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Incest बैलगाड़ी,,,,,

Ek number

Well-Known Member
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अशोक की बीवी हाथ में लालटेन लिए हुए ही वह घर के बाहर आ गई आगे-आगे राजू था,,,अब उसकी दिलचस्पी अशोक की औरतों में कुछ ज्यादा ही बढ़ती जा रही थी वह अशोक की औरतों के बारे में सोच रहा था कि कहां गदर आई जवानी की मालकिन और कहां सुखा हुआ मरियल सा अशोक,,,, औरतों का स्वाद चख चुका राजू समझ गया था कि अशोक की औरत शारीरिक रूप से बिल्कुल भी संतुष्ट नहीं होती होगी,,,,,,,,,, राजू का मन अब वापस घर लौटने का बिल्कुल भी नहीं था,,, क्योंकि उसकी आंखों के सामने जवानी से भरपूर एक औरत खड़ी थी जोकि एक ऐसे इंसान की औरत थीजिसमें दमखम बिल्कुल भी नहीं था और हमेशा शराब के नशे में धुत रहता था ऐसे हालात में वह अपनी बीवी को कैसे संतुष्ट कर पाता होगा,,, इसलिए राजू अपने मन में सोचने लगा कि अगर थोड़ी सी कोशिश की जाए तो आज की रात उसके जिंदगी की हसीन रात बन सकती है,,, क्योंकि मौका और दोस्तों से दोनों राजू के पक्ष में था,,,।



राजा अशोक की औरत से दो कदम आगे चलते हुए बैलगाड़ी के पीछे आ गया और उसके पीछे पीछे अशोक की औरत है जिसके हाथ में अभी भी लालटेन थी और लालटेन की पीली रोशनी में बैलगाड़ी के अंदर बेसुध हो कर लेटा हुआ अशोक साफ नजर आ रहा था जिसे देख कर ही पता चल रहा था कि वह बिल्कुल कि होश में नहीं था,,,,।


रुको मैं उठाता हूं चाची,,,,(इतना कहकर अपने दोनों हाथ आगे बढ़ा कर अशोक की टांग को पकड़े हुए था और नजर घुमाकर अपने बिल्कुल पास में खड़ी अशोक की औरत के खूबसूरत चेहरे को देख रहा था क्योंकि लालटेन की रोशनी में बहुत ज्यादा ही खूबसूरत नजर आ रहा था उसे देखते हुए राजू अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला) मुझे समझ में नहीं आ रहा है कि तुम्हें चाची कहूं या कुछ और क्योंकि तुम्हारी उम्र देख कर मुझे लगता नहीं है कि तुम्हें चाहे कहना योग्य होगा वैसे तो समाज के रीति रिवाज के हिसाब से में इन्हें चाचा कहता हूं तो लाजमी है कि तुम्हें चाची ही कहना पड़ेगा लेकिन मुझे तुम्हें चाहती कहने में खुद को शर्म महसूस हो रही है क्योंकि तुम एकदम बेहद जवान और खूबसूरत औरत हो,,,, और तुम्हें चाची कहने में एक उम्र की सीमा बंध सी जाती है,,, इसलिए समझ में नहीं आ रहा है कि तुम्हें क्या कहूं,,,,(इतना कहने के साथ ही अशोक की औरत का जवाब सोने भी नहीं हुआ अशोक को उठाने की कोशिश करने लगा और अशोक की औरत अपनी खूबसूरती की तारीफ एक अपरिचित जवान लड़के के मुंह से सुनकर पूरी तरह से गदगद हुए जा रही थी,,,, अशोक की बीवी को अपने जाल में फंसाने का यह राजू की तरफ से फेंका गया पहला पासा था,,, और इस पहले पासे में ही अशोक की बीवी चारों खाने चित हो गई थी,,,, भला एक औरत को अपनी खूबसूरती की तारीफ सुनना क्यों ना पसंद होगा,,,, अशोक की बीवी से कुछ भी बोला नहीं जा रहा था उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या बोले राजू की बातों को सुनकर वह अशोक के बारे में भूल गई,,,, तभी अशोक की बीवी के सामने जानबूझकर अपना दम दिखाते हुए बिना उसकी बीवी का मदन लिए हुए ही वह कमर से अशोक को पकड़कर उठाया और अपने कंधे पर किसी बोझ की तरह रख दिया,,,, चाहे देख कर अशोक की बीवी भी हैरान रह गई,,, क्योंकि राजू ने एक झटके में ही उसे कंधे पर उठा दिया था और,,, बोला,,,।

Ashok ki bibi kapde utarne k bad



अरे यार कितना मरियल सा शरीर है ऐसा बिल्कुल भी नहीं लग रहा है कि मैंने एक इंसान को उठाया हूं,,,।
(मरियल शब्द जानबूझकर राजू ने बोला था क्योंकि वहां अशोक की बीवी को एहसास दिलाना चाहता था कि उसका पति बेहद कमजोर और मरियल है इसके मुकाबले वह एकदम जवान और हट्टा कट्टा गठीला बदन वाला है,,, राजू की बात को सुनकर अशोक की बीवी कुछ बोली नहीं लेकिन उसे इस बात का एहसास हुआ था कि उसका पति वाकई में राजु के मुकाबले कुछ भी नहीं था,,, अशोक को कंधे पर उठाकर व दरवाजे की तरफ जाने लगा और बोला,,)

जल्दी से बताओ कहां ले चलना है,,,?


अरे हां रुको,,,,,(इतना कहने के साथ ऐसी हालत में लालटेन दिए हुए अशोक की बीवी जल्दी से कमरे में दाखिल हुई हर आंगन में ही खटिया गिरा कर बोली)
यहीं पर लिटा दो,,,

(और इतना सुनते ही राजू तुरंत आगे बढ़ा और खटिया पर आराम से उसे लिटा दिया उसकी हालत देखने पर राजू समझ गया था कि यह सुबह तक पहुंच में आने वाला नहीं है और उसके पास पूरा मौका था आज की रात रंगीन करने का लेकिन कैसे इस बारे में अभी उसने कोई उसका भी नहीं बनाई थी,,, खटिया पर लेटा लेने के बाद अपना हाथ झाड़ते हुए बोला)


तुम इन्हें समझाती क्यों नहीं,,,, शराब पी पी कर अपनी हालत खराब कर लिए हैं,,,


अब कितना समझाए बबुआ,,, हमारी तो यह एक नहीं सुनते,,, हमारी तो किस्मत खराब हो गई है,,,,,,




सच में मैं तो बिलकुल भी होश नहीं है कि कहां सो रहा हूं,,,,


वैसे तुम कौन हो बबुआ तुम्हें में पहली बार देख रही हूं,,,


मै हरिया का बेटा हूं,,,,


अच्छा-अच्छा हरिया भाई साहब,,,,, 3 दिन पहले मुझे मिले थे मैं उनसे बोली थी कि कुछ समझाईए ईन्हें,,,

अरे पिताजी तो इन्हें बहुत समझाते हैं मेरे सामने ही ऐसी हालत होने से पहले ही कितना समझाए थे लेकिन यह माने नहीं और उन्होंने ही मुझे इन्हें सही सलामत घर पर छोड़ने के लिए बोले थे,,,,


भाई साहब बहुत अच्छे हैं काश उनकी बात ये मान लीए होते तो ऐसी हालत नहीं होती,,,,(अभी भी उसके हाथों में लालटेन थी और लालटेन की रोशनी में उसकी ,भरी हुई छातियां एकदम साफ नजर आ रही थी ब्लाउज के ऊपर के दो बटन खुले हुए थे शायद गर्मी की वजह से वह खोले हुए थी,,, लेकिन वजह चाहे जो भी हो इस समय वह राजू के लंड की एठन बढ़ा रही थी,,, अशोक की बीवी की बात सुनकर राजू बोला)




अभी भी सुधर जाए तो भी,,,


अब भगवान जाने कब इन्हें अक्ल आएगी,,,,,,,(अशोक की बीपी एकदम सहज होकर बातें कर रही थी उसके मन में राजू को लेकर ऐसा वैसा कुछ भी नहीं था लेकिन राजू के मन में उसे लेकर के ढेर सारी भावनाएं उमड रही थी,,, अशोक की बीवी एकदम सहज होते हुए बोली,,) अरे बबुआ रात तो काफी हो गई है ऐसे में घर जाना ठीक नहीं है,,, एक काम करो तुम आज की रात यही रुक जाओ,,,।


नहीं नहीं मैं चला जाऊंगा,,,,


अरे कैसे चले जाओगे एक तरह से तुम आज की रात हमारे मेहमान हो,,, पर इतना तो जानती हूं कि तुम मेरे पति को यहां लेकर आए हो तो अभी तक खाना भी नहीं खाए होंगे,,,, रुको मैं खाना गर्म कर देती हूं,,,,
Uski badi badi chuchiya dekh k raju mast us ja raha tha


नहीं नहीं तुम रहने दो मैं तुम्हें तकलीफ नहीं देना चाहता हूं वैसे भी तुम कम तकलीफ में नहीं हो,,,

