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Erotica वरदान

आप किस की पत्नी के साथ सैतानासुर का संभोग अगले अपडेट में देखना चाहते है?

  • किसी सामान्य मानव की।

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ashish_1982_in

Well-Known Member
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18,877
188
Part 1

UPDATE 2

अगले दिन सुबह चार बजे जब तरुण की नींद खुली वह बाथरूम में चला गया और सुबह के काम निपटा कर दर्पण की मदद से उसने सारी वनस्पति प्रकट की।और फिर उसके हाथ जो हीरे जीतने मजबूत थे,उसने उससे सारी वनस्पति को मसला और उसके सार को उसने एक कटोरी में डालकर उसे ढका, और अपने हाथों से अग्नि निकालकर तपाने लगा, थोड़ी देर और ताप देने के बाद उसने जब ढक्कन हटाया। तो उसमें उसे दवाई तैयार मिली। उसने वह दवाई एक शीशी में डाल दी, वह दवाई असल में निम्न द्रव यानी किसी जेली की तरह थी। इसीलिए डालते वक्त उसे अपने हाथ खराब करने पडे। तभी उसे हलचल सुनाई दी। वह पहले ही नहा कर तैयार हो चुका था। वह सारे कपड़े बाथरूम में ही पहन लेता था। जब उसने चंद्रमुखी की आवाज सूनी, तो उसने शीशी जेब में डाल ली और जल्दबाजी में एक साफ पैंटी से अपना हाथ साफ कर लिया और जाकर दरवाजा खोला। वहां चंद्रमुखी टॉवेल लेकर खड़ी थी, वह उससे बोली ,"तुम्हारा हो गया तो, में नहा लूं?"
तरुण,"हाँ, हो गया।"
फिर थोडी देर बाद चंद्रमुखी भी नहा कर निकली। वह सिर्फ टॉवेल मे थीं। इसीलिये उसकी मांसल जाँघे बहुत आकर्षक लग रही थी, जैसे की किसी कुशल कारीगर ने बडी ही, बारीकी से तराशा हो। तरुण उसे देखता ही रह गया। फिर वर्दी पहनकर वह थाने चली गई । थाने जाकर उसने उन लड़कों की अच्छे से खातिरदारी की । यहां तरुण ने कोमल को फोन करके बुला लिया, ताकि वह उसे सच बता सके।और वह ज्वालामुखी के साथ पढाई करने लगा। थोड़ी देर बाद कोमल और राज वहाँ आ गये।
तब राज नाराज लग रहा था, जैसे वह कोई बहुत बड़ी जंग हारकर आया हो। तरुण ने पूछा ,"क्या हुआ राज? ऐसे हारे हुये क्यों लग रहे हो?" तब कोमल ने तरुण के पास आकर कान में कहा,"खड़ा करने में आधा घंटा चला गया, मगर दस मिनट में पानी छुट गया!" तरुण ने कोमल के नितम्ब पर हाथ रखा और कहा,"मेरा अभी भी सक्त है, अभी डालकर देखे?" कोमल शर्माकर वहां से चलीं गई। और टेबल पर जाकर बैठ गई। फिर तरुण ने ज्वालामुखी को कहा की वह छत पर बैडमिंटन खेलने के लिये जाली लगाये। वह छत पर जाकर तैयारी करने लगी। तब राज ने तरुण से पूछा,"तुम हमें क्या सच बताने वाले थे?" तब तरुण ने उन्हें बताया की किस मजबूरी में चंद्रमुखी ने सतीश को गिरफ्तार किया था। तब उन्होंने कहा,"हाँ, माना की हमने जो किया वह गलत था, मगर तुमने भी तो उससे न्युड डांस करवाया?"
तरुण ,"हाँ, मैंने उससे न्युड डांस करवाया मगर, उससे सिर्फ उसकी पॉवर और ईगो खत्म होता। मगर तुम दोनों ने पिल्स और ड्रग दे कर उसमें हवस भर दी, जिस वजह से उसे पुरी क्लास के लड़कों से चूदना पड़ा,जिससे उसका कँरेक्टर एक रंडी का हो गया, और अब हर लड़का उसे ऐसी ही नजर से देखेगा। वह असल में एक सेंसीटीव्ह लड़की है, ऐसी लड़कियाँ आमतौर पर सेक्स से दूर होती है। मगर उनके साथ एक बार भी किसी भी तरह सेक्स किया जाये, तो उसकी आदी हो जाती है। अब यह तो साठ से चूद चुकी है। अगर कोई भी लड़का उसे अँप्रोच करेगा तो भी वह तैयार हो जायेगी। अब वह एक फ्री का खिलौना बन गई है।
तब उन्हें उपर से ज्वालामुखी आवाज देती है। वह तीनों उपर जाते है। और खेल शुरू होता है। थोड़ी देर खेलने के बाद वह नीचे आ जाते है। कोमल और और राज वापस चले जाते है। फिर तरुण और ज्वालामुखी दोनों खाना खाकर पढ़ने बैठ जाते है। ज्वालामुखी पूछती है,"जब सारी क्लास मेरी चुदाई का मजा ले रही थी, तुम कहा थे?"
राज ने कहा,"दरवाजा अंदर से बंद था, और वैसे भी मै आता तो किसी को मौका नहीं मिलता।"
ज्वालामुखी,"कुछ भी!! इतना स्टेमिना किसी का नहीं होता।"
तरुण,"तो आजमा रही है।"
ज्वालामुखी,"अब चोदेगा मुझे?"
तरुण,"तेरी बस का नहीं है, तेरी माँ को भेज।"
ज्वालामुखी ने सीधे उसके लिंग पर लात मारी। मगर,तरुण को कुछ नहीं हुआ, उलटा ज्वालामुखी की टांग पर चोट लग गई। उसे ऐसा अहसास हुआ जैसे उसने गलती से लोहे के मोटे से डंडे पर लात मार दी थी। असल में यह उसके वरदान का भाग था उसका शरीर उरु, हीरा और व्हायब्रेनियम से भी अनंत गुना सक्त और मजबूत हो गया था। अब ज्वालामुखी को डर लग रहा था।
ज्वालामुखी,"तुम मेरी माँ के साथ इतना फ्लर्ट क्यों कर रहे थे, क्या तुम इंटरेस्टेड हो?"
तरुण,"अरे ऐसा कुछ नहीं है।असल में जब लड़की जवान होती है तब, कभी लड़कों का घुंरना, उनपर कमेंट करना, बातों बातों में तरिफ करना या लाईन मारना यह सब उन्हें उन्हें उनकी खूबसूरती का एहसास दिलाता रहता है,लेकिन इससे वह उक् जाती है।मगर, एक उम्र के बाद जब उनकी जवानी कम होने लगती है, तब यह सब भी कम होते होते खत्म हो जाता है, और जो उन्हें उस उम्र में इरीटेशन लगता है, वह इस उम्र में ज्यादा मिस करती है।इसीलिए कहते है कि, जवानी से ज्यादा पार्टनर की जरुरत अधेड़ और बुढ़ापे में होती है।"
फिर रात को चंद्रमुखी चौटाला आ जाती है। तरुण और ज्वालामुखी ने खाना पहले ही खा लिया था। और तरुण ने चंद्रमुखी के लिये खाना लगाया और वह भी उसके साथ बैठ कर बातें करने लगा। ज्वालामुखी एक नाइट पैंट और टी-शर्ट पहन लेती है। और खाना खाने बैठती है।
चंद्रमुखी,"कल तेजल सुबह की गाड़ी से आ जायेगी।"
तरुण,"मै जाकर ले आऊँगा, वैसे आप रात को सिर्फ यही कपड़े पहनती है, या आपने कभी नाइटी ट्राई नहीं की?"
चंद्रमुखी,"हाँ, जब जोश जिंदा था तब पहना करती, फर्स्ट नाइट पर दी थी। मै हर रोज रात को पहना करती थी।"
तरुण,"तो आज ट्राई करके देखें।"
चंद्रमुखी,"क्या कैसा लगेगा इस उम्र में?"
तरुण,"अच्छा लगेगा, करके तो देखिए।"
चंद्रमुखी,"कुछ भी!"
तरुण,"लगी शर्त? अगर आप अच्छी लगी तो मैं जो कहूंगा आपको करना पडेगा।"
चंद्रमुखी,"अगर मै जीती, तो मेरे सारे कपड़े तू धोयेगा।और यह बात हम ज्वालामुखी से कन्फर्म करेंगे, डन?"
तरुण,"डन।"
फिर चंद्रमुखी अंदर गई और एक नीले रंग की पतली नाइटी पहनकर बाहर आ गई।
और अपनी बेटी से पूछा,"ज्वालामुखी, मै कैसी लग रही हूं?"
ज्वालामुखी,"ओ! मम्मी! आप तो बिल्कुल सनी लिओनी और मीया खलीफा जैसी लग रही है।"
चंद्रमुखी,"सही सही बता!"
ज्वालामुखी," सच्ची मम्मी, आपकी कसम।"
वैसे तो जो ज्वालामुखी ने जो कहा वह बिल्कुल सच था। वह सचमुच कमाल लग रही थी। ४३ की उम्र होने के बावजूद वह ३० की लगती थी। उसने रोज कसरत करके खुद को फिट रखा था। उसके उरोज ३८ के थें, कमर २८ की और नितम्ब ३७ की। वह आम तौर पर वर्दी, या टी-शर्ट और नाइट - पैंट में होती थी, मगर यह नाइटी उसके सही नाप में थी, कमर में सही था मगर अब उम्र के साथ उसके उरोज भर गये थे, जिसकी वजह से वह उस नाइटी से बाहर आने को आतुर थे, जिस वजह से उनकी गहराई साफ दिखाई दे रही थी। वह हाल नितम्ब का भी था। अब तरुण रुम में चला गया, और उसके पीछे चंद्रमुखी भी आ गई। तब तरुण ने कहा ,"अपना वादा याद है ना?"
चंद्रमुखी,"हाँ! जल्दी बताओ, क्या है? मेरी हालत खराब हो रही है इस टाइट नाइटी की वजह से।"
तरुण,"हाँ उतार दीजिए, वैसे भी चुदवाते वक्त उतारनी ही पडेगी।"
चंद्रमुखी,"क्या? तुम ऐसा सोच भी कैसे सकते हो?"
तरुण,"वैसे शर्त के मुताबिक आपको जो मै कहूंगा, वही करना पडेगा, और आप जैसी मिल्फ सामने होने पर कोई भी यही चाहेगा।"
इतना कहकर तरुण ने चंद्रमुखी की कमर में हाथ डाले और जोर से जकड़ लिया।
चंद्रमुखी ने हंसते हुये कहा,"समझ नहीं आ रहा है की तुम्हें मुझे छेड़ने के लिये पिट दू, या तुम्हारी हिम्मत के लिये तुम्हें इनाम दू।"
तरुण ने पकड़ और ते की और कहा," एक गेम खेलते है, इसमें आपको मेरी झप्पी से निकल कर दिखाना होगा, अगर आप निकल गई तो केंसल, और हार गई तो आपकी चूत के साथ आपकी गांड भी मेरी होगी, और जबतक आप नहीं छुंटती मै आपको किस करता रहूँगा।"
इतना कहकर उसने चंद्रमुखी के गाल पर किस, और दूसरा किस उसके थोड़ा नीचे, और उसके नीचे एक किस, चंद्रमुखी छूटने की कोशिश कर रही थी। जैसे जैसे वक्त बितता जा रहा था। तरुण का लिंग सक्त हो रहा था। अब तरुण उसे छह किस कर चुका था और वह उतरते उतरते चंद्रमुखी के गले तक आ गया,उसने अब गले से थोड़ा उपर किस किया। और अब वह उसके गले की चढ़ाई करने लगा, वह उसके विरोध में अपना गर्दन पीछे झुका रही थी। मगर तरुण का काम आसान हो गया, उससे चंद्रमुखी के निचले जबड़े का बाहरी हिस्सा उसके सामने था। वह उसे चूमते चूमते उसकी ठुडी तक पहुंच गया और उपर उसके होठों पर एक लंबा किस किया जिस वजह से उसके होंठ खुल गये, उसने अपनी जुबान उसके मुंह में डाल दी। अब वो दोनों एक दुसरे की जीभ से खेल रहे थे। अब चंद्रमुखी का विरोध भी कम हो गया था, अब वह पूरी तरह से अपना आत्मसमर्पण तरुण के सामने कर चुकी थी। उसका बदन अजीब तरह से पसीने से भीग गया था, तब तरुण ने उसकी नाईटी उतार दी और उसे धक्का दे कर बेड पर गिरा दिया। मगर, उसके सामने जो था उसे देख वह चौंक गया, असल में यह वही पैंटी थी जिससे उसने सुबह हाथ साफ किये थे। हुआ यह था की उसके हाथ से वह दवा पैंटी पर चली गई और वह पैंटी चंद्रमुखी ने पहन ली। और दिन भर उसे शारीरिक श्रम हुये जिससे पैदा हुई गरमी की वजह से वह दवाई भाप बन धीरे धीरे उसकी योनी में चली गई। और इसकी वजह से उसकी योनी गीली हो चुकी थी।
अब तरुण ने उसकी दोनों टांगे खोल दी और एक झटके से उसकी पैंटी उतार फेंकी। और अपना लिंग उसकी योनी पर रखा और हाथों में उसके स्तन पकड़े और उसे एक जोरदार धक्का दिया और इससे तरुण का लिंग उसकी योनी में तीन इंच तक घुस गया। असलियत में चंद्रमुखी कुंवारी नहीं थी, मगर अठारह साल से उसका पति जेल में होने की वजह से उसकी योनी तंग थी। अब वह चिल्लाने ही वाली थी की, तभी तरुण ने उसके मुंह पर मुंह रख उसे किस करने लगा और उसकी चीख वही दब गई, अब उसकी योनी ने यौवन रस की धारा बहा दी। अब तरुण को पता चल गया था की, उसे खुशी हो रही है और विरोध उसकी खुशी दिखाने का तरीका है। अब तरुण ने एक और धक्का दिया और उसका आधा लिंग चंद्रमुखी की योनी में चला गया वह, उसके गर्भाशय के अंतिम छोर तक पहुंच गया था। अब चंद्रमुखी के अंदर जैसे विद्युत धारा दौड़ने लगी थी, वह अब झटके खाने लगी और अपनी योनी आगे-पीछे कर तरुण का साथ देने लगी। उसके स्तनाग्र तंग हो चुके थे, तरुण उसकी गर्म सांसे महसूस कर सकता था तरुण ने उसे अपने उपर ले लिया।और उसके स्तन पकड़कर उसे अपने लिंग पर उपर नीचे किये जा रहा था।अब वह भी उसका साथ देने लगी थी, और एक बार उसकी योनी ने धारा छोड़ दी। वह उसके उपर ही गिर गयी। मगर तरुण अब तक शांत नहीं हुआ था। उसने चंद्रमुखी को बाजू में कर दिया,और पेट पर लेटा दिया। तरुण ने तेल लाया और अपने लिंग पर लगाया और चंद्रमुखी के गुदें(anus,गांड) में भी डाला, और अपना लिंग उसके गुदे पर रखा,उसके स्तनों को हाथ में पकड़कर एक धक्का दिया, जिस वजह से उसका लिंग चंद्रमुखी की योनी को चीरते हुये अंदर चला गया। वैसे तो उसका गुद्द्वार बहुत तंग था मगर तरुण ने जोश जोश में बहुत जोर लगा दिया, जिसके लिये चंद्रमुखी अभी तैयार नहीं थी। उसकी चीख निकलने ही वाली थी चंद्रमुखी ने,अपने मुंह में तकिया दबा लिया, जिससे उसकी चीख वही दब गई। अब तरुण अपना लिंग आगे पीछे कर रहा था, ऐसा उसने लगातार दो घंटे किया, इसमें चंद्रमुखी बीस बार रस्खलित हो चुकी थी, पर तरुण का अब तक नहीं निकला था। चंद्रमुखी थक कर गहरी नींद में चली गई और तरुण भी सो गया।
अगली सुबह जब तरुण उठा तो सात बज गये थे, उसके साथ चंद्रमुखी भी जाग गई। दोनों बाथरूम में गये और साथ में शॉवर लिया। और बाहर आ गये चंद्रमुखी तैयार हो कर थाने चली गई।
तरुण ज्वालामुखी के कमरे में गया वह दरवाजा लगाना भूल गई थी। उसने एक चादर ओढ रखी थी, तरुण ने चादर थोड़ी नीचे की तो उसे ज्वालामुखी का चेहरा दिखाई दिया, उसका मन अब उसके होंठ चुमने को कर रहा था, मगर उसने अपने आप पर काबू किया और चादर नीचे की, अब उसके सामने ज्वालामुखी के स्तन थे, वह बहुत मादक लग रहे थे। अब उसने पूरी चादर निकाल दी, जिसकी वजह से वह उसके सामने पूरी तरह से नग्न अवस्था में थी। अब तरुण अपना हाथ उसकी योनी पर घुमाने लगा, इससे नींद में ही ज्वालामुखी मचलने लगी।"अम् म् म् म् आहा", करके उसके मुहं से सिसकारिया निकलने लगी। उसने आखें खोली ही थी की तरुण ने उसके होठों पर अपने होंठ रख दिये और अपनी जुबान ज्वालामुखी की जबान पर घुमाने लगा, जिससे वह और गर्म होने लगी। तरुण ने अपने होंठ उसके होंठों से अलग किये और अपनी पैंट उतारकर अपना लिंग सीधे उसकी योनी में डाल दिया। अब वह दोनों एक दुसरे को एक लय में धक्के देकर काम के रंग में रंग गये, करीब एक घंटे बाद ज्वालामुखी झड़ गई, मगर तरुण का अभी भी सक्त था। अब तरुण ने उसका उसके स्तनाग्र मसलने शुरू किये अब वह फिर से उत्तेजित होने लगी। और अब तरुण नीचे आ गया और वह उपर अब तरुण जोर जोर से अपनी उंगलियों से, उसके स्तन और स्तनाग्र मसलने लगा। और जवाब में ज्वालामुखी भी उसका साथ देने लगी, वह उसके धक्कों के साथ उछलकर उसके लिंग को अपनी योनी के अंदर ले रही थी। तरुण उसके उरोजों को दोनों हाथों से दबा रहा था। जिसकी वजह से उसकी उत्तेजना चरम पर पहुंच गई और बच्चेदानी के अंत तक, तरुण के लिंग के टकराव के कारण वह एक और बार झड़ गई। अब तरुण ने उसके स्तन दबाने तथा स्तनाग्र चूसने शुरु कर दिये जिस वजह से वह और ज्यादा उत्तेजित कर रहा हो रही थी उसके मुंह से," आ आ आहा म् म् म् " जैसी सिसकारीयां निकलने लगी अब वह एक और बार झड़ चुकी थी। ऐसा वह तीन घंटों तक करते रहे, इसमें ज्वालामुखी तीन बार झड़ चुकी थी, और अब वह थकने की वजह से सो गई। मगर तरुण अभी तक नहीं थका था और उसका लिंग भी सक्त था। उसने अपना लिंग उसकी योनी से निकाल कर उसके गुद्द्वार में डाल दिया और उसे कसकर पकड़ा और उसकी गांड मारने लगा। जिस वजह से वह दर्द से चिल्लाने लगी, मगर बहुत जल्दी ही उसकी चीख सिसकारीयों में बदलने लगी। अब वह भी मजा लेने लगी थी। और वह अगले तीन घंटों में छह बार झड़ चुकी थी, लगातार छह घंटे संभोग करने की वजह से ज्वालामुखी थक चुकी थी। और उसका मन भी भर चुका था वह मुस्कराकर तरुण को देखने लगी।
तरुण ने पूछा,"क्या हुआ, क्यों मुस्करा रही हो?"
ज्वालामुखी प्यार से बोली,"आज पहली बार इतना एंजॉय किया, इससे पहले कभी इतना स्याटीस्फाइड नहीं हुई, और इतना चोदने के बाद भी तुम सक्त हो, तुम्हारी बीबी हमेशा खुश रहेगी।"
तरुण ने उसके स्तनों को दबाते हुये कहा,"वैसे तुम्हारी मम्मी का भी यही कहना है।"
ज्वालामुखी गुस्से से,"कमीने! तूने तो मेरी मम्मी के साथ...नामुमकिन! वैसे वह किसी मर्द को अपने आसपास आने भी नहीं और तेरे साथ,कैसे ?"
तरुण ने उसके स्तन को और जोर से दबाते हुये,"जब उसे पता चला की मेरी पकड़ से छुटकारा उसके लिये मुमकिन नहीं,तब..."
उसकी बात को काटते हुये,"मतलब मेरी मम्मी के साथ तुमने जबर्दस्ती की?"
तरुण,"नहीं यह सब उनकी मर्जी से हुआ असलियत में उन्हें इसी तरह के सेक्स की जरूरत थी, उन्हें फोर्सड पसंद है।"
तभी दरवाजे की घंटी बजती है।
ज्वालामुखी,"इस वक्त कौन है?"
तरुण," तुम बाथरूम जाओ, मै देखता हूं।"
ज्वालामुखी बाथरूम चली गई और तरुण ने अपना लिंग सही करके पैंट पहन ली, और जाकर दरवाजा खोला वहां तेजल थी। वह दरवाजा खोलने के लिये देर होने की वजह से वह दरवाजे का सहारा ले कर खड़ी थी। जैसे ही तरुण ने दरवाजा खोला उसका संतुलन चला गया और वह नीचे गिरने लगी, तभी तरुण ने उसका दायां हाथ पकड़ लिया और उसे गिरने से बचाया मगर उसकी साड़ी का पल्लू सरक के नीचे गिर पड़ा। तरुण ने कभी तेजल को ऐसे नहीं देखा था, और अब उसके वीर्य पात ना होने की वजह से उसे अभी भी कुछ चाहिए था। जैसे ही तेजल पल्लू उठाने के लिये नीचे झुकने लगी, तरुण ने उसकी कमर में हाथ डालकर उसे पकड़ लिया और ब्लाउज के उपर से ही उसके स्तन दबाने लगा। और तेजल तरुण के लिंग को उसके पैंट के अंदर से ही अपने नीतम्ब पर महसूस कर सकती थी। अब वह अपनी साड़ी के साथ साथ अपनी शर्म और हयात का परदा गिरा चुकी थी, वह अब उसका बिलकुल भी विरोध नहीं कर रही थी। तरुण ने उसे जैसे ही उसकी पीठ पर चूमा, उसके शरीर में जैसे तेजी से बिजली की तेज धारा बह गई। वह एकदम झटके खाने लगी। तरुण अब उसे चूमते हुये नीचे आ रहा था अब वह उसकी कमर तक पहुंच चुका था। अब वह अपने मुंह से सिसकारिया निकाल रही थी। अब वह ना तो विरोध कर रही थी, ना ही साथ दे रही थी, वह सिर्फ निष्क्रिय हो कर उसकी काम वर्षा का आनंद ले रही थी, और काम वर्षा में वह भीगे जा रही थी, अब उसके अंदर भी वासना की ज्वाला उबलने लगी थी। तभी,
ज्वालामुखी ने आवाज दी,"आँटी!!",
तेजल सचेत हो गई और उसने अपना पल्लू ठीक कर लिया, और कुछ क्षणों के लिये शर्माकर तरुण को देखा और कहा," ज्वालामुखी, तुम्हारी मम्मी कहा है?"
ज्वालामुखी, "वह तो थाने गई है आँटी,कुछ काम था क्या ?"
इधर थाने में MLA आ गया था, साथ में वकील भी था।
MLA,"मैडम, हमारे छोरे से गलती हो गई है, और इतना क्यों मारा, अगर आपका छोरा होता तो?"
चंद्रमुखी, "इससे ज्यादा सुतती।"
MLA,"मैडम वैसे तो हम भी इसे सुधारना चाहते है, पर बिन माँ के बच्चे तो खराब हो ही जाते है।"
चंद्रमुखी,"हमारी एक छोटी बेटी है, अगर हमें इसकी माँ बना दो तो..."
लड़का,"नहीं! नहीं! पापा, हम कभी भी किसी भी लड़की के तरफ देखेंगे भी नहीं, पर आप ऐसा मत करें प्लीज!"
MLA,मुस्कराते हुये "वैसे, हम भी सोच रहे थे की अब इतने साल रंडवा बनकर जी लिये, और पुलिस वाली साथ रहेगी, तो हमरी सुरक्षा के लिये भी अच्छा होगा।"
लड़का,"नहीं! बापू नहीं! हम अभी ऐसा कुछ नहीं करेंगे!"
MLA,"अच्छा होगा तुमरे लिये,वर्ना मैडम को तुमरी अम्मा बना देंगे।"
इतना कहकर MLA अपने बेटे के साथ उसकी बेल कराने के बाद वहाँ से चले गये।
MLA तो अपने बेटे को ले कर चला गया मगर उसके दो दोस्त, चंदू और संजू वही लॉकप में थें, चंद्रमुखी वहाँ गई।
उसे देखकर उन दोनों की तो हालत ही खराब हो गई, वह उठकर खड़े हो गये उसने उन्हें कहा,"अरे, डरो मत नहीं मारूंगी, बैठ जाओ।"
दोनों,"पक्का?"
चंद्रमुखी,"हां, पक्का!"
वह दोनो नीचे बैठ गये और चंद्रमुखी ने उनसे पूछा ,"तुम्हारे अम्मा-बाबुजी के करते हे?"
चंदू,"सब्जी बेचते हे।"
संजू ,"दिहाड़ी मजदूर है।"
चंद्रमुखी ,"और तुम यह सब, तुम्हें शरम ना आती? देखो बच्चों उस छोरे का बाप नेता है, वह कुछ ना कर पाया तो नेता जरुर बनेगा, मगर तुम दोनों को कुछ हुआ तो तुम्हारे माता पिता का के होगा सोचा है? "
अब दोनों भावुक हो जाते है।
चंद्रमुखी,"तुम पढाई पर ध्यान दो, IAS-IPS बनो तो जिन लड़कियों को तुम देखने के लिये दिन भर तडपते रहते हो, वही तुम्हारे पिछे पागल हो जायेगी।"
फिर उन्हें चंद्रमुखी ने जाने दिया, और फिर वह लड़कियाँ वापस आई, और बोली," मैडम आपने उन लड़कों को क्यों छोडा?"
कहानी जारी रहेगी इसी अपडेट में।
nice update bhai
 

