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Incest बैलगाड़ी,,,,,

Ek number

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B
काम क्रीडा का अद्भुत खेल मां बेटे और गुलाबी तीनों मिलकर खेल चुके थे इस खेल से तीनों को इतना अदभुत सुख प्राप्त हुआ था कि तीनों अपने मुंह से बयां नहीं कर सकते थे,,,,, राजू के तो भाग्य खुल गए थे घर में ही एक साथ दो दो बुर में अपना लंड डालकर वह पूरी तरह से तृप्त हो चुका था वह कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि वह अपने घर में अपने घर की औरतों की एक साथ चुदाई करेगा और वह भी अपनी मां और अपनी बुआ की वैसे तो अपने घर की वह तीन औरतों की चुदाई कर चुका था ,,, अपनी मां अपनी बड़ी बहन और बुआ तीनों की जमकर चुदाई कर चुका था लेकिन एक साथ दो दो बुर का जो मजा उसे मिला था वह अब तक का सबसे अद्भुत सुख था,,,,,,


घर के आंगन में दो दो जवान नंगी औरत जिस पर चुदाई का सुख प्राप्त करने की होड़ लगी हो ऐसे में दो औरतों की प्यास केवल राजू ही बुझा सकता था राजू को अपने लंड पर पूरी तरह से विश्वास और गर्व भी था,,,, वह बारी बारी से अपने लंड की मर्दाना ताकत दिखाते हुए,,, अपनी मां और अपनी बुआ की बुर में अपना लंड डालकर उन दोनों की गर्मी शांत करके उन दोनों को झाड़ चुका था,,,, तीनों पूरी तरह से मस्त हो चुके थे,,,,

शाम को भोजन बनाते समय दोपहर में हुए अद्भुत खेल का वर्णन करते हुए मधु अपनी ननद से बोली,,,

हाय दैया में तो कभी सोच ही नहीं थी कि मेरे बेटे में इतना ज्यादा दम होगा कि वह एक साथ दो दो औरतों की चुदाई करेगा,,,,


मुझे तो पूरा विश्वास था भाभी क्योंकि तुम्हारा तो पहली बार था लेकिन मेरा यह दूसरी बार था पहली बार मैं तुम्हें बताई थी ना,,,, राजू की बड़ी बहन,,,

हां हां,,,,,(कुछ याद करते हुए)

उसके साथ मिलकर राजू ने हम दोनों को जमकर चोदा था उस दिन ही मैं समझ गई थी कि राजू में सांड की ताकत है,,,, लेकिन भाभी सब कुछ तो ठीक है लेकिन तुम्हारी जवानी पर काबू पाना सबकी बस की बात नहीं है राजू बड़े आराम से तुम्हारी प्यास बुझा देता है यही बहुत बड़ी बात है,,,,,,,



क्यों ऐसा क्या खास है मुझमें की मेरी प्यास कोई नहीं बुझा सकता,,,,(मधु रोटिया पकाते हुए इतराते हुए बोली,,)