अरे बाबुआ यह तो रोज का हो गया है,,,,,, पर शायद जिंदगी भर का हो गया है,,, रुको मैं अभी खाना गर्म कर देती हूं,,,(वह लालटेन लिए चूल्हे के पास जाने लगी,,, राजू उसे परेशान करना नहीं चाहता था लेकिन क्या करें उसे भूख भी लगी थी और वह कुछ कहता इससे पहले वह खुद ही उसे रुकने के लिए बोल दी थी,,,,, रुकने के लिए बोल कर उसने तो राजू के लिए सोने पर सुहागा कर दी थी,,,, अशोक की औरत चोली के पास बैठकर चूल्हा जलाने लगी,,,लेकिन चुना ठीक से चल नहीं रहा था तो राजू ही उसकी मदद करने के लिए उसके पास गया और बैठ कर चुल्हा जलाने लगा,,,,,, दोनों बैठे हुए थे राजू दियासलाई जलाकर सूखी लकड़ी को जलाने की कोशिश कर रहा था और,,, अशोक की बीवी थोड़ा सा झुक कर फूंक मारकरलकड़ी के साथ डाले हुए सूखे पत्ते को जलाने की कोशिश कर रही थी उसके झुकने की वजह से और ब्लाउज के ऊपर के दो बटन खुले होने की वजह से उसकी आधे से ज्यादा चूचियां बाहर को लुढकी हुई नजर आ रही थी,,, जिस पर बार-बार राजू की नजर चली जा रही थी मन तो उसका कर रहा था कि अपने हाथों से इसके ब्लाउज के बटन खोल कर दोनों खरबूजा को हाथ में लेकर जी भर कर दबा दबा कर उनसे खेले,,, लेकिन इतनी जल्दी वह हिम्मत दिखाने के बारे में सोच भी नहीं सकता था क्योंकि उसके मन में क्या चल रहा है इस बारे में राजू को बिल्कुल भी मालूम नहीं है रांची पहले माहौल को पूरी तरह से समझ लेने के बाद ही अगला कदम बढ़ाता था,,, चोला चलाते हुए राजू अशोक की बीवी से बोला,,,।)

मैं तुमको चाची कहकर कर बोलु तो तुम्हें एतराज तो नहीं होगा,,,





अब एतराज कैसा बबुआ जमाने का दस्तूर ही यही है,,, अगर तुमने चाचा कहते हो तो मुझे चाची कहोगे ना अब भाभी तो थोड़ी ना कहोगे,,,

बात तो ठीक ही कह रही है चाची लेकिन तुम्हारी उम्र तुम्हारी खूबसूरती देखकर तुम्हें चाची कहने का मन नहीं कर रहा है,,,


तो फिर क्या कहने का मन कर रहा है,,,

भाभी,,,,
(राजू की बात सुनकर अशोक की बीवी हंसने लगी और उसे हंसता हुआ देखकर राजू के मन में प्रसंता के भाव नजर आने लगे क्योंकि हंसते हुए वह बेहद खूबसूरत लग रही थी,,, उसे हंसता हुआ देखकर राजू अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला,,) सच भाभी,,,मैं तो तुम्हें भाभी हीं कहूंगा क्योंकि तुम्हारी उम्र चाची कहलवाने वाली नहीं है,,,, तुम हंसते हुए कितनी खूबसूरत लगती हो,,,।
(इतना सुनकर अशोक के बीवी राजू की तरफ एक तक देखने लगी और फिर हंसने लगी और हंसते हुए बोली,,)



बबुआ तुम बहुत अच्छी अच्छी बातें करते हो और सच कहे तो जिस तरह से तुम मेरी खूबसूरती की तारीफ कर रहे हो ना आज तक उन्होंने बिल्कुल भी नहीं किया,,(खटिया पर सो रहे अपने पति की तरफ इशारा करते हुए) यहां तक कि हमारी तरफ ठीक से देखते तक नहीं है बसु का बैल गाड़ी लेकर निकल जाते हैं और रात को इसी तरह से नशे में धुत होकर घर पर आते हैं,,,,(ऐसा कहते हुए पढ़ाई में रखी हुई सब्जी को कढ़ाई सहित चूल्हे पर रखकर उसे गर्म करने लगी,,)

एक बात कहूं भाभी,,,

कहो,,,


सच में तुम्हारी किस्मत खराब है,,,


वह क्यों,,,?


क्योंकि भाभी तुम्हें देखकर कोई इनको, (अशोक की तरफ इशारा करते हुए) इन्हें थोड़ी ना कहेगा कि यह आपके पति है,,, तुम्हारा पति तो होना चाहिए था कोई बांका जवान गठीला बदन वाला लंबा चौड़ा जो तुम्हें अपनी बाहों में भर ले तो तुम्हारे दामन में दुनिया भर की खुशियां भर दे,,,

Gulabi

(राजू की बातें सुनकर बहुत सोच में पड़ गई,,, क्योंकि वह भी जानती थी कि उसकी शादी ऐसे इंसान से नहीं होना चाहिए था लेकिन मजबूरी से गरीबी से मां-बाप परेशान थे इसलिए जो हाथ लगा उसी से बिहा कर दिया,,,,)

बात तो तुम ठीक ही कह रहे हो लेकिन किस्मत का लिखा कौन टाल सकता है शायद मेरी किस्मत में यही था,,,,(कढ़ाई गर्म हो रही थी इसलिए वह दोनों हाथों में कपड़े का टुकड़ा लेकर कढ़ाई को नीचे उतार दी,,, वह खाना परोसने लगी और राजु अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला,,)


भाभी मुझे यह सवाल तो नहीं पूछना चाहिए था लेकिन फिर भी मैं पूछ ही लेता हूं कि बच्चे कितने हैं,,,
Gulabi ki khubsurat gaand

बच्चे,,,,(इतना कहकर ना कुछ देर तक जगह किसी ख्यालों में खो गई और फिर थोड़ी देर बाद बोली) नहीं नहीं शादी के 2 साल हो गए हैं लेकिन बच्चे नहीं हैं और ऐसी हालत में तो अच्छा ही है कि नहीं है,,,


नहीं भाभी ऐसा क्यों बोल रही हो बच्चे तो भगवान का दिन होते हैं और बच्चे होंगे तब तुम भी बच्चों में खोई रहोगी तुम्हें भी खुशी मिलेगी,,,,
(राजू की बात से वह पूरी तरह से सहमत थी लेकिन 2 साल हो गए थे बच्चे क्या वह ठीक से संभोग सुख भी प्राप्त नहीं कर पाई थी क्योंकि उसके बदन के मुकाबले उसका पति कुछ भी नहीं था एकदम बढ़िया सा शरीर लेकर जब भी उसके ऊपर चढ़ता था तो तुरंत पानी फेंक देता था असली जवानी का सुख तो वह भोग ही नहीं पाई थी,,, फिर भी वह अपना मन मारते हुए राजु से बोली,,)

हो जाएगा जब होना होगा,,,(इतना कहते हुए वह भोजन की थाली राजू की तरफ आगे बढ़ा दी और पानी लाने के लिए कोने में रखें मटके की तरफ जाने लगी,,,और जाते समय राजू की नजर उसकी गोल गोल गांड पर थी जोकि जवानी के रस से पूरी तरह से भरी हुई थी जिस पर मर्दाना हाथों का शायद सही उपयोग नहीं हुआ था इसलिए गांड का घेराव खेली खाई औरतो वाला बिल्कुल भी नहीं था,,, गांड का आकार एकदम सुगठित था,,,,, शादी को 2 साल हो गया था लेकिन 2 साल में वह बजाना सुख से पूरी तरह से शायद वंचित ही रह गई थी या उसे असली सुख प्राप्त नहीं हुआ था इसलिए उसके बदन में ज्यादा बदलाव नहीं आया था बस थोड़ा सा भराव आ चुका था,,,, फिर भी मटकती हुई गांड देखकर राजू के हौसले पश्त होने लगे,,, प्यासी नजरों से उसके कमर के नीचे के घेराव को देखता है जा रहा था और अपनेपहचाने में उठ रहे तूफान को अपने हाथों से दबाने की कोशिश करता जा रहा था,,,, वह अशोक की बीवी की गांड देख ही रहा था कि वह बोली,,,।

अरे बबुआ तुमने तो हाथ धोए ही नही ,, आ जाओ मैं हाथ धुला देती हूं,,,,
(और इतना सुनते ही राजू अपनी जगह से खड़ा हुआ और
हाथ धो कर वापस आ गया हुआ था ली क्या है बैठ गया और जैसे ही पहला निवाला मुंह में डालने लगा कि तभी वह अशोक की बीवी की तरफ देखते हुए बोला,,,)

तुम खाना खाई हो भाभी,,,,


upload photos


नहीं मुझे भूख नहीं है,,, इंतजार करते करते सो गई और फिर लगता है कि मेरी भूख भी सो गई,,,।


अरे ऐसे कैसे मैं तुम्हारे हिस्से का खाना खा जाऊं ऐसा नहीं हो सकता,,,


नहीं बबुआ मुझे भूख नहीं है,,,


नहीं नहीं ऐसा बिल्कुल भी नहीं चलेगा मैं तुम्हें खाना खिला कर ही रहूंगा ,,(और इतना कहने के साथ ही राजू अपनी थाली में से निवाला लेकर अशोक की बीवी की तरफ आगे बढ़ाते हुए बोला,,,)

