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Romance भंवर (पूर्ण)

Chutiyadr

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Update:-52



USA trip ..


सफर की थकान मिटा देने वाली नींद के बाद विन्नी शाम को 6 बजे जागी। जब वो उठी तब सब सो रहे थे। वो उठकर हॉल में आ गई और वहीं सोफे पर बैठकर बाहर का नजारा लेने लगी। उसके चंद मिनट बाद ही क्रिश भी हॉल में पहुंचा। विन्नी को अकेले बैठे देखकर उसे ये अच्छा अवसर लगा और वो विन्नी को अपने बाहों में जकड़ कर, माथे पर आए बाल को हटाते हुए कहने लगा…. "ना जाने कब से मै इस पल का इंतजार कर रहा था"….. "और मै भी"…

दोनों की नजरें एक दूसरे पर, कुछ पल के लिए ठहर गई और फिर बोझिल नजरें बंद होती चली गई। प्यासे होंठ आगे बढ़ते हुए चूमने को बेकरार हो गए। एक लहर सी दोनों के दिल में उठने लगी और एक दूसरे को शिद्दत से चूमने लगे…

दोनों की आखें तो बंद थी लेकिन इनके इस प्यारे से चुम्बन के बीच में, खाचिक-खचिक की आवाज के साथ लगातार फ़्लैश लाइट जल रही थी। दोनों ने आंख खोलकर नजर घुमाई और झटके के साथ दोनों अलग हुए…

फिर वहां उस हॉल में तो शोर गुल का माहौल शुरू हो गया। शोर सुनकर कुंजल भी आधी सोई आधी जागी हॉल में पहुंच गई…. "क्या हुआ किस बात पर शोर मचा रहे हो तुम लोग।" कुंजल जम्हाई लेती हुई पूछने लगी…

विन्नी:- कुंजी देख ना यार इसने हमारी फोटो निकली।

वीरभद्र:- कुंजी.. ताला हो तुम जो उसे कुंजी बुला रही, नाम शॉर्ट करने के चक्कर में तुमलोग कुछ भी बोल दोगे क्या?

विन्नी:- तेरे यहां सब मेंटल है क्या.. जिसे देखो मुंह खोलता है तो पहले शॉर्ट नेम पर ही लैक्चर देता है।

कुंजल:- ओह हो पगलाओ मत, अभी हल्ला क्यों कर रहे थे वो बताओ। तुम दोनों नहीं, वीरे आप बताइए…

वीरभद्र:- कुंजल जी ये दोनों एक दूसरे को चुम्मा ले रहे थे तब मैंने इनकी राश-लीला की तस्वीर निकल ली।

कुंजल:- वीरे

वीरभद्र:- जी कुंजल जी…

कुंजल:- आप ये सब क्या कर रहे है, किसी ने आप को बताया नहीं की ऐसे किसी की तस्वीर नहीं लेनी चाहिए।

वीरभद्र:- कुंजल जी, बस ये तस्वीरे इसलिए लिया हूं ताकि फिर से दोबारा यदि ऐसे करते पाए गए तो इनकी ताबीरें मै सीधा इनके भैया को भेज दूं।

कुंजल:- नहीं ये गलत है आप इनकी तस्वीर अभी डिलीट कीजिए…

वीरभद्र:- ना ये अभी डिलीट ना होगी। जब दोनों इंडिया पहुंच जाएंगे और आरव का सिग्नल मिलेगा तब डिलीट होगा… अभी घूमने आए है तो घूमिए बाकी ये सब हरकत मेरे रहते नहीं चलेगी । इन दोनों को भी समझा दीजिए दोबारा पकड़े गए तो ये तस्वीर इनके भाई तक पहुंच जाएगी।

इतना कहकर वीरभद्र वहां से चला गया और कुंजल बिन्नी को देखते हुए कहने लगी…. "उसे तो मै यूं मैनेज कर लूंगी तू देखती रहना … अब करती रह मैनेज। बिना आरव या अपस्यु के तो ना सुनने वाला ये।"

विन्नी:- अरे यार ये कहां फस गई मै, और तुम तबसे चुपचाप मूर्ति क्यों बने हो।

क्रिश:- मै कुछ सोच रहा हूं?

विन्नी:- और क्या सोच रहे हो?

क्रिश:- जब वो तस्वीर ले ही रहा था तब मुझे पूरे किस्स के बाद ही अलग होना था।

विन्नी:- हुंह ! मै परेशान हूं और तुम्हे मज़ाक सूझ रहा। कुंजी बहना प्लीज उससे बोल ना तस्वीर डिलीट कर दे।

कुंजल:- मै क्या जैपनीज में बोल रही थी। तेरे सामने ही उसे डिलीट करने बोली थी ना।

विन्नी:- तो तू आरव से बात करके देख ना।

कुंजल:- क्या कहूं मै अपने भाई से… मेरी दोस्त को चुम्मा लेने में और देने मै काफी दिक्कत हो रही है, वीरे को बोल दो उनके चुम्मी के बीच ना आए। पागल कहीं की। इतना है तो तू ही अपने भाई से क्यों ना बात कर लेती। वैसे भी तू उसे मैनेज करने वाली थी, जाकर मैनेज कर। मै चली तैयार होने आज शॉपिंग और फिर डिस्को… वूं हू … अपनी तो पाठशाला मस्ती कि पाठशाला…

विन्नी:- भाग यहां से, कमीनी ताने मर रही…

कुंजल के जाते ही विन्नी भी चली वीरभद्र को मैनेज करने। पहले विन्नी ने मिन्नतें की, फिर गुस्सा और फिर लड़ाई, लेकिन वीरभद्र को कोई डरा सकता था क्या… आलम ये रहा, शॉपिंग के वक़्त विन्नी कुंजल के साथ और क्रिश, वीरभद्र के साथ। डिस्को में तो हद ही कर दिया वीरभद्र ने। क्रिश और विन्नी को आधे फिट की दूरी बनाकर रखते हुए डांस करने के लिए कहा और खुद वहीं बैठकर सब देख रहा था।


शाम के 4 बजे.. सिन्हा जी के ऑफिस..


कॉन्फ्रेंस हाल में अपस्यु और ऐमी दोनों एक साथ बैठे और सामने सिन्हा जी थे…

सिन्हा जी:- आज की ऑफिशयल मीटिंग का मुद्दा।

अपस्यु:- हम काम करने के लिए तैयार है।

सिन्हा जी अपने जगह से खड़े होते हुए….. "काम तो है लेकिन ये भरोसा दिलाना होगा कि एक बार काम हाथ में लोगे तो उसे बीच में नहीं छोड़ोगे और ना ही किसी को पता चलना चाहिए कि ये काम किसके लिए कर रहे हो।

अपस्यु:- काम शुरू करने से पहले मुझे काम की पूरी डिटेल चाहिए। अगर अनैतिक काम नहीं हुआ तो ही मैं काम करूंगा। और जिसके लिए भी काम करूंगा मै खुद उससे आमने-सामने बात करना चाहूंगा। वही पहली और आखरी मुलाकात भी होगी उस काम के संबंधित।

सिन्हा जी:- हां ये मै जनता हूं … ठीक है दोनों यहीं बैठो…

तकरीबन 5 मिनट बाद सिन्हा जी होम मिनिस्टर के साथ वापस लौटे। उन्हें आते देख अपस्यु और ऐमी ने खड़े होकर इज्जत दी और फिर सब बैठ गए…

सिन्हा जी…. मंत्री जी के पास तुम लोगों के लिए एक काम है, बाकी डिटेल वही देंगे…

मंत्री जी:- मै जानता हूं तुम्हारा मन में कई सारे सवाल होंगे, लेकिन उन सभी सवालों को जवाब में इतना ही कहूंगा, हर काम कानूनन नहीं किया जा सकता इसलिए हमे प्रोफेशनल हायर करने पड़ता है। तो क्या मै तुम्हे प्रोफेशनल समझ सकता हूं।

अपस्यु:- जी सर आप समझ सकते है। कोई भी काम बताने से पहले सिन्हा सर ने तो मेरे काम करने का तरीका बता ही दिया होगा।

मंत्री जी:- हां पता है, तुम अनैतिक काम अपने हाथ में नहीं लेते, बताया था सिन्हा ने। काम बताऊं उससे पहले मै एक बात साफ कर दूं असफल होने कि स्तिथि में पूरा मामला तुम्हे खुद संभालना होगा।

अपस्यु:- हां ये मै अच्छे से जानता हूं…

मंत्री जी:- आर.डी. केमिकल्स, हेड ऑफिस बंगलौर। इसके बसेमनेट के नीचे एक पूरा हॉल बना है, जिसके अंदर एक सेफ है। उसके अंदर एक रिसर्च के पेपर है। उसे तुम्हे निकलना है।

अपस्यु:- ये तो किसी की मेहनत को चुराना हुआ…

सिन्हा जी:- ऐसा तुम्हारा मानना है। लेकिन हमारा मानना है विज्ञान पर सबका अधिकार है। उस रिसर्च में कैंसर के एक मेडिसिन की डिटेल है। उस मेडिसन का पटेट आर.डी. केमिकल्स के पास थी। पेटेंट खत्म होने के बाद जब दूसरी फर्मा कंपनी ने उस दवा को बनाया तो कीमत जहां पहले 1 टैबलेट की 800 रुपए थी वो सीधा 60 रुपए के आस पास आ गई। मामला यहां फसा है की जो दूसरी कंपनी बनाते है उन टैबलेट्स में वो असर नहीं रहता जो आर.डी. केमिकल्स के दवा में है। हमे शक है कि उसने कोई एक छोटी जानकारी गायब की है।

अपस्यु:- हम्मम !!! ठीक है मै ये काम करूंगा, कीमत क्या होगी…

मंत्री जी:- 2 करोड़ अगर तुम सफलतापूर्वक वो रिसर्च कॉपी को लाने में कामयाब हुए तो।

अपस्यु:- ठीक है सर मुझे ये काम पसंद आया। आप आरडी की पूरी डिटेल हमे दे दीजिए….

पूरी डिटेल लेने के बाद दोनों वहां से निकल गए और वहां से दोनों अपस्यु अपने तीसरे फ्लैट पहुंचा। जहां पर दोनों पूरी फाइल पर रिसर्च करने लगे… तकरीबन 3 घंटे की माथा-पच्ची के बाद दोनों थोड़े रिलैक्स हुए।

ऐमी:- यहां से बैठकर कोई प्लैनिंग नहीं की जा सकती, हमे उनके नेटवर्क को हैक करना होगा।

अपस्यु:- तुम कर पाओगी।

ऐमी:- उसके लिए तो पहले हमे बंगलौर जाना होगा.. रिमोट एसेस हैकिंग तो पॉसिबल नहीं है।

अपस्यु:- ठीक है तुम शेड्यूल करो पूरा। मुझे 3 दिन लगेंगे मैक्रो डिवाइस तैयार करने में।

ऐमी:- ठीक है मै आज रात पूरा शेड्यूल करती हूं। कॉल ऑफ करे अब।

अपस्यु:- हां कॉल ऑफ करते हैं।

ऐमी दोनों के लिए कॉफी बनाकर ले आयी... "बहुत दिनों के बाद एक्शन होने वाला है, मै एक्साइटेड हूं।"

अपस्यु मुस्कुराते हुए…. "पागल कहीं की, एक्शन की दीवानी। अब छोड़ो उसे और आज शाम का तुम्हारा प्रोग्राम क्या है वो बताओ।"

ऐमी:- तुम्हे 3 दिन लगेंगे मैक्रो डिवाइस बनाने में, मुझे अपने सॉफ्टवेर पर काम करना है। पुराना सिस्टम आउटडेटेड हो गया होगा, मुझे शुरू से काम करना पड़ेगा।

अपस्यु:- अच्छा जी ! मतलब मुझे ऐसा क्यों लगा रहा है कि तुम आज का डिस्को का प्रोग्राम कैंसल करने वाली हो।

ऐमी, अपस्यु के गाल खींचती… "यू आर टू गुड, वैसे भी मिसन की सफलता का जश्न तो होगा ही।"..

अपस्यु:- ये भी सही है, ठीक है फिर मिलते है 3 दिन बाद..

ऐमी:- हां ये सही है…

दोनों वहां से जैसे ही निकलने को हुए, ऐमी किस्स करती हुई कहने लगी…. कोई स्लीपलेस नाइट नहीं, और ना ही एक्स्ट्रा लोड, मै सॉफ्टवेर के साथ माइक्रो डिवाइस भी डेवलप कर लूंगी। समझे…

अपस्यु:- येस मिस… नो सलीपलेस नाइट और जितना होगा उतना ही डिवाइस बनाऊंगा।

ऐमी दोबारा उसे किस्स करती… दैट्स माह गुड बॉय.. अब चलें…

अपस्यु घर लौट कर सीधा अपने वर्किंग सेक्शन में गया। ये बालकनी से लगा कमरा था जो केवल काम के वक़्त ही खुलता था। वरना बंद ही रहा करता था। शाम के 8.30 बजे वो अंदर गया, 3 मैक्रो डिवाइस वो अबतक बना चुका था लेकिन एक भी मनचाहा परिणाम नहीं दे रहा था।

अंत में उसने ऐमी को कॉल लगाया और उससे कुछ मदद मांगी। ऐमी उसे वीडियो के जरिए एसिस्ट करती रही और डिवाइस में बुनियादी बदलाव के सुझाव दिए। उसके बाद अपस्यु फिर से कोशिश किया… अभी वो डिवाइस बनाने के बिल्कुल मध्य में था, तभी उसके दरवाजे पर नॉक हुई…. "मां बस थोड़ी देर और"…

"मै हूं श्रेया, 12.00 बज गए है, आंटी आपका नीचे इंतजार कर रही है।"…. "आप बढ़िए मै आ रहा हूं।"..