भाभी कभी अपने आपको आईने में देखें आस-पास के गांव में घूम कर देखिए तुम्हारी जैसी खूबसूरत और जवानी से भरी हुई गदराई औरत कोई और है,,,, तुम्हारी बुर की मोटी मोटी फांके,,,, क्या और कोई मर्द है जो तुम्हारी बुर में लंड डालकर तुम्हारी बुर की प्यास बुझा सकता है भैया का तो देख ही चुकी हो अगर भैया से तुम्हें पूरी तरह से संतुष्टि मिलती तो तुम अपने बेटे की तरफ रुख ना करती यह बात तुम भी अच्छी तरह से जानती होगी तुम्हारे बेटे का लंड भैया से कहीं ज्यादा मोटा और लंबा है तभी तो तुम उसके सामने अपनी दोनों टांगे फैला देती हो,,,,,
(अपनी ननद की बात सुनकर मधु शर्म से लाल हुई जा रही थी,,,, और गुलाबी अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोली,,,) देखी नहीं मुझसे ज्यादा तुम अपनी गांड पटक रही थी,,,, सच में पानी तुम कपड़े उतार कर जब नंगी होती हो ना तो कसम से कहती हूं स्वर्ग से उतरी अप्सरा लगती हो तुम्हारे नंगे बदन को देख कर गांव में ऐसा कोई मर्द नहीं होगा जिसका खड़ा ना हो जाए और जिसका लंड तुरंत पानी ना फेंक दे वह तो राजू है कि हम दोनों की जवानी पर बराबर काबू पाए हुए हैं हम दोनों का पानी निकालने के बाद ही अपना पानी निकलता है,,,, देखी नहीं भाभी राजू कैसे तुम्हें अपनी गोद में लेकर चोद रहा था और वह भी एक जगह पर नहीं पूरे घर में इधर-उधर घूम घूम कर इसी से उसकी ताकत का अंदाजा लगा सकते हो तुम्हारा शरीर भी भारी-भरकम है लेकिन राजू पूरी तरह से जवान मर्द है,,,,


चल अब रहने दे इतनी तारीफ करने को तेरी बातों से मेरी बुर फिर गीली हो रही है,,,

क्या हुआ भाभी कहां दूर जाना है कहो तो राजू को आवाज देकर बुला लो यही रसोई घर में ही तुम्हारी साड़ी उठाकर चोद देगा,,,,,


नहीं नहीं रहने दे,,,,,


भाभी यही सब समझती हो तो यह घर छोड़कर जाने का मन बिल्कुल भी नहीं करता राजू से इतना मजा मिलता है कि अब मुझे किसी दूसरे मर्द की जरूरत ही नहीं है,,,


अरे पागल है क्या तुझे मां भी राजू के बच्चे की बनना है क्या,,?

तो क्या हुआ भाभी राजू में अपनी बड़ी बहन को चोद कर उसे गर्भवती कर दिया है दुनिया की नजर में राजू उसके बच्चे का मामा होगा लेकिन मैं जानती हूं कि राजू भाई उसका बाप है तो सोचो कितना मजा आएगा जब मुझे चोद चोद कर राजू गर्भवती कर देगा,,,,


अरे बुद्धू तब तो सबको पता चल जाएगा कि तेरे पेट में किसी का पाप है क्योंकि तेरी शादी नहीं हुई है ना अगर शादी हुई होती तो सबको यही लगता है कि तेरे पेट में तेरे पति का ही बच्चा है तब किसी को पता भी नहीं चलता कि तेरे पेट में जो बच्चा है वह तेरे भतीजे का ही है समझी,,,,,

ओहहह भाभी यह तो मैं भूल ही गई,,, लेकिन सच कह रही हूं शादी पहले किसी से भी करूंगी लेकिन मां तो मैं राजू के लंड से ही बनुंगी,,,,

चल अब तब की तब देखेंगे अभी खाना बनाने में मेरी मदद कर अभी तेरे भैया आ जाएंगे,,,,


भाभी भैया को जरा भी एहसास नहीं होता है कि तुम्हारी बुर पहले से ज्यादा ढीली हो गई है,,,, क्योंकि पहले तो भैया के लंड का ही सोचा तुम्हारी बुर में बना हुआ था लेकिन अब तो राजू का मोटा लंबा लो तो तुम्हारी बुर में जा जाकर तुम्हारी बुर को और फैला दिया होगा,,,,

चल तू मेरी छोड़ अपना ध्यान रखना कहीं सुहाग रात को ही तेरे पति को पता ना चल जाए कि तू मायके में मरवा मरवा कर‌ आई है,,,,

बिल्कुल भी पता नहीं चलेगा भाभी जैसे ही वह अपना लंड मेरी बुर में डालेगा मैं जोर जोर से चिल्लाने लगी उसे ऐसा ही लगेगा कि पहली बार है,,,,

