Update:-52
USA trip ..
सफर की थकान मिटा देने वाली नींद के बाद विन्नी शाम को 6 बजे जागी। जब वो उठी तब सब सो रहे थे। वो उठकर हॉल में आ गई और वहीं सोफे पर बैठकर बाहर का नजारा लेने लगी। उसके चंद मिनट बाद ही क्रिश भी हॉल में पहुंचा। विन्नी को अकेले बैठे देखकर उसे ये अच्छा अवसर लगा और वो विन्नी को अपने बाहों में जकड़ कर, माथे पर आए बाल को हटाते हुए कहने लगा…. "ना जाने कब से मै इस पल का इंतजार कर रहा था"….. "और मै भी"…
दोनों की नजरें एक दूसरे पर, कुछ पल के लिए ठहर गई और फिर बोझिल नजरें बंद होती चली गई। प्यासे होंठ आगे बढ़ते हुए चूमने को बेकरार हो गए। एक लहर सी दोनों के दिल में उठने लगी और एक दूसरे को शिद्दत से चूमने लगे…
दोनों की आखें तो बंद थी लेकिन इनके इस प्यारे से चुम्बन के बीच में, खाचिक-खचिक की आवाज के साथ लगातार फ़्लैश लाइट जल रही थी। दोनों ने आंख खोलकर नजर घुमाई और झटके के साथ दोनों अलग हुए…
फिर वहां उस हॉल में तो शोर गुल का माहौल शुरू हो गया। शोर सुनकर कुंजल भी आधी सोई आधी जागी हॉल में पहुंच गई…. "क्या हुआ किस बात पर शोर मचा रहे हो तुम लोग।" कुंजल जम्हाई लेती हुई पूछने लगी…
विन्नी:- कुंजी देख ना यार इसने हमारी फोटो निकली।
वीरभद्र:- कुंजी.. ताला हो तुम जो उसे कुंजी बुला रही, नाम शॉर्ट करने के चक्कर में तुमलोग कुछ भी बोल दोगे क्या?
विन्नी:- तेरे यहां सब मेंटल है क्या.. जिसे देखो मुंह खोलता है तो पहले शॉर्ट नेम पर ही लैक्चर देता है।
कुंजल:- ओह हो पगलाओ मत, अभी हल्ला क्यों कर रहे थे वो बताओ। तुम दोनों नहीं, वीरे आप बताइए…
वीरभद्र:- कुंजल जी ये दोनों एक दूसरे को चुम्मा ले रहे थे तब मैंने इनकी राश-लीला की तस्वीर निकल ली।
कुंजल:- वीरे
वीरभद्र:- जी कुंजल जी…
कुंजल:- आप ये सब क्या कर रहे है, किसी ने आप को बताया नहीं की ऐसे किसी की तस्वीर नहीं लेनी चाहिए।
वीरभद्र:- कुंजल जी, बस ये तस्वीरे इसलिए लिया हूं ताकि फिर से दोबारा यदि ऐसे करते पाए गए तो इनकी ताबीरें मै सीधा इनके भैया को भेज दूं।
कुंजल:- नहीं ये गलत है आप इनकी तस्वीर अभी डिलीट कीजिए…
वीरभद्र:- ना ये अभी डिलीट ना होगी। जब दोनों इंडिया पहुंच जाएंगे और आरव का सिग्नल मिलेगा तब डिलीट होगा… अभी घूमने आए है तो घूमिए बाकी ये सब हरकत मेरे रहते नहीं चलेगी । इन दोनों को भी समझा दीजिए दोबारा पकड़े गए तो ये तस्वीर इनके भाई तक पहुंच जाएगी।
इतना कहकर वीरभद्र वहां से चला गया और कुंजल बिन्नी को देखते हुए कहने लगी…. "उसे तो मै यूं मैनेज कर लूंगी तू देखती रहना … अब करती रह मैनेज। बिना आरव या अपस्यु के तो ना सुनने वाला ये।"
विन्नी:- अरे यार ये कहां फस गई मै, और तुम तबसे चुपचाप मूर्ति क्यों बने हो।
क्रिश:- मै कुछ सोच रहा हूं?
विन्नी:- और क्या सोच रहे हो?
