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Incest बैलगाड़ी,,,,,

Lutgaya

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एक खटिया पर अशोक नशे में धुत होकर सोया हुआ था दूसरी खटिया पर राजु सोने की तैयारी मैं था,,हालांकि उसकी आंखों में नींद बिल्कुल भी नहीं थी और दोनों खटिया के बीच में चटाई बिछाकर अशोक की बीवी बेठी हुई थी उसके भी आंखों में नींद नहीं थी जिसका कारण था चोरों का डर और राजु का बमपिलाट लंड जिस का दर्शन वह अभी अभी कुछ देर पहले ही बाहर करके आई थी जब राजू उसकी आंखों के सामने जानबूझकर हाथ से हीलाते हुए मुत रहा था,,,,,,, अशोक की बीवी चटाई पर बैठे-बैठे राजू के लंड के बारे में सोच रही थी भले ही वह एकदम भोली थी ,,, लेकिन मर्दों के लंड के बारे में सोचते ही उसके तन बदन में सिहरन सी दौड़ने लगती थी हालांकि अभी तक वह किसी मर्दाना ताकत के बारे में लंड से वाकिफ ओर मुखातिब नहीं हुई थी,,, उसकी बुर में जाता भी था कि उसके पति का पतला और कमजोर लंड जो कि उसको पूरी तरह से अनुभव नहीं करा पाता था,,,,इसीलिए तो राजू के लंड को देखकर उसकी हालत खराब होने लगी थी वह सोच में पड़ गई थी कितना मोटा और लंबा लंड बुर में जाता कैसे हैं,,, राजू अशोक की बीवी को इस तरह से विचार मग्न देख कर बोला,,,।
AAshok ki bibi or raju

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क्या हुआ भाभी नींद नहीं आ रही है क्या,,,?


हां बबुआ नींद बिल्कुल भी नहीं आ रही है,,,


चोरों का डर लग रहा है क्या,,,?

हां,,,,?

अरे यहां चोर आने वाले नहीं हैं तुम चिंता मत करो मैं हूं ना,,,


और आ गए तो तब क्या करोगे,,,


मेरी ताकत पर भरोसा नहीं है भाभी,,, दो तीन से तो मैं ऐसे ही निपट लूंगा,,,, अच्छा एक बात बताओ रुपया पैसा ज्यादा रखी हो क्या,,,

नहीं तो,,,


फिर तो गहने खूब होंगे,,,


अरे नहीं बबुआ ऐसा कुछ भी नहीं है,,,


फिर काहे को डरती हो भाभी,,,, जब लुट कर ले जाने जैसा कुछ भी नहीं है,,,, हां,,,,,, लेकिन कृपया पैसा गहना से भी ज्यादा बेशकीमती चीज है तुम्हारे पास उसे जरूर लूट कर ले जाएंगे,,,,
Ashok ki bibi or raju


क्या,,,? नहीं नहीं ऐसा तो कुछ भी नहीं है मेरे पास,,,


अरे भाभी तुम नहीं जानती कि तुम्हारे पास कितना पैसे कीमती खजाना है दुनिया की दौलत भी लुटा दो तो शायद उसे खरीद नहीं पाओगे,,,।


बबुआ तुम पहेली मत बुझाओ,,,मुझे तो बिल्कुल भी समझ में नहीं आ रहा है कि तुम क्या कह रहे हो,,,, मेरे पास और वह भी बेशकीमती खजाना हो ही नहीं सकता,,, शादी जब हुई थी हमारी तब पिताजी के घर से सिर्फ यह कान की झुमकी मेरे पास उसके बाद ना तो वहां से कुछ मिला और ना ही यहां से,,,,
(राजु उसके भोलेपन की बात सुनकर मंद मंद मुस्कुरा रहा था,,,)

और अगर मैं दिखा दूं तो कि तुम्हारे पास बेशकीमती खजाना है तब बोलो क्या दोगी,,,,,


तो ,, क्या,,,,,मतलब ,,,की ,,,तुम्हें उस खजाने में से थोड़ा सा हिस्सा दे दूंगी और क्या,,,,(अशोक की बीवी को ऐसा ही था कि उसके पास खजाना जब है ही नहीं तो वह हिस्सा क्या देगी उसे ऐसा ही लग रहा था कि राजू सिर्फ ऐसे ही बातें बना रहा है,,,,,, और राजू उसकी बात को सुनकर मन बना दो मुस्कुराने लगा ,,, वह ऐसे नाजुक मौके की नजाकत को अच्छी तरह से समझता था,,, और ऐसे ही मौके पर पुरी तरह से झपटता भी था,, और इसीलिए वह अशोक की बीवी से बोला,,,)
Ashok ki bibi k blouse ka button kholte huye

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तब इधर आओ खटिया पर बैठो तब मैं तुम्हें बताता हूं,,,।
(इतना सुनते ही अशोक की बीवी उठी और खटिया पर गार्डन कर बैठ गई लेकिन अभी भी उसके दोनों पैर खटिया के नीचे थे इसलिए राजू बोला)

अरे ठीक से बैठ जाओ भाभी पांव ऊपर करके तुम्हें इत्मीनान से दिखाता हूं कि तुम्हारे पास बेशकीमती खजाना क्या है और कहां पर है,,,,,(इस बार राजू की बात सुनकर वो थोड़ा सा सिहर उठी,, उसके बदन में अजीब सी हलचल होने लगी,,, फिर भी उसकी बात मानते हो कि अशोक की बीवी अपने पैर खटिया पर रखकर बैठ गई वह राजू से एकदम सट कर बैठी थी,,,, राजू के तन बदन में भी उन्माद की लहर उठ रही थी,,,, अशोक की बीवी उसी तरह से भोलेपन से बोली,,,)

अब दिखाओ बबुआ,,,,, खजाना,,,,।

(उसकी उत्सुकता देखकर राजू की उत्तेजना बढ़ने लगी कभी-कभी उसकी बातें सुनकर उसे उसका भोलापन लगता था तो कभी-कभी राजू को समझ में नहीं आ रहा था कि वह वाकई में भोली है या भोली होने का नाटक कर रही है,,, जो भी हो मजा तो राजू को दोनों तरफ से था,,,,,।
अशोक के बीवी की हालत बहुत ज्यादा खराब होती जा रही है इसके तन बदन उतेजना की लहर उठ रही थी बदन में शोले भड़क रहे थे राजू की हरकत को वह कुछ-कुछ वह समझ रही थी,, राजू के कहने का मतलब को थोड़ा-थोड़ा उसे समझ में आ रहा था लेकिन वह पूरा नतीजा देखना चाहती थी,, और राजू था कि आज उसे तारों की शेर कराना चाहता था,,,, राजू अशोक की बीवी से एकदम से सट गया थाऔरतों की बीवी के बदन की गर्मी से उसके बदन में उत्तेजना की लहर उठ रही थी वह पूरी तरह से उत्तेजित हो गया था और एकदम से चुदवासा भी,,,, उत्तेजना का असर अशोक के बीवी की आवाज पर भी हो रहा था उसके स्वर भारी होते जा रहे थे,,, ऐसे ही वह गहरे स्वर में बोली,,,।



दिखाओ कहां है बेशकीमती खजाना,,,,।


उतावली मत करो भाभी एकदम इत्मीनान से दिखाऊंगा कि तुम्हारे पास कौन सी जगह पर बेशकीमती खजाना है,,,(इतना कहने के साथ ही राजू अपने हाथ को उसके पैरों की उंगलियों पर रखकर उसे हल्के हल्के सहलाने लगा,,,, धीरे-धीरे मदहोशी का असर अशोक की बीवी पर हो रहा था
और राजू पूरी तरह से अपनी हरकत पर उतर आया था धीरे-धीरे वह अपनी हथेलियों कोपेड़ के ऊपर की तरफ नहीं जा रहा था जिससे उसकी साड़ी भी धीरे-धीरे उठती चली जा रही थी,,,, अशोक की बीवी को कुछ समझ में नहीं आ रहा था लेकिन राजू की हरकत से उसके तन बदन में अजीब सी हलचल हो रही थी,,,, राजू अपनी हरकत को जारी रखते हुए अपनी बातों से उसका मन भी हहला रहा था और उसे उलझा भी रहा था,,,)


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भाभी तुम नहीं जानती कि तुम क्या चीज हो पूरे गांव में तुम्हारे जैसी खूबसूरत औरत मैंने आज तक नहीं देखा,,,ऊफफफ,,, तुम्हारे बदन की खुशबू,,,,ऊममममम,,(औरतों को अपनी जाल में फांसने कापुणे पूरी तरह से अपने विश्वास में लेने का हुनर राजू अच्छी तरह से सीख गया था और इस समय अशोक की बीवी के साथ भी हो रहा था अपनी खूबसूरती की तारीफ सुनकर वह गदगद हुए जा रही थी लेकिन साथ ही उसकी हरकत से वह पूरी तरह से मस्त भी हो रही थी,,, उसे अपनी बुर से काम रस बहता हुआ महसूस होने लगा था,,,,धीरे-धीरे अशोक की बीवी मस्ती के सागर में गोते लगा रही थी और मदहोश होते हुए राजू की हरकत को महसूस करते हुए बोली,,,)

