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Incest बैलगाड़ी,,,,,

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इसी तरह से राजू के दिन अच्छे गुजरने लगे थे,,,, ऐसा लग रहा था कि राजू की हथेली में चांद उतर आया हो,,, जिस उम्र में लड़के सिर्फ सपने देखा करते थे कल्पनाओं की दुनिया में उनकी पसंदीदा औरतों के साथ रंगरेलियां मनाते हुए अपना हाथ से हिला कर काम चलाते थे उस उम्र में राजू तीन तीन औरतों की चुदाई कर रहा था,,,, । और तीनों औरतें उसके मर्दाना अंग का लोहा मानने लगी थी,,,,।
सोनी पढ़ाने के बाद रोज उसी तरह से राजू को वापस बुला लेती थी और पूरे बगीचे में चुदाई का नंगा नाच नाचा करती थी,,,, राजू के साथ उसे अब बहुत मजा आने लगा था,,, घर पर भी वह‌अपने बड़े भाई से चुदवाती थी,,,,,,, लेकिन जो मजा राजू के साथ आ रहा था अब लाला के साथ उसे बिल्कुल भी नहीं आता था क्योंकि राजू के लंड की लंबाई और चौड़ाई के मुताबिक उसकी बुर में सांचा बन चुका था,,,। जिसमें लाला का पतला लंड जाता जरूर था लेकिन कुछ महसूस नहीं करवा पा रहा था,,,, लाला को तो इस बात की भनक तक नहीं थी कि पढ़ाने के बहाने उसकी बहन गांव के लड़के से चुदवाने जाती है,,,,,,।

दूसरी तरफ गुलाबी का जीवन एकदम गुलाबी हो गया था उसके जीवन में बहार आ गई थी शादीशुदा जिंदगी से पहले ही वह रोज सुहागरात मना रही थी और रोज राजू से नए नए तरीके से पूरी संतुष्टि प्रदान कर रहा था,,,, मधु वैसे तो पूरी तरह से सामान्य ही रहती थी लेकिन कभी-कभी जब वह शांत बैठी रहती थी तो उसे वहीं कुंए वाली घटना याद आ जाती थी और उसे अपनी गांड के बीचो बीच अपने बेटे का मोटा तगड़ा लंबा लंड धंसता हुआ महसूस होने लगता था,,,, और उस पल को याद करके वह गनगना जाती थी ,,, इसीलिए वह कभी भी आप उसे साथ में कुए पर चलने के लिए नहीं बोलती थी उसे इस बात का डर था कि कहीं वह खुद बहक ना जाए आखिरकार राजू उसका सारा बेटा था और वह अपने सगे बेटे के बारे में इस तरह के गंदे ख्याल अपने दिमाग में नहीं लाना चाहती थी,,,,,,,।


ऐसे ही दिन सुबह राजू नहा धोकर तैयार हो गया था पढ़ने जाने के लिए उसकी मां मधु खाना बना रही थी,,,, गुलाबी घर का काम कर रही थी और वह पढ़ने जाने से पहले खाना खाकर ही जाता था इसलिए अपनी मां के पास आकर वह खड़ा हो गया और बोला,,,।


मैं खाना तैयार हो गया है,,,


हां बस थोड़ा रुक जा मैं तुझे गरमा गरम परोसती हुं,,,,(इतना कहकर वह जल्दी-जल्दी रोटियां बेलने लगी राजू ठीक उसके सामने खड़ा होकर उसे रोटियां बेलता हुआ देख रहा था कि तभी उसकी नजर,,, उसकी मां की छातियों की तरफ गई तो उसकी आंखें फटी की फटी रह गई साड़ी का पल्लू कंधे से नीचे गिरा हुआ था जो कि गिरा हुआ नहीं था गर्मी की वजह से मधु जानबूझ कर उसे अपने कंधे से अलग कर दी थी और राजू की किस्मत तेज थी कि ब्लाउज का ऊपर वाला बटन खुला हुआ था,,,, राजू को सब कुछ साफ नजर आ रहा था अपनी मां की छातियों को देख कर उसके मुंह में पानी आ गया था ,,, एकदम गदराई हुई,,,,मांसल भरी हुई छातियां अपनी आभा बिखेर रही थी,,, पहले से ही मधु की चूचियां खरबूजे जैसी बड़ी-बड़ी कौन होती और वह ब्लाउज छोटा ही पहनती थी और इसी वजह से उसकी आधे से ज्यादा चूचीया पहले से ही बाहर झांका करती थी और आज ब्लाउज का ऊपर वाला बटन खुला होने की वजह से राजू को अपनी मां की चूचियां एकदम साफ नजर आ रही थी पसीने से लथपथ पसीने की बूंदे मोती के दाने की तरह उसकी छातियों से लगी हुई थी और धीरे-धीरे चुचियों पर फिसल रही थी जिसे देखकर राजू के मुंह में पानी आ रहा था,,,, पसीने से तरबतर चूचियां और ज्यादा मोहक और मादक लग रही थी,,, हालांकि राजू को अभी अपनी मां की चूचियों कई निप्पल नजर नहीं आ रही थी इसलिए वह थोड़ा सा आगे की तरफ झुक कर,,, ब्लाउज के अंदर झांकने की कोशिश करने लगा क्योंकि जब तक सूचियों के साथ-साथ अंगूर का दाना नजर नहीं आता तब तक देखने वालों का मन नहीं भरता और किसी कोशिश में राजूअपनी मां के ब्लाउज के अंदर झांक रहा था और उसकी यह कोशिश रंग लाने लगी उसे अपनी मां की चुचियों के बीच की शोभा बढ़ा रही अंगुर नजर आने लगे जिस पर नजर पड़ते ही राजू का लंड फूलने लगा,,,, उत्तेजना के मारे राजू का गला सूखता जा रहा था ऐसा नहीं था कि वहां पहली बार अपनी मां की चुची को देख रहा था,,,दीवार में बने छोटे से छेद से वह अपनी मां की कामलीला को और उसके बदन को पूरी तरह से नंगी देख चुका था उसके अंग अंग से दूर से ही वाकिफ हो चुका था लेकिन आज के बाद कुछ और थी पूरी तरह से नग्नता मैं जितना मजा नहीं आता उससे कहीं ज्यादा अर्ध नग्न अवस्था में औरत के मादक शरीर को देखने में उत्तेजना का अनुभव होता है और यही राजू के साथ भी हो रहा था वह अपनी मां की बड़ी-बड़ी नंगी चुचियों को पहले भी देख चुका था लेकिन आज ब्लाउज में उसकी हल्की सी झलक पाकर वह पूरी तरह से मदहोश हुआ जा रहा था,,,,मधु को इस बात का आभास तक नहीं था कि उसका बेटा उसकी आंखों के सामने खड़ा होकर उसके ब्लाउज में झांक रहा है और वह पूरी तरह से बेफिक्र होकर रोटी पका रही थी उसे इस बात का आभास तक नहीं था कि उसके साड़ी का पल्लू उसके कंधे से नीचे गिरा हुआ है और ब्लाउज के ऊपर का बटन खुला हुआ है जिसमें से उसकी आधे से ज्यादा चूचियां नजर आ रही है,,,।