अपस्यु काम बीच में ही रोककर वहां से निकला, और फ्रेश होकर जल्दी से खाने के टेबल पर पहुंचा…. श्रेया उसके लिए थाली लगा रही थी… "मां कहां गई।"..

श्रेया:- आंटी थकी थी, तो वो खाकर आराम करने चली गई।

अपस्यु:- अरे आप रहने दीजिए मै ले लूंगा। आप भी जाइए, आप को भी आराम करना होगा।

श्रेया:- कोई बात नहीं है मै निकाल रही हूं, आप खाना खाइए।

अपस्यु उसके बाद कुछ नहीं कहा बस अपने खाने पर ध्यान देने लगा। … "स्ट्रेंज हां।"…… "क्या?"

श्रेया:- मुझे लगा आप सुबह के बात को लेकर कुछ बोलेंगे, लेकिन आपका पूरा ध्यान तो खाने पर है।

अपस्यु:- नहीं मै पूछने ही वाला था, वो सुबह आप अचानक से ऐसे गुस्सा क्यों हो गई थी?

श्रेया, खुलकर हसने लगी, और अपस्यु उसे हंसते हुए देखने लगा…. "क्या हुआ मैंने कोई कॉमेडी कि क्या?"

श्रेया, अपनी हंसी रोकती हुई….. सॉरी, वो आप के रिएक्शन ऐसे थे ना, नहीं मै पूछने ही वाला था.. हालांकि ये हम दोनों को पता है कि आप कभी इस बात की चर्चा भी नहीं करने वाले थे..

अपस्यु:- तो आप भी चर्चा छोड़ दीजिए क्यों बात को पकड़े बैठी है।

श्रेया:- मै दिल से आप से माफी मांगती हूं। प्लीज मुझे माफ़ कीजियेगा। और यहां पर एक छोटा सा स्पष्टीकरण (clarification)

अपस्यु:- इसकी जरूरत है क्या?

श्रेया:- है तो नहीं, लेकिन जब तक अपनी फीलिंग बता ना दूं चैन नहीं आएगा। तो आप है अपस्यु, जो सहर के माहौल और यहां के दोहरी नेचर से बिल्कुल दूर रहे है। आप की बात पर अब से ठीक इसी छवि के साथ प्रतिक्रिया भी होगी।

अपस्यु:- सुबह की तरह क्या?

श्रेया:- ताने हां !! अच्छा अब इस स्पष्टीकरण के बाद अपनी भूल के लिए 1 छोटी सी भरपाई…

अपस्यु:- अब इसकी भी जरूरत है क्या?

"जरूरत तो नहीं लेकिन जबतक भरपाई ना हो जाए, मुझे सुकून नहीं मिलेगा… ये लीजिए मेरी ओर से छोटा सी भरपाई"…. श्रेया, भगवान शिव की बहुत ही प्यारी सी प्रतिमा उसे भेंट स्वरूप दी, जिसे वो हॉल में बने रैक पर रखती हुई कहने लगी…. "आप दोनों में विशेष समानताएं है। जैसे महा शिव रूपवान, गुणवान, रौद्र और भोले है आप में भी उन्हीं के गुण हैं।"

अपस्यु:- तो मिसेज नंदनी रघुवंशी ने आज आप की क्लास ली है, इसलिए आप मेरी क्लासिफिकेशन यहां बता रही…

श्रेया:- मै फिर हसुंगी आप फिर कहिएगा मैंने कोई कॉमेडी कि क्या? वैसे आप ने जिस प्रकार से अपनी बात आंटी से कही ना वो ईपिक था। मतलब बिल्कुल ही हटकर। सच ने बहुत ही भोले है। और आंटी ने जितनी बातें आप के बारे में बताई, वो बिल्कुल सही थी।

थोड़े समय तक दोनों के बीच इसी प्रकार बातें होती रही, फिर दोनों एक दूसरे को शुभ रात्रि कहते हुए विदा लिया।
:good:
 

Chutiyadr

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Update:- 53



USA Trip….

सन-डिएगो में 6 दिन हो चुके थे और वीरभद्र, विन्नी और क्रिश के बीच सनी कि तरह कुंडली मारे बैठ गया था। वो अपने साथ क्रिश को ऐसे बांधे रखता था कि किस्स तो दूर की बात है, दोनों हाथ में हाथ डालकर साथ चल भी नहीं सकते थे। सभी लोग आज रात सन-डिएगो से कुछ दिन के टूर पर न्यूयॉर्क निकल रहे थे।

विन्नी अपनी किस्मत पर रोती हुई कुंजल से गुस्से में कहने लगी…. "कुंजी, तू बहुत मज़े ले रही है ना मेरी इस हालत पड़। ये तू अच्छा ना कर रही है।"

कुंजल, हंसती हुई कहने लगी…. "किसे कॉन्फिडेंस था, जरा बताएगी।"

विन्नी:- एक ही बात के लिए कितने ताने मारेगी, ले दोनों कान पकड़ कर माफी मांगती हूं। जरा मेरे हालत पर भी तरस खा ले।

कुंजल:- हम्मम ! तेरी हालत तो वाकई पिंजरे में कैद बुलबुल जैसी है… कोई ना सोचती हूं कुछ…

विन्नी, खुश होते…. "पक्का"…

कुंजल:- हां बाबा पक्का, अब ऐसे ही हंसती रहना। और तैयार हो जा… all the way to New York…

विन्नी:- woooooooo hooooooooo….

शिकागो में 6 दिन काटने के बाद आज आरव की मुस्कान भी वापस लौट आयी थी। सुबह ही मिश्रा फैमिली उसी होटल में चेक इन कर चुकी थी जहां अराव पिछले 6 दिनों से था। ये कोई इत्तेफ़ाक नहीं था बल्कि आरव, उन लोगों के ट्रैवल एजेंट से सब पता कर चुका था। केवल दोनों के फ्लोर अलग थे, आरव 8th फ्लोर पर था और मिश्रा परिवार 7th फ्लोर पर।

मनीष मिश्रा भी अपने परिवार को ज्वाइन करने, कुछ दिनों की छुट्टियों पर था, साथ में मनीष और राजीव के बड़े बेटे, नीरज और कबीर भी वहां पहुंचे थे। होटल भी काफी आलीशान था। 7th फ्लोर के हर कमरे में के अंदर 2 सेपरेट कमरे, छोटा सा हॉल और बहुत सारी सुविधाओं से लैस थी।

अभी दोनों बहनों को कमरे में आए 10 मिनट भी नहीं हुए होंगे.. साची बाथरूम में फ्रेश होने गई थी और लावणी कमरे के अपने हिस्से में अपना सामान जमा रही थीं। तभी पीछे से आरव उसके गले लगते, उसके कानों के नीचे, गले पर किस्स किया।

लावणी चौंक कर पीछे मुड़ी और आखों के सामने आरव को देखकर उसकी आखें और भी ज्यादा फैल गई। उसके हैरानी का सबब ऐसा रहा की वो बस बुत (idole) बनी भौचक्की (shocked) होकर, बिना पलकें झपकाए ताकने लगी।..

आरव उसके आखों के सामने चुटकी बजाते….. "क्या हुआ मिस, आप कुछ ज्यादा ही हैरान दिख रही हैं।"

लावणी, अब भी हैरानी से ही देखती हुई…. "क्या ये तुम हो आरव।"

आरव अपना सिर हिलाते…. "हां रे मै ही हूं।"..

लावणी, हैरानी की हालत में ही, आखें फैलाए और बिना पलकें झपकाए…. "किस्स करो फिर"..

आरव उसके होटों को छू कर पीछे हुआ। किस्स होते ही लावणी ने अपनी पलकें झपकाई और खुशी से उछालती हुई…. "ओह माय गॉड .. ओह माय गॉड … ओह माय गॉड.. ओह माय गॉड"… बिल्कुल चहकती हुई वो "ओह माय गॉड" करती आरव को जोड़ से अपने बाहों में जकड़ ली….

"क्या हो गया क्यों इतना शोर मचा रही है।"… साची बाथरूम से आवाज़ लगाई…. "कुछ नहीं दीदी, यूएस पहली बार आयी हूं, ये उसी की एक्साइटमेंट है।"… और कहते हुए आरव के होठों से होंठ को लगा कर उसे चूमने लगी।

कुछ पल डूब कर किस्स करने के बाद आरव लावणी से अलग हुआ और उसकी आखों में देखते हुए कहने लगा… "अब तुम आराम करो, मै बाद में मिलता हूं।"..

आरव, वापस खिड़की से जाने लगा.. लावणी उसे रोकती हुई… "अभी तो मिले है, अभी छोड़कर जा रहे हो।"..

आरव:- तुम्हारे लिए ही तो यहां परा हूं। अब जब हम इतने दिनों बाद मिल रहे है तो फ़िक्र मत करो… अब बस मै और तुम ही होंगे…

लावणी:- रूको.. वहां से कहां जा रहे हो..

आरव:- यहीं से तो अभी अंदर आया हूं… तुम्हारा नीचे कमरा और इसके ठीक ऊपर मेरा कमरा…

लावणी, अपनी आखें दिखाती…. "कोई फिल्म की शूटिंग नहीं चल रही जो तुम बार-बार खिड़की से आओ और जाओ। चुप-चाप दरवाजे से जाओ, कोई हीरो बनने की जरूरत नहीं है… और वापस खिड़की से तुम्हे यहां आने की जरूरत नहीं है।

आरव, थोड़ा मायूस होकर…. "पर यहां तो मै सिर्फ तुम्हारे लिए हूं।"

लावणी, उसके गले लग कर उसके गाल को चूमती कहने लगी…. "तुम्हे आने कि जरूरत नहीं है, मौका देख कर मै ही मिलने आऊंगी। अब सीधे-सीधे दरवाजे से जाओ और आना भी हो तो दरवाजे से आना।

आरव जाते-जाते एक बार फिर लावणी को चूमते हुए दरवाजे तक आया, दरवाजे की आड़ में दाएं-बाएं देखा और तेजी से उस फ्लोर के लॉबी से गायब हो गया।…

"कौन आया था यहां।"… साची बाहर निकलते ही पूछने लगी…

लावणी:- कौन होगा… यहां तो बस मै और मेरी एक्साइटमेंट थी।

साची:- क्या बात है, जितना तू पूरे रास्ते नहीं चहक रही थी, यहां कमरे में आते ही पूरे तेवर बदल गए। किसी गोरे को तो नहीं पसंद कर ली?

लावणी, अपनी आंख मारती…. "तो आप भी एक पसंद कर लो, मैंने थोड़े ना रोका है।"

साची:- ओह हो तो हमारी भुटकी अब बड़ी हो रही है।..

लावणी, साची का हाथ पकड़ कर उसे गोल-गोल घुमाती कहने लगी…. "हां कुछ ऐसा ही समझ लो।"…

साची:- अरे हाथ छोड़, टॉवेल खुल जाएगा… पागल कहीं की बिल्कुल दीवानी हुई जा रही है।….