सहहहहह ,,,, यह क्या कर रहे हो बबुआ,,,


कुछ नहीं भाभी सिर्फ तुम्हें एहसास दिला रहा हूं कि तुम क्या चीज हो तुम्हारे पास ऐसा कौन सा बेशकीमती खजाना है जिसे देख कर दुनिया पागल हो जाती है,,,,, बस तुम इसी तरह से मेरा साथ देती रहो,,, दोगी ना भाभी मेरा साथ,,,(अपनी हथेली को उसकी सारी को पर उठाते हुए उसके घुटनों पर रखते हुए राजू बोला,,, मदहोशी और उत्तेजना के आलम में वह पूरी तरह से राजु की गिरफ्त में आ चुकी थी,,, अंदर से वह भी एक प्यासी औरत थी जिसकी प्यास राजू ने अपनी हरकत से भड़का दिया था,,, धीरे-धीरे अशोक की बीवी राजू के आगे लाचार होती जा रही थी इसलिए उसकी बात माननी किसी और के पास दूसरा कोई रास्ता भी नहीं था इसलिए वह बोली,,,)

दुंगी,,,,(खुमारी में अपनी आंखों को बंद किए हुए वह बोली,,)

ओहहहह ,,,, भाभी,,,, तुम बहुत अच्छी हो,,,(इतना कहते हुए ही राजू ज्यादा कस के बुर के बेहद करीब ही अशोक की बीवी की चांघ को अपनी हथेली में दबोच लिया जिससे,, अशोक की बीवी के मुंह से सिसकारी फूट पड़ी,,,, उसकी गरम-गरम सिसकारी की आवाज सुनकर राजू एकदम से मस्त होता हुआ बोला,,)


क्या हुआ भाभी इस तरह से क्यों आवाज निकाल रही हो,,,,(राजू की बात सुनकर बड़े होने से अपनी आंखों को खोलते हुए अशोक की बीवी राजू की आंखों में देखते हुए बोली,,,)

मुझे ना जाने क्या हो रहा है,,,,

मैं जानता हूं भाभी तुम्हें क्या हो रहा है,,,,

क्या हो रहा है बबुआ,,,,?(उत्तेजना से सिहरते हुए अशोक की बीवी बोली,,)

Ashok ki bibi k hotho ka chumban lete huye



तुम्हें बहुत मजा आ रहा है भाभी,,,,,,
(अशोक की बीवी को इस बात का अहसास था कि उसे बहुत मजा आ रहा है राजू की हर हरकत पर उसके तन बदन में आग लग रही है मीठा मीठा दर्द भी हो रहा है,,, लेकिन फिर भी वह बोली)

मुझे नहीं मालूम बबुआ,,,, लेकिन तुम अभी तक वह खजाना नहीं दिखाएं,,,,


अभी दिखाता हूं भाभी मेरी पकड़ से ज्यादा दूर नहीं है,,,।
(इस बात को सुनते ही अशोक की बीवी उत्तेजना से सिहर उठी क्योंकि उसे एहसास हो गया था कि राजू किस बारे में बात कर रहा है,,,, वह अभी यही सोच ही रही थी कि राजू अपनी हथेली को पूरी तरह से उसकी बुर पर रखकर अपनी हथेली में दबोच लिया जैसे कि सच में मैं कोई खजाने को मुट्ठी भर भर कर लूट रहा हो,,,, जैसे ही राजू ने उसकी पूर्व को अपनी हथेली में कस के दबोचा,,, वैसे ही तुरंत अशोक की बीवी के मुंह से गरमा गरम सिसकारी की आवाज एकदम मादक स्वर में फूट पड़ी,,,।)


सससहहहह आहहहहहहहहह,,,,बबुआआआआ,,,,आहहहहहह,,, यह क्या कर रहे हो बबुआ,,,


यही तो खजाना है भाभी जिसे दुनिया लूटना चाहती है चोर लूटना चाहते हैं तुम्हारे घर आकर तुम्हारा रुपया पैसा गहना नहीं लूटेंगे बल्कि तुम्हारी दोनों टांग के बीच में छुपी हुई इस खजाने को लूट कर जाएंगे,,,


ओहहहह बबुआ,,,,आहहहहहहह,,,, इस खजाने की बात कर रहे हो मै तो कुछ और ही समझी थी,,,।

भाभी तुम्हारे इस खजाने को देखने के बाद कोई भी मर्द दुनिया का और खजाना देखने और पाने की इच्छा बिल्कुल भी नहीं करेगा,,,


तुम्हारी बातें मुझे समझ में नहीं आती बबुआ,,,,(अशोक की बीवी मस्ती से अपनी आंखों को खोलते हुए राजु की आंखों में देखते हुए बोली,,,, राजू की भी नजरे उसकी नजरों से टकराई और राजू सिरहाने गया और राजू अपने प्यार से होठों को अशोक की बीवी के तपते हुए होंठ पर रख दिया और उसे चूसना शुरू कर दिया,,,अशोक की बीवी को इस तरह के चुंबन का बिल्कुल भी अनुभव नहीं था इसलिए वह पल भर में ही राजू की हरकत से पूरी तरह से कामाग्नि में जलने लगी,,, उसके तन बदन में उत्तेजना की चिंगारी फूटने लगी पोर्न उसकी बुर से काम रस की धारा फूट पड़ी जो कि राजू की हथेलियों को पूरी तरह से अपने काम रस में भिगो दे रही थी,,,, राजू उत्तेजना के मारे अपनी हथेली को जोर-जोर से उसकी बुर पर रगडना शुरू कर दिया,,, चुंबन का आनंद और साथ ही बुर पर हथेली का घर्षण अशोक की बीवी से बर्दाश्त नहीं हो रहा था और वह कसमसा रही थी उसके कसमस आने की वजह से खटिया से चरर चरर की आवाज आ रही थी जो कि यह आवाज वातावरण में और ज्यादा मादकता फैला रही थी,,,, राजू अशोक की बीवी के होठों का रसपान करते हुए उसकी बुर से लगातार खेल रहा था,,,,।

काम ज्वाला अशोक की बीवी के भी तन में भड़क चुकी थी,,, राजू के तो भाग्य खुल गए थे ,, एक ओर बुर को हस्तगत कर लिया था उस पर विजय प्राप्त कर लिया था बस विजय पताका लहराना बाकी था,,,अशोक की बीवी पहली बार इस तरह की उत्तेजना का अनुभव कर रही थी और पहली बार किसी गैर मर्द के हाथों को अपने बदन पर महसूस कर रही थी क्योंकि उसके संपूर्ण बदन पर कब्जा जमाया हुआ था,,,।

अब कैसा लग रहा है भाभी,,,


मत पूछो बबुआ ना जाने कैसी कैसी चीटियां पूरे बदन को काट रही है,,,

ये चीटियां नहीं है भाभी,,, तुम्हें तुम्हारी गदराई जवानी चिकोटी काट रही है,,,,


बस करो बबुआ पास में ही लेटे हैं अगर वह जाग गए तो गजब हो जाएगा,,,।
Raju chuchiyo ka raspan karte huye



कुछ गजब नहीं होगा भाभी,,,(उसके यह कहने का मतलब को अच्छी तरह से राजू समझ गया था राजू जान गया था कि उसका भी चुदवाने का मन है,,, बस अपने पति से थोड़ा डर रही है इसलिए उसके डर को दूर करने के लिए राजू बोला,,,)

तुम्हें तो पता ही होगा ना भाभी कि नशे में धुत होने के बाद इनकी नींद कब खुलती है,,,


अपने आप नहीं खुलती,,, सुबह जगाना पड़ता है तब जाकर उठते हैं,,,(अशोक की बीवी का भी पूरी तरह से मन बन चुका था चुदवाने का इसलिए राजू से सही-सही बता दी थी वरना आनाकानी करती डरती और ऐसा करने से उसे रोकती लेकिन वह भी मजबूर थी अपने बदन के जरूरत के आगे,,, क्योंकि वह संभोग में संतुष्टि के एहसास के लिए तड़प रही थी उसे पूरी तरह से मजा नहीं आ रहा था बस अपनी जिंदगी को चाहिए जा रही थी अभी अभी तो उस पर पूरी तरह से जवानी चली थी और ऐसे में मरियल सा पति उसकी आग बुझाने में सक्षम नहीं था,,, इसलिए बांका जवान मर्द पाकर उसके जवानी की गर्मी उबाल मार रही थी,,, अपनी जवानी को वह बर्बाद नहीं होने देना चाहती थी,,, इसलिए राजू के साथ आज की रात में पूरी तरह से जी लेना चाहती थी,,,, राजू की उसकी बात सुनकर एकदम से खुश हो गया और बोला,,,)


Raju or Ashok ki bibi

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बस फिर क्या चिंता करने की जरूरत नहीं है,,,, मेरी रानी,,,,आज की रात देखना मैं तुम्हारी बेशकीमती खजाने का कितना सही उपयोग करता हूं तब तुम्हें इस बात का एहसास होगा कि वाकई में तुम्हारे पास कितना बेशकीमती खजाना पड़ा है जिसके बारे में तुम्हें और तुम्हारे पति को अहसास तक नहीं है,,,,


वैसे हमारा नाम रानी है बबुआ,,,,


ओहहहह भाभी तुमने तो मुझे खुश कर दिया अपना नाम बता कर जैसा नाम है वैसे ही तुम लगती हो बस थोड़ा सा नसीब गड़बड़ा गया जो इधर आ गई,,,


सच कह रहे हो बबुआ हमारा भी ऐसी शादी करने का कोई इरादा नहीं था लेकिन मां-बाप ने जहां बांध दिया शो आ गई,,,


अब तुम बिल्कुल भी चिंता मत करो रानी,,, तुम्हारी प्यास बुझाने के लिए तुम्हारा राजा आ गया है,,, वैसे सच कहूं तो जैसे तुम्हारा नाम रानी है मेरा नाम भी राजा ही है,,,(राजू जानबूझकर अपना नाम राजा बता रहा था ताकि रानी और राजा का मिलाप हो सके इसलिए राजू का नाम सुनते ही वह एकदम से खुश होते हुए बोली,,)

