रिया ने एक तकिए को अपने सिर के नीचे लगाया और एक तकिए को अपनी जांघो मैं भींच कर लेट गई।
उसकी चूत की खुमारी ने कब उसे नींद में पहुंचा दिया उसको पता नही चला।
अब आगे-
परदों के बीच की झिर्रियों से आती सूरज की किरणों ने रागनी को आँख खोलने पर मजबूर कर दिया।
उसने मोबाइल उठाकर टाइम देखा 7 बजने को थे।
अपने ऊपर रखे अपने पति के हाथ को हटाकर वो उसकी आगोश से निकल गई।
बिस्तर से उठकर वो नंगी ही शीशे के सामने जाकर खड़ी हो गई चूत के होंठो पर अभी भी चिपकन महसूस हो रही थी।
रात हुई धमाकेदार चुदाई से उसका अंग अंग खिल उठा था अपने आप को शीशे में देखकर खुद ही शर्मा गई।
पलट कर राज की तरफ देखा वो रागनी के बांहों से निकलने के बाद सीधा लेट गया था और उसकी जांघो के बीच में सोया पड़ा नाग इस वक़्त इतना मासूम लग रहा था जैसे वो काटना तो छोड़ो अभी जागना भी नही सीखा हो।
उसको देखकर रागनी के चेहरे पर मुस्कान आ गई उसका रात का भयानक रूप आंखों के सामने आते ही रागनी के पैर कांपने लगे।
कांपते पैरों के साथ वो बाथरूम में चली गई नित्यकर्म से निपटकर वो शावर के नीचे खड़ी हो गई और अपने चिकने बदन पर साबुन रगड़ने लगी जैसे ही हाथ जांघो के बीच पहुँचे अपनी चूत पर आई सूजन महसूस करके उसकी आँखों के सामने रात हुई चुदाई घूमने लगी।
अपनी निगोड़ी चूत को वो मुठ्ठी में भरने वाली थी पर जाने क्या सोचकर वो रुक्क गई और जल्दी जल्दी नहाकर बाथरूम से बाहर आ गई।
कपड़े पहन कर पूजा-पाठ में लग गई पूजा करने के बाद वापस कमरे में आकर राज को जगाया फिर सीधी किचन में जाकर नाश्ता तैयार करने लगी।
रागनी गुनगुनाती हुई नाश्ता तैयार कर रही थी जब राज ने उसे पीछे से आकर अपनी बांहों में कैद कर लिया।
"क्या कर रहे हो छोड़ो जाकर बच्चों को उठाओ।
"अपनी बीवी को प्यार कर रहा हूँ।
"रात को इतना प्यार किया था आपका दिल नही भरा।
रागनी नखरा दिखा कर बोली।
"मेरी जान तू दिल भरने की चीज़ नही है।
राज रागनी की गर्दन को चूमता हुआ बोला।
"बस बस रहने दो जाओ कोमल को उठाकर आओ।
"अच्छा ठीक है मेरी जान जाता हूँ।
राज किचन से निकलकर कोमल के रूम की तरफ बढ़ गया कुछ ही देर में वो कोमल के रूम के दरवाजे पर खड़ा था आमतौर पर राज बाहर से आवाज़ लगाकर कोमल को जगाता था पर जाने क्या सोच कर उसने धीरे से गेट खोला और दबे कदमो से अंदर चला गया।
कोमल को भी पता था कि उसके कमरे में उसको जगाने उसकी माँ या रिया ही आती थी इसलिए वो आराम से किसी भी स्तिथि में सोती रहती थी।
अभी भी वो ऐसे ही अपने पैर फैलाये पड़ी सो रही थी
सीधे लेटे होने के कारण उसकी टी-शर्ट में कसी मोटी छातियां उसकी सांसों के साथ उपर नीचे हो रही थी
उसकी शर्ट फोल्ड होकर उसकी कमर के ऊपर सिकुड़ गई थी और उसके जिस्म से चिपकी गुलाबी पैंटी से उसकी चूत का उभार साफ दिखाई पड़ रहा था।
