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Incest बैलगाड़ी,,,,,

Ravi pushpak

Member
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आप एक शानदार लेखक हैं। आपके पास उत्कृष्ट कल्पना, आकर्षक शब्द और सामान्य जन द्वारा एहसास की जानेवाली कामुकता है।
 

The Infinite ™

!! कामुकता से भरपूर !!
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प्रतीक्षा में ...
 

rohnny4545

Well-Known Member
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हरिया की सुबह बेहद कामुकता भरी थी,,, अपनी प्यास बुझाने के लिए उसके पास खुदका कुंवा था जिसमें से हरदम मधुर रस झरता रहता था उस रस को पाकर हरिया पूरी तरह से तृप्त हो चुका था,,, मधु को लेकर हरिया को अपनी किस्मत पर गर्व भी होता था क्योंकि,,, मधु एकदम रूपवती थी खूबसूरती में उसका मुकाबला कोई नहीं कर सकता था,,,,,,,,, और ऐसी नारी को पत्नी के रूप में पाकर और उसे भोगकर हरिया अपनी किस्मत पर फूला नहीं समा रहा था,,, रात को चांदनी में भीगी हुई बीती ही थी लेकिन सुबह सुबह ही उसकी बीवी ने चुदाई का सुख देकर चार चांद लगा दी थी,,,।
सुबह-सुबह मधु नित्य क्रिया से निपट कर रसोई में जुट गई थी और गुलाबी पूरे घर की सफाई कर रही थी,,,,,, और आंगन में हरिया खटिया पर बैठा हुआ नीम का दातुन अपने दांतो पर घीस रहा था,,, उसके ठीक सामने नीचे झुक कर गुलाबी झाड़ू लगा रही थी जिसकी वजह से ,,, जिससे उसके दोनों नारंगीया,,, कुर्ती में से बाहर की तरफ झलक रहे थे अनजाने में ही हरिया की नजर अपनी बहन के कुर्ती के अंदर तक पहुंच गई,,,, हरिया अपनी बहन की चूची को देखते ही एक दम दंग रह गया,,, गुलाबी की चुचियों का आकार नारंगी जितना ही था जिसकी वजह से उसकी चूचियों के दोनों निप्पल छुहारे की तरह नजर आ रहे थे हरिया के लिए यह पहला मौका था जब वह पहली बार अपनी बहन गुलाबी की चुचियों को देख रहा था,,। पल भर में ही उत्तेजना से गनगना गया,,,,,,,गुलाबी इस बात से पूरी तरह से बेखबर कि उसके भाई की नजर उसके कुर्ती के अंदर है वह उसी तरह से अपने में मगन होकर झाड़ू लगा रही थी,,। लेकिन हरिया अपने आप को संभाल लिया वह जानता था कि अपनी बहन की चुचियों को देखकर उसके मन में जिस तरह की भावना पैदा हो रही है वह बिल्कुल गलत है इसलिए वह अपनी नजरों को दूसरी तरफ घुमा लिया,,,,,,,,,, वाह अपना सारा ध्यान दातुन करने में लगाने लगा लेकिन नजरों के आगे बेबस होकर एक बार फिर उसकी नजर इसी तरह चली गई जहां पर उसकी बहन झाड़ू लगा रही थी और इस बार-बार झुकी हुई थी जिसकी वजह से उसकी गोलाकार गांड भरकर सलवार के बाहर नजर आ रही थी,,,,,,गुलाबी की उभरी हुई गांड गुलाबी की गदराई जवानी की निशानी थी,,, ,,, यह नजारा हरिया के होश उड़ा रहा था गुलाबी की मदहोश कर देने वाली जवानी को देख कर हरिया समझ गया था कि उसकी बहन पुरी तरह से जवान हो चुकी है,,,। शादी की उम्र निकली जा रही है ऐसे में उसे भी एक मोटे तगड़े लंड की जरूरत है जो उसकी गदराई जवानी को पूरी तरह से अपने हाथों में समेट सके उसे भरपूर प्यार दे सके उसकी जवानी को तृप्त कर सके और,,,, यह सोचकर ही हरिया का लंड खड़ा होने लगा था,,और अपने खड़े होते लंड पर गौर करते ही उसके होश उड़ गए और जैसे अपने ही बात को काटते हुए अपने मन में बोला,,,।