अरे हरामजादी कहां से सीखी तु यह सब,,,(अपनी ननद की बात सुनकर मधु अपने होठों पर आई मुस्कान को रोक नहीं पाई और हंसते हुए चिमटा उठा ली उसे मारने के लिए और गुलाबी भी जोर जोर से हंसने लगी,,,,)

कुछ दिन ऐसे ही गुजर गए राजू मौका मिलते ही जब घर में कोई नहीं होता था तो अपनी बुआ के साथ मिलकर वह अपनी मां को चोद कर मज़ा लेने लगा था मधु‌ और गुलाबी दोनों को भी इस खेल में बहुत मजा आने लगा था,,,,
ऐसे ही दिन दोपहर का समय था और राजू गोदाम का हिसाब किताब देने के लिए लाला की हवेली की ओर चल दिया राजू का रुतबा इतना बढ़ गया था कि अब उसे दरबान की हवेली में आने जाने से रोकता नहीं था इसलिए वह अपने जीजा हवेली में प्रवेश कर गया,,,,, हवेली में अंदर प्रवेश करके वह लाला को आवाज करने लगा लेकिन कोई प्रतिक्रिया अंदर से आ नहीं रही थी,,,, तो राजू सीढ़ियों से चढ़कर ऊपर की तरफ जाने लगा,,,,, वह अच्छी तरह से जानता था कि अगर लाला नहीं तो लाला की बहन जरूर मिलेगी इसी बहाने वाला की बहन से मिल भी लेगा और उसे हिसाब किताब भी दे देगा,,,,

लेकिन कहीं भी किसी का अता पता नहीं चल रहा था,,,,,, लेकिन ऊपर के कमरे में बने गुसलखाने में से पानी गिरने की आवाज आ रही थी तो उस दिशा में जाने लगा,,,, अब उसे हवेली में किसी भी प्रकार का डर नहीं लगता था वह जब चाहे तब आ जा सकता था क्योंकि वैसे भी लाला के सबसे गहरे राज का वह राजदार जो बन चुका था और इसी के चलते वह लाला का बेहद वफादार भी बन चुका था इसीलिए लाला उसे हवेली में आने जाने से रोकने पर किसी भी प्रकार की पाबंदी नहीं लगाया था,,,,, इसलिए‌ बेझिझक राजू गुसल खाने की तरफ जाने लगा यह जानते हुए भी कि गुसल खाने में केवल लाला की बहन ही नहाती थी फिर भी वह बेफिक्र होकर उस दिशा में आगे बढ़ गया,,,,,।

कुछ कदम जाने पर ही गुसलखाना नजर आने लगा और कुशल खाने में जो नजारा उसकी आंखों के सामने नजर आया उसे देखकर उसके पैजामा में हलचल मचने लगी,,,, गुसल खाने में दरवाजा भी था लेकिन दरवाजा बंद नहीं था पर्दा भी था लेकिन पर्दा भी एक तरफ सरकाया हुआ था गुसल खाने का पूरा नजारा एकदम साफ दिख रहा था और गुसल खाने में लाला की बहन सोनी पूरी तरह से नग्न अवस्था में स्नान करने का आनंद लूट रही थी,,, वह इस बात को अच्छी तरह से जानती थी कि उसके कमरे में या गुसल खाने में किसी और के आने की हिम्मत बिल्कुल भी नहीं थी और वैसे भी हवेली में उसके बड़े भाई के सिवा और कोई रहता नहीं था और उसका बड़ा भाई जब चाहे तब उसके कमरे में आ जा सकता था क्योंकि दोनों के बीच अनैतिक रिश्ता जो‌ था,,,।

