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Incest बैलगाड़ी,,,,,

king cobra

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मधु अपनी बुर को अपने बेटे के मुंह पर र करते हुए एक अद्भुत चर्मसुख को प्राप्त करते हुए झड़ चुकी थी और उसकी बुर से निकला हुआ मदन रस का एक-एक बूंद राजू अपनी जीभ से चाट कर अपने गले के नीचे घटक गया था,,, बिना लंड को अपनी बुर में ले झड़ जाने का एक अपना अलग ही मजा होता है और इस अनुभव को राजू की संगत में मधु बार-बार महसूस कर रही थी,,,,, राजू ही था जो अपनी मां को बिना शारीरिक संबंध बनाए हैं सिर्फ हरकतों से ही गर्म करके पानी निकाल देता था और इससे मधु बेहद खुश भी थी खुले आसमान के नीचे घने खेतों के बीच मधु पहली बार इस तरह की सुख का अनुभव कर रही थी वह पूरी तरह से मस्त हो चुकी थी अभी भी संजू घुटनों के बल बैठा हुआ था और अपनी मां की गांव को दोनों हाथों से दबाए हुए अभी भी वह अपनी मां के बुर को अपने होठों से लगाया हुआ था,,,, क्योंकि अभी भी झड़ते हुए मधु अपनी कमर का झटका लगा दे रहे थे झढ़ते समय मधु का चेहरा देखने लायक होता था उसका गोरा मुखड़ा लाल टमाटर की तरह तमतमाने लगता था आंखें अपने आप ही बंद हो जाती थी,,, हॉट खुले के खुले रह जाते थे और सांसे की गति इतनी तेज की छातियों की शोभा बढ़ा रही दोनों खरबूजा जैसी चूचियां ऊपर नीचे होते हुए उसकी मदहोशी की कहानी खुद ही बयां कर रही होती,,,,,, राजू और मधु के नजरिए से देखा जाए तो इस तरह का नजारा बेहद कम होते जना से भरपूर और मदहोश कर देने वाला था लेकिन सामाजिक नजरिए से देखा जाए तो यह नजारा बेहद शर्मसार कर देने वाला था बेहद शर्मनाक दृश्य बना हुआ था समाज के नजरिए से एक अपनी साड़ी को कमर तक उठाए खड़ी थी और उसका बेटा घुटनों के बल बैठकर अपनी मां की बड़ी-बड़ी गांड को हथेली में दबाते हुए उसकी बुर पर अपना होंठ लगाकर चाट रहा था,,,,।

वासना का तूफान कुछ देर के लिए थम चुका था मधु अपनी सांसो को दुरुस्त करने में लगी हुई थी राजू भी अपने होठों को अपनी मां की रसीली बुर से हटाकर घुटनों के बल बैठा हुआ अपनी मां की तरफ देख रहा था मधु भी अपने बेटे की तरफ देखकर गहरी गहरी सांस ले रही थी दोनों मां-बेटे पूरी तरह से मदहोशी के सागर में गोते लगाने को एक बार फिर से तैयार थे,,,, मधु कभी सपने में भी नहीं सोची थी कि वह अपने ही सगी बेटी के साथ इस तरह कदर खुल जाएगी कि उसके साथ बेशर्मी की सारी हदें पार कर देगी लेकिन बेशर्मी की हद पार करने में ही जिंदगी का असली मजा था इस बात का एहसास उसे होने लगा था वह राजू की तरफ देख कर मुस्कुरा रही थी राजू भी मुस्कुरा रहा था और राजू मुस्कुराते हुए बोला,,


सच में मां तुमने आज मुझे एकदम खुश कर दी अपना पानी पिला कर,,,,
(अपने बेटे की बातें सुनकर माध्यम से शरमा गई और बिना कुछ बोले कमर तक उठाए हुए अपनी साड़ी को एक झटके में नीचे गिरा दी और एक अद्भुत खूबसूरत नजारे पर पर्दा गिरा दी,,,, राजू भी अपनी जगह पर खड़ा होता हुआ बोला,,,) सच में मां तुम पेशाब करते हो इतनी खूबसूरत लगती हो जैसे कि स्वर्ग से उतरी हुई कोई अप्सरा बैठकर मुत रही हो,,,,


क्या मैं तुझे इतनी अच्छी लगती हुं,,,(इतना कहने के साथ ही पेशाब की हुई जगह पर अपने पैर बचाकर वापस झोपड़ी की तरफ लौटते हुए वह बोली)

मत पूछो तुम मुझे कितनी खूबसूरत लगती हो मेरा बस चलता तो मैं तुमसे शादी कर लेता और फिर जिंदगी भर तुम्हारी बुर में लंड डालकर पड़ा रहता,,,

वह तो तू अभी भी कर सकता है,,,

हां कर तो सकता हूं लेकिन फिर किसी का डर नहीं रहता ना,,,

हां यह बात तो है,,,,(इतना कहने के साथ ही मधु झोपड़ी के पास आ गई हो खटिया को अपने हाथों से गिरा कर उस पर बैठ गई उसके पास में राजू भी बैठ गया,,,, कुछ देर तक दोनों इसी तरह से बैठे रहे मधु रह रह कर मुस्कुरा रही थी ऐसा लग रहा था कि जैसे वह अपने बेटे के साथ नहीं बल्कि अपने प्रेमी के साथ बैठी हो,,, अपनी मां के चेहरे की तरफ देखते हुए राजू बोला)

चलो थोड़ा काम कर लेते हैं उसके बाद फिर खेल शुरू करते हैं,,,

कौन सा काम,,,?(मधु अपने होठों पर मादक मुस्कान लाते हुए बोली)

खेत का काम और कौन सा इसीलिए तो तुम मुझे यहां पर बुलाई थी ना,,,,

अरे बुद्धू तुझे खेत जोतने के लिए नहीं बल्कि (दोनों टांगों के बीच उंगली से इशारा करते हुए) अपना खेत जोतने के लिए एक बहाने से बुलाकर लाई हूं,,,
(अपनी मां की बात सुनते ही राजू एकदम से खुशी से झूम उठा और बोला)

क्या सच में तुम एकदम चुदवासी हो गई हो,,,,

हा रे कई दिन हो गए थे तेरे लंड को अपनी बुर में लिया कसम से तू सच कहता था कि मैं तेरी गुलाब बन जाऊंगी और ऐसा ही हो रहा है पता है अब तो तेरे पिताजी से चुदवाने में मुझे बिल्कुल भी मजा नहीं आता और तू सच कहता है कि तेरे लंड से आधा ही है तेरे पिताजी का लंड और जो हो रखते लंड को एक बार अपनी बुर में ले ले फिर पतले लंड से उसकी प्यास कहां बुझने वाली है,,,,

मुझे मालूम था मेरी रानी मेरे नीचे आने के बाद तुम भी पागल हो जाओगी दोबारा लेने के लिए,,,,

तुझे अपने लंड पर सच में इतना ज्यादा भरोसा था,,,

तो क्या जब भी खड़ा होता है तो मैं समझ जाता हूं कि जिसकी भी बुर में घुसेगा उसे पूरी तरह से मस्त करके ही बाहर निकलेगा,,,,,,,

हां सो तो है तेरे लंड की मोटाई और लंबाई देखकर ही मैं समझ गई थी कि अगर यह मेरी बुर में गया तो रगड़ रगड़ कर पानी निकालेगा,,,, तुझे पता है अब तो तेरे पिताजी का लंड मेरी बुर में जाता है तो मुझे पता ही नहीं चलता है कि अंदर गया है लेकिन तेरा लंड जैसे ही अंदर जाता है ना अंदर की दीवारों को पूरी तरह से रगड़ रगड़ कर‌ नीचोड निचोड़ कर पानी निकाल देता है,,,,,,,

मुझे बहुत खुशी है कि मैं तुम्हें खुश करने में कामयाब हो गया वरना अगर जिस तरह से मैं तुम्हारे पीछे पड़ा था अगर डालते ही पानी निकल जाता तो तुम शायद मुझे फिर कभी अपने बदन को हाथ नहीं लगाने देती,,,

हां सो तो है मर्द उसे थोड़ी ना कहते हैं कि औरत को गर्म करके बीच मझधार में ही छोड़कर अपना किनारा पकड़ ले मर्द तो उसे कहते हैं जो औरत को पूरी तरह से अपनी बाहों में जकड़ कर उसे पूर्णतः संतुष्टि का अहसास दिखाएं और उसे खुश करने के बाद किनारे पर पहुंचे,,,, लेकिन मानना पड़ेगा तेरे में बहुत ताकत है रात भर तूने मेरी जमकर चुदाई किया और सुबह सुबह नहाते हुए भी दो बार चोद दिया और तो और घर पर पहुंचने के बाद भी तूने मेरी जमकर चुदाई किया कसम से मैं कभी सोच नहीं थी कि एक आदमी इतनी बाहर जो देख सकता है क्योंकि तेरे पिताजी एक बार में ही ढेर हो जाते थे और वह भी शुरू से यही आदत थी,,, तुझे पता है तेरे से चुदवाने के बाद 2 दिन तक में ठीक से चल नहीं पाई थी मेरी बुर सूजी हुई थी हल्दी वाला दूध 2 दिन पी तब जाकर आराम हुआ,,,

क्या करूं मेरी जान पहली बार जो तुमने सेवा करने का मौका दी थी इसलिए किसी भी तरह का कसर नहीं बाकी रखना चाहता था,,,

धत् मजा तो देता है लेकिन तकलीफ भी तु बहुत देता है,,,

क्या मैं फिर तुमको चुदाई ही क्या जिसमें तकलीफ ना हो आराम से डाला और निकाला और झड़ गया इतने से क्या मजा आता है क्या जब तक औरत ऊहहहह ऊहहहहह आरहहह ना कर दे तब तक चोदने का मजा ही नहीं आता,,,,।
(मधु एक बार झड़ चुकी थी लेकिन अपने बेटे की बातों को सुनकर फिर से उसका बदन कर्म हमें लगा था वह बार-बार अपने बेटे के पजामे की तरफ देख रही थी और उसे राह नहीं किया तो वह खुद आप आगे बढ़ाकर पजामे के ऊपर से ही अपने बेटे के लंड को पकड़ कर बोली)

बाप रे देख तो सही कैसे लोहे की तरह खड़ा है,,

खड़ा तो रहेगा ही ना तुमने इसकी सेवा ही कहा कि हो बस अपना पानी निकालती लेकिन इसका कौन निकालेगा,,,

अरे मैं हूं ना,,, मेरे रहते अब तुझे प्यासा रहने की जरूरत नहीं है चल उठ खड़ा हो और मेरे सामने आजा,,,,(पजामे के ऊपर सही अपने बेटे के लंड को पकड़े हुए ही राजू को उठाई और लंड को पकड़े हुए हैं उसे ठीक अपने सामने लाकर खड़ा कर दी राजू पूरी तरह से अपने आपको अपनी मां के हाथों में सौंप दिया था वह अपने दोनों हाथों को छाती पर बांध कर खड़ा हो गया था और मधु मदहोश होते हुए बेशर्मी दिखाते हुए अपने बेटे के पजामी को दोनों हाथों से पकड़ कर उसे नीचे की तरफ खींच दी है और जैसे ही राजू का लंड पजामे की कैद से आजाद हुआ वह खुली हवा में सांस लेता हुआ ऊपर नीचे करके हिलने लगा जिसे देखकर मधु की बुर पानी छोड़ने लगी,,,,)

बाप रे ऐसा लगता है कि पहली बार ही देख रही हूं,,,(इतना कहने के साथ ही मधु अपनी बेटी के लंड को अपने हाथ में पकड़ लिया और उसे आगे पीछे करने लगी)

सच कहूं तो मां तुम मेरे लंड को अच्छी तरह से पहली बार ही देख रही हो दिन के उजाले में वरना रात भर चुदवाने के बाद भी तुमने ठीक से मेरे लंड को देख नहीं पाई थी क्योंकि खंडार में रात का अंधेरा था और जलती हुई लकड़ी की रोशनी में ठीक से नजर नहीं आता था लेकिन फिर भी मैं दावे के साथ कह सकता हूं कि मेरे लंड के दर्शन करके तुम्हारी बुर पानी छोड़ दी होगी,,,

इसमें भी कहने वाली बात है क्या मेरी क्या कोई औरत भी देखती तो उसका भी पानी छूट गया होता,,,,

हाय मुझे तो पता ही नहीं था कि मेरी मां इतना तड़प रही थी मेरे लंड के लिए अगर पता होता तो बैलगाड़ी में ही चोद दिया होता,,,,

तो अब कौन सा तू बाकी रख रहा है इसी काम के लिए तो तुझे यहां लेकर आई हूं ,,(अपनी नरम में कम हथेली में अपने बेटे के लंड को पकड़कर आगे पीछे करके मुठीयाते हुए बोली राजु अपनी मां की हरकत से पूरी तरह से मदहोश हो जा रहा था वह धीरे-धीरे अपनी कमर को आगे पीछे पिलाना शुरू कर दिया था आगे कुछ और बोल पाता या उसकी मां कुछ बोल पाती इससे पहले ही अपना एक हाथ आगे बढ़ाकर अपनी मां के सर को पकड़ लिया और उसे धीरे-धीरे अपने लंड की तरफ नीचे की तरफ जाने लगा और देखते ही देखते मधु अपने बेटे की प्यास बुझाने का जिम्मा अपने सर पर उठाते हुए अपने बेटे के लंड को अपने लाल-लाल होठों को खोल कर उसे अपने अंदर ले ली और उसे चाटना शुरू कर दी,,, मधु इतने चाव से अपने पति के लंड को मुंह में लेकर प्यार नहीं करती थी लेकिन राजू की बात कुछ और थी राजू ने उसे मुंह में लेकर चूसने का एक नया कला और आनंद से अवगत कराया था जिसमें उसे बेहद आनंद की प्राप्ति हो रही थी और वह उसी आनंद की प्राप्ति के लिए अपने बेटे के लंड को धीरे-धीरे करके अपने गले तक उतार ले रही थी हालांकि उसे सांस लेने में दिक्कत आ जाती थी लेकिन फिर भी वह अपने बेटे के लंड को छोड़ना नहीं चाहती थी,,,।


सहहहरह आहहहरहह कितना मजा आ रहा है तू सच में मां लंड को बहुत अच्छे से चुस्ती है बस ऐसे ही पूरा मुंह में लेकर चूस आहहहहह आहहहहह मेरी रानी तूने मुझे बहुत मस्त कर दी है,,,(इतना कहने के साथ ही राजू अपनी कमर को धीरे-धीरे खिलाना शुरू कर दिया था मानो कि जैसे वह अपनी मां के मुंह को ही चोद रहा हो और मधु भी जानबूझकर अपने लाल-लाल होठों को गोल करके दबा ली थी ताकि उसके बेटे को उसकी कसी हुई बुर जैसा ही मजा मिले,,, झोपड़ी के बाहर बिछी हुई खटिया पर मधु गांड पसार कर बैठी हुई थी और राजू की उसके सामने खड़ा था उसका मोटा तगड़ा लंबा लंड मुंह में गले तक चला जा रहा था और मधु अपने बेटे की हिलती हुई कमर के साथ-साथ अपना मुंह भी आगे पीछे कर रही थी जिससे राजू को और ज्यादा मजा आ रहा था वह पूरी तरह से मदहोश हुआ जा रहा था अपनी मां के मुंह में लंड पेलते हुए वह थोड़ा सा नीचे झुका और अपनी मां के ब्लाउज के बटन को खोलना शुरू कर दिया,,, और देखते ही देखते वह अपनी मां के ब्लाउज के बटन को खोल कर उसके नंगी चूचियों को आजाद कर दिया और दोनों चुचियों को दोनों हाथों में लेकर दबाते हुए बोला,,,।

हाय मेरी जान तेरी चूचियां कितनी लाजवाब है एकदम खरबूजा की तरह बड़ी बड़ी,,,आहहहहह तेरी चूची,,, पिताजी को तूने बहुत मजा दे अब मेरी बारी है,,,,ऊममममम (अपने सूखे हुए होठों पर अपनी जीभ फिराते हुए राजू बोला,,,,,,, मां बेटे पूरी तरह से मदहोश हो चुके थे मां बेटे के पवित्र रिश्ते की दीवार को दोनों ने मिलकर गिरा दिए थे दोनों के बीच मां बेटी का नहीं बल्कि एक मर्द औरत का रिश्ता बन चुका था जोकि धीरे-धीरे और गहरा होता जा रहा था,,,, अपनी मां की खरबूजे जैसी बड़ी-बड़ी गोरी गोरी चूचियों को दबा दबा कर राजू ने टमाटर कि तरह लाल कर दिया था,,, एक बार फिर से मधु की बुर अपने बेटे के लंड के लिए तड़प उठी थी हालांकि अभी तक राजू ने अपनी मां की बुर में लंड डाला नहीं था कि उसे अपनी जीभ से ही झाड़ दिया,,, था,,,,, मधु मदहोशी और चुदासी की हालत में अपने बेटे के लंड को जोर-जोर से मुंह में लेकर अंदर बाहर करने थे यह देखकर राजू समझ गया था कि उसकी मां पूरी तरह से गर्म हो चुकी है इसलिए वो धीरे से अपने लंड को बाहर निकाला,,, मुंह में से लंड के बाहर निकलते ही मधु गहरी गहरी सांस लेने लगी ऐसा लग रहा था कि राजू का इस तरह से मधु के मुंह में से लंड को बाहर खींच लेना मधु को बिल्कुल भी अच्छा नहीं लग रहा था,,,, थूक और लार से सने हुए अपने लंड को हाथ में लेकर हिलाते हुए राजू बोला,,,।


हाय मेरी जान तूने तो अपना थूक लगा लगा कर मेरे लंड को अपनी बुर में डालने के लिए तैयार कर दि है अब देखना इसका कमाल कैसा तुम्हारी बुर में धमाल मचा ता है,,,(इतना कहने के साथ ही राजू अपनी मां की कंधों को पकड़कर उसे खटिया पर लेट जाने के लिए इशारा किया और उसकी मा भी उत्तेजना बस अपने बेटे के लंड को अपनी बुर में लेने के लिए पीठ के बल खटिया पर लेट गई और राजू खटिया पर घुटनों के बल चढ़कर अपने लिए जगह बनाने लगा देखते ही देखते ना जो अपनी मां की दोनों टांगों के बीच आ गया मधु ने खुद अपनी साड़ी को ऊपर की तरफ खींच कर कमर पर इकट्ठा करती थी और अपनी नंगी बुर को अपने बेटे के सामने परोस दी थी अपनी मां की पानी से चिपचिपाती हुई बुर को देखकर राजू के मुंह के साथ-साथ उसके लंड में भी पानी आ गया राजू से बिल्कुल भी रहा नहीं जा रहा था लंड पूरी तरह से धड़क रहा था और वह अपनी मां की तपती हुई बुर में घुसने के लिए तैयार हो चुका था देखते ही देखते राजू अपनी मां की दोनों टांगों के बीच एकदम से जगह बनाते हुए अपनी मां की कमर को दोनों हाथों से पकड़कर अपनी तरफ खींचा और अपनी मां की बड़ी-बड़ी आधी गांड को अपनी जांघों पर रख लिया,,, मधु की रसीली पुर पुर राजू के लंड का सुपाड़ा दोनों बेहद करीब आ चुके थे वह आज दोनों में एक अंगुल का ही फासला था जिसकी वजह से बुर की तपन जोकि भट्टी की तरह गर्म हो चुकी थी उसकी गर्माहट राजू अपने लंड पर एकदम साफ महसूस कर रहा था जिसकी वजह से वह और ज्यादा उत्तेजित हो गया देखते ही देखते राजू रोकड़े लंड की मोटे सुपारी को अपनी मां की गुलाबी छेद पर रख दिया और हल्के से अपनी कमर को धक्का दिया और पहले प्रयास में ही पूरा का पूरा आलूबुखारा के माप का सुपाड़ा मधु की बुर में समा गया और जैसे ही वह बुर के गुलाबी पत्तियां नुमा दरवाजे को खोलकर अंदर प्रवेश किया वैसे ही मधु के मुंह से हल्की सी चीख निकल पड़ी लेकिन यह चीज उसकी आनंद की परिभाषा दें और पल भर में ही दूसरे ही प्रयास में राजू ने अपना आधा लंड अपनी मां की बुर में घुसा दिया था,,, तूफानी बारिश वाली रात से लेकर के अब जाकर मधु और राजू को एक होने का मौका मिला था इसलिए फिर से ऐसा लग रहा था कि दोनों के बीच पहली बार जुदाई हो रही है इसलिए तो उत्तेजना और उत्साह में मधु पूरी तरह से गदगद हो चुकी थी ब्लाउज खुला होने की वजह से उसकी नंगी चूचियां छाती पर लहरा रही थी लेकिन उसे अपने हाथों में पकड़ने के लिए अभी ठीक समय नहीं था क्योंकि वह अभी अपने पूरे लंड को अपनी मां की बुर में घुसा देना चाहता था और देखते ही देखते अपनी मां की कमर को थामे हुए राजू ने अगला धक्का एकदम कचकचा कर लगाया और लंड बुर की अंदरूनी अड़चनों को दूर करता हुआ सीधे बच्चेदानी से जा टकराया और एक बार फिर से मधु के मूंह से चीख निकल गई,,,,।)

