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Incest बरसात की रात,,,(Completed)

hellboy

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सुबह रघु की नींद सबसे पहले खुली,,, अंगड़ाई लेता हुआ वह चटाई पर उठ कर बैठ गया,,, खटिया पर सोई हुई अपनी मां की तरफ एक नजर डाला उसके मासूम और खूबसूरत चेहरे को देखकर उसके होठों पर मुस्कान तैरने लगी,,, वह अच्छी तरह से जानता था कि शालू घर का बहुत सा काम संभालती लेकिन शादी के बाद अपने घर चली जाने की वजह से उसे लगने लगा था कि, उसे भी अपनी मां का हाथ बढ़ाना चाहिए ताकि घर के सारे काम का पूछो उस पर अकेले ना पड़ जाए,,,,वैसे भी रघु को इस बात का अच्छी तरह से साफ था कि घर में केवल वह और उसकी मां ही है जिससे उसे भी अपनी मां को आराम देना चाहिए,,,अपने मन में सोच रहा था कि घर के काम में हाथ बढ़ाकर अगर वह अपनी मां को खुश रखेगा तो उसकी मां उसे खुश रखेगी,,,,,,, तभी उसे ख्याल आया कि वो खुद अपनी मां को कपड़े पहनाया था,,, उसकी मां खटिया पर एकदम नंगी थी अपनी मां को अपने हाथों से कपड़े पहनाने का अनुभव से पहली बार हो रहा था ना कि उसने अब तक दोषी औरतों का सिर्फ अपने हाथों से कपड़े ही बता रहा था लेकिन पहली बार अपनी मां को कपड़े पहनाते हुए उसे अच्छा लग रहा था उसे वह बात भी याद आ गई जब वह अपनी मां को पेटीकोट पहनाते हुए अपने हाथों से उसकी दोनों टांगों को फैला कर उसकी रसभरी गुलाबी बुर पर अपनी नाक रखकर उसकी मादक खुशबू को अपने अंदर लिया था ऊस एहसास को वह कभी भूल नहीं पाएगा,,,,। पल भर में ही उस बात को याद करते ही पजामे में उसका लंड पूरी तरह से खड़ा हो गया वैसे भी मर्दों को हमेशा सुबह में कुछ ज्यादा ही उत्तेजना का अनुभव होता है और बिना कुछ किए ही घंटे खड़ा हो जाता है लेकिन यहां तो उसके पास में खूबसूरती का पूरा खजाना लेटा हुआ था और उस खजाने को लूटने का रघु के पास पूरा मौका था लेकिन वह उस मौके का फायदा उठाना नहीं चाहता था लेकिन फिर भी अपनी मां के खूबसूरत बदन को याद करके उसके पूरी तरह से खराब हो गया था चटाई पर खड़ा हो गया ना चाहते हुए भी वह पजामे को घुटनों तक लाकर अपने खड़े लंड को हाथ में पकड़ कर हिलाना शुरू कर दिया,,,,वह अपनी मां को ऊपर से नीचे तक देखे जा रहा था और जोर-जोर से अपना लंड हीलाए जा रहा था,,,, रघु अजीब सी दुविधा में था एक तो अपनी मां के बेहोशी का फायदा आकर उसे चोद सकता था लेकिन वह इस तरह से अपने आप को और अपनी मां को धोखे में नहीं रखना चाहता था और दूसरी तरफ अपनी मां की खूबसूरत बदन को देख कर उसे रहा भी नहीं जा रहा था जिसकी वजह से वह खटिया पर लेटी हुई अपनी मां की खूबसूरत बदन को देखकर अपना लंड जोर जोर से हिला रहा था,,,,, रघु इस तरह से अपना पानी निकालना नहीं चाहता था इसलिए अपने आप पर काबू करते हुए वह अपने पजामे को ऊपर की तरफ चढ़ा दिया,,,, और बाहर निकल गया बारिश की वजह से सुबह का मौसम बेहद सुहावना लग रहा था वह झाडु उठाकर आंगन में झाड़ू लगाने लगा,,, ऐसा काम हुआ पहले कभी नहीं किया था लेकिन अब उसे लगने लगा था कि इस तरह का काम से करना पड़ेगा अपनी मां के काम में हाथ उसे बताना ही पड़ेगा इसलिए थोड़ी देर में वह सारे आंगन में झाड़ू मार कर सफाई कर दिया,,,,, और जल्दी से चूल्हा जलाकर उस पर चाय पकने के लिए रख दिया हालांकि बिना नहाए वह कभी भी चाय नाश्ता नहीं करता था लेकिन आज ना जाने क्या उसके दिमाग में चल रहा था उसकी मां अभी भी खटिया पर लेटी हुई थी,,,,, रघु नीम के पेड़ से दातुन तोड़कर दांत घिसने लगा था,,,,

दूसरी तरफ लंबे समय तक बेहोशी की चादर ओढ़ी हुई कजरी की आंख जैसे ही खुद ही भाग एकदम से घबराकर खटिए पर बैठ गई,,,,