राजू अपनी मां को इस हाल में देखकर बेहद उत्तेजना का अनुभव कर रहा था और उसे अपनी मां की खूबसूरती का आभास भी हो रहा था वह अच्छी तरह से समझ गया था कि उसकी मां की चूचियां दूसरी औरतों से कहीं ज्यादा खूबसूरत और आकर्षक है,,,, जिसकी हल्की सी झलक पाकर उसकी हालत खराब होती जा रही थी,,, उसका मन तो कर रहा था कि उसके पास बैठकर वह अपने दोनों हाथों से अपनी मां की चूचियों को दबा दबा कर उसका मजा ले लेकिन ऐसा कर नहीं सकता था कुए पर का अनुभव उसे बहुत अच्छे से था अपनी मां की बड़ी बड़ी गांड को वह बहुत करीब से महसूस कर पाया था और उत्तेजना के अद्भुत अनुभव से परिचित हो पाया था,,,

अपनी मां की चुचियों के निप्पल को देखकर उसकी उत्तेजना बढ़ती जा रही थी ब्लाउज में कैद चूचियों की निप्पल अंगूर के बड़े दाने की तरह नजर आ रही थी जिसका रस पीने में अद्भुत सुख का अनुभव महसूस होता होगा एक तरह से पल भर में उसे अपने पिता से ईर्ष्या होने लगी थी कि उसके हाथों में इतनी खूबसूरत औरत है जिसको जब चाहे तब वह चोद सकता है राजू को ऐसी पलिया ख्याल आने लगा कि अगर उसे मौका मिलेगा तो अपनी मां को जरूर अद्भुत सुख देगा उसे पूरी तरह से संतुष्टि प्रदान करेगा क्योंकि उसे अपने लंड पर पूरा भरोसा था और वह अपने मन में यही सोच रहा था कि अगर उसकी मां एक बार उसके लंड को अपनी बुर में ले लेगी तो उसकी गुलाम बन जाएगी,,,, जैसा की कमला चाची उसकी बुआ और सोनी का हाल हो रहा था,,,,।

राजू उत्तेजना में इतना ज्यादा ओतप्रोत हो गया था कि उसे इस बात का भी आभास नहीं हुआ कि उसके पजामे में पूरी तरह से तंबू बना हुआ है,,, वह लार टपका ता हुआ ललचाई आंखों से अपनी मां के ब्लाउज में ही झांक रहा था,,,, इस तरह से खड़ा देखा कर मधु उससे बोली,,,।

अरे खड़ा क्यों है बैठ,,,,(इतना कहते हुए जैसे अपनी नजरों को ऊपर की तरफ उठाई और अपने बेटे की तरफ देख कर उसकी नजरों को देखी तो उसके शब्द उसके मुंह में ही अटक गए क्योंकि उसे इस बात का आभास हो गया कि उसका बेटा उसकी ब्लाउज में झांक रहा है और वह अपनी नजरों को नीचे करके अपनी छातियों की तरफ देखी तो पूरी तरह से शर्म से पानी पानी हो गई क्योंकि उसे इस बात का आभास हो गया कि उसके उसका बटन खुला हुआ है उसमें से उसके आधे से ज्यादा चूचियां नजर आ रही हैं और उसे देखकर उसका बेटा ललच रहा है,,,, मधुर की तो हालत खराब हो गई उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें अपने बेटे की हरकत पर उसे शर्म महसूस होने लगी क्योंकि राजू उसका सारा बेटा था वह सजा बेटा होने के बावजूद भी वह बड़े मजे लेकर उसकी चुचियों को देख रहा था यह बात मधु को अजीब लग रही थी उसे तुरंत कुंए वाली बात याद आ गई जब कोई मे से बाल्टी खींचने के बहाने वह ठीक उसके पीछे खड़ा था और उसकी गांड के बीचो बीच अपने लंड को धंसाय चला जा रहा था,,, मधु अपने बेटे की इस हरकत को देख कर उसे समझ में आ गया था कि उस दिन जो कुछ भी हुआ था राजू जानबूझकर किया था उसे इस बात का आभास था कि उसका लंड पजामे में तंबू बनाया हुआ है और उसी तंबू को वह जानबूझकर उसकी गांड से रगड़ रहा था,,,,