चलो चलो मैं खोलो,, जल्दी से,,,

अरे बबुआ यह क्या कर रहे हो,,,, मैं तुम्हारे हाथों से खाना खाऊंगी,,,,


अरे तू क्या हो गया खाना ही तो खिला रहे हु जहर थोड़ी खिला रहा हूं,,,,


नहीं मुझे शर्म आ रही है,,,


अरे शर्म कैसी,,,,, चलो जल्दी से मुंह खोलो तुम्हें मेरी कसम,,,,।

(अशोक की बीवी को बहुत शर्म आ रही थी क्योंकि एक जवान लड़के के हाथों से वह खाना कैसे खा ले क्योंकि आज तक उसने ऐसा कभी नहीं की थी और ना ही किसी ने उसे अपने हाथों से खाना ही खिलाया था इसलिए मुझे बहुत शर्म आ रही थी लेकिन ना जाने कैसा आकर्षण था राजू की बातों में कि वह उसकी बातें सुनकर मंत्रमुग्ध हुए जा रही थी,,, उसके थोड़ा सा जबरदस्ती करने से अपना मुंह खोल दी और राजू ने निवाला उसके मुंह में डाल दिया और वह शर्माते हुए खाने लगी,,,और फिर जब एक बार शुरू हुआ तो आगे बढ़ता ही रहा राजू ने धीरे-धीरे करके मुझे खाना खिलाना शुरू कर दिया और वह शर्मा संभालकर खाना खाने लगी लेकिन इस तरह से खाना खाने में उसके बदन में अजीब सी हलचल हो रही थी और सबसे ज्यादा हाल-चाल उसे ना जाने की अपनी दोनों टांगों के बीच की पतली दरार में महसूस हो रही थी,,,, खाना खाते खाते उसे अपनी बुर की ली होती हुई महसूस हो रही थी,,,,।

और दूसरी तरफ जब हरिया अकेला ही घर पहुंचा तो मधु राजू के बारे में पूछने लगी और हरिया ने सब कुछ बता दिया,,, आज की रात अकेले गुजारना पड़ेगा इस बात से गुलाबी परेशान हो गई थी क्योंकि उसे भी राजू का लंड लिए बिना नींद नहीं आती थी,,, लेकिन तभी उसके मन में जो ख्याल आया वही ख्याल हरिया के मन में भी आ चुका था,,,,,,,।लेकिन यह बात हरिया गुलाबी से कहता गुलाबी उससे पहले ही मौका देकर करो से रात को अपने कमरे में आने के लिए आमंत्रण दे दी थी,,,,।
लेकिन हरिया अपनी बीवी की चुदाई किए बिना उसके कमरे में नहीं जा सकता था क्योंकि उसकी बीवी की भी आदत थी जब तक वह जमकर चुदवा नहीं लेती थी तब तक उसे नींद नहीं आती थी और चुदवाने के बाद वह बहुत ही गहरी नींद में सोती थी जिससे हरिया का काम आसान हो जाता,,, इसलिए जल्दी से खाना खाकर वह अपनी बीवी को संतुष्ट करने में लग गया था,,,

दूसरी तरफ रांची और अशोक की बीवी ने भी खाना खा लिया था वह लोग खाना खाकर हाथ धो ही रहे थे कि तभी उन्हें दूर से आवाज सुनाई दी,,,


जागते रहो,,,, जागते रहो,,,,,,


यह आवाज सुनकर की बीवी एकदम से घबरा गई,,, लेकिन राजू के चेहरे पर घबराहट बिल्कुल भी नहीं थी,,,, अशोक की बीवी को घबराई हुई देखकर राजू बोला,,।

क्या हुआ भाभी इतनी घबराई हुई क्यों हो,,,


अरे बबुआ से मिल रहे हो गांव में चोर उचक्के आने का डर है इसलिए तो जागते रहो जागते रहो की आवाज आ रही है,,,।


अरे भाभी तुम चिंता मत करो मैं हूं ना,,, यहां कोई आने वाला नहीं है और अगर आ भी गया तो तुम बिल्कुल भी चिंता मत करो मैं हूं ना तीन-चार लोगों को तो मैं संभाल लूंगा,,, और एक दो बचेंगे तो उसे तो तुम ही संभाल लेना,,,


नहीं बबुआ मुझे तो चोर लोगों से बहुत डर लगता है,,,,,


चलो कोई बात नहीं मैं सब को संभाल लूंगा,,,,

गर्मी बहुत थी इसलिए कमरे में सोने का सवाल ही नहीं उठता था इसलिए अशोक की बीवी में अपने पति के बगल में ही खटिया लगा दी,,, आंगन ऊपर से पूरी तरह से खुला हुआ था और चारों तरफ दीवार से गिरी हुई थी,,,, यहां पर हवा बहुत अच्छी लग रही थी लेकिन राजू को नींद थोड़ी आने वाली थी,,,, राजू खटिया पर बैठकर अशोक की बीवी से बोला,,,।


भाभी तुम कहां सोओगी,,,


अरे मैं यही नीचे जाकर सो जाऊंगी तुम बिल्कुल भी चिंता मत करो बबुआ,,,,।(ऐसा क्या कर वह दोनों खटिया के बीच में चटाई बिछाकर बैठ गई और कुछ देर तक दोनों इधर उधर की बातें करने लगे अशोक की बीवी को भी राजू से बातें करना अच्छा लग रहा था उसे पता ही नहीं चला कि उसका पति नशे में धुत होकर वही सो रहा है वह अपने पति के बारे में बिल्कुल भी भूल चुकी थी कुछ देर बातें करने के बाद थोड़ी रात गहरी होने लगी,,, तो वह खड़ी होकर तभी दरवाजे के पास जाती तो कभी वापस आ जाती राजू उसे देखकर समझ नहीं पा रहा था कि माजरा क्या है आखिरकार वह पूछ ही लिया,,,।


अरे भाभी क्या हुआ ऐसे क्यों रात को चहल कदमी कर रही हो,,,,


क्या बताऊं बबुआ मुझे तो शर्म आ रही है बताने में,,,


अरे ऐसी कौन सी बात है जो मुझे बताने में शर्म आ रही है,,,


मुझे बाहर जाना है बड़े जोरों की,,,,पपपप,,,पैशाब लगी है,,,
(भोली भाली खूबसूरत औरत के मुंह से पेशाब शब्द सुनते ही राजू के लंड ने ठुनकी मारना शुरू कर दिया,,,)
Nice update
 

SamsuSlr

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अशोक की बीवी हाथ में लालटेन लिए हुए ही वह घर के बाहर आ गई आगे-आगे राजू था,,,अब उसकी दिलचस्पी अशोक की औरतों में कुछ ज्यादा ही बढ़ती जा रही थी वह अशोक की औरतों के बारे में सोच रहा था कि कहां गदर आई जवानी की मालकिन और कहां सुखा हुआ मरियल सा अशोक,,,, औरतों का स्वाद चख चुका राजू समझ गया था कि अशोक की औरत शारीरिक रूप से बिल्कुल भी संतुष्ट नहीं होती होगी,,,,,,,,,, राजू का मन अब वापस घर लौटने का बिल्कुल भी नहीं था,,, क्योंकि उसकी आंखों के सामने जवानी से भरपूर एक औरत खड़ी थी जोकि एक ऐसे इंसान की औरत थीजिसमें दमखम बिल्कुल भी नहीं था और हमेशा शराब के नशे में धुत रहता था ऐसे हालात में वह अपनी बीवी को कैसे संतुष्ट कर पाता होगा,,, इसलिए राजू अपने मन में सोचने लगा कि अगर थोड़ी सी कोशिश की जाए तो आज की रात उसके जिंदगी की हसीन रात बन सकती है,,, क्योंकि मौका और दोस्तों से दोनों राजू के पक्ष में था,,,।



राजा अशोक की औरत से दो कदम आगे चलते हुए बैलगाड़ी के पीछे आ गया और उसके पीछे पीछे अशोक की औरत है जिसके हाथ में अभी भी लालटेन थी और लालटेन की पीली रोशनी में बैलगाड़ी के अंदर बेसुध हो कर लेटा हुआ अशोक साफ नजर आ रहा था जिसे देख कर ही पता चल रहा था कि वह बिल्कुल कि होश में नहीं था,,,,।