नहीं-नहीं लाला ऐसा गजब मत करना,,,,,,(डर के मारे उसके मुंह से इस तरह की बात निकल गई वह अपनी चारों तरफ देखने लगी उसे लगने लगा कि यह तो उसका ही घर है वह पूरी तरह से होश में नहीं थी इसलिए बार-बार अपनी आंखों को मल दे रही थी,,,,थोड़ी देर बाद गौर से देखने के बाद उसे इस बात का एहसास हुआ कि वह लाला के घर पर नहीं बल्कि अपने खुद के घर पर मौजूद है वह खटिए को देखने लगी चारों तरफ दीवारों को देखने लगी घर के सामान को देखने लगी,,,उसे यकीन नहीं हो रहा था क्योंकि जिस तरह के चक्रव्यू में वह फंसी थी वहां से निकल कर वापस लौट कर आना नामुमकिन था,,,,, वह यह सब अभी सोच ही रही थी कि रघु कटोरी में चाय छानकर कमरे में हो क्या और अपनी मां को इस तरह से खटिया पर बैठा हुआ देखकर खुश हो गया,,,,, कजरी को अभी भी यकीन नहीं हो रहा था अपने बेटे को अपनी आंखों के सामने देख कर वह मन में कुछ तो हो रही थी लेकिन कुछ समझ में नहीं आ रहा था,,,,रघु ही अपनी मां की संख्या को दूर करते हुए और चाय की कटोरी को उसकी तरफ आगे बढ़ाकर बोला,,,,।


इस तरह से हैरान क्यों हो रही हो मां,,,,,यह , अपना ही घर है,,,,, और तुम अपने ही घर में हो,,,,


लललल,,, लेकिन लाला,,,,,(घबराहट भरे स्वर में बोली)


लाला लोड़े लग गए,,,,(अचानक ही उसके मुंह से निकल गया और वो मुस्कुरा दिया लेकिन कजरी पर इसका बिल्कुल भी असर नहीं हुआ वह भी घबराई हुई थी,,,,)

ममममम,,, मैं कुछ समझी नहीं बेटा क्या हुआ था,,,, तुझे दरवाजा तोड़कर अंदर आया तो तेरे कुल्हाड़ी पर खून लगा हुआ था मैं एकदम से घबरा गई और गिर गई बस इतना याद है इसके बाद मुझे कुछ याद नहीं है,,,, लेकिन तेरे कुल्हाड़ी पर खून कैसा लगा हुआ था,,,,।


वो खून लाला के आदमियों का था,,,,(रघु मुस्कुराता हुआ उस चटाई पर चाय की चुस्की ले कर बैठते हुए बोला,,, कजरी अपने बेटे के मुंह से यह बात सुनते ही एकदम से घबरा गई,,,)


यह क्या कह रहा है तू बेटा,,,,


वही जो तुम सुन रही हो मां,,,,, क्यों मुझ पर विश्वास नहीं हो रहा है क्या कि मैं अकेले ही उसके तीनों आदमियों को कैसे मार दूंगा,,,,,
(अपने बेटे की बातें सुनकर कजरी बोली कुछ नहीं बस ना में सिर हिला दी उसे वाकई में विश्वास नहीं हो रहा था अपनी मां को इस तरह से आश्चर्य होता हुआ देखकर वह बोला,,,)


मा बात समझ लो कि अगर मैं उन तीनों आदमियों के साथ-साथ लाला को ना मारता तो शायद तुम इस समय यहां नहीं होती,,,,,,,,(चाय की चुस्की लेते हुए रघु बड़े इत्मीनान से बोला,,,, वह अपनी मां की तरफ देख रहा था जो की पूरी तरह से आश्चर्यचकित हुए जा रही थी,,,और, उसे देख कर रघु मन ही मन मुस्कुरा रहा था,,,रघु यह बात अच्छी तरह से जानता था कि जिस तरह का उसने कार्य कर दिया है उस पर किसी को भी विश्वास नहीं होगा और यह भी जानता था कि लाला और लाला के साथियों का जो हाल हुआ है और किसने किया है इस बारे में किसी को कानों कान पता तक नहीं चलेगा,,,,)


नहीं रघु नहीं तु किसी का खून नहीं कर सकता,,,,


करना पड़ा मैं जिस तरह के हालात थे उस समय मैं क्या कोई भी होता वही करता जो मैंने किया है अगर मैं ऐसा नहीं करता तो वह लोग मुझे मार देते तुम्हें मार देते,,,(रघु की बात सुनते ही कजरी को लाला की वह बात याद आ गई लाला भी रघु को मारना चाहता था मौत के घाट उतारना चाहता था,,, और लाला कजरी से उसकी इज्जत गिरवी रख कर उसके बेटे रघु की जान बख्श ना चाहता था,,, यह बात मन में आते ही कजरी थोड़ी शांति क्योंकि उसे इस बात का एहसास हो गया था कि अगर रघु उन लोगों को नहीं मारता तो बोलोगी से मार देते,,,,)

लेकिन तूने इतना बड़ा कारनामा कर कैसे दिखाया मुझे तो बिल्कुल भी विश्वास नहीं हो रहा,,,,।


मां जब इंसान पर मुसीबत आती है तो कमजोर से कमजोर इंसान मजबूत बन जाता है और कुछ भी कर सकने के लिए तैयार हो जाता है,,,।,, और मैंने भी वही कियाजब मुझे इस बात का पता चला कि लाला के आदमी तुम्हें घर से उठाकर ले गए हैं मैं एकदम लोकल आ गया मेरे अंदर बदले की भावना भड़कने लगी मैं किसी भी तरह से तुम को बचाना और लाला को मारना चाहता था,,,,