नहीं नहीं यह क्या सोच रहा है यह बिल्कुल गलत है,,, ऐसा सोचना भी पाप है,,,छी,,,,, ऐसी गंदी बात उसके दिमाग में आई कैसे,,,,,,,
(इस तरह की गंदी बात को सोचकर हरिया का होश उड़ गया था वह कभी सपने में भी अपनी बहन के लिए इतने गंदे विचार अपने मन में नहीं आया था लेकिन आज उसे क्या हो गया था,,,इस तरह के विचार भी अपने मन में लाने के लिए उसके संस्कार उसे गवाही नहीं दे रहे थे,,,, अपनी नजरों को कोसने लगा और तुरंत वहां से उठ कर चला गया,,,, वह हाथ में धोकर खाने के लिए भी नहीं रुका और बैलगाड़ी को लेकर सवारी ढूंढने के लिए निकल गया,,, मधु उसे रोकने की कोशिश भी की लेकिन वह जल्दबाजी में होने का बहाना करके निकल गया,,,,,।


दूसरी तरफ झाड़ू मारते समय गुलाबी के मन में भी अजीब अजीब से ख्याल आ रहे थे रात को जिस तरह की आवाज उसके कानों में पड़ती है उसके बारे में सोच कर गुलाबी की दोनों टांगों के बीच हलचल सी हो रही थी और उसे खुद अपनी बुर में से रिसाव होता हुआ महसूस हो रहा था,,,।
झाड़ू लगाते समय अपनी भाभी की तरफ देख रही थी जो कि रोटियां बेल रही थी,,,, अपनी भाभी का भोला और मासूम चेहरे को देखकर गुलाबी सोचने लगी कि,,,, क्या यह वही औरत है जो रात को अपने आप पर बिल्कुल भी काबू नहीं कर पाती और गरमा गरम सिसकारी की आवाज निकालती है,,,,गुलाबी अपने मन में यही सोच रही थी कि उसकी भाभी के भोले भाले मुखड़े को देखकर रात में वह कैसी होगी ,,,, बिस्तर पर क्या गुल खिलाती है,,,,इसका अंदाजा नहीं लगा सकता,,,, गुलाबी को अपनी भाभी की गरमा गरम सिसकारी की आवाज बेचैन कर देती थी,,,उसे एक तरह से अपनी बातें कि इस तरह की कर्मा कर्म से शिकारियों की आवाज सुनने में मजा भी आने लगा था और वह अपने मन में ही अपनी भैया और भाभी को लेकर ना जाने कैसे-कैसे कल्पना ओ को एक नया ढांचा देती रहती थी,,,, वैसे तो उसे अपने भाई को देख कर भी ऐसा कभी नहीं लगा था कि,,, बिस्तर पर उसका भाई उसकी भाभी की चीखें निकाल देगा,,, क्योंकि उसका भाई बेहद भोला भाला और शरीफ इंसान था जो कभी भी किसी और को गलत नजरों से कभी नहीं देखा लेकिन उसकी भाभी की गरमा गरम सिसकारी और उसकी आह की आवाज गुलाबी की सोच को बदल कर रख दिया था,,,,उसे पूरा यकीन हो गया था कि उसका भाई बिस्तर पर उसकी भाभी की जवानी को नीचोड़ कर रख देता है,,,। झाड़ू लगाते हुए वह अपने मन में यह सोचने लगी कि उसके भाई का लंड कैसा होगा,,,कितना बड़ा होगा कितना मोटा होगा इस बात का अंदाजा लगाना गुलाबी के लिए बेहद मुश्किल काम था क्योंकि अब तक उसने एक जवान मर्दाना लंड को अपनी आंखों से देखी भी नहीं थी,,,, बस केवल आज ही सुबह सुबह उसकी चुभन को अपनी दोनों जांघों के बीच महसूस की थी,,, और अभी अपने भतीजे के,,,,, उस समय राजू कैलेंडर को देखने की कामना उसके मन में प्रज्वलित तो हुई थी लेकिन वह अपने आप को संभाल ले गई थी,,,,,, लेकिन इस समय उसके मन में मन मंथन सा चल रहा है वह अपने भाई की मांग को लेकर दुविधा में थे उसके आकार को उसकी लंबाई को उसकी मोटाई को लेकर पूरी तरह से दुविधा में थी,,,,,अपने मन में यही सोच रही थी कि उसके भाई का लैंड कुछ ज्यादा ही मोटा तगड़ा लंबा होगा तभी तो उसकी भाभी की चीख निकल जाती थी,,,,,,लेकिन गुलाबी यह सोच कर हैरान थी कि उसकी भाभी को मजा आता भी होगा या नहीं क्योंकि इस बात को वह बिल्कुल भी समझ नहीं पा रही थी कि उसकी भाभी की तो चीख निकल जाती थी सिसकारी की आवाज अलग से इसी आवाज को लेकर दुविधा में थी,,,और यह सवाल और किसी से पूछ भी नहीं सकती कि अपनी भाभी से भी नहीं क्योंकि उसे बहुत शर्म आती थी,,,। वह उसी तरह से झाड़ू लगाती रही,,,,।