लाला की बहन बेलगाम गदराई जवानी की मालकिन थी,,, जिसके नंगे बदन को देखकर राजू की आंखों में वासना की चमक नजर आने लगी वह फटी आंखों से लाला की बहन की मदमस्त जवानी को देख रहा था और उसके रस को अपनी आंखों से ही पी रहा था,,,,, वैसे तो लाला की बहन की मदमस्त जवानी से वह जी भर कर खेल चुका था लेकिन औरत औरत होती है हर दिन हर पल हर एक बार एक नया रूप सामने आता है उसका हर एक अंग अजीब सी मादकता लिए हुए मर्दों को अपनी तरफ आकर्षित करता है,,,,, और इस समय राजू के साथ भी यही हो रहा था लाला की बहन की जवानी का वह जी भर के आनंद ले चुका था लेकिन इस समय वह लाला की बहन को संपूर्ण रुप से नग्न अवस्था में नहाते हुए देखकर उत्तेजित हो गया था और वह भी लाला की बहन खड़ी होकर नहा रही थी लेकिन पानी लेने के लिए नीचे झुककर लोटे में पानी उठाकर अपने ऊपर डाल रही थी जिसकी वजह से बार-बार उसकी गदराई उभारदार बड़ी बड़ी गांड बाहर को निकाला रही थी जिसे देखकर राजू का लंड बिल बिला गया था,,,, सोनी को इस बात का अहसास तक नहीं था कि उसके ठीक पीछे राजू आकर खड़ा हो गया और उसके नंगे बदन को देख रहा है वैसे भी यह बात जानते हुए भी सोनी को इस बात से कोई फर्क पड़ने वाला नहीं था क्योंकि कई बार सोनी अपने हाथों से अपने कपड़े उतारकर राजू के सामने नंगी हो चुकी है,,,,, इसलिए राजू से किसी भी प्रकार का परदा करना उसके लिए जरूरी नहीं था,,,।

ज्यादा देर तक जवानी की रानी की नंगी जवानी देखकर राजू से सब्र कर पाना मुश्किल था,,,, इसलिए बात खाता बही की किताब को एक तरफ रख कर धीरे से आगे बढ़ा और गुसल खाने में प्रवेश करके जोर से चपत सोनी की गांड पर लगाया अपनी गांड पर लगे जबरदस्त चपत के प्रहार से सोनी एकदम से चौक गई और पीछे मुड़कर घबराकर देखने लगी लेकिन पल भर के लिए तो उसे कुछ पता ही नहीं चला लेकिन जैसे ही उसे इस बात का अहसास हुआ कि उसकी गांड पर चपत लगाने वाला कोई और नहीं बल्कि राजू है तो उसकी जान में जान आई लेकिन वह फिर भी एकदम से घबरा गई थी और बोली,,,)

बाप रे तू तो मुझे एकदम से डरा ही दिया,,,,

डर गई क्या मेरी जान,,,(सोनी की गांड को धीरे-धीरे सहलाते हुए,,,)

अरे अब मुझे क्या पता कि तू आ जाएगा,,,, लेकिन बहुत दिनों बाद तुझे मेरी याद आई,,,


अब क्या करूं मेरी रानी,,,(चूची पर एक हाथ रखते हुए) तुम्हारे भैया ने काम ही इतना दे दिए हैं कि फुर्सत ही नहीं मिलती,,,,

कैसे इंसान हो लोग औरतों से सुख पाने के लिए ना जाने कहां से कहां पहुंच जाते हैं और तुम हो कि हवेली का रास्ता नहीं तय कर पा रहे थे,,,,


मेरी रानी तय करने को तो मैं बहुत कुछ कर सकता हूं लेकिन तुम्हारी इज्जत को दाग न लग जाए इसका में बहुत ख्याल रखता हूं वरना मैं तुम्हारे साथ तुम्हारे कमरे में दिन रात पडा रहूं फिर भी लाला कुछ बोल नहीं सकते,,,,

(राजू की हरकत से सोनी गर्म हो रही थी क्योंकि वह एक हाथ से उसकी चूची दबा रहा था और दूसरे हाथ से उसकी बड़ी-बड़ी गांड को सहला रहा था,,, लेकिन फिर भी वह बोली)

