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Erotica वरदान

आप किस की पत्नी के साथ सैतानासुर का संभोग अगले अपडेट में देखना चाहते है?

  • किसी सामान्य मानव की।

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    7
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Kamuk219

Member
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64
Part 2

UPDATE 3
अगली सुबह तरुण की नींद खुल गई, सुबह के सात बजे थे। तरुण ने उठकर देखा तो तेजल उसके बगल में नहीं थी। वह उठकर शौचालय चला गया, हल्का होकर बाहर निकला और हाथ धोकर और ब्रश करके रसोई में गया वहां तेजल पहले से ही तैयार होकर खाना बना रही थी। वह उस दिन कुछ अलग लग रही थी। उसने एक बेकलेस स्लिव लेस डीप थ्रोट का नीला ब्लाउज पहन रखा था, उसपर उसने नीले रंग का लेहेंगा नाभि से नीचे और एक नीले रंग की पतली पारदर्शी साड़ी पहन रखी थी। इसमें उसकी कमर के घुमाव बडे ही आकर्षक लग रहे थे।
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तरुण ने पीछे से जाकर उसे कमर में हाथ डालकर उसे पकड़ लिया, तेजल शर्माकर लाल हो गई और बोली,"छोड़ो ना! ये क्या कर रहे हो?"
तरुण, "कल रात को जो हुआ उसके मुकाबले तो यह कुछ भी नहीं है।"
तेजल फिर से तरुण के लिंग तथा उसके अंदर जानेवाले एहसास की कल्पना करने लगी तरुण ने उसके नितम्ब पर एक फटकार चलाकर उसे होश में लाया। वह अब सिर्फ तरुण को मुस्कराकर देख रही थी। तब तरुण की जे ई ई की मेन्स परीक्षा थी। थोड़ी देर बाद तरुण को लेने राज और कोमल आ गये। कोमल गाड़ी चला रही थी, क्योंकि तरुण और राज के पास ड्राइविंग लाइसेंस नहीं था तरुण अपने साथ ज्वालामुखी को भी ले आया था ताकि वह चारों एक साथ जा सके महाविद्यालय एक होने के कारण सभी का नंबर एक ही केन्द्र पर आया था। वह किसकी कितनी पढाई हुई है इसपर बातें कर रहे थे तब,
कोमल ने कहा," तुम्हारी कितनी पढाई हुई है? मेरी सारी हो चुकी है।"
राज,"कुछ खास नहीं, सो सो "
ज्वालामुखी,"मेरी इतनी हुई है की 40% तक मिल सकते है।"
तरुण," मेरी सारी हो चुकी है।"
कोमल," ऐसा क्या ?"
तरुण ," हाँ ।"
कोमल,"कुछ भी मत फेंक?"
तरुण ,"फेंक नहीं रहा हुं, सच में हुई है।"
कोमल," तो फिर लगी शर्त, अगर मुझे ज्यादा मिले तो तुम दस दिनों के लिये मेरे गुलाम।"
तरुण ,"अगर, मुझे ज्यादा मिले तो?"
कोमल,"तो दस दिनों के लिये, मैं तुम्हारी गुलाम,जो तुम कहोगे मै करूंगी, कुछ भी!"
तरुण ,"डन!"
कोमल,"डन!"
वह जल्दी ही वहां पहुंच गये। इस बार परीक्षा अॉनलाईन थी, जिस वजह से पेपर खत्म होते ही रिजल्ट आ गया सब आकर अपना अपना रिजल्ट दिखाने लगे।
राज,"मुझे 80/360 मिले है।"
ज्वालामुखी ," मुझे 83/360 मिले है।"
कोमल,"मुझे 120/360 मिले है, तुम्हें कितने मिले तरुण?"
तरुण,"खुद देख लो।"
तरुण के गुण देखकर सबके होश उड़ गये, उसे सीधे 360/360 मिले थे। तरुण ने कहा,"अपनी शर्त तो याद है ना कोमल तुम्हें?"
तरुण से यह सुनकर कोमल डर गई और कांपती हुई बोली ,"क्या करना होगा अब?"
तरुण,"घर जाते जाते बता दूंगा।"
वह सब अब गाड़ी में बैठ गये, ज्वालामुखी और राज पीछे बैठ गये, तरुण कोमल के साथ आगे बैठ गया, कोमल ने गाड़ी शुरू की, और थोड़ी देर बाद सब तरुण के घर पहुंच गये और तरुण के और ज्वालामुखी के घर पहुंच गये। ज्वालामुखी अपने घर चली गई और चंद्रमुखी ने तरुण को कहा की तेजल कुछ दस ग्यारह दिनों के लिये गांव चली गई है ,और अगर वह चाहे तो रात को उनके घर सो सकता है। इतना कहकर चंद्रमुखी ज्वालामुखी को साथ लेकर चली गई।
तभी राज ने कहा, "चलो कोमल, अब हम भी घर चले।"
तरुण ने कोमल का हाथ पकड़ लिया, और कहा,"तुम जाओ राज, कोमल मेरे साथ रहेगी अगले दस दिनों तक मेरी गुलाम बनकर।"
राज हंसते हुये बोला," क्यों मजाक कर रहा है यार? आने दे उसे।"
तरुण ने कोमल को जोर से अपने नजदीक खींचकर अपना हाथ उसकी कमर में कसकर कहा,"मजाक नहीं कर रहा हूं, इसने शर्त लगाई थी और हार गई।"
तब राज सोचकर बोला,"देख तरुण, मेरे पास लायसन्स नहीं है, कोमल को मेरे साथ आना ही होगा।"
तरुण बोला,"चलो फिर मै भी आता हूं मगर तेरे घर जाने के बाद इसे मेरे साथ मेरे घर आना होगा।"
तब तीनों गाड़ी में बैठकर राज के घर चले गये, राज के घर पहुंचने के बाद सब गाड़ी से उतर गये। राज का घर एक बंगलौ था उसमें एक रसोईघर, पांच कमरे, एक बैठक, और एक गेस्ट रूम था।
वो तीनों दरवाजे पर गये और घंटी बजाई थोड़ी देर बाद राज की माँ सरिता शर्मा ने दरवाजा खोला,
सरिता शर्मा राज शर्मा की माँ थी।
उसका कध पांच फुट चार इंच का था।
उसका सीना ३६
कमर ३०
और नितम्ब ३६
पेट उम्र की वजह से थोड़ा आगे था मगर उसका गोरा रंग उसके रुप को संगमरमर की मूर्ति की तरह दर्शाता था
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सरिता ने सबको अंदर बुलाया, और बैठने को कहा। सब बैठ गये और सरिता टीवी चालू करके रसोई में चली गई। तब कोमल राज से कहने लगी," राज कुछ करो इसका!"
राज," तुम चिंता मत करो, मै कुछ करता हुं।"
तभी सरिता राज को अंदर से आवाज लगाती है,"बेटा राज, जरा यहां आना।"
तभी राज उठकर रसोई में चला जाता है। और अब तरुण और कोमल बैठक में अकेले थे। अब तरुण धीरे से कोमल की और खिसक कर उसके करीब आता है। और कोमल उससे दूर खिसकती है, इससे वह सोफे के हाथ के पास आ जाती है। अब वह ज्यादा दूर नहीं सरक सकती थी। इससे तरुण का काम आसान हो गया अब वह सरक कर कोमल के करीब आकर उससे सटकर बैठ जाता है। अब कोमल चैनल बदलती है, मगर तब कोई सी ग्रेड भोजपुरी फिल्म लगी हुई थी। टीवी पर एक काम उत्तेजित दृश्य शुरू होता है, वहां उसमें नायक नायिका के कपड़े उतार रहा होता है। कोमल को फिल्मों में बहुत ज्यादा रस था, और अक्सर ऐसे दृश्य उसे ज्यादा उत्तेजित करते थे, उसकी कामवासना उसके चेहरे पर साफ झलक रही थी। तरुण को पता चल गया क्या करना है, वह अपना हाथ उसके पीछे सोफे पर रखता है।और धीरे से कोमल के सूट की पिछली चैन खोल देता है, और वह उसकी पीठ पर हाथ घुमाकर उसे सहलाता है। वह अब थोड़ी थोड़ी उत्तेजित होने लगती है। और तरुण की और देखती है। तरुण उसे वही जकड़ कर उसे चूमने लगता है। और वह उसका विरोध करती है मगर वह उसकी पकड़ के सामने कुछ भी नहीं था। अब उसका विरोध कम हो जाता है और तब तरुण उसके ब्रा का हुक खोल कर, उसके सूट नीचे कर उसके स्तन चूसने लगता है, अब वह उत्तेजित होने लगती है और विरोध छोड़ उसका साथ देने लगती है। तभी राज अंदर से तरुण को आवाज लगाता है, और तब दोनों रुक जाते है। और अपनी काम क्रीड़ा से बाहर आकर अपने कपड़े ठीक करते है।तरुण कोमल के सूट की झिप बंद कर, ब्रा उसके पर्स में छुपा देता है। और तरुण राज के पास चला जाता है। वहां राज तरुण को नल ठीक करने में सरिता की मदद करने कहता है, और कोमल के पास चला जाता है। वहां कोमल राज को लेकर अपने घर चली जाती है। और यहाँ तरुण एक झटके में ही तरुण बंद नल खोल देता है, जिस वजह से पानी की एक तेज धारा निकलकर सरिता पर उड़ती है और उसके सारे कपड़े भीग जाते है। सरिता अपना बदन सुखाने और अपने कपड़े बदलने अपने कमरे में चली जाती है। यहां पानी का दबाव कम हो जाता है क्योंकि मेन नल बंद था और यह सारा पानी पाईप में से ही आया था, तरुण ने जल्दी से नल बदल दिया और सरिता को बुलाने उसके कमरे की और चला गया वहाँ उसके कमरे का दरवाजा खुला हुआ था। तरुण सीधे अंदर चला गया वहाँ सरिता अपने कपड़े बदल रही थी, उसने अपनी साड़ी उतार के रखी थी और उसके ब्लाउज का पीछे वाला नाडा भी खुला हुआ था।

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सरिता को ऐसे देख तरुण का लिंग फिर से खडा हो गया और उसका अंदर ही तम्बू बन गया।तरुण ने अब सरिता को पीछे से पकड़ लिया, और उसे किस गर्दन पर करने लगा। फिर वह सरिता की कमर से हाथ उसके ब्लाउज के अंदर ले जाता है। उसने अंदर ब्रा नहीं पहनी थी,इसलिए उसका हाथ सीधे उसके खुले स्तनों को स्पर्श करता है। वह थोड़ी गुस्से में तरुण से कहती है," तरुण छोड़! छोड़ ना!"
तभी उसका बड़ा लिंग और बड़ा होकर खड़ा हो जाता है तरुण ने अंदर ढीला कच्छा और उसके उपर एक पायजामा पहना होता है। जिस वजह से उसका लिंग आसानी से ज्यादा उपर आ जाता है,और सरिता की जंघा को पीछे से छूने लगता है। सरिता अब उसे अपनी जंघा पर महसूस करने लगी है, और तरुण का हाथ पकड़ कर उसे दबाने लगती है। सरिता यहा तरुण के लिंग के आकार का जायजा लगती है, तरुण का लिंग उसे काफी बड़ा लगता है। अब बडे लिंग का स्पर्श और तरुण के उसके स्तनाग्र पर मसलने की वजह से अब सरिता के मन में भी लड्डू फूटने लगे थे। अब वह उसका साथ तो नहीं दे रही थी मगर उसका विरोध भी नहीं कर रही थी। असलियत में उसे भी कई दिनों से संभोग की इच्छा थी मगर उसके पति गिरधारी सिरीया में नौकरी करते थे, और साल में एक बार घर आते थे। और इस बार युद्ध जन्य परिस्थितियों के कारण वह तीन साल से, वही फस गये थे। जिस वजह से उसके मन में कामवासना की ज्वाला दबी हुई थी, आज उसका विस्फोट हो रहा था।
अब तरुण तेजी से अपना लिंग सरिता के नितम्ब पर घुमा रहा था, और स्तन पर मालिश भी तेज कर दी थी। सरिता कहने सिसकते हुये लगी,"तरुण अच्छा लग रहा है, करते रहो! करते रहो!"
तरुण ने अपने हाथ, जो ब्लाउज के अंदर थे तरुण ने उपर कर लिये जिस वजह से सरिता का ब्लाउज अब उतर गया। अब वह उपर से बिल्कुल नग्न थी, तरुण ने अब उसे अपनी और मोड़कर उसकी आंखों में देखा, उसके आंखों में थोड़ी सी शरारत थोड़ी सी शर्म थी, जिसके कारण उसकी आंखें नीचे जा रही थी। आंखें नीचे जाने की वजह से सरिता की नजर तरुण की पैंट पर पड़ी, वहां उसके लिंग ने बडा सा तम्बू बनाया हुआ था। पैंट पर पडे उभार को देखकर सरिता की आंखों खुली की खुली रह गई, वह लगातार तरुण के लिंग के उभार को देखती रही। उसके जो हाथ उसके स्तनों पर रखे हुये थे, वह अपने आप हटने लगे थे। सरिता अब तरुण के नजदीक आयी और वह थोड़ा सा नीचे झुककर अपने दोनों हाथों से तरुण के लिंग की लंबाई और और मोटाई का जायजा उसकी पैंट के उपर से ही लेने लगी। तरुण ने मौके का फायदा उठाकर सरिता के लेहंगे का नाडा खोल दिया, जिस वजह से सरिता का लेहंगा नीचे उतर गया और उसने अपने हाथ फिर से तरुण की पैंट से हटाकर अपनी योनी पर रखकर योनी ढक ली, और फिर एक बार शर्माकर आँखें बंद कर ली। तरुण ने अपने हाथों पर तेल लगाकर सरिता के स्तनों पर मालिश करने लगा। सरिता भी धीरे धीरे पीछे हटने लगी और तरुण उसकी तरफ और आगे बढ़ने लगा, आखिर में वह पलंग पर पीठ के बल लेट गई और तरुण उसके उपर आ गया, और अपने पैरों के बीच सरिता के पैर लेकर अच्छे से तेल लगाकर उसके स्तनों की मालिश कर रहा था, और अब तो उसने मालिश का जोर बढ़ा दिया था। जिससे सरिता अब संभोग के लिये बेताब थी उसने अपनी पैंटी को खुद नीचे कर दिया और अपनी टांगे फैलाने लगी, तरुण ने इशारा समझकर उसकी पैंटी उतार दी और अपनी पैंट और नीकर उतारकर सरिता के पैर खोल दिये, जिससे उसके सामने अब सरिता की योनी और गुद्द्वार आ गया। उसने अब अपने लिंग पर तेल लगाकर सरिता की योनी में डाल दिया सरिता चीखकर बोली,"कमीने! इतना बड़ा और इतना तेज डाल दिया राज के पापा का तो आधा भी नहीं है।"
तरुण बोला," मजा आया की नहीं?"
सरिता ,"पूरी चूत फट गई और..."
सरिता कुछ आगे बोलती इसके पहले तरुण ने सरिता के मुंह में अपना मुंह डालकर उसकी जबान पे अपनी जबान घुमाने लगा। और उसने स्तन की मालिश जारी रखी, और धक्के लगाने शुरू कर दिये। अब सरिता को भी मजा आने लगा था, वह भी पूरी तरह तरुण का साथ दे रही थी। तरुण ने सरिता को अपने उपर ले लिया, सरिता अब जोश में आकार उछल उछलकर कर तरुण का लिंग अंदर बाहर ले रही थी, तरुण भी उसे नीचे से धक्के दिये जा रहा था। तरुण ने उसके स्तनाग्रों को मसला, और सरिता और उपर चली गई जिसकी वजह से नीचे आते वक्त लिंग और गहराई में चला गया और गर्भाशय के अंत तक चला गया,उसने राज के पिता गिरधारी का भी इतना अंदर नहीं लिया था, वह जोरों से चीखकर बोली,"हाय! मर गई! तरुण धीरे करो! बहुत मोटा है तुम्हारा...आ! आ!ई! ई!!!"
तरुण बोला,"आंटी, अभी तो आधा भी नहीं गया, अभी तो आपको मेरा पूरे दस इंच अंदर लेना है।"
सरिता घबराकर बोली,"नहीं!! इतना और अब तो आधा इंच भी ना जाये!!"
सरिता का इतना कहते ही पानी छूट गया और वह वही लेट गई, और मुस्कराकर तरुण से कहा," वाह! आज तो जैसे मजा ही आ गया।"
तरुण ने उनकी कमर पर हाथ रखकर कहा,"ऐसा है तो, और एक राउंड ले?"
सरिता बोली," नहीं बाबा नहीं! एक में ही हालत खराब हो गई,अब और नहीं।"
तरुण बोला,"वैसे अंकल के साथ कितनी देर करती है आप?"
सरिता बोली,"जवानी में एक दो घंटे आराम से चलता था,मगर अब वह आधा घंटा भी कर दे तो बहुत है।"
तरुण अपना हाथ उसकी पीठ पर घुमाकर, सरिता के नितम्ब पर ले जाकर दबाने लगता है।
सरिता कहती है,"वह भी साल में एक बार आते है, और अब पंद्रह मिनट में उनका निकल जाता है,और अगर बाहर कुछ किया, तो समाज थुंकेगा।"
तरुण पूछता है,"राज के साथ नहीं किया कभी?"
सरिता चौंककर बोली,"राज! मगर कैसे? वह तो बेटा है मेरा।"
तरुण सरिता के नितम्ब को सहलाकर बोला,"वैसे, मै भी आपके बेटे की उम्र का हुं, मेरे साथ किया तो उसके साथ करने में क्या हर्ज है?"
सरिता बोली,"कैसे पूछु उसे? क्या वह मानेगा?"
तरुण बोला,"जितनी जरुरत आपको है,उतनी उसे भी है। कोमल के साथ वह ट्राय कर रहा है, मगर उसने उसे जरा भी नहीं दिया।"
कोमल का नाम सुनते ही सरिता के होश उड़ गये,वह बोली,"कोण कोमल, जो सुबह आयी थी वह?"
तरुण,"हाँ वही, क्यों क्या हुआ?"
सरिता बोली,"अरे! यह वही लड़की है जिसने मेरे बड़े बेटे सतीश की जिंदगी बरबाद कर दी थी, उसपर झूठा इजांम लगाकर।"
तरुण उन्हें बोला,"राज तो अब उसके साथ अकेला है, हमें उसे अभी बुलाना चाहिए।"
ऐसा कहते हुये तरुण ने राज को फोन लगाया, राज तब कोमल के घर पहुंच चुका था, कोमल गाड़ी से उतरी, और तरुण को अंदर आने के लिये कहकर घर के अंदर चली गई। राज गाड़ी से उतरा ही था की उसे तरुण का फोन आ गया उसने तरुण से पूछा,"क्या बे? क्यों फोन किया?"
तरुण बोला,"तुझे कुछ दिखाना है, व्हीडीऔ कॉल अॉन कर।"
जैसे राज ने व्हीडीओ कॉल चला कर देखा उसके तो होश उड़ गये,उसकी अपनी माँ उसके दोस्त के साथ संभोग कर रही है, वह बोला,"रुक तुझे तो छोडूंगा नहीं।"
इतना कहकर वह गाड़ी लेकर अपने घर आ गया वह इतनी तेजी से आया की, वह पौना घंटे में वहां पहुंच गया। और गुस्से में वह घर के अंदर चला गया, और सरिता के बेड रूम का दरवाजा खटखटाने लगा और चिल्लाने लगा,"मम्मी दरवाजा खोलिये, वह नहीं बचेगा मेरे हाथ से।", जैसे ही सरिता ने दरवाजा खोला राज कमरे के अंदर आ गया। उसने खिड़की, बालकनी, सब छान मारा, मगर तरुण उसे नहीं मिला, तभी उसे घर के बाहर से गाड़ी शूरू होने की आवाज आई, उसने बाहर जाकर देखा तो, तरुण उसकी गाड़ी ले कर भाग गया राज ने भी थोड़ी देर उसका पीछा किया मगर वह उसे पकड़ नहीं पाया, सरिता भी उसके पीछे भागी।असल में तरुण ने संभोग करने के बाद गाड़ी की दूसरी चाबी लेकर नीचे छिपकर, राज की प्रतीक्षा कर रहा था। जैसे राज अंदर गया, तरुण उसकी गाड़ी लेकर भाग गया।

यहाँ राज और उसके पीछे सरिता बाहर आ गयी । वो दोनों घर की तरफ जाने लगे तभी बरसात शूरू हो गई। दोनों घर की तरफ भागने लगे तभी, और घर दूर होने की वजह से और आसपास खुला मैदान होने की वजह से सरिता और राज पूरी तरह से भीग गयें। सरिता ने सिर्फ एक गाउंड पहना हुआ था, जो की सिर्फ उसकी जाँघ तक आता था, उसमें बाहे नहीं थी, गला इतना गहरा था की स्तनों के बीच की गहराई आराम से दिखाई दे रही थी, पीछे से इतना की पीठ से कमर तक का हिस्सा दिखाई दे रहा था।
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अपनी माँ को पहले अपने दोस्त के साथ पूरी तरह से नग्न, और अब इतने काम उत्तेजक कपड़ों में वो भी भीगी हुई देखकर राज के मन में खयाल आया की ,"इधर ही शुरू हो जाऊँ!"
वह सरिता को ताड रहा था, तभी उसका लिंग उसके पैंट में ही तम्बू बना लिया था। जब दोनों भागते हुये घर तक पहुंचे, तब सरिता की नजर राज की पैंट पर आये उस उभार पर पड़ी, जिसे देख वह हंसने लगी और जैसे ही राज ने वह जाना, उसने शर्माकर अपनी नजर घुमाकर दरवाजे का ताला खोल लिया। और वह दोनों अंदर चले गये। सरिता अपने कमरे में चली गई, और राज अपने कमरे में चला गया दोनों कपड़े बदलने लगे। सरिता ने कपड़े उतारकर अपने धड़ पर टॉवेल लपेटकर अपने बालों पर भी एक टॉवेल लपेट लिया।

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उसके बाद उसने तरुण को फोन लगाया और पूछा,"तरुण, वह तो अभी से इतना एक्साइटेड है, लगातार मुझे घुरे जा रहा था, और उसका खडा भी हो गया।"
तरुण ने गाड़ी सड़क के किनारे लगाकर फोन को स्टैंड पे रखकर बात की:-
तरुण ने कहां,"यह तो होना ही था, क्योंकि उस कोमल ने उसे बहुत सारा व्हायग्रा जुस में मिलाकर, पिलाया है।"
सरिता ने कहा,"तभी! बार बार मुझे इतनी हवस भरी नजरों से मुझे देख रहा था मुझे, अब क्या करूं में?"
सरिता ने घबराकर कहा,"अब उसे कैसे कंट्रोल करूंगी में उसे!"
तरुण ने कहा,"राज को शायद पूरी बोतल दि गई है, अगर आप उसका साथ नहीं दे सकती तो उसका विरोध भी मत करना, नहीं तो वह ज्यादा ॲग्रेसीव्ह हो जायेगा।"
तब सरिता ने पूछा,"मेरे पास तो कंडोम ही नहीं है, अगर वह मुझमें झड़ गया और में प्रेग्नंट हो गई तो?"
तरुण ने कहा आप,"आप ड्रावर चेक कीजिए जरा।", इतना कहकर तरुण ने अपना कमाल दिखाया, दिव्य आईने में हाथ डालकर एक मेडिकल से निरोध का डिब्बा निकाला और आयने को सरिता के कमरे का ड्रावर दिखाने को कहा, जैसे ही आयने में तरुण को वह दिखा उसने दो चार निरोध उसके अंदर डाल दिये। आयने की शक्ति ने उन्हें सही जगा प्रकट कर दिया, वह सरिता को ड्रावर में मिल गई।
सरिता ने देखकर कहा,"यह यहां कहां से आये?"
तरुण ने कहा,"मैने रखे थे।"
सरिता ने कहा,"मगर, यह तो लेडीज कंडोम है?"
तरुण ने कहा," शायद राज के आपके सामने आने पर तो आपको वक्त ही ना मिले, वह आते ही शुरु हो जाये।"
तब सरिता ने वह निरोध अपनी योनी में पहन लिया।
तभी सरिता को दरवाजा खटखटाने की आवाज आती है। वह फोन काटकर दरवाजा खोलती है, तो देखकर चौंक जाती है। राज उसके सामने सिर्फ एक टॉवेल में खडा था, और वह खुद भी टॉवेल में थी, सरिता के स्तन आधे टॉवेल के बाहर थे, उसके स्तनों की गहराई साफ दिखाई दे रही थी। सरिता को ऐसे देख राज का लिंग खड़ा हो गया और रूमाल में तम्बू बनाने लगा। सरिता ने राज के टॉवेल में बने उस तम्बू को देखा और वह चौंक गई। सरिता कुछ समझ पाती, इससे पहले राज ने उसका
टॉवेल खींचकर उसे पूरी तरह से नग्न कर दिया। सरिता ने अपने स्तनों पर हाथ रखकर उन्हें ढकने की कोशिश की, मगर वह सिर्फ स्तनाग्रों को ढक पा रही थी, उसके तरबूज जैसे स्तनों की गोलाई दिखाई दे रही थी। राज ने उसे धक्का देकर बेड पर लेटा दिया और उसके पैर खोलकर अपना लिंग उसकी योनी में डाल दिया, और तेजी से आगे पीछे धक्का लगाने लगा, सरिता ना विरोध कर रही थी ना ही उसका साथ दे रही थी। वह सिर्फ जो राज कर रहा था उसे करने दे रही थी। राज ने अपने धक्के तेज कर दिये, वह धक्कों की रफ्तार बढ़ाता ही जा रहा था। उसके उन तेज धक्कों की वजह से, सरिता के पुरे बदन में अच्छी तरह से कंपन उत्पन्न हो रहे थे। उन कंपनों के साथ सरिता के स्तन भी झटके खा रहे थे वह बड़े ही मादक अंदाज में उपर नीचे हो रहे थे। अपने शरीर में आ रहे झटके संभालने के लिए सरिता ने अपने हाथ हटाकर जैसे ही सरिता ने बेड की चादर पकड़ी, राज ने सरिता के दायें स्तनाग्र को अपने मुंह के अंदर ले लिया, और बायें स्तन को कभी दबा रहा था, और उसके स्तनाग्र को अपनी उंगलियों से मसला, जिसकी वजह से सरिता की चीख निकल गई," हाय! मर गई मे!"
उसके चीखने की वजह से राज और ज्यादा उत्तेजित होकर उसके स्तनाग्रों को और जोर से मसलने लगा जिस वजह से सरिता झड़ गई। मगर राज का अभी बाकी था इसलिए उसने सरिता को घोडी बनने के लिये कहा। वह घोडी बन गई और राज उसे पीछे से धक्के लगाने लगा। राज ने सरिता की जंघाये पकड़ ली, और उसे आगे पीछे करके धक्के लगाने लगा, उसने फिर से धक्के तेज कर दिये अब उसके लटकते स्तन बड़ी ही तेजी से और कामुकता से मटक रहे थे। ऐसे एक घंटे चलता रहा जिससे सरिता फिर से झड़ गई। राज की नजर अब सरिता के मोटे, भरे हुये नितम्ब पर पड़ी, और उनमें छिपे गुद्द्वार पर पड़ी जिससे वह ज्यादा ही उत्तेजित हो गया। और उसने अपना लिंग सरिता की योनी से निकाला और सरिता के गुद्द्वार पर रखा और एक तेज धक्का दे दिया, जिससे उसका ६ इंच का लिंग आधा सरिता की योनी में चला गया। लिंग अंदर जाने से सरिता को बहुत दर्द हुआ और वह चीख पड़ी,"राज!!! ये कहा डाल दिया!!!! बाहर निकाल जल्दी!!!"
राज ने उसका लिंग थोड़ा बाहर निकालकर एक जोरदार धक्का दिया जिससे उसका पूरा लिंग सरिता के अंदर चला गया। वह चीख उठी," आ!!! आ!!! आ!!!"
जैसे जैसे राज रफ्तार बढ़ा रहा था, सरिता की चीख बढ़ती जा रही थी, और बढ़ती चीख के साथ राज का जोश भी बढ़ता जा रहा था। अब सरिता का गुद्द्वार ढीला हो रहा था। अब उसे दर्द होने के साथ साथ मजा भी आ रहा था, वह मजे से चिल्ला रही थी,"राज!!! आ!!!!!! और !!! और!!! जोर !!! से!! आह!!!!"
राज अब अपनी चरम सीमा पर पहुंच चुका था, वह पूरे जोश के साथ धक्के लगा रहा था, और अचानक वह चीख पड़ा और वही झड़ गया, सरिता चार बार झड़ चुकी थी। राज थक कर वही सरिता की पीठ पर ही लेट गया और वही सो गया, सरिता ने राज का लिंग बाहर निकाला उसके सर को अपने स्तनों के बीच रखा, और उसे बाहों में भरकर सो गई।

