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Adultery पड़ोसियों के साथ एक नौजवान के कारनामे

deeppreeti

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पड़ोसियों के साथ एक नौजवान के कारनामे


परिचय

ये कहानी की 2011-12 है जो वर्तमान समय से लगभग 9-10 साल पहले वर्ष 2011-12 में सूरत शुरू हुई थी ।

पेश है एक नयी कहानी जिसमे आपको जीवन के सभी रंग मिलेंगे खास तौर पर कामुकता से भरपूर होगी ये कहानी l

इसमें मिलेगा आपको पड़ोसियों से सेक्स, युवतियों से सेक्स, ऑफिस में सेक्स, पार्क में सेक्स, सिनेमा में सेक्स, नौकरानी से सेक्स , ग्रुप सेक्स, कुंवारा सेक्स, कॉलेज सेक्स, डॉक्टर के साथ सेक्स, बच्चे के लिए SEX, गर्भादान, इत्यादिl

कहानी लम्बी चलेगी और उम्मीद है आप सब को मजा आएगाl

दीपक कुमार



INDEX

पड़ोसियों के साथ एक नौजवान के कारनामे



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CHAPTER- 1

एक युवा के अपने पड़ोसियों और अन्य महिलाओ के साथ कारनामे


आगमन और परिचय

PART 1- परिचय
PART 2- परिचय

उपहार
PART 1- उपहार
PART 2- उपहार
PART 3- उपहार


CHAPTER- 2

मानवी- मेरी पड़ोसन
PART - 1 सुबह- सुबह
PART- 2 दीवानी
PART- 3 सोनू के लिए बड़े दिनों में ख़ुशी का दिन आया
PART- 4 स्वपनदोष
PART-5 एक कप कॉफी
PART-6 दर्द का इलाज
PART-7 मालिश
PART-8 राज
PART-9 सुन्दर बदलाव
PART-10 आशा से मुलाकात
PART-11 पार्क का निर्जन कोना

PART-12 गुप्त इशारे
PART-13 छत पर सारी रात
PART-14 छत पर सेक्स
PART-15 छत पर गुदा सेक्स



CHAPTER- 3

रुसी युवती ऐना


PART-1 होटल में ऐना से मुलाकात
PART-2 जल परी
PART-3 जल परी के साथ जल क्रीड़ा
PART-4 जल परी के साथ
PART-5 स्विमिंग पूल के किनारे
PART-6 स्विमिंग पूल के किनारे चुदाई
PART-7 स्विमिंग पूल के अंदर चुदाई
PART-8
PART-9
PART-10
PART-11

CHAPTER- 4
कामदेव की उपासना

PART-1 कामदेव की कहानी
PART-2 कामदेव हैं कौन

PART-3 यज्ञ द्वारा पापों का प्रायश्चित
PART-4 साधना के नियम
PART-5 कामरूप क्षेत्र की राजकुमारी से भेंट
PART-6 राजकुमारी - सपनो की रानी


CHAPTER- 5
रुपाली - मेरी पड़ोसन
PART-1 कामुक दृश्यमं
PART-2 बल्ब फ्यूज हो गया
PART-3 स्टूल (छोटी मेज)
PART-4 वास्तविकता या एक सपना
PART-5 ( 69 )

PART-6 प्रस्ताव
PART-7 ईशा- माफ़ी की प्राथना
PART-8 फिल्म
PART-9 कामुक फिल्म
PART-10 हस्तमैथुन
PART-11 अंतराल

PART-12 अंतराल के बाद
PART-13 थिएटर में चुदाई
PART-14 सुपर संडे
PART-15 सुपर संडे - ईशा
PART-16 सुपर संडे - ईशा की परख
PART-17 सुपर संडे - ईशा का विर्जिनिटी टेस्ट
PART-18 सुपर संडे - जाल में ईशा
PART-19 सुपर संडे - इजहार
PART-20 सुपर संडे - ईशा की तयारी
PART-21 सुपर संडे - ईशा का कौमार्य भेदन
PART-22 सुपर संडे - ईशा के साथ सम्भोग का आनंद
PART-23 सुपर संडे - शाही हर्बल तेल से मालिश
PART-24 सुपर संडे - कपल मालिश
PART-25 सुपर संडे - क्लब सैंडविच मालिश
PART-26 सुपर संडे - सुपर लेस्बियन शो
PART-27 सुपर संडे - लेस्बियन त्रिकोण
PART-28 सुपर संडे - सुरक्षा
PART-29 सुपर संडे - मानवी
PART-30 सुपर संडे - रूपाली के साथ सुहागरात
PART-31 सुपर संडे - रूपाली के साथ