ओहहहह क्या सच में तुम्हारा नाम राजा है,,,।


हां मेरी रानी मेरा नाम राजा ही है,,,(राजू जोर-जोर से उसकी बुर मसलते हुए बोला,,,)
Raju


ओहहहह राजा,,, बचपन से ही में गई सपना देखा करती थी कि मेरे होने वाले पति का नाम राजकुमार हो या राजा हो, लेकिन ऐसा नहीं हो पाया,,,


दुखी मत हो रानी बदन की प्यास बुझाने वाला भी पति से कम नहीं होता आज की रात तुम मुझे अपना पति समझो और मैं तुम्हें अपनी पत्नी,,,,
(राजू की बात सुनते ही वह एकदम से शर्मा गई,,, और उसे शर्माता हुआ देखकर राजू बोला,,)

शर्माते हुए तुम सच में राजकुमारी लगती हो,,,,मुझे तो तुम पर तरस आता है कितनी खूबसूरत राजकुमारी की तरह होने के बावजूद भी तुमने इतने सामान्य से दिखने वाले इंसान से कैसे विवाह कर लिया,,,


तकदीर का लेखा है बबुआ,,,


राजा मेरी रानी,,,


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हां हा राजा,,,(वह हंसते हुए बोली तो राजू उसकी बुर पर हथेली को रगडते हुए बोला,,,)

तुम्हारी बुर पानी बहुत छोड़ रही है रानी क्या इस तरह से पहले भी पानी छोड़ती थी,,,।

नहीं मेरे राजा तुम्हारा हाथ लगने के बाद ही इतना पानी छोड़ रही है,,,।

हाए मेरी जान अब तो आज यह राजा तुम्हारी बुर का गुलाम बन जाएगा,,,, रुको ऐसे नहीं,,,,,,,(इतना कहने के साथ ही राजू अशोक की बीवी की साड़ी को उतारने लगा अशोक की बीवी भी साड़ी उतरवाने के लिए आतुर हुए जा रही थी,,। लेकिन बीच-बीच में शंका जताते हुए बोल रही थी कि अगर यह जाग गए तो,,, और राजू कुछ भी ना होने का आश्वासन देकर धीरे-धीरे करके उसकी साड़ी उतार फेंका और उसकी ब्लाउज का बटन खोलने लगा क्योंकि ब्लाउज में से ही उसकी चूचियां कयामत ढा रही थी बड़े-बड़े चुचियों की मालकिन जो थी,,,देखते ही देखते राजू उसके प्लस के सारे बटन खोल कर उसके नाम से उसके बदन से अलग कर दिया उसकी नंगी चूचियों को देखकर राजू के मुंह में पानी आ रहा था क्योंकि वह एकदम दशहरी आम की तरह नजर आ रही थी और उसके पति को देखकर उसके नशे की आदत होती है कि कल रात में समझ गया था कि यह दबा दबा कर बड़ी नहीं होंगे बल्कि कुदरती रूप से ही इसी आकार की है,,,और इस बात से राजु एकदम से खुश हो गया उसकी दोनों चूचियों को अपने हाथ में लेकर दबाते हुए बोला,,,)


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औहहहह मेरी रानी तुम्हारी चूचियां कितनी बड़ी बड़ी है,, लगता है तुम्हारे पति सारा कसर तुम्हारी चुचियों पर ही उतारते हैं,,,

धत्,,, वह तो इसकी जरा भी खबर नहीं लेते मेरे ब्लाउज को उतारते तक नहीं है,,,


तो मेरी जान इतनी बड़ी बड़ी कैसे हो गई,,,

शुरू से ऐसे ही,,,है,,,।


आहहहह तब तो बहुत मजा आएगा तुम्हारे मायके में तो लड़के तुम्हारी चूचियां देखकर ही पानी फेंक देते होंगे,,।

धत् कैसी बातें करते हो,,, मै किसी भी लड़के को अपने करीब नहीं आने दि‌ हुं,,,



(राजू को उसकी बातों में सच्चाई नजर आती थी वह दोनों हाथों से उसके पपैया को पकड़कर जोर-जोर से दबाते हुए बारी-बारी से अपने मुंह में लेकर पी रहा था यह अशोक की बीवी के लिए पहला मौका था जब कोई मर्द उसकी चूचियों से खेल रहा था इसलिए उसे बहुत ही मजा आ रहा था,, बल्कि उसे तो इस बात का अहसास तक नहीं था की चुचियों को दबाने में पीने में औरतों को मजा आता है और वही मजा राजू आज उसे प्रदान कर रहा था आज उसे स्त्री होने का गौरव प्राप्त करा रहा था,,,, देखते ही देखते राजू उसकी चूचियों को दबा दबा कर एकदम टमाटर की तरह लाल कर दिया था,,,, राजू बड़ी शिद्दत से अशोक की बीवी की चूचियों से खेल रहा था और उसे इसमें बहुत मजा आ रहा था और मुंह में लेकर जब जब पीता था तब तक उसकी कड़क किशमिश को दांतों तले दबा दे रहा था जिससे उसकी आ निकल जाती थी देखते ही देखते हो पूरी तरह से मस्त हो गई और इसके बाद उसकी चुचियों का स्तनपान करते हुए राजू एक आंख से उसके पेटीकोट का नाड़ा खोने लगा और अगले ही पल उसके पेटीकोट की डोरी को अपने हाथों से खींचकर उसके पेटीकोट को एकदम सा ढीला कर दिया,,,,।

अशोक की बीवी पूरी तरह से पानी पानी हो गई थी वह कसमसा रही थी गरमा गरम सिसकारी ले रही थी उसका सिसकना कसमसाना देखकर राजू समझ गया था कि आप उसकी बुर में लंबा मोटा लंड डालने की आवश्यकता पड़ गई है लेकिन इतनी सी भी राजू कहां मानने वाला था,,, उसे खटिया पर पीठ के बल लेटा दिया ,,खटिया पर लेटने के बाद अपनी तसल्ली के लिए अशोक की बीवी बगल में ही खटिया पर नशे की हालत में सो रहे हैं अपने पति की तरफ देखिए उसी तरह से धुत होकर सो रहा था,,, अशोक की बीवी ना तो कभी कल्पना की थी और ना ही कभी सपने में भी ऐसा सोचती थी कि अपने ही पति के बगल में वह लेट कर किसी गैर जवान लड़के से अपने जवानी की गर्मी को शांत कराएगी,,, राजू उसे पीठ के बल लेटा कर उसकी पेटीकोट को ऊपरी छोर से पकड़कर उसको नीचे की तरफ खींचते हुए बोला,,।


अब तुम पूरी तरह से नंगी होने जा रही हो मेरी महारानी,,,।

जैसी तुम्हारी इच्छा हो वैसा ही करो मेरे राजा,,,।
(अशोक की बीवी पूरी तरह से लाइन पर आ चुकी थी जिसका फायदा राजू पूरी तरह से उठा रहा था,,, और मुस्कुराते हुए इसके पेटीकोट को नीचे की तरफ खींचते हुए वह बोला,,,,,,)



मैं भी देखना चाहता हूं कि नंगी होने के बाद तुम कितनी और ज्यादा खूबसूरत लगती हो,,(पर ऐसा कहते हुए पेटीकोट को खींचकर निकालने लगा तो उसकी गोल-गोल ‌गांड के नीचे पेटीकोट दबने की वजह से नीचे की तरफ नहीं सरक रही थी,,, तो राजू की मदद करते हुए अशोक की बीवी अपनी गांड को थोड़ा सा ऊपर की तरफ उठा दे ताकि उसकी पेटीकोट निकल जाए और ऐसा ही हुआ जैसे ही अशोक की बीवी ने अपनी गांड को हवा में उठाई गई सही राजेश उसकी पेटीकोट को नीचे की तरफ खींच लिया और उसके पेटीकोट को उसके बदन से उतारकर खटिया के नीचे फेंक दिया खटिया पर अशोक की बीवी पूरी तरह से नंगी लेटी हुई थी,,, राजू तो लालटेन की पीली रोशनी में अशोक की बीवी के नंगे बदन को देखता ही रह गया नंगी होने के बाद वह एकदम क़यामत लग रही थी राजू तो एकदम से उसका दीवाना हो गया और उसकी नंगी चिकनी जांघों पर अपनी दोनों हथेलियां रखते हुए बोला,,,।)