ओहहहहह मा मर गई रे,,,

बस बस हो गया मेरी रानी अब देख कितना मजा आता है,,,

अरे तेरे मजा के चक्कर में मेरी बुर फट जाएगी,,,

नहीं मेरी जान मैं ऐसा नहीं होने दूंगा,,, क्योंकि अब तेरी बुर पर मेरा हक है,,,,और मैं तेरी खुबसूरत बुर को ईस‌ तरह से फटने नहीं दुंगा,,, क्योंकि इसमें ही तो डाल कर मुझे अपनी प्यास बुझानी है,,, अब देख मैं तुझे कैसे चोदता हूं,,,।
(और इतना कहने के साथ ही राजू अपनी कमर हिलाना शुरू कर दिया देखते ही देखते राजू का मोटा तगड़ा लंड उसकी मां की बुर में अंदर बाहर होना शुरू हो गया और उसके अंदर बाहर होने के साथ ही मधु के तन बदन में उत्तेजना की लहर उठने लगी उसकी बुर की अंदरूनी दीवारों से उसका मदन रस पसीजने लगा,,,, देखते ही देखते मधु को एक बार फिर से मजा आने लगा अपने बेटे के लंड को अपनी बुर में लेकर वह पूरी तरह से मदहोश हो जा रही थी ऐसा लग रहा था कि जैसे कोई उसे अपनी बाहों में लेकर हवा में उड़े लेकर चला जा रहा है उसे स्वर्ग का सुख प्राप्त हो रहा था हर एक धक्के ने उसकी चीख निकल जा रही थी लेकिन हर एक चीज के पीछे बेशुमार आनंद छुपा हुआ था जिसके मदहोशी में वह पूरी तरह से भीग जा रही थी,,,

राजू के हर धक्के के साथ उसकी बड़ी बड़ी चूचियां पानी पर गुब्बारे की तरह छाती पर लौट रही थी,,, जिसे राजू अपना दोनों हाथ आगे बढ़ाकर उसे अपनी हथेली में दबा लिया और दशहरी आम की तरह जोर-जोर से दबाते हुए धक्के पर धक्के लगाने लगा ,,, वैसे भी मर्दों को सबसे ज्यादा मजा औरतों की चूची पकड़कर धक्के लगाने में आता है और वही सुख राजू अपनी मां से प्राप्त कर रहा था मधु की बड़ी-बड़ी चूचियां ऐसा लग रहा था कि राजू के लिए लगाम का काम कर रही थी जिससे वह अपनी मां को पूरी तरह से अपने काबू में किया हुआ था,,,,।

सहहहरह आहहहहह राजू मेरे बेटे तेरा लंड को ज्यादा ही मोटा है बहुत मजा आ रहा है बेटा इसी तरह से धक्का लगा तेरी जुदाई में तो मुझे स्वर्ग का सुख मिल रहा है अब तक तो तेरे पिताजी के छोटे लंड से चुदाई कर मुझे पता ही नहीं चला कि कोई इस कदर भी अपने लंबे लंड से चुदाई कर सकता है और वह भी इतनी देर तक बहुत मजा आ रहा है बेटा रुकना नहीं,,,,आहहहहह ,,,,

तू चिंता मत कर मेरी रानी मेरे लिए समय तो एकदम थोड़ी हो गई और मैं तेरे ऊपर सवार हो गया हूं इसे अपनी मंजिल तक पहुंचाने के बाद ही तुझे छोड़ुगा,,,आहहररह मेरी जान तेरी कसी हुई दूर बहुत मजा देती है ऐसी तो जवान लड़कियों की भी नहीं होगी जैसा कि तेरी बुर‌ है,,,

आहहहह तो पूरा मजा लेना हरामि पूरा मादरचोद हो गया है तू,,,

तूने ही तो मुझे मादरचोद बनाई है भोसड़ा चोदी तेरी भोंसड़ी के चक्कर में ही मादरचोद बन गया,,, लेकिन तेरा भोंसड़ा मुझे बहुत मजा दे रहा है,,,

तो घुस जा फाड़ कर अंदर,,,

अरे छिनार मेरा बस चलता तो सही में तेरी भोंसड़ी में जाकर बैठ जाता,,,,

तो चलाना अपना बस,,,, तेरे आगे मेरी कहां चल रही है,,, चला,,,,,

ले भोसडा चोदी मादरचोद रंडी एकदम छिनार हो गई है तू देख मैं तेरी कैसी प्यास बुझाता हूं अपने लंबे लंड से मेरा लंड तेरी बुर में ही जाने के लिए बना है,,,।
(और राजू ताबड़तोड़ घोड़े की लगाम अपने हाथों में लिए हुए उसे दौड़ाना शुरू कर दिया दोनों मां-बेटे के बीच अब किसी भी प्रकार का शर्म नहीं बचा था दोनों एक दूसरे को तू तड़ाका के साथ-साथ गंदी गालियों से बात कर रहे थे जिससे दोनों का मजा बढ़ता जा रहा था दोनों पूरी तरह से जोश में आ चुके थे राजू ऊपर से धक्के लगा रहा था और मधु कोशिश करते हुए नीचे से अपनी कमर उतार रही थी और कामयाबी हो रही थी अपनी मां को इस तरह से कमर उछलता हुआ देखकर राजू का जोश और ज्यादा बढ़ गया था और वह अपनी मां की चूची को पकड़कर जोर-जोर धक्के लगा रहा था ऐसा लग रहा था कि जैसे आज वह सच में अपनी मां का भोसड़ा फाडकर उसमें घुस जाएगा,,, मधु के साथ साथ खटिया की भी हालत खराब होती जा रही थी उसमें से लगातार चरण चरण की आवाज आ रही थी मधु को इस बात का डर था कि कहीं खटिया टूट ना जाए क्योंकि राजू के धक्के बड़े तेजी और एकदम बलशाली थे उसके हर एक धक्के पर मधु की चीख निकल जा रही थी देखते ही देखते मधु पूरी तरह से मदहोश हो गई थी,,,, लेकिन खटिया टूट जाने का डर उसके अंदर पूरी तरह से भर गया था और वह बोली,,,।

बस बस जोर से नहीं खटिया टूट जाएगी,,,

खटिया टूटे या फिर तेरी दूर फटे आज में रुकने वाला नहीं हूं,,,,(इतना कहते हो राजू फिर से अपनी कमर जोर-जोर से हिलाना शुरू कर दिया खटिया से लगातार चरण चरण की आवाज आ रही थी इस बात का अंदेशा राजू को भी हो गया था लेकिन वहां रुकना नहीं चाहता था लेकिन मधु उसे कसम देकर रोक दी और बोली ,,,,)

नहीं नहीं राजू खटिया टूट जाएगी तो खामखा इसे बनाने की जहमत उठानी पड़ेगी,,,, चल झोपड़ी में लेकर चल मुझे वहीं पर मुझे चोदना,,,,।
(खटिया टूटने का डर दोनों के रंग में भंग डाल चुका था लेकिन राजू इस रंग में भंग नहीं पड़ने देना चाहता था इसलिए वह धीरे से अपनी मां को अपनी बाहों में कस लिया और उसकी बुर में लंड डाले हुए ही धीरे-धीरे उठना शुरू कर दिया और देखते ही देखते वह खटिया से नीचे उठ कर खड़ा हो गया लेकिन अपनी मां को अपनी गोद में उठा लिया था और अपने लंड को उसकी बुर से बाहर नहीं निकाला था अपने बेटे की ताकत देखकर मधु भी एकदम हैरान हो चुकी थी लेकिन पूरी तरह से आनंद में सराबोर हो चुकी थी राजू खड़ी-खड़ी अपने आप को चोदना शुरू कर दिया था और चोदते हुए उसे झोपड़ी के अंदर ले जा रहा था राजू की ताकत बहुत ही प्रभावशाली थे जो कि मधु को पूरी तरह से अपने घुटने टेकने पर मजबूर कर दी थी,,,, थोड़ी देर में राजू झोपड़ी के अंदर प्रवेश कर गया और उसी तरह से सूखी हुई घास में अपनी मां को बैठाकर उसे चोदना शुरु कर दिया थोड़ी देर तक उसके ऊपर सवार होने के बाद वह खुद पीठ के बल लेट गया और अपने ऊपर अपनी मां को ले लिया उसकी मां को पता था कि क्या करना,,,, है,,, वह अपनी भारी भरकम बड़ी बड़ी गांड को अपने बेटे के मोटे तगड़े लंड पर भटकना शुरू कर दी उसे अपने बेटे के लंड की ताकत का अंदाजा अच्छी तरह से था इसलिए वह जानती थी कि उसकी बड़ी बड़ी गांड पटक ने पर भी उसका बेटा हार नहीं मानेगा और नीचे से वह अपनी कमर उछाल रहा था दोनों पूरी तरह से मदहोश में जा रहे थे दोनों पसीने से तरबतर हो चुके थे,,, दोपहर के समय जब लोग अपने घर में आराम कर रहे थे तो दोनों मां-बेटे खेत में काम करने के बहाने से एक दूसरे की प्यास बुझा रहे थे कुछ देर तक राजू अपनी मां को अपने ऊपर लिए हुई आनंद लेता था लेकिन उसका पानी निकलने का नाम नहीं ले रहा था इसलिए वह फिर से अपनी मां को अपनी बाहों में जकड़े हुए भी उसी स्थिति में फिर से उसे नीचे कर दिया और खुद पर आ गया और फिर से धक्के पर धक्का लगाना शुरू कर दिया इस बार उसका हर एक धक्का मधु को मदहोशी की तरफ ले जा रहा था वह पूरी तरह से मस्त हो जा रही थी उसकी सांसे बड़ी तेजी से चल रही थी और देखते देते उसका बदन अकड़ने लगा उसकी गरमा गरम सिसकारी की आवाज सुनकर राजू समझ गया था कि उसका पानी निकलने वाला है वह भी अपनी मां के साथ ही जुड़ना चाहता था और वह अपने धक्कों की रफ़्तार और ज्यादा बढ़ाते हुए देखते ही देखते अपनी मां के ऊपर ही हांफने लगा दोनों मां बेटे एक साथ झड़ चुके थे,,, कुछ देर तक दोनों उसी स्थिति में लेटे रहे दोनों आराम कर रहे थे लेकिन राजू का लंड अभी भी मधु की बुर में था तकरीबन 1 घंटे तक दोनों उसी स्थिति में लेटर ही आराम करते रहे फिर मधु धीरे से राजू को अपने ऊपर से उठाने लगे और राजू अपनी मां के ऊपर से उठते हुए अपने लंड को अपनी मां की बुर से बाहर खींच लिया,,,,।

तूफानी बारिश के बाद एक बार फिर से दोनों ने जमकर चुदाई का आनंद लिया था और फिर मधु बोली,,,


चलो थोड़ा काम कर लेते हैं वरना अगर गुलाबी खेत पर आएगी तो कुछ ना काम देख कर ना जाने क्या सोचेगी,,,,

ठीक है तुम बैठो मैं काम कर देता हूं,,,
(इतना कहकर राजू फरसा उठाकर जिस नाली से पानी ज्यादा था वहां की मिट्टी को इकट्ठा करने लगा और थोड़ी देर में मधु भी हल्की सी चाल बदलते हुए उसके करीब आ गई क्योंकि जिस तरह की चुदाई राजू ने किया था उससे अपनी कमर में दर्द महसूस हो रहा था,,, राजू उसी तरह से काम करता रहा देखते ही देखते शाम होने को आ गई,,, मधु भी अपने बेटे के आगे झुक कर हरी हरी घास उखाड़ रही थी गाय भैंस के लिए लेकिन अपनी मां को इस तरह से झुका हुआ देखकर उसकी बड़ी बड़ी गांड देखकर एक बार फिर से राजू के पजामें मे हरकत होने लगी,,, राजू फरसा को एक तरफ रख कर ठीक अपनी मां के पीछे जाकर खड़ा हो गया और उसकी मां कुछ बोल पाती समझ पाती इससे पहले ही साड़ी को उठाते हुए उसकी कमर तक साड़ी उठा दिया और उसकी नंगी गांड को दोनों हाथों से पकड़ लिया मधु एकदम से चौक गई और बोली,,,।

बाप रे तेरी प्यास अभी तक नहीं बुझी,,,

तुम्हारी बड़ी बड़ी गांड देखकर एक बार फिर से मऐ प्यासा हो गया हूं,,,,
(और इतना कहने के साथ ही अपनी मां की इजाजत पाए बिना ही राजू अपने पजामे में से अपने लंड को बाहर निकाल कर एक बार फिर से अपनी मां की बुर में डाल दिया और उसे चोदना शुरू कर दिया,,,, मधु भला क्यों इंकार करती वह तो अपने बेटे से बहुत खुश थे और एक बार फिर से दोनों मजा ले करके अपने घर की तरफ चल दिए,,,।)
wonderful update
 

Ajju Landwalia

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मधु अपनी बुर को अपने बेटे के मुंह पर र करते हुए एक अद्भुत चर्मसुख को प्राप्त करते हुए झड़ चुकी थी और उसकी बुर से निकला हुआ मदन रस का एक-एक बूंद राजू अपनी जीभ से चाट कर अपने गले के नीचे घटक गया था,,, बिना लंड को अपनी बुर में ले झड़ जाने का एक अपना अलग ही मजा होता है और इस अनुभव को राजू की संगत में मधु बार-बार महसूस कर रही थी,,,,, राजू ही था जो अपनी मां को बिना शारीरिक संबंध बनाए हैं सिर्फ हरकतों से ही गर्म करके पानी निकाल देता था और इससे मधु बेहद खुश भी थी खुले आसमान के नीचे घने खेतों के बीच मधु पहली बार इस तरह की सुख का अनुभव कर रही थी वह पूरी तरह से मस्त हो चुकी थी अभी भी संजू घुटनों के बल बैठा हुआ था और अपनी मां की गांव को दोनों हाथों से दबाए हुए अभी भी वह अपनी मां के बुर को अपने होठों से लगाया हुआ था,,,, क्योंकि अभी भी झड़ते हुए मधु अपनी कमर का झटका लगा दे रहे थे झढ़ते समय मधु का चेहरा देखने लायक होता था उसका गोरा मुखड़ा लाल टमाटर की तरह तमतमाने लगता था आंखें अपने आप ही बंद हो जाती थी,,, हॉट खुले के खुले रह जाते थे और सांसे की गति इतनी तेज की छातियों की शोभा बढ़ा रही दोनों खरबूजा जैसी चूचियां ऊपर नीचे होते हुए उसकी मदहोशी की कहानी खुद ही बयां कर रही होती,,,,,, राजू और मधु के नजरिए से देखा जाए तो इस तरह का नजारा बेहद कम होते जना से भरपूर और मदहोश कर देने वाला था लेकिन सामाजिक नजरिए से देखा जाए तो यह नजारा बेहद शर्मसार कर देने वाला था बेहद शर्मनाक दृश्य बना हुआ था समाज के नजरिए से एक अपनी साड़ी को कमर तक उठाए खड़ी थी और उसका बेटा घुटनों के बल बैठकर अपनी मां की बड़ी-बड़ी गांड को हथेली में दबाते हुए उसकी बुर पर अपना होंठ लगाकर चाट रहा था,,,,।

वासना का तूफान कुछ देर के लिए थम चुका था मधु अपनी सांसो को दुरुस्त करने में लगी हुई थी राजू भी अपने होठों को अपनी मां की रसीली बुर से हटाकर घुटनों के बल बैठा हुआ अपनी मां की तरफ देख रहा था मधु भी अपने बेटे की तरफ देखकर गहरी गहरी सांस ले रही थी दोनों मां-बेटे पूरी तरह से मदहोशी के सागर में गोते लगाने को एक बार फिर से तैयार थे,,,, मधु कभी सपने में भी नहीं सोची थी कि वह अपने ही सगी बेटी के साथ इस तरह कदर खुल जाएगी कि उसके साथ बेशर्मी की सारी हदें पार कर देगी लेकिन बेशर्मी की हद पार करने में ही जिंदगी का असली मजा था इस बात का एहसास उसे होने लगा था वह राजू की तरफ देख कर मुस्कुरा रही थी राजू भी मुस्कुरा रहा था और राजू मुस्कुराते हुए बोला,,


सच में मां तुमने आज मुझे एकदम खुश कर दी अपना पानी पिला कर,,,,
(अपने बेटे की बातें सुनकर माध्यम से शरमा गई और बिना कुछ बोले कमर तक उठाए हुए अपनी साड़ी को एक झटके में नीचे गिरा दी और एक अद्भुत खूबसूरत नजारे पर पर्दा गिरा दी,,,, राजू भी अपनी जगह पर खड़ा होता हुआ बोला,,,) सच में मां तुम पेशाब करते हो इतनी खूबसूरत लगती हो जैसे कि स्वर्ग से उतरी हुई कोई अप्सरा बैठकर मुत रही हो,,,,


क्या मैं तुझे इतनी अच्छी लगती हुं,,,(इतना कहने के साथ ही पेशाब की हुई जगह पर अपने पैर बचाकर वापस झोपड़ी की तरफ लौटते हुए वह बोली)

मत पूछो तुम मुझे कितनी खूबसूरत लगती हो मेरा बस चलता तो मैं तुमसे शादी कर लेता और फिर जिंदगी भर तुम्हारी बुर में लंड डालकर पड़ा रहता,,,

वह तो तू अभी भी कर सकता है,,,

हां कर तो सकता हूं लेकिन फिर किसी का डर नहीं रहता ना,,,

हां यह बात तो है,,,,(इतना कहने के साथ ही मधु झोपड़ी के पास आ गई हो खटिया को अपने हाथों से गिरा कर उस पर बैठ गई उसके पास में राजू भी बैठ गया,,,, कुछ देर तक दोनों इसी तरह से बैठे रहे मधु रह रह कर मुस्कुरा रही थी ऐसा लग रहा था कि जैसे वह अपने बेटे के साथ नहीं बल्कि अपने प्रेमी के साथ बैठी हो,,, अपनी मां के चेहरे की तरफ देखते हुए राजू बोला)

चलो थोड़ा काम कर लेते हैं उसके बाद फिर खेल शुरू करते हैं,,,

कौन सा काम,,,?(मधु अपने होठों पर मादक मुस्कान लाते हुए बोली)

खेत का काम और कौन सा इसीलिए तो तुम मुझे यहां पर बुलाई थी ना,,,,

अरे बुद्धू तुझे खेत जोतने के लिए नहीं बल्कि (दोनों टांगों के बीच उंगली से इशारा करते हुए) अपना खेत जोतने के लिए एक बहाने से बुलाकर लाई हूं,,,
(अपनी मां की बात सुनते ही राजू एकदम से खुशी से झूम उठा और बोला)

क्या सच में तुम एकदम चुदवासी हो गई हो,,,,

हा रे कई दिन हो गए थे तेरे लंड को अपनी बुर में लिया कसम से तू सच कहता था कि मैं तेरी गुलाब बन जाऊंगी और ऐसा ही हो रहा है पता है अब तो तेरे पिताजी से चुदवाने में मुझे बिल्कुल भी मजा नहीं आता और तू सच कहता है कि तेरे लंड से आधा ही है तेरे पिताजी का लंड और जो हो रखते लंड को एक बार अपनी बुर में ले ले फिर पतले लंड से उसकी प्यास कहां बुझने वाली है,,,,

मुझे मालूम था मेरी रानी मेरे नीचे आने के बाद तुम भी पागल हो जाओगी दोबारा लेने के लिए,,,,

तुझे अपने लंड पर सच में इतना ज्यादा भरोसा था,,,

तो क्या जब भी खड़ा होता है तो मैं समझ जाता हूं कि जिसकी भी बुर में घुसेगा उसे पूरी तरह से मस्त करके ही बाहर निकलेगा,,,,,,,

हां सो तो है तेरे लंड की मोटाई और लंबाई देखकर ही मैं समझ गई थी कि अगर यह मेरी बुर में गया तो रगड़ रगड़ कर पानी निकालेगा,,,, तुझे पता है अब तो तेरे पिताजी का लंड मेरी बुर में जाता है तो मुझे पता ही नहीं चलता है कि अंदर गया है लेकिन तेरा लंड जैसे ही अंदर जाता है ना अंदर की दीवारों को पूरी तरह से रगड़ रगड़ कर‌ नीचोड निचोड़ कर पानी निकाल देता है,,,,,,,

