बिना मांगे खजाना मिल गया था और उसने सुलिप्सा की एक चूची को बिलकुल पूरी की पूरी अपने हाथ में भर लिया और जैसे ही धीरे से सहलाया तो सुलिप्सा मस्ती से सुलिप्सा की आंखो के आगे तारे नाच उठे और उसने पूरी बेशर्मी करते हुए अपना दूसरा हाथ भी अपनी चूची पर से हटा दिया और अपने लहंगे में घुसा बैठी। सूरज के दोनो हाथो में अब उसकी मस्त कठोर भरी हुई चूचियां थी और सूरज धीरे धीरे मसल रहा था। सुलिप्सा ने जैसे ही अपनी चूत के होंठो को अपनी उंगली से हुआ तो उसकी चूत मस्ती से अपना रस छोड़ने लगी और सूरज का लंड जैसे ही इस बार चूत से रगड़ा तो उसे चूत पर अपनी मां की उंगलियों का एहसास हुआ और सूरज ने सब शर्म छोड़कर अपने लंड को पूरी ताकत से उसकी चूत पर रगड़ा तो सुलिप्सा मस्ती से बेहाल होकर उसकी गोद में झूल सी गई और सहारे के लिए एक हाथ को दीवार से लगा दिया और दूसरे हाथ से अपनी चूत को पूरी तरह से उपर की तरफ उभार दिया और जैसे ही इस बार लंड चूत पर रगड़ा तो सुलिप्सा के साथ साथ सूरज भी सिसक पड़ा और पागलों की तरह उसकी गर्दन पर झुक गया और जीभ निकाल कर उसे किसी जानवर की तरफ चाटने लगा। सुलिप्सा की चूत में उबाल सा आने लगा और अपनी तरफ से पूरा सहयोग कर रही थी। सूरज भी अब पूरी ताकत से पूरी सख्ती से उसकी चूत रगड़ रहा था। सुलिप्सा का जिस्म किसी हिंडोले सा हिल रहा था और सूरज ने उसकी चुचियों जो ताकत से मसल दिया तो सुलिप्सा जोर से मस्ती से चींख सी पड़ी उसकी चूत में मानो भूचाल सा आ गया और वो अपनी चूत पर लंड को हाथ से पकड़ कर जोर से दबा बैठी और उसकी चूत ने लंड को अपने रस से सरोबार कर दिया और सूरज ने अब उसे पलटा और अपनी गोद में उठाते हुए दीवार से सटा कर लंड का जोरदार धक्का उसकी चूत पर जड़ा और सुलिप्सा उसकी गर्दन में अपनी बांहे लपेट कर जोर से सिसक पड़ी क्योंकि कपड़ो के ऊपर से लंड का आधा सुपाड़ा उसकी चूत में घुस गया और इसके साथ ही सूरज के लंड ने भी उसकी चूत पर अपना रस छोड़ दिया और दोनो मदहोश से होकर एक दूसरे के होंठ चूसने लगे।

दोनो की सांस नॉर्मल हुई तो एक दूसरे की तरफ देखा और मुस्कुरा उठे। सूरज ने उसे गोद में ही उसके बेड पर लिटाया और सुलिप्सा ने उसे अपने ऊपर खींच लिया तो सूरज उसके पास ही उससे लिपट कर सो गया।
Bahut hi badhiya update diya hai Unique star bhai....
Nice and lovely update....
 

Kalalunn

Member
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sulipsha ke upar ke honth itne nashile hain toh niche ke honth kaise hongy.
write sahab ek choti si request tha. ho sake toh sex hone ke bad bhi story ko zaari rakhna aur inke daily sex adventure dikhana.
 

Ek number

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अगले दिन सुबह सुलिप्सा उठी और रात की बाते याद करके शर्मा गई और नहाने के लिए बाथरूम में घुस गई। आज वो नहाते हुए कोई मधुर गीत गुनगुना रही थी और बेहद खुश थी।

उसने अपनी जांघो के बीच देखा जहां बड़े बड़े काले बालों का गुच्छा सा बन गया था जिसमे उसकी चूत छुप सी गई थी। सुलिप्सा ने कभी बालो को साफ ही नही किया क्योंकि कभी जरूरत ही महसूस नहीं हुई लेकिन आज उसने अपनी चूत के बालो को एक एक करके बिलकुल पूरी तरह से साफ कर दिया और यहां तक कि जांघो पर से भी बिलकुल चिकना कर दिया। ये सब करते हुए उसे बेहद उत्तेजक लग रहा था और जल्दी ही नहा धोकर बाहर आ गई।

तैयार होकर वो ऑफिस के लिए निकल गई जबकि सूरज अभी तक सोया ही पड़ा था और उसने उठाने की कोशिश भी नही करी। ऑफिस में आज सुलिप्सा की कुछ कस्टमर के साथ मीटिंग थी जो बेहद अच्छी रही।


सुलिप्सा शाम को पांच बजे घर वापिस आ गई और देखा कि सूरज बैठा हुआ ऑफिस की जरूरी फाइल देख रहा था तो उसे बेहद खुशी हुई और बोली:"

" गुड सूरज, ऐसे ही काम करते रहो बेटा। जल्दी ही तुम बिजनेस में मेरे साथ दोगे।

सूरज:" हान मम्मी मैं तो आपका साथ देने के लिए तैयार हु।

सुलिप्सा:" अच्छा तो ठीक हैं फिर कल से ऑफिस आना शुरू कर दो तुम।

सूरज:" ठीक है मम्मी। पापा ने इतनी मेहनत से जो बिजनेस खड़ा किया हैं मैं उसका ध्यान रखूंगा और उसे आगे लेकर जाऊंगा।

सुलिप्सा:" बिलकुल बेटा, बेटे के नाम होता हैं कि पिता के नाम और काम को आगे लेकर जाए और अपने पिता की हर एक चीज का ख्याल रखे।

सुलिप्सा ने बोला तो सूरज को लगा कि शायद उसकी मम्मी ये बोल रही कि तुम्हे मेरा भी ध्यान रखना चाहिए। शायद सीधे सीधे न बोलकर घूमा फिर कर बात कर रही है तो सूरज बोला:"

" आप फिकर मत कीजिए। बस कल से मैं एक नई जिंदगी की शुरुवात करूंगा। इतना नाम कमाऊंगा कि आपको मुझे अपना बेटा कहने में खुशी महसूस होगी और अब पापा की हर चीज मेरी होगी।

सुलिप्सा उसकी बात सुनकर खुश हुई और बोली:"

" यही तो मैं भी चाहती हूं कि तुम खूब आगे बढ़ो। अच्छा आज रात में क्या खाने का प्लान हैं ?

सूरज:" कुछ भी बना लो आप।

सुलिप्सा:" अच्छा तो चलो ठीक है, मैं कुछ बना देती हु। थोड़ी देर बाद आ जाना।

सूरज:" मम्मी मैं आपकी मदद कर देता हूं।

सुलिप्सा:" नही तुम पढ़ो या कुछ भी करो। मैं खुद कर लूंगी।

मम्मी के जाने के बाद सूरज अपने कमरे में गया और फ्रिज से कुछ सामान बाहर निकाला और टेबल पर सजाने लगा करीब 10 मिनट के बाद उसने अपने मम्मी को आवाज लगाई तो सुलिप्सा उसके कमरे में गई और देखा कि मेज पर एक बेहद खूबसूरत केक उसकी फोटो वाला बना हुआ था और उसे याद आया कि आज तो उसका जन्मदिन है तो सुलिप्सा खुशी से भर गई और सूरज के गले लग गई तो सूरज बोला:".

" मेरी प्यारी मम्मी को जन्मदिन की बहुत बहुत। ईश्वर करे आप ऐसे ही जवान खूबसूरत बनी रहे।

सुलिप्सा उसकी बात सुनकर हंस पड़ी और बोली:"

" तुम भी ना, बहुत जुबान चलती है आज कल तुम्हारी। मैं तो भूल ही गई थी कि आज मेरा जन्मदिन भी है लेकिन तुम नही भूले।

सूरज हंसते हुए :" मम्मी मैं कैसे भूल सकता हु आपका जन्मदिन, अच्छा आप जल्दी से केक काटने के लिए तैयार होकर आ जाओ।

सुलिप्सा:" अच्छा ठीक हैं। फिर मैं नहाकर आती हू।

सुलिप्सा नहाने के लिए घुस गई और थोड़ी देर बाद नहाकर तैयार होने लगी। उसने आज फिर एक गहरे नीले रंग का पेटीकोट और उससे मिलता ब्लाउस पहना और उसके बाद साड़ी पहन ली। कल अपने बेटे से अपने होंठो की तारीफ सुनकर उसे बेहद खुशी हुई थी इसलिए आज उसने आज अपने होंठो को बेहद गहरे लाल रंग की लिपिस्टिक से सजाया और अपने कुछ कीमती गहने भी पहन लिए और किसी अप्सरा सी सज कर सूरज के सामने पहुंच गई तो सूरज अपनी मम्मी की सुंदरता को देखकर फूला नहीं समाया और बोला:"

" वाव मम्मी, ये बात हुई ना, आप सच में बेहद खूबसूरत लग रही है। किसी की नजर न लग जाए आपको।

सुलिप्सा स्माइल करती हुई:"

" तेरे अलावा तो कोई नजर नहीं आता मुझे। बस तुम अपने नजर मत लगा देना मुझे।

सूरज:" बेटे की नजरे कभी मां को नही लगती। चलो अब आप जल्दी से केक काटो।

सुलिप्सा इठलाती हुई आगे बढ़ी और केक को काटने लगी तो सूरज बोला:"

" मेरी प्यारी मम्मी आप हमेशा खुश रहे। आपको जन्मदिन की ढेर सारी शुभकामनाएं। ईश्वर करे आप यूंही हंसती मुस्कुराती रहे।

केक काटने के बाद सुलिप्सा ने केक का एक पीस लिया और सूरज को खिलाने लगी तो सूरज ने पीस को हाथ में लिया और सुलिप्सा को खिला दिया तो अगला पीस सुलिप्सा ने अपने बेटे को खिलाया और बोली

" सच मे सूरज मुझे बहुत अच्छा लगा आज। तुमने साबित कर दिया कि तुम मुझे बहुत प्यार करते हो बेटा।

सूरज:" अपनी मम्मी से प्यार नही करूंगा तो भला और किससे करूंगा। मैं तो एक बड़ी सी पार्टी करने की सोच रहा था बस फिर करी नही।

सुलिप्सा:" तो कर लेते तुम। मुझे बताया होता तो मैं बहुत अच्छी पार्टी करने में तेरी मदद करती।


सूरज:" लेकिन आपके चेहरे पर जो खुशी अब अचानक से पता चलने पर मिली हैं पार्टी से नही मिलती ना।

सुलिप्सा:" हान वो बात भी है। अच्छा चलो फिर मैं खाना बना लेती हु जल्दी से।

सूरज:" क्या मम्मी उसकी जरूरत नही है। मैंने ऑर्डर कर दिया था बस आता ही होगा।
वैसे चाहो तो आज भी पार्टी कर सकते है हम दोनो।

सुलिप्सा:" वो कैसे भला ?

सूरज:" जैसे आपने रात करी थी। मधु के यहां पर। लेकिन अगर आपका दिल करे तब।

सुलिप्सा:" ओह अच्छा, पार्टी तो होनी चाहिए। मुझे भी अच्छा लगेगा। जाओ तुम एक काम करो कार को डिक्की में से बॉटल ले आओ। लेकिन मैं आज सिर्फ एक ही पैग लुंगी।

सूरज:" क्या मम्मी आप भी पहले से ही छोटे बच्चों की तरह करने लगी। तीन पैग तो कम से कम होने चाहिए आज ।

सुलिप्सा कुछ नही बोली बस उसे देख कर मुस्कुरा दी और सूरज खुशी खुशी बाहर गया और बॉटल लेकर आ गया। सूरज को अच्छा मौका मिल गया था और उसने पैग बनाना शुरू कर दिया और सुलिप्सा को देते हुए बोला

" चीयर्स

दोनो के ग्लास एक साथ टकराए और सुलिप्सा ने एक घूंट भरी और बोली

" अच्छा सूरज मैंने सुना था कि दारू कड़वी होती हैं और उसमे से बदबू आती है। लेकिन ये तो बहुत स्वादिष्ट और अच्छी है।

सूरज:" मम्मी वो तो स्वाद पर होता है। ये अच्छा इंग्लिश ब्रांड है , मैं आपके लिए और लेकर आ जाऊंगा कल।

सुलिप्सा ने पैग एक बड़े घूंट में खत्म किया तो सूरज ने भी खत्म किया और दूसरा बनाने लगा तो सुलिप्सा बस देखती रही और कुछ नहीं बोली। शायद उसे सुरूर होना शुरू हो गया था और देखते ही देखते वो दूसरा भी पैग पीने लगी तो सूरज पीते हुए बोला

" वैसे मम्मी कल ज्यादा मजा आया था जब आपने गोद में बैठाकर पिलाई थी मुझे। आप अपने हाथ से पिलाओ तो ज्यादा नशा होता है।

सुलिप्सा को नशा चढ़ना शुरू हो गया था और अपनी बांहे फैला दी तो सूरज अपने पैग को टेबल पर रख कर उसकी गोद में बैठ गया। सुलिप्सा की साड़ी का पल्लू नीचे गिर गया और सुलिप्सा को ठीक करने का होश नही था। सुलिप्सा ने अपना पैग उठाकर उसके मुंह से लगा लिया और बोली:"

" अच्छा मेरे हाथ से पीने में ज्यादा नशा क्यों होता हैं तुम्हे ?

सूरज ने एक जोरदार घूंट भरा और बोला:"

" क्योंकि आपके हाथ भी तो नशीले हैं इसलिए नशा डबल हो जाता है।

सुलिप्सा उसकी बात सुनकर हंस पड़ी और बोली:" अच्छा तुझे एक पैग पीते ही अपनी मम्मी के हाथ नशीले लगने लगे।

सूरज का सिर सुलिप्सा के पेट से थोड़े से उपर लगा था और उसकी चुचियों के उभार को छू रहा था और सूरज उसकी आंखों में देखते हुए बोला:"

" पैग की बात नही, सच में नशीले हैं आपके हाथ। मम्मी वैसे आज आपकी लिपिस्टिक ज्यादा अच्छी लग रही है कल से।

उसकी मस्ती भरी बाते सुनकर सुलिप्सा ने एक घूंट भरी और अपने होंठो को सख्ती से ग्लास पर रगड़ सा दिया और उसके ऊपर झुकती हुई बोली:"

" अच्छा जी ऐसा क्या है आज लिपिस्टिक में ?