Part 4
 
Last edited:

Naik

Well-Known Member
20,229
75,349
258
Part 1

UPDATE 2

अगले दिन सुबह चार बजे जब तरुण की नींद खुली वह बाथरूम में चला गया और सुबह के काम निपटा कर दर्पण की मदद से उसने सारी वनस्पति प्रकट की।और फिर उसके हाथ जो हीरे जीतने मजबूत थे,उसने उससे सारी वनस्पति को मसला और उसके सार को उसने एक कटोरी में डालकर उसे ढका, और अपने हाथों से अग्नि निकालकर तपाने लगा, थोड़ी देर और ताप देने के बाद उसने जब ढक्कन हटाया। तो उसमें उसे दवाई तैयार मिली। उसने वह दवाई एक शीशी में डाल दी, वह दवाई असल में निम्न द्रव यानी किसी जेली की तरह थी। इसीलिए डालते वक्त उसे अपने हाथ खराब करने पडे। तभी उसे हलचल सुनाई दी। वह पहले ही नहा कर तैयार हो चुका था। वह सारे कपड़े बाथरूम में ही पहन लेता था। जब उसने चंद्रमुखी की आवाज सूनी, तो उसने शीशी जेब में डाल ली और जल्दबाजी में एक साफ पैंटी से अपना हाथ साफ कर लिया और जाकर दरवाजा खोला। वहां चंद्रमुखी टॉवेल लेकर खड़ी थी, वह उससे बोली ,"तुम्हारा हो गया तो, में नहा लूं?"
तरुण,"हाँ, हो गया।"
फिर थोडी देर बाद चंद्रमुखी भी नहा कर निकली। वह सिर्फ टॉवेल मे थीं। इसीलिये उसकी मांसल जाँघे बहुत आकर्षक लग रही थी, जैसे की किसी कुशल कारीगर ने बडी ही, बारीकी से तराशा हो। तरुण उसे देखता ही रह गया। फिर वर्दी पहनकर वह थाने चली गई । थाने जाकर उसने उन लड़कों की अच्छे से खातिरदारी की । यहां तरुण ने कोमल को फोन करके बुला लिया, ताकि वह उसे सच बता सके।और वह ज्वालामुखी के साथ पढाई करने लगा। थोड़ी देर बाद कोमल और राज वहाँ आ गये।
तब राज नाराज लग रहा था, जैसे वह कोई बहुत बड़ी जंग हारकर आया हो। तरुण ने पूछा ,"क्या हुआ राज? ऐसे हारे हुये क्यों लग रहे हो?" तब कोमल ने तरुण के पास आकर कान में कहा,"खड़ा करने में आधा घंटा चला गया, मगर दस मिनट में पानी छुट गया!" तरुण ने कोमल के नितम्ब पर हाथ रखा और कहा,"मेरा अभी भी सक्त है, अभी डालकर देखे?" कोमल शर्माकर वहां से चलीं गई। और टेबल पर जाकर बैठ गई। फिर तरुण ने ज्वालामुखी को कहा की वह छत पर बैडमिंटन खेलने के लिये जाली लगाये। वह छत पर जाकर तैयारी करने लगी। तब राज ने तरुण से पूछा,"तुम हमें क्या सच बताने वाले थे?" तब तरुण ने उन्हें बताया की किस मजबूरी में चंद्रमुखी ने सतीश को गिरफ्तार किया था। तब उन्होंने कहा,"हाँ, माना की हमने जो किया वह गलत था, मगर तुमने भी तो उससे न्युड डांस करवाया?"
तरुण ,"हाँ, मैंने उससे न्युड डांस करवाया मगर, उससे सिर्फ उसकी पॉवर और ईगो खत्म होता। मगर तुम दोनों ने पिल्स और ड्रग दे कर उसमें हवस भर दी, जिस वजह से उसे पुरी क्लास के लड़कों से चूदना पड़ा,जिससे उसका कँरेक्टर एक रंडी का हो गया, और अब हर लड़का उसे ऐसी ही नजर से देखेगा। वह असल में एक सेंसीटीव्ह लड़की है, ऐसी लड़कियाँ आमतौर पर सेक्स से दूर होती है। मगर उनके साथ एक बार भी किसी भी तरह सेक्स किया जाये, तो उसकी आदी हो जाती है। अब यह तो साठ से चूद चुकी है। अगर कोई भी लड़का उसे अँप्रोच करेगा तो भी वह तैयार हो जायेगी। अब वह एक फ्री का खिलौना बन गई है।
तब उन्हें उपर से ज्वालामुखी आवाज देती है। वह तीनों उपर जाते है। और खेल शुरू होता है। थोड़ी देर खेलने के बाद वह नीचे आ जाते है। कोमल और और राज वापस चले जाते है। फिर तरुण और ज्वालामुखी दोनों खाना खाकर पढ़ने बैठ जाते है। ज्वालामुखी पूछती है,"जब सारी क्लास मेरी चुदाई का मजा ले रही थी, तुम कहा थे?"
राज ने कहा,"दरवाजा अंदर से बंद था, और वैसे भी मै आता तो किसी को मौका नहीं मिलता।"
ज्वालामुखी,"कुछ भी!! इतना स्टेमिना किसी का नहीं होता।"
तरुण,"तो आजमा रही है।"
ज्वालामुखी,"अब चोदेगा मुझे?"
तरुण,"तेरी बस का नहीं है, तेरी माँ को भेज।"
ज्वालामुखी ने सीधे उसके लिंग पर लात मारी। मगर,तरुण को कुछ नहीं हुआ, उलटा ज्वालामुखी की टांग पर चोट लग गई। उसे ऐसा अहसास हुआ जैसे उसने गलती से लोहे के मोटे से डंडे पर लात मार दी थी। असल में यह उसके वरदान का भाग था उसका शरीर उरु, हीरा और व्हायब्रेनियम से भी अनंत गुना सक्त और मजबूत हो गया था। अब ज्वालामुखी को डर लग रहा था।
ज्वालामुखी,"तुम मेरी माँ के साथ इतना फ्लर्ट क्यों कर रहे थे, क्या तुम इंटरेस्टेड हो?"
तरुण,"अरे ऐसा कुछ नहीं है।असल में जब लड़की जवान होती है तब, कभी लड़कों का घुंरना, उनपर कमेंट करना, बातों बातों में तरिफ करना या लाईन मारना यह सब उन्हें उन्हें उनकी खूबसूरती का एहसास दिलाता रहता है,लेकिन इससे वह उक् जाती है।मगर, एक उम्र के बाद जब उनकी जवानी कम होने लगती है, तब यह सब भी कम होते होते खत्म हो जाता है, और जो उन्हें उस उम्र में इरीटेशन लगता है, वह इस उम्र में ज्यादा मिस करती है।इसीलिए कहते है कि, जवानी से ज्यादा पार्टनर की जरुरत अधेड़ और बुढ़ापे में होती है।"
फिर रात को चंद्रमुखी चौटाला आ जाती है। तरुण और ज्वालामुखी ने खाना पहले ही खा लिया था। और तरुण ने चंद्रमुखी के लिये खाना लगाया और वह भी उसके साथ बैठ कर बातें करने लगा। ज्वालामुखी एक नाइट पैंट और टी-शर्ट पहन लेती है। और खाना खाने बैठती है।
चंद्रमुखी,"कल तेजल सुबह की गाड़ी से आ जायेगी।"
तरुण,"मै जाकर ले आऊँगा, वैसे आप रात को सिर्फ यही कपड़े पहनती है, या आपने कभी नाइटी ट्राई नहीं की?"
चंद्रमुखी,"हाँ, जब जोश जिंदा था तब पहना करती, फर्स्ट नाइट पर दी थी। मै हर रोज रात को पहना करती थी।"
तरुण,"तो आज ट्राई करके देखें।"
चंद्रमुखी,"क्या कैसा लगेगा इस उम्र में?"
तरुण,"अच्छा लगेगा, करके तो देखिए।"
चंद्रमुखी,"कुछ भी!"
तरुण,"लगी शर्त? अगर आप अच्छी लगी तो मैं जो कहूंगा आपको करना पडेगा।"
चंद्रमुखी,"अगर मै जीती, तो मेरे सारे कपड़े तू धोयेगा।और यह बात हम ज्वालामुखी से कन्फर्म करेंगे, डन?"
तरुण,"डन।"
फिर चंद्रमुखी अंदर गई और एक नीले रंग की पतली नाइटी पहनकर बाहर आ गई।
और अपनी बेटी से पूछा,"ज्वालामुखी, मै कैसी लग रही हूं?"
ज्वालामुखी,"ओ! मम्मी! आप तो बिल्कुल सनी लिओनी और मीया खलीफा जैसी लग रही है।"
चंद्रमुखी,"सही सही बता!"
ज्वालामुखी," सच्ची मम्मी, आपकी कसम।"
वैसे तो जो ज्वालामुखी ने जो कहा वह बिल्कुल सच था। वह सचमुच कमाल लग रही थी। ४३ की उम्र होने के बावजूद वह ३० की लगती थी। उसने रोज कसरत करके खुद को फिट रखा था। उसके उरोज ३८ के थें, कमर २८ की और नितम्ब ३७ की। वह आम तौर पर वर्दी, या टी-शर्ट और नाइट - पैंट में होती थी, मगर यह नाइटी उसके सही नाप में थी, कमर में सही था मगर अब उम्र के साथ उसके उरोज भर गये थे, जिसकी वजह से वह उस नाइटी से बाहर आने को आतुर थे, जिस वजह से उनकी गहराई साफ दिखाई दे रही थी। वह हाल नितम्ब का भी था। अब तरुण रुम में चला गया, और उसके पीछे चंद्रमुखी भी आ गई। तब तरुण ने कहा ,"अपना वादा याद है ना?"
चंद्रमुखी,"हाँ! जल्दी बताओ, क्या है? मेरी हालत खराब हो रही है इस टाइट नाइटी की वजह से।"
तरुण,"हाँ उतार दीजिए, वैसे भी चुदवाते वक्त उतारनी ही पडेगी।"
चंद्रमुखी,"क्या? तुम ऐसा सोच भी कैसे सकते हो?"
तरुण,"वैसे शर्त के मुताबिक आपको जो मै कहूंगा, वही करना पडेगा, और आप जैसी मिल्फ सामने होने पर कोई भी यही चाहेगा।"
इतना कहकर तरुण ने चंद्रमुखी की कमर में हाथ डाले और जोर से जकड़ लिया।
चंद्रमुखी ने हंसते हुये कहा,"समझ नहीं आ रहा है की तुम्हें मुझे छेड़ने के लिये पिट दू, या तुम्हारी हिम्मत के लिये तुम्हें इनाम दू।"
तरुण ने पकड़ और ते की और कहा," एक गेम खेलते है, इसमें आपको मेरी झप्पी से निकल कर दिखाना होगा, अगर आप निकल गई तो केंसल, और हार गई तो आपकी चूत के साथ आपकी गांड भी मेरी होगी, और जबतक आप नहीं छुंटती मै आपको किस करता रहूँगा।"
इतना कहकर उसने चंद्रमुखी के गाल पर किस, और दूसरा किस उसके थोड़ा नीचे, और उसके नीचे एक किस, चंद्रमुखी छूटने की कोशिश कर रही थी। जैसे जैसे वक्त बितता जा रहा था। तरुण का लिंग सक्त हो रहा था। अब तरुण उसे छह किस कर चुका था और वह उतरते उतरते चंद्रमुखी के गले तक आ गया,उसने अब गले से थोड़ा उपर किस किया। और अब वह उसके गले की चढ़ाई करने लगा, वह उसके विरोध में अपना गर्दन पीछे झुका रही थी। मगर तरुण का काम आसान हो गया, उससे चंद्रमुखी के निचले जबड़े का बाहरी हिस्सा उसके सामने था। वह उसे चूमते चूमते उसकी ठुडी तक पहुंच गया और उपर उसके होठों पर एक लंबा किस किया जिस वजह से उसके होंठ खुल गये, उसने अपनी जुबान उसके मुंह में डाल दी। अब वो दोनों एक दुसरे की जीभ से खेल रहे थे। अब चंद्रमुखी का विरोध भी कम हो गया था, अब वह पूरी तरह से अपना आत्मसमर्पण तरुण के सामने कर चुकी थी। उसका बदन अजीब तरह से पसीने से भीग गया था, तब तरुण ने उसकी नाईटी उतार दी और उसे धक्का दे कर बेड पर गिरा दिया। मगर, उसके सामने जो था उसे देख वह चौंक गया, असल में यह वही पैंटी थी जिससे उसने सुबह हाथ साफ किये थे। हुआ यह था की उसके हाथ से वह दवा पैंटी पर चली गई और वह पैंटी चंद्रमुखी ने पहन ली। और दिन भर उसे शारीरिक श्रम हुये जिससे पैदा हुई गरमी की वजह से वह दवाई भाप बन धीरे धीरे उसकी योनी में चली गई। और इसकी वजह से उसकी योनी गीली हो चुकी थी।
अब तरुण ने उसकी दोनों टांगे खोल दी और एक झटके से उसकी पैंटी उतार फेंकी। और अपना लिंग उसकी योनी पर रखा और हाथों में उसके स्तन पकड़े और उसे एक जोरदार धक्का दिया और इससे तरुण का लिंग उसकी योनी में तीन इंच तक घुस गया। असलियत में चंद्रमुखी कुंवारी नहीं थी, मगर अठारह साल से उसका पति जेल में होने की वजह से उसकी योनी तंग थी। अब वह चिल्लाने ही वाली थी की, तभी तरुण ने उसके मुंह पर मुंह रख उसे किस करने लगा और उसकी चीख वही दब गई, अब उसकी योनी ने यौवन रस की धारा बहा दी। अब तरुण को पता चल गया था की, उसे खुशी हो रही है और विरोध उसकी खुशी दिखाने का तरीका है। अब तरुण ने एक और धक्का दिया और उसका आधा लिंग चंद्रमुखी की योनी में चला गया वह, उसके गर्भाशय के अंतिम छोर तक पहुंच गया था। अब चंद्रमुखी के अंदर जैसे विद्युत धारा दौड़ने लगी थी, वह अब झटके खाने लगी और अपनी योनी आगे-पीछे कर तरुण का साथ देने लगी। उसके स्तनाग्र तंग हो चुके थे, तरुण उसकी गर्म सांसे महसूस कर सकता था तरुण ने उसे अपने उपर ले लिया।और उसके स्तन पकड़कर उसे अपने लिंग पर उपर नीचे किये जा रहा था।अब वह भी उसका साथ देने लगी थी, और एक बार उसकी योनी ने धारा छोड़ दी। वह उसके उपर ही गिर गयी। मगर तरुण अब तक शांत नहीं हुआ था। उसने चंद्रमुखी को बाजू में कर दिया,और पेट पर लेटा दिया। तरुण ने तेल लाया और अपने लिंग पर लगाया और चंद्रमुखी के गुदें(anus,गांड) में भी डाला, और अपना लिंग उसके गुदे पर रखा,उसके स्तनों को हाथ में पकड़कर एक धक्का दिया, जिस वजह से उसका लिंग चंद्रमुखी की योनी को चीरते हुये अंदर चला गया। वैसे तो उसका गुद्द्वार बहुत तंग था मगर तरुण ने जोश जोश में बहुत जोर लगा दिया, जिसके लिये चंद्रमुखी अभी तैयार नहीं थी। उसकी चीख निकलने ही वाली थी चंद्रमुखी ने,अपने मुंह में तकिया दबा लिया, जिससे उसकी चीख वही दब गई। अब तरुण अपना लिंग आगे पीछे कर रहा था, ऐसा उसने लगातार दो घंटे किया, इसमें चंद्रमुखी बीस बार रस्खलित हो चुकी थी, पर तरुण का अब तक नहीं निकला था। चंद्रमुखी थक कर गहरी नींद में चली गई और तरुण भी सो गया।
अगली सुबह जब तरुण उठा तो सात बज गये थे, उसके साथ चंद्रमुखी भी जाग गई। दोनों बाथरूम में गये और साथ में शॉवर लिया। और बाहर आ गये चंद्रमुखी तैयार हो कर थाने चली गई।
तरुण ज्वालामुखी के कमरे में गया वह दरवाजा लगाना भूल गई थी। उसने एक चादर ओढ रखी थी, तरुण ने चादर थोड़ी नीचे की तो उसे ज्वालामुखी का चेहरा दिखाई दिया, उसका मन अब उसके होंठ चुमने को कर रहा था, मगर उसने अपने आप पर काबू किया और चादर नीचे की, अब उसके सामने ज्वालामुखी के स्तन थे, वह बहुत मादक लग रहे थे। अब उसने पूरी चादर निकाल दी, जिसकी वजह से वह उसके सामने पूरी तरह से नग्न अवस्था में थी। अब तरुण अपना हाथ उसकी योनी पर घुमाने लगा, इससे नींद में ही ज्वालामुखी मचलने लगी।"अम् म् म् म् आहा", करके उसके मुहं से सिसकारिया निकलने लगी। उसने आखें खोली ही थी की तरुण ने उसके होठों पर अपने होंठ रख दिये और अपनी जुबान ज्वालामुखी की जबान पर घुमाने लगा, जिससे वह और गर्म होने लगी। तरुण ने अपने होंठ उसके होंठों से अलग किये और अपनी पैंट उतारकर अपना लिंग सीधे उसकी योनी में डाल दिया। अब वह दोनों एक दुसरे को एक लय में धक्के देकर काम के रंग में रंग गये, करीब एक घंटे बाद ज्वालामुखी झड़ गई, मगर तरुण का अभी भी सक्त था। अब तरुण ने उसका उसके स्तनाग्र मसलने शुरू किये अब वह फिर से उत्तेजित होने लगी। और अब तरुण नीचे आ गया और वह उपर अब तरुण जोर जोर से अपनी उंगलियों से, उसके स्तन और स्तनाग्र मसलने लगा। और जवाब में ज्वालामुखी भी उसका साथ देने लगी, वह उसके धक्कों के साथ उछलकर उसके लिंग को अपनी योनी के अंदर ले रही थी। तरुण उसके उरोजों को दोनों हाथों से दबा रहा था। जिसकी वजह से उसकी उत्तेजना चरम पर पहुंच गई और बच्चेदानी के अंत तक, तरुण के लिंग के टकराव के कारण वह एक और बार झड़ गई। अब तरुण ने उसके स्तन दबाने तथा स्तनाग्र चूसने शुरु कर दिये जिस वजह से वह और ज्यादा उत्तेजित कर रहा हो रही थी उसके मुंह से," आ आ आहा म् म् म् " जैसी सिसकारीयां निकलने लगी अब वह एक और बार झड़ चुकी थी। ऐसा वह तीन घंटों तक करते रहे, इसमें ज्वालामुखी तीन बार झड़ चुकी थी, और अब वह थकने की वजह से सो गई। मगर तरुण अभी तक नहीं थका था और उसका लिंग भी सक्त था। उसने अपना लिंग उसकी योनी से निकाल कर उसके गुद्द्वार में डाल दिया और उसे कसकर पकड़ा और उसकी गांड मारने लगा। जिस वजह से वह दर्द से चिल्लाने लगी, मगर बहुत जल्दी ही उसकी चीख सिसकारीयों में बदलने लगी। अब वह भी मजा लेने लगी थी। और वह अगले तीन घंटों में छह बार झड़ चुकी थी, लगातार छह घंटे संभोग करने की वजह से ज्वालामुखी थक चुकी थी। और उसका मन भी भर चुका था वह मुस्कराकर तरुण को देखने लगी।
तरुण ने पूछा,"क्या हुआ, क्यों मुस्करा रही हो?"
ज्वालामुखी प्यार से बोली,"आज पहली बार इतना एंजॉय किया, इससे पहले कभी इतना स्याटीस्फाइड नहीं हुई, और इतना चोदने के बाद भी तुम सक्त हो, तुम्हारी बीबी हमेशा खुश रहेगी।"
तरुण ने उसके स्तनों को दबाते हुये कहा,"वैसे तुम्हारी मम्मी का भी यही कहना है।"
ज्वालामुखी गुस्से से,"कमीने! तूने तो मेरी मम्मी के साथ...नामुमकिन! वैसे वह किसी मर्द को अपने आसपास आने भी नहीं और तेरे साथ,कैसे ?"
तरुण ने उसके स्तन को और जोर से दबाते हुये,"जब उसे पता चला की मेरी पकड़ से छुटकारा उसके लिये मुमकिन नहीं,तब..."
उसकी बात को काटते हुये,"मतलब मेरी मम्मी के साथ तुमने जबर्दस्ती की?"
तरुण,"नहीं यह सब उनकी मर्जी से हुआ असलियत में उन्हें इसी तरह के सेक्स की जरूरत थी, उन्हें फोर्सड पसंद है।"
तभी दरवाजे की घंटी बजती है।
ज्वालामुखी,"इस वक्त कौन है?"
तरुण," तुम बाथरूम जाओ, मै देखता हूं।"
ज्वालामुखी बाथरूम चली गई और तरुण ने अपना लिंग सही करके पैंट पहन ली, और जाकर दरवाजा खोला वहां तेजल थी। वह दरवाजा खोलने के लिये देर होने की वजह से वह दरवाजे का सहारा ले कर खड़ी थी। जैसे ही तरुण ने दरवाजा खोला उसका संतुलन चला गया और वह नीचे गिरने लगी, तभी तरुण ने उसका दायां हाथ पकड़ लिया और उसे गिरने से बचाया मगर उसकी साड़ी का पल्लू सरक के नीचे गिर पड़ा। तरुण ने कभी तेजल को ऐसे नहीं देखा था, और अब उसके वीर्य पात ना होने की वजह से उसे अभी भी कुछ चाहिए था। जैसे ही तेजल पल्लू उठाने के लिये नीचे झुकने लगी, तरुण ने उसकी कमर में हाथ डालकर उसे पकड़ लिया और ब्लाउज के उपर से ही उसके स्तन दबाने लगा। और तेजल तरुण के लिंग को उसके पैंट के अंदर से ही अपने नीतम्ब पर महसूस कर सकती थी। अब वह अपनी साड़ी के साथ साथ अपनी शर्म और हयात का परदा गिरा चुकी थी, वह अब उसका बिलकुल भी विरोध नहीं कर रही थी। तरुण ने उसे जैसे ही उसकी पीठ पर चूमा, उसके शरीर में जैसे तेजी से बिजली की तेज धारा बह गई। वह एकदम झटके खाने लगी। तरुण अब उसे चूमते हुये नीचे आ रहा था अब वह उसकी कमर तक पहुंच चुका था। अब वह अपने मुंह से सिसकारिया निकाल रही थी। अब वह ना तो विरोध कर रही थी, ना ही साथ दे रही थी, वह सिर्फ निष्क्रिय हो कर उसकी काम वर्षा का आनंद ले रही थी, और काम वर्षा में वह भीगे जा रही थी, अब उसके अंदर भी वासना की ज्वाला उबलने लगी थी। तभी,
ज्वालामुखी ने आवाज दी,"आँटी!!",
तेजल सचेत हो गई और उसने अपना पल्लू ठीक कर लिया, और कुछ क्षणों के लिये शर्माकर तरुण को देखा और कहा," ज्वालामुखी, तुम्हारी मम्मी कहा है?"
ज्वालामुखी, "वह तो थाने गई है आँटी,कुछ काम था क्या ?"
इधर थाने में MLA आ गया था, साथ में वकील भी था।
MLA,"मैडम, हमारे छोरे से गलती हो गई है, और इतना क्यों मारा, अगर आपका छोरा होता तो?"
चंद्रमुखी, "इससे ज्यादा सुतती।"
MLA,"मैडम वैसे तो हम भी इसे सुधारना चाहते है, पर बिन माँ के बच्चे तो खराब हो ही जाते है।"
चंद्रमुखी,"हमारी एक छोटी बेटी है, अगर हमें इसकी माँ बना दो तो..."
लड़का,"नहीं! नहीं! पापा, हम कभी भी किसी भी लड़की के तरफ देखेंगे भी नहीं, पर आप ऐसा मत करें प्लीज!"
MLA,मुस्कराते हुये "वैसे, हम भी सोच रहे थे की अब इतने साल रंडवा बनकर जी लिये, और पुलिस वाली साथ रहेगी, तो हमरी सुरक्षा के लिये भी अच्छा होगा।"
लड़का,"नहीं! बापू नहीं! हम अभी ऐसा कुछ नहीं करेंगे!"
MLA,"अच्छा होगा तुमरे लिये,वर्ना मैडम को तुमरी अम्मा बना देंगे।"
इतना कहकर MLA अपने बेटे के साथ उसकी बेल कराने के बाद वहाँ से चले गये।
MLA तो अपने बेटे को ले कर चला गया मगर उसके दो दोस्त, चंदू और संजू वही लॉकप में थें, चंद्रमुखी वहाँ गई।
उसे देखकर उन दोनों की तो हालत ही खराब हो गई, वह उठकर खड़े हो गये उसने उन्हें कहा,"अरे, डरो मत नहीं मारूंगी, बैठ जाओ।"
दोनों,"पक्का?"
चंद्रमुखी,"हां, पक्का!"
वह दोनो नीचे बैठ गये और चंद्रमुखी ने उनसे पूछा ,"तुम्हारे अम्मा-बाबुजी के करते हे?"
चंदू,"सब्जी बेचते हे।"
संजू ,"दिहाड़ी मजदूर है।"
चंद्रमुखी ,"और तुम यह सब, तुम्हें शरम ना आती? देखो बच्चों उस छोरे का बाप नेता है, वह कुछ ना कर पाया तो नेता जरुर बनेगा, मगर तुम दोनों को कुछ हुआ तो तुम्हारे माता पिता का के होगा सोचा है? "
अब दोनों भावुक हो जाते है।
चंद्रमुखी,"तुम पढाई पर ध्यान दो, IAS-IPS बनो तो जिन लड़कियों को तुम देखने के लिये दिन भर तडपते रहते हो, वही तुम्हारे पिछे पागल हो जायेगी।"
फिर उन्हें चंद्रमुखी ने जाने दिया, और फिर वह लड़कियाँ वापस आई, और बोली," मैडम आपने उन लड़कों को क्यों छोडा?"
चंद्रमुखी ,"अंदर कर देती तो रेपीस्ट बनकर बाहर आते, और ऐसे ही नहीं छोड़ा, पुरी खातिरदारी करके छोड़ा है। अब अगर फिर से तुम्हें तंग किया तो उन्हें अंदर कर दूंगी।"
लड़कियाँ,"थँक्यु मैडम!" कहकर चली गई और उसने सारा दिन ना किसी पर गुस्सा किया ना हाथ उठाया।
शाम को हवलदार गुलगूले आया और मिठाई देकर बोला,"मैडम, आझादि मुबारक हो !"
चंद्रमुखी,"कौनसा कैलेंडर लगा रखा है तूने, मैं के महीने में आझादि कि मुबारक दे रहा है?"
गुलगूले,"मैडम, वह देश की आझादि की नहीं बल्कि आपकी आझादि की मुबारक है।"
चंद्रमुखी,"हमें किसने कैद करके रखा था?"
गुलगूले,"आपके गुस्से ने मैडम! आज आपने बिल्कुल गुस्सा नहीं किया।"
चंद्रमुखी, " थँक्यु!"इतना कहकर घर निकल गई।और थोड़ी देर बाद घर पहुंच गई। वहां तेजल अपने साथ तरुण को भी घर ले गई। यहां ज्वालामुखी घर आ गयी, जब उसने ज्वालामुखी को पूछा तो पता चला की, तरुण घर चला गया। फिर वह बैठकर तरुण के साथ बीते हुये पल याद करने लगी, फिर उसके मन में दुविधा हो रही थी अपनी बेटी को कैसे बताये, मगर उसे यह पता नहीं था कि इस मामले में उसकी बेटी, सब जानती है और उससे काफी आगे बढ चुकी है। उसे अब यह पता चल गया था की, उसके गुस्से का कारण बहुत सालों से उसके अंदर दबी कामवासना थी, जो तरुण के साथ हुये संभोग की वजह से शांत हुई थी। अशांत कामवासना ही गुस्से का कारण होती है, जिस वजह से उसका गुस्सा भी खत्म हो चुका था।
तरुण का घर असलियत में उनके पडोस में ही था, तरुण तेजल की तरफ अजीब नजरों से देख रहा था। तेजल को लंबे सफर से बहुत थकान आ रही थी, और उपर से मै का महीना होने की वजह से वह पसीने से लतपत हो गई थी। वह सोफे पर आकर बैठ गई, और तरुण ने पंखा चालू कर दिया, मगर पंखा भी गर्म हवा फेंक रहा था। तेजल ने अपनी गर्दन सोफे पर डालकर वहीं लेट गई।एकतर्फा लेटने की वजह से उसका पल्लू ब्लाउज से नीचे सरक गया और उसके स्तनों की गहराई दिखाने लगी थी। तब तरुण को क्या शरारत सूझी पता नहीं? उसने दरवाजा बंद कर दिया, रसोई में जाकर एक कटोरी में फ्रिज से बर्फ के टुकड़े निकाल लिये। और उन्हें बैठक में ले आया। और तेजल की चिकनी पतली कमर पर बर्फ का एक टुकड़ा रखा और घुमाने लगा। इसकी वजह से तेजल को अब गर्मी में राहत मिलने लगी, उसके मुंह से सिसकारिया निकलने लगी। अब तरुण उस टुकड़े को तेजल की कमर पर घुमाकर उसकी नाभि तक ले आया, अब तेजल को राहत का एहसास हो रहा था। लेकिन उसकी आंखें खुल गई अब वह, तरुण के द्वारा होनेवाली बर्फ मालिश का आनंद ले रही थी। उसका सारा बदन जैसे चमक रहा था।
वह बोली,"तरुण, जरा दाई तरफ और ऐसा कहकर उसने अपना पल्लू पूरी तरह से हटा दिया और पीठ के बल लेट गई । अब उसके उरोज भी गर्मी में मिलती राहत भरी ठंड की वजह से फुल रहे थे, और उसके ब्लाउज को फाड़कर बाहर
आने के लिये जैसे बेताब हो रहे थे। और इसी वजह से तरुण का लिंग भी खड़ा होकर पैंट में तम्बू बना रहा था। जब तेजल की नजर उसपर पड़ी तो, उसके काबू से बाहर होकर मन उसका उत्तेजित होने लगा था। अब वह सोफे से उठकर खड़ी हो गई और तरुण को पीठ पर करने को कहा तरुण ने दोनों हाथों में एक एक टुकड़ा लेकर एक उसकी पीठ के निचले हिस्से पर और एक उसकी पीठ उपरी हिस्से पर घुमाने लगा उसकी कमर तो खुली थी, मगर उसकी पीठ का उपरी हिस्सा जो ब्लाउज से ढका हुआ था, तरुण उसमें हाथ डालकर बर्फ घुमाने लगा जिस वजह से तेजल स्तनों पर बहुत ज्यादा दबाव महसूस कर रहा थी। उसने आगे लगे हुक खोलकर ब्लाउज उतार दिया। जब उसने ब्लाउज उतारने के लिये हाथ उपर किये तभी तरुण ने तेजी दिखाकर उसके ब्रा का हुक भी खोल दिया और उसकी ब्रा भी उतार दी अब वह तरुण के सामने उपर से नग्न थी। और तरुण ने उसके गुलाबी स्तनाग्र उपर से ही चूसने शुरू कर दिये, पहले
तरुण ने उसके दायें स्तनाग्र को चूसना शुरू किया और उसके बायें स्तन को दबाने लगा। उसकी वासना अब बढ़ने लगी थी। उसने फिर तेजल की साड़ी पूरी तरह से उतार दी। और लेहेंगे का नाडा खींच लिया, जिस वजह से वह लेहेंगा नीचे सरक गया और तेजल की गुलाबी पैंटी में ढकी योनी तरुण के सामने आ गई।अब तरुण ने तेजल पर चुम्बनों की वर्षा शुरू कर दी, अब वह स्तनाग्रों से चूमते चूमते उसके स्तनों की बीच की गहराई में चूमने लगा जिससे तेजल उसका सर अपने स्तनों पर दबाने लगी और तरुण अब उसके पेट पर चूमने लगा, और फीर वहाँ से होते हुये उसकी नाभि की और बढ़कर उसकी नाभि पर दस बारा चुम्बन दे दिये इससे चूम्बन दे दिये। उससे तेजल और ज्यादा उत्तेजित होने लगी और मुंह से,"म् म् आहा!!" करके सिसकारिया निकालने लगी।
तरुण ने अपने हाथों को तेजल की कमर पर रखे और उसकी कमर से धीरे धीरे नीचे ले जाकर तेजल की पैंटी उतार दी। अब तेजल की गुलाबी योनी तरुण के सामने थी, वह रोजाना कसरत करने की वजह से बहुत ही कसी हुई थी। अब तरुण तेजल की नाभि पर से चूमते हुये धीरे धीरे तेजल की योनी तक आया, और उसकी योनी पर एक लंबा चुम्बन दिया जीस वजह से उसके अंदर की काममुकता विस्फोट होकर बाहर आ गई।उसकी योनी से पानी बहने लगा, तरुण ने वह खट्टा और थोड़ा नमकीन पानी पी लिया और उसकी योनी पर अपनी जुबान घुमाकर आसपास लगे पानी का स्वाद लेने लगा, उसने योनी का सारा ऊपरी चाट चाट कर साफ कर दिया। अब तरुण ने अपनी जुबान तेजल की योनी में डालकर उसकी योनी के अंदर का स्वाद लेने लगा, अंदर जुबान डालते ही तेजल फिर से उत्तेजित होकर तरुण के सिर को अपनी योनी में दबाने लगी थोड़ी ही देर में वह झड़ गई और उसका सारा रस तरुण की जबान से होते हुये उसके मुंह में चला गया और वह उसे पुरा पी गया जिससे उसे फिर से फुर्ती आ गई। अब तरुण ने तेजल को वही, फर्श पर लेटा दिया,अपनी पैंट और नीकर उतार दी और उसका ४ इंच मोटा और १६ इंच लंबा लिंग तेजल के सामने आ गया वह, उसे अपने हाथ में लेकर उसपर अपनी जबान घुमाने लगी, और उसे अपने मुंह में लेने लगी। मगर वह उसे एक दो इंच से ज्यादा अंदर नहीं ले पा रही थी, तब तरुण उसका सर पकड़कर उसके मुंह में अपना लिंग डालने लगा मगर इससे तरुण को कुछ भी नहीं हुआ, मगर तेजल की सांस रुकने लगी। तरुण ने उसे छोड़ दिया, तब तेजल उससे अलग हो गई और हाँफने लगी। और फिर सांस स्थिर होने के बाद वह तरुण के लिंग को अपने स्तनों में दबाकर उपर नीचे करने लगी, थोड़ी देर बाद उसने अपनी रफ्तार बढाने लगी, उसे लगा तरुण झड़ जायेगा मगर तरुण की जगह उसका पानी निकल गया। अब वह बहुत थक चुकी थी, और उठकर बेड-रूम में चली गई।और वैसी ही नग्न अवस्था में पलंग पर जाकर लेट गई। मगर वह सो जाये उसके पहले तरुण ने अपना लिंग तेजल की योनी पर रखा और एक झटके में वह उसकी योनी में डाल दिया तेजल दर्द के मारें चीखने ही वाली थी की तरुण ने उसके मुंह में अपना मुंह डालकर उसे किस कर दिया, जिस वजह से तेजल की चीख उसके मुंह में ही दब गई,तेजल अब तक कुंवारी थी, इस वजह से उसकी योनी से खून निकलने लगा तरुण ने लिंग थोड़ा पीछे किया और एक धक्का और दिया, जिससे तेजल एक और बार चीखी मगर उसकी यह चीख वही दब गई। अब तरुण धीरे धीरे उसकी योनी में लगातार धक्के लगाकर अपना लिंग उसकी योनी की गहराई में ले जा रहा था, और जैसे जैसे वह अंदर जा रहा था वैसे वैसे तेजल का दर्द उत्तेजना के साथ बढ़ता जा रहा था। तरुण आखिरकार तेजल के गर्भाशय के अंतिम छोर तक पहुंच गया, तब तेजल इतने जोश में आ गई की उसने तरुण को लेटा दिया और खुद उसके उपर आकर उसके लिंग को अपनी योनी में लेने की कोशिश करने लगी, मगर उसकी योनी इतनी गहरी नहीं थी की तरुण के इतने बडे लिंग को अंदर ले सके, और उपर से तरुण का लिंग इतना कठोर जैसे Titanium का बना हो, वह बार बार उसके गर्भाशय में चूभ रहा था । अब तरुण बडे ही जोश में था उसने नीचे से धक्के देने शुरू कर दिये थे। तेजल बहुत कोशिश कर रही थी की, तरुण झड़ जाये, मगर तरुण भी लंबी दौड़ का घोड़ा था। उसका वीर्य पात कराने के लिये तो अरब खरब युगों का संभोग आवश्यक था। यह भी उसे ब्रह्मराक्षस के वरदान का एक हिस्सा था। अब तेजल को थकान के मारे ग्लानि आ गई और वह वही तरुण के बगल में लेट गई और सो गई। तरुण भी उसे अपनी बाहों में जकड़ कर सो गया।
वह दोनों रात को उठे उन्होंने नग्न अवस्था में, तेजल ने तरुण की जंघा पर बैठकर खाना खाया, और वापस बेड रूम में आकर एक दुसरे से चुम्बक की तरह चिपक कर सो गये।