बाप रे तुम तो स्वर्ग से उतरी हुई कोई अप्सरा लग रही हो तुम सच में बहुत खूबसूरत हो ,,,(अशोक की बीवी राजू की बातें सुनकर शरमा गई और शर्मा कर दूसरी तरफ नजर फेर ली और राजू अशोक की बीवी के नंगे बदन पर पूरी तरह से कब्जा जमाने के लिए उसकी दोनों टांगों को धीरे धीरे खोलने लगा और अगले ही पल उसकी दोनों टांगों के बीच बैठ गया,,,,अशोक की बीवी को यही लग रहा था कि अब राजू अपने लंड को उसकी बुर में डाल कर उसकी चुदाई करेगा,,, क्योंकि शराबी पति पाकर संभोग के नियम को वह कहां जान पाई थी उसे क्या मालूम था कि संभोग के प्रकरण से कौन कौन सी क्रिया जुड़ी होती है लेकिन आज उसकी सारी जरूरतों को उसकी सारी कमियों को राजू पूरी तरह से दूर करने के लिए उसकी दोनों टांगों के बीच अपने लिए जगह बना लिया था और देखते ही देखते अपने होठों को उसकी बुर पर रखकर उस पर चुंबनों की बौछार कर दिया,,,अशोक की बीवी ईसके लिए बिल्कुल भी तैयार नहीं थी इसलिए एकाएक राजू की हरकत की वजह से वह पूरी तरह से सिहर उठी उसके बदन में कंपन होने लगा,,उसे समझ में नहीं आ रहा था कि यह क्या हो रहा है लेकिन जब तक वह समझ पाती उससे पहले राजू पूरी तरह से उसे अपनी गिरफ्त में ले चुका था उसकी नाजुक सी छोटी सी बुर पर पूरी तरह से कब्जा जमा लिया था,,, और अगले ही पल वह गर्म सिसकारी के साथ राजू की हड़ताल का स्वागत करने लगी और वह भी अपनी कमर ऊपर की तरफ उठा उठा कर,,, राजू उसकी पतली कमर को दोनों हाथों से थाम कर उसकी रसीली बुर पर अपने होठों को रख कर अपनी जीभ को अंदर तक डालकर उसकी मलाई को चाटना शुरू कर दिया,,,,और अशोक की बीवी गरमा गरम सिसकारी लेते हुए कसमसाने लगी,,,।

सहहहहह आहहहह आहहहहहह मेरे राजा जी क्या कर रहे हो,,,आहहहहह बहुत मजा आ रहा है मेरे राजा,,,, आज तक मेरे पति ने इस तरह से कभी मुझे प्यार नहीं किया,,,,आहहहहह मैं तो आज धन्य हुई जा रही हूं,,,,ओहहहहहहह,,,,।

(उसकी गरमा गरम सिसकारी उसकी मद भरी बातों को सुनकर राजू का जोश बढ़ने लगा और वह जोर-जोर से उसकी बुर को चाटना शुरू कर दिया यहां तक की,,, अशोक की बीवी को वह अपनी जीभ से एक बार झाड़ भी दिया,,,,


औहहहह ,, मेरे राजा,,,आहहहहहह मुझसे रहा नहीं जा रहा है कुछ करो मेरे राजा,,,आहहहहहहह,,,,,


उसकी गरमा गरम सिसकारी की आवाज को सुनकर राज्य समझ गया था कि लोहा पूरी तरह से गर्म हो गया है अब हथोड़ा मारने की जरूरत है इसलिए वह तुरंत उठा और अपने कपड़े को उतारने लगा और देखते ही देखते खटिया पर बैठे-बैठे ही अपने कपड़े उतार कर एकदम नंगा हो गया अशोक की बीवी की नजर उस पर पड़ी तो वह पूरी तरह से सिहर उठी,,,उसे अपने अंदर लेने के लिए उत्सुकता भी थी तो एक तरफ उसे डर भी लग रहा था की ईतना मोटा उसकी बुर में जाएगा कैसे,,,, राजु अपने लंड को हाथ में लेकर उसे हीलाते हुए उसकी दोनों टांगों के बीच जगह बनाते हुए बोला,,,।


अब देखना मेरी जान तुम्हें कैसे तारों की सैर कराता हुं,,,


घुस पाएगा,,,(अशोक की बीवी शंका जताते हुए बोली,,)


पूरा का पूरा घुस जाएगा मेरी रानी देखना कितने आराम से ले लेती हो,,,(और इतना कहने के साथ ही राजू ढेर सारा थूक मुंह में लेकर उसकी बुर पर गिराने लगायह देखकर अशोक की बीवी की सांसे ऊपर नीचे हो रही थी और अगले ही पल राजू मोर्चा संभालते हुए अपने लंड की तोप को उसकी गरमा गरम दीवार से बनी किले पर उसे पूरी तरह से अपनी गिरफ्त में लेने के लिए टीका दिया,,, जैसे ही अशोक की बीवी राजु के मोटे तगड़े लंड के मोटे सुपाडे को उसकी गरम बुर‌ के गुलाबी छेद पर महसूस कि वऐसे ही उसका पूरा बदन एकदम से कसमसा गई,,, राजू पूरी तरह से उसके ऊपर छाने के लिए तैयार हो चुका थाचांदनी रात थी और ऊपर से लालटेन की रोशनी में सब कुछ नजर आ रहा था बगल में ही उसका पति लेटा हुआ था उसकी बिल्कुल भी चिंता ना करते हुए राजू अपनी मंजिल की तरफ आगे बढ़ रहा था,,,अशोक की बीवी के मन में आशंका थी इसलिए अपनी नजरों को ठीक अपनी दोनों टांगों के बीच टीकाए हुए थी,,,,।

राजू धीरे-धीरे अपने सुपाड़े को उसकी गुलाबी बुर के छेद में डालना शुरू कर दिया,,, उसकी बुर पहले से ही पनीयाई हुई थी और ऊपर से राजू ने ढेर सारा थूक उस पर चुपड़ दीया था,,, इसलिए राजू को ज्यादा मशक्कत नहीं करनी पड़ी और धीरे-धीरे उसका मोटा लंड बुर के अंदर सरकना शुरू कर दिया,,,लेकिन अभी तक अपने पति का पतला और हमारी ओर से अपनी बुर में लेती आ रही थी इसलिए अशोक की बीवी को थोड़ा बहुत दर्द का अहसास हो रहा था,,,, लेकिन मजा भी बहुत आ रहा था,,,,

दर्द और मस्ती का मिलाजुला मिश्रण अशोक की बीवी के चेहरे पर देखने को मिल रहा था,,।उसका मुंह आश्चर्य से खुला का खुला था और वह अभी भी अपनी दोनों टांगों के बीच देख रही थी उसके गुलाबी छेद में राजू का पूरा लंड घुस गया था अशोक की बीवी को बिल्कुल भी यकीन नहीं हो रहा था कितना मोटा तगड़ा लंबा लंड उसकी बुर की गहराई में कहीं खो गया था,,,, राजू अशोक की बीवी की तरफ देख कर मुस्कुरा रहा था वह पूरी तरह से तेजी था और अपने हथौड़े को गरम हो चुके लोहे पर पटकने के लिए तैयार था और धीरे-धीरे वह अपनी कमर को आगे पीछे करके हीलाना शुरू कर दिया जैसे-जैसे राजू का मोटा तगड़ा लंबा लंड बुर की अंदर की दीवारों को रगडते हुए अंदर बाहर हो रही थी उसी से अशोक की बीवी का और पानी निकल रहा था,,, उसे मजा आ रहा था,,,।राजू कुछ ही देर में अपनी रफ्तार पकड़ लिया था और अशोक की बीवी को हुमच हुमच कर चोद रहा था,,,।


अशोक की बीवी पूरी तरह से मस्ती के सागर में गोते लगाती हुई नजर आ रही थी वह पूरी तरह से मदहोश हो चुकी थी इस तरह का सुख उसने कभी प्राप्त नहीं की थी अपने आप से ही मन में बोली,,, बाप रे क्या इस तरह से भी चुदाई होती है,,, लेकिन औरत और मर्द के बीच में इस तरह के संबंध के बारे में जहां तक वह सोच सकती थी वहां से आगे राजु उसे एक नई दुनिया में लेकर जा रहा था,,,।

बड़े आराम से लेकिन रगड़ कर राजू का नंद अशोक की बीवी की बुर में अंदर बाहर हो रहा था एक अद्भुत सुख की परिभाषा से आज राजू उसे अवगत करा रहा था,,, बुर पुरी तरह से पनियाई हुई थी इसलिए किसी भी प्रकार की दिक्कत नहीं आ रही थी,,, राजू हर धक्के के साथ अशोक की बीवी की आहहह निकाल दे रहा था वह इतनी जोर जोर से धक्के मार रहा था कि ऐसा लग रहा था कि वह अपने लंड के साथ-साथ अपने अस्तित्व को भी उसकी बुर की गहराई में घुसेड देगा,,, खटीया से चरर चरर की आवाज आ रही थी साथ ही पूरे वातावरण में अशोक की बीवी की गरमा गरम सिसकारियां गुंज रही थी बगल में ही उसका पति लेटा हुआ था लेकिन उसे होश कहां था अगर होश में होता तो शायद आज उसकी बीवी राजू से ना चुद रही होती,,,।
राजू को अशोक की बीवी की चुदाई करने में बहुत मजा आ रहा था क्योंकि उसकी बुर एकदम संकरी थी इसलिए उसमे लंड डालने मे राजु को अद्भुत सुख की प्राप्ति हो रही थी,,,
देखते ही देखते अशोक की बीवी की सांसे और तेज चलने लगी राजू समझ गया कि वह चरम सुख के बेहद करीब है और वह उसे अपनी बाहों में कस लिया और अपनी कमर को जोर-जोर से कराना शुरू कर दिया क्योंकि वह भी बेहद करीब था झढ़ने में,,, और देखते ही देखते 15 20 धक्कों में दोनों का गर्म लावा फूट पड़ा,,, अशोक की बीवी पूरी तरह से तृप्त हो गई राजू के लंड से निकला गर्म लावा का फव्वारा इतना तेज था कि अशोक की बीवी को अपनी बच्चेदानी पर उसकी पिचकारी महसूस हो रही थी जिससे वह पूरी तरह से गदगद हुए जा रही थी इस तरह का एहसास उसके पति ने कभी नहीं कराया,,,।


दूसरी तरफ हो गया अपनी बीवी के गहरी नींद में सो जाने के बाद अपने कमरे से निकलकर दरवाजे पर बाहर से सिटकनी लगा दिया था और अपनी छोटी बहन के कमरे में घुस गया था जहां पर गुलाबी उसका बेसब्री से इंतजार कर रही थी और हरिया आज की रात इत्मीनान से अपनी बहन की चुदाई करना चाहता था इसलिए धीरे धीरे एक एक करके उसके बदन से सारे कपड़े उतार कर उसे नंगी कर दिया था,,।
Very good
 

Parvati

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Bahut hi hot update hai rohnny ji..Aakhir Raju ne Ashok ka biwi ki choot me jhanda gaad hi diya..Par undono ki chudai ko yahin samapt mat kijiye..Raju bich bich me Ashok ko uske ghar chhodne keliye aaye aur uski biwi ko jannat ki sair karaye..
 