उस दिन वाली घटना और अभी मौजूदा हालात को देखकर मधु शर्म से गडी जा रही थी,,। मधु को समझ में नहीं आ रहा था कि उसका बेटा इतनी गंदी हरकत कैसे कर सकता है,,,, मधु यह सब सोच रही थी कि तभी,,,,उसकी नजर अपने बेटे के पजामे में बने तंबू पर गई तो उसका मुंह खुला का खुला रह‌ गया,,,,, ऐसा लग रहा था कि जैसे बैल और भैंस बांधने के लिए कोई खूंटा उसके पजामे में अटक गया हो,,,, मधु की अनुभवी आंखें समझ गई थी कि उसके बेटे के पजामे जबरदस्त खुंटा है तभी तो कुंए पर साड़ी पहनी होने के बावजूद भी गांड के बीच धंसा चला जा रहा था,,,,,,, मधु को समझ में नहीं आ रहा था कि उसका बेटा उसे देखकर इस तरह उत्तेजित क्यों हुआ जा रहा है,,,,अपनी मां को देखकर उसके मन में इतने गंदे विचार क्यों आ रहे हैं,,,यह सब ख्याल मन में आने के बावजूद भी मधु को भी ना जाने कुछ अजीब सा महसूस हो रहा था उसे अपने बदन में भी गुदगुदी सी महसूस होने लगी थी खास करके उसे अपनी दोनों टांगों के बीच हलचल सी महसूस हो रही थी,,, उसे अपनी पतली दरार में से काम रस रिश्ता हुआ महसूस होने लगा था,,,, पल भर में ही मधु की भी सांसे भारी हो चली थी और गहरी सांस लेने की वजह से,,, चुचियों का ऊपर नीचे होना अपनी अलग ही कहानी बयां कर रहा था अपनी मां की उठती बैठती चूचियों को देखकर राजू की हालत पल-पल खराब होती जा रही थी,,,।,,,
दूसरी तरफ मधु अजीब सी कशमकश में थी,,,, उसे समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करें,,, उसे इस बात का डर था कि कहीं गुलाबी या मुन्ना के पापा ना आ जाए और इस हाल में देखकर कहीं कुछ गलत ना समझ बैठे इसलिए बहुत अपने साड़ी के पल्लू को ठीक करते हुए राजु से बोली,,)


तू बैठ में खाना लगाती हूं,,,,
(अपनी मां की बात सुनकर जैसे वह नींद से जागा हो इस तरह से एकदम से हड़बड़ा गया और अपनी गलती का एहसास उसे होते ही वह वहीं पास में नीचे बैठ गया,,, मधु असहज महसूस कर रही थी वह जल्दी जल्दी खाना परोस कर थाली को अपने बेटे के आगे रख दी,,, और वापस रोटियां बेलने में लग गई,,, राजू जल्दी-जल्दी खाना खाकर जा चुका था उसके बाद में उत्तेजना का अनुभव अभी भी हो रहा था दूसरी तरफ मधु की हालत खराब होती जा रही थी वह समझ गई थी कि उसका बेटा बड़ा हो रहा था,,,, लेकिन उसे यह समझ में नहीं आ रहा था कि वह अपनी ही मां के बारे में गंदे विचार मन में लाकर उत्तेजित क्यों हो रहा था मधु को यह सब अच्छा नहीं लग रहा था आखिरकार वह उसकी सगी मां थी और वह उसका सगा बेटा था,,,,

राजू अपनी मां की चूचियों के बारे में सोचते हुए,, श्याम के घर की तरफ चला जा रहा था वह पढ़ने जाने के लिए उसे रोज बुलाने जाता था,,,, देखते ही देखते वह उसके घर पर पहुंच गया,,,,घर के बाहर खड़ा होकर वहां श्याम का नाम लेकर बुलाने लगा लेकिन कोई जवाब नहीं मिला तो घर में प्रवेश कर गया और इधर उधर देखते देखते वह सीधा अंदर की तरफ जाने लगा,,, तीन कमरे सीधे-सीधे बने हुए थे राजू धीरे-धीरे इधर उधर देखता हुआ तीसरे कमरे में पहुंच गया था लेकिन उधर भी कोई नहीं था तीसरे कमरे के पीछे दरवाजा बना हुआ था वह सोचा शायद उधर होगा और यही सोचकर वह तीसरे कमरे को भी पार कर गया और तीसरे कमरे को पार करते उसकी आंखों के सामने जो नजारा नजर आया उसे देखकर उसके होश उड़ गए,,,, उसकी आंखें फटी की फटी रह गई,,,।
nice update
 