Kamuk219

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265
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Part 1

UPDATE 2

अगले दिन सुबह चार बजे जब तरुण की नींद खुली वह बाथरूम में चला गया और सुबह के काम निपटा कर दर्पण की मदद से उसने सारी वनस्पति प्रकट की।और फिर उसके हाथ जो हीरे जीतने मजबूत थे,उसने उससे सारी वनस्पति को मसला और उसके सार को उसने एक कटोरी में डालकर उसे ढका, और अपने हाथों से अग्नि निकालकर तपाने लगा, थोड़ी देर और ताप देने के बाद उसने जब ढक्कन हटाया। तो उसमें उसे दवाई तैयार मिली। उसने वह दवाई एक शीशी में डाल दी, वह दवाई असल में निम्न द्रव यानी किसी जेली की तरह थी। इसीलिए डालते वक्त उसे अपने हाथ खराब करने पडे। तभी उसे हलचल सुनाई दी। वह पहले ही नहा कर तैयार हो चुका था। वह सारे कपड़े बाथरूम में ही पहन लेता था। जब उसने चंद्रमुखी की आवाज सूनी, तो उसने शीशी जेब में डाल ली और जल्दबाजी में एक साफ पैंटी से अपना हाथ साफ कर लिया और जाकर दरवाजा खोला। वहां चंद्रमुखी टॉवेल लेकर खड़ी थी, वह उससे बोली ,"तुम्हारा हो गया तो, में नहा लूं?"
तरुण,"हाँ, हो गया।"
फिर थोडी देर बाद चंद्रमुखी भी नहा कर निकली। वह सिर्फ टॉवेल मे थीं। इसीलिये उसकी मांसल जाँघे बहुत आकर्षक लग रही थी, जैसे की किसी कुशल कारीगर ने बडी ही, बारीकी से तराशा हो। तरुण उसे देखता ही रह गया। फिर वर्दी पहनकर वह थाने चली गई । थाने जाकर उसने उन लड़कों की अच्छे से खातिरदारी की । यहां तरुण ने कोमल को फोन करके बुला लिया, ताकि वह उसे सच बता सके।और वह ज्वालामुखी के साथ पढाई करने लगा। थोड़ी देर बाद कोमल और राज वहाँ आ गये।
तब राज नाराज लग रहा था, जैसे वह कोई बहुत बड़ी जंग हारकर आया हो। तरुण ने पूछा ,"क्या हुआ राज? ऐसे हारे हुये क्यों लग रहे हो?" तब कोमल ने तरुण के पास आकर कान में कहा,"खड़ा करने में आधा घंटा चला गया, मगर दस मिनट में पानी छुट गया!" तरुण ने कोमल के नितम्ब पर हाथ रखा और कहा,"मेरा अभी भी सक्त है, अभी डालकर देखे?" कोमल शर्माकर वहां से चलीं गई। और टेबल पर जाकर बैठ गई। फिर तरुण ने ज्वालामुखी को कहा की वह छत पर बैडमिंटन खेलने के लिये जाली लगाये। वह छत पर जाकर तैयारी करने लगी। तब राज ने तरुण से पूछा,"तुम हमें क्या सच बताने वाले थे?" तब तरुण ने उन्हें बताया की किस मजबूरी में चंद्रमुखी ने सतीश को गिरफ्तार किया था। तब उन्होंने कहा,"हाँ, माना की हमने जो किया वह गलत था, मगर तुमने भी तो उससे न्युड डांस करवाया?"
तरुण ,"हाँ, मैंने उससे न्युड डांस करवाया मगर, उससे सिर्फ उसकी पॉवर और ईगो खत्म होता। मगर तुम दोनों ने पिल्स और ड्रग दे कर उसमें हवस भर दी, जिस वजह से उसे पुरी क्लास के लड़कों से चूदना पड़ा,जिससे उसका कँरेक्टर एक रंडी का हो गया, और अब हर लड़का उसे ऐसी ही नजर से देखेगा। वह असल में एक सेंसीटीव्ह लड़की है, ऐसी लड़कियाँ आमतौर पर सेक्स से दूर होती है। मगर उनके साथ एक बार भी किसी भी तरह सेक्स किया जाये, तो उसकी आदी हो जाती है। अब यह तो साठ से चूद चुकी है। अगर कोई भी लड़का उसे अँप्रोच करेगा तो भी वह तैयार हो जायेगी। अब वह एक फ्री का खिलौना बन गई है।
तब उन्हें उपर से ज्वालामुखी आवाज देती है। वह तीनों उपर जाते है। और खेल शुरू होता है। थोड़ी देर खेलने के बाद वह नीचे आ जाते है। कोमल और और राज वापस चले जाते है। फिर तरुण और ज्वालामुखी दोनों खाना खाकर पढ़ने बैठ जाते है। ज्वालामुखी पूछती है,"जब सारी क्लास मेरी चुदाई का मजा ले रही थी, तुम कहा थे?"
राज ने कहा,"दरवाजा अंदर से बंद था, और वैसे भी मै आता तो किसी को मौका नहीं मिलता।"
ज्वालामुखी,"कुछ भी!! इतना स्टेमिना किसी का नहीं होता।"
तरुण,"तो आजमा रही है।"
ज्वालामुखी,"अब चोदेगा मुझे?"
तरुण,"तेरी बस का नहीं है, तेरी माँ को भेज।"
ज्वालामुखी ने सीधे उसके लिंग पर लात मारी। मगर,तरुण को कुछ नहीं हुआ, उलटा ज्वालामुखी की टांग पर चोट लग गई। उसे ऐसा अहसास हुआ जैसे उसने गलती से लोहे के मोटे से डंडे पर लात मार दी थी। असल में यह उसके वरदान का भाग था उसका शरीर उरु, हीरा और व्हायब्रेनियम से भी अनंत गुना सक्त और मजबूत हो गया था। अब ज्वालामुखी को डर लग रहा था।
ज्वालामुखी,"तुम मेरी माँ के साथ इतना फ्लर्ट क्यों कर रहे थे, क्या तुम इंटरेस्टेड हो?"
तरुण,"अरे ऐसा कुछ नहीं है।असल में जब लड़की जवान होती है तब, कभी लड़कों का घुंरना, उनपर कमेंट करना, बातों बातों में तरिफ करना या लाईन मारना यह सब उन्हें उन्हें उनकी खूबसूरती का एहसास दिलाता रहता है,लेकिन इससे वह उक् जाती है।मगर, एक उम्र के बाद जब उनकी जवानी कम होने लगती है, तब यह सब भी कम होते होते खत्म हो जाता है, और जो उन्हें उस उम्र में इरीटेशन लगता है, वह इस उम्र में ज्यादा मिस करती है।इसीलिए कहते है कि, जवानी से ज्यादा पार्टनर की जरुरत अधेड़ और बुढ़ापे में होती है।"
फिर रात को चंद्रमुखी चौटाला आ जाती है। तरुण और ज्वालामुखी ने खाना पहले ही खा लिया था। और तरुण ने चंद्रमुखी के लिये खाना लगाया और वह भी उसके साथ बैठ कर बातें करने लगा। ज्वालामुखी एक नाइट पैंट और टी-शर्ट पहन लेती है। और खाना खाने बैठती है।
चंद्रमुखी,"कल तेजल सुबह की गाड़ी से आ जायेगी।"
तरुण,"मै जाकर ले आऊँगा, वैसे आप रात को सिर्फ यही कपड़े पहनती है, या आपने कभी नाइटी ट्राई नहीं की?"
चंद्रमुखी,"हाँ, जब जोश जिंदा था तब पहना करती, फर्स्ट नाइट पर दी थी। मै हर रोज रात को पहना करती थी।"
तरुण,"तो आज ट्राई करके देखें।"
चंद्रमुखी,"क्या कैसा लगेगा इस उम्र में?"
तरुण,"अच्छा लगेगा, करके तो देखिए।"
चंद्रमुखी,"कुछ भी!"
तरुण,"लगी शर्त? अगर आप अच्छी लगी तो मैं जो कहूंगा आपको करना पडेगा।"
चंद्रमुखी,"अगर मै जीती, तो मेरे सारे कपड़े तू धोयेगा।और यह बात हम ज्वालामुखी से कन्फर्म करेंगे, डन?"
तरुण,"डन।"
फिर चंद्रमुखी अंदर गई और एक नीले रंग की पतली नाइटी पहनकर बाहर आ गई।
और अपनी बेटी से पूछा,"ज्वालामुखी, मै कैसी लग रही हूं?"
ज्वालामुखी,"ओ! मम्मी! आप तो बिल्कुल सनी लिओनी और मीया खलीफा जैसी लग रही है।"
चंद्रमुखी,"सही सही बता!"
ज्वालामुखी," सच्ची मम्मी, आपकी कसम।"
वैसे तो जो ज्वालामुखी ने जो कहा वह बिल्कुल सच था। वह सचमुच कमाल लग रही थी। ४३ की उम्र होने के बावजूद वह ३० की लगती थी। उसने रोज कसरत करके खुद को फिट रखा था। उसके उरोज ३८ के थें, कमर २८ की और नितम्ब ३७ की। वह आम तौर पर वर्दी, या टी-शर्ट और नाइट - पैंट में होती थी, मगर यह नाइटी उसके सही नाप में थी, कमर में सही था मगर अब उम्र के साथ उसके उरोज भर गये थे, जिसकी वजह से वह उस नाइटी से बाहर आने को आतुर थे, जिस वजह से उनकी गहराई साफ दिखाई दे रही थी। वह हाल नितम्ब का भी था। अब तरुण रुम में चला गया, और उसके पीछे चंद्रमुखी भी आ गई। तब तरुण ने कहा ,"अपना वादा याद है ना?"
चंद्रमुखी,"हाँ! जल्दी बताओ, क्या है? मेरी हालत खराब हो रही है इस टाइट नाइटी की वजह से।"
तरुण,"हाँ उतार दीजिए, वैसे भी चुदवाते वक्त उतारनी ही पडेगी।"
चंद्रमुखी,"क्या? तुम ऐसा सोच भी कैसे सकते हो?"
तरुण,"वैसे शर्त के मुताबिक आपको जो मै कहूंगा, वही करना पडेगा, और आप जैसी मिल्फ सामने होने पर कोई भी यही चाहेगा।"
इतना कहकर तरुण ने चंद्रमुखी की कमर में हाथ डाले और जोर से जकड़ लिया।
चंद्रमुखी ने हंसते हुये कहा,"समझ नहीं आ रहा है की तुम्हें मुझे छेड़ने के लिये पिट दू, या तुम्हारी हिम्मत के लिये तुम्हें इनाम दू।"
तरुण ने पकड़ और ते की और कहा," एक गेम खेलते है, इसमें आपको मेरी झप्पी से निकल कर दिखाना होगा, अगर आप निकल गई तो केंसल, और हार गई तो आपकी चूत के साथ आपकी गांड भी मेरी होगी, और जबतक आप नहीं छुंटती मै आपको किस करता रहूँगा।"
इतना कहकर उसने चंद्रमुखी के गाल पर किस, और दूसरा किस उसके थोड़ा नीचे, और उसके नीचे एक किस, चंद्रमुखी छूटने की कोशिश कर रही थी। जैसे जैसे वक्त बितता जा रहा था। तरुण का लिंग सक्त हो रहा था। अब तरुण उसे छह किस कर चुका था और वह उतरते उतरते चंद्रमुखी के गले तक आ गया,उसने अब गले से थोड़ा उपर किस किया। और अब वह उसके गले की चढ़ाई करने लगा, वह उसके विरोध में अपना गर्दन पीछे झुका रही थी। मगर तरुण का काम आसान हो गया, उससे चंद्रमुखी के निचले जबड़े का बाहरी हिस्सा उसके सामने था। वह उसे चूमते चूमते उसकी ठुडी तक पहुंच गया और उपर उसके होठों पर एक लंबा किस किया जिस वजह से उसके होंठ खुल गये, उसने अपनी जुबान उसके मुंह में डाल दी। अब वो दोनों एक दुसरे की जीभ से खेल रहे थे। अब चंद्रमुखी का विरोध भी कम हो गया था, अब वह पूरी तरह से अपना आत्मसमर्पण तरुण के सामने कर चुकी थी। उसका बदन अजीब तरह से पसीने से भीग गया था, तब तरुण ने उसकी नाईटी उतार दी और उसे धक्का दे कर बेड पर गिरा दिया। मगर, उसके सामने जो था उसे देख वह चौंक गया, असल में यह वही पैंटी थी जिससे उसने सुबह हाथ साफ किये थे। हुआ यह था की उसके हाथ से वह दवा पैंटी पर चली गई और वह पैंटी चंद्रमुखी ने पहन ली। और दिन भर उसे शारीरिक श्रम हुये जिससे पैदा हुई गरमी की वजह से वह दवाई भाप बन धीरे धीरे उसकी योनी में चली गई। और इसकी वजह से उसकी योनी गीली हो चुकी थी।
अब तरुण ने उसकी दोनों टांगे खोल दी और एक झटके से उसकी पैंटी उतार फेंकी। और अपना लिंग उसकी योनी पर रखा और हाथों में उसके स्तन पकड़े और उसे एक जोरदार धक्का दिया और इससे तरुण का लिंग उसकी योनी में तीन इंच तक घुस गया। असलियत में चंद्रमुखी कुंवारी नहीं थी, मगर अठारह साल से उसका पति जेल में होने की वजह से उसकी योनी तंग थी। अब वह चिल्लाने ही वाली थी की, तभी तरुण ने उसके मुंह पर मुंह रख उसे किस करने लगा और उसकी चीख वही दब गई, अब उसकी योनी ने यौवन रस की धारा बहा दी। अब तरुण को पता चल गया था की, उसे खुशी हो रही है और विरोध उसकी खुशी दिखाने का तरीका है। अब तरुण ने एक और धक्का दिया और उसका आधा लिंग चंद्रमुखी की योनी में चला गया वह, उसके गर्भाशय के अंतिम छोर तक पहुंच गया था। अब चंद्रमुखी के अंदर जैसे विद्युत धारा दौड़ने लगी थी, वह अब झटके खाने लगी और अपनी योनी आगे-पीछे कर तरुण का साथ देने लगी। उसके स्तनाग्र तंग हो चुके थे, तरुण उसकी गर्म सांसे महसूस कर सकता था तरुण ने उसे अपने उपर ले लिया।और उसके स्तन पकड़कर उसे अपने लिंग पर उपर नीचे किये जा रहा था।अब वह भी उसका साथ देने लगी थी, और एक बार उसकी योनी ने धारा छोड़ दी। वह उसके उपर ही गिर गयी। मगर तरुण अब तक शांत नहीं हुआ था। उसने चंद्रमुखी को बाजू में कर दिया,और पेट पर लेटा दिया। तरुण ने तेल लाया और अपने लिंग पर लगाया और चंद्रमुखी के गुदें(anus,गांड) में भी डाला, और अपना लिंग उसके गुदे पर रखा,उसके स्तनों को हाथ में पकड़कर एक धक्का दिया, जिस वजह से उसका लिंग चंद्रमुखी की योनी को चीरते हुये अंदर चला गया। वैसे तो उसका गुद्द्वार बहुत तंग था मगर तरुण ने जोश जोश में बहुत जोर लगा दिया, जिसके लिये चंद्रमुखी अभी तैयार नहीं थी। उसकी चीख निकलने ही वाली थी चंद्रमुखी ने,अपने मुंह में तकिया दबा लिया, जिससे उसकी चीख वही दब गई। अब तरुण अपना लिंग आगे पीछे कर रहा था, ऐसा उसने लगातार दो घंटे किया, इसमें चंद्रमुखी बीस बार रस्खलित हो चुकी थी, पर तरुण का अब तक नहीं निकला था। चंद्रमुखी थक कर गहरी नींद में चली गई और तरुण भी सो गया।
अगली सुबह जब तरुण उठा तो सात बज गये थे, उसके साथ चंद्रमुखी भी जाग गई। दोनों बाथरूम में गये और साथ में शॉवर लिया। और बाहर आ गये चंद्रमुखी तैयार हो कर थाने चली गई।
तरुण ज्वालामुखी के कमरे में गया वह दरवाजा लगाना भूल गई थी। उसने एक चादर ओढ रखी थी, तरुण ने चादर थोड़ी नीचे की तो उसे ज्वालामुखी का चेहरा दिखाई दिया, उसका मन अब उसके होंठ चुमने को कर रहा था, मगर उसने अपने आप पर काबू किया और चादर नीचे की, अब उसके सामने ज्वालामुखी के स्तन थे, वह बहुत मादक लग रहे थे। अब उसने पूरी चादर निकाल दी, जिसकी वजह से वह उसके सामने पूरी तरह से नग्न अवस्था में थी। अब तरुण अपना हाथ उसकी योनी पर घुमाने लगा, इससे नींद में ही ज्वालामुखी मचलने लगी।"अम् म् म् म् आहा", करके उसके मुहं से सिसकारिया निकलने लगी। उसने आखें खोली ही थी की तरुण ने उसके होठों पर अपने होंठ रख दिये और अपनी जुबान ज्वालामुखी की जबान पर घुमाने लगा, जिससे वह और गर्म होने लगी। तरुण ने अपने होंठ उसके होंठों से अलग किये और अपनी पैंट उतारकर अपना लिंग सीधे उसकी योनी में डाल दिया। अब वह दोनों एक दुसरे को एक लय में धक्के देकर काम के रंग में रंग गये, करीब एक घंटे बाद ज्वालामुखी झड़ गई, मगर तरुण का अभी भी सक्त था। अब तरुण ने उसका उसके स्तनाग्र मसलने शुरू किये अब वह फिर से उत्तेजित होने लगी। और अब तरुण नीचे आ गया और वह उपर अब तरुण जोर जोर से अपनी उंगलियों से, उसके स्तन और स्तनाग्र मसलने लगा। और जवाब में ज्वालामुखी भी उसका साथ देने लगी, वह उसके धक्कों के साथ उछलकर उसके लिंग को अपनी योनी के अंदर ले रही थी। तरुण उसके उरोजों को दोनों हाथों से दबा रहा था। जिसकी वजह से उसकी उत्तेजना चरम पर पहुंच गई और बच्चेदानी के अंत तक, तरुण के लिंग के टकराव के कारण वह एक और बार झड़ गई। अब तरुण ने उसके स्तन दबाने तथा स्तनाग्र चूसने शुरु कर दिये जिस वजह से वह और ज्यादा उत्तेजित कर रहा हो रही थी उसके मुंह से," आ आ आहा म् म् म् " जैसी सिसकारीयां निकलने लगी अब वह एक और बार झड़ चुकी थी। ऐसा वह तीन घंटों तक करते रहे, इसमें ज्वालामुखी तीन बार झड़ चुकी थी, और अब वह थकने की वजह से सो गई। मगर तरुण अभी तक नहीं थका था और उसका लिंग भी सक्त था। उसने अपना लिंग उसकी योनी से निकाल कर उसके गुद्द्वार में डाल दिया और उसे कसकर पकड़ा और उसकी गांड मारने लगा। जिस वजह से वह दर्द से चिल्लाने लगी, मगर बहुत जल्दी ही उसकी चीख सिसकारीयों में बदलने लगी। अब वह भी मजा लेने लगी थी। और वह अगले तीन घंटों में छह बार झड़ चुकी थी, लगातार छह घंटे संभोग करने की वजह से ज्वालामुखी थक चुकी थी। और उसका मन भी भर चुका था वह मुस्कराकर तरुण को देखने लगी।
