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Incest बरसात की रात,,,(Completed)

Lucky..

“ɪ ᴋɴᴏᴡ ᴡʜᴏ ɪ ᴀᴍ, ᴀɴᴅ ɪ ᴀᴍ ᴅᴀᴍɴ ᴘʀᴏᴜᴅ ᴏꜰ ɪᴛ.”
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कजरी किसी गैर मर्द के साथ अपने आपको अपने बेटे के सामने नग्न अवस्था में बर्दाश्त नहीं कर पाई और शर्म के मारे बेहोश होकर वहीं गिर पड़ी,,,, रघु एकदम आग बबूला हो चुका था जिस तरह से उसने दरवाजे को तोड़कर कमरे के अंदर प्रवेश करकेकमरे के अंदर के दृश्य को देखा था उसे से उसके तन बदन में आग लग गई थी क्रोध से जल रहा था,,, तू अपनी आंखों से साफ तौर पर देख रहा था कि उसकी मां शराब का गिलास हाथ में ली हुई थी और लाला पेट के बल पलंग पर लेट कर अपनी धोती खोल रहा था,,,, लाला रघु को इस तरह से देख कर एकदम से घबरा गया था,,,उसका दिमाग काम करना बंद कर दिया था और उसके हाथों में,, खून से सनी हुई कुल्हाड़ी देखकर लाला की और हालत खराब हो गई,,,, वह हड़बड़ा कर पलंग पर उठ कर बैठ गया रघु को इस तरह से गुस्से में देख कर उसकी सिट्टी पिट्टी गुम हो गई,,,।

हरिया,,,, कालू,,,,,,, शेरू कहां मर गए सब के सब,,,,,


तु सही कह रहा है लाला,,, तेरे तीनों आदमी,,(कुल्हाड़ी पर लगे खून को अपनी उंगली से साफ करते हुए) मर गए और इन तीनों को मैंने मारा है,,,,


क्या,,,? यह नहीं हो सकता यह हो ही नहीं सकता,,, वह तीनों एक एक 10 आदमी पर भारी है,,,,,


लेकिन तेरे तीनों आदमी मेरे सामने घुटने टेक दिए,,,, (कजरी बेहोश होकर पलंग के पास गिरी पड़ी थी एकदम नग्न अवस्था में लेकिन इस समय रघु के सर पर जुनून सवार था उसे केवल लाला दिखाई दे रहा था वह लाला को जान से मार देना चाहता था इसलिए वह अपनी मां की तरह बिल्कुल भी ध्यान नहीं दिया था,,,)


तू झूठ बोल रहा है हरामि,,,,, ऐसा हो ही नहीं सकता,,,,(लाला गुस्से में बोला)


तुझे विश्वास नहीं हो रहा है तो आवाज लगाकर बुला ले देख कौन आता है,,,, उन तीनों की लाशें घर के बाहर पड़ी है,,,,
(रघु की कही बातों पर लाला को बिल्कुल भी विश्वास नहीं हो रहा था उसे ऐसा लग रहा था कि उसके तीनों हाथ में शराब पीकर कहीं लुढ़क गए हों गए होंगे,,, क्योंकि उसे अपने तीनों आदमियों की ताकत पर पूरा भरोसा था किसी की हिम्मत नहीं थी कि उनके सामने नजर मिला सकें और यह लड़का उन्हें जान से मार देने का दावा कर रहा था लाला को बिल्कुल भी भरोसा नहीं हुआ तो वह फिर बोला,,,)



देख रघुबातें बनाना छोड़ दे मुझे अपने तीनों आदमियों पर पूरा भरोसा है साले शराब पीने में थोड़े कच्चे हैं इसलिए पीकर लुढ़क गए होंगे,,,,,

(इतना सुनते ही रघु जोर जोर से हंसने लगा,,, और उसकी तेज हंसी सुनकर लाला के पसीने छूट रहे थे उसके मन में यह बात कहीं ना कहीं घर कर गई थी कि वास्तव में रघु ने उसके तीनों आदमियों को जैसा कि वह कह रहा है मार दिया है,,, लेकिन उसे विश्वास नहीं हो रहा था,,,, लाला की बात सुनकर रघु बोला,,,)