Naik

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आज जो कुछ भी हुआ था,,, उससे मधु पूरी तरह से हैरान हो चुकी थी,,,,, उसे तो कुछ समझ में नहीं आ रहा था,,,, वह जल्दी से आकर खाना बनाने लग गई थी,,,सामने ही उसका पति हरिया बैठा था लेकिन आज अपने पति से भी नजर मिलाने की हिम्मत उसमें बिल्कुल भी नहीं थी,,,, क्योंकि जो कुछ भी हुआ था वह मधु की सोच से एकदम परे था मधु ने कभी सपने में भी नहीं सोची थी कि उसका बेटा उसके साथ इस तरह की हरकत करेगा,,,, पहली मर्तबा ही कुवे से पानी निकालते समय किस तरह की हरकत उसके बेटे ने किया था वह भी मधु को बेहद अजीब लगा था लेकिन हो सकता था कि उससे गलती से हो गया हो इसलिए वह बात आई गई कर दी थी लेकिन फिर भी जब जब अपने पर जाती थी तब तक वह बिल्कुल भी नहीं चाहती थी कि उसका बेटा होने पर उसके साथ जाए,,,
आज सुबह भी वह कुएं पर पानी भरने जा रही थी और राजू भी जाने के लिए तैयार था लेकिन मधु ने ही उसको इंकार कर दी थी,,,,, क्योंकि वह नहीं चाहती थी कि उस दिन की तरह आज भी उसका बेटा गंदी हरकत करें लेकिन एक बात का उसे भी एहसास होता था कि उसके बेटे की उस तरह की गंदी हरकत में ना जाने कि उसे भी मजा आ रहा था जो कि वह इस तरह के आनंद से कतराती रहती थी,,,, उसे गुस्सा भी आता था लेकिन कुछ कर नहीं पा रही थी,,,, कुए पर साथ चलने से इंकार कर के वह अपने बेटे की गंदी हरकत से तो बच गई थी लेकिन बकरियां पकड़ते समय वह अपने आप को बचा नहीं पाई,,
,, वह रसोई बनाते समय यही सब सोच रही थी कि कुए पर अपने बेटे को ना ले जाकर बच गई थी लेकिन जैसे वक्त भी उसके बेटे का हिसाब दे रहा हो बकरियां पकड़ते समय उसकी आंखों के सामने ही बकरी और बकरा चढ़कर उसकी चुदाई करने लगा था वह उस समय अपने बेटे के सामने शर्म से पानी पानी हुए जा रही थी,,,, उसे और ज्यादा शर्मिंदगी का महसूस हुई जब उसका बेटा बकरे को मारते हुए झोपड़ी में यह कहते हुए ले गया कि तुझे भी इसी वक्त चढ़ना था,,,,, यह सब मधु के लिए बेहद अजीब था ऐसा नहीं था कि वह पहली बार किसी बकरे को पकड़ते हुए देख रही थी पहले भी वह कई बार इस तरह के नजारे को देख चुकी थी लेकिन अपने ही बेटे के सामने यह नजारा देखा करवा शर्म से पानी पानी में जा रही थी सब कुछ सही चल रहा था कि तभी गाय की वजह से जो कुछ भी होगा उसके बारे में कभी सपने में भी नहीं सोची थी,,,।
कुवे से पानी निकालते समय तो उसका बेटा पीछे से रस्सी खींचते हुए उसकी बड़ी बड़ी गांड पर पूरी तरह से सटा हुआ था जिससे उसका खड़ा लंड उसकी गांड पर साफ महसूस हो रहा था लेकिन गाय को खींचते समय जो हरकत उसने किया था उसके बारे में वह कभी सोच नहीं सकती थी,,,रसोई बनाते समय मधु अपने मन में यही सोच रही थी कि मौके का सही फायदा उठाना तो कोई उसके बेटे से ही सीखे गाय को खींचते समय जिस तरह से वहां उसकी गांड से पूरी तरह से सटा हुआ था और लगातार दो तीन बार अपनी कमर हिला दे रहा था उसकी यह हरकत वास्तविक रूप से एक औरत को चोदने वाली ही थी,,,, और ऐसा वह दो-तीन बार कर चुका था,,, अपने बेटे की ईस हरकत से वह हैरान तो थी ही लेकिन काफी उत्तेजित भी हो चुकी थी,,, क्योंकि वह पूरी तरह से अनुभव से भरी हुई थी और जिस तरह से पजामे के अंदर होने के बावजूद भी और साड़ी के ऊपर से ही साड़ी सहित उसका लंड चूत तरह से बड़ी बड़ी गांड की फांकों के बीच घुसते हुए सीधे-सीधे उसकी बुर की दहलीज पर दस्तक दे रहा था वह पूरी तरह से मधु को हैरान कर देने वाला था और अपने बेटे की मर्दाना ताकत को देखते हुए बेहद काबिले तारीफ भी था जहां एक तरफ उसे हैरानी हो रही थी वहीं दूसरी तरफ उसे ना जाने क्यों अपनी बेटी की हरकत की वजह से प्रसन्नता भी हो रही थी वह इतने से ही भाग गई थी कि उसका बेटा पूरी तरह से मर्दाना ताकत से भरा हुआ है,,,, पल भर में ही अपने हरकत की वजह से उसने उसे पानी पानी कर दिया था,,,।जिस बारे में सोच कर खाना बनाते समय भी उसे अपनी बुर फिर से गीली होती हुई महसूस हो रही थी,,,,,,,

गाय को खींचते समय उसकी मदद करने के बहाने जिस तरह से पीछे से राजू ने अपनी मां को पूरी तरह से अपनी आगोश में ले कर उसकी गोलाकार नितंबों पर पूरी तरह से कब्जा जमाया था यह देखते हुए मधु भी कुछ कर सकने की स्थिति में बिल्कुल भी नहीं थी अपने बेटे की हरकत की वजह से वह पूरी तरह सिहर उठी थी,,,, उसकी गोल-गोल भारी भरकम गांड पर पूरी तरह से राजू ने अंकुश रखा हुआ था,,,,ना उस समय वह हिल पा रही थी ना‌ डुल पा रही थी और इसी का फायदा उठाते हुए राजू दो तीन बार लगातार धक्के पर धक्के मार कर अपने आप को संतुष्ट करने की कोशिश कर रहा था,,, और जिसका मजा जाने अनजाने में मधु भी ले रही थी,,,,,,

मधु रसोई बनाते समयराजू के ख्यालों में उसके द्वारा की गई हरकत के बारे में इस कदर खो गई कि उसे इस बात का एहसास ही नहीं रहा कि हरिया सामने ही खटिया पर बैठा हुआ है वह अपने ही ख्यालों में पूरी तरह से मगन हो चुकी थी वह अपने मन में यही सोच रही थी कि सब कुछ जैसे उसके बेटे के मुताबिक ही हो रहा है क्योंकि रस्सी खींचते समय इतनी मोटी रस्सी भी टूट गई और वह जिस तरह से अपने बेटे के ऊपर गिरी थी उसकी सारी पूरी तरह से उठकर उसकी कमर पर आ गई थी और वह कमर के नीचे से पूरी तरह से नंगी हो गई थी,,,,, यह सब सोचकर इस समय मधु की सांसे ऊपर नीचे हो रही थी उसे वह पल अच्छी तरह से याद थाजब उसने अपनी दोनों जांघों पर अपने बेटे की हथेलियों को महसूस कि थी,,और उसकी हथेली की रगड़ साफ महसूस हुई थी,,,, और उसे उठाने की कोशिश करते हुए जिस तरह से वह हिम्मत दिखाते हुए अपनी हथेली को उसकी बुर पर रखा था उस पल को याद करते हैं इस समय उत्तेजना के मारे मधु की बुर फूलने पिचकने लगी,,,,अपने बेटे की हरकत को देखते हुए मधु इतना तो समझ गई थी कि वह जवान हो रहा है और जवानी के जोश में वह अपनी मां को ही गंदी नजर से देखने लगा है,,,यह बात जहां उसे हैरान करने वाली थी वहीं इस बात से उसे ना जाने क्यों आनंद की अनुभूति भी हो रही थी कि उसके बेटे की हर एक हरकत से वह मदहोश होती जा रही थी,,,, मधुबनी मन में सोचने लगी कि उसका बेटा जाने अनजाने में नहीं बल्कि जानबूझकर यह सब कर रहा है,,,, गाय को खेलते समय अपने लंड को सटाकार कर सटाकर दो-तीन बार धक्के लगा देना,,, रस्सी के टूटने के बाद उसकी मोटी चिकनी जांघों को अपनी हथेली से सहला देना और तो और उसे उठाने में मदद करने के बहाने उसकी बुक पर अपनी हथेली रख देना यह सब जानबूझकर उसका बेटा कह रहा था इसका एहसास उसे अच्छी तरह से हो गया था,,,, और तो और आखिरी पल में जिस तरह से अपनी पत्नी को उसकी पूरी होगी पूरी पर रखकर अपनी बीच वाली उंगली को उसकी बुर की दरार से रगड़ते हुए ऊपर की तरफ लाया था उसकी यह हरकत से पूरी तरह से मधु कामातुर हो गई थी और अपनी उत्तेजना को अपने बस में ना कर सकने के कारण झट से उसका पानी निकल गया था,,,,,,,, जिंदगी में पहली बार ऐसा हुआ था कि बिना चुदवाए ही मधु का पानी निकल गया था,,,, क्योंकि जिस समय राजू अपनी मां की बुर को लगा रहा था उसी समय मधु को अपनी भारी-भरकम गांड पर उसके बेटे का मोटा तगड़ा लंड चुभता हुआ महसूस हुआ था और उसी पल वह पानी छोड़ दी थी,,,, यही सब सोचकर मधु हैरान में जा रही थी कि तभी अपने पति की आवाज को सुनकर उसकी तंद्रा भंग हुई,,,।


