• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

Incest बैलगाड़ी,,,,,

Sanju@

Well-Known Member
4,206
17,217
143
अद्भुत अविस्मरणीय अतुलनीय ,,, संभोग की तृप्ति का अहसास लिए सोनी और राजू अपने अपने रास्ते चले जा रहे थे सोनी आज बहुत खुश थी पहली बार किसी असली मर्द से पाला जो पडा,,,था,,, शाम होने तक तीन बार की खमासा चुदाई का एहसास सोनी हल्के हल्के लंगड़ा कर चल रही थी ऐसा उसके साथ कभी नहीं हुआ था,,,, अपनी बुर में उसे मीठा मीठा दर्द महसूस हो रहा था लेकिन यह दर्द उसके लिए बहुत खास था यह यादें यह पल उसकी जिंदगी की सबसे बेहतरीन पल बन चुकी थी,,, क्यों कभी सपने में भी नहीं सोची थी कि कोई इस तरह से चुदाई करता होगा,,,, एक नहीं दो नहीं तीन तीन बार चुदाई करने पर तीनों का अद्भुत की पराकाष्ठा का अनुभव कराते हुए राजू ने उसे दिन में ही उसे तारे दिखा दिए,, थे,,,। ऊंची नीची पगडंडियों से चलते हुए सोनी को अपनी बुर की गुलाबी पत्तियों के बीच रगड महसूस हो रही थी,,,,राजू के लंड से निकले गर्म लावा की धार अभी भी उसकी बुर से रह रह कर बह रही थी,,,, राजू के साथ बिताए हुए एक-एक पल को याद करके सोनी के होठों पर मुस्कान तैरने लग रही थी,,,, वो कभी सोची नहीं होती कि इतनी जल्दी सब कुछ हो जाएगा उसे लग रहा था कि धीरे-धीरे आगे बढ़ना पड़ेगा लेकिन किस्मत बड़े जोरों पर थी जो की पहली बार में ही सब कुछ हो गया था,,,

Madhu

upload image
राजू के मोटे तगड़े लंबे लंड की धार को अपनी बुर की गहराई में बड़े अच्छे से महसूस कर पाई थी उसका हर एक देखा उसके बच्चेदानी को छूकर गुजर जाता था यह एहसास उसकी जिंदगी का सबसे बेहतरीन एहसास था इस तरह का अनुभव है अभी तक नहीं कर पाई थी शायद इतना मोटा लंबा लंड उसे मिला ही नहीं था,,,,

राजू के लंड से चुदवाकर सोनी अपने आपको अभी तक तुम्हें का मेंढक भी समझने लगी थी क्योंकि असली सुख तो आज उसे राजू ने दिया था,,,, उसकी संभोग की कार्यक्षमता उसकी कार्यशैली उसकी गरमा गरम हरकतें सब कुछ अद्भुत थी खास करके आम के बगीचे में खुले में हेड पंप के पास वाली हरकत सोनी को एकदम मदहोश और मस्त कर गई थी वह कभी सपने में भी नहीं सोची थी कि वह इस तरह से आम के बगीचे में खुले में चुदाई का आनंद लेगी,,,, और बार-बार राजू का उसकी दोनों टांगों के बीच मुंह मारना उसे पूरी तरह से राजू का गुलाम बना दिया था राजू की बुर को चाटने की कार्यशैली देखकर वह पूरी तरह से उत्तेजना से गदगद हो गई थी इस तरह से आज तक किसी ने भी उसके साथ बुर चाटने वाली हरकत नहीं किया था उसकी जीभ बुर की गहराई तक चली जाती थी,,,,,,, बिना चुदाई किए ही वह उसका पानी निकाल चुका था,,, यही सबसे बड़ा उसकी मर्दाना ताकत का प्रमाण था,,,।सोनी को यह भी समझ में आ गया था कि राजू जितना भोला भाला मासूम चेहरे से लगता है उतना भोला भाला वह था नहीं औरतों के मामले में तो खास करके,,,, और यही अदा तो सोनी को भा गई थी उसे लगा था कि राजू को सब कुछ सिखाना पड़ेगा लेकिन,,, राजू तो पहले से ही संभोग की पूरी पुस्तिका का अध्ययन कर चुका था,,,,