मैं आज बहुत गुस्से में हूं लाला तीन क्या अगर 30 भी होते तो सब का वही हाल होता,,, जैसा कि तीनों का हुआ है,,,
(रघु की बात लाला के बिल्कुल भी पल्ले नहीं पड़ रही थी वह मानने को तैयार ही नहीं था कि रघु अकेले उसके तीनों आदमियों को ढेर कर सकता है,,,)

नामुमकिन ऐसा हो ही नहीं सकता,,,,


नामुमकिन को मुमकिन करने के लिए ही मैं यहां आया हूं,,, अपने तन की प्यास बुझाने के लिए तूने आज गलत औरत चुन लिया,,,, अपने अपमान का बदला लेने के लिए तूने यह रास्ता एहतियात किया है,,, तू सच में पापी है आज तेरे पाप का घड़ा भर चुका है,,,,,
(लाला अपने मन में सोचने लगा कि अगर रघु जो कुछ भी कह रहा है उसमें जरा सी भी सच्चाई है तो आज उसकी मौत निश्चित है लेकिन वह भी कुछ कम नहीं था इमानदारी से इस जगह पर नहीं पहुंचा था वह भी बेईमानी लूटपाट हत्या करने के बाद ही इस स्थिति में पहुंचा था इसलिए ऊपर चला था वह धीरे-धीरे अपना हाथ पलंग पर बिछड़े हुए गद्दे के नीचे रखी चाकू की तरफ ले जाने लगा,,,)


देख रघु जो कुछ भी तू कर रहा है वह बिल्कुल गलत है,,,,


और जो तू कर रहा है वह सही है,,,,,, हरामजादे गांव की ना जाने कितनी औरतों की इज्जत से तु खेल चुका है तेरी तो घर की सगी बहू पर गंदी नजर है तो दूसरी औरतों को क्या छोड़ेगा,,,,(अपनी बहू का जिक्र आते ही लाला झेंप सा गया फिर अपने बचाव में बोला,,,)

वह औरतें खुद चलकर मेरे पास आई थी मैं उन्हें जोर जबस्ती करके अपने बिस्तर पर नहीं लाया था,,,।


मजबूरी का फायदा उठाना भी जोर जबरदस्ती से कम नहीं होता लाला,,,, तेरी हर एक हरकत को मैं अच्छी तरह से जानता हूं लेकिन मुझे यह नहीं पता था कि,,, मेरी मां पर ही तू गंदी नजर डालेगा,,,,


नहीं नहीं रघु यह गलत बात है,, मैं तेरी मां को छोड़कर बस्ती करके या उठाकर नहीं गया वह खुद मेरे पास चलकर आई है,,,


हरामजादे मेरी मां दूसरी औरतों की तरह नहीं है जो खुद तेरे पास चलकर आएगी,,,


नहीं रघु मैं सच कह रहा हूं भगवान कसम,,,,


तेरे लिए भगवान कहां है तू तो खुद को ही भगवान समझ बैठा है,,, तेरी बहू कोमल ने मुझे सब कुछ बता दि है,,,, तु ही अपनी तीनों आदमी को मेरे घर भेज कर मेरी मां को उठा लाने के लिए बोला था,,,,(इतना सुनते ही लाला गुस्से से पागल हो गया और गद्दे के नीचे रखे चाकू को बाहर निकालकर सीधा रघु की तरफ जोर से फेंक कर मार दिया और वह चाकू सीधा उसके कंधे पर जाकर घुस गई,,,, रघु दर्द से बिलबिला उठा और यही मौका देख कर लाला उसी स्थिति में पलंग पर से उठा और बाहर की तरफ भागा,,,, रघु के कंधे में वह चाकू लगभग आधा घुस चुका था जिसे बड़ी मुश्किल से रघु जोर से पकड़ कर बाहर की तरफ खींच लिया और चक्कू जैसे ही बाहर निकली वैसे ही उसके कंधे में से खून का फव्वारा छूटने लगा,,,,, लाला घर से बाहर भाग चुका था रघु गुस्से से तिलमिला उठा एक नजर वह अपनी मां के ऊपर डाला जो कि एकदम नंगी बेहोश पड़ी थी और फिर दरवाजे की तरफ लपका,,,,

रुक जा हरामजादे आज तुझे मेरे हाथों से कोई नहीं बचा पाएगा,,,,,,

लाला घर से बाहर निकलते ही घर के आगे अपने ही आदमियों की लाशें देखकर भौचक्का रह गया उसे अपनी आंखों पर यकीन नहीं हो रहा था,,,, वह मुंह फाड़े आश्चर्य से अपने तीनों आदमियों की लाश को देखने लगा,,,,, तभी पीछे कुल्हाड़ी लेकर दहाड़ ते हुए रघु उसकी तरफ लपका,,,।