Raj_sharma

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Bohot hi acha or kamuk Update Bhai. Or last me to full suspense .
Lagta hai syam apni ma ya bahan ki Le raha hoga
 

Azagar Dada

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खेल खत्म हो चुका था,,,,,,,, राजू के मन में अजीब सी हलचल मची हुई थी कमला चाची की बातें उसका भीगा बदन उसकी उन्नत चूचियां,,, सब कुछ एक एक करके राजू की आंखों के सामने से गुजर रही थी,,, और श्याम की गंदी गालियां कमला चाची के प्रति खराब खराब बोलना,,, यह सब राजू के कोमल मन पर भारी पड़ रही थी,,,,,,,

श्याम थोड़ा गुस्से में था और वह भी कमला चाची के रवैया के वजह से क्योंकि वह राजू को पसंद करती थी और उसे नापसंद राजू के साथ हंस कर बातें करती थी और उसके साथ गुस्से में,,,,,, श्याम अपने मन में यही सोचता था कि अगर राजू की जगह पर होता तो कमला चाची की कब से चुदाई कर दिया होता,,,, चुदाई के मामले में राजु को कुछ भी पता नहीं था यह बात भी श्याम अच्छी तरह से जानता था,,,,,,,, इसलिए राजू को चिढ़ाने के लिए श्याम बोला जो कि अभी भी वही बगीचे में ही सब लोग थे,,,।


यार राजु कमला चाची तुझे इतना मानती है,,, तुझसे कितना हंस हंस कर बातें करती है और तो और तुझे अपनी पानी से भीगी हुई चूचियां भी दिखा रही थी,,,, लेकिन मैं जानता हूं तुझसे कुछ होगा नहीं,,,,,, मुझे लगता नहीं कि तेरा खड़ा होता है,,,,,,,।


स्याम यह कैसी बातें कर रहा है तू,,,,(राजू गुस्से में बोला)


सही तो कह रहा हूं,,, तुझ से कुछ होने वाला नहीं है,,,, देख नहीं रहा था कमला चाची तुझे अपनी बड़ी बड़ी चूचीया कैसे दिखा रही थी मुझे दिखाती तो कसम से अपने दोनों हाथ में पकड़ कर जोर जोर से दबा देता,,,
(शयाम की गंदी बातें सुनकर राजू के तन बदन में अजीब सी हलचल होने लगी उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था,,, फिर भी राजु शयाम को समझाते हुए बोला,,,)


ऐसा नहीं कहते श्याम तु जो कुछ भी कह रहा है गलत कह रहा है वो कमला चाची है,,,, उनकी दो बहुएं है,,,,


तो क्या हुआ दो बहुए होने की वजह से क्या वो सीधी हो गई,,,,,, नहीं ऐसा बिल्कुल भी नहीं है तु नहीं जानता कमला चाची के पास भी बुर है,,, और उन्हें भी अपनी बुर के अंदर लंड चाहिए ,, और लेती भी है,,,, मुझे तो लगता है कि तेरे पास है ही नहीं तभी तो कमला तुझे इतना भाव देती है लेकिन तू भाव खाता है,,,,,
(राजू की हालत पल-पल खराब होती जा रही थी श्याम बेहद गंदी जुबान में बातें कर रहा था इस तरह की गंदी बातों को सुनकर राजू के तन बदन में अजीब सी हलचल हो रही थी,,, खास करके लंड और बुर वाली बात,,,,, राजु ईससे पहले भीगांव के आवारा लड़कों के मुंह से गाली सुन चुका था लेकिन खुद के लिए नहीं लेकिन आज इस तरह की गंदी बात श्याम उसे ही कह रहा था इसलिए राजू के तन बदन में हलचल सी मच ने लगी थी,,,।)

श्याम अब तू ज्यादा बोल रहा है,,,,



बोलूंगा क्या कर लेगा,,,,,,, तेरे पास होता तो कमला चाची की चुदाई कर लिया होता लेकिन तेरे पास है ही नहीं इसलिए नहीं कर पा रहा है,,,,तू बोल के कमला चाची को मेरे पास भेज दे देख मे कमला चाची को अपने लंड से एकदम मस्त कर दूंगा,,,,,,, अगर कमला चाची को नहीं भेज पाता तो अपनी मां को ही भेज दे तेरी मां वैसे भी गांव की सबसे खूबसूरत औरत है उसकी बड़ी बड़ी गांडदेख कर ही मेरा लंड खड़ा हो जाता है कसम से तेरी मां को नंगी करके चोदने में बहुत मजा आएगा,,,, तेरी मां की बुर बहुत मनाई छोड़ती होगी,,,,
(राजू को इस बात की उम्मीद बिल्कुल भी नहीं थी कि शाम उसकी मां के बारे में इतनी गंदी-गंदी बातें बोलेगा इसलिए अपनी मां के बारे में गंदी बात सुनते ही राजू एकदम से श्याम से भिड़ गया,,, और दोनों में लड़ाई हो गई,,, झगड़ा बड़ा होता देखकर उन दोनों के साथी बीच बचाव करते हुए दोनों को अलग किए और घर की तरफ ले गए,,,,,,,,,,मुन्ना राजु को घर ना ले जाकर रास्ते में ही पेड़ के नीचे बिठा लिया और उसे समझाने लगा मुन्ना राजू का पक्का दोस्त था जो हमेशा उसके साथ ही रहता था,,,, दोनों पेड़ के नीचे बैठे हुए थे शाम ढलने लगी थी धीरे-धीरे अंधेरा बढ़ रहा था और अभी भी राजू गुस्से में ही था मुन्ना उसे समझाते हुए बोला,,,)