चूत के होंठो का उभार और बीच के चीरे में पैंटी हल्की सी अंदर की तरफ दबी थी जिसके कारण उसकी चूत का चीरा भी पारदर्शी होकर दिख रहा था।
अपनी बेटी को इस अवस्था में सोया देख राज के जिस्म में आग लग गई राज की आंखे उसकी उभरी हुई चूत के होंठो से फिसलती हुई उपर नीचे होती छातियों पर पड़ी टाइट टी-शर्ट में कसी उसकी छातियों के निप्पल मॉर्निंग ईरेक्शन की वजह से खड़े हुए थे।
(दोस्तो सुबह को जैसे लड़को का लंड खड़ा मिलता है वैसे ही लड़कियों के निप्पल खड़े हो जाते है।)
अपनी बेटी के तने हुए अकड़े निप्पल देखकर राज के मुँह में पानी आ गया।
राज का दिल इन अकड़े हुए निपल्स को नंगा देखने का करने लगा।
इधर रागनी ने राज को कोमल को जगाने तो भेज दिया पर उसको पता था ये पागल लड़की उल्टी सीधी पड़ी रहती है और कभी कभी तो सिर्फ ब्रा पेंटी मैं सो जाती है उसको चिंता होने लगी किचन से निकलकर अपने आप उसके कदम कोमल के रूम की तरफ चल दिये।
इधर राज अपना लालच नही छोड़ पा रहा था उसको कोमल के अकड़े हुए निप्पल को नंगा देखना था उसने एक बार इधर उधर देखा और कोमल की टी-शर्ट को गले से पकड़ कर उपर खींचा।
टी-शर्ट के ऊपर खींचते ही कोमल के कोमल उभार नंगे नज़र आने लगे मोटी छातियों पर अंगूर की तरह खड़े निप्पलों को देख राज के मुँह में पानी आने लगा।
अपनी आंखों को अच्छे से सेकने के बाद राज अपनी जवान बेटी के खुले हुए पैरों की तरफ बढ़ा और उसकी चूत को पास जाकर देखने लगा।
"उफ्फ्फ कोमल कितना हसीन जिस्म है बेटी तेरा
काश मेरी किस्मत में इसको भोगना लिखा होता।
पैंटी में कसी लगभग पूरी तरह अपना आकार दिखाती अपनी बेटी की चूत को छूने के लालच में राज के हाथ आगे बढ़े और राज ने कोमल की चूत पर कसी पैंटी के मुलायम रेशमी कपड़े पर अपने हाथ को धीरे से रखा
उफ्फ्फ कितना मुलायम सॉफ्ट कपड़ा था।
राज के दिमाग में खयाल आया जब ये कपड़ा इतना सॉफ्ट और चिकना है तो जिस चूत को इसने छुपा रखा है वो कितनी चिकनी और सॉफ्ट होगी।
राज की उंगलियों ने पैंटी के कपड़े को हटाने की कोशिश की पर पैंटी बुरी तरह से चूत से चिपकी हुई थी सिर्फ उपर से कपड़ा पकड़कर उसको नही हटाया जा सकता था इसके लिए उसको एक उंगली को साइड से अंदर डालना पड़ता जो सीधा उसकी नंगी चूत को छूती इसमें कोमल के जागने का रिस्क था।
अभी राज इसी उधेड़-बुन मैं था कि क्या रिस्क लेना सही है उसे सीढ़ियों पर किसी के आने की आहट हुई।
राज रूम ने रूम से बाहर निकलकर दरवाजा बंद किया और बाहर से कोमल को आवाज़ लगाने लगा।
तभी उसे सीढ़ियों पर रागनी दिखाई दी जो धीरे धीरे उसके करीब आ रही थी।
अपनी बीवी को पास आता देख राज की हवा निकल गई उसकी धड़कने धौकनी की तरह चल रही थी।
पास आ कर रागनी बोली।
"आप चलकर बैठो कोमल को में उठा देती हूँ।