16 जून 2014… दिल्ली…

अपस्यु और ऐमी दोनों बंगलौर के लिए अपने घर से निकल चुके थे। अपने तैयारियों को देखने के लिए दोनों अपस्यु के तीसरे फ्लैट, कनॉट प्लेस के पास वाले मुक्ता अपार्टमेंट में मिल रहे थे।

ऐमी अपस्यु की पूरी रीडिंग लेती हुई… स्पीड परफेक्ट है 38km/hr.. शॉर्ट रेंज पॉवर पंच 280 पाउंड, ओवरऑल पंच पॉवर 880 पाउंड… हाई और लोग जंप भी परफेक्ट, 360 डिग्री फ्लिप भी परफेक्ट है… फिजिकली कंप्लीट परफेक्शन।

अपस्यु:- तो फिर चले, मेंटली देख ले हम कितने प्रेफेक्ट है।…

दोनों वहां से फ्लाइट बोर्ड करने निकले। दोनों बंगलौर पहुंच चुके थे। दो अलग-अलग होटल में दोनों ने अपना-अपना कमरा लिया। एक होटल आरडी केमिकल के हेड ऑफिस के ठीक सामने था, जहां से उनके ऑफिस का सामने का हिस्सा पूरा दिख रहा था। वहीं ऐमी का होटल उसके ऑफिस के पीछे का पूरा व्यू दे रहा था।

उस दिन दोनों ने कोई काम नहीं किया। बंगलौर पहुंच कर घूमे, सिनेमा देखा, क्लब गए और रात के 10.30 बजे तक अपने अपने होटल पहुंच चुके थे। सुबह के 8 बजे अपस्यु ने ऐमी को कॉल लगाया और फिर दोनों सोने चले गए। 3 बजे के करीब अपस्यु की नींद खुली। आखें खुलते ही उसने ऐमी से कॉन्टैक्ट किया, वो भी कुछ देर पहले ही जागी थी।

6 बजे के आसपास फिर से दोनों बंगलौर घूमने निकले, और रात के 10.30 तक वापस लौटे। आज रात दोनों आते ही सो गए और सुबह के तकरीबन 7.30 बजे उठे। 7.30 बजे सुबह से लेकर रात के 10.30 बजे तक दोनों कहीं निकलें नहीं। रात के 10.45 पर अपस्यु कार लेकर ऐमी के होटल के नीचे उसके आने का इंतजार करने लगा।

ऐमी जब कार के ओर बढ़ रही थी, अपस्यु देख पा रहा था वहां मौजूद लड़कों को, जो पीछे से ऐमी को जाते हुए लगातार घुरे जा रहे थे। और हो भी क्यों ना ऐसा। अपने कमाल के चेहरे पर, वो आज पूरा मेकअप लगाकर क़यामत ढा रही थी। आंखों की हल्की काजल, ऐसे प्रतीत हो रही थी जैसे उसकी आंखे सबकी नजरें अपनी ओर आकर्षित कर रही हो।

उसपर से उसके लहराते खुले बाल, जिसकी कुछ कर्ली लटें चलने के साथ ऐसे बलखाती थी, देखकर रोम-रोम खुश हो जाए। अपस्यु भी उसके रूप को पूरा निहार रहा था। अपस्यु को अपने ओर ऐसे देखते हुए, ऐमी मुस्कुराए बिना नहीं रह पाई।

ऐमी कार में बैठती…. "मुंह तो बंद करो सर"…

अपस्यु:- माहौल बनना है, मैंने ऐसा कहा था, तुम तो बिजलि गिराने के लिए निकली आयी….

ऐमी, अपस्यु को आंख मारती…. "तो चलकर बिजली ही गिराते है।"

शायद अभी अपस्यु ने मात्र ट्रेलर ही देखा था, क्योंकि ऐमी ने अपने ऊपर लंबी सी लैदर जैकेट डाली हुई थी। लेकिन डिस्को में जाने से पहले जब उसने वो जैकेट उतारी…. उफ्फ, उस एसी कार में अपस्यु को पसीने आने लगे।….

लाल रंग की वो छोटी सी पोशाक जिसके आगे से, उसके बड़े गले का अाकर, उसके योबान को पूरा उभार रहा था, और पीछे "वी" अाकर का शेप, जो कमर से ऊपर तक फैलते-फैलते पीछे बैकलेस करता जा रहा था। ऊपर से ऐसा लग रहा था कि पूरे पाऊं और बदन के हर खुले हिस्से में वो मेकअप पोत कर आयी हो। पूरा बदन गोरा और चमकदार नजर आ रहा था। देखने वाले देखकर कंफ्यूज हो जाए, कि बदन के किस हिस्से पर नजर जमानी है और किस हिस्से को छोड़ दे।

दोनों डिस्को के अंदर पहुंचे। यूं तो वहां और भी सेक्सी बालाएं थी, लेकिन जो जादू ऐमी बिखेर रही थी, उसके दीवाने सब की नजरें हुई जा रही थी। दोनों जैसे ही बार काउंटर पर बैठे, दाएं बाएं कई लड़कों की भीड़ लग गई जो अपनी अदा से ऐमी को लुभाने की कोशिश कर रहे थे।

वो कहते है ना जैसा रूप वैसा स्वभाव, और ऐसे रूप पर थोड़ा गुरूर जचता भी था। ऐमी सभी को अपना गुरूर दिखाती वहीं पर तीन टकीला शॉट ली, अपस्यु भी उसका साथ निभाते 3 टकीला शॉट खिंचा।

ऐमी, अपस्यु का हाथ पकड़ते डांस फ्लोर तक ले गई और संगीत की थिरकन पर जो उसने अपना पहला मूव दिया.. देखने वाले हूटिंग करने लगे। वहीं अपस्यु भी रंग जमाते, उसका हाथ पकड़ कर उसे अपने दाएं-बाएं ऐसे उठा कर नाचने लगा जैसे उसके हाथ में कोई खिलौना हो। दोनों अपने पूरे पैशन में एक दूसरे से चिपक कर ऐसे नाच रहे थे, देखने वाले बस आखें फाड़कर, उन्हें ही देखने में लगे थे।

उन दोनों के डांस फ्लोर पर आते ही लगभग वो डांस फ्लोर खाली सा हो गया था। दोनों के हर स्टेप पर सब हूटिंग कर रहे थे। और अंत में जो ही अपस्यु ने उसके कमर से पकड़कर खिंचा और किस्स किया… सब की आखों में वो समा जैसे कैद हो गया हो।

दोनों वहां से हंसते हुए बाहर के ओर आने लगे.. रास्ते में छोटा अंधेरा पैसेज था। वहां अपस्यु ने ऐमी को दीवाल से बिकुल लगाकर, उसके हाथों को अपने हाथों में लेकर उसे ऊपर दीवार से पूरा चिपका दिया। खुद वो उसके ऊपर आकर उसके गर्दन से लेकर सीने पर किस्स करने लगा और कुछ देर के किसिंग के बाद दोनों फिर हंसते हुए वहां से बाहर निकले और कार में बैठ कर अपस्यु ने पूरा पिकअप लिया।

ऐमी अपने ऊपर जैकेट डाल कर सीट बेल्ट बांध ली। कार लगभग 90 के रफ्तार पर थी और उससे भी ज्यादा रफ्तार से पीछे से 2 कार चली आ रही थी। पहली कार उनको क्रॉस की। वो कार राईट से क्रॉस करके उसके लेफ्ट में गई और दूसरी कार क्रॉस करके राईट पर ही चल रही थी। उन दोनों कार के पीछे अपस्यु की कार बिल्कुल मध्य से चल रही थी।

अचानक ही दोनों कार ने अपनी गति को धीमा किया। अपस्यु सब कुछ समझकर, कार को गलत साइड ले गया और वहां से अपनी गति को बढ़ा कर उन दोनों को क्रॉस करते अपनी साइड आ गया। दोनों कार वाले ताकते रह गए और अपस्यु उनसे आगे निकल कर गति को 100 के पार ले गया।

लोकल सड़क पर इतनी गति वो भी एक आम कार के लिए… बहुत ही ज्यादा थी वो गति। उन दोनों पीछा करने वालों को भी ये बात पता थी कि अपस्यु इस गति को और ज्यादा देर तक जारी नहीं रख सकता था।

उन दोनों ने भी एक बार फिर अपनी गति बढ़ाई। अपस्यु को क्रॉस करने के लिए उनको अपनी गति 120 पर लेकर जनी पड़ी। दोनों कार लेकिन इसी गति से चेस करते, एक बार फिर उनके आगे थे। सड़कों पर सायं-सायं के आवाज़ के साथ, धूल उड़ाते तीनों कार चूहे-बिल्ली के खेल में लगे हुए थे।

एक बार फिर उन दोनों कार ने अपस्यु का रास्ता रोकते हुए, उसे गति पर लगाम लगाने के लिए मजबुर कर दिया। कार कि गति धीमी होते बीते 60 पर पहुंच चुकी थी। अपस्यु ने एक बार फिर कार को जैसे ही राईट में मोड़ा, उसके राईट साइड वाली कार पूरा एक्सीलरेटर लेते हुए पूरा राईट गया।

वो तो राईट चला गया लेकिन अपस्यु तुरंत ही अपनी कार सीधी करते एक्सेलेरेटर पर पाऊं दिया और मिडिल फिंगर निकाल कर उन्हें दिखाने लगा… उसका ड्राइवर जबतक उस मिडिल फिंगर को देख रहा था.. जोड़ से टकराने की आवाज़ आयी और कार जाकर सीधा एक सिक्योरिटी वैन को सामने से टक्कर दे मारी। इनके साथ चल रही दूसरी कार ने वहीं ब्रेक लगाया और 4 लड़के दौर कर सड़क के दूसरे ओर चले गए।

इधर अपस्यु और ऐमी ने अपनी कार होटल में पार्क कि और दोनों रूम में जाकर बाहर का नजारा देखने लगे। हर मिनट कैलकुलेट हो रहा था और हर बारीक चीज पर अपस्यु अपनी नजर बनाए हुए था।
ek no. car wala scene badiya tha :approve:
aur ye amy ka cherecter kahi Amy Jackson se inspire to nahi hai :huh: adaye to kuchh waise hi hai iski ..
 

Chutiyadr

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Update:-54 (A)



इधर अपस्यु और ऐमी ने अपनी कार होटल में पार्क कि और दोनों रूम में जाकर बाहर का नजारा देखने लगे। हर मिनट कैलकुलेट हो रहा था और हर बारीक चीज पर अपस्यु अपनी नजर बनाए हुए था।

ऐक्सिडेंट के ठीक 5 मिनट बाद पुलिस वाहन वहां पहुंच चुकी थी। ऐसा लग रहा था जैसे कोई बड़ा कांड हुआ हो। कुल 22 पुलिसकर्मी वहां पहुंचे थे। जिनमे ज्यादातर 1 या 2 सितारा वाले पुलिस थे। कुछ पुलिसकर्मी ऊपर बिल्डिंग के पास गए। 2-3 उसके चारो ओर चक्कर लगाकर देखने लगे। 5-6 पुलिस वाले वहां के ट्रैफिक को देख रहे थे, हालांकि रात के इस प्रहर में ज्यादा ट्रैफिक तो नहीं थी, लेकिन फिर भी पुलिस पूरी मुस्तैदी से वहां के ट्रैफिक को मेनटेन कर रहे थे।

लगभग आधे घंटे में वहां का पूरा तमाशा खत्म हो चुका था। पुलिस वालों के जाते ही एक सिक्योरिटी गार्ड बाहर आकर खड़ा हुआ। वहीं उसके दाएं ओर सबसे आखरी में बिल्डिंग के पिलर पर एक बॉक्स लगा था। उस बॉक्स के ऊपर लगे दोनों स्विच को बंद करके वहीं कोने में बैठ गया।

"कुछ भी बदलाव नहीं है, अब फिर से वही सब कुछ यहां होगा"… ऐमी भी बाहर के ओर देखती हुई कहने लगा। अपस्यु उसके पीछे अाकर, अपने चेहरे को उसके कंधे पर रख कर, अपने चेहरे को उसके चेहरे से बिल्कुल जोड़ते …. "बस एक बदलाव है, यहां इस कमरे में"….

अपनी बात कहकर अपस्यु उसके जैकेट के बटन को खोलता चला गया। जैकेट के दोनों साइड को पकड़ कर वो धीरे-धीरे पीछे आने लगा… ऐमी अपने दोनो हाथ पीछे की ओर उठा कर अपने पूरे बदन को आगे की ओर झुका ली, और जैकेट हाथों से फिसलते हुए, धीरे-धीरे उसके बदन से अलग हो गया।

अपस्यु तेजी से उसके पीछे पहुंचा और उसके खुले पीठ पर अपने हाथ फेरते हुए, उसके कानों के नीचे गले पर चूमने लगा। पीछे से चूमते हुए, उसने कंधे से स्ट्रिप को खिसकना शुरू किया और धीरे-धीरे ऐमी हाथों से सरकाते हुए उसे बाहर निकाल दिया।

स्ट्रिप के हाथों से निकाल ही ऐमी की छोटी सी पोशाक भी उसके पाऊं में थी और अपस्यु उसके दोनों कंधो के बीच पीठ पर चूमते हुए, उसके स्तनों पर पर अपने हाथ डालते उसे मसलते हुए, उसे पीछे से गर्दन से लेकर पीठ तक चूमने लगा। ऐमी की कसमसाहट, और मस्ती में अपने होटों को दातों तले दबाकर वो तेज-तेज श्वास लेने लगी।

अपस्यु उसके स्तनों को अपने हाथों के बीच पूरा मसलते मज़े ले रहा था। उसके पीठ को चूमते हुए अपस्यु नीचे बैठ गया। अपने हाथों से उसके पैंटी को नीचे खिसकाते, धीरे-धीरे नीचे लाते उसे भी बाहर निकाल फेका। ऐमी आगे के ओर झुकी खिड़की पर लगे पाइप को अपने मुट्ठी में पकड़ी, तेज-तेज चलती श्वासो के साथ, धीमी-धीमी सिसकियां भी ले रही थी।

अपस्यु नीचे बैठ कर पैन्टी को उसके पाऊं से बाहर निकाल कर फेंक दिया। आखों के सामने ऐमी को पीछे पूर्ण नग्न देखने का मादक एहसास। बिल्कुल सफेद शरीर और उभरा वो नितम्ब। अपस्यु उसके जांघ को चूमते हुए ऊपर बढ़ा और अपना चेहरा उसके नितम्बों के बीच पूरा डालकर खेलना शुरू कर दिया..