Part 3
Bahot behtareen shaandaar update
 

Naik

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Part 2

UPDATE 3
अगली सुबह तरुण की नींद खुल गई, सुबह के सात बजे थे। तरुण ने उठकर देखा तो तेजल उसके बगल में नहीं थी। वह उठकर शौचालय चला गया, हल्का होकर बाहर निकला और हाथ धोकर और ब्रश करके रसोई में गया वहां तेजल पहले से ही तैयार होकर खाना बना रही थी। वह उस दिन कुछ अलग लग रही थी। उसने एक बेकलेस स्लिव लेस डीप थ्रोट का नीला ब्लाउज पहन रखा था, उसपर उसने नीले रंग का लेहेंगा नाभि से नीचे और एक नीले रंग की पतली पारदर्शी साड़ी पहन रखी थी। इसमें उसकी कमर के घुमाव बडे ही आकर्षक लग रहे थे।
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तरुण ने पीछे से जाकर उसे कमर में हाथ डालकर उसे पकड़ लिया, तेजल शर्माकर लाल हो गई और बोली,"छोड़ो ना! ये क्या कर रहे हो?"
तरुण, "कल रात को जो हुआ उसके मुकाबले तो यह कुछ भी नहीं है।"
तेजल फिर से तरुण के लिंग तथा उसके अंदर जानेवाले एहसास की कल्पना करने लगी तरुण ने उसके नितम्ब पर एक फटकार चलाकर उसे होश में लाया। वह अब सिर्फ तरुण को मुस्कराकर देख रही थी। तब तरुण की जे ई ई की मेन्स परीक्षा थी। थोड़ी देर बाद तरुण को लेने राज और कोमल आ गये। कोमल गाड़ी चला रही थी, क्योंकि तरुण और राज के पास ड्राइविंग लाइसेंस नहीं था तरुण अपने साथ ज्वालामुखी को भी ले आया था ताकि वह चारों एक साथ जा सके महाविद्यालय एक होने के कारण सभी का नंबर एक ही केन्द्र पर आया था। वह किसकी कितनी पढाई हुई है इसपर बातें कर रहे थे तब,
कोमल ने कहा," तुम्हारी कितनी पढाई हुई है? मेरी सारी हो चुकी है।"
राज,"कुछ खास नहीं, सो सो "
ज्वालामुखी,"मेरी इतनी हुई है की 40% तक मिल सकते है।"
तरुण," मेरी सारी हो चुकी है।"
कोमल," ऐसा क्या ?"
तरुण ," हाँ ।"
कोमल,"कुछ भी मत फेंक?"
तरुण ,"फेंक नहीं रहा हुं, सच में हुई है।"
कोमल," तो फिर लगी शर्त, अगर मुझे ज्यादा मिले तो तुम दस दिनों के लिये मेरे गुलाम।"
तरुण ,"अगर, मुझे ज्यादा मिले तो?"
कोमल,"तो दस दिनों के लिये, मैं तुम्हारी गुलाम,जो तुम कहोगे मै करूंगी, कुछ भी!"
तरुण ,"डन!"
कोमल,"डन!"
वह जल्दी ही वहां पहुंच गये। इस बार परीक्षा अॉनलाईन थी, जिस वजह से पेपर खत्म होते ही रिजल्ट आ गया सब आकर अपना अपना रिजल्ट दिखाने लगे।
राज,"मुझे 80/360 मिले है।"
ज्वालामुखी ," मुझे 83/360 मिले है।"
कोमल,"मुझे 120/360 मिले है, तुम्हें कितने मिले तरुण?"
तरुण,"खुद देख लो।"
तरुण के गुण देखकर सबके होश उड़ गये, उसे सीधे 360/360 मिले थे। तरुण ने कहा,"अपनी शर्त तो याद है ना कोमल तुम्हें?"
तरुण से यह सुनकर कोमल डर गई और कांपती हुई बोली ,"क्या करना होगा अब?"
तरुण,"घर जाते जाते बता दूंगा।"
वह सब अब गाड़ी में बैठ गये, ज्वालामुखी और राज पीछे बैठ गये, तरुण कोमल के साथ आगे बैठ गया, कोमल ने गाड़ी शुरू की, और थोड़ी देर बाद सब तरुण के घर पहुंच गये और तरुण के और ज्वालामुखी के घर पहुंच गये। ज्वालामुखी अपने घर चली गई और चंद्रमुखी ने तरुण को कहा की तेजल कुछ दस ग्यारह दिनों के लिये गांव चली गई है ,और अगर वह चाहे तो रात को उनके घर सो सकता है। इतना कहकर चंद्रमुखी ज्वालामुखी को साथ लेकर चली गई।
तभी राज ने कहा, "चलो कोमल, अब हम भी घर चले।"
तरुण ने कोमल का हाथ पकड़ लिया, और कहा,"तुम जाओ राज, कोमल मेरे साथ रहेगी अगले दस दिनों तक मेरी गुलाम बनकर।"
राज हंसते हुये बोला," क्यों मजाक कर रहा है यार? आने दे उसे।"
तरुण ने कोमल को जोर से अपने नजदीक खींचकर अपना हाथ उसकी कमर में कसकर कहा,"मजाक नहीं कर रहा हूं, इसने शर्त लगाई थी और हार गई।"
तब राज सोचकर बोला,"देख तरुण, मेरे पास लायसन्स नहीं है, कोमल को मेरे साथ आना ही होगा।"
तरुण बोला,"चलो फिर मै भी आता हूं मगर तेरे घर जाने के बाद इसे मेरे साथ मेरे घर आना होगा।"
तब तीनों गाड़ी में बैठकर राज के घर चले गये, राज के घर पहुंचने के बाद सब गाड़ी से उतर गये। राज का घर एक बंगलौ था उसमें एक रसोईघर, पांच कमरे, एक बैठक, और एक गेस्ट रूम था।
वो तीनों दरवाजे पर गये और घंटी बजाई थोड़ी देर बाद राज की माँ सरिता शर्मा ने दरवाजा खोला,
सरिता शर्मा राज शर्मा की माँ थी।
उसका कध पांच फुट चार इंच का था।
उसका सीना ३६
कमर ३०
और नितम्ब ३६
पेट उम्र की वजह से थोड़ा आगे था मगर उसका गोरा रंग उसके रुप को संगमरमर की मूर्ति की तरह दर्शाता था
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सरिता ने सबको अंदर बुलाया, और बैठने को कहा। सब बैठ गये और सरिता टीवी चालू करके रसोई में चली गई। तब कोमल राज से कहने लगी," राज कुछ करो इसका!"
राज," तुम चिंता मत करो, मै कुछ करता हुं।"
तभी सरिता राज को अंदर से आवाज लगाती है,"बेटा राज, जरा यहां आना।"
तभी राज उठकर रसोई में चला जाता है। और अब तरुण और कोमल बैठक में अकेले थे। अब तरुण धीरे से कोमल की और खिसक कर उसके करीब आता है। और कोमल उससे दूर खिसकती है, इससे वह सोफे के हाथ के पास आ जाती है। अब वह ज्यादा दूर नहीं सरक सकती थी। इससे तरुण का काम आसान हो गया अब वह सरक कर कोमल के करीब आकर उससे सटकर बैठ जाता है। अब कोमल चैनल बदलती है, मगर तब कोई सी ग्रेड भोजपुरी फिल्म लगी हुई थी। टीवी पर एक काम उत्तेजित दृश्य शुरू होता है, वहां उसमें नायक नायिका के कपड़े उतार रहा होता है। कोमल को फिल्मों में बहुत ज्यादा रस था, और अक्सर ऐसे दृश्य उसे ज्यादा उत्तेजित करते थे, उसकी कामवासना उसके चेहरे पर साफ झलक रही थी। तरुण को पता चल गया क्या करना है, वह अपना हाथ उसके पीछे सोफे पर रखता है।और धीरे से कोमल के सूट की पिछली चैन खोल देता है, और वह उसकी पीठ पर हाथ घुमाकर उसे सहलाता है। वह अब थोड़ी थोड़ी उत्तेजित होने लगती है। और तरुण की और देखती है। तरुण उसे वही जकड़ कर उसे चूमने लगता है। और वह उसका विरोध करती है मगर वह उसकी पकड़ के सामने कुछ भी नहीं था। अब उसका विरोध कम हो जाता है और तब तरुण उसके ब्रा का हुक खोल कर, उसके सूट नीचे कर उसके स्तन चूसने लगता है, अब वह उत्तेजित होने लगती है और विरोध छोड़ उसका साथ देने लगती है। तभी राज अंदर से तरुण को आवाज लगाता है, और तब दोनों रुक जाते है। और अपनी काम क्रीड़ा से बाहर आकर अपने कपड़े ठीक करते है।तरुण कोमल के सूट की झिप बंद कर, ब्रा उसके पर्स में छुपा देता है। और तरुण राज के पास चला जाता है। वहां राज तरुण को नल ठीक करने में सरिता की मदद करने कहता है, और कोमल के पास चला जाता है। वहां कोमल राज को लेकर अपने घर चली जाती है। और यहाँ तरुण एक झटके में ही तरुण बंद नल खोल देता है, जिस वजह से पानी की एक तेज धारा निकलकर सरिता पर उड़ती है और उसके सारे कपड़े भीग जाते है। सरिता अपना बदन सुखाने और अपने कपड़े बदलने अपने कमरे में चली जाती है। यहां पानी का दबाव कम हो जाता है क्योंकि मेन नल बंद था और यह सारा पानी पाईप में से ही आया था, तरुण ने जल्दी से नल बदल दिया और सरिता को बुलाने उसके कमरे की और चला गया वहाँ उसके कमरे का दरवाजा खुला हुआ था। तरुण सीधे अंदर चला गया वहाँ सरिता अपने कपड़े बदल रही थी, उसने अपनी साड़ी उतार के रखी थी और उसके ब्लाउज का पीछे वाला नाडा भी खुला हुआ था।

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सरिता को ऐसे देख तरुण का लिंग फिर से खडा हो गया और उसका अंदर ही तम्बू बन गया।तरुण ने अब सरिता को पीछे से पकड़ लिया, और उसे किस गर्दन पर करने लगा। फिर वह सरिता की कमर से हाथ उसके ब्लाउज के अंदर ले जाता है। उसने अंदर ब्रा नहीं पहनी थी,इसलिए उसका हाथ सीधे उसके खुले स्तनों को स्पर्श करता है। वह थोड़ी गुस्से में तरुण से कहती है," तरुण छोड़! छोड़ ना!"
तभी उसका बड़ा लिंग और बड़ा होकर खड़ा हो जाता है तरुण ने अंदर ढीला कच्छा और उसके उपर एक पायजामा पहना होता है। जिस वजह से उसका लिंग आसानी से ज्यादा उपर आ जाता है,और सरिता की जंघा को पीछे से छूने लगता है। सरिता अब उसे अपनी जंघा पर महसूस करने लगी है, और तरुण का हाथ पकड़ कर उसे दबाने लगती है। सरिता यहा तरुण के लिंग के आकार का जायजा लगती है, तरुण का लिंग उसे काफी बड़ा लगता है। अब बडे लिंग का स्पर्श और तरुण के उसके स्तनाग्र पर मसलने की वजह से अब सरिता के मन में भी लड्डू फूटने लगे थे। अब वह उसका साथ तो नहीं दे रही थी मगर उसका विरोध भी नहीं कर रही थी। असलियत में उसे भी कई दिनों से संभोग की इच्छा थी मगर उसके पति गिरधारी सिरीया में नौकरी करते थे, और साल में एक बार घर आते थे। और इस बार युद्ध जन्य परिस्थितियों के कारण वह तीन साल से, वही फस गये थे। जिस वजह से उसके मन में कामवासना की ज्वाला दबी हुई थी, आज उसका विस्फोट हो रहा था।
अब तरुण तेजी से अपना लिंग सरिता के नितम्ब पर घुमा रहा था, और स्तन पर मालिश भी तेज कर दी थी। सरिता कहने सिसकते हुये लगी,"तरुण अच्छा लग रहा है, करते रहो! करते रहो!"
तरुण ने अपने हाथ, जो ब्लाउज के अंदर थे तरुण ने उपर कर लिये जिस वजह से सरिता का ब्लाउज अब उतर गया। अब वह उपर से बिल्कुल नग्न थी, तरुण ने अब उसे अपनी और मोड़कर उसकी आंखों में देखा, उसके आंखों में थोड़ी सी शरारत थोड़ी सी शर्म थी, जिसके कारण उसकी आंखें नीचे जा रही थी। आंखें नीचे जाने की वजह से सरिता की नजर तरुण की पैंट पर पड़ी, वहां उसके लिंग ने बडा सा तम्बू बनाया हुआ था। पैंट पर पडे उभार को देखकर सरिता की आंखों खुली की खुली रह गई, वह लगातार तरुण के लिंग के उभार को देखती रही। उसके जो हाथ उसके स्तनों पर रखे हुये थे, वह अपने आप हटने लगे थे। सरिता अब तरुण के नजदीक आयी और वह थोड़ा सा नीचे झुककर अपने दोनों हाथों से तरुण के लिंग की लंबाई और और मोटाई का जायजा उसकी पैंट के उपर से ही लेने लगी। तरुण ने मौके का फायदा उठाकर सरिता के लेहंगे का नाडा खोल दिया, जिस वजह से सरिता का लेहंगा नीचे उतर गया और उसने अपने हाथ फिर से तरुण की पैंट से हटाकर अपनी योनी पर रखकर योनी ढक ली, और फिर एक बार शर्माकर आँखें बंद कर ली। तरुण ने अपने हाथों पर तेल लगाकर सरिता के स्तनों पर मालिश करने लगा। सरिता भी धीरे धीरे पीछे हटने लगी और तरुण उसकी तरफ और आगे बढ़ने लगा, आखिर में वह पलंग पर पीठ के बल लेट गई और तरुण उसके उपर आ गया, और अपने पैरों के बीच सरिता के पैर लेकर अच्छे से तेल लगाकर उसके स्तनों की मालिश कर रहा था, और अब तो उसने मालिश का जोर बढ़ा दिया था। जिससे सरिता अब संभोग के लिये बेताब थी उसने अपनी पैंटी को खुद नीचे कर दिया और अपनी टांगे फैलाने लगी, तरुण ने इशारा समझकर उसकी पैंटी उतार दी और अपनी पैंट और नीकर उतारकर सरिता के पैर खोल दिये, जिससे उसके सामने अब सरिता की योनी और गुद्द्वार आ गया। उसने अब अपने लिंग पर तेल लगाकर सरिता की योनी में डाल दिया सरिता चीखकर बोली,"कमीने! इतना बड़ा और इतना तेज डाल दिया राज के पापा का तो आधा भी नहीं है।"
तरुण बोला," मजा आया की नहीं?"
सरिता ,"पूरी चूत फट गई और..."
सरिता कुछ आगे बोलती इसके पहले तरुण ने सरिता के मुंह में अपना मुंह डालकर उसकी जबान पे अपनी जबान घुमाने लगा। और उसने स्तन की मालिश जारी रखी, और धक्के लगाने शुरू कर दिये। अब सरिता को भी मजा आने लगा था, वह भी पूरी तरह तरुण का साथ दे रही थी। तरुण ने सरिता को अपने उपर ले लिया, सरिता अब जोश में आकार उछल उछलकर कर तरुण का लिंग अंदर बाहर ले रही थी, तरुण भी उसे नीचे से धक्के दिये जा रहा था। तरुण ने उसके स्तनाग्रों को मसला, और सरिता और उपर चली गई जिसकी वजह से नीचे आते वक्त लिंग और गहराई में चला गया और गर्भाशय के अंत तक चला गया,उसने राज के पिता गिरधारी का भी इतना अंदर नहीं लिया था, वह जोरों से चीखकर बोली,"हाय! मर गई! तरुण धीरे करो! बहुत मोटा है तुम्हारा...आ! आ!ई! ई!!!"
तरुण बोला,"आंटी, अभी तो आधा भी नहीं गया, अभी तो आपको मेरा पूरे दस इंच अंदर लेना है।"
सरिता घबराकर बोली,"नहीं!! इतना और अब तो आधा इंच भी ना जाये!!"
सरिता का इतना कहते ही पानी छूट गया और वह वही लेट गई, और मुस्कराकर तरुण से कहा," वाह! आज तो जैसे मजा ही आ गया।"
तरुण ने उनकी कमर पर हाथ रखकर कहा,"ऐसा है तो, और एक राउंड ले?"
सरिता बोली," नहीं बाबा नहीं! एक में ही हालत खराब हो गई,अब और नहीं।"
तरुण बोला,"वैसे अंकल के साथ कितनी देर करती है आप?"
सरिता बोली,"जवानी में एक दो घंटे आराम से चलता था,मगर अब वह आधा घंटा भी कर दे तो बहुत है।"
तरुण अपना हाथ उसकी पीठ पर घुमाकर, सरिता के नितम्ब पर ले जाकर दबाने लगता है।
सरिता कहती है,"वह भी साल में एक बार आते है, और अब पंद्रह मिनट में उनका निकल जाता है,और अगर बाहर कुछ किया, तो समाज थुंकेगा।"
तरुण पूछता है,"राज के साथ नहीं किया कभी?"
सरिता चौंककर बोली,"राज! मगर कैसे? वह तो बेटा है मेरा।"
तरुण सरिता के नितम्ब को सहलाकर बोला,"वैसे, मै भी आपके बेटे की उम्र का हुं, मेरे साथ किया तो उसके साथ करने में क्या हर्ज है?"
सरिता बोली,"कैसे पूछु उसे? क्या वह मानेगा?"
तरुण बोला,"जितनी जरुरत आपको है,उतनी उसे भी है। कोमल के साथ वह ट्राय कर रहा है, मगर उसने उसे जरा भी नहीं दिया।"
कोमल का नाम सुनते ही सरिता के होश उड़ गये,वह बोली,"कोण कोमल, जो सुबह आयी थी वह?"
तरुण,"हाँ वही, क्यों क्या हुआ?"
सरिता बोली,"अरे! यह वही लड़की है जिसने मेरे बड़े बेटे सतीश की जिंदगी बरबाद कर दी थी, उसपर झूठा इजांम लगाकर।"
तरुण उन्हें बोला,"राज तो अब उसके साथ अकेला है, हमें उसे अभी बुलाना चाहिए।"
ऐसा कहते हुये तरुण ने राज को फोन लगाया, राज तब कोमल के घर पहुंच चुका था, कोमल गाड़ी से उतरी, और तरुण को अंदर आने के लिये कहकर घर के अंदर चली गई। राज गाड़ी से उतरा ही था की उसे तरुण का फोन आ गया उसने तरुण से पूछा,"क्या बे? क्यों फोन किया?"
तरुण बोला,"तुझे कुछ दिखाना है, व्हीडीऔ कॉल अॉन कर।"
जैसे राज ने व्हीडीओ कॉल चला कर देखा उसके तो होश उड़ गये,उसकी अपनी माँ उसके दोस्त के साथ संभोग कर रही है, वह बोला,"रुक तुझे तो छोडूंगा नहीं।"
इतना कहकर वह गाड़ी लेकर अपने घर आ गया वह इतनी तेजी से आया की, वह पौना घंटे में वहां पहुंच गया। और गुस्से में वह घर के अंदर चला गया, और सरिता के बेड रूम का दरवाजा खटखटाने लगा और चिल्लाने लगा,"मम्मी दरवाजा खोलिये, वह नहीं बचेगा मेरे हाथ से।", जैसे ही सरिता ने दरवाजा खोला राज कमरे के अंदर आ गया। उसने खिड़की, बालकनी, सब छान मारा, मगर तरुण उसे नहीं मिला, तभी उसे घर के बाहर से गाड़ी शूरू होने की आवाज आई, उसने बाहर जाकर देखा तो, तरुण उसकी गाड़ी ले कर भाग गया राज ने भी थोड़ी देर उसका पीछा किया मगर वह उसे पकड़ नहीं पाया, सरिता भी उसके पीछे भागी।असल में तरुण ने संभोग करने के बाद गाड़ी की दूसरी चाबी लेकर नीचे छिपकर, राज की प्रतीक्षा कर रहा था। जैसे राज अंदर गया, तरुण उसकी गाड़ी लेकर भाग गया।