झुकने से उसकी चूचियां छलकने लगी और उसने ग्लास को अपने बेटे के मुंह से ठीक उसी जगह से लगाया जहां लिपिस्टिक लगी हुई थी तो सूरज ने सिर्फ अपनी जीभ बाहर निकाली और सुलिप्सा की आंखो में देखते हुए लिपिस्टिक को चाट लिया और चुचियों को सिर से सहलाते हुए बोला:"

" वाव मम्मी, सच मे कितनी टेस्टी है, मन करता हैं और चाटने के लिए मिल जाए।

सुलिप्सा को भी अपनी तारीफ सुनकर इसमें मजा आ रहा था और बोली:

" रात क्या कह रहे थे तुम वैसे मेरे बारे में ?

सूरज को ठीक से समझ नहीं आया तो बोला:"

" किस बारे में भला ? मुझे ठीक से समझ नहीं आया।

सुलिप्सा ने अब अपनी जीभ को ग्लास में घुसा दिया और दारू को पीती हुई बोली:"

" यही कि मेरा नाम सुलिप्सा क्यों रखा गया?

सूरज तो मानो ये सुनकर तड़प सा उठा और सीधे बिना किसी भूमिका के बोला:"

" क्योंकि आपके लिप्स दुनिया में सबसे ज्यादा अच्छे और रसीले हैं। एक दम चूसने लायक, दबा दबा कर चूसने लायक।

उसकी बात सुनकर सुलिप्सा मचल उठी और सूरज के होंठो से फिर से ग्लास लगा दिया तो सूरज ने ग्लास को एक झटके में खाली कर दिया और सुलिप्सा के लिप्स पर उंगली फेरते हुए बोला:"

" ग्लास से नही मेरी सेक्सी लिप्स वाली मम्मी सुलिप्सा सीधे बॉटल से ही पिला डालो।

सुलिप्सा भी बहक गई थी तो एक झटके से बॉटल को उठा लिया और मुंह पर झुकते हुए बॉटल उसके मुंह से लगा दी। सूरज गटागट पीने लगा। सूरज के लिप्स और सुलिप्सा के लिप्स में बस बॉटल का ही फासला था। सूरज ने पीने के बाद बॉटल को उसके मुंह से लगा लिया और सुलिप्सा ने भी कई बड़े घूंट भरे और उसके बाद उसने अपनी जीभ को अपने होंठों पर फिरते हुए सूरज को चिढ़ा कर सूरज के मुंह पर बॉटल से दारू गिराना शुरू किया तो सूरज ने एक बड़ी घूंट को भरा और दारू को सुलिप्सा के मुंह पर उछाला तो सुलिप्सा ने शर्म लिहाज को छोड़कर अपने लिप्स को अपने बेटे के लिप्स से जोड़ दिया।


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बॉटल कब की एक तरफ रखी गई थी और सुलिप्सा पूरी तरह से अपने बेटे के उपर झुकी ही उसके होंठ चूस रही थी। दोनो मदहोशी में एक दूसरे के होंठ चूस रहे थे, सूरज कभी उसके ऊपर के होंठ को चूसता तो कभी नीचे के होंठ को। सुलिप्सा ने मस्ती मे अपना मुंह खोल दिया और सूरज की जीभ उसके मुंह में घुस गई और सुलिप्सा ने उसकी जीभ को लपक लिया और दोनो एक दुसरे के लिप्स के साथ साथ अब जीभ भी चूस रहे थे।

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तभी घर की कॉल बेल बजी तो उनकी किस टूट गई और सुलिप्सा का चेहरा शर्म से लाल हो गया और वही सोफे पर गिर पड़ी । सूरज ने गेट खोला तो खाने का ऑर्डर आ गया था और सूरज ने उसे बिल देकर वापिस भेज दिया और खाने को टेबल पर लगा दिया और सुलिप्सा को बोला

" मम्मी आ जाओ आप खाना खा लो।

सुलिप्सा को नशा पूरा चढ़ गया था और उसकी तरफ देख कर हंसने लगी और खड़ी हुई तो बुरी तरह से लड़खड़ाने लगी तो सूरज ने आगे बढ़कर उसे अपनी बांहों में थाम लिया और खाने की टेबल की तरफ ले जाने लगा। दोनो की लड़खड़ा रहे थे और सुलिप्सा की हालत ज्यादा खराब थी


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सूरज ने टेबल पर खाना लगाया और उसके बाद दोनो मा बेटे खाना खाने लगे। सूरज पानी लेने के लिए आगे को झुका तो उसके पैर सुलिप्सा के पैरो से टेबल के नीचे टकरा गए और सुलिप्सा ने अपने पैर नही हटाए तो सूरज भी ने हिम्मत करके अपना पूरा पैर उसके पैर पर रख दिया और खाना खाने लगा।

सुलिप्सा बोली:" पता हैं सूरज आज मैं बहुत खुश हूं। मैने कभी नही सोचा था कि तुम जन्मदिन ऐसे मनाओगे।

सूरज उसका पैर सहलाते हुए बोला:" मम्मी मैं आपसे बहुत प्यार करता हूं।

सुलिप्सा:" अच्छा मुझसे प्यार करता हैं , वो क्यों भला ?

सूरज भी अब खुल रहा था तो बोला:" मम्मी क्योंकि आप बेहद खूबसूरत लगती हो।

सुलिप्सा ने ने अपने लिप्स को गोलाकार किया और बोली:"

" अच्छा जी और मेरे लिप्स के बारे में क्या क्या बोल रहे थे तुम ?

सूरज ने एक बार सुलिप्सा के पैर पर अपना अंगूठा फिराया और बोला:"

" आपके लिप्स बेहद खूबसूरत है, तभी तो आपका नाम सुलिप्सा रखा गया है। एक दम चूसने लायक सेक्सी लिप्स है आपके।

सुलिप्सा:" हट बेशर्म कहीं का, लगता हैं तुझे दारू चढ़ गई हैं आज जो ऐसी बाते कर रहा है।

सूरज:" दारू से ज्यादा तो आपकी खूबसूरती का नशा चढ़ गया है मुझे। आप नीले रंग की इस ड्रेस में बेहद सेक्सी लग रही हो आज।

सुलिप्सा जान बूझकर थोड़ा आगे को झुक गई और उसे अपनी चुचियों का उभार दिखाती हुई बोली:"

" अच्छा जी, बहुत बात करते हो तुम, चलो अब जल्दी से खाना खत्म करो।

उसके बाद दोनो ने जल्दी से खाना खत्म किया और उसके बाद सुलिप्सा उठी और बोली

" मैं अब सोने के लिए चलती हु।

सुलिप्सा इतना कहकर चलने लगी पूरी तरह से नशे मे लड़खड़ाती हुई। सूरज उसे पकड़ने के आगे बढ़ा तो सुलिप्सा उसे चिड़ाते हुए बोली

" मत छुओ, खुद चली जाऊंगी, इतना ज्यादा भी नशा नही हुआ है मुझे।

सूरज उसकी बात सुनकर निराश सा हुआ लेकिन बोला:"

" मम्मी आप गिर जायेगी और आपके जवान मजबूत बेटे के होते हुए आप गिर जाए ये अच्छा नही लगेगा मुझे।

सुलिप्सा जान बूझकर थोड़ा ज्यादा लड़खड़ाई और बोली:"

"तुम जवान मजबूत हो तो क्या हुआ, मैं भी छोटी बच्ची नही हु, नशे में झूमने का भी मजा लेने दो मुझे आज।

सुलिप्सा चलते हुए अपने रूम के सामने पहुंचने वाली थी और सूरज की शक्ल देखकर वो अंदर ही अंदर खुश हो रही थी। सुलिप्सा अब बिल्कुल रूम के सामने खड़ी हुई थी और नाइट बल्ब की रोशनी मे बेहद कामुक लग रही थी और और सेक्सी स्माइल देते हुए बोली:"

" अच्छा सूरज गुड नाईट।


इतना कहकर आगे बढ़ी तो सूरज का मुंह देखने लायक था और सूरज बोला:"

" मम्मी रुको न थोड़ी देर,बात करो ना मुझसे, देखो कितना अच्छा मौसम हैं और भी इतनी खूबसूरत लग रही है आज।

सुलिप्सा भी जाना ही कहां चाह रही थी इसलिए एकदम रुक गई और बोली:"

" जाने दो ना, नींद आने लगी अब मुझे। नशा इतना ज्यादा हैं कि कुछ भी होश नही है अब।

इतना कहकर सुलिप्सा पलटी और कमरे के गेट पर पहुंच गई और जैसे ही गेट खोलने लगी तो सूरज का दिल टूट गया और सुलिप्सा पलट कर स्माइल करती हुई बोली
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"थैंक्स सूरज बेटा एक बार फिर से मुझे ये खुशी देने के लिए।

सूरज ने उसे स्माइल दी और सुलिप्सा जान बूझकर गिर पड़ी और सूरज उसे उठाने के लिए आगे बढ़ा तो उसकी तरफ देखने लगी

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सूरज उसके सामने खड़ा हुआ था और सुलिप्सा खड़ी होने लगी और फिर से जैसे ही गिरने लगी तो सूरज ने उसे पीछे से पकड़ लिया और सुलिप्सा के मुंह से आह निकल पड़ी। सूरज की छाती उसकी पीठ से लगी हुई थी और सूरज का खड़ा हुआ लंड उसकी गांड़ पर दबाव दे रहा था तो सुलिप्सा दिल तेजी से धड़क उठा और सांसें तेज हो गई। सुलिप्सा के हाथ सूरज के हाथ में थे और सुलिप्सा थोड़ी देर ऐसे ही खड़ी रही।

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अब सुलिप्सा अपने बेटे की बांहों में थर थर कांप रही थी और उसकी चूचियां उपर नीचे होकर सूरज के लंड को और कठोर बना रही थी जिससे लंड हर पल और ज्यादा सख्ती से उसकी गांड़ पर चुभ रहा था।सूरज ने अपने चेहरे को उसकी गर्दन के पास किया और सूरज ने अपनी गर्म सांसे जैसे ही उसकी गर्दन पर छोटी तो सुलिप्सा मचल उठी और एक झटके के साथ उससे अलग हो गई। सूरज और सुलिप्सा दोनो एक दूसरे के सामने खड़े हुए थे और दोनो की ही सांसे तेज चल रही थी और आंखे वासना से लाल सुर्ख हो गई थी। दोनो एक दूसरे की आंखों में देख रहे थे और कौन पहल करेगा ये सोच रहे थे बस।

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तभी सुलिप्सा एक बार फिर से गेट के अंदर घुसने लगी तो सूरज हिम्मत करके आगे बढ़ा और उसके बिलकुल एकदम पीछे सट गया और उसका हाथ पकड़ कर बोला:

" मम्मी आप बहुत सेक्सी है बिलकुल अपने लिप्स की तरह।

सुलिप्सा ने उसकी तरफ से फिर से पहल पाकर पलट कर देखा तो सूरज उसके और करीब हुआ और तो सुलिप्सा भी अब हल्की सी पलटी और उसके हाथो में अपनी उंगलियां फांसती हुई उसके चेहरे के करीब अपना चेहरा ले आई और बोली

" तुम्हे आज कुछ ज्यादा ही चढ़ गई है सूरज, अब मुझे जाने दीजिए ना आप प्लीज।

इतना कहकर सुलिप्सा ने अपनी आंखे बंद कर ली और बिलकुल वहीं खड़ी रही।

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सूरज ने बिना कुछ बोले अपना चेहरा आगे किया और उसके लिप्स को अपने लिप्स से छू लिया तो सुलिप्सा आह भरते हुए पलट गई लेकिन सूरज से दूर नही हुई तो सूरज अब हिम्मत करके पूरी तरह से उसकी गांड़ से सट गया और उसकी उंगलियों को हल्का हल्का मसलते हुए सहलाना शुरू कर दिया। सुलिप्सा की सांस अब पूरी तेजी से चल रही थी और उसकी चूचियां नीचे से उपर नीचे हो रही थी। उसके ठीक पीछे खड़े हुए सूरज को ये कामुक दृश्य और बहका रहा था और सूरज ने अपने चेहरे को उसकी गर्दन के करीब किया तो सुलिप्सा उसकी गर्म सांसे महसूस करके पागल सी हो गई और अपनी गर्दन को बिलकुल पीछे झुका दिया और उसकी चूचियां पूरी तरह से उभर आई। ऊपर गर्दन करने से सुलिप्सा के पैर सूरज के पैर पर हल्के से चढ़ गए और सूरज ने बेशर्म होते हुए लंड को उसकी गांड़ की गहराई में घुसा दिया तो सुलिप्सा का चेहरा उत्तेजना से पूरा लाल होकर दहक उठा और होंठ चूसे जाने के लिए लरज उठे