रुको मैं उठाता हूं चाची,,,,(इतना कहकर अपने दोनों हाथ आगे बढ़ा कर अशोक की टांग को पकड़े हुए था और नजर घुमाकर अपने बिल्कुल पास में खड़ी अशोक की औरत के खूबसूरत चेहरे को देख रहा था क्योंकि लालटेन की रोशनी में बहुत ज्यादा ही खूबसूरत नजर आ रहा था उसे देखते हुए राजू अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला) मुझे समझ में नहीं आ रहा है कि तुम्हें चाची कहूं या कुछ और क्योंकि तुम्हारी उम्र देख कर मुझे लगता नहीं है कि तुम्हें चाहे कहना योग्य होगा वैसे तो समाज के रीति रिवाज के हिसाब से में इन्हें चाचा कहता हूं तो लाजमी है कि तुम्हें चाची ही कहना पड़ेगा लेकिन मुझे तुम्हें चाहती कहने में खुद को शर्म महसूस हो रही है क्योंकि तुम एकदम बेहद जवान और खूबसूरत औरत हो,,,, और तुम्हें चाची कहने में एक उम्र की सीमा बंध सी जाती है,,, इसलिए समझ में नहीं आ रहा है कि तुम्हें क्या कहूं,,,,(इतना कहने के साथ ही अशोक की औरत का जवाब सोने भी नहीं हुआ अशोक को उठाने की कोशिश करने लगा और अशोक की औरत अपनी खूबसूरती की तारीफ एक अपरिचित जवान लड़के के मुंह से सुनकर पूरी तरह से गदगद हुए जा रही थी,,,, अशोक की बीवी को अपने जाल में फंसाने का यह राजू की तरफ से फेंका गया पहला पासा था,,, और इस पहले पासे में ही अशोक की बीवी चारों खाने चित हो गई थी,,,, भला एक औरत को अपनी खूबसूरती की तारीफ सुनना क्यों ना पसंद होगा,,,, अशोक की बीवी से कुछ भी बोला नहीं जा रहा था उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या बोले राजू की बातों को सुनकर वह अशोक के बारे में भूल गई,,,, तभी अशोक की बीवी के सामने जानबूझकर अपना दम दिखाते हुए बिना उसकी बीवी का मदन लिए हुए ही वह कमर से अशोक को पकड़कर उठाया और अपने कंधे पर किसी बोझ की तरह रख दिया,,,, चाहे देख कर अशोक की बीवी भी हैरान रह गई,,, क्योंकि राजू ने एक झटके में ही उसे कंधे पर उठा दिया था और,,, बोला,,,।

Ashok ki bibi kapde utarne k bad



अरे यार कितना मरियल सा शरीर है ऐसा बिल्कुल भी नहीं लग रहा है कि मैंने एक इंसान को उठाया हूं,,,।
(मरियल शब्द जानबूझकर राजू ने बोला था क्योंकि वहां अशोक की बीवी को एहसास दिलाना चाहता था कि उसका पति बेहद कमजोर और मरियल है इसके मुकाबले वह एकदम जवान और हट्टा कट्टा गठीला बदन वाला है,,, राजू की बात को सुनकर अशोक की बीवी कुछ बोली नहीं लेकिन उसे इस बात का एहसास हुआ था कि उसका पति वाकई में राजु के मुकाबले कुछ भी नहीं था,,, अशोक को कंधे पर उठाकर व दरवाजे की तरफ जाने लगा और बोला,,)

जल्दी से बताओ कहां ले चलना है,,,?


अरे हां रुको,,,,,(इतना कहने के साथ ऐसी हालत में लालटेन दिए हुए अशोक की बीवी जल्दी से कमरे में दाखिल हुई हर आंगन में ही खटिया गिरा कर बोली)
यहीं पर लिटा दो,,,

(और इतना सुनते ही राजू तुरंत आगे बढ़ा और खटिया पर आराम से उसे लिटा दिया उसकी हालत देखने पर राजू समझ गया था कि यह सुबह तक पहुंच में आने वाला नहीं है और उसके पास पूरा मौका था आज की रात रंगीन करने का लेकिन कैसे इस बारे में अभी उसने कोई उसका भी नहीं बनाई थी,,, खटिया पर लेटा लेने के बाद अपना हाथ झाड़ते हुए बोला)


तुम इन्हें समझाती क्यों नहीं,,,, शराब पी पी कर अपनी हालत खराब कर लिए हैं,,,


अब कितना समझाए बबुआ,,, हमारी तो यह एक नहीं सुनते,,, हमारी तो किस्मत खराब हो गई है,,,,,,




सच में मैं तो बिलकुल भी होश नहीं है कि कहां सो रहा हूं,,,,


वैसे तुम कौन हो बबुआ तुम्हें में पहली बार देख रही हूं,,,


मै हरिया का बेटा हूं,,,,


अच्छा-अच्छा हरिया भाई साहब,,,,, 3 दिन पहले मुझे मिले थे मैं उनसे बोली थी कि कुछ समझाईए ईन्हें,,,

अरे पिताजी तो इन्हें बहुत समझाते हैं मेरे सामने ही ऐसी हालत होने से पहले ही कितना समझाए थे लेकिन यह माने नहीं और उन्होंने ही मुझे इन्हें सही सलामत घर पर छोड़ने के लिए बोले थे,,,,


भाई साहब बहुत अच्छे हैं काश उनकी बात ये मान लीए होते तो ऐसी हालत नहीं होती,,,,(अभी भी उसके हाथों में लालटेन थी और लालटेन की रोशनी में उसकी ,भरी हुई छातियां एकदम साफ नजर आ रही थी ब्लाउज के ऊपर के दो बटन खुले हुए थे शायद गर्मी की वजह से वह खोले हुए थी,,, लेकिन वजह चाहे जो भी हो इस समय वह राजू के लंड की एठन बढ़ा रही थी,,, अशोक की बीवी की बात सुनकर राजू बोला)




अभी भी सुधर जाए तो भी,,,


अब भगवान जाने कब इन्हें अक्ल आएगी,,,,,,,(अशोक की बीपी एकदम सहज होकर बातें कर रही थी उसके मन में राजू को लेकर ऐसा वैसा कुछ भी नहीं था लेकिन राजू के मन में उसे लेकर के ढेर सारी भावनाएं उमड रही थी,,, अशोक की बीवी एकदम सहज होते हुए बोली,,) अरे बबुआ रात तो काफी हो गई है ऐसे में घर जाना ठीक नहीं है,,, एक काम करो तुम आज की रात यही रुक जाओ,,,।


नहीं नहीं मैं चला जाऊंगा,,,,


अरे कैसे चले जाओगे एक तरह से तुम आज की रात हमारे मेहमान हो,,, पर इतना तो जानती हूं कि तुम मेरे पति को यहां लेकर आए हो तो अभी तक खाना भी नहीं खाए होंगे,,,, रुको मैं खाना गर्म कर देती हूं,,,,
Uski badi badi chuchiya dekh k raju mast us ja raha tha


नहीं नहीं तुम रहने दो मैं तुम्हें तकलीफ नहीं देना चाहता हूं वैसे भी तुम कम तकलीफ में नहीं हो,,,

अरे बाबुआ यह तो रोज का हो गया है,,,,,, पर शायद जिंदगी भर का हो गया है,,, रुको मैं अभी खाना गर्म कर देती हूं,,,(वह लालटेन लिए चूल्हे के पास जाने लगी,,, राजू उसे परेशान करना नहीं चाहता था लेकिन क्या करें उसे भूख भी लगी थी और वह कुछ कहता इससे पहले वह खुद ही उसे रुकने के लिए बोल दी थी,,,,, रुकने के लिए बोल कर उसने तो राजू के लिए सोने पर सुहागा कर दी थी,,,, अशोक की औरत चोली के पास बैठकर चूल्हा जलाने लगी,,,लेकिन चुना ठीक से चल नहीं रहा था तो राजू ही उसकी मदद करने के लिए उसके पास गया और बैठ कर चुल्हा जलाने लगा,,,,,, दोनों बैठे हुए थे राजू दियासलाई जलाकर सूखी लकड़ी को जलाने की कोशिश कर रहा था और,,, अशोक की बीवी थोड़ा सा झुक कर फूंक मारकरलकड़ी के साथ डाले हुए सूखे पत्ते को जलाने की कोशिश कर रही थी उसके झुकने की वजह से और ब्लाउज के ऊपर के दो बटन खुले होने की वजह से उसकी आधे से ज्यादा चूचियां बाहर को लुढकी हुई नजर आ रही थी,,, जिस पर बार-बार राजू की नजर चली जा रही थी मन तो उसका कर रहा था कि अपने हाथों से इसके ब्लाउज के बटन खोल कर दोनों खरबूजा को हाथ में लेकर जी भर कर दबा दबा कर उनसे खेले,,, लेकिन इतनी जल्दी वह हिम्मत दिखाने के बारे में सोच भी नहीं सकता था क्योंकि उसके मन में क्या चल रहा है इस बारे में राजू को बिल्कुल भी मालूम नहीं है रांची पहले माहौल को पूरी तरह से समझ लेने के बाद ही अगला कदम बढ़ाता था,,, चोला चलाते हुए राजू अशोक की बीवी से बोला,,,।)

मैं तुमको चाची कहकर कर बोलु तो तुम्हें एतराज तो नहीं होगा,,,





अब एतराज कैसा बबुआ जमाने का दस्तूर ही यही है,,, अगर तुमने चाचा कहते हो तो मुझे चाची कहोगे ना अब भाभी तो थोड़ी ना कहोगे,,,

बात तो ठीक ही कह रही है चाची लेकिन तुम्हारी उम्र तुम्हारी खूबसूरती देखकर तुम्हें चाची कहने का मन नहीं कर रहा है,,,


तो फिर क्या कहने का मन कर रहा है,,,

भाभी,,,,
(राजू की बात सुनकर अशोक की बीवी हंसने लगी और उसे हंसता हुआ देखकर राजू के मन में प्रसंता के भाव नजर आने लगे क्योंकि हंसते हुए वह बेहद खूबसूरत लग रही थी,,, उसे हंसता हुआ देखकर राजू अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला,,) सच भाभी,,,मैं तो तुम्हें भाभी हीं कहूंगा क्योंकि तुम्हारी उम्र चाची कहलवाने वाली नहीं है,,,, तुम हंसते हुए कितनी खूबसूरत लगती हो,,,।
(इतना सुनकर अशोक के बीवी राजू की तरफ एक तक देखने लगी और फिर हंसने लगी और हंसते हुए बोली,,)



बबुआ तुम बहुत अच्छी अच्छी बातें करते हो और सच कहे तो जिस तरह से तुम मेरी खूबसूरती की तारीफ कर रहे हो ना आज तक उन्होंने बिल्कुल भी नहीं किया,,(खटिया पर सो रहे अपने पति की तरफ इशारा करते हुए) यहां तक कि हमारी तरफ ठीक से देखते तक नहीं है बसु का बैल गाड़ी लेकर निकल जाते हैं और रात को इसी तरह से नशे में धुत होकर घर पर आते हैं,,,,(ऐसा कहते हुए पढ़ाई में रखी हुई सब्जी को कढ़ाई सहित चूल्हे पर रखकर उसे गर्म करने लगी,,)

एक बात कहूं भाभी,,,

कहो,,,


सच में तुम्हारी किस्मत खराब है,,,


वह क्यों,,,?