वैसे आज किस लिए आना हुआ,,,

हिसाब किताब बताना था इसलिए चला आया सोचा किसी बहाने तुमसे मुलाकात भी हो जाएगी लेकिन इस तरह से मुलाकात होगी मैं कभी सोचा नहीं था,,,,


क्यों क्या खराबी है इस तरह से मुलाकात करने में,,,,(अपनी जवानी को निहारते हुए सोनी बोली)

तुम्हारे लिए तो कुछ भी खराबी नहीं है लेकिन तुम्हें इस हाल में देखने वाले के लिए खराबी हो जाएगी उनकी नियत खराब हो जाएगी समझ गई,,,, और अगर तुम्हें देखकर किसी की नियत खराब हो गई तो जानती हो ना क्या होगा,,,

क्या हुआ कुछ भी नहीं होगा,,,(मुस्कुराते हुए सोनी बोली तो राजू बोला)

अच्छा कुछ भी नहीं होगा मैं बताऊं क्या होगा,,,,

बताओ,,,(सोने का इतना कहना था कि राजू तुरंत आगे बढ़ा और सोनी को अपनी गोद में उठा लिया सोनी पूरी तरह से नंगी थी गुसल खाने में अपने कपड़े उतार चुकी थी नहाने का सुख भोग रही थी और ऐसे में राजू से अपनी गोद में उठाकर गुसल खाने से बाहर निकलने लगा लेकिन सोनी राजू की हरकत से बिल्कुल भी विचलित नहीं हुई क्योंकि वह जानती थी कि राजू अब क्या करने वाला है इसलिए वह राजू की गोद में मुस्कुरा रही थी राजू उसी तरह से गोद में उठाए हुए हैं उसे उसके कमरे में ले जाने लगा राजू जानता था कि उसका कमरा कौन सा है और कमरे में जाते हैं उसे नरम नरम गद्दे पर उठाकर पटक दिया और फिर देखते ही देखते अपने सारे कपड़े उतार कर भाभी एकदम नंगा हो गया बहुत दिनों बाद सोनी राजू के लंड के दर्शन कर रही थी इसलिए वह पूरी तरह से मस्त हो गई वह तुरंत आगे बढ़कर राजू के लंड को अपने हाथ से पकड़ कर उसे मुंह में लेकर चूसना शुरू कर दी,,,,,,, सोनी का मुंह राजू का लंड अंदर लेते ही पूरी तरह से खुल जाता था जो कि लाला का लेने में बिल्कुल भी नहीं खुलता था वह बड़े आराम से लाला के लंड को मुंह में लेकर चूस लेती थी लेकिन राजू का लंड कुछ ज्यादा ही मोटा और लंबा था जिसे चूसने में उसे काफी मशक्कत करनी पड़ती थी लेकिन मजा भी बहुत आता था,,,,, अपने घुटनों के बल बैठ कर आगे की तरफ झुक कर सोनी राजु कैलेंडर को चूसने का मजा ले रही थी लेकिन राजू उसकी तरफ आगे झुक कर उसकी गांड की दोनों फांकों को अपनी दोनों हथेलियों में पकड़ कर जोर जोर से दबा रहा था थोड़ी ही देर में राजू ने अपने मालिक की बहन की गोरी गोरी गांड को दबा दबा कर एकदम लाल टमाटर की तरह कर दिया था और फिर थोड़ी ही देर में सोनी को पीठ के बल लेटा कर उसकी दोनों टांगों को फैलाकर उसकी नंगी कचोरी जैसी फूली हुई दूर को देखकर वह पागल हो गया और तुरंत अपने होठों को उस पर रखकर उसे चाटना शुरू कर दिया और तब तक चलता रहा जब तक कि उसकी सारी मलाई को अपनी जीभ से चाट नहीं गया,,,,,,
सोनी की गरमा गरम सिसकारी पूरे कमरे में गूंज रही थी,,,,
गरमा गरम सिसकारी की आवाज को सुनकर राजू का जोश और ज्यादा बढ़ता जा रहा था,,,, उससे सोनी की मादक सिसकारियां बर्दाश्त नहीं हुई और वह तुरंत अपने लिए उसकी दोनों टांगों के बीच जगह बनाकर उसकी कमर पकड़कर अपनी तरफ खींचा और उसकी आधी गांड को अपनी जांघों पर रख दिया और फिर उसके बाद,,,, राजू का लंड सोनी की गुलाबी बुर की अंदरूनी दीवारों का सफर तय करते हुए उसके बच्चेदानी से जा टकराया और फिर राजू सोनी को चोदना शुरू कर दिया एक ही तेज रफ्तार से राजू का लंड सोने की बुर में अंदर बाहर हो रहा था जिसकी रगड़ महसूस करके सोने मदहोश हुए जा रही थी,,,,