खाना तैयार हो चुका था,,, मुन्ना भी पड़ोस के बच्चों के साथ खेल रहा था,,, और राजू उठने के साथ ही अपने दोस्तों के साथ खेलने के लिए भाग गया था,,,,,,


गुलाबी मैं नदी पर जा रही हूं नहाने और कुछ कपड़े भी धोने है,,, तुम्हारे कपड़े हो तो लाओ मुझे भी दे दो मैं उसे भी धो दूंगी,,,,(एक बाल्टी और लोटा साथ में कपड़ों का ढेर अपने हाथ में लटकाए वह जाने के लिए तैयार थी कि तभी गुलाबी भी बोली,,,)


मुझे भी नहाने चलना है भाभी रुको मैं अभी आती हूं,,,
( और थोड़ी ही देर में गुलाबी भी अपने कपड़ों को लेकर आ गई और दोनों भाभी और ननद नदी की तरफ जाने लगी,,, अक्सर गांव की औरतें नहाने के लिए नदी पर ही जाया करती थी,,,,,, और यही गुलाबी और मधु का भी नीति क्रिया थी,,,,,, मधु को राह में चलते हुए देखना भी एक मादक सुख के बराबर ही था,,, इसीलिए तो जबकि वहां नदी की तरफ जाती थी तो गांव के हर मर्दों का ताता से लग जाता था उसे चलते हुए देखने के लिए क्योंकि जब वह चलती थी तो उस की गदराई गांड की लचक गांव के मर्दों के मन में लालच सी भर देती थी,,, मधु की मटकती गांड को देखकर सब के मुंह में पानी आ जाता था,,,, और तुरंत ही पजामे में तंबू सा बन जाता था,,,गांव के मर्द बिस्तर पर अपनी बीवी के साथ अवस्था में भी उत्तेजना का अनुभव ना करते हो जितना कि मधु को चलते हुए देखकर उसकी गदराई गांड को देखकर उत्तेजित हो जाते थे उसके मांसल चिकनी कमर के कटाव को देखकर जिस तरह से कामोत्तेजना का अनुभव करते थे शायद ही उस तरह की उत्तेजना वह अपनी बीवी के साथ महसूस करते हो,,, क्योंकि मधु की बड़ी-बड़ी गोलाकार गगराई गांड को देखते ही उनके परिजनों में हलचल सी होने लगती थी और उसने तुरंत असंभव भी बन जाता था शायद मधु की चौड़ी गांड में उन्हें अपना मुंह मारने की इच्छा करती थी,,।वह लोग अपने मन में यही कल्पना करते थे कि मधु जब अपने कपड़े उतार कर नंगी होती होगी तो स्वर्ग से उतरी हुई अप्सरा लगती होगी,,,, उसके बदन के हर एक अंग के बारे में कल्पना करते रहते थे,,,, हालांकि नजरों के पारखी कमर से बंधी हुई कसी साड़ी में से झांकते हुए उसके नितंबों के उभार को देख कर समझ जाते थे कि साड़ी के अंदर बवाल मचाने वाला सामान है,,, छातियों की चौड़ाई और उसका उभार उसकी मदमस्त कर देने वाली गोलाईयो को अपने आप ही प्रदर्शित करती थी,,, जिसे देखकर हर मर्द की आह निकल जाती थी,,,, साड़ी की किनारी जरा सी बगल में हो जाते ही बेहद आकर्षक नाभि और उसकी गहराई छोटी सी बुर से कम नहीं लगती थी,,,। जिसमे अपनी जीभ डालकर ओस की बूंद के सामान पसीने की बुंदो कि ठंडक को अपने अंदर उतारने को हर किसी का मन ललचता रहता था,,। सब मिलाकर मधु गांव के लिए स्वर्ग से उतरी हुई कोई अप्सरा से कम नहीं थी जैसे भोगने की कल्पना गांव का हर एक मर्द करता रहता था और उसे याद करके उसकी मादक कल्पना में अपने आप को रचाते हुए मुट्ठ मारा करता था,,,।


