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Thriller फाँसी के बाद By Nadeem21 (Completed)

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“मैं इस नतीजे पर पहुंचा हूं कि कोई शक्ति रनधा के पीछे थी जो रनधा के फांसी पा जाने के बाद रनधा ने नाम से लाभ उठा रही है । मगर एक दूसरी शक्ति भी है जो पहली शक्ति का रास्ता काट रही है ।” – हमीद ने कहा । फिर बोला – “मुझे आश्चर्य है कि कर्नल साहब लंदन में हैं मगर यहां की सारी बातों को जानते हैं ।”

“कर्नल साहब के लये कोई भी बात असंभव नहीं है । फिर इस जुर्म की बुनियाद तो लंदन में ही है, यहां तो केवल शाखाएं हैं । पांच करोड़ वाला प्रोजेक्ट, बूचा का भाई तथा मादाम ज़ायरे – इस सब का संबंध लंदन ही से है ।”

“तुम तो इस प्रकार बातें कर रहे हो जैसे इस केस के बारे में सबकुछ जानते हो !”

“जी हां । कर्नल साहब इस केस के संबंध में उस समय से मुझसे काम ले रहे हैं जब आप लोगों ने रनधा को गिरफ्तार नहीं किया था ।”

“उस समय क्या काम ले रहे थे ?” – हमीद ने चौंकते हुए पूछा ।

“उन्हें एक ऐसे आदमी की तलाश थी जो विदेशी था मगर सूरत बदलकर यहां के नागरिक के रूप में रहता था । यहां से दूसरे देशों को रुपये स्मगल करता था । कर्नल साहब का विचार था कि रनधा की पीठ पर वही है । मुझे उसी आदमी पर उन्होंने लगा रखा था ।”

हमीद कुछ और पूछना चाहता था कि आगे वाली स्टेशन वैगन एक इमारत के सामने रुक गई और हमीद ने भी मोटर साइकल रोक दी । स्टेशन वैगन से दो आदमी उतरकर इमारत में दाखिल हो गये और स्टेशन वैगन आगे बढ़ गई ।

“मैं स्टेशन वैगन के पीछे जा रहा हूं । तुम मेरी वापसी तक यहीं रहोगे । मेरा ख्याल है कि इस इमारत से कोई अब बाहर नहीं निकलेगा ।” – हमीद ने कहकर ब्लैकी को उतारा और मोटर साइकल आगे बढ़ाई ।

अब वह स्टेशन वैगन का पीछा नहीं करना चाहता था बल्कि उसे पकड़कर चेक करना चाहता था इसीलिये पूरी गति से मोटर साइकल चला रहा था, मगर जैसे ही स्टेशन वैगन झरियाली रोड पर पहुँची एक ज़ोरदार धमाका हुआ और हमीद ने मोटर साइकल में पूरे ब्रेक लगाए । सामने थोड़ी ही दूरी पर वह स्टेशन वैगन जल रही थी । वह मोटर साइकल से उतरकर स्टेशन वैगन के निकट पहुंचा । अभी पिछले भाग में आग नहीं लगी थी । उसने जल्दी से उसकी नंबर प्लेट निकाली और जलती हुई गाड़ी को एक नज़र देखकर पलटा और मोटर साइकल पर बैठकर वापस हुआ । फिर जैसे ही पहला टेलीफोन बूथ नज़र आया उसने मोटर साइकल रोकी और उतरकर बूथ में दाखिल हुआ । डी.आई.जी. के नंबर रिंग किये और कहने लगा ।

“सर, मैं बूथ नंबर चार सौ इक्तालीस से हमीद बोल रहा हूं । झरियाली रोड पर तेरहवीं और चौदहवीं मील के मध्य में एक लाश और जली हुई स्टेशन वैगन मौजूद हैं । लाश उठवा ली जाए और गाड़ी चेक करने योग्य हो तो चेक की जाए और कृपा करके आप ख़ुद एक मजिस्ट्रेट तथा फ़ोर्स के साथ नरीमान रोड की तीसरी कोठी पर आ जाइये । समय बहुत कम है इसलिये मैं विवरण नहीं बता सकता । इसके लिये क्षमा चाहता हूं ।”

डी.आई.जी. का उत्तर सुनने से पहले ही उसने संबंध काट दिया और बाहर निकलकर नरीमान रोड की ओर चल पड़ा जहां वह ब्लैकी को छोड़ आया था ।

***

इस समय दस बजे थे । नरीमान रोड की तीसरी कोठी बाहर से तो अंधकार में डूबी थी, मगर अंदर से एक कमरे में रौशनी हो रही थी और उसमें एक आदमी टहल रहा था । फिर एक दूसरा आदमी दाखिल हुआ और पहले वाले से कहा ।

“सब ठीक है । यध्यपि कैप्टन हमीद ने सबको मना कर रखा है कि कोई घर से बाहर न निकले मगर सब जायेंगे – लेकिन कदाचित सीमा और लाल सिंह न जाएं । इसलिये कि हमीद ने उनसे कहा है कि जिन पाँच आदमियों ने प्रोजेक्ट तैयार किया है उन्हीं में से कोई मुजरिम है । दूसरी रिपोर्ट यह है कि सुहराब जी ने हमीद को बताया था कि जिस आदमी ने मादाम ज़ायरे से प्रेम प्रदर्शन किया था उसका नाम जिस दिन मादाम ज़ायरे उसे बताने वाली थी उसी दिन उस पर गोली चलाई गई थी ।”

“अच्छा । तो तुम रोहन और रावी को साथ ले जाओ और मादाम ज़ायरे तथा सीमा का अपहरण करके उन्हें यहीं ले आओ । स्टेशन वैगन तुम ही ड्राइव करोगे, जाओ ।”

वह आदमी जैसे ही बाहर निकला वैसे ही दूमीचंद की लड़की वीना दाखिल हुई ।सुनो डार्लिंग !” – उस आदमी ने कहा – “आज की रात बहुत महत्वपूर्ण है । विनोद जब लंदन से वापस आयेगा तो यह मालूम करके आयेगा कि न्यू मैन उसके शहर में मौजूद है इसलिये मैं आज ही अपनी न्यू मैन वाली हैसियत ख़त्म कर दूंगा वर्ना हो सकता है विनोद मुझे पहचान ले । अब तक मेरी वास्तविकता तो तीन ही आदमी जानते थे । एक था रनधा जिसने मुझे उस समय देख लिया था जब वह तुम्हें लेकर मेरे पास आया था । दूसरा बूचा का भाई जिसे मैंने जेल के पास बम का शिकार बनवा दिया था और तीसरा निम्बालकर जो अभी अभी यहाँ से गया है और अब मैं उसे भी ख़त्म करने जा रहा हूं ।”