"ठीक है।
अपने धड़कते दिल को काबू में करके राज किसी तरह सीढ़ियों से नीचे आया।उसकी आँखों में कोमल की चूत के उभरे होंठ नाच रहे थे।
नीचे आते आते उसको कोमल के कड़क निप्पल याद आने लगे
"उफ्फ कितने कड़क है अगर सीने से लग जाये तो छाती में छेंद कर दे।
राज का लौड़ा झटके मार रहा था वो उसे बार बार दबाकर शांत करने की कोशिश कर रहा था।
पर कहते है ना निप्पल;लौड़ा;और जज़्बात इनको जितना दबाने की कोशिश करो ये उतना ही उभरते है।
राज जितना अपने लंड को दबाता वो उतनी ही तेज़ी से झटका लेता।
इधर रागनी कोमल के रूम में आती है कोमल का यह रूप देखकर कुछ देर तो वो भी उसकी चूत के उभरे हुए होंठो को देखती रह जाती है।
देखो कैसे बेफिक्री से सो रही है महारानी नंगी पूंगी होकर।
"कोमल ओ कोमल चल उठजा बेशर्म घोड़ी।
कुछ पहन कर सो जाया कर घर में दो जवान मर्द भी घूमते फिरते है।
रागनी कोमल का बिस्तर ठीक कर रही थी और लगातार उसको आवाज़ लगा रही थी।
पर कोमल तो जैसे गहरी नींद में थी उसको कोई आवाज़ आ ही नही रही थी।
कोमल को इतनी गहरी नींद में सोता देख रागनी के मन में अपनी बेटी की जवानी को अपने हाथों से महसूस करने की इच्छा होने लगी।
कोमल को देख वो अपनी जवानी के दिनों में खो गई थी अपनी बेटी की जवानी को देख वो मन ही मन अपनी बेटी की तुलना अपने आप से करने लगी।
रागनी पर भी जवानी टूट कर आई थी जिस गली से निकल जाती थी वंहा सीटियां बजनी शुरू हो जाती थी।कुछ लड़के तो उसके इंतज़ार में खड़े रहते और रागनी के आते ही उसके गरम जिस्म से अपनी आंखों को सेकते रहते।
रागनी सोचने लगी क्या मेरी बेटियों को भी बाहर लोग हवस भरी नजरों से देखते होंगे जैसे मुझे देखते थे
बल्कि अभी भी देखते है।
रागनी अपनी सोंच से बाहर आई पर बाहर आते ही उसकी आँखों के सामने अपनी बेटी की जवान चूत थी।
रागनी ने एक हाथ बढ़ा कर अपनी बेटी की चूत पर रख दिया।
उफ्फ्फ रागनी को ऐसा लगा जैसे उसने अपना हाथ तपती हुई भट्टी पर रख दिया हो चूत से निकलती गर्मी से उसको अपने हाथ पर गर्मी महसूस होने लगी।
पर अगले ही पल कोमल की जाँघे भींच गई और रागनी का हाथ उसकी जांघो में फस गया पहले तो रागनी डर गई पर अगले ही पल कोमल के मुख से आती आवाज़ ने उसको सब कुछ समझा दिया।
"आआह आराम से जानू ऊईईई आराम से।
रागनी समझ गई कि कोमल सपना देख रही है।
"आआह प्यार से दबाओ जानू।
अपनी बेटी की सीत्कार सुनकर रागनी को उसपर तरस आने लगा।
उसने अपनी बेटी की चूत को अपनी मुट्ठी में दबा लिया अपनी चूत पर दबाव महसूस करते ही कोमल की जाँघे खुल गई अब रागनी की पूरी हथेली उसकी चूत पर सही से कस गई दो तीन बार चूत को दबाते ही कोमल की चूत ने रस की गंगा बहा दी पर इसबार रागनी ने उसकी जाँघे बंद होने से पहले ही अपने हाथ को वापस खींच लिया था।
