(सूगना और हरिया का फ्लैशबैक)
सूगना का मन आज बहुत बेचैन था जिस तरह से अचानक कल्लू ने उसकी चूची को मुह मे लेकर चूसा था वो बात उसे बार बार याद आ रही थी और अपने जवान बेटे द्वारा माधरचोद शब्द का मतलब पूछे जाने पर उसके मन मे उथल पुथल चल रही थी , वो सोच रही थी कि उसका बेटा कितना भोला है जो उसे इस शब्द का मतलब नही पता , ऐसे भोलेपन से तो उसे लाला की जायदाद मिलने से रही उसे ही कुछ करना होगा अपने बेटे को तेज तर्रार बनाना होगा...
उधर दूसरी तरफ कल्लू लाला के घर पहुंचता है जहा पर नोकरानी चंपा लाला कि पत्नी रजनी के बालो में तेल लगा रही थी
चंपा - मालकिन आपकी उमर कितने बरस होगी
रजनी - 52 की होगी का हुआ चंपा अचानक उम्र काहे पूछने लगी
चंपा- कुछ नही मालकिन बस आपके बालों मे आजतक सफेदी ना आई इतनी उम्र होने के बाद भी लाला साहेब तो बडे नसीब वाले है मालिक जो आप आज भी जवान है
रजनी- चुप कर करमजली, चुपचाप बालों मे तेल लगा और जाकर देख ये माधरचोद हरिया काहे ना आया अबतक काम पर
चंपा- जो हुक्म मालकिन । लेकिन मैने जो कहा सच ही कहा मालकिन लाला साहब को छोडिये आप सूगना बहन के बेटे हरिया से पूछना वो भी आप पर डोरे डाले बिना रह नही पाएगा
रजनी - बेशरम, बेहया, पक्की छिनार हो गई है तू रंडी
जा जाकर हरिया से कह दे भैंस का दून निकाल दे
और जाकर बाजार से सब्जी ले आए
चंपा - ठीक है मालकिन जाती हू
(चंपा के जाने के बाद रजनी उठकर खडी हो जाती है और चंपा की बात सोचने लगती कि क्या चंपा सच कह रही थी क्या मै अभी भी जवान हू इतना सोचते सोचते रजनी शीशे के सामने खड़ी हो जाती है और खुद को निहारना लगती है )
रजनी- (मन मे).....चंपा ने कहा तो ठीक ही है मेरी इतनी
भी उम्र नही लगती ...लाला जी का जबसे
एक्सीडेंट हुआ वो मुझे शारिरीक सुख नही दे पाते
और मैंने भी अपने आप पर ध्यान देना छोड ही
दिया .....क्यू न आज हरिया को अपना रूप
दिखाऊ और उसकी प्रतिक्रिया देखू....
इतना सोचकर रजनी अपनी ब्रा उतार कर ब्लाउज दो बार पहन लेती है और उपर के दो बटन खुले रखती है और अपनी साडी का पल्लू इस तरह रखती है कि उसके बडी बडी चूचियों की गहरी घाटी आसानी से दिख सके
हरिया- मालकिन आपने बुलाया
रजनी- मालकिन के बच्चे तुझे नही पता कि भैंस दुहने का समय हो गया है.....कहा मर गया था ?