“तुमने मेरे बाप को भी क़त्ल कर डाला । बड़े निर्दयी हो !” – वीना ने कहा ।

“तुम्हारे बाप को मेरी इच्छा के विरूद्ध रनधा ने क़त्ल किया था और उनका क़त्ल हो जाना आवश्यक भी था इसलिये कि वह हम दोनों के बारे में बहुत कुछ जान गये थे । अगर वह जीवित रहते तो न हमें मिलने देते और न हमारा कारोबार चलता और यह भी हो सकता था कि वह तुम्हें क़त्ल कर देते ।”

“सीमा के बारे में तुमने क्या सोचा ?” – वीना ने पूछा ।

“थोड़ी देर बाद वह जहां जा जायेगी और तुम्हारे सामने उसे नंगी होकर नाचना पड़ेगा ताकि वह कभी तुमसे आंखे न मिला सके । यही तो तुम्हारी इच्छा है ना ?”

“हां ।” – वीना ने मुस्कुराकर कहा । फिर पूछा – “क्या सचमुच रनधा को फांसी हो गई ?”

“हां ।”

“तो फिर रमेश को किस रनधा ने क़त्ल किया ? मिस्टर राय एडवोकेट के आफिस में हमीद इत्यादि को किसने कैद कर रखा था ?”

“यही तो समझ में नहीं आ रहा है ।” – उस आदमी अर्थात न्यू मैन ने कहा – “अच्छा ठहरो । मैं अभी आता हूं तो तुमसे बातें करूँगा ।”

बात समाप्त करके न्यू मैन पिछले दरवाजे से बाहर निकलकर एक कमरे में पहुंचा । एक आल्मारी खोली जिसमें दो छोटे छोटे बम रखे हुए थे । एक के साथ पॉकेट साइज़ घड़ी अटैच थी । उसने उस बम की घड़ी की सुई एक घंटा आगे कर दी और दूसरा बम अपने भीतरी जेब में रखा । फिर कमरे से निकलकर गैराज की ओर बढ़ा ही था कि निम्बाल्कर नज़र आया । उसने निम्बाल्कर से कहा ।

“तुम चलो ! मैं स्टेशन वैगन लेकर आ रहा हूं । यह ख्याल रहे कि स्टेशन वैगन सीमा और हमीद की नज़रों में आ चुकी है इसलिये वापसी में तुम सीमा, राबी और रोहन को यहां उतारकर झरियाली की ओर चले जाना । वहां जंगल में पहुंचकर स्टेशन वैगन जला देना और कल सवेरे टैक्सी से वापस चले आना ।”

बात समाप्त करके वह गैराज में दाखिल हो गया । एक तख्ता हटाकर वह निचले गैराज में पहुंचा । एक काले रंग की स्टेशन वैगन खड़ी थी । उसके डेशबोर्ड से लगे हुए खाने का ढक्कन खोलकर वह बम रखा जिसकी सुई एक घंटा आगे कर दी थी । फिर ढक्कन बंद करके उसमें ताला लगाया । उसके बाद उसे ड्राइव करके ऊपर वाले गैराज में लाया फिर उसे बाहर लाकर निम्बालकर के हवाले किया और अपने हाथ से गैराज बंद करके फिर उसी कमरे में पहुंच गया जिसमें वीना को छोड़ गया था । वीना टहल रही थी मगर अब कुछ उदास सी दिखाई दे रही थी ।

“तुम कुछ चिंतिंत सी नज़र आ रही हो – क्या बात है ?” – उसने वीना से पूछा ।

“हाँ ।” –वीना के कहा “न जाने क्यों मुझे ऐसा लगता है जैसे रनधा अभी जीवित है ।”

“असंभव – मैं तस्दीक कर चुका हूँ ।” – न्यू मैन ने कहा ।

“फिर उसकी लाश क्या हुई – उसे तो तुम्ही ग़ायब करने वाले थे ?”

“इसकी चिंता मुझे भी है – मेरे वह दोनों आदमी पता नहीं क्या हो गये ।”

“मुझे ऐसा लगता है जैसे कोई आदमी रनधा के नाम से अनुचित लाभ उठा रहा है और मुझे ब्लैक मेल भी करना चाहता है । तुमने रनधा को अकारण गिरफ़्तार कराया ।”

“मैंने गिरफ्तार कराया ?”

“हाँ ।” – वीना ने कहा “रनधा जहां था वहां के टेली फोन का तार पहले ही काट देता था मगर सीमा के यहां उसने तार नहीं काटे थे । प्रकट है कि वह तुम्हारा ही आदेश रहा होगा ।”

तुम जानती हो कि रनधा की मांग क्या थी ?´- न्यू मैन ने पूछा ।

“नहीं ।”

“उसने कहा था कि या तो मैं सारी दौलत उसके हवाले कर दूं या तुम्हें उसके हवाले कर दूं इसलिये मैं स्टेशन वेगन लेकर लौट आया था कि कहीं वह मुझे न गिरफ़्तार करा दे या ततुम्हें न उठा ले जाये ।”

“तुमने अकारण ही मेरी आवाज जेल में प्रसारित......।”

“तुम्हारी आवाज पर ही तो वह मौन रहा था वर्ना सब कुछ उगल दिया होता ।”

“अब क्या प्रोग्राम है ?” – वीना ने पूछा ।

“मादाम जायरे के माध्यम से पहले तो उस मशीन के संधि पर हस्ताक्षर कराना और फिर उसे क़त्ल कर देना ।”

“तो फिर दुसरे लोगों को क्यों बुलवाया है ?”