अरे भोजन तैयार हो गया क्या,,,,


हां,,,हा,,,, अभी परोसती हुं,,,,,(इतना कहकर थोड़ी देर में ही व खाना परोस कर अपने पति हरिया को दे दी और दूसरे काम में लग गई तब तक गाय को वापस लाकर अपनी जगह पर बात कर राजू घर पर आ गया था लेकिन जो कुछ भी हुआ था उससे भी वह पूरी तरह से उत्तेजित हो गया था और पहली बार दिन में चुदाई कीए,,,, उसका पानी निकल गया था इसका एहसास उसे अच्छी तरह से हो गया था कि उसकी मां के खूबसूरत बदन में जवानी कूट-कूट कर भरी हुई है,,,, क्योंकि आज उसकी मां बिना अपने बुर में लीए ही उसका पानी निकाल दी थी,,,,,,, राजू हाथ मुंह धो कर अपनी मां के पास आया और बोला,,,।


मा खाना निकाल दो मैं गाय बांध दिया हूं,,,


तू बैठ मैं खाना निकालती हूं,,,,(राजू से नजर मिलाए बिना ही मधु बोली क्योंकि जो कुछ भी हुआ था उसको लेकर मधु की हिम्मत नहीं थी कि वह अपने बेटे से नजर मिला सके,,, लेकिन राजू मैं बिल्कुल भी शर्म नहीं थी क्योंकि वह कई औरतों को भाोग चुका था,,, इसलिए वह अब हर औरत को एक ही नजर से देखता था,,,। जिसमें उसकी मां भी उसके लिए अछूती नहीं थी,,,,,,


राजू खाना खा ही रहा था कि गुलाबी कपड़ों का ढेर लेकर आई और राजू से बोली,,,।



चल जल्दी से खाना खा ले और सारे कपड़े उठाकर नदी पर चल आज इन्हें धोना है,,,


हां यह तु ठीक कर रही है गुलाबी,,,,इससे काम कराया कर दिन भर यहां वहां घूमता रहता है,,,,(खाना खाकर हाथ में लोटा लिए खटिया पर से उठते हुए हरिया बोला,,,, इतने में गुलाबी हरिया के हाथ से लौटा लेते हुए बोली)


लाओ भैया मैं हाथ धुला देती हूं,,,,,,(और इतना कहने के साथ ही वह दोनों आंगन से थोड़ा बाहर आ गए,,, जहां पर गुलाबी लोटा लेकर थोड़ा सा चूक गई और हाथ धोने के लिए हरिया भी झुकते हुए हाथ आगे कर दिया ऐसा करने से गुलाबी कीमत मस्त चूचियां कुर्ती में से बाहर झांकने लगी गुलाबी जानबूझकर इतना ज्यादा झुक गई थी कि उसके निप्पल तक हरिया को नजर आ रही थी जिसे देखते हुए उसके मुंह में पानी आ रहा था और वह आहे भरने लगा गुलाबी जानती थी कि उसका भाई उसकी कुर्ती में झांक रहा है और इसीलिए वह बोली,,,,)

Kamlaa chachi ki gaand


क्या भैया तुमको तो लगता है मेरी याद ही नहीं आती,,, अरे मेरी ना सही,,,(नजरों से अपनी चुचियों की तरफ इशारा करते हुए) इसकी भी याद नहीं आती,,,

अरे गुलाबी बहुत याद आती है लेकिन क्या करूं तुम्हारे साथ समय बिताने का मौका ही नहीं मिलता,,,,


मौका ढूंढने से मिलता है,,,, और इस तरह का मौका तो बड़ी मुश्किल से ही मिलता है,,, जिसमें हम दोनों साथ में समय बिता सकें,,,


क्यों गुलाबी बुर में ज्यादा खुजली हो रही है क्या,,,(हाथ धोते हुए हरिया बोला,,,)

बहुत खुजली हो रही है भैया मेरी बुर भी तुम्हारे लंड की दीवानी हो गई है,,, तुम्हारे लंड़के के बिना रहा नहीं जाता,,,



लगता है जल्दी ही तेरी शादी करना पड़ेगा ताकि इधर-उधर तुझे मुंह ना मारना पड़े,,,


शादी जब होगी तब होगी,,,, सुहागरात तो तुम्हारे साथ ही मनाना है,,,,


हाय मेरी जान,,, तेरी बातें मुझे पागल कर रही है जल्द ही तेरी बुर का पानी निकालना पड़ेगा,,,


जल्दी निकालिए ना भैया मुझसे रहा नहीं जाता,,,,,


बुआ तैयार हो चलने के लिए,,,,(अंदर से राजू आवाज लगाता हुआ बोला,,,)


हां,,,,आई,,,,,

(हरिया हाथ धो चुका था अपनी बहन की बातें उसे पूरी तरह से मस्त कर गई थी,,,, अपनी बहन के अल्हड़ जवानी से वह पूरी तरह से पानी पानी हुआ जा रहा था,,,, गुलाबी अपनी गांड मटकाते हुएघर के अंदर की तरफ जाने लगी और हरिया अपनी बहन की मदद की भी गांड को देखकर गरम आहें भरने लगा,,,, थोड़ी देर बाद गुलाबी राजू को लेकर नदी पर पहुंच चुकी थी,,, नदी पर गांव के काफी लोग मौजूद थे क्योंकि सुबह का समय था इसलिए राजू चाहते हुए भी कुछ कर नहीं सकता था,,,,इसलिए वह भी अपनी बुआ के साथ बैठकर कपड़े धोने में उसकी मदद करने लगा,,,,इस समय नदी पर वह अपनी बुआ के साथ कुछ नहीं कर पाएगा इसलिए थोड़ा उदास था क्योंकि वह जो कुछ भी अपनी मां के साथ हरकत किया था उसे सेवा पूरी तरह से गर्म हो गया था और अपनी गर्मी बुआ की जवानी पर उतारना चाहता था लेकिन कुछ कर नहीं सकता था इसलिए उसका मुंह उतरा हुआ था और वह भी कपड़े धोने में मदद कर रहा था गुलाबी उसकी तरफ देखते हुए बोली,,,।



क्यों रे तेरा मुंह क्यों उतरा हुआ है,,,?(कपड़े को धोते हुए)

उतरा तो रहेगा ना,,,

वही तो पूछ रही हूं क्यों,,?


गांड तो देती नहीं हो,,, और पूछती हो क्यों,,

अरे पागल हो गया है क्या तू,,,, सब कुछ तो मैं तुझे दे दी हुं लेकिन गांड नहीं देने वाली,,,,


लेकिन क्यों बुआ,,, बुर चोदने देती हो तो गांड क्यों नहीं,,!


तु अच्छी तरह से जानता है कि मैं तुझे गांड क्यों नहीं दे रही हुं,,,,, तेरा लंड देखा है कितना मोटा है,,,, एकदम मुसल जैसा और मेरी गांड का छेद एकदम छोटा है,,,,, उसमें भला तेरा लंड कैसे घुसेगा,,,,,,


घुस जाएगा बुआ एक बार कोशिश तो करने दो,,,

नहीं नहीं बिल्कुल भी नहीं मैं तुझे वहां पर छूने भी नहीं दूंगी तेरी नियत खराब होती जा रही है,,,, मुझे बहुत डर लगता है,,,


क्या बुआ मा तो एकदम आराम से ले लेती है,,,


तो जाना अपनी मां से ही उसकी गांड मांग ले शायद तेरा लंड देखकर वह भी तेरे से गांड मरवा लेगी,,,
(राजू को अपनी बुआ की यह बात बहुत अच्छी लगी थी,,,, अपने मन में सोचने लगा कि शायद श्याम जैसी किस्मत होती तो उसकी यह इच्छा भी पूरी हो गई होती,,,, लेकिन फिर भी वह अपने बुआ से बोला,,,)

क्या हुआ तुम भी मुझे तो तुम्हारी गांड मस्त लगती है,,,


तो चाट ले चुम ले लेकिन तुझे गांड मारने की इजाजत नहीं दुंगी,,,


अरे कुछ नहीं होगा तेल लगाकर करुंगा ना,,,


तेल लगा या मलाई,,, लेकिन गांड पर बिल्कुल भी नहीं,,,,, ईतना कुछ दे दी हु फिर भी,,, छोटे से छेद के लिए जिद कर रहा है,,,


अरे यह बात नहीं है बुआ मैं भी तो देखूं क्या वाकई में गांड मारने में‌ मजा आती है,,,,