कुछ देर रागनी कोमल के जिस्म को लगते झटकों को देखती रही फिर अपनी बेटी के माथे को चूम कर वापस किचन में आ गई।
किचन में खड़ी रागनी सोच रही थी अगर राज अंदर कोमल के रूम में चला जाता तो कोमल को इस हालत में देख पक्का इनका लौड़ा खड़ा हो जाता।
कुतिया कैसे पैरों को खोल कर सो रही थी और उसकी चूत का उभार उफ्फ कितना प्यारा था।
रागनी को एहसास था की उसकी बेटी जवान हो चुकी है।
तभी रागनी को अपनी गाँड पर किसी भारी चीज़ का एहसास हुआ और अगले ही पल वो राज की बांहों में थी।
"उफ्फ्फ क्या कर रहे हो छोड़ो बच्चे आ जायंगे।
"बस थोड़ी देर तुम्हे प्यार करलूँ अभी चला जाऊँगा।
राज अपने खड़े लौड़े को रागनी की गाँड में दबाता हुआ बोला।
"उफ्फ्फ हटो ना रात को इतनी चुदाई की थी ना'अब क्यों खड़ा कर रखा है इसको।
"ओह पीछे से तुम्हारी ये मस्तानी गाँड देख कर खड़ा हो गया।
राज ने अपने लौड़े को आगे धकेला।
रागनी को राज के लंड का तनाव देख उसपर शक होने लगा।अगली बार राज के धक्का मारने से पहले रागनी मुड़ गई और उसने सीधे हाथ को राज के लौड़े पर रखकर पकड़ लिया।
"कही किसी और को देख कर तो झटके नही मार रहा ये।
रागनी ने लौड़े को अपने हाथ से हिलाते हुए बोला।
"अरे और किसको देखेगा ये ये तो बस तुम पर मरता है मेरी जान।
"सही सही बताओ ये इतना सख्त क्यों हो रहा है।
रागनी अपने घुटनों पर बैठती हुई बोली।
"मेरी जान ये जो तुम्हारी गाँड है ना ये इसकी गलती है इसको देखते ही ये झटके मारने लगता है।
राज अपना लौड़ा रागनी के होंठो पर रगड़ता हुआ बोला।
"चलो तो फिर इसकी अकड़ निकालते है लेकिन जल्दी करना कोई भी जाग सकता है।
रागनी ने लंड के टोप्ले को अपने होंठो में दबाते हुए कहा।
"ससससस मेरी जान खा जाओ इसको।
लंड के होंठो की पकड़ में आते ही राज की सिसकारियां निकलने लगी।
"बिल्कुल मेरे राजा खा जाऊंगी इसको छोडूंगी नही।
रागनी ने अपने होंठो को गोल करते हुए चुप्पा लगाया।
pichost
"आआह ऐसे ही रानी चूस मेरा लौड़ा।
बिल्कुल रंडी की तरह चूस रही है।
"तुमने रंडी ही तो बना दिया है 'मुझे रात भर चोद कर भी तुम्हारा लंड खड़ा रहता है।लगता है इसके लिए किसी और चूत का भी इंतजाम करना पड़ेगा।
मेरे अकेली के अंदर अब इतनी हिम्मत नही।अब किसी जवान चूत का जुगाड़ करती हूं इसके लिए।
जवान चूत का नाम सुनते ही राज की आंखों में अपनी बेटी कोमल की गदराई हुई चूत घूमने लगी और उसका लौड़ा रागनी के मुँह में फूल कर और भी मोटा हो गया।
जो रागनी को भी महसूस हुआ जैसे जैसे राज के लंड के साइज बढ़ रहा था रागनी के होंठ उसपर सख्त हो रहे थे।
रागनी के मुँह से अब सिर्फ गूँ गूँ की आवाज़ ही निकल पा रही थी राज ने उसके बालो को पकड़ कर अपने लौड़े की तरफ धकेला तो पूरा लौड़ा जड़ तक रागनी के हलक में उतार दिया।