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सुलिप्सा की गर्दन पीछे होने से सूरज का मुंह उसकी गर्दन पर आ लगा और सुलिप्सा तड़प सी गई। सूरज ने अपनी जीभ को बाहर निकाल कर हल्का सा उसकी गर्दन पर छुआ और सुलिप्सा के मुंह से आह निकल पड़ी और सूरज ने उसके होठों को अपने हाथो में लिए उसके पेट पर बांध दिया और सुलिप्सा पागल सी होने लगी। सूरज के हाथ उसके पेट और घूम कर उसकी मुलायम त्वचा को सहला रहे थे और मसल रहे थे और सुलिप्सा अपने हाथ का दबाव उसके हाथ पर डाल रही थी जिससे लंड ज्यादा जोर से चुभने लगा और सूरज ने उसकी गर्दन पर जोर से चूम लिया तो सुलिप्सा सिसक उठी और पूरी तरह से मदहोश होकर उसके पैरो पर चढ़ गई। सूरज ने भी अब अपनी पूरी जीभ बाहर निकाली और सुलिप्सा की गर्दन पर फेर दिया तो सुलिप्सा उत्तेजना से पागल सी होकर एक झटके से आगे को हुई सूरज ने जोर से उसे पीछे को खींचा तो लंड किसी सख्त रॉड की तरह उसकी गांड़ पर चुभ गया और सुलिप्सा फिर से सिसकते हुए आगे को हुई और इस बार सूरज ने अपनी टांगो की कैची सी बनाकर उसकी टांगो मे फसाते हुए उसे पीछे को खींचा और जैसे कमाल ही हो गया। सुलिप्सा की दोनो टांगे पूरी तरह से चौड़ी होकर खुल गई और सूरज का लंड उसकी गांड़ की गहराई में घुसा और आगे चूत तक पहुंच गया और सुलिप्सा इस अदभुत एहसास से ऐसी चुदासी हुई कि अपने बेटे के हाथ को अपनी छाती पर रखते हुए अपने बदन को पूरा ढीला छोड़ दिया। सूरज अब सुलिप्सा की तरफ से खुला सहयोग पाकर अपने लंड को धीरे से आगे पीछे करने लगा और सुलिप्सा जैसे स्वर्ग में पहुंच गई और उसने अपनी छाती पर रखे अपने बेटे के हाथो पर अपने हाथो का दबाव दिया और सिसक उठी। सूरज कपड़ो के उपर से ही उसकी चुचियों की सख्ती और मोटाई महसूस करके तड़प सा उठा और लंड को अब थोड़ी सख्ती से रगड़ने लगा। सुलिप्सा की चूत के होंठो पर लंड की रगड़ उसे पूरा जोश दिला रही थी सुलिप्सा अपने बेटे का साथ देने के लिए और आगे को झुक गई और जैसे कमाल ही हो गया। लंड अब सीधे चूत को छू रहा था और लहंगे के उपर से ही पूरी लंबाई में चूत को सख्ती से रगड़ने लगा तो सुलिप्सा के मुंह से आह निकल पड़ी। सुलिप्सा की चूत में पूरी आग सी लगी हुई थी और उसकी चूत गर्म होकर दहक रही थी तो सुलिप्सा अपना एक हाथ अपने बेटे से छुड़ा कर नीचे चूत पर ले आई और जैसे ही चूत पर लहंगे के उपर से छुआ तो सुलिप्सा पागल सी होकर एक के बाद एक सिसकियां लेने लगी और सूरज को मानो बिना मांगे खजाना मिल गया था और उसने सुलिप्सा की एक चूची को बिलकुल पूरी की पूरी अपने हाथ में भर लिया और जैसे ही धीरे से सहलाया तो सुलिप्सा मस्ती से सुलिप्सा की आंखो के आगे तारे नाच उठे और उसने पूरी बेशर्मी करते हुए अपना दूसरा हाथ भी अपनी चूची पर से हटा दिया और अपने लहंगे में घुसा बैठी। सूरज के दोनो हाथो में अब उसकी मस्त कठोर भरी हुई चूचियां थी और सूरज धीरे धीरे मसल रहा था। सुलिप्सा ने जैसे ही अपनी चूत के होंठो को अपनी उंगली से हुआ तो उसकी चूत मस्ती से अपना रस छोड़ने लगी और सूरज का लंड जैसे ही इस बार चूत से रगड़ा तो उसे चूत पर अपनी मां की उंगलियों का एहसास हुआ और सूरज ने सब शर्म छोड़कर अपने लंड को पूरी ताकत से उसकी चूत पर रगड़ा तो सुलिप्सा मस्ती से बेहाल होकर उसकी गोद में झूल सी गई और सहारे के लिए एक हाथ को दीवार से लगा दिया और दूसरे हाथ से अपनी चूत को पूरी तरह से उपर की तरफ उभार दिया और जैसे ही इस बार लंड चूत पर रगड़ा तो सुलिप्सा के साथ साथ सूरज भी सिसक पड़ा और पागलों की तरह उसकी गर्दन पर झुक गया और जीभ निकाल कर उसे किसी जानवर की तरफ चाटने लगा। सुलिप्सा की चूत में उबाल सा आने लगा और अपनी तरफ से पूरा सहयोग कर रही थी। सूरज भी अब पूरी ताकत से पूरी सख्ती से उसकी चूत रगड़ रहा था। सुलिप्सा का जिस्म किसी हिंडोले सा हिल रहा था और सूरज ने उसकी चुचियों जो ताकत से मसल दिया तो सुलिप्सा जोर से मस्ती से चींख सी पड़ी उसकी चूत में मानो भूचाल सा आ गया और वो अपनी चूत पर लंड को हाथ से पकड़ कर जोर से दबा बैठी और उसकी चूत ने लंड को अपने रस से सरोबार कर दिया और सूरज ने अब उसे पलटा और अपनी गोद में उठाते हुए दीवार से सटा कर लंड का जोरदार धक्का उसकी चूत पर जड़ा और सुलिप्सा उसकी गर्दन में अपनी बांहे लपेट कर जोर से सिसक पड़ी क्योंकि कपड़ो के ऊपर से लंड का आधा सुपाड़ा उसकी चूत में घुस गया और इसके साथ ही सूरज के लंड ने भी उसकी चूत पर अपना रस छोड़ दिया और दोनो मदहोश से होकर एक दूसरे के होंठ चूसने लगे।

दोनो की सांस नॉर्मल हुई तो एक दूसरे की तरफ देखा और मुस्कुरा उठे। सूरज ने उसे गोद में ही उसके बेड पर लिटाया और सुलिप्सा ने उसे अपने ऊपर खींच लिया तो सूरज उसके पास ही उससे लिपट कर सो गया।
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Dhansu2

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अगले दिन सुबह सुलिप्सा उठी और रात की बाते याद करके शर्मा गई और नहाने के लिए बाथरूम में घुस गई। आज वो नहाते हुए कोई मधुर गीत गुनगुना रही थी और बेहद खुश थी।

उसने अपनी जांघो के बीच देखा जहां बड़े बड़े काले बालों का गुच्छा सा बन गया था जिसमे उसकी चूत छुप सी गई थी। सुलिप्सा ने कभी बालो को साफ ही नही किया क्योंकि कभी जरूरत ही महसूस नहीं हुई लेकिन आज उसने अपनी चूत के बालो को एक एक करके बिलकुल पूरी तरह से साफ कर दिया और यहां तक कि जांघो पर से भी बिलकुल चिकना कर दिया। ये सब करते हुए उसे बेहद उत्तेजक लग रहा था और जल्दी ही नहा धोकर बाहर आ गई।

तैयार होकर वो ऑफिस के लिए निकल गई जबकि सूरज अभी तक सोया ही पड़ा था और उसने उठाने की कोशिश भी नही करी। ऑफिस में आज सुलिप्सा की कुछ कस्टमर के साथ मीटिंग थी जो बेहद अच्छी रही।


सुलिप्सा शाम को पांच बजे घर वापिस आ गई और देखा कि सूरज बैठा हुआ ऑफिस की जरूरी फाइल देख रहा था तो उसे बेहद खुशी हुई और बोली:"

" गुड सूरज, ऐसे ही काम करते रहो बेटा। जल्दी ही तुम बिजनेस में मेरे साथ दोगे।

सूरज:" हान मम्मी मैं तो आपका साथ देने के लिए तैयार हु।

सुलिप्सा:" अच्छा तो ठीक हैं फिर कल से ऑफिस आना शुरू कर दो तुम।

सूरज:" ठीक है मम्मी। पापा ने इतनी मेहनत से जो बिजनेस खड़ा किया हैं मैं उसका ध्यान रखूंगा और उसे आगे लेकर जाऊंगा।

सुलिप्सा:" बिलकुल बेटा, बेटे के नाम होता हैं कि पिता के नाम और काम को आगे लेकर जाए और अपने पिता की हर एक चीज का ख्याल रखे।

सुलिप्सा ने बोला तो सूरज को लगा कि शायद उसकी मम्मी ये बोल रही कि तुम्हे मेरा भी ध्यान रखना चाहिए। शायद सीधे सीधे न बोलकर घूमा फिर कर बात कर रही है तो सूरज बोला:"

" आप फिकर मत कीजिए। बस कल से मैं एक नई जिंदगी की शुरुवात करूंगा। इतना नाम कमाऊंगा कि आपको मुझे अपना बेटा कहने में खुशी महसूस होगी और अब पापा की हर चीज मेरी होगी।

सुलिप्सा उसकी बात सुनकर खुश हुई और बोली:"

" यही तो मैं भी चाहती हूं कि तुम खूब आगे बढ़ो। अच्छा आज रात में क्या खाने का प्लान हैं ?

सूरज:" कुछ भी बना लो आप।

सुलिप्सा:" अच्छा तो चलो ठीक है, मैं कुछ बना देती हु। थोड़ी देर बाद आ जाना।

सूरज:" मम्मी मैं आपकी मदद कर देता हूं।

सुलिप्सा:" नही तुम पढ़ो या कुछ भी करो। मैं खुद कर लूंगी।

मम्मी के जाने के बाद सूरज अपने कमरे में गया और फ्रिज से कुछ सामान बाहर निकाला और टेबल पर सजाने लगा करीब 10 मिनट के बाद उसने अपने मम्मी को आवाज लगाई तो सुलिप्सा उसके कमरे में गई और देखा कि मेज पर एक बेहद खूबसूरत केक उसकी फोटो वाला बना हुआ था और उसे याद आया कि आज तो उसका जन्मदिन है तो सुलिप्सा खुशी से भर गई और सूरज के गले लग गई तो सूरज बोला:".

" मेरी प्यारी मम्मी को जन्मदिन की बहुत बहुत। ईश्वर करे आप ऐसे ही जवान खूबसूरत बनी रहे।

सुलिप्सा उसकी बात सुनकर हंस पड़ी और बोली:"

" तुम भी ना, बहुत जुबान चलती है आज कल तुम्हारी। मैं तो भूल ही गई थी कि आज मेरा जन्मदिन भी है लेकिन तुम नही भूले।

सूरज हंसते हुए :" मम्मी मैं कैसे भूल सकता हु आपका जन्मदिन, अच्छा आप जल्दी से केक काटने के लिए तैयार होकर आ जाओ।

सुलिप्सा:" अच्छा ठीक हैं। फिर मैं नहाकर आती हू।

सुलिप्सा नहाने के लिए घुस गई और थोड़ी देर बाद नहाकर तैयार होने लगी। उसने आज फिर एक गहरे नीले रंग का पेटीकोट और उससे मिलता ब्लाउस पहना और उसके बाद साड़ी पहन ली। कल अपने बेटे से अपने होंठो की तारीफ सुनकर उसे बेहद खुशी हुई थी इसलिए आज उसने आज अपने होंठो को बेहद गहरे लाल रंग की लिपिस्टिक से सजाया और अपने कुछ कीमती गहने भी पहन लिए और किसी अप्सरा सी सज कर सूरज के सामने पहुंच गई तो सूरज अपनी मम्मी की सुंदरता को देखकर फूला नहीं समाया और बोला:"

" वाव मम्मी, ये बात हुई ना, आप सच में बेहद खूबसूरत लग रही है। किसी की नजर न लग जाए आपको।

सुलिप्सा स्माइल करती हुई:"

" तेरे अलावा तो कोई नजर नहीं आता मुझे। बस तुम अपने नजर मत लगा देना मुझे।

सूरज:" बेटे की नजरे कभी मां को नही लगती। चलो अब आप जल्दी से केक काटो।

सुलिप्सा इठलाती हुई आगे बढ़ी और केक को काटने लगी तो सूरज बोला:"

" मेरी प्यारी मम्मी आप हमेशा खुश रहे। आपको जन्मदिन की ढेर सारी शुभकामनाएं। ईश्वर करे आप यूंही हंसती मुस्कुराती रहे।

केक काटने के बाद सुलिप्सा ने केक का एक पीस लिया और सूरज को खिलाने लगी तो सूरज ने पीस को हाथ में लिया और सुलिप्सा को खिला दिया तो अगला पीस सुलिप्सा ने अपने बेटे को खिलाया और बोली

" सच मे सूरज मुझे बहुत अच्छा लगा आज। तुमने साबित कर दिया कि तुम मुझे बहुत प्यार करते हो बेटा।

सूरज:" अपनी मम्मी से प्यार नही करूंगा तो भला और किससे करूंगा। मैं तो एक बड़ी सी पार्टी करने की सोच रहा था बस फिर करी नही।

सुलिप्सा:" तो कर लेते तुम। मुझे बताया होता तो मैं बहुत अच्छी पार्टी करने में तेरी मदद करती।


सूरज:" लेकिन आपके चेहरे पर जो खुशी अब अचानक से पता चलने पर मिली हैं पार्टी से नही मिलती ना।

सुलिप्सा:" हान वो बात भी है। अच्छा चलो फिर मैं खाना बना लेती हु जल्दी से।

सूरज:" क्या मम्मी उसकी जरूरत नही है। मैंने ऑर्डर कर दिया था बस आता ही होगा।
वैसे चाहो तो आज भी पार्टी कर सकते है हम दोनो।

सुलिप्सा:" वो कैसे भला ?

सूरज:" जैसे आपने रात करी थी। मधु के यहां पर। लेकिन अगर आपका दिल करे तब।

सुलिप्सा:" ओह अच्छा, पार्टी तो होनी चाहिए। मुझे भी अच्छा लगेगा। जाओ तुम एक काम करो कार को डिक्की में से बॉटल ले आओ। लेकिन मैं आज सिर्फ एक ही पैग लुंगी।

सूरज:" क्या मम्मी आप भी पहले से ही छोटे बच्चों की तरह करने लगी। तीन पैग तो कम से कम होने चाहिए आज ।

सुलिप्सा कुछ नही बोली बस उसे देख कर मुस्कुरा दी और सूरज खुशी खुशी बाहर गया और बॉटल लेकर आ गया। सूरज को अच्छा मौका मिल गया था और उसने पैग बनाना शुरू कर दिया और सुलिप्सा को देते हुए बोला

" चीयर्स

दोनो के ग्लास एक साथ टकराए और सुलिप्सा ने एक घूंट भरी और बोली

" अच्छा सूरज मैंने सुना था कि दारू कड़वी होती हैं और उसमे से बदबू आती है। लेकिन ये तो बहुत स्वादिष्ट और अच्छी है।

सूरज:" मम्मी वो तो स्वाद पर होता है। ये अच्छा इंग्लिश ब्रांड है , मैं आपके लिए और लेकर आ जाऊंगा कल।

सुलिप्सा ने पैग एक बड़े घूंट में खत्म किया तो सूरज ने भी खत्म किया और दूसरा बनाने लगा तो सुलिप्सा बस देखती रही और कुछ नहीं बोली। शायद उसे सुरूर होना शुरू हो गया था और देखते ही देखते वो दूसरा भी पैग पीने लगी तो सूरज पीते हुए बोला

" वैसे मम्मी कल ज्यादा मजा आया था जब आपने गोद में बैठाकर पिलाई थी मुझे। आप अपने हाथ से पिलाओ तो ज्यादा नशा होता है।

सुलिप्सा को नशा चढ़ना शुरू हो गया था और अपनी बांहे फैला दी तो सूरज अपने पैग को टेबल पर रख कर उसकी गोद में बैठ गया। सुलिप्सा की साड़ी का पल्लू नीचे गिर गया और सुलिप्सा को ठीक करने का होश नही था। सुलिप्सा ने अपना पैग उठाकर उसके मुंह से लगा लिया और बोली:"

" अच्छा मेरे हाथ से पीने में ज्यादा नशा क्यों होता हैं तुम्हे ?

सूरज ने एक जोरदार घूंट भरा और बोला:"

" क्योंकि आपके हाथ भी तो नशीले हैं इसलिए नशा डबल हो जाता है।

सुलिप्सा उसकी बात सुनकर हंस पड़ी और बोली:" अच्छा तुझे एक पैग पीते ही अपनी मम्मी के हाथ नशीले लगने लगे।

सूरज का सिर सुलिप्सा के पेट से थोड़े से उपर लगा था और उसकी चुचियों के उभार को छू रहा था और सूरज उसकी आंखों में देखते हुए बोला:"

" पैग की बात नही, सच में नशीले हैं आपके हाथ। मम्मी वैसे आज आपकी लिपिस्टिक ज्यादा अच्छी लग रही है कल से।

उसकी मस्ती भरी बाते सुनकर सुलिप्सा ने एक घूंट भरी और अपने होंठो को सख्ती से ग्लास पर रगड़ सा दिया और उसके ऊपर झुकती हुई बोली:"

" अच्छा जी ऐसा क्या है आज लिपिस्टिक में ?