मुझे बहुत खुशी है कि मैं तुम्हें खुश करने में कामयाब हो गया वरना अगर जिस तरह से मैं तुम्हारे पीछे पड़ा था अगर डालते ही पानी निकल जाता तो तुम शायद मुझे फिर कभी अपने बदन को हाथ नहीं लगाने देती,,,

हां सो तो है मर्द उसे थोड़ी ना कहते हैं कि औरत को गर्म करके बीच मझधार में ही छोड़कर अपना किनारा पकड़ ले मर्द तो उसे कहते हैं जो औरत को पूरी तरह से अपनी बाहों में जकड़ कर उसे पूर्णतः संतुष्टि का अहसास दिखाएं और उसे खुश करने के बाद किनारे पर पहुंचे,,,, लेकिन मानना पड़ेगा तेरे में बहुत ताकत है रात भर तूने मेरी जमकर चुदाई किया और सुबह सुबह नहाते हुए भी दो बार चोद दिया और तो और घर पर पहुंचने के बाद भी तूने मेरी जमकर चुदाई किया कसम से मैं कभी सोच नहीं थी कि एक आदमी इतनी बाहर जो देख सकता है क्योंकि तेरे पिताजी एक बार में ही ढेर हो जाते थे और वह भी शुरू से यही आदत थी,,, तुझे पता है तेरे से चुदवाने के बाद 2 दिन तक में ठीक से चल नहीं पाई थी मेरी बुर सूजी हुई थी हल्दी वाला दूध 2 दिन पी तब जाकर आराम हुआ,,,

क्या करूं मेरी जान पहली बार जो तुमने सेवा करने का मौका दी थी इसलिए किसी भी तरह का कसर नहीं बाकी रखना चाहता था,,,

धत् मजा तो देता है लेकिन तकलीफ भी तु बहुत देता है,,,

क्या मैं फिर तुमको चुदाई ही क्या जिसमें तकलीफ ना हो आराम से डाला और निकाला और झड़ गया इतने से क्या मजा आता है क्या जब तक औरत ऊहहहह ऊहहहहह आरहहह ना कर दे तब तक चोदने का मजा ही नहीं आता,,,,।
(मधु एक बार झड़ चुकी थी लेकिन अपने बेटे की बातों को सुनकर फिर से उसका बदन कर्म हमें लगा था वह बार-बार अपने बेटे के पजामे की तरफ देख रही थी और उसे राह नहीं किया तो वह खुद आप आगे बढ़ाकर पजामे के ऊपर से ही अपने बेटे के लंड को पकड़ कर बोली)

बाप रे देख तो सही कैसे लोहे की तरह खड़ा है,,

खड़ा तो रहेगा ही ना तुमने इसकी सेवा ही कहा कि हो बस अपना पानी निकालती लेकिन इसका कौन निकालेगा,,,

अरे मैं हूं ना,,, मेरे रहते अब तुझे प्यासा रहने की जरूरत नहीं है चल उठ खड़ा हो और मेरे सामने आजा,,,,(पजामे के ऊपर सही अपने बेटे के लंड को पकड़े हुए ही राजू को उठाई और लंड को पकड़े हुए हैं उसे ठीक अपने सामने लाकर खड़ा कर दी राजू पूरी तरह से अपने आपको अपनी मां के हाथों में सौंप दिया था वह अपने दोनों हाथों को छाती पर बांध कर खड़ा हो गया था और मधु मदहोश होते हुए बेशर्मी दिखाते हुए अपने बेटे के पजामी को दोनों हाथों से पकड़ कर उसे नीचे की तरफ खींच दी है और जैसे ही राजू का लंड पजामे की कैद से आजाद हुआ वह खुली हवा में सांस लेता हुआ ऊपर नीचे करके हिलने लगा जिसे देखकर मधु की बुर पानी छोड़ने लगी,,,,)

बाप रे ऐसा लगता है कि पहली बार ही देख रही हूं,,,(इतना कहने के साथ ही मधु अपनी बेटी के लंड को अपने हाथ में पकड़ लिया और उसे आगे पीछे करने लगी)

सच कहूं तो मां तुम मेरे लंड को अच्छी तरह से पहली बार ही देख रही हो दिन के उजाले में वरना रात भर चुदवाने के बाद भी तुमने ठीक से मेरे लंड को देख नहीं पाई थी क्योंकि खंडार में रात का अंधेरा था और जलती हुई लकड़ी की रोशनी में ठीक से नजर नहीं आता था लेकिन फिर भी मैं दावे के साथ कह सकता हूं कि मेरे लंड के दर्शन करके तुम्हारी बुर पानी छोड़ दी होगी,,,

इसमें भी कहने वाली बात है क्या मेरी क्या कोई औरत भी देखती तो उसका भी पानी छूट गया होता,,,,

हाय मुझे तो पता ही नहीं था कि मेरी मां इतना तड़प रही थी मेरे लंड के लिए अगर पता होता तो बैलगाड़ी में ही चोद दिया होता,,,,

तो अब कौन सा तू बाकी रख रहा है इसी काम के लिए तो तुझे यहां लेकर आई हूं ,,(अपनी नरम में कम हथेली में अपने बेटे के लंड को पकड़कर आगे पीछे करके मुठीयाते हुए बोली राजु अपनी मां की हरकत से पूरी तरह से मदहोश हो जा रहा था वह धीरे-धीरे अपनी कमर को आगे पीछे पिलाना शुरू कर दिया था आगे कुछ और बोल पाता या उसकी मां कुछ बोल पाती इससे पहले ही अपना एक हाथ आगे बढ़ाकर अपनी मां के सर को पकड़ लिया और उसे धीरे-धीरे अपने लंड की तरफ नीचे की तरफ जाने लगा और देखते ही देखते मधु अपने बेटे की प्यास बुझाने का जिम्मा अपने सर पर उठाते हुए अपने बेटे के लंड को अपने लाल-लाल होठों को खोल कर उसे अपने अंदर ले ली और उसे चाटना शुरू कर दी,,, मधु इतने चाव से अपने पति के लंड को मुंह में लेकर प्यार नहीं करती थी लेकिन राजू की बात कुछ और थी राजू ने उसे मुंह में लेकर चूसने का एक नया कला और आनंद से अवगत कराया था जिसमें उसे बेहद आनंद की प्राप्ति हो रही थी और वह उसी आनंद की प्राप्ति के लिए अपने बेटे के लंड को धीरे-धीरे करके अपने गले तक उतार ले रही थी हालांकि उसे सांस लेने में दिक्कत आ जाती थी लेकिन फिर भी वह अपने बेटे के लंड को छोड़ना नहीं चाहती थी,,,।


सहहहरह आहहहरहह कितना मजा आ रहा है तू सच में मां लंड को बहुत अच्छे से चुस्ती है बस ऐसे ही पूरा मुंह में लेकर चूस आहहहहह आहहहहह मेरी रानी तूने मुझे बहुत मस्त कर दी है,,,(इतना कहने के साथ ही राजू अपनी कमर को धीरे-धीरे खिलाना शुरू कर दिया था मानो कि जैसे वह अपनी मां के मुंह को ही चोद रहा हो और मधु भी जानबूझकर अपने लाल-लाल होठों को गोल करके दबा ली थी ताकि उसके बेटे को उसकी कसी हुई बुर जैसा ही मजा मिले,,, झोपड़ी के बाहर बिछी हुई खटिया पर मधु गांड पसार कर बैठी हुई थी और राजू की उसके सामने खड़ा था उसका मोटा तगड़ा लंबा लंड मुंह में गले तक चला जा रहा था और मधु अपने बेटे की हिलती हुई कमर के साथ-साथ अपना मुंह भी आगे पीछे कर रही थी जिससे राजू को और ज्यादा मजा आ रहा था वह पूरी तरह से मदहोश हुआ जा रहा था अपनी मां के मुंह में लंड पेलते हुए वह थोड़ा सा नीचे झुका और अपनी मां के ब्लाउज के बटन को खोलना शुरू कर दिया,,, और देखते ही देखते वह अपनी मां के ब्लाउज के बटन को खोल कर उसके नंगी चूचियों को आजाद कर दिया और दोनों चुचियों को दोनों हाथों में लेकर दबाते हुए बोला,,,।

हाय मेरी जान तेरी चूचियां कितनी लाजवाब है एकदम खरबूजा की तरह बड़ी बड़ी,,,आहहहहह तेरी चूची,,, पिताजी को तूने बहुत मजा दे अब मेरी बारी है,,,,ऊममममम (अपने सूखे हुए होठों पर अपनी जीभ फिराते हुए राजू बोला,,,,,,, मां बेटे पूरी तरह से मदहोश हो चुके थे मां बेटे के पवित्र रिश्ते की दीवार को दोनों ने मिलकर गिरा दिए थे दोनों के बीच मां बेटी का नहीं बल्कि एक मर्द औरत का रिश्ता बन चुका था जोकि धीरे-धीरे और गहरा होता जा रहा था,,,, अपनी मां की खरबूजे जैसी बड़ी-बड़ी गोरी गोरी चूचियों को दबा दबा कर राजू ने टमाटर कि तरह लाल कर दिया था,,, एक बार फिर से मधु की बुर अपने बेटे के लंड के लिए तड़प उठी थी हालांकि अभी तक राजू ने अपनी मां की बुर में लंड डाला नहीं था कि उसे अपनी जीभ से ही झाड़ दिया,,, था,,,,, मधु मदहोशी और चुदासी की हालत में अपने बेटे के लंड को जोर-जोर से मुंह में लेकर अंदर बाहर करने थे यह देखकर राजू समझ गया था कि उसकी मां पूरी तरह से गर्म हो चुकी है इसलिए वो धीरे से अपने लंड को बाहर निकाला,,, मुंह में से लंड के बाहर निकलते ही मधु गहरी गहरी सांस लेने लगी ऐसा लग रहा था कि राजू का इस तरह से मधु के मुंह में से लंड को बाहर खींच लेना मधु को बिल्कुल भी अच्छा नहीं लग रहा था,,,, थूक और लार से सने हुए अपने लंड को हाथ में लेकर हिलाते हुए राजू बोला,,,।


हाय मेरी जान तूने तो अपना थूक लगा लगा कर मेरे लंड को अपनी बुर में डालने के लिए तैयार कर दि है अब देखना इसका कमाल कैसा तुम्हारी बुर में धमाल मचा ता है,,,(इतना कहने के साथ ही राजू अपनी मां की कंधों को पकड़कर उसे खटिया पर लेट जाने के लिए इशारा किया और उसकी मा भी उत्तेजना बस अपने बेटे के लंड को अपनी बुर में लेने के लिए पीठ के बल खटिया पर लेट गई और राजू खटिया पर घुटनों के बल चढ़कर अपने लिए जगह बनाने लगा देखते ही देखते ना जो अपनी मां की दोनों टांगों के बीच आ गया मधु ने खुद अपनी साड़ी को ऊपर की तरफ खींच कर कमर पर इकट्ठा करती थी और अपनी नंगी बुर को अपने बेटे के सामने परोस दी थी अपनी मां की पानी से चिपचिपाती हुई बुर को देखकर राजू के मुंह के साथ-साथ उसके लंड में भी पानी आ गया राजू से बिल्कुल भी रहा नहीं जा रहा था लंड पूरी तरह से धड़क रहा था और वह अपनी मां की तपती हुई बुर में घुसने के लिए तैयार हो चुका था देखते ही देखते राजू अपनी मां की दोनों टांगों के बीच एकदम से जगह बनाते हुए अपनी मां की कमर को दोनों हाथों से पकड़कर अपनी तरफ खींचा और अपनी मां की बड़ी-बड़ी आधी गांड को अपनी जांघों पर रख लिया,,, मधु की रसीली पुर पुर राजू के लंड का सुपाड़ा दोनों बेहद करीब आ चुके थे वह आज दोनों में एक अंगुल का ही फासला था जिसकी वजह से बुर की तपन जोकि भट्टी की तरह गर्म हो चुकी थी उसकी गर्माहट राजू अपने लंड पर एकदम साफ महसूस कर रहा था जिसकी वजह से वह और ज्यादा उत्तेजित हो गया देखते ही देखते राजू रोकड़े लंड की मोटे सुपारी को अपनी मां की गुलाबी छेद पर रख दिया और हल्के से अपनी कमर को धक्का दिया और पहले प्रयास में ही पूरा का पूरा आलूबुखारा के माप का सुपाड़ा मधु की बुर में समा गया और जैसे ही वह बुर के गुलाबी पत्तियां नुमा दरवाजे को खोलकर अंदर प्रवेश किया वैसे ही मधु के मुंह से हल्की सी चीख निकल पड़ी लेकिन यह चीज उसकी आनंद की परिभाषा दें और पल भर में ही दूसरे ही प्रयास में राजू ने अपना आधा लंड अपनी मां की बुर में घुसा दिया था,,, तूफानी बारिश वाली रात से लेकर के अब जाकर मधु और राजू को एक होने का मौका मिला था इसलिए फिर से ऐसा लग रहा था कि दोनों के बीच पहली बार जुदाई हो रही है इसलिए तो उत्तेजना और उत्साह में मधु पूरी तरह से गदगद हो चुकी थी ब्लाउज खुला होने की वजह से उसकी नंगी चूचियां छाती पर लहरा रही थी लेकिन उसे अपने हाथों में पकड़ने के लिए अभी ठीक समय नहीं था क्योंकि वह अभी अपने पूरे लंड को अपनी मां की बुर में घुसा देना चाहता था और देखते ही देखते अपनी मां की कमर को थामे हुए राजू ने अगला धक्का एकदम कचकचा कर लगाया और लंड बुर की अंदरूनी अड़चनों को दूर करता हुआ सीधे बच्चेदानी से जा टकराया और एक बार फिर से मधु के मूंह से चीख निकल गई,,,,।)

ओहहहहह मा मर गई रे,,,

बस बस हो गया मेरी रानी अब देख कितना मजा आता है,,,

अरे तेरे मजा के चक्कर में मेरी बुर फट जाएगी,,,

नहीं मेरी जान मैं ऐसा नहीं होने दूंगा,,, क्योंकि अब तेरी बुर पर मेरा हक है,,,,और मैं तेरी खुबसूरत बुर को ईस‌ तरह से फटने नहीं दुंगा,,, क्योंकि इसमें ही तो डाल कर मुझे अपनी प्यास बुझानी है,,, अब देख मैं तुझे कैसे चोदता हूं,,,।
(और इतना कहने के साथ ही राजू अपनी कमर हिलाना शुरू कर दिया देखते ही देखते राजू का मोटा तगड़ा लंड उसकी मां की बुर में अंदर बाहर होना शुरू हो गया और उसके अंदर बाहर होने के साथ ही मधु के तन बदन में उत्तेजना की लहर उठने लगी उसकी बुर की अंदरूनी दीवारों से उसका मदन रस पसीजने लगा,,,, देखते ही देखते मधु को एक बार फिर से मजा आने लगा अपने बेटे के लंड को अपनी बुर में लेकर वह पूरी तरह से मदहोश हो जा रही थी ऐसा लग रहा था कि जैसे कोई उसे अपनी बाहों में लेकर हवा में उड़े लेकर चला जा रहा है उसे स्वर्ग का सुख प्राप्त हो रहा था हर एक धक्के ने उसकी चीख निकल जा रही थी लेकिन हर एक चीज के पीछे बेशुमार आनंद छुपा हुआ था जिसके मदहोशी में वह पूरी तरह से भीग जा रही थी,,,

राजू के हर धक्के के साथ उसकी बड़ी बड़ी चूचियां पानी पर गुब्बारे की तरह छाती पर लौट रही थी,,, जिसे राजू अपना दोनों हाथ आगे बढ़ाकर उसे अपनी हथेली में दबा लिया और दशहरी आम की तरह जोर-जोर से दबाते हुए धक्के पर धक्के लगाने लगा ,,, वैसे भी मर्दों को सबसे ज्यादा मजा औरतों की चूची पकड़कर धक्के लगाने में आता है और वही सुख राजू अपनी मां से प्राप्त कर रहा था मधु की बड़ी-बड़ी चूचियां ऐसा लग रहा था कि राजू के लिए लगाम का काम कर रही थी जिससे वह अपनी मां को पूरी तरह से अपने काबू में किया हुआ था,,,,।

सहहहरह आहहहहह राजू मेरे बेटे तेरा लंड को ज्यादा ही मोटा है बहुत मजा आ रहा है बेटा इसी तरह से धक्का लगा तेरी जुदाई में तो मुझे स्वर्ग का सुख मिल रहा है अब तक तो तेरे पिताजी के छोटे लंड से चुदाई कर मुझे पता ही नहीं चला कि कोई इस कदर भी अपने लंबे लंड से चुदाई कर सकता है और वह भी इतनी देर तक बहुत मजा आ रहा है बेटा रुकना नहीं,,,,आहहहहह ,,,,

तू चिंता मत कर मेरी रानी मेरे लिए समय तो एकदम थोड़ी हो गई और मैं तेरे ऊपर सवार हो गया हूं इसे अपनी मंजिल तक पहुंचाने के बाद ही तुझे छोड़ुगा,,,आहहररह मेरी जान तेरी कसी हुई दूर बहुत मजा देती है ऐसी तो जवान लड़कियों की भी नहीं होगी जैसा कि तेरी बुर‌ है,,,

आहहहह तो पूरा मजा लेना हरामि पूरा मादरचोद हो गया है तू,,,

तूने ही तो मुझे मादरचोद बनाई है भोसड़ा चोदी तेरी भोंसड़ी के चक्कर में ही मादरचोद बन गया,,, लेकिन तेरा भोंसड़ा मुझे बहुत मजा दे रहा है,,,

तो घुस जा फाड़ कर अंदर,,,

अरे छिनार मेरा बस चलता तो सही में तेरी भोंसड़ी में जाकर बैठ जाता,,,,

तो चलाना अपना बस,,,, तेरे आगे मेरी कहां चल रही है,,, चला,,,,,

ले भोसडा चोदी मादरचोद रंडी एकदम छिनार हो गई है तू देख मैं तेरी कैसी प्यास बुझाता हूं अपने लंबे लंड से मेरा लंड तेरी बुर में ही जाने के लिए बना है,,,।
(और राजू ताबड़तोड़ घोड़े की लगाम अपने हाथों में लिए हुए उसे दौड़ाना शुरू कर दिया दोनों मां-बेटे के बीच अब किसी भी प्रकार का शर्म नहीं बचा था दोनों एक दूसरे को तू तड़ाका के साथ-साथ गंदी गालियों से बात कर रहे थे जिससे दोनों का मजा बढ़ता जा रहा था दोनों पूरी तरह से जोश में आ चुके थे राजू ऊपर से धक्के लगा रहा था और मधु कोशिश करते हुए नीचे से अपनी कमर उतार रही थी और कामयाबी हो रही थी अपनी मां को इस तरह से कमर उछलता हुआ देखकर राजू का जोश और ज्यादा बढ़ गया था और वह अपनी मां की चूची को पकड़कर जोर-जोर धक्के लगा रहा था ऐसा लग रहा था कि जैसे आज वह सच में अपनी मां का भोसड़ा फाडकर उसमें घुस जाएगा,,, मधु के साथ साथ खटिया की भी हालत खराब होती जा रही थी उसमें से लगातार चरण चरण की आवाज आ रही थी मधु को इस बात का डर था कि कहीं खटिया टूट ना जाए क्योंकि राजू के धक्के बड़े तेजी और एकदम बलशाली थे उसके हर एक धक्के पर मधु की चीख निकल जा रही थी देखते ही देखते मधु पूरी तरह से मदहोश हो गई थी,,,, लेकिन खटिया टूट जाने का डर उसके अंदर पूरी तरह से भर गया था और वह बोली,,,।

बस बस जोर से नहीं खटिया टूट जाएगी,,,

खटिया टूटे या फिर तेरी दूर फटे आज में रुकने वाला नहीं हूं,,,,(इतना कहते हो राजू फिर से अपनी कमर जोर-जोर से हिलाना शुरू कर दिया खटिया से लगातार चरण चरण की आवाज आ रही थी इस बात का अंदेशा राजू को भी हो गया था लेकिन वहां रुकना नहीं चाहता था लेकिन मधु उसे कसम देकर रोक दी और बोली ,,,,)