“वह सब लोग भी संधि पर हस्ताक्षर करेंगे । मैं सेक्रेटरी हूँ । सारे अधिकार मेरे पास है । पांच करोड़ रुपये पलक झपकाते ब्लैक से व्हाइट हो जायेंगे । सूद अलग मिलेगा फिर हम तुम लंदन चले जायेंगे और ऐश का जीवन व्यतीत करेंगे ।”

उसी क्षण घडघड़ाहट सुनाई दी और न्यू मैन ने वीना को संकेत किया । वह बाहर निकल गई । दुसरे ही क्षण द्वार खुला और सुहराब जी – मेहता – प्रकाश – बूचा – और नागर वाला अंदर दाखिल हुये ।

*******
 

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वापसी पर ब्लैकी को हमीद ने वहीँ पाया जहां छोड़ गया था । उसके पूछने पर ब्लैकी ने कहा ।

“इस इमारत के एक कमरे में इस समय सुहराब जी और प्रकाश सहित छ आदमी है और कुछ संधियों पर बहस हो रही है ।”

“कोई औरत भी है ?” – हमीद ने पूछा ।

“जी नहीं ।”

“”वह सब यहाँ कैसे आये है ?”

“एक ही गाड़ी पर आये है जो बाहर खड़ी है और कदाचित हमारे यहाँ पहुंचने से पहले ही से मौजूद है । आपके कारण मैं चला आया वर्ना उनकी पूरी बात सुनता ।”

हमीद ने अपनी कहानी सुनाने के बाद कहा ।

“अब वहीँ चलो जहां से तुम उनकी बातें सुन रहे थे ?” – हमीद ने कहा ।

ब्लैकी उसे लिये हुये इमारत के पिछले भाग की ओर पहुंचा । पिछली दीवार इतनी ऊँची थी कि उपरी छत पर पहुँचना असंभव था । पाइप भी नहीं था कि उसी के सहारे ऊपर तक पहुँचा जा सकता । हमीद कुछ कहने ही जा रहा था कि उसने ब्लैकी की जेब से रस्सी का एक लच्छा निकालते हुये देखा । रस्सी के एक सिरे से कोई जानवर बंधा हुआ था । उसने जानवर वाले सिरे को चक्कर देकर छत को ओर उछाल दिया । दुसरे ही क्षण रस्सी छत से लगी नीचे तक झूल रही था ।

“क्या रस्सी में कोई आंकड़ा था जो ऊपर फंस गया ?” – हमीद ने पूछा ।

“जी नहीं । वह गोह थी । उसने पत्थरों पर अपने पैर जमा दिये हैं । अब अगर दस मन का भी बोझ ऊपर चढ़ाया जाए तो उसके पैर अपने स्थान से नहीं हटेंगे । हां रस्सी ही टूट जाए तो दूसरी बात है ।”

“तुम लोगों को कर्नल साहब ने बड़ा अच्छा प्रशिक्षण दे रखा है ।” – हमीद ने कहा ।

“पहले मैं चढ़ रहा हूं फिर आप आ जाइएगा ।” – ब्लैकी ने कहा और रस्सी के सहारे ऊपर चढ़ने लगा ।

फिर हमीद भी ऊपर पहुंच गया और छत से पेट चिपकाकर अपना शेष चेहरा छिपाते हुए केवल अपनी आंखें रौशनदान से लगा दीं ।

***

राबी और रोहन खड़े थे । न्यू मैन ने उनसे पूछा ।

“क्या रहा ?”

“सीमा तो नहीं मिली । वह मौजूद नहीं थी । ऐसा लगता है जैसे उसका अपहरण किया गया है ।”

“निम्बाल्कर स्टेशन वैगन लेकर गया ?” – न्यू मैन ने पूछा ।

“जी हां । मगर किसी ने स्टेशन वैगन का मोटर साइकल से पीछा किया था और वही मोटर साइकल अब भी स्टेशन वैगन के पीछे गई है ।”

“तुम लोग अपने कमरे में जाओ और मादाम ज़ायरे का आमादा करो कि वह संधिपत्र पर हस्ताक्षर कर दे । तुम लोग उससे तफरीह भी कर सकते हो और उसे यह धमकी भी दे सकते हो कि तुम दो ही नहीं और भी हैं । ठीक साढ़े ग्यारह बजे उसे मेरे कमरे में भेज देना और हां, यह लो गैराज के बगल वाले कमरे की कुंजी । आल्मारी में कीमती शराब की एक बोतल है वह तुम्हारा इनाम है ।” – न्यू मैन ने कहा और दूसरी ओर मुड़ गया । राबी और रोहन अब उस कोठरी में पहुंचे जिसमें मादाम ज़ायरे को रखा गया था तो वह उन्हें देखते ही चीखने लगी ।

“मैं जानती हूं कि मुझे किसने अपहरण करवाया है । उससे कह देना कि मैं उसके दोनों नाम जान गई हूं । उससे कह देना कि रनधा जीवित है और यह भी कह देना कि मैं सुहराब जी को बता दूँगी कि वह मुझे और सीमा को...” – उसकी आवाज़ चीखों में बदल गई इसलिये कि दोनों ने उसे दबोच लिया था ।

***

जब साढ़े ग्यारह बजने में दो मिनिट रह गये तो सुहराब जी ने अपने साथियों की ओर देखा और कहने लगा ।

“एग्रिमेन्ट्स तैयार हो गये हैं जिन्हें मैं एक बार पढ़कर सुना चुका हूं और अब केवल हस्ताक्षर करने शेष हैं । एक एग्रिमेन्ट वह है जिसका संबंध यहां एक फैक्ट्री और एक मिल स्थापित करने से है जिसमें हमें दो करोड़ की पूंजी लगानी पड़ेगी और यह रकम हमें लंदन की एक फर्म से कर्ज़ के तौर पर मिलेगी । दूसरा एग्रिमेन्ट पांच करोड़ के प्रोजेक्ट का है और यह रक़म भी हमें कर्ज़ ही लेनी पड़ेगी, मगर इस दूसरे एग्रिमेन्ट में नागर और बूचा सम्मिलित नहीं हैं ।”