चल हरामी,,, रहने दे ये सब बात और कपड़े धोने में मेरी मदद कर,,,।
(राजू को लगने लगा कि उसकी गांड मारने की इच्छा सिर्फ इच्छा ही बनकर रह जाएगी और वह कपड़े धोने में अपनी बुआ की मदद करने लगा,,,,,, वह कपड़े धो ही रहा था कि उसे कमला चाची की आवाज सुनाई दी जो कि ठीक उसके पीछे से आ रही थी,,,)

क्यों राजू बेटा अब तो दिखाई नहीं देता,,,, कहां रहता है दिन भर,,,

(कमला चाची को अपनी तरफ आती हुई देखकर गुलाबी कमला चाची को प्रणाम करते हुए बोली,,)

नमस्ते चाची,,,


खुश रहो बेटी,,,,

नमस्ते चाची,,,


नमस्ते,,,,,, नमस्ते राजू,,,, और कहो कैसा हाल है,,,


एकदम बढ़िया है चाची,,,


हां एकदम बढ़िया तो रहेगा ही जब काम धाम करना नहीं है तो दिन भर आराम करके और क्या रहेगा,,,(गुलाबी बीच में बोल पड़ी,,)


अरे नहीं बेटा ऐसी कोई बात नहीं है जब जिम्मेदारी आएगी तो खुद ही समझदार हो जाएगा अभी तो इसके खेलने खाने के दीन है,,,,(कमला चाची राजू के सर पर हाथ रखते हुए बोली,,,)


अरे तुम नही जानती चाची,,,, यह बहुत कमी ना है,,,,


देख लेना चाहिए घर वालों के लिए हमें निकम्मा और कमी ना हो लेकिन यह क्या जानती है कि बाहर मेरी कितनी इज्जत है बाहर वालों को मेरी कितनी जरूरत है,,,(कमला चाची की तरफ देखते हुए राजु बोला,,,राजू के कहने का मतलब को कमला चाची अच्छी तरह से समझ रही थी इसलिए उसके होठों पर मुस्कान आ गई,,,, राजू अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला,,,)

लेकिन तुम यहां क्या कर रही हो चाची,,,,


अरे मैं भी कपड़े धोने के लिए आई थी बहू भी पीछे पीछे आ गई वह देख बहू कपड़े धो रही है,,, मैं भी सोची चलो 1 साथ दो काम हो जाएगा कपड़े भी सुख जाएंगे और हम नहा भी लेंगे,,,


चलो यह भी अच्छा है,,,,(गुलाबी कमला चाची की तरह मुस्कुराते हुए देख कर बोली तो कमला चाची की मुस्कुराकर अपनी बहू की तरफ जाते हुए बोली,,,)

आते रहना राजू,,,


जी चाची,,,,


गुलाबी और राजू ने मिलकर सारे कपड़े धो लिया था और गुलाबी कपड़ों को झाड़ियों पर डालने के लिए ले जा रही थी इतने मे राजु नदी में उतर गया था,,,, गुलाबी जैसे कपड़े डाल कर वापस आई तो राजू को नदी में देख कर बोली,,,


तेरा नहाना जरूरी था क्या मुझे नहाने दे चल बाहर निकल,,,,

तुम वहीं बैठ कर नहा लो ना बुआ,,,,


नहीं मुझे भी आज नदी में उतर कर नहाना है,,,।

(अपनी बुआ की बात सुनकर वह तुरंत नदी में ही अपने हाथ को नीचे की तरफ ले जाकर अपने पजामे को उतारने लगा और अगले ही पल अपने पजामा को उतारकर नदी में हो पूरी तरह से नंगा हो गया और पैजामा को नदी से बाहर की तरफ फेकते हुए बोला,,,,)

लो जब तक मैं नहा लूंगा तब तक कपड़े भी सुख जाएंगे तुम थोड़ा सा धोकर करें झाड़ियों पर डाल दो,,,


बाप रे तुझे शर्म नहीं आती एकदम नंगा हो गया है,,,।

इसमें शर्म कैसी बुआ तुम भी अपने सारे कपड़े उतार कर नंगी होकर नदी में आ जाओ बहुत मजा आएगा एक साथ नंगे होकर नहाने में,,,

धत्,,, तु बहोत बेशर्म हो गया है तू नहाकर निकलेगा तभी मैं नहाऊंगी,,,,,,(और इतना कहकर वही बड़े पत्थर पर बैठ गई और उसके पजामे को धोने लगी,,,, काफी देर तक रघु नदी के ठंडे पानी में इधर से उधर तैर कर नहा रहा धीरे-धीरे वहां से सब लोग जाना शुरू हो गए थे और अब केवल कमला चाची ही उसकी बहू और उसकी गुलाबी बुआ और वो खुद रह गया था,,,, कमला चाची और उसकी बहू नदी में उतर कर ठंडे पानी का मजा ले रहे थे,,,, कमला चाची और उसकी बहू दोनों अपना ब्लाउज में कहां रख कर नदी के किनारे रख दिए थे केवल साड़ी लपेट कर नदी में उतरे थे,,,, कमला चाची किनारे पर बैठकर नहा रही थी और उनकी बहू जो कि अभी पूरी तरह से जवान थी वह थोड़ा हिम्मत करके नदी के बीच मैं धीरे धीरे चलते हुए आ रही थी,,,, चारों तरफ सन्नाटा छाया हुआ था नदी के किनारे दोनों तरफ बड़े-बड़े पेड़ लगे हुए थे जिससे उसके छांव में पानी और ज्यादा ठंडा महसूस होता था,,, गुलाबी किनारे पर बैठे-बैठे ही नहाना शुरू कर दी थी,,, कमला चाची की बहू की नजर राजू पर पड़ तू की थी इसलिए वह राजू को देख देख कर मुस्कुरा रही थी,,, राजू समझ गया था कि उसके बदन पर ब्लाउज नहीं है उसकी चूचीया एकदम नंगी है जो की भीगी हुई साड़ी ऊपर डालने की वजह से चूचियों का गोलाकार एकदम साफ नजर आ रहा था,,,, जिसे देखकर राजू के मुंह में पानी आ रहा था वह नदी के पानी में भी उसका लंड पूरी तरह से खड़ा हो गया था,,,, राजू इशारा करके उसे अपने पास नदी के बीचों-बीच बुला रहा था,,,,,, राजू से मिलने के लिए वह भी बेकरार थी,,,, उसका मन भी मचल रहा था राजु से मिलने के लिए,,,

और वह धीरे-धीरे आगे बढ़ने लगी,,,यह जानते हुए भी कि नदी के बीचो-बीच पानी बहुत गहरा है उसे तो राजू से मिलने की धुन सवार थी,,,,कमर तक बहरा पानी धीरे-धीरे उसकी कमर से ऊपर की तरफ आने लगा जैसे जैसे अपनी कदम आगे बढ़ा रही थी वैसे वैसे पानी ऊपर की तरफ जा रहा था,,,, पीछे से कमला चाची आवाज भी लगा रही थी कि आगे मत जा आगे पानी गहरा है,,,, कमला चाची को रत्ती भर भी शक नहीं था कि वह राजू से मिलने जा रही हैं,,,, और आगे कदम बढ़ाते हैं उसका पांव मिट्टी में फिसल गया और वह गिरने लगी,,, उसे तेरना बिल्कुल भी नहीं आता था इसलिए छटपटाने लगी,,,,, राजू समझ रहा था कि उसे तैरना आता है इसलिए वह नदी के बीचो-बीच ही खड़ा रहा लेकिन जब करना चाहती जोर से चिल्लाई तब उसे आभास हुआ कि कमला चाची की बहू को तैरना नहीं आता,,,,, नदी के बीच के पानी के बहाव में कमला चाची की बहू राजू की तरफ बहने लगी और कमला चाची किनारे पर खड़े होकर राजू को ही उसे बचाने के लिए बोल रही थी क्योंकि वहां अब कोई भी नहीं था,,,,।

जब यह एहसास हुआ कि करना चाहती की बहू वाकई में तेरा नहीं जानती तब राजू भी लपका और अगले ही पल वह कमला चाची की बहू को अपने हाथों से पकड़ लिया,,,, अब डरने वाली कोई बात नहीं थी इसलिए कमला चाची की बहू को अपनी बांहों में भरते हुए बोला,,,।


डरो मत मेरी जान अब तुम्हें कुछ नहीं होगा तुम मेरी बाहों में,,,,(कमला चाची की बहू एकदम से घबरा चुकी थी,,,अभी थोड़ी देर बाद ही उसे एहसास हो गया कि वह सुरक्षित हाथों में है तो वह सुकुन की सांस ली,,, नदी के बाहर खड़ी गुलाबी भी चैन की सांस ली जब राजू ने नदी के बीचो-बीच डूबती हुई कमला चाची की बहू को थाम लिया,,,, राजू की बाहों में अपने आप को पाकर कमला चाची की बहू राहत की सांस ले रही थी और यह देखकर की राजू ने उसकी बहू को डूबने से बचा लिया है कमला चाची भी प्रसन्ना नजर आने लगी लेकिन राजू की उत्तेजना और ज्यादा बढ़ गई थी क्योंकि वह नदी में भी अत्यधिक उत्तेजित हो गया था,,, नदी के बहाव में कमला चाची की बहू की साड़ी निकल चुकी थी इसी का फायदा उठाते हुए कमला चाची की बहू को अपने बाहों में भर कर पकड़े हुए बोला,,,)