सड़क पर चलते हुए मधु को भी इस बात का अहसास अच्छी तरह से था कि सभी मर्दों की नजर उस पर ही टिकी रहती थी,,, आते जाते सब की प्यासी नजर उसके अंगों पर ही टिकी रहती थी शुरु शुरु में मधु इन नजरों से बचने की पूरी कोशिश करती थी उसे शर्म महसूस होती कि उसे डर भी लगता था लेकिन धीरे-धीरे आदत सी बन गई थी,,, इसलिए वह अपनी ही मस्ती में आती जाती थी,,,।
देखते ही देखते दोनों भाभी और ननद नदी पर पहुंच गए थे,,,।
 

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हरिया की सुबह बेहद कामुकता भरी थी,,, अपनी प्यास बुझाने के लिए उसके पास खुदका कुंवा था जिसमें से हरदम मधुर रस झरता रहता था उस रस को पाकर हरिया पूरी तरह से तृप्त हो चुका था,,, मधु को लेकर हरिया को अपनी किस्मत पर गर्व भी होता था क्योंकि,,, मधु एकदम रूपवती थी खूबसूरती में उसका मुकाबला कोई नहीं कर सकता था,,,,,,,,, और ऐसी नारी को पत्नी के रूप में पाकर और उसे भोगकर हरिया अपनी किस्मत पर फूला नहीं समा रहा था,,, रात को चांदनी में भीगी हुई बीती ही थी लेकिन सुबह सुबह ही उसकी बीवी ने चुदाई का सुख देकर चार चांद लगा दी थी,,,।
सुबह-सुबह मधु नित्य क्रिया से निपट कर रसोई में जुट गई थी और गुलाबी पूरे घर की सफाई कर रही थी,,,,,, और आंगन में हरिया खटिया पर बैठा हुआ नीम का दातुन अपने दांतो पर घीस रहा था,,, उसके ठीक सामने नीचे झुक कर गुलाबी झाड़ू लगा रही थी जिसकी वजह से ,,, जिससे उसके दोनों नारंगीया,,, कुर्ती में से बाहर की तरफ झलक रहे थे अनजाने में ही हरिया की नजर अपनी बहन के कुर्ती के अंदर तक पहुंच गई,,,, हरिया अपनी बहन की चूची को देखते ही एक दम दंग रह गया,,, गुलाबी की चुचियों का आकार नारंगी जितना ही था जिसकी वजह से उसकी चूचियों के दोनों निप्पल छुहारे की तरह नजर आ रहे थे हरिया के लिए यह पहला मौका था जब वह पहली बार अपनी बहन गुलाबी की चुचियों को देख रहा था,,। पल भर में ही उत्तेजना से गनगना गया,,,,,,,गुलाबी इस बात से पूरी तरह से बेखबर