ऐमी पागल होती अपने होंठ दबाकर तेज सिसकारियां लेने लगी। उसके शरीर में कंपन फैल गया। उसका रोम-रोम सिहर उठा। अपस्यु उसके पीछे अपना पूरा चेहरा लगाकर, अपने हाथ को आगे ले गया और उसके योनि के ऊपर डालकर, योनि को कभी धीमे तो कभी जोर से मसलते जा रहा था। ऐमी की मादक सिसकारियां जोड़ पकड़ने लगी थी। उसके पाऊं मस्ती से हिलने लगे और अब खुद को संभालना भी मुश्किल हो रहा था…

ऐमी तेजी में पलटी, अपस्यु को खड़ा करती उसके होटों को चूमना और काटना शुरू कार दी। फिर खुद नीचे बैठकर अपस्यु के पैंट को पूरे तेजी के साथ खोली। उसके अंडरवीयर को नीचे सरकाती, उसके लिंक को अपने मुट्ठी में जकड़कर, उसे कुछ देर तक आगे पीछे हिलाने के बाद, बॉल को चूमते हुए उसके लिंग पर अपनी जीभ चलाई और अपना मुंह खोल कर अंदर ले ली।

पूरे मस्ती में वो उसके लिंग को चूसती हुई उसके बॉल को अपने हाथों में लेकर उसके साथ खेनलने लगी.. अपस्यु बिल्कुल बेकाबू अपने सिर को ऊपर किए तेज तेज सांस लिए जा रहा था और ऐमी लगातार उसके लिंग को मुंह में लेकर आगे पीछे करती हुई चूस रही थी।

अपस्यु से भी अब बर्दास्त कर पाना मुश्किल हो गया। वो ऐमी को कंधे से पकड़ कर ऊपर उठाया। उसके दोनों स्तनों को अपने दोनो हथेलियों के बीच दबाकर, उसे पूरा अपने हाथों में कैद करके मसले हुए ऐमी के होंठों को चूसने लगा।

ऐमी भी पागल होती उसके होटों को काटती उसके जीभ को चूसने लगी। अपस्यु ने उसके अपने गोद में उठाया और बिस्तर पर पटक कर उसके दोनों पाऊं को फैला दिया। योनि के बीच अपने लिंग को डालते, एक ही झटके में अपने लिंग को पूरा अंदर तक तेज झटका मारा। ऐमी के स्तनों को दोनों हाथों में दबोज कर, उसपर पूरे अपने नाखूनों को धसा दिया। ऐमी तेज तेज "आहहहहहहहहहहहहहहहहह" करती अपने दोनो मुट्ठी में चादर को दबोचकर अपनी छाती ऊपर करने लगी। ऐमी भी लिंग को योनि के पूरा अन्दर मेहसूस करने लिए तेज-तेज ऊपर नीचे कमर को झटकने लगी।

हर झटका पूरे थिरकन के साथ अंदर तक मेहसूस हो रहा था। वासना अपने पूरे चरम पर थी और फिर तेज-तेज झटकों के बीच ऐमी का बदन अकड़ने लगा। इसी के साथ अपस्यु ने भी अपने झटकों कि रफ्तार पूरा बढ़ाते, उसका पूरा साथ साथ देने लगा। और फिर दोनों ही अपने चरम पर पहुंचकर उस सुख को भोगते हुए शांत हो गए।

अपस्यु वहीं उसके पास में लेट कर अपनी श्वास सामान्य करने लगा।… एक मीठी रात दोनों के जहन में कैद हो गई और दोनों निढल पड़े सो गए। सुबह जब ऐमी की नींद खुली तो अपस्यु के नंगे बदन को देखकर उसके अंदर गुदगुदी सी हो गई। वो अपस्यु के होंठ को चूमती हुई बाथरूम में घुसी और जल्दी से फ्रेश होकर बाहर निकल गई।

जबतक वो बाहर आयी अपस्यु भी जाग चुका था… ऐमी के बाहर निकलते ही, वो भी अंदर घुसा। जबतक वो बाहर आया ऐमी खाने का आर्डर कर चुकी थी… दोनों खा पीकर जब निश्चिंत हो चुके थे।

दोनों लैपटॉप खोलकर बैठ गए और कल रात के मैक्रो डिवाइस की सभी फुटेज को देखने लगे। लगभग 2 घंटे तक हर बात को नोट करने के बाद…

अपस्यु:- ऐमी तुम्हे क्या लगता है यहां की सुरक्षा को देखकर…

ऐमी:- ये लोग बहुत ही निश्चिंत है अपने सिक्योरिटी सिस्टम के कारण। ग्राउंड फ्लोर के नीचे बने बेसमेंट में जाने का सिर्फ एक ही रास्ता है, और वहां पर भी इन्होंने लेजर बिम्ब लगा रखा है।

अपस्यु:- 4 ट्रेंड गार्ड जो ग्राउंड फ्लोर पर हमेशा रहते है और एक गार्ड बाहर लगातार चारों ओर चक्कर लगाता है। 15 गार्ड की टीम जो 8 घंटे के हिसाब से 5 की टुकड़ियों में अपनी ड्यूटी निभाते हैं।

ऐमी:- अंदर के चारों गार्ड कभी बाहर नहीं निकलते और बाहर का माहौल जरा भी गड़बड़ हो तो, बाहर वाला गार्ड दोनों स्विच ऑन करके उन्हें खतरे का सिग्नल देता है।

अपस्यु:- खतरे की स्तिथि में 5 मिनट में पुलिस कि टीम भी पहुंच जाती है। पुलिस की टीम को देखकर तो यही लगता है कि ये एक्स्ट्रा सिक्योरिटी है आरडी वालों की, जो खतरे कि स्तिथि में अलर्ट हो जाती है।

ऐमी:- 3 पॉवर बैकअप है और पॉवर जाने की स्थिति में ग्राउंड फ्लोर 4 फिट मोटी स्टील के अंदर कवर, जिसे मिसाईल से भी तोड़ने में परेशानी हो जाए।

अपस्यु:- अब इतनी जानकारी हासिल करने के बाद एक ही सवाल उठता है, ये चोरी कैसे संभव होगी।

ऐमी:- यह असाइनमेंट नहीं है, ये एक ट्रैप है।

अपस्यु:- तो कल की रात फंसते है इस ट्रैप में।

ऐमी:- कैसे….

"जब रात के अंधेरे में घना कोहरा छाएगा… हम शान से, सामने से जाएंगे.. सूट उप एंड गेट रेडी फॉर एक्शन"


18 जून 2014 USA Trip


सब न्यूयॉर्क भी पहुंच गए थे और वहां पहुंचकर मस्ती कि सारी प्लैनिंग भी हो चुकी थी। रात का वक़्त और चारो कैसिनो में जाकर मज़े कर रहे थे। इसी बीच वीरभद्र के पास कुछ प्रायोजित (sponsored) लड़कियां पहुंची। जो वीरभद्र के साथ बहुत ही अभद्र हरकतें शुरू कर चुकी थी। कोई बालों मै हाथ फेर रही थी तो कोई गालों को हाथ लगा रही थी। एक ने तो पैंट के ऊपर हाथ रखकर उसके लिंग को ऊपर-ऊपर से सहलाने लगी।

कोई और मौका होता तो शायद वो पूरा मज़ा भी लेता, लेकिन नजरों के सामने कुंजल थी जो राउंड टेबल पर बैठकर, चकरी घूमने वाले जुए के टेबल पर थोड़ा-थोड़ा पैसा लुटा रही थी। वहीं पास वाली सेक्शन में विन्नी बैठकर, पासे (dice) की संख्या पर पैसे लगा रही थी, और उसके कुछ दूरी पर क्रिश बैठा हुआ अपनी गर्लफ्रेंड को तार रहा था बेचारा।

वीरभद्र उन लोगों को सामने देखकर थोड़ा असहज मेहसूस करने लगा। तभी कुंजल ने वीरभद्र को देखा और चौंकने की झुटी प्रतिक्रिया देती उसने अपना मुंह खोल ली।

कुंजल की ऐसी प्रतिक्रिया देखकर वीरभद्र उन लड़कियों को किनारे करने कि कोशिश में जुट गया। सिर को ना में हिलाकर जताने कि कोशिश करने लगा कि वो कुछ नहीं कर रहा, बल्कि यही लड़कियां पीछे पड़ी है। तभी कुंजल उसके कंफ्यूज से चेहरे को देखकर जोड़ से हसी और बड़ी अदा से चलती हुई उसके पास पहुंची और अाकर सीधा उसके गोद में बैठ गई।

ये तो वीरभद्र के लिए और भी ज्यादा चौंकाने वाला छन था और उसका हैरानी से भड़ा चेहरा देखने लायक था।…. "कुंजल जी"…. "हां वीरे जी"..

वीरभद्र:- कुंजल जी आप ये क्या कर रही है, मेरे प्राण हलख में आ गए है। आप प्लीज ऐसा मत कीजिए। मै पहले ही इन गोरी कन्याओं सें परेशान हूं।

कुंजल:- वीरे जी, ये लड़कियां आप जैसे गबरू देशी नौजवान पर फिदा हो गई है। आप 2 मिनट मुझे दीजिए, इन सबको अभी भागती हूं।

कुंजल ने कुछ देर अंग्रेजी में खिटिर-पिटिर करके समझाने कि कोशिश करने लगी कि वो लोग उसके बॉयफ्रेंड को छेड़ रही है। वीरभद्र बिल्कुल शांत बस वहां चल रहे माहौल को सुनने में लगा हुआ था और बस यही प्रार्थना करने में लगा था कि कुंजल जल्दी यहां से उठ कर जाए…

बात होते-होते अंत में ऐसा हुआ कि, वीरभद्र को कुंजल ने उसके गाल को चूमने के लिए कहने लगी। वीरे अब पूरा फसा। कुंजल ना तो उसके गोद से उठने का नाम ले रही थी और ना ही वहां से वो लड़कियां जाने का नाम ले रही थी। लेकिन वीरभद्र की अभी प्राथमिक समस्या तो कुंजल को वहां से उठाना था और इसी क्रम में वीरभद्र उसके गाल को अपने होंठ से छू कर जल्दी से सीधा हो गया…

कुंजल:- वीरे जी..

वीरभद्र:- जी कुंजल जी…

कुंजल:- किसी बच्चे को चूम रहे है क्या, गर्लफ्रेंड को चूम रहे है। थोड़ा अच्छे से चुमिए वरना ये लड़कियां आप को नहीं छोड़ने वाली।

बेचारा वीरभद्र क्या करता, सांप छूछुंदर जैसी हालत थी। उसने एक बार फिर कुंजल के गाल को चूमा। ये चुम्बन थोड़ा लम्बा चला और वीरभद्र कुंजल को चूमने के बाद फिर से सीधा बैठ गया। उसके इस किस्स के बाद वहां की सारी लड़कियां गायब हो गई और कुंजल भी उठकर बैठ गई।

कुंजल के हटते ही वीरभद्र वहां से कुछ देर के लिए गायब हो गया और इधर कुंजल, विन्नी और क्रिश हंस रहे थे। थोड़ी देर बाद वो वापस आया। कुंजल उससे मज़ाक करती हुई कहने लगी… "बहुत थके हुए लग रहे है, कहां गए थे।"

वीरभद्र, थोड़ा घबराते हुए कहने लगा…. "वो बाथरूम… मै बाथरूम गया हुआ था।"

कुंजल उसे देखकर जोड़ से हंसती हुई कहने लगी…. "हां इतनी सरी लड़कियां जब इधर-उधर हाथ लगाएगी तब तो बाथरूम जाना लाजमी ही है।"

वीरभद्र अपना मुंह छिपाए हुए इधर-उधर देखने लगा…. "वो दोनों कहां गए, मै उसे ढूंढ़ कर लाता हूं।"

कुंजल उसका हाथ पकड़कर रोकती हुई…. "अरे आप कहां जा रहे है। दोनों प्रेम के पंछी उड़ चले, उसे कहां आप ढूंढ़ने जाएंगे।"..

वीरभद्र:- उनकी तो अभी बैंड बज जानी है… अभी आरव को सब बताता हूं मै।

कुंजल:- वैसे क्रिश जाते जाते बोलता गया है.. "यदि वीरभद्र मेरे किस्स वाली फोटो भेजेगा तो वो भी हमारी किस्स वाली तस्वीर आरव को भेज दूंगा।"

वीरभद्र:- आप लोगों ने मिलकर मेरा ही चुटिया काट दिया। ये अच्छा ना किया आप लोगों ने। ये मेरा पहला काम था और मै अपने पहले काम में असफल हो गया।

कुंजल:- वीरे जी..