“प्रश्न यह है कि इससे हमें लाभ क्या पहुंचेगा ?” – मेहता ने पूछा ।

“क्या बचकाना सवाल आपने किया है ।” – सुहराब जी ने कटु स्वर में कहा – “आप सबको मालूम है कि हमारी गाढ़ी कमाई पर सरकार की ओर से छापे पड़ रहे हैं । सरकार ने उसका नाम काला धन और काला रूपया रखा है । अगर हम उसे बेंक में रखें तो पछत्तर प्रतिशत टैक्स दें, लोकर में दें तो सरकार ले ले । घर में रखें तो रनधा चुरा ले या फिर सरकार ही जब्त कर ले मगर इन दोनों प्रोजेक्टों से आप सबकी रक़म व्हाईट हो जायेगी । विदेशी बेंको में आपका जो धन है वह जब्त नहीं होगा और आपके काम आयेगा और इसका क्रेडिट केवल मिस्टर नौशेर को जाता है ।”पहली दस्तखत किसे करनी है ?” – नौशेर ने पूछा ।

“मादाम ज़ायरे को, जो प्रकट में तो एक डांसर है मगर वास्तव में उस विदेशी कंपनी की एजेंट है और रुपये की बहुत बड़ी स्मगलर है ।”

वैसे ही द्वार खुला और मादाम ज़ायरे दाखिल हुई ।

***

हमीद ने जैसे ही रोशन्दान से आँखे लगाईं थी वैसे ही मादाम जायरे कमरे दाखिल हुई थी । उसने सबको देख भी लिया था और पहचान भी लिया था ! मादाम जायरे के आगमन की प्रतिमा क्रिया सबसे अधिक सुहराब जी पर हुई थी । वह चहक कर कुछ कहने वाला था कि मादाम जायरे का उतरा हुआ चेहरा देखकर सन्नाटे में आ गया । नौ शेर ने बड़े कोमल स्वर में कहा ।

“ऐग्रीमेंट तैयार है मादाम ! आप उस पर दस्तखत कर दीजिये ।”

“पहले मैं यह जानना चाहूंगी कि मुझे यहाँ इस प्रकार क्यों बुलवाया गया है ?”

“आप ही नहीं वरन हम सब ही इसी प्रकार यहाँ इकत्रित हुये है ।” – नौ शेर ने कहा “समय कम है । एक बजे फ्लाइट से सारे कागजात लेकर मैं लंदन के लिये रवाना हो जाऊंगा । मेरे साथ आप भी चलेंगी इसलिये जल्दी से ऐग्रीमेंट पर दस्तखत कर दीजिये ।”

“इस समय मैं किसके मकान पर हूँ ?” – मादाम जायरे ने कहा ।

“एक विदेशी जो लंदन का रहने वाला है ।” – नौ शेर ने कहा फिर दोनों ऐग्रीमेंट उसके सामने रखते हुये कहा “दस्तखत न करने की सूरत में करोड़ों की हानि होगी और क्या कहूं – आप ख़ुद ही समझदार है । बाकी लोग दस्तखत कर चुके है ।”

मादाम जायरे ने गर्दन घुमाकर नौ शेर की ओर देखा और मुस्कुरा पड़ी फिर दोनों ऐग्रीमेंट पढ़ कर उन पर हस्ताक्षर कर दिये । नौ शेर दोनों ऐग्रीमेंट तह करके जेब में रखने ही जा रहा था कि दरवाज़ा खुला और पांच आदमी दाखिल हुये । सबसे आगे सीमा और लाल जी थे । उनके पीछे वह ड्राइवर था जिसके बारे में सीमा ने बताया था कि वह रमेश है और उस आदमी के मेकअप में है जिसे पुलिस तलाश कर रही है ।”

हमीद उस ड्राइवर को बड़े ध्यान से देख रहा था । उसे ड्राइवर से सम्बंधित सारी बातें याद आ रही थीं और वह निर्णय नहीं कर पा रहा था कि यह वास्तव में वही न्यू मैन है जिसकी पुलिस को तलाश है या रमेश ही न्यू मैन से मेकअप में है और यह कि रमेश मरा नहीं बल्कि जीवित है – मगर इससे अधिक चौंक देने वाले वह दो आदमी थे जो ड्राइवर के पीछे पीछे कमरे में दाखिल हुये थे । उनमें से एक रनधा था जिसका चेहरा देख कर डर लगता था मगर इस समय वह खाली हाथ था और दूसरा एक लम्बा कद का नकाब पोश था जो दरवाज़े से बिल्कुल चिपका हुआ था ।

अचानक रनधा के अधरों पर मुस्कान थिरक उठी फिर उसने कहा ।

“तुम लोगों के न चाहते हुये भी तुम्हारा सेवक रनधा आज फिर तुम लोगों की सेवा में हाजिर है ।”

“अब हम लोगों के पास क्या है जिसे लूटने आये हो ?”

“क्या है यह तो अभी मालूम हो जायेगा । पहले यह बताओ कि जब तुम लोगों को मना किया गया था कि अपने घरों से न निकलना तो फिर क्यों बाहर निकले ।”

किसी ने कुछ नहीं कहा । सब परेशान नजर आ रहे थे मगर सुहराब जी और नौ शेर कुछ संतुष्ट नजर आ रहे थे । रनधा बोलता जा रहा था ।

“सीमा आ गई है उसके एग्रीमेंटों पर हस्ताक्षर करा लो – और जो जो दिल चाहे करो – मुझसे कोई मतलब नहीं । मैं केवल अपनी लूटी हुई दौलत वापस लेने आया हूँ जिसे मेरे जेल जाने के बाद एक आदमी ने हड़प कर लिया । उसी आदमी के पास वीना भी है ।”

“क्या तुम्हें फाँसी नहीं हुई थी ?”

“मैं नहीं चाहता कि तुम लोग अंधकार में रहो इसलिये बता रहा हूँ जिस रात मुझे गिरफ़्तार किया गया था उसी रात कर्नल विनोद मुझसे मिला था । मैं कर्नल विनोद से घृणा करता था मगर उस रात उसने मुझे जीत लिया था । तुम लोगों ने मुझे जेल में ट्रांसमीटर भिजवाया था मगर वह ट्रांसमीटर मुझे कर्नल वोनोद के माध्यम से मिला था मगर मैंने तुम लोगों से बातें नहीं कीं – बस वीना की प्रेम भरी बातें सुनता रहा था ।”

अचानक रनधा ने पैतरा बदला और पीछे से गरजदार आवाज उभरी ।

“खबर्दार ! कोई अपने स्थान से नहीं हिलेगा ।”

जितने अपनी जेबों की ओर हाथ ले जा रहे थे अपने अपने हाथ खींच लिये और रनधा फिर कहने लगा ।

“यह भी कर्नल विनोद ही का कारनामा है जिसने मुझे फांसी नहीं होने दी और सब को धोखे में रखा ।”

“तो फिर वह लाश किसकी थी ?”