तरुण ने पूछा,"क्या हुआ, क्यों मुस्करा रही हो?"
ज्वालामुखी प्यार से बोली,"आज पहली बार इतना एंजॉय किया, इससे पहले कभी इतना स्याटीस्फाइड नहीं हुई, और इतना चोदने के बाद भी तुम सक्त हो, तुम्हारी बीबी हमेशा खुश रहेगी।"
तरुण ने उसके स्तनों को दबाते हुये कहा,"वैसे तुम्हारी मम्मी का भी यही कहना है।"
ज्वालामुखी गुस्से से,"कमीने! तूने तो मेरी मम्मी के साथ...नामुमकिन! वैसे वह किसी मर्द को अपने आसपास आने भी नहीं और तेरे साथ,कैसे ?"
तरुण ने उसके स्तन को और जोर से दबाते हुये,"जब उसे पता चला की मेरी पकड़ से छुटकारा उसके लिये मुमकिन नहीं,तब..."
उसकी बात को काटते हुये,"मतलब मेरी मम्मी के साथ तुमने जबर्दस्ती की?"
तरुण,"नहीं यह सब उनकी मर्जी से हुआ असलियत में उन्हें इसी तरह के सेक्स की जरूरत थी, उन्हें फोर्सड पसंद है।"
तभी दरवाजे की घंटी बजती है।
ज्वालामुखी,"इस वक्त कौन है?"
तरुण," तुम बाथरूम जाओ, मै देखता हूं।"
ज्वालामुखी बाथरूम चली गई और तरुण ने अपना लिंग सही करके पैंट पहन ली, और जाकर दरवाजा खोला वहां तेजल थी। वह दरवाजा खोलने के लिये देर होने की वजह से वह दरवाजे का सहारा ले कर खड़ी थी। जैसे ही तरुण ने दरवाजा खोला उसका संतुलन चला गया और वह नीचे गिरने लगी, तभी तरुण ने उसका दायां हाथ पकड़ लिया और उसे गिरने से बचाया मगर उसकी साड़ी का पल्लू सरक के नीचे गिर पड़ा। तरुण ने कभी तेजल को ऐसे नहीं देखा था, और अब उसके वीर्य पात ना होने की वजह से उसे अभी भी कुछ चाहिए था। जैसे ही तेजल पल्लू उठाने के लिये नीचे झुकने लगी, तरुण ने उसकी कमर में हाथ डालकर उसे पकड़ लिया और ब्लाउज के उपर से ही उसके स्तन दबाने लगा। और तेजल तरुण के लिंग को उसके पैंट के अंदर से ही अपने नीतम्ब पर महसूस कर सकती थी। अब वह अपनी साड़ी के साथ साथ अपनी शर्म और हयात का परदा गिरा चुकी थी, वह अब उसका बिलकुल भी विरोध नहीं कर रही थी। तरुण ने उसे जैसे ही उसकी पीठ पर चूमा, उसके शरीर में जैसे तेजी से बिजली की तेज धारा बह गई। वह एकदम झटके खाने लगी। तरुण अब उसे चूमते हुये नीचे आ रहा था अब वह उसकी कमर तक पहुंच चुका था। अब वह अपने मुंह से सिसकारिया निकाल रही थी। अब वह ना तो विरोध कर रही थी, ना ही साथ दे रही थी, वह सिर्फ निष्क्रिय हो कर उसकी काम वर्षा का आनंद ले रही थी, और काम वर्षा में वह भीगे जा रही थी, अब उसके अंदर भी वासना की ज्वाला उबलने लगी थी। तभी,
ज्वालामुखी ने आवाज दी,"आँटी!!",
तेजल सचेत हो गई और उसने अपना पल्लू ठीक कर लिया, और कुछ क्षणों के लिये शर्माकर तरुण को देखा और कहा," ज्वालामुखी, तुम्हारी मम्मी कहा है?"
ज्वालामुखी, "वह तो थाने गई है आँटी,कुछ काम था क्या ?"
इधर थाने में MLA आ गया था, साथ में वकील भी था।
MLA,"मैडम, हमारे छोरे से गलती हो गई है, और इतना क्यों मारा, अगर आपका छोरा होता तो?"
चंद्रमुखी, "इससे ज्यादा सुतती।"
MLA,"मैडम वैसे तो हम भी इसे सुधारना चाहते है, पर बिन माँ के बच्चे तो खराब हो ही जाते है।"
चंद्रमुखी,"हमारी एक छोटी बेटी है, अगर हमें इसकी माँ बना दो तो..."
लड़का,"नहीं! नहीं! पापा, हम कभी भी किसी भी लड़की के तरफ देखेंगे भी नहीं, पर आप ऐसा मत करें प्लीज!"
MLA,मुस्कराते हुये "वैसे, हम भी सोच रहे थे की अब इतने साल रंडवा बनकर जी लिये, और पुलिस वाली साथ रहेगी, तो हमरी सुरक्षा के लिये भी अच्छा होगा।"
लड़का,"नहीं! बापू नहीं! हम अभी ऐसा कुछ नहीं करेंगे!"
MLA,"अच्छा होगा तुमरे लिये,वर्ना मैडम को तुमरी अम्मा बना देंगे।"
इतना कहकर MLA अपने बेटे के साथ उसकी बेल कराने के बाद वहाँ से चले गये।
MLA तो अपने बेटे को ले कर चला गया मगर उसके दो दोस्त, चंदू और संजू वही लॉकप में थें, चंद्रमुखी वहाँ गई।
उसे देखकर उन दोनों की तो हालत ही खराब हो गई, वह उठकर खड़े हो गये उसने उन्हें कहा,"अरे, डरो मत नहीं मारूंगी, बैठ जाओ।"
दोनों,"पक्का?"
चंद्रमुखी,"हां, पक्का!"
वह दोनो नीचे बैठ गये और चंद्रमुखी ने उनसे पूछा ,"तुम्हारे अम्मा-बाबुजी के करते हे?"
चंदू,"सब्जी बेचते हे।"
संजू ,"दिहाड़ी मजदूर है।"
चंद्रमुखी ,"और तुम यह सब, तुम्हें शरम ना आती? देखो बच्चों उस छोरे का बाप नेता है, वह कुछ ना कर पाया तो नेता जरुर बनेगा, मगर तुम दोनों को कुछ हुआ तो तुम्हारे माता पिता का के होगा सोचा है? "
अब दोनों भावुक हो जाते है।
चंद्रमुखी,"तुम पढाई पर ध्यान दो, IAS-IPS बनो तो जिन लड़कियों को तुम देखने के लिये दिन भर तडपते रहते हो, वही तुम्हारे पिछे पागल हो जायेगी।"
फिर उन्हें चंद्रमुखी ने जाने दिया, और फिर वह लड़कियाँ वापस आई, और बोली," मैडम आपने उन लड़कों को क्यों छोडा?"
चंद्रमुखी ,"अंदर कर देती तो रेपीस्ट बनकर बाहर आते, और ऐसे ही नहीं छोड़ा, पुरी खातिरदारी करके छोड़ा है। अब अगर फिर से तुम्हें तंग किया तो उन्हें अंदर कर दूंगी।"
लड़कियाँ,"थँक्यु मैडम!" कहकर चली गई और उसने सारा दिन ना किसी पर गुस्सा किया ना हाथ उठाया।
शाम को हवलदार गुलगूले आया और मिठाई देकर बोला,"मैडम, आझादि मुबारक हो !"
चंद्रमुखी,"कौनसा कैलेंडर लगा रखा है तूने, मैं के महीने में आझादि कि मुबारक दे रहा है?"
गुलगूले,"मैडम, वह देश की आझादि की नहीं बल्कि आपकी आझादि की मुबारक है।"
चंद्रमुखी,"हमें किसने कैद करके रखा था?"
गुलगूले,"आपके गुस्से ने मैडम! आज आपने बिल्कुल गुस्सा नहीं किया।"
चंद्रमुखी, " थँक्यु!"इतना कहकर घर निकल गई।और थोड़ी देर बाद घर पहुंच गई। वहां तेजल अपने साथ तरुण को भी घर ले गई। यहां ज्वालामुखी घर आ गयी, जब उसने ज्वालामुखी को पूछा तो पता चला की, तरुण घर चला गया। फिर वह बैठकर तरुण के साथ बीते हुये पल याद करने लगी, फिर उसके मन में दुविधा हो रही थी अपनी बेटी को कैसे बताये, मगर उसे यह पता नहीं था कि इस मामले में उसकी बेटी, सब जानती है और उससे काफी आगे बढ चुकी है। उसे अब यह पता चल गया था की, उसके गुस्से का कारण बहुत सालों से उसके अंदर दबी कामवासना थी, जो तरुण के साथ हुये संभोग की वजह से शांत हुई थी। अशांत कामवासना ही गुस्से का कारण होती है, जिस वजह से उसका गुस्सा भी खत्म हो चुका था।
तरुण का घर असलियत में उनके पडोस में ही था, तरुण तेजल की तरफ अजीब नजरों से देख रहा था। तेजल को लंबे सफर से बहुत थकान आ रही थी, और उपर से मै का महीना होने की वजह से वह पसीने से लतपत हो गई थी। वह सोफे पर आकर बैठ गई, और तरुण ने पंखा चालू कर दिया, मगर पंखा भी गर्म हवा फेंक रहा था। तेजल ने अपनी गर्दन सोफे पर डालकर वहीं लेट गई।एकतर्फा लेटने की वजह से उसका पल्लू ब्लाउज से नीचे सरक गया और उसके स्तनों की गहराई दिखाने लगी थी। तब तरुण को क्या शरारत सूझी पता नहीं? उसने दरवाजा बंद कर दिया, रसोई में जाकर एक कटोरी में फ्रिज से बर्फ के टुकड़े निकाल लिये। और उन्हें बैठक में ले आया। और तेजल की चिकनी पतली कमर पर बर्फ का एक टुकड़ा रखा और घुमाने लगा। इसकी वजह से तेजल को अब गर्मी में राहत मिलने लगी, उसके मुंह से सिसकारिया निकलने लगी। अब तरुण उस टुकड़े को तेजल की कमर पर घुमाकर उसकी नाभि तक ले आया, अब तेजल को राहत का एहसास हो रहा था। लेकिन उसकी आंखें खुल गई अब वह, तरुण के द्वारा होनेवाली बर्फ मालिश का आनंद ले रही थी। उसका सारा बदन जैसे चमक रहा था।
वह बोली,"तरुण, जरा दाई तरफ और ऐसा कहकर उसने अपना पल्लू पूरी तरह से हटा दिया और पीठ के बल लेट गई । अब उसके उरोज भी गर्मी में मिलती राहत भरी ठंड की वजह से फुल रहे थे, और उसके ब्लाउज को फाड़कर बाहर
आने के लिये जैसे बेताब हो रहे थे। और इसी वजह से तरुण का लिंग भी खड़ा होकर पैंट में तम्बू बना रहा था। जब तेजल की नजर उसपर पड़ी तो, उसके काबू से बाहर होकर मन उसका उत्तेजित होने लगा था। अब वह सोफे से उठकर खड़ी हो गई और तरुण को पीठ पर करने को कहा तरुण ने दोनों हाथों में एक एक टुकड़ा लेकर एक उसकी पीठ के निचले हिस्से पर और एक उसकी पीठ उपरी हिस्से पर घुमाने लगा उसकी कमर तो खुली थी, मगर उसकी पीठ का उपरी हिस्सा जो ब्लाउज से ढका हुआ था, तरुण उसमें हाथ डालकर बर्फ घुमाने लगा जिस वजह से तेजल स्तनों पर बहुत ज्यादा दबाव महसूस कर रहा थी। उसने आगे लगे हुक खोलकर ब्लाउज उतार दिया। जब उसने ब्लाउज उतारने के लिये हाथ उपर किये तभी तरुण ने तेजी दिखाकर उसके ब्रा का हुक भी खोल दिया और उसकी ब्रा भी उतार दी अब वह तरुण के सामने उपर से नग्न थी। और तरुण ने उसके गुलाबी स्तनाग्र उपर से ही चूसने शुरू कर दिये, पहले
तरुण ने उसके दायें स्तनाग्र को चूसना शुरू किया और उसके बायें स्तन को दबाने लगा। उसकी वासना अब बढ़ने लगी थी। उसने फिर तेजल की साड़ी पूरी तरह से उतार दी। और लेहेंगे का नाडा खींच लिया, जिस वजह से वह लेहेंगा नीचे सरक गया और तेजल की गुलाबी पैंटी में ढकी योनी तरुण के सामने आ गई।अब तरुण ने तेजल पर चुम्बनों की वर्षा शुरू कर दी, अब वह स्तनाग्रों से चूमते चूमते उसके स्तनों की बीच की गहराई में चूमने लगा जिससे तेजल उसका सर अपने स्तनों पर दबाने लगी और तरुण अब उसके पेट पर चूमने लगा, और फीर वहाँ से होते हुये उसकी नाभि की और बढ़कर उसकी नाभि पर दस बारा चुम्बन दे दिये इससे चूम्बन दे दिये। उससे तेजल और ज्यादा उत्तेजित होने लगी और मुंह से,"म् म् आहा!!" करके सिसकारिया निकालने लगी।
तरुण ने अपने हाथों को तेजल की कमर पर रखे और उसकी कमर से धीरे धीरे नीचे ले जाकर तेजल की पैंटी उतार दी। अब तेजल की गुलाबी योनी तरुण के सामने थी, वह रोजाना कसरत करने की वजह से बहुत ही कसी हुई थी। अब तरुण तेजल की नाभि पर से चूमते हुये धीरे धीरे तेजल की योनी तक आया, और उसकी योनी पर एक लंबा चुम्बन दिया जीस वजह से उसके अंदर की काममुकता विस्फोट होकर बाहर आ गई।उसकी योनी से पानी बहने लगा, तरुण ने वह खट्टा और थोड़ा नमकीन पानी पी लिया और उसकी योनी पर अपनी जुबान घुमाकर आसपास लगे पानी का स्वाद लेने लगा, उसने योनी का सारा ऊपरी चाट चाट कर साफ कर दिया। अब तरुण ने अपनी जुबान तेजल की योनी में डालकर उसकी योनी के अंदर का स्वाद लेने लगा, अंदर जुबान डालते ही तेजल फिर से उत्तेजित होकर तरुण के सिर को अपनी योनी में दबाने लगी थोड़ी ही देर में वह झड़ गई और उसका सारा रस तरुण की जबान से होते हुये उसके मुंह में चला गया और वह उसे पुरा पी गया जिससे उसे फिर से फुर्ती आ गई। अब तरुण ने तेजल को वही, फर्श पर लेटा दिया,अपनी पैंट और नीकर उतार दी और उसका ४ इंच मोटा और १६ इंच लंबा लिंग तेजल के सामने आ गया वह, उसे अपने हाथ में लेकर उसपर अपनी जबान घुमाने लगी, और उसे अपने मुंह में लेने लगी। मगर वह उसे एक दो इंच से ज्यादा अंदर नहीं ले पा रही थी, तब तरुण उसका सर पकड़कर उसके मुंह में अपना लिंग डालने लगा मगर इससे तरुण को कुछ भी नहीं हुआ, मगर तेजल की सांस रुकने लगी। तरुण ने उसे छोड़ दिया, तब तेजल उससे अलग हो गई और हाँफने लगी। और फिर सांस स्थिर होने के बाद वह तरुण के लिंग को अपने स्तनों में दबाकर उपर नीचे करने लगी, थोड़ी देर बाद उसने अपनी रफ्तार बढाने लगी, उसे लगा तरुण झड़ जायेगा मगर तरुण की जगह उसका पानी निकल गया। अब वह बहुत थक चुकी थी, और उठकर बेड-रूम में चली गई।और वैसी ही नग्न अवस्था में पलंग पर जाकर लेट गई। मगर वह सो जाये उसके पहले तरुण ने अपना लिंग तेजल की योनी पर रखा और एक झटके में वह उसकी योनी में डाल दिया तेजल दर्द के मारें चीखने ही वाली थी की तरुण ने उसके मुंह में अपना मुंह डालकर उसे किस कर दिया, जिस वजह से तेजल की चीख उसके मुंह में ही दब गई,तेजल अब तक कुंवारी थी, इस वजह से उसकी योनी से खून निकलने लगा तरुण ने लिंग थोड़ा पीछे किया और एक धक्का और दिया, जिससे तेजल एक और बार चीखी मगर उसकी यह चीख वही दब गई। अब तरुण धीरे धीरे उसकी योनी में लगातार धक्के लगाकर अपना लिंग उसकी योनी की गहराई में ले जा रहा था, और जैसे जैसे वह अंदर जा रहा था वैसे वैसे तेजल का दर्द उत्तेजना के साथ बढ़ता जा रहा था। तरुण आखिरकार तेजल के गर्भाशय के अंतिम छोर तक पहुंच गया, तब तेजल इतने जोश में आ गई की उसने तरुण को लेटा दिया और खुद उसके उपर आकर उसके लिंग को अपनी योनी में लेने की कोशिश करने लगी, मगर उसकी योनी इतनी गहरी नहीं थी की तरुण के इतने बडे लिंग को अंदर ले सके, और उपर से तरुण का लिंग इतना कठोर जैसे Titanium का बना हो, वह बार बार उसके गर्भाशय में चूभ रहा था । अब तरुण बडे ही जोश में था उसने नीचे से धक्के देने शुरू कर दिये थे। तेजल बहुत कोशिश कर रही थी की, तरुण झड़ जाये, मगर तरुण भी लंबी दौड़ का घोड़ा था। उसका वीर्य पात कराने के लिये तो अरब खरब युगों का संभोग आवश्यक था। यह भी उसे ब्रह्मराक्षस के वरदान का एक हिस्सा था। अब तेजल को थकान के मारे ग्लानि आ गई और वह वही तरुण के बगल में लेट गई और सो गई। तरुण भी उसे अपनी बाहों में जकड़ कर सो गया।
वह दोनों रात को उठे उन्होंने नग्न अवस्था में, तेजल ने तरुण की जंघा पर बैठकर खाना खाया, और वापस बेड रूम में आकर एक दुसरे से चुम्बक की तरह चिपक कर सो गये।