सोनी को अपने खूबसूरत बदन पर गर्व होने लगा था,,, खास करके अपनी बड़ी बड़ी गांड पर,,क्योंकि राजू सबसे ज्यादा उसकी गांड से खेल रहा था और वही अंग उसे सबसे ज्यादा उत्तेजित भी कर रहा था,,,, मोटे तगड़े लंड की अगर तू अपनी बुर की अंदरूनी दीवारों पर अभी भी महसूस कर पा रही थी,,,, जिस तरह की तेज धक्कों के साथ उसने उसकी चुदाई किया था वह अविस्मरणीय था बिना थके बिना हारे वह डंटा हुआ था जब तक की उसको पूरी तरह से पानी पानी ना कर दिया,,,,।




दूसरी तरफ राजू बहुत खुश था क्योंकि उसने कभी सोचा नहीं था कि बड़े घर की औरत की चुदाई कर पाएगा इस बारे में तो कभी वो सपने में भी नहीं सोचा था लेकिन लाला की बहन सोनी किसी सपने की तरह ही उसकी झोली में आ गिरी थी सब कुछ इतनी आसानी से और आराम से हो गया इस पर अभी भी राजू को विश्वास नहीं हो रहा था उसकी मदमस्त काया उसका गुदाज बदन उसकी गदराई जवानी,,, राजू को पूरी तरह से दीवाना बना गई थी जुदाई के मामले में भले ही सोनी ने राजू के आगे घुटने टेक दि‌ थी,,, लेकिन वास्तविकता यही थी कि सोने की गदराई मदमस्त जवानी के आगे राजू खुद ध्वस्त हो चुका था वह उसकी जवानी का कायल हो चुका था एक तरह से उसका गुलाम हो चुका था,,,,उसकी बुर से निकला नमकीन पानी का स्वाद अभी भी उसे अपने होठों पर महसूस हो रहा था,,,,जिसकी मादक खुशबू में वह पूरी तरह से लिप्त हो चुका था,,,, आज से एक नया अनुभव भी मिला था सोनी की बुर को चाटते हुए उसकी बुर से निकला नमकीन पेशाब की बूंदे उसके गले को तर कर गई थी जिसका एहसास उसे और ज्यादा उत्तेजित कर दिया था वह कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि वह इस तरह के हालात से गुजरेगा लेकिन उत्तेजना और मदहोशी के आलम में आज उसने सोनी के पेशाब की बूंदों को भी स्वाद ले चुका था और वह उसे किसी अमृतधारा से कम नहीं लग रही थी,,,,राजू की आंखों के सामने भी सोनी कीमत मस्त जवानी से भरी हुई बदन का हर एक कटा आंखों के सामने नाच रहा था उसके लाल लाल होंठ उसके तीखे नैन नक्श उसके गुलाबी गाल सुराही दार गर्दन हिरनी सी बलखाती कमर मदमस्त नितंबों का उभार ,,,,छातियों की शोभा बढ़ाते दोनों अमृत कलश,,, यह सब राजू के लिए बिल्कुल अनोखा था,,,, एकदम बेशकीमती खजाने की तरह,,, जोकि उसके हाथ लग चुका था,,,,,, मखमली बुर की कोमलता,,, और उसके अंदर की गर्मी अभी तक वह अपने अंदर महसूस कर रहा था,,,,,,, कमला चाची गुलाबी और फिर सोनी तीनों की दमदार चुदाई करके जिस तरह से उन तीनों को वह पूरी तरह से संतुष्ट किया था ईससे राजू का आत्मविश्वास और ज्यादा बढ़ गया था उसे अपने लंड पर पूरा यकीन हो गया था कि वह किसी भी औरत को पूरी तरह से तृप्त कर सकता है जिसमें सच्चाई भी थी,,,।

