22.2
मैं आप दोनों को यह सजा सुनती हूं कि आप दोनों अपनी लक्ष्मी आंटी को कल सुबह तक इतना प्यार करोगे की तुम्हारी लक्ष्मी आंटी को कभी इस सुख की कमी ना खले। समझे?”
लक्ष्मी आंटी ने अपनी बाहें खोली और हम दोनों उससे लिपट गए। हम सब पसीने से भीगे हुए थे तो लक्ष्मी आंटी के सुझाव पर विक्की ने गरम पानी का shower चला दिया। कल सुबह की तरह हम दोनों ने लक्ष्मी आंटी को अच्छे से धोया और साफ किया। आज लक्ष्मी आंटी होश में थीं तो लक्ष्मी आंटी ने भी हम दोनों को अच्छे से रगड़ रगड़ कर नहलाया। मेरे और विक्की के हाथ लक्ष्मी आंटी की चूत, गांड़ और मम्मों को कुछ ज्यादा ही साफ कर रहे थे तो लक्ष्मी आंटी ने भी हमारे लौड़ों को अच्छे से मालिश कर साफ़ किया।
अब मुझे और सहा नहीं गया। मैंने लक्ष्मी आंटी को कमर में से मोड़ कर उसके मुंह पर विक्की का लौड़ा लगाया। पीछे मैं था तो मैंने लक्ष्मी आंटी के पैरों को फैला कर उसकी गीली चूत को खोल दिया। विक्की ने लक्ष्मी आंटी को अपना लौड़ा चूसता देख उसकी प्रशंसा की पर मुझे गुस्से में आंख दिखाई।
मेरी भी मज़बूरी थी!! मैंने लक्ष्मी आंटी की बहती चूत पर अपने लौड़े का सुपारा रगड़ा और लक्ष्मी आंटी के काम रसों से पहले अपना लौड़ा गीला कर दिया। फिर धीरे धीरे मज़े से एक एक छोटे धक्के से लक्ष्मी आंटी की चूत भर दी। लक्ष्मी आंटी की हालत विक्की के जोर जोर से चूसा जाने वाले लौड़े को समझ आई और उसने मुझे डांटा के मुंह में वह अपना रस छोड़ना नहीं चाहता।
मेरे दिमाग में बत्ती जली और मैंने झूठे गुस्से से कहा, “विक्की, अगर तुझे इतनी जल्दी है तो लक्ष्मी आंटी को उठा ले।”
मैंने लक्ष्मी आंटी के बाल पकड़ कर उसका मुंह खिंच कर विक्की के लौड़े से हटाया। 'चूउप' की आवाज से लक्ष्मी आंटी के मुंह से विक्की को लौड़ा निकला और अगले ही पल लक्ष्मी आंटी की बच्चेदानी तक घुसा मेरा लौड़ा भी बाहर निकल आया।
लक्ष्मी आंटी ने उत्तेजना में अधूरे छोड़ा जाने पर गुस्सा दबते हुए निराशा से कहा “झगड़ा मत करो बाबू, मैं आप दोनों की हूं। जैसे चाहो करो, मैं मना नहीं करुंगी।”
विक्की ने मुझे अलग होता देख गरमी में लक्ष्मी आंटी को bathroom की दीवार पर दबा दिया और उसके होंठ चूमने लगा। गरमाई लक्ष्मी आंटी ने विक्की को पूरा साथ देते हुए अपनी बाहों का हार विक्की के गले में डाल दिया।
विक्की ने मौके पर चौका मारा और लक्ष्मी आंटी चीख उठी,
“विक्की बाबू!!!! मैं गिर जाऊंगी! आह… ऊंह…”
विक्की ने लक्ष्मी आंटी को उठा कर दीवार पर दबाते हुए अपना मूसल उसकी गीली गुफा में गाड़ दिया। लक्ष्मी आंटी ने इस तरह की ठुकाई सपने में भी नही सोची होगी जिसका अब वह अनुभव ले रही थी। विक्की फटाफट वार करते हुए लक्ष्मी आंटी को अपनी बाहों में कस कर पकड़ लिया। अब उसके पैरों को अपने हाथों के उपर लेकर लक्ष्मी आंटी की चूत और गांड़ को अच्छे से खोल दिया।