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Part 1

UPDATE 2

अगले दिन सुबह चार बजे जब तरुण की नींद खुली वह बाथरूम में चला गया और सुबह के काम निपटा कर दर्पण की मदद से उसने सारी वनस्पति प्रकट की।और फिर उसके हाथ जो हीरे जीतने मजबूत थे,उसने उससे सारी वनस्पति को मसला और उसके सार को उसने एक कटोरी में डालकर उसे ढका, और अपने हाथों से अग्नि निकालकर तपाने लगा, थोड़ी देर और ताप देने के बाद उसने जब ढक्कन हटाया। तो उसमें उसे दवाई तैयार मिली। उसने वह दवाई एक शीशी में डाल दी, वह दवाई असल में निम्न द्रव यानी किसी जेली की तरह थी। इसीलिए डालते वक्त उसे अपने हाथ खराब करने पडे। तभी उसे हलचल सुनाई दी। वह पहले ही नहा कर तैयार हो चुका था। वह सारे कपड़े बाथरूम में ही पहन लेता था। जब उसने चंद्रमुखी की आवाज सूनी, तो उसने शीशी जेब में डाल ली और जल्दबाजी में एक साफ पैंटी से अपना हाथ साफ कर लिया और जाकर दरवाजा खोला। वहां चंद्रमुखी टॉवेल लेकर खड़ी थी, वह उससे बोली ,"तुम्हारा हो गया तो, में नहा लूं?"
तरुण,"हाँ, हो गया।"
फिर थोडी देर बाद चंद्रमुखी भी नहा कर निकली। वह सिर्फ टॉवेल मे थीं। इसीलिये उसकी मांसल जाँघे बहुत आकर्षक लग रही थी, जैसे की किसी कुशल कारीगर ने बडी ही, बारीकी से तराशा हो। तरुण उसे देखता ही रह गया। फिर वर्दी पहनकर वह थाने चली गई । थाने जाकर उसने उन लड़कों की अच्छे से खातिरदारी की । यहां तरुण ने कोमल को फोन करके बुला लिया, ताकि वह उसे सच बता सके।और वह ज्वालामुखी के साथ पढाई करने लगा। थोड़ी देर बाद कोमल और राज वहाँ आ गये।
तब राज नाराज लग रहा था, जैसे वह कोई बहुत बड़ी जंग हारकर आया हो। तरुण ने पूछा ,"क्या हुआ राज? ऐसे हारे हुये क्यों लग रहे हो?" तब कोमल ने तरुण के पास आकर कान में कहा,"खड़ा करने में आधा घंटा चला गया, मगर दस मिनट में पानी छुट गया!" तरुण ने कोमल के नितम्ब पर हाथ रखा और कहा,"मेरा अभी भी सक्त है, अभी डालकर देखे?" कोमल शर्माकर वहां से चलीं गई। और टेबल पर जाकर बैठ गई। फिर तरुण ने ज्वालामुखी को कहा की वह छत पर बैडमिंटन खेलने के लिये जाली लगाये। वह छत पर जाकर तैयारी करने लगी। तब राज ने तरुण से पूछा,"तुम हमें क्या सच बताने वाले थे?" तब तरुण ने उन्हें बताया की किस मजबूरी में चंद्रमुखी ने सतीश को गिरफ्तार किया था। तब उन्होंने कहा,"हाँ, माना की हमने जो किया वह गलत था, मगर तुमने भी तो उससे न्युड डांस करवाया?"
तरुण ,"हाँ, मैंने उससे न्युड डांस करवाया मगर, उससे सिर्फ उसकी पॉवर और ईगो खत्म होता। मगर तुम दोनों ने पिल्स और ड्रग दे कर उसमें हवस भर दी, जिस वजह से उसे पुरी क्लास के लड़कों से चूदना पड़ा,जिससे उसका कँरेक्टर एक रंडी का हो गया, और अब हर लड़का उसे ऐसी ही नजर से देखेगा। वह असल में एक सेंसीटीव्ह लड़की है, ऐसी लड़कियाँ आमतौर पर सेक्स से दूर होती है। मगर उनके साथ एक बार भी किसी भी तरह सेक्स किया जाये, तो उसकी आदी हो जाती है। अब यह तो साठ से चूद चुकी है। अगर कोई भी लड़का उसे अँप्रोच करेगा तो भी वह तैयार हो जायेगी। अब वह एक फ्री का खिलौना बन गई है।
तब उन्हें उपर से ज्वालामुखी आवाज देती है। वह तीनों उपर जाते है। और खेल शुरू होता है। थोड़ी देर खेलने के बाद वह नीचे आ जाते है। कोमल और और राज वापस चले जाते है। फिर तरुण और ज्वालामुखी दोनों खाना खाकर पढ़ने बैठ जाते है। ज्वालामुखी पूछती है,"जब सारी क्लास मेरी चुदाई का मजा ले रही थी, तुम कहा थे?"
राज ने कहा,"दरवाजा अंदर से बंद था, और वैसे भी मै आता तो किसी को मौका नहीं मिलता।"
ज्वालामुखी,"कुछ भी!! इतना स्टेमिना किसी का नहीं होता।"
तरुण,"तो आजमा रही है।"
ज्वालामुखी,"अब चोदेगा मुझे?"
तरुण,"तेरी बस का नहीं है, तेरी माँ को भेज।"
ज्वालामुखी ने सीधे उसके लिंग पर लात मारी। मगर,तरुण को कुछ नहीं हुआ, उलटा ज्वालामुखी की टांग पर चोट लग गई। उसे ऐसा अहसास हुआ जैसे उसने गलती से लोहे के मोटे से डंडे पर लात मार दी थी। असल में यह उसके वरदान का भाग था उसका शरीर उरु, हीरा और व्हायब्रेनियम से भी अनंत गुना सक्त और मजबूत हो गया था। अब ज्वालामुखी को डर लग रहा था।
ज्वालामुखी,"तुम मेरी माँ के साथ इतना फ्लर्ट क्यों कर रहे थे, क्या तुम इंटरेस्टेड हो?"
तरुण,"अरे ऐसा कुछ नहीं है।असल में जब लड़की जवान होती है तब, कभी लड़कों का घुंरना, उनपर कमेंट करना, बातों बातों में तरिफ करना या लाईन मारना यह सब उन्हें उन्हें उनकी खूबसूरती का एहसास दिलाता रहता है,लेकिन इससे वह उक् जाती है।मगर, एक उम्र के बाद जब उनकी जवानी कम होने लगती है, तब यह सब भी कम होते होते खत्म हो जाता है, और जो उन्हें उस उम्र में इरीटेशन लगता है, वह इस उम्र में ज्यादा मिस करती है।इसीलिए कहते है कि, जवानी से ज्यादा पार्टनर की जरुरत अधेड़ और बुढ़ापे में होती है।"
फिर रात को चंद्रमुखी चौटाला आ जाती है। तरुण और ज्वालामुखी ने खाना पहले ही खा लिया था। और तरुण ने चंद्रमुखी के लिये खाना लगाया और वह भी उसके साथ बैठ कर बातें करने लगा। ज्वालामुखी एक नाइट पैंट और टी-शर्ट पहन लेती है। और खाना खाने बैठती है।
चंद्रमुखी,"कल तेजल सुबह की गाड़ी से आ जायेगी।"
तरुण,"मै जाकर ले आऊँगा, वैसे आप रात को सिर्फ यही कपड़े पहनती है, या आपने कभी नाइटी ट्राई नहीं की?"
चंद्रमुखी,"हाँ, जब जोश जिंदा था तब पहना करती, फर्स्ट नाइट पर दी थी। मै हर रोज रात को पहना करती थी।"
तरुण,"तो आज ट्राई करके देखें।"
चंद्रमुखी,"क्या कैसा लगेगा इस उम्र में?"
तरुण,"अच्छा लगेगा, करके तो देखिए।"
चंद्रमुखी,"कुछ भी!"
तरुण,"लगी शर्त? अगर आप अच्छी लगी तो मैं जो कहूंगा आपको करना पडेगा।"
चंद्रमुखी,"अगर मै जीती, तो मेरे सारे कपड़े तू धोयेगा।और यह बात हम ज्वालामुखी से कन्फर्म करेंगे, डन?"
तरुण,"डन।"
फिर चंद्रमुखी अंदर गई और एक नीले रंग की पतली नाइटी पहनकर बाहर आ गई।
और अपनी बेटी से पूछा,"ज्वालामुखी, मै कैसी लग रही हूं?"
ज्वालामुखी,"ओ! मम्मी! आप तो बिल्कुल सनी लिओनी और मीया खलीफा जैसी लग रही है।"
चंद्रमुखी,"सही सही बता!"
ज्वालामुखी," सच्ची मम्मी, आपकी कसम।"
वैसे तो जो ज्वालामुखी ने जो कहा वह बिल्कुल सच था। वह सचमुच कमाल लग रही थी। ४३ की उम्र होने के बावजूद वह ३० की लगती थी। उसने रोज कसरत करके खुद को फिट रखा था। उसके उरोज ३८ के थें, कमर २८ की और नितम्ब ३७ की। वह आम तौर पर वर्दी, या टी-शर्ट और नाइट - पैंट में होती थी, मगर यह नाइटी उसके सही नाप में थी, कमर में सही था मगर अब उम्र के साथ उसके उरोज भर गये थे, जिसकी वजह से वह उस नाइटी से बाहर आने को आतुर थे, जिस वजह से उनकी गहराई साफ दिखाई दे रही थी। वह हाल नितम्ब का भी था। अब तरुण रुम में चला गया, और उसके पीछे चंद्रमुखी भी आ गई। तब तरुण ने कहा ,"अपना वादा याद है ना?"
चंद्रमुखी,"हाँ! जल्दी बताओ, क्या है? मेरी हालत खराब हो रही है इस टाइट नाइटी की वजह से।"
तरुण,"हाँ उतार दीजिए, वैसे भी चुदवाते वक्त उतारनी ही पडेगी।"
चंद्रमुखी,"क्या? तुम ऐसा सोच भी कैसे सकते हो?"
तरुण,"वैसे शर्त के मुताबिक आपको जो मै कहूंगा, वही करना पडेगा, और आप जैसी मिल्फ सामने होने पर कोई भी यही चाहेगा।"
इतना कहकर तरुण ने चंद्रमुखी की कमर में हाथ डाले और जोर से जकड़ लिया।
चंद्रमुखी ने हंसते हुये कहा,"समझ नहीं आ रहा है की तुम्हें मुझे छेड़ने के लिये पिट दू, या तुम्हारी हिम्मत के लिये तुम्हें इनाम दू।"
तरुण ने पकड़ और ते की और कहा," एक गेम खेलते है, इसमें आपको मेरी झप्पी से निकल कर दिखाना होगा, अगर आप निकल गई तो केंसल, और हार गई तो आपकी चूत के साथ आपकी गांड भी मेरी होगी, और जबतक आप नहीं छुंटती मै आपको किस करता रहूँगा।"
इतना कहकर उसने चंद्रमुखी के गाल पर किस, और दूसरा किस उसके थोड़ा नीचे, और उसके नीचे एक किस, चंद्रमुखी छूटने की कोशिश कर रही थी। जैसे जैसे वक्त बितता जा रहा था। तरुण का लिंग सक्त हो रहा था। अब तरुण उसे छह किस कर चुका था और वह उतरते उतरते चंद्रमुखी के गले तक आ गया,उसने अब गले से थोड़ा उपर किस किया। और अब वह उसके गले की चढ़ाई करने लगा, वह उसके विरोध में अपना गर्दन पीछे झुका रही थी। मगर तरुण का काम आसान हो गया, उससे चंद्रमुखी के निचले जबड़े का बाहरी हिस्सा उसके सामने था। वह उसे चूमते चूमते उसकी ठुडी तक पहुंच गया और उपर उसके होठों पर एक लंबा किस किया जिस वजह से उसके होंठ खुल गये, उसने अपनी जुबान उसके मुंह में डाल दी। अब वो दोनों एक दुसरे की जीभ से खेल रहे थे। अब चंद्रमुखी का विरोध भी कम हो गया था, अब वह पूरी तरह से अपना आत्मसमर्पण तरुण के सामने कर चुकी थी। उसका बदन अजीब तरह से पसीने से भीग गया था, तब तरुण ने उसकी नाईटी उतार दी और उसे धक्का दे कर बेड पर गिरा दिया। मगर, उसके सामने जो था उसे देख वह चौंक गया, असल में यह वही पैंटी थी जिससे उसने सुबह हाथ साफ किये थे। हुआ यह था की उसके हाथ से वह दवा पैंटी पर चली गई और वह पैंटी चंद्रमुखी ने पहन ली। और दिन भर उसे शारीरिक श्रम हुये जिससे पैदा हुई गरमी की वजह से वह दवाई भाप बन धीरे धीरे उसकी योनी में चली गई। और इसकी वजह से उसकी योनी गीली हो चुकी थी।
अब तरुण ने उसकी दोनों टांगे खोल दी और एक झटके से उसकी पैंटी उतार फेंकी। और अपना लिंग उसकी योनी पर रखा और हाथों में उसके स्तन पकड़े और उसे एक जोरदार धक्का दिया और इससे तरुण का लिंग उसकी योनी में तीन इंच तक घुस गया। असलियत में चंद्रमुखी कुंवारी नहीं थी, मगर अठारह साल से उसका पति जेल में होने की वजह से उसकी योनी तंग थी। अब वह चिल्लाने ही वाली थी की, तभी तरुण ने उसके मुंह पर मुंह रख उसे किस करने लगा और उसकी चीख वही दब गई, अब उसकी योनी ने यौवन रस की धारा बहा दी। अब तरुण को पता चल गया था की, उसे खुशी हो रही है और विरोध उसकी खुशी दिखाने का तरीका है। अब तरुण ने एक और धक्का दिया और उसका आधा लिंग चंद्रमुखी की योनी में चला गया वह, उसके गर्भाशय के अंतिम छोर तक पहुंच गया था। अब चंद्रमुखी के अंदर जैसे विद्युत धारा दौड़ने लगी थी, वह अब झटके खाने लगी और अपनी योनी आगे-पीछे कर तरुण का साथ देने लगी। उसके स्तनाग्र तंग हो चुके थे, तरुण उसकी गर्म सांसे महसूस कर सकता था तरुण ने उसे अपने उपर ले लिया।और उसके स्तन पकड़कर उसे अपने लिंग पर उपर नीचे किये जा रहा था।अब वह भी उसका साथ देने लगी थी, और एक बार उसकी योनी ने धारा छोड़ दी। वह उसके उपर ही गिर गयी। मगर तरुण अब तक शांत नहीं हुआ था। उसने चंद्रमुखी को बाजू में कर दिया,और पेट पर लेटा दिया। तरुण ने तेल लाया और अपने लिंग पर लगाया और चंद्रमुखी के गुदें(anus,गांड) में भी डाला, और अपना लिंग उसके गुदे पर रखा,उसके स्तनों को हाथ में पकड़कर एक धक्का दिया, जिस वजह से उसका लिंग चंद्रमुखी की योनी को चीरते हुये अंदर चला गया। वैसे तो उसका गुद्द्वार बहुत तंग था मगर तरुण ने जोश जोश में बहुत जोर लगा दिया, जिसके लिये चंद्रमुखी अभी तैयार नहीं थी। उसकी चीख निकलने ही वाली थी चंद्रमुखी ने,अपने मुंह में तकिया दबा लिया, जिससे उसकी चीख वही दब गई। अब तरुण अपना लिंग आगे पीछे कर रहा था, ऐसा उसने लगातार दो घंटे किया, इसमें चंद्रमुखी बीस बार रस्खलित हो चुकी थी, पर तरुण का अब तक नहीं निकला था। चंद्रमुखी थक कर गहरी नींद में चली गई और तरुण भी सो गया।
अगली सुबह जब तरुण उठा तो सात बज गये थे, उसके साथ चंद्रमुखी भी जाग गई। दोनों बाथरूम में गये और साथ में शॉवर लिया। और बाहर आ गये चंद्रमुखी तैयार हो कर थाने चली गई।
तरुण ज्वालामुखी के कमरे में गया वह दरवाजा लगाना भूल गई थी। उसने एक चादर ओढ रखी थी, तरुण ने चादर थोड़ी नीचे की तो उसे ज्वालामुखी का चेहरा दिखाई दिया, उसका मन अब उसके होंठ चुमने को कर रहा था, मगर उसने अपने आप पर काबू किया और चादर नीचे की, अब उसके सामने ज्वालामुखी के स्तन थे, वह बहुत मादक लग रहे थे। अब उसने पूरी चादर निकाल दी, जिसकी वजह से वह उसके सामने पूरी तरह से नग्न अवस्था में थी। अब तरुण अपना हाथ उसकी योनी पर घुमाने लगा, इससे नींद में ही ज्वालामुखी मचलने लगी।"अम् म् म् म् आहा", करके उसके मुहं से सिसकारिया निकलने लगी। उसने आखें खोली ही थी की तरुण ने उसके होठों पर अपने होंठ रख दिये और अपनी जुबान ज्वालामुखी की जबान पर घुमाने लगा, जिससे वह और गर्म होने लगी। तरुण ने अपने होंठ उसके होंठों से अलग किये और अपनी पैंट उतारकर अपना लिंग सीधे उसकी योनी में डाल दिया। अब वह दोनों एक दुसरे को एक लय में धक्के देकर काम के रंग में रंग गये, करीब एक घंटे बाद ज्वालामुखी झड़ गई, मगर तरुण का अभी भी सक्त था। अब तरुण ने उसका उसके स्तनाग्र मसलने शुरू किये अब वह फिर से उत्तेजित होने लगी। और अब तरुण नीचे आ गया और वह उपर अब तरुण जोर जोर से अपनी उंगलियों से, उसके स्तन और स्तनाग्र मसलने लगा। और जवाब में ज्वालामुखी भी उसका साथ देने लगी, वह उसके धक्कों के साथ उछलकर उसके लिंग को अपनी योनी के अंदर ले रही थी। तरुण उसके उरोजों को दोनों हाथों से दबा रहा था। जिसकी वजह से उसकी उत्तेजना चरम पर पहुंच गई और बच्चेदानी के अंत तक, तरुण के लिंग के टकराव के कारण वह एक और बार झड़ गई। अब तरुण ने उसके स्तन दबाने तथा स्तनाग्र चूसने शुरु कर दिये जिस वजह से वह और ज्यादा उत्तेजित कर रहा हो रही थी उसके मुंह से," आ आ आहा म् म् म् " जैसी सिसकारीयां निकलने लगी अब वह एक और बार झड़ चुकी थी। ऐसा वह तीन घंटों तक करते रहे, इसमें ज्वालामुखी तीन बार झड़ चुकी थी, और अब वह थकने की वजह से सो गई। मगर तरुण अभी तक नहीं थका था और उसका लिंग भी सक्त था। उसने अपना लिंग उसकी योनी से निकाल कर उसके गुद्द्वार में डाल दिया और उसे कसकर पकड़ा और उसकी गांड मारने लगा। जिस वजह से वह दर्द से चिल्लाने लगी, मगर बहुत जल्दी ही उसकी चीख सिसकारीयों में बदलने लगी। अब वह भी मजा लेने लगी थी। और वह अगले तीन घंटों में छह बार झड़ चुकी थी, लगातार छह घंटे संभोग करने की वजह से ज्वालामुखी थक चुकी थी। और उसका मन भी भर चुका था वह मुस्कराकर तरुण को देखने लगी।
तरुण ने पूछा,"क्या हुआ, क्यों मुस्करा रही हो?"
ज्वालामुखी प्यार से बोली,"आज पहली बार इतना एंजॉय किया, इससे पहले कभी इतना स्याटीस्फाइड नहीं हुई, और इतना चोदने के बाद भी तुम सक्त हो, तुम्हारी बीबी हमेशा खुश रहेगी।"
तरुण ने उसके स्तनों को दबाते हुये कहा,"वैसे तुम्हारी मम्मी का भी यही कहना है।"
ज्वालामुखी गुस्से से,"कमीने! तूने तो मेरी मम्मी के साथ...नामुमकिन! वैसे वह किसी मर्द को अपने आसपास आने भी नहीं और तेरे साथ,कैसे ?"
तरुण ने उसके स्तन को और जोर से दबाते हुये,"जब उसे पता चला की मेरी पकड़ से छुटकारा उसके लिये मुमकिन नहीं,तब..."
उसकी बात को काटते हुये,"मतलब मेरी मम्मी के साथ तुमने जबर्दस्ती की?"
तरुण,"नहीं यह सब उनकी मर्जी से हुआ असलियत में उन्हें इसी तरह के सेक्स की जरूरत थी, उन्हें फोर्सड पसंद है।"
तभी दरवाजे की घंटी बजती है।
ज्वालामुखी,"इस वक्त कौन है?"
तरुण," तुम बाथरूम जाओ, मै देखता हूं।"
ज्वालामुखी बाथरूम चली गई और तरुण ने अपना लिंग सही करके पैंट पहन ली, और जाकर दरवाजा खोला वहां तेजल थी। वह दरवाजा खोलने के लिये देर होने की वजह से वह दरवाजे का सहारा ले कर खड़ी थी। जैसे ही तरुण ने दरवाजा खोला उसका संतुलन चला गया और वह नीचे गिरने लगी, तभी तरुण ने उसका दायां हाथ पकड़ लिया और उसे गिरने से बचाया मगर उसकी साड़ी का पल्लू सरक के नीचे गिर पड़ा। तरुण ने कभी तेजल को ऐसे नहीं देखा था, और अब उसके वीर्य पात ना होने की वजह से उसे अभी भी कुछ चाहिए था। जैसे ही तेजल पल्लू उठाने के लिये नीचे झुकने लगी, तरुण ने उसकी कमर में हाथ डालकर उसे पकड़ लिया और ब्लाउज के उपर से ही उसके स्तन दबाने लगा। और तेजल तरुण के लिंग को उसके पैंट के अंदर से ही अपने नीतम्ब पर महसूस कर सकती थी। अब वह अपनी साड़ी के साथ साथ अपनी शर्म और हयात का परदा गिरा चुकी थी, वह अब उसका बिलकुल भी विरोध नहीं कर रही थी। तरुण ने उसे जैसे ही उसकी पीठ पर चूमा, उसके शरीर में जैसे तेजी से बिजली की तेज धारा बह गई। वह एकदम झटके खाने लगी। तरुण अब उसे चूमते हुये नीचे आ रहा था अब वह उसकी कमर तक पहुंच चुका था। अब वह अपने मुंह से सिसकारिया निकाल रही थी। अब वह ना तो विरोध कर रही थी, ना ही साथ दे रही थी, वह सिर्फ निष्क्रिय हो कर उसकी काम वर्षा का आनंद ले रही थी, और काम वर्षा में वह भीगे जा रही थी, अब उसके अंदर भी वासना की ज्वाला उबलने लगी थी। तभी,
ज्वालामुखी ने आवाज दी,"आँटी!!",
तेजल सचेत हो गई और उसने अपना पल्लू ठीक कर लिया, और कुछ क्षणों के लिये शर्माकर तरुण को देखा और कहा," ज्वालामुखी, तुम्हारी मम्मी कहा है?"
ज्वालामुखी, "वह तो थाने गई है आँटी,कुछ काम था क्या ?"
इधर थाने में MLA आ गया था, साथ में वकील भी था।
MLA,"मैडम, हमारे छोरे से गलती हो गई है, और इतना क्यों मारा, अगर आपका छोरा होता तो?"
चंद्रमुखी, "इससे ज्यादा सुतती।"
MLA,"मैडम वैसे तो हम भी इसे सुधारना चाहते है, पर बिन माँ के बच्चे तो खराब हो ही जाते है।"
चंद्रमुखी,"हमारी एक छोटी बेटी है, अगर हमें इसकी माँ बना दो तो..."
लड़का,"नहीं! नहीं! पापा, हम कभी भी किसी भी लड़की के तरफ देखेंगे भी नहीं, पर आप ऐसा मत करें प्लीज!"
MLA,मुस्कराते हुये "वैसे, हम भी सोच रहे थे की अब इतने साल रंडवा बनकर जी लिये, और पुलिस वाली साथ रहेगी, तो हमरी सुरक्षा के लिये भी अच्छा होगा।"
लड़का,"नहीं! बापू नहीं! हम अभी ऐसा कुछ नहीं करेंगे!"
MLA,"अच्छा होगा तुमरे लिये,वर्ना मैडम को तुमरी अम्मा बना देंगे।"
इतना कहकर MLA अपने बेटे के साथ उसकी बेल कराने के बाद वहाँ से चले गये।
MLA तो अपने बेटे को ले कर चला गया मगर उसके दो दोस्त, चंदू और संजू वही लॉकप में थें, चंद्रमुखी वहाँ गई।
उसे देखकर उन दोनों की तो हालत ही खराब हो गई, वह उठकर खड़े हो गये उसने उन्हें कहा,"अरे, डरो मत नहीं मारूंगी, बैठ जाओ।"
दोनों,"पक्का?"
चंद्रमुखी,"हां, पक्का!"
वह दोनो नीचे बैठ गये और चंद्रमुखी ने उनसे पूछा ,"तुम्हारे अम्मा-बाबुजी के करते हे?"
चंदू,"सब्जी बेचते हे।"
संजू ,"दिहाड़ी मजदूर है।"
चंद्रमुखी ,"और तुम यह सब, तुम्हें शरम ना आती? देखो बच्चों उस छोरे का बाप नेता है, वह कुछ ना कर पाया तो नेता जरुर बनेगा, मगर तुम दोनों को कुछ हुआ तो तुम्हारे माता पिता का के होगा सोचा है? "
अब दोनों भावुक हो जाते है।
चंद्रमुखी,"तुम पढाई पर ध्यान दो, IAS-IPS बनो तो जिन लड़कियों को तुम देखने के लिये दिन भर तडपते रहते हो, वही तुम्हारे पिछे पागल हो जायेगी।"
फिर उन्हें चंद्रमुखी ने जाने दिया, और फिर वह लड़कियाँ वापस आई, और बोली," मैडम आपने उन लड़कों को क्यों छोडा?"
चंद्रमुखी ,"अंदर कर देती तो रेपीस्ट बनकर बाहर आते, और ऐसे ही नहीं छोड़ा, पुरी खातिरदारी करके छोड़ा है। अब अगर फिर से तुम्हें तंग किया तो उन्हें अंदर कर दूंगी।"
लड़कियाँ,"थँक्यु मैडम!" कहकर चली गई और उसने सारा दिन ना किसी पर गुस्सा किया ना हाथ उठाया।
शाम को हवलदार गुलगूले आया और मिठाई देकर बोला,"मैडम, आझादि मुबारक हो !"
चंद्रमुखी,"कौनसा कैलेंडर लगा रखा है तूने, मैं के महीने में आझादि कि मुबारक दे रहा है?"
गुलगूले,"मैडम, वह देश की आझादि की नहीं बल्कि आपकी आझादि की मुबारक है।"
चंद्रमुखी,"हमें किसने कैद करके रखा था?"
गुलगूले,"आपके गुस्से ने मैडम! आज आपने बिल्कुल गुस्सा नहीं किया।"
चंद्रमुखी, " थँक्यु!"इतना कहकर घर निकल गई।और थोड़ी देर बाद घर पहुंच गई। वहां तेजल अपने साथ तरुण को भी घर ले गई। यहां ज्वालामुखी घर आ गयी, जब उसने ज्वालामुखी को पूछा तो पता चला की, तरुण घर चला गया। फिर वह बैठकर तरुण के साथ बीते हुये पल याद करने लगी, फिर उसके मन में दुविधा हो रही थी अपनी बेटी को कैसे बताये, मगर उसे यह पता नहीं था कि इस मामले में उसकी बेटी, सब जानती है और उससे काफी आगे बढ चुकी है। उसे अब यह पता चल गया था की, उसके गुस्से का कारण बहुत सालों से उसके अंदर दबी कामवासना थी, जो तरुण के साथ हुये संभोग की वजह से शांत हुई थी। अशांत कामवासना ही गुस्से का कारण होती है, जिस वजह से उसका गुस्सा भी खत्म हो चुका था।
तरुण का घर असलियत में उनके पडोस में ही था, तरुण तेजल की तरफ अजीब नजरों से देख रहा था। तेजल को लंबे सफर से बहुत थकान आ रही थी, और उपर से मै का महीना होने की वजह से वह पसीने से लतपत हो गई थी। वह सोफे पर आकर बैठ गई, और तरुण ने पंखा चालू कर दिया, मगर पंखा भी गर्म हवा फेंक रहा था। तेजल ने अपनी गर्दन सोफे पर डालकर वहीं लेट गई।एकतर्फा लेटने की वजह से उसका पल्लू ब्लाउज से नीचे सरक गया और उसके स्तनों की गहराई दिखाने लगी थी। तब तरुण को क्या शरारत सूझी पता नहीं? उसने दरवाजा बंद कर दिया, रसोई में जाकर एक कटोरी में फ्रिज से बर्फ के टुकड़े निकाल लिये। और उन्हें बैठक में ले आया। और तेजल की चिकनी पतली कमर पर बर्फ का एक टुकड़ा रखा और घुमाने लगा। इसकी वजह से तेजल को अब गर्मी में राहत मिलने लगी, उसके मुंह से सिसकारिया निकलने लगी। अब तरुण उस टुकड़े को तेजल की कमर पर घुमाकर उसकी नाभि तक ले आया, अब तेजल को राहत का एहसास हो रहा था। लेकिन उसकी आंखें खुल गई अब वह, तरुण के द्वारा होनेवाली बर्फ मालिश का आनंद ले रही थी। उसका सारा बदन जैसे चमक रहा था।
वह बोली,"तरुण, जरा दाई तरफ और ऐसा कहकर उसने अपना पल्लू पूरी तरह से हटा दिया और पीठ के बल लेट गई । अब उसके उरोज भी गर्मी में मिलती राहत भरी ठंड की वजह से फुल रहे थे, और उसके ब्लाउज को फाड़कर बाहर
आने के लिये जैसे बेताब हो रहे थे। और इसी वजह से तरुण का लिंग भी खड़ा होकर पैंट में तम्बू बना रहा था। जब तेजल की नजर उसपर पड़ी तो, उसके काबू से बाहर होकर मन उसका उत्तेजित होने लगा था। अब वह सोफे से उठकर खड़ी हो गई और तरुण को पीठ पर करने को कहा तरुण ने दोनों हाथों में एक एक टुकड़ा लेकर एक उसकी पीठ के निचले हिस्से पर और एक उसकी पीठ उपरी हिस्से पर घुमाने लगा उसकी कमर तो खुली थी, मगर उसकी पीठ का उपरी हिस्सा जो ब्लाउज से ढका हुआ था, तरुण उसमें हाथ डालकर बर्फ घुमाने लगा जिस वजह से तेजल स्तनों पर बहुत ज्यादा दबाव महसूस कर रहा थी। उसने आगे लगे हुक खोलकर ब्लाउज उतार दिया। जब उसने ब्लाउज उतारने के लिये हाथ उपर किये तभी तरुण ने तेजी दिखाकर उसके ब्रा का हुक भी खोल दिया और उसकी ब्रा भी उतार दी अब वह तरुण के सामने उपर से नग्न थी। और तरुण ने उसके गुलाबी स्तनाग्र उपर से ही चूसने शुरू कर दिये, पहले
तरुण ने उसके दायें स्तनाग्र को चूसना शुरू किया और उसके बायें स्तन को दबाने लगा। उसकी वासना अब बढ़ने लगी थी। उसने फिर तेजल की साड़ी पूरी तरह से उतार दी। और लेहेंगे का नाडा खींच लिया, जिस वजह से वह लेहेंगा नीचे सरक गया और तेजल की गुलाबी पैंटी में ढकी योनी तरुण के सामने आ गई।अब तरुण ने तेजल पर चुम्बनों की वर्षा शुरू कर दी, अब वह स्तनाग्रों से चूमते चूमते उसके स्तनों की बीच की गहराई में चूमने लगा जिससे तेजल उसका सर अपने स्तनों पर दबाने लगी और तरुण अब उसके पेट पर चूमने लगा, और फीर वहाँ से होते हुये उसकी नाभि की और बढ़कर
Nice update bro 🤠🤠🤠
 