झुकने से उसकी चूचियां छलकने लगी और उसने ग्लास को अपने बेटे के मुंह से ठीक उसी जगह से लगाया जहां लिपिस्टिक लगी हुई थी तो सूरज ने सिर्फ अपनी जीभ बाहर निकाली और सुलिप्सा की आंखो में देखते हुए लिपिस्टिक को चाट लिया और चुचियों को सिर से सहलाते हुए बोला:"

" वाव मम्मी, सच मे कितनी टेस्टी है, मन करता हैं और चाटने के लिए मिल जाए।

सुलिप्सा को भी अपनी तारीफ सुनकर इसमें मजा आ रहा था और बोली:

" रात क्या कह रहे थे तुम वैसे मेरे बारे में ?

सूरज को ठीक से समझ नहीं आया तो बोला:"

" किस बारे में भला ? मुझे ठीक से समझ नहीं आया।

सुलिप्सा ने अब अपनी जीभ को ग्लास में घुसा दिया और दारू को पीती हुई बोली:"

" यही कि मेरा नाम सुलिप्सा क्यों रखा गया?

सूरज तो मानो ये सुनकर तड़प सा उठा और सीधे बिना किसी भूमिका के बोला:"

" क्योंकि आपके लिप्स दुनिया में सबसे ज्यादा अच्छे और रसीले हैं। एक दम चूसने लायक, दबा दबा कर चूसने लायक।

उसकी बात सुनकर सुलिप्सा मचल उठी और सूरज के होंठो से फिर से ग्लास लगा दिया तो सूरज ने ग्लास को एक झटके में खाली कर दिया और सुलिप्सा के लिप्स पर उंगली फेरते हुए बोला:"

" ग्लास से नही मेरी सेक्सी लिप्स वाली मम्मी सुलिप्सा सीधे बॉटल से ही पिला डालो।

सुलिप्सा भी बहक गई थी तो एक झटके से बॉटल को उठा लिया और मुंह पर झुकते हुए बॉटल उसके मुंह से लगा दी। सूरज गटागट पीने लगा। सूरज के लिप्स और सुलिप्सा के लिप्स में बस बॉटल का ही फासला था। सूरज ने पीने के बाद बॉटल को उसके मुंह से लगा लिया और सुलिप्सा ने भी कई बड़े घूंट भरे और उसके बाद उसने अपनी जीभ को अपने होंठों पर फिरते हुए सूरज को चिढ़ा कर सूरज के मुंह पर बॉटल से दारू गिराना शुरू किया तो सूरज ने एक बड़ी घूंट को भरा और दारू को सुलिप्सा के मुंह पर उछाला तो सुलिप्सा ने शर्म लिहाज को छोड़कर अपने लिप्स को अपने बेटे के लिप्स से जोड़ दिया।


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बॉटल कब की एक तरफ रखी गई थी और सुलिप्सा पूरी तरह से अपने बेटे के उपर झुकी ही उसके होंठ चूस रही थी। दोनो मदहोशी में एक दूसरे के होंठ चूस रहे थे, सूरज कभी उसके ऊपर के होंठ को चूसता तो कभी नीचे के होंठ को। सुलिप्सा ने मस्ती मे अपना मुंह खोल दिया और सूरज की जीभ उसके मुंह में घुस गई और सुलिप्सा ने उसकी जीभ को लपक लिया और दोनो एक दुसरे के लिप्स के साथ साथ अब जीभ भी चूस रहे थे।

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तभी घर की कॉल बेल बजी तो उनकी किस टूट गई और सुलिप्सा का चेहरा शर्म से लाल हो गया और वही सोफे पर गिर पड़ी । सूरज ने गेट खोला तो खाने का ऑर्डर आ गया था और सूरज ने उसे बिल देकर वापिस भेज दिया और खाने को टेबल पर लगा दिया और सुलिप्सा को बोला

" मम्मी आ जाओ आप खाना खा लो।

सुलिप्सा को नशा पूरा चढ़ गया था और उसकी तरफ देख कर हंसने लगी और खड़ी हुई तो बुरी तरह से लड़खड़ाने लगी तो सूरज ने आगे बढ़कर उसे अपनी बांहों में थाम लिया और खाने की टेबल की तरफ ले जाने लगा। दोनो की लड़खड़ा रहे थे और सुलिप्सा की हालत ज्यादा खराब थी


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सूरज ने टेबल पर खाना लगाया और उसके बाद दोनो मा बेटे खाना खाने लगे। सूरज पानी लेने के लिए आगे को झुका तो उसके पैर सुलिप्सा के पैरो से टेबल के नीचे टकरा गए और सुलिप्सा ने अपने पैर नही हटाए तो सूरज भी ने हिम्मत करके अपना पूरा पैर उसके पैर पर रख दिया और खाना खाने लगा।

सुलिप्सा बोली:" पता हैं सूरज आज मैं बहुत खुश हूं। मैने कभी नही सोचा था कि तुम जन्मदिन ऐसे मनाओगे।

सूरज उसका पैर सहलाते हुए बोला:" मम्मी मैं आपसे बहुत प्यार करता हूं।

सुलिप्सा:" अच्छा मुझसे प्यार करता हैं , वो क्यों भला ?

सूरज भी अब खुल रहा था तो बोला:" मम्मी क्योंकि आप बेहद खूबसूरत लगती हो।

सुलिप्सा ने ने अपने लिप्स को गोलाकार किया और बोली:"

" अच्छा जी और मेरे लिप्स के बारे में क्या क्या बोल रहे थे तुम ?

सूरज ने एक बार सुलिप्सा के पैर पर अपना अंगूठा फिराया और बोला:"

" आपके लिप्स बेहद खूबसूरत है, तभी तो आपका नाम सुलिप्सा रखा गया है। एक दम चूसने लायक सेक्सी लिप्स है आपके।

सुलिप्सा:" हट बेशर्म कहीं का, लगता हैं तुझे दारू चढ़ गई हैं आज जो ऐसी बाते कर रहा है।

सूरज:" दारू से ज्यादा तो आपकी खूबसूरती का नशा चढ़ गया है मुझे। आप नीले रंग की इस ड्रेस में बेहद सेक्सी लग रही हो आज।

सुलिप्सा जान बूझकर थोड़ा आगे को झुक गई और उसे अपनी चुचियों का उभार दिखाती हुई बोली:"

" अच्छा जी, बहुत बात करते हो तुम, चलो अब जल्दी से खाना खत्म करो।

उसके बाद दोनो ने जल्दी से खाना खत्म किया और उसके बाद सुलिप्सा उठी और बोली

" मैं अब सोने के लिए चलती हु।

सुलिप्सा इतना कहकर चलने लगी पूरी तरह से नशे मे लड़खड़ाती हुई। सूरज उसे पकड़ने के आगे बढ़ा तो सुलिप्सा उसे चिड़ाते हुए बोली

" मत छुओ, खुद चली जाऊंगी, इतना ज्यादा भी नशा नही हुआ है मुझे।

सूरज उसकी बात सुनकर निराश सा हुआ लेकिन बोला:"

" मम्मी आप गिर जायेगी और आपके जवान मजबूत बेटे के होते हुए आप गिर जाए ये अच्छा नही लगेगा मुझे।

सुलिप्सा जान बूझकर थोड़ा ज्यादा लड़खड़ाई और बोली:"

"तुम जवान मजबूत हो तो क्या हुआ, मैं भी छोटी बच्ची नही हु, नशे में झूमने का भी मजा लेने दो मुझे आज।

सुलिप्सा चलते हुए अपने रूम के सामने पहुंचने वाली थी और सूरज की शक्ल देखकर वो अंदर ही अंदर खुश हो रही थी। सुलिप्सा अब बिल्कुल रूम के सामने खड़ी हुई थी और नाइट बल्ब की रोशनी मे बेहद कामुक लग रही थी और और सेक्सी स्माइल देते हुए बोली:"

" अच्छा सूरज गुड नाईट।


इतना कहकर आगे बढ़ी तो सूरज का मुंह देखने लायक था और सूरज बोला:"

" मम्मी रुको न थोड़ी देर,बात करो ना मुझसे, देखो कितना अच्छा मौसम हैं और भी इतनी खूबसूरत लग रही है आज।

सुलिप्सा भी जाना ही कहां चाह रही थी इसलिए एकदम रुक गई और बोली:"

" जाने दो ना, नींद आने लगी अब मुझे। नशा इतना ज्यादा हैं कि कुछ भी होश नही है अब।

इतना कहकर सुलिप्सा पलटी और कमरे के गेट पर पहुंच गई और जैसे ही गेट खोलने लगी तो सूरज का दिल टूट गया और सुलिप्सा पलट कर स्माइल करती हुई बोली
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"थैंक्स सूरज बेटा एक बार फिर से मुझे ये खुशी देने के लिए।

सूरज ने उसे स्माइल दी और सुलिप्सा जान बूझकर गिर पड़ी और सूरज उसे उठाने के लिए आगे बढ़ा तो उसकी तरफ देखने लगी

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सूरज उसके सामने खड़ा हुआ था और सुलिप्सा खड़ी होने लगी और फिर से जैसे ही गिरने लगी तो सूरज ने उसे पीछे से पकड़ लिया और सुलिप्सा के मुंह से आह निकल पड़ी। सूरज की छाती उसकी पीठ से लगी हुई थी और सूरज का खड़ा हुआ लंड उसकी गांड़ पर दबाव दे रहा था तो सुलिप्सा दिल तेजी से धड़क उठा और सांसें तेज हो गई। सुलिप्सा के हाथ सूरज के हाथ में थे और सुलिप्सा थोड़ी देर ऐसे ही खड़ी रही।

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अब सुलिप्सा अपने बेटे की बांहों में थर थर कांप रही थी और उसकी चूचियां उपर नीचे होकर सूरज के लंड को और कठोर बना रही थी जिससे लंड हर पल और ज्यादा सख्ती से उसकी गांड़ पर चुभ रहा था।सूरज ने अपने चेहरे को उसकी गर्दन के पास किया और सूरज ने अपनी गर्म सांसे जैसे ही उसकी गर्दन पर छोटी तो सुलिप्सा मचल उठी और एक झटके के साथ उससे अलग हो गई। सूरज और सुलिप्सा दोनो एक दूसरे के सामने खड़े हुए थे और दोनो की ही सांसे तेज चल रही थी और आंखे वासना से लाल सुर्ख हो गई थी। दोनो एक दूसरे की आंखों में देख रहे थे और कौन पहल करेगा ये सोच रहे थे बस।

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तभी सुलिप्सा एक बार फिर से गेट के अंदर घुसने लगी तो सूरज हिम्मत करके आगे बढ़ा और उसके बिलकुल एकदम पीछे सट गया और उसका हाथ पकड़ कर बोला:

" मम्मी आप बहुत सेक्सी है बिलकुल अपने लिप्स की तरह।

सुलिप्सा ने उसकी तरफ से फिर से पहल पाकर पलट कर देखा तो सूरज उसके और करीब हुआ और तो सुलिप्सा भी अब हल्की सी पलटी और उसके हाथो में अपनी उंगलियां फांसती हुई उसके चेहरे के करीब अपना चेहरा ले आई और बोली

" तुम्हे आज कुछ ज्यादा ही चढ़ गई है सूरज, अब मुझे जाने दीजिए ना आप प्लीज।

इतना कहकर सुलिप्सा ने अपनी आंखे बंद कर ली और बिलकुल वहीं खड़ी रही।

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सूरज ने बिना कुछ बोले अपना चेहरा आगे किया और उसके लिप्स को अपने लिप्स से छू लिया तो सुलिप्सा आह भरते हुए पलट गई लेकिन सूरज से दूर नही हुई तो सूरज अब हिम्मत करके पूरी तरह से उसकी गांड़ से सट गया और उसकी उंगलियों को हल्का हल्का मसलते हुए सहलाना शुरू कर दिया। सुलिप्सा की सांस अब पूरी तेजी से चल रही थी और उसकी चूचियां नीचे से उपर नीचे हो रही थी। उसके ठीक पीछे खड़े हुए सूरज को ये कामुक दृश्य और बहका रहा था और सूरज ने अपने चेहरे को उसकी गर्दन के करीब किया तो सुलिप्सा उसकी गर्म सांसे महसूस करके पागल सी हो गई और अपनी गर्दन को बिलकुल पीछे झुका दिया और उसकी चूचियां पूरी तरह से उभर आई। ऊपर गर्दन करने से सुलिप्सा के पैर सूरज के पैर पर हल्के से चढ़ गए और सूरज ने बेशर्म होते हुए लंड को उसकी गांड़ की गहराई में घुसा दिया तो सुलिप्सा का चेहरा उत्तेजना से पूरा लाल होकर दहक उठा और होंठ चूसे जाने के लिए लरज उठे