रुक जा मादरचोद कहां भागता है आज तेरी मौत निश्चित है हरामजादे,,,,(इतना सुनते ही लाला पूरी ताकत लगा कर भागने लगा वह नहर की तरफ भागते चला जा रहा था और रघु उसके पीछे-पीछे,,,, आज रघु उसका इस धरती से नामोनिशान मिटा देना चाहता था,,,,क्योंकि बार-बार उसकी आंखों के सामने वही तेरे से नजर आ रहा था जो कि वह दरवाजा तोड़कर अंदर की तरफ देखा था उसकी मां शराब का ग्लास लेकर खड़ी थी और लाला अपनी धोती खोल रहा था जो कि निश्चित तौर पर उसकी मां की चुदाई करने की तैयारी कर रहा था वह अपने मन में यह सोच रहा था कि पता नहीं वह उसकी मां को चोद पाया या नहीं,,,, अगर ऐसा हुआ तो वह भी मर जाएगा क्योंकि वह अपनी मां को किसी दूसरे के साथ चुदता हुआ नहीं देख सकता था,,, इसलिए लाला पर उसे और ज्यादा गुस्सा आ रहा था और वह बड़ी तेजी से लाला की तरफ भागता चला जा रहा था और लाला उसे जान बचाकर पूरा दम लगा कर भाग रहा था और भागते भागते नहर के किनारे कीचड़ में गिर पड़ा और रघु उसके करीब पहुंच गया,,,उसके कंधे में चाकू पूरी तरह से घुस जाने की वजह से उस में से खून निकल रहा था और उसे दर्द हो रहा था लेकिन फिर भी उसे अपने दर्द की चिंता नहीं थी आगे से अपने अपमान का बदला लेना था अपनी मां के साथ हुए अपमान का बदला लेना था,,,


मुझ से बच कर कहां जाएगा लाला आज तेरी मौत मेरे हाथों से लिखी है,,,


नहीं नहीं रघु मुझे माफ कर दे मुझसे गलती हो गई मुझे माफ कर दे,,,,,(लाला कीचड़ में रेंगते हुए आगे की तरफ हाथ जोड़े बढ़ रहा था,,, लेकिनरघु उसे माफ बिल्कुल भी नहीं करना चाहता था आज निश्चित कर लिया था कि आज वह अपने हाथों से उसे मारेगा,,,)


तेरी गलती माफ करने वाली नहीं है लाला,,, तुझे तो मेरे हाथों से मरना ही होगा,,, तेरी काली करतूतों को तो मैं अच्छी तरह से जानता था लेकिन यह नहीं जानता था कि तू मेरे कि घर में मेरी मां के ऊपर गंदी नजर डालेगा,,,,



देख रघु मैं तेरी मां को अपने आदमीयो से यहां उठा कर लाने की गलती कर चुका हूं लेकिन मेरी मान तेरी मां आज भी एकदम पवित्र है मैं तेरी मां के साथ अभी तक कुछ नहीं कर पाया हूं,,,(इतना सुनते ही रघु थोड़ी राहत महसूस हुई,,,) तो फिर मुझसे बदला लेना चाहता है तो बेशक ले लेकिन जैसा मैंने किया हूं वैसे ही मेरी बहू है ना कोमल तु उसके साथ कुछ भी कर सकता है,,, कुछ भी मैं कुछ नहीं कहूंगा,,,,।