कि उसके भाई की नजर उसके कुर्ती के अंदर है वह उसी तरह से अपने में मगन होकर झाड़ू लगा रही थी,,। लेकिन हरिया अपने आप को संभाल लिया वह जानता था कि अपनी बहन की चुचियों को देखकर उसके मन में जिस तरह की भावना पैदा हो रही है वह बिल्कुल गलत है इसलिए वह अपनी नजरों को दूसरी तरफ घुमा लिया,,,,,,,,,, वाह अपना सारा ध्यान दातुन करने में लगाने लगा लेकिन नजरों के आगे बेबस होकर एक बार फिर उसकी नजर इसी तरह चली गई जहां पर उसकी बहन झाड़ू लगा रही थी और इस बार-बार झुकी हुई थी जिसकी वजह से उसकी गोलाकार गांड भरकर सलवार के बाहर नजर आ रही थी,,,,,,गुलाबी की उभरी हुई गांड गुलाबी की गदराई जवानी की निशानी थी,,, ,,, यह नजारा हरिया के होश उड़ा रहा था गुलाबी की मदहोश कर देने वाली जवानी को देख कर हरिया समझ गया था कि उसकी बहन पुरी तरह से जवान हो चुकी है,,,। शादी की उम्र निकली जा रही है ऐसे में उसे भी एक मोटे तगड़े लंड की जरूरत है जो उसकी गदराई जवानी को पूरी तरह से अपने हाथों में समेट सके उसे भरपूर प्यार दे सके उसकी जवानी को तृप्त कर सके और,,,, यह सोचकर ही हरिया का लंड खड़ा होने लगा था,,और अपने खड़े होते लंड पर गौर करते ही उसके होश उड़ गए और जैसे अपने ही बात को काटते हुए अपने मन में बोला,,,।


नहीं नहीं यह क्या सोच रहा है यह बिल्कुल गलत है,,, ऐसा सोचना भी पाप है,,,छी,,,,, ऐसी गंदी बात उसके दिमाग में आई कैसे,,,,,,,
(इस तरह की गंदी बात को सोचकर हरिया का होश उड़ गया था वह कभी सपने में भी अपनी बहन के लिए इतने गंदे विचार अपने मन में नहीं आया था लेकिन आज उसे क्या हो गया था,,,इस तरह के विचार भी अपने मन में लाने के लिए उसके संस्कार उसे गवाही नहीं दे रहे थे,,,, अपनी नजरों को कोसने लगा और तुरंत वहां से उठ कर चला गया,,,, वह हाथ में धोकर खाने के लिए भी नहीं रुका और बैलगाड़ी को लेकर सवारी ढूंढने के लिए निकल गया,,, मधु उसे रोकने की कोशिश भी की लेकिन वह जल्दबाजी में होने का बहाना करके निकल गया,,,,,।