वीरभद्र:- जी कहिए …

कुंजल:- ऐसे अपसेट नहीं होते। वैसे भी प्रेमियों को मिलने से जब उसके घर के लोग नहीं रोक पाते तो फिर हम कौन है। आप बिल्कुल भी असफल नहीं हुए है। अब मूड ऑफ नहीं कीजिए और चलिए चलकर थोड़ा माल कमाया जाए। मैं 1000 डॉलर हार चुकी हूं।

वीरभद्र, बेचारा मायूस कुंजल के पीछे चल दिया। उसकी जीत पर फीकी मुस्कान देता और और उसके हार पर फिका सा अफसोस….
de to bada elotic upthet tha :yikes:
juban bhi ladkhada gayi :D
to apyus and amy friends with benifit type hai :approve:
aur becahre vire ki to achchi kaat di , kahi kunjal aur vire ke bich bhi scene na ho jaye :declare:
 

Chutiyadr

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18 June 2014 USA Trip…

शाम का वक्त था। आरव होटल के कैसिनो में बैठकर, वहां पर ड्रिंक के मज़े ले रहा था। वो वहां के बार काउंटर पर बैठकर लोगों के हारने और जितने कि प्रतिक्रिया को देखकर अपना मन बहला रहा था।

कैसिनो के अंदर का वो प्यारा सा संगीत उस माहोल में चार चांद लगा रहा था। तभी सामने से, मनीष मिश्रा, साची के पिताजी, का बड़ा बेटा कबीर जो लगभग 26 साल का था कैसिनो के अंदर आया। उसके साथ उसका चचेरा भाई नीरज, जो राजीव मिश्रा, लावणी के पिताजी, का बड़ा बेटा, लगभग 24 साल का था, वो भी आ रहा था।

दोनों अाकर वहीं बार काउंटर पर आरव के पास बैठ गए। कोई एक दूसरे को जानता नहीं था और सब अपने अपने हिसाब से वहां मज़े कर रहे थे। आरव का फोन बजा… "हे स्वीटी, तुमने व्हाट्स एप से मुझे अनब्लॉक कर दिया क्या?"

लावणी:- वेरी फनी.. क्या चाहते हो मै फिर से ब्लॉक कर दूं।

आरव:- बिल्कुल नहीं बेबी, तुम तो गुस्सा हो गई.. आई लव यू..

लावणी:- लव यू टू। अब जल्दी से बताओ कहां हो। तुम्हे देखने के लिए तरप गई हूं।

आरव:- कहां हो मै आता हूं ना, बताओ…

लावणी:- ना मै आती हूं, तुम बताओ कहां हो?

आरव:- अपने कमरे में, आ जाओ..

लावणी:- नाइस जोक.. लेकिन शाम के 7 बजें तुम्हारा भाई ये बात कहता तो मान भी लेती। लेकिन तुम इस वक़्त अपने रूम में हो मान ही नहीं सकती। जरूर किसी गोरी के पाऊं या उसके क्लीवेज ताड़ रहे होगे।

आरव:- क्या मेरा इतना रेपो गिरा हुआ है…

लावणी:- ओ मेरा बेबी मायूस हो गए.. आती हूं उदासी दूर करने… अब बताओ भी…

आरव:- ओके बाबा कैसिनो में आ जाओ, यहीं बैठा हूं…

लावणी चहकती हुई कैसिनो के अंदर पहुंची और वहां पहुंच कर वो आरव को ढूंढ़ने लगी। और जब आरव मिला तब उसकी आखें बड़ी हो गई। वो जैसे ही आयी वैसे ही वहां से भागने लगी, लेकिन इस बीच आरव उसे देख चुका था और वो दूर से ही उसे हाथ दिखाने लगा..

लावणी क्यों कोई प्रतिक्रिया दे या फिर मुड़ कर ही देखे। वो तो सीधे-सीधे वहां से रवाना हुई। उसके पीछे-पीछे आरव भी गया, लेकिन कैसिनो से बाहर निकलते ही उसने अपना रास्ता बदला और बाहर के ओर चल दिया, क्योंकि रिसेप्शन लॉबी में लावणी, अनुपमा और सुलेखा के साथ बातें कर रही थी।

माहौल को समझते हुए आरव भी वहां से दबे पाऊं बिना किसी के नजर में आए निकलने लगा। वो होटल के बाहर जा ही रहा था कि तभी उस होटल में मानो कोई बहुत बड़ी हस्ती ने अभी-अभी कदम रखा हो। बॉडीगार्ड रास्ता क्लियर करते हुए आरव को किनारे किए और बीच से एक इंडियन फैमिली चली आ रही थी।

उस फैमिली को रिसीव करने खुद मनीष और राजीव भी नीचे पहुंच चुके थे, और पूरी मिश्रा परिवार देखते ही देखते वहां जमा हो चुका था। आरव वहीं किनारे खड़े होकर, दूर चल रहे मिश्रा परिवार का ये भारत मिलाप के सीन को समझने कि कोशिश कर ही रहा था तभी साची की नजर आरव पर पड़ी। साची अपने परिवार को छोड़कर चुपके से जाकर आरव के पास खड़ी हो गई…

"लावणी आज काफी प्यारी दिख रही है ना।"…. "वो तो मेरी जान … वो वो वो.... साची तुम, व्हाट्स अ प्लीजेट सरप्राइज।"..

साची:- अच्छा बच्चू, नाटक हो रहा है.. हां..

आरव:- तुमसे झूट नहीं कहूंगा साची, तुम जो सोच रही हो वही बात हैं।

साची:- कमाल है ना आरव, ये तो कमाल ही हो गया।

आरव:- क्या हुआ साची, क्या कमाल कर दिया मैंने?

साची:- तुमने नहीं बल्कि तुम दोनों भाई ने। दोनों ने कभी मुझसे झूठ बोला ही नहीं। काश बोला होता।

आरव साची का हाथ पकड़कर कहने लगा…. कभी-कभी अच्छे लोग ज्यादा दर्द दे जाते है। और अपस्यु उन्हीं में से एक है। कभी वक़्त मिले तो उसकी कहानी मुझसे सुन लेना क्योंकि वो तो ठीक से अपनी कहानी भी बता नहीं सकता।

साची:- हमारा रिश्ता शायद किस्मत को ही मंजूर नहीं थी, लेकिन फिर भी ये दिल है कि मानता नहीं।

आरव:- साची तुम्हे मायूस देखता हूं तो मेरे दिल में दर्द होने लगता है।

साची:- छोड़ो वो सब, अब बीते वक़्त पर रोने से अच्छा है कि उसे स्वीकार करके आगे बढ़ना चाहिए। मै भी कहां अपनी कहानी लेकर बैठ गई। अभी तो तुम्हारी टांगें तोड़नी है। तो आज सुबह वो तुम थे जिसे देख कर लावणी चहकने लगी.. हां..

आरव:- मै तो यहां से 5 दिनों से हूं, लावणी से मिला भी नहीं अब तक।

साची:- ओय.. साची को उल्लू बनाने चले हो मिस्टर… सोच लो पहरा लगा दूंगी मै फिर। सब सच-सच निकालना चाहिए…

आरव ने फिर शुरू से यूएस आने की कहानी उसे बता दिया…. "ओह हो तो कुंजल भी आयी है, पक्का वो कहीं और घूम रही होगी।"

आरव:- अरे ऐसी कोई बात नहीं है। वो उसके साथ, उसके कुछ और दोस्त थे तो वो उन्हीं के साथ न्यूयॉर्क निकल गई।

साची:- कोई नहीं तुमसे मै कल बात करती हूं, अपना रूम नंबर बताओ..

आरव:- 806

साची:- ठीक है आराम से सुबह मिलती हूं अभी जरा उन सब के बीच जाऊं वरना पूरा खानदान मुझे ढूंढ़ते तुम्हारे पास पहुंच जाएगा। अभी चलती हूं लेकिन कल सुबह मै तुम्हारी खबर लेती हूं।

आरव:- साची सुनो तो.. ये बड़े-बड़े लोग कौन है..

साची:- पता नहीं मुझे भी यार.. सोची थी यूएस घूमने का प्रोग्राम होगा लेकिन पापा ने अपने किसी दोस्त को बुला लिए, फैमिली मीटिंग करने।

आरव:- बाप रे, ये तो कोई बिलियनेयर लगता है वो भी डॉलर में कमाने वाला..

साची:- हीहीहीही.. मुझे भी पता नहीं, सुबह पूरी डीटेल मिल जाएगी। अब जाने दो और ज्यादा मस्ती नहीं हां..

आरव अपने दोनो कान पकड़ कर सिर को झुका दिया और उसे देखकर साची हंसती हुई अपने परिवार के पास पहुंची।

19 June 2014.. Banglore…

रात के 9 बज रहे थे। अपस्यु और ऐमी अपनी तैयारियों पर एक बार पुनः नजर डालते हुए हर बारीकियों पर अपनी नजर बनाए थे, साथ ही साथ हर संभावनाओं पर अपनी चर्चा कर रहे थे।

अपस्यु:- सो, तैयार हो…

ऐमी:- शुरू से तैयार हूं…

ऐमी फिर वही अपना जैकेट पहनी। अपस्यु भी कोट और टाय के साथ बिल्कुल जेंटलमैन कि तरह तैयार हुआ। एक होटल बॉय को बुलवाकर अपना बड़ा बैग उठवाया। वो बैग कार में रखा और दोनों चल दिए।

वहां से तकरीबन 2 किलोमीटर दूर जाकर कार किसी कॉमर्शियल कॉम्प्लेक्स के पार्किंग में रुकी। आज यहां पर संगीत का कोई क्रयक्रम आयोजित था जहां ऐमी भी गाने वाली थी। दोनों ने अपनी एंट्री दर्ज करवाई और उनके परफॉर्मेंस के वक़्त आने तक दोनों को एक कमरा दे दिया गया ठहरने के लिए।

दोनों जैसे ही उस कमरे में पहुंचे, ऐमी लैपटॉप ऑन करती एक धीमा संगीत शुरू की और उसी के साथ-साथ उसने वहां का सर्विलेंस को हैक कर लिया। हैक होने के बाद दोनों ने जल्दी से अपने ऊपर के कपड़े उतारे, जिसके नीचे दोनों ने काले रंग का बुलेट प्रूफ कपड़ा डाल रखा था।

अपने काम का सरा सामान अपस्यु ने एक छोटे से बैग में पैक किया और अपने कंधे में टांग कर खिड़की से बाहर निकला। छज्जे के ऊपर पाइप से और पाइप के सहारे फिर से छज्जा और ऐसे करते हुए वो उस बिल्डिंग के टॉप पर था।

16 माले की बिल्डिंग के सबसे टॉप पर अपस्यु… फिर अपस्यु ने दौड़ लगाई। 38 की रफ्तार से दौड़ते हुए वो बिल्डिंग से छलांग लगाते उसने तकरीबन 8 फिट की लंबी छलांग लगाई और दूसरी बिल्डिंग के 14th फ्लोर के एक छोटे से छज्जे को अपने हाथ से मजबूती के साथ पकड़ा…

ऐमी अपने लैपटॉप से उसे पूरा एसिस्ट कर रही थी। उस बिल्डिंग के 14th फ्लोर से वो फिरसे ऊपर चढ़ना शुरू किया और चढ़ते चढ़ते वो 20th फ्लोर के ऊपर जाकर एक बार फिर टॉप पर था।

अपस्यु ने वापस से दौर लगाया और एक बिल्डिंग के टॉप से कूद कर दूसरी बिल्डिंग के 2-3 फ्लोर नीचे लैंड करता वो आगे बढ़ता जा रहा था। फाइनली वो आरडी के हेड ऑफिस के ठीक पास वाले बिल्डिंग के टॉप पर खड़ा था… "तुम्हारी बारी अब.. कांउटडाउन शुरू करो"… अपस्यु ने ऐमी को अनुदेश दिया। और दोनों ने 3 की गिनती पर 10 मिनट का कांउटडाउन शुरू किया।

ऐमी भी खिड़की से निकली और हॉल के पीछे अंधेर में गुम होती उसने सड़क पर दौड़ लगा दी। 25 की रफ्तार से वो दौड़ती तकरीबन 200 मीटर की दूरी पर जब थी, अपने बैग को हाथ में ली और हर कदम बढ़ती वो स्मोक बॉम्ब गिराती, वहां कोहरा बनाने लगी.. घड़ी की उल्टी गिनती छटवे मिनट पर और अपस्यु उस बिल्डिंग के टॉप से नीचे आना शुरु कर चुका था।

आरडी हेड ऑफिस के बाहर का गार्ड दूर उठते धुएं को देखकर कंफ्यूज हो गया.. लेकिन इस से पहले की वो स्विच ऑन करता अपस्यु पहले ही नीचे पहुंच चुका था। उसने वहां 6 स्मोक बॉम्ब एक साथ चारो ओर गिराते हुए, अपने कमर में टंगा दोनों रोड निकाल कर तेजी से दौड़ते हुए उस गार्ड के पास पहुंचा।

इससे पहले की वो कोई प्रतिक्रिया देता सिर के नीचे एक रोड और वो वहीं धराशाही हो गया। अपस्यु को पता था ऐमी धुएं के अंदर एक कदम नहीं चल सकती इसलिए वो तय समय के हिसाब से 5 सेकंड रुका और तय जगह पर बिना किसी परेशानी के पहुंच कर उसने ऐमी का हाथ थामा और फिर ऐमी अपस्यु के कदम से कदम मिला कर बस दौड़ने लगी।