Kamuk219

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64
Part 1

UPDATE 2

अगले दिन सुबह चार बजे जब तरुण की नींद खुली वह बाथरूम में चला गया और सुबह के काम निपटा कर दर्पण की मदद से उसने सारी वनस्पति प्रकट की।और फिर उसके हाथ जो हीरे जीतने मजबूत थे,उसने उससे सारी वनस्पति को मसला और उसके सार को उसने एक कटोरी में डालकर उसे ढका, और अपने हाथों से अग्नि निकालकर तपाने लगा, थोड़ी देर और ताप देने के बाद उसने जब ढक्कन हटाया। तो उसमें उसे दवाई तैयार मिली। उसने वह दवाई एक शीशी में डाल दी, वह दवाई असल में निम्न द्रव यानी किसी जेली की तरह थी। इसीलिए डालते वक्त उसे अपने हाथ खराब करने पडे। तभी उसे हलचल सुनाई दी। वह पहले ही नहा कर तैयार हो चुका था। वह सारे कपड़े बाथरूम में ही पहन लेता था। जब उसने चंद्रमुखी की आवाज सूनी, तो उसने शीशी जेब में डाल ली और जल्दबाजी में एक साफ पैंटी से अपना हाथ साफ कर लिया और जाकर दरवाजा खोला। वहां चंद्रमुखी टॉवेल लेकर खड़ी थी, वह उससे बोली ,"तुम्हारा हो गया तो, में नहा लूं?"
तरुण,"हाँ, हो गया।"
फिर थोडी देर बाद चंद्रमुखी भी नहा कर निकली। वह सिर्फ टॉवेल मे थीं। इसीलिये उसकी मांसल जाँघे बहुत आकर्षक लग रही थी, जैसे की किसी कुशल कारीगर ने बडी ही, बारीकी से तराशा हो। तरुण उसे देखता ही रह गया। फिर वर्दी पहनकर वह थाने चली गई । थाने जाकर उसने उन लड़कों की अच्छे से खातिरदारी की । यहां तरुण ने कोमल को फोन करके बुला लिया, ताकि वह उसे सच बता सके।और वह ज्वालामुखी के साथ पढाई करने लगा। थोड़ी देर बाद कोमल और राज वहाँ आ गये।
तब राज नाराज लग रहा था, जैसे वह कोई बहुत बड़ी जंग हारकर आया हो। तरुण ने पूछा ,"क्या हुआ राज? ऐसे हारे हुये क्यों लग रहे हो?" तब कोमल ने तरुण के पास आकर कान में कहा,"खड़ा करने में आधा घंटा चला गया, मगर दस मिनट में पानी छुट गया!" तरुण ने कोमल के नितम्ब पर हाथ रखा और कहा,"मेरा अभी भी सक्त है, अभी डालकर देखे?" कोमल शर्माकर वहां से चलीं गई। और टेबल पर जाकर बैठ गई। फिर तरुण ने ज्वालामुखी को कहा की वह छत पर बैडमिंटन खेलने के लिये जाली लगाये। वह छत पर जाकर तैयारी करने लगी। तब राज ने तरुण से पूछा,"तुम हमें क्या सच बताने वाले थे?" तब तरुण ने उन्हें बताया की किस मजबूरी में चंद्रमुखी ने सतीश को गिरफ्तार किया था। तब उन्होंने कहा,"हाँ, माना की हमने जो किया वह गलत था, मगर तुमने भी तो उससे न्युड डांस करवाया?"
तरुण ,"हाँ, मैंने उससे न्युड डांस करवाया मगर, उससे सिर्फ उसकी पॉवर और ईगो खत्म होता। मगर तुम दोनों ने पिल्स और ड्रग दे कर उसमें हवस भर दी, जिस वजह से उसे पुरी क्लास के लड़कों से चूदना पड़ा,जिससे उसका कँरेक्टर एक रंडी का हो गया, और अब हर लड़का उसे ऐसी ही नजर से देखेगा। वह असल में एक सेंसीटीव्ह लड़की है, ऐसी लड़कियाँ आमतौर पर सेक्स से दूर होती है। मगर उनके साथ एक बार भी किसी भी तरह सेक्स किया जाये, तो उसकी आदी हो जाती है। अब यह तो साठ से चूद चुकी है। अगर कोई भी लड़का उसे अँप्रोच करेगा तो भी वह तैयार हो जायेगी। अब वह एक फ्री का खिलौना बन गई है।
तब उन्हें उपर से ज्वालामुखी आवाज देती है। वह तीनों उपर जाते है। और खेल शुरू होता है। थोड़ी देर खेलने के बाद वह नीचे आ जाते है। कोमल और और राज वापस चले जाते है। फिर तरुण और ज्वालामुखी दोनों खाना खाकर पढ़ने बैठ जाते है। ज्वालामुखी पूछती है,"जब सारी क्लास मेरी चुदाई का मजा ले रही थी, तुम कहा थे?"
राज ने कहा,"दरवाजा अंदर से बंद था, और वैसे भी मै आता तो किसी को मौका नहीं मिलता।"
ज्वालामुखी,"कुछ भी!! इतना स्टेमिना किसी का नहीं होता।"
तरुण,"तो आजमा रही है।"
ज्वालामुखी,"अब चोदेगा मुझे?"
तरुण,"तेरी बस का नहीं है, तेरी माँ को भेज।"
ज्वालामुखी ने सीधे उसके लिंग पर लात मारी। मगर,तरुण को कुछ नहीं हुआ, उलटा ज्वालामुखी की टांग पर चोट लग गई। उसे ऐसा अहसास हुआ जैसे उसने गलती से लोहे के मोटे से डंडे पर लात मार दी थी। असल में यह उसके वरदान का भाग था उसका शरीर उरु, हीरा और व्हायब्रेनियम से भी अनंत गुना सक्त और मजबूत हो गया था। अब ज्वालामुखी को डर लग रहा था।
ज्वालामुखी,"तुम मेरी माँ के साथ इतना फ्लर्ट क्यों कर रहे थे, क्या तुम इंटरेस्टेड हो?"
तरुण,"अरे ऐसा कुछ नहीं है।असल में जब लड़की जवान होती है तब, कभी लड़कों का घुंरना, उनपर कमेंट करना, बातों बातों में तरिफ करना या लाईन मारना यह सब उन्हें उन्हें उनकी खूबसूरती का एहसास दिलाता रहता है,लेकिन इससे वह उक् जाती है।मगर, एक उम्र के बाद जब उनकी जवानी कम होने लगती है, तब यह सब भी कम होते होते खत्म हो जाता है, और जो उन्हें उस उम्र में इरीटेशन लगता है, वह इस उम्र में ज्यादा मिस करती है।इसीलिए कहते है कि, जवानी से ज्यादा पार्टनर की जरुरत अधेड़ और बुढ़ापे में होती है।"
फिर रात को चंद्रमुखी चौटाला आ जाती है। तरुण और ज्वालामुखी ने खाना पहले ही खा लिया था। और तरुण ने चंद्रमुखी के लिये खाना लगाया और वह भी उसके साथ बैठ कर बातें करने लगा। ज्वालामुखी एक नाइट पैंट और टी-शर्ट पहन लेती है। और खाना खाने बैठती है।
चंद्रमुखी,"कल तेजल सुबह की गाड़ी से आ जायेगी।"
तरुण,"मै जाकर ले आऊँगा, वैसे आप रात को सिर्फ यही कपड़े पहनती है, या आपने कभी नाइटी ट्राई नहीं की?"
चंद्रमुखी,"हाँ, जब जोश जिंदा था तब पहना करती, फर्स्ट नाइट पर दी थी। मै हर रोज रात को पहना करती थी।"
तरुण,"तो आज ट्राई करके देखें।"
चंद्रमुखी,"क्या कैसा लगेगा इस उम्र में?"
तरुण,"अच्छा लगेगा, करके तो देखिए।"
चंद्रमुखी,"कुछ भी!"
तरुण,"लगी शर्त? अगर आप अच्छी लगी तो मैं जो कहूंगा आपको करना पडेगा।"
चंद्रमुखी,"अगर मै जीती, तो मेरे सारे कपड़े तू धोयेगा।और यह बात हम ज्वालामुखी से कन्फर्म करेंगे, डन?"
तरुण,"डन।"
फिर चंद्रमुखी अंदर गई और एक नीले रंग की पतली नाइटी पहनकर बाहर आ गई।
और अपनी बेटी से पूछा,"ज्वालामुखी, मै कैसी लग रही हूं?"
ज्वालामुखी,"ओ! मम्मी! आप तो बिल्कुल सनी लिओनी और मीया खलीफा जैसी लग रही है।"
चंद्रमुखी,"सही सही बता!"
ज्वालामुखी," सच्ची मम्मी, आपकी कसम।"
वैसे तो जो ज्वालामुखी ने जो कहा वह बिल्कुल सच था। वह सचमुच कमाल लग रही थी। ४३ की उम्र होने के बावजूद वह ३० की लगती थी। उसने रोज कसरत करके खुद को फिट रखा था। उसके उरोज ३८ के थें, कमर २८ की और नितम्ब ३७ की। वह आम तौर पर वर्दी, या टी-शर्ट और नाइट - पैंट में होती थी, मगर यह नाइटी उसके सही नाप में थी, कमर में सही था मगर अब उम्र के साथ उसके उरोज भर गये थे, जिसकी वजह से वह उस नाइटी से बाहर आने को आतुर थे, जिस वजह से उनकी गहराई साफ दिखाई दे रही थी। वह हाल नितम्ब का भी था। अब तरुण रुम में चला गया, और उसके पीछे चंद्रमुखी भी आ गई। तब तरुण ने कहा ,"अपना वादा याद है ना?"
चंद्रमुखी,"हाँ! जल्दी बताओ, क्या है? मेरी हालत खराब हो रही है इस टाइट नाइटी की वजह से।"
तरुण,"हाँ उतार दीजिए, वैसे भी चुदवाते वक्त उतारनी ही पडेगी।"
चंद्रमुखी,"क्या? तुम ऐसा सोच भी कैसे सकते हो?"
तरुण,"वैसे शर्त के मुताबिक आपको जो मै कहूंगा, वही करना पडेगा, और आप जैसी मिल्फ सामने होने पर कोई भी यही चाहेगा।"
इतना कहकर तरुण ने चंद्रमुखी की कमर में हाथ डाले और जोर से जकड़ लिया।
चंद्रमुखी ने हंसते हुये कहा,"समझ नहीं आ रहा है की तुम्हें मुझे छेड़ने के लिये पिट दू, या तुम्हारी हिम्मत के लिये तुम्हें इनाम दू।"
तरुण ने पकड़ और ते की और कहा," एक गेम खेलते है, इसमें आपको मेरी झप्पी से निकल कर दिखाना होगा, अगर आप निकल गई तो केंसल, और हार गई तो आपकी चूत के साथ आपकी गांड भी मेरी होगी, और जबतक आप नहीं छुंटती मै आपको किस करता रहूँगा।"
इतना कहकर उसने चंद्रमुखी के गाल पर किस, और दूसरा किस उसके थोड़ा नीचे, और उसके नीचे एक किस, चंद्रमुखी छूटने की कोशिश कर रही थी। जैसे जैसे वक्त बितता जा रहा था। तरुण का लिंग सक्त हो रहा था। अब तरुण उसे छह किस कर चुका था और वह उतरते उतरते चंद्रमुखी के गले तक आ गया,उसने अब गले से थोड़ा उपर किस किया। और अब वह उसके गले की चढ़ाई करने लगा, वह उसके विरोध में अपना गर्दन पीछे झुका रही थी। मगर तरुण का काम आसान हो गया, उससे चंद्रमुखी के निचले जबड़े का बाहरी हिस्सा उसके सामने था। वह उसे चूमते चूमते उसकी ठुडी तक पहुंच गया और उपर उसके होठों पर एक लंबा किस किया जिस वजह से उसके होंठ खुल गये, उसने अपनी जुबान उसके मुंह में डाल दी। अब वो दोनों एक दुसरे की जीभ से खेल रहे थे। अब चंद्रमुखी का विरोध भी कम हो गया था, अब वह पूरी तरह से अपना आत्मसमर्पण तरुण के सामने कर चुकी थी। उसका बदन अजीब तरह से पसीने से भीग गया था, तब तरुण ने उसकी नाईटी उतार दी और उसे धक्का दे कर बेड पर गिरा दिया। मगर, उसके सामने जो था उसे देख वह चौंक गया, असल में यह वही पैंटी थी जिससे उसने सुबह हाथ साफ किये थे। हुआ यह था की उसके हाथ से वह दवा पैंटी पर चली गई और वह पैंटी चंद्रमुखी ने पहन ली। और दिन भर उसे शारीरिक श्रम हुये जिससे पैदा हुई गरमी की वजह से वह दवाई भाप बन धीरे धीरे उसकी योनी में चली गई। और इसकी वजह से उसकी योनी गीली हो चुकी थी।
अब तरुण ने उसकी दोनों टांगे खोल दी और एक झटके से उसकी पैंटी उतार फेंकी। और अपना लिंग उसकी योनी पर रखा और हाथों में उसके स्तन पकड़े और उसे एक जोरदार धक्का दिया और इससे तरुण का लिंग उसकी योनी में तीन इंच तक घुस गया। असलियत में चंद्रमुखी कुंवारी नहीं थी, मगर अठारह साल से उसका पति जेल में होने की वजह से उसकी योनी तंग थी। अब वह चिल्लाने ही वाली थी की, तभी तरुण ने उसके मुंह पर मुंह रख उसे किस करने लगा और उसकी चीख वही दब गई, अब उसकी योनी ने यौवन रस की धारा बहा दी। अब तरुण को पता चल गया था की, उसे खुशी हो रही है और विरोध उसकी खुशी दिखाने का तरीका है। अब तरुण ने एक और धक्का दिया और उसका आधा लिंग चंद्रमुखी की योनी में चला गया वह, उसके गर्भाशय के अंतिम छोर तक पहुंच गया था। अब चंद्रमुखी के अंदर जैसे विद्युत धारा दौड़ने लगी थी, वह अब झटके खाने लगी और अपनी योनी आगे-पीछे कर तरुण का साथ देने लगी। उसके स्तनाग्र तंग हो चुके थे, तरुण उसकी गर्म सांसे महसूस कर सकता था तरुण ने उसे अपने उपर ले लिया।और उसके स्तन पकड़कर उसे अपने लिंग पर उपर नीचे किये जा रहा था।अब वह भी उसका साथ देने लगी थी, और एक बार उसकी योनी ने धारा छोड़ दी। वह उसके उपर ही गिर गयी। मगर तरुण अब तक शांत नहीं हुआ था। उसने चंद्रमुखी को बाजू में कर दिया,और पेट पर लेटा दिया। तरुण ने तेल लाया और अपने लिंग पर लगाया और चंद्रमुखी के गुदें(anus,गांड) में भी डाला, और अपना लिंग उसके गुदे पर रखा,उसके स्तनों को हाथ में पकड़कर एक धक्का दिया, जिस वजह से उसका लिंग चंद्रमुखी की योनी को चीरते हुये अंदर चला गया। वैसे तो उसका गुद्द्वार बहुत तंग था मगर तरुण ने जोश जोश में बहुत जोर लगा दिया, जिसके लिये चंद्रमुखी अभी तैयार नहीं थी। उसकी चीख निकलने ही वाली थी चंद्रमुखी ने,अपने मुंह में तकिया दबा लिया, जिससे उसकी चीख वही दब गई। अब तरुण अपना लिंग आगे पीछे कर रहा था, ऐसा उसने लगातार दो घंटे किया, इसमें चंद्रमुखी बीस बार रस्खलित हो चुकी थी, पर तरुण का अब तक नहीं निकला था। चंद्रमुखी थक कर गहरी नींद में चली गई और तरुण भी सो गया।
अगली सुबह जब तरुण उठा तो सात बज गये थे, उसके साथ चंद्रमुखी भी जाग गई। दोनों बाथरूम में गये और साथ में शॉवर लिया। और बाहर आ गये चंद्रमुखी तैयार हो कर थाने चली गई।
तरुण ज्वालामुखी के कमरे में गया वह दरवाजा लगाना भूल गई थी। उसने एक चादर ओढ रखी थी, तरुण ने चादर थोड़ी नीचे की तो उसे ज्वालामुखी का चेहरा दिखाई दिया, उसका मन अब उसके होंठ चुमने को कर रहा था, मगर उसने अपने आप पर काबू किया और चादर नीचे की, अब उसके सामने ज्वालामुखी के स्तन थे, वह बहुत मादक लग रहे थे। अब उसने पूरी चादर निकाल दी, जिसकी वजह से वह उसके सामने पूरी तरह से नग्न अवस्था में थी। अब तरुण अपना हाथ उसकी योनी पर घुमाने लगा, इससे नींद में ही ज्वालामुखी मचलने लगी।"अम् म् म् म् आहा", करके उसके मुहं से सिसकारिया निकलने लगी। उसने आखें खोली ही थी की तरुण ने उसके होठों पर अपने होंठ रख दिये और अपनी जुबान ज्वालामुखी की जबान पर घुमाने लगा, जिससे वह और गर्म होने लगी। तरुण ने अपने होंठ उसके होंठों से अलग किये और अपनी पैंट उतारकर अपना लिंग सीधे उसकी योनी में डाल दिया। अब वह दोनों एक दुसरे को एक लय में धक्के देकर काम के रंग में रंग गये, करीब एक घंटे बाद ज्वालामुखी झड़ गई, मगर तरुण का अभी भी सक्त था। अब तरुण ने उसका उसके स्तनाग्र मसलने शुरू किये अब वह फिर से उत्तेजित होने लगी। और अब तरुण नीचे आ गया और वह उपर अब तरुण जोर जोर से अपनी उंगलियों से, उसके स्तन और स्तनाग्र मसलने लगा। और जवाब में ज्वालामुखी भी उसका साथ देने लगी, वह उसके धक्कों के साथ उछलकर उसके लिंग को अपनी योनी के अंदर ले रही थी। तरुण उसके उरोजों को दोनों हाथों से दबा रहा था। जिसकी वजह से उसकी उत्तेजना चरम पर पहुंच गई और बच्चेदानी के अंत तक, तरुण के लिंग के टकराव के कारण वह एक और बार झड़ गई। अब तरुण ने उसके स्तन दबाने तथा स्तनाग्र चूसने शुरु कर दिये जिस वजह से वह और ज्यादा उत्तेजित कर रहा हो रही थी उसके मुंह से," आ आ आहा म् म् म् " जैसी सिसकारीयां निकलने लगी अब वह एक और बार झड़ चुकी थी। ऐसा वह तीन घंटों तक करते रहे, इसमें ज्वालामुखी तीन बार झड़ चुकी थी, और अब वह थकने की वजह से सो गई। मगर तरुण अभी तक नहीं थका था और उसका लिंग भी सक्त था। उसने अपना लिंग उसकी योनी से निकाल कर उसके गुद्द्वार में डाल दिया और उसे कसकर पकड़ा और उसकी गांड मारने लगा। जिस वजह से वह दर्द से चिल्लाने लगी, मगर बहुत जल्दी ही उसकी चीख सिसकारीयों में बदलने लगी। अब वह भी मजा लेने लगी थी। और वह अगले तीन घंटों में छह बार झड़ चुकी थी, लगातार छह घंटे संभोग करने की वजह से ज्वालामुखी थक चुकी थी। और उसका मन भी भर चुका था वह मुस्कराकर तरुण को देखने लगी।