CHAPTER-6
पश्ताचाप


PART- 1 / PART- 2


VOLUME II
विवाह, यज्ञ और शुद्धिकरन

CHAPTER-1
विवाह से पहले

PART- 1 /PART- 2/ PART- 3/ PART- 4/ PART -5/PART- 6/ PART- 7/PART- 8/PART- 9/PART-10
PART- 11/PART- 12/PART- 13/PART- 14/PART-15/PART-16/PART-17/PART-18/PART-19/PART-20
PART- 21/PART-22/
PART- 23 page 37/PART- 24-page 39/PART- 25/PART- 26/PART -27 Page 40/PART-28/PART-29/ PART-30 page 41 /PART-31/PART-32 page 42 /PART- 33/PART- 34/PART- 35/PART- 36/PART -37/
PART-38/PART-39/PART-40
PART-41/
PART- 42/PART -43/PART-44/PART-45/PART-46/PART-47/PART-48/PART-49/PART-50/
PART-51/PART- 52/PART -53/PART-54/PART-55/PART-56/PART-57/PART-58


CHAPTER-2
नयी भाभी की सुहागरात

PART- 1 (PAGE 48) /PART- 2/ PART- 3/ PART- 4/ PART -5/PART- 6/ PART- 7/PART- 8/PART- 9/PART-10
PART- 11/PART- 12/PART- 13/PART- 14/PART-15/ PART- 16/PART- 17/PART- 18/PART- 19


CHAPTER-3

बैचलर पार्टी

PART- 1 /PART- 2/ PART- 3/ PART- 4/ PART -5/PART- 6/ PART- 7/
PART- 8/PART- 9/PART-10 /PART- 11/PART- 12/PART- 13/PART- 14/PART-15/
PART- 16/PART- 17/PART- 18/PART- 19/PART-20/ PART-21/PART-22/
/PART- 23/PART- 24/PART-25/

CHAPTER-4
विवाह

PART-1/ PART-2/PART-3/ PART- 4/PART-5/
PART-6/PART-7/ PART- 8/PART-9/ PART- 10/
PART-11/

विवाह- सुहागरात
PART-1/PART-2/ PART- 3/PART-4/
PART-5/PART-6/ PART- 7/PART-8/
PART-9/PART-10 / PART-11/PART-12/
PART- 13/PART-14/PART-15/
PART-16/

PART-17/ PART- 18/PART-19/ PART- 20

CHAPTER-5
मधुमास (हनीमून)

PART-1/ PART-2/PART-3/ PART- 4/PART-5/
PART-6/PART-7/ PART- 8/PART-9/ PART- 10/
PART- 11/PART- 12/PART- 13/PART- 14/PART-15/
PART-16/PART-17/PART-18/PART-19/PART-20
PART- 21/PART- 22/PART- 23/PART- 24/PART-25/
PART-26/PART-27/PART-28/
PART-29/PART-30
PART- 31/PART- 32/PART- 33/PART- 34/PART-35/
PART-36/PART-37/PART-38/PART-39/PART-40
PART- 41/


A1


UPDATE 001
CHAPTER- 1 आगमन और परिचय
आगमन
Incest/Taboo
UPDATE 002परिचय.Incest/Taboo
UPDATE 003आशा को उपहार दिए.Exhibitionist & Voyeur
UPDATE 004उपहारErotic Couplings
UPDATE 005युवा के अपने पड़ोसियों और अन्य महिलाओ को उपहार.Incest/Taboo
UPDATE 006CHAPTER- 2 मानवी- मेरी पड़ोसन