हरामजादे मादरचोद समझ कर क्या रखा है तू कहेगा और मैं कोमल के साथ कुछ भी करूंगा मैं कोमल से प्यार करता हूं कुत्ते,,,,,(इतना सुनते ही लाला एकदम से झेंप गया,,) कोमल से मे सच में प्यार करता हूं,,,,, और हां आज इस दुनिया से जाते जाते तुझे एक हकीकत बता देता हूं ताकि तु यह हकीकत सुनकर मरने के बाद भी भटकता रहेगा तड़पता रहेगा जिसकी तू लेने के लिए दिन रात जुगाड़ में लगा रहता था ना वही तेरी बहू कोमल कि मैं ले चुका हूं और वह भी जबरदस्ती से नहींवो खुद अपनी मर्जी से मुझे अपना सब कुछ दे चुकी है और वह भी मुझसे उतना ही प्यार करती है जितना कि मैं अगर ऐसा ना होता तो तूफानी बारिश में भीगते हुए वह घर से बाहर निकल कर मुझे तेरे करतूत के बारे में बताने ना आती उसीने मुझे सब कुछ बताई है तभी तो मैं यहां पर पहुंच पाया हूं,,,(इतना सुनते ही लाला एकदम से आग बबूला हो गया और जोर से एक लात रघु के पेट में दे मारा रघु तिल मिलाकर वहीं गिर गया और मौके का फायदा उठाकर लाला उठ खड़ा हुआ और भागने लगा लेकिन रघु फुर्ती दिखाते हुए तुरंत खड़ा हुआ उसके पीछे भागते हुए जोर से चिल्लाया,,,,।

ला,,,,,,,,,,ला,,,,,,,(और इतना कहने के साथ ही कुल्हाड़ी का बार उसकी गर्दन पर कर दिया और उसका सर धड़ से अलग होकर नहर में जोकि पानी से भरा हुआ था और परी तेजी से बह रहा था उसमें गिर गया,,,, रघु बड़ी तेजी से हांफ रहा था लाला का काम तमाम हो चुका था उसकी करनी का फल उसे मिल चुका था आसमान में बादल जोर-जोर से गड़गड़ा रहे थे तूफानी बारिश अपना कहर बरसा रही थी,,,, रघु बदला ले चुका था उसके मन में खून की प्यास मिट चुकी थी उसके चेहरे पर लाला के खून के उड़े छींटे तेज बारिश में धुलने लगे थे,,,, लाला धीरे धीरे उस कमरे में आ गया जहां पर अभी भी उसकी मां बेहोश पड़ी थी वह कुछ देर के लिए बिस्तर पर बैठ गया चैन की सांस लेने लगा उसने अपनी मां को बचा लिया था उसकी इज्जत तार-तार होने से बचा लिया था वह एक नजर अपनी मां के ऊपर डाला जो कि अभी भी पूरी तरह से नंगी बेहोश होकर पड़ी थी इस समय अपनी मां को नंगी देखने के बावजूद भी उसके मन में उत्तेजना के भाव पैदा नहीं हो रहे थे क्योंकि समय का माहौल कुछ और था धीरे-धीरे बारिश कम हो रही थी लेकिन अभी सुबह होने में बहुत समय था और सुबह होने तक का इंतजार रघु नहीं कर सकता था क्योंकि वह नहीं चाहता था कि रात को जो कुछ भी हुआ उसके बारे में किसी को कुछ भी पता चले,,,,बिल्कुल भी नहीं चाहता था कि किसी को यह पता चला कि नाना अपने आदमियों को भेजकर उसकी मां को यहां पर उठाकर ले आया था उसके साथ मनमानी करने के लिए उसकी इज्जत लूटने के लिए वह अपने घर की और अपनी मां की इज्जत को सही सलामत रखना चाहता था इसलिए पूरी तरह से बारिश बंद होने का और सुबह होने का इंतजार किए बिना वह नीचे पड़े अपनी मां के कपड़ों को समेटने लगा और उसी तरह से अपनी मां को नग्न अवस्था में ही अपनी गोद में उठा लिया और कमरे से बाहर आ गया अभी भी बारिश हो रही थी तेज नहीं फिर भी पड़ ही रही थी बादलों की गड़गड़ाहट अभी भी सुनाई दे रही थी,,, तूफानी बारिश और रात का फायदा उठाकर इस घनघोर अंधेरे में रघु अपने घर पर पहुंचाना चाहता था ताकि किसी को भी पता ना चले इसलिए वह अपनी मां को गोद में उठाया उसके कपड़ों को कंधे पर टांग घर की तरफ बढ़ने लगा बारिश की वजह से किसी का ऐसे माहौल में नजर आना नामुमकिन ही था इसलिए रघु को थोड़ा इत्मीनान था लेकिन फिर भी वह सबकी नजरों से बचना चाहता था आखिरकार वह अपनी मां को लेकर घर पर तो हो चुका था और उसे बिस्तर पर लिटा दिया,,,, वह अपनी मम्मी से उसने कहा कि आज का उसकी जिंदगी का अच्छा दिन है या खराब आज उसकी बहन की शादी हुई है वह अपने ससुराल गई है और रात को अपने पति के साथ सुहागरात भी बना रही होगी और दूसरी तरफ आज उसकी मां की इज्जत तार-तार होने से बची थी और रघु के हाथों से चार चार हैवानों का खून हुआ था,,, अपनी मां के ही पास खटिए पर बैठ कर,,, सारी घटनाओं के बारे में सोचने लगा और अपनी मां के होश में आने का इंतजार करने लगा,,।
laajawab update
 