तू इतना बड़ा हो गया है लेकिन अभी भी सीधा है इसलिए वह तेरी मस्करी कर लेता है तेरा मजाक बना देता है अगर तू भी उन लड़कों की तरह हरामी होता तो शायद यह नौबत ही नहीं आती वो तेरी मां के बारे में इतनी गंदी बात कभी नहीं बोल पाता,,,,,,,(राजू अभी भी गुस्से में था लेकिन मुन्ना की बातों को ध्यान से सुन रहा था क्योंकि मुन्ना उसका सबसे चाहिता यार था दोनों की उम्र बराबर ही थी,,,)

और तुझे सच कहूं तो श्याम कमला चाची के बारे में सच ही कह रहा था तू सीधा है इसलिए तुझे समझ में नहीं आता अगर तेरी जगह गांव का कोई और लड़का होता तो अब तक कमला चाची कर चल गया होता और कमला चाची भी यही चाहते हैं,,,


चढ गया होता मतलब ,,,,(राजू आश्चर्य जताते हुए बोला)


अरे बुद्धू श्याम सच्ची कहता है कि तू सच में उस लायक नहीं है तेरे पास है ही नहीं यह सब भी नहीं समझ पाता,,,


सच में मुझे नहीं पता,,,,


अरे यार चढ जाने का मतलब होता है कि चुदाई करना तेरी जगह कोई गांव का दूसरा लड़का होता तो कमला चाची की बुर में अपना लंड डालकर चुदाई कर दिया होता,,, और श्याम की तुझे यही कह रहा था पता है क्यों क्योंकि कमला चाची तुझे पसंद करती है इसलिए तो तु देख नहीं रहा था कैसे पानी से भीगे हुए अपने ब्लाउज में छिपी हुई चुचियों को तुझे दिखा दिखा कर बातें कर रही थी,,,


नहीं मुन्ना ऐसी कोई बात नहीं है मेरी वजह से सर पर रखी हुई मटकी फूट गई थी और वह भीग गई थी इसलिए,,,,


अरे बुद्धू कमला चाची को मोटे मोटे लंबे और जवान लंड पसंद है यह बात गांव का हर कोई जानता है एक तू ही नहीं जानता इसलिए इस तरह की बातें कर रहा है,,,। और सच कहूं तो कमला चाची तेरे लिए अपनी दोनों टांगें खोलकर तेरे लंड को अपनी बुर में ले लेगी लेकिन तेरी बातें सुनकर तो मुझे भी लगने लगा है कि श्याम तेरे बारे में सही कहता है कि तेरे पास है ही नहीं अगर होता तो अब तक तो कमला चाची की चुदाई कर दिया होता,,,,,, सच सच बता तेरे पास है कि नहीं की सच में श्याम तेरे बारे में सही कह रहा था,,,।


क्या है कि नहीं,,,?


अरे बुद्धू लंड और क्या,,,,


पागल हो गया क्या तू मेरे पास भी है,,,,


तो जब श्याम तुझे उल्टा सीधा बोल रहा था तो खोल कर दिखा देना चाहिए था ना वह दिखाया क्यो नहीं,,,,


ऐसे कैसे दिखा दु मैं उन लोगों की तरह बेशर्म थोड़ी हूं,,,


तुझे भी बेशर्म बनना पड़ेगा वरना तुझे वह लोग बार-बार इसी तरह से चिढ़ाते रहेंगे परेशान करते रहेंगे कहीं ऐसा तो नहीं कि तेरा सबसे छोटा है इसलिए नहीं दिखा रहा है,,,,



नहीं नहीं ऐसा कुछ भी नहीं है सब कुछ ठीक है,,,,


तो मुझे तो दिखा दे मुझे भी यकीन हो जाए तो मैं दूसरों को बोल सकूं ना तू वाकई में मर्द है,,,,



नहीं यार तू पागल हो गया है क्या मुझे शर्म आती है,,,,



ले बच्चु तू तो औरतों की तरह शर्मा रहा है सच में चुदाई कैसे कर पाएगा तो शर्माता बहुत है और कुछ समझता भी नहीं है,,,,,, मुझे तो यकीन होने लगा है कि अगर तेरे पास होगा भी तो बहुत छोटा होगा,,,।


तेरे पास तो है ना,,,,


हां मेरे पास तो है ले तुझे दिखा देता हूं,,,,( और इतना कहने के साथ ही वह खड़ा हो गया,,,,और तुरंत अपने पजामे की डोरी खोलकर नीचे कर दिया और अपने लंड को दिखाना शुरू कर दिया जो कि पूरी तरह से खड़ा था,,,उसे अपने हाथ में पकड़ कर ऊपर नीचे करके हीलाते हुए बोला,,,)


ले देख लिया ना मेरे पास है तभी तुझे दिखा रहा हूं तेरे पास नहीं है तभी तु नहीं दिखाता,,,, अगर हिम्मत है तो दिखा,,