सुबह- सुबह मेरी पड़ोसन मानवी.
Exhibitionist & Voyeur
UPDATE 007लंड की दीवानी मानवी भाभी.Exhibitionist & Voyeur
UPDATE 008सोनू के लिए ख़ुशी का दिन आया.Romance
UPDATE 009स्वपनदोष.Exhibitionist & Voyeur
UPDATE 010एक कप कॉफीRomance
UPDATE 011मानवी के दर्द का इलाजNonConsent/Reluctance
UPDATE 012मानवी की मालिश और इलाजErotic Couplings
UPDATE 013सेक्सी गदरायी हुई महिला के साथ सम्भोग.Erotic Couplings
UPDATE 014मानवी मे सुन्दर बदलाव.Erotic Couplings
UPDATE 015आशा से एक और मुलाकात .Erotic Couplings
UPDATE 016पार्क के निर्जन कोने में भाभी के साथ.Erotic Couplings
UPDATE 017हमारे गुप्त इशारे.Erotic Couplings
UPDATE 018छत पर सारी रात.Incest/Taboo
UPDATE 019छत पर सेक्स.Erotic Couplings
UPDATE 020छत पर गुदा सेक्स.Anal
UPDATE 021CHAPTER- 3 रुसी युवती ऐना

होटल में रुसी युवती ऐना से मुलाकात.
Interracial Love
UPDATE 022 (जल परी रुसी युवती ऐनाErotic Couplings
UPDATE 023रुसी जल पारी ऐना के साथ जल क्रीड़ाErotic Couplings
UPDATE 024 (रुसी जल परी ऐना के साथInterracial Love
UPDATE 025रुसी युवती ऐना के साथ जल क्रीड़ा.Interracial Love
UPDATE 026रुसी युवती ऐना के साथ चुंबन.Interracial Love
UPDATE 027रुसी युवती ऐना स्विमिंग पूल के किनारे.Interracial Love
UPDATE 028रुसी युवती ऐना के साथ स्विमिंग पूल के किनारे चुदाई.Interracial Love
UPDATE 029रुसी युवती ऐना के साथ पूल के पानी में चुदाई.Interracial Love
UPDATE 030रुसी युवती ऐना के साथ कमरे में चुदाई.Interracial Love
UPDATE 031CHAPTER- 4 परिवार

गर्भदान.
Erotic Couplings
UPDATE 032परिवार की वंशावली.Erotic Couplings
UPDATE 033वंश वृद्धि के लिए साधन - प्रायश्चित मदन, गर्भदान के नियम.Erotic Couplings
UPDATE 034राजकुमारी से भेंट.Romance
UPDATE 035CHAPTER- 5 रुपाली - मेरी पड़ोसन