क्रिश:- जब वो तस्वीर ले ही रहा था तब मुझे पूरे किस्स के बाद ही अलग होना था।
विन्नी:- हुंह ! मै परेशान हूं और तुम्हे मज़ाक सूझ रहा। कुंजी बहना प्लीज उससे बोल ना तस्वीर डिलीट कर दे।
कुंजल:- मै क्या जैपनीज में बोल रही थी। तेरे सामने ही उसे डिलीट करने बोली थी ना।
विन्नी:- तो तू आरव से बात करके देख ना।
कुंजल:- क्या कहूं मै अपने भाई से… मेरी दोस्त को चुम्मा लेने में और देने मै काफी दिक्कत हो रही है, वीरे को बोल दो उनके चुम्मी के बीच ना आए। पागल कहीं की। इतना है तो तू ही अपने भाई से क्यों ना बात कर लेती। वैसे भी तू उसे मैनेज करने वाली थी, जाकर मैनेज कर। मै चली तैयार होने आज शॉपिंग और फिर डिस्को… वूं हू … अपनी तो पाठशाला मस्ती कि पाठशाला…
विन्नी:- भाग यहां से, कमीनी ताने मर रही…
कुंजल के जाते ही विन्नी भी चली वीरभद्र को मैनेज करने। पहले विन्नी ने मिन्नतें की, फिर गुस्सा और फिर लड़ाई, लेकिन वीरभद्र को कोई डरा सकता था क्या… आलम ये रहा, शॉपिंग के वक़्त विन्नी कुंजल के साथ और क्रिश, वीरभद्र के साथ। डिस्को में तो हद ही कर दिया वीरभद्र ने। क्रिश और विन्नी को आधे फिट की दूरी बनाकर रखते हुए डांस करने के लिए कहा और खुद वहीं बैठकर सब देख रहा था।
शाम के 4 बजे.. सिन्हा जी के ऑफिस..
कॉन्फ्रेंस हाल में अपस्यु और ऐमी दोनों एक साथ बैठे और सामने सिन्हा जी थे…
सिन्हा जी:- आज की ऑफिशयल मीटिंग का मुद्दा।
अपस्यु:- हम काम करने के लिए तैयार है।
सिन्हा जी अपने जगह से खड़े होते हुए….. "काम तो है लेकिन ये भरोसा दिलाना होगा कि एक बार काम हाथ में लोगे तो उसे बीच में नहीं छोड़ोगे और ना ही किसी को पता चलना चाहिए कि ये काम किसके लिए कर रहे हो।
अपस्यु:- काम शुरू करने से पहले मुझे काम की पूरी डिटेल चाहिए। अगर अनैतिक काम नहीं हुआ तो ही मैं काम करूंगा। और जिसके लिए भी काम करूंगा मै खुद उससे आमने-सामने बात करना चाहूंगा। वही पहली और आखरी मुलाकात भी होगी उस काम के संबंधित।
सिन्हा जी:- हां ये मै जनता हूं … ठीक है दोनों यहीं बैठो…
तकरीबन 5 मिनट बाद सिन्हा जी होम मिनिस्टर के साथ वापस लौटे। उन्हें आते देख अपस्यु और ऐमी ने खड़े होकर इज्जत दी और फिर सब बैठ गए…
सिन्हा जी…. मंत्री जी के पास तुम लोगों के लिए एक काम है, बाकी डिटेल वही देंगे…
मंत्री जी:- मै जानता हूं तुम्हारा मन में कई सारे सवाल होंगे, लेकिन उन सभी सवालों को जवाब में इतना ही कहूंगा, हर काम कानूनन नहीं किया जा सकता इसलिए हमे प्रोफेशनल हायर करने पड़ता है। तो क्या मै तुम्हे प्रोफेशनल समझ सकता हूं।
अपस्यु:- जी सर आप समझ सकते है। कोई भी काम बताने से पहले सिन्हा सर ने तो मेरे काम करने का तरीका बता ही दिया होगा।
मंत्री जी:- हां पता है, तुम अनैतिक काम अपने हाथ में नहीं लेते, बताया था सिन्हा ने। काम बताऊं उससे पहले मै एक बात साफ कर दूं असफल होने कि स्तिथि में पूरा मामला तुम्हे खुद संभालना होगा।
अपस्यु:- हां ये मै अच्छे से जानता हूं…
मंत्री जी:- आर.डी. केमिकल्स, हेड ऑफिस बंगलौर। इसके बसेमनेट के नीचे एक पूरा हॉल बना है, जिसके अंदर एक सेफ है। उसके अंदर एक रिसर्च के पेपर है। उसे तुम्हे निकलना है।
अपस्यु:- ये तो किसी की मेहनत को चुराना हुआ…
सिन्हा जी:- ऐसा तुम्हारा मानना है। लेकिन हमारा मानना है विज्ञान पर सबका अधिकार है। उस रिसर्च में कैंसर के एक मेडिसिन की डिटेल है। उस मेडिसन का पटेट आर.डी. केमिकल्स के पास थी। पेटेंट खत्म होने के बाद जब दूसरी फर्मा कंपनी ने उस दवा को बनाया तो कीमत जहां पहले 1 टैबलेट की 800 रुपए थी वो सीधा 60 रुपए के आस पास आ गई। मामला यहां फसा है की जो दूसरी कंपनी बनाते है उन टैबलेट्स में वो असर नहीं रहता जो आर.डी. केमिकल्स के दवा में है। हमे शक है कि उसने कोई एक छोटी जानकारी गायब की है।
अपस्यु:- हम्मम !!! ठीक है मै ये काम करूंगा, कीमत क्या होगी…
मंत्री जी:- 2 करोड़ अगर तुम सफलतापूर्वक वो रिसर्च कॉपी को लाने में कामयाब हुए तो।
अपस्यु:- ठीक है सर मुझे ये काम पसंद आया। आप आरडी की पूरी डिटेल हमे दे दीजिए….