नहीं नहीं राजू खटिया टूट जाएगी तो खामखा इसे बनाने की जहमत उठानी पड़ेगी,,,, चल झोपड़ी में लेकर चल मुझे वहीं पर मुझे चोदना,,,,।
(खटिया टूटने का डर दोनों के रंग में भंग डाल चुका था लेकिन राजू इस रंग में भंग नहीं पड़ने देना चाहता था इसलिए वह धीरे से अपनी मां को अपनी बाहों में कस लिया और उसकी बुर में लंड डाले हुए ही धीरे-धीरे उठना शुरू कर दिया और देखते ही देखते वह खटिया से नीचे उठ कर खड़ा हो गया लेकिन अपनी मां को अपनी गोद में उठा लिया था और अपने लंड को उसकी बुर से बाहर नहीं निकाला था अपने बेटे की ताकत देखकर मधु भी एकदम हैरान हो चुकी थी लेकिन पूरी तरह से आनंद में सराबोर हो चुकी थी राजू खड़ी-खड़ी अपने आप को चोदना शुरू कर दिया था और चोदते हुए उसे झोपड़ी के अंदर ले जा रहा था राजू की ताकत बहुत ही प्रभावशाली थे जो कि मधु को पूरी तरह से अपने घुटने टेकने पर मजबूर कर दी थी,,,, थोड़ी देर में राजू झोपड़ी के अंदर प्रवेश कर गया और उसी तरह से सूखी हुई घास में अपनी मां को बैठाकर उसे चोदना शुरु कर दिया थोड़ी देर तक उसके ऊपर सवार होने के बाद वह खुद पीठ के बल लेट गया और अपने ऊपर अपनी मां को ले लिया उसकी मां को पता था कि क्या करना,,,, है,,, वह अपनी भारी भरकम बड़ी बड़ी गांड को अपने बेटे के मोटे तगड़े लंड पर भटकना शुरू कर दी उसे अपने बेटे के लंड की ताकत का अंदाजा अच्छी तरह से था इसलिए वह जानती थी कि उसकी बड़ी बड़ी गांड पटक ने पर भी उसका बेटा हार नहीं मानेगा और नीचे से वह अपनी कमर उछाल रहा था दोनों पूरी तरह से मदहोश में जा रहे थे दोनों पसीने से तरबतर हो चुके थे,,, दोपहर के समय जब लोग अपने घर में आराम कर रहे थे तो दोनों मां-बेटे खेत में काम करने के बहाने से एक दूसरे की प्यास बुझा रहे थे कुछ देर तक राजू अपनी मां को अपने ऊपर लिए हुई आनंद लेता था लेकिन उसका पानी निकलने का नाम नहीं ले रहा था इसलिए वह फिर से अपनी मां को अपनी बाहों में जकड़े हुए भी उसी स्थिति में फिर से उसे नीचे कर दिया और खुद पर आ गया और फिर से धक्के पर धक्का लगाना शुरू कर दिया इस बार उसका हर एक धक्का मधु को मदहोशी की तरफ ले जा रहा था वह पूरी तरह से मस्त हो जा रही थी उसकी सांसे बड़ी तेजी से चल रही थी और देखते देते उसका बदन अकड़ने लगा उसकी गरमा गरम सिसकारी की आवाज सुनकर राजू समझ गया था कि उसका पानी निकलने वाला है वह भी अपनी मां के साथ ही जुड़ना चाहता था और वह अपने धक्कों की रफ़्तार और ज्यादा बढ़ाते हुए देखते ही देखते अपनी मां के ऊपर ही हांफने लगा दोनों मां बेटे एक साथ झड़ चुके थे,,, कुछ देर तक दोनों उसी स्थिति में लेटे रहे दोनों आराम कर रहे थे लेकिन राजू का लंड अभी भी मधु की बुर में था तकरीबन 1 घंटे तक दोनों उसी स्थिति में लेटर ही आराम करते रहे फिर मधु धीरे से राजू को अपने ऊपर से उठाने लगे और राजू अपनी मां के ऊपर से उठते हुए अपने लंड को अपनी मां की बुर से बाहर खींच लिया,,,,।

तूफानी बारिश के बाद एक बार फिर से दोनों ने जमकर चुदाई का आनंद लिया था और फिर मधु बोली,,,


चलो थोड़ा काम कर लेते हैं वरना अगर गुलाबी खेत पर आएगी तो कुछ ना काम देख कर ना जाने क्या सोचेगी,,,,

ठीक है तुम बैठो मैं काम कर देता हूं,,,
(इतना कहकर राजू फरसा उठाकर जिस नाली से पानी ज्यादा था वहां की मिट्टी को इकट्ठा करने लगा और थोड़ी देर में मधु भी हल्की सी चाल बदलते हुए उसके करीब आ गई क्योंकि जिस तरह की चुदाई राजू ने किया था उससे अपनी कमर में दर्द महसूस हो रहा था,,, राजू उसी तरह से काम करता रहा देखते ही देखते शाम होने को आ गई,,, मधु भी अपने बेटे के आगे झुक कर हरी हरी घास उखाड़ रही थी गाय भैंस के लिए लेकिन अपनी मां को इस तरह से झुका हुआ देखकर उसकी बड़ी बड़ी गांड देखकर एक बार फिर से राजू के पजामें मे हरकत होने लगी,,, राजू फरसा को एक तरफ रख कर ठीक अपनी मां के पीछे जाकर खड़ा हो गया और उसकी मां कुछ बोल पाती समझ पाती इससे पहले ही साड़ी को उठाते हुए उसकी कमर तक साड़ी उठा दिया और उसकी नंगी गांड को दोनों हाथों से पकड़ लिया मधु एकदम से चौक गई और बोली,,,।

बाप रे तेरी प्यास अभी तक नहीं बुझी,,,

तुम्हारी बड़ी बड़ी गांड देखकर एक बार फिर से मऐ प्यासा हो गया हूं,,,,
(और इतना कहने के साथ ही अपनी मां की इजाजत पाए बिना ही राजू अपने पजामे में से अपने लंड को बाहर निकाल कर एक बार फिर से अपनी मां की बुर में डाल दिया और उसे चोदना शुरू कर दिया,,,, मधु भला क्यों इंकार करती वह तो अपने बेटे से बहुत खुश थे और एक बार फिर से दोनों मजा ले करके अपने घर की तरफ चल दिए,,,।)


Wah rohnny4545 Bhai Wah

Aag laga di..............uttejna aur kamukta se bharpur update................maja aa gaya Bhai

Keep Posting
 

Kammy sidhu

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मधु अपनी बुर को अपने बेटे के मुंह पर र करते हुए एक अद्भुत चर्मसुख को प्राप्त करते हुए झड़ चुकी थी और उसकी बुर से निकला हुआ मदन रस का एक-एक बूंद राजू अपनी जीभ से चाट कर अपने गले के नीचे घटक गया था,,, बिना लंड को अपनी बुर में ले झड़ जाने का एक अपना अलग ही मजा होता है और इस अनुभव को राजू की संगत में मधु बार-बार महसूस कर रही थी,,,,, राजू ही था जो अपनी मां को बिना शारीरिक संबंध बनाए हैं सिर्फ हरकतों से ही गर्म करके पानी निकाल देता था और इससे मधु बेहद खुश भी थी खुले आसमान के नीचे घने खेतों के बीच मधु पहली बार इस तरह की सुख का अनुभव कर रही थी वह पूरी तरह से मस्त हो चुकी थी अभी भी संजू घुटनों के बल बैठा हुआ था और अपनी मां की गांव को दोनों हाथों से दबाए हुए अभी भी वह अपनी मां के बुर को अपने होठों से लगाया हुआ था,,,, क्योंकि अभी भी झड़ते हुए मधु अपनी कमर का झटका लगा दे रहे थे झढ़ते समय मधु का चेहरा देखने लायक होता था उसका गोरा मुखड़ा लाल टमाटर की तरह तमतमाने लगता था आंखें अपने आप ही बंद हो जाती थी,,, हॉट खुले के खुले रह जाते थे और सांसे की गति इतनी तेज की छातियों की शोभा बढ़ा रही दोनों खरबूजा जैसी चूचियां ऊपर नीचे होते हुए उसकी मदहोशी की कहानी खुद ही बयां कर रही होती,,,,,, राजू और मधु के नजरिए से देखा जाए तो इस तरह का नजारा बेहद कम होते जना से भरपूर और मदहोश कर देने वाला था लेकिन सामाजिक नजरिए से देखा जाए तो यह नजारा बेहद शर्मसार कर देने वाला था बेहद शर्मनाक दृश्य बना हुआ था समाज के नजरिए से एक अपनी साड़ी को कमर तक उठाए खड़ी थी और उसका बेटा घुटनों के बल बैठकर अपनी मां की बड़ी-बड़ी गांड को हथेली में दबाते हुए उसकी बुर पर अपना होंठ लगाकर चाट रहा था,,,,।

वासना का तूफान कुछ देर के लिए थम चुका था मधु अपनी सांसो को दुरुस्त करने में लगी हुई थी राजू भी अपने होठों को अपनी मां की रसीली बुर से हटाकर घुटनों के बल बैठा हुआ अपनी मां की तरफ देख रहा था मधु भी अपने बेटे की तरफ देखकर गहरी गहरी सांस ले रही थी दोनों मां-बेटे पूरी तरह से मदहोशी के सागर में गोते लगाने को एक बार फिर से तैयार थे,,,, मधु कभी सपने में भी नहीं सोची थी कि वह अपने ही सगी बेटी के साथ इस तरह कदर खुल जाएगी कि उसके साथ बेशर्मी की सारी हदें पार कर देगी लेकिन बेशर्मी की हद पार करने में ही जिंदगी का असली मजा था इस बात का एहसास उसे होने लगा था वह राजू की तरफ देख कर मुस्कुरा रही थी राजू भी मुस्कुरा रहा था और राजू मुस्कुराते हुए बोला,,


सच में मां तुमने आज मुझे एकदम खुश कर दी अपना पानी पिला कर,,,,
(अपने बेटे की बातें सुनकर माध्यम से शरमा गई और बिना कुछ बोले कमर तक उठाए हुए अपनी साड़ी को एक झटके में नीचे गिरा दी और एक अद्भुत खूबसूरत नजारे पर पर्दा गिरा दी,,,, राजू भी अपनी जगह पर खड़ा होता हुआ बोला,,,) सच में मां तुम पेशाब करते हो इतनी खूबसूरत लगती हो जैसे कि स्वर्ग से उतरी हुई कोई अप्सरा बैठकर मुत रही हो,,,,


क्या मैं तुझे इतनी अच्छी लगती हुं,,,(इतना कहने के साथ ही पेशाब की हुई जगह पर अपने पैर बचाकर वापस झोपड़ी की तरफ लौटते हुए वह बोली)

मत पूछो तुम मुझे कितनी खूबसूरत लगती हो मेरा बस चलता तो मैं तुमसे शादी कर लेता और फिर जिंदगी भर तुम्हारी बुर में लंड डालकर पड़ा रहता,,,

वह तो तू अभी भी कर सकता है,,,

हां कर तो सकता हूं लेकिन फिर किसी का डर नहीं रहता ना,,,

हां यह बात तो है,,,,(इतना कहने के साथ ही मधु झोपड़ी के पास आ गई हो खटिया को अपने हाथों से गिरा कर उस पर बैठ गई उसके पास में राजू भी बैठ गया,,,, कुछ देर तक दोनों इसी तरह से बैठे रहे मधु रह रह कर मुस्कुरा रही थी ऐसा लग रहा था कि जैसे वह अपने बेटे के साथ नहीं बल्कि अपने प्रेमी के साथ बैठी हो,,, अपनी मां के चेहरे की तरफ देखते हुए राजू बोला)

चलो थोड़ा काम कर लेते हैं उसके बाद फिर खेल शुरू करते हैं,,,

कौन सा काम,,,?(मधु अपने होठों पर मादक मुस्कान लाते हुए बोली)

खेत का काम और कौन सा इसीलिए तो तुम मुझे यहां पर बुलाई थी ना,,,,

अरे बुद्धू तुझे खेत जोतने के लिए नहीं बल्कि (दोनों टांगों के बीच उंगली से इशारा करते हुए) अपना खेत जोतने के लिए एक बहाने से बुलाकर लाई हूं,,,
(अपनी मां की बात सुनते ही राजू एकदम से खुशी से झूम उठा और बोला)

क्या सच में तुम एकदम चुदवासी हो गई हो,,,,

हा रे कई दिन हो गए थे तेरे लंड को अपनी बुर में लिया कसम से तू सच कहता था कि मैं तेरी गुलाब बन जाऊंगी और ऐसा ही हो रहा है पता है अब तो तेरे पिताजी से चुदवाने में मुझे बिल्कुल भी मजा नहीं आता और तू सच कहता है कि तेरे लंड से आधा ही है तेरे पिताजी का लंड और जो हो रखते लंड को एक बार अपनी बुर में ले ले फिर पतले लंड से उसकी प्यास कहां बुझने वाली है,,,,

मुझे मालूम था मेरी रानी मेरे नीचे आने के बाद तुम भी पागल हो जाओगी दोबारा लेने के लिए,,,,

तुझे अपने लंड पर सच में इतना ज्यादा भरोसा था,,,

तो क्या जब भी खड़ा होता है तो मैं समझ जाता हूं कि जिसकी भी बुर में घुसेगा उसे पूरी तरह से मस्त करके ही बाहर निकलेगा,,,,,,,

हां सो तो है तेरे लंड की मोटाई और लंबाई देखकर ही मैं समझ गई थी कि अगर यह मेरी बुर में गया तो रगड़ रगड़ कर पानी निकालेगा,,,, तुझे पता है अब तो तेरे पिताजी का लंड मेरी बुर में जाता है तो मुझे पता ही नहीं चलता है कि अंदर गया है लेकिन तेरा लंड जैसे ही अंदर जाता है ना अंदर की दीवारों को पूरी तरह से रगड़ रगड़ कर‌ नीचोड निचोड़ कर पानी निकाल देता है,,,,,,,

मुझे बहुत खुशी है कि मैं तुम्हें खुश करने में कामयाब हो गया वरना अगर जिस तरह से मैं तुम्हारे पीछे पड़ा था अगर डालते ही पानी निकल जाता तो तुम शायद मुझे फिर कभी अपने बदन को हाथ नहीं लगाने देती,,,

हां सो तो है मर्द उसे थोड़ी ना कहते हैं कि औरत को गर्म करके बीच मझधार में ही छोड़कर अपना किनारा पकड़ ले मर्द तो उसे कहते हैं जो औरत को पूरी तरह से अपनी बाहों में जकड़ कर उसे पूर्णतः संतुष्टि का अहसास दिखाएं और उसे खुश करने के बाद किनारे पर पहुंचे,,,, लेकिन मानना पड़ेगा तेरे में बहुत ताकत है रात भर तूने मेरी जमकर चुदाई किया और सुबह सुबह नहाते हुए भी दो बार चोद दिया और तो और घर पर पहुंचने के बाद भी तूने मेरी जमकर चुदाई किया कसम से मैं कभी सोच नहीं थी कि एक आदमी इतनी बाहर जो देख सकता है क्योंकि तेरे पिताजी एक बार में ही ढेर हो जाते थे और वह भी शुरू से यही आदत थी,,, तुझे पता है तेरे से चुदवाने के बाद 2 दिन तक में ठीक से चल नहीं पाई थी मेरी बुर सूजी हुई थी हल्दी वाला दूध 2 दिन पी तब जाकर आराम हुआ,,,

क्या करूं मेरी जान पहली बार जो तुमने सेवा करने का मौका दी थी इसलिए किसी भी तरह का कसर नहीं बाकी रखना चाहता था,,,

धत् मजा तो देता है लेकिन तकलीफ भी तु बहुत देता है,,,

क्या मैं फिर तुमको चुदाई ही क्या जिसमें तकलीफ ना हो आराम से डाला और निकाला और झड़ गया इतने से क्या मजा आता है क्या जब तक औरत ऊहहहह ऊहहहहह आरहहह ना कर दे तब तक चोदने का मजा ही नहीं आता,,,,।
(मधु एक बार झड़ चुकी थी लेकिन अपने बेटे की बातों को सुनकर फिर से उसका बदन कर्म हमें लगा था वह बार-बार अपने बेटे के पजामे की तरफ देख रही थी और उसे राह नहीं किया तो वह खुद आप आगे बढ़ाकर पजामे के ऊपर से ही अपने बेटे के लंड को पकड़ कर बोली)

बाप रे देख तो सही कैसे लोहे की तरह खड़ा है,,

खड़ा तो रहेगा ही ना तुमने इसकी सेवा ही कहा कि हो बस अपना पानी निकालती लेकिन इसका कौन निकालेगा,,,

अरे मैं हूं ना,,, मेरे रहते अब तुझे प्यासा रहने की जरूरत नहीं है चल उठ खड़ा हो और मेरे सामने आजा,,,,(पजामे के ऊपर सही अपने बेटे के लंड को पकड़े हुए ही राजू को उठाई और लंड को पकड़े हुए हैं उसे ठीक अपने सामने लाकर खड़ा कर दी राजू पूरी तरह से अपने आपको अपनी मां के हाथों में सौंप दिया था वह अपने दोनों हाथों को छाती पर बांध कर खड़ा हो गया था और मधु मदहोश होते हुए बेशर्मी दिखाते हुए अपने बेटे के पजामी को दोनों हाथों से पकड़ कर उसे नीचे की तरफ खींच दी है और जैसे ही राजू का लंड पजामे की कैद से आजाद हुआ वह खुली हवा में सांस लेता हुआ ऊपर नीचे करके हिलने लगा जिसे देखकर मधु की बुर पानी छोड़ने लगी,,,,)

बाप रे ऐसा लगता है कि पहली बार ही देख रही हूं,,,(इतना कहने के साथ ही मधु अपनी बेटी के लंड को अपने हाथ में पकड़ लिया और उसे आगे पीछे करने लगी)

सच कहूं तो मां तुम मेरे लंड को अच्छी तरह से पहली बार ही देख रही हो दिन के उजाले में वरना रात भर चुदवाने के बाद भी तुमने ठीक से मेरे लंड को देख नहीं पाई थी क्योंकि खंडार में रात का अंधेरा था और जलती हुई लकड़ी की रोशनी में ठीक से नजर नहीं आता था लेकिन फिर भी मैं दावे के साथ कह सकता हूं कि मेरे लंड के दर्शन करके तुम्हारी बुर पानी छोड़ दी होगी,,,

इसमें भी कहने वाली बात है क्या मेरी क्या कोई औरत भी देखती तो उसका भी पानी छूट गया होता,,,,

हाय मुझे तो पता ही नहीं था कि मेरी मां इतना तड़प रही थी मेरे लंड के लिए अगर पता होता तो बैलगाड़ी में ही चोद दिया होता,,,,

तो अब कौन सा तू बाकी रख रहा है इसी काम के लिए तो तुझे यहां लेकर आई हूं ,,(अपनी नरम में कम हथेली में अपने बेटे के लंड को पकड़कर आगे पीछे करके मुठीयाते हुए बोली राजु अपनी मां की हरकत से पूरी तरह से मदहोश हो जा रहा था वह धीरे-धीरे अपनी कमर को आगे पीछे पिलाना शुरू कर दिया था आगे कुछ और बोल पाता या उसकी मां कुछ बोल पाती इससे पहले ही अपना एक हाथ आगे बढ़ाकर अपनी मां के सर को पकड़ लिया और उसे धीरे-धीरे अपने लंड की तरफ नीचे की तरफ जाने लगा और देखते ही देखते मधु अपने बेटे की प्यास बुझाने का जिम्मा अपने सर पर उठाते हुए अपने बेटे के लंड को अपने लाल-लाल होठों को खोल कर उसे अपने अंदर ले ली और उसे चाटना शुरू कर दी,,, मधु इतने चाव से अपने पति के लंड को मुंह में लेकर प्यार नहीं करती थी लेकिन राजू की बात कुछ और थी राजू ने उसे मुंह में लेकर चूसने का एक नया कला और आनंद से अवगत कराया था जिसमें उसे बेहद आनंद की प्राप्ति हो रही थी और वह उसी आनंद की प्राप्ति के लिए अपने बेटे के लंड को धीरे-धीरे करके अपने गले तक उतार ले रही थी हालांकि उसे सांस लेने में दिक्कत आ जाती थी लेकिन फिर भी वह अपने बेटे के लंड को छोड़ना नहीं चाहती थी,,,।