दूसरी तरफ झाड़ू मारते समय गुलाबी के मन में भी अजीब अजीब से ख्याल आ रहे थे रात को जिस तरह की आवाज उसके कानों में पड़ती है उसके बारे में सोच कर गुलाबी की दोनों टांगों के बीच हलचल सी हो रही थी और उसे खुद अपनी बुर में से रिसाव होता हुआ महसूस हो रहा था,,,।
झाड़ू लगाते समय अपनी भाभी की तरफ देख रही थी जो कि रोटियां बेल रही थी,,,, अपनी भाभी का भोला और मासूम चेहरे को देखकर गुलाबी सोचने लगी कि,,,, क्या यह वही औरत है जो रात को अपने आप पर बिल्कुल भी काबू नहीं कर पाती और गरमा गरम सिसकारी की आवाज निकालती है,,,,गुलाबी अपने मन में यही सोच रही थी कि उसकी भाभी के भोले भाले मुखड़े को देखकर रात में वह कैसी होगी ,,,, बिस्तर पर क्या गुल खिलाती है,,,,इसका अंदाजा नहीं लगा सकता,,,, गुलाबी को अपनी भाभी की गरमा गरम सिसकारी की आवाज बेचैन कर देती थी,,,उसे एक तरह से अपनी बातें कि इस तरह की कर्मा कर्म से शिकारियों की आवाज सुनने में मजा भी आने लगा था और वह अपने मन में ही अपनी भैया और भाभी को लेकर ना जाने कैसे-कैसे कल्पना ओ को एक नया ढांचा देती रहती थी,,,, वैसे तो उसे अपने भाई को देख कर भी ऐसा कभी नहीं लगा था कि,,, बिस्तर पर उसका भाई उसकी भाभी की चीखें निकाल देगा,,, क्योंकि उसका भाई बेहद भोला भाला और शरीफ इंसान था जो कभी भी किसी और को गलत नजरों से कभी नहीं देखा लेकिन उसकी भाभी की गरमा गरम सिसकारी और उसकी आह की आवाज गुलाबी की सोच को बदल कर रख दिया था,,,,उसे पूरा यकीन हो गया था कि उसका भाई बिस्तर पर उसकी भाभी की जवानी को नीचोड़ कर रख देता है,,,। झाड़ू लगाते हुए वह अपने मन में यह सोचने लगी कि उसके भाई का लंड कैसा होगा,,,कितना बड़ा होगा कितना मोटा होगा इस बात का अंदाजा लगाना गुलाबी के लिए बेहद मुश्किल काम था क्योंकि अब तक उसने एक जवान मर्दाना लंड को अपनी आंखों से देखी भी नहीं थी,,,, बस केवल आज ही सुबह सुबह उसकी चुभन को अपनी दोनों जांघों के बीच महसूस की थी,,, और अभी अपने भतीजे के,,,,, उस समय राजू कैलेंडर को देखने की कामना उसके मन में प्रज्वलित तो हुई थी लेकिन वह अपने आप को संभाल ले गई थी,,,,,, लेकिन इस समय उसके मन में मन मंथन सा चल रहा है वह अपने भाई की मांग को लेकर दुविधा में थे उसके आकार को उसकी लंबाई को उसकी मोटाई को लेकर पूरी तरह से दुविधा में थी,,,,,अपने मन में यही सोच रही थी कि उसके भाई का लैंड कुछ ज्यादा ही मोटा तगड़ा लंबा होगा तभी तो उसकी भाभी की चीख निकल जाती थी,,,,,,लेकिन गुलाबी यह सोच कर हैरान थी कि उसकी भाभी को मजा आता भी होगा या नहीं क्योंकि इस बात को वह बिल्कुल भी समझ नहीं पा रही थी कि उसकी भाभी की तो चीख निकल जाती थी सिसकारी की आवाज अलग से इसी आवाज को लेकर दुविधा में थी,,,और यह सवाल और किसी से पूछ भी नहीं सकती कि अपनी भाभी से भी नहीं क्योंकि उसे बहुत शर्म आती थी,,,। वह उसी तरह से झाड़ू लगाती रही,,,,।

खाना तैयार हो चुका था,,, मुन्ना भी पड़ोस के बच्चों के साथ खेल रहा था,,, और राजू उठने के साथ ही अपने दोस्तों के साथ खेलने के लिए भाग गया था,,,,,,


गुलाबी मैं नदी पर जा रही हूं नहाने और कुछ कपड़े भी धोने है,,, तुम्हारे कपड़े हो तो लाओ मुझे भी दे दो मैं उसे भी धो दूंगी,,,,(एक बाल्टी और लोटा साथ में कपड़ों का ढेर अपने हाथ में लटकाए वह जाने के लिए तैयार थी कि तभी गुलाबी भी बोली,,,)