पूरी डिटेल लेने के बाद दोनों वहां से निकल गए और वहां से दोनों अपस्यु अपने तीसरे फ्लैट पहुंचा। जहां पर दोनों पूरी फाइल पर रिसर्च करने लगे… तकरीबन 3 घंटे की माथा-पच्ची के बाद दोनों थोड़े रिलैक्स हुए।
ऐमी:- यहां से बैठकर कोई प्लैनिंग नहीं की जा सकती, हमे उनके नेटवर्क को हैक करना होगा।
अपस्यु:- तुम कर पाओगी।
ऐमी:- उसके लिए तो पहले हमे बंगलौर जाना होगा.. रिमोट एसेस हैकिंग तो पॉसिबल नहीं है।
अपस्यु:- ठीक है तुम शेड्यूल करो पूरा। मुझे 3 दिन लगेंगे मैक्रो डिवाइस तैयार करने में।
ऐमी:- ठीक है मै आज रात पूरा शेड्यूल करती हूं। कॉल ऑफ करे अब।
अपस्यु:- हां कॉल ऑफ करते हैं।
ऐमी दोनों के लिए कॉफी बनाकर ले आयी... "बहुत दिनों के बाद एक्शन होने वाला है, मै एक्साइटेड हूं।"
अपस्यु मुस्कुराते हुए…. "पागल कहीं की, एक्शन की दीवानी। अब छोड़ो उसे और आज शाम का तुम्हारा प्रोग्राम क्या है वो बताओ।"
ऐमी:- तुम्हे 3 दिन लगेंगे मैक्रो डिवाइस बनाने में, मुझे अपने सॉफ्टवेर पर काम करना है। पुराना सिस्टम आउटडेटेड हो गया होगा, मुझे शुरू से काम करना पड़ेगा।
अपस्यु:- अच्छा जी ! मतलब मुझे ऐसा क्यों लगा रहा है कि तुम आज का डिस्को का प्रोग्राम कैंसल करने वाली हो।
ऐमी, अपस्यु के गाल खींचती… "यू आर टू गुड, वैसे भी मिसन की सफलता का जश्न तो होगा ही।"..
अपस्यु:- ये भी सही है, ठीक है फिर मिलते है 3 दिन बाद..
ऐमी:- हां ये सही है…
दोनों वहां से जैसे ही निकलने को हुए, ऐमी किस्स करती हुई कहने लगी…. कोई स्लीपलेस नाइट नहीं, और ना ही एक्स्ट्रा लोड, मै सॉफ्टवेर के साथ माइक्रो डिवाइस भी डेवलप कर लूंगी। समझे…
अपस्यु:- येस मिस… नो सलीपलेस नाइट और जितना होगा उतना ही डिवाइस बनाऊंगा।
ऐमी दोबारा उसे किस्स करती… दैट्स माह गुड बॉय.. अब चलें…
अपस्यु घर लौट कर सीधा अपने वर्किंग सेक्शन में गया। ये बालकनी से लगा कमरा था जो केवल काम के वक़्त ही खुलता था। वरना बंद ही रहा करता था। शाम के 8.30 बजे वो अंदर गया, 3 मैक्रो डिवाइस वो अबतक बना चुका था लेकिन एक भी मनचाहा परिणाम नहीं दे रहा था।
अंत में उसने ऐमी को कॉल लगाया और उससे कुछ मदद मांगी। ऐमी उसे वीडियो के जरिए एसिस्ट करती रही और डिवाइस में बुनियादी बदलाव के सुझाव दिए। उसके बाद अपस्यु फिर से कोशिश किया… अभी वो डिवाइस बनाने के बिल्कुल मध्य में था, तभी उसके दरवाजे पर नॉक हुई…. "मां बस थोड़ी देर और"…
"मै हूं श्रेया, 12.00 बज गए है, आंटी आपका नीचे इंतजार कर रही है।"…. "आप बढ़िए मै आ रहा हूं।"..