क्योंकि भाभी तुम्हें देखकर कोई इनको, (अशोक की तरफ इशारा करते हुए) इन्हें थोड़ी ना कहेगा कि यह आपके पति है,,, तुम्हारा पति तो होना चाहिए था कोई बांका जवान गठीला बदन वाला लंबा चौड़ा जो तुम्हें अपनी बाहों में भर ले तो तुम्हारे दामन में दुनिया भर की खुशियां भर दे,,,

Gulabi

(राजू की बातें सुनकर बहुत सोच में पड़ गई,,, क्योंकि वह भी जानती थी कि उसकी शादी ऐसे इंसान से नहीं होना चाहिए था लेकिन मजबूरी से गरीबी से मां-बाप परेशान थे इसलिए जो हाथ लगा उसी से बिहा कर दिया,,,,)

बात तो तुम ठीक ही कह रहे हो लेकिन किस्मत का लिखा कौन टाल सकता है शायद मेरी किस्मत में यही था,,,,(कढ़ाई गर्म हो रही थी इसलिए वह दोनों हाथों में कपड़े का टुकड़ा लेकर कढ़ाई को नीचे उतार दी,,, वह खाना परोसने लगी और राजु अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला,,)


भाभी मुझे यह सवाल तो नहीं पूछना चाहिए था लेकिन फिर भी मैं पूछ ही लेता हूं कि बच्चे कितने हैं,,,
Gulabi ki khubsurat gaand

बच्चे,,,,(इतना कहकर ना कुछ देर तक जगह किसी ख्यालों में खो गई और फिर थोड़ी देर बाद बोली) नहीं नहीं शादी के 2 साल हो गए हैं लेकिन बच्चे नहीं हैं और ऐसी हालत में तो अच्छा ही है कि नहीं है,,,


नहीं भाभी ऐसा क्यों बोल रही हो बच्चे तो भगवान का दिन होते हैं और बच्चे होंगे तब तुम भी बच्चों में खोई रहोगी तुम्हें भी खुशी मिलेगी,,,,
(राजू की बात से वह पूरी तरह से सहमत थी लेकिन 2 साल हो गए थे बच्चे क्या वह ठीक से संभोग सुख भी प्राप्त नहीं कर पाई थी क्योंकि उसके बदन के मुकाबले उसका पति कुछ भी नहीं था एकदम बढ़िया सा शरीर लेकर जब भी उसके ऊपर चढ़ता था तो तुरंत पानी फेंक देता था असली जवानी का सुख तो वह भोग ही नहीं पाई थी,,, फिर भी वह अपना मन मारते हुए राजु से बोली,,)

हो जाएगा जब होना होगा,,,(इतना कहते हुए वह भोजन की थाली राजू की तरफ आगे बढ़ा दी और पानी लाने के लिए कोने में रखें मटके की तरफ जाने लगी,,,और जाते समय राजू की नजर उसकी गोल गोल गांड पर थी जोकि जवानी के रस से पूरी तरह से भरी हुई थी जिस पर मर्दाना हाथों का शायद सही उपयोग नहीं हुआ था इसलिए गांड का घेराव खेली खाई औरतो वाला बिल्कुल भी नहीं था,,, गांड का आकार एकदम सुगठित था,,,,, शादी को 2 साल हो गया था लेकिन 2 साल में वह बजाना सुख से पूरी तरह से शायद वंचित ही रह गई थी या उसे असली सुख प्राप्त नहीं हुआ था इसलिए उसके बदन में ज्यादा बदलाव नहीं आया था बस थोड़ा सा भराव आ चुका था,,,, फिर भी मटकती हुई गांड देखकर राजू के हौसले पश्त होने लगे,,, प्यासी नजरों से उसके कमर के नीचे के घेराव को देखता है जा रहा था और अपनेपहचाने में उठ रहे तूफान को अपने हाथों से दबाने की कोशिश करता जा रहा था,,,, वह अशोक की बीवी की गांड देख ही रहा था कि वह बोली,,,।

अरे बबुआ तुमने तो हाथ धोए ही नही ,, आ जाओ मैं हाथ धुला देती हूं,,,,
(और इतना सुनते ही राजू अपनी जगह से खड़ा हुआ और
हाथ धो कर वापस आ गया हुआ था ली क्या है बैठ गया और जैसे ही पहला निवाला मुंह में डालने लगा कि तभी वह अशोक की बीवी की तरफ देखते हुए बोला,,,)

तुम खाना खाई हो भाभी,,,,


upload photos


नहीं मुझे भूख नहीं है,,, इंतजार करते करते सो गई और फिर लगता है कि मेरी भूख भी सो गई,,,।


अरे ऐसे कैसे मैं तुम्हारे हिस्से का खाना खा जाऊं ऐसा नहीं हो सकता,,,


नहीं बबुआ मुझे भूख नहीं है,,,


नहीं नहीं ऐसा बिल्कुल भी नहीं चलेगा मैं तुम्हें खाना खिला कर ही रहूंगा ,,(और इतना कहने के साथ ही राजू अपनी थाली में से निवाला लेकर अशोक की बीवी की तरफ आगे बढ़ाते हुए बोला,,,)

चलो चलो मैं खोलो,, जल्दी से,,,

अरे बबुआ यह क्या कर रहे हो,,,, मैं तुम्हारे हाथों से खाना खाऊंगी,,,,


अरे तू क्या हो गया खाना ही तो खिला रहे हु जहर थोड़ी खिला रहा हूं,,,,


नहीं मुझे शर्म आ रही है,,,


अरे शर्म कैसी,,,,, चलो जल्दी से मुंह खोलो तुम्हें मेरी कसम,,,,।

(अशोक की बीवी को बहुत शर्म आ रही थी क्योंकि एक जवान लड़के के हाथों से वह खाना कैसे खा ले क्योंकि आज तक उसने ऐसा कभी नहीं की थी और ना ही किसी ने उसे अपने हाथों से खाना ही खिलाया था इसलिए मुझे बहुत शर्म आ रही थी लेकिन ना जाने कैसा आकर्षण था राजू की बातों में कि वह उसकी बातें सुनकर मंत्रमुग्ध हुए जा रही थी,,, उसके थोड़ा सा जबरदस्ती करने से अपना मुंह खोल दी और राजू ने निवाला उसके मुंह में डाल दिया और वह शर्माते हुए खाने लगी,,,और फिर जब एक बार शुरू हुआ तो आगे बढ़ता ही रहा राजू ने धीरे-धीरे करके मुझे खाना खिलाना शुरू कर दिया और वह शर्मा संभालकर खाना खाने लगी लेकिन इस तरह से खाना खाने में उसके बदन में अजीब सी हलचल हो रही थी और सबसे ज्यादा हाल-चाल उसे ना जाने की अपनी दोनों टांगों के बीच की पतली दरार में महसूस हो रही थी,,,, खाना खाते खाते उसे अपनी बुर की ली होती हुई महसूस हो रही थी,,,,।

और दूसरी तरफ जब हरिया अकेला ही घर पहुंचा तो मधु राजू के बारे में पूछने लगी और हरिया ने सब कुछ बता दिया,,, आज की रात अकेले गुजारना पड़ेगा इस बात से गुलाबी परेशान हो गई थी क्योंकि उसे भी राजू का लंड लिए बिना नींद नहीं आती थी,,, लेकिन तभी उसके मन में जो ख्याल आया वही ख्याल हरिया के मन में भी आ चुका था,,,,,,,।लेकिन यह बात हरिया गुलाबी से कहता गुलाबी उससे पहले ही मौका देकर करो से रात को अपने कमरे में आने के लिए आमंत्रण दे दी थी,,,,।
लेकिन हरिया अपनी बीवी की चुदाई किए बिना उसके कमरे में नहीं जा सकता था क्योंकि उसकी बीवी की भी आदत थी जब तक वह जमकर चुदवा नहीं लेती थी तब तक उसे नींद नहीं आती थी और चुदवाने के बाद वह बहुत ही गहरी नींद में सोती थी जिससे हरिया का काम आसान हो जाता,,, इसलिए जल्दी से खाना खाकर वह अपनी बीवी को संतुष्ट करने में लग गया था,,,