क्रमशः
Mast maza aa raha hai ki
 

Naik

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इसी तरह से राजू के दिन अच्छे गुजरने लगे थे,,,, ऐसा लग रहा था कि राजू की हथेली में चांद उतर आया हो,,, जिस उम्र में लड़के सिर्फ सपने देखा करते थे कल्पनाओं की दुनिया में उनकी पसंदीदा औरतों के साथ रंगरेलियां मनाते हुए अपना हाथ से हिला कर काम चलाते थे उस उम्र में राजू तीन तीन औरतों की चुदाई कर रहा था,,,, । और तीनों औरतें उसके मर्दाना अंग का लोहा मानने लगी थी,,,,।
सोनी पढ़ाने के बाद रोज उसी तरह से राजू को वापस बुला लेती थी और पूरे बगीचे में चुदाई का नंगा नाच नाचा करती थी,,,, राजू के साथ उसे अब बहुत मजा आने लगा था,,, घर पर भी वह‌अपने बड़े भाई से चुदवाती थी,,,,,,, लेकिन जो मजा राजू के साथ आ रहा था अब लाला के साथ उसे बिल्कुल भी नहीं आता था क्योंकि राजू के लंड की लंबाई और चौड़ाई के मुताबिक उसकी बुर में सांचा बन चुका था,,,। जिसमें लाला का पतला लंड जाता जरूर था लेकिन कुछ महसूस नहीं करवा पा रहा था,,,, लाला को तो इस बात की भनक तक नहीं थी कि पढ़ाने के बहाने उसकी बहन गांव के लड़के से चुदवाने जाती है,,,,,,।


clinking glasses smileys
दूसरी तरफ गुलाबी का जीवन एकदम गुलाबी हो गया था उसके जीवन में बहार आ गई थी शादीशुदा जिंदगी से पहले ही वह रोज सुहागरात मना रही थी और रोज राजू से नए नए तरीके से पूरी संतुष्टि प्रदान कर रहा था,,,, मधु वैसे तो पूरी तरह से सामान्य ही रहती थी लेकिन कभी-कभी जब वह शांत बैठी रहती थी तो उसे वहीं कुंए वाली घटना याद आ जाती थी और उसे अपनी गांड के बीचो बीच अपने बेटे का मोटा तगड़ा लंबा लंड धंसता हुआ महसूस होने लगता था,,,, और उस पल को याद करके वह गनगना जाती थी ,,, इसीलिए वह कभी भी आप उसे साथ में कुए पर चलने के लिए नहीं बोलती थी उसे इस बात का डर था कि कहीं वह खुद बहक ना जाए आखिरकार राजू उसका सारा बेटा था और वह अपने सगे बेटे के बारे में इस तरह के गंदे ख्याल अपने दिमाग में नहीं लाना चाहती थी,,,,,,,।



ऐसे ही दिन सुबह राजू नहा धोकर तैयार हो गया था पढ़ने जाने के लिए उसकी मां मधु खाना बना रही थी,,,, गुलाबी घर का काम कर रही थी और वह पढ़ने जाने से पहले खाना खाकर ही जाता था इसलिए अपनी मां के पास आकर वह खड़ा हो गया और बोला,,,।


मैं खाना तैयार हो गया है,,,


हां बस थोड़ा रुक जा मैं तुझे गरमा गरम परोसती हुं,,,,(इतना कहकर वह जल्दी-जल्दी रोटियां बेलने लगी राजू ठीक उसके सामने खड़ा होकर उसे रोटियां बेलता हुआ देख रहा था कि तभी उसकी नजर,,, उसकी मां की छातियों की तरफ गई तो उसकी आंखें फटी की फटी रह गई साड़ी का पल्लू कंधे से नीचे गिरा हुआ था जो कि गिरा हुआ नहीं था गर्मी की वजह से मधु जानबूझ कर उसे अपने कंधे से अलग कर दी थी और राजू की किस्मत तेज थी कि ब्लाउज का ऊपर वाला बटन खुला हुआ था,,,, राजू को सब कुछ साफ नजर आ रहा था अपनी मां की छातियों को देख कर उसके मुंह में पानी आ गया था ,,, एकदम गदराई हुई,,,,मांसल भरी हुई छातियां अपनी आभा बिखेर रही थी,,, पहले से ही मधु की चूचियां खरबूजे जैसी बड़ी-बड़ी कौन होती और वह ब्लाउज छोटा ही पहनती थी और इसी वजह से उसकी आधे से ज्यादा चूचीया पहले से ही बाहर झांका करती थी और आज ब्लाउज का ऊपर वाला बटन खुला होने की वजह से राजू को अपनी मां की चूचियां एकदम साफ नजर आ रही थी पसीने से लथपथ पसीने की बूंदे मोती के दाने की तरह उसकी छातियों से लगी हुई थी और धीरे-धीरे चुचियों पर फिसल रही थी जिसे देखकर राजू के मुंह में पानी आ रहा था,,,, पसीने से तरबतर चूचियां और ज्यादा मोहक और मादक लग रही थी,,, हालांकि राजू को अभी अपनी मां की चूचियों कई निप्पल नजर नहीं आ रही थी इसलिए वह थोड़ा सा आगे की तरफ झुक कर,,, ब्लाउज के अंदर झांकने की कोशिश करने लगा क्योंकि जब तक सूचियों के साथ-साथ अंगूर का दाना नजर नहीं आता तब तक देखने वालों का मन नहीं भरता और किसी कोशिश में राजूअपनी मां के ब्लाउज के अंदर झांक रहा था और उसकी यह कोशिश रंग लाने लगी उसे अपनी मां की चुचियों के बीच की शोभा बढ़ा रही अंगुर नजर आने लगे जिस पर नजर पड़ते ही राजू का लंड फूलने लगा,,,, उत्तेजना के मारे राजू का गला सूखता जा रहा था ऐसा नहीं था कि वहां पहली बार अपनी मां की चुची को देख रहा था,,,दीवार में बने छोटे से छेद से वह अपनी मां की कामलीला को और उसके बदन को पूरी तरह से नंगी देख चुका था उसके अंग अंग से दूर से ही वाकिफ हो चुका था लेकिन आज के बाद कुछ और थी पूरी तरह से नग्नता मैं जितना मजा नहीं आता उससे कहीं ज्यादा अर्ध नग्न अवस्था में औरत के मादक शरीर को देखने में उत्तेजना का अनुभव होता है और यही राजू के साथ भी हो रहा था वह अपनी मां की बड़ी-बड़ी नंगी चुचियों को पहले भी देख चुका था लेकिन आज ब्लाउज में उसकी हल्की सी झलक पाकर वह पूरी तरह से मदहोश हुआ जा रहा था,,,,मधु को इस बात का आभास तक नहीं था कि उसका बेटा उसकी आंखों के सामने खड़ा होकर उसके ब्लाउज में झांक रहा है और वह पूरी तरह से बेफिक्र होकर रोटी पका रही थी उसे इस बात का आभास तक नहीं था कि उसके साड़ी का पल्लू उसके कंधे से नीचे गिरा हुआ है और ब्लाउज के ऊपर का बटन खुला हुआ है जिसमें से उसकी आधे से ज्यादा चूचियां नजर आ रही है,,,।