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सुलिप्सा की गर्दन पीछे होने से सूरज का मुंह उसकी गर्दन पर आ लगा और सुलिप्सा तड़प सी गई। सूरज ने अपनी जीभ को बाहर निकाल कर हल्का सा उसकी गर्दन पर छुआ और सुलिप्सा के मुंह से आह निकल पड़ी और सूरज ने उसके होठों को अपने हाथो में लिए उसके पेट पर बांध दिया और सुलिप्सा पागल सी होने लगी। सूरज के हाथ उसके पेट और घूम कर उसकी मुलायम त्वचा को सहला रहे थे और मसल रहे थे और सुलिप्सा अपने हाथ का दबाव उसके हाथ पर डाल रही थी जिससे लंड ज्यादा जोर से चुभने लगा और सूरज ने उसकी गर्दन पर जोर से चूम लिया तो सुलिप्सा सिसक उठी और पूरी तरह से मदहोश होकर उसके पैरो पर चढ़ गई। सूरज ने भी अब अपनी पूरी जीभ बाहर निकाली और सुलिप्सा की गर्दन पर फेर दिया तो सुलिप्सा उत्तेजना से पागल सी होकर एक झटके से आगे को हुई सूरज ने जोर से उसे पीछे को खींचा तो लंड किसी सख्त रॉड की तरह उसकी गांड़ पर चुभ गया और सुलिप्सा फिर से सिसकते हुए आगे को हुई और इस बार सूरज ने अपनी टांगो की कैची सी बनाकर उसकी टांगो मे फसाते हुए उसे पीछे को खींचा और जैसे कमाल ही हो गया। सुलिप्सा की दोनो टांगे पूरी तरह से चौड़ी होकर खुल गई और सूरज का लंड उसकी गांड़ की गहराई में घुसा और आगे चूत तक पहुंच गया और सुलिप्सा इस अदभुत एहसास से ऐसी चुदासी हुई कि अपने बेटे के हाथ को अपनी छाती पर रखते हुए अपने बदन को पूरा ढीला छोड़ दिया। सूरज अब सुलिप्सा की तरफ से खुला सहयोग पाकर अपने लंड को धीरे से आगे पीछे करने लगा और सुलिप्सा जैसे स्वर्ग में पहुंच गई और उसने अपनी छाती पर रखे अपने बेटे के हाथो पर अपने हाथो का दबाव दिया और सिसक उठी। सूरज कपड़ो के उपर से ही उसकी चुचियों की सख्ती और मोटाई महसूस करके तड़प सा उठा और लंड को अब थोड़ी सख्ती से रगड़ने लगा। सुलिप्सा की चूत के होंठो पर लंड की रगड़ उसे पूरा जोश दिला रही थी सुलिप्सा अपने बेटे का साथ देने के लिए और आगे को झुक गई और जैसे कमाल ही हो गया। लंड अब सीधे चूत को छू रहा था और लहंगे के उपर से ही पूरी लंबाई में चूत को सख्ती से रगड़ने लगा तो सुलिप्सा के मुंह से आह निकल पड़ी। सुलिप्सा की चूत में पूरी आग सी लगी हुई थी और उसकी चूत गर्म होकर दहक रही थी तो सुलिप्सा अपना एक हाथ अपने बेटे से छुड़ा कर नीचे चूत पर ले आई और जैसे ही चूत पर लहंगे के उपर से छुआ तो सुलिप्सा पागल सी होकर एक के बाद एक सिसकियां लेने लगी और सूरज को मानो बिना मांगे खजाना मिल गया था और उसने सुलिप्सा की एक चूची को बिलकुल पूरी की पूरी अपने हाथ में भर लिया और जैसे ही धीरे से सहलाया तो सुलिप्सा मस्ती से सुलिप्सा की आंखो के आगे तारे नाच उठे और उसने पूरी बेशर्मी करते हुए अपना दूसरा हाथ भी अपनी चूची पर से हटा दिया और अपने लहंगे में घुसा बैठी। सूरज के दोनो हाथो में अब उसकी मस्त कठोर भरी हुई चूचियां थी और सूरज धीरे धीरे मसल रहा था। सुलिप्सा ने जैसे ही अपनी चूत के होंठो को अपनी उंगली से हुआ तो उसकी चूत मस्ती से अपना रस छोड़ने लगी और सूरज का लंड जैसे ही इस बार चूत से रगड़ा तो उसे चूत पर अपनी मां की उंगलियों का एहसास हुआ और सूरज ने सब शर्म छोड़कर अपने लंड को पूरी ताकत से उसकी चूत पर रगड़ा तो सुलिप्सा मस्ती से बेहाल होकर उसकी गोद में झूल सी गई और सहारे के लिए एक हाथ को दीवार से लगा दिया और दूसरे हाथ से अपनी चूत को पूरी तरह से उपर की तरफ उभार दिया और जैसे ही इस बार लंड चूत पर रगड़ा तो सुलिप्सा के साथ साथ सूरज भी सिसक पड़ा और पागलों की तरह उसकी गर्दन पर झुक गया और जीभ निकाल कर उसे किसी जानवर की तरफ चाटने लगा। सुलिप्सा की चूत में उबाल सा आने लगा और अपनी तरफ से पूरा सहयोग कर रही थी। सूरज भी अब पूरी ताकत से पूरी सख्ती से उसकी चूत रगड़ रहा था। सुलिप्सा का जिस्म किसी हिंडोले सा हिल रहा था और सूरज ने उसकी चुचियों जो ताकत से मसल दिया तो सुलिप्सा जोर से मस्ती से चींख सी पड़ी उसकी चूत में मानो भूचाल सा आ गया और वो अपनी चूत पर लंड को हाथ से पकड़ कर जोर से दबा बैठी और उसकी चूत ने लंड को अपने रस से सरोबार कर दिया और सूरज ने अब उसे पलटा और अपनी गोद में उठाते हुए दीवार से सटा कर लंड का जोरदार धक्का उसकी चूत पर जड़ा और सुलिप्सा उसकी गर्दन में अपनी बांहे लपेट कर जोर से सिसक पड़ी क्योंकि कपड़ो के ऊपर से लंड का आधा सुपाड़ा उसकी चूत में घुस गया और इसके साथ ही सूरज के लंड ने भी उसकी चूत पर अपना रस छोड़ दिया और दोनो मदहोश से होकर एक दूसरे के होंठ चूसने लगे।

दोनो की सांस नॉर्मल हुई तो एक दूसरे की तरफ देखा और मुस्कुरा उठे। सूरज ने उसे गोद में ही उसके बेड पर लिटाया और सुलिप्सा ने उसे अपने ऊपर खींच लिया तो सूरज उसके पास ही उससे लिपट कर सो गया।
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अगले दिन सुबह सूरज देर तक सोता रहा और सुलिप्सा ने भी उसे नही उठाया। करीब बजे वो उठा और उसके बाद दोनो मां बेटे साथ में नाश्ता करने लगे और सुलिप्सा बोली:"

" सूरज तुझे याद हैं न आज शाम को हमे मधु के घर जाना है।

सूरज:" हान मम्मी याद हैं मुझे। बस मुझे अजय के घर जाना होगा ताकि उसे दारू की बॉटल देकर आ जाऊ।

सुलिप्सा:" क्या तुम सच में अब कभी दारू नही पियोगे ?

सूरज:" नही मम्मी, कभी नहीं, बस अब मैं आपको कभी कोई शिकायत का मौका नही दूंगा बल्कि आपको हमेशा खुश रखूंगा।

सुलिप्सा उसकी बात सुनकर बड़ी खुश हुई और भाव वश उसका गाल चूम लिया तो सूरज खुशी से झूम उठा और उसके बाद दोनो ने अच्छे से नाश्ता किया। सुलिप्सा की नजरे एक बार की पेंट पर पड़ी बिलकुल उसकी जांघो के बीच लेकिन उसे कुछ भी नही नजर आया। सुलिप्सा को यकीन सा नही हो रहा था कि इतना भयंकर हथियार कहां गायब सा हो गया था। खैर दोनो ने अच्छे से नाश्ता किया और उसके बाद सूरज दारू की बॉटल लेकर चल पड़ा अजय के घर की तरफ।

सुलिप्सा को आज घर में से एक बहुत मादक खुशबू सी महसूस हो रही थी और सुलिप्सा सफाई में लग गई और अपने कमरे की सफाई करने के बाद जैसे ही वो सूरज के कमरे के सामने पहुंची तो वो मादक खुशबू तेज महसूस हुई और सुलिप्सा कमरे में सफाई करने लगी और वो खुशबू उसके दिमाग पर हावी हो गई थी और सुलिप्सा सफाई छोड़कर उस खुश्बू की खोज में लग गई और वो अपनी सुंदर सी नाक से सूंघती हुई धीरे धीरे पंखे के बिलकुल नीचे आ खड़ी हुई। अब उसे खुशबू बेहद तेज महसूस हो रही थी और सुलिप्सा ने देखा कि खुशबू छत पर से आ रही है तो उसकी नजरे पंखे पर टिक गई और उसे कुछ सफेद सफेद सा चिपका हुआ दिखाई दिया और सुलिप्सा की आंखो के आगे रात की घटना घूम गई। सुलिप्सा को यकीन हो गया कि जरूर ये खुशबू उसके बेटे के वीर्य की हो सकती हैं। सुलिप्सा उस खुश्बू को बिलकुल पास से महसूस करने के लिए तड़प सी रही थी और उसने कुर्सी को बेड पर रखा और उस पर सावधानी से खड़ी हो गई और पंखे को जैसे ही पकड़ा तो उसके हाथ वीर्य से चिपक से गए और सुलिप्सा का पूरा बदन कांप उठा और सुलिप्सा ने अच्छे से अपने हाथ को पंखे और फिराया और सूंघने लगी तो उसकी आंखे मदहोशी में बंद हो गई। सुलिप्सा ने जी भरकर उस मादक गंध को सूंघा और उसके दिलो दिमाग पर वो गंध इस तरह हावी होती चली गई कि सुलिप्सा अपने होश खो बैठी और अब वो उंगली को सिर्फ सूंघ ही नही रही थी बल्कि अपनी नाक पर रगड़ सा रखी थी और वीर्य की एक बूंद टपक कर उसके होंठो पर जा पड़ी और सुलिप्सा की जीभ अपने आप बेकाबू सी होकर बाहर निकल आई और उसे चाट लिया। उफ्फफ्फ सुलिप्सा की उम्मीद से कहीं ज्यादा स्वादिष्ट और फिर तो जैसे कमाल ही हो गया और सुलिप्सा की उंगली उसके मुंह में घुस गई और बावली सी होकर वो पंखे पर लटकी हुई सी आंखे बंद किए अपनी उंगलियों को बारी बारी से चूस रही थी। सुलिप्सा ने जी भरकर अपनी उंगलियों को चाटा और जितना चाटती उतनी ही प्यास और बढ़ती गई और सुलिप्सा को जब सुकून नहीं मिला तो वो अपने पंजों के बाल थोड़ा सा उचकी और एक आह भरते हुए पंखे की पंखड़ी को चाटने लगी और जब तक चाटती रही जब तक कि उसने सब कुछ अपने अंदर नही समेट लिया। अन्त में सब कुछ चाट लेने के बाद सुलिप्सा मदहोश सी नीचे उतरी और आंखे बंद करके बिस्तर पर लेट गई। कल से अब तक जो वो कर रही थी उसे खुद अपने आप पर यकीन नही हो रहा था। सुलिप्सा अभी सोच ही रही थी कि उसे सूरज ने आने की आवाज सुनाई दी और सुलिप्सा सफाई में जुट गई।

धीरे धीरे शाम होने लगी और सुलिप्सा सूरज से बोली:"

" चलो अब तुम जल्दी से तैयार हो जाओ, फिर हमे निकलना होगा मधु के घर के लिए।

सूरज नहाने के लिए चला गया और सुलिप्सा नहाने के बाद तैयार होने लगी। उसने एक गहरे नीले रंग की साड़ी पहन ली जिसमे वो बेहद खूबसूरत लग रही थी। हल्का सा मेक अप करने के बाद लाल रंग की लिपिस्टिक लगाई और अपने बालो को खुला ही छोड़ दिया। सच मे उसने खुद को शीशे में देखा तो खुद ही शर्मा गई क्योंकि वो सच बेहद खूबसूरत लग रही थी।


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सूरज भी तैयार होकर आ गया और अपनी मम्मी के रूप सौंदर्य की तारीफ किए बिना न रह सका और बोला:"

" वाव मम्मी, आप इस साड़ी में बेहद खूबसूरत लग रही है। भगवान बुरी नजर से बचाए आपको आज।

सुलिप्सा अपनी तारीफ सुनकर हंस पड़ी और बोली:"

" चल चल बाते बंद कर कर और जल्दी से गाड़ी निकाल नही तो लेट हो जायेंगे।

सूरज ने गाड़ी निकाली और दोनो मधु के घर की तरफ चल पड़े। करीब 9 बजे दोनो पहुंच गए और मधु ने जोरदार तरीके से उनका स्वागत किया और सूरज ने मधु को नमस्ते करी तो सूरज को देखकर बोली:"

" ये सूरज हैं न, छोटा बच्चा था जब देखा था। अब तो देखो पूरा जवान मर्द बन गया है।

सूरज ने उसे बस हल्की सी स्माइल दी और सुलिप्सा बोली:"

" बड़ा हो गया है अब मेरा बेटा। बच्चा थोड़े ही ना रहेगा हमेशा।

मधु:" हान वो बात है। चलो तुम लोग हल्का कुछ खा लो। मैं आती हूं अभी।

मधु चली गई और सुलिप्सा मन ही मन उसे गालियां देने लगी कि मेरे बेटे को कैसे नजर लगा रही थी। खैर दोनो ने हल्का सा कुछ खाया और तभी मधु बोली:"

" इधर तो आओ सुलिप्सा तुझे अपनी कुछ सहेलियों से मिलवाती हु आज।

सुलिप्सा सूरज को वही रहने को बोलके मधु के साथ चली गई और मधु उसे लेकर हॉल में आ गई जहां उसकी सहेलियां बैठी हुई थी और मधु ने सबको एक दूसरे से मिलवाया तो सभी सुलिप्सा की सुंदरता देखकर अंदर ही अंदर जल उठी।

मधु:" बैठो सुलिप्सा मैं सबके लिए ड्रिंक मंगाती हू।

ड्रिंक की बात सुनकर सुलिप्सा को याद आ गया कि मधु ने उसे आज के लिए पीने के लिए कहा था और खुद अपने बेटे को पीने के लिए मना कर चुकी सुलिप्सा खुद कैसे पी सकती थी तो वो मधु से बोली:"

" मधु मेरे लिए एक कोल्ड ड्रिंक मंगवा लेना बस।

सब हैरानी से उसकी तरफ देखने लगी और मधु बोली:"

" ये क्या बात हुई भला ? आज तो तुम्हे पीनी ही पड़ेगी, कोई बहाना नहीं चलने वाला।

सुलिप्सा कुछ बोलती उससे पहली ही मधु की एक सहेली बोली:"

" रहने दे ना, कोई जबरदस्ती कर रही है, हर किसी के बस की बात थोड़े ही ना होती हैं ड्रिंक करना।

दूसरी:" हान मधु, क्या फायदा, बंदर क्या जाने अदरक का स्वाद भला।

मधु:" चुप रहो तुम सब, सुलिप्सा ने मुझसे वादा किया था कि आज वो मेरी खुशी के लिए पी लेगी।

पहली सहेली:" इससे न हो पायेगा, गिरी पड़ी रहेगी अगर पी भी ली तो

सुलिप्सा:" बस बहुत हो गई तुम्हारी बकवास। ठीक है मधु लेकिन ध्यान रखना सिर्फ एक ही पैग लुंगी।

मधु खुशी से झूम उठी और बोली;" ये बात हुई न मेरी जान, आज मेरी पार्टी में तूने चार चांद लगा दिए।

इसके बाद मधु पैग लेकर आ गई और उसके बाद सभी पीने लगी। ये एक खास किस्म की हल्के मीठे शरबत की तरह की दारू थी बिलकुल भी तीखी नही और एकदम बिलकुल स्वादिष्ट। सबसे बड़ी बात ये थी कि पहला घूंट अन्दर जाते ही मदहोशी शुरू होने लगती थी।

मधु:" कैसी लग रही है तुझे सुलिप्सा ? कोई दिक्कत तो नही न ?

सुलिप्सा पर भी तेजी से असर हुआ आधा पैग पीते ही वो स्माइल करते हुए बोली:"

" लग तो अच्छी ही रही है, लोग बिना वजह दारू को बदनाम करते हैं।

उसके बाद सुलिप्सा ने एक के बाद एक बड़े घूंट भरे और पैग को खत्म कर दिया तो मधु उसके लिए दूसरा पैग बनाते हुए बोली:"

" सच में सुलिप्सा, ये बहुत अच्छी चीज होती है। अच्छा बता कैसा लग रहा है तुझे ?