“किसी की रही होगी ।”

“और वह दोनों जो लाश लेकर गये थे ?”

“उन दोनों को लाश सहित कर्नल विनोद के आदमियों ने हर लिया था और अब वह सरकारी गवाह बना लिये गये हैं ।”

“मगर सारे बड़े सरकारी आदमी तक यही कहते हैं कि तुम्हें फांसी हो गई ।” – नौशेर ने कहा ।

“वह यह कहने के लिये विवश थे इसलिये कि उनको ऊपर से यही आदेश दिये गये थे ।”तो तुम कर्नल विनोद से मिल गये ?”

“नहीं ।” – रनधा ने गरजकर कहा – “मैं अब भी उसी हरामी का वफादार हूं जो मुझ से काम लेता रहा था और जिसने मेरे गिरोह के एक एक आदमी को चुन चुनकर क़त्ल कर दिया । उसी ने कल रात बूचा के भाई को बम देकर जेल के पास ख़त्म कर दिया । उसी ने मेरे साथी निम्बाल्कर को स्टेशन वैगन पर झरियाली की ओर भेज कर टाइम बम द्वारा ख़त्म कर दिया और अभी थोड़ी देर पहले राबी और रोहन को ज़हरीली शराब पिलवाकर ख़त्म कर चुका है ।”

“कल रात तुमने ही हम लोगों को गिरफ्तार किया था ?”

“नहीं । कर्नल विनोद ने ।”

“कर्नल विनोद तो लंदन है ।”

“हां, वह लंदन में है मगर उसका असिस्टेंट हमीद तो यहां है ।”

“वह बेचारा तो ख़ुद ही हम लोगों के साथ कैद में था ।”

“तो फिर कर्नल विनोद का कोई और आदमी रहा होगा ।” – रनधा ने उक्ताकर कहा – “हां, इतना और सुन लो कि कर्नल विनोद लंदन में न्यू मैन के षडयंत्रों को समाप्त कर चुका है । अगर प्रमाण चाहते हो तो वह भी दे दूं ।”

“लाओ, प्रमाण दो ।” – नौशेर ने कहा ।

“पहले दोनों एग्रिमेन्ट मेरे हवाले कर दो ।”

“लो ।” – नौशेर ने दोनों कागज़ात रनधा की ओर बढ़ाये । रनधा ने भी कागज़ात लेने के लिये हाथ बढ़ाये ।

“खबर्दार !” – पीछे से गर्जना सुनाई दी और रनधा हाथ खींचकर कहने लगा ।

“अब तुम लोग इस एग्रिमेन्ट पर भी हस्ताक्षर कर दो ।” – उसने जेब में हाथ डालकर सात फार्म निकाले और उन्हें सीमा की ओर बढ़ाते हुए कहा – “एक एक फार्म सबको दे दो और कह दो कि यह लोगों इन्हें भर दें । जो नहीं भरता वह ज़िन्दा नहीं बचेगा ।”

जब सीमा ने एक एक फार्म सबको दे दिया तो रनधा ने कहा ।

“मिस्टर नौशेर ! तुमने यह नहीं पूछा कि मेरे साथ कौन खड़ा है ?”

“मैं क्यों पूछूं ? मैं तुमसे बात भी नहीं करना चाहता ।” – नौशेर ने गरजकर कहा – “तुम डाकू हो । तुम एक बार मेरे घर से मेरी सारी दौलत लूटकर ले गये थे और अब यहां इस प्रकार ड्रामा कर रहे हो जैसे हम सब मुजरिम हैं और तुम पुलिस इन्स्पेक्टर हो ।”

“खैर, मैं ख़ुद ही बता देता हूं ।” – रनधा ने हंसकर कहा – “यह मिस्टर न्यू मैन हैं । यही आदमी मुझसे डाके डलवाता था और मेरी लूटी हुई रक़म का केवल दस प्रतिशत मुझे देता था । लड़कियां अपहरण करके इसी के पास मैं पहुंचाता था । इसी ने दो बार मुझे फांसी से बचाया था । यह दुनिया का सबसे खतरनाक आदमी है, हां – तो तुम इसे नहीं पहचानते मिस्टर नौशेर ?”

“नहीं ।”

“सीमा !” – रनधा ने कहा – “इनको न्यू मैन का वास्तविक रूप दिखा दो ।”

सीमा ने आगे बढ़कर सबसे पहले उस ड्राइवर के सिर पर लगा हुआ विग हटाया । अधरों पर चिपके हुए टेप अलग किये फिर जैसे ही भवें अलग कीं – ऊपर हमीद चौंक पड़ा क्योंकि अब न्यू मैन कि जगह रमेश खड़ा था !

“हां, तो मिस्टर नौशेर ।” – रनधा ने कहा – “मेरा विचार है कि अब तुम्हारी सुंदर दाढ़ी, तुम्हारी मोंछ तुम्हारी विग और तुम्हारे होठों पर लगे हुए टेप भी अलग हो जाने चाहिए – क्या खयाल है – खैर यह तो बाद में भी हो जायेगा । कुछ और बातें भी सुन लो । मिस्टर रमेश को इस भेस में तुम्हें इसलिये दिखाया था कि तुम घबड़ाहट और बौखलाहट का शिकार होकर मूर्खताएं करते जाओ । आज तुमको फिर इसी भेस में मिस्टर रमेश को दिखाया गया था और उसका परिणाम यह निकला कि तुम बिलकुल ही बौखला गये और तुमने जल्दी में यह प्लान बनाया कि आज ही दो बजे की फ्लाईट से वीना तथा सारी दौलत को लेकर तुम निकल जाओ । मिस्टर रमेश को मैं न्यू मैन के भेस में इसीलिये यहां ले आया था ताकि तुम्हारे साथियों को यह समझा सकूं कि तुम किस प्रकार असली न्यू मैन होते हुए भी नौशेर बनकर उन्हें धोखा देते रहे हो, और अब तुम्हारा यह मेकअप हटाया जायेगा तो तुम्हारा असली चेहरा यह लोग भी देख लेंगें ।”
 