भाभी तुम्हारी साड़ी तो निकल गई है,,,,


जान बच गई यही बहोत है,,,


तो फिर पेटीकोट को भी जाने दो,,,(इतना कहने के साथ ही पानी के अंदर हाथ डाले हुए हैं वह कमला चाची की बहू की पेटीकोट का नाड़ा खींच लिया और अगले ही पल पेटीकोट एकदम ढीली हो गई जिसे राजू अपने हाथों से उतारने लगा,,,

नहीं नहीं राजू ऐसा मत कर मैं एकदम नंगी हो जाऊंगी और बाहर कैसे जाऊंगी,,,


तुम चिंता मत करो भाभी जान बच गई यही बहुत है ,,,(और अगले ही पल राजू ने पेटीकोट भी उतार दिया और वह एकदम नंगी हो गई,,,, राजू का लंड बार-बार उसके पेट में उसकी जांघों पर रगड़ खा रहा था नदी के ठंडे पानी में भी राजू के नंद की गर्मी कमला चाची की बहु अपने बदन में महसूस कर रही थी,,,, तुम्हें चाची की बहू कुछ समझ पाती इससे पहले ही राजू उससे बोला,,,।




मेरी जान अपनी बाहों का हार मैंने गले में डालकर पकड़े रहना,,


सासू मां देख रही है तुम्हारी बुआ भी,,,


वह दोनों को बिल्कुल भी शक नहीं होगा,,,, क्योंकि अपनी हालत देख रही हो सिर्फ हम दोनों का सिर ही बाहर है बाकी सब कुछ अंदर है,,,
( राजू के कहने का मतलब को कमला चाची की बहू एकदम अच्छे से समझ गई थी और वह घबरा दी गई थी पानी के अंदर चुदाई के बारे में कभी सोचा भी नहीं थी और वादी किनारे पर खड़े अपनी सासू मां की आंखों के सामने,, इसलिए वह राजू को रोकते हुए बोली,,)


नहीं नहीं राजू ऐसा मत कर,,, सासू मां को शक हो गया तो कहीं की नहीं रह जाऊंगी,,,


अरे कुछ नहीं होगा मेरी जान,,,(और इतना कहने के साथ ही नदी के बीचो-बीच नदी के ठंडे पानी में गले तक डूबे हुए ही वह कमला चाची की बहू की गांड की दोनों फांकों को पकड़कर उसे ऊपर की तरफ उठाया और उसकी दोनों टांगों को अपनी कमर के इर्द-गिर्द लगने के लिए और ऐसा करने के साथ ही एक हाथ नीचे की तरफ ले जाकर अपने लंड को कमला चाची की बहू की बुर में डाल दिया और पल भर में राजू का लंड कमला चाची की बहू की बुर में घुस गया,,, हल्की सी आहहह की आवाज के साथ कमला चाची की बहू राजू को और कस के पकड़ ली,,,राजू धीरे-धीरे अपनी कमर को आगे पीछे करते हुए कमला चाची की बहू की चुदाई करना शुरू कर दिया था और धीरे-धीरे आगे बढ़ रहा था,,,

किनारे पर खड़ी कमला चाची और उसकी बुआ को तो बिल्कुल भी शक ही नहीं हो रहा था कि ऐसे हालात में भी राजू कमला चाची की बहू की चुदाई करना है उन दोनों को तो ऐसा ही लग रहा था कि वह उसे बचाकर सहारा देकर बाहर लेकर आ रहा है,,,,पानी के अंदर चुदाई का यह राजू और कमला चाची की बहू का पहला अनुभव था कमला चाची की बहु पुरी तरह से मस्त में जा रही थी नदी के अंदर भी राजू उसकी जबरदस्त तरीके की चुदाई कर रहा था पूरा लंड उसकी बुर की गहराई नाप रहा था और नदी में आगे बढ़ते हुए कमला चाची और उसकी बुआ को बिल्कुल शक ही नहीं हो रहा था कि,,, नदी के बीचो-बीच वह चुदाई कर रहा है राजू गठीले बदन का मालिक था जवानी से भरा हुआ मर्दाना ताकत उसकी नसों में उबाल मार रहा था बड़े आसानी से वह नदी में तैर कर आगे बढ़ते हुए पानी की गहराई में अपने लंड को उसकी बुर के अंदर बाहर कर रहा था,,,,।


तू बहुत कमी ना है,,,


क्या करूं भाभी तुम जैसी खूबसूरत भाभी अगर नंगी हो तो कमी ना बनना ही पड़ता है,,,,


देखना अगर मेरी सास को जरा भी शक हो गया ना तो मैं तुझे जिंदा नहीं छोडूंगी,,,


हाय मेरी जान तुम्हारी जवानी ने वैसे भी कौन सा जिंदा छोड़ा है,,,, तुम्हारी तड़पती हुई जवानी,,,(एक हाथ से कमला चाची की बहु की चूची को दबाते हुए) मेरे दिल पर रोज ना जाने कितनी छुरियां चलाती है,,,।


तो घर क्यों नहीं आता मेरी जवानी को लुटने के लिए,,,


अरे मेरी भाभी जान रोज-रोज घर पर आऊंगा तो शक नहीं हो जाएगा,,, और मैं नहीं चाहता कि तुम किसी भी तरह से बदनाम हो,,,।


अच्छा बच्चु यह जो मेरी सासू मां के सामने मेरी चुदाई कर रहा है वह क्या है,,,


उन्हें पता चलेगा तब ना उन्हें तो ऐसा ही लग रहा है कि मैं तुम्हें बचा कर नदी से बाहर ला रहा हूं उन्हें क्या पता कि नदी के बीचो-बीच तुम्हारी चुदाई ‌कर रहा हूं,,,,

आहहहह,,,


क्या हुआ मेरी जान,,, ज्यादा अंदर तक घुस गया क्या,,?


हरानी पानी में भी इतना जोर जोर से धक्का मार रहा है,,,,


लेकिन मजा तो आ रहा है ना भाभी,,,,


चल मैं कुछ नहीं बोलूंगी तु जल्दी-जल्दी कर,,,


हाय मेरी भाभी कितनी उतावली हुए जा रही है जोर-जोर से चुदवाने के लिए,,,,

धत पागल ,,,,


राजू भी अच्छी तरह से जानता था कि ज्यादा देर तक वह नदी के बीचो-बीच नहीं रह सकता है क्योंकि बाहर कमला चाची इंतजार कर रही थी इसलिए वह जोर जोर से धक्के लगा रहा था और देखते ही देखते कमला चाची की बहू के साथ साथ वह भी झड़ गया चढ़ते समय कमला चाची की बहु कस के राजु को अपनी बाहों में भर ली थी,,,, राजू का लंड पानी छोड़ दिया था इसलिए वह अपने लंड को बाहर निकाल लिया था और देखते ही देखते हो एकदम किनारे तक पहुंच गया था लेकिन वह बीच गहराई मे नहीं रुका रह गया,,,, क्योंकि अब कमर तक पानी में आराम से जा सकती थी और जैसे ही राजू ने उसे किनारे पर जाने के लिए छोडा, वैसे ही कमला,, चाची की बहू उससे अलग हुई और दोनों हाथों से अपनी छातियों को छुपा कर आगे बढ़ने लगी,,,, राजू नदी से बाहर नहीं आया था और बिना कुछ बोले वापस दूसरी तरफ चला गया था वह वहीं पर खड़ा होकर रुकना नहीं चाहता था क्योंकि ऐसा करने पर कमला चाची को अजीब लग सकता था,,,,।


आजा मेरी बेटी आज तो अनहोनी हो जाती,,, भला हो राजू का की नदी में ही मौजूद था,,,, ( वह इतना कह रही थी कि कमला चाची की बहू नदी से बाहर आ गई और एकदम नंगी से नंगी देखकर कमला चाची एकदम से चौंक गई और बोली,,)


हाय दैया तेरे कपड़े कहां है पेटीकोट कहां गई तू तो पूरी नंगी हो गई है,,,


वह क्या है ना माजी की नदी के बीचो-बीच पानी का बहाव बहुत तेज था और उसी तेज बहाव में मेरी साड़ी और पेटीकोट भी निकल गई,,,,
(अपनी बहू की बात सुनकर इधर उधर देखते हुए)

चल कोई बात नहीं जान तो बच गई ना जान है तो जहान है,,,(इतना कहने के साथ ही वह सूखे हुए कपड़े लाकर उसे थमा दी और वह जल्दी-जल्दी पहन ली,, तब तक अपने कपड़े पहन कर गुलाबी भी वहां पर आ चुकी थी और बोली,,,)

तुम ठीक तो हो ना भाभी,,,

हां,,, ठीक तो हूं लेकिन अगर आज राजी ना होता तो शायद मैं ना होती,,,


तुम सच कह रही हो भाभी अच्छा हुआ मैं अपने साथ राजू को लेकर आई,,,, वरना इस समय दूर-दूर तक कोई दिखाई नहीं दे रहा है सब जा चुके हैं,,,,


हां गुलाबी भगवान का लाख-लाख शुक्र है कि जान बच गई,,,,


थोड़ी देर में कमला चाची और उसकी बहू चली गई,,,, गुलाबी भी सारे कपड़ों को समेटकर वही किनारे पर रख दी और अभी भी नदी में नहा रहे राजू को बोली,,,,।


कपड़ों को लेते आना मैं जा रही हूं,,,,।
(राजू नदी में से ही गुलाबी की तरफ देख कर मुस्कुराने लगा क्योंकि उसने अपनी जवानी की गर्मी कमला चाची बहू की चुदाई करके शांत कर लिया था,,)
Bahot khoob
Shaandaar update bhai
 
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