सुलिप्सा खड़ी हुई और उसके पास आकर हंसते हुए उसका गाल चूम लिया और बोली:"

" बहुत अच्छा लग रहा है मेरी जान, ऐसा लग रहा है जैसे मैं आकाश में उड़ रही हूं। तुम बहुत अच्छी हो मधु।

सुलिप्सा की बात सुनकर मधु की सभी सहेलियां हंसने लगी तो सुलिप्सा बोली:"

" देख न ये सब सोच रही है कि मुझे दारू चढ़ गई है। मैं आपके पूरे होश में हू ना मधु !!

मधु ने उसे वापिस नीचे बैठाया और बोली:"

" हान तुम बिलकुल ठीक हो, इनको सोचने दो। ले एक पैग और पिएगी क्या ?

मधु ने पैग दिया तो सुलिप्सा ने पकड़ लिया पीने लगी। थोड़ी देर के बाद बाद मधु की सहेलियां चली गई तो सुलिप्सा बोली:"

" मधु अच्छा अब तू खुश हैं न, देख मैने तेरी बात मान ली है आज।

मधु:" हान बहुत खुश हूं मेरी जान। तू बैठ मैं अभी आती हूं।

मधु चली गई तो सुलिप्सा को अपने बेटे की याद आई और उठने लगी तो उसे लगा कि वो गिर सकती है इसलिए वापिस बैठ गई और सूरज को फोन किया और बोली:"

" अरे सूरज बेटा मैं हॉल में बैठी हुई हु, इधर ही आ जाओ मेरे पास तुम।

सूरज हॉल में आ गया और अपनी मम्मी को देखकर उसे मानो यकीन सा नही हुआ। उसकी आंखे लाल और चढ़ी हुई लग रही थी और देखने से ही साफ महसूस हो रहा था कि उसने पी रखी है। सूरज अपनी मम्मी को देख ही रहा था कि सुलिप्सा स्माइल करते हुए बोली:"

" ऐसे क्या देख रहा है?

सूरज:" कुछ नही मम्मी, आज आप बड़ी खुश लग रही है।

सुलिप्सा खड़ी और तभी गिरने को हुई तो फिर से बैठ गई और बोली:"

" क्यों मैं तुझे खुश अच्छी नही लगती हु क्या ?

सूरज:" नही मम्मी मैं तो हमेशा चाहता हूं कि आप हमेशा खुश रहो।

सुलिप्सा ने अपनी आंखे नचाती हुई बोली:" अच्छा इधर आ मेरे पास तुझे एक बात बताती हूं मैं आ जा मेरे पास बैठ।

सूरज हंसता हुआ अपनी मम्मी के पास चला गया तो सुलिप्सा बोली:"

" देख तुझे एक राज की बात बताती हूं। मैने आज ये पी ली है।

इतना कहकर उसने दारू की बॉटल सूरज को दिखाई और बोली:" लेकिन तुम ये मत सोचना कि मुझे नशा हो गया है, मैं बिलकुल होश में हू।

सूरज:" हान मम्मी आप बिल्कुल होश में हो मुझे पता है। लेकिन आपने आज कैसे पी ली ?

सुलिप्सा:" अरे वो मधु जिद कर रही थी तो पीनी पड़ी। वैसे दारू इतनी खराब भी नही है मैं तुझे बेकार ही मैं रोकती हू।

सूरज हंस पड़ा तो सुलिप्सा बोली:"

" हसंता क्यों है, चल रुक न तु भी ले न एक पैग, बहुत अच्छी होती हैं ये वाली दारू।

इतना कहकर सुलिप्सा ने उसकी तरफ बोटल बढ़ा दी तो सूरज बोला:"

" नही मम्मी, मैं अब नही पी सकता, आप तो जानती हैं मैने आपकी कसम खाई हैं ।

सुलिप्सा धीरे से खड़ी हुई और पास पहुंच गई और उसके ऊपर झुकती हुई सी बोली:"

" अब तुझे मेरी ही कसम देती हु, पी ले तू भी आज मेरी खुशी के लिए सूरज।

इतना कहकर उसने स्माइल देते हुए सूरज को तिरछी नज़रों से देखा तो उसके बालो की आवारा लटे उसके चेहरे पर झूल गई

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सुलिप्सा ने जोर से अपनी बालो को झटका तो वो संतुलन खोकर उसकी गोद में जा गिरी और बोली:"

" देख न मुझे इतना ज्यादा नशा नहीं हुआ है, बस पांव फिसल गया था मेरा।

उसकी गोद में बैठे बैठे ही उसने एक पैग बनाया और उसके होंठो को लगा दिया तो सूरज ने अपना मुंह खोला और एक घूंट भर ली तो सुलिप्सा खुश होते हुए बोली:"

" शाबाश ये हुई ना मर्दों वाली बात। एक घूंट मैं भी पी लूं क्या ?

सूरज को भला क्यों इंकार होता तो उसने हां में सिर हिला दिया और सुलिप्सा ने ग्लास को अपने होंठों से लगा लिया और एक घूंट भर ली और फिर से अपने बेटे के मुंह से लगा दिया। सूरज को यकीन नहीं हो रहा था कि उसकी मां उसकी गोद में बैठ कर उसे पिला रही थीं वो भी अपनी झूठी दारू। इस समय हॉल में कोई नही था और होता भी तो किसे फिकर थी। एक पैग पीने के बाद सूरज को भी चढ़ने लगी और सुलिप्सा ने उसे दो पैग और पिला दिए। सूरज अब पूरी तरह से मदहोश था और उसकी नजरे बार बार अपनी मां की छाती पर कुछ ढूंढ रही थीं लेकिन साड़ी का पल्लू ठीक होने के कारण कुछ नही दिख रहा था। बॉटल खत्म हो गई तो सुलिप्सा ने उसे एक तरफ उछाल दिया और उसकी गोद से खड़ी होकर बोली:

" खेल खत्म पैसा हजम।

रात के 11 बज गए थे तो उसके बाद दोनो मधु को बोलकर अपने घर की तरफ चल पड़े। मधु ने जाते जाते कुछ बॉटल सुलिप्सा को गिफ्ट में दी और रास्ते भर सुलिप्सा बहकी बहकी बाते करती रही और बोली:"

" तुझे पता है मधु क्या बोल रही थी तेरे बारे में?

सूरज :" क्या बोल रही थी आंटी ?

सुलिप्सा:" बोल रही थी तेरा बेटा जवान हो गया है, पूरा मर्द बन गया है। ऐसे बोल रही थी मानो मुझे तो पता ही नहीं कि तुम अब बच्चे नही मर्द बन गए हो भरपूर मर्द।

इतना कहकर उसने एक नजर सूरज पर सिर से पांव तक डाली तो सूरज समझ गया कि उसकी मम्मी बहक गई है। तभी सामने से आ रही गाड़ी को बचाने के लिए सूरज ने तेजी से गाड़ी को घुमाया तो सुलिप्सा की साड़ी का पल्लू सरक गया और चुचियों का उभार आगे से थोड़ा सा नजर आने लगा। सूरज ने सामने शीशे में देखा तो वो मचल सा गया और उसने सीधी नजरे डाली तो उसे ये दृश्य बेहद आकर्षक लगा। नीले रंग के ब्लाउस में उसकी गोरी गोरी चुचियों का उभार कहर ही ढा रहा था। सुलिप्सा को एहसास था कि उसका बेटा उसके सीने के उभार देख रहा है लेकिन उसने अपना पल्लू ठीक करना जरूरी नही समझा और बोली

" सूरज वैसे तुझे पार्टी में कैसा लगा आज ?

सूरज :" मम्मी अच्छा जी लगा। लेकिन आपने आज सच में कमाल कर दिया।

सुलिप्सा एक हाथ उसकी जांघ पर रखा और बोली:"

" मुझे लग रहा था कि तुम्हे शायद बुरा लगेगा कि तुम्हे मना करती थी और खुद पी ली मैने।

सूरज अपनी जांघ पर अपनी मां का हाथ महसूस करके बैचेन होने लगा और बोला:"

" नही मम्मी, बल्कि मुझे तो खुशी हुई कि आप खुलकर अपनी जिंदगी जी रही है इतने सालो के बाद।

सुलिप्सा:" थैंक्स बेटा मुझे समझने के लिए। तुम जवान होने के साथ साथ बहुत समझदार भी हो गए हो।

इतना कहकर उसने उसने सूरज का गाल चूम लिया और सूरज का बदन कांप उठा जिससे उसके लंड में तनाव आना शुरू हो गया और सड़क में गड्ढे में सूरज ब्रेक लगाता तो सुलिप्सा को झटका लगता और उसकी चूचियां बाहर आने को तड़प पड़ती और उसका हाथ सूरज की जांघ पर कस जाता। सूरज भी जवान मर्द था और इनका असर उस पर सीधा और पूरा हुआ और उसका लंड एक बार फिर से सीधा खड़ा होकर सख्त रॉड मे तब्दील हो गया था। दोनो घर के करीब पहुंचे ही थे कि सामने से एक कुत्ता आ गया और उसे बचाने के लिए सूरज ने गाड़ी घुमाते हुए ब्रेक लगाया तो एक झटके से सुलिप्सा का हाथ फिसल कर उसके लंड को जा लगा और सुलिप्सा का हाथ अपने आप पीछे हट गया लेकिन उसे एहसास हो गया था कि उसके बेटे का लंड किस हाल में आ गया है। वहीं सूरज इससे और उत्तेजित हो गया और करीब एक बजे वो अपने घर पहुंच गए।

गाड़ी पार्क करने के बाद दोनो गाड़ी से बाहर निकले और सुलिप्सा लड़खड़ाती हुई अंदर की तरफ चल पड़ी। सूरज का लंड बिलकुल सीधा खड़ा हुआ था और समझ नही आ रहा था कि उसकी मां देखेगी तो उसके बारे में क्या सोचेगी।

दोनो घर के अंदर पहुंच गए और सूरज ने गेट बंद किया और दोनो हॉल में आ गए। सुलिप्सा की आंखे मदहोशी और नशे की वजह से लाल सुर्ख हुई पड़ी थी और उसकी साड़ी का पल्लू पूरी तरह से अस्त व्यस्त था जिसकी उसे कोई फिकर ही नही थी। सूरज नजरे बचा बचा कर उसकी चूचियों का उभार देख ही रहा था और सुलिप्सा खुद ही अपने आप में मदहोश सी हुई खड़ी हुई थी और बोली:"

" अच्छा सूरज मैं अब चलती हु, बहुत ज्यादा थक गई हु ना आज!!

इतना कहकर वो अपने दोनो हाथों को सिर के उपर ले गई और मदहोशी में जान बूझकर अपनी आंखे बंद करते हुए एक जोरदार अंगड़ाई ली जिससे उसकी चूचियां पूरी तरह से तनकर उभर गई मानो वो आजाद होने के तड़प रही थी।
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सुलिप्सा ने जान बूझकर अपनी आंखो को देर तक बंद रखा ताकि उसका बेटा बिना किसी संकोच के जी भरकर उसकी चूचियां देख सके और सूरज ने मौके का भरपूर फायदा उठाया और बिलकुल करीब से आज सब कुछ साफ साफ देखा और तभी सुलिप्सा ने एक झटके से अपनी आंखे खोल दी तो सूरज को अपनी चुचियों की तरफ देखते हुए पाकर बोली:"

" ठीक हैं अब तुम सो जाओ।

इतना कहकर वो आगे बढ़ी तो सूरज ने पूरी हिम्मत करके उसका हाथ पकड़ लिया और बोला:"

" मम्मी रुको न थोड़ी देर, अच्छा लग रहा है आपसे बात करके।

सुलिप्सा भी कब जाना चाह रही थी वो तो बस बहाना बना रही थी और उससे हाथ छुड़ा कर बोली:"

" रात बहुत हो गई है, उपर से नशे होने से मैं पहले से ही मदहोश सी हु। मुझे अब जाने दीजिए ना आप प्लीज मेरी कसम आपको!!

सुलिप्सा ने ऐसे जवाब दिया मानो बेटे से नही बल्कि अपने प्रेमी से बात कर रही हो और इतना कहकर पलट गई और आंखे बंद करके चेहरे पर सेक्सी भाव लिए अपनी चुचियों के उभार को उंगलियों से छूती हुई वही खड़ी हो गई।

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सूरज अपनी मम्मी की अदाओं का दीवाना बन गया और बोला:"

" मम्मी आप सुबह देर तक सो लेना,अभी रुक जाओ ना मेरे लिए प्लीज थोड़ी सी देर बस। वैसे एक बात कहूं

सुलिप्सा ने फिर से अपनी आंखे खोली और बोली:"

" हान कहो ना तुम ? क्या कहना चाहते हो ?

सूरज सोफे पर बैठ गया और बोला:" मम्मी रहने दीजिए आपको शायद बुरा लग जाए।

सुलिप्सा को एहसास हो गया था कि उसकी बेटा जरूर कुछ उत्तेजक बात बोलने वाला हैं लेकिन डर या शर्मा रहा है तो सुलिप्सा ने अपना मजबूत दांव चला और उसके सामने घुटनों के बल झुकते हुए धीमे से सेक्सी स्माइल करते हुए बोली:"

" मुझे तुम्हारी कोई बात बुरी नही लग सकती, बोलो ना क्या बोलना चाहते हो आप ?

सुलिप्सा उसके सामने पूरी झुकी हुई थी जिससे उसकी चूचियां पूरी तरह से ब्लाउस से आधे से ज्यादा बाहर छलक रही थी और उसके लाल सुर्ख रसीले होंठ सूरज को ललचा रहे थे।
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सूरज का धैर्य जवाब दे गया और उसके चेहरे के करीब आते हुए बोला

" मम्मी आज आप बेहद सेक्सी और कामुक लग रही है।

सुलिप्सा ने उसे सेक्सी सी स्माइल दी और उसका गाल छूकर बोली:"

" ओह माई गॉड तुम भी ना बहक गए हो आज पीकर।

सूरज बिना किसी शर्म और डर के उसके रसीले होंठों को देखते हुए बोला:"

" आपको पता है सुलिप्सा आपका नाम क्यों रखा गया होगा ?

सुलिप्सा अपने बेटे की नजरों से उसका इशारा समझ गई और अपने लिप्स पर जीभ फिरा कर बिलकुल रसीले करते हुए लगभग सिसकी:"

" बताओ तो जरा ?