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सारे घटनाक्रम रघु के होश उड़ा दिया था ,, रघु कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि उसकी मां के साथ ऐसा हो जाएगा,,,, लेकिन वह मन ही मन कोमल को धन्यवाद देने लगा कि सही मौके पर आकर उसने सब कुछ बताती और वह सही समय पर लाला के घर पहुंच गया वरना अनर्थ हो जाता,,,, लेकिन फिर भी उसके मन में शंका हो रही थी कि ,,, लाला उसकी मां को चोदे बिना नहीं छोड़ सकता,,, उसके पहुंचने से पहले ही लाला उसकी मां की चुदाई कर दिया रघु यह बात अपने मन में सोच कर परेशान हो रहा था,,, लेकिन फिर अपनी ही बात को झूठ साबित करते हुए वह अपने मन में सोचने लगा कि जब वह दरवाजे तोड़कर कमरे में पहुंचा था तो उसकी मां पूरी तरह से नंगी खड़ी थी और लाला अपनी धोती उतार रहा था,,, इसका मतलब था कि वह ऊसकी चुदाई करने जा रहा था,,, चोद नहीं पाया था,,, वह खटिए पर बैठा बैठा यही सोच रहा था कि लाला उसकी मां को चोद पाया या नहीं इसी सवाल का उत्तर उसे नहीं मिल पा रहा था,,,अपने बारे में सोचने लगा कि इस सवाल का जवाब उसकी माही दे सकती है होश आने पर वह अपनी मां से इस बारे में जरूर बात करेगा,,,,,, लाला इतना नीचे गिर जाएगा इतना तो वह जानता ही था लेकिन उसकी बुरी नजर उसके ही घर में पड़ी है इस बात को वह मान नहीं पा रहा था लेकिन आज सब गिले-शिकवे दूर कर दिया था,,, आज लाला और उनके साथियों का काम तमाम हो चुका था उनके जुर्म और उनकी हवस का शिकार हो रही औरतें जब यह खबर सुनेगी तो खुशी से झूम उठेंगी,,,,,,,यही सोचते हुए लोगों के मन में इस बात की तसल्ली थी कि चलो गांव वालों को उसके जुर्म से निजात दिलाया और साथ ही अपनी मां की इज्जत भी बचा लिया और तो और उन लोगों को किसने मारा है यह बात किसी को भी कानों कान पता तक नहीं चलेगी यह बात केवल कोमल और उसकी मां ही जान सकती है उसकी मां तो यह बात किसी को बताने वाली नहीं है और कोमल पर उसे पूरा भरोसा था और वैसे भी वहां अपने ससुर से खुद परेशान हो चुकी थी अपनी इज्जत बचाती आ रही थी वह भी जरूर खबर सुनेगी तो उसका मन प्रसन्नता से झूम उठेगा,,,, यही सब सोचते हुए रघु अपनी मां की तरफ देखा जो कि समय एकदम बेहोश लेटी हुई थी और एकदम नंगी रघु की नजर अपनी मां के नंगे बदन पर ऊपर से नीचे तक गई जिंदगी में पहली बार वह अपनी मां को पूरी तरह से नंगी देख रहा था,,,,अपनी मां के नंगे बदन को और अच्छे से देखने के लिए वह खटिया पर से खड़ा हो गया और खड़े होकर अपनी मां को खटिया पर लेटी हुई देखने लगा वह अपनी मां को एकदम नंगी देख कर