कामुक दृश्यमं.
Exhibitionist & Voyeur
UPDATE 036रुपाली पड़ोसन का बल्ब फ्यूज हो गया.NonConsent/Reluctance
UPDATE 037स्टूल (छोटी मेज).NonConsent/Reluctance
UPDATE 038रुपाली मेरी पड़ोसन, वास्तविकता या एक सपना.NonConsent/Reluctance
UPDATE 039रुपाली पड़ोसन के साथ 69 सेक्स.NonConsent/Reluctance
UPDATE 040राजकुमारी के साथ विवाह प्रस्ताव.Loving Wives
UPDATE 041ईशा के पीछे बगीचे में.Exhibitionist & Voyeur
UPDATE 042ईशा की माफ़ी की प्राथना.Exhibitionist & Voyeur
UPDATE 043रुपाली भाभी के साथ फिल्म देखना.Romance
UPDATE 044पड़ोसन के साथ कामुक फ़िल्म देखना.Exhibitionist & Voyeur
UPDATE 045पड़ोसन ने किया हस्त मैथुन.NonConsent/Reluctance
UPDATE 046कामुक फिल्म का अंतराल.NonConsent/Reluctance
UPDATE 047कामुक फिल्म अंतराल के बाद मुखमैथुन.Erotic Couplings
UPDATE 048पड़ोसन की फिल्म थिएटर में चुदाई .Erotic Couplings
UPDATE 049पड़ोसन के साथ सुपर संडे.Erotic Couplings
UPDATE 050सुपर संडे - ईशा.Romance
UPDATE 051सुपर संडे-ईशा की परख.NonConsent/Reluctance
UPDATE 052विर्जिनिटी टेस्ट.First Time
UPDATE 053सुपर संडे-जाल में ईशा.NonConsent/Reluctance
UPDATE 054सुपर संडे-इज़हार.NonConsent/Reluctance
UPDATE 055ईशा की तयारी .First Time
UPDATE 056सुपर संडे-ईशा का कौमार्य भेदन .First Time
UPDATE 057सुपर संडे-ईशा के साथ सम्भोग का आनंदFirst Time
UPDATE 058सुपर संडे-शाही हर्बल तेल से मालिश.Group Sex
UPDATE 059सुपर संडे-कपल मालिश.Erotic Couplings
UPDATE 060सुपर संडे-क्लब सैंडविच मालिश.Erotic Couplings
UPDATE 061सुपर संडे-सुपर लेस्बियन शो.Lesbian Sex
UPDATE 062लेस्बियन त्रिकोण.Lesbian Sex
UPDATE 063सुरक्षाErotic Couplings
UPDATE 064सुपर संडे-मानवी.Incest/Taboo
UPDATE 065रूपाली के साथ सुहागरातErotic Couplings
UPDATE 066रूपाली के साथ सुहागरात .Erotic Couplings
UPDATE 067सुपर संडे-रूपाली के साथ.Erotic Couplings
UPDATE 068CHAPTER 6 पश्ताचाप

पैतृक स्थान
Loving Wives
UPDATE 069राज .Loving Wives
UPDATE 070VOLUME II विवाह, यज्ञ और शुद्धिकरन