उल्टी गिनती बिल्कुल 5 मिनट पर थी। ऐमी अपना लैपटॉप ऑन कर चुकी थी और अपस्यु सभी माइक्रो डिवाइस फैला चुका था। दोनों सामने से ग्राउंड फ्लोर के दरवाजे से अंदर घुसे। 4 हथियारबंद ट्रेंड गार्ड के नजरों के सामने कई सारे लोग नजर आने लगे। चोरों की पूरी टोली जो काले लिबास में सिर से पाऊं तक खुद को ढके हुए थे। एक गार्ड ने तुरंत सिक्योरिटी अलर्ट किया, दूसरे ने पूरे ग्राउंड फ्लोर को सील कर दिया .. बचे दो गार्ड तबतक अपनी गन निकाल कर फायरिंग शुरू करने ही वाले थे…

इधर अंदर आते ही ये दोनों भी अपने काम पर लग चुके थे.. ऐमी तेजी के साथ स्मोक बॉम्ब निकाल कर बिखेरने लगी और अपस्यु अपने आंख पर पट्टी बांध रहा था। … जबतक पहली गोली फायर हुई… इधर ग्राउंड फ्लोर स्टील के दीवार के पीछे सील हो रहा था… और सिक्यूरिटी अलर्ट का सिग्नल भेजा जा रहा था… इतने वक़्त में ऐमी 4 स्मोक बॉम्ब डाल चुकी थी और पहली फायरिंग से पहले अपस्यु अपने आखों पर पट्टियां लगाकर, ऐमी का हाथ पकड़कर उसे खींचते हुए विस्थापित (displacement) कर तय जगह पर छोड़ चुका था।

ग्राउंड फ्लोर पूरा कोहरे में था। कहीं कुछ दिख नहीं रहा था, बस जलती हुई लाइट के कारण वो जगह उजले धुएं से घिरा हुआ नजर आ रहा था। ऐमी बिना कोई हरकत के अपनी जगह पर लेटकर माइक्रो डिवाइस को कमांड कर रही थी। और इधर अपस्यु हर आहट पर अपना जवाब देते हुए अपने रोड से वार करता जा रहा था।

चारो कुशल प्रशिक्षित गार्ड खुद को उस धुएं के कोहरे में असहाय महसूस कर रहे थे। गोलियां एक दूसरे को लग ना जाए इस वजह से अपने डंडे और चाकू का प्रयोग कर रहे थे और अपस्यु हवा के ध्वनि में आए बदलाव पर प्रतिक्रिया देते हुए हमला करता जा रहा था।

किसी गार्ड को कुछ दिख तो नहीं रहा था, लेकिन उस लोकेशन के चप्पे चप्पे और हर इंच को अपस्यु अपने दिमाग में डाउनलोड कर चुका था। वो अपने हर कदम एक निश्चित दिशा में रखता और वापस अपने जगह पर अाकर फिर से दूसरी दिशा में आगे बढ़ता। अपस्यु के रोड जब उन गार्ड को पड़ते तो बस वहां चिख ही निकाल रही थी।

उल्टी गिनती का वक़्त नीचे आता 210 सेकंड का और वक़्त बचा। "बस 90 सेकंड है तुम्हारे पास, शुरू करो"… अपस्यु ऐमी के बनाए एक डिवाइस को सिक्योरिटी अलर्ट स्विच के पीछे पीन करते हुए कहा।

ऐमी अपने लैपटॉप पर हाथ चलना शुरू की। सभी सिक्योरिटी को भेदकर ऐमी नीचे का रास्ता खोल चुकी था और उन रास्तों से सभी माइक्रो डिवाइस चींटी की कतार में तेजी से नीचे जाने लगे।

उल्टी गिनती 150 सेकंड पर… माइक्रो डिवाइस नीचे जा चुकी थी। और इधर जबतक अपस्यु अपना कुछ बचाव करता, मोटी पीन जैसी छोटी बुलेट, अपस्यु के बुलेट प्रूफ जैकेट को भेदकर उसके सीने में घुस चुकी थी। लगभग 10 फिट की दूरी से चली थी ये बुलेट जो रफ्तार के साथ बुलेट प्रूफ़ जैकेट को भेदने में सफल हो चुकी थी। एक प्रतिबंधित वैपन जिसका स्कोप बॉडी के थर्मल हीट को डिटेक्ट करता है। 20 फिट मोटी दीवार के पीछे का भी जो डिटेक्ट करने की क्षमता रखता हो। स्पेशल ऑपरेशन में इस्तमल किया जाने वाले गन से शूट किया जा रहा था।

अच्छी बात ये थी कि अपस्यु ने खुद को इतनी तेजी से हटाया, की गोली दिल के सही निशाने पर ना लग कर थोड़ी बाएं जाकर घुसी… अपस्यु बचाव के लिए जबतक बेहोश पड़े गार्ड के पास लेटता, उससे पहले ही उसके शरीर को 2 गोली और भेद चुकी थी। दर्द ने उसके गति को धीमा तो किया लेकिन वो दो गार्ड के बीच लेटकर अपने लिए थोड़ा वक़्त लिया। उल्टी गिनती के अब 90 सेकंड ही बचे थे।
jhannate daar :applause:
kya action likha hai bhai dil hi khush kar diya :claps:
ek ek scene bilkul hi sadha hua tha , padhne me maja aa gaya :vhappy1:
 

Chutiyadr

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Update:-56



रास्ते में ऐमी, अपस्यु से बात करती रही लेकिन अपस्यु हिम्मत अब टूट चुकी थी। वो बेहोश सा होने लगा था, फिर भी वो किसी तरह खुद को खींचते हुए पार्किंग तक पहुंचा। लेकिन ज्यों ही वो कार में बैठा, उसके मुंह से खून की उल्टियां होने लगी और वो बेहोश होकर वहीं सीट पर गिर गया।

आखें बंद हो चुकी थी, श्वांस बिल्कुल मध्यम, ना के बराबर। अपस्यु को इस हाल में देखकर ऐमी की भी श्वास अटकने लगी थी और आखें भिंग चुकी थी। अपस्यु का हाथ पकड़कर ऐमी अपनी आखें मूंद ली, तेज श्वास अंदर खींचती कुछ पल को याद याद करने में बाद अपनी आखें खोली।

अपने आंसू पोंछ कर वो इधर-उधर देखने लगी। पास में ही एक बियर की बॉटल पड़ी थी। ऐमी उस बॉटल को तोड़कर अपस्यु के पेट के मास्क स्किन को चिर दी। घड़ी में समय देखी और ड्राइविंग करती हुई स्वस्तिका को कॉल लगाई…

"कामिनी कहीं की.. तू यदि मुझे मिल गई ना तो देखना मै तुम्हारा क्या हाल करती हूं।"… ड्राइविंग करती वो पूरे गुस्सा उतारती हुई कहने लगी…

स्वस्तिका:- हेय क्यूटी, कितनी बार सॉरी कहूं… बस मै बंगलौर एयरपोर्ट से बाहर निकल ही रही हूं मेरी जान।

ऐमी:- जहां से आयी है वहीं वापस लौट जा। मेरा प्रोग्राम कब का खत्म हो गया और तू क्या मेरे जले पर नमक छिड़कने आयी है। वैसे भी इस अपस्यु ने मेरा जीना हराम कर दिया आज। इतने नशे में था कि बियर की बॉटल पर गिर गया। एक तो मै अकेली हूं ऊपर से इसकी ऐसी हरकतें। मै ही पागल हो जाऊंगी…

स्वस्तिका:- अरे यार, इसका कुछ नहीं हो सकता। तुम उसे एडमिट करवाओ, मै भी वहां पहुंच रही हूं…

ऐमी:- मै अकेली सब कर लूंगी.. तू दिखियो भी नहीं होस्पिटल में।

ऐमी गुस्से में फोन रखी और एयरपोर्ट के रास्ते में पड़ने वाले हॉस्पिटल में पहुंची। आते ही उसने सारी कहानी बता कर अपस्यु को उस हॉस्पिटल में एडमिट करवाई। नजर बस अब प्रवेश द्वार पर ही था, और प्राण हलख में। तभी जैसे सामने प्रवेश द्वार से उसकी हसी वापस आ रही हो। स्वस्तिका एयरपोर्ट से सीधे हॉस्पिटल आयी और भागती हुई ऐमी के पास पहुंची।

जैसी ही वो ऐमी के पास पहुंची, एक तमाचा उसके गाल पर पड़ा और ऐमी उससे झगड़ा करती हुई ऑपरेशन थियेटर कि ओर चल दी। .. ऑपरेशन फ्लोर पर आते ही वो वाशरूम में घुसी और वहां के सर्विलेंस को हैक करती हुई स्वस्तिका को ऑपरेशन थियेटर में जाने का इशारा कर दी।

3 सेकंड का पॉवर ऑफ हुआ और स्वस्तिका ऑपरेशन थियेटर के अंदर थी। खुद के चेहरे को एंटी गैस मास्क से कवर करके, उस ऑपरेशन थियेटर में उसने एक बेहोशी की गैस छोड़ दी.. बस 5 सेकंड में ही अंदर के डॉक्टर और सभी स्टाफ वहां बेहोश परे थे।…

स्वस्तिका दरवाजा नॉक करती हुई ऐमी को अंदर ली और तेजी के साथ अपस्यु के उप्पर बॉडी मास्क को सावधानी से निकली।…. "ऐमी.. प्लस चेक करो.. ऐमी".. स्वस्तिका को उसे जगाने के लिए थोड़ा चिल्लाना परा…

"हां… कुछ नहीं होगा तुम्हे .. अपस्यु"… बावरी सी बनी ऐमी कुछ भी बोल जा रही थी। स्वस्तिका अपस्यु को इंजेक्शन लगाते हुए ऐमी से कहने लगी…. "जब ये 300 फिट के पर्वत से गिर कर नहीं मारा तो क्या ये बुलेट से मरेगा।.. अब या तो तुम मेरी मदद करो या फिर बाहर जाकर रो लो।"…

ऐमी, दोनों हाथों से अपनी आखें पोंछती… "सॉरी बताओ क्या करना है।"…

2 घंटे के ऑपरेशन और 3 घंटे के मेडिकल सपोर्ट के साथ अपस्यु की स्थिति सामान्य थी। सुबह के लगभग 7 बज चुके थे। अंदर बेहोश डॉक्टर को छोड़कर दोनों बाहर आ गई। ऐमी वापस से वाशरूम जाकर सर्विलेंस पर से अपना कमांड हटाई और चेहरा धोकर वापस आ गई। तबतक स्वस्तिका रिसेप्शन पर पहुंच कर हंगामा मचा रही थी।

वहां के सभी स्टाफ को हड़कती वो कहने लगी… "मै भी मेडिकल प्रोफेशनल हूं, आखिर एक मामूली कट के लिए तुमलोग कितने देर तक मेरे दोस्त को ऑपरेशन थियेटर में रखोगे। कहीं तुम लोगों का किडनी निकाल कर बेचने का इरादा तो नहीं।"

इतने में पीछे से ऐमी भी पहुंच गई और आते ही वो भी उन सब पर बरसने लगी। उसने तुरंत 100 नंबर डायल करके पुलिस में शिकायत भी दर्ज करवाई। पुलिस का नाम सुनकर ही हॉस्पिटल प्रबंधन सकते में आ गया। कुछ सीनियर डॉक्टर ऑपरेशन थियेटर में घुसे, और इधर बेहोश हुए डॉक्टर और स्टाफ, उठकर समझने की कोशिश में जुटे थे कि यहां हुआ क्या था।

सीनियर डॉक्टर्स अंदर घुसते ही पेशेंट् की कंडीशन और उसके कट के ऊपर लगे स्टिच को देखकर कहने लगे…. "मामूली 5 स्टिच करने में आप लोगों को 6 घंटे कैसे लग गए? पेशेंट के साथ आए लोग पुलिस कंपलेंट कर चुके हैं।"…

फिर क्यों किसी को ख्याल आए की रात क्या हुआ था। अब तो मेडिकल और हॉस्पिटल लाइसेंस बचाने कि नौबत आ चुकी थी। तुरंत ड्रामा सेट किया गया, कुछ फर्जी मेडिकल रिपोर्ट बनाई गई और हालत को अत्यधिक ही नाजुक दिखाया गया। बियर बॉटल की कांच किडनी में घुसा, कुछ कांच के टुकड़े अंदर टूट गए .. छोटे-छोटे कांच के टुकड़े किडनी के अंदर फसे थे, जिस कारण स्तिथि नाजुक हो गई थी और इन्हीं कांच के टुकड़ों को निकालने में समय लग गया था। पेशेंट अब स्टेबल है लेकिन 4 दिन आईसीयू में रखकर निगरानी देनी होगी। ..