यहाँ राज और उसके पीछे सरिता बाहर आ गयी । वो दोनों घर की तरफ जाने लगे तभी बरसात शूरू हो गई। दोनों घर की तरफ भागने लगे तभी, और घर दूर होने की वजह से और आसपास खुला मैदान होने की वजह से सरिता और राज पूरी तरह से भीग गयें। सरिता ने सिर्फ एक गाउंड पहना हुआ था, जो की सिर्फ उसकी जाँघ तक आता था, उसमें बाहे नहीं थी, गला इतना गहरा था की स्तनों के बीच की गहराई आराम से दिखाई दे रही थी, पीछे से इतना की पीठ से कमर तक का हिस्सा दिखाई दे रहा था।
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अपनी माँ को पहले अपने दोस्त के साथ पूरी तरह से नग्न, और अब इतने काम उत्तेजक कपड़ों में वो भी भीगी हुई देखकर राज के मन में खयाल आया की ,"इधर ही शुरू हो जाऊँ!"
वह सरिता को ताड रहा था, तभी उसका लिंग उसके पैंट में ही तम्बू बना लिया था। जब दोनों भागते हुये घर तक पहुंचे, तब सरिता की नजर राज की पैंट पर आये उस उभार पर पड़ी, जिसे देख वह हंसने लगी और जैसे ही राज ने वह जाना, उसने शर्माकर अपनी नजर घुमाकर दरवाजे का ताला खोल लिया। और वह दोनों अंदर चले गये। सरिता अपने कमरे में चली गई, और राज अपने कमरे में चला गया दोनों कपड़े बदलने लगे। सरिता ने कपड़े उतारकर अपने धड़ पर टॉवेल लपेटकर अपने बालों पर भी एक टॉवेल लपेट लिया।

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उसके बाद उसने तरुण को फोन लगाया और पूछा,"तरुण, वह तो अभी से इतना एक्साइटेड है, लगातार मुझे घुरे जा रहा था, और उसका खडा भी हो गया।"
तरुण ने गाड़ी सड़क के किनारे लगाकर फोन को स्टैंड पे रखकर बात की:-
तरुण ने कहां,"यह तो होना ही था, क्योंकि उस कोमल ने उसे बहुत सारा व्हायग्रा जुस में मिलाकर, पिलाया है।"
सरिता ने कहा,"तभी! बार बार मुझे इतनी हवस भरी नजरों से मुझे देख रहा था मुझे, अब क्या करूं में?"
सरिता ने घबराकर कहा,"अब उसे कैसे कंट्रोल करूंगी में उसे!"
तरुण ने कहा,"राज को शायद पूरी बोतल दि गई है, अगर आप उसका साथ नहीं दे सकती तो उसका विरोध भी मत करना, नहीं तो वह ज्यादा ॲग्रेसीव्ह हो जायेगा।"
तब सरिता ने पूछा,"मेरे पास तो कंडोम ही नहीं है, अगर वह मुझमें झड़ गया और में प्रेग्नंट हो गई तो?"
तरुण ने कहा आप,"आप ड्रावर चेक कीजिए जरा।", इतना कहकर तरुण ने अपना कमाल दिखाया, दिव्य आईने में हाथ डालकर एक मेडिकल से निरोध का डिब्बा निकाला और आयने को सरिता के कमरे का ड्रावर दिखाने को कहा, जैसे ही आयने में तरुण को वह दिखा उसने दो चार निरोध उसके अंदर डाल दिये। आयने की शक्ति ने उन्हें सही जगा प्रकट कर दिया, वह सरिता को ड्रावर में मिल गई।
सरिता ने देखकर कहा,"यह यहां कहां से आये?"
तरुण ने कहा,"मैने रखे थे।"
सरिता ने कहा,"मगर, यह तो लेडीज कंडोम है?"
तरुण ने कहा," शायद राज के आपके सामने आने पर तो आपको वक्त ही ना मिले, वह आते ही शुरु हो जाये।"
तब सरिता ने वह निरोध अपनी योनी में पहन लिया।
तभी सरिता को दरवाजा खटखटाने की आवाज आती है। वह फोन काटकर दरवाजा खोलती है, तो देखकर चौंक जाती है। राज उसके सामने सिर्फ एक टॉवेल में खडा था, और वह खुद भी टॉवेल में थी, सरिता के स्तन आधे टॉवेल के बाहर थे, उसके स्तनों की गहराई साफ दिखाई दे रही थी। सरिता को ऐसे देख राज का लिंग खड़ा हो गया और रूमाल में तम्बू बनाने लगा। सरिता ने राज के टॉवेल में बने उस तम्बू को देखा और वह चौंक गई। सरिता कुछ समझ पाती, इससे पहले राज ने उसका
टॉवेल खींचकर उसे पूरी तरह से नग्न कर दिया। सरिता ने अपने स्तनों पर हाथ रखकर उन्हें ढकने की कोशिश की, मगर वह सिर्फ स्तनाग्रों को ढक पा रही थी, उसके तरबूज जैसे स्तनों की गोलाई दिखाई दे रही थी। राज ने उसे धक्का देकर बेड पर लेटा दिया और उसके पैर खोलकर अपना लिंग उसकी योनी में डाल दिया, और तेजी से आगे पीछे धक्का लगाने लगा, सरिता ना विरोध कर रही थी ना ही उसका साथ दे रही थी। वह सिर्फ जो राज कर रहा था उसे करने दे रही थी। राज ने अपने धक्के तेज कर दिये, वह धक्कों की रफ्तार बढ़ाता ही जा रहा था। उसके उन तेज धक्कों की वजह से, सरिता के पुरे बदन में अच्छी तरह से कंपन उत्पन्न हो रहे थे। उन कंपनों के साथ सरिता के स्तन भी झटके खा रहे थे वह बड़े ही मादक अंदाज में उपर नीचे हो रहे थे। अपने शरीर में आ रहे झटके संभालने के लिए सरिता ने अपने हाथ हटाकर जैसे ही सरिता ने बेड की चादर पकड़ी, राज ने सरिता के दायें स्तनाग्र को अपने मुंह के अंदर ले लिया, और बायें स्तन को कभी दबा रहा था, और उसके स्तनाग्र को अपनी उंगलियों से मसला, जिसकी वजह से सरिता की चीख निकल गई," हाय! मर गई मे!"
उसके चीखने की वजह से राज और ज्यादा उत्तेजित होकर उसके स्तनाग्रों को और जोर से मसलने लगा जिस वजह से सरिता झड़ गई। मगर राज का अभी बाकी था इसलिए उसने सरिता को घोडी बनने के लिये कहा। वह घोडी बन गई और राज उसे पीछे से धक्के लगाने लगा। राज ने सरिता की जंघाये पकड़ ली, और उसे आगे पीछे करके धक्के लगाने लगा, उसने फिर से धक्के तेज कर दिये अब उसके लटकते स्तन बड़ी ही तेजी से और कामुकता से मटक रहे थे। ऐसे एक घंटे चलता रहा जिससे सरिता फिर से झड़ गई। राज की नजर अब सरिता के मोटे, भरे हुये नितम्ब पर पड़ी, और उनमें छिपे गुद्द्वार पर पड़ी जिससे वह ज्यादा ही उत्तेजित हो गया। और उसने अपना लिंग सरिता की योनी से निकाला और सरिता के गुद्द्वार पर रखा और एक तेज धक्का दे दिया, जिससे उसका ६ इंच का लिंग आधा सरिता की योनी में चला गया। लिंग अंदर जाने से सरिता को बहुत दर्द हुआ और वह चीख पड़ी,"राज!!! ये कहा डाल दिया!!!! बाहर निकाल जल्दी!!!"
राज ने उसका लिंग थोड़ा बाहर निकालकर एक जोरदार धक्का दिया जिससे उसका पूरा लिंग सरिता के अंदर चला गया। वह चीख उठी," आ!!! आ!!! आ!!!"
जैसे जैसे राज रफ्तार बढ़ा रहा था, सरिता की चीख बढ़ती जा रही थी, और बढ़ती चीख के साथ राज का जोश भी बढ़ता जा रहा था। अब सरिता का गुद्द्वार ढीला हो रहा था। अब उसे दर्द होने के साथ साथ मजा भी आ रहा था, वह मजे से चिल्ला रही थी,"राज!!! आ!!!!!! और !!! और!!! जोर !!! से!! आह!!!!"
राज अब अपनी चरम सीमा पर पहुंच चुका था, वह पूरे जोश के साथ धक्के लगा रहा था, और अचानक वह चीख पड़ा और वही झड़ गया, सरिता चार बार झड़ चुकी थी। राज थक कर वही सरिता की पीठ पर ही लेट गया और वही सो गया, सरिता ने राज का लिंग बाहर निकाला उसके सर को अपने स्तनों के बीच रखा, और उसे बाहों में भरकर सो गई।
Badhiya kamukta se bharpoor
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Raja maurya

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Part 2

UPDATE 3
अगली सुबह तरुण की नींद खुल गई, सुबह के सात बजे थे। तरुण ने उठकर देखा तो तेजल उसके बगल में नहीं थी। वह उठकर शौचालय चला गया, हल्का होकर बाहर निकला और हाथ धोकर और ब्रश करके रसोई में गया वहां तेजल पहले से ही तैयार होकर खाना बना रही थी। वह उस दिन कुछ अलग लग रही थी। उसने एक बेकलेस स्लिव लेस डीप थ्रोट का नीला ब्लाउज पहन रखा था, उसपर उसने नीले रंग का लेहेंगा नाभि से नीचे और एक नीले रंग की पतली पारदर्शी साड़ी पहन रखी थी। इसमें उसकी कमर के घुमाव बडे ही आकर्षक लग रहे थे।
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तरुण ने पीछे से जाकर उसे कमर में हाथ डालकर उसे पकड़ लिया, तेजल शर्माकर लाल हो गई और बोली,"छोड़ो ना! ये क्या कर रहे हो?"
तरुण, "कल रात को जो हुआ उसके मुकाबले तो यह कुछ भी नहीं है।"
तेजल फिर से तरुण के लिंग तथा उसके अंदर जानेवाले एहसास की कल्पना करने लगी तरुण ने उसके नितम्ब पर एक फटकार चलाकर उसे होश में लाया। वह अब सिर्फ तरुण को मुस्कराकर देख रही थी। तब तरुण की जे ई ई की मेन्स परीक्षा थी। थोड़ी देर बाद तरुण को लेने राज और कोमल आ गये। कोमल गाड़ी चला रही थी, क्योंकि तरुण और राज के पास ड्राइविंग लाइसेंस नहीं था तरुण अपने साथ ज्वालामुखी को भी ले आया था ताकि वह चारों एक साथ जा सके महाविद्यालय एक होने के कारण सभी का नंबर एक ही केन्द्र पर आया था। वह किसकी कितनी पढाई हुई है इसपर बातें कर रहे थे तब,
कोमल ने कहा," तुम्हारी कितनी पढाई हुई है? मेरी सारी हो चुकी है।"
राज,"कुछ खास नहीं, सो सो "
ज्वालामुखी,"मेरी इतनी हुई है की 40% तक मिल सकते है।"
तरुण," मेरी सारी हो चुकी है।"
कोमल," ऐसा क्या ?"
तरुण ," हाँ ।"
कोमल,"कुछ भी मत फेंक?"
तरुण ,"फेंक नहीं रहा हुं, सच में हुई है।"
कोमल," तो फिर लगी शर्त, अगर मुझे ज्यादा मिले तो तुम दस दिनों के लिये मेरे गुलाम।"
तरुण ,"अगर, मुझे ज्यादा मिले तो?"
कोमल,"तो दस दिनों के लिये, मैं तुम्हारी गुलाम,जो तुम कहोगे मै करूंगी, कुछ भी!"
तरुण ,"डन!"
कोमल,"डन!"
वह जल्दी ही वहां पहुंच गये। इस बार परीक्षा अॉनलाईन थी, जिस वजह से पेपर खत्म होते ही रिजल्ट आ गया सब आकर अपना अपना रिजल्ट दिखाने लगे।
राज,"मुझे 80/360 मिले है।"
ज्वालामुखी ," मुझे 83/360 मिले है।"
कोमल,"मुझे 120/360 मिले है, तुम्हें कितने मिले तरुण?"
तरुण,"खुद देख लो।"
तरुण के गुण देखकर सबके होश उड़ गये, उसे सीधे 360/360 मिले थे। तरुण ने कहा,"अपनी शर्त तो याद है ना कोमल तुम्हें?"
तरुण से यह सुनकर कोमल डर गई और कांपती हुई बोली ,"क्या करना होगा अब?"
तरुण,"घर जाते जाते बता दूंगा।"
वह सब अब गाड़ी में बैठ गये, ज्वालामुखी और राज पीछे बैठ गये, तरुण कोमल के साथ आगे बैठ गया, कोमल ने गाड़ी शुरू की, और थोड़ी देर बाद सब तरुण के घर पहुंच गये और तरुण के और ज्वालामुखी के घर पहुंच गये। ज्वालामुखी अपने घर चली गई और चंद्रमुखी ने तरुण को कहा की तेजल कुछ दस ग्यारह दिनों के लिये गांव चली गई है ,और अगर वह चाहे तो रात को उनके घर सो सकता है। इतना कहकर चंद्रमुखी ज्वालामुखी को साथ लेकर चली गई।
तभी राज ने कहा, "चलो कोमल, अब हम भी घर चले।"
तरुण ने कोमल का हाथ पकड़ लिया, और कहा,"तुम जाओ राज, कोमल मेरे साथ रहेगी अगले दस दिनों तक मेरी गुलाम बनकर।"
राज हंसते हुये बोला," क्यों मजाक कर रहा है यार? आने दे उसे।"
तरुण ने कोमल को जोर से अपने नजदीक खींचकर अपना हाथ उसकी कमर में कसकर कहा,"मजाक नहीं कर रहा हूं, इसने शर्त लगाई थी और हार गई।"
तब राज सोचकर बोला,"देख तरुण, मेरे पास लायसन्स नहीं है, कोमल को मेरे साथ आना ही होगा।"
तरुण बोला,"चलो फिर मै भी आता हूं मगर तेरे घर जाने के बाद इसे मेरे साथ मेरे घर आना होगा।"
तब तीनों गाड़ी में बैठकर राज के घर चले गये, राज के घर पहुंचने के बाद सब गाड़ी से उतर गये। राज का घर एक बंगलौ था उसमें एक रसोईघर, पांच कमरे, एक बैठक, और एक गेस्ट रूम था।
वो तीनों दरवाजे पर गये और घंटी बजाई थोड़ी देर बाद राज की माँ सरिता शर्मा ने दरवाजा खोला,
सरिता शर्मा राज शर्मा की माँ थी।
उसका कध पांच फुट चार इंच का था।
उसका सीना ३६
कमर ३०
और नितम्ब ३६
पेट उम्र की वजह से थोड़ा आगे था मगर उसका गोरा रंग उसके रुप को संगमरमर की मूर्ति की तरह दर्शाता था
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सरिता ने सबको अंदर बुलाया, और बैठने को कहा। सब बैठ गये और सरिता टीवी चालू करके रसोई में चली गई। तब कोमल राज से कहने लगी," राज कुछ करो इसका!"
राज," तुम चिंता मत करो, मै कुछ करता हुं।"
तभी सरिता राज को अंदर से आवाज लगाती है,"बेटा राज, जरा यहां आना।"
तभी राज उठकर रसोई में चला जाता है। और अब तरुण और कोमल बैठक में अकेले थे। अब तरुण धीरे से कोमल की और खिसक कर उसके करीब आता है। और कोमल उससे दूर खिसकती है, इससे वह सोफे के हाथ के पास आ जाती है। अब वह ज्यादा दूर नहीं सरक सकती थी। इससे तरुण का काम आसान हो गया अब वह सरक कर कोमल के करीब आकर उससे सटकर बैठ जाता है। अब कोमल चैनल बदलती है, मगर तब कोई सी ग्रेड भोजपुरी फिल्म लगी हुई थी। टीवी पर एक काम उत्तेजित दृश्य शुरू होता है, वहां उसमें नायक नायिका के कपड़े उतार रहा होता है। कोमल को फिल्मों में बहुत ज्यादा रस था, और अक्सर ऐसे दृश्य उसे ज्यादा उत्तेजित करते थे, उसकी कामवासना उसके चेहरे पर साफ झलक रही थी। तरुण को पता चल गया क्या करना है, वह अपना हाथ उसके पीछे सोफे पर रखता है।और धीरे से कोमल के सूट की पिछली चैन खोल देता है, और वह उसकी पीठ पर हाथ घुमाकर उसे सहलाता है। वह अब थोड़ी थोड़ी उत्तेजित होने लगती है। और तरुण की और देखती है। तरुण उसे वही जकड़ कर उसे चूमने लगता है। और वह उसका विरोध करती है मगर वह उसकी पकड़ के सामने कुछ भी नहीं था। अब उसका विरोध कम हो जाता है और तब तरुण उसके ब्रा का हुक खोल कर, उसके सूट नीचे कर उसके स्तन चूसने लगता है, अब वह उत्तेजित होने लगती है और विरोध छोड़ उसका साथ देने लगती है। तभी राज अंदर से तरुण को आवाज लगाता है, और तब दोनों रुक जाते है। और अपनी काम क्रीड़ा से बाहर आकर अपने कपड़े ठीक करते है।तरुण कोमल के सूट की झिप बंद कर, ब्रा उसके पर्स में छुपा देता है। और तरुण राज के पास चला जाता है। वहां राज तरुण को नल ठीक करने में सरिता की मदद करने कहता है, और कोमल के पास चला जाता है। वहां कोमल राज को लेकर अपने घर चली जाती है। और यहाँ तरुण एक झटके में ही तरुण बंद नल खोल देता है, जिस वजह से पानी की एक तेज धारा निकलकर सरिता पर उड़ती है और उसके सारे कपड़े भीग जाते है। सरिता अपना बदन सुखाने और अपने कपड़े बदलने अपने कमरे में चली जाती है। यहां पानी का दबाव कम हो जाता है क्योंकि मेन नल बंद था और यह सारा पानी पाईप में से ही आया था, तरुण ने जल्दी से नल बदल दिया और सरिता को बुलाने उसके कमरे की और चला गया वहाँ उसके कमरे का दरवाजा खुला हुआ था। तरुण सीधे अंदर चला गया वहाँ सरिता अपने कपड़े बदल रही थी, उसने अपनी साड़ी उतार के रखी थी और उसके ब्लाउज का पीछे वाला नाडा भी खुला हुआ था।

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सरिता को ऐसे देख तरुण का लिंग फिर से खडा हो गया और उसका अंदर ही तम्बू बन गया।तरुण ने अब सरिता को पीछे से पकड़ लिया, और उसे किस गर्दन पर करने लगा। फिर वह सरिता की कमर से हाथ उसके ब्लाउज के अंदर ले जाता है। उसने अंदर ब्रा नहीं पहनी थी,इसलिए उसका हाथ सीधे उसके खुले स्तनों को स्पर्श करता है। वह थोड़ी गुस्से में तरुण से कहती है," तरुण छोड़! छोड़ ना!"
तभी उसका बड़ा लिंग और बड़ा होकर खड़ा हो जाता है तरुण ने अंदर ढीला कच्छा और उसके उपर एक पायजामा पहना होता है। जिस वजह से उसका लिंग आसानी से ज्यादा उपर आ जाता है,और सरिता की जंघा को पीछे से छूने लगता है। सरिता अब उसे अपनी जंघा पर महसूस करने लगी है, और तरुण का हाथ पकड़ कर उसे दबाने लगती है। सरिता यहा तरुण के लिंग के आकार का जायजा लगती है, तरुण का लिंग उसे काफी बड़ा लगता है। अब बडे लिंग का स्पर्श और तरुण के उसके स्तनाग्र पर मसलने की वजह से अब सरिता के मन में भी लड्डू फूटने लगे थे। अब वह उसका साथ तो नहीं दे रही थी मगर उसका विरोध भी नहीं कर रही थी। असलियत में उसे भी कई दिनों से संभोग की इच्छा थी मगर उसके पति गिरधारी सिरीया में नौकरी करते थे, और साल में एक बार घर आते थे। और इस बार युद्ध जन्य परिस्थितियों के कारण वह तीन साल से, वही फस गये थे। जिस वजह से उसके मन में कामवासना की ज्वाला दबी हुई थी, आज उसका विस्फोट हो रहा था।
अब तरुण तेजी से अपना लिंग सरिता के नितम्ब पर घुमा रहा था, और स्तन पर मालिश भी तेज कर दी थी। सरिता कहने सिसकते हुये लगी,"तरुण अच्छा लग रहा है, करते रहो! करते रहो!"
तरुण ने अपने हाथ, जो ब्लाउज के अंदर थे तरुण ने उपर कर लिये जिस वजह से सरिता का ब्लाउज अब उतर गया। अब वह उपर से बिल्कुल नग्न थी, तरुण ने अब उसे अपनी और मोड़कर उसकी आंखों में देखा, उसके आंखों में थोड़ी सी शरारत थोड़ी सी शर्म थी, जिसके कारण उसकी आंखें नीचे जा रही थी। आंखें नीचे जाने की वजह से सरिता की नजर तरुण की पैंट पर पड़ी, वहां उसके लिंग ने बडा सा तम्बू बनाया हुआ था। पैंट पर पडे उभार को देखकर सरिता की आंखों खुली की खुली रह गई, वह लगातार तरुण के लिंग के उभार को देखती रही। उसके जो हाथ उसके स्तनों पर रखे हुये थे, वह अपने आप हटने लगे थे। सरिता अब तरुण के नजदीक आयी और वह थोड़ा सा नीचे झुककर अपने दोनों हाथों से तरुण के लिंग की लंबाई और और मोटाई का जायजा उसकी पैंट के उपर से ही लेने लगी। तरुण ने मौके का फायदा उठाकर सरिता के लेहंगे का नाडा खोल दिया, जिस वजह से सरिता का लेहंगा नीचे उतर गया और उसने अपने हाथ फिर से तरुण की पैंट से हटाकर अपनी योनी पर रखकर योनी ढक ली, और फिर एक बार शर्माकर आँखें बंद कर ली। तरुण ने अपने हाथों पर तेल लगाकर सरिता के स्तनों पर मालिश करने लगा। सरिता भी धीरे धीरे पीछे हटने लगी और तरुण उसकी तरफ और आगे बढ़ने लगा, आखिर में वह पलंग पर पीठ के बल लेट गई और तरुण उसके उपर आ गया, और अपने पैरों के बीच सरिता के पैर लेकर अच्छे से तेल लगाकर उसके स्तनों की मालिश कर रहा था, और अब तो उसने मालिश का जोर बढ़ा दिया था। जिससे सरिता अब संभोग के लिये बेताब थी उसने अपनी पैंटी को खुद नीचे कर दिया और अपनी टांगे फैलाने लगी, तरुण ने इशारा समझकर उसकी पैंटी उतार दी और अपनी पैंट और नीकर उतारकर सरिता के पैर खोल दिये, जिससे उसके सामने अब सरिता की योनी और गुद्द्वार आ गया। उसने अब अपने लिंग पर तेल लगाकर सरिता की योनी में डाल दिया सरिता चीखकर बोली,"कमीने! इतना बड़ा और इतना तेज डाल दिया राज के पापा का तो आधा भी नहीं है।"
तरुण बोला," मजा आया की नहीं?"
सरिता ,"पूरी चूत फट गई और..."
सरिता कुछ आगे बोलती इसके पहले तरुण ने सरिता के मुंह में अपना मुंह डालकर उसकी जबान पे अपनी जबान घुमाने लगा। और उसने स्तन की मालिश जारी रखी, और धक्के लगाने शुरू कर दिये। अब सरिता को भी मजा आने लगा था, वह भी पूरी तरह तरुण का साथ दे रही थी। तरुण ने सरिता को अपने उपर ले लिया, सरिता अब जोश में आकार उछल उछलकर कर तरुण का लिंग अंदर बाहर ले रही थी, तरुण भी उसे नीचे से धक्के दिये जा रहा था। तरुण ने उसके स्तनाग्रों को मसला, और सरिता और उपर चली गई जिसकी वजह से नीचे आते वक्त लिंग और गहराई में चला गया और गर्भाशय के अंत तक चला गया,उसने राज के पिता गिरधारी का भी इतना अंदर नहीं लिया था, वह जोरों से चीखकर बोली,"हाय! मर गई! तरुण धीरे करो! बहुत मोटा है तुम्हारा...आ! आ!ई! ई!!!"
तरुण बोला,"आंटी, अभी तो आधा भी नहीं गया, अभी तो आपको मेरा पूरे दस इंच अंदर लेना है।"
सरिता घबराकर बोली,"नहीं!! इतना और अब तो आधा इंच भी ना जाये!!"
सरिता का इतना कहते ही पानी छूट गया और वह वही लेट गई, और मुस्कराकर तरुण से कहा," वाह! आज तो जैसे मजा ही आ गया।"
तरुण ने उनकी कमर पर हाथ रखकर कहा,"ऐसा है तो, और एक राउंड ले?"
सरिता बोली," नहीं बाबा नहीं! एक में ही हालत खराब हो गई,अब और नहीं।"
तरुण बोला,"वैसे अंकल के साथ कितनी देर करती है आप?"
सरिता बोली,"जवानी में एक दो घंटे आराम से चलता था,मगर अब वह आधा घंटा भी कर दे तो बहुत है।"
तरुण अपना हाथ उसकी पीठ पर घुमाकर, सरिता के नितम्ब पर ले जाकर दबाने लगता है।
सरिता कहती है,"वह भी साल में एक बार आते है, और अब पंद्रह मिनट में उनका निकल जाता है,और अगर बाहर कुछ किया, तो समाज थुंकेगा।"
तरुण पूछता है,"राज के साथ नहीं किया कभी?"
सरिता चौंककर बोली,"राज! मगर कैसे? वह तो बेटा है मेरा।"
तरुण सरिता के नितम्ब को सहलाकर बोला,"वैसे, मै भी आपके बेटे की उम्र का हुं, मेरे साथ किया तो उसके साथ करने में क्या हर्ज है?"
सरिता बोली,"कैसे पूछु उसे? क्या वह मानेगा?"
तरुण बोला,"जितनी जरुरत आपको है,उतनी उसे भी है। कोमल के साथ वह ट्राय कर रहा है, मगर उसने उसे जरा भी नहीं दिया।"
कोमल का नाम सुनते ही सरिता के होश उड़ गये,वह बोली,"कोण कोमल, जो सुबह आयी थी वह?"
तरुण,"हाँ वही, क्यों क्या हुआ?"
सरिता बोली,"अरे! यह वही लड़की है जिसने मेरे बड़े बेटे सतीश की जिंदगी बरबाद कर दी थी, उसपर झूठा इजांम लगाकर।"
तरुण उन्हें बोला,"राज तो अब उसके साथ अकेला है, हमें उसे अभी बुलाना चाहिए।"
ऐसा कहते हुये तरुण ने राज को फोन लगाया, राज तब कोमल के घर पहुंच चुका था, कोमल गाड़ी से उतरी, और तरुण को अंदर आने के लिये कहकर घर के अंदर चली गई। राज गाड़ी से उतरा ही था की उसे तरुण का फोन आ गया उसने तरुण से पूछा,"क्या बे? क्यों फोन किया?"
तरुण बोला,"तुझे कुछ दिखाना है, व्हीडीऔ कॉल अॉन कर।"
जैसे राज ने व्हीडीओ कॉल चला कर देखा उसके तो होश उड़ गये,उसकी अपनी माँ उसके दोस्त के साथ संभोग कर रही है, वह बोला,"रुक तुझे तो छोडूंगा नहीं।"
इतना कहकर वह गाड़ी लेकर अपने घर आ गया वह इतनी तेजी से आया की, वह पौना घंटे में वहां पहुंच गया। और गुस्से में वह घर के अंदर चला गया, और सरिता के बेड रूम का दरवाजा खटखटाने लगा और चिल्लाने लगा,"मम्मी दरवाजा खोलिये, वह नहीं बचेगा मेरे हाथ से।", जैसे ही सरिता ने दरवाजा खोला राज कमरे के अंदर आ गया। उसने खिड़की, बालकनी, सब छान मारा, मगर तरुण उसे नहीं मिला, तभी उसे घर के बाहर से गाड़ी शूरू होने की आवाज आई, उसने बाहर जाकर देखा तो, तरुण उसकी गाड़ी ले कर भाग गया राज ने भी थोड़ी देर उसका पीछा किया मगर वह उसे पकड़ नहीं पाया, सरिता भी उसके पीछे भागी।असल में तरुण ने संभोग करने के बाद गाड़ी की दूसरी चाबी लेकर नीचे छिपकर, राज की प्रतीक्षा कर रहा था। जैसे राज अंदर गया, तरुण उसकी गाड़ी लेकर भाग गया।