अपस्यु काम बीच में ही रोककर वहां से निकला, और फ्रेश होकर जल्दी से खाने के टेबल पर पहुंचा…. श्रेया उसके लिए थाली लगा रही थी… "मां कहां गई।"..
श्रेया:- आंटी थकी थी, तो वो खाकर आराम करने चली गई।
अपस्यु:- अरे आप रहने दीजिए मै ले लूंगा। आप भी जाइए, आप को भी आराम करना होगा।
श्रेया:- कोई बात नहीं है मै निकाल रही हूं, आप खाना खाइए।
अपस्यु उसके बाद कुछ नहीं कहा बस अपने खाने पर ध्यान देने लगा। … "स्ट्रेंज हां।"…… "क्या?"
श्रेया:- मुझे लगा आप सुबह के बात को लेकर कुछ बोलेंगे, लेकिन आपका पूरा ध्यान तो खाने पर है।
अपस्यु:- नहीं मै पूछने ही वाला था, वो सुबह आप अचानक से ऐसे गुस्सा क्यों हो गई थी?
श्रेया, खुलकर हसने लगी, और अपस्यु उसे हंसते हुए देखने लगा…. "क्या हुआ मैंने कोई कॉमेडी कि क्या?"
श्रेया, अपनी हंसी रोकती हुई….. सॉरी, वो आप के रिएक्शन ऐसे थे ना, नहीं मै पूछने ही वाला था.. हालांकि ये हम दोनों को पता है कि आप कभी इस बात की चर्चा भी नहीं करने वाले थे..
अपस्यु:- तो आप भी चर्चा छोड़ दीजिए क्यों बात को पकड़े बैठी है।
श्रेया:- मै दिल से आप से माफी मांगती हूं। प्लीज मुझे माफ़ कीजियेगा। और यहां पर एक छोटा सा स्पष्टीकरण (clarification)
अपस्यु:- इसकी जरूरत है क्या?
श्रेया:- है तो नहीं, लेकिन जब तक अपनी फीलिंग बता ना दूं चैन नहीं आएगा। तो आप है अपस्यु, जो सहर के माहौल और यहां के दोहरी नेचर से बिल्कुल दूर रहे है। आप की बात पर अब से ठीक इसी छवि के साथ प्रतिक्रिया भी होगी।
अपस्यु:- सुबह की तरह क्या?
श्रेया:- ताने हां !! अच्छा अब इस स्पष्टीकरण के बाद अपनी भूल के लिए 1 छोटी सी भरपाई…
अपस्यु:- अब इसकी भी जरूरत है क्या?
"जरूरत तो नहीं लेकिन जबतक भरपाई ना हो जाए, मुझे सुकून नहीं मिलेगा… ये लीजिए मेरी ओर से छोटा सी भरपाई"…. श्रेया, भगवान शिव की बहुत ही प्यारी सी प्रतिमा उसे भेंट स्वरूप दी, जिसे वो हॉल में बने रैक पर रखती हुई कहने लगी…. "आप दोनों में विशेष समानताएं है। जैसे महा शिव रूपवान, गुणवान, रौद्र और भोले है आप में भी उन्हीं के गुण हैं।"
अपस्यु:- तो मिसेज नंदनी रघुवंशी ने आज आप की क्लास ली है, इसलिए आप मेरी क्लासिफिकेशन यहां बता रही…
श्रेया:- मै फिर हसुंगी आप फिर कहिएगा मैंने कोई कॉमेडी कि क्या? वैसे आप ने जिस प्रकार से अपनी बात आंटी से कही ना वो ईपिक था। मतलब बिल्कुल ही हटकर। सच ने बहुत ही भोले है। और आंटी ने जितनी बातें आप के बारे में बताई, वो बिल्कुल सही थी।
थोड़े समय तक दोनों के बीच इसी प्रकार बातें होती रही, फिर दोनों एक दूसरे को शुभ रात्रि कहते हुए विदा लिया।