हरिया - वो मालकिन वो मै आ ही रहा था
(रजनी धीरे से अपना पल्लू अपनी छाती से सर का देती है जिसपर हरिया की नजर पडती है और वो चोर नजरों से रजनी की चूचियो को देखने लगता है जो की रजनी बखूबी जानती थी )
रजनी - माॅ के लौडे ..माधरचोद मेरे थनों को का घूर रहा है दूध भैंस का दूहना है मेरा नही
भोलाभाला हरिया डरते हुए बोल पडता है
हरिया- भैंस का ही दूध निकालूंगा मालकिन...आपका कैसे निकाल सकता हू आपको तो दूध भी नही आता होगा
रजनी को हरिया की बात से एक शरारत सूझती है और वह कहती है
रजनी- क्यू रे हरिया अगर मेरे थनो से दून निकलता तो क्या तू मेरे थनो को दूहता
हरिया- मालकिन आप कहती तो जरूर दूहता
रजनी- हाए हरामजादे...चल आज मेरे थनो को दूह और दूध निकालने की कोशिश कर
हरिया- मालकिन आपके थनो मे दूध नही होगा
सूगना- क्यू रे माधरचोद तूझे कैसे पता कि मेरे थनो मे दून ना है ....जा जाकर तेल और लोटा ले आ
हरिया अंदर जाता है और एक छोटी सी कटोरी मे तेल जो की भैंस की चूचियो पर दूध निकालने से पहले लगता जाता है और एक लोटा लेकर रजनी के कमरे आता है
अंदर आते ही जो नजारा उसे दिखाई देता है वो हैरान हो जाता है ...अंदर कमरे मे रजनी बिना ब्लाउज के केवल साडी और पेटीकोट मे अपने घुटने और हाथो के बल चौपाया बनकर खडी थी जैसे कि गाय भैंस होते है और उसकी साडी जमीन पर पडी थी यह नजारा देखकर हरिया के मन मे अजीब भाव आते है और वो खुद को संभालते हुए कहता है
हरिया- मालकिन ये क्या आप इस तरह काहे खडी है
रजनी - क्यू तुझे दूध नही दूहना क्या मेरा चल जल्दी कर देख मेरे थनो मे बचा है या नही
हरिया भोलापन से कहता है
हरिया- दूध कहा से आएगा मालकिन ना तो आप गाभिन (गर्भवती) है और ना ही आपने बच्चा दिया है भइसिया तो दूध तब देती है जब उका बच्चा उसके थनो को जूठा करता है तब उसके थनो मे दूध उतरता है आपके थनो मे दून कैसे उतरेगा मालकिन
रजनी- क्यू तू है ना ..मैने तो तूझे कबी नोकर ना समझा है हमेशा अपना ही बचवा माना है तूझे बस थोडी सी डांटती हू .....तू जूठा कर दे मेरे थनो को
हरिया - इ कइसे होगा मालकिन
रजनी - क्यू नही हो सकता है रे बचवा
हरिया- ठीक है मालकिन !
इतना कहकर हरिया झुककर रजनी की रजनी की दोनोचूची को अपने मुंह मे भर कर कुछ देर चुभलाता है जिससे रजनी की गर्म सिसकारी निकल जाती है
रजनी- आहहहहहहहह सीईईईईई हरिया मेरे बचवा दूध उतरा या नही
हरिया को चूची पीना बहुत सूख दे रहा था वो और कुछ देर पीना चाहता था धीरे धीरे उसकी जवानी का तंबू उसकी पतलून मे सिर उठाने लगा था
हरिया - अभी नही मालकिन अभी दूध नही उतरा
रजनी भी यही चाहती थी कि हरिया कुछ देर और उसकी चूचियो को चूसे
रजनी - ठीक है हरिया आहहहहहह सीईईईईईई हराम के जाने दांत मत काट रे आहहहहह दर्द होता है
हरिया डर जाता है और उठकर बैठ जाता है और कटोरी मे रखा हुआ तेल बारी बारी से रजनी के दोनो निप्पलों पर लगा देता है और बारी बारी से लोटे मे रजनी के निप्पल खीच कर दूध निकालने की कोशिश करने लगता है
रजनी - क्यू रे माधरचोद पूरे पंजा से दबोचकर दूह ना
हरिया पूरे पंजों से दोनो से रजनी की चूचियो को दबाने लगता है रजनी पूरी तरह गरम हो चुकी थी और रह रहकर गरमागरम सिसकारी छोड रही थी आज दो साल बाद किसी मरद ने उसके चूचियो को छुआ था
रजनी- आहहहहहहहह हरिया आहहहहहहहहह( इतना सिसकते हुए रजनी की बूर झड जाती ह)
हरिया- माफ करना मालकिन .....क्या हुआ
रजनी - कुछ नही माधरचोद ....जा मेरा छोड जाकर भैंस का दूध निकाल
हरिया- जो हुक्म मालकिन
( इतना कहकर हरिया चला जाता है )