यहाँ राज और उसके पीछे सरिता बाहर आ गयी । वो दोनों घर की तरफ जाने लगे तभी बरसात शूरू हो गई। दोनों घर की तरफ भागने लगे तभी, और घर दूर होने की वजह से और आसपास खुला मैदान होने की वजह से सरिता और राज पूरी तरह से भीग गयें। सरिता ने सिर्फ एक गाउंड पहना हुआ था, जो की सिर्फ उसकी जाँघ तक आता था, उसमें बाहे नहीं थी, गला इतना गहरा था की स्तनों के बीच की गहराई आराम से दिखाई दे रही थी, पीछे से इतना की पीठ से कमर तक का हिस्सा दिखाई दे रहा था।
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अपनी माँ को पहले अपने दोस्त के साथ पूरी तरह से नग्न, और अब इतने काम उत्तेजक कपड़ों में वो भी भीगी हुई देखकर राज के मन में खयाल आया की ,"इधर ही शुरू हो जाऊँ!"
वह सरिता को ताड रहा था, तभी उसका लिंग उसके पैंट में ही तम्बू बना लिया था। जब दोनों भागते हुये घर तक पहुंचे, तब सरिता की नजर राज की पैंट पर आये उस उभार पर पड़ी, जिसे देख वह हंसने लगी और जैसे ही राज ने वह जाना, उसने शर्माकर अपनी नजर घुमाकर दरवाजे का ताला खोल लिया। और वह दोनों अंदर चले गये। सरिता अपने कमरे में चली गई, और राज अपने कमरे में चला गया दोनों कपड़े बदलने लगे। सरिता ने कपड़े उतारकर अपने धड़ पर टॉवेल लपेटकर अपने बालों पर भी एक टॉवेल लपेट लिया।

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उसके बाद उसने तरुण को फोन लगाया और पूछा,"तरुण, वह तो अभी से इतना एक्साइटेड है, लगातार मुझे घुरे जा रहा था, और उसका खडा भी हो गया।"
तरुण ने गाड़ी सड़क के किनारे लगाकर फोन को स्टैंड पे रखकर बात की:-
तरुण ने कहां,"यह तो होना ही था, क्योंकि उस कोमल ने उसे बहुत सारा व्हायग्रा जुस में मिलाकर, पिलाया है।"
सरिता ने कहा,"तभी! बार बार मुझे इतनी हवस भरी नजरों से मुझे देख रहा था मुझे, अब क्या करूं में?"
सरिता ने घबराकर कहा,"अब उसे कैसे कंट्रोल करूंगी में उसे!"
तरुण ने कहा,"राज को शायद पूरी बोतल दि गई है, अगर आप उसका साथ नहीं दे सकती तो उसका विरोध भी मत करना, नहीं तो वह ज्यादा ॲग्रेसीव्ह हो जायेगा।"
तब सरिता ने पूछा,"मेरे पास तो कंडोम ही नहीं है, अगर वह मुझमें झड़ गया और में प्रेग्नंट हो गई तो?"
तरुण ने कहा आप,"आप ड्रावर चेक कीजिए जरा।", इतना कहकर तरुण ने अपना कमाल दिखाया, दिव्य आईने में हाथ डालकर एक मेडिकल से निरोध का डिब्बा निकाला और आयने को सरिता के कमरे का ड्रावर दिखाने को कहा, जैसे ही आयने में तरुण को वह दिखा उसने दो चार निरोध उसके अंदर डाल दिये। आयने की शक्ति ने उन्हें सही जगा प्रकट कर दिया, वह सरिता को ड्रावर में मिल गई।
सरिता ने देखकर कहा,"यह यहां कहां से आये?"
तरुण ने कहा,"मैने रखे थे।"
सरिता ने कहा,"मगर, यह तो लेडीज कंडोम है?"
तरुण ने कहा," शायद राज के आपके सामने आने पर तो आपको वक्त ही ना मिले, वह आते ही शुरु हो जाये।"
तब सरिता ने वह निरोध अपनी योनी में पहन लिया।
तभी सरिता को दरवाजा खटखटाने की आवाज आती है। वह फोन काटकर दरवाजा खोलती है, तो देखकर चौंक जाती है। राज उसके सामने सिर्फ एक टॉवेल में खडा था, और वह खुद भी टॉवेल में थी, सरिता के स्तन आधे टॉवेल के बाहर थे, उसके स्तनों की गहराई साफ दिखाई दे रही थी। सरिता को ऐसे देख राज का लिंग खड़ा हो गया और रूमाल में तम्बू बनाने लगा। सरिता ने राज के टॉवेल में बने उस तम्बू को देखा और वह चौंक गई। सरिता कुछ समझ पाती, इससे पहले राज ने उसका
टॉवेल खींचकर उसे पूरी तरह से नग्न कर दिया। सरिता ने अपने स्तनों पर हाथ रखकर उन्हें ढकने की कोशिश की, मगर वह सिर्फ स्तनाग्रों को ढक पा रही थी, उसके तरबूज जैसे स्तनों की गोलाई दिखाई दे रही थी। राज ने उसे धक्का देकर बेड पर लेटा दिया और उसके पैर खोलकर अपना लिंग उसकी योनी में डाल दिया, और तेजी से आगे पीछे धक्का लगाने लगा, सरिता ना विरोध कर रही थी ना ही उसका साथ दे रही थी। वह सिर्फ जो राज कर रहा था उसे करने दे रही थी। राज ने अपने धक्के तेज कर दिये, वह धक्कों की रफ्तार बढ़ाता ही जा रहा था। उसके उन तेज धक्कों की वजह से, सरिता के पुरे बदन में अच्छी तरह से कंपन उत्पन्न हो रहे थे। उन कंपनों के साथ सरिता के स्तन भी झटके खा रहे थे वह बड़े ही मादक अंदाज में उपर नीचे हो रहे थे। अपने शरीर में आ रहे झटके संभालने के लिए सरिता ने अपने हाथ हटाकर जैसे ही सरिता ने बेड की चादर पकड़ी, राज ने सरिता के दायें स्तनाग्र को अपने मुंह के अंदर ले लिया, और बायें स्तन को कभी दबा रहा था, और उसके स्तनाग्र को अपनी उंगलियों से मसला, जिसकी वजह से सरिता की चीख निकल गई," हाय! मर गई मे!"
उसके चीखने की वजह से राज और ज्यादा उत्तेजित होकर उसके स्तनाग्रों को और जोर से मसलने लगा जिस वजह से सरिता झड़ गई। मगर राज का अभी बाकी था इसलिए उसने सरिता को घोडी बनने के लिये कहा। वह घोडी बन गई और राज उसे पीछे से धक्के लगाने लगा। राज ने सरिता की जंघाये पकड़ ली, और उसे आगे पीछे करके धक्के लगाने लगा, उसने फिर से धक्के तेज कर दिये अब उसके लटकते स्तन बड़ी ही तेजी से और कामुकता से मटक रहे थे। ऐसे एक घंटे चलता रहा जिससे सरिता फिर से झड़ गई। राज की नजर अब सरिता के मोटे, भरे हुये नितम्ब पर पड़ी, और उनमें छिपे गुद्द्वार पर पड़ी जिससे वह ज्यादा ही उत्तेजित हो गया। और उसने अपना लिंग सरिता की योनी से निकाला और सरिता के गुद्द्वार पर रखा और एक तेज धक्का दे दिया, जिससे उसका ६ इंच का लिंग आधा सरिता की योनी में चला गया। लिंग अंदर जाने से सरिता को बहुत दर्द हुआ और वह चीख पड़ी,"राज!!! ये कहा डाल दिया!!!! बाहर निकाल जल्दी!!!"
राज ने उसका लिंग थोड़ा बाहर निकालकर एक जोरदार धक्का दिया जिससे उसका पूरा लिंग सरिता के अंदर चला गया। वह चीख उठी," आ!!! आ!!! आ!!!"
जैसे जैसे राज रफ्तार बढ़ा रहा था, सरिता की चीख बढ़ती जा रही थी, और बढ़ती चीख के साथ राज का जोश भी बढ़ता जा रहा था। अब सरिता का गुद्द्वार ढीला हो रहा था। अब उसे दर्द होने के साथ साथ मजा भी आ रहा था, वह मजे से चिल्ला रही थी,"राज!!! आ!!!!!! और !!! और!!! जोर !!! से!! आह!!!!"
राज अब अपनी चरम सीमा पर पहुंच चुका था, वह पूरे जोश के साथ धक्के लगा रहा था, और अचानक वह चीख पड़ा और वही झड़ गया, सरिता चार बार झड़ चुकी थी। राज थक कर वही सरिता की पीठ पर ही लेट गया और वही सो गया, सरिता ने राज का लिंग बाहर निकाला उसके सर को अपने स्तनों के बीच रखा, और उसे बाहों में भरकर सो गई।
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Nevil singh

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Part 2

UPDATE 3
अगली सुबह तरुण की नींद खुल गई, सुबह के सात बजे थे। तरुण ने उठकर देखा तो तेजल उसके बगल में नहीं थी। वह उठकर शौचालय चला गया, हल्का होकर बाहर निकला और हाथ धोकर और ब्रश करके रसोई में गया वहां तेजल पहले से ही तैयार होकर खाना बना रही थी। वह उस दिन कुछ अलग लग रही थी। उसने एक बेकलेस स्लिव लेस डीप थ्रोट का नीला ब्लाउज पहन रखा था, उसपर उसने नीले रंग का लेहेंगा नाभि से नीचे और एक नीले रंग की पतली पारदर्शी साड़ी पहन रखी थी। इसमें उसकी कमर के घुमाव बडे ही आकर्षक लग रहे थे।
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तरुण ने पीछे से जाकर उसे कमर में हाथ डालकर उसे पकड़ लिया, तेजल शर्माकर लाल हो गई और बोली,"छोड़ो ना! ये क्या कर रहे हो?"
तरुण, "कल रात को जो हुआ उसके मुकाबले तो यह कुछ भी नहीं है।"
तेजल फिर से तरुण के लिंग तथा उसके अंदर जानेवाले एहसास की कल्पना करने लगी तरुण ने उसके नितम्ब पर एक फटकार चलाकर उसे होश में लाया। वह अब सिर्फ तरुण को मुस्कराकर देख रही थी। तब तरुण की जे ई ई की मेन्स परीक्षा थी। थोड़ी देर बाद तरुण को लेने राज और कोमल आ गये। कोमल गाड़ी चला रही थी, क्योंकि तरुण और राज के पास ड्राइविंग लाइसेंस नहीं था तरुण अपने साथ ज्वालामुखी को भी ले आया था ताकि वह चारों एक साथ जा सके महाविद्यालय एक होने के कारण सभी का नंबर एक ही केन्द्र पर आया था। वह किसकी कितनी पढाई हुई है इसपर बातें कर रहे थे तब,
कोमल ने कहा," तुम्हारी कितनी पढाई हुई है? मेरी सारी हो चुकी है।"
राज,"कुछ खास नहीं, सो सो "
ज्वालामुखी,"मेरी इतनी हुई है की 40% तक मिल सकते है।"
तरुण," मेरी सारी हो चुकी है।"
कोमल," ऐसा क्या ?"
तरुण ," हाँ ।"
कोमल,"कुछ भी मत फेंक?"
तरुण ,"फेंक नहीं रहा हुं, सच में हुई है।"
कोमल," तो फिर लगी शर्त, अगर मुझे ज्यादा मिले तो तुम दस दिनों के लिये मेरे गुलाम।"
तरुण ,"अगर, मुझे ज्यादा मिले तो?"
कोमल,"तो दस दिनों के लिये, मैं तुम्हारी गुलाम,जो तुम कहोगे मै करूंगी, कुछ भी!"
तरुण ,"डन!"
कोमल,"डन!"
वह जल्दी ही वहां पहुंच गये। इस बार परीक्षा अॉनलाईन थी, जिस वजह से पेपर खत्म होते ही रिजल्ट आ गया सब आकर अपना अपना रिजल्ट दिखाने लगे।
राज,"मुझे 80/360 मिले है।"
ज्वालामुखी ," मुझे 83/360 मिले है।"
कोमल,"मुझे 120/360 मिले है, तुम्हें कितने मिले तरुण?"
तरुण,"खुद देख लो।"
तरुण के गुण देखकर सबके होश उड़ गये, उसे सीधे 360/360 मिले थे। तरुण ने कहा,"अपनी शर्त तो याद है ना कोमल तुम्हें?"
तरुण से यह सुनकर कोमल डर गई और कांपती हुई बोली ,"क्या करना होगा अब?"
तरुण,"घर जाते जाते बता दूंगा।"
वह सब अब गाड़ी में बैठ गये, ज्वालामुखी और राज पीछे बैठ गये, तरुण कोमल के साथ आगे बैठ गया, कोमल ने गाड़ी शुरू की, और थोड़ी देर बाद सब तरुण के घर पहुंच गये और तरुण के और ज्वालामुखी के घर पहुंच गये। ज्वालामुखी अपने घर चली गई और चंद्रमुखी ने तरुण को कहा की तेजल कुछ दस ग्यारह दिनों के लिये गांव चली गई है ,और अगर वह चाहे तो रात को उनके घर सो सकता है। इतना कहकर चंद्रमुखी ज्वालामुखी को साथ लेकर चली गई।
तभी राज ने कहा, "चलो कोमल, अब हम भी घर चले।"
तरुण ने कोमल का हाथ पकड़ लिया, और कहा,"तुम जाओ राज, कोमल मेरे साथ रहेगी अगले दस दिनों तक मेरी गुलाम बनकर।"
राज हंसते हुये बोला," क्यों मजाक कर रहा है यार? आने दे उसे।"
तरुण ने कोमल को जोर से अपने नजदीक खींचकर अपना हाथ उसकी कमर में कसकर कहा,"मजाक नहीं कर रहा हूं, इसने शर्त लगाई थी और हार गई।"
तब राज सोचकर बोला,"देख तरुण, मेरे पास लायसन्स नहीं है, कोमल को मेरे साथ आना ही होगा।"
तरुण बोला,"चलो फिर मै भी आता हूं मगर तेरे घर जाने के बाद इसे मेरे साथ मेरे घर आना होगा।"
तब तीनों गाड़ी में बैठकर राज के घर चले गये, राज के घर पहुंचने के बाद सब गाड़ी से उतर गये। राज का घर एक बंगलौ था उसमें एक रसोईघर, पांच कमरे, एक बैठक, और एक गेस्ट रूम था।
वो तीनों दरवाजे पर गये और घंटी बजाई थोड़ी देर बाद राज की माँ सरिता शर्मा ने दरवाजा खोला,
सरिता शर्मा राज शर्मा की माँ थी।
उसका कध पांच फुट चार इंच का था।
उसका सीना ३६
कमर ३०
और नितम्ब ३६
पेट उम्र की वजह से थोड़ा आगे था मगर उसका गोरा रंग उसके रुप को संगमरमर की मूर्ति की तरह दर्शाता था
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सरिता ने सबको अंदर बुलाया, और बैठने को कहा। सब बैठ गये और सरिता टीवी चालू करके रसोई में चली गई। तब कोमल राज से कहने लगी," राज कुछ करो इसका!"
राज," तुम चिंता मत करो, मै कुछ करता हुं।"
तभी सरिता राज को अंदर से आवाज लगाती है,"बेटा राज, जरा यहां आना।"
तभी राज उठकर रसोई में चला जाता है। और अब तरुण और कोमल बैठक में अकेले थे। अब तरुण धीरे से कोमल की और खिसक कर उसके करीब आता है। और कोमल उससे दूर खिसकती है, इससे वह सोफे के हाथ के पास आ जाती है। अब वह ज्यादा दूर नहीं सरक सकती थी। इससे तरुण का काम आसान हो गया अब वह सरक कर कोमल के करीब आकर उससे सटकर बैठ जाता है। अब कोमल चैनल बदलती है, मगर तब कोई सी ग्रेड भोजपुरी फिल्म लगी हुई थी। टीवी पर एक काम उत्तेजित दृश्य शुरू होता है, वहां उसमें नायक नायिका के कपड़े उतार रहा होता है। कोमल को फिल्मों में बहुत ज्यादा रस था, और अक्सर ऐसे दृश्य उसे ज्यादा उत्तेजित करते थे, उसकी कामवासना उसके चेहरे पर साफ झलक रही थी। तरुण को पता चल गया क्या करना है, वह अपना हाथ उसके पीछे सोफे पर रखता है।और धीरे से कोमल के सूट की पिछली चैन खोल देता है, और वह उसकी पीठ पर हाथ घुमाकर उसे सहलाता है। वह अब थोड़ी थोड़ी उत्तेजित होने लगती है। और तरुण की और देखती है। तरुण उसे वही जकड़ कर उसे चूमने लगता है। और वह उसका विरोध करती है मगर वह उसकी पकड़ के सामने कुछ भी नहीं था। अब उसका विरोध कम हो जाता है और तब तरुण उसके ब्रा का हुक खोल कर, उसके सूट नीचे कर उसके स्तन चूसने लगता है, अब वह उत्तेजित होने लगती है और विरोध छोड़ उसका साथ देने लगती है। तभी राज अंदर से तरुण को आवाज लगाता है, और तब दोनों रुक जाते है। और अपनी काम क्रीड़ा से बाहर आकर अपने कपड़े ठीक करते है।तरुण कोमल के सूट की झिप बंद कर, ब्रा उसके पर्स में छुपा देता है। और तरुण राज के पास चला जाता है। वहां राज तरुण को नल ठीक करने में सरिता की मदद करने कहता है, और कोमल के पास चला जाता है। वहां कोमल राज को लेकर अपने घर चली जाती है। और यहाँ तरुण एक झटके में ही तरुण बंद नल खोल देता है, जिस वजह से पानी की एक तेज धारा निकलकर सरिता पर उड़ती है और उसके सारे कपड़े भीग जाते है। सरिता अपना बदन सुखाने और अपने कपड़े बदलने अपने कमरे में चली जाती है। यहां पानी का दबाव कम हो जाता है क्योंकि मेन नल बंद था और यह सारा पानी पाईप में से ही आया था, तरुण ने जल्दी से नल बदल दिया और सरिता को बुलाने उसके कमरे की और चला गया वहाँ उसके कमरे का दरवाजा खुला हुआ था। तरुण सीधे अंदर चला गया वहाँ सरिता अपने कपड़े बदल रही थी, उसने अपनी साड़ी उतार के रखी थी और उसके ब्लाउज का पीछे वाला नाडा भी खुला हुआ था।

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सरिता को ऐसे देख तरुण का लिंग फिर से खडा हो गया और उसका अंदर ही तम्बू बन गया।तरुण ने अब सरिता को पीछे से पकड़ लिया, और उसे किस गर्दन पर करने लगा। फिर वह सरिता की कमर से हाथ उसके ब्लाउज के अंदर ले जाता है। उसने अंदर ब्रा नहीं पहनी थी,इसलिए उसका हाथ सीधे उसके खुले स्तनों को स्पर्श करता है। वह थोड़ी गुस्से में तरुण से कहती है," तरुण छोड़! छोड़ ना!"
तभी उसका बड़ा लिंग और बड़ा होकर खड़ा हो जाता है तरुण ने अंदर ढीला कच्छा और उसके उपर एक पायजामा पहना होता है। जिस वजह से उसका लिंग आसानी से ज्यादा उपर आ जाता है,और सरिता की जंघा को पीछे से छूने लगता है। सरिता अब उसे अपनी जंघा पर महसूस करने लगी है, और तरुण का हाथ पकड़ कर उसे दबाने लगती है। सरिता यहा तरुण के लिंग के आकार का जायजा लगती है, तरुण का लिंग उसे काफी बड़ा लगता है। अब बडे लिंग का स्पर्श और तरुण के उसके स्तनाग्र पर मसलने की वजह से अब सरिता के मन में भी लड्डू फूटने लगे थे। अब वह उसका साथ तो नहीं दे रही थी मगर उसका विरोध भी नहीं कर रही थी। असलियत में उसे भी कई दिनों से संभोग की इच्छा थी मगर उसके पति गिरधारी सिरीया में नौकरी करते थे, और साल में एक बार घर आते थे। और इस बार युद्ध जन्य परिस्थितियों के कारण वह तीन साल से, वही फस गये थे। जिस वजह से उसके मन में कामवासना की ज्वाला दबी हुई थी, आज उसका विस्फोट हो रहा था।
अब तरुण तेजी से अपना लिंग सरिता के नितम्ब पर घुमा रहा था, और स्तन पर मालिश भी तेज कर दी थी। सरिता कहने सिसकते हुये लगी,"तरुण अच्छा लग रहा है, करते रहो! करते रहो!"
तरुण ने अपने हाथ, जो ब्लाउज के अंदर थे तरुण ने उपर कर लिये जिस वजह से सरिता का ब्लाउज अब उतर गया। अब वह उपर से बिल्कुल नग्न थी, तरुण ने अब उसे अपनी और मोड़कर उसकी आंखों में देखा, उसके आंखों में थोड़ी सी शरारत थोड़ी सी शर्म थी, जिसके कारण उसकी आंखें नीचे जा रही थी। आंखें नीचे जाने की वजह से सरिता की नजर तरुण की पैंट पर पड़ी, वहां उसके लिंग ने बडा सा तम्बू बनाया हुआ था। पैंट पर पडे उभार को देखकर सरिता की आंखों खुली की खुली रह गई, वह लगातार तरुण के लिंग के उभार को देखती रही। उसके जो हाथ उसके स्तनों पर रखे हुये थे, वह अपने आप हटने लगे थे। सरिता अब तरुण के नजदीक आयी और वह थोड़ा सा नीचे झुककर अपने दोनों हाथों से तरुण के लिंग की लंबाई और और मोटाई का जायजा उसकी पैंट के उपर से ही लेने लगी। तरुण ने मौके का फायदा उठाकर सरिता के लेहंगे का नाडा खोल दिया, जिस वजह से सरिता का लेहंगा नीचे उतर गया और उसने अपने हाथ फिर से तरुण की पैंट से हटाकर अपनी योनी पर रखकर योनी ढक ली, और फिर एक बार शर्माकर आँखें बंद कर ली। तरुण ने अपने हाथों पर तेल लगाकर सरिता के स्तनों पर मालिश करने लगा। सरिता भी धीरे धीरे पीछे हटने लगी और तरुण उसकी तरफ और आगे बढ़ने लगा, आखिर में वह पलंग पर पीठ के बल लेट गई और तरुण उसके उपर आ गया, और अपने पैरों के बीच सरिता के पैर लेकर अच्छे से तेल लगाकर उसके स्तनों की मालिश कर रहा था, और अब तो उसने मालिश का जोर बढ़ा दिया था। जिससे सरिता अब संभोग के लिये बेताब थी उसने अपनी पैंटी को खुद नीचे कर दिया और अपनी टांगे फैलाने लगी, तरुण ने इशारा समझकर उसकी पैंटी उतार दी और अपनी पैंट और नीकर उतारकर सरिता के पैर खोल दिये, जिससे उसके सामने अब सरिता की योनी और गुद्द्वार आ गया। उसने अब अपने लिंग पर तेल लगाकर सरिता की योनी में डाल दिया सरिता चीखकर बोली,"कमीने! इतना बड़ा और इतना तेज डाल दिया राज के पापा का तो आधा भी नहीं है।"
तरुण बोला," मजा आया की नहीं?"
सरिता ,"पूरी चूत फट गई और..."
सरिता कुछ आगे बोलती इसके पहले तरुण ने सरिता के मुंह में अपना मुंह डालकर उसकी जबान पे अपनी जबान घुमाने लगा। और उसने स्तन की मालिश जारी रखी, और धक्के लगाने शुरू कर दिये। अब सरिता को भी मजा आने लगा था, वह भी पूरी तरह तरुण का साथ दे रही थी। तरुण ने सरिता को अपने उपर ले लिया, सरिता अब जोश में आकार उछल उछलकर कर तरुण का लिंग अंदर बाहर ले रही थी, तरुण भी उसे नीचे से धक्के दिये जा रहा था। तरुण ने उसके स्तनाग्रों को मसला, और सरिता और उपर चली गई जिसकी वजह से नीचे आते वक्त लिंग और गहराई में चला गया और गर्भाशय के अंत तक चला गया,उसने राज के पिता गिरधारी का भी इतना अंदर नहीं लिया था, वह जोरों से चीखकर बोली,"हाय! मर गई! तरुण धीरे करो! बहुत मोटा है तुम्हारा...आ! आ!ई! ई!!!"
तरुण बोला,"आंटी, अभी तो आधा भी नहीं गया, अभी तो आपको मेरा पूरे दस इंच अंदर लेना है।"
सरिता घबराकर बोली,"नहीं!! इतना और अब तो आधा इंच भी ना जाये!!"
सरिता का इतना कहते ही पानी छूट गया और वह वही लेट गई, और मुस्कराकर तरुण से कहा," वाह! आज तो जैसे मजा ही आ गया।"
तरुण ने उनकी कमर पर हाथ रखकर कहा,"ऐसा है तो, और एक राउंड ले?"
सरिता बोली," नहीं बाबा नहीं! एक में ही हालत खराब हो गई,अब और नहीं।"
तरुण बोला,"वैसे अंकल के साथ कितनी देर करती है आप?"
सरिता बोली,"जवानी में एक दो घंटे आराम से चलता था,मगर अब वह आधा घंटा भी कर दे तो बहुत है।"
तरुण अपना हाथ उसकी पीठ पर घुमाकर, सरिता के नितम्ब पर ले जाकर दबाने लगता है।
सरिता कहती है,"वह भी साल में एक बार आते है, और अब पंद्रह मिनट में उनका निकल जाता है,और अगर बाहर कुछ किया, तो समाज थुंकेगा।"
तरुण पूछता है,"राज के साथ नहीं किया कभी?"
सरिता चौंककर बोली,"राज! मगर कैसे? वह तो बेटा है मेरा।"
तरुण सरिता के नितम्ब को सहलाकर बोला,"वैसे, मै भी आपके बेटे की उम्र का हुं, मेरे साथ किया तो उसके साथ करने में क्या हर्ज है?"
सरिता बोली,"कैसे पूछु उसे? क्या वह मानेगा?"
तरुण बोला,"जितनी जरुरत आपको है,उतनी उसे भी है। कोमल के साथ वह ट्राय कर रहा है, मगर उसने उसे जरा भी नहीं दिया।"
कोमल का नाम सुनते ही सरिता के होश उड़ गये,वह बोली,"कोण कोमल, जो सुबह आयी थी वह?"
तरुण,"हाँ वही, क्यों क्या हुआ?"
सरिता बोली,"अरे! यह वही लड़की है जिसने मेरे बड़े बेटे सतीश की जिंदगी बरबाद कर दी थी, उसपर झूठा इजांम लगाकर।"
तरुण उन्हें बोला,"राज तो अब उसके साथ अकेला है, हमें उसे अभी बुलाना चाहिए।"
ऐसा कहते हुये तरुण ने राज को फोन लगाया, राज तब कोमल के घर पहुंच चुका था, कोमल गाड़ी से उतरी, और तरुण को अंदर आने के लिये कहकर घर के अंदर चली गई। राज गाड़ी से उतरा ही था की उसे तरुण का फोन आ गया उसने तरुण से पूछा,"क्या बे? क्यों फोन किया?"
तरुण बोला,"तुझे कुछ दिखाना है, व्हीडीऔ कॉल अॉन कर।"
जैसे राज ने व्हीडीओ कॉल चला कर देखा उसके तो होश उड़ गये,उसकी अपनी माँ उसके दोस्त के साथ संभोग कर रही है, वह बोला,"रुक तुझे तो छोडूंगा नहीं।"
इतना कहकर वह गाड़ी लेकर अपने घर आ गया वह इतनी तेजी से आया की, वह पौना घंटे में वहां पहुंच गया। और गुस्से में वह घर के अंदर चला गया, और सरिता के बेड रूम का दरवाजा खटखटाने लगा और चिल्लाने लगा,"मम्मी दरवाजा खोलिये, वह नहीं बचेगा मेरे हाथ से।", जैसे ही सरिता ने दरवाजा खोला राज कमरे के अंदर आ गया। उसने खिड़की, बालकनी, सब छान मारा, मगर तरुण उसे नहीं मिला, तभी उसे घर के बाहर से गाड़ी शूरू होने की आवाज आई, उसने बाहर जाकर देखा तो, तरुण उसकी गाड़ी ले कर भाग गया राज ने भी थोड़ी देर उसका पीछा किया मगर वह उसे पकड़ नहीं पाया, सरिता भी उसके पीछे भागी।असल में तरुण ने संभोग करने के बाद गाड़ी की दूसरी चाबी लेकर नीचे छिपकर, राज की प्रतीक्षा कर रहा था। जैसे राज अंदर गया, तरुण उसकी गाड़ी लेकर भाग गया।