तरुण ने पूछा,"क्या हुआ, क्यों मुस्करा रही हो?"
ज्वालामुखी प्यार से बोली,"आज पहली बार इतना एंजॉय किया, इससे पहले कभी इतना स्याटीस्फाइड नहीं हुई, और इतना चोदने के बाद भी तुम सक्त हो, तुम्हारी बीबी हमेशा खुश रहेगी।"
तरुण ने उसके स्तनों को दबाते हुये कहा,"वैसे तुम्हारी मम्मी का भी यही कहना है।"
ज्वालामुखी गुस्से से,"कमीने! तूने तो मेरी मम्मी के साथ...नामुमकिन! वैसे वह किसी मर्द को अपने आसपास आने भी नहीं और तेरे साथ,कैसे ?"
तरुण ने उसके स्तन को और जोर से दबाते हुये,"जब उसे पता चला की मेरी पकड़ से छुटकारा उसके लिये मुमकिन नहीं,तब..."
उसकी बात को काटते हुये,"मतलब मेरी मम्मी के साथ तुमने जबर्दस्ती की?"
तरुण,"नहीं यह सब उनकी मर्जी से हुआ असलियत में उन्हें इसी तरह के सेक्स की जरूरत थी, उन्हें फोर्सड पसंद है।"
तभी दरवाजे की घंटी बजती है।
ज्वालामुखी,"इस वक्त कौन है?"
तरुण," तुम बाथरूम जाओ, मै देखता हूं।"
ज्वालामुखी बाथरूम चली गई और तरुण ने अपना लिंग सही करके पैंट पहन ली, और जाकर दरवाजा खोला वहां तेजल थी। वह दरवाजा खोलने के लिये देर होने की वजह से वह दरवाजे का सहारा ले कर खड़ी थी। जैसे ही तरुण ने दरवाजा खोला उसका संतुलन चला गया और वह नीचे गिरने लगी, तभी तरुण ने उसका दायां हाथ पकड़ लिया और उसे गिरने से बचाया मगर उसकी साड़ी का पल्लू सरक के नीचे गिर पड़ा। तरुण ने कभी तेजल को ऐसे नहीं देखा था, और अब उसके वीर्य पात ना होने की वजह से उसे अभी भी कुछ चाहिए था। जैसे ही तेजल पल्लू उठाने के लिये नीचे झुकने लगी, तरुण ने उसकी कमर में हाथ डालकर उसे पकड़ लिया और ब्लाउज के उपर से ही उसके स्तन दबाने लगा। और तेजल तरुण के लिंग को उसके पैंट के अंदर से ही अपने नीतम्ब पर महसूस कर सकती थी। अब वह अपनी साड़ी के साथ साथ अपनी शर्म और हयात का परदा गिरा चुकी थी, वह अब उसका बिलकुल भी विरोध नहीं कर रही थी। तरुण ने उसे जैसे ही उसकी पीठ पर चूमा, उसके शरीर में जैसे तेजी से बिजली की तेज धारा बह गई। वह एकदम झटके खाने लगी। तरुण अब उसे चूमते हुये नीचे आ रहा था अब वह उसकी कमर तक पहुंच चुका था। अब वह अपने मुंह से सिसकारिया निकाल रही थी। अब वह ना तो विरोध कर रही थी, ना ही साथ दे रही थी, वह सिर्फ निष्क्रिय हो कर उसकी काम वर्षा का आनंद ले रही थी, और काम वर्षा में वह भीगे जा रही थी, अब उसके अंदर भी वासना की ज्वाला उबलने लगी थी। तभी,
ज्वालामुखी ने आवाज दी,"आँटी!!",
तेजल सचेत हो गई और उसने अपना पल्लू ठीक कर लिया, और कुछ क्षणों के लिये शर्माकर तरुण को देखा और कहा," ज्वालामुखी, तुम्हारी मम्मी कहा है?"
ज्वालामुखी, "वह तो थाने गई है आँटी,कुछ काम था क्या ?"
इधर थाने में MLA आ गया था, साथ में वकील भी था।
MLA,"मैडम, हमारे छोरे से गलती हो गई है, और इतना क्यों मारा, अगर आपका छोरा होता तो?"
चंद्रमुखी, "इससे ज्यादा सुतती।"
MLA,"मैडम वैसे तो हम भी इसे सुधारना चाहते है, पर बिन माँ के बच्चे तो खराब हो ही जाते है।"
चंद्रमुखी,"हमारी एक छोटी बेटी है, अगर हमें इसकी माँ बना दो तो..."
लड़का,"नहीं! नहीं! पापा, हम कभी भी किसी भी लड़की के तरफ देखेंगे भी नहीं, पर आप ऐसा मत करें प्लीज!"
MLA,मुस्कराते हुये "वैसे, हम भी सोच रहे थे की अब इतने साल रंडवा बनकर जी लिये, और पुलिस वाली साथ रहेगी, तो हमरी सुरक्षा के लिये भी अच्छा होगा।"
लड़का,"नहीं! बापू नहीं! हम अभी ऐसा कुछ नहीं करेंगे!"
MLA,"अच्छा होगा तुमरे लिये,वर्ना मैडम को तुमरी अम्मा बना देंगे।"
इतना कहकर MLA अपने बेटे के साथ उसकी बेल कराने के बाद वहाँ से चले गये।
MLA तो अपने बेटे को ले कर चला गया मगर उसके दो दोस्त, चंदू और संजू वही लॉकप में थें, चंद्रमुखी वहाँ गई।
उसे देखकर उन दोनों की तो हालत ही खराब हो गई, वह उठकर खड़े हो गये उसने उन्हें कहा,"अरे, डरो मत नहीं मारूंगी, बैठ जाओ।"
दोनों,"पक्का?"
चंद्रमुखी,"हां, पक्का!"
वह दोनो नीचे बैठ गये और चंद्रमुखी ने उनसे पूछा ,"तुम्हारे अम्मा-बाबुजी के करते हे?"
चंदू,"सब्जी बेचते हे।"
संजू ,"दिहाड़ी मजदूर है।"
चंद्रमुखी ,"और तुम यह सब, तुम्हें शरम ना आती? देखो बच्चों उस छोरे का बाप नेता है, वह कुछ ना कर पाया तो नेता जरुर बनेगा, मगर तुम दोनों को कुछ हुआ तो तुम्हारे माता पिता का के होगा सोचा है? "
अब दोनों भावुक हो जाते है।
चंद्रमुखी,"तुम पढाई पर ध्यान दो, IAS-IPS बनो तो जिन लड़कियों को तुम देखने के लिये दिन भर तडपते रहते हो, वही तुम्हारे पिछे पागल हो जायेगी।"
फिर उन्हें चंद्रमुखी ने जाने दिया, और फिर वह लड़कियाँ वापस आई, और बोली," मैडम आपने उन लड़कों को क्यों छोडा?"
चंद्रमुखी ,"अंदर कर देती तो रेपीस्ट बनकर बाहर आते, और ऐसे ही नहीं छोड़ा, पुरी खातिरदारी करके छोड़ा है। अब अगर फिर से तुम्हें तंग किया तो उन्हें अंदर कर दूंगी।"
लड़कियाँ,"थँक्यु मैडम!" कहकर चली गई और उसने सारा दिन ना किसी पर गुस्सा किया ना हाथ उठाया।
शाम को हवलदार गुलगूले आया और मिठाई देकर बोला,"मैडम, आझादि मुबारक हो !"
चंद्रमुखी,"कौनसा कैलेंडर लगा रखा है तूने, मैं के महीने में आझादि कि मुबारक दे रहा है?"
गुलगूले,"मैडम, वह देश की आझादि की नहीं बल्कि आपकी आझादि की मुबारक है।"
चंद्रमुखी,"हमें किसने कैद करके रखा था?"
गुलगूले,"आपके गुस्से ने मैडम! आज आपने बिल्कुल गुस्सा नहीं किया।"
चंद्रमुखी, " थँक्यु!"इतना कहकर घर निकल गई।और थोड़ी देर बाद घर पहुंच गई। वहां तेजल अपने साथ तरुण को भी घर ले गई। यहां ज्वालामुखी घर आ गयी, जब उसने ज्वालामुखी को पूछा तो पता चला की, तरुण घर चला गया। फिर वह बैठकर तरुण के साथ बीते हुये पल याद करने लगी, फिर उसके मन में दुविधा हो रही थी अपनी बेटी को कैसे बताये, मगर उसे यह पता नहीं था कि इस मामले में उसकी बेटी, सब जानती है और उससे काफी आगे बढ चुकी है। उसे अब यह पता चल गया था की, उसके गुस्से का कारण बहुत सालों से उसके अंदर दबी कामवासना थी, जो तरुण के साथ हुये संभोग की वजह से शांत हुई थी। अशांत कामवासना ही गुस्से का कारण होती है, जिस वजह से उसका गुस्सा भी खत्म हो चुका था।
तरुण का घर असलियत में उनके पडोस में ही था, तरुण तेजल की तरफ अजीब नजरों से देख रहा था। तेजल को लंबे सफर से बहुत थकान आ रही थी, और उपर से मै का महीना होने की वजह से वह पसीने से लतपत हो गई थी। वह सोफे पर आकर बैठ गई, और तरुण ने पंखा चालू कर दिया, मगर पंखा भी गर्म हवा फेंक रहा था। तेजल ने अपनी गर्दन सोफे पर डालकर वहीं लेट गई।एकतर्फा लेटने की वजह से उसका पल्लू ब्लाउज से नीचे सरक गया और उसके स्तनों की गहराई दिखाने लगी थी। तब तरुण को क्या शरारत सूझी पता नहीं? उसने दरवाजा बंद कर दिया, रसोई में जाकर एक कटोरी में फ्रिज से बर्फ के टुकड़े निकाल लिये। और उन्हें बैठक में ले आया। और तेजल की चिकनी पतली कमर पर बर्फ का एक टुकड़ा रखा और घुमाने लगा। इसकी वजह से तेजल को अब गर्मी में राहत मिलने लगी, उसके मुंह से सिसकारिया निकलने लगी। अब तरुण उस टुकड़े को तेजल की कमर पर घुमाकर उसकी नाभि तक ले आया, अब तेजल को राहत का एहसास हो रहा था। लेकिन उसकी आंखें खुल गई अब वह, तरुण के द्वारा होनेवाली बर्फ मालिश का आनंद ले रही थी। उसका सारा बदन जैसे चमक रहा था।
वह बोली,"तरुण, जरा दाई तरफ और ऐसा कहकर उसने अपना पल्लू पूरी तरह से हटा दिया और पीठ के बल लेट गई । अब उसके उरोज भी गर्मी में मिलती राहत भरी ठंड की वजह से फुल रहे थे, और उसके ब्लाउज को फाड़कर बाहर
आने के लिये जैसे बेताब हो रहे थे। और इसी वजह से तरुण का लिंग भी खड़ा होकर पैंट में तम्बू बना रहा था। जब तेजल की नजर उसपर पड़ी तो, उसके काबू से बाहर होकर मन उसका उत्तेजित होने लगा था। अब वह सोफे से उठकर खड़ी हो गई और तरुण को पीठ पर करने को कहा तरुण ने दोनों हाथों में एक एक टुकड़ा लेकर एक उसकी पीठ के निचले हिस्से पर और एक उसकी पीठ उपरी हिस्से पर घुमाने लगा उसकी कमर तो खुली थी, मगर उसकी पीठ का उपरी हिस्सा जो ब्लाउज से ढका हुआ था, तरुण उसमें हाथ डालकर बर्फ घुमाने लगा जिस वजह से तेजल स्तनों पर बहुत ज्यादा दबाव महसूस कर रहा थी। उसने आगे लगे हुक खोलकर ब्लाउज उतार दिया। जब उसने ब्लाउज उतारने के लिये हाथ उपर किये तभी तरुण ने तेजी दिखाकर उसके ब्रा का हुक भी खोल दिया और उसकी ब्रा भी उतार दी अब वह तरुण के सामने उपर से नग्न थी। और तरुण ने उसके गुलाबी स्तनाग्र उपर से ही चूसने शुरू कर दिये, पहले
तरुण ने उसके दायें स्तनाग्र को चूसना शुरू किया और उसके बायें स्तन को दबाने लगा। उसकी वासना अब बढ़ने लगी थी। उसने फिर तेजल की साड़ी पूरी तरह से उतार दी। और लेहेंगे का नाडा खींच लिया, जिस वजह से वह लेहेंगा नीचे सरक गया और तेजल की गुलाबी पैंटी में ढकी योनी तरुण के सामने आ गई।अब तरुण ने तेजल पर चुम्बनों की वर्षा शुरू कर दी, अब वह स्तनाग्रों से चूमते चूमते उसके स्तनों की बीच की गहराई में चूमने लगा जिससे तेजल उसका सर अपने स्तनों पर दबाने लगी और तरुण अब उसके पेट पर चूमने लगा, और फीर वहाँ से होते हुये उसकी नाभि की और बढ़कर उसकी नाभि पर दस बारा चुम्बन दे दिये इससे चूम्बन दे दिये। उससे तेजल और ज्यादा उत्तेजित होने लगी और मुंह से,"म् म् आहा!!" करके सिसकारिया निकालने लगी।
तरुण ने अपने हाथों को तेजल की कमर पर रखे और उसकी कमर से धीरे धीरे नीचे ले जाकर तेजल की पैंटी उतार दी। अब तेजल की गुलाबी योनी तरुण के सामने थी, वह रोजाना कसरत करने की वजह से बहुत ही कसी हुई थी। अब तरुण तेजल की नाभि पर से चूमते हुये धीरे धीरे तेजल की योनी तक आया, और उसकी योनी पर एक लंबा चुम्बन दिया जीस वजह से उसके अंदर की काममुकता विस्फोट होकर बाहर आ गई।उसकी योनी से पानी बहने लगा, तरुण ने वह खट्टा और थोड़ा नमकीन पानी पी लिया और उसकी योनी पर अपनी जुबान घुमाकर आसपास लगे पानी का स्वाद लेने लगा, उसने योनी का सारा ऊपरी चाट चाट कर साफ कर दिया। अब तरुण ने अपनी जुबान तेजल की योनी में डालकर उसकी योनी के अंदर का स्वाद लेने लगा, अंदर जुबान डालते ही तेजल फिर से उत्तेजित होकर तरुण के सिर को अपनी योनी में दबाने लगी थोड़ी ही देर में वह झड़ गई और उसका सारा रस तरुण की जबान से होते हुये उसके मुंह में चला गया और वह उसे पुरा पी गया जिससे उसे फिर से फुर्ती आ गई। अब तरुण ने तेजल को वही, फर्श पर लेटा दिया,अपनी पैंट और नीकर उतार दी और उसका ४ इंच मोटा और १६ इंच लंबा लिंग तेजल के सामने आ गया वह, उसे अपने हाथ में लेकर उसपर अपनी जबान घुमाने लगी, और उसे अपने मुंह में लेने लगी। मगर वह उसे एक दो इंच से ज्यादा अंदर नहीं ले पा रही थी, तब तरुण उसका सर पकड़कर उसके मुंह में अपना लिंग डालने लगा मगर इससे तरुण को कुछ भी नहीं हुआ, मगर तेजल की सांस रुकने लगी। तरुण ने उसे छोड़ दिया, तब तेजल उससे अलग हो गई और हाँफने लगी। और फिर सांस स्थिर होने के बाद वह तरुण के लिंग को अपने स्तनों में दबाकर उपर नीचे करने लगी, थोड़ी देर बाद उसने अपनी रफ्तार बढाने लगी, उसे लगा तरुण झड़ जायेगा मगर तरुण की जगह उसका पानी निकल गया। अब वह बहुत थक चुकी थी, और उठकर बेड-रूम में चली गई।और वैसी ही नग्न अवस्था में पलंग पर जाकर लेट गई। मगर वह सो जाये उसके पहले तरुण ने अपना लिंग तेजल की योनी पर रखा और एक झटके में वह उसकी योनी में डाल दिया तेजल दर्द के मारें चीखने ही वाली थी की तरुण ने उसके मुंह में अपना मुंह डालकर उसे किस कर दिया, जिस वजह से तेजल की चीख उसके मुंह में ही दब गई,तेजल अब तक कुंवारी थी, इस वजह से उसकी योनी से खून निकलने लगा तरुण ने लिंग थोड़ा पीछे किया और एक धक्का और दिया, जिससे तेजल एक और बार चीखी मगर उसकी यह चीख वही दब गई। अब तरुण धीरे धीरे उसकी योनी में लगातार धक्के लगाकर अपना लिंग उसकी योनी की गहराई में ले जा रहा था, और जैसे जैसे वह अंदर जा रहा था वैसे वैसे तेजल का दर्द उत्तेजना के साथ बढ़ता जा रहा था। तरुण आखिरकार तेजल के गर्भाशय के अंतिम छोर तक पहुंच गया, तब तेजल इतने जोश में आ गई की उसने तरुण को लेटा दिया और खुद उसके उपर आकर उसके लिंग को अपनी योनी में लेने की कोशिश करने लगी, मगर उसकी योनी इतनी गहरी नहीं थी की तरुण के इतने बडे लिंग को अंदर ले सके, और उपर से तरुण का लिंग इतना कठोर जैसे Titanium का बना हो, वह बार बार उसके गर्भाशय में चूभ रहा था । अब तरुण बडे ही जोश में था उसने नीचे से धक्के देने शुरू कर दिये थे। तेजल बहुत कोशिश कर रही थी की, तरुण झड़ जाये, मगर तरुण भी लंबी दौड़ का घोड़ा था। उसका वीर्य पात कराने के लिये तो अरब खरब युगों का संभोग आवश्यक था। यह भी उसे ब्रह्मराक्षस के वरदान का एक हिस्सा था। अब तेजल को थकान के मारे ग्लानि आ गई और वह वही तरुण के बगल में लेट गई और सो गई। तरुण भी उसे अपनी बाहों में जकड़ कर सो गया।
वह दोनों रात को उठे उन्होंने नग्न अवस्था में, तेजल ने तरुण की जंघा पर बैठकर खाना खाया, और वापस बेड रूम में आकर एक दुसरे से चुम्बक की तरह चिपक कर सो गये।
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Kamuk219