घर पहुंचते-पहुंचते शाम ढल चुकी थी,,,,, घर पर पहुंचा तो उसकी मां खाना बना रही थी और गुलाबी खाना बनाने में मदद कर रही थी वही आंगन में खाट पर बैठा हरिया बीड़ी सुलगा कर कश खींच रहा था,,,, राजू को देखते ही वह बोला,,,,।
Soni ki chuchi


दिन भर कहां घूम रहे थे छोटे सरकार,,,,
(हरिया की बात सुनते ही राजू कुछ बोलता है इससे पहले ही गुलाबी बोली,,,)

आज पढ़ने गया था भैया,,,,।
( गुलाबी की बात सुनते ही हरिया एकदम आश्चर्यचकित हो गया और बोला,,,)

क्या बोली पढ़ने गया था मुझे तो यकीन नहीं हो रहा था,,,।


हां मुन्ना के बापू वो अपने मालिक है ना,,,,लाला उनकी बहन पढ़ाती है वह खुद आई थी गांव के बच्चों को पढ़ने के लिए बोलने और आज सब बच्चे गए भी थे,,,,।


चलो,,, कुछ तो अच्छा हो रहा है नहीं तो इसे पढ़ने के लिए बोल बोल कर मै तो थक गया था,,, कुछ सीखा कि नहीं,,,,(राजू की तरफ देखते हुए राजू से बोला)


जी जी जी,,,, जी पिता जी,,,, क ख ग घ,,,,




चलो अच्छा है शुरुआत अच्छी हो रही है मैं भी यही चाहता था कि कुछ पढ़ लिख कर सीख जाता तो आगे काम देता,,,,
(अपने पिताजी की बात सुनकर राजू अपने मन में ही बोला कि का खा गा के साथ वह बहुत कुछ सीख कर आए हैं आज जिंदगी का सबसे अच्छा फल सपा सीख कर आया है,,,, किताबों के काले अक्षर ही नहीं पढ़ाई बल्कि आज लाला की बहन ने अपनी जवानी की किताब का हर एक पन्ना खोल कर उसे दिखा भी दी और शिखा भी दी,,, मन ही मन खुश होता हुआ राजू अपने पिता से बोला,,,)

जी पिताजी में अच्छे से सीख जाऊंगा,,,


मुझे तुमसे यही उम्मीद है अब जल्दी जाओ हाथ मुंह धो कर आ जाओ,,,, खाना खाना है,,,,

जी पिताजी,,,,(इतना कहकर वह घर से बाहर हाथ मुंह धोने के लिए चला गया राजू को घर से बाहर जाता देख कर गुलाबी भी उसके पीछे पीछे चल दी,,,,,, राजू हाथ मुंह धो रहा था तो गुलाबी उसके पास आकर खड़ी हो गई और बोली,,,)

कहां था रे तू आज दिन भर बाकी सब लड़के आ गए थे तुझे छोड़कर,,,,


अरे कहीं नहीं बुआ,,, गांव के नुक्कड़ पर बैठ गया था दोस्तों के साथ,,,,(राजू अपनी बुआ को झूठ मुठ का बात बना था मैं बोला क्योंकि सच्चाई तो वह बता नहीं सकता था,,,)

अच्छा चल कोई बात नहीं मेरे साथ जरा पीछे चलेगा,,,,


क्यों पीछे क्यों जाना है,,,


अरे बेल को पानी पिलाना है भैया ने कहां है,,, आज से पानी देना भूल गए थे रात को चिल्ला चिल्ला कर परेशान करेगा इसलिए भैया बोले कि उसके आगे एक बाल्टी पानी भर कर रख दो,,,


