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विक्की
लक्ष्मी आंटी गेराज और बाकी जगह नहीं मिली तो मैं सन्नी से मिलने आम के बगीचे में आया। वहीं रास्ते में Simon को देख बोल पड़ा “Simon तू इधर है तो लक्ष्मी आंटी किधर चुध रही है? सन्नी!!!”
सन्नी की बस आह सुनाई दी जब मुझे नीचे लक्ष्मी आंटी का पारदर्शी टॉप मिला। आगे बढ़ने पर पाया कि सन्नी नीचे घास में चूसे आम की तरह पड़ा था। मैंने उसका इशारा समझकर लक्ष्मी आंटी का पीछा किया।
लक्ष्मी आंटी एक पेड़ पर चढ रही थी। मैंने कुद के उसको पकड़ने की कोशिश की तो मेरे हाथ सिर्फ लक्ष्मी आंटी का नटखट स्कर्ट आया।
“लक्ष्मी आंटी, लोमड़ी पेड़ पर नही चढ़ती। तुम पकड़ी गई हो, नीचे उतरो।”
लक्ष्मी आंटी “मेरी पूंछ नही तो मैं लोमड़ी नही। पर मेरे शहरी शिकारी आप दोनों पेड़ पर नहीं चढ़ सकते। अब मैं पूरा दिन यहीं रहूंगी।”
लक्ष्मी आंटी ने ऊपर चढ़ते हुए अपनी गांड हिलाकर मुझे चिढ़ाते हुए कहा।
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लक्ष्मी आंटी के पैर को कुछ छू गया और नीच देख कर चीखी। मैं तेज़ी से ऊपर चढ़ गया था और उसके पीछे खड़ा हो गया। लक्ष्मी आंटी बीच में पकड़ी गयी थी। लक्ष्मी आंटी के पैर फैले दो अलग शाखाओं के ऊपर थे तो हाथों से पेड़ का तना पकड़ा था।
मैंने नीचे देखा तो पाया कि हम ज्यादा ऊंचाई पर नही थे और सन्नी ने इशारा कर सहमती दी। मैं लक्ष्मी आंटी के पिछे से उसे चिपक गया कि वह अपनी जगह पर अटक गई।
लक्ष्मी आंटी हंसकर बोली,“ तुम जीते विक्की बाबू। तुम तो पेड़ पर चढ़ने में माहिर हो। अब हटो, मैं नीचे उतरती हूं। सन्नी बाबू ने मिट्टी में लिटाकर गन्दा कर दिया है। अब हटो भी!”
मैंने लक्ष्मी आंटी पर अपनी पकड़ मजबूत करते हुए पेड़ पर दबा दिया। मेरे लौड़े का सुपारा लक्ष्मी आंटी की गांड़ को चूमने लगा तो उसने डर के हटने की कोशिश की।
लक्ष्मी आंटी “विक्की बाबू रुको, रुक जाओ, नहीं, नहीं… मैं गिर जाऊंगी विक्की बाबू। नीचे उतर कर आप को सब कुछ दूंगी पर अब रुक जाओ बाबू। बाबू… बाबू… विक्की… बाबू…!!!! सन्नी बाबू!!! बचाओ…”
तभी नीचे से सन्नी कि आवाज आई “विक्की, मुझे लगता है कि इसे मेरी याद आ रही है। ये ले…”
सन्नी ने उछाली चीज मैंने लपक ली। वह एक लंबा मोटा खीरा था। सन्नी का इशारा समझ कर मैंने उसे लक्ष्मी आंटी की बूर पर रगड़ने लगा। लक्ष्मी आंटी को हम दोनों ने ठंडा होने का मौका दिया ही कब था? जल्द ही लक्ष्मी आंटी दुनिया की सुध भूल कर अपने रस से सन्नी खीरा धोने लगी।
मैंने लक्ष्मी आंटी के फैले पैरों का पूरा फायदा उठाते हुए सन्नी खीरे को पूरा अंदर पेल दिया। लक्ष्मी आंटी उछल कर नीचे गिर जाती अगर मैं तैयार न होता। अपनी उंगलियों से सन्नी खीरे को लक्ष्मी आंटी की गरमी में दबाकर मैंने अपनी हथेली से लक्ष्मी आंटी की चूत का दाना मसलने लगा। लक्ष्मी आंटी ने अपनी गांड़ हिलाकर अपनी उत्तेजना दिखाई तो मैंने उसे दबोच लिया।
अब लक्ष्मी आंटी पेड़ से सटी, डालियों को पकड़ कर खड़ी थी। लक्ष्मी आंटी के पैर फैले दो शाखाओं पर रखे हुए थे। मैंने लक्ष्मी आंटी को पिछे से पकड़ कर उसकी तरह शाखाओं पर खड़ा था पर मेरा एक हाथ उसकी गीली चूत में सन्नी खीरा दबाए हुए था तो दूसरा उसके बगल से होते हुए लक्ष्मी आंटी के कंधे को जकड़े हुए था। लक्ष्मी आंटी सिर्फ सिर हिलाकर, अपनी गांड़ हिलाकर अपनी विवशता दिखा सकती थी। मैंने सन्नी खीरे को लक्ष्मी आंटी की चूत से निकाल कर, उसपर लगे रस से मेरा लौड़ा पोत दिया। सन्नी खीरा फिर से लक्ष्मी आंटी की चूत में डाल दिया गया और उसके दबने पर लक्ष्मी आंटी की गांड़ उठ गई।
मौका साध कर मैंने अपने लौड़े को लक्ष्मी आंटी की गांड़ में पेल कर जड़ तक घुसा दिया। लक्ष्मी आंटी की चीख पूरे आम के बगीचे में गूंज उठी। मैं जवान था, कामोत्तेजना में डूबा हुआ था पर दरिंदा नहीं था। मैं ऐसे ही बिना हिले डुले रुक गया और अपनी हथेली से लक्ष्मी आंटी के दाने को सहलाने लगा। मेरे हथेली के घूमने से सन्नी खीरा हिल रहा था और लक्ष्मी आंटी के रस से वह फिर भीगने लगा।
लक्ष्मी आंटी ने धीरे धीरे आगे पीछे हो कर मुझे गांड़ मारने की इजाजत दी तो मैंने भी बड़े प्यार से लक्ष्मी आंटी की गांड़ मारी। लक्ष्मी आंटी की चूत में घुस बैठा सन्नी खीरा मेरे लौड़े को लक्ष्मी आंटी की गांड़ में बीच के पतले परदे से सेहला रहा था। इस अलग ही हलचल से लक्ष्मी आंटी और मुझे नया मज़ा आ रहा था। इस पोज़ में हम दोनों ने घमासान मचा दिया और केवल 5 मिनट में मैंने लक्ष्मी आंटी को जकड़ कर उसकी गांड़ की गहराई को अपनी गरमी से भर दी।
लक्ष्मी आंटी लगभग बेसुध होकर मेरे सहारे खड़ी थी तो मैंने उसे अपनी बाहों में भर लिया। सन्नी खीरा लक्ष्मी आंटी की चूत से फिसल कर नीचे सन्नी के पैरों में गिर गया। हम दोनों एक दूसरे की तरफ देख कर मुस्कुराए।
शिकारी शिकार करने के बाद क्या करते हैं? हमने लगभग बेसुध लक्ष्मी आंटी को जैसे तैसे पेड़ से उतरा और सहारा देकर farmhouse में ले गए।