राजू अपनी मां को इस हाल में देखकर बेहद उत्तेजना का अनुभव कर रहा था और उसे अपनी मां की खूबसूरती का आभास भी हो रहा था वह अच्छी तरह से समझ गया था कि उसकी मां की चूचियां दूसरी औरतों से कहीं ज्यादा खूबसूरत और आकर्षक है,,,, जिसकी हल्की सी झलक पाकर उसकी हालत खराब होती जा रही थी,,, उसका मन तो कर रहा था कि उसके पास बैठकर वह अपने दोनों हाथों से अपनी मां की चूचियों को दबा दबा कर उसका मजा ले लेकिन ऐसा कर नहीं सकता था कुए पर का अनुभव उसे बहुत अच्छे से था अपनी मां की बड़ी बड़ी गांड को वह बहुत करीब से महसूस कर पाया था और उत्तेजना के अद्भुत अनुभव से परिचित हो पाया था,,,



अपनी मां की चुचियों के निप्पल को देखकर उसकी उत्तेजना बढ़ती जा रही थी ब्लाउज में कैद चूचियों की निप्पल अंगूर के बड़े दाने की तरह नजर आ रही थी जिसका रस पीने में अद्भुत सुख का अनुभव महसूस होता होगा एक तरह से पल भर में उसे अपने पिता से ईर्ष्या होने लगी थी कि उसके हाथों में इतनी खूबसूरत औरत है जिसको जब चाहे तब वह चोद सकता है राजू को ऐसी पलिया ख्याल आने लगा कि अगर उसे मौका मिलेगा तो अपनी मां को जरूर अद्भुत सुख देगा उसे पूरी तरह से संतुष्टि प्रदान करेगा क्योंकि उसे अपने लंड पर पूरा भरोसा था और वह अपने मन में यही सोच रहा था कि अगर उसकी मां एक बार उसके लंड को अपनी बुर में ले लेगी तो उसकी गुलाम बन जाएगी,,,, जैसा की कमला चाची उसकी बुआ और सोनी का हाल हो रहा था,,,,।

राजू उत्तेजना में इतना ज्यादा ओतप्रोत हो गया था कि उसे इस बात का भी आभास नहीं हुआ कि उसके पजामे में पूरी तरह से तंबू बना हुआ है,,, वह लार टपका ता हुआ ललचाई आंखों से अपनी मां के ब्लाउज में ही झांक रहा था,,,, इस तरह से खड़ा देखा कर मधु उससे बोली,,,।

अरे खड़ा क्यों है बैठ,,,,(इतना कहते हुए जैसे अपनी नजरों को ऊपर की तरफ उठाई और अपने बेटे की तरफ देख कर उसकी नजरों को देखी तो उसके शब्द उसके मुंह में ही अटक गए क्योंकि उसे इस बात का आभास हो गया कि उसका बेटा उसकी ब्लाउज में झांक रहा है और वह अपनी नजरों को नीचे करके अपनी छातियों की तरफ देखी तो पूरी तरह से शर्म से पानी पानी हो गई क्योंकि उसे इस बात का आभास हो गया कि उसके उसका बटन खुला हुआ है उसमें से उसके आधे से ज्यादा चूचियां नजर आ रही हैं और उसे देखकर उसका बेटा ललच रहा है,,,, मधुर की तो हालत खराब हो गई उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें अपने बेटे की हरकत पर उसे शर्म महसूस होने लगी क्योंकि राजू उसका सारा बेटा था वह सजा बेटा होने के बावजूद भी वह बड़े मजे लेकर उसकी चुचियों को देख रहा था यह बात मधु को अजीब लग रही थी उसे तुरंत कुंए वाली बात याद आ गई जब कोई मे से बाल्टी खींचने के बहाने वह ठीक उसके पीछे खड़ा था और उसकी गांड के बीचो बीच अपने लंड को धंसाय चला जा रहा था,,, मधु अपने बेटे की इस हरकत को देख कर उसे समझ में आ गया था कि उस दिन जो कुछ भी हुआ था राजू जानबूझकर किया था उसे इस बात का आभास था कि उसका लंड पजामे में तंबू बनाया हुआ है और उसी तंबू को वह जानबूझकर उसकी गांड से रगड़ रहा था,,,,
RRaju or Gulabi