तो क्या हुआ जाओ ना बुआ,,,, अकेली चली जाओ,,,


मुझे डर लग रहा है,,,


डर लग रहा है किस बात का डर लग रहा है पहले तो नहीं लगता था आज अचानक से डर कैसे लगने लगा,,,,


अरे तू समझ नहीं रहा है मुझे कोई भूत प्रेत डर नहीं लगता वो क्या है ना कि आज पीछे बड़ा सांप निकला था इसलिए मुझे डर लग रहा तु लालटेन लेकर चल,,,


अच्छा यह बात है तो सीधे-सीधे कहो ना,,,,


तू एकदम बुद्धू है,,, आज दिन भर मैं तेरा कितना इंतजार कर रही थी आज बहुत सही मौका था भाभी एकदम गहरी नींद में सो रही थी,,,, आज दिन में चुदवाने का बहुत अच्छा मौका था,,,।


क्या बात कर रही हो बुआ,,,(राजू आश्चर्य जताते हुए बोला क्योंकि वह अपनी बुआ को यह नहीं जताना चाहता था कि उसकी बात सुनकर उसे पछतावा नहीं हुआ,,,,, इसीलिए वह आश्चर्यचकित होकर बोला था,,)

तो क्या सच कह रही हु तुझे याद करके मेरी बुर कितना पानी छोड़ रही थी ऐसा लग रहा था कि तेरी याद में बिछड़ कर रो रही है,,,,,,


ओ मेरी प्यारी बुआ,,,, कसम से तुम्हारी जुदाई मुझसे भी बर्दाश्त नहीं होती दिन में जो कसर रह गया था आज रात को पूरा कर दूंगा,,,,,
(अपने भतीजे की बातें सुनकर गुलाबी मन ही मन प्रसन्न हो गई और उसकी बुर पानी छोड़ने लगी,,,)

अरे अभी तक वहां क्या कर रहा है चल जल्दी आ,,,

(हरिया राजू को आवाज लगाते हुए बोला तो बीच में ही गुलाबी बोल पड़ी,,,)


आ रही हूं भैया जरा बैल को पानी देते अाऊ,,,, राजू भी चल रहा है,,,,


ठीक है गुलाबी जल्दी आना,,,, खाना लग रहा है,,,


जल्दी आई भैया,,,,,, राजू जल्दी से पानी की बाल्टी ले‌ले में लालटेन ले लेती हूं,,,,


ठीक है बुआ,,,,,(इतना कहकर वहां पानी से भरी बाल्टी उठा लिया और दोनों घर के पीछे की तरफ जाने लगे,,,,
सच कह रही हूं राजू आज बहुत अच्छा मौका था,,,
(गुलाबी दिन में मिले सुनहरे मौके का फायदा उठाने के लिए राजू को बोल रही थी जो कि वह उठा नहीं पाई थी,,,लेकिन अब गुलाबी को कौन समझाए कि वह पहले ही मीठी खीर थी लेकिन आज राजू दोपहर के समय मालपुआ खा कर आया था और भला खीर और मालपुआ का कोई मुकाबला हो सकता है,,,,,,, राजू कुछ बोल नहीं रहा था क्योंकि वह जानता था कि दिन की गर्मी को वह रात की ठंडक में एकदम शांत कर देगा उसे अपने लंड पर पूरा भरोसा था,,, दोनों बेल के सामने खड़े थे,,, राजू बिल के सामने पानी से भरी बाल्टी को रख दिया और बोला,,,।


ले पी ले रात को चिल्लाना नहीं,,,, नही तो खामखा बुआ की चुदाई करते करते मुझे बाहर आना पड़ेगा,,,,