लेकिन तुझे यह बात किसने बताया कि मुझे लाला के आदमी उठाकर ले गए है,,,, कहीं आस पड़ोस वालों को तो खबर नहीं है,,,।

नहीं नहीं रात में तुम्हारे साथ क्या हुआ है यह गांव वालों को भनक तक नहीं है सिर्फ कोमल को मालूम है और कोमल ने ही मुझे बताई थी तब मैं जाकर वहां पर पहुंच पाया था,,


कोमल वही लाला की बहू,,,


हां मां लाला की बहू,,, भला हो उसका जो अपने ससुर की बातों को सुन ली थी और मुझे आकर बता दी,,,, लेकिन मां मैं तुमसे एक बात पूछना चाहता हूं सच सच बताना,,,,(रघु चाय की आखरी चुस्की भरकर कटोरी को नीचे रख दिया)


क्या,,,,?


क्या लाला ने या उसके आदमियों ने,,,,, मेरा मतलब है कि,,,,,(रघु थोड़ा सा घबराते हुए और शरमाते हुए) मैं पूछना चाहता हूं कि,,,,


अरे क्या पूछना चाहता है बोलेगा भी,,,,


यही कि क्या लाला,,, तुम्हारी,,,, चुदाई कर पाया,,,,,,
(अपने बेटे के सवाल पर कचरी उसके चेहरे को बड़े गौर से देखने लगी वह जानती थी कि जिस तरह का माहौल बना हुआ था उससे किसी के भी मन में यही सवाल आना लाजमी है,,,,वह बबली आराम से जवाब देते हुए बोली,,)


नहीं मेरे लाल ऐसा कुछ भी नहीं हो पाया जैसा मैं पहले थी आज भी वैसे ही हूं एकदम पवित्र,,,,


ओहहहह,,, मां,,,,यह बात सुनकर मैं कितना खुश हूं यह बता नहीं सकता(इतना कहते हुए वह अपनी मां को गले लगा लिया,,,) इसका मतलब है कि मैं समय पर वहां पहुंच गया,,,,,,(वह वापस अपनी मां को अलग करती हुए)
लेकिन मां जब मैं वहां पहुंचा था तब तुम लाला के सामने एकदम नंगी थी बिल्कुल नंगी,,,,
(अपने बेटे के मुंह से अपने लिए नंगी शब्द सुनते ही वो एकदम से शर्मा गई,,,,) मैं तो तुम्हें लाला के सामने इस तरह से नंगी देखकर एकदम से घबरा गया,,,,,


क्यों घबरा गया,,,?


मैं सोचा कि लगता है कि लाला तुम्हारा काम तमाम कर दिया,,,,


काम तमाम कर दिया है मतलब,,,,


अरे मतलब यही कि लाला तुम्हारी चुदाई कर दिया है,,,,(रघु जानबूझकर अपनी मां से खुले शब्दों में बातें कर रहा था वह अपने लिए रास्ता बना रहा था,,,, वह जानता था कि उसकी मां के मन में भी उसको लेकर आकर्षण है क्योंकि अब तक ना जाने वह कितनी बार अपनी मां के सामने शर्मिंदा होने वाली हरकत कर चुका है लेकिन उसकी मां कुछ नहीं बोलती,,, रघु की बात सुनकर रजनी एकदम से शरमा गई और अपनी नजरों को नीचे करते हुए बोली,,)

धत्,,,, कैसी बातें कर रहा हैं तुझे शर्म नहीं आ रही है,,,


अरे कैसी बातें क्या,,,, जिस हाल में मैंने तुम्हें देखा हूं किसी को भी लगेगा कि वह सब कुछ हो गया होगा और वैसे भी लाला तुम्हारी पूजा करने के लिए तो ले नहीं गया था वह तो तुम्हारी चुदाई करने के लिए ही ले गया था,,,,(रघु उसी चटाई पर बैठे-बैठे भी बोला और उसकी इस तरह की अश्लील गंदी बातें,, कजरी के तन बदन में अजीब सी हलचल पैदा कर रही थी,,,) इस बात से तुम भी इनकार नहीं कर सकती मां,,,,


तू सच कह रहा है लाला इसी काम के लिए मुझे अपने आदमियों से उठवा कर वहां ले गया था,,,, लेकिन शायद मेरी किस्मत बहुत अच्छी थी जो मुझे तुझ जैसा बेटा मिला है और मैं आज तेरे सामने सही सलामत हुं,,,,,,, लेकिन एक बात मैं भी पूछना चाहती हूं की जब मैं वहां तेरे सामने थी और तेरे सामने बेहोश होकर गिर गई थी तब मेरे बदन पर एक भी कपड़ा नहीं था मतलब कि मैं उसे में एकदम नंगी थी और इस समय मैं यहां पर,,,(कजरी अपने कपड़ों की तरफ देखते हुए बोली अपनी मां के कहने का मतलब तो रघु अच्छी तरह से समझ गया था इसलिए मुस्कुराने लगा और कजरी इस तरह की बातें अपने बेटे से करके उत्तेजित हो जा रही थी जिसका असर से अपनी दोनों टांगों के बीच की पतली करार में महसूस हो रही थी उसमें से मदन रस का रिसाव होना शुरु हो गया था,,,)