सूरज ने अपनी मम्मी का एक हाथ पकड़ लिया और उसके चेहरे के करीब अपने होंठ लाते हुए बोला:"

" क्योंकि आपके लिप्स दुनिया में सबसे अच्छे हैं, एक दम नाजुक, मुलायम, रसीले और होंठो में भरकर चूसने लायक।

सुलिप्सा के चेहरे पर शर्म की लाली सी दौड़ गई और अपना हाथ छुड़ाते हुए बोली

" आप भी ना बस, छोड़िए अब मुझे जाने दीजिए। आप बहक रहे हो अब।

इतना कहकर सुलिप्सा अपना हाथ छुड़ाकर उसकी तरफ जीभ निकाल कर पलटी और धीरे धीरे से दो कदम आगे बढ़ी और गिरने का नाटक करने लगी मानो सूरज को बुलावा दे रही हो और सूरज भी नादान नही था। वो अपने खड़े लंड के साथ आगे बढ़ा और सुलिप्सा को पीछे से अपनी बांहों में भर लिया।

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सुलिप्सा मचल उठी और बोली

" उफ्फ आज तो गिर ही जाती मैं तो, अच्छा किया तुमने अपनी मजबूत बांहों में कस लिया।

सुलिप्सा ने जान बूझकर कस लिया बोला और
सूरज उससे अब बिल्कुल सट गया और उसके नंगे पेट पर अपने दोनो हाथों को बांधते हुए अपने लंड को उसकी गांड़ के उभार से मिला दिया और बोला:"

" आह मम्मी, आपके जवान बेटे के होते हुए भला आप कैसे गिर सकती है!!

अपनी गांड़ पर लंड का एहसास होते ही सुलिप्सा उत्तेजना से बेहाल हो गई और सूरज के हाथो मे अपना हाथ देते हुए अपना चेहरा हल्का सा पीछे मोड़ती हुई मादक आवाज में बोली

" आखिर मेरे भरपूर मर्द, जवान बेटे की जवानी मेरे काम आ ही गई आज।

सुलिप्सा के मुड़ने के उसके रसीले लिप्स एक बार फिर से सूरज को दिख गए और सूरज अपनी उंगलियों को उसकी उंगलियों में फांसते हुए लंड के सुपाड़े को उसकी गांड़ की गहराई में रगड़ते हुए बोला:"

" बिलकुल मम्मी, मेरी पूरी मर्दानगी, पूरी जवानी सिर्फ तेरे काम आने के लिए ही है पूरी तरह से दिन रात।

इतना कहकर उसने अपना चेहरा सुलिप्सा के गाल के करीब कर दिया और सुलिप्सा ने मदहोशी से पागल होकर उसके हाथो को अपने पेट पर दबा दिया और हल्की सी घूम गई जिससे अब दोनो के होंठ बिलकुल आमने सामने थे और सुलिप्सा के लिप्स कांप रहे थे। सूरज ने अपनी दोनो टांगो को उसकी टांगो मे फसाते हुए उसकी टांगो को पूरा खोल दिया और लंड उसकी गांड़ की गोलाई को छूता हुआ उसकी चूत तक पहुंच गया और सूरज ने अपने होंठो को आगे बढ़ाया तो सुलिप्सा ने अपनी आंखे बंद कर ली और एक झटके के साथ सुलिप्सा के लिप्स सूरज के लिप्स से जुड़ गए और दोनो एक दम पागल से होकर एक दूसरे के होंठ चूसने लगे। कभी सूरज उसके होंठ चूसता तो कभी सुलिप्सा।

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तभी सुलिप्सा का हाथ टेबल पर रखे जग से टकराया और वो एक जोरदार आवाज के साथ गिरकर टूट गया। इस झटके के साथ दोनो की आंखे खुल गई और सुलिप्सा शर्म के मारे अपने कमरे में चली गई।
Nice super story
👌👌👌👌👌👌👌
✅✅✅✅✅✅
⭐⭐⭐⭐⭐
 
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karan77

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जोर जोर से दरवाजा पीटने के बाद भी जब नही खुला तो सुलिप्सा का मूड खराब हो गया और उसे समझते देर नहीं लगी कि उसके बेटे ने रात फिर से दारू पी हैं तो उसका गुस्सा सातवें आसमान पर चला गया और जोर जोर से चिल्लाते हुए बोली:"

" सूरज तू ऐसे सुधरने वाला, आज तुझे ऐसा सबक सिखाऊंगी तो मुझे याद रखेगा।


इतना कहकर वो बाहर आ गई तो देखा कि घर की नौकरानी राधा भी आ गई थी और उसे गुस्से में देखकर बोली"

" क्या हुआ मैम साहब? आज फिर से सूरज ने परेशान किया क्या आपको ?

सुलिप्सा सोफे पर बैठ गई और जमाने भर की चिंता अपने चेहरे पर लाते हुए बोली:"

" हां राधा, समझ नही आता कि क्या करू इस लड़के का ? कोई काम करने के लिए तैयार नहीं होता, बस ये और इसके आवारा दोस्त , ठीक है इसका बाप अच्छी दौलत छोड़कर गया है लेकिन अगर काम नहीं करेगा तो एक दिन सब खत्म हो ही जाएगी। पता नही कब अक्ल आयेगी इसे ??

राधा ने झाड़ू उठाई और सफाई करते हुए बोली:"

" आप की चिंता ठीक हैं, लेकिन आप देखना सूरज बेटा एक दिन अपनी सब जिम्मेदारी ठीक से पूरी करेंगे।

सुलिप्सा:" भगवान करे तेरी बातो में सच्चाई हो, तेरे मुंह में घी शक्कर। अच्छा चल तू काम खत्म कर मैं नहा कर आती हू।

इतना कहकर सुलिप्सा बाथरूम में घुस गई और कोई मधुर गीत गुनगुनाते हुए नहाने लगी। सुलीप्सा करीब 39 साल की एक बेहद कसी हुई ठोस बदन की औरत थी। इतनी उम्र होने के बाद भी उसका शरीर मानो सांचे में ढला हुआ था। बिल्कुल सही जगह पर सही मांस। बिल्कुल नंगी सुलिप्सा अपने आपको शीशे में निहार रही थी और अपने आप पर गर्व महसूस कर रही थी। उसकी 36 इंच की चूचियां बेहद कसी हुई और तने हुए निप्पल, लंबी सी खूबसूरत गर्दन, मांसल कंधे और मध्यम आकार की हल्की सी भरी हुई कमर, खूबसूरत सपाट पेट जिसमे गहरी नाभि और उसके पास बना हुआ एक कट का छोटा सा निशान जो इस बात का जीता जागता सबूत था कि उसका बेटा उसकी चूत नही पेट फाड़कर बाहर आया था। गांड़ तो मानो जीती जागती कयामत थी। ऐसा लगता था मानो पेट और कमर का मांस गांड़ पर जबरदस्ती आ गया हो। कुल मिलाकर 36:32:38 ये उसके शरीर का अनुपात था।

नहाकर आने के बाद सुलिप्सा अपने घर के कामों मे लग गई और राधा ने सफाई करके खाना भी बना दिया था। करीब 10 बजे के आस पास सूरज उठा और अपनी मम्मी और राधा को बैठे देखकर नजरे झुकाए बाथरूम में चला गया। थोड़ी देर बाद वो नहाकर आया और दोनो मां बेटे ने एक साथ नाश्ता किया। खाना खाते समय बिल्कुल खामोशी ही रही क्योंकि सुलिप्सा नही चाहती थी कि उसका बेटा खाते समय नाराज हो।

खाना खत्म होने के बाद सूरज हॉल में बैठ गया और अपने मोबाइल में लग गया तो सुलिप्सा उसके पास बैठ गई और बोली:"

" सूरज बेटा अब तुम बड़े हो गए हो और घर की जिम्मेदारी लेना शुरू करो।

सूरज ने ऐसा मुंह बनाया मानो कड़वी गोली खाई हो और बोला:"

" मम्मी घर में अभी आप तो हैं ही और फिर अभी मेरी ही कितनी है, थोड़ी सा मस्ती करने दो, फिर एक दिन सब मुझे ही तो संभालना है।

सुलिप्सा को गुस्सा तो आया लेकिन समझदारी दिखाते हुए बोली:" लेकिन बेटा तुम्हे भी कोई तो काम करना चाहिए।

सूरज:" आप भी ना बस पीछे ही पड़ जाती हो, हमारे पास कौन सा पैसे की कमी है जो मुझे काम करना पड़ेगा। इतनी दौलत पापा हमारे लिए ही तो छोड़कर गए हैं।

सुलिप्सा के चेहरे पर अब गुस्सा साफ झलक आया और बोली:"

" तेरे बाप ने मेहनत करके पैसा कमाया और तू इसे पानी की तरह बहाने की मत सोच। मैं तुझे ऐसा करने भी नही दूंगी। मैं चाहती हूं कि तू आगे पढ़ाई करे समझा।

सूरज अपनी मम्मी के गुस्से से बेहद डरता था इसलिए नरम पड़ते हुए बोला:"

" मम्मी अब मेरा पढ़ने का मन नही है, लेकिन मैं कल से आपको शिकायत का कोई मौका नहीं दूंगा बिल्कुल भी।

सुलिप्सा:" बस कर तू तो। आज तो पता नही कितने वादे कर चुका है लेकिन सुधरता नही है।

सूरज:" कल से आप देखना, मैं बिल्कुल बदल जाऊंगा।

सुलिप्सा:" चल फिर तो अच्छी बात है। अच्छा राधा सुनो ना होली आने वाली है तो घर की साफ सफाई करने पड़ेगी और इस काम में सूरज भी मदद करेगा।

सूरज:" लेकिन मुझे तो सफाई आती थी नही है।

राधा:" वो मैं सब सिखा दूंगी तुम्हे, अब बहाने मत बनाओ और सुधार जाओ। देखो तुम्हारी तुमसे बहुत प्यार करती हैं और उसे अब ज्यादा दुख मत दो। समझे तुम

सूरज:" ओह आंटी मेरी मम्मी दुनिया की सबसे अच्छी मम्मी हैं और मैं इन्हें सबसे ज्यादा प्यार करता हूं।

इतना कहकर उसने अपनी मम्मी का गाल चूम लिया तो सुलिप्सा ना चाहते हुए भी मुस्कुरा पड़ी और बोली:"

"देखा राधा कितना तेज हैं ये ? बाते बनाना तो कोई इससे सीखे ?

राधा:" सूरज बेटा तेज तो जरूर हैं लेकिन आपसे बहुत ज्यादा प्यार करते है। देखना इस बार ये बिलकुल सुधर जाएगा।

सुलिप्सा:" अच्छा चलो ठीक है। मुझे थोड़ा काम हैं तो मार्केट जाना होगा। तब तक तुम इसको काम के बारे में थोड़ा समझा दो।

इतना कहकर सुलिप्सा घर से बाहर निकल गई और राधा ने होली की सफाई के बारे में सूरज को समझाना शुरू कि वो कैसे क्या करेंगे। सूरज बिना ध्यान से सुने अपने मोबाइल में लगा रहा और बस अपनी गर्दन हिलाता रहा।

थोड़ी देर के बाद सूरज को खांसी आई तो राधा पानी लेने के लिए दौड़ी और जल्दी में उसका पल्लू सरक गया। राधा तेज से चलती हुई जिससे उसकी चूचियों में कम्पन हो रहा था और उसने पानी का ग्लास सूरज को दिया तो सूरज पानी पीने लगा और उसकी नजर पहली बार राधा की ब्लाउस से झांकती हुई गोलाईयों पर चली गई और राधा को जैसे ही उसकी नजरो का एहसास हुआ था तो उसने अपना पल्लू ठीक किया। पानी पीकर सूरज को आराम मिला और राधा अपने घर लौट वापिस गई।

करीब चार बजे सुलिप्सा वापिस आई तो देखा कि सूरज घर नही था तो सुलिप्सा ने आज उसके कमरे की तलाशी लेने की सोची ताकि अगर दारू मिले तो उसे हटा सके। सुलिप्सा उसके कमरे में घुस गई और उसे दो बॉटल मिल भी गई। वो फिर से तलाशी लेने लगी और उसे कुछ सीडी मिली तो उसने चलाकर देखी तो उसके बदन पसीने पसीने हो गया। ये सेक्सी वीडियो से भरी थी जिसमे जोरदार चुदाई की वीडियो थी। सुलिप्सा को अपने बदन में आज 11 साल के बाद गर्मी महसूस हुई और उसकी उंगली पेंटी में घुसकर उसकी उसकी गीली चिकनी हो गई चूत के होंठो से जा टकराई लेकिन मैन तभी गेट नॉक की आवाज आई
तो उसने किसी तरह खुद को काबू में किया और दोनो बॉटल को अपने कमरे मे छुपा दिया।

सुलिप्सा ने गेट खोला तो बाहर राधा थी। राधा अंदर आई और घर के कामों में लग गई। करीब 9 बजे सूरज भी घर लौट आया और
सुलिप्सा ने चैन की सांस ली कि उसने आज दारू नही पी थी अभी तक। खाना खाकर सुलिप्सा बोली:" अच्छा सुनो मुझे कल मधु के घर जाना होगा, उसने कुछ जरूरी काम से बुलाया हैं। तुम राधा के साथ मिलकर सफाई कर लेना और आंटी को परेशान मत करना समझे गए न तुम।

सूरज:" आप चिंता मत करिए मम्मी, मैं सब काम अच्छे से कर लूंगा।

सुलिप्सा:" अच्छा राधा मेरे कुछ पुराने कपड़े है, ऐसे ही पड़े हुए हैं तो उन्हें तुम ले लेना और सफाई भी उन्हे ही पहन कर करना ताकि नए कपड़े खराब न हो।

राधा:" ठीक है दीदी मैं ले लूंगी। वैसे भी पुराने कपड़े ही सफाई के लिए ठीक होते है। अच्छा मैं अब चलती हु, रात ज्यादा होने लगी।

सुलिप्सा:" अरे पति और बच्चो के लिए खाना लेती जाना। अब कहां जाकर रात को बनाएगी।

राधा:" दीदी रोज रोज अच्छा नही लगता। मैं घर जाकर बना लुंगी।

सुलिप्सा उसे प्यार से डांटती हुई बोली:" ज्यादा मत सोचा कर और चुपचाप खाना लेकर चली जाओ। समझ गई ना तुम।

राधा:" अब क्या ही बोलूं दीदी आपको मैं!!

सुलिप्सा स्माइल करती हुई बोली:" कुछ बोलना भी मत। अब जाओ और कल आ जाना।

उसके बाद राधा चली गई और सूरज भी अपने कमरे मे चला गया और थोड़ी देर के बाद वापिस हॉल में आकर बैठ गया। उसकी दारू की बॉटल न मिलने के कारण उसका मूड खराब हो गया था लेकिन कुछ बोल भी नहीं सकता था।

सुलिप्सा:" क्या हुआ बेटा कुछ परेशान से लग रहे हो तुम ?

सूरज:" कुछ नही मम्मी। बस ऐसे ही मन नही लग रहा आज ।

सुलिप्सा खूब समझ रही थी कि क्यों उसका लड़का बेटा परेशान हैं इसलिए स्माइल करते हुए बोली:" क्या हुआ बेटा ? किसी ने कुछ बोला क्या तुझे ?