और अगर राजू नहीं आया तो भैया को इसकी मां की चुदाई करते करते बाहर आना पड़ेगा,,,,।

(इतना कहने के साथ ही दोनों हंसने लगे दोनों के बीच समाज की नजरों में बुआ और भतीजे का रिश्ता बरकरार था लेकिन दुनिया यह नहीं जानती थी कि चारदीवारी के अंदर यही पुरवा और भतीजा अपने रिश्ते नातों को भूलकर एक मर्द और एक औरत बन जाते हैं जो कि सारी रीति-रिवाजों मर्यादा की दीवार को लांघकर एक दूसरे में समा जाते हैं,,,,गुलाबी और राजू दोनों एक-दूसरे से काफी हद तक खुल चुके थे,,,, गुलाबी हंसते हुए लालटेन राजू को पकड़ा दी और इधर उधर चारों तरफ नजर घुमा कर देखने लगी,,,)


क्या हुआ बुआ अब क्या देख रही हो,,, यहां कहीं भी साफ नहीं है,,,


तेरे पजामे में तो है ना,,,,


हां यह बात तो है बुआ लेकिन क्या तुम्हें उस से डर नहीं लगता,,,


नहीं रे तेरे पजामे के अंदर का सांप तो मेरे काबू में है क्योंकि इसकी गुफा जो मेरे पास है उसी में जाकर शांत हो जाता है,,,


हाय तुम ऐसी बातें मत करो नहीं तो मेरा सांप तुम्हारी गुफा में जाने के लिए उतावला हो जाएगा,,,


उसे समझा कर रख थोड़ी देर इधर-उधर घूम ले रात को इसे अपनी गुफा में लेकर सो जाऊंगी,,,,



हाय बुआ तुम तो मेरी तडप बढ़ा रही हो,,, जल्दी चलो यहां खड़ी खड़ी क्या कर रही हो,,,,



अरे रुको ना चलते हैं,,, तो पहले लालटेन की लो धीमी कर दें उजाला बहुत है,,,


क्यों बुआ इरादा क्या है,,,


अरे मुझे जोरों की पेशाब लगी है मुतना है ,,,
(गुलाबी की बात सुनते ही राजू का लंड पूरी तरह से खड़ा होने लगा,,,,)

हां ऐसी बात करके सच में तुम मुझे मजबूर कर रही हो मुझसे रात तक का इंतजार नहीं होगा,,,


लालटेन की लौ धीमी तो कर मुझे जोरो की पिशाब लगी और तुझे चुदाई की पड़ी है,,,,


क्या करूं वह मेरी आंखों के सामने इतनी खूबसूरत लड़की खड़ी है और मैं अपने आप पर सब्र कैसे रख सकता हूं,,,।


तु जल्दी से लौ धीमी कर मुझसे रहा नहीं जा रहा है,,,(गुलाबी अपनी जगह पर खड़े खड़े कसमसाते हुए बोली,,,)

अरे ऐसे ही कर लो ना बुआ यहां कौन देखने वाला है ,,,


तेरे सामने,,,, तेरे सामने मुझे शर्म आ रही है,,,

आआआआ हा,,,,,,,, हाय मेरी शर्मीली बुआ जब अपनी दोनों टांगें खोलकर मेरे लंड को अपनी बुर में लेकर उछल उछल कर चुदवाती हो तुम शर्म नहीं आती,,,


तब बात कुछ और होती है तब तो नशा सा छाने लगता है,,,


लेकिन अभी तो मुझे नशा छा रहा है और मैं लालटेन किलो धीमी नहीं करूंगा तुम्हें मेरी आंखों के सामने पेशाब करना होगा मैं आज देखना चाहता हूं कि तुम पेशाब करते हुए कैसी लगती हो,,,,