यहाँ राज और उसके पीछे सरिता बाहर आ गयी । वो दोनों घर की तरफ जाने लगे तभी बरसात शूरू हो गई। दोनों घर की तरफ भागने लगे तभी, और घर दूर होने की वजह से और आसपास खुला मैदान होने की वजह से सरिता और राज पूरी तरह से भीग गयें। सरिता ने सिर्फ एक गाउंड पहना हुआ था, जो की सिर्फ उसकी जाँघ तक आता था, उसमें बाहे नहीं थी, गला इतना गहरा था की स्तनों के बीच की गहराई आराम से दिखाई दे रही थी, पीछे से इतना की पीठ से कमर तक का हिस्सा दिखाई दे रहा था।
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अपनी माँ को पहले अपने दोस्त के साथ पूरी तरह से नग्न, और अब इतने काम उत्तेजक कपड़ों में वो भी भीगी हुई देखकर राज के मन में खयाल आया की ,"इधर ही शुरू हो जाऊँ!"
वह सरिता को ताड रहा था, तभी उसका लिंग उसके पैंट में ही तम्बू बना लिया था। जब दोनों भागते हुये घर तक पहुंचे, तब सरिता की नजर राज की पैंट पर आये उस उभार पर पड़ी, जिसे देख वह हंसने लगी और जैसे ही राज ने वह जाना, उसने शर्माकर अपनी नजर घुमाकर दरवाजे का ताला खोल लिया। और वह दोनों अंदर चले गये। सरिता अपने कमरे में चली गई, और राज अपने कमरे में चला गया दोनों कपड़े बदलने लगे। सरिता ने कपड़े उतारकर अपने धड़ पर टॉवेल लपेटकर अपने बालों पर भी एक टॉवेल लपेट लिया।

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उसके बाद उसने तरुण को फोन लगाया और पूछा,"तरुण, वह तो अभी से इतना एक्साइटेड है, लगातार मुझे घुरे जा रहा था, और उसका खडा भी हो गया।"
तरुण ने गाड़ी सड़क के किनारे लगाकर फोन को स्टैंड पे रखकर बात की:-
तरुण ने कहां,"यह तो होना ही था, क्योंकि उस कोमल ने उसे बहुत सारा व्हायग्रा जुस में मिलाकर, पिलाया है।"
सरिता ने कहा,"तभी! बार बार मुझे इतनी हवस भरी नजरों से मुझे देख रहा था मुझे, अब क्या करूं में?"
सरिता ने घबराकर कहा,"अब उसे कैसे कंट्रोल करूंगी में उसे!"
तरुण ने कहा,"राज को शायद पूरी बोतल दि गई है, अगर आप उसका साथ नहीं दे सकती तो उसका विरोध भी मत करना, नहीं तो वह ज्यादा ॲग्रेसीव्ह हो जायेगा।"
तब सरिता ने पूछा,"मेरे पास तो कंडोम ही नहीं है, अगर वह मुझमें झड़ गया और में प्रेग्नंट हो गई तो?"
तरुण ने कहा आप,"आप ड्रावर चेक कीजिए जरा।", इतना कहकर तरुण ने अपना कमाल दिखाया, दिव्य आईने में हाथ डालकर एक मेडिकल से निरोध का डिब्बा निकाला और आयने को सरिता के कमरे का ड्रावर दिखाने को कहा, जैसे ही आयने में तरुण को वह दिखा उसने दो चार निरोध उसके अंदर डाल दिये। आयने की शक्ति ने उन्हें सही जगा प्रकट कर दिया, वह सरिता को ड्रावर में मिल गई।
सरिता ने देखकर कहा,"यह यहां कहां से आये?"
तरुण ने कहा,"मैने रखे थे।"
सरिता ने कहा,"मगर, यह तो लेडीज कंडोम है?"
तरुण ने कहा," शायद राज के आपके सामने आने पर तो आपको वक्त ही ना मिले, वह आते ही शुरु हो जाये।"
तब सरिता ने वह निरोध अपनी योनी में पहन लिया।
तभी सरिता को दरवाजा खटखटाने की आवाज आती है। वह फोन काटकर दरवाजा खोलती है, तो देखकर चौंक जाती है। राज उसके सामने सिर्फ एक टॉवेल में खडा था, और वह खुद भी टॉवेल में थी, सरिता के स्तन आधे टॉवेल के बाहर थे, उसके स्तनों की गहराई साफ दिखाई दे रही थी। सरिता को ऐसे देख राज का लिंग खड़ा हो गया और रूमाल में तम्बू बनाने लगा। सरिता ने राज के टॉवेल में बने उस तम्बू को देखा और वह चौंक गई। सरिता कुछ समझ पाती, इससे पहले राज ने उसका
टॉवेल खींचकर उसे पूरी तरह से नग्न कर दिया। सरिता ने अपने स्तनों पर हाथ रखकर उन्हें ढकने की कोशिश की, मगर वह सिर्फ स्तनाग्रों को ढक पा रही थी, उसके तरबूज जैसे स्तनों की गोलाई दिखाई दे रही थी। राज ने उसे धक्का देकर बेड पर लेटा दिया और उसके पैर खोलकर अपना लिंग उसकी योनी में डाल दिया, और तेजी से आगे पीछे धक्का लगाने लगा, सरिता ना विरोध कर रही थी ना ही उसका साथ दे रही थी। वह सिर्फ जो राज कर रहा था उसे करने दे रही थी। राज ने अपने धक्के तेज कर दिये, वह धक्कों की रफ्तार बढ़ाता ही जा रहा था। उसके उन तेज धक्कों की वजह से, सरिता के पुरे बदन में अच्छी तरह से कंपन उत्पन्न हो रहे थे। उन कंपनों के साथ सरिता के स्तन भी झटके खा रहे थे वह बड़े ही मादक अंदाज में उपर नीचे हो रहे थे। अपने शरीर में आ रहे झटके संभालने के लिए सरिता ने अपने हाथ हटाकर जैसे ही सरिता ने बेड की चादर पकड़ी, राज ने सरिता के दायें स्तनाग्र को अपने मुंह के अंदर ले लिया, और बायें स्तन को कभी दबा रहा था, और उसके स्तनाग्र को अपनी उंगलियों से मसला, जिसकी वजह से सरिता की चीख निकल गई," हाय! मर गई मे!"
उसके चीखने की वजह से राज और ज्यादा उत्तेजित होकर उसके स्तनाग्रों को और जोर से मसलने लगा जिस वजह से सरिता झड़ गई। मगर राज का अभी बाकी था इसलिए उसने सरिता को घोडी बनने के लिये कहा। वह घोडी बन गई और राज उसे पीछे से धक्के लगाने लगा। राज ने सरिता की जंघाये पकड़ ली, और उसे आगे पीछे करके धक्के लगाने लगा, उसने फिर से धक्के तेज कर दिये अब उसके लटकते स्तन बड़ी ही तेजी से और कामुकता से मटक रहे थे। ऐसे एक घंटे चलता रहा जिससे सरिता फिर से झड़ गई। राज की नजर अब सरिता के मोटे, भरे हुये नितम्ब पर पड़ी, और उनमें छिपे गुद्द्वार पर पड़ी जिससे वह ज्यादा ही उत्तेजित हो गया। और उसने अपना लिंग सरिता की योनी से निकाला और सरिता के गुद्द्वार पर रखा और एक तेज धक्का दे दिया, जिससे उसका ६ इंच का लिंग आधा सरिता की योनी में चला गया। लिंग अंदर जाने से सरिता को बहुत दर्द हुआ और वह चीख पड़ी,"राज!!! ये कहा डाल दिया!!!! बाहर निकाल जल्दी!!!"
राज ने उसका लिंग थोड़ा बाहर निकालकर एक जोरदार धक्का दिया जिससे उसका पूरा लिंग सरिता के अंदर चला गया। वह चीख उठी," आ!!! आ!!! आ!!!"
जैसे जैसे राज रफ्तार बढ़ा रहा था, सरिता की चीख बढ़ती जा रही थी, और बढ़ती चीख के साथ राज का जोश भी बढ़ता जा रहा था। अब सरिता का गुद्द्वार ढीला हो रहा था। अब उसे दर्द होने के साथ साथ मजा भी आ रहा था, वह मजे से चिल्ला रही थी,"राज!!! आ!!!!!! और !!! और!!! जोर !!! से!! आह!!!!"
राज अब अपनी चरम सीमा पर पहुंच चुका था, वह पूरे जोश के साथ धक्के लगा रहा था, और अचानक वह चीख पड़ा और वही झड़ गया, सरिता चार बार झड़ चुकी थी। राज थक कर वही सरिता की पीठ पर ही लेट गया और वही सो गया, सरिता ने राज का लिंग बाहर निकाला उसके सर को अपने स्तनों के बीच रखा, और उसे बाहों में भरकर सो गई।
Jabardast update dost
 

Kamuk219

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Part3
Update 4 शक्ति की पहचान
यहाँ तरुण घर जा रहा था तभी उसे उसके कनिष्ठ महाविद्यालय की एक अध्यापिका उसे दिखाई दी, उसने उन्हें आवाज लगाई," नयना मैडम! कहा जा रही है आप?"
उन्होंने तरुण को कहा," तरुण, तुम यहां, मै अपने घर जा रही हु" उनका बदन पानी से भीग चुका था।
तरुण ने उनसे कहा,"मैडम, मै भी घर जा रहा हूं, आइए आपको छोड़ देता हूं।" इतना कहकर तरुण ने दरवाजा खोला और वह अंदर आ गई। उन्होंने सफेद रंग कि साड़ी और लाल रंग का ब्लाउज पहना हुआ था। और बरसात में उनकी साड़ी उनके बदन से चिपक गई थी।

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और उनके सीने के उभार उनके ब्लाउज से साफ झलक रहे थे, और तरुण से बात करते वक्त झुकने की वजह से उनके दोनों उरोजों के बीच की गहराई के बीच से जाता बरसात का पानी ऐसे लग रहा था जैसे किसी, दो खूबसूरत पहाड़ों के बीच की खाई से कामुकता की नदी बह रही हो। जब वह अंदर आई तो तरुण तरुण से पूछा,"तरुण क्या तुम्हारे पास टॉवेल या न्यापकीन है?"
तरुण ने कहा,"अभी तो नहीं है, आप चाहे तो मै आपके लिये हीटर अॉन कर देता हूं। तरुण ने हीटर चालू कर दिया, वह थोड़ा सा तरुण की और आई। उन्होंने अपनी साड़ी का पल्लू थोड़ा सा बाजू में करके, अपनी आँखें बंद करके हीटर से आती गर्मी को महसूस करना शूरू किया। तरुण ने फिर हीटर के पंखे की रफ्तार बढ़ाई, जिससे नयना की साड़ी का पल्लू, उसके कंधे से नीचे गिर गया, मगर उसे उससे और गर्म हवा के झोंके हीटर से निकालकर उसके उरोज और कमर को छूने लगे, जिससे उसे वहाँ ठंड से राहत मिलने लगी। उसी गर्म हवा के कुछ झोंके उसके सीने से टकरा कर उसके उरोजों के बीच की गहराई में जाने लगे, तो कुछ उसके गले से होकर उसके कान तथा उसके मुलायम गालों को सहेला रहे थे। हवा के इस गर्म स्पर्श की वजह से वह बहुत रोमांचीत हो रही थी, और अपने होंठ दांतों तले बडे ही नशिले अंदाज में दबाकर मंद मंद मुस्करा रही थी। थोड़ी ही देर में मैडम का घर आ गया, तरुण ने उन्हें कहा,"मैडम, आपका घर आ गया"
नयना अपना पल्लू वापस कंधे पर लेते हुये बोली,"इतनी जल्दी! ओह, मै चलती हूं, तुम भी आओ कभी।"
तरुण ने कहा," आज मेरी मम्मी(तेजल) नही है।"
नयना ने कहा,"तो आज का खाना यहीं खा के जाना।"
इतना कहकर वह ताला खोलती है, और तरुण गाड़ी क्वार्टर के नजदीक लगाकर बाहर निकलता है, और दरवाजे के पास चला आता है, और वहा पत्रों की शेड वजह से वह नहीं भीग सका। तरुण लगातार नयना की भीगी कमर की कमान और उसके ब्लाउज के उपर से ब्रा की उभरती रेखाएं देख रहा था। नयना ताला खोलकर अंदर गई और तरुण भी उसके पीछे चला गया, नयना का क्वार्टर सिर्फ वन रूम किचन का था। हॉल और रसोईघर के बीच सिर्फ दीवार थी बाथरूम और शौचालय बाहर थे।
नयना फिर रसोईघर में चली गई और परदा लगा लिया, तरुण भी उसके पीछे गया मगर जब वह परदे के पास गया तब उसके होश उड़ गये, नयना वहाँ अपने कपड़े उतार रही थी। नयना ने साड़ी उतार दी, और उसने ब्लाउज उतारा फिर ब्रा, अब उसकी चिकनी पीठ और पतली कमर देखकर तरुण का लिंग खड़ा हो गया, तभी नयना ने अपने लेहंगे का नाडा खोल दिया, और उसका लेहंगा बड़ी सहजता से उसकी कमर से नीचे खिसक कर फर्श पर गिर गया। अब उसके बदन पे सिर्फ पैंटी थी उसके बदन पर जरा भी मांस नहीं था। मगर जहाँ होना चाहिए वहां बहुत था वह एक २५ उम्र की भरे उम्र की जवान लड़की थी, चेहरा तो सामान्य था, मगर उसके नितम्ब पूरी तरह भरे हुये और थे और उसकी पैंटी से बाहर आने को व्याकुल हो रहे थे। नयना ने अपनी पैंटी उतारकर उन्हें भी आझाद कर दिया, अब वह पूरी तरह से नग्न थी। नयना अब पीछे मुड़कर परदे की और मुड़कर देखने लगी, वह ऐसे लग रही थी, जैसे स्वर्ग की कोई अप्सरा आ रही हो उसकी पतली कमर मोटे उरोज, उनपर वह गुलाबी वक्ष। काफी मन मोहक और कामुक लग रहे थे। तरुण यह देखकर उत्तेजित हो गया और थोड़ा दीवार की तरफ हो गया। नयना वहाँ आयी और हाथ बाहर निकालकर तरुण से कहा," तरुण जरा टावेल देना।"
तरुण ने टावेल नयना के हाथ में रखा और जैसे ही नयना ने उसे पकड़ा, तरुण ने अचानक जैसे मछली के चारा पकड़ने के बाद मछवांरा खींचता है वैसे खींच लिया जिस वजह से नयना का संतुलन खराब हुआ और वह तरुण पर आ गिरी, तरुण उनके सामने ऐसे की उनके होंठ सीधे तरुण के होंठों से टकराये। जैसे ही यह हुआ तरुण ने उन्हें अपनी बाहों में जकड़कर चूम्बन ले लिया। इससे नयना चौंककर तरुण को देखने लगी, वह एकदम स्तब्ध हो गई। तरुण इस मौके का फायदा उठाकर उसपर होंठों से लेकर गाल, गर्दन तक चूमने लगा, फिर वह चूमते चूमते उसके स्तनों के बीच की गहराई तक पहुंचा फिर उस खाई से उसके स्तन रूपी पहाड़ों की चढ़ाई करके, उनकी वक्ष रूपी चोटी तक पहुंचकर उसके वक्ष को चूसने लगा। इससे नयना काफी उत्तेजित होने लगी और उस वजह से उसके मुंह से,"अम्म्म्.....म्म्म्..म् म् म् आह!" जैसी सिसकारिया निकलने लगी, तभी तरुण ने उसके वक्ष को हल्के से अपने दांत के नीचे दबा दिया जिससे उसे थोड़ा दर्द हुआ मगर उसके बदन में उत्तेजना एक बिजली के झटके की तरह दौड़ने लगी। तरुण ने उसका दर्द कम करके उत्तेजना बढाने के लिये उसके वक्ष चूसना जारी रखा। नयना की उत्तेजना इतनी बढ़ चुकी थी की, अब वह पानी बनकर उसकी योनी से बहने लगी थी। और नयना भी शर्म के मारे लाल हो रही थी, तरुण ने अब नयना की नाभि पर चूमा और उसकी योनी में अपनी जीभ घुमाने लगा, उसकी गीली जीभ जैसे जैसे नयना की योनी में घूम रही थी वैसे वैसे वह ज्यादा उत्तेजित हो रही थी। तरुण ने फिर वापिस अपना मुंह उपर ला कर उसका किस ले लिया, और फिर अपनी जीभ उसके मुंह में उसकी जीभ पर घुमाने लगा, वह इससे उत्तेजित होकर उसका साथ देने लगी, तभी तरुण ने उसकी योनी में अपना लिंग डाल दिया। तरुण के लिंग डालने की वजह से नयना की योनी की सिल टूट गई और उसकी चीख निकल गई, मगर उसके मुंह पर तरुण का मुंह होने से उसकी चीख दब गई। और तरुण ने एक झटके में अपना लिंग उसके गर्भाशय के आखिरी छोर तक पहुंचा दिया। तरुण ने उसे थोड़ा बाहर निकालकर फिर अंदर डाल दिया, जिससे नयना झटके खाने लगी।तरुण ने झटके अब तेज कर दिये ऐसा वह एक घंटा करते रहे तभी कुकर की सीटी बजी, तब तक नयना दो बार झड़ चुकी थी। तरुण अभी भी नहीं झडा था। नयना रसोईघर में गई और तरुण के लिये खाना ले आयी , उसने अभी भी कुछ नहीं पहना था। वह पूरी तरह से नग्न अवस्था में थी, इसी अवस्था में उसने तरुण के लिये खाना परौसा और वह भी बैठ गयी। वह नयना अपने पैर तरुण के पैरों में डालकर बैठ गये और दोनों एक ही थाली में खाना खाने लगे। उन्होंने वैसे ही खाना खाया और बर्तन रख दिये। और फिर तरुण ने नयना के स्तनों को पीछे से पकड़ लिया और उसकी गर्दन को चूमने लगा, और फिर उसके कानों को चूमने लगा, और अपना सिर आगे कर के उसके एक गाल पर चूमने लगा, जैसे ही जवाब में नयना ने अपनी गर्दन उस तरफ घूमा कर देखा उसके होंठों पर तरुण ने अपने होंठ टीका दिये और उसे किस करने लगा। तरुण के होंठ यहां नयना के होंठों से ९० अंश के कोन में लगे हुये थे, अब तरुण ने अपनी जबान नयना के मुंह में डालकर उसकी जबान पर लगायी, और घुमाने लगा और नयना भी उसका साथ देने लगी, दोनों एक दुसरे में सबकुछ भुलाकर खो गये। फिर नयना फिर से उत्तेजित हो उठी, वह पलंग की और चली गई और तरुण की और नितम्ब कर अपने हाथ पलंग पर रखकर झुक गई। तरुण ने अपना लिंग नयना की योनी में डाल दिया और उसके स्तनों को पकड़कर जोरों से दबाने लगा, और उसके साथ उसके स्तनाग्रों को मसलने लगा। जैसे जैसे तरुण स्तनाग्र मसल रहा था वैसे वैसे नयना," आ!! आ!!" करके चिल्ला रही थी उसके चिल्लाने में थोड़ा दर्द और बहुत सारी कामवासना थी। तरुण उसके स्तन और स्तनाग्रों को पकड़कर पीछे खींच रहा था, जिससे जोरदार धक्के लगा रहे थे, जिस वजह से नयना की योनी ने पानी छोड़ दिया। अब तरुण ने लिंग बाहर निकाल लिया, जिससे नयना बेड पर लेट गई, तभी तरुण ने अपना गीला लिंग अचानक से नयना के गुद्द्वार में डाल दिया, वह जोर से चिल्लाती उसके पहले ही तरुण ने उसके मुंह पर हाथ रख दिया नयना की चीख वही दब गई और उसकी आँखों से आंसू निकल आये। तरुण ने अपना लिंग थोड़ा बाहर निकाला और तेजी से उसकी योनी में डाल दिया, जिससे वह एक और बार चिल्लाई मगर हाथ पहले से नयना के मुंह पर होने की वजह से उसकी चीख दब गई। वैसे तरुण लगातार एक घंटा करता रहा अब नयना का गुद्द्वार खुल चुका था, वह दो बार झड़ चुकी थी मगर तरुण का अभी भी खड़ा था। नयना तरुण के लिंग का आकार देखकर चौंक गई, उसका लिंग १८ इंच लंबा और मोटाई में चार इंच था, और अभी भी चट्टान की तरह सक्त था। यह देखकर नयना की आँखों में जैसे चमक आ गई वह उसे चूमने लगी फिर उसे अपने स्तनों के बीच लेकर रगड़ने लगी, जिससे वह एक और बार झड़ गई। अब नयना काफ़ी थक गई थी और अब रात भी बहुत हो चुकी थी। इसलिए तरुण और नयना दोनों एक दुसरे को बाहों में लेकर वही सो गये, तरुण का अभी भी खड़ा था।
तरुण एक सपना देखने लगा जिसमें उसे एक युवती संपूर्ण नग्न अवस्था में दिखाई दी, वह अयाना थी। वह उसकी और पीठ करके खड़ी थी, और तरुण ने जब आसपास देखा तो वह ऋषि कृतानंद के उसी आश्रम में था जहाँ उसे यह वरदान प्राप्त हुआ था। उसने उस युवती के नजदीक जाकर उसके कंधे पर हाथ रखा तो वह पीछे मुड़कर बोली, "बताइये स्वामी क्या आज्ञा है मेरे लिये।"
तरुण बोला," पहले मुझे यह बताओ की, मुझमें कौन कौन सी शक्तियां है और कितनी है?"
अयाना बोली,"सारी शक्तियां, जिन्हें अगर गिने तो युग भी कम पड़ जाये, और आपकी शक्तियां परमेश्वर से भी अनंत गुणा है।"
तरुण ने पूछा," वैसे शक्तियां कहाँ है मेरे अंदर या आयने के अंदर? "
अयाना बोली,"आपके अंदर।"
तरुण ने पूछा," अगर शक्तियां मेरे अंदर है तो आयने और तुम्हारा क्या उपयोग?"
अयाना थोड़ा हिचक कर बोली," हम दोनों आपकी शक्तियों को नियंत्रण में रखते है, अगर आपकी शक्तियाँ नियंत्रण से बाहर हो गई तो वह सारे विश्व में हाहाकार मचा देगी हर मादा आपकी और आकर्षित होगी, फिर वह कोई भी हो सकती है, गाय, भैंस, घोडी, कुतिया, कोई भी!"
तरुण ने एक और सवाल पूछा," वरदान के अनुसार मै तो किसी भी स्त्री को संमोहन से नियंत्रित कर सकता हुं, मगर यहां तो मै कहां संमोहित कर रहा हु?"
अयाना ने जवाब दिया,"तुम कर रहे हो तरुण, संमोहन दो तरह के होते हे, कुदरती संमोहन और यांत्रिकी संमोहन सब लोग सिर्फ यांत्रिकी संमोहन को ही पूरा संमोहन समझते है, पर ऐसा नहीं है, कुदरती संमोहन भी एक संमोहन होता है। तुम जो कुदरती संमोहन का उपयोग कर रहे हो जो परिस्थिति, स्वभाव, पसंद और नारी के संवेदनशील अंगों पर निर्भर करता है। हर नारी के कुछ अंग संवेदनशील होते है, जिन्हें खास तरह से स्पर्श करने पर उसका मन उत्तेजित होता है। सामने वाले को सिर्फ उसके इन अंगों का पता होना चाहिए, और उसकी पसंद ना पसंद और किन परिस्थितियों में वह संभोग करना पसंद करती है। हर नारी की सम्भोग के प्रति कल्पना भिन्न होती है, कुछ स्त्रियों को बलपूर्वक तथा कुछ को प्रेम से करना पसंद होता है, कुछ सहयोग करती है तथा कुछ सिर्फ निष्क्रिय रहकर सिर्फ आनंद लेती है। पुरूषों को सिर्फ यह जानना चाहिए, मगर कुछ पुरूष यह नहीं जान पाते और कुछ अच्छे से जान लेते है। इस वजह से कुछ पुरूषों को तो अपनी पत्नी के साथ तक संभोग करने में कठिनाई होती है, तो कुछ दूसरी स्त्रियों के साथ सहजता से बना लेते है। तुम्हें इस दर्पण से सब पता चल जाता है। इसलिए तुम सहजता से चंद्रमुखी, ज्वालामुखी, तेजल, सरिता, नयना और कोमल को अपने साथ सम्बन्ध बनाने के लिये तैयार कर पाये।"
तरुण चौंककर बोला,"कोमल! वह कब तैयार हुई थी?"
अयाना ने कहां,"जब तुम रेल में उसके साथ थे, उसकी निष्क्रियता ही उसकी हां थी।"
तरुण ने उसे कसकर गले लगाया और कहा,"थँक्यु व्हेरी मच!!" और उसने अयाना को होठों पर किस कर दिया। यहाँ सुबह हो चुकी थी, तरुण की आँखें खुल गई। नयना को लगा की तरुण उसे गले लगाकर थँक्यु कह रहा है, यह देखकर नयना भी बोली,"तुम तो बड़े तमीज वाले हो यार, आज तक मैंने कभी किसी लड़के को सेक्स के बाद लड़की को ऐसे थँक्यु बोलते है।"
नयना तरुण से काफी आकर्षित हो चुकी थी। वह नहाने चली गई और तैयार होकर बाहर आ गई। फिर तरुण ने कपड़े पहने और नयना को किस किया और अपने घर चला गया।
यहां सरिता और राज भी नींद से उठ चुके थे, राज ने सरिता के साथ रात को जो गुद्द्वार सम्भोग किया था उस वजह से सरिता को चलने में तकलीफ हो रही थी। राज सरिता को कंधे का सहारा देकर बाथरूम तक ले गया, दोनों यहां नग्न अवस्था में थे दोनों एक साथ नहाने लगे। दोनों पहले एक दुसरे के बदन पर पानी डालकर साबुन मलने लगे फिर सरिता राज की छाती पर साबुन मल रही थी, और राज के हाथ सरिता के स्तनों पर चल रहे थे,राज अच्छे से रगड़ कर सरिता के स्तनों पर साबुन लगा रहा था। जिससे सरिता उत्तेजित होकर,"राज! अम्!! अम्!! रूक मत करता रह, अम् म् म् म् आहा!" ऐसी आवाजें निकालने लगी। राज ने अब उसकी पीठ मलनी शुरू की, और दोनों एक दुसरे की पीठ मलते हुये किस करने लगे फिर उन्होंने, साबुन लगाते लगाते नितम्ब की और गये यहा दोनों ने एक दुसरे के नितम्बों को अच्छे से धोया। फिर सरिता राज के लिंग पर साबुन लगा रही थी, और राज भी उसकी योनी में साबुन डालकर उंगली अंदर बाहर करने लगा, जिससे दोनों उत्तेजित हो गये और राज ने अपना लिंग सरिता की योनी में डाल दिया। योनी में और लिंग पर साबुन होने की वजह से राज का लिंग सरिता की योनी में बडी सहजता से चला गया राज बड़े जोश में अपने लिंग को सरिता की योनी में अंदर बाहर करता रहा, सरिता भी उत्तेजित होकर अपने मुंह से, "अम्!!!" करके सिसकारिया निकलने लगी।
सरिता की योनी ने पानी छोड़ दिया और यहा राज भी झड़ गया। सारा वीर्य राज ने सरिता की योनी में बहा दिया, फिर सरिता ने हँड शावर से अपनी योनी और अपना बदन धोकर शावर बाथ ले लिया। फिर दोनों ने कपड़े पहन लिये और सरिता ने राज से कहा, "मुझे तुमसे कुछ बात करनी है।"
राज ने पूछा,"किस के बारेमें ?"
सरिता ने कहा,"कोमल के बारेमें।"
राज ने पूछा,"क्या मम्मी?"
सरिता ने बताया," तुम्हारे भाई पर झूठा रेप केस लगाकर उसकी जिंदगी बरबाद करने वाली लड़की कोई और नहीं बल्कि कोमल थी।"
राज चौंककर बोला ,"क्या ? मगर वह तो बोली थी किसी और लड़की ने यह किया था।"
सरिता बोली," नहीं राज, पहले उसने सतीश से दोस्ती की, फिर दोनों करीब आ गये इतने की दोनों के बीच सेक्स हो गया, फिर वह प्रेगनंट हो गई और सतीश को ब्लैक मेल करने लगी, और जब सतीश नहीं माना तो उसने केस कर दिया, जिससे परेशान होकर सतीश ने खुदखुशी कर ली।"
राज बोला,"पर मम्मी, भैया को भी ध्यान रखना चाहिए था ना।"
सरिता ने उसे कहा,"नहीं राज, सतीश को उसने व्हायग्रा दे रखा था, जिस वजह से वह खुद पर काबू नहीं रख पाया होगा, और अगर तरुण तुम्हें यहा आने के लिये नहीं उकसाता तो तुम भी उसके शिकार बन जाते।"
राज ने कहा,"मतलब आप और तरुण के बीच कुछ नहीं हुआ?"
सरिता ने कहां,"ऐसा नहीं है, उसने मुझे आधे घंटे तक चोदा, फिर भी उसका लिंग सक्त था, वह और कर सकता था, मगर जब उसे कोमल का सच पता चला उसने तुझे कॉल लगाकर बुला लिया।और गाड़ी लेकर चला गया।"
राज ने पूछा," फिर क्या हुआ?"
सरिता ने कहा," और उसने ही मुझे बताया की तुम्हें भी कोमल ने किसी चीज़ में व्हायग्रा मिलाकर पीला दिया है।"
राज ने कहा,"उसने मुझे स्प्राईट पिलाया था, और तब से मुझे उसके बारेमें ऐसे खयाल आ रहे थे।"
सरिता ने फिर उसे कहां," जो हुआ अच्छा हुआ, उसकी वजह से तो तुमने मुझे सारी रात चोदा, थोड़ा अजीब मुझे भी लगा मगर मैने भी इन्जॉइ किया, तीन सालों से तुम्हारे पापा भी नही थे और इसलिए मैरी काफ़ी दिनों से चुदाई नहीं हुई थी, मगर तुमने मेरे अंदर की आग शांत कर दी।"
राज ने कहा,"और आप तरुण के साथ करने के लिये कैसे तैयार हो गई?"
सरिता, "पता नहीं! क्यों? और कैसे? उसने मुझे वैसे ही अप्रोच किया जैसे मै अपने पार्टनर इम्याजीन करती थी।"
राज को अपनी गलती का एहसास हो गया की उसने ज्वालामुखी के साथ कितना गलत किया। मगर सरिता को ऐसा लगा की राज के मन में अपनी माँ के साथ सम्भोग करने की वजह से पश्चाताप है। सरिता ने उससे कहा,"मै जानती हुं तुम क्या सोच रहे हो।"
राज ने चौंककर पूछा, "क्या?"
सरिता ने कहा,"तुम्हें यही लग रहा है ना की तुमने मेरे साथ जो किया वो सही था या गलत?"
राज ने होश में आकर कहा,"हा!हा! मम्मी मै यही सोच रहा था?"
सरिता ने कहा,"नहीं, अगर तुम मेरी मर्जी के बिना करते तो गलत होता, मगर तुमने जो किया वह मैने भी इंजॉय किया तो यह गलत नहीं है।"
फिर थोड़ी देर सोचकर सरिता बोली,"और राज, मै अगर तुम्हारा विरोध करती, तो भी वह गलत होता, क्योंकि तुम्हें व्हायग्रा दिया गया था और तुम्हें उसकी जरुरत थी।"
तब राज सरिता से पूछता है,"मम्मी, अगर हम आज रात को करे तो?"
सरिता बोली," आ! आ! तुम्हें उंगली क्या दी तुमने तो हाथ पकड़ लिया, माना की हमारे बीच सेक्स हुआ है, मगर हम सोच समझकर ही इसी रिलेशन को आगे बढायेंगे।" इतना बोलकर सरिता अपना घर के काम में लग गई।
यहां तरुण अपने घर आ गया, और उसने आयने को उसके असली आकार में लाया। और उसे पूछा की कोमल कहाँ है, तो आयने ने उसे कोमल को दिखाया, आयने में कोमल एक फोन पर बात करते हुये दिखाई दी। कोमल ने फोन पर कहां,"उन्हें कुछ मत करना, मै तुम्हारा काम कर दूंगी, इस बार कोई गड़बड़ नहीं होगी भरोसा करो।" वह काफी डरी हुई थी। तरुण ने आयने को कहा," हे आयने मुझे दूसरी और जो इन्सान बात कर रहा है वह देखना है।" इतना बोलते ही उसके सामने वह दृश्य आ गया, यहां जो आदमी कोमल से बात कर रहा था, असल में वह एक गैर कानूनी संघटन का मुखिया था। वह आदमी फिर एक औरत के पास गया वह औरत एक पिंजरे में कैद थी, और उसके हाथ जंजीरों से बंधे हुये थे, उसकी उम्र ४० के आसपास थी, और उसने एक सफेद साड़ी पहनी थी, उसके उरोज ३५ के थे कमर २६ और नितम्ब ३६, उसके कपड़े बीच बीच से फटे हुये थे जिस वजह से तरुण उसके स्तनों के कुछ हिस्से, । उस मुखिया ने उस औरत से कहा "अगर तुम मेरी हो जाती तो शायद तुम्हारी यह हालत नहीं होती।"
तब उसने कहा," तुम जैसे बेईमान के साथ रहने से अच्छा हम कवारे रहे।"
मुखिया बोला,"आये हाय ! रस्सी जल गई मगर बल नहीं गया, अब भी प्यार बाकी है रविंदर के लिए।"
फिर मुखिया ने चाबुक निकाला और उसकी पीठ और नितम्बों पर फटकार कर मारने लगा। और उसने कहा,"तूने तो नहीं किया लेकिन जब तेरी बेटी तेरी दर्द से भरी चीखे सुनेगी तो जरूर करेगी।", और उसे चाबुक से मारता रहा। वह चिल्लाती रही और रोती रही। तरुण को अब समझ में आ गया था की कोमल राज को क्यों फंसा रही है।तरुण ने कपड़े, दवाइयां और खाने का सामान एकत्रित किया और अंधेरा होने का इंतजार करता रहा। रात को अंधेरा हो गया सारे लोग सो गये, फिर तरुण गाड़ी के पास गया और आयने की सहायता से गाड़ी के साथ वह वहां पहुंच गया। तरुण सबकी नजरों में आये बिना जिस कमरे में कोमल की माँ रानी मौजूद थी वहां चला गया वहाँ ताला लगा हुआ था, बगल मैं ही एक आदमी पहरा दे रहा था। तरुण ने ताले की और देखा और उसके आँखों से प्रकाश किरण निकली जिससे देखते ही देखते ताला कट गया। तरुण ने फिर कड़ी खोलकर रानी को बाहर निकाला, तभी वह आदमी जाग उठा और तरुण को मारने आया, तरुण ने उसे एक घुसा मारा जिससे वह दस फुट दूर दीवार से जा टकराया और वही बेहोश हो गया, रानी इसे देखते ही रह गई। तभी तरुण ने रानी का हाथ पकड़ लिया और उसे बाहर खींचकर ले गया, तब रानी होश में आकर उसके साथ बाहर भागी। बाहर जाते ही उन दोनों के सामने सारे आदमी खड़े हो गये वह बीस थे, मगर तभी पुलिस सायरन की आवाज सुनाई दी, तभी उस गिरोह के सारे लोग बेहोश हो गये। तरुण तभी रानी को लेकर पिछले रास्ते से बाहर निकल गया,
असल में तरुण ने आयने की सहायता से पहले से ही सबके खाने और पीने की चीजों में नींद की दवाई मिला दी थी, और पुलिस को सब खबर कर दिया था, वह भी तस्वीर के साथ। पुलिस को इस गिरोह की बहुत दिनों से तलाश थी इसलिए पुलिस ने तुरंत कार्यवाही करते हुये सबको गिरफ्तार कर लिया। तरुण रात में गाड़ी नहीं चलाना चाहता था, और अगर वह अपनी शक्ति का उपयोग करता तो रानी को पता चल जाता और उसे यह सबको पता चल जाता। इसलिए तरुण रानी को लेकर एक सस्ते और पुराने गेस्ट हाउस में गया वहां एक रात के २०० रुपये लगते थे। वहां सिर्फ एक बूढ़ा मालिक था जो उसे चला रहा था, तरुण ने उसे २०० रुपये देकर कमरे की चाबी ले ली और रानी के साथ अंदर चला गया और उसे कपड़े और तौलिया दे दी, रानी वह लेकर नहाने चली गई। और उसने अंदर ही नहा कर कपड़े पहन लिये। और तरुण ने उसे जो कपड़े दिये थे, वह पहनकर वह बहुत ही खूबसूरत लग रही थी। तरुण ने रानी को तेजल के कपड़े दिये थे, उसमें उसने स्ट्रीप वाला ब्लाउज था, जिसमें आगे से उनके स्तनों के बीच की गहराई आराम से देखी जा सकती थी, और यह तेजल का ब्लाउज छोटा होने की वजह से रानी के स्तन ऐसे लग रहे थे जैसे बाहर आने के लिये उत्सुक हो,मगर उन्हें ब्लाउज से बाँध कर रखा गया था।

