parkas
Prime
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For starting new story thread......
dhanywad dostWah Dr. Saheb badhiya story suru kiya hai apne....
dhanywad parakas bhaiFor starting new story thread......
dhanyawaad rekha jiWelcome back sir and congratulations for new story, napsand ka to koi . Matlab hi nhi hai, aapko har story superhit hoti hai aur hame intzar rhta hai aapki story ka,
dhnaywad dostNice
bhai new story ke liyeहेल्लो दोस्तों बड़े दिनों के बाद एक स्टोरी शुरू की है आशा है की आपको पसंद आएगी , अब नहीं आई तो कोई क्या कर सकता है
कोशिस होगी की अपडेट हर दिन मिल जाए , नहीं मिला तो गालिया मत देना , भाई काम हमारे पास भी बहुत है ...
सप्ताह में दो से तीन अपडेट कम से कम आ ही जायेगा ...
बाकि भगवान भरोसे ....
इस कहानी में आपको मेरी हर कहानी से हटकर कुछ नया देखने को मिलेगा (just joking )
सस्पेंस , रोमांस , एक्शन और सेक्स इतना तो मिल ही जायेगा (और क्या बच्चे की जान लोगे )
चलिए देखते है की आपको स्टोरी कितनी पसंद आती है ..............
dhanywad bhaibhai new story ke liye
शुरुवात गरम लग रही है। लगता है मस्ती होने वाली हैअध्याय 1
मोबाइल के रिंगटोन से मेरी नींद खुली और स्क्रीन देखते ही चहरे में मुस्कान खिल गयी
“का रे बुधारू कैसे हो ? इतना सुबह कहे फोन किये ”
“ठीक है भैया …अम्मा ने कहा की बात करेंगी लो बात करो ”
अम्मा का नाम सुनते ही मैं बिस्तर से उठ बैठा ..
मेरी अम्मा मतलब श्रीमती कांति देवी जी , रिश्ते में मेरी बुआ लगती है, सभी लोग उन्हें अम्मा ही कहते है कुछ बुजुर्ग ठकुराइन भी कहा करते है , अब पुरे गांव की उनसे फटती है तो मैं किस खेत का मुली था , उनके ही बदौलत शहर में पढाई कर रहा था , मेरे माता पिता तो बचपन में ही स्वर्ग सिधार गए थे ..
“प्रणाम अम्मा “
“खुश रहो .. अभी तक सो के नहीं उठे हो ??”
मेरी और फटी
“नहीं उठ गया था बस …”
“चलो ज्यादा झूठ बोलने की जरुरत नहीं है सब समझती हु मैं , एक काम करो शहर में सुवालाल जी की दूकान देखि है ना “
“जी अम्मा ..”
“वंहा से कुछ रूपये लाने है , आज ही चले जाओ और शाम तक गांव आ जाओ ..”
“जी ..”
फोन कट हुआ तो मेरे माथे पर पसीना था , पता नहीं क्यों लेकिन अम्मा से मैं बहुत डरता था , ऐसा नहीं था की वो मुझे डांटती थी या और कुछ लेकिन बस उनका व्यक्तित्व ही ऐसा था की सामने वाला उनके सामने खुद को छोटा ही समझता है ..
ऐसे अम्मा मेरे पिता जी से 10 साल छोटी थी , अभी भी उनकी उम्र कोई 35 साल की ही रही होती जबकि मैं अभी २१ साल का हो चूका था , दुधिया गोरा रंग माथे में गढ़ा सिंदूर और मस्तक में लाल रंग का गुलाल , हाथो में रंग बिरंगी चुडिया जो की अधिकतर सोने के कड़े और लाला रंग की चुडिया होते थे , महँगी जरीदार साड़ी पहने हुए वो अपने नाम से बिलकुल मैच खाती थी ..
नाम के अनुरूप ही एक कांति उनकी आभा में हमेशा ही विद्यमान रहती , रोबदार चहरे में कभी सिकन दिखाई नहीं देती जबकि उनका व्यक्तिगत जीवन कठिनाइयों से भरा हुआ था , पति रोग से पीड़ित और अधिकतर बिस्तर में रहते , राजनितिक आपदा हमेशा सर में नचाती रहती , उनकी ही हवेली में उनके खिलाफ षडियंत्र करने वालो की कमी नहीं थी और ये बात उन्हें अच्छे से पता भी थी , मायके था नहीं ससुराल वालो जान के दुशमन थे , एक भाई जो उन्हें अपने आँखों में बिठाकर रखता वो जा चूका था और उनकी एक निशानी मेरे रूप में उनकी जिम्मेदारी बन चुकी थी , कोई ओलाद नहीं , अपना कहने को बस मैं था वो भी उनसे दूर ही रहा ….