तू सच में पागल है,,,


जल्दी करो बुआ,,, नहीं तो मा आ जाएगी बुलाने,,,
(राजू की बातों को सुनकर गुलाबी समझ गई थी कि ऐसे मरने वाला नहीं है अपनी मनमानी करके ही रहेगा और वैसे भी उसकी बात सुनकर गुलाबी के मन में भी उत्सुकता जगने लगी,,,वह भी राजू की आंखों के सामने पेशाब करके देखना चाहती थी उसके बदन में भी उत्तेजना की कसमसाहट होने लगी थी,,, वो पूरी तरह से तैयार थी,,,,इसलिए वह नखरा दिखा दे मैं अपनी सलवार की दूरी खोलने लगी और राजू के ठीक सामने खड़ी थी और राजू ठीक उसके पीछे लालटेन लिए खड़ा था चारों तरफ लालटेन के दायरे में उजाला था बाकी चारों तरफ अंधेरा छाया हुआ था और यहां पर कोई आता भी नहीं था इसलिए राजू निश्चिंत था निश्चिंत तो गुलाबी भी थी बस दिल की धड़कन बढ़ती जा रही थी उत्तेजना बढ़ती जा रही थी,,,, गुलाबी अपनी सलवार की डोरी खोलते हुए बोली,,,)


ठीक है मैं मुत लेती हूं लेकिन अगर भाभी आ गई तो कह दूंगी की लालटेन बंद था इसने दोबारा चालू कर दिया देखने के लिए,,,,,, फिर देखना तुझे कैसी डांट पड़ती है


कोई बात नहीं बुआ,,, तुम्हें पेशाब करते हुए देखने के लिए तो मै मार भी खा सकता हूं,,,,
(इतना कहते हुए वहां लालटेन की रोशनी में अपनी बुआ गुलाबी को देखने लगा जो कि अपनी सलवार की दूरी को खोल चुकी थी और अपनी सरकार को ठीक कर चुकी थी गुलाबी भी मन ही मन मुस्कुरा रही थी और खुश हो रही थी क्योंकि वह जानती थी कि जैसे ही वह सलवार को नीचे करेगी उसकी गोल-गोल गांड उसकी आंखों के सामने लालटेन के उजाले में चमक उठेगी और उसको चमकता हुआ देखकर उसकी आंखों की चमक बढ़ जाएगी,,,, इसलिए वह भी बेकरार थी अपनी गांड दिखाने के लिए,,, वह अपनी सलवार को नीचे की तरफ करने लगी अब उसके बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी थी,,, देखते ही देखते गुलाबी अपनी शलवार को घुटनों तक खींच दी,,,, लालटेन के उजाले में उसकी मदमस्त गोरी गोरी गांड चमकने लगी,,,, यह देख कर राजू की सांस अटक ने लगी ऐसा नहीं था कि राजू ने अपनी बुआ को नंगी देखा नहीं था वह खुद अपने हाथों से अपनी बुआ को नंगी भी कर चुका था लेकिन पेशाब करते हुए उसे शायद पहली बार देख रहा था इसलिए उसकी आंखें खुमारी के नशे में डूबने लगी थी,,,। गुलाबी भी उसकी तड़प को बढ़ाते हुए अपने दोनों हाथों को अपनी गोल-गोल गांड पर रखकर उसे अपनी हथेली में दबोचते हुए पीछे नजर घुमा कर उसकी तरफ देखने लगी,,, गुलाबी की हरकत राजू के लिए असहनीय साबित हो रही थी उसकी हालत खराब हो रही थी और गुलाबी भी यही चाहती थी,,,,गुलाबी यहां पर किसी युक्ति को अंजाम देने के लिए नहीं आई थी बल्कि यह सब एकाएक अचानक ही हो रहा था और इसमें दोनों को मजा आने लगा था,,,,।