मैं अच्छी तरह से जानता हूं मां की तुम क्या कहना चाह रही हो,,, यही ना कि तुम्हारे बदन पर कपड़े कैसे आ गए,,,


हां मैं यही पूछना चाहती हूं,,,


मैं पहनाया हूं अपने हाथों से,,,,


क्या तूने,,,,? मुझे तो यकीन नहीं हो रहा है लेकिन कहां बनाया था वही लाला के घर पर,,,,


नहीं मैं वहां सूखे कपड़े कहां थे,,,, मैं वहां से तुम्हें यहां तक नंगी ही लेकर आया था और अपनी गोद में उठाकर,,,,


क्या गोद में उठाकर,,,,(इस बात से कजरी एकदम से उत्तेजित हो गई वह अपनी बेटी की ताकत को लेकर बेहद उत्साहित नजर आने लगी और इस बात से और ज्यादा उत्तेजना महसूस करने लगी की उसे एकदम नंगी उसका बेटा अपनी गोद में उठाकर यहां तक लाया,,,)


किसी ने देखा तो नहीं,,,


किसी ने नहीं देखा मां,,,और कोई देख ना ले इसलिए मैं रात को ही वहां से तुम्हें लेकर आ गया बरसात हो रही थी चारों तरफ पानी ही पानी था और यही मौका भी ठीक था वहां से घर तक ले आने के लिए क्योंकि मैं नहीं चाहता था कि रात को जो कुछ भी हुआ वह किसी को पता चले,,,


तो क्या इस बारे में किसी को भी पता नहीं है,,,


किसी को भी नहीं सिवाय मेरे तुम्हारे और कोमल के,,,,
(कजरी को अपनी बेटे पर गर्व हो रहा था लेकिन इस समय अपने बेटे की बातों को सुनकर उसकी हिम्मत भरी बातों को सुनकर और उसके कारनामों के कारण उसे अपने रघु में बेटा नहीं बल्कि एक मर्दाना ताकत और जोश से भरा हुआ मर्द नजर आ रहा था और यही एक पतली रेखा होती है पारिवारिक रिश्तो में जिस्मानी संबंध की शुरुआत के लिए क्योंकि जब अपने रिश्तेदारों में औरतें आदमी को रिश्तो की जगह और इतिहास पुरुष नजर आने लगे तो किसी भी मर्यादा से बनी हुई दीवार टूटने में समय नहीं लगता और शायद यही हाल कजरी और रघु का भी होने वाला था तभी तो कजरी अब अपने बेटे के प्रति कुछ ज्यादा ही आकर्षित होने लगी थी,,,)


बोलो इतना कुछ हो गया लेकिन किसी को कानों कान खबर तक नहीं है और अच्छा ही हुआ बेटा कि इस बारे में किसी को पता नहीं है वरना मैं बदनाम हो जाती,,,,,, तुझ पर मुझे बहुत नाज है बेटा,,,



नाज कैसा मा यह तो मेरा फर्ज है,,,,,
(इतना सुनकर दोनों एक दूसरे को देखते हुए मुस्कुराने लगे,,, कजरी हाथ में चाय की कटोरी ली थी जिसे होठों पर लगाकर पीना शुरू कर दी चाय ठंडी हो चुकी थी लेकिन फिर भी वह उसे बड़े प्यार से पीने लगी क्योंकि पहली बार उसके बेटे ने उसके लिए चाय जो बनाई थी,,, चाय की चुस्की लेते हुए कचरी जो कि उसके मन में बहुत देर से चल रहा था वह बोली,,,)

मैं तुझसे एक बात पूछना चाहती हूं जिसका जवाब तु सही सही देना,,,


पूछो क्या पूछना चाहती है,,,,


वैसे तो मुझे तुझसे पूछने में शर्म आ रही है लेकिन फिर भी जिस हालात में तु मुझे वहां से यहां लाया था अब ऐसा लगता है कि शायद हम दोनों के बीच शर्म वाली कोई बात नहीं रह गई है इसलिए मैं तुझसे पूछना चाहती हूं,,,


पूछो ना मा बेझिझक पूछो,,,,
awesome update bro.ab wait ni ho rha h kajri ko raghu se chudte hue dekhne k lie
 

Napster

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बहुत ही सुंदर लाजवाब और रमणिय अपडेट है भाई मजा आ गया
कजरी की शर्म झिझक रघू के लिये लगभग खत्म हो गई अब खुलेआम चुदाई की बाते चलेगी
शायद यही बात कजरी रघू के साथ करने की संभावना लगती हैं
कोमल को मंजधार में अकेला ना छोडो
रघू की शादी कोमल से करावा कर रघू को लाला की संपत्ती का रखवाला बनाकर एक सुखद घटना होनी चाहिए
बाकी आपकी लेखनी तो जबरदस्त हैं ही
अगले रोमांचकारी धमाकेदार और चुदाईदार अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा
 

rohnny4545

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बहुत ही सुंदर लाजवाब और रमणिय अपडेट है भाई मजा आ गया
कजरी की शर्म झिझक रघू के लिये लगभग खत्म हो गई अब खुलेआम चुदाई की बाते चलेगी
शायद यही बात कजरी रघू के साथ करने की संभावना लगती हैं
कोमल को मंजधार में अकेला ना छोडो
रघू की शादी कोमल से करावा कर रघू को लाला की संपत्ती का रखवाला बनाकर एक सुखद घटना होनी चाहिए
बाकी आपकी लेखनी तो जबरदस्त हैं ही
अगले रोमांचकारी धमाकेदार और चुदाईदार अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा
अति सुन्दर कमेंट्स
 