सहहहरह आहहहरहह कितना मजा आ रहा है तू सच में मां लंड को बहुत अच्छे से चुस्ती है बस ऐसे ही पूरा मुंह में लेकर चूस आहहहहह आहहहहह मेरी रानी तूने मुझे बहुत मस्त कर दी है,,,(इतना कहने के साथ ही राजू अपनी कमर को धीरे-धीरे खिलाना शुरू कर दिया था मानो कि जैसे वह अपनी मां के मुंह को ही चोद रहा हो और मधु भी जानबूझकर अपने लाल-लाल होठों को गोल करके दबा ली थी ताकि उसके बेटे को उसकी कसी हुई बुर जैसा ही मजा मिले,,, झोपड़ी के बाहर बिछी हुई खटिया पर मधु गांड पसार कर बैठी हुई थी और राजू की उसके सामने खड़ा था उसका मोटा तगड़ा लंबा लंड मुंह में गले तक चला जा रहा था और मधु अपने बेटे की हिलती हुई कमर के साथ-साथ अपना मुंह भी आगे पीछे कर रही थी जिससे राजू को और ज्यादा मजा आ रहा था वह पूरी तरह से मदहोश हुआ जा रहा था अपनी मां के मुंह में लंड पेलते हुए वह थोड़ा सा नीचे झुका और अपनी मां के ब्लाउज के बटन को खोलना शुरू कर दिया,,, और देखते ही देखते वह अपनी मां के ब्लाउज के बटन को खोल कर उसके नंगी चूचियों को आजाद कर दिया और दोनों चुचियों को दोनों हाथों में लेकर दबाते हुए बोला,,,।

हाय मेरी जान तेरी चूचियां कितनी लाजवाब है एकदम खरबूजा की तरह बड़ी बड़ी,,,आहहहहह तेरी चूची,,, पिताजी को तूने बहुत मजा दे अब मेरी बारी है,,,,ऊममममम (अपने सूखे हुए होठों पर अपनी जीभ फिराते हुए राजू बोला,,,,,,, मां बेटे पूरी तरह से मदहोश हो चुके थे मां बेटे के पवित्र रिश्ते की दीवार को दोनों ने मिलकर गिरा दिए थे दोनों के बीच मां बेटी का नहीं बल्कि एक मर्द औरत का रिश्ता बन चुका था जोकि धीरे-धीरे और गहरा होता जा रहा था,,,, अपनी मां की खरबूजे जैसी बड़ी-बड़ी गोरी गोरी चूचियों को दबा दबा कर राजू ने टमाटर कि तरह लाल कर दिया था,,, एक बार फिर से मधु की बुर अपने बेटे के लंड के लिए तड़प उठी थी हालांकि अभी तक राजू ने अपनी मां की बुर में लंड डाला नहीं था कि उसे अपनी जीभ से ही झाड़ दिया,,, था,,,,, मधु मदहोशी और चुदासी की हालत में अपने बेटे के लंड को जोर-जोर से मुंह में लेकर अंदर बाहर करने थे यह देखकर राजू समझ गया था कि उसकी मां पूरी तरह से गर्म हो चुकी है इसलिए वो धीरे से अपने लंड को बाहर निकाला,,, मुंह में से लंड के बाहर निकलते ही मधु गहरी गहरी सांस लेने लगी ऐसा लग रहा था कि राजू का इस तरह से मधु के मुंह में से लंड को बाहर खींच लेना मधु को बिल्कुल भी अच्छा नहीं लग रहा था,,,, थूक और लार से सने हुए अपने लंड को हाथ में लेकर हिलाते हुए राजू बोला,,,।


हाय मेरी जान तूने तो अपना थूक लगा लगा कर मेरे लंड को अपनी बुर में डालने के लिए तैयार कर दि है अब देखना इसका कमाल कैसा तुम्हारी बुर में धमाल मचा ता है,,,(इतना कहने के साथ ही राजू अपनी मां की कंधों को पकड़कर उसे खटिया पर लेट जाने के लिए इशारा किया और उसकी मा भी उत्तेजना बस अपने बेटे के लंड को अपनी बुर में लेने के लिए पीठ के बल खटिया पर लेट गई और राजू खटिया पर घुटनों के बल चढ़कर अपने लिए जगह बनाने लगा देखते ही देखते ना जो अपनी मां की दोनों टांगों के बीच आ गया मधु ने खुद अपनी साड़ी को ऊपर की तरफ खींच कर कमर पर इकट्ठा करती थी और अपनी नंगी बुर को अपने बेटे के सामने परोस दी थी अपनी मां की पानी से चिपचिपाती हुई बुर को देखकर राजू के मुंह के साथ-साथ उसके लंड में भी पानी आ गया राजू से बिल्कुल भी रहा नहीं जा रहा था लंड पूरी तरह से धड़क रहा था और वह अपनी मां की तपती हुई बुर में घुसने के लिए तैयार हो चुका था देखते ही देखते राजू अपनी मां की दोनों टांगों के बीच एकदम से जगह बनाते हुए अपनी मां की कमर को दोनों हाथों से पकड़कर अपनी तरफ खींचा और अपनी मां की बड़ी-बड़ी आधी गांड को अपनी जांघों पर रख लिया,,, मधु की रसीली पुर पुर राजू के लंड का सुपाड़ा दोनों बेहद करीब आ चुके थे वह आज दोनों में एक अंगुल का ही फासला था जिसकी वजह से बुर की तपन जोकि भट्टी की तरह गर्म हो चुकी थी उसकी गर्माहट राजू अपने लंड पर एकदम साफ महसूस कर रहा था जिसकी वजह से वह और ज्यादा उत्तेजित हो गया देखते ही देखते राजू रोकड़े लंड की मोटे सुपारी को अपनी मां की गुलाबी छेद पर रख दिया और हल्के से अपनी कमर को धक्का दिया और पहले प्रयास में ही पूरा का पूरा आलूबुखारा के माप का सुपाड़ा मधु की बुर में समा गया और जैसे ही वह बुर के गुलाबी पत्तियां नुमा दरवाजे को खोलकर अंदर प्रवेश किया वैसे ही मधु के मुंह से हल्की सी चीख निकल पड़ी लेकिन यह चीज उसकी आनंद की परिभाषा दें और पल भर में ही दूसरे ही प्रयास में राजू ने अपना आधा लंड अपनी मां की बुर में घुसा दिया था,,, तूफानी बारिश वाली रात से लेकर के अब जाकर मधु और राजू को एक होने का मौका मिला था इसलिए फिर से ऐसा लग रहा था कि दोनों के बीच पहली बार जुदाई हो रही है इसलिए तो उत्तेजना और उत्साह में मधु पूरी तरह से गदगद हो चुकी थी ब्लाउज खुला होने की वजह से उसकी नंगी चूचियां छाती पर लहरा रही थी लेकिन उसे अपने हाथों में पकड़ने के लिए अभी ठीक समय नहीं था क्योंकि वह अभी अपने पूरे लंड को अपनी मां की बुर में घुसा देना चाहता था और देखते ही देखते अपनी मां की कमर को थामे हुए राजू ने अगला धक्का एकदम कचकचा कर लगाया और लंड बुर की अंदरूनी अड़चनों को दूर करता हुआ सीधे बच्चेदानी से जा टकराया और एक बार फिर से मधु के मूंह से चीख निकल गई,,,,।)

ओहहहहह मा मर गई रे,,,

बस बस हो गया मेरी रानी अब देख कितना मजा आता है,,,

अरे तेरे मजा के चक्कर में मेरी बुर फट जाएगी,,,

नहीं मेरी जान मैं ऐसा नहीं होने दूंगा,,, क्योंकि अब तेरी बुर पर मेरा हक है,,,,और मैं तेरी खुबसूरत बुर को ईस‌ तरह से फटने नहीं दुंगा,,, क्योंकि इसमें ही तो डाल कर मुझे अपनी प्यास बुझानी है,,, अब देख मैं तुझे कैसे चोदता हूं,,,।
(और इतना कहने के साथ ही राजू अपनी कमर हिलाना शुरू कर दिया देखते ही देखते राजू का मोटा तगड़ा लंड उसकी मां की बुर में अंदर बाहर होना शुरू हो गया और उसके अंदर बाहर होने के साथ ही मधु के तन बदन में उत्तेजना की लहर उठने लगी उसकी बुर की अंदरूनी दीवारों से उसका मदन रस पसीजने लगा,,,, देखते ही देखते मधु को एक बार फिर से मजा आने लगा अपने बेटे के लंड को अपनी बुर में लेकर वह पूरी तरह से मदहोश हो जा रही थी ऐसा लग रहा था कि जैसे कोई उसे अपनी बाहों में लेकर हवा में उड़े लेकर चला जा रहा है उसे स्वर्ग का सुख प्राप्त हो रहा था हर एक धक्के ने उसकी चीख निकल जा रही थी लेकिन हर एक चीज के पीछे बेशुमार आनंद छुपा हुआ था जिसके मदहोशी में वह पूरी तरह से भीग जा रही थी,,,

राजू के हर धक्के के साथ उसकी बड़ी बड़ी चूचियां पानी पर गुब्बारे की तरह छाती पर लौट रही थी,,, जिसे राजू अपना दोनों हाथ आगे बढ़ाकर उसे अपनी हथेली में दबा लिया और दशहरी आम की तरह जोर-जोर से दबाते हुए धक्के पर धक्के लगाने लगा ,,, वैसे भी मर्दों को सबसे ज्यादा मजा औरतों की चूची पकड़कर धक्के लगाने में आता है और वही सुख राजू अपनी मां से प्राप्त कर रहा था मधु की बड़ी-बड़ी चूचियां ऐसा लग रहा था कि राजू के लिए लगाम का काम कर रही थी जिससे वह अपनी मां को पूरी तरह से अपने काबू में किया हुआ था,,,,।

सहहहरह आहहहहह राजू मेरे बेटे तेरा लंड को ज्यादा ही मोटा है बहुत मजा आ रहा है बेटा इसी तरह से धक्का लगा तेरी जुदाई में तो मुझे स्वर्ग का सुख मिल रहा है अब तक तो तेरे पिताजी के छोटे लंड से चुदाई कर मुझे पता ही नहीं चला कि कोई इस कदर भी अपने लंबे लंड से चुदाई कर सकता है और वह भी इतनी देर तक बहुत मजा आ रहा है बेटा रुकना नहीं,,,,आहहहहह ,,,,

तू चिंता मत कर मेरी रानी मेरे लिए समय तो एकदम थोड़ी हो गई और मैं तेरे ऊपर सवार हो गया हूं इसे अपनी मंजिल तक पहुंचाने के बाद ही तुझे छोड़ुगा,,,आहहररह मेरी जान तेरी कसी हुई दूर बहुत मजा देती है ऐसी तो जवान लड़कियों की भी नहीं होगी जैसा कि तेरी बुर‌ है,,,

आहहहह तो पूरा मजा लेना हरामि पूरा मादरचोद हो गया है तू,,,

तूने ही तो मुझे मादरचोद बनाई है भोसड़ा चोदी तेरी भोंसड़ी के चक्कर में ही मादरचोद बन गया,,, लेकिन तेरा भोंसड़ा मुझे बहुत मजा दे रहा है,,,

तो घुस जा फाड़ कर अंदर,,,

अरे छिनार मेरा बस चलता तो सही में तेरी भोंसड़ी में जाकर बैठ जाता,,,,

तो चलाना अपना बस,,,, तेरे आगे मेरी कहां चल रही है,,, चला,,,,,

ले भोसडा चोदी मादरचोद रंडी एकदम छिनार हो गई है तू देख मैं तेरी कैसी प्यास बुझाता हूं अपने लंबे लंड से मेरा लंड तेरी बुर में ही जाने के लिए बना है,,,।
(और राजू ताबड़तोड़ घोड़े की लगाम अपने हाथों में लिए हुए उसे दौड़ाना शुरू कर दिया दोनों मां-बेटे के बीच अब किसी भी प्रकार का शर्म नहीं बचा था दोनों एक दूसरे को तू तड़ाका के साथ-साथ गंदी गालियों से बात कर रहे थे जिससे दोनों का मजा बढ़ता जा रहा था दोनों पूरी तरह से जोश में आ चुके थे राजू ऊपर से धक्के लगा रहा था और मधु कोशिश करते हुए नीचे से अपनी कमर उतार रही थी और कामयाबी हो रही थी अपनी मां को इस तरह से कमर उछलता हुआ देखकर राजू का जोश और ज्यादा बढ़ गया था और वह अपनी मां की चूची को पकड़कर जोर-जोर धक्के लगा रहा था ऐसा लग रहा था कि जैसे आज वह सच में अपनी मां का भोसड़ा फाडकर उसमें घुस जाएगा,,, मधु के साथ साथ खटिया की भी हालत खराब होती जा रही थी उसमें से लगातार चरण चरण की आवाज आ रही थी मधु को इस बात का डर था कि कहीं खटिया टूट ना जाए क्योंकि राजू के धक्के बड़े तेजी और एकदम बलशाली थे उसके हर एक धक्के पर मधु की चीख निकल जा रही थी देखते ही देखते मधु पूरी तरह से मदहोश हो गई थी,,,, लेकिन खटिया टूट जाने का डर उसके अंदर पूरी तरह से भर गया था और वह बोली,,,।

बस बस जोर से नहीं खटिया टूट जाएगी,,,

खटिया टूटे या फिर तेरी दूर फटे आज में रुकने वाला नहीं हूं,,,,(इतना कहते हो राजू फिर से अपनी कमर जोर-जोर से हिलाना शुरू कर दिया खटिया से लगातार चरण चरण की आवाज आ रही थी इस बात का अंदेशा राजू को भी हो गया था लेकिन वहां रुकना नहीं चाहता था लेकिन मधु उसे कसम देकर रोक दी और बोली ,,,,)

नहीं नहीं राजू खटिया टूट जाएगी तो खामखा इसे बनाने की जहमत उठानी पड़ेगी,,,, चल झोपड़ी में लेकर चल मुझे वहीं पर मुझे चोदना,,,,।
(खटिया टूटने का डर दोनों के रंग में भंग डाल चुका था लेकिन राजू इस रंग में भंग नहीं पड़ने देना चाहता था इसलिए वह धीरे से अपनी मां को अपनी बाहों में कस लिया और उसकी बुर में लंड डाले हुए ही धीरे-धीरे उठना शुरू कर दिया और देखते ही देखते वह खटिया से नीचे उठ कर खड़ा हो गया लेकिन अपनी मां को अपनी गोद में उठा लिया था और अपने लंड को उसकी बुर से बाहर नहीं निकाला था अपने बेटे की ताकत देखकर मधु भी एकदम हैरान हो चुकी थी लेकिन पूरी तरह से आनंद में सराबोर हो चुकी थी राजू खड़ी-खड़ी अपने आप को चोदना शुरू कर दिया था और चोदते हुए उसे झोपड़ी के अंदर ले जा रहा था राजू की ताकत बहुत ही प्रभावशाली थे जो कि मधु को पूरी तरह से अपने घुटने टेकने पर मजबूर कर दी थी,,,, थोड़ी देर में राजू झोपड़ी के अंदर प्रवेश कर गया और उसी तरह से सूखी हुई घास में अपनी मां को बैठाकर उसे चोदना शुरु कर दिया थोड़ी देर तक उसके ऊपर सवार होने के बाद वह खुद पीठ के बल लेट गया और अपने ऊपर अपनी मां को ले लिया उसकी मां को पता था कि क्या करना,,,, है,,, वह अपनी भारी भरकम बड़ी बड़ी गांड को अपने बेटे के मोटे तगड़े लंड पर भटकना शुरू कर दी उसे अपने बेटे के लंड की ताकत का अंदाजा अच्छी तरह से था इसलिए वह जानती थी कि उसकी बड़ी बड़ी गांड पटक ने पर भी उसका बेटा हार नहीं मानेगा और नीचे से वह अपनी कमर उछाल रहा था दोनों पूरी तरह से मदहोश में जा रहे थे दोनों पसीने से तरबतर हो चुके थे,,, दोपहर के समय जब लोग अपने घर में आराम कर रहे थे तो दोनों मां-बेटे खेत में काम करने के बहाने से एक दूसरे की प्यास बुझा रहे थे कुछ देर तक राजू अपनी मां को अपने ऊपर लिए हुई आनंद लेता था लेकिन उसका पानी निकलने का नाम नहीं ले रहा था इसलिए वह फिर से अपनी मां को अपनी बाहों में जकड़े हुए भी उसी स्थिति में फिर से उसे नीचे कर दिया और खुद पर आ गया और फिर से धक्के पर धक्का लगाना शुरू कर दिया इस बार उसका हर एक धक्का मधु को मदहोशी की तरफ ले जा रहा था वह पूरी तरह से मस्त हो जा रही थी उसकी सांसे बड़ी तेजी से चल रही थी और देखते देते उसका बदन अकड़ने लगा उसकी गरमा गरम सिसकारी की आवाज सुनकर राजू समझ गया था कि उसका पानी निकलने वाला है वह भी अपनी मां के साथ ही जुड़ना चाहता था और वह अपने धक्कों की रफ़्तार और ज्यादा बढ़ाते हुए देखते ही देखते अपनी मां के ऊपर ही हांफने लगा दोनों मां बेटे एक साथ झड़ चुके थे,,, कुछ देर तक दोनों उसी स्थिति में लेटे रहे दोनों आराम कर रहे थे लेकिन राजू का लंड अभी भी मधु की बुर में था तकरीबन 1 घंटे तक दोनों उसी स्थिति में लेटर ही आराम करते रहे फिर मधु धीरे से राजू को अपने ऊपर से उठाने लगे और राजू अपनी मां के ऊपर से उठते हुए अपने लंड को अपनी मां की बुर से बाहर खींच लिया,,,,।

तूफानी बारिश के बाद एक बार फिर से दोनों ने जमकर चुदाई का आनंद लिया था और फिर मधु बोली,,,


चलो थोड़ा काम कर लेते हैं वरना अगर गुलाबी खेत पर आएगी तो कुछ ना काम देख कर ना जाने क्या सोचेगी,,,,

ठीक है तुम बैठो मैं काम कर देता हूं,,,
(इतना कहकर राजू फरसा उठाकर जिस नाली से पानी ज्यादा था वहां की मिट्टी को इकट्ठा करने लगा और थोड़ी देर में मधु भी हल्की सी चाल बदलते हुए उसके करीब आ गई क्योंकि जिस तरह की चुदाई राजू ने किया था उससे अपनी कमर में दर्द महसूस हो रहा था,,, राजू उसी तरह से काम करता रहा देखते ही देखते शाम होने को आ गई,,, मधु भी अपने बेटे के आगे झुक कर हरी हरी घास उखाड़ रही थी गाय भैंस के लिए लेकिन अपनी मां को इस तरह से झुका हुआ देखकर उसकी बड़ी बड़ी गांड देखकर एक बार फिर से राजू के पजामें मे हरकत होने लगी,,, राजू फरसा को एक तरफ रख कर ठीक अपनी मां के पीछे जाकर खड़ा हो गया और उसकी मां कुछ बोल पाती समझ पाती इससे पहले ही साड़ी को उठाते हुए उसकी कमर तक साड़ी उठा दिया और उसकी नंगी गांड को दोनों हाथों से पकड़ लिया मधु एकदम से चौक गई और बोली,,,।

बाप रे तेरी प्यास अभी तक नहीं बुझी,,,

तुम्हारी बड़ी बड़ी गांड देखकर एक बार फिर से मऐ प्यासा हो गया हूं,,,,
(और इतना कहने के साथ ही अपनी मां की इजाजत पाए बिना ही राजू अपने पजामे में से अपने लंड को बाहर निकाल कर एक बार फिर से अपनी मां की बुर में डाल दिया और उसे चोदना शुरू कर दिया,,,, मधु भला क्यों इंकार करती वह तो अपने बेटे से बहुत खुश थे और एक बार फिर से दोनों मजा ले करके अपने घर की तरफ चल दिए,,,।)
Wah bhai maja aa gaya too much romantic update bro and continue story nd madhu ki gaand chudai ka scene jab ayega, i hope that bekamaal aur long hona chahiye, nd aur aap sab writer se acha , mast, damdar likhte ho, thanks bro 🙏
 

Ek number

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लाला की हालत को देखकर खुद राजू सोच में पड़ गया था वही लाला की हालत पर हैरान था उसे समझ नहीं आ रहा था कि आखिरकार यह विक्रम सिंह है कौन जिसका नाम सुनते ही लाला की हालत खराब हो गई,,,। यही जानने के लिए राजु वही एक कोने में जाकर खड़ा हो गया और सब कुछ अपनी आंखों से देखने लगा,,, लाला अपनी जगह से खड़ा हो गया था उसके चेहरे पर हवाइयां उड़ रही थी और दूर से घोड़ों की टॉप की आवाज सुनाई दे रही थी,,,,,।