मुझे भी नहाने चलना है भाभी रुको मैं अभी आती हूं,,,
( और थोड़ी ही देर में गुलाबी भी अपने कपड़ों को लेकर आ गई और दोनों भाभी और ननद नदी की तरफ जाने लगी,,, अक्सर गांव की औरतें नहाने के लिए नदी पर ही जाया करती थी,,,,,, और यही गुलाबी और मधु का भी नीति क्रिया थी,,,,,, मधु को राह में चलते हुए देखना भी एक मादक सुख के बराबर ही था,,, इसीलिए तो जबकि वहां नदी की तरफ जाती थी तो गांव के हर मर्दों का ताता से लग जाता था उसे चलते हुए देखने के लिए क्योंकि जब वह चलती थी तो उस की गदराई गांड की लचक गांव के मर्दों के मन में लालच सी भर देती थी,,, मधु की मटकती गांड को देखकर सब के मुंह में पानी आ जाता था,,,, और तुरंत ही पजामे में तंबू सा बन जाता था,,,गांव के मर्द बिस्तर पर अपनी बीवी के साथ अवस्था में भी उत्तेजना का अनुभव ना करते हो जितना कि मधु को चलते हुए देखकर उसकी गदराई गांड को देखकर उत्तेजित हो जाते थे उसके मांसल चिकनी कमर के कटाव को देखकर जिस तरह से कामोत्तेजना का अनुभव करते थे शायद ही उस तरह की उत्तेजना वह अपनी बीवी के साथ महसूस करते हो,,, क्योंकि मधु की बड़ी-बड़ी गोलाकार गगराई गांड को देखते ही उनके परिजनों में हलचल सी होने लगती थी और उसने तुरंत असंभव भी बन जाता था शायद मधु की चौड़ी गांड में उन्हें अपना मुंह मारने की इच्छा करती थी,,।वह लोग अपने मन में यही कल्पना करते थे कि मधु जब अपने कपड़े उतार कर नंगी होती होगी तो स्वर्ग से उतरी हुई अप्सरा लगती होगी,,,, उसके बदन के हर एक अंग के बारे में कल्पना करते रहते थे,,,, हालांकि नजरों के पारखी कमर से बंधी हुई कसी साड़ी में से झांकते हुए उसके नितंबों के उभार को देख कर समझ जाते थे कि साड़ी के अंदर बवाल मचाने वाला सामान है,,, छातियों की चौड़ाई और उसका उभार उसकी मदमस्त कर देने वाली गोलाईयो को अपने आप ही प्रदर्शित करती थी,,, जिसे देखकर हर मर्द की आह निकल जाती थी,,,, साड़ी की किनारी जरा सी बगल में हो जाते ही बेहद आकर्षक नाभि और उसकी गहराई छोटी सी बुर से कम नहीं लगती थी,,,। जिसमे अपनी जीभ डालकर ओस की बूंद के सामान पसीने की बुंदो कि ठंडक को अपने अंदर उतारने को हर किसी का मन ललचता रहता था,,। सब मिलाकर मधु गांव के लिए स्वर्ग से उतरी हुई कोई अप्सरा से कम नहीं थी जैसे भोगने की कल्पना गांव का हर एक मर्द करता रहता था और उसे याद करके उसकी मादक कल्पना में अपने आप को रचाते हुए मुट्ठ मारा करता था,,,।


सड़क पर चलते हुए मधु को भी इस बात का अहसास अच्छी तरह से था कि सभी मर्दों की नजर उस पर ही टिकी रहती थी,,, आते जाते सब की प्यासी नजर उसके अंगों पर ही टिकी रहती थी शुरु शुरु में मधु इन नजरों से बचने की पूरी कोशिश करती थी उसे शर्म महसूस होती कि उसे डर भी लगता था लेकिन धीरे-धीरे आदत सी बन गई थी,,, इसलिए वह अपनी ही मस्ती में आती जाती थी,,,।
देखते ही देखते दोनों भाभी और ननद नदी पर पहुंच गए थे,,,।
Nice update
 
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