Royal boy034

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सुबह रघु की नींद सबसे पहले खुली,,, अंगड़ाई लेता हुआ वह चटाई पर उठ कर बैठ गया,,, खटिया पर सोई हुई अपनी मां की तरफ एक नजर डाला उसके मासूम और खूबसूरत चेहरे को देखकर उसके होठों पर मुस्कान तैरने लगी,,, वह अच्छी तरह से जानता था कि शालू घर का बहुत सा काम संभालती लेकिन शादी के बाद अपने घर चली जाने की वजह से उसे लगने लगा था कि, उसे भी अपनी मां का हाथ बढ़ाना चाहिए ताकि घर के सारे काम का पूछो उस पर अकेले ना पड़ जाए,,,,वैसे भी रघु को इस बात का अच्छी तरह से साफ था कि घर में केवल वह और उसकी मां ही है जिससे उसे भी अपनी मां को आराम देना चाहिए,,,अपने मन में सोच रहा था कि घर के काम में हाथ बढ़ाकर अगर वह अपनी मां को खुश रखेगा तो उसकी मां उसे खुश रखेगी,,,,,,, तभी उसे ख्याल आया कि वो खुद अपनी मां को कपड़े पहनाया था,,, उसकी मां खटिया पर एकदम नंगी थी अपनी मां को अपने हाथों से कपड़े पहनाने का अनुभव से पहली बार हो रहा था ना कि उसने अब तक दोषी औरतों का सिर्फ अपने हाथों से कपड़े ही बता रहा था लेकिन पहली बार अपनी मां को कपड़े पहनाते हुए उसे अच्छा लग रहा था उसे वह बात भी याद आ गई जब वह अपनी मां को पेटीकोट पहनाते हुए अपने हाथों से उसकी दोनों टांगों को फैला कर उसकी रसभरी गुलाबी बुर पर अपनी नाक रखकर उसकी मादक खुशबू को अपने अंदर लिया था ऊस एहसास को वह कभी भूल नहीं पाएगा,,,,। पल भर में ही उस बात को याद करते ही पजामे में उसका लंड पूरी तरह से खड़ा हो गया वैसे भी मर्दों को हमेशा सुबह में कुछ ज्यादा ही उत्तेजना का अनुभव होता है और बिना कुछ किए ही घंटे खड़ा हो जाता है लेकिन यहां तो उसके पास में खूबसूरती का पूरा खजाना लेटा हुआ था और उस खजाने को लूटने का रघु के पास पूरा मौका था लेकिन वह उस मौके का फायदा उठाना नहीं चाहता था लेकिन फिर भी अपनी मां के खूबसूरत बदन को याद करके उसके पूरी तरह से खराब हो गया था चटाई पर खड़ा हो गया ना चाहते हुए भी वह पजामे को घुटनों तक लाकर अपने खड़े लंड को हाथ में पकड़ कर हिलाना शुरू कर दिया,,,,वह अपनी मां को ऊपर से नीचे तक देखे जा रहा था और जोर-जोर से अपना लंड हीलाए जा रहा था,,,, रघु अजीब सी दुविधा में था एक तो अपनी मां के बेहोशी का फायदा आकर उसे चोद सकता था लेकिन वह इस तरह से अपने आप को और अपनी मां को धोखे में नहीं रखना चाहता था और दूसरी तरफ अपनी मां की खूबसूरत बदन को देख कर उसे रहा भी नहीं जा रहा था जिसकी वजह से वह खटिया पर लेटी हुई अपनी मां की खूबसूरत बदन को देखकर अपना लंड जोर जोर से हिला रहा था,,,,, रघु इस तरह से अपना पानी निकालना नहीं चाहता था इसलिए अपने आप पर काबू करते हुए वह अपने पजामे को ऊपर की तरफ चढ़ा दिया,,,, और बाहर निकल गया बारिश की वजह से सुबह का मौसम बेहद सुहावना लग रहा था वह झाडु उठाकर आंगन में झाड़ू लगाने लगा,,, ऐसा काम हुआ पहले कभी नहीं किया था लेकिन अब उसे लगने लगा था कि इस तरह का काम से करना पड़ेगा अपनी मां के काम में हाथ उसे बताना ही पड़ेगा इसलिए थोड़ी देर में वह सारे आंगन में झाड़ू मार कर सफाई कर दिया,,,,, और जल्दी से चूल्हा जलाकर उस पर चाय पकने के लिए रख दिया हालांकि बिना नहाए वह कभी भी चाय नाश्ता नहीं करता था लेकिन आज ना जाने क्या उसके दिमाग में चल रहा था उसकी मां अभी भी खटिया पर लेटी हुई थी,,,,, रघु नीम के पेड़ से दातुन तोड़कर दांत घिसने लगा था,,,,