“ला विक्की, मै तेरी मदद करता हूं।”
मैंने पिछे से लक्ष्मी आंटी की जांघे विक्की के हाथों के नीचे से पकड़ ली। लक्ष्मी आंटी ने मूड कर मेरी तरफ देखा तो मैंने लक्ष्मी आंटी को चूमते हुए उसकी गांड़ को अपने सुपारे से भेद दिया।
“मां… अन्हहह… मरी… अहह… बाबू!!!… हां… हां… हां… हां…” लक्ष्मी आंटी की चीखें bathroom में गूंज उठी। मेरे इस मजे में बस इस बात से निराश था की ये मौका हम रिकॉर्ड नहीं कर पाए।
खैर, लक्ष्मी आंटी की तंग कसी हुई गांड़ में निराशा और अफसोस के लिए जगह कहां? हम दोनों ने मिलकर लक्ष्मी आंटी को अपने लौड़ों पर उठा कर पटखना शुरु कर दिया तो लक्ष्मी आंटी ने बाहों और पैरों से विक्की को पकड़ कर पीठ और सर मेरे भरोसे छोड़ दिया। लक्ष्मी आंटी ने मानो अपने बदन की मिल्कियत हम दोनों में बांट दी थी। यह एहसास एक तरफ से लक्ष्मी आंटी के उपर हमें असीम हक देता था और दूसरी तरफ लक्ष्मी आंटी की पूरी खुशहाली की जिम्मेदारी। उत्तेजना और डर के इस मिश्रण में खुद को भूल कर हम एक दूसरे के एहसास में डूब गए।
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लक्ष्मी आंटी की चिल्लाहत से हमारी वासना बढ़ती जा रही थी। विक्की और मैं लक्ष्मी आंटी को उत्तेजना की चरम सुख में ज्यादा से ज्यादा डुबोने का काम करने के लिए लगे पड़े थे। आखिर कार लक्ष्मी आंटी की कसी हुई गांड़ में, मैं ऐसा निचोड़ा गया कि मैं सह नहीं पाया।
“लक्ष्मी आंटी… आह… आनहह… हा… हा… आह… अह…”की पुकार से लक्ष्मी आंटी की आंत मेरे बीज से भर दी गई। मेरी आवाज और मेरे लन्ड से बाहर निकलते रस को लक्ष्मी आंटी की चूत से महसूस करते हुए विक्की भी झड गया।
थकी हुई लक्ष्मी आंटी को हम दोनों ने सहारा देकर खड़ा रखा तो लक्ष्मी आंटी की चूत और गांड़ में से हमारे रस की धारा बहने लगी। थकी लक्ष्मी आंटी ने मुस्कुराते हुए कहा,
“सन्नी बाबू, इतना गुस्सा ठीक नहीं। अब उतर गया कि अब भी गुस्सा बाकी है?”
हम सब shower चला कर साफ़ हो गए और फिर बड़े bathtub में बैठ गए। लक्ष्मी आंटी bathtub में पैर फैला कर ऐसे लेटी थी कि अंदर दाखिल होता पानी उसके गुपतांगों को हलकी गुदगुदी से साफ करता। हम दोनों लक्ष्मी आंटी के बगल में लेट कर उसके शरीर के अंग अंग को अपने होठों से, हाथों से और पैरों से सहलाकर लक्ष्मी आंटी को हलके हलके उत्तेजित रखे हुए थे।
Score Card रविवार सुबह 8.30 बजे तक
लक्ष्मी आंटी--मुंह------चूत------गांड
विक्की----------8--------7--------6
सन्नी--------------8--------6-------7