राजू रुकने का नाम नहीं ले रहा था और सोनी थकने का नाम नहीं ले रही थी दोनों एक दूसरे के पूरक थे थोड़ी ही देर में दोनों की जवानी की गर्मी दोनों के माथे से पसीना बनकर टपकने लगे दोनों बहुत मेहनत कर रहे थे नीचे से सोनी अपनी गांड को उपर की तरफ उछाल दे रही थी और राजू सोनी की इस प्रतिक्रिया का जवाब बड़े तेज धक्को से दे रहा था,,, थोड़ी ही देर में दोनों की गरमा गरम सांसे एक दूसरे से टकराने लगी और राजू उसे पूरी तरह से अपनी बाहों में भर कर चरम सुख की तरफ बढ़ते हुए तेज धक्के लगाने लगा और थोड़ी ही देर में दोनों झड़ गए,,,,,

सोनी पूरी तरह से तृप्त हो चुकी थी काफी दिनों बाद उसे तृप्ति का एहसास हुआ था,,,,, इसके बाद दोनों अपने अपने कपड़े पहन कर तैयार हो गए और राजू वापस उसी जगह पर गया जहां पर हिसाब खाता रख दिया था और उसे अपने हाथ में लेकर वापस सोनी की तरफ आया और उस हिसाब किताब को सोनी के हाथों में थमाते हुए बोला,,,,

लो संभालो इस हिसाब किताब को लाला जी आए तो उन्हें दिखा देना वैसे लाला कहां गए हैं कल भी गोदाम पर नहीं आए थे आज भी नहीं आए,,,,।

(राजू के मुंह से यह सुनकर सोनी थोड़ा उदास हो गई और बोली)

आजकल भैया बड़ी तकलीफ में है,,,

कैसी तकलीफ,,,,


बताने से कोई फायदा नहीं है राजू,,,


नहीं नहीं सोने मुझे तो बताओ आखिर ऐसी कौन सी तकलीफ आ गई है कि लाला उदास रहने लगे हैं गोदाम पर आना बंद कर दिए हैं,,,,

मैं तुम्हें जरूर बताऊंगी लेकिन समय आने पर,,,,


जैसी तुम्हारी मर्जी,,,,(इतना कहकर राजू वहां से चला गया सोनी तब तक देखती रह गई जब तक कि राजू हवेली से बाहर नहीं निकल गया सोनी उसे बता देना चाहती थी लेकिन जानती थी कि जिस चक्र में उसका परिवार फंसा हुआ है उसमें से निकालना राजू के बस में बिल्कुल भी नहीं था इसलिए बताने से कोई फायदा नहीं था,,,,)


ऐसे ही एक रात को खाना खाने के बाद राजू अपने कमरे में अपनी बुआ के साथ मजे लेने लगा गुलाबी जानती थी कि अब इस घर में उसका ज्यादा दिन तक दाना पानी नहीं है उसका विवाह कभी भी हो जाएगा और वह अपने ससुराल चली जाएगी इसलिए राजू के साथ जी भर कर वह मजा ले लेना चाहती थी आधी रात से ज्यादा समय हो चुका था पूरा गांव गहरी नींद में सो रहा था लेकिन गुलाबी और राजू दोनों जाग रहे थे क्योंकि राजू अपनी बुआ की दोनों टांगे फैलाकर उसकी बुर को चाट रहा था और गुलाबी गरम आहें भर रही थी,,,,।