दूसरी तरफ लंबे समय तक बेहोशी की चादर ओढ़ी हुई कजरी की आंख जैसे ही खुद ही भाग एकदम से घबराकर खटिए पर बैठ गई,,,,


नहीं-नहीं लाला ऐसा गजब मत करना,,,,,,(डर के मारे उसके मुंह से इस तरह की बात निकल गई वह अपनी चारों तरफ देखने लगी उसे लगने लगा कि यह तो उसका ही घर है वह पूरी तरह से होश में नहीं थी इसलिए बार-बार अपनी आंखों को मल दे रही थी,,,,थोड़ी देर बाद गौर से देखने के बाद उसे इस बात का एहसास हुआ कि वह लाला के घर पर नहीं बल्कि अपने खुद के घर पर मौजूद है वह खटिए को देखने लगी चारों तरफ दीवारों को देखने लगी घर के सामान को देखने लगी,,,उसे यकीन नहीं हो रहा था क्योंकि जिस तरह के चक्रव्यू में वह फंसी थी वहां से निकल कर वापस लौट कर आना नामुमकिन था,,,,, वह यह सब अभी सोच ही रही थी कि रघु कटोरी में चाय छानकर कमरे में हो क्या और अपनी मां को इस तरह से खटिया पर बैठा हुआ देखकर खुश हो गया,,,,, कजरी को अभी भी यकीन नहीं हो रहा था अपने बेटे को अपनी आंखों के सामने देख कर वह मन में कुछ तो हो रही थी लेकिन कुछ समझ में नहीं आ रहा था,,,,रघु ही अपनी मां की संख्या को दूर करते हुए और चाय की कटोरी को उसकी तरफ आगे बढ़ाकर बोला,,,,।


इस तरह से हैरान क्यों हो रही हो मां,,,,,यह , अपना ही घर है,,,,, और तुम अपने ही घर में हो,,,,


लललल,,, लेकिन लाला,,,,,(घबराहट भरे स्वर में बोली)


लाला लोड़े लग गए,,,,(अचानक ही उसके मुंह से निकल गया और वो मुस्कुरा दिया लेकिन कजरी पर इसका बिल्कुल भी असर नहीं हुआ वह भी घबराई हुई थी,,,,)

ममममम,,, मैं कुछ समझी नहीं बेटा क्या हुआ था,,,, तुझे दरवाजा तोड़कर अंदर आया तो तेरे कुल्हाड़ी पर खून लगा हुआ था मैं एकदम से घबरा गई और गिर गई बस इतना याद है इसके बाद मुझे कुछ याद नहीं है,,,, लेकिन तेरे कुल्हाड़ी पर खून कैसा लगा हुआ था,,,,।


वो खून लाला के आदमियों का था,,,,(रघु मुस्कुराता हुआ उस चटाई पर चाय की चुस्की ले कर बैठते हुए बोला,,, कजरी अपने बेटे के मुंह से यह बात सुनते ही एकदम से घबरा गई,,,)


यह क्या कह रहा है तू बेटा,,,,


वही जो तुम सुन रही हो मां,,,,, क्यों मुझ पर विश्वास नहीं हो रहा है क्या कि मैं अकेले ही उसके तीनों आदमियों को कैसे मार दूंगा,,,,,
(अपने बेटे की बातें सुनकर कजरी बोली कुछ नहीं बस ना में सिर हिला दी उसे वाकई में विश्वास नहीं हो रहा था अपनी मां को इस तरह से आश्चर्य होता हुआ देखकर वह बोला,,,)


मा बात समझ लो कि अगर मैं उन तीनों आदमियों के साथ-साथ लाला को ना मारता तो शायद तुम इस समय यहां नहीं होती,,,,,,,,(चाय की चुस्की लेते हुए रघु बड़े इत्मीनान से बोला,,,, वह अपनी मां की तरफ देख रहा था जो की पूरी तरह से आश्चर्यचकित हुए जा रही थी,,,और, उसे देख कर रघु मन ही मन मुस्कुरा रहा था,,,रघु यह बात अच्छी तरह से जानता था कि जिस तरह का उसने कार्य कर दिया है उस पर किसी को भी विश्वास नहीं होगा और यह भी जानता था कि लाला और लाला के साथियों का जो हाल हुआ है और किसने किया है इस बारे में किसी को कानों कान पता तक नहीं चलेगा,,,,)


नहीं रघु नहीं तु किसी का खून नहीं कर सकता,,,,


करना पड़ा मैं जिस तरह के हालात थे उस समय मैं क्या कोई भी होता वही करता जो मैंने किया है अगर मैं ऐसा नहीं करता तो वह लोग मुझे मार देते तुम्हें मार देते,,,(रघु की बात सुनते ही कजरी को लाला की वह बात याद आ गई लाला भी रघु को मारना चाहता था मौत के घाट उतारना चाहता था,,, और लाला कजरी से उसकी इज्जत गिरवी रख कर उसके बेटे रघु की जान बख्श ना चाहता था,,, यह बात मन में आते ही कजरी थोड़ी शांति क्योंकि उसे इस बात का एहसास हो गया था कि अगर रघु उन लोगों को नहीं मारता तो बोलोगी से मार देते,,,,)