CHAPTER-1 विवाह से पहले


दावत.
Group Sex
UPDATE 071समूह सेक्स दावत.Group Sex
UPDATE 072प्रातः काल भ्रमण मुलाकात.Mind Control
UPDATE 073घायल वृद्ध .Mind Control
UPDATE 074घायल वृद्ध की अंगूठी.Mind Control
UPDATE 075राज कुमारी के साथ सगाई.Romance
UPDATE 076इलेक्ट्रॉनिक लाकर का पासवर्ड.Mind Control
UPDATE 077चमत्कारी अंगूठी.Mind Control
UPDATE 078इच्छा की शक्ति या सपना .Mind Control
UPDATE 079वृद्ध से एक और मुलाकात.Mind Control
UPDATE 080मानसिक नियंत्रण.Mind Control
UPDATE 081मानसिक नियंत्रण.Mind Control
UPDATE 082अंगूठी की शक्तियों का पहला प्रयोग -समस्या और समाधान..Mind Control
UPDATE 083गर्भाधान की समस्या और समाधान.Mind Control
UPDATE 084भाभी का कृत्रिम गर्भधान.First Time
UPDATE 085सेक्स की इच्छा.Erotic Couplings
UPDATE 086कामवासना का जंगली जुनून सवार.Mind Control
UPDATE 087मेरे अंतरंग हमसफ़र.Erotic Couplings
UPDATE 088मैंने अपना रानिवास-हरम बनाने का फैसला किया.Mind Control
UPDATE 089सेक्सी लाल रंग की पोशाक.Erotic Couplings
UPDATE 090युवा प्रशिक्षु के प्रशिक्षण का सबसे महत्त्वपूर्ण सबक.How To
UPDATE 091पोशाक का चयनRomance
UPDATE 092मौसियो के परिवार.Incest/Taboo
UPDATE 093मौसियो की पोतिया का मेट्रो ट्रेन में पहला सेक्स अनुभव.First Time
UPDATE 094मेट्रो ट्रेन में मौसियो की पोतियो के पहले कामुक अनुभव .First Time
UPDATE 095मौसियो की पोतियो की नग्न तैराकी.Exhibitionist & Voyeur
UPDATE 096मौसियो की पोतियो का परस्पर निरीक्षण और हस्तमैथुन.Lesbian Sex
UPDATE 097समलैंगिकता का दूसरा सत्र.Lesbian Sex
UPDATE 098समलैंगिक कजिन बहनेLesbian Sex
UPDATE 099समलैंगिक कजिन बहने.Lesbian Sex
UPDATE 100समलैंगिक कजिन बहने.Lesbian Sex
UPDATE 101असली मजे का थोड़ा-सा स्वाद.Sci-Fi & Fantasy
UPDATE 102असली मजे.First Time
UPDATE 103बेतहाशा चुंबन और मजे.First Time
UPDATE 104बेतहाशा स्तनों की चुसाई और मजे.First Time
UPDATE 105प्रतिक्रियाFirst Time
UPDATE 106लंड की चुसाई और मजे.First Time
UPDATE 107दुल्हन बनी नीता.First Time
UPDATE 108कुंवारी नीता की पहली चुदाई.First Time
UPDATE 109कुंवारी नीता की पहली चुदाई.First Time
UPDATE 110कुंवारी रीता की पहली चुदाई.Incest/Taboo
UPDATE 111कुंवारी रीता की पहली चुदाई.First Time
UPDATE 112धीरे प्यार से चूसो सब तुम्हारा ही है.First Time
UPDATE 113चुदाई से पहले उसे गर्म किया.First Time
UPDATE 114लंड का योनि में प्रथम प्रवेशFirst Time
UPDATE 115लंड के योनि में प्रथम प्रवेश के बाद मस्तीभरी चुदाई.First Time
UPDATE 116प्रेम निवेदन और समर्पण.Erotic Couplings
UPDATE 117मरीना का प्रेम निवेदन .Erotic Couplings
UPDATE 118मरीना का प्रेम निवेदनErotic Couplings
UPDATE 119मरीना का प्रेम निवेदन- मैं कुछ करूँFirst Time
UPDATE 120मरीना से प्यारErotic Couplings
UPDATE 121मरीना के साथ मुख मैथुनErotic Couplings
UPDATE 122जो तुमको हो पसंदBDSM
UPDATE 123दो तरफा चुसाईGroup Sex
UPDATE 124फोरसमGroup Sex
UPDATE 125डरGroup Sex
UPDATE 126मरीना का कौमर्य भंगFirst Time
UPDATE 127हेमा की कामुकताErotic Couplings
UPDATE 128कुंवारी हेमा का कौमार्य भंगFirst Time
UPDATE 129हस्तमैथुन के साथ-साथ चुदाईErotic Couplings
UPDATE 130बहनो की साथ-साथ में चुदाईGroup Sex
UPDATE 131अर्धनग्न तरुण- नर्तकीExhibitionist & Voyeur
UPDATE 132तुम्हारे ही लिए आया हूँ.Romance
UPDATE 133जल क्रीड़ाRomance
UPDATE 134फूलों से प्राकृतिक शृंगारRomance
UPDATE 135अलोकिक रचनाRomance
UPDATE 136वीर्यदान के लिए संकल्पErotic Couplings
UPDATE 137VOLUME II CHAPTER-2 नयी भाभी की सुहागरात

ओवुलेशन प्रक्रिया
How To
UPDATE 138 (नयी भाभी की सुहागरात - राजमाता ने लिया साक्षात्कार.How To
UPDATE 139 (असाधरण परिस्तिथियों में असाधारण कार्य.How To
UPDATE 140क्या और कैसे करना है.How To
UPDATE 141नयी भाभी की सुहागरात में सम्भोग कैसे करना है.How To
UPDATE 142हस्तमैथुन और स्खलन.How To
UPDATE 143सुहागरात की तयारी.Incest/Taboo
UPDATE 144नयी रानी की सुहागरात सुहागसेज.Incest/Taboo
UPDATE 145नयी रानी की सुहागरात.Incest/Taboo
UPDATE 146सुहागरात में नयी रानी भाभी का कौमार्य भंग.First Time
UPDATE 147नयी रानी के साथ सम्भोग.First Time
UPDATE 148नयी रानी का गर्भादान.First Time
UPDATE 149नयी रानी के साथ पिक्चर अभी बाकी हैFirst Time
UPDATE 150भोर में आँख खुलीFirst Time
UPDATE 151रानी गर्भवती हुई है या नहीं?First Time
UPDATE 152एक बार फिर.Erotic Couplings
UPDATE 153रानी माँ ने एकांत प्रदान कियाErotic Couplings
UPDATE 154लग रहा था कि मेरा इरेक्शन कभी कम नहीं होगाErotic Couplings
UPDATE 155मालिश से आराम और चुदाई.Erotic Couplings
UPDATE 156 VOLUME II CHAPTER-3 बैचलर पार्टी