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नौशेर मौन खड़ा रहा और रनधा उसकी ओर देखता रहा । फिर अचानक उसकी नज़रें उपर वाले रौशनदान की ओर उठ गईं । वह मुस्कुरा पड़ा । फिर कहने लगा ।

“तुम्हारी तस्वीर यहां की सरकारी फाइल में मौजूद है और तुम्हारे कारनामे भी । तुम करोड़ों रुपये हिन्दुस्तान से बाहर ले जा चुके हो । कर्नल विनोद को तुम्हारी तलाश थी । उसी तस्वीर के आधार पर तुम्हारा मेकअप मिस्टर रमेश के चेहरे पर किया गया था – और अब तुम्हारे सारे खेल ख़त्म हो चुके हैं न्यू मैन उर्फ़ मिस्टर नौशेर और तुम्हारे विरूद्ध सारे प्रमाण भी एकत्रित किये जा चुके हैं । पहला प्रमाण मैं ख़ुद हूं – रनधा – जिससे तुमने क़त्ल कराये – डाके डलवाए । ख़ुद अपने यहां भी डाका डलवाया ताकि तुम्हारे साथी तुम पर संदेह न कर सकें और तुम यह तो जानते ही थे कि वह दौलत भी तुम्हारे ही पास जायेगी । उस समय तक मैं यह नहीं जानता था कि एक ही आदमी के दो नाम हैं – न्यू मैन और नौशेर । मैं लूट की सारी रक़म यहीं तुम्हारे पास लाता था और तुम्हारे हवाले कर देता था और चला जाता था । मैं सोच भी नहीं सकता था कि तुम ही नौशेर भी हो और तुम ही न्यू मैन भी हो । मगर उस रात मैंने तुम्हारी असली सूरत देख ली थी जिस रात मैं वीना को लेकर तुम्हारे पास आया था ।”

“तो फिर उसी समय तुमने मेरे विरूद्ध विद्रोह क्यों नहीं किया था ?” – नौशेर ने हंसकर पूछा ।

“इसलिये नहीं किया था कि मुझे इस बात का विश्वास था कि तुम मेरे साथ गद्दारी नहीं करोगे । जब तुम मुझे यह बताया करते थे कि किसके पास कितनी दौलत है और कहां कहां रखी है तो मुझे आश्चर्य होता था कि तुमको इस प्रकार की सच्ची सूचनाएं किस प्रकार मिलती हैं । बाद में मुझे मालूम हुआ कि कुछ तो तुम अपने साथियों को ही घुमा फिराकर प्रश्न करके मालूम कर लेते थे । कुछ उनके घरों के नौकरों को रुपये देकर मालूम करते थे और कभी उन घरों की लड़कियों से पता लगाते थे और कुछ वीना तथा मादाम ज़ायरे से मालूम करते थे । वह अपनी कामपिपासा बुझाने के लिये बता दिया करती थी ।”

“बकवास बंद करो और यह बताओ कि तुम क्या चाहते हो ?” – नौशेर गरजा ।

“तुम समर्थन करते हो कि तुम्ही न्यू मैन हो ?” – रनधा ने पूछा ।

“हां ।”

“यह भी समर्थन करते हो कि इस तमाम अपराधों में तुम लिप्त थे ?”

“नहीं ।” – नौशेर या न्यू मैन गरजा – “तुम्हारा बयान मेरा कुछ नहीं बिगाड़ सकता । मेरे विरूद्ध प्रमाण चाहिये और यह भी सुन लो कि तुम आज मेरी मुट्ठी में हो । विनोद ने तुम्हें फांसी से बचा लिया मगर मैं तुम्हें अवश्य फांसी दिलाऊंगा । मैं बड़ी सफाई से यह कह रहा हूं कि मैंने अपने विरूद्ध हर प्रमाण और हर गवाह को ख़त्म कर दिया – क्या साबित करोगे ?”

“यह एग्रिमेन्ट्स ।”

“इसमें गैरकानूनी बात क्या है ? क्या व्यवसाय करना जुर्म है ? क्या कर्ज़ लेना जुर्म है ?”

“और यह काला धन जिसका डिक्रेशन फार्म इन लोगों ने भरा है ?”

“इन्हें पुलिस गिरफ़्तार कर सकती है – मैंने तो नहीं भरा है । तुम मेरा जुर्म बताओ ?”

“तुम्हारा जुर्म... तुमने बूचा के भाई को क़त्ल किया । तुमने बमों के धमाके किये । तुमने निम्बाल्कर, रोहन और राबी को क़त्ल किया और सबसे बड़ा प्रमाण यह मादाम ज़ायरे है ।”

“अभी तुम बच्चे हो ।” – नौशेर ने अट्टहास लगाकर कहा – “राबी, रोहन, निम्बाल्कर और बूचा के भाई की हत्याओं का कोई निशान तुमको नहीं मिल सकता है और केवल तुम्हारे कहने से अदालत मुझे इनका कातिल नहीं मान सकती । रह गई यह मादाम ज़ायरे । तो इससे पूछो कि इसे यहां कौन लाया है –मैं ?”

“तुम्हारे दो आदमी राबी और रोहन इसे यहां लाये थे ।”

“और वह दोनों इसका समर्थन करने के लिये ज़िन्दा नहीं रहे ।” – नौशेर ने कहा । फिर भयंकर अट्टहास लगाता हुआ बोला – “अभी तुमने ख़ुद ही कहा कि मादाम ज़ायरे और वीना अपनी कामपिपासा बुझाने के लिये मुझे दूसरों के धन के बारे में बताती रहती थीं – इसलिये मैं सीना तान कर यह कह सकूँगा कि मादाम ज़ायरे एक ऐयाश औरत है । राबी और रोहन उसके आशना थे । उनसे पीछा छुड़ाने के लिये मादाम ज़ायरे ने उन्हें शराब में ज़हर दे दिया । अब बोलो ।”

“अब तो यही कहना है कि जब संसार की कोई अदालत तुम्हें सज़ा दे ही नहीं सकती तो फिर मैं ही तुम्हें क़त्ल कर दूं ।” – रनधा ने कहा ।

“न्यू मैन इसलिये पैदा नहीं हुआ कि तुम जैसे तुच्छ आदमी के हाथ से क़त्ल किया जाए ।” – उसने फुफकार कर कहा – “मेरी मौत जब भी होगी मेरे ही हाथ से होगी । इस दावे के बाद अब कुछ छिपाने ने कोई लाभ नहीं । सुनो, पहले तो मैं निकल जाने ही की कोशिश करूँगा – और यदि इस प्रयास में सफल न हो सका तो फिर केवल मैं ही नहीं मरूँगा बल्कि इस कमरे में जितने लोग हैं वह सब मर जायेंगे । मेरी जेब में एक अत्यंत शक्तिशाली बम है, समझे मेरे दोस्त !”