देखते ही देखते घोड़ा गाड़ी और साथ में 2 घुड़सवार जिनके कंधों पर दो नाली वाली बंदूक टंगी हुई थी वह दोनों घोड़े पर से पहले उतरे और घोड़ा गाड़ी के करीब जाकर खड़े हो गए ,,, थोड़ी ही देर में विक्रम सिंह नीचे उतरा,,, तकरीबन 6 फुट का हट्टा कट्टा चौड़ी छाती वाला आदमी देख कर ही कोई भी समझ जाएगी यह जमीदार ही हैं,,, उसका व्यक्तित्व था ही उस लायक,,, बड़ी-बड़ी मूछें उम्र तकरीबन 45 के करीब फिर भी अपने कद घाटी के हिसाब से 35 साल का ही नजर आता था,,,,,,, विक्रम सिंह घोड़ा गाड़ी से नीचे उतरा ही था कि खुद लाला अपनी जगह से दौड़ता हुआ उसके करीब गया और हाथ जोड़ते हुए उसका अभिवादन करते हुए बोला,,,।


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अरे विक्रम सिंह आपने क्यों कष्ट उठाया खबर भिजवा दीए होते तो मैं खुद चला आता,,,,,,


वह तो मैं देख ही रहा हूं लाला,,,, पर तुम भी अच्छी तरह से जानते हो कि समय भी पूरा हो गया है लेकिन तुम्हारी कोई खोज खबर नहीं मिल रही थी तो हमें खुद आना पड़ा,,,,,

अरे विक्रम साहब,,,(अपने चारों तरफ नजर घुमा कर इधर-उधर देखते हुए) यहां बड़ी धुप है,,चलो हवेली पर चलकर बात करते हैं,,,,,,
(इतना कहने के साथ ही लाला भी विक्रम सिंह की घोड़ा गाड़ी में उसके साथ बैठ गया और वह लोग लाला की हवेली की तरफ निकल गए,,,, लेकिन जाते-जाते राजू को अच्छे से काम देखने के लिए बोल कर गया था इसलिए बाकी का काम राजू ने वही खड़े-खड़े सबसे करवाया लेकिन वह सोच में पड़ गया थी आखिरकार यह विक्रम सिंह है कौन सी बला और किस समय की बात कर रहा था यह सब राजू के सोच के परे था लेकिन राजू को हैरान कर देने वाला था क्योंकि वह अभी तक यही सोच रहा था कि लाला ही पूरे गांव का मुखिया और रुबाबदार पैसे वाला इंसान है लेकिन यहां तो शेर को सवा शेर मिल गया था,,, फिर आ जाओ अपने मन में सोचा अपने कोई से क्या मतलब लाला जाने उसका काम जाने और यह सोचकर वह सारे काम करा कर वापस घर लौट आया,,,, मधु अपने बेटे के साथ चुदाई का असीम सुख पाकर अपने बेटे के लंड के लिए तड़प रही थी वह भी मौके की तलाश में ही रहती थी लेकिन उसे किसी भी प्रकार से मौका नहीं मिल पाता था हालांकि एक दो बार घर में कुछ पल के लिए दोनों अकेले मिले जरूर थे लेकिन आगे बढ़ने की हिम्मत मधु में बिल्कुल भी नहीं थी वह डर के मारे आगे नहीं बढ़ पाई और राजू पूरी तरह से निश्चिंत हो चुका था क्योंकि वह जानता था कि वह जब चाहे मौका मिलते ही अपनी मां की चुदाई कर सकता है और जो सुख उसे अपनी मां की बुर से मिला था वह सुख उसे आज तक किसी की भी बुर से नहीं मिल पाया था,,,,,


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ऐसे ही 1 दिन घर में काम कुछ ज्यादा था गेहूं की सफाई भी करनी थी और खेतों में काम भी था खाना बनाते समय मधु अपने मन में कुछ सोच रही थी तभी वह गुलाबी से बोली,,,।

गुलाबी,,

जी भाभी,,,

ऐसा करना कि तुम खाना खा लेने के बाद गेहूं की सफाई कर लेना और मैं खेतों में काम कर लूंगी क्योंकि खेत में काम करना भी बहुत जरूरी है,,,

जी भाभी मैं गेहूं साफ कर लूंगी,,,
(इतना कहना था कि तभी वहां पर राजू भी आ धमका और उसे देखकर मधु की बुर फुदकने लगी,,,,, आते ही राजू अपनी मां से बोला,,,)

मां खाना तैयार हो गया क्या,,,,(राजू अपनी मां के बेहद करीब जाकर खड़ा हो गया था जहां से राजू को अपनी मां के ब्लाउज में से उसके दोनों खरबूजे साफ नजर आ रहे थे और इस बात का आभास मधु को हो गया तो वह बोली)

हां तैयार तो हो गया है लेकिन तुझे खाना क्या है,,,,
(इतना कहते हुए वह राजू की तरफ देख कर मुस्कुरा कर बोली) यह तो बता दे,,,,



मुझे तो मां गरम गरम रोटी बहुत पसंद है और वह भी फूली हुई जब तवे पर गर्म होती है ना तो एकदम फुल जाती है वही रोटी मुझे सबसे ज्यादा पसंद है,,,
(राजू फूली हुई रोटी की उपमा अपनी मां की बुर से कर रहा था और इस बात का एहसास मधु को हो चुका था इसीलिए उसके तन बदन में अजीब सी हलचल होने लगी थी,,, उसकी सांसे ऊपर नीचे हो रही थी और वह अपनी सांसो को दुरुस्त करते हुए बोली)

कभी कभी रोटी फूलती नहीं है तो क्या खाएगा नहीं,,,

तुम बस रोटी को तवे पर रख दो उसे फुलाना मेरा काम है क्योंकि फुलाए बिना ना तो रोटी देखने में अच्छी लगती है और ना ही उससे भूख मिटाने में मजा आता है,,,,
(अपने बेटे की दो अर्थ वाली बातों को सुनकर मधु की बुर पानी पानी हो रही थी,,, गुलाबी को इस बात का अंदाजा भी नहीं था कि मां बेटे दोनों दो अर्थ में गंदी बातें कर रहे हैं वह तो अपने काम में बस बोलते क्योंकि उसे इस बात का आभास तक नहीं था कि दोनों मां बेटों के बीच खिचड़ी पक चुकी है,,,,)


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तू चिंता मत कर आज तुझे मालपुआ खिलाऊंगी और वह भी रस टपकता हुआ,,,

वाह क्या बात है मां तुमने तो मेरी भूख (गुलाबी से नजर बचाकर पजामे के ऊपर से अपने लंड को दबाते हुए) बढ़ा दी,,,(अपने बेटे को इस तरह की हरकत करता हुआ देख कर मधु एकदम से सिहर उठी,,,, उसकी बुर की प्यास और ज्यादा बढ़ने लगी उसे अपनी बुर में अपने बेटे के लंड देने की चाहत और ज्यादा प्रबलित होने लगी,,, राजू अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला,,,) सच कह रही हो ना ना भूल तो नहीं जाओगी,,,

बिल्कुल भी नहीं भूलूंगी लेकिन तुझे खेतों में मेरा हाथ बंटाना पड़ेगा,,,,


बुआ भी चलेंगी खेत पर,,,

नहीं,,,(उत्तेजना के मारे अपने निचले हो तो को दांत से काटते हुए) मैं और तू बस हम दोनों चलेंगे बुआ घर का काम करेंगी,,,
(इतना सुनते ही राजू का लंड तन गया उसे समझ में आ गया था कि आज उसकी मां कुछ और सोच कर रखी है राजू के होठों पर मुस्कान तेरने लगी,,,,)

रुक मैं तुझे खाना निकाल कर देती हूं,,,,,
(मधु खाना बनाने बैठी थी और गर्मी की वजह से वह अपनी साड़ी को घुटनो तक उठा कर बैठी हुई थी जिससे राजू बार-बार उसके साड़ी के अंदर झांकने की कोशिश कर रहा था लेकिन वह कुछ देख नहीं पा रहा था अपने बेटे की हरकत को मधु अच्छी तरह से समझ रही थी और उसकी तरफ देख कर मुस्कुरा रही थी तो राजू भी मौका देखकर अपनी बुआ से नजर बचाकर अपने हाथ की 2 उंगलियों को बुर की मुद्रा में बनाकर उसे दिखाने के लिए बोल रहा था अपने बेटे की हरकत से मधु के तन बदन में आग लगी हुई थी उसकी उत्तेजना बढ़ती जा रही थी काफी दिन हो गए थे अपने बेटे के लंड को अपनी बुर में लिए इसलिए अपने बेटे की हसरत को देखते हुए वह भी गुलाबी की तरफ देखी तो दूसरी तरफ मुंह करके काम कर रही थी और मौका देखते ही मधु तुरंत अपनी साड़ी को थोड़ा सा खोलकर अपने दोनों टांगों को फैला दी और अपने बेटे को अपनी रसीली बुर के दर्शन करा दी अपनी मां की बुर को देखते ही राजू से रहा नहीं गया और वह गहरी सांस लेते हुए कसके पजामे के ऊपर से यह अपने लंड को दबोच लिया,,,,।


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बस अब खेत में,,,(मधुर एकदम से धीमे स्वर में बोली और अपनी मां की बात सुनते ही उसके तन बदन में खुशी की लहर दौड़ने लगी वह तुरंत वहीं बैठ कर खाना खाने लगा और थोड़ी ही देर में मधु भी खाना खा ली और राजू से पहले ही खेत में चली गई और राजू को आने के लिए बोली थी ,,,,,,, थोड़ी देर में गुलाबी खाना खाकर घर के काम में लग गई तो मौका देखकर राजू भी खेत की तरफ निकल गया,,,, राजू अच्छी तरह से जानता था कि उसकी मां खेतों के बीचो बीच में काम कर रही होगी जहां पर छोटी सी झोपड़ी बनी हुई है और देखते ही देखते राजू उस जगह पर दबे पांव पहुंच गया वह देखना चाहता था कि उसकी मां कर क्या रही है,,,,,,,, राजू समय से थोड़ा जल्दी ही खेत पर पहुंच गया था और मधु थोड़ा बहुत काम करके उसे बड़े जरूर की पेशाब लगे हुई थी और वह घनी झाड़ियों के बीच धीरे-धीरे जा रही थी तभी राजू की नजर अपनी मां पर पड़ गई और वह दबे पांव उसके पीछे-पीछे नजर बचाकर जाने लगा वह देखना चाहता था कि उसकी मां क्या करती है,,,, वैसे तो वहां अपनी मां के साथ आप कुछ भी कर सकता था लेकिन उसकी हार एक क्रिया उसकी हरकत राजू के तन बदन में आग लगा देती थी और वही देखने के लिए उत्सुक भी था क्योंकि जिस तरफ उसकी मां जा रही थी उसे अंदेशा हो रहा था कि उसकी मां पेशाब करने जा रही है और ऐसा ना जा रहा हूं अपनी आंखों से कैसे जाने दे सकता था देखते ही देखते हो ठीक है अपनी मां के पीछे एक पड़े से पेड़ के पीछे छुप गया जैसा कि झुमरी को नंगी देखने के लिए किया था,,,
Madhu is tarah se pesaab karne k liye Beth gayi


मधु को बड़े जोरों की पेशाब लगी हुई थी इसलिए वह तुरंत अपनी साड़ी को अपनी कमर तक उठा दे और एक बार फिर से राजू की आंखों के सामने उसकी उत्तेजना बढ़ा देने वाला उसका सबसे पसंदीदा अंग उसकी मां की बड़ी बड़ी गांड नजर आने लगी और वह भी एकदम नंगी,,,, मधु को बड़े जोरों की पेशाब लगी हुई थी इसलिए साड़ी उठाने के साथ ही वह तुरंत नीचे बैठ गई और पेशाब करना शुरू कर दी है नजारा देखकर राजू के दिलों दिमाग पर बद‌हवासी और मदहोशी छाने लगी उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें,,,, राजू पेड़ के पीछे छुप कर अपनी मां की गोल गोल चिकनी गांड को देख रहा था जो कि कुछ ज्यादा ही बड़ी नजर आ रही थी और पेशाब करने की वजह से उसकी बुर से निकल रही सीटी की आवाज पूरे वातावरण को अपनी मधुर ध्वनि में डूबा दे रही थी उस सीटी की आवाज को सुनकर राजू से रहा नहीं गया और वह धीरे से पेड़ के पीछे से निकलकर ठीक है अपनी मां के पीछे खड़ा होकर बोला,,,।
Madhu


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क्या मा अकेले अकेले मुत रही हो मुझे भी तो साथ ले ली होती,,,।
(अपने पीछे से आ रही आवाज को सुनकर पल भर के लिए मधु एकदम से चूक गए लेकिन जैसे उसे इस बात का आभास हुआ कि उसका बेटा उसके ठीक पीछे खड़ा है तब जाकर उसे राहत हुई लेकिन अपने बेटे के सामने खड़ी दोपहरी में दिन के उजाले में इस तरह से पेशाब करने में उसे बहुत शर्म महसूस हो रही थी लेकिन फिर भी वह धीरे से बोली,,,,)

इसके लिए भी किसी को आमंत्रण दिया जाता है क्या,,,,।

(इतना सुनते ही राजू से रहा नहीं गया उसे भी जोड़ों की पेशाब लगी हुई थी और वह भी पजामे को घुटनो तक नीचे खींच कर अपनी मां की तरह ही बैठ गया यह देख कर मधु के तन बदन में आग लग गई क्योंकि वह औरतों की तरह बैठकर पेशाब करने जा रहा था और यह नजारा देखना उसके लिए भी किसी अद्भुत नजारे से कम नहीं था वह अपनी नजरों को हटा नहीं पाई और वहां अपनी नजरों को थोड़ा सा आगे की तरफ झुक कर अपने बेटे की दोनों टांगों के बीच देखने लगी जैसे कि एक मर्द एक औरत की दोनों टांगों के बीच देखता है,,, अपनी मां की उत्सुकता के बीच राजू मुतना शुरू कर दिया,,,, उसके लंड से पेशाब की धार दूर तक जा रही थी जहां तक कि उसकी मां की पेशाब की धार नहीं पहुंच पा रही थी,,,,, और पेशाब की धार को और दूर मारते हुए बेशर्मी की हद पार करते हुए राजू अपनी मां से बोला,,,)

देखी मा मेरे लंड की ताकत,,, तुमसे दूर तक मुत रहा हूं,,,


तू मेरे से दूर तक मुतेगा ही ना तेरा लंड भी तो पाइप की तरह है और मेरे पास क्या है एक छोटा सा छेद है जिसमें से कितनी दूर तक जाएगा,,,,
(मधु भी एकदम रंगीन होती जा रही थी उसके शब्द उसकी बातें भी अश्लील होती जा रही थी और उसके मुंह से इस तरह की गंदी बातें सुनकर राजू पूरी तरह से मस्त वाला हुआ जा रहा था और वह अपना हाथ अपनी मां की दोनों टांगों के बीच उसकी बुर पर रखते हुए बोला,,)

सच में मां तुम्हारी चिकनी बुर से ज्यादा दूर तक पेशाब नहीं जा सकता,,,, और तुम चाहोगी तो भी नहीं कर सकती,,,(इतना कहते हैं राजू अपनी मां की गुलाबी छेद पर अपनी हथेली को रगड़ रहा था और उसकी हरकत मधु के तन बदन में उत्तेजना की लहर पैदा कर रही थी वह पूरी तरह से चुदवासी हुए जा रही थी,,,, उत्तेजना के मारे मधु का गला सूखने लगा था और राजू अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला,,,) मेरे लंड को पकड़ कर थोड़ा सा और ऊपर उठाओ देखो कितनी दूर तक जाता है,,,.
(राजू अपनी कामुक मदहोश कर देने वाली बातों से अपनी हरकतों से अपनी मां को पूरी तरह से चुदवासी कर दिया था उसके बदन में उत्तेजना भर दिया था,,, एक तरह से अपने बेटे की गुलाम बन चुकी थी और उसकी बात मानते हुए तुरंत अपना हाथ आगे बढ़ा कर अपने बेटे के खड़े लंड को पकड़े दी काफी दिनों बाद वह अपने बेटे के लंड को पकड़ रही थी उसकी गर्मी उसे सहन नहीं हो रही थी और उसकी‌ तपन उसे अपनी बुर पर महसूस होने लगी थी,,,, मधु अपने बेटे के मोटे और लंबे लंड को अपने हाथ में पकड़ कर उसके सुपारी को थोड़ा सा ऊपर की तरफ उठा ही और राजू ने फिर से पेशाब करना शुरू कर दिया और पेशाब की धार और ज्यादा दूर तक गिरने लगी ऐसा लग रहा था कि जैसे पौधों को पानी दे रहा हो यह देख कर मधु की बुर पानी फेंक रही थी इस तरह का नजारा वह कभी देखी नहीं थी और ना ही इस तरह की हरकत करने की कभी वह सोची थी लेकिन राजू के चलते वह पूरी तरह से बदहवास हो चुकी थी वह अब अच्छे बुरे के बीच फर्क करना भूल गई थी वह मां बेटे के बीच के पवित्र देशों के बीच इस तरह के शारीरिक संबंध को अब गलत नहीं समझ रही थी वह एक दूसरे की जरूरत को ही समझ रही थी और इस समय मधु को भी जरूरत थी और राजू को भी एक दूसरे की,,,,,,,।

दोनों मां बेटे बैठकर पेशाब कर रहे थे,,, मधु ने आज तक किसी लड़के को इस तरह से बैठकर पेशाब करते हुए नहीं देखा था लेकिन आज उसे अपने बेटे को इस तरह से पेशाब करते हुए देखकर उसकी बुर पानी-पानी हो रही थी वह पूरी तरह से उत्तेजित हो चुकी थी और वह भी एक दूसरे के अंगों से खेल भी रहे थे,,, राजू अपनी मां की बुर को सहला रहा था और मधु अपने बेटे के लंड को पकड़ कर हिलाना शुरू कर दी थी,,,,,,, देखते ही देखते दोनों एकदम गर्म होने लगे,, मधु की नाराम नाराम हथेली में राजू का लंड और भी ज्यादा कड़क होने लगा था और राजू की हथेली में बार-बार मधु की बुर से पानी के छींटे बाहर निकल रहे थे जो कि उसका मदन रस था और यह मदन रस राजू के लिए अमृत की धार से कम नहीं था,,,, कड़ी धूप में दोनों बैठे हुए थे झाड़ियों के बीच और चारों तरफ हरे हरे खेत लहरा रहे थे कोई देखना चाहे तो भी किसी को दोनों नजर ना आए इस तरह से यह जगह झाड़ियों से गिरी हुई थी और इसी का फायदा उठाते हुए राजू और मधु दोनों एक दूसरे को देख रहे थे और दोनों एक दूसरे की आंखों में डूबने लगे थे देखते ही देखते राजू अपने पैसे होठों पर अपनी मां के लाल लाल होठों पर करीब ले जाने लगा और मधु भी अपने तपते हुए हो उसको अपने बेटे के होठ से लगाने के लिए आगे बढ़ने लगी और दोनों के हाथ अपनी-अपनी क्रिया कर ही रहे थे,,, और देखते ही देखते दोनों के होंठ कब एक हो गए दोनों को पता ही नहीं चला राजू पूरी तरह से मदहोश हो चुका था अपनी मां के लाल लाल होठों को अपने होठों से लगाकर उसे ऐसा महसूस हो रहा था कि जैसे वह शराब की बोतल को पूरा का पूरा अपने होठों से लगा लिया हो पल भर में उसके तन बदन में नशा छाने लगा था आंखों में खुमारी छाने लगी थी और यही हाल मधु का भी था,,, मधु कभी सपने में नहीं सोचा थी कि वह अपने बेटे की संगत में इस तरह से निर्लज्ज हो जाएगी कि अपने ही बेटे के साथ रंगरेलियां मनाने पर उतारू हो जाएगी,,, क्योंकि खेत पर बुलाने का उसका ही बहाना था वह अपने बेटे के साथ एक बार फिर से चुदाई का खेल खेलना चाहती थी क्योंकि उससे रहा नहीं जा रहा था अपने पति के साथ अब उसे मजा नहीं आता अपने बेटे के मोटे लंड़की रगड़ उसे अपनी बुर के अंदर फिर से महसूस करना था,,,

राजू भी अपनी मां को अपने रंग में रंग लिया था दोनों मां-बेटे के सर पर वासना का तूफान छाया हुआ था जो कि अपना असर दिखा रहा था मधु अपने लाल-लाल होठों को अपने बेटे के लिए खुल चुकी थी और राजू अपनी जीभ को अपनी मां के मुंह में डालकर उसके लार को चाट रहा था,,,, इस तरह के चुंबन का सुख आज तक उसके पति ने नहीं दिया था और ना ही इस तरह से कभी चुंबन किया था लेकिन राजू उसे एक अद्भुत चुंबन की भाषा सिखा रहा था जिसमें औरत और मर्द दोनों कैसे एक दूसरे में खो जाते हैं राजू एक तरह से मधु के लिए संभोग के अध्याय का शिक्षक था जो उसे नए-नए क्रियाकलापों से अवगत करा रहा था और उन क्रियाकलापों का उसे भरपूर आनंद भी दे रहा था,,,,