ड्रामा तैयार था.. इधर तबतक ऐमी की शिकायत पर पुलिस भी पहुंच चुकी थी। वहां के सभी डॉक्टर पूरी कहानी के साथ अपस्यु की रिपोर्ट पुलिस को सौंपते हुए अपनी सफाई पेश करने में जुट गए। पेशेंट की हालत जाने बिना शिकायत दर्ज करवाने के लिए पुलिस ने ऐमी को खूब सुनाया। जाने से पहले ऐक्सिडेंट की रिपोर्ट उन्होंने दर्ज की और होश में आते ही उसका सबसे पहले बयान दर्ज किया जाना है ऐसा हॉस्पिटल प्रबंधन को कहते हुए सभी पुलिस वाले वहां से निकल गए।

अब इतना बड़ा ऑपरेशन था तो जाहिर सी बात है माल भी उतना ही लगना था। हॉस्पिटल प्रबंधन ने पुलिस बुलाने कि गलती के लिए ऐमी से ऑपरेशन कि भरी कीमत वसूल लिए। ऐमी खुशी-खुशी अपना कार्ड स्वैप करवाकर वहां से स्वस्तिका के साथ कैफेटेरिया चली आयी।

स्वस्तिका:- अब सब ठीक है, इतने ख्यालों में डूबी रहोगी तो काम कैसे चलेगा।

ऐमी:- नहीं मै अपस्यु के बारे में नहीं बल्कि हमारी पहली मुलाकात को याद कर रही थी।

स्वस्तिका:- अतीत दर्द है उसे छोड़ दो, वर्तमान में जियो और खूब मस्ती करो। चलो अब स्माइल करो..

ऐमी, मुस्कुराती हुई… शुक्रिया स्वस्तिका, तुम नहीं होती तो पता नहीं क्या होता।

स्वस्तिका:- मै नहीं होती तो कोई और होता। अब फिर से वहीं इमोशनल बातें। अच्छा वो छोरो और ये बताओ कि तुम्हारे ये फिगर इतना सेक्सी क्यों होता जा रहा है। कहां तुम्हे समतल मै बुलाया करती थी और आज तो 34 के दिख रहे है।

ऐमी:- मेहनती करती हूं फिगर पर ऐसे ही थोड़े ना बनता है ऐसे फिगर।

स्वस्तिका, आंख मारती हुई कहने लगी….. किसकी मेहनत तुम्हारी या किसी और कि..

दोनों हसने लगे.. फिर गर्ल्स चिट-चाट शुरू हो चुकी थी… एक बार जो बातें शुरू हुई, फिर होती ही चली गई। बातों के दौरान ही स्वस्तिका को कोकीन लाने की कहानी भी पता चली और दोनों ने तय किया कि कल रात उस डिस्को में जाना कुछ ज्यादा ही जरूरी है।

इधर जब तक ऐमी और स्वस्तिका कैफेटेरिया में अपनी चिट-चैट में व्यस्त थी कल रात वाला वो पुलिस दोबारा आया था। इस बार वर्दी में था… सिटी एसपी.. वो आते ही अपस्यु का पूरी केस फाइल देखा फिर वहां के सर्विलेंस को पूरा चेक करने के बाद आईसीयू में जाकर अपस्यु के जख्म देखे और वापस आ गया।

वापस आते ही उसने आरडी के मालिक वेंकट रेड्डी को कॉल लगाया…. "सर कल रात से पूरा नजर बनाए हुए था, पर ये दोनों कोई आम से लड़का लड़की लग रहे है। इनकी फोन कॉल कल से चेक कर रहा हूं। जितने लोगों से इनकी बात हुई है सब दिल्ली में ही है। हां इनका एक कॉमन फ्रेंड वो कल रात इनसे मिलने पहुंची थी।"

रेड्डी:- तुम्हारा मन क्या कहता है.. क्या ये लोग इन्वॉल्व हो सकते हैं?

एसपी:- देखिए सर, दोनों जब से बंगलौर आए हैं बस दोनों साथ में घूम ही रहे थे। मैंने हर जगह के सर्विलेंस को देखा है। दोनों शायद गर्लफ्रेंड बॉयफ्रेंड है। पहले दिन ये लोग बंगलौर घूमे। मूवी देखे और वापस अपने होटल। दूसरे दिन भी ये लोग डिस्को में थे.. तीसरे दिन संगीत में हिस्सा लिया था लड़की ने.. और क्या गीत गायी वो.. कोई बनावटी नहीं बल्कि ओरिजनल कला थी वो। अब यदि इनपर फोकस करते रहेंगे, तो हम उन प्रोफेशनल तक कभी नहीं पहुंच पाएंगे।

रेड्डी:- मै तो इनकी प्रोफ़ाइल देखकर शुरू से कह रहा था ये दोनों नहीं हो सकते तुम्हे ही शक था।

एसपी:- उस दिन के कार चेस को देखकर कुछ शक सा हुआ था। ऊपर से इन दोनों के होटल भी ऐसे लोकेशन पर है जहां से सब कुछ कवर किया जा सकता है।

रेड्डी:- अरे केवल चेस यहीं थोड़े कर रहे थे, वो 8 लोकल लड़के और भी तो थे। वैसे उस लड़की ने ऐसी आग लगाई थी वहां डिस्को में कि कोई भी पीछे पर जाए। अब इस उम्र में अपनी गर्लफ्रेंड के साथ, गाड़ी में स्पीड अपने आप आ ही जाती है। तुम उन बच्चों को छोड़ो और असली चोर को ढूंढो। आखरी वो कौन सा चोरों का ग्रुप है जो मेरे वाल्ट तक घुसने कि हिम्मत कर सकता है।


USA Trip… 18 June 2014…


मिश्रा फैमिली अपने फैमिली फ्रेंड्स के साथ पुनर्मिलन कर रही थी। सभी लोग मेल मिलाप करते हुए बैंक्वेट हॉल में आए जो पहले से इनके लिए आरक्षित रखा गया था। यूएस के रुलिंग पार्टी के सेनेटर और मशहूर उद्योगपति प्रकाश जिंदल अपने परिवार के साथ अपने पुराने मित्र से मिलने के लिए पहुंचे हुए थे।

लेकिन इनके मिलने की विशेष वजह ये भी थी कि जिंदल के छोटे सुपुत्र ध्रुव जिंदल की मुलाकात साची से करवाई जाए। ये दोनों कुछ दिन साथ रहकर एक दूसरे को जान सके और पसंद कर सके, ताकि इनके रिश्ते की बात आगे बढ़ाई जा सके।

इसी नेक ख्याल के साथ दोनों परिवार आपस में मिल रहे थे। इधर साची भीड़-भाड़ से अलग बैठकर लावणी के साथ बातों में लगी हुई थी…. "हेल्लो, आई एम् ध्रुव जिंदल, सन ऑफ मिस्टर प्रकाश जिंदल।"..

साढ़े 6 फिट का, इंडो-यूएस हाइब्रिड, एक दिलकश नौजवान साची के ओर अपना हाथ बढ़ाते हुए अपना परिचय दिया… साची भी उससे हाथ मिलती हुई कहने लगी…. "हाई, आई एम् साची।"

ध्रुव:- आप…. बहुत.... खूबसूरत... लग रही हो।

साची, उसकी बात सुनकर हंसती हुई… "जी शुक्रिया।"

ध्रुव थोड़ा कंफ्यूज होते हुए पूछने लगा…. "क्या… हुआ, ….. आप ऐसे… हंस… क्यों… रही हो।"

इस बार लावणी और साची दोनों हसने लगी…. "सॉरी, वो आप की हिंदी इतनी प्यारी है कि हमे हंसी आ गई।"… साची अपनी हंसी रोकती हुई कहने लगी…

ध्रुव:- वो.. अभी.. मै थोड़ा थोड़ा…. ही सीख.. पाया… हूं… इसलिए.. मै.. तोड़ तोड़.. कर… बोल रहा… हूं। मेरे… कुछ… मित्र… भी… मेरी.. हिंदी.. पर.. ऐसे.. ही.. प्रति…क्रिया ….. देते है।

उसकी बातें सुनकर तो साची और लावणी अपनी हंसी रोक ही नहीं पा रही थी और ध्रुव साची की खिली हंसी में खोया जा रहा था।… "जब… आप.. हंसती है… तो… बाहर… आ.. जाती है…

साची:- व्हाट्… आप ने अभी अभी बाहर कहा…

ध्रुव:- no, sleep of tongue.. it's blossom..

साची:- ओह ! इसे बाहर नहीं बहार कहते है…

ध्रुव:- ब हा र… बहार…

साची:- राईट…

लावणी वहां से उठकर जाने लगी, तभी उसे बिठाते हुए साची पूछने लगी… "तू किधर चली।"..

लावणी:- देख नहीं रही क्या दीदी… बड़ी मां मुझे बुला रही है।

साची:- ठीक है जा…

लावणी, साची को छोड़कर भीड़ का हिस्सा बनने चल दी और इधर साची ध्रुव की हर बात पर हंसती हुई उसके साथ बातें करने लगी। लावणी जब सबके बीच पहुंची तो उसे ऐसा लगा, जैसे वो किसी कन्फ्यूजन के शिकार हुए किसी फिल्मी परिवार से मिल रही है।

साची और ध्रुव को ऐसे हंसकर बातें करते हुए देख सभी लोगों के ख्यालों में ऐसा गलतफहमी का बीज उगा की दोनों की कुंडलियां बदलते हुए कहने लगे… "लगता है दोनों ने एक दूसरे को पसंद करना शुरू कर दिया है… हम भी कुंडलियां मिला ही लेते है।"…
doctoro ko bhi chutiya bana diya :D
aur doctaro me bakiyo ko :lol1:
aab sanchi ki sadhi fix hogi aur aayega dard ... apyus ke liye aur sanchi ke liye bhi ..
kya apyus sanchi dudh pi payega :yikes: matlab sanchi ka doodh pi payega .. dekhte hai break ke bad :lol1:
 

Akki ❸❸❸

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Update-1

मैं पहली बार उसे देख रहा था। दिल में कुछ मीठा एहसास और मन में कतुहल सी थी। मेरा दिल बेईमान, नजरें उसपर से हटने का नाम ही नहीं ले रही थी और मै बस उसे ही घुरे जा रहा था। शायद उसने ने भी मुझे पकड़ लिया लेकिन वो सामान्य रूप से ही अपना काम करती रही और काम ख़त्म होने के बाद चली गई।

उसके जाने के बाद भी, पता नहीं मैं कितनी देर तक उसे देखने की आश लगाए उस बालकनी में खड़ा रहा। फिर पीछे से आवाज़ आई, "चलो अपस्यु देर हो गई तो कैंटीन बंद हो जाएगी"

उस आवाज़ ने जैसे मेरा ध्यान भंग कर दिया हो, वहां से मै लौट तो आया किंतु मेरा हृदय वहीं रह गया। अब तो जैसे वो बालकनी ही मेरा पूरा संसार था। उसके देखने कि आश लिए मैं बालकनी में ही उसका इंतजार करता रहता। कभी एक क्षण तो कभी चंद मिनट कि वो झलकियां दिखा कर चली जाती।

मेरे बदले व्यव्हार को मेरा कमरा साझा करने वाला मेरा जुड़वा भाई आरव भी गौर कर रहा था किंतु वो भी अब तक इस मामले में मुझ से खुल कर बात नहीं कर रहा था। शायद उसे भी ज्ञात था कि इस उम्र का तकाजा ही यही है।

लगभग महीना समाप्त होने को आया था और मै आज भी बालकनी से चिपका उसी के दीदार में लगातार वहीं इंतजार करता रहता। अंत में एक दिन आरव ने ही अपनी चुप्पी तोड़ी…

"अपस्यु माजरा क्या है? घंटो यहीं बैठे रहते हो"

मैं (अपस्यु)- आरव, लगता है मेरा उस से कुछ पुराना नाता है। केवल उसी को देखने का मन करता है।

आरव:- "उसी को" मतलब किस को?

मै :- नाम तो नहीं मालूम लेकिन हां सामने के बंगलो की कोई लड़की है।

आरव:- ओह हो ! तो ऐसी बात है, अब आगे क्या?

मैं:- आगे क्या?

आरव:- वहीं तो मैं तुम से जानना चाह रहा हूं…. अब आगे क्या?

मै:- वहीं तो मैं तुम से पूछ रहा हूं कि मुझे कुछ पाता नहीं, अब आगे क्या करू?