सहहहह आहहह राजू पूरी जीभ अंदर डालकर चाट,,, आहहहह बहुत मजा आ रहा है राजू,,,,आहहहहह तु‌ बहुत मजा देता है,,,, पता नहीं शादी के बाद मेरा क्या होगा,,,

क्यों बुआ ऐसा क्यों बोल रही हो,,,(बुर पर से अपना मुंह हटा कर गुलाबी की तरफ देखकर राजू बोला और फिर वापस बुर पर अपने होंठ रख दिया)

अरे पता नहीं किससे शादी हो गई उसका लंड पता नहीं कैसा होगा अगर पतला छोटा हुआ तब तो मेरी जिंदगी बर्बाद हो जाएगी,,, और पता नहीं,,, वह मुझे खुश कर पाएगा या नहीं,,,,


तुम बिल्कुल भी चिंता मत करो बुआ मैं हूं ना कोई ना कोई बहाने तुम्हारे घर पहुंचा रहुंगा और तुम्हें मस्त करके वापस आ जाऊंगा,,,,

चाहे जो भी हो इस समय जो मजा मु६ मिल रहा है पता नहीं शादी के बाद मिल पाएगा या नहीं इसलिए तो मैं जी भर कर मजा ले रही हूं,,,आहहहहह,,(और इतना कहने के साथ ही गुलाबी अपनी कमर को ऊपर की तरफ उठा‌ दी और राजू अपनी बुआ की कमर को दोनों हाथों से पकड़कर उसकी बुर की गहराई में अपनी जीभ डाल दिया और काटना शुरू कर दिया,,,,, गुलाबी की तड़प बढ़ती जा रही थी वह जल्द से जल्द राजू के लंड को अपनी बुर में ले लेना चाहती थी,,,, इसलिए राजू के बाल को कस के पकड़ कर वह अपनी ओर से उसे हटाते हुए बोली,,,,)

बस कर मेरे राजा अब डाल दे अंदर,,,,,
(इतना सुनते ही राजू तुरंत अपनी बुआ की दोनों टांगों को चौड़ा करके उसके बीच में घुटनों के बल बैठ गया और अपने लंड के सुपाड़े को जैसे ही अपनी बुआ की बुर पर लगाया वैसे ही राजू के कानों में शोर सुनाई देने लगा घोड़े की टॉप सुनाई देने लगी और यह आवाज गुलाबी को भी सुनाई दे रहा था वह एकदम से सन्न मार कर उस आवाज को सुनने लगी राजू ने अपने लंड को अपने बुआ के बुर मैं डालने की बिल्कुल भी कोशिश नहीं किया क्योंकि बाहर कुछ गड़बड़ होने की आशंका उसके मन में हो चुकी थी और थोड़ी ही देर में जोर-जोर से आवाज आने लगी,,,)

डाकू,,, डाकू,,,, अरे भागो रे डाकू आ गए अपने गांव में,,,,

(डाकू का सुनकर राजू के भी होश उड़ गए गुलाबी का तो रंग फीका पड़ना लगा वह एकदम से घबरा गई जल्दी से राजू गुलाबी के ऊपर से उठा हूं अपने कपड़े पहनने लगा क्योंकि वह जानता था कि थोड़ी ही देर में उसके पिताजी और उसकी मां भी उठ जाएगी और उसे दरवाजा खोलने के लिए बोलेंगे ऐसे में सब कुछ गड़बड़ हो जाएगा वैसे तो उसकी मां की आंखों के सामने कुछ भी हो कोई फर्क नहीं पड़ता था लेकिन उसके पिताजी भी साथ में होंगे ऐसे में उसके पिताजी अपनी बेटी और अपनी बहन को ही साल में देखकर ना जाने क्या गुजरेगा उन पर इसीलिए राजू घबराहट में जल्दी से अपने कपड़े पहनते हुए बोला,,)