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तरुण ने कहा,"आपने उन्हें क्यों बांध रखा है, दो कबूतर बेचारे कब से छूटने को बेताब लग रहे हे।" रानी ने पूछा,"कौन से दो कबूतर?"
तरुण ने उसके ब्लाउज के उपर से हाथ रखकर कहा,"आपके यह दो जिन्हें आपने अपने ब्लाउज में कैद करके रखा है।"
रानी झट से पीछे मूड गई और बोली,"चल हट बेशरम कहीं का! मुझ जैसी बुढ़िया को..."
तभी तरुण को रानी की खुली पीठ दिखाई दी, वहाँ उसे कुछ पुराने और कुछ नये दिखाई दिये। तरुण ने तुरंत ही अपनी थैली से दवाई निकाली और उसकी पीठ पर जहाँ सूजन थी वहां लगाने लगा, रानी उससे दूर जाने लगी, मगर तरुण ने उसकी कमर में हाथ डालकर उसे पकड़ लिया, और आराम से और धीरे धीरे उसकी पीठ पर तेल लगाने लगा, रानी ने विरोध करना बंद कर दिया, क्योंकि इससे उसे राहत मील रही थी। तरुण ने अब तेल लगाना जारी रखा, अब वह उसकी पीठ से नीचे उतरकर उसकी कमर के पिछले हिस्से पर तेल लगाकर नर्म मालिश कर रहा था। थोड़ी देर नर्म मालिश करने के बाद तरुण ने उसकी कमर से होते हुये सीधे उपर उसकी पीठ पर हाथ ले जाकर फिर पीठ से फिर से कमर इस तरह सीधी रेखा में उसकी रीढ़ पर नीचे कमर तक, इस तरह करता रहा, मगर उपर जाते वक्त रानी के ब्लाउज के पिछले हिस्से की पट्टी बाधा डाल रही थी, और वह ब्लाउज छोटा होने की वजह से तरुण का हाथ अंदर जाने के लिये अक्षम था। रानी ने इतनी अच्छी मालिश में आती बाधा देखकर अपने ब्लाउज का हुक जो आगे की तरफ था वह खोल दिया, और अपने दोनों भरे हुये स्तनों को ब्लाउज से आझादि दे दी, वह मानो ऐसे उछलकर बाहर आये मानों, जैसे कई सालों से कैद खरगोश पिंजरे से बाहर आये हो। अब तरुण को मालिश करने में आसानी हो रही थी, तरुण अब तेजी से और अच्छा खासा जोर लगाकर रानी की पीठ की मालिश कर रहा था, इससे रानी को राहत के साथ साथ उत्तेजना भी हो रही थी। रानी कहने लगी,"अम्! अम्! म्! म्! तरुण!! कोमल के पापा भी मेरी ऐसी ही मालिश किया करते थे!आज तुमने फिर से उनकी याद दिला दी।"
तरुण अब अपने दुसरे हाथ से रानी की नाभि के आसपास मालिश करने लगा, जिससे रानी उत्तेजना से सिसकारिया निकालने लगी,"अम्! अम्! म्!!! म्!!!!म्!!!तरुण! रुक मत म्! म्! म्! करता रह म्!!! आहा!!!!", अब तरुण अपना हाथ नाभि के आसपास बड़े विस्तार में गोल गोल घुमा रहा था, जिससे तरुण का हाथ उपर स्तनों के निचले हिस्से तथा नीचे योनी के उपर तक स्पर्श कर रहा था। स्तनों पर हो रहे तरुण के गर्म हाथों के स्पर्श की वजह से रानी और उत्तेजित होने लगी, "म्! म्!! म्!!! आ!!हा!! आ!!!हा!!! आहा!!!" करके सिसकारिया निकालने लगी।
तभी तरुण ने पूछा,"कैसा लग रहा है आपको?"
रानी ने कहा,"मस्त! अब उपर भी कर दो।"
तरुण समझ गया, वह अब अपने हाथों से उसके स्तनों की दबाकर मालिश कर रहा था।रानी अब उत्तेजित होने लगी थी, तरुण उसके पीछे खड़ा था इसलिए उसने अपना हाथ पीछे ले जाकर तरुण के पायजामे का नाडा खोल दिया। तरुण ने जवाब में आगे से उसके लेहंगे का नाडा खोल दिया और उसका लेहंगा सरर् से नीचे फर्श पर गिर गया, वह पैंटी नहीं पहनती थी इसलिए वह पूरी तरह नग्न हो गई । वह उत्तेजित तो थी मगर उसमें थोड़ी शर्म बाकी थी, वह लेहंगा उठाने के लिये जैसे ही झुकी, तरुण ने तुरन्त ही उसके स्तनों को पकड़ कर उसके पैरों के बीच डालकर योनी के उपर चलाना शुरू कर दिया। अब तो रानी की उत्तेजना चरम पर पहुंच चुकी थी और वह अपने सारे वस्त्रों के साथ साथ अपनी शर्म के सारे कपड़े भी उतार चुकी थी और अब वह तन के साथ साथ मन से भी नग्न हो चुकी थी। वह भी अब तरुण का साथ देने लगी थी,"तरुण! आह! आह! आह! और करो करते रहो मजा आ रहा है मुझे! आ!!हा!!...", करके सिसकारिया निकाल रही थी। तरुण का लिंग रानी के यौवन रस से भीग चुका था और रानी की योनी भी गीली हो चुकी थी, इसे सही अवसर मानकर तरुण ने अपना लिंग रानी की योनी में डाल दिया। तरुण के लिंग डालते ही रानी के मुंह से," आ!!! ई!!! उ!!ई!!!!!" करके चीख निकल गई। तरुण जैसे ही लिंग बाहर निकालने लगा, तो वह बोली," बाहर मत निकाल तरुण...", इतने में तरुण ने एक और धक्का दिया जिससे तरुण का १८ इंच लंबा और चार इंच मोटा लिंग, रानी की योनी के एक और इंच अंदर चला गया। माना की रानी एक खुली तिजोरी थी, मगर काफी देरी से अनछुई होने की वजह से उसके दरवाजे में जंग लगा हुआ था। तरुण अब उस योनी में अपना लिंग डालकर उसका जंग हटा रहा था। तरुण लगातार धक्के लगा रहा था, और जब तरुण आगे धक्का लगा रहा तब उसका साथ देते हुये रानी पीछे धक्के लगा रही थी। अब तरुण की मेहनत रंग ला रही थी, उसका लिंग रानी के गर्भाशय तक पहुंच रहा था। रानी का दर्द अब काफ़ी हद तक कम हो चुका था, और वह तरुण के टायट्यानियम से ज्यादा सक्त लिंग को अपने अंदर लेकर कड़े संभोग का आनंद ले रही थी, तभी उसका पानी छुट गया और वह झड़ गई। फिर किसी ने दरवाजा खटखटाया, रानी बेड पर लेट गई और खुद को शाल से ढक लिया। तरुण ने पैंट पहनकर दरवाजा खोला तो वहां गेस्ट हाउस का मुनीम रामलाल था जो खाना देने आया था, तरुण ने उससे पार्सल ले लिया, फिर तरुण और रानी ने साथ में खाना खाया, तरुण का वीर्य पात अब भी नहीं हुआ था, पर रानी झड़ चुकी थी। और कई दिनों से कम खाने की वजह से ज्यादा खाना खा लिया और सो गई और तरुण भी उसे अपनी बाहों में जकड़ कर सो गया।
 

Kamuk219

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Update 4 शक्ति की पहचान
यहाँ तरुण घर जा रहा था तभी उसे उसके कनिष्ठ महाविद्यालय की एक अध्यापिका उसे दिखाई दी, उसने उन्हें आवाज लगाई," नयना मैडम! कहा जा रही है आप?"
उन्होंने तरुण को कहा," तरुण, तुम यहां, मै अपने घर जा रही हु" उनका बदन पानी से भीग चुका था।
तरुण ने उनसे कहा,"मैडम, मै भी घर जा रहा हूं, आइए आपको छोड़ देता हूं।" इतना कहकर तरुण ने दरवाजा खोला और वह अंदर आ गई। उन्होंने सफेद रंग कि साड़ी और लाल रंग का ब्लाउज पहना हुआ था। और बरसात में उनकी साड़ी उनके बदन से चिपक गई थी।