आरव:- मैं तो केवल इतना ही कहूंगा कि आगे जो भी करना वो अपने पिछली ज़िन्दगी को याद रख कर ही करना। मैं मना तो नहीं कर रहा तुम्हे दिल लगाने के लिए लेकिन ये याद रखना भी जरूरी है कि हम इस शहर में अपनी मर्जी से आए नहीं अपितु लाए गए है।

आरव की बात सुनकर मैं खामोश हो गया और बालकनी से वापस अा कर अपने बिस्तर पर बैठ गया। आरव की बात सुनने के बाद एक पल में ही जैसे अब तक की सारी कहानी आंखों के सामने घूमती नजर आने लगी। मैं खामोश बैठा कई बातों का आकलन एक साथ करने लगा और मुझे इस तरह खामोश और उदास पा कर पहले आरव ने चिल्लाना शुरू किया और आगे मैंने भी पूरे जोश से उसका साथ दिया…

"हम मतवालों की टोली हैं, ना रुके है कभी, ना झुके हैं कभी और ना टूटे है कभी। मस्ती में आज फिर निकलेंगे मस्ताने दो, दीवाने दो।"

और कई अरसे बाद हमारी वहीं ज़हरीली हसी चारो ओर गूंज रही थी। लगभग रात के 11 बज रहे थे, हम दोनों भाई पूरे जोश के साथ रात्रि भ्रमण को निकाल पड़े। "डेविल ब्रदर्स" की फटफती यानी कि बुलेट अपने शानदार आवाज़ के साथ सड़क पर उतर चुकी थी।

फिर तो पुराना माहौल बन सा गया था.. दोनों भाई ने 2-2 पेग लगाया और काफी मस्ती के बाद अपने आशियाने कि ओर लौटने लगे। घर के नुक्कड़ पर हमारी फतफटी रुकी और जमाने बाद हमने अपना अपना पान लगवाया।

पान खाते हुए मैंने आरव को फ्लैट जाने के लिए बोल दिया और खुद पैदल ही वहां से लौटने लगा। अब इसे किस्मत कहूं या इत्तेफ़ाक, लेकिन कभी- कभी कुछ ऐसी घटना हो जाती है जो उम्मीद से परे होता है।

घर लौटने के क्रम में मुझे वो सामने से आती हुई दिखी। शायद वो खाना खाने के बाद टहलने निकली थी, उसके साथ कोई और भी थी किंतु उसपर ध्यान देना मैंने जरूरी नहीं समझा और उसी को एकटक निहारता रहा।

दिल का आलम तो पूछिए मत अंदर जो हो रहा था वो बयान नहीं किया जा सकता था। अजीब सी बेचैनी और दिल जोरों से धड़क रहा था। वो जैसे जैसे आगे बढ़ रही थी मेरी धड़कने वैसे वैसे तेज हो रही थी। मेरे कदम जो अपने फ्लैट के ओर तेजी से बढ़ रहे थे वो मानो वहीं जम गए थे।

वो अपनी चाल से आगे बढ़ती मेरे करीब, और करीब पहुंच रही थी। उफ्फ…… ! जब वो मेरे करीब से गुजरी…… मैं बिल्कुल सुन पड़ गया.. अजीब मनोदशा जो आज से पहले मैंने कभी अनुभव ना किया हो। जैसे मैं किसी भंवर में हूं और उसमे फंसता चला जा रहा हूं….
Bdiya update bhai ji

Apki lekhni ki ek khas baat h ki ap kisi bhi topic ko vistaar se likhte ho ?
 

Akki ❸❸❸

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Update:-2

कॉलेज से लौट कर जैसे ही साची घर के अंदर पहुंची, अपना बस्ता हॉल में लगे डायनिंग टेबल के ऊपर रख कर सीधी अपने मा के गोद में अपना सर रख कर वो फूट- फुट कर रोने लगी। अनुपमा मिश्रा (साची की मां) को कुछ भी समझ में नहीं आया कि ये हो क्या रहा है और इधर साची लगातार रोए ही जा रही थी।

किसी तरह अनुपमा ने उसे शांत करा कर उस से रोने का कारण पूछा। तब साची सिसकती हुई किसी तरह बोली कि वो परीक्षा में उत्तीर्ण नहीं हो पाई है। एक ही वक़्त पर अनुपमा मिश्रा को दूसरा झटका लगा था क्योंकि साची फेल होने वाली छात्रा तो कभी नहीं रही।

अब अनुपमा को समझते देर न लगी कि उसकी बेटी को शायद उसके फेल होने का गहरा सदमा लगा है और इसलिए वो इतनी व्याकुलता से रो रही है। अनुपमा ने उसे सांत्वना दिया और हौसले से काम लेने के लिए कहने लगीं लेकिन साची थी कि उसे रह रह कर रोना अा रहा था।

सांझ तक पापा मनीष मिश्रा भी लौट आए जो कि एक जिलाधिकारी थे। यूं तो साची अपने पिता के सम्मुख नहीं गई किंतु उसके बारे में अनुपमा ने सारी बात बता दी। मनीष की तो जान बसती थी अपनी पुत्री में इसलिए वो सारे काम छोड़ कर सीधा अपने बेटी के कमरे में गया, पीछे-पीछे अनुपमा भी पहुंची..

मनीष, साची के सिर पर अपना हाथ फेरते उस से पूछने लगा… "क्या हुआ मेरे शेर को, वो आज ऐसे लोमड़ी क्यों बन गई"

अनुपमा:- अरे ! ये कैसी मिसाल है?

मनीष मुस्कुराते हुए कहा… "कुछ नहीं बस माहौल हल्का कर रहा था, वैसे तुम बता रही थी कि साची तुम से लिपट कर खूब रोई, लगता है पापा के लिए आंसू ही नहीं बचे इसलिए तो ये रो नहीं रही"..

अनुपमा, मनीष की बातों से चिढ़ती हुई कहने लगी… "ये कैसी बातें कर रहे हैं आप। यहां बेटी परेशान है और आप है कि बेतुकी बात कर रहे हैं। मुझे यहां चिंता खाए जा रही है….

मनीष:- तुम बेकार में चिंता कर के दिल कि मरीज मत हो जाना क्योंकि शायद ये बॉटल साची अपने बैग में ही भूल गई थी इसलिए अभी नहीं रोई…

अब तक साची जो अपना सिर झुकाए नीचे परी थी वो अपना सिर उठा कर पापा के हाथ में परी ग्लिसरीन की सिसी को देखने लग जाती है…. जैसे ही उसने ये देखा, जल्दी से उठ खड़ी हुई और अपने स्कूटी की चाभी लेे कर बाहर भागी… और जाते जाते कहने लगी "पापा मुझ से इतनी जल्दी पीछा छुड़ाना आप के लिए मुश्किल होगा"…

इस से पहले की अनुपमा कुछ कह पाती या समझ पाती साची फुर्र हो चुकी थी और मनीष अपनी जगह पर बैठ कर हंस रहा था। अनुपमा इस बार गुस्से से मनीष की ओर देखती है…. मनीष को लगा कि अब ज्यादा देर यदि बात को राज रखा गया तो कहीं अनुपमा ना कोई ड्रामा शुरू कर दे इसलिए वो राज से पर्दा उठाते हुए कहने लगा… "तुम ऐसे हैरान मत हो, साची जन बुझ कर फेल हुई है"

अनुपमा:- जान बूझ कर ! लेकिन क्यों?

मनीष:- शायद उसमे हमारी बात सुन ली थी कि ग्रेजुएशन बाद उसके लिए लड़का भी ढूंढना है।

अनुपमा अपने सिर पर हाथ मरती:- क्या करूं मैं इस लड़की का? पढ़ लिख कर कहो कुछ बन जा तो कहती है मै अपनी मा की तरह गृहणी बनूंगी मुझे प्रतियोगिता परीक्षा के नाम पर सिर दर्द नहीं पालना और जब शादी की बात सोच रहे हैं तो ऐसी हरकते। मनीष ये आप के कारण ही इतनी बिगड़ गई है।

इतना कह कर अनुपमा खामोश हो गई और मनीष की ओर देखने लगी। मनीष भी अनुपमा की आंखों में देखने लगा। दोनों एक दूसरे की आंखों में कुछ देर तक देखते रहे और फिर दोनों हसने लगे। थोड़े खिंचा तानी के बाद माहौल थोड़ा रोमांटिक हो चला था और दोनों सुकून से एकांत का आनंद लेने लगे।

इधर साची सांझ को जो निकली तो सीधा रात को घर पहुंची। जैसे ही हॉल में वो पहुंची मनीष और अनुपमा भी वहीं बैठे थे। हालांकि इसमें कुछ भी आश्चर्य नहीं था, साची को पूर्वानुमान था कि उसके माता पिता हॉल में बैठे होंगे और उस पर तगड़े तानों की बौछार करने वाले हैं। फिर भी इस मेलो ड्रामा से बचने के लिए साची चुप-चाप अपने कमरे के ओर खिसकने लगी लेकिन तभी अनुपमा जोर से कहती है… "सोच रही है मेलो ड्रामा से कैसे बचुं… हां … भाग रही है, चल इधर अा"

"पता नहीं कौन देवता पूजती है मेरी मां, मेरी हर बात का ज्ञान इन्हे कैसे हो जाता है"… इतना सोचती हुई वो अपने मां से कहती है… "बिल्कुल नहीं मेरी प्यारी मां, कहिए ना क्या बात है?"

अनुपमा गंभीर होती हुई कहने लगी… "इतना मस्का लगाने की जरूरत नहीं है, आज का तेरा नाटक देख कर हमने तेरी शादी तय कर दी है।"

साची बड़ी अदा से इठलाती हुई कहने लगी….. "देदो, मेरे उनकी तस्वीर देदो…. आज रात उसे मैं अपने सिरहने तले रख कर उन्ही के सपने देखूंगी"

अनुपमा, साची को धीमे से धक्का देती हुई कहने लगी… "हट नौटंकी… कभी कभी मैं सोच में पड़ जाती हूं कि तुझ में किस के गुण अा गए?"

साची:- वो तय करना मेरा काम नहीं वो आप दोनों मिल कर तय करो। फिलहाल मेरी सजा बताओ।

मनीष:- साची बेटा मस्ती बहुत हो गई लेकिन ये जान बूझ कर फेल होना, मुझे बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगा। कोई समस्या है तो हम बैठ कर बात कर सकते थे लेकिन ये सब….

साची जो अब तक अपनी मां के गले पड़ी थी अब अपने पापा के गले लगती हुई कहने लगी…. "आई एम सो सॉरी पापा, मुझे लगा यदि मैंने जल्दी-जल्दी ग्रेजुएशन भी कर लिया तो कहीं आप लोग मेरी शादी ना करवा दो.. इसलिए ऐसा किया"

मनीष:- तुम ने हम से कहा कि तुम्हे प्रतियोगिता परीक्षाओं में कोई रुचि नहीं। हमने कभी कोई जोर जबरदस्ती की इस मामले में.. कभी नहीं। फिर तुम ने कहा कि तुम्हे साहित्य में रुचि है और तुम साहित्य से अपना ग्रेजुएशन करना चाहती हो.. हमने ये भी मान लिया… लेकिन आज जो हुआ उस से मेरा दिल टूटा है क्योंकि तुम्हारा लक्ष्य तो केवल शिक्षा पाना था, ना कि शिक्षा के माध्यम से किसी के अंदर नौकर बन कर उसकी नौकरी करना.. फिर तुम्हारा जान बूझ कर फेल होना बिल्कुल अनुचित है और शिक्षा के साथ बेईमानी भी…

साची जो मज़ाक-मज़ाक में कर चुकी थी, उसका अभी उसे दिल से अफसोस हो रहा था। अपने पापा के सामने खड़ी हो कर उसने अपने दोनो कान पकड़ लिए और शांत खड़ी हो गई… इस बार सच में उसके आंखों में आंसू थे जो उसकी आंखों से बह रहे थे।

अनुपमा "हाय मेरी बच्ची" कहती उसे खुद में समेट ली और उसके आंसू पोंछती हुई कहने लगी…. "तू जानती है तुझ में सब से बेस्ट क्या है"

साची:- क्या?

अनुपमा:- दुनिया में बहुत कम ऐसे बच्चे होते हैं जो अपने माता पिता से झुटे मुंह ही माफी मांग ले.. दिल से माफी मग्नी तो दूर की बात है… इसलिए तू मेरा बेस्ट बच्चा है।

मनीष:- हा हा हा… ये बात बिल्कुल सही कही अनुपमा… यहां तक कि मुझे याद नहीं कि तुमने अपने गलती के लिए मुझे से कभी माफी मांगी हो?

अनुपमा:- साची बेटा जरा किचेन से मेरी बेलन तो लेे अा…

और फिर तीनों हसने लगे। साची अपने मां के गोद में ही सिर डाले वहीं बात करते- करते सो गई… सुबह जब उसकी आंख खुली तो उसने देखा उसके मम्मी पापा दोनों सोफे पर ही लेटे हैं… साची उन दोनों का चेहरा देख कर थोड़ा मुस्कुराई और फिर धीमे से सॉरी कह कर एक सेल्फी लेे ली।

कुछ दिनों बाद पता चला कि मनीष को 5 साल के लिए फौरन एंबेसी में काम करने का मौका मिला है। हालांकि वहां परिवार लेे जाने का प्रावधान तो था किंतु मनीष के छोटे भाई राजीव के जिद के किसी की नहीं चली… हालांकि पहले भी कभी किसी की नहीं चली। तो ये तय हुआ कि मनीष जाएगा विदेश और साची और अनुपमा जाएंगी राजीव के पास, जो कि दिल्ली के लोकसभा सचिवालय में एक उच्च अधिकारी थे और एक शानदार सरकारी बंगलो में पिछले 12 सालों से दिल्ली में रह रहे थे….
Flashback ?

Bdiya update bhai ji
Sachi jan bujh ke fail ho gyi :mad2: aur yaha sasur student promote ki baat kar rahe hai ?

परी ग्लिसरीन की सिसी को देखने लग जाती है….
Ye kaisi sisi hoti hai bhai :hmm:
 
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