देखते ही देखते अपनी मां की बुर को सहला रही उंगलियों को कब उसने अपनी मां की बुर में डाल दिया यह मधु को पता ही नहीं चला और वह अपनी उंगली को अपनी मां की बुर के अंदर बाहर करना शुरू कर दिया देखते ही देखते चुंबन में लीन मधु के मुख से गरमा गरम सिसकारियां निकलने लगी चौकी इस समय इस तरह के खुले वातावरण में उन दोनों के सिवा सुनने वाला और कोई नहीं था अपनी मां की गरमा गरम सिसकारियों को सुनकर राजू के तन बदन में आग लग रही थी,,,, मधु से बिल्कुल भी रहा नहीं जा रहा था मधु के तन बदन में अकड़न बढ़ने लगी थी ऐसा लग रहा था कि किसी भी वक्त उसकी बुर से पानी का फव्वारा फूट पड़ेगा और इसीलिए वह तुरंत अपनी जगह से खड़ी हुई और अपनी साड़ी को कमर तक उठाए हुए ही ठीक अपने बेटे के सामने आ गई उसका बेटा अभी भी पेशाब करने की मुद्रा में बैठा हुआ था और राजू को समझ पाता इससे पहले ही मधु अपने दोनों हाथों से राजू के बाल को पकड़कर उसके प्यासे होठों को अपनी बुर से सटा ली अपनी मां की यह कामुक मदहोश कर देने वाली हरकत देखते ही रह चुके तन बदन में आग लग गई और वह तुरंत अपनी जीत को बाहर निकालकर अपने मां के गुलाबी छेद में डाल दिया और उसकी मलाई को चाटना शुरू कर दिया,,,।


सहहहरह आहहहहह आहहहहहहह राजू मेरे बेटे पूरी जीभ डालकर चाट,,,,(ऐसा कहते हुए मधु पूरी तरह से मदहोश और उत्तेजित होकर अपनी कमर को हिला रही थी और ऐसा करने से राजू अपनी जगह पर ठीक से बैठ नहीं पा रहा था,,, अपनी मां की योग्यता भरी उत्तेजना को देखकर राजू भी अत्यंत उत्तेजित हुआ जा रहा था,,, और वह तुरंत अपनी स्थिति को बदलते हुए घुटनों के बल बैठकर अपनी स्थिति को मजबूत कर लिया और तुरंत अपने दोनों हाथ को साड़ी में डालते हो अपनी मां की कमर को थाम लिया और उसकी नरम नरम गांड पर अपनी उंगलियों को रखकर दबाव देते हुए उसे अपनी तरफ खींच लिया और जितना हो सकता था उतना अपनी जीभ को बुर में डालकर चाटना शुरू कर दिया,,,,,।

मधु की हालत पल-पल खराब होती जा रही थी उसकी गरमा गरम सांसे तेज होती जा रही थी उसकी सिसकारियां की आवाज से पूरा खेत गूंज रहा था,,, शायद खुलकर इस तरह की गरमा गरम शिसकारियों का आनंद हुआ खुद पहली बार ले रही थी,,,, इस तरह से खुले खेतों के बीच इस तरह की काम क्रीड़ा के बारे में वह कभी सोची भी नहीं थी और ना ही उसके पति ने कभी इस तरह का मौके का फायदा उठाते हुए उसके साथ इस तरह की काम क्रीड़ा का खेल खेला था लेकिन उसके बेटे ने उसे अद्भुत सूखी देते हुए खेतों के बीचो बीच उसकी बुर चाटते हुए उसे मदहोश कर रहा था,,,, उत्तेजना बस अपने आप ही मधु की कमर एक मर्द की भांति आगे पीछे हो रही थी ऐसा लग रहा था कि वह अपने बेटे के मुंह को चोद रही हो बुर से निकला बदन रस की चिपचिपाहट से राजू का पूरा चेहरा गिला हो चुका था और उसमें से आ रही मादक खुशबू से राजू के तन बदन में आग लगी हुई,,,, मधु इतना ज्यादा उत्तेजित हो जा रही थी कि अपना एक पाव उठाकर अपने बेटे के कंधे पर रख दे रहे थे उसे अपनी बुर से दबा ले रही थी,,, इस तरह की उत्तेजना और काम चेस्टा वह पहले कभी नहीं की थी,,,, उसके जीवन का यह पहला अवसर था जब वह अपने बेटे के साथ मनमानी कर रही थी,,,,,।

राजू औरत को खुश करने का हुनर अच्छी तरह से जानता था इसलिए जितना हो सकता था आपने जीव को उसकी बुर की गहराई में उतार दे रहा था और लगातार अपनी मां की बड़ी-बड़ी गांड को अपनी हथेली में लेकर दबा रहा था,,, मदहोशी भरे आनंद के सागर में गोते लगाते हुए रह-रहकर मधु के हाथों से उसकी साड़ी छूट जा रही थी जिससे राजू पूरी तरह से अपनी मां के साड़ी के अंदर आ जा रहा था और और उसी स्थिति में मधु अपनी कमर हिला कर अपनी बेटे के मुंह को ही चोद रही थी,,,, लेकिन इस तरह से साया के अंदर आ जाने से राजू को बहुत ज्यादा गर्मी का एहसास होने लगता था वह तो वह खुद ही अपनी मां की साड़ी उठाकर फिर से कमर तक कर देता था और फिर वापस उसी क्रिया में लग जा रहा था,,,, राजू अपनी जीभ का करामत दिखाते हुए अपनी मां को स्वर्ग का सुख दे रहा था इस तरह का सुख की कल्पना कभी मधु ने नहीं की थी,,,,,,,,

राजू और मधु दोनों पसीने से तरबतर हो चुके थे क्योंकि दोनों एकदम धूप में खड़े थे लेकिन जिस तरह का शुभ दोनों को मिल रहा था उससे उन दोनों को धूप गर्मी का एहसास बिल्कुल भी नहीं हो रहा था भले ही दोनों का बदन पसीने से भीगा हुआ था आखिरकार दोनों मेहनत भी तो उसी तरह की कर रहे थे इसलिए पसीना बहना लाजमी था,,,, देखते ही देखते मधु का बदन अकड़ने लगा उसकी सांसे बड़ी तेजी से चलने लगी और वह अपने बेटे के बाल को कस के पकड़ कर अपने बुर से उसके होंठ को कच कचा के सटाकर झड़ना शुरू कर दी उसकी बुर से गर्म लावा बाहर निकलने लगा और राजू बेहद उत्साहित और उत्सुक था वह जीभ लगाकर अपनी मां की बुर से निकले हुए मदन रस को अमृत की धार समझकर अपने गले के नीचे घटक ने लगा कसैला स्वाद भी उसे मधुर लग रहा था और देखते ही देखते वह तब तक अपनी मां की बुर में चिप डालकर जागता रहा जब तक की बुर से निकला पानी साफ नहीं हो गया,,,

मधु अभी भी गहरी गहरी सांस लेते हुए अपने बेटे के मुंह पर कमर का झटका मार रही थी,,,,,,, राजू की पूरी तरह से मस्त हो चुका था लेकिन वह जानता था यह तो शुरुआत है अभी तो खेतों में काम बहुत बाकी है और वह जानता था कि खेत में इस तरह का काम करने में बहुत मजा आने वाला है,,,।
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मधु अपनी बुर को अपने बेटे के मुंह पर र करते हुए एक अद्भुत चर्मसुख को प्राप्त करते हुए झड़ चुकी थी और उसकी बुर से निकला हुआ मदन रस का एक-एक बूंद राजू अपनी जीभ से चाट कर अपने गले के नीचे घटक गया था,,, बिना लंड को अपनी बुर में ले झड़ जाने का एक अपना अलग ही मजा होता है और इस अनुभव को राजू की संगत में मधु बार-बार महसूस कर रही थी,,,,, राजू ही था जो अपनी मां को बिना शारीरिक संबंध बनाए हैं सिर्फ हरकतों से ही गर्म करके पानी निकाल देता था और इससे मधु बेहद खुश भी थी खुले आसमान के नीचे घने खेतों के बीच मधु पहली बार इस तरह की सुख का अनुभव कर रही थी वह पूरी तरह से मस्त हो चुकी थी अभी भी संजू घुटनों के बल बैठा हुआ था और अपनी मां की गांव को दोनों हाथों से दबाए हुए अभी भी वह अपनी मां के बुर को अपने होठों से लगाया हुआ था,,,, क्योंकि अभी भी झड़ते हुए मधु अपनी कमर का झटका लगा दे रहे थे झढ़ते समय मधु का चेहरा देखने लायक होता था उसका गोरा मुखड़ा लाल टमाटर की तरह तमतमाने लगता था आंखें अपने आप ही बंद हो जाती थी,,, हॉट खुले के खुले रह जाते थे और सांसे की गति इतनी तेज की छातियों की शोभा बढ़ा रही दोनों खरबूजा जैसी चूचियां ऊपर नीचे होते हुए उसकी मदहोशी की कहानी खुद ही बयां कर रही होती,,,,,, राजू और मधु के नजरिए से देखा जाए तो इस तरह का नजारा बेहद कम होते जना से भरपूर और मदहोश कर देने वाला था लेकिन सामाजिक नजरिए से देखा जाए तो यह नजारा बेहद शर्मसार कर देने वाला था बेहद शर्मनाक दृश्य बना हुआ था समाज के नजरिए से एक अपनी साड़ी को कमर तक उठाए खड़ी थी और उसका बेटा घुटनों के बल बैठकर अपनी मां की बड़ी-बड़ी गांड को हथेली में दबाते हुए उसकी बुर पर अपना होंठ लगाकर चाट रहा था,,,,।

वासना का तूफान कुछ देर के लिए थम चुका था मधु अपनी सांसो को दुरुस्त करने में लगी हुई थी राजू भी अपने होठों को अपनी मां की रसीली बुर से हटाकर घुटनों के बल बैठा हुआ अपनी मां की तरफ देख रहा था मधु भी अपने बेटे की तरफ देखकर गहरी गहरी सांस ले रही थी दोनों मां-बेटे पूरी तरह से मदहोशी के सागर में गोते लगाने को एक बार फिर से तैयार थे,,,, मधु कभी सपने में भी नहीं सोची थी कि वह अपने ही सगी बेटी के साथ इस तरह कदर खुल जाएगी कि उसके साथ बेशर्मी की सारी हदें पार कर देगी लेकिन बेशर्मी की हद पार करने में ही जिंदगी का असली मजा था इस बात का एहसास उसे होने लगा था वह राजू की तरफ देख कर मुस्कुरा रही थी राजू भी मुस्कुरा रहा था और राजू मुस्कुराते हुए बोला,,


सच में मां तुमने आज मुझे एकदम खुश कर दी अपना पानी पिला कर,,,,
(अपने बेटे की बातें सुनकर माध्यम से शरमा गई और बिना कुछ बोले कमर तक उठाए हुए अपनी साड़ी को एक झटके में नीचे गिरा दी और एक अद्भुत खूबसूरत नजारे पर पर्दा गिरा दी,,,, राजू भी अपनी जगह पर खड़ा होता हुआ बोला,,,) सच में मां तुम पेशाब करते हो इतनी खूबसूरत लगती हो जैसे कि स्वर्ग से उतरी हुई कोई अप्सरा बैठकर मुत रही हो,,,,


क्या मैं तुझे इतनी अच्छी लगती हुं,,,(इतना कहने के साथ ही पेशाब की हुई जगह पर अपने पैर बचाकर वापस झोपड़ी की तरफ लौटते हुए वह बोली)

मत पूछो तुम मुझे कितनी खूबसूरत लगती हो मेरा बस चलता तो मैं तुमसे शादी कर लेता और फिर जिंदगी भर तुम्हारी बुर में लंड डालकर पड़ा रहता,,,

वह तो तू अभी भी कर सकता है,,,

हां कर तो सकता हूं लेकिन फिर किसी का डर नहीं रहता ना,,,

हां यह बात तो है,,,,(इतना कहने के साथ ही मधु झोपड़ी के पास आ गई हो खटिया को अपने हाथों से गिरा कर उस पर बैठ गई उसके पास में राजू भी बैठ गया,,,, कुछ देर तक दोनों इसी तरह से बैठे रहे मधु रह रह कर मुस्कुरा रही थी ऐसा लग रहा था कि जैसे वह अपने बेटे के साथ नहीं बल्कि अपने प्रेमी के साथ बैठी हो,,, अपनी मां के चेहरे की तरफ देखते हुए राजू बोला)

चलो थोड़ा काम कर लेते हैं उसके बाद फिर खेल शुरू करते हैं,,,

कौन सा काम,,,?(मधु अपने होठों पर मादक मुस्कान लाते हुए बोली)

खेत का काम और कौन सा इसीलिए तो तुम मुझे यहां पर बुलाई थी ना,,,,

अरे बुद्धू तुझे खेत जोतने के लिए नहीं बल्कि (दोनों टांगों के बीच उंगली से इशारा करते हुए) अपना खेत जोतने के लिए एक बहाने से बुलाकर लाई हूं,,,
(अपनी मां की बात सुनते ही राजू एकदम से खुशी से झूम उठा और बोला)

क्या सच में तुम एकदम चुदवासी हो गई हो,,,,

हा रे कई दिन हो गए थे तेरे लंड को अपनी बुर में लिया कसम से तू सच कहता था कि मैं तेरी गुलाब बन जाऊंगी और ऐसा ही हो रहा है पता है अब तो तेरे पिताजी से चुदवाने में मुझे बिल्कुल भी मजा नहीं आता और तू सच कहता है कि तेरे लंड से आधा ही है तेरे पिताजी का लंड और जो हो रखते लंड को एक बार अपनी बुर में ले ले फिर पतले लंड से उसकी प्यास कहां बुझने वाली है,,,,

मुझे मालूम था मेरी रानी मेरे नीचे आने के बाद तुम भी पागल हो जाओगी दोबारा लेने के लिए,,,,

तुझे अपने लंड पर सच में इतना ज्यादा भरोसा था,,,

तो क्या जब भी खड़ा होता है तो मैं समझ जाता हूं कि जिसकी भी बुर में घुसेगा उसे पूरी तरह से मस्त करके ही बाहर निकलेगा,,,,,,,

हां सो तो है तेरे लंड की मोटाई और लंबाई देखकर ही मैं समझ गई थी कि अगर यह मेरी बुर में गया तो रगड़ रगड़ कर पानी निकालेगा,,,, तुझे पता है अब तो तेरे पिताजी का लंड मेरी बुर में जाता है तो मुझे पता ही नहीं चलता है कि अंदर गया है लेकिन तेरा लंड जैसे ही अंदर जाता है ना अंदर की दीवारों को पूरी तरह से रगड़ रगड़ कर‌ नीचोड निचोड़ कर पानी निकाल देता है,,,,,,,

मुझे बहुत खुशी है कि मैं तुम्हें खुश करने में कामयाब हो गया वरना अगर जिस तरह से मैं तुम्हारे पीछे पड़ा था अगर डालते ही पानी निकल जाता तो तुम शायद मुझे फिर कभी अपने बदन को हाथ नहीं लगाने देती,,,

हां सो तो है मर्द उसे थोड़ी ना कहते हैं कि औरत को गर्म करके बीच मझधार में ही छोड़कर अपना किनारा पकड़ ले मर्द तो उसे कहते हैं जो औरत को पूरी तरह से अपनी बाहों में जकड़ कर उसे पूर्णतः संतुष्टि का अहसास दिखाएं और उसे खुश करने के बाद किनारे पर पहुंचे,,,, लेकिन मानना पड़ेगा तेरे में बहुत ताकत है रात भर तूने मेरी जमकर चुदाई किया और सुबह सुबह नहाते हुए भी दो बार चोद दिया और तो और घर पर पहुंचने के बाद भी तूने मेरी जमकर चुदाई किया कसम से मैं कभी सोच नहीं थी कि एक आदमी इतनी बाहर जो देख सकता है क्योंकि तेरे पिताजी एक बार में ही ढेर हो जाते थे और वह भी शुरू से यही आदत थी,,, तुझे पता है तेरे से चुदवाने के बाद 2 दिन तक में ठीक से चल नहीं पाई थी मेरी बुर सूजी हुई थी हल्दी वाला दूध 2 दिन पी तब जाकर आराम हुआ,,,

क्या करूं मेरी जान पहली बार जो तुमने सेवा करने का मौका दी थी इसलिए किसी भी तरह का कसर नहीं बाकी रखना चाहता था,,,

धत् मजा तो देता है लेकिन तकलीफ भी तु बहुत देता है,,,

क्या मैं फिर तुमको चुदाई ही क्या जिसमें तकलीफ ना हो आराम से डाला और निकाला और झड़ गया इतने से क्या मजा आता है क्या जब तक औरत ऊहहहह ऊहहहहह आरहहह ना कर दे तब तक चोदने का मजा ही नहीं आता,,,,।
(मधु एक बार झड़ चुकी थी लेकिन अपने बेटे की बातों को सुनकर फिर से उसका बदन कर्म हमें लगा था वह बार-बार अपने बेटे के पजामे की तरफ देख रही थी और उसे राह नहीं किया तो वह खुद आप आगे बढ़ाकर पजामे के ऊपर से ही अपने बेटे के लंड को पकड़ कर बोली)

बाप रे देख तो सही कैसे लोहे की तरह खड़ा है,,

खड़ा तो रहेगा ही ना तुमने इसकी सेवा ही कहा कि हो बस अपना पानी निकालती लेकिन इसका कौन निकालेगा,,,

अरे मैं हूं ना,,, मेरे रहते अब तुझे प्यासा रहने की जरूरत नहीं है चल उठ खड़ा हो और मेरे सामने आजा,,,,(पजामे के ऊपर सही अपने बेटे के लंड को पकड़े हुए ही राजू को उठाई और लंड को पकड़े हुए हैं उसे ठीक अपने सामने लाकर खड़ा कर दी राजू पूरी तरह से अपने आपको अपनी मां के हाथों में सौंप दिया था वह अपने दोनों हाथों को छाती पर बांध कर खड़ा हो गया था और मधु मदहोश होते हुए बेशर्मी दिखाते हुए अपने बेटे के पजामी को दोनों हाथों से पकड़ कर उसे नीचे की तरफ खींच दी है और जैसे ही राजू का लंड पजामे की कैद से आजाद हुआ वह खुली हवा में सांस लेता हुआ ऊपर नीचे करके हिलने लगा जिसे देखकर मधु की बुर पानी छोड़ने लगी,,,,)

बाप रे ऐसा लगता है कि पहली बार ही देख रही हूं,,,(इतना कहने के साथ ही मधु अपनी बेटी के लंड को अपने हाथ में पकड़ लिया और उसे आगे पीछे करने लगी)

सच कहूं तो मां तुम मेरे लंड को अच्छी तरह से पहली बार ही देख रही हो दिन के उजाले में वरना रात भर चुदवाने के बाद भी तुमने ठीक से मेरे लंड को देख नहीं पाई थी क्योंकि खंडार में रात का अंधेरा था और जलती हुई लकड़ी की रोशनी में ठीक से नजर नहीं आता था लेकिन फिर भी मैं दावे के साथ कह सकता हूं कि मेरे लंड के दर्शन करके तुम्हारी बुर पानी छोड़ दी होगी,,,

इसमें भी कहने वाली बात है क्या मेरी क्या कोई औरत भी देखती तो उसका भी पानी छूट गया होता,,,,

हाय मुझे तो पता ही नहीं था कि मेरी मां इतना तड़प रही थी मेरे लंड के लिए अगर पता होता तो बैलगाड़ी में ही चोद दिया होता,,,,

तो अब कौन सा तू बाकी रख रहा है इसी काम के लिए तो तुझे यहां लेकर आई हूं ,,(अपनी नरम में कम हथेली में अपने बेटे के लंड को पकड़कर आगे पीछे करके मुठीयाते हुए बोली राजु अपनी मां की हरकत से पूरी तरह से मदहोश हो जा रहा था वह धीरे-धीरे अपनी कमर को आगे पीछे पिलाना शुरू कर दिया था आगे कुछ और बोल पाता या उसकी मां कुछ बोल पाती इससे पहले ही अपना एक हाथ आगे बढ़ाकर अपनी मां के सर को पकड़ लिया और उसे धीरे-धीरे अपने लंड की तरफ नीचे की तरफ जाने लगा और देखते ही देखते मधु अपने बेटे की प्यास बुझाने का जिम्मा अपने सर पर उठाते हुए अपने बेटे के लंड को अपने लाल-लाल होठों को खोल कर उसे अपने अंदर ले ली और उसे चाटना शुरू कर दी,,, मधु इतने चाव से अपने पति के लंड को मुंह में लेकर प्यार नहीं करती थी लेकिन राजू की बात कुछ और थी राजू ने उसे मुंह में लेकर चूसने का एक नया कला और आनंद से अवगत कराया था जिसमें उसे बेहद आनंद की प्राप्ति हो रही थी और वह उसी आनंद की प्राप्ति के लिए अपने बेटे के लंड को धीरे-धीरे करके अपने गले तक उतार ले रही थी हालांकि उसे सांस लेने में दिक्कत आ जाती थी लेकिन फिर भी वह अपने बेटे के लंड को छोड़ना नहीं चाहती थी,,,।