पति के बीमार होने के बाद से ही बिजनेस और राजनीती की पूरी जिम्मेदारी उनके कंधे में आ गयी थी जिसका निर्वहन उन्होंने बहुत ही अच्छी तरह से किया था , कोई नहीं कह सकता था की वो अंगूठा छाप है , एक दो भरोसे के लोग उनके पास थे जिनके भरोसे ही उन्होंने ये सब सम्हाल रखा था , वो लोग मुझे कहते की ये सब कुछ आगे चलकर तुम्हे ही सम्हालना है , लेकिन मैं खुद को देखता मैं तो अम्मा की आभा के सामने खड़े होने की भी हैसियत नहीं रखता था आखिर मैं कैसे उनका उतराधिकारी बन सकता था ??
खैर जो भी हो अम्मा ने काम बताया था तो जल्दी से जल्दी करना ही था …
सुवालाल जी गहनों के बड़े व्यापारी थी और हमारे परिवार के मित्र भी , उनके पास जाते ही बड़े ही आत्मीयता से मेरा स्वागत किया गया ..
“कैसे है कुवर निशांत जी ..”
मैं सुवालाल जी के साथ बैठा ही था की एक लड़की की आवाज आई , मैंने मुस्कुराते हुए उस ओर देखा
“काहे का कुवर यार तू भी टांग खिंच रही है “
वो मेरी कालेज की दोस्त और सुवालाल जी की बेटी अनामिका थी जिसे हम अन्नू कहा करते थे
अन्नू मेरे पास आकर बैठ गयी ,
“अरे कुवर साहब अम्मा का जो भी है वो आपका ही तो है , फिर आप कुवर ही हुए ना “
सुवालाल जी बोल पड़े
“क्या अंकल आप भी ना, ऐसे भी मुझे ये सब समझ नहीं आता “
“कोई नहीं आज गांव जा रहे हो फिर कब वापस आओगे “ इस बार अन्नू ने कहा था
“नहीं पता यार ऐसे भी पढाई तो ख़त्म हो ही चुकी है , तुम भी चलो मेरे साथ गांव घुमा कर लाता हु “
मेरी बात सुनकर अन्नू ने एक बार अपने पिता की ओर देखा
“अरे हां जाओ भई ये भी कोई पूछने की बात है क्या , मैं अम्मा से बात कर लूँगा “
अपने पिता की बात सुनकर अन्नू ख़ुशी से उछल पड़ी ..
दो बॉडीगार्ड और एक ड्राईवर के साथ हम गांव की ओर निकल पड़े थे
आते ही अन्नू अम्मा के गले से लग गई , मेरे विपरीत ही अन्नू अम्मा से बिलकुल भी नहीं डरती बल्कि उनसे मिलने के लिए भी उतावली रहती , उन्हें देखकर ऐसा लगता जैसे ये दोनों माँ बेटी हो , अम्मा का व्यवहार भी अन्नू के लिए स्नेह पूर्ण रहा था , अम्मा ने पहले अन्नू के गाल खींचे ,
“कितने दिनों के बाद याद आई मेरी “
“क्या करू अम्मा ये आपका बेटा तो मुझे यंहा लाता ही नहीं “
“ओह तो गांव कितना दूर है जो तुझे इसकी जरुरत पड़ती है , और तूम इतने पैसो के साथ आ रहे हो और इसे भी साथ ले आये , अगर कुछ हो जाता तो “
अम्मा का गुस्सा मुझपर फूटा , मैं कुछ बोल पाता उससे पहले ही अन्नू ने अम्मा को माना लिया ..