सूरज:" नही मम्मी, बस ऐसे ही दिल सा नही लग रहा है आज।

सुलिप्सा:" क्यों गर्ल फ्रेंड से लड़ाई हो गई क्या तेरी आज ?

सूरज अपनी मां की स्माइल देखकर सब समझ गया था कि आज उसकी मां ने उसकी दारू छुपा दी है और अब उसके मजे ले रही है तो सूरज बोला:"

" नही मम्मी, आप तो जानती है कि मेरी कोई गर्लफ्रेंड नहीं है।

सुलिप्सा:" घूमता तो रहता है सारे दिन लड़कियों के साथ। मैने कई बार देखा तुझे।

सूरज:" क्या मम्मी आप भी ना, वो मेरी दोस्त राजू की बहन थी और उसके लिए सामान लेने के लिए मैं उनके साथ गया था। और मुझे परेशान मत करो।

सुलिप्सा हंस पड़ी और बोली:" अच्छा बाबा ठीक है। लेकिन कुछ तो तुझे जरूर हुआ है, कहीं कुछ खो तो नही गया तेरा।

सूरज पूरी तरह से खीज उठा और बोला:" जब आप सब जानती है तो फिर क्यों मजे ले रही हो मेरे ?

सुलिप्सा बिलकुल अनजान सी बनते हुए:" क्या हुआ ? मैं क्या जानती हूं भला ?

सूरज:" यहीं कि आप मेरे कमरे में आई थी आज दिन में। बस अब खुश

इतना कहकर सूरज उठा और अपने कमरे की तरफ जाने लगा तो उसकी मां पीछे से बोली:"

" बेटा देखो मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा तुम क्या कह रहे हो। लेकिन मैं तेरी मां हू, तेरा कुछ गलत थोड़े ही करूंगी।

सूरज बिना कोई जवाब दिए अपने कमरे मे घुस गया और उम्मीद में कुछ ढूंढने लगा लेकिन कुछ होता तो मिलता ना। दूसरी तरफ सुलिप्सा अपने कमरे में आ गई और सोने की कोशिश करने लगी। थोड़ी देर के बाद ही उसे नींद आ और दूसरी तरफ सूरज को नींद नहीं आ रही थी तो मन बहलाने के लिए मूवी देखने लगा और सेक्सी मूवी देखते हुए सूरज को दारू की बड़ी जरूरत महसूस हुई और उसे ध्यान आया कि उसकी मम्मी ने जरूरी बॉटल अपने कमरे में ही छुपाई होगी। इसलिए सूरज धीरे से दबे पांव उठा और और धीरे से अपनी मम्मी के कमरे तक आ गया और उम्मीद में दरवाजे को हल्का सा धक्का दिया तो वो खुल गया और सूरज की खुशी का ठिकाना न रहा। कमरे मे हल्के गुलाबी रंग का नाइट बल्ब जला हुआ था और और उसने एक नजर अपनी मम्मी की तरफ डाली ताकि निश्चित कर सके कि वो सोई हुई हैं तो उसने देखा कि उसकी मम्मी की साड़ी उसके घुटनो तक चढ़ी हुई थी जिससे उसके खूबसूरत पैर नजर आ रहे थे और सूरज को यकीन हो गया कि उसकी मम्मी नींद में हैं लेकिन उसका दिल नही मान रहा था क्योंकि वो जानता था कि अगर मम्मी ने उसे अपने कमरे में दारू ढूंढते हुए पकड़ लिया तो वो मुंह दिखाने के लायक नहीं रहेगा। इसलिए वो धीरे धीरे आगे बढ़ा और बिलकुल अपनी मां के सामने पहुंच गया तो उसने देखा कि उसकी मम्मी आंखे बंद किए सच में गहरी नींद नहीं सोई हुई थी। सूरज पलटने लगा कि उसकी नजर अपनी मम्मी की छाती पर चली गई और अस्त व्यस्त हो रहे ब्लाउस में से उसकी चुचियों का उभार नजर आया तो सूरज को लगा कि ये क्या पाप कर रहा हूं मैं यार, ऐसा सोच कर सूरज दूसरी तरफ घूम गया और अलमारी से बॉटल ढूंढने लगा लेकिन उसे नही मिल रही थी। करीब 10 मिनट में सूरज ने पूरा कमरा छान मारा लेकिन कुछ हासिल नहीं हुआ तो अन्त में उसने दुखी मन से वापिस जाने का फैसला किया और जाते हुए उसकी नजर एक बार फिर से अपनी मम्मी पर पड़ी तो देखा कि उसकी साड़ी एक बार जांघो पर सरकी हुई थी और सूरज को न चाहते हुए भी अपनी सांसे अटकती हुई महसूस हुई। सूरज को समझ नही आया कि क्या करे और मुंह दूसरी तरफ किया और जाने लगा लेकिन उसका दिल नही मान रहा था। अंत में जैसे ही वो कमरे के गेट पर पहुंचने वाला था हो उसने एक बार फिर से ना चाहते हुए भी अपनी मम्मी की तरफ देखा और उसकी जांघो को देखता रहा और फिर कमरे से बाहर निकल गया और अपने कमरे मे जाकर सो गया।

अगले दिन सुबह नाश्ता करने के बाद सुलिप्सा ने सूरज और राधा को काम के बारे में सब समझाया और मधु के घर निकल गई। सूरज रात से दारू न मिलने से परेशान था तो राधा से बोला:"

" आंटी मुझे कुछ जरूरी काम हैं तो मैं थोड़ी देर के बाद आता हूं।

और उसके बाद सूरज अपनी दारू लेने के लिए निकल गया। करीब आधे घंटे के बाद वो पीकर आया और देखा कि राधा घर की सफाई में लगी हुई थी और उससे बोली :"

" अरे सूरज बेटा अच्छा हुआ तुम आ गए, जरा ये टेबल हटाने में मेरी मदद करो तो।

सूरज ने उसकी मदद करी और राधा टेबल के पास बैठ कर उसे साफ करने लगी जिससे उसकी चूचियां ब्लाउस से नजर आने लगी और की नजर उन पर ही जम गई। राधा मुंह नीचे किए अपना काम कर रही थी और टेबल के पाए की सफाई करने के लिए पूरी तरह से नीचे झुक गई तो उसकी करीब आधे से ज्यादा चुचियों का आकार छलक पड़ा और सूरज के माथे पर पसीना उभर आया और उसे अपने लंड में तनाव महसूस हुआ और तभी राधा उठ गई तो उसे एहसास हुआ कि सूरज उसकी चुचियों को देख रहा है तो उसे अपने बदन में एक सिरहन सी महसूस हुई और उसने अपने ब्लाउस को ठीक किया और बोली:"

" चलो हॉल तो साफ हो गया अब आपका कमरा साफ़ करते हैं।

इतना कहकर वो चल पड़ी और सूरज उसके पीछे चलने लगा। राधा को यकीन नहीं हो रहा था कि सूरज उसकी चुचियों का उभार सचमुच देख रहा था और ये सोचकर उसका बदन अभी तक कांप रहा था जिससे चलते हुए उसकी गांड़ मटक रही है और सूरज की नज़र वही टिकी हुई थी। राधा कमरे मे पहुंची और अलमारी को साफ करने लगी जबकि सूरज उसे काम करते हुए देख रहा था। सफाई करते हुए राधा सोच रही थी कि उसके मन का वहम था कि सूरज उसकी चुचियों को देख रहा था। वो ऐसा नहीं कर सकता, तभी उसे लगा कि नही वो सच में ही देख रहा था और तुझे ये बात मान लेनी चाहिए। दुविधा में पड़ी हुई राधा के मन में एक विचार आया कि मुझे एक बार फिर से देखना होगा कि कहीं मेरी आंखो ने धोखा तो नही खाया और ऐसा सोचकर वो सूरज से बोली"

" सूरज बाबा जरा ये अलमारी को थोड़ा उधर खिसका दो।

सूरज ने अलमारी को ताकत लगाते हुए खिसका दिया और राधा जान बूझकर पूरी तरह से झुक गई और सफाई करने लगी जिससे उसकी आधे से ज्यादा बाहर छलक पड़ी और सूरज की आंखे चमक उठी और सूरज एक बार से राधा की गोलाईयों का दीदार करने लगा। राधा ने धीरे से चोरी चोरी सूरज को देखा तो उसे सच में यकीन हो गया कि वो उसकी चुचियों को ही देख रहा है तो राधा ने अपना मुंह उपर किया जिससे उसकी चूचियां अंदर चली गई और सूरज को निराशा हुई। लेकिन अगले ही पल राधा सफाई के लिए फिर से झुकी तो उसकी चूचियां फिर से छलक पड़ी तो सूरज की खुशी का ठिकाना न रहा। राधा शर्म से पानी पानी हो गई और वो फिर से उपर हुई तो उसकी चूचियां फिर से अंदर चली गई और सूरज निराश। लेकिन राधा मरती क्या न करती, उसने एक बार अच्छे से अपने ब्लाउस को ठीक किया और सफाई करने के लिए झुक ही गई और कुछ सेकंड्स के बाद फिर से उसकी चुचियों ने उसे धोखा दे दिया और सूरज की चांदी हो गई । राधा फिर से उपर की तरफ उठने लगी तो सूरज बोला:"

" आंटी मेरे हाथ अब दर्द कर रहे हैं तो आप जल्दी से सफाई कीजिए। बार बार आप बीच मे मत रुकिए ना।

राधा को पसीना उभर आया उसकी बात सुनकर। कितना चालाक हो गया है ये लड़का। राधा बिना कुछ बोले झुकी रही और उसकी चूचियां सूरज मजे से देखता रहा जिससे उसके लंड में भी तनाव आ रहा था।

आखिरकार सफाई खत्म हुई और शर्म से लाल हुई राधा उठ गई और बिना कुछ बोले दूसरे कमरे मे चली गई तो सूरज उसकी हालत पर मुस्कुरा उठा। थोड़ी देर के बाद राधा आई और दोनो फिर से सफाई में लग गए। बार बार ना चाहते हुए भी उसकी चूचियां उभर रही थी और सूरज देख रहा था जिसका नतीजा ये हुआ कि उसने अब अपनी चुचियों की परवाह ही छोड़ दी और काम में लग गई जिससे सूरज को यकीन हो गया कि अब राधा उसे जान बूझकर अपनी चुचियों को दिखा रही है और उसकी हिम्मत बढ़ गई। बेड के नीचे की सफाई करने के लिए राधा ने सूरज को बेड को ऊपर करने के लिए कहा और सूरज ने बेड को थोड़ा सा ऊपर उठा दिया और राधा अंदर घुसने लगी लेकिन उसकी साड़ी लकड़ी में फंसकर बाहर ही उलझ गई तो सूरज को उसकी नंगी जांघें नजर आई और बस उसकी गांड़ पर पहनी हुई एक पेंटी। सूरज का बदन पूरी तरह से गर्मी से भर गया और वो उसकी गांड़ को देखने लगा और राधा इस सबसे बेखबर तेजी से अपने काम में लगी हुई थी जिससे उसकी गांड़ मटक मटक पड़ रही थी और सूरज का हाथ अपने लंड पर चला गया और सूरज उसे सहलाने लगा और हिम्मत करके उसने एक हाथ राधा की गांड़ पर रख दिया तो राधा चिहुंक सी पड़ी और उसे अपनी गांड़ के नंगे होने का एहसास हुआ और बाहर की तरफ पीछे हटने लगी और बोली:"

" सूरज हटो जल्दी, पीछे हटो तुम।

सूरज समझ रहा था कि वो सब दिखावा कर रही है इसलिए उसकी गांड़ को अपनी मुट्ठी में भरते हुए बोला:"

" मैं पीछे हटा तो आप बेड के नीचे दब जायेगी इसलिए जल्दी से आप सफाई करके और बाहर आ जाए क्योंकि इतना भारी में बार बार नही उठा सकता।

राधा बड़ी मुश्किल मे फंस गई और तेजी से हाथ चलाने लगी वही सूरज अब हिम्मत करके उसकी गांड़ को जोर से सहलाने लगा तो राधा का बदन मचल उठा और उसकी चूत में कंपकंपी सी हुई और राधा कसमसाते हुए बोली:"

" उफ्फ तुम क्या कर रहे हो, मुझे छोड़ तो दो नही तो बेड गिर जायेगा सूरज।

सूरज की उंगलियां धीरे धीरे उसकी गांड़ के छेद की तरफ बढ़ने लगीं और बोला:"

" बेड नही गिरेगा आंटी, आपको छोड़ दूंगा तो आपको चोट लग सकती हैं।

राधा बुरी तरह से फंस गई थी और तेजी से अपना काम खत्म करने लगी और सूरज अब हिम्मत करके अपने लंड को बाहर निकाल लिया और बिल्कुल राधा के पीछे खड़ा हो गया जिससे उसका नंगा लंड राधा की गांड़ से टकराया तो राधा के मुंह से आह निकल पड़ी और बोली

" सूरज पीछे हट, मुझे बाहर निकलना है।

लेकिन सूरज ने उसकी बात को अनसुना करते हुए लंड को उसकी पैंटी के उपर रगड़ दिया तो राधा एक झटके से बेड के नीचे से निकली और उसे एक जोरदार थप्पड़ जड़ दिया और कमरे से बाहर निकल गई। सूरज की गांड़ फट गई और उसने बेड को नीचे किया और राधा से माफी मांगने लगा तो राधा गुस्से से बोली:"

" आने दे आज तेरी मम्मी को, तेरी सारी करतूत बताऊंगी उन्हे।

सूरज की गांड़ से धुवां निकल गया और वो राधा के पैरो मे लेट गया और बोला"

" आंटी नही, ऐसा मत करना, वो मुझे घर से निकाल देगी। भगवान की कसम आज के बाद मैं ऐसा कुछ नहीं करूंगा।

राधा:" वो सब तो तुझे पहले सोचने चाहिए था न, मेरी इज्जत पर हाथ डालते हुए तुझे शर्म नही आई थोड़ी सी भी नालायक लड़के !! आज तो तुझे नहीं छोड़ने वाली मैं।

सूरज की हालत खराब हो गई और उसके पैरो पर अपना सिर रगड़ते हुए बोला:"

" आंटी अपना बेटा समझकर माफ कर दीजिए। आज के बाद ऐसी गलती हुई तो फांसी पर टांग दीजिए मुझे। मम्मी घर से बाहर निकाल देगी तो मैं कहां रहूंगा और कैसे जियूंगा!!

राधा का दिल पसीज गया और उसने सूरज को माफ करते हुए कहा:"

" ध्यान रखना लेकिन ये तेरी पहली और आखिरी गलती होगी। आज के बाद कुछ गलत किया तो अंजाम खुद भुगत लेना।

सूरज ने हां में सिर हिलाया और अपने कमरे मे आ गया और चैन की सांस ली।।
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