दूसरी तरफ रांची और अशोक की बीवी ने भी खाना खा लिया था वह लोग खाना खाकर हाथ धो ही रहे थे कि तभी उन्हें दूर से आवाज सुनाई दी,,,


जागते रहो,,,, जागते रहो,,,,,,


यह आवाज सुनकर की बीवी एकदम से घबरा गई,,, लेकिन राजू के चेहरे पर घबराहट बिल्कुल भी नहीं थी,,,, अशोक की बीवी को घबराई हुई देखकर राजू बोला,,।

क्या हुआ भाभी इतनी घबराई हुई क्यों हो,,,


अरे बबुआ से मिल रहे हो गांव में चोर उचक्के आने का डर है इसलिए तो जागते रहो जागते रहो की आवाज आ रही है,,,।


अरे भाभी तुम चिंता मत करो मैं हूं ना,,, यहां कोई आने वाला नहीं है और अगर आ भी गया तो तुम बिल्कुल भी चिंता मत करो मैं हूं ना तीन-चार लोगों को तो मैं संभाल लूंगा,,, और एक दो बचेंगे तो उसे तो तुम ही संभाल लेना,,,


नहीं बबुआ मुझे तो चोर लोगों से बहुत डर लगता है,,,,,


चलो कोई बात नहीं मैं सब को संभाल लूंगा,,,,

गर्मी बहुत थी इसलिए कमरे में सोने का सवाल ही नहीं उठता था इसलिए अशोक की बीवी में अपने पति के बगल में ही खटिया लगा दी,,, आंगन ऊपर से पूरी तरह से खुला हुआ था और चारों तरफ दीवार से गिरी हुई थी,,,, यहां पर हवा बहुत अच्छी लग रही थी लेकिन राजू को नींद थोड़ी आने वाली थी,,,, राजू खटिया पर बैठकर अशोक की बीवी से बोला,,,।


भाभी तुम कहां सोओगी,,,


अरे मैं यही नीचे जाकर सो जाऊंगी तुम बिल्कुल भी चिंता मत करो बबुआ,,,,।(ऐसा क्या कर वह दोनों खटिया के बीच में चटाई बिछाकर बैठ गई और कुछ देर तक दोनों इधर उधर की बातें करने लगे अशोक की बीवी को भी राजू से बातें करना अच्छा लग रहा था उसे पता ही नहीं चला कि उसका पति नशे में धुत होकर वही सो रहा है वह अपने पति के बारे में बिल्कुल भी भूल चुकी थी कुछ देर बातें करने के बाद थोड़ी रात गहरी होने लगी,,, तो वह खड़ी होकर तभी दरवाजे के पास जाती तो कभी वापस आ जाती राजू उसे देखकर समझ नहीं पा रहा था कि माजरा क्या है आखिरकार वह पूछ ही लिया,,,।


अरे भाभी क्या हुआ ऐसे क्यों रात को चहल कदमी कर रही हो,,,,


क्या बताऊं बबुआ मुझे तो शर्म आ रही है बताने में,,,


अरे ऐसी कौन सी बात है जो मुझे बताने में शर्म आ रही है,,,


मुझे बाहर जाना है बड़े जोरों की,,,,पपपप,,,पैशाब लगी है,,,
(भोली भाली खूबसूरत औरत के मुंह से पेशाब शब्द सुनते ही राजू के लंड ने ठुनकी मारना शुरू कर दिया,,,)
Bahut majaa aane wala hai apgle part me
 

Raj_sharma

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Rony bhai agle update ka intjaar hai
 

Napster

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बहुत ही सुंदर लाजवाब और गजब का कामुक अपडेट है भाई मजा आ गया
अशोक के बिबी की गदराई जवानी को देख कर राजु मंत्रमुग्ध हो गया
मरीयल सा अशोक उसे तृप्त नहीं कर सकता ये समज गया और औरतों से खेलाखाया राजुने उसपर सुबसुरती का फासा फेक दिया और वो उसकी चाल में फसते जा रही हैं
सोने से पहले अशोक की बीबी की चहलकदमी राजू के समज के बहार थी पुछने पर जब पेशाब का बताया तो उसका लंड ठुमकी लेने लगा
अब अंधेरे में पेशाब करने जायेगी तो राजू साथ ही होगा फिर क्या चुदाई का घमासान होना ही होना तय हैं खैर देखते हैं आगे क्या होता है
अगले धमाकेदार और चुदाईदार अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा
 

rohnny4545

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बहुत ही सुंदर लाजवाब और गजब का कामुक अपडेट है भाई मजा आ गया
अशोक के बिबी की गदराई जवानी को देख कर राजु मंत्रमुग्ध हो गया
मरीयल सा अशोक उसे तृप्त नहीं कर सकता ये समज गया और औरतों से खेलाखाया राजुने उसपर सुबसुरती का फासा फेक दिया और वो उसकी चाल में फसते जा रही हैं
सोने से पहले अशोक की बीबी की चहलकदमी राजू के समज के बहार थी पुछने पर जब पेशाब का बताया तो उसका लंड ठुमकी लेने लगा
अब अंधेरे में पेशाब करने जायेगी तो राजू साथ ही होगा फिर क्या चुदाई का घमासान होना ही होना तय हैं खैर देखते हैं आगे क्या होता है
अगले धमाकेदार और चुदाईदार अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा
लाजवाब
 

rohnny4545

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राजू अशोक को उसके घर पहुंचाने के बाद वहां पर रुकने वाला नहीं था वह वहां से वापस लौट आना चाहता था क्योंकि घर पर गुलाबी कि बुर की याद उसे बहुत आती थी,, क्योंकि अपनी बुआ को बिना चोदे उसे नींद नहीं आती थी,,, लेकिन जैसे ही उसकी नजर अशोक की बीवी पर पड़ी थी उसका इरादा एकदम से बदल गया था,,,,, और वह वहीं पर रुकना ही मुनासिब समझा,,,, और उसका वहां रुकना ऐसा लग रहा था कि धीरे-धीरे सफलता की राह पकड़ रहा था,,, क्योंकि रात पूरी तरह से गहरा चुकी थी,,, उसका पति नशे में बेसुध होकर सो रहा था,,, खाना पीना हो चुका था,,, और राजू चालाकी दिखाते हुए अशोक की बीवी को खुद अपने हाथों से खाना खिलाया था और राजू यहीं पर ही अशोक की बीवी को अपने हाथों से खाना खिलाते ही सफलता की सीढ़ी चढ़ना शुरू कर दिया था,,, वरना एक औरत किसी गैर मर्द के हाथों से खाना क्यों खाए,,,, राजू को अशोक की बीवी बहुत ही भोली भाली भी लग रही थी जो कि वह थी भी,,,,।

दोनों सोने की तैयारी कर रहे थे और तभी अशोक की बीवी को जोरो की पेशाब लगी थी और जिस तरह से वह कांपते स्वर में चोरों की पेशाब लगने वाली बात की थी उसे सुनते ही राजू के लंड ने ठुनकी मारना शुरू कर दिया था,,,,,, एक ऐसी औरत जिसे मैं जानता था कि नहीं था जिसे पहली बार मिला था ज्यादा जान पहचान भी नहीं थी ऐसी खूबसूरत औरत जहां से पेशाब लगने वाली बात बोली तो इसे सुनकर ही राजू की खुशी का ठिकाना ना रहा,,,,,



राजू कुछ देर तक शांत होकर खड़ा रहा और उस खूबसूरत औरत को देखता है जो कि बहुत ही भोलेपन से पेशाब लगने वाली बात कही थी,,,, उसका बार-बार कभी दांया पैर उठाना कभी बाया फिर रह रहकर अपनी कमर पकड़ लेना,,,, ,, यह सब दर्शा रहा था कि उसे कितनी तीव्रता से पेशाब लगी है और यह सब देख कर राजू के तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ रही थी,,,, पेशाब करने वाली बात से ही वह पल भर में ही उसके खूबसूरत बुर के बारे में कल्पना करना शुरू कर दिया था कि उसकी बुर कैसी होगी तुम चिकनी हो क्या मखमली रेशमी बालों से घुरी हुई होगी,,, फिर अपने ही सवाल का खुद ही जवाब देते हुए बोला,,, जैसे भी होगी बहुत खूबसूरत होगी,,,,। राजू सब कुछ भूल कर उसकी खूबसूरत यौवन को वह अपनी आंखों से पी रहा था,,, एक तरफ जहां पेशाब लगने की वजह से अशोक की बीवी की हालत खराब हो जा रही थी वहीं दूसरी तरफ उसके बारे में सोच कर ही राजू के तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ रही थी,,,, आखिरकार आशु की बीवी से बिल्कुल भी नहीं रहा गया तो वह बोली,,,।



always sunny title card generator

अरे कुछ करोगे बबुआ,,,, या ऐसे ही खड़े रहोगे,,,।


अरे भाभी इसमें मैं क्या कर सकता हूं पेशाब लगी है तो बाहर जाकर कर लो,,,,,

बाहर,,,,(मुंह बनाते हुए दरवाजे की तरफ देखते हुए) नहीं बाहर मुझे डर लगता है,,,

तो पहले क्या करती थी जब तुम्हें पेशाब लगती थी तब,,,


यही कोने में,,,(आंगन के कोने में उंगली से इशारा करके दिखाते हुए) यहीं पर कर लेती थी,,,