लेकिन तूने इतना बड़ा कारनामा कर कैसे दिखाया मुझे तो बिल्कुल भी विश्वास नहीं हो रहा,,,,।


मां जब इंसान पर मुसीबत आती है तो कमजोर से कमजोर इंसान मजबूत बन जाता है और कुछ भी कर सकने के लिए तैयार हो जाता है,,,।,, और मैंने भी वही कियाजब मुझे इस बात का पता चला कि लाला के आदमी तुम्हें घर से उठाकर ले गए हैं मैं एकदम लोकल आ गया मेरे अंदर बदले की भावना भड़कने लगी मैं किसी भी तरह से तुम को बचाना और लाला को मारना चाहता था,,,,


लेकिन तुझे यह बात किसने बताया कि मुझे लाला के आदमी उठाकर ले गए है,,,, कहीं आस पड़ोस वालों को तो खबर नहीं है,,,।

नहीं नहीं रात में तुम्हारे साथ क्या हुआ है यह गांव वालों को भनक तक नहीं है सिर्फ कोमल को मालूम है और कोमल ने ही मुझे बताई थी तब मैं जाकर वहां पर पहुंच पाया था,,


कोमल वही लाला की बहू,,,


हां मां लाला की बहू,,, भला हो उसका जो अपने ससुर की बातों को सुन ली थी और मुझे आकर बता दी,,,, लेकिन मां मैं तुमसे एक बात पूछना चाहता हूं सच सच बताना,,,,(रघु चाय की आखरी चुस्की भरकर कटोरी को नीचे रख दिया)


क्या,,,,?


क्या लाला ने या उसके आदमियों ने,,,,, मेरा मतलब है कि,,,,,(रघु थोड़ा सा घबराते हुए और शरमाते हुए) मैं पूछना चाहता हूं कि,,,,


अरे क्या पूछना चाहता है बोलेगा भी,,,,


यही कि क्या लाला,,, तुम्हारी,,,, चुदाई कर पाया,,,,,,
(अपने बेटे के सवाल पर कचरी उसके चेहरे को बड़े गौर से देखने लगी वह जानती थी कि जिस तरह का माहौल बना हुआ था उससे किसी के भी मन में यही सवाल आना लाजमी है,,,,वह बबली आराम से जवाब देते हुए बोली,,)


नहीं मेरे लाल ऐसा कुछ भी नहीं हो पाया जैसा मैं पहले थी आज भी वैसे ही हूं एकदम पवित्र,,,,


ओहहहह,,, मां,,,,यह बात सुनकर मैं कितना खुश हूं यह बता नहीं सकता(इतना कहते हुए वह अपनी मां को गले लगा लिया,,,) इसका मतलब है कि मैं समय पर वहां पहुंच गया,,,,,,(वह वापस अपनी मां को अलग करती हुए)
लेकिन मां जब मैं वहां पहुंचा था तब तुम लाला के सामने एकदम नंगी थी बिल्कुल नंगी,,,,
(अपने बेटे के मुंह से अपने लिए नंगी शब्द सुनते ही वो एकदम से शर्मा गई,,,,) मैं तो तुम्हें लाला के सामने इस तरह से नंगी देखकर एकदम से घबरा गया,,,,,


क्यों घबरा गया,,,?


मैं सोचा कि लगता है कि लाला तुम्हारा काम तमाम कर दिया,,,,


काम तमाम कर दिया है मतलब,,,,


अरे मतलब यही कि लाला तुम्हारी चुदाई कर दिया है,,,,(रघु जानबूझकर अपनी मां से खुले शब्दों में बातें कर रहा था वह अपने लिए रास्ता बना रहा था,,,, वह जानता था कि उसकी मां के मन में भी उसको लेकर आकर्षण है क्योंकि अब तक ना जाने वह कितनी बार अपनी मां के सामने शर्मिंदा होने वाली हरकत कर चुका है लेकिन उसकी मां कुछ नहीं बोलती,,, रघु की बात सुनकर रजनी एकदम से शरमा गई और अपनी नजरों को नीचे करते हुए बोली,,)

धत्,,,, कैसी बातें कर रहा हैं तुझे शर्म नहीं आ रही है,,,


अरे कैसी बातें क्या,,,, जिस हाल में मैंने तुम्हें देखा हूं किसी को भी लगेगा कि वह सब कुछ हो गया होगा और वैसे भी लाला तुम्हारी पूजा करने के लिए तो ले नहीं गया था वह तो तुम्हारी चुदाई करने के लिए ही ले गया था,,,,(रघु उसी चटाई पर बैठे-बैठे भी बोला और उसकी इस तरह की अश्लील गंदी बातें,, कजरी के तन बदन में अजीब सी हलचल पैदा कर रही थी,,,) इस बात से तुम भी इनकार नहीं कर सकती मां,,,,