************************
सफ़र के थकान मिटाने हम दोनों अपने कमरे में जाकर सो गए थे …
जब उठा तो शाम होने को थी की मैं अन्नू को लेकर बगीचे की तरफ चल दिया ,
“यार अम्मा इतनी प्यारी है तुम उनसे इतना डरते क्यों हो “
हम आम के बगीचे में टहल रहे थे , अन्नू के सवाल पर मैंने एक गहरी साँस ली
“मुझे नहीं पता की आखिर मैं उनसे क्यों डरता हु , उन्होंने मेरी परवरिस में कभी कोई कमी नहीं रखी , माँ पापा के जाने के बाद भी मुझे कभी अकेला महसूस नहीं होने दिया , शायद यही कारन है की मैं उनकी बहुत इज्जत करता हु , जो की सबको डर के रूप में दीखता है “
अन्नू ने बड़े ही प्यार से मेरे गालो को सहलाया
“वो तुमसे बहुत प्यार करती है , मैंने उनकी आँखों में महसूस किया है , आखिर तुम ही तो उनका एक मात्र सहारा हो , अपना कहने को तूम्हारे सिवा उनका है ही कौन “
हम चलते चलते नदी के किनारे पहुच गए थे , ये पहली बार नहीं था जब मैं और अन्नू एक साथ यु घूम रहे थे, जब भी अन्नू और मैं गांव आते तो यही हमारा ठिकाना होता था , नदी की रेत में बैठे हुए हमने पैर पानी में डाल दिए , अन्नू का सर मेरे कंधे पर था ..
बड़ा सकुन का पल था , इधर सूर्य देव अस्त होने वाले थे , उनकी लालिमा आकाश में फ़ैल रही थी , पानी का कलरव और चिडियों की चहचहाहट , साथ में अन्नू का नर्म हाथ मेरे हाथो में था , मैं इसी पल में खुद को समेट लेना चाहता था ..
शांति के इस माहोल में किसी के गाने की आवाज ने हमारा ध्यान भंग किया ..
“बहुत प्यारी आवाज है आखिर है कौन ??’
अन्नू भी उस ओर देख रही थी जन्हा से आवाज आ रही थी
“चलो देखते है “
हम दोनों ही उस ओर निकल पड़े , थोड़ी दूर चलने पर आवाज स्पष्ट हो गई थी लगा दो तीन महिलाये एक साथ गाना गा रही है , झाड़ियो से निकलते हुए जब हम थोड़े करीब पहुचे तो वो दृश्य देखकर हम दोनों ही जम गए ..
सामने का नजारा था ही कुछ ऐसा ,
5 ओरते पूरी तरह से नग्न होकर आग के चारो ओर घेरा बनाकर नाच रही थी , सभी के बाल बिखरे हुए थे , मस्तक पर में बड़ा सा काले रंग का तिलक लगाये हुए ये महिलाये जैसे किसी और ही दुनिया में पहुच गई थी , सभी अपने में ही मग्न थी , सभी के कपडे पास ही पड़े थे साथ ही उनके घड़े भी रखे हुए थे , उनमे से एक को मैं पहचान गया था , वो बुधारू की बीबी रमा भाभी थी , बाकि की औरते भी मेरे ही गांव की लग रही थी , आखिर ये कर क्या रही है ..??
सभी जैसे किसी नशे में डूबी हुई थी , फिर उन्होंने अपने पास रखे मटके को उठा लिया और उसमे से पूरा पानी अपने उपर डाल लिया , हम दोनों आँखे फाड़े हुए उन्हें देख रहे थे , तभी …
“अरे वो देखो , पकड़ो उन्हें “ उनमे से एक औरत चिल्लाई , और सभी मानो सपने से जागी हो ,
सभी की नजरे हमारी ओर थी , उनको देख कर हम बुरी तरह से डर गए और तेजी से वंहा से भागे …
अन्नू की भी हालत कुछ ठीक नहीं थी और हवेली अभी भी दूर थी ..
पीछे से कोई आवाज नहीं आ रही थी लेकिन हम पूरी ताकत से भागे जा रहे थे …….
अचानक ही अन्नू ने मेरा हाथ खिंच लिया और चुप रहने का इशारा किया , उसने इशारे से मुझे सामने दिखाया हम तुरंत ही छिप गए , सामने कुछ महिलाये हाथो में डंडा लिए खड़ी दिखी , मैं उनमे से कुछ को पहचानता था वो हमारे ही हवेली में काम करती थी ,हम धीरे से दुसरे रास्ते से भागने लगे , और तब तक भागे जब तक की हवेली ना दिख गई …..