सहहहरह आहहहरहह कितना मजा आ रहा है तू सच में मां लंड को बहुत अच्छे से चुस्ती है बस ऐसे ही पूरा मुंह में लेकर चूस आहहहहह आहहहहह मेरी रानी तूने मुझे बहुत मस्त कर दी है,,,(इतना कहने के साथ ही राजू अपनी कमर को धीरे-धीरे खिलाना शुरू कर दिया था मानो कि जैसे वह अपनी मां के मुंह को ही चोद रहा हो और मधु भी जानबूझकर अपने लाल-लाल होठों को गोल करके दबा ली थी ताकि उसके बेटे को उसकी कसी हुई बुर जैसा ही मजा मिले,,, झोपड़ी के बाहर बिछी हुई खटिया पर मधु गांड पसार कर बैठी हुई थी और राजू की उसके सामने खड़ा था उसका मोटा तगड़ा लंबा लंड मुंह में गले तक चला जा रहा था और मधु अपने बेटे की हिलती हुई कमर के साथ-साथ अपना मुंह भी आगे पीछे कर रही थी जिससे राजू को और ज्यादा मजा आ रहा था वह पूरी तरह से मदहोश हुआ जा रहा था अपनी मां के मुंह में लंड पेलते हुए वह थोड़ा सा नीचे झुका और अपनी मां के ब्लाउज के बटन को खोलना शुरू कर दिया,,, और देखते ही देखते वह अपनी मां के ब्लाउज के बटन को खोल कर उसके नंगी चूचियों को आजाद कर दिया और दोनों चुचियों को दोनों हाथों में लेकर दबाते हुए बोला,,,।

हाय मेरी जान तेरी चूचियां कितनी लाजवाब है एकदम खरबूजा की तरह बड़ी बड़ी,,,आहहहहह तेरी चूची,,, पिताजी को तूने बहुत मजा दे अब मेरी बारी है,,,,ऊममममम (अपने सूखे हुए होठों पर अपनी जीभ फिराते हुए राजू बोला,,,,,,, मां बेटे पूरी तरह से मदहोश हो चुके थे मां बेटे के पवित्र रिश्ते की दीवार को दोनों ने मिलकर गिरा दिए थे दोनों के बीच मां बेटी का नहीं बल्कि एक मर्द औरत का रिश्ता बन चुका था जोकि धीरे-धीरे और गहरा होता जा रहा था,,,, अपनी मां की खरबूजे जैसी बड़ी-बड़ी गोरी गोरी चूचियों को दबा दबा कर राजू ने टमाटर कि तरह लाल कर दिया था,,, एक बार फिर से मधु की बुर अपने बेटे के लंड के लिए तड़प उठी थी हालांकि अभी तक राजू ने अपनी मां की बुर में लंड डाला नहीं था कि उसे अपनी जीभ से ही झाड़ दिया,,, था,,,,, मधु मदहोशी और चुदासी की हालत में अपने बेटे के लंड को जोर-जोर से मुंह में लेकर अंदर बाहर करने थे यह देखकर राजू समझ गया था कि उसकी मां पूरी तरह से गर्म हो चुकी है इसलिए वो धीरे से अपने लंड को बाहर निकाला,,, मुंह में से लंड के बाहर निकलते ही मधु गहरी गहरी सांस लेने लगी ऐसा लग रहा था कि राजू का इस तरह से मधु के मुंह में से लंड को बाहर खींच लेना मधु को बिल्कुल भी अच्छा नहीं लग रहा था,,,, थूक और लार से सने हुए अपने लंड को हाथ में लेकर हिलाते हुए राजू बोला,,,।


हाय मेरी जान तूने तो अपना थूक लगा लगा कर मेरे लंड को अपनी बुर में डालने के लिए तैयार कर दि है अब देखना इसका कमाल कैसा तुम्हारी बुर में धमाल मचा ता है,,,(इतना कहने के साथ ही राजू अपनी मां की कंधों को पकड़कर उसे खटिया पर लेट जाने के लिए इशारा किया और उसकी मा भी उत्तेजना बस अपने बेटे के लंड को अपनी बुर में लेने के लिए पीठ के बल खटिया पर लेट गई और राजू खटिया पर घुटनों के बल चढ़कर अपने लिए जगह बनाने लगा देखते ही देखते ना जो अपनी मां की दोनों टांगों के बीच आ गया मधु ने खुद अपनी साड़ी को ऊपर की तरफ खींच कर कमर पर इकट्ठा करती थी और अपनी नंगी बुर को अपने बेटे के सामने परोस दी थी अपनी मां की पानी से चिपचिपाती हुई बुर को देखकर राजू के मुंह के साथ-साथ उसके लंड में भी पानी आ गया राजू से बिल्कुल भी रहा नहीं जा रहा था लंड पूरी तरह से धड़क रहा था और वह अपनी मां की तपती हुई बुर में घुसने के लिए तैयार हो चुका था देखते ही देखते राजू अपनी मां की दोनों टांगों के बीच एकदम से जगह बनाते हुए अपनी मां की कमर को दोनों हाथों से पकड़कर अपनी तरफ खींचा और अपनी मां की बड़ी-बड़ी आधी गांड को अपनी जांघों पर रख लिया,,, मधु की रसीली पुर पुर राजू के लंड का सुपाड़ा दोनों बेहद करीब आ चुके थे वह आज दोनों में एक अंगुल का ही फासला था जिसकी वजह से बुर की तपन जोकि भट्टी की तरह गर्म हो चुकी थी उसकी गर्माहट राजू अपने लंड पर एकदम साफ महसूस कर रहा था जिसकी वजह से वह और ज्यादा उत्तेजित हो गया देखते ही देखते राजू रोकड़े लंड की मोटे सुपारी को अपनी मां की गुलाबी छेद पर रख दिया और हल्के से अपनी कमर को धक्का दिया और पहले प्रयास में ही पूरा का पूरा आलूबुखारा के माप का सुपाड़ा मधु की बुर में समा गया और जैसे ही वह बुर के गुलाबी पत्तियां नुमा दरवाजे को खोलकर अंदर प्रवेश किया वैसे ही मधु के मुंह से हल्की सी चीख निकल पड़ी लेकिन यह चीज उसकी आनंद की परिभाषा दें और पल भर में ही दूसरे ही प्रयास में राजू ने अपना आधा लंड अपनी मां की बुर में घुसा दिया था,,, तूफानी बारिश वाली रात से लेकर के अब जाकर मधु और राजू को एक होने का मौका मिला था इसलिए फिर से ऐसा लग रहा था कि दोनों के बीच पहली बार जुदाई हो रही है इसलिए तो उत्तेजना और उत्साह में मधु पूरी तरह से गदगद हो चुकी थी ब्लाउज खुला होने की वजह से उसकी नंगी चूचियां छाती पर लहरा रही थी लेकिन उसे अपने हाथों में पकड़ने के लिए अभी ठीक समय नहीं था क्योंकि वह अभी अपने पूरे लंड को अपनी मां की बुर में घुसा देना चाहता था और देखते ही देखते अपनी मां की कमर को थामे हुए राजू ने अगला धक्का एकदम कचकचा कर लगाया और लंड बुर की अंदरूनी अड़चनों को दूर करता हुआ सीधे बच्चेदानी से जा टकराया और एक बार फिर से मधु के मूंह से चीख निकल गई,,,,।)

ओहहहहह मा मर गई रे,,,

बस बस हो गया मेरी रानी अब देख कितना मजा आता है,,,

अरे तेरे मजा के चक्कर में मेरी बुर फट जाएगी,,,

नहीं मेरी जान मैं ऐसा नहीं होने दूंगा,,, क्योंकि अब तेरी बुर पर मेरा हक है,,,,और मैं तेरी खुबसूरत बुर को ईस‌ तरह से फटने नहीं दुंगा,,, क्योंकि इसमें ही तो डाल कर मुझे अपनी प्यास बुझानी है,,, अब देख मैं तुझे कैसे चोदता हूं,,,।
(और इतना कहने के साथ ही राजू अपनी कमर हिलाना शुरू कर दिया देखते ही देखते राजू का मोटा तगड़ा लंड उसकी मां की बुर में अंदर बाहर होना शुरू हो गया और उसके अंदर बाहर होने के साथ ही मधु के तन बदन में उत्तेजना की लहर उठने लगी उसकी बुर की अंदरूनी दीवारों से उसका मदन रस पसीजने लगा,,,, देखते ही देखते मधु को एक बार फिर से मजा आने लगा अपने बेटे के लंड को अपनी बुर में लेकर वह पूरी तरह से मदहोश हो जा रही थी ऐसा लग रहा था कि जैसे कोई उसे अपनी बाहों में लेकर हवा में उड़े लेकर चला जा रहा है उसे स्वर्ग का सुख प्राप्त हो रहा था हर एक धक्के ने उसकी चीख निकल जा रही थी लेकिन हर एक चीज के पीछे बेशुमार आनंद छुपा हुआ था जिसके मदहोशी में वह पूरी तरह से भीग जा रही थी,,,

राजू के हर धक्के के साथ उसकी बड़ी बड़ी चूचियां पानी पर गुब्बारे की तरह छाती पर लौट रही थी,,, जिसे राजू अपना दोनों हाथ आगे बढ़ाकर उसे अपनी हथेली में दबा लिया और दशहरी आम की तरह जोर-जोर से दबाते हुए धक्के पर धक्के लगाने लगा ,,, वैसे भी मर्दों को सबसे ज्यादा मजा औरतों की चूची पकड़कर धक्के लगाने में आता है और वही सुख राजू अपनी मां से प्राप्त कर रहा था मधु की बड़ी-बड़ी चूचियां ऐसा लग रहा था कि राजू के लिए लगाम का काम कर रही थी जिससे वह अपनी मां को पूरी तरह से अपने काबू में किया हुआ था,,,,।

सहहहरह आहहहहह राजू मेरे बेटे तेरा लंड को ज्यादा ही मोटा है बहुत मजा आ रहा है बेटा इसी तरह से धक्का लगा तेरी जुदाई में तो मुझे स्वर्ग का सुख मिल रहा है अब तक तो तेरे पिताजी के छोटे लंड से चुदाई कर मुझे पता ही नहीं चला कि कोई इस कदर भी अपने लंबे लंड से चुदाई कर सकता है और वह भी इतनी देर तक बहुत मजा आ रहा है बेटा रुकना नहीं,,,,आहहहहह ,,,,

तू चिंता मत कर मेरी रानी मेरे लिए समय तो एकदम थोड़ी हो गई और मैं तेरे ऊपर सवार हो गया हूं इसे अपनी मंजिल तक पहुंचाने के बाद ही तुझे छोड़ुगा,,,आहहररह मेरी जान तेरी कसी हुई दूर बहुत मजा देती है ऐसी तो जवान लड़कियों की भी नहीं होगी जैसा कि तेरी बुर‌ है,,,

आहहहह तो पूरा मजा लेना हरामि पूरा मादरचोद हो गया है तू,,,

तूने ही तो मुझे मादरचोद बनाई है भोसड़ा चोदी तेरी भोंसड़ी के चक्कर में ही मादरचोद बन गया,,, लेकिन तेरा भोंसड़ा मुझे बहुत मजा दे रहा है,,,

तो घुस जा फाड़ कर अंदर,,,

अरे छिनार मेरा बस चलता तो सही में तेरी भोंसड़ी में जाकर बैठ जाता,,,,

तो चलाना अपना बस,,,, तेरे आगे मेरी कहां चल रही है,,, चला,,,,,

ले भोसडा चोदी मादरचोद रंडी एकदम छिनार हो गई है तू देख मैं तेरी कैसी प्यास बुझाता हूं अपने लंबे लंड से मेरा लंड तेरी बुर में ही जाने के लिए बना है,,,।
(और राजू ताबड़तोड़ घोड़े की लगाम अपने हाथों में लिए हुए उसे दौड़ाना शुरू कर दिया दोनों मां-बेटे के बीच अब किसी भी प्रकार का शर्म नहीं बचा था दोनों एक दूसरे को तू तड़ाका के साथ-साथ गंदी गालियों से बात कर रहे थे जिससे दोनों का मजा बढ़ता जा रहा था दोनों पूरी तरह से जोश में आ चुके थे राजू ऊपर से धक्के लगा रहा था और मधु कोशिश करते हुए नीचे से अपनी कमर उतार रही थी और कामयाबी हो रही थी अपनी मां को इस तरह से कमर उछलता हुआ देखकर राजू का जोश और ज्यादा बढ़ गया था और वह अपनी मां की चूची को पकड़कर जोर-जोर धक्के लगा रहा था ऐसा लग रहा था कि जैसे आज वह सच में अपनी मां का भोसड़ा फाडकर उसमें घुस जाएगा,,, मधु के साथ साथ खटिया की भी हालत खराब होती जा रही थी उसमें से लगातार चरण चरण की आवाज आ रही थी मधु को इस बात का डर था कि कहीं खटिया टूट ना जाए क्योंकि राजू के धक्के बड़े तेजी और एकदम बलशाली थे उसके हर एक धक्के पर मधु की चीख निकल जा रही थी देखते ही देखते मधु पूरी तरह से मदहोश हो गई थी,,,, लेकिन खटिया टूट जाने का डर उसके अंदर पूरी तरह से भर गया था और वह बोली,,,।

बस बस जोर से नहीं खटिया टूट जाएगी,,,

खटिया टूटे या फिर तेरी दूर फटे आज में रुकने वाला नहीं हूं,,,,(इतना कहते हो राजू फिर से अपनी कमर जोर-जोर से हिलाना शुरू कर दिया खटिया से लगातार चरण चरण की आवाज आ रही थी इस बात का अंदेशा राजू को भी हो गया था लेकिन वहां रुकना नहीं चाहता था लेकिन मधु उसे कसम देकर रोक दी और बोली ,,,,)

नहीं नहीं राजू खटिया टूट जाएगी तो खामखा इसे बनाने की जहमत उठानी पड़ेगी,,,, चल झोपड़ी में लेकर चल मुझे वहीं पर मुझे चोदना,,,,।
(खटिया टूटने का डर दोनों के रंग में भंग डाल चुका था लेकिन राजू इस रंग में भंग नहीं पड़ने देना चाहता था इसलिए वह धीरे से अपनी मां को अपनी बाहों में कस लिया और उसकी बुर में लंड डाले हुए ही धीरे-धीरे उठना शुरू कर दिया और देखते ही देखते वह खटिया से नीचे उठ कर खड़ा हो गया लेकिन अपनी मां को अपनी गोद में उठा लिया था और अपने लंड को उसकी बुर से बाहर नहीं निकाला था अपने बेटे की ताकत देखकर मधु भी एकदम हैरान हो चुकी थी लेकिन पूरी तरह से आनंद में सराबोर हो चुकी थी राजू खड़ी-खड़ी अपने आप को चोदना शुरू कर दिया था और चोदते हुए उसे झोपड़ी के अंदर ले जा रहा था राजू की ताकत बहुत ही प्रभावशाली थे जो कि मधु को पूरी तरह से अपने घुटने टेकने पर मजबूर कर दी थी,,,, थोड़ी देर में राजू झोपड़ी के अंदर प्रवेश कर गया और उसी तरह से सूखी हुई घास में अपनी मां को बैठाकर उसे चोदना शुरु कर दिया थोड़ी देर तक उसके ऊपर सवार होने के बाद वह खुद पीठ के बल लेट गया और अपने ऊपर अपनी मां को ले लिया उसकी मां को पता था कि क्या करना,,,, है,,, वह अपनी भारी भरकम बड़ी बड़ी गांड को अपने बेटे के मोटे तगड़े लंड पर भटकना शुरू कर दी उसे अपने बेटे के लंड की ताकत का अंदाजा अच्छी तरह से था इसलिए वह जानती थी कि उसकी बड़ी बड़ी गांड पटक ने पर भी उसका बेटा हार नहीं मानेगा और नीचे से वह अपनी कमर उछाल रहा था दोनों पूरी तरह से मदहोश में जा रहे थे दोनों पसीने से तरबतर हो चुके थे,,, दोपहर के समय जब लोग अपने घर में आराम कर रहे थे तो दोनों मां-बेटे खेत में काम करने के बहाने से एक दूसरे की प्यास बुझा रहे थे कुछ देर तक राजू अपनी मां को अपने ऊपर लिए हुई आनंद लेता था लेकिन उसका पानी निकलने का नाम नहीं ले रहा था इसलिए वह फिर से अपनी मां को अपनी बाहों में जकड़े हुए भी उसी स्थिति में फिर से उसे नीचे कर दिया और खुद पर आ गया और फिर से धक्के पर धक्का लगाना शुरू कर दिया इस बार उसका हर एक धक्का मधु को मदहोशी की तरफ ले जा रहा था वह पूरी तरह से मस्त हो जा रही थी उसकी सांसे बड़ी तेजी से चल रही थी और देखते देते उसका बदन अकड़ने लगा उसकी गरमा गरम सिसकारी की आवाज सुनकर राजू समझ गया था कि उसका पानी निकलने वाला है वह भी अपनी मां के साथ ही जुड़ना चाहता था और वह अपने धक्कों की रफ़्तार और ज्यादा बढ़ाते हुए देखते ही देखते अपनी मां के ऊपर ही हांफने लगा दोनों मां बेटे एक साथ झड़ चुके थे,,, कुछ देर तक दोनों उसी स्थिति में लेटे रहे दोनों आराम कर रहे थे लेकिन राजू का लंड अभी भी मधु की बुर में था तकरीबन 1 घंटे तक दोनों उसी स्थिति में लेटर ही आराम करते रहे फिर मधु धीरे से राजू को अपने ऊपर से उठाने लगे और राजू अपनी मां के ऊपर से उठते हुए अपने लंड को अपनी मां की बुर से बाहर खींच लिया,,,,।

तूफानी बारिश के बाद एक बार फिर से दोनों ने जमकर चुदाई का आनंद लिया था और फिर मधु बोली,,,


चलो थोड़ा काम कर लेते हैं वरना अगर गुलाबी खेत पर आएगी तो कुछ ना काम देख कर ना जाने क्या सोचेगी,,,,

ठीक है तुम बैठो मैं काम कर देता हूं,,,
(इतना कहकर राजू फरसा उठाकर जिस नाली से पानी ज्यादा था वहां की मिट्टी को इकट्ठा करने लगा और थोड़ी देर में मधु भी हल्की सी चाल बदलते हुए उसके करीब आ गई क्योंकि जिस तरह की चुदाई राजू ने किया था उससे अपनी कमर में दर्द महसूस हो रहा था,,, राजू उसी तरह से काम करता रहा देखते ही देखते शाम होने को आ गई,,, मधु भी अपने बेटे के आगे झुक कर हरी हरी घास उखाड़ रही थी गाय भैंस के लिए लेकिन अपनी मां को इस तरह से झुका हुआ देखकर उसकी बड़ी बड़ी गांड देखकर एक बार फिर से राजू के पजामें मे हरकत होने लगी,,, राजू फरसा को एक तरफ रख कर ठीक अपनी मां के पीछे जाकर खड़ा हो गया और उसकी मां कुछ बोल पाती समझ पाती इससे पहले ही साड़ी को उठाते हुए उसकी कमर तक साड़ी उठा दिया और उसकी नंगी गांड को दोनों हाथों से पकड़ लिया मधु एकदम से चौक गई और बोली,,,।

बाप रे तेरी प्यास अभी तक नहीं बुझी,,,

तुम्हारी बड़ी बड़ी गांड देखकर एक बार फिर से मऐ प्यासा हो गया हूं,,,,
(और इतना कहने के साथ ही अपनी मां की इजाजत पाए बिना ही राजू अपने पजामे में से अपने लंड को बाहर निकाल कर एक बार फिर से अपनी मां की बुर में डाल दिया और उसे चोदना शुरू कर दिया,,,, मधु भला क्यों इंकार करती वह तो अपने बेटे से बहुत खुश थे और एक बार फिर से दोनों मजा ले करके अपने घर की तरफ चल दिए,,,।)
Shandaar update
 
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