हाय बुआ तुम्हारी गांड कितनी खूबसूरत है,,,, मन कर रहा है कि इसे चूम लूं,,,,

Gulabi ki mast gaand ,,,pesab karte huye Gulabi



रात को चुमना मेरे राजा,,,(और इतना कहने के साथ ही वह अपनी मादक अदा बिखेरते हुए नीचे बैठ गई और पेशाब करने लगी,,, राजू की तो सांसे ही अटक गई थी बेहद काम उत्तेजना से भरपूर मादक दृश्य उसकी आंखों के सामने था,,,। जैसे ही बार पेशाब करना शुरू कि उसकीउसकी गुलाबी बुर्की गुलाब की पत्तियों के पीछे से नमकीन खारे पानी का झरना जैसे ही फुटा वैसे ही उसमें से सुमधुर संगीत की ध्वनि राजू के कानों में पड़ने लगी और वह उस मधुर मादक ध्वनि में पूरी तरह से खो गया,,,, अद्भुत दृश्य का नजारा था उसकी आंखों के सामने उसकी जवान बुआ अपनी गांड दिखाते हुए पेशाब कर रही थी,,, जोकि राजू के लिए मादकता से भरा हुआ था राजू क्या उसकी जगह कोई भी होता तो मैं पूरी तरह से मस्त हो जाता,,,,राजू से बिल्कुल भी रहा नहीं जा रहा था और वहां अपने पहचानने में से अपने लंड को बाहर निकाल लिया और उसे एक हाथ से मुठीयाते हुए एक हाथ में लालटेन लिए गुलाबी के बेहद करीब पहुंच गया और एक हाथ नीचे की तरफ ले जाकर थोड़ा सा झुक कर वहां गुलाबी की गांड को अपनी हथेली से सहलाने लगा,,, जैसे ही गुलाबी पीछे की तरफ नजर घुमाई तो राजू का खडा लंड उसके गालो पर रगड खा गया,,, गुलाबी उत्तेजना के मारे एकदम से कसमसा उठी और बिना देर किए बिना सोचे समझे राजू के लंड को अपने मुंह में लेकर चूसना शुरू कर दी,,,,।


आहहहहह बुआआआआआ,,,,,,
(राजू के मुंह से गरम सिसकारी की आवाज फूट पड़ी क्योंकि उसे बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी कि उसकी बुआ इस तरह की हरकत करेगी,,, वह पूरा का पूरा मुंह में लेकर चुसना शुरु कर दी थी,,,, अद्भुत सुख का अहसास राजू और गुलाबी दोनों को हो रहा था एक साथ गुलाबी दो-दो काम कर रही थी मुत भी रही थी और राजू के लंड को मुंह में लेकर चूस भी रही थी,,,। राजू से बर्दाश्त नहीं हो रहा था जल्द से जल्द अपने लंड को गुलाबी की गुफा में डाल देना चाहता था गुलाबी भी पेशाब कर चुकी थी उसकी बुर में भी चींटियां रेंग रही थी,,, राजू ने तुरंत फुर्ती दिखाते हुए लालटेन को एक डाली में टांग दिया और नीचे झुककर उसकी कमर पकड़कर उसे ऊपर की तरफ उठाने लगा,,, गुलाबी कि शायद उसके सारे को समझ गई थी और गुरुत्वाकर्षण के नियम के अनुसार उसकी तरफ खींची चली जा रही थी जैसे ही वह खड़ी हुई राजू उसकी कमर पकड़कर अपनी तरफ खींचने लगा और गुलाबी थोड़ा सा झुक गई और अपनी गांड को दुश्मन को नेस्तनाबूद करने के लिए अपनी गांड की तोप ऊपर की तरफ हवा में लहरा दी,,, पर मौके की नजाकत को समझते हुए राजू अपने लंड को उसकी तोप की गुफा में दाग दिया,,,


image url hosting
उत्तेजना के मारे उसकी बुर चिपचिपा गई थी जिससे राजू का लंड पहली बार में ही उसकी बुर के अंदर सटक गया,,, राजू बिना थी उसकी कमर पकड़कर अपनी कमर हिलाना शुरू कर दिया,,,, दोनों मदहोशी में सब कुछ भूल गए थे दोनों एक ही भूल गए थे कि किसी भी वक्त उन्हें बुलाने के लिए उसके मा या उसके पिताजी आ सकते हैं दोनों बस मजा लेना चाहते थे अपने अपने गर्म लावा को निकाल कर अपनी प्यास बुझाना चाहते थे,,, राजू की कमर अभी तेजी से रफ्तार पकड़ी हुई थी कि दूर से अाती आवाज सुनाई दी,,,।