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उस दिन वाली घटना और अभी मौजूदा हालात को देखकर मधु शर्म से गडी जा रही थी,,। मधु को समझ में नहीं आ रहा था कि उसका बेटा इतनी गंदी हरकत कैसे कर सकता है,,,, मधु यह सब सोच रही थी कि तभी,,,,उसकी नजर अपने बेटे के पजामे में बने तंबू पर गई तो उसका मुंह खुला का खुला रह‌ गया,,,,, ऐसा लग रहा था कि जैसे बैल और भैंस बांधने के लिए कोई खूंटा उसके पजामे में अटक गया हो,,,, मधु की अनुभवी आंखें समझ गई थी कि उसके बेटे के पजामे जबरदस्त खुंटा है तभी तो कुंए पर साड़ी पहनी होने के बावजूद भी गांड के बीच धंसा चला जा रहा था,,,,,,, मधु को समझ में नहीं आ रहा था कि उसका बेटा उसे देखकर इस तरह उत्तेजित क्यों हुआ जा रहा है,,,,अपनी मां को देखकर उसके मन में इतने गंदे विचार क्यों आ रहे हैं,,,यह सब ख्याल मन में आने के बावजूद भी मधु को भी ना जाने कुछ अजीब सा महसूस हो रहा था उसे अपने बदन में भी गुदगुदी सी महसूस होने लगी थी खास करके उसे अपनी दोनों टांगों के बीच हलचल सी महसूस हो रही थी,,, उसे अपनी पतली दरार में से काम रस रिश्ता हुआ महसूस होने लगा था,,,, पल भर में ही मधु की भी सांसे भारी हो चली थी और गहरी सांस लेने की वजह से,,, चुचियों का ऊपर नीचे होना अपनी अलग ही कहानी बयां कर रहा था अपनी मां की उठती बैठती चूचियों को देखकर राजू की हालत पल-पल खराब होती जा रही थी,,,।,,,
दूसरी तरफ मधु अजीब सी कशमकश में थी,,,, उसे समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करें,,, उसे इस बात का डर था कि कहीं गुलाबी या मुन्ना के पापा ना आ जाए और इस हाल में देखकर कहीं कुछ गलत ना समझ बैठे इसलिए बहुत अपने साड़ी के पल्लू को ठीक करते हुए राजु से बोली,,)


तू बैठ में खाना लगाती हूं,,,,
(अपनी मां की बात सुनकर जैसे वह नींद से जागा हो इस तरह से एकदम से हड़बड़ा गया और अपनी गलती का एहसास उसे होते ही वह वहीं पास में नीचे बैठ गया,,, मधु असहज महसूस कर रही थी वह जल्दी जल्दी खाना परोस कर थाली को अपने बेटे के आगे रख दी,,, और वापस रोटियां बेलने में लग गई,,, राजू जल्दी-जल्दी खाना खाकर जा चुका था उसके बाद में उत्तेजना का अनुभव अभी भी हो रहा था दूसरी तरफ मधु की हालत खराब होती जा रही थी वह समझ गई थी कि उसका बेटा बड़ा हो रहा था,,,, लेकिन उसे यह समझ में नहीं आ रहा था कि वह अपनी ही मां के बारे में गंदे विचार मन में लाकर उत्तेजित क्यों हो रहा था मधु को यह सब अच्छा नहीं लग रहा था आखिरकार वह उसकी सगी मां थी और वह उसका सगा बेटा था,,,,

राजू अपनी मां की चूचियों के बारे में सोचते हुए,, श्याम के घर की तरफ चला जा रहा था वह पढ़ने जाने के लिए उसे रोज बुलाने जाता था,,,, देखते ही देखते वह उसके घर पर पहुंच गया,,,,घर के बाहर खड़ा होकर वहां श्याम का नाम लेकर बुलाने लगा लेकिन कोई जवाब नहीं मिला तो घर में प्रवेश कर गया और इधर उधर देखते देखते वह सीधा अंदर की तरफ जाने लगा,,, तीन कमरे सीधे-सीधे बने हुए थे राजू धीरे-धीरे इधर उधर देखता हुआ तीसरे कमरे में पहुंच गया था लेकिन उधर भी कोई नहीं था तीसरे कमरे के पीछे दरवाजा बना हुआ था वह सोचा शायद उधर होगा और यही सोचकर वह तीसरे कमरे को भी पार कर गया और तीसरे कमरे को पार करते उसकी आंखों के सामने जो नजारा नजर आया उसे देखकर उसके होश उड़ गए,,,, उसकी आंखें फटी की फटी रह गई,,,।

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Bahot behtareen
Shaandaar update bhai
 
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