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UPDATE 2

अगले दिन सुबह चार बजे जब तरुण की नींद खुली वह बाथरूम में चला गया और सुबह के काम निपटा कर दर्पण की मदद से उसने सारी वनस्पति प्रकट की।और फिर उसके हाथ जो हीरे जीतने मजबूत थे,उसने उससे सारी वनस्पति को मसला और उसके सार को उसने एक कटोरी में डालकर उसे ढका, और अपने हाथों से अग्नि निकालकर तपाने लगा, थोड़ी देर और ताप देने के बाद उसने जब ढक्कन हटाया। तो उसमें उसे दवाई तैयार मिली। उसने वह दवाई एक शीशी में डाल दी, वह दवाई असल में निम्न द्रव यानी किसी जेली की तरह थी। इसीलिए डालते वक्त उसे अपने हाथ खराब करने पडे। तभी उसे हलचल सुनाई दी। वह पहले ही नहा कर तैयार हो चुका था। वह सारे कपड़े बाथरूम में ही पहन लेता था। जब उसने चंद्रमुखी की आवाज सूनी, तो उसने शीशी जेब में डाल ली और जल्दबाजी में एक साफ पैंटी से अपना हाथ साफ कर लिया और जाकर दरवाजा खोला। वहां चंद्रमुखी टॉवेल लेकर खड़ी थी, वह उससे बोली ,"तुम्हारा हो गया तो, में नहा लूं?"
तरुण,"हाँ, हो गया।"
फिर थोडी देर बाद चंद्रमुखी भी नहा कर निकली। वह सिर्फ टॉवेल मे थीं। इसीलिये उसकी मांसल जाँघे बहुत आकर्षक लग रही थी, जैसे की किसी कुशल कारीगर ने बडी ही, बारीकी से तराशा हो। तरुण उसे देखता ही रह गया। फिर वर्दी पहनकर वह थाने चली गई । थाने जाकर उसने उन लड़कों की अच्छे से खातिरदारी की । यहां तरुण ने कोमल को फोन करके बुला लिया, ताकि वह उसे सच बता सके।और वह ज्वालामुखी के साथ पढाई करने लगा। थोड़ी देर बाद कोमल और राज वहाँ आ गये।
तब राज नाराज लग रहा था, जैसे वह कोई बहुत बड़ी जंग हारकर आया हो। तरुण ने पूछा ,"क्या हुआ राज? ऐसे हारे हुये क्यों लग रहे हो?" तब कोमल ने तरुण के पास आकर कान में कहा,"खड़ा करने में आधा घंटा चला गया, मगर दस मिनट में पानी छुट गया!" तरुण ने कोमल के नितम्ब पर हाथ रखा और कहा,"मेरा अभी भी सक्त है, अभी डालकर देखे?" कोमल शर्माकर वहां से चलीं गई। और टेबल पर जाकर बैठ गई। फिर तरुण ने ज्वालामुखी को कहा की वह छत पर बैडमिंटन खेलने के लिये जाली लगाये। वह छत पर जाकर तैयारी करने लगी। तब राज ने तरुण से पूछा,"तुम हमें क्या सच बताने वाले थे?" तब तरुण ने उन्हें बताया की किस मजबूरी में चंद्रमुखी ने सतीश को गिरफ्तार किया था। तब उन्होंने कहा,"हाँ, माना की हमने जो किया वह गलत था, मगर तुमने भी तो उससे न्युड डांस करवाया?"
तरुण ,"हाँ, मैंने उससे न्युड डांस करवाया मगर, उससे सिर्फ उसकी पॉवर और ईगो खत्म होता। मगर तुम दोनों ने पिल्स और ड्रग दे कर उसमें हवस भर दी, जिस वजह से उसे पुरी क्लास के लड़कों से चूदना पड़ा,जिससे उसका कँरेक्टर एक रंडी का हो गया, और अब हर लड़का उसे ऐसी ही नजर से देखेगा। वह असल में एक सेंसीटीव्ह लड़की है, ऐसी लड़कियाँ आमतौर पर सेक्स से दूर होती है। मगर उनके साथ एक बार भी किसी भी तरह सेक्स किया जाये, तो उसकी आदी हो जाती है। अब यह तो साठ से चूद चुकी है। अगर कोई भी लड़का उसे अँप्रोच करेगा तो भी वह तैयार हो जायेगी। अब वह एक फ्री का खिलौना बन गई है।
तब उन्हें उपर से ज्वालामुखी आवाज देती है। वह तीनों उपर जाते है। और खेल शुरू होता है। थोड़ी देर खेलने के बाद वह नीचे आ जाते है। कोमल और और राज वापस चले जाते है। फिर तरुण और ज्वालामुखी दोनों खाना खाकर पढ़ने बैठ जाते है। ज्वालामुखी पूछती है,"जब सारी क्लास मेरी चुदाई का मजा ले रही थी, तुम कहा थे?"
राज ने कहा,"दरवाजा अंदर से बंद था, और वैसे भी मै आता तो किसी को मौका नहीं मिलता।"
ज्वालामुखी,"कुछ भी!! इतना स्टेमिना किसी का नहीं होता।"
तरुण,"तो आजमा रही है।"
ज्वालामुखी,"अब चोदेगा मुझे?"
तरुण,"तेरी बस का नहीं है, तेरी माँ को भेज।"
ज्वालामुखी ने सीधे उसके लिंग पर लात मारी। मगर,तरुण को कुछ नहीं हुआ, उलटा ज्वालामुखी की टांग पर चोट लग गई। उसे ऐसा अहसास हुआ जैसे उसने गलती से लोहे के मोटे से डंडे पर लात मार दी थी। असल में यह उसके वरदान का भाग था उसका शरीर उरु, हीरा और व्हायब्रेनियम से भी अनंत गुना सक्त और मजबूत हो गया था। अब ज्वालामुखी को डर लग रहा था।
ज्वालामुखी,"तुम मेरी माँ के साथ इतना फ्लर्ट क्यों कर रहे थे, क्या तुम इंटरेस्टेड हो?"
तरुण,"अरे ऐसा कुछ नहीं है।असल में जब लड़की जवान होती है तब, कभी लड़कों का घुंरना, उनपर कमेंट करना, बातों बातों में तरिफ करना या लाईन मारना यह सब उन्हें उन्हें उनकी खूबसूरती का एहसास दिलाता रहता है,लेकिन इससे वह उक् जाती है।मगर, एक उम्र के बाद जब उनकी जवानी कम होने लगती है, तब यह सब भी कम होते होते खत्म हो जाता है, और जो उन्हें उस उम्र में इरीटेशन लगता है, वह इस उम्र में ज्यादा मिस करती है।इसीलिए कहते है कि, जवानी से ज्यादा पार्टनर की जरुरत अधेड़ और बुढ़ापे में होती है।"
फिर रात को चंद्रमुखी चौटाला आ जाती है। तरुण और ज्वालामुखी ने खाना पहले ही खा लिया था। और तरुण ने चंद्रमुखी के लिये खाना लगाया और वह भी उसके साथ बैठ कर बातें करने लगा। ज्वालामुखी एक नाइट पैंट और टी-शर्ट पहन लेती है। और खाना खाने बैठती है।
चंद्रमुखी,"कल तेजल सुबह की गाड़ी से आ जायेगी।"
तरुण,"मै जाकर ले आऊँगा, वैसे आप रात को सिर्फ यही कपड़े पहनती है, या आपने कभी नाइटी ट्राई नहीं की?"
चंद्रमुखी,"हाँ, जब जोश जिंदा था तब पहना करती, फर्स्ट नाइट पर दी थी। मै हर रोज रात को पहना करती थी।"
तरुण,"तो आज ट्राई करके देखें।"
चंद्रमुखी,"क्या कैसा लगेगा इस उम्र में?"
तरुण,"अच्छा लगेगा, करके तो देखिए।"
चंद्रमुखी,"कुछ भी!"
तरुण,"लगी शर्त? अगर आप अच्छी लगी तो मैं जो कहूंगा आपको करना पडेगा।"
चंद्रमुखी,"अगर मै जीती, तो मेरे सारे कपड़े तू धोयेगा।और यह बात हम ज्वालामुखी से कन्फर्म करेंगे, डन?"
तरुण,"डन।"
फिर चंद्रमुखी अंदर गई और एक नीले रंग की पतली नाइटी पहनकर बाहर आ गई।
और अपनी बेटी से पूछा,"ज्वालामुखी, मै कैसी लग रही हूं?"
ज्वालामुखी,"ओ! मम्मी! आप तो बिल्कुल सनी लिओनी और मीया खलीफा जैसी लग रही है।"
चंद्रमुखी,"सही सही बता!"
ज्वालामुखी," सच्ची मम्मी, आपकी कसम।"
वैसे तो जो ज्वालामुखी ने जो कहा वह बिल्कुल सच था। वह सचमुच कमाल लग रही थी। ४३ की उम्र होने के बावजूद वह ३० की लगती थी। उसने रोज कसरत करके खुद को फिट रखा था। उसके उरोज ३८ के थें, कमर २८ की और नितम्ब ३७ की। वह आम तौर पर वर्दी, या टी-शर्ट और नाइट - पैंट में होती थी, मगर यह नाइटी उसके सही नाप में थी, कमर में सही था मगर अब उम्र के साथ उसके उरोज भर गये थे, जिसकी वजह से वह उस नाइटी से बाहर आने को आतुर थे, जिस वजह से उनकी गहराई साफ दिखाई दे रही थी। वह हाल नितम्ब का भी था। अब तरुण रुम में चला गया, और उसके पीछे चंद्रमुखी भी आ गई। तब तरुण ने कहा ,"अपना वादा याद है ना?"
चंद्रमुखी,"हाँ! जल्दी बताओ, क्या है? मेरी हालत खराब हो रही है इस टाइट नाइटी की वजह से।"
तरुण,"हाँ उतार दीजिए, वैसे भी चुदवाते वक्त उतारनी ही पडेगी।"
चंद्रमुखी,"क्या? तुम ऐसा सोच भी कैसे सकते हो?"
तरुण,"वैसे शर्त के मुताबिक आपको जो मै कहूंगा, वही करना पडेगा, और आप जैसी मिल्फ सामने होने पर कोई भी यही चाहेगा।"
इतना कहकर तरुण ने चंद्रमुखी की कमर में हाथ डाले और जोर से जकड़ लिया।
चंद्रमुखी ने हंसते हुये कहा,"समझ नहीं आ रहा है की तुम्हें मुझे छेड़ने के लिये पिट दू, या तुम्हारी हिम्मत के लिये तुम्हें इनाम दू।"
तरुण ने पकड़ और ते की और कहा," एक गेम खेलते है, इसमें आपको मेरी झप्पी से निकल कर दिखाना होगा, अगर आप निकल गई तो केंसल, और हार गई तो आपकी चूत के साथ आपकी गांड भी मेरी होगी, और जबतक आप नहीं छुंटती मै आपको किस करता रहूँगा।"
इतना कहकर उसने चंद्रमुखी के गाल पर किस, और दूसरा किस उसके थोड़ा नीचे, और उसके नीचे एक किस, चंद्रमुखी छूटने की कोशिश कर रही थी। जैसे जैसे वक्त बितता जा रहा था। तरुण का लिंग सक्त हो रहा था। अब तरुण उसे छह किस कर चुका था और वह उतरते उतरते चंद्रमुखी के गले तक आ गया,उसने अब गले से थोड़ा उपर किस किया। और अब वह उसके गले की चढ़ाई करने लगा, वह उसके विरोध में अपना गर्दन पीछे झुका रही थी। मगर तरुण का काम आसान हो गया, उससे चंद्रमुखी के निचले जबड़े का बाहरी हिस्सा उसके सामने था। वह उसे चूमते चूमते उसकी ठुडी तक पहुंच गया और उपर उसके होठों पर एक लंबा किस किया जिस वजह से उसके होंठ खुल गये, उसने अपनी जुबान उसके मुंह में डाल दी। अब वो दोनों एक दुसरे की जीभ से खेल रहे थे। अब चंद्रमुखी का विरोध भी कम हो गया था, अब वह पूरी तरह से अपना आत्मसमर्पण तरुण के सामने कर चुकी थी। उसका बदन अजीब तरह से पसीने से भीग गया था, तब तरुण ने उसकी नाईटी उतार दी और उसे धक्का दे कर बेड पर गिरा दिया। मगर, उसके सामने जो था उसे देख वह चौंक गया, असल में यह वही पैंटी थी जिससे उसने सुबह हाथ साफ किये थे। हुआ यह था की उसके हाथ से वह दवा पैंटी पर चली गई और वह पैंटी चंद्रमुखी ने पहन ली। और दिन भर उसे शारीरिक श्रम हुये जिससे पैदा हुई गरमी की वजह से वह दवाई भाप बन धीरे धीरे उसकी योनी में चली गई। और इसकी वजह से उसकी योनी गीली हो चुकी थी।
अब तरुण ने उसकी दोनों टांगे खोल दी और एक झटके से उसकी पैंटी उतार फेंकी। और अपना लिंग उसकी योनी पर रखा और हाथों में उसके स्तन पकड़े और उसे एक जोरदार धक्का दिया और इससे तरुण का लिंग उसकी योनी में तीन इंच तक घुस गया। असलियत में चंद्रमुखी कुंवारी नहीं थी, मगर अठारह साल से उसका पति जेल में होने की वजह से उसकी योनी तंग थी। अब वह चिल्लाने ही वाली थी की, तभी तरुण ने उसके मुंह पर मुंह रख उसे किस करने लगा और उसकी चीख वही दब गई, अब उसकी योनी ने यौवन रस की धारा बहा दी। अब तरुण को पता चल गया था की, उसे खुशी हो रही है और विरोध उसकी खुशी दिखाने का तरीका है। अब तरुण ने एक और धक्का दिया और उसका आधा लिंग चंद्रमुखी की योनी में चला गया वह, उसके गर्भाशय के अंतिम छोर तक पहुंच गया था। अब चंद्रमुखी के अंदर जैसे विद्युत धारा दौड़ने लगी थी, वह अब झटके खाने लगी और अपनी योनी आगे-पीछे कर तरुण का साथ देने लगी। उसके स्तनाग्र तंग हो चुके थे, तरुण उसकी गर्म सांसे महसूस कर सकता था तरुण ने उसे अपने उपर ले लिया।और उसके स्तन पकड़कर उसे अपने लिंग पर उपर नीचे किये जा रहा था।अब वह भी उसका साथ देने लगी थी, और एक बार उसकी योनी ने धारा छोड़ दी। वह उसके उपर ही गिर गयी। मगर तरुण अब तक शांत नहीं हुआ था। उसने चंद्रमुखी को बाजू में कर दिया,और पेट पर लेटा दिया। तरुण ने तेल लाया और अपने लिंग पर लगाया और चंद्रमुखी के गुदें(anus,गांड) में भी डाला, और अपना लिंग उसके गुदे पर रखा,उसके स्तनों को हाथ में पकड़कर एक धक्का दिया, जिस वजह से उसका लिंग चंद्रमुखी की योनी को चीरते हुये अंदर चला गया। वैसे तो उसका गुद्द्वार बहुत तंग था मगर तरुण ने जोश जोश में बहुत जोर लगा दिया, जिसके लिये चंद्रमुखी अभी तैयार नहीं थी। उसकी चीख निकलने ही वाली थी चंद्रमुखी ने,अपने मुंह में तकिया दबा लिया, जिससे उसकी चीख वही दब गई। अब तरुण अपना लिंग आगे पीछे कर रहा था, ऐसा उसने लगातार दो घंटे किया, इसमें चंद्रमुखी बीस बार रस्खलित हो चुकी थी, पर तरुण का अब तक नहीं निकला था। चंद्रमुखी थक कर गहरी नींद में चली गई और तरुण भी सो गया।
अगली सुबह जब तरुण उठा तो सात बज गये थे, उसके साथ चंद्रमुखी भी जाग गई। दोनों बाथरूम में गये और साथ में शॉवर लिया। और बाहर आ गये चंद्रमुखी तैयार हो कर थाने चली गई।
तरुण ज्वालामुखी के कमरे में गया वह दरवाजा लगाना भूल गई थी। उसने एक चादर ओढ रखी थी, तरुण ने चादर थोड़ी नीचे की तो उसे ज्वालामुखी का चेहरा दिखाई दिया, उसका मन अब उसके होंठ चुमने को कर रहा था, मगर उसने अपने आप पर काबू किया और चादर नीचे की, अब उसके सामने ज्वालामुखी के स्तन थे, वह बहुत मादक लग रहे थे। अब उसने पूरी चादर निकाल दी, जिसकी वजह से वह उसके सामने पूरी तरह से नग्न अवस्था में थी। अब तरुण अपना हाथ उसकी योनी पर घुमाने लगा, इससे नींद में ही ज्वालामुखी मचलने लगी।"अम् म् म् म् आहा", करके उसके मुहं से सिसकारिया निकलने लगी। उसने आखें खोली ही थी की तरुण ने उसके होठों पर अपने होंठ रख दिये और अपनी जुबान ज्वालामुखी की जबान पर घुमाने लगा, जिससे वह और गर्म होने लगी। तरुण ने अपने होंठ उसके होंठों से अलग किये और अपनी पैंट उतारकर अपना लिंग सीधे उसकी योनी में डाल दिया। अब वह दोनों एक दुसरे को एक लय में धक्के देकर काम के रंग में रंग गये, करीब एक घंटे बाद ज्वालामुखी झड़ गई, मगर तरुण का अभी भी सक्त था। अब तरुण ने उसका उसके स्तनाग्र मसलने शुरू किये अब वह फिर से उत्तेजित होने लगी। और अब तरुण नीचे आ गया और वह उपर अब तरुण जोर जोर से अपनी उंगलियों से, उसके स्तन और स्तनाग्र मसलने लगा। और जवाब में ज्वालामुखी भी उसका साथ देने लगी, वह उसके धक्कों के साथ उछलकर उसके लिंग को अपनी योनी के अंदर ले रही थी। तरुण उसके उरोजों को दोनों हाथों से दबा रहा था। जिसकी वजह से उसकी उत्तेजना चरम पर पहुंच गई और बच्चेदानी के अंत तक, तरुण के लिंग के टकराव के कारण वह एक और बार झड़ गई। अब तरुण ने उसके स्तन दबाने तथा स्तनाग्र चूसने शुरु कर दिये जिस वजह से वह और ज्यादा उत्तेजित कर रहा हो रही थी उसके मुंह से," आ आ आहा म् म् म् " जैसी सिसकारीयां निकलने लगी अब वह एक और बार झड़ चुकी थी। ऐसा वह तीन घंटों तक करते रहे, इसमें ज्वालामुखी तीन बार झड़ चुकी थी, और अब वह थकने की वजह से सो गई। मगर तरुण अभी तक नहीं थका था और उसका लिंग भी सक्त था। उसने अपना लिंग उसकी योनी से निकाल कर उसके गुद्द्वार में डाल दिया और उसे कसकर पकड़ा और उसकी गांड मारने लगा। जिस वजह से वह दर्द से चिल्लाने लगी, मगर बहुत जल्दी ही उसकी चीख सिसकारीयों में बदलने लगी। अब वह भी मजा लेने लगी थी। और वह अगले तीन घंटों में छह बार झड़ चुकी थी, लगातार छह घंटे संभोग करने की वजह से ज्वालामुखी थक चुकी थी। और उसका मन भी भर चुका था वह मुस्कराकर तरुण को देखने लगी।