राजू और राजू गुलाबी इतनी देर से क्या कर रहे हो तुम दोनों,,,

(राजू अपनी मां की आवाज सुनते ही जोर जोर से एक दौ और धक्का मार के अपना लंड बाहर निकाल लिया,,,,सारे मजाक पर पानी फिर गया था उसकी मां दोस्त से मिलने बुला रही थी वो किसी भी वक्त यहां आ सकती थी इसलिए राजू तुरंत अपने पैजामा को ऊपर करते हुए बोला,,,)


जल्दी करो बुआ अपनी सलवार पहन लो,,,


इसीलिए मैं कह रही थी,,,(इतना कहने के साथ ही वह अपनी सरकार पकड़ कर अपनी कमर सकी थी और उसकी डोरी बांधने लगी राजू अपनी मां के वहां आने से पहले एकदम दुरुस्त हो गया था गुलाबी भी अपने कपड़ों को व्यवस्थित कर लेती हो जानबूझकर लालटेन को अपने हाथ में ले ली थी और राजू से बोली,,,)


चल राजू देर हो रही है भाभी बुला रही है,,,,
(इतना कहते हुए मधु उन दोनों के पास पहुंचती वह दोनों खुद आगे बढ़ गए थे,,,)


कितनी देर लगा दीए तुम दोनों,,,


क्या करूं भाभी बेल था कि पानी पीने का नाम ही नहीं ले रहा था थक हार कर उसके सामने रख कर चले आए,,,,


चल ठीक करी चलो जल्दी से खाना लगा है खा ले,,,,।


(राजू और गुलाबी दोनों अपने मन में सोचे कि बाल बाल बचे,,,, उन दोनों को अत्यधिक उन्माद और उत्तेजना का नशा छा गया था राजु अपना गर्म लावा अपनी बुआ की बुर में डाल देना चाहता था लेकिन उससे पहले उसकी मां गई थी सारा मजा किरकिरा हो गया था इस तरह से घर के पीछे चुदाई करने में अत्यधिक उत्तेजना का अनुभव हुआ था इसी की वजह से गुलाबी सचेत होने के बावजूद भी एक दम मदहोश हो गई थी,,,, सभी लोग साथ में खाना खाने लगे और खाना खाने के बाद भाभी और ननद दोनों बर्तन भास्कर अपने अपने कमरे में चले गए,,,,, हरिया अपनी बीवी मधुर के और राजू अपनी बुआ गुलाबी के कपड़े उतार कर तुरंत नंगी कर दिया क्योंकि घर के पीछे की खुमारी उसकी आंखों में अभी भी छाई हुई थी और बिना रुके ताबड़तोड़ धक्के पर धक्के लगाने लगा,,,, अंत में थक हार कर दोनों एक दूसरे की बाहों में नंगे ही
गरमागरम कामुक और उत्तेजित अपडेट है
संभोग की पुर्ण तृप्ती क्या होती है ये सोनी को राजु से पहली ही बार चुदकर पता चला दुसरी ओर गुलाबी और राजु जैसा भी मौका मिलता है तो लग जाते है चुदाई करने में
 

Raj_sharma

Well-Known Member
9,381
17,568
188
Rohny bhai agle update ka intzaar rahega besabri se
 

Raj_sharma

Well-Known Member
9,381
17,568
188
Rohny bhai agli kadi me madhu ka kuch hona chahiye.
Besabri se pratiksha hai update ki
 
Top