सीमा और रमेश चुपके से बाहर निकल गये । किसी ने उस पर ध्यान भी नहीं दिया क्योंकि सब लोग तो रनधा और न्यू मैन की बातें सुनने में लीन थे ।

“हां मिस्टर रनधा उर्फ कर्नल विनोद के मित्र तथा हिंदुस्तानी पुलिस के वफादार ! बोलो – क्या कहते हो – कोई प्रमाण है मेरे विरूद्ध ?” – न्यू मैन ने हंसी उड़ाने वाले भाव में कहा – “हो सकता है कि यहां कहीं तुम्हारा टेप रेकार्डर भी हो और उसमें मेरी कही हुई बातें टेप भी हो रही हों मगर मुझे इसकी चिंता नहीं – मैं एक बार फिर सारे अपराधों का समर्थन करता हूं – मगर तुम प्रमाण क्या दोगे ?”

रनधा कुछ नहीं बोला ।

“तुम्हारी खामोशी यह साबित कर रही है कि तुम विवश हो ।” – न्यू मैन ने कहा “इसलिये अच्छा यही होगा कि तुम सब यहाँ से चले जाओ और मुझे भी चला जाने दो वर्ना जो कुछ होगा वह न मेरे लिये अच्छा होगा और न तुम लोगों के लिये ।”

“वीना कहां है ?” – प्रकाश बोल उठा ।

“अच्छा रनधा ।” – न्यू मैन ने कहा जो अब भी नौ शेर हु के मेकअप में था “वीना भी तुम्हारे हवाले कर दी जाएगी ।”

“उसे कैसे हवाले करोगे दोस्त ।” – रमेश ने अंदर दाखिल होए हुये कहा “वह तो तुम्हारे विरुध्ध सबसे बड़ा प्रमाण है – और वीना यहीं है ।”

“वह मारा !” रनधा ने चहक कर कहा “हां दोस्त मिस्टर न्यू मैन ! बोलो अब क्या कहते हो । वीना के साथ साथ ही साथ यहां करोडो की मौजूदगी तुम्हारे हर अपराध को साबित कर देगी । अब वह जुर्म तुम नहीं कर सकोगे जो करने जा रहे थे । इसके अतिरिक्त एक अच्छा काम यह भी हो गया कि इन शरीफ आदमियों ने अपनी छिपी हुई दौलत प्रकट कर दी । अब तुम जानो और पुलिस जाने मैं तो चला । मैं केवल वीना को लेने के लिये आया था ।”

“तुम या इनमें से कोई भी यहाँ से जिन्दा न जा सकेगा ।” – न्यू मैन ने फुफकार भरी आवाज में कहा “यहां से केवल मैं जिन्दा जाउँगा ।”

“यार मिस्टर नौ शेर ।” – सुहराब जी ने कहा “तुम बड़े खतरनाक आदमी हो । कैप्टन हमीद ने कहा था कि हममें से ही कोई मुजरिम है ओउर उनकी बात सच साबित हुई । एक ओर तो तुम हमारी कम्पनी के सेक्रेटरी बन कर हमारे रुपये हड़प कर लेना चाहते थे और दूसरी ओर हमारे भेद मालूम करके हमारे यहां डाका भी डलवाते रहे थे ।”

“यह दुनिया है मिस्टर सुहराब ! यहां सब चलता है ।” – न्यू मैन ने कहा “मुझे इस सच्चाई को मानने मैं तनिक भी संकोच नहीं है कि मैं जो दुहरी चाल चल रहा था उसमें असफल रहा और यह सच्चाई भी प्रकट हो गई कि मै नौ शेर नहीं बल्कि न्यू मैन हूँ – अच्छा अब मैं जा रहा हूँ – शुभ रात्रि ।”

“ठहरो – एक बात बताते जाओ ।” – सुहराब जी ने कहा “कल रात हम लोगों को कौन ले गया था ?”

“कर्नल विनोद का कोई आदमी ।”

“तो क्या कर्नल विनोद लंदन में नहीं है ?”

“है तो लंदन ही में मगर यहाँ की सारी बातें उस तक पहुँच रही थीं और वह वहीँ से अपने आदमियों को आदेश देता रहा था ।” – न्यू मैन ने कहा “बहरहाल विनोद के आने से पहले ही मैं यह देश छोड़ चुका हूँगा – और यदि उसे लंदन से मेरे विरुध्ध प्रमाण मिल भी गये है तो वह मेरा कुछ न बिगाड़ सकेगा ।”

बात समाप्त करके जैसे ही न्यू मैन ने आगे बढ़ना चाहा रमेश ने गरज कर कहा ।

“अपने हाथ ऊपर उठा लो मिस्टर न्यू मैन !”

“अरे ! अब मुर्दे भी बोलने लगे ।” – न्यू मैन ने हंस कर कहा “कर्नल विनोद ने लाशों का अच्छा कारोबार किया ! अगर तुम्हें मुर्दा न मशहूर किया गया होता तो मैंने तुमको अवश्य क़त्ल कर दिया होता ।”

“मुझे इस बात की ख़ुशी है कि तुम जैसा अंतर्राष्ट्रीय अपराधी भी कर्नल विनोद की प्रसंशा कर रहा है ।” – रमेश ने मुस्कुराकर कहा फिर गरज उठा “अपने हाथ ऊपर उठा दो ।”

“अच्छा सरकार !” – न्यू मैन ने मुस्कुराते हुये कहा और फिर अपने दोनों हाथ ऊपर उठा दिये मगर उसी समय कोई वस्तु टप से फर्श पर गिरी ।