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और उनके सीने के उभार उनके ब्लाउज से साफ झलक रहे थे, और तरुण से बात करते वक्त झुकने की वजह से उनके दोनों उरोजों के बीच की गहराई के बीच से जाता बरसात का पानी ऐसे लग रहा था जैसे किसी, दो खूबसूरत पहाड़ों के बीच की खाई से कामुकता की नदी बह रही हो। जब वह अंदर आई तो तरुण तरुण से पूछा,"तरुण क्या तुम्हारे पास टॉवेल या न्यापकीन है?"
तरुण ने कहा,"अभी तो नहीं है, आप चाहे तो मै आपके लिये हीटर अॉन कर देता हूं। तरुण ने हीटर चालू कर दिया, वह थोड़ा सा तरुण की और आई। उन्होंने अपनी साड़ी का पल्लू थोड़ा सा बाजू में करके, अपनी आँखें बंद करके हीटर से आती गर्मी को महसूस करना शूरू किया। तरुण ने फिर हीटर के पंखे की रफ्तार बढ़ाई, जिससे नयना की साड़ी का पल्लू, उसके कंधे से नीचे गिर गया, मगर उसे उससे और गर्म हवा के झोंके हीटर से निकालकर उसके उरोज और कमर को छूने लगे, जिससे उसे वहाँ ठंड से राहत मिलने लगी। उसी गर्म हवा के कुछ झोंके उसके सीने से टकरा कर उसके उरोजों के बीच की गहराई में जाने लगे, तो कुछ उसके गले से होकर उसके कान तथा उसके मुलायम गालों को सहेला रहे थे। हवा के इस गर्म स्पर्श की वजह से वह बहुत रोमांचीत हो रही थी, और अपने होंठ दांतों तले बडे ही नशिले अंदाज में दबाकर मंद मंद मुस्करा रही थी। थोड़ी ही देर में मैडम का घर आ गया, तरुण ने उन्हें कहा,"मैडम, आपका घर आ गया"
नयना अपना पल्लू वापस कंधे पर लेते हुये बोली,"इतनी जल्दी! ओह, मै चलती हूं, तुम भी आओ कभी।"
तरुण ने कहा," आज मेरी मम्मी(तेजल) नही है।"
नयना ने कहा,"तो आज का खाना यहीं खा के जाना।"
इतना कहकर वह ताला खोलती है, और तरुण गाड़ी क्वार्टर के नजदीक लगाकर बाहर निकलता है, और दरवाजे के पास चला आता है, और वहा पत्रों की शेड वजह से वह नहीं भीग सका। तरुण लगातार नयना की भीगी कमर की कमान और उसके ब्लाउज के उपर से ब्रा की उभरती रेखाएं देख रहा था। नयना ताला खोलकर अंदर गई और तरुण भी उसके पीछे चला गया, नयना का क्वार्टर सिर्फ वन रूम किचन का था। हॉल और रसोईघर के बीच सिर्फ दीवार थी बाथरूम और शौचालय बाहर थे।
नयना फिर रसोईघर में चली गई और परदा लगा लिया, तरुण भी उसके पीछे गया मगर जब वह परदे के पास गया तब उसके होश उड़ गये, नयना वहाँ अपने कपड़े उतार रही थी। नयना ने साड़ी उतार दी, और उसने ब्लाउज उतारा फिर ब्रा, अब उसकी चिकनी पीठ और पतली कमर देखकर तरुण का लिंग खड़ा हो गया, तभी नयना ने अपने लेहंगे का नाडा खोल दिया, और उसका लेहंगा बड़ी सहजता से उसकी कमर से नीचे खिसक कर फर्श पर गिर गया। अब उसके बदन पे सिर्फ पैंटी थी उसके बदन पर जरा भी मांस नहीं था। मगर जहाँ होना चाहिए वहां बहुत था वह एक २५ उम्र की भरे उम्र की जवान लड़की थी, चेहरा तो सामान्य था, मगर उसके नितम्ब पूरी तरह भरे हुये और थे और उसकी पैंटी से बाहर आने को व्याकुल हो रहे थे। नयना ने अपनी पैंटी उतारकर उन्हें भी आझाद कर दिया, अब वह पूरी तरह से नग्न थी। नयना अब पीछे मुड़कर परदे की और मुड़कर देखने लगी, वह ऐसे लग रही थी, जैसे स्वर्ग की कोई अप्सरा आ रही हो उसकी पतली कमर मोटे उरोज, उनपर वह गुलाबी वक्ष। काफी मन मोहक और कामुक लग रहे थे। तरुण यह देखकर उत्तेजित हो गया और थोड़ा दीवार की तरफ हो गया। नयना वहाँ आयी और हाथ बाहर निकालकर तरुण से कहा," तरुण जरा टावेल देना।"
तरुण ने टावेल नयना के हाथ में रखा और जैसे ही नयना ने उसे पकड़ा, तरुण ने अचानक जैसे मछली के चारा पकड़ने के बाद मछवांरा खींचता है वैसे खींच लिया जिस वजह से नयना का संतुलन खराब हुआ और वह तरुण पर आ गिरी, तरुण उनके सामने ऐसे की उनके होंठ सीधे तरुण के होंठों से टकराये। जैसे ही यह हुआ तरुण ने उन्हें अपनी बाहों में जकड़कर चूम्बन ले लिया। इससे नयना चौंककर तरुण को देखने लगी, वह एकदम स्तब्ध हो गई। तरुण इस मौके का फायदा उठाकर उसपर होंठों से लेकर गाल, गर्दन तक चूमने लगा, फिर वह चूमते चूमते उसके स्तनों के बीच की गहराई तक पहुंचा फिर उस खाई से उसके स्तन रूपी पहाड़ों की चढ़ाई करके, उनकी वक्ष रूपी चोटी तक पहुंचकर उसके वक्ष को चूसने लगा। इससे नयना काफी उत्तेजित होने लगी और उस वजह से उसके मुंह से,"अम्म्म्.....म्म्म्..म् म् म् आह!" जैसी सिसकारिया निकलने लगी, तभी तरुण ने उसके वक्ष को हल्के से अपने दांत के नीचे दबा दिया जिससे उसे थोड़ा दर्द हुआ मगर उसके बदन में उत्तेजना एक बिजली के झटके की तरह दौड़ने लगी। तरुण ने उसका दर्द कम करके उत्तेजना बढाने के लिये उसके वक्ष चूसना जारी रखा। नयना की उत्तेजना इतनी बढ़ चुकी थी की, अब वह पानी बनकर उसकी योनी से बहने लगी थी। और नयना भी शर्म के मारे लाल हो रही थी, तरुण ने अब नयना की नाभि पर चूमा और उसकी योनी में अपनी जीभ घुमाने लगा, उसकी गीली जीभ जैसे जैसे नयना की योनी में घूम रही थी वैसे वैसे वह ज्यादा उत्तेजित हो रही थी। तरुण ने फिर वापिस अपना मुंह उपर ला कर उसका किस ले लिया, और फिर अपनी जीभ उसके मुंह में उसकी जीभ पर घुमाने लगा, वह इससे उत्तेजित होकर उसका साथ देने लगी, तभी तरुण ने उसकी योनी में अपना लिंग डाल दिया। तरुण के लिंग डालने की वजह से नयना की योनी की सिल टूट गई और उसकी चीख निकल गई, मगर उसके मुंह पर तरुण का मुंह होने से उसकी चीख दब गई। और तरुण ने एक झटके में अपना लिंग उसके गर्भाशय के आखिरी छोर तक पहुंचा दिया। तरुण ने उसे थोड़ा बाहर निकालकर फिर अंदर डाल दिया, जिससे नयना झटके खाने लगी।तरुण ने झटके अब तेज कर दिये ऐसा वह एक घंटा करते रहे तभी कुकर की सीटी बजी, तब तक नयना दो बार झड़ चुकी थी। तरुण अभी भी नहीं झडा था। नयना रसोईघर में गई और तरुण के लिये खाना ले आयी , उसने अभी भी कुछ नहीं पहना था। वह पूरी तरह से नग्न अवस्था में थी, इसी अवस्था में उसने तरुण के लिये खाना परौसा और वह भी बैठ गयी। वह नयना अपने पैर तरुण के पैरों में डालकर बैठ गये और दोनों एक ही थाली में खाना खाने लगे। उन्होंने वैसे ही खाना खाया और बर्तन रख दिये। और फिर तरुण ने नयना के स्तनों को पीछे से पकड़ लिया और उसकी गर्दन को चूमने लगा, और फिर उसके कानों को चूमने लगा, और अपना सिर आगे कर के उसके एक गाल पर चूमने लगा, जैसे ही जवाब में नयना ने अपनी गर्दन उस तरफ घूमा कर देखा उसके होंठों पर तरुण ने अपने होंठ टीका दिये और उसे किस करने लगा। तरुण के होंठ यहां नयना के होंठों से ९० अंश के कोन में लगे हुये थे, अब तरुण ने अपनी जबान नयना के मुंह में डालकर उसकी जबान पर लगायी, और घुमाने लगा और नयना भी उसका साथ देने लगी, दोनों एक दुसरे में सबकुछ भुलाकर खो गये। फिर नयना फिर से उत्तेजित हो उठी, वह पलंग की और चली गई और तरुण की और नितम्ब कर अपने हाथ पलंग पर रखकर झुक गई। तरुण ने अपना लिंग नयना की योनी में डाल दिया और उसके स्तनों को पकड़कर जोरों से दबाने लगा, और उसके साथ उसके स्तनाग्रों को मसलने लगा। जैसे जैसे तरुण स्तनाग्र मसल रहा था वैसे वैसे नयना," आ!! आ!!" करके चिल्ला रही थी उसके चिल्लाने में थोड़ा दर्द और बहुत सारी कामवासना थी। तरुण उसके स्तन और स्तनाग्रों को पकड़कर पीछे खींच रहा था, जिससे जोरदार धक्के लगा रहे थे, जिस वजह से नयना की योनी ने पानी छोड़ दिया। अब तरुण ने लिंग बाहर निकाल लिया, जिससे नयना बेड पर लेट गई, तभी तरुण ने अपना गीला लिंग अचानक से नयना के गुद्द्वार में डाल दिया, वह जोर से चिल्लाती उसके पहले ही तरुण ने उसके मुंह पर हाथ रख दिया नयना की चीख वही दब गई और उसकी आँखों से आंसू निकल आये। तरुण ने अपना लिंग थोड़ा बाहर निकाला और तेजी से उसकी योनी में डाल दिया, जिससे वह एक और बार चिल्लाई मगर हाथ पहले से नयना के मुंह पर होने की वजह से उसकी चीख दब गई। वैसे तरुण लगातार एक घंटा करता रहा अब नयना का गुद्द्वार खुल चुका था, वह दो बार झड़ चुकी थी मगर तरुण का अभी भी खड़ा था। नयना तरुण के लिंग का आकार देखकर चौंक गई, उसका लिंग १८ इंच लंबा और मोटाई में चार इंच था, और अभी भी चट्टान की तरह सक्त था। यह देखकर नयना की आँखों में जैसे चमक आ गई वह उसे चूमने लगी फिर उसे अपने स्तनों के बीच लेकर रगड़ने लगी, जिससे वह एक और बार झड़ गई। अब नयना काफ़ी थक गई थी और अब रात भी बहुत हो चुकी थी। इसलिए तरुण और नयना दोनों एक दुसरे को बाहों में लेकर वही सो गये, तरुण का अभी भी खड़ा था।
तरुण एक सपना देखने लगा जिसमें उसे एक युवती संपूर्ण नग्न अवस्था में दिखाई दी, वह अयाना थी। वह उसकी और पीठ करके खड़ी थी, और तरुण ने जब आसपास देखा तो वह ऋषि कृतानंद के उसी आश्रम में था जहाँ उसे यह वरदान प्राप्त हुआ था। उसने उस युवती के नजदीक जाकर उसके कंधे पर हाथ रखा तो वह पीछे मुड़कर बोली, "बताइये स्वामी क्या आज्ञा है मेरे लिये।"
तरुण बोला," पहले मुझे यह बताओ की, मुझमें कौन कौन सी शक्तियां है और कितनी है?"
अयाना बोली,"सारी शक्तियां, जिन्हें अगर गिने तो युग भी कम पड़ जाये, और आपकी शक्तियां परमेश्वर से भी अनंत गुणा है।"
तरुण ने पूछा," वैसे शक्तियां कहाँ है मेरे अंदर या आयने के अंदर? "
अयाना बोली,"आपके अंदर।"
तरुण ने पूछा," अगर शक्तियां मेरे अंदर है तो आयने और तुम्हारा क्या उपयोग?"
अयाना थोड़ा हिचक कर बोली," हम दोनों आपकी शक्तियों को नियंत्रण में रखते है, अगर आपकी शक्तियाँ नियंत्रण से बाहर हो गई तो वह सारे विश्व में हाहाकार मचा देगी हर मादा आपकी और आकर्षित होगी, फिर वह कोई भी हो सकती है, गाय, भैंस, घोडी, कुतिया, कोई भी!"
तरुण ने एक और सवाल पूछा," वरदान के अनुसार मै तो किसी भी स्त्री को संमोहन से नियंत्रित कर सकता हुं, मगर यहां तो मै कहां संमोहित कर रहा हु?"
अयाना ने जवाब दिया,"तुम कर रहे हो तरुण, संमोहन दो तरह के होते हे, कुदरती संमोहन और यांत्रिकी संमोहन सब लोग सिर्फ यांत्रिकी संमोहन को ही पूरा संमोहन समझते है, पर ऐसा नहीं है, कुदरती संमोहन भी एक संमोहन होता है। तुम जो कुदरती संमोहन का उपयोग कर रहे हो जो परिस्थिति, स्वभाव, पसंद और नारी के संवेदनशील अंगों पर निर्भर करता है। हर नारी के कुछ अंग संवेदनशील होते है, जिन्हें खास तरह से स्पर्श करने पर उसका मन उत्तेजित होता है। सामने वाले को सिर्फ उसके इन अंगों का पता होना चाहिए, और उसकी पसंद ना पसंद और किन परिस्थितियों में वह संभोग करना पसंद करती है। हर नारी की सम्भोग के प्रति कल्पना भिन्न होती है, कुछ स्त्रियों को बलपूर्वक तथा कुछ को प्रेम से करना पसंद होता है, कुछ सहयोग करती है तथा कुछ सिर्फ निष्क्रिय रहकर सिर्फ आनंद लेती है। पुरूषों को सिर्फ यह जानना चाहिए, मगर कुछ पुरूष यह नहीं जान पाते और कुछ अच्छे से जान लेते है। इस वजह से कुछ पुरूषों को तो अपनी पत्नी के साथ तक संभोग करने में कठिनाई होती है, तो कुछ दूसरी स्त्रियों के साथ सहजता से बना लेते है। तुम्हें इस दर्पण से सब पता चल जाता है। इसलिए तुम सहजता से चंद्रमुखी, ज्वालामुखी, तेजल, सरिता, नयना और कोमल को अपने साथ सम्बन्ध बनाने के लिये तैयार कर पाये।"
तरुण चौंककर बोला,"कोमल! वह कब तैयार हुई थी?"
अयाना ने कहां,"जब तुम रेल में उसके साथ थे, उसकी निष्क्रियता ही उसकी हां थी।"
तरुण ने उसे कसकर गले लगाया और कहा,"थँक्यु व्हेरी मच!!" और उसने अयाना को होठों पर किस कर दिया। यहाँ सुबह हो चुकी थी, तरुण की आँखें खुल गई। नयना को लगा की तरुण उसे गले लगाकर थँक्यु कह रहा है, यह देखकर नयना भी बोली,"तुम तो बड़े तमीज वाले हो यार, आज तक मैंने कभी किसी लड़के को सेक्स के बाद लड़की को ऐसे थँक्यु बोलते है।"
नयना तरुण से काफी आकर्षित हो चुकी थी। वह नहाने चली गई और तैयार होकर बाहर आ गई। फिर तरुण ने कपड़े पहने और नयना को किस किया और अपने घर चला गया।
यहां सरिता और राज भी नींद से उठ चुके थे, राज ने सरिता के साथ रात को जो गुद्द्वार सम्भोग किया था उस वजह से सरिता को चलने में तकलीफ हो रही थी। राज सरिता को कंधे का सहारा देकर बाथरूम तक ले गया, दोनों यहां नग्न अवस्था में थे दोनों एक साथ नहाने लगे। दोनों पहले एक दुसरे के बदन पर पानी डालकर साबुन मलने लगे फिर सरिता राज की छाती पर साबुन मल रही थी, और राज के हाथ सरिता के स्तनों पर चल रहे थे,राज अच्छे से रगड़ कर सरिता के स्तनों पर साबुन लगा रहा था। जिससे सरिता उत्तेजित होकर,"राज! अम्!! अम्!! रूक मत करता रह, अम् म् म् म् आहा!" ऐसी आवाजें निकालने लगी। राज ने अब उसकी पीठ मलनी शुरू की, और दोनों एक दुसरे की पीठ मलते हुये किस करने लगे फिर उन्होंने, साबुन लगाते लगाते नितम्ब की और गये यहा दोनों ने एक दुसरे के नितम्बों को अच्छे से धोया। फिर सरिता राज के लिंग पर साबुन लगा रही थी, और राज भी उसकी योनी में साबुन डालकर उंगली अंदर बाहर करने लगा, जिससे दोनों उत्तेजित हो गये और राज ने अपना लिंग सरिता की योनी में डाल दिया। योनी में और लिंग पर साबुन होने की वजह से राज का लिंग सरिता की योनी में बडी सहजता से चला गया राज बड़े जोश में अपने लिंग को सरिता की योनी में अंदर बाहर करता रहा, सरिता भी उत्तेजित होकर अपने मुंह से, "अम्!!!" करके सिसकारिया निकलने लगी।
सरिता की योनी ने पानी छोड़ दिया और यहा राज भी झड़ गया। सारा वीर्य राज ने सरिता की योनी में बहा दिया, फिर सरिता ने हँड शावर से अपनी योनी और अपना बदन धोकर शावर बाथ ले लिया। फिर दोनों ने कपड़े पहन लिये और सरिता ने राज से कहा, "मुझे तुमसे कुछ बात करनी है।"
राज ने पूछा,"किस के बारेमें ?"
सरिता ने कहा,"कोमल के बारेमें।"
राज ने पूछा,"क्या मम्मी?"
सरिता ने बताया," तुम्हारे भाई पर झूठा रेप केस लगाकर उसकी जिंदगी बरबाद करने वाली लड़की कोई और नहीं बल्कि कोमल थी।"
राज चौंककर बोला ,"क्या ? मगर वह तो बोली थी किसी और लड़की ने यह किया था।"
सरिता बोली," नहीं राज, पहले उसने सतीश से दोस्ती की, फिर दोनों करीब आ गये इतने की दोनों के बीच सेक्स हो गया, फिर वह प्रेगनंट हो गई और सतीश को ब्लैक मेल करने लगी, और जब सतीश नहीं माना तो उसने केस कर दिया, जिससे परेशान होकर सतीश ने खुदखुशी कर ली।"
राज बोला,"पर मम्मी, भैया को भी ध्यान रखना चाहिए था ना।"
सरिता ने उसे कहा,"नहीं राज, सतीश को उसने व्हायग्रा दे रखा था, जिस वजह से वह खुद पर काबू नहीं रख पाया होगा, और अगर तरुण तुम्हें यहा आने के लिये नहीं उकसाता तो तुम भी उसके शिकार बन जाते।"
राज ने कहा,"मतलब आप और तरुण के बीच कुछ नहीं हुआ?"
सरिता ने कहां,"ऐसा नहीं है, उसने मुझे आधे घंटे तक चोदा, फिर भी उसका लिंग सक्त था, वह और कर सकता था, मगर जब उसे कोमल का सच पता चला उसने तुझे कॉल लगाकर बुला लिया।और गाड़ी लेकर चला गया।"
राज ने पूछा," फिर क्या हुआ?"
सरिता ने कहा," और उसने ही मुझे बताया की तुम्हें भी कोमल ने किसी चीज़ में व्हायग्रा मिलाकर पीला दिया है।"
राज ने कहा,"उसने मुझे स्प्राईट पिलाया था, और तब से मुझे उसके बारेमें ऐसे खयाल आ रहे थे।"
सरिता ने फिर उसे कहां," जो हुआ अच्छा हुआ, उसकी वजह से तो तुमने मुझे सारी रात चोदा, थोड़ा अजीब मुझे भी लगा मगर मैने भी इन्जॉइ किया, तीन सालों से तुम्हारे पापा भी नही थे और इसलिए मैरी काफ़ी दिनों से चुदाई नहीं हुई थी, मगर तुमने मेरे अंदर की आग शांत कर दी।"
राज ने कहा,"और आप तरुण के साथ करने के लिये कैसे तैयार हो गई?"
सरिता, "पता नहीं! क्यों? और कैसे? उसने मुझे वैसे ही अप्रोच किया जैसे मै अपने पार्टनर इम्याजीन करती थी।"
राज को अपनी गलती का एहसास हो गया की उसने ज्वालामुखी के साथ कितना गलत किया। मगर सरिता को ऐसा लगा की राज के मन में अपनी माँ के साथ सम्भोग करने की वजह से पश्चाताप है। सरिता ने उससे कहा,"मै जानती हुं तुम क्या सोच रहे हो।"
राज ने चौंककर पूछा, "क्या?"
सरिता ने कहा,"तुम्हें यही लग रहा है ना की तुमने मेरे साथ जो किया वो सही था या गलत?"
राज ने होश में आकर कहा,"हा!हा! मम्मी मै यही सोच रहा था?"
सरिता ने कहा,"नहीं, अगर तुम मेरी मर्जी के बिना करते तो गलत होता, मगर तुमने जो किया वह मैने भी इंजॉय किया तो यह गलत नहीं है।"
फिर थोड़ी देर सोचकर सरिता बोली,"और राज, मै अगर तुम्हारा विरोध करती, तो भी वह गलत होता, क्योंकि तुम्हें व्हायग्रा दिया गया था और तुम्हें उसकी जरुरत थी।"
तब राज सरिता से पूछता है,"मम्मी, अगर हम आज रात को करे तो?"
सरिता बोली," आ! आ! तुम्हें उंगली क्या दी तुमने तो हाथ पकड़ लिया, माना की हमारे बीच सेक्स हुआ है, मगर हम सोच समझकर ही इसी रिलेशन को आगे बढायेंगे।" इतना बोलकर सरिता अपना घर के काम में लग गई।
यहां तरुण अपने घर आ गया, और उसने आयने को उसके असली आकार में लाया। और उसे पूछा की कोमल कहाँ है, तो आयने ने उसे कोमल को दिखाया, आयने में कोमल एक फोन पर बात करते हुये दिखाई दी। कोमल ने फोन पर कहां,"उन्हें कुछ मत करना, मै तुम्हारा काम कर दूंगी, इस बार कोई गड़बड़ नहीं होगी भरोसा करो।" वह काफी डरी हुई थी। तरुण ने आयने को कहा," हे आयने मुझे दूसरी और जो इन्सान बात कर रहा है वह देखना है।" इतना बोलते ही उसके सामने वह दृश्य आ गया, यहां जो आदमी कोमल से बात कर रहा था, असल में वह एक गैर कानूनी संघटन का मुखिया था। वह आदमी फिर एक औरत के पास गया वह औरत एक पिंजरे में कैद थी, और उसके हाथ जंजीरों से बंधे हुये थे, उसकी उम्र ४० के आसपास थी, और उसने एक सफेद साड़ी पहनी थी, उसके उरोज ३५ के थे कमर २६ और नितम्ब ३६, उसके कपड़े बीच बीच से फटे हुये थे जिस वजह से तरुण उसके स्तनों के कुछ हिस्से, । उस मुखिया ने उस औरत से कहा "अगर तुम मेरी हो जाती तो शायद तुम्हारी यह हालत नहीं होती।"
तब उसने कहा," तुम जैसे बेईमान के साथ रहने से अच्छा हम कवारे रहे।"
मुखिया बोला,"आये हाय ! रस्सी जल गई मगर बल नहीं गया, अब भी प्यार बाकी है रविंदर के लिए।"
फिर मुखिया ने चाबुक निकाला और उसकी पीठ और नितम्बों पर फटकार कर मारने लगा। और उसने कहा,"तूने तो नहीं किया लेकिन जब तेरी बेटी तेरी दर्द से भरी चीखे सुनेगी तो जरूर करेगी।", और उसे चाबुक से मारता रहा। वह चिल्लाती रही और रोती रही। तरुण को अब समझ में आ गया था की कोमल राज को क्यों फंसा रही है।तरुण ने कपड़े, दवाइयां और खाने का सामान एकत्रित किया और अंधेरा होने का इंतजार करता रहा। रात को अंधेरा हो गया सारे लोग सो गये, फिर तरुण गाड़ी के पास गया और आयने की सहायता से गाड़ी के साथ वह वहां पहुंच गया। तरुण सबकी नजरों में आये बिना जिस कमरे में कोमल की माँ रानी मौजूद थी वहां चला गया वहाँ ताला लगा हुआ था, बगल मैं ही एक आदमी पहरा दे रहा था। तरुण ने ताले की और देखा और उसके आँखों से प्रकाश किरण निकली जिससे देखते ही देखते ताला कट गया। तरुण ने फिर कड़ी खोलकर रानी को बाहर निकाला, तभी वह आदमी जाग उठा और तरुण को मारने आया, तरुण ने उसे एक घुसा मारा जिससे वह दस फुट दूर दीवार से जा टकराया और वही बेहोश हो गया, रानी इसे देखते ही रह गई। तभी तरुण ने रानी का हाथ पकड़ लिया और उसे बाहर खींचकर ले गया, तब रानी होश में आकर उसके साथ बाहर भागी। बाहर जाते ही उन दोनों के सामने सारे आदमी खड़े हो गये वह बीस थे, मगर तभी पुलिस सायरन की आवाज सुनाई दी, तभी उस गिरोह के सारे लोग बेहोश हो गये। तरुण तभी रानी को लेकर पिछले रास्ते से बाहर निकल गया,
असल में तरुण ने आयने की सहायता से पहले से ही सबके खाने और पीने की चीजों में नींद की दवाई मिला दी थी, और पुलिस को सब खबर कर दिया था, वह भी तस्वीर के साथ। पुलिस को इस गिरोह की बहुत दिनों से तलाश थी इसलिए पुलिस ने तुरंत कार्यवाही करते हुये सबको गिरफ्तार कर लिया। तरुण रात में गाड़ी नहीं चलाना चाहता था, और अगर वह अपनी शक्ति का उपयोग करता तो रानी को पता चल जाता और उसे यह सबको पता चल जाता। इसलिए तरुण रानी को लेकर एक सस्ते और पुराने गेस्ट हाउस में गया वहां एक रात के २०० रुपये लगते थे। वहां सिर्फ एक बूढ़ा मालिक था जो उसे चला रहा था, तरुण ने उसे २०० रुपये देकर कमरे की चाबी ले ली और रानी के साथ अंदर चला गया और उसे कपड़े और तौलिया दे दी, रानी वह लेकर नहाने चली गई। और उसने अंदर ही नहा कर कपड़े पहन लिये। और तरुण ने उसे जो कपड़े दिये थे, वह पहनकर वह बहुत ही खूबसूरत लग रही थी। तरुण ने रानी को तेजल के कपड़े दिये थे, उसमें उसने स्ट्रीप वाला ब्लाउज था, जिसमें आगे से उनके स्तनों के बीच की गहराई आराम से देखी जा सकती थी, और यह तेजल का ब्लाउज छोटा होने की वजह से रानी के स्तन ऐसे लग रहे थे जैसे बाहर आने के लिये उत्सुक हो,मगर उन्हें ब्लाउज से बाँध कर रखा गया था।

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तरुण ने कहा,"आपने उन्हें क्यों बांध रखा है, दो कबूतर बेचारे कब से छूटने को बेताब लग रहे हे।" रानी ने पूछा,"कौन से दो कबूतर?"
तरुण ने उसके ब्लाउज के उपर से हाथ रखकर कहा,"आपके यह दो जिन्हें आपने अपने ब्लाउज में कैद करके रखा है।"
रानी झट से पीछे मूड गई और बोली,"चल हट बेशरम कहीं का! मुझ जैसी बुढ़िया को..."
तभी तरुण को रानी की खुली पीठ दिखाई दी, वहाँ उसे कुछ पुराने और कुछ नये दिखाई दिये। तरुण ने तुरंत ही अपनी थैली से दवाई निकाली और उसकी पीठ पर जहाँ सूजन थी वहां लगाने लगा, रानी उससे दूर जाने लगी, मगर तरुण ने उसकी कमर में हाथ डालकर उसे पकड़ लिया, और आराम से और धीरे धीरे उसकी पीठ पर तेल लगाने लगा, रानी ने विरोध करना बंद कर दिया, क्योंकि इससे उसे राहत मील रही थी। तरुण ने अब तेल लगाना जारी रखा, अब वह उसकी पीठ से नीचे उतरकर उसकी कमर के पिछले हिस्से पर तेल लगाकर नर्म मालिश कर रहा था। थोड़ी देर नर्म मालिश करने के बाद तरुण ने उसकी कमर से होते हुये सीधे उपर उसकी पीठ पर हाथ ले जाकर फिर पीठ से फिर से कमर इस तरह सीधी रेखा में उसकी रीढ़ पर नीचे कमर तक, इस तरह करता रहा, मगर उपर जाते वक्त रानी के ब्लाउज के पिछले हिस्से की पट्टी बाधा डाल रही थी, और वह ब्लाउज छोटा होने की वजह से तरुण का हाथ अंदर जाने के लिये अक्षम था। रानी ने इतनी अच्छी मालिश में आती बाधा देखकर अपने ब्लाउज का हुक जो आगे की तरफ था वह खोल दिया, और अपने दोनों भरे हुये स्तनों को ब्लाउज से आझादि दे दी, वह मानो ऐसे उछलकर बाहर आये मानों, जैसे कई सालों से कैद खरगोश पिंजरे से बाहर आये हो। अब तरुण को मालिश करने में आसानी हो रही थी, तरुण अब तेजी से और अच्छा खासा जोर लगाकर रानी की पीठ की मालिश कर रहा था, इससे रानी को राहत के साथ साथ उत्तेजना भी हो रही थी। रानी कहने लगी,"अम्! अम्! म्! म्! तरुण!! कोमल के पापा भी मेरी ऐसी ही मालिश किया करते थे!आज तुमने फिर से उनकी याद दिला दी।"
तरुण अब अपने दुसरे हाथ से रानी की नाभि के आसपास मालिश करने लगा, जिससे रानी उत्तेजना से सिसकारिया निकालने लगी,"अम्! अम्! म्!!! म्!!!!म्!!!तरुण! रुक मत म्! म्! म्! करता रह म्!!! आहा!!!!", अब तरुण अपना हाथ नाभि के आसपास बड़े विस्तार में गोल गोल घुमा रहा था, जिससे तरुण का हाथ उपर स्तनों के निचले हिस्से तथा नीचे योनी के उपर तक स्पर्श कर रहा था। स्तनों पर हो रहे तरुण के गर्म हाथों के स्पर्श की वजह से रानी और उत्तेजित होने लगी, "म्! म्!! म्!!! आ!!हा!! आ!!!हा!!! आहा!!!" करके सिसकारिया निकालने लगी।
तभी तरुण ने पूछा,"कैसा लग रहा है आपको?"
रानी ने कहा,"मस्त! अब उपर भी कर दो।"
तरुण समझ गया, वह अब अपने हाथों से उसके स्तनों की दबाकर मालिश कर रहा था।रानी अब उत्तेजित होने लगी थी, तरुण उसके पीछे खड़ा था इसलिए उसने अपना हाथ पीछे ले जाकर तरुण के पायजामे का नाडा खोल दिया। तरुण ने जवाब में आगे से उसके लेहंगे का नाडा खोल दिया और उसका लेहंगा सरर् से नीचे फर्श पर गिर गया, वह पैंटी नहीं पहनती थी इसलिए वह पूरी तरह नग्न हो गई । वह उत्तेजित तो थी मगर उसमें थोड़ी शर्म बाकी थी, वह लेहंगा उठाने के लिये जैसे ही झुकी, तरुण ने तुरन्त ही उसके स्तनों को पकड़ कर उसके पैरों के बीच डालकर योनी के उपर चलाना शुरू कर दिया। अब तो रानी की उत्तेजना चरम पर पहुंच चुकी थी और वह अपने सारे वस्त्रों के साथ साथ अपनी शर्म के सारे कपड़े भी उतार चुकी थी और अब वह तन के साथ साथ मन से भी नग्न हो चुकी थी। वह भी अब तरुण का साथ देने लगी थी,"तरुण! आह! आह! आह! और करो करते रहो मजा आ रहा है मुझे! आ!!हा!!...", करके सिसकारिया निकाल रही थी। तरुण का लिंग रानी के यौवन रस से भीग चुका था और रानी की योनी भी गीली हो चुकी थी, इसे सही अवसर मानकर तरुण ने अपना लिंग रानी की योनी में डाल दिया। तरुण के लिंग डालते ही रानी के मुंह से," आ!!! ई!!! उ!!ई!!!!!" करके चीख निकल गई। तरुण जैसे ही लिंग बाहर निकालने लगा, तो वह बोली," बाहर मत निकाल तरुण...", इतने में तरुण ने एक और धक्का दिया जिससे तरुण का १८ इंच लंबा और चार इंच मोटा लिंग, रानी की योनी के एक और इंच अंदर चला गया। माना की रानी एक खुली तिजोरी थी, मगर काफी देरी से अनछुई होने की वजह से उसके दरवाजे में जंग लगा हुआ था। तरुण अब उस योनी में अपना लिंग डालकर उसका जंग हटा रहा था। तरुण लगातार धक्के लगा रहा था, और जब तरुण आगे धक्का लगा रहा तब उसका साथ देते हुये रानी पीछे धक्के लगा रही थी। अब तरुण की मेहनत रंग ला रही थी, उसका लिंग रानी के गर्भाशय तक पहुंच रहा था। रानी का दर्द अब काफ़ी हद तक कम हो चुका था, और वह तरुण के टायट्यानियम से ज्यादा सक्त लिंग को अपने अंदर लेकर कड़े संभोग का आनंद ले रही थी, तभी उसका पानी छुट गया और वह झड़ गई। फिर किसी ने दरवाजा खटखटाया, रानी बेड पर लेट गई और खुद को शाल से ढक लिया। तरुण ने पैंट पहनकर दरवाजा खोला तो वहां गेस्ट हाउस का मुनीम रामलाल था जो खाना देने आया था, तरुण ने उससे पार्सल ले लिया, फिर तरुण और रानी ने साथ में खाना खाया, तरुण का वीर्य पात अब भी नहीं हुआ था, पर रानी झड़ चुकी थी। और कई दिनों से कम खाने की वजह से ज्यादा खाना खा लिया और सो गई और तरुण भी उसे अपनी बाहों में जकड़ कर सो गया।
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