तरुण ने पूछा,"क्या हुआ, क्यों मुस्करा रही हो?"
ज्वालामुखी प्यार से बोली,"आज पहली बार इतना एंजॉय किया, इससे पहले कभी इतना स्याटीस्फाइड नहीं हुई, और इतना चोदने के बाद भी तुम सक्त हो, तुम्हारी बीबी हमेशा खुश रहेगी।"
तरुण ने उसके स्तनों को दबाते हुये कहा,"वैसे तुम्हारी मम्मी का भी यही कहना है।"
ज्वालामुखी गुस्से से,"कमीने! तूने तो मेरी मम्मी के साथ...नामुमकिन! वैसे वह किसी मर्द को अपने आसपास आने भी नहीं और तेरे साथ,कैसे ?"
तरुण ने उसके स्तन को और जोर से दबाते हुये,"जब उसे पता चला की मेरी पकड़ से छुटकारा उसके लिये मुमकिन नहीं,तब..."
उसकी बात को काटते हुये,"मतलब मेरी मम्मी के साथ तुमने जबर्दस्ती की?"
तरुण,"नहीं यह सब उनकी मर्जी से हुआ असलियत में उन्हें इसी तरह के सेक्स की जरूरत थी, उन्हें फोर्सड पसंद है।"
तभी दरवाजे की घंटी बजती है।
ज्वालामुखी,"इस वक्त कौन है?"
तरुण," तुम बाथरूम जाओ, मै देखता हूं।"
ज्वालामुखी बाथरूम चली गई और तरुण ने अपना लिंग सही करके पैंट पहन ली, और जाकर दरवाजा खोला वहां तेजल थी। वह दरवाजा खोलने के लिये देर होने की वजह से वह दरवाजे का सहारा ले कर खड़ी थी। जैसे ही तरुण ने दरवाजा खोला उसका संतुलन चला गया और वह नीचे गिरने लगी, तभी तरुण ने उसका दायां हाथ पकड़ लिया और उसे गिरने से बचाया मगर उसकी साड़ी का पल्लू सरक के नीचे गिर पड़ा। तरुण ने कभी तेजल को ऐसे नहीं देखा था, और अब उसके वीर्य पात ना होने की वजह से उसे अभी भी कुछ चाहिए था। जैसे ही तेजल पल्लू उठाने के लिये नीचे झुकने लगी, तरुण ने उसकी कमर में हाथ डालकर उसे पकड़ लिया और ब्लाउज के उपर से ही उसके स्तन दबाने लगा। और तेजल तरुण के लिंग को उसके पैंट के अंदर से ही अपने नीतम्ब पर महसूस कर सकती थी। अब वह अपनी साड़ी के साथ साथ अपनी शर्म और हयात का परदा गिरा चुकी थी, वह अब उसका बिलकुल भी विरोध नहीं कर रही थी। तरुण ने उसे जैसे ही उसकी पीठ पर चूमा, उसके शरीर में जैसे तेजी से बिजली की तेज धारा बह गई। वह एकदम झटके खाने लगी। तरुण अब उसे चूमते हुये नीचे आ रहा था अब वह उसकी कमर तक पहुंच चुका था। अब वह अपने मुंह से सिसकारिया निकाल रही थी। अब वह ना तो विरोध कर रही थी, ना ही साथ दे रही थी, वह सिर्फ निष्क्रिय हो कर उसकी काम वर्षा का आनंद ले रही थी, और काम वर्षा में वह भीगे जा रही थी, अब उसके अंदर भी वासना की ज्वाला उबलने लगी थी। तभी,
ज्वालामुखी ने आवाज दी,"आँटी!!",
तेजल सचेत हो गई और उसने अपना पल्लू ठीक कर लिया, और कुछ क्षणों के लिये शर्माकर तरुण को देखा और कहा," ज्वालामुखी, तुम्हारी मम्मी कहा है?"
ज्वालामुखी, "वह तो थाने गई है आँटी,कुछ काम था क्या ?"
इधर थाने में MLA आ गया था, साथ में वकील भी था।
MLA,"मैडम, हमारे छोरे से गलती हो गई है, और इतना क्यों मारा, अगर आपका छोरा होता तो?"
चंद्रमुखी, "इससे ज्यादा सुतती।"
MLA,"मैडम वैसे तो हम भी इसे सुधारना चाहते है, पर बिन माँ के बच्चे तो खराब हो ही जाते है।"
चंद्रमुखी,"हमारी एक छोटी बेटी है, अगर हमें इसकी माँ बना दो तो..."
लड़का,"नहीं! नहीं! पापा, हम कभी भी किसी भी लड़की के तरफ देखेंगे भी नहीं, पर आप ऐसा मत करें प्लीज!"
MLA,मुस्कराते हुये "वैसे, हम भी सोच रहे थे की अब इतने साल रंडवा बनकर जी लिये, और पुलिस वाली साथ रहेगी, तो हमरी सुरक्षा के लिये भी अच्छा होगा।"
लड़का,"नहीं! बापू नहीं! हम अभी ऐसा कुछ नहीं करेंगे!"
MLA,"अच्छा होगा तुमरे लिये,वर्ना मैडम को तुमरी अम्मा बना देंगे।"
इतना कहकर MLA अपने बेटे के साथ उसकी बेल कराने के बाद वहाँ से चले गये।
MLA तो अपने बेटे को ले कर चला गया मगर उसके दो दोस्त, चंदू और संजू वही लॉकप में थें, चंद्रमुखी वहाँ गई।
उसे देखकर उन दोनों की तो हालत ही खराब हो गई, वह उठकर खड़े हो गये उसने उन्हें कहा,"अरे, डरो मत नहीं मारूंगी, बैठ जाओ।"
दोनों,"पक्का?"
चंद्रमुखी,"हां, पक्का!"
वह दोनो नीचे बैठ गये और चंद्रमुखी ने उनसे पूछा ,"तुम्हारे अम्मा-बाबुजी के करते हे?"
चंदू,"सब्जी बेचते हे।"
संजू ,"दिहाड़ी मजदूर है।"
चंद्रमुखी ,"और तुम यह सब, तुम्हें शरम ना आती? देखो बच्चों उस छोरे का बाप नेता है, वह कुछ ना कर पाया तो नेता जरुर बनेगा, मगर तुम दोनों को कुछ हुआ तो तुम्हारे माता पिता का के होगा सोचा है? "
अब दोनों भावुक हो जाते है।
चंद्रमुखी,"तुम पढाई पर ध्यान दो, IAS-IPS बनो तो जिन लड़कियों को तुम देखने के लिये दिन भर तडपते रहते हो, वही तुम्हारे पिछे पागल हो जायेगी।"
फिर उन्हें चंद्रमुखी ने जाने दिया, और फिर वह लड़कियाँ वापस आई, और बोली," मैडम आपने उन लड़कों को क्यों छोडा?"
चंद्रमुखी ,"अंदर कर देती तो रेपीस्ट बनकर बाहर आते, और ऐसे ही नहीं छोड़ा, पुरी खातिरदारी करके छोड़ा है। अब अगर फिर से तुम्हें तंग किया तो उन्हें अंदर कर दूंगी।"
लड़कियाँ,"थँक्यु मैडम!" कहकर चली गई और उसने सारा दिन ना किसी पर गुस्सा किया ना हाथ उठाया।
शाम को हवलदार गुलगूले आया और मिठाई देकर बोला,"मैडम, आझादि मुबारक हो !"
चंद्रमुखी,"कौनसा कैलेंडर लगा रखा है तूने, मैं के महीने में आझादि कि मुबारक दे रहा है?"
गुलगूले,"मैडम, वह देश की आझादि की नहीं बल्कि आपकी आझादि की मुबारक है।"
चंद्रमुखी,"हमें किसने कैद करके रखा था?"
गुलगूले,"आपके गुस्से ने मैडम! आज आपने बिल्कुल गुस्सा नहीं किया।"
चंद्रमुखी, " थँक्यु!"इतना कहकर घर निकल गई।और थोड़ी देर बाद घर पहुंच गई। वहां तेजल अपने साथ तरुण को भी घर ले गई। यहां ज्वालामुखी घर आ गयी, जब उसने ज्वालामुखी को पूछा तो पता चला की, तरुण घर चला गया। फिर वह बैठकर तरुण के साथ बीते हुये पल याद करने लगी, फिर उसके मन में दुविधा हो रही थी अपनी बेटी को कैसे बताये, मगर उसे यह पता नहीं था कि इस मामले में उसकी बेटी, सब जानती है और उससे काफी आगे बढ चुकी है। उसे अब यह पता चल गया था की, उसके गुस्से का कारण बहुत सालों से उसके अंदर दबी कामवासना थी, जो तरुण के साथ हुये संभोग की वजह से शांत हुई थी। अशांत कामवासना ही गुस्से का कारण होती है, जिस वजह से उसका गुस्सा भी खत्म हो चुका था।
तरुण का घर असलियत में उनके पडोस में ही था, तरुण तेजल की तरफ अजीब नजरों से देख रहा था। तेजल को लंबे सफर से बहुत थकान आ रही थी, और उपर से मै का महीना होने की वजह से वह पसीने से लतपत हो गई थी। वह सोफे पर आकर बैठ गई, और तरुण ने पंखा चालू कर दिया, मगर पंखा भी गर्म हवा फेंक रहा था। तेजल ने अपनी गर्दन सोफे पर डालकर वहीं लेट गई।एकतर्फा लेटने की वजह से उसका पल्लू ब्लाउज से नीचे सरक गया और उसके स्तनों की गहराई दिखाने लगी थी। तब तरुण को क्या शरारत सूझी पता नहीं? उसने दरवाजा बंद कर दिया, रसोई में जाकर एक कटोरी में फ्रिज से बर्फ के टुकड़े निकाल लिये। और उन्हें बैठक में ले आया। और तेजल की चिकनी पतली कमर पर बर्फ का एक टुकड़ा रखा और घुमाने लगा। इसकी वजह से तेजल को अब गर्मी में राहत मिलने लगी, उसके मुंह से सिसकारिया निकलने लगी। अब तरुण उस टुकड़े को तेजल की कमर पर घुमाकर उसकी नाभि तक ले आया, अब तेजल को राहत का एहसास हो रहा था। लेकिन उसकी आंखें खुल गई अब वह, तरुण के द्वारा होनेवाली बर्फ मालिश का आनंद ले रही थी। उसका सारा बदन जैसे चमक रहा था।
वह बोली,"तरुण, जरा दाई तरफ और ऐसा कहकर उसने अपना पल्लू पूरी तरह से हटा दिया और पीठ के बल लेट गई । अब उसके उरोज भी गर्मी में मिलती राहत भरी ठंड की वजह से फुल रहे थे, और उसके ब्लाउज को फाड़कर बाहर
आने के लिये जैसे बेताब हो रहे थे। और इसी वजह से तरुण का लिंग भी खड़ा होकर पैंट में तम्बू बना रहा था। जब तेजल की नजर उसपर पड़ी तो, उसके काबू से बाहर होकर मन उसका उत्तेजित होने लगा था। अब वह सोफे से उठकर खड़ी हो गई और तरुण को पीठ पर करने को कहा तरुण ने दोनों हाथों में एक एक टुकड़ा लेकर एक उसकी पीठ के निचले हिस्से पर और एक उसकी पीठ उपरी हिस्से पर घुमाने लगा उसकी कमर तो खुली थी, मगर उसकी पीठ का उपरी हिस्सा जो ब्लाउज से ढका हुआ था, तरुण उसमें हाथ डालकर बर्फ घुमाने लगा जिस वजह से तेजल स्तनों पर बहुत ज्यादा दबाव महसूस कर रहा थी। उसने आगे लगे हुक खोलकर ब्लाउज उतार दिया। जब उसने ब्लाउज उतारने के लिये हाथ उपर किये तभी तरुण ने तेजी दिखाकर उसके ब्रा का हुक भी खोल दिया और उसकी ब्रा भी उतार दी अब वह तरुण के सामने उपर से नग्न थी। और तरुण ने उसके गुलाबी स्तनाग्र उपर से ही चूसने शुरू कर दिये, पहले
तरुण ने उसके दायें स्तनाग्र को चूसना शुरू किया और उसके बायें स्तन को दबाने लगा। उसकी वासना अब बढ़ने लगी थी। उसने फिर तेजल की साड़ी पूरी तरह से उतार दी। और लेहेंगे का नाडा खींच लिया, जिस वजह से वह लेहेंगा नीचे सरक गया और तेजल की गुलाबी पैंटी में ढकी योनी तरुण के सामने आ गई।अब तरुण ने तेजल पर चुम्बनों की वर्षा शुरू कर दी, अब वह स्तनाग्रों से चूमते चूमते उसके स्तनों की बीच की गहराई में चूमने लगा जिससे तेजल उसका सर अपने स्तनों पर दबाने लगी और तरुण अब उसके पेट पर चूमने लगा, और फीर वहाँ से होते हुये उसकी नाभि की और बढ़कर उसकी नाभि पर दस बारा चुम्बन दे दिये इससे चूम्बन दे दिये। उससे तेजल और ज्यादा उत्तेजित होने लगी और मुंह से,"म् म् आहा!!" करके सिसकारिया निकालने लगी।
तरुण ने अपने हाथों को तेजल की कमर पर रखे और उसकी कमर से धीरे धीरे नीचे ले जाकर तेजल की पैंटी उतार दी। अब तेजल की गुलाबी योनी तरुण के सामने थी, वह रोजाना कसरत करने की वजह से बहुत ही कसी हुई थी। अब तरुण तेजल की नाभि पर से चूमते हुये धीरे धीरे तेजल की योनी तक आया, और उसकी योनी पर एक लंबा चुम्बन दिया जीस वजह से उसके अंदर की काममुकता विस्फोट होकर बाहर आ गई।उसकी योनी से पानी बहने लगा, तरुण ने वह खट्टा और थोड़ा नमकीन पानी पी लिया और उसकी योनी पर अपनी जुबान घुमाकर आसपास लगे पानी का स्वाद लेने लगा, उसने योनी का सारा ऊपरी चाट चाट कर साफ कर दिया। अब तरुण ने अपनी जुबान तेजल की योनी में डालकर उसकी योनी के अंदर का स्वाद लेने लगा, अंदर जुबान डालते ही तेजल फिर से उत्तेजित होकर तरुण के सिर को अपनी योनी में दबाने लगी थोड़ी ही देर में वह झड़ गई और उसका सारा रस तरुण की जबान से होते हुये उसके मुंह में चला गया और वह उसे पुरा पी गया जिससे उसे फिर से फुर्ती आ गई। अब तरुण ने तेजल को वही, फर्श पर लेटा दिया,अपनी पैंट और नीकर उतार दी और उसका ४ इंच मोटा और १६ इंच लंबा लिंग तेजल के सामने आ गया वह, उसे अपने हाथ में लेकर उसपर अपनी जबान घुमाने लगी, और उसे अपने मुंह में लेने लगी। मगर वह उसे एक दो इंच से ज्यादा अंदर नहीं ले पा रही थी, तब तरुण उसका सर पकड़कर उसके मुंह में अपना लिंग डालने लगा मगर इससे तरुण को कुछ भी नहीं हुआ, मगर तेजल की सांस रुकने लगी। तरुण ने उसे छोड़ दिया, तब तेजल उससे अलग हो गई और हाँफने लगी। और फिर सांस स्थिर होने के बाद वह तरुण के लिंग को अपने स्तनों में दबाकर उपर नीचे करने लगी, थोड़ी देर बाद उसने अपनी रफ्तार बढाने लगी, उसे लगा तरुण झड़ जायेगा मगर तरुण की जगह उसका पानी निकल गया। अब वह बहुत थक चुकी थी, और उठकर बेड-रूम में चली गई।और वैसी ही नग्न अवस्था में पलंग पर जाकर लेट गई। मगर वह सो जाये उसके पहले तरुण ने अपना लिंग तेजल की योनी पर रखा और एक झटके में वह उसकी योनी में डाल दिया तेजल दर्द के मारें चीखने ही वाली थी की तरुण ने उसके मुंह में अपना मुंह डालकर उसे किस कर दिया, जिस वजह से तेजल की चीख उसके मुंह में ही दब गई,तेजल अब तक कुंवारी थी, इस वजह से उसकी योनी से खून निकलने लगा तरुण ने लिंग थोड़ा पीछे किया और एक धक्का और दिया, जिससे तेजल एक और बार चीखी मगर उसकी यह चीख वही दब गई। अब तरुण धीरे धीरे उसकी योनी में लगातार धक्के लगाकर अपना लिंग उसकी योनी की गहराई में ले जा रहा था, और जैसे जैसे वह अंदर जा रहा था वैसे वैसे तेजल का दर्द उत्तेजना के साथ बढ़ता जा रहा था। तरुण आखिरकार तेजल के गर्भाशय के अंतिम छोर तक पहुंच गया, तब तेजल इतने जोश में आ गई की उसने तरुण को लेटा दिया और खुद उसके उपर आकर उसके लिंग को अपनी योनी में लेने की कोशिश करने लगी, मगर उसकी योनी इतनी गहरी नहीं थी की तरुण के इतने बडे लिंग को अंदर ले सके, और उपर से तरुण का लिंग इतना कठोर जैसे Titanium का बना हो, वह बार बार उसके गर्भाशय में चूभ रहा था । अब तरुण बडे ही जोश में था उसने नीचे से धक्के देने शुरू कर दिये थे। तेजल बहुत कोशिश कर रही थी की, तरुण झड़ जाये, मगर तरुण भी लंबी दौड़ का घोड़ा था। उसका वीर्य पात कराने के लिये तो अरब खरब युगों का संभोग आवश्यक था। यह भी उसे ब्रह्मराक्षस के वरदान का एक हिस्सा था। अब तेजल को थकान के मारे ग्लानि आ गई और वह वही तरुण के बगल में लेट गई और सो गई। तरुण भी उसे अपनी बाहों में जकड़ कर सो गया।
वह दोनों रात को उठे उन्होंने नग्न अवस्था में, तेजल ने तरुण की जंघा पर बैठकर खाना खाया, और वापस बेड रूम में आकर एक दुसरे से चुम्बक की तरह चिपक कर सो गये।
second update is complete now
 
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