यहां पर,,,(उसके उंगली के इशारे से दिखाए गए कोने की तरफ देखते हुए) यहां पर तुम मुतती थी,,,
(जानबूझकर राजू मुतती शब्द का प्रयोग किया था और वैसे भी अशोक की बीवी के साथ पेशाब के बारे में इतने खुले तौर पर बात करने में इस तरह की उत्तेजना का अनुभव राजू को महसूस हो रही थी राजू पूरी तरह से चुदवासा हो गया था उसके पजामे में हलचल सी होने लगी थी,,,राजू आंगन किस कोने की तरफ देखते हुए अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला) तो आज भी यहीं कर लो ना इस में दिक्कत क्या है,,,,(जिस तरह से वह भोलेपन से बात कर रही थी राजू को ऐसा ही लग रहा था कि उसके बोलने पर अशोक की निकली उसकी आंखों के सामने ही अपनी साड़ी उठाकर मुतना शुरू कर देगी,,,)

नहीं पागल हो गए हो क्या,,,, पहले कोई नहीं रहता था ,, तब करने मैं कोई दिक्कत नहीं होती थी लेकिन अब तो तुम हो,,,


अरे तो इसमें क्या हुआ मैं थोड़ी ना तुम्हें खा जाऊंगा,,,


देख तो लोगे ना,,,,


क्या देख लूंगा,,,?
(राजू को पूरा यकीन हो गया था कि अशोक की बीवी पूरी तरह से एकदम भोली,,है या तो फिर जानबूझकर इस तरह का नाटक कर रही है क्योंकि कोई भी औरत इस तरह से अनजान लड़के से पेशाब करने वाली बात नहीं कहती,, लेकिन जो भी हो राजू को तो मजा आ रहा था आज की रात उसे रंगीन होने की आशंका नजर आ रही थी,,,। राजू की बात सुनकर अशोक की बीवी शर्माने लगी तो राजू बोला,,,)

बोलो ना भाभी क्या देख लूंगा,,,


अरे मुझे पेशाब करते हुए बबुआ और क्या,,,


इसमें क्या हुआ भाभी अशोक चाचा भी तो देखते होंगे,,,

अरे बबुआ तुम समझने की कोशिश क्यों नहीं करते,,, वह तो मेरे पति हैं,,,(जोरों की पेशाब लगी हुई थी इसलिए अपने पेशाब पर अंकुश करने की कोशिश करते हुए बोली,,)

तो क्या हुआ है तो इंसान ही,,,




अरे बबुआ तो नहीं समझोगे यहां बड़े बड़े जोरों की लगी हुई है और तुम हो कि बात को इधर उधर घुमा रहे हो,,,


अरे भाभी तो दिक्कत क्या है दरवाजा खोलकर बाहर जाकर कर लो,,,


इतनी हिम्मत होती तो चली नहीं गई होती,,,


क्यों,,,?


अंधेरे में मुझे बहुत डर लगता है वैसे भी रात को चोर उचचको का डर ज्यादा रहता है इसलिए मैं बाहर नहीं जाती,,,,




तो तुम ही बताओ,,, भाभी मैं क्या करूं मैं चलूं साथ में,,,

हां,,,,,( वह एकदम से शरमाते हुए बोली,,,)

और मैंने देख लिया तो,,,,


नहीं नहीं देखना नहीं तुम्हें मेरी कसम मुझे बहुत शर्म आती है,,,,,
(उसके भोलेपन से भरी बातें और उसका भोलापन देखकर राजू की उत्तेजना और ज्यादा बढ़ती जा रही थी वह अपने मन में सोचने लगा कि इसको चोदने में बहुत मजा आएगा,,, उसकी बात मानते हुए राजू बोला,,,)

ठीक है भाभी नहीं देखुंगा बस,,,,,,,


हां,,, ठीक है,,,,
(इतना कहने के साथ ही वह पैर को दबाते हुए दरवाजे की तरफ आगे बढ़ने लगी और राजू का दिल जोरो से धड़कने लगा क्योंकि भला ऐसा हो सकता था कि बिल्ली को दूध की रखवाली करने के लिए दिया जाए और बिल्ली उसकी रखवाली ही करें,,,, ऐसा बिल्कुल भी मुमकिन नहीं है,,,,,, यह तो सिर्फ एक भरोसा था जो राजू ने अपनी तरफ से अशोक की बीवी को दे रखा था,,,, अशोक की बीवी को तो ऐसा ही था कि वादा कर दिया तो निभाएगा जरूर,,, ऐसे हालात में कोई मर्द अपना वादा निभाए ऐसा मुमकिन भी नहीं है और राजू के लिए तो बिल्कुल भी नहीं,,,,,,,, राजु ने जानबूझकर दीवार से ठगी हुई लालटेन को हाथ में ले लिया क्योंकि वह जानता था कि बाहर अंधेरा होगा भले ही चांदनी रात थी तो क्या हुआ क्योंकि घर के बाहर ढेर सारे पेड़ लगे हुए थे,,, और अंधेरे में राजू उसे पेशाब करता हुआ नहीं देख सकता था,, इसलिए वह लालटेन को हाथ में ले लिया था,,,, और कोने में पड़ा मोटा सा डंडा भी हाथ में ले लिया था,,, क्योंकि रात को कभी कबार जरूरत भी पड़ जाती थी,,,अशोक की बीवी दरवाजे पर खड़ी थी दरवाजा पकड़कर और पीछे नजर कमाकर राजू को भी देख रही थी वह उसके आने का इंतजार कर रही थी क्योंकि वहां के लिए दरवाजा खोलकर बाहर जाने में भी डरती थी,,,,,, जैसे ही राजु उसके पास आया वह दरवाजे की सिटकनी खोलने लगी ,,, दरवाजा के खुलते ही पहले वह चारों तरफ नजर घुमाकर तसल्ली करने लगी और फिर इत्मीनान से अपने पैर घर से बाहर निकाल दि और पीछे पीछे राजू के घर से बाहर आ जा लालटेन को अपने हाथ में लेकर थोड़ा हाथ की कोहनी को मोड़कर उठाए हुए था और लालटेन की रोशनी में तकरीबन 15 फीट की दूरी तक सब कुछ नजर आ रहा था,,,,,,, दो कदम चलने के बाद वह फिर से खड़ी हो गई और इधर-उधर देखने लगी तो राजू बोला,,,।


कहां मुतोगी भाभी,,,,(राजू जानबूझकर इस तरह के खुले शब्दों का प्रयोग कर रहा था,,, वह अशोक की बीवी को उकसाना चाहता था,,, और अशोक की बीवी भी अपने लिए इस तरह का शब्द का प्रयोग एक अनजान जवान लड़के के मुंह से सुन कर सिहर उठी,,,, राजू के सवाल उंगली से इशारा करते हुए बोली,,,)


वहां झाड़ियों के पास,,,


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ठीक है चलो,,,,,,,
(इतना सुनकर जैसे ही अशोक की बीवी अपना एक कदम आगे बढ़ा कि उसके कानों में फिर से वही आवाज सुनाई दी जागते रहो वह एकदम से घबरा गई,,,)

हाय दैया,,,,, लगता है चोर यहीं कहीं आस पास में ही है,,, मुझे तो बहुत डर लग रहा है,,,




क्या भाभी तुम भी बच्चों जैसा डरती हो ऐसे ही धरती रही तो मुझे लगता है अपनी साड़ी गीली कर दोगी,,,,।

धत्,,,,,(अशोक की बीवी एकदम से शरमाते हुए बोली,, राजू जल्द से जल्द,,, अशोक की बीवी की गोल-गोल गांड देखना चाहता था क्योंकि इतना तो अंदाजा लगा ही लिया था कि जब चेहरा इतना खूबसूरत है तो गांड भी खूबसूरत होगी,,,, इसीलिए राजू उतावला हुआ जा रहा था,,,, उसे इस बात का डर भी था कि कहीं अशोक होश में ना आ जाए और अगर ऐसा हो गया तो रंग में भंग पड़ जाएगा,,,, अशोक की बीवी हिम्मत दिखाते हुए अपने कदम आगे बढ़ाने लगी वैसे तो उसकी हिम्मत बिल्कुल भी नहीं होती थी लेकिन उसके साथ राजू था इसलिए उसमें थोड़ी हिम्मत थी,,,, उसका धीरे धीरे से पैर रखकर आगे बढ़ना राजू को बहुत अच्छा लग रहा था उसके पायलों की खन खन से पूरा वातावरण संगीतमय हुआ जा रहा था,,, चूड़ियों की खनक राजू के कानों में पहुंचते ही सीधे उसके लंड पर दस्तक दे रही थी,,,, राजू उसकी गोल-गोल कांड को मटकते हुए लालटेन की पीली रोशनी में एकदम साफ देख पा रहा था,,,