मन में सोचने लगा वहां क्या रूप है क्या बदन है एकदम अद्भुत कारीगरी का नमूना ऐसा लगता है कि जैसे खुद भगवान ने अपने हाथों से उसके खूबसूरत जिस्म को बनाया हो,,,, कजरी पीठ के बल लेटी हुई थी रघु अपनी मां की दोनों तनी हुई नंगी छातियों को देख रहा था जो कि सुसुप्त अवस्था में भी,, अद्भुत कामगार लग रही थी,,,,खरबूजे जैसी दोनों बड़ी-बड़ी चूचियां पानी भरे गुब्बारे की तरह छातियों पर लौटी हुई थी,,, पल भर में रघु के तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी,,,,उसका मन कर रहा था कि वह अपनी मां की दोनों चूचियों को अपने हाथों में पकड़ कर जोर जोर से दबाने का सुख भोगले लेकिन वह अपनी मां की मदमस्त जवानी को शायद अपनी आंखों से ही पीना चाहता था,,,,, दोनों चूचियों के नीचे सपाट चिकना पेट,,,, और कमर पर हल्की सी चमडियो की पडती दरार,,,, उसके खूबसूरत बदन में और ज्यादा इजाफा कर रहे थे अपनी आंखों से अपनी मां की खूबसूरत नंगे बदन के कटाव और उसकी रूपरेखा को देख रहा था क्योंकि बेहद कामोत्तेजना से भरे हुए मादक नजर आ रहे थे,,, रघु के मुंह में पानी आने लगा था साथ ही पजामे का आकार आगे से बढ़ने लगा था,,,,,,, रघु इस माहौल में भी पूरी तरह से उत्तेजित हुआ जा रहा था जिसका एक ही कारण था कि उसकी मां की खूबसूरती,,, उसका खूबसूरत चिकना मादक गदराया बदन,,,, खूबसूरती में कजरी इस समय स्वर्ग से उतरी हुई कोई अप्सरा लग रही थी,,,,, रघु का एक मन कह रहा था कि आज ही इसी समय वह अपनी मां के बेहोशी का फायदा उठाते हुए उसके साथ चुदाई का सुख प्राप्त कर लें लेकिन उसका दूसरा मन उसे ऐसा करने से रोक रहा था,,,, क्योंकि दूसरा मन ही जानता था कि ऐसा करना गलत है और माहौल भी ठीक नहीं था अभी अभी कुछ दिन पहले ही वह लाला के हाथों में थी जहां पर वह उसकी इज्जत लूटा जाता था और वहां भगवान से प्रार्थना कर रही थी पिक्चर बचाने के लिए,,, और ऐसे में रघुअपने बेटे का फर्ज निभाते हुए वहां पहुंचकर अपनी मां की इज्जत भी बचाया और उन है वानो का कत्ल भी कर दिया,,,,और उसका मन यही कह रहा था कि ऐसे में अगर वह अपनी मां की चुदाई करेगा तो लाला और उसके में बिल्कुल भी फर्क नहीं रह जाएगा वह एक तरह से अपनी मां के साथ जबरदस्ती कहीं जाएगी भले ही उसकी मां को इस बारे में पता नहीं चलेगा लेकिन,,, रघु इस मामले मेंअपने आप से ही नजर नहीं मिला पाएगा क्योंकि वह यही चाहता था कि उसकी मां अपने संमती से अपना बदन उसे सौंपे अपनी जवानी उस पर लुटाएं,,,,,,,, इसलिए रघु बहुत सोचने के बाद अपने आप को इस तरह की हरकत करने से रोकने लगा,,,,।