बुआ जल्दी से उठो अपने कपड़े पहन लो,,,,

(गुलाबी तो डाकू का सुनकर ही पूरी तरह से घबरा गई थी उसके माथे से पसीना टपकने लगा था उसे तो कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें राजू जैसे तैसे करके गुलाबी को खटिया पर से उठाया और उसे कपड़े पहनने में मदद करने लगा घबराते हुए गुलाबी अपने कपड़े पहन कर अपनी सलवार की डोरी बाद ही रही थी कि तभी दरवाजे पर दस्तक होने लगी उसकी मां जोर जोर से बोल रही थी,,,,)

राजू जल्दी उठ बाहर डाकू आ गए हैं,,,,,,
(राजू अपनी बुआ की तरफ देखा हो वह सलवार की डोरी बांध चुकी थी तब तो निश्चिंत हुआ लेकिन डाकू की बात सुनकर वह भी पूरी तरह से घबरा गया था वह जल्दी से दरवाजा खोला और बाहर देखा तो उसके पिताजी और उसकी मां दोनों खड़े थे,,,यह देखकर, राजू अपने पिताजी से बोला,,,)

पिताजी अब क्या करना है,,,,?

राजू डाकू सब अपने घर के आंगन में खड़े हैं देख उनके घोड़े के टॉप की आवाज एकदम साफ सुनाई दे रही है ऐसे में घर से बाहर निकलना खतरे से खाली नहीं है,,,,, और ऐसे में अपने परिवार को ही सबसे ज्यादा खतरा है,,,,


एक काम करो पिताजी मां को और बुआ को अपने कमरे में बंद कर दो,,,,


हां यह ठीक रहेगा,,,,,,

(मधु गुलाबी राजू की बातों को सुन रही थी इसलिए तुरंत घबरा कर मधु गुलाबी का हाथ पकड़े हुए उसे अपने कमरे में लेकर जाने लगी और कमरे को अंदर से बंद कर ली ,, और अंदर से ही बोली,,,)

देखिए आप बाहर बिल्कुल भी मत जाना राजू तू भी बाहर जाने की कोशिश भी मत करना बेटा बाहर डाकू खड़े हैं,,,


जानता हूं मां,,,,
(इतना कहना था कि तभी बाहर दरवाजे पर जोर-जोर से पीटना शुरु हो गया)

कौन है‌ अंदर दरवाजा खोल,,,

(इतना सुनते ही मधु और गुलाबी के साथ-साथ हरिया और राजू की भी सांस अटक गई राजू इस बात को अच्छी तरह से जानता था कि उनके घर में लूटने जैसा ऐसा कुछ भी नहीं था लेकिन राजू अच्छी तरह से जानता था कि उसकी बुआ गुलाबी और उसकी मां मधु दोनों बला की खूबसूरती ऐसे में डाकू की नजर उन दोनों पर पड़ने से दोनों की इज्जत पर खतरा आ सकता था क्योंकि राजू डाकूओं बारे में अच्छी तरह से जानता था कि अगर डाकुओं को पसंद आ जाए तो वह लोग घर की औरतों को उठाकर अपने साथ लेकर जाते हैं और इसी बात का राजू को डर था,,, हरिया का भी रंग फीका पड़ गया था बाहर लगातार जोर जोर से दरवाजा पीट रहे थे यह देख कर राजू के भी होश उड़ गए थे तभी राजू थोड़ा हिम्मत दिखाते हुए बोला,,,)

पिताजी वह लोग बाहर का दरवाजा पीट रहे लेकिन तुम इस घर का भी दरवाजा बंद कर दो,,,,, मैं कुछ करता हूं,,,,,
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