लंबा लंड हलक में फसते ही रागनी की आंखे बाहर को उबल पड़ी।
अपनी बीवी की हालत पर तरस आ गया राज को उसने धीरे धीरे अपने लिंग को रागनी के हलक से वापस खींच लिया।
"आआह मार ही डालोगे एक दिन मुझे।
लिंग के बाहर निकलते ही रागनी ने कहा।
"आआह मेरी जान थोड़ी देर के लिए झुक जाओ ना
बस मुझे रिलैक्स कर दो।
"चलो रूम में चलते है।
रागनी ने चूल्हा बंद करते हुए कहा।
खड़े लौड़े को चूसते चूसते उसकी चूत भी टपकने लगी थी।
राज और रागनी अपने रूम की तरफ बढ़े राज का लंबा लौड़ा अभी भी बाहर लटक रहा था जिसे छुपाने की उसने बिल्कुल भी कोशिश नही की थी।
ठीक इसी समय कामनी अपने रूम से बाहर आई।
राज के साथ अपनी भाभी को इस रूप में रूम में जाता देख सबकुछ समझ गई।ये लोग अपने रूम में गए और कामनी भागती हुई अमन के रूम में।
"अमन अमन उठो अमन जल्दी करो।
"क्या हुआ बुआ क्यों शोर मचा रही हो।
"चलो तुम्हे एक चीज़ दिखानी है चलो चलो जल्दी
कामनी अमन का हाथ पकड़ कर खींचती हुई उसे नीचे लाई और अपने होंठो पर उंगली रखकर उसे चुप रहने का इशारा किया।
कामनी ने देखा राज के रूम की एक खिड़की जो हमेशा खुली रहती थी अभी भी खुली थी कामनी राज को पकड़ कर उस खिड़की के सामने ले गई।
अंदर का नज़ारा देखते ही अमन की आंखों से नींद गायब हो गई।रूम के अंदर उसकी सती सावित्री माँ अपने गोरे जिस्म से अपनी साड़ी को खोल रही थी
अमन अपनी जननी की हरकतों को बड़े ध्यान से देख रहा था अपनी साड़ी को खोल कर रागनी ने एक तरफ रखा और जैसे ही खिड़की की तरफ मुड़ी तो अमन गले में लटके मंगलसूत्र और मांग में ताजा लगे सिंदूर को देखते ही समझ गया कि उसकी माँ नहा धोकर तैयार हो गई थी फिर सुबह सुबह चूत की आग इतनी भड़क गई उफ्फ्फ अमन की नज़र अपनी माँ के स्तनों की तरफ गई जो नई स्टाइल की जालीदार ब्रा में कसे हुए थे सफेद दूध काले रंग की जालीदार ब्रा से बाहर झांकते ऐसे लग रहे थे मानो कोयले के पहाड़ से सोना चमक रहा हो।
कितना चूसा है मेने इनको बचपन में हाय अब जवानी में भी चूसने को मिल जाये तो कितना मज़ा आयेगा।
तभी अंदर से राज की आवाज़ आई।
"इनको भी उतारो ना।
"नही बच्चे आ सकते है ऐसे ही करलो जल्दी से।
रागनी ने अपने पैरों को खोल कर अपने साए को अपनी कमर पर खींच लिया।
और उसके ऐसा करते ही अमन के मुंह से आआह निकलते निकलते बची।
उसकी माँ की गोरी गुलाबी चूत उसकी जन्म-स्थली
उसका जन्म-स्थान उसकी आँखों के सामने था जो हल्की काली झांटो के बीच से झांकता बहुत गोरा लग रहा था।
instagram hd image download
अपनी माँ का ये रूप अमन देखता रह गया हाय कितनी संस्कारी लगती है उसकी माँ और इस वक़्त एक रंडी की तरह व्यवहार कर रही है।
संस्कारी रंडी शायद ऐसी ही महिला को कहते है
अमन अपने जन्म-स्थान को आंखे फाड़े देख रहा था।
"हाय बुआ ये क्या दिख दिया आपने।