आधी रात से ज्यादा का समय हो रहा था,,, बरसात अभी भी बाहर हो रही थी रह रह कर बादलों की गड़गड़ाहट की आवाज सुनाई दे रही थी,,,,जिस तरह का खतरा उठा कर उठा ऐसी तूफानी बारिश लाला के आदमियों से लाला से भिडा था वह बेहद काबिले तारीफ था ऐसा शायद रघु के बस में बिल्कुल भी ना होता लेकिन ऐसी मुसीबत की घड़ी में रखो नहीं बल्कि एक बेटा अपना फर्ज निभाया था,,,, लाला से ना लाला के आदमियों से कोई भी इंसान भी भिडना नहीं चाहता था क्योंकि वह लोग बेहद बेरहम थे,,,,गांव की औरतों के साथ अपनी मनमानी करते थे उनका फायदा उठाते थे,,,, लेकिन शायद लाला की जिंदगी का यह आखरी मौका था जब वह कजरी के साथ अपनी मनमानी करना चाहा था,,,, आज ना तो लाला रह गया था और ना उसके आदमी,,,,वातावरण में अजीब सी शांति की केवल बारिश के शोर के सिवा और बीच-बीच में रह रहे कर बादलों की गड़गड़ाहट शांत वातावरण को भयानक बना दे रहा था,,,,हवा तेज चल रही थी जिसकी वजह से रघु को ठंड का एहसास हो रहा था,,,,उसके कपड़े भी पूरी तरह से किए थे वह कपड़े बदलने की सोचने लगा कि तभी उसे एहसास हुआ कि उसकी मां ऐसे ठंडे मौसम में भी एकदम नंगी लेटी हुई है भले ही बेहोश क्यों ना हो उसकी तबीयत खराब हो सकती है इसलिए वह,,,, उसके कपड़े जो कि घर में रस्सी पर टांग के रखे हुए थे उतार कर ले आया और सबसे पहले वह अपनी मां को ब्लाउज बनाने लगा हल्का सा सहारा देकर उसे उठाते हुए बराबर उसके दोनों हाथों में ब्लाउज डालकर उसे पहना दिया और उसके बटन बंद करते समय रघु की हालत खराब होने लगी क्योंकि ब्लाउज का बटन लगाते समय वह अपनी मां के चूची को अपने हाथ से पकड़ कर ब्लाउज के अंदर कर रहा था,,,, हालांकि इस तरह का काम वह बहुत सी औरतों के साथ कर चुका था लेकिन आज अपनी मां की चूची को हाथ से पकड़ कर ब्लाउज के अंदर डालने में उसे अद्भुत सुख का और उत्तेजना का एहसास हो रहा था,,,,,,, ज्यादा नहीं तो वह इस मौके का फायदा उठाते हुए अपनी मां की दोनों चुचियों को अपनी हथेली में भरकर दबा ले रहा था,,,, बारी-बारी से दोनों चूचियों को ब्लाउज में डालकर वह ब्लाउज का बटन बंद कर दिया,,,, और फिर पेटिकोट उठाकर उसे नीचे से दोनों टांग को पेटीकोट के अंदर डालकर पेटीकोट को ऊपर की तरफ उठाने लगा अपनी मां की चिकनी मांसल जांघों पर नजर करते हुए उसके होश खोने लगे इसकी आंखों में अपनी मां की मदमस्त जवानी की चमक नजर आने लगी,,, वह पेटीकोट को घुटनों से ऊपर की तरफ लाते हुए पेटीकोट को उसी तरह से छोड़कर अपने दोनों हाथों को अपनी मां की दोनों जांघों पर फिराने लगा,,, उसे अपनी मां की चरणों पर अपना हथेली फिराते हुए इस बात का एहसास हुआ कि उसकी मां की जांघ एकदम चिकनी एकदम मक्खन की तरह थी,,,,,, पल भर में ही रघु का लंड खड़ा हो गया,,,, जांघों के ऊपर उसे अपनी मां की बुर एकदम साफ नजर आ रही थी उसकी पतली पतली दरार लालटेन की रोशनी में चमक रही थी,,,,, ना जाने रघु के क्या सुझा ओर वह अपनी नाक को अपनी मां की बुर की दरार के बेहद करीब लाकर जोर से नाक से सांस अंदर की तरफ खींचने लगा,,,,, पल भर में भी कजरी की बुर से निकल रही मादक खुशबू रघु की छातियों में भर गई और बुर की खुशबू का मादकता भरा एहसास रघु के तन बदन में आग लगाने लगा,,,, रघु का मन तड़प रहा था अपनी मां की गुलाबी बुर की गुलाबी पत्तियों को फैला कर उसमें जीभ डाल कर चाटने के लिए,,,,लेकिन ऐसा करने से वह बड़ी मुश्किल से अपने मन को शांत कर पाया और बस बुर की खुशबू लेकर अपने आपको मना लिया,,, पेटिकोट को कमर तक लाने के लिए वह अपनी मां की गांड को एक हाथ से पकड़ कर ऊपर की तरफ उठाया और पेटीकोट को कमर तक ले आया और उसकी डोरी को बांध दिया कुछ देर पहले खटिया पर कजरी एकदम नंगी लेटी हुई थी लेकिन रघु उसके तन पर ब्लाउज और पेटीकोट पहना दिया था और बिना कुछ और सोचे बिना वहां अपनी मां की बदन पर चादर डालकर उसे ओढ़ा दिया और खुद अपने कपड़े को बदलकर वही नीचे चटाई बिछा कर लेट गया,,।
Awesome update
 
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