हमीद ने ब्लैकी की ओर देखा और रोश्न्दान में अपने पैर डाले । उसी समय एक धमाका हुआ और पूरा कमरा धुयें से भर गया मगर इतनी देर में हमीद नीचे कूद चुका था और भागते हुये न्यू मैन की कमर पीछे से पकड़ ली थी ।

न्यू मैन हमीद के बंधन से मुक्ति होने के लिये कोशिश कर रहा था । कमरे में घुटन भी थी और चीखें भी गूंज रही थीं । बाहर जीपों की घरघराहट सुनाई दे रही थी । आखिर न्यू मैन अपने प्रयास में सफल हो ही गया । हमीद के बंधन से निकल कर भगा । हमीद उसके पीछे दौड़ा फिर उसने न्यू मैन को गिरते देखा । उसने छलाँग लगा कर न्यू मैन को दबोच लिया और उसके मुख पर घूंसे बरसाने लगा । उसी समय उसने बूटों की खडखड़ाहट सुनी । वह समझ गया कि डी. आई. जी. पुलिस फ़ोर्स के साथ आ पहुँचा इसलिये पूरी शक्ति लगा कर चीखा ।हथकड़ियाँ ।”

इसी के साथ न्यू मैन ने उसे उलट दिया । हमीद ने समझा कि वह उसके नीचे से सरक के निकल भागा मगर दुसरे ही क्षण न्यू मैन फिर उसके बंधन में आ गया और वह यह न समझ सका कि इस बार न्यू मैन किस प्रकार उसके बंधन में आया । बहर हाल वह उसके चेहरे पर फिर घूंसे बरसाने लगा और जब न्यू मैन ने हाथ पाँव डाल दिये तो वह उठ कर खड़ा हो गया – अब उसके हाथ में हथकड़ियों का जोड़ा था – किसने दिया था ? इसका ज्ञान उसे नहीं था । उसने न्यू मैन के हाथों में हथकड़ियाँ डालीं और लडखडाता हुआ दरवाज़े की ओर बढ़ा । आंखों में मिर्चे भर गई थीं । सिर चकरा रहा था । किसी प्रकार कमरे से बहार निकला तो सबसे पहले डी. आई. जी. पर नजर पड़ी और वह रुक रुक कर कहने लगा ।

“सर ! – वीना इसी इमारत में कही है......और तलाशी लेने पर......वह रुपये भी मिल जायेंगे....जो रनधा द्वारा लूटे.....गये थे.....और......और ।”

वह बात पूरी किये बिना चकरा कर गिर पड़ा और चेतना गंवा बैठा ।

*******

सवेरे जब हमीद की आँख खुली तो दिन निकल आया था । उसने अपने सामने डी. आई. जी. को खड़ा पाया । वह जल्दी से पलंग से नीचे उतर गया और स्लूट किया ।

“मैं तुमसे बहुत खुश हूँ हमीद ।” – डी. आई. जी. ने मुस्कुराते हुये कहा “रात तुम बेहोश हो गये थे इसलिये मैं तुम्हें अपने बंगले पर उठा लाया था ।”

“शुक्रिया सर – नौ शेर अर्थात न्यू मैन का क्या हुआ ?” – हमीद ने पूछा ।

“उसने आत्म हत्या कर ली । साधारण से लापरवाही के कारण मामिला बिगड़ गया मगर अच्छा ही हुआ । जिन्दा रहता तो अदालत तक दौड़ धूप करने की परेशानी उठानी पड़ती । उसका मेस अप हटा कर देखा गया । वह सचमुच न्यू मैन ही था ।”

“रमेश ?” – हमीद ने पूछा ।

“वह तथा तमाम लोग सकुशल अपने अपने घर पहुँच गये है । वीना प्रकाश के हवाले कर दी गई है । तलाशी ली गई थी और वीना की निशान दही पर करोड़ो रुपयों की करन्सी बरामद हुई थी । इस संबंध में एक महत्व पूर्ण बात यह भी हुई थी कि इस नगर के पूँजी पतियों ने अपना काला धन प्रकट कर दिया ।”

“रनधा कहाँ है ?” – हमीद ने पूछा ।

“उसे तो फाँसी हो गई ।”

“मगर सर !” – हमीद ने आश्चर्य से कहा “रात वह भी वहाँ मौजूद था । मैंने उसे अपनी आँखों से देखा था ।”

“तुम्हें भ्रम हुआ होगा ।”

इसके बाद हमीद अपनी कोठी पर आ गया और चार बजे तक सिर खपाता रहा । सुहराब से लेकर प्रकाश तक सबने वहां रनधा की उपस्थिति का समर्थन किया मगर सीमा – रमेश तथा लाल जी ने इन्कार किया । ब्लैकी का भी कहीं पता नहीं था ।

संध्या की हवाई जहाज से विनोद आया । उसने पहले हमीद को लिष्टाया फिर उसकी सफलता पर बधाई देता हुआ बोला ।

“मुझे सब कुछ मालूम हो चुका है ।”

“मगर रनधा ?” – हमीद ने पूछा ।

“उसे भूल जाओ – उसे फाँसी हो चुकी है ।”

“आप लंदन ही से आ रहे है ना ?” – हमीद ने मूर्खो के समान पूछा ।

“हाँ भाई !” – विनोद ने हंसते हुये कहा ।

मगर हमीद सोच रहा था कि विनोद ने गलत कहा था । वह ख़ुद लंदन नहो गया था बल्कि अपनी ब्लैक फ़ोर्स के किसी आदमी को भेज दिया था और ख़ुद यहीं रहा – विभिन्न रूपों में – हर स्थान पर – वर्ना किसी में इतना साहस नहीं हो सकता था कि वह विनोद की कोठी से उस प्रकार उसका अपहरण करता ।



।। समाप्त ।।
 
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The_Punisher

Death is wisest of all in labyrinth of darkness
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As you all know, in previous week we announced USC and also opened Rules and Queries thread after some time. Before all this, chit-chat thread already opened in Hindi section.

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Entry thread will be opened on 7th February, meaning you can start submission of your stories from 7th of feb and that will be opened till 25th of feb. During this you can post your story, so it is better for you to start writing your story in the given time.

And one more thing! Story is to be posted in one post only, cause this is a short story contest that means we can only hope for short stories. So you are not permitted to post your story in many post/parts. If you have any query regarding this, you can contact any staff member.



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