यही तो सबसे बड़ी कमजोरी थी राजू की औरतों की बड़ी-बड़ी गोल गोल गांड,,,, इन्हें देखते ही मदहोश होने लगता था इसीलिए तो इस समय की अशोक की बीवी की गांड को देखकर उसका नियंत्रण अपने आप पर खोता चला जा रहा था उसका मन तो कर रहा था कि आगे बढ़ कर खुद उसकी साड़ी ऊपर कमर तक उठा दी और उसकी नंगी गांड का दीदार कर ले,,,, फिर भी धीरे-धीरे में जो मजा है वह जल्दबाजी में नहीं,,, यही राजू का मूल मंत्र भी था जिसकी वजह से वह अब सफलता हासिल करता आ रहा था और औरतो कि दोनों टांगों के बीच अपना विजय पताका भी लहराता आ रहा था,,, देखते ही देखते अशोक की बीवी सामने की कर्मचारियों के करीब पहुंच गई और राजू जानबूझकर उससे दूर खड़ा रहने की जगह उसे केवल आठ 10 फीट की दूरी पर ही खड़ा हो गया,,, और अशोक की बीवी उसे दूर जाने के लिए ना बोले इसलिए वह पहले ही बोला,,,।)

भाभी लगता तो है कि चोर उचक्के इसी गांव के आसपास में ही तभी जागते रहो की आवाज बार-बार आ रही है,,,।

(इतना सुनते ही वह घबरा गई,,, और उसी जगह पर खड़े खड़े ही अपने चारों तरफ नजर घुमाने लगी,,, और तसल्ली कर लेने के बाद,,, वह अपनी नाजुक उंगलियों को हरकत देते हुए दोनों तरफ से अपनी साड़ी को उंगली से पकड़ ली और उसने ऊपर की तरफ उठाने से पहले,,, राजू की तरफ नजर करके बोली,,,।)

देख बबुआ यहां पर देखना नहीं,,, नहीं तो शर्म के मारे हमारी पेशाब भी रुक जाएगी,,,,


नहीं नहीं भाभी तुम चिंता मत करो मैं नहीं देखूंगा,,,,
( और इतना कहकर दूसरी तरफ देखने का नाटक करने लगा,,,, अशोक के घर पर आकर राजू का समय बहुत अच्छे से गुजर रहा था यहां आने से पहले वह यही सोच रहा था कि अगर वहां रुकना पड़ गया तो रात कैसे बिताएगा,,, लेकिन अशोक की बीवी की खूबसूरती देखकर उसका भोलापन उसकी बातें सुनकर राजू यहां पर जिंदगी भर रुकने को तैयार हो गया था,,,, मौसम भी गर्मी का था लेकिन हवा चलने की वजह से वातावरण में ठंडक आ गई थी,,,, चारों तरफ अंधेरा छाया हुआ था,,, वैसे तो चांदनी रात थी लेकिन चारों तरफ बड़े-बड़े पेड़ होने की वजह से यहां पर अंधेरा था अगर राजू साथ में लालटेन ना लाया होता तो उसे भी ठीक से कुछ दिखाई नहीं देता,,,,सामने का नजारा बेहद खूबसूरत और मादकता से भरा हुआ था जोकि पूरी तरह से अपनी मदहोशी पूरे वातावरण में बिखेरने को तैयार था,,,। राजू की आंखें सब कुछ भूल कर सिर्फ सामने के नजारे को देख रही थी जल्द से जल्द राजू उसकी नंगी गांड के दर्शन करने के लिए तड़प रहा था पर ऐसा लग रहा था कि अशोक की बीवी उसे कुछ ज्यादा ही तड़पा रही है,,,,धीरे-धीरे अशोक की बीबी अपनी साड़ी को ऊपर की तरफ उठाने लगी और चारों तरफ नजर घुमाकर देख भी रही थी,,, राजू का दिल जोरों से धड़क रहा था लेकिन अशोक की बीवी के मन में घबराहट हो रही थी चोर चोको को लेकर उसे चोर ऊच्चोको से बहुत डर लगता था,,,जैसे-जैसे अशोक की बीवी की साड़ी ऊपर की तरफ जा रही थी वैसे उसे लालटेन की पीली रोशनी में उसकी नंगी चिकनी टांग उजागर होती चली जा रही थी गोरी गोरी मांसल पिंडलिया देखकर राजू का मन ललच रहा था,,, देखते ही देखते उसकी साड़ी उसकी मोटी सुडोल जांघों तक आ गई,,, और मोटी मोटी चिकनी जांघों को देखकर राजु का सब्र का बांध अब टूटने लगा,, राजू का मन उसको चोदने को करने लगा,,,उसकी सांसे बड़ी तेजी से चलने लगी लालटेन की रोशनी में सब कुछ साफ नजर आ रहा था,,,,
चारों तरफ सन्नाटा फैला हुआ था सिर्फ दूर-दूर तक कुत्तों की भौंकने की आवाज आ रही थी,,और रह रह कर झींगुर की आवाज आने लगती थी,,,।

एक तरफ जहां राजू का मन तड़प रहा था उसकी नंगी गोरी गोरी गांड को देखने के लिए वहीं दूसरी तरफ अशोक की बीवी के मन में घबराहट थी कि कहीं कोई आ ना जाए उसे इस बात की चिंता बिल्कुल भी नहीं थी कि उसके पीछे खड़ा एक अनजान जवान लड़का उसे पेशाब करते हुए देखने जा रहा था और वह भी हाथ में लालटेन जिसमें उसका सब कुछ नजर आ रहा था,,, साड़ी को मोटी मोटी जांघों तक उठाकर वह फिर से इधर-उधर देखने लगी तो राजू बोला,,,।)

जल्दी से करो ना भाभी,,, कितना देर कर रही हो,,,


अरे रुको तो बबुआ कोई चोर आ गया तो,,,


अरे नहीं तुम्हारी गांड मार लेगा,,,,
(राजू एकदम से खुले शब्दों में बोल दिया,,, धीरे-धीरे उसे एहसास होने लगा था कि वह बहुत भोली है वह कुछ बोलेगी नहीं इसीलिए राजू खुले शब्दों में बात करने लगा था,,)

हाय दैया यह कैसी बात कर रहे हो,,,, सच कहूं तो मुझे भी इसी बात का डर रहता है,,, इसीलिए तो रात को घर से बाहर निकलने से डर लगता है,,,,,
(उसकी भोली बातें सुनकर राजू के लंड की अकड़ पड़ने लगी वह पूरी तरह से समझ गया था कि कोशिश करने पर आज की रात उसका लंड उसकी बुर में होगा,,,,,, राजू को इस तरह से खुली बातें करने में बहुत मजा आ रहा था,,,थोड़ा थोड़ा मजा अशोक की बीवी को भी आ रहा था हालांकि उसके मन में डर भी था और वह भी चोर को लेकर,,, लेकिन एक जवान लड़की के मुंह से इस तरह की बातें सुनकर उसे भी अच्छा लगने लगा था राजू अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला,,,)

अच्छा भाभी एक बात बताना,,,तो,,,


क्या,,,? (वह उसी तरह से सारे को उसी स्थिति में जांघों तक उठाए हुए बोली,,)


पहले कहो नाराज तो नहीं होगी ना,,,


नही बबुआ,,, तुम से क्या नाराज होना,,,


अच्छा एक बात बताओ तुम्हें सच में चोर से ज्यादा डर लगता है या चुदवाने में,,,,
(राजू के मुंह से इस तरह का सवाल सुनकर अशोक की बीवी के भी तन बदन में अजीब सी हलचल होने लगी,,, वह कुछ बोली नहीं बस अपनी नजर को राजू की तरफ घुमा कर उसकी तरफ देखते हूए बोली,,,)

यह कैसा सवाल है बबुआ,,,


अरे सही तो सवाल है,,,तुम्हें रात को बाहर निकलने में डर लगता है और वह भी चोर से,,,और सच कहूं तो अगर तुम्हारे घर में चोर आ भी गया तो तुम्हें देखकर बोला तुम्हारे घर का कोई कीमती सामान नहीं ले जाएगा लेकिन तुम्हारे पास रखा हुआ बेशकीमती खजाना जरूर लुटकर चला जाएगा,,,,,,,


लेकिन मेरे पास कौनसा खजाना पड़ा हुआ है जो लूट कर चला जाएगा,,,



अरे भाभी तो नहीं जानती तुम्हारे पास इतना बेशकीमती खजाना है कि उसे पाने के लिए दो दो रियासतों में मार हो जाए,,,


धत् पागल ,,, मेरे पास कोई खजाना नहीं है,,,,


हे भाभी,,, बहुत बेशकीमती खजाना है,,,

आहहहह,,, तुम रहने दो बबुआ,,, मुझसे अब ज्यादा रोका नहीं जा रहा है,,,,(इतना कहने के साथ ही एक झटके से मोटी मोटी जांघों पर स्थिर साड़ी को वहां एकदम से कमर तक उठा दी,,, पल भर में ही राजू की आंखों के सामने अशोक की बीवी की गोरी गोरी गांड नंगी हो गई,,, राजू तो बस देखता ही रह गया और वह अगले ही पल नीचे बैठ गई मुतने के लिए,,,, और क्षण मात्र में ही उसकी बुर से नमकीन पानी की धार छूटने लगी,,, और गुलाबी बुर में से आ रही मधुर ध्वनि राजु के कानों में मिश्री घोलने लगी,,,।
 
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