तू सच कह रहा है लाला इसी काम के लिए मुझे अपने आदमियों से उठवा कर वहां ले गया था,,,, लेकिन शायद मेरी किस्मत बहुत अच्छी थी जो मुझे तुझ जैसा बेटा मिला है और मैं आज तेरे सामने सही सलामत हुं,,,,,,, लेकिन एक बात मैं भी पूछना चाहती हूं की जब मैं वहां तेरे सामने थी और तेरे सामने बेहोश होकर गिर गई थी तब मेरे बदन पर एक भी कपड़ा नहीं था मतलब कि मैं उसे में एकदम नंगी थी और इस समय मैं यहां पर,,,(कजरी अपने कपड़ों की तरफ देखते हुए बोली अपनी मां के कहने का मतलब तो रघु अच्छी तरह से समझ गया था इसलिए मुस्कुराने लगा और कजरी इस तरह की बातें अपने बेटे से करके उत्तेजित हो जा रही थी जिसका असर से अपनी दोनों टांगों के बीच की पतली करार में महसूस हो रही थी उसमें से मदन रस का रिसाव होना शुरु हो गया था,,,)


मैं अच्छी तरह से जानता हूं मां की तुम क्या कहना चाह रही हो,,, यही ना कि तुम्हारे बदन पर कपड़े कैसे आ गए,,,


हां मैं यही पूछना चाहती हूं,,,


मैं पहनाया हूं अपने हाथों से,,,,


क्या तूने,,,,? मुझे तो यकीन नहीं हो रहा है लेकिन कहां बनाया था वही लाला के घर पर,,,,


नहीं मैं वहां सूखे कपड़े कहां थे,,,, मैं वहां से तुम्हें यहां तक नंगी ही लेकर आया था और अपनी गोद में उठाकर,,,,


क्या गोद में उठाकर,,,,(इस बात से कजरी एकदम से उत्तेजित हो गई वह अपनी बेटी की ताकत को लेकर बेहद उत्साहित नजर आने लगी और इस बात से और ज्यादा उत्तेजना महसूस करने लगी की उसे एकदम नंगी उसका बेटा अपनी गोद में उठाकर यहां तक लाया,,,)


किसी ने देखा तो नहीं,,,


किसी ने नहीं देखा मां,,,और कोई देख ना ले इसलिए मैं रात को ही वहां से तुम्हें लेकर आ गया बरसात हो रही थी चारों तरफ पानी ही पानी था और यही मौका भी ठीक था वहां से घर तक ले आने के लिए क्योंकि मैं नहीं चाहता था कि रात को जो कुछ भी हुआ वह किसी को पता चले,,,


तो क्या इस बारे में किसी को भी पता नहीं है,,,


किसी को भी नहीं सिवाय मेरे तुम्हारे और कोमल के,,,,
(कजरी को अपनी बेटे पर गर्व हो रहा था लेकिन इस समय अपने बेटे की बातों को सुनकर उसकी हिम्मत भरी बातों को सुनकर और उसके कारनामों के कारण उसे अपने रघु में बेटा नहीं बल्कि एक मर्दाना ताकत और जोश से भरा हुआ मर्द नजर आ रहा था और यही एक पतली रेखा होती है पारिवारिक रिश्तो में जिस्मानी संबंध की शुरुआत के लिए क्योंकि जब अपने रिश्तेदारों में औरतें आदमी को रिश्तो की जगह और इतिहास पुरुष नजर आने लगे तो किसी भी मर्यादा से बनी हुई दीवार टूटने में समय नहीं लगता और शायद यही हाल कजरी और रघु का भी होने वाला था तभी तो कजरी अब अपने बेटे के प्रति कुछ ज्यादा ही आकर्षित होने लगी थी,,,)


बोलो इतना कुछ हो गया लेकिन किसी को कानों कान खबर तक नहीं है और अच्छा ही हुआ बेटा कि इस बारे में किसी को पता नहीं है वरना मैं बदनाम हो जाती,,,,,, तुझ पर मुझे बहुत नाज है बेटा,,,



नाज कैसा मा यह तो मेरा फर्ज है,,,,,
(इतना सुनकर दोनों एक दूसरे को देखते हुए मुस्कुराने लगे,,, कजरी हाथ में चाय की कटोरी ली थी जिसे होठों पर लगाकर पीना शुरू कर दी चाय ठंडी हो चुकी थी लेकिन फिर भी वह उसे बड़े प्यार से पीने लगी क्योंकि पहली बार उसके बेटे ने उसके लिए चाय जो बनाई थी,,, चाय की चुस्की लेते हुए कचरी जो कि उसके मन में बहुत देर से चल रहा था वह बोली,,,)

मैं तुझसे एक बात पूछना चाहती हूं जिसका जवाब तु सही सही देना,,, :party:


पूछो क्या पूछना चाहती है,,,,


वैसे तो मुझे तुझसे पूछने में शर्म आ रही है लेकिन फिर भी जिस हालात में तु मुझे वहां से यहां लाया था अब ऐसा लगता है कि शायद हम दोनों के बीच शर्म वाली कोई बात नहीं रह गई है इसलिए मैं तुझसे पूछना चाहती हूं,,,


पूछो ना मा बेझिझक पूछो,,,,
पूछो ना मा बेझिझक पूछो,,,,Shalu or tumhare bich kya chal raha hai, or kis kis ke sath chal raha hai
 
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Raj_sharma

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Bhai update ke intzaar me....
 
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