बैचलर पार्टी की तयारी
Exhibitionist & Voyeur
UPDATE 157बैचलर पार्टी डांस पार्टी की तयारीExhibitionist & Voyeur
UPDATE 158नर्तकियों की तलाशErotic Couplings
UPDATE 159नर्तकियों की तलाशExhibitionist & Voyeur
UPDATE 160बैचलर पार्टी के लिए डांसरExhibitionist & Voyeur
UPDATE 161बैचलर पार्टी के लिए बारगर्ल्स डांसरExhibitionist & Voyeur
UPDATE 162लैप डांसरExhibitionist & Voyeur
UPDATE 163बैचलर पार्टी- संधि और विधि, संगीत और नृत्यExhibitionist & Voyeur
UPDATE 164बैचलर पार्टी-संगीत और नृत्य और नवविवाहितExhibitionist & Voyeur
UPDATE 165बैचलर पार्टी की शुरुआतExhibitionist & Voyeur
UPDATE 166बैचलर पार्टी- शो का आनंदExhibitionist & Voyeur
UPDATE 167बैचलर पार्टी-प्रतिभागिGroup Sex
UPDATE 168बैचलर पार्टी - मंच से नीचे का नजाराGroup Sex
UPDATE 169बैचलर पार्टी मंच का नजाराExhibitionist & Voyeur
UPDATE 170कौमार्य भंग करने के लिए प्रशंसा और बधाईGroup Sex
UPDATE 171आनंद आनंदExhibitionist & Voyeur
UPDATE 172बैचलर पार्टी-अध्भुत कामुकताGroup Sex
UPDATE 173बैचलर पार्टी अध्भुत कामुकता और चुदाईGroup Sex
UPDATE 174बैचलर पार्टी तरोताजा कामुकता और चुदाईGroup Sex
UPDATE 175बैचलर पार्टी- तरोताजा चुदाईExhibitionist & Voyeur
UPDATE 176बैचलर पार्टी तरोताजा कामुकता और समूह सेक्सGroup Sex
UPDATE 177बैचलर पार्टी सेक्सी समूह नृत्यExhibitionist & Voyeur
UPDATE 178बैचलर पार्टी सेक्सी समूह नृत्य.Group Sex
UPDATE 179बैचलर पार्टी लैप डांसGroup Sex
UPDATE 180बैचलर पार्टी नंगा नाच और समूह सेक्स.Group Sex
UPDATE 181VOLUME II CHAPTER 4 विवाह

विवाह से पहले मिलने को दिल बेकरार है
Romance
UPDATE 182बेकरार दिल का प्रेमालापRomance
UPDATE 183विवाह पूर्व प्रेमालाप का सुनहरा समयRomance
UPDATE 184सुनहरा समयInterracial Love
UPDATE 185मंगेतरों का परस्पर परिचयLoving Wives
UPDATE 186हल्दी समारोहLoving Wives
UPDATE 187मेहंदी संगीत और नृत्यErotic Couplings
UPDATE 188विवाहLoving Wives
UPDATE 189दुल्हन की बिदाईLoving Wives
UPDATE 190दुल्हन का सोलह श्रृंगारFirst Time
UPDATE 191स्वर्ग की अप्सराLoving Wives
UPDATE 192 VOLUME II CHAPTER 4 सुहागरात

सुहागरात के दंगल की तैयारी
First Time
UPDATE 193सुहाग कक्षLoving Wives
UPDATE 194पूरे जीवन चलने वाले प्यार और जुनून की चाहतLoving Wives
UPDATE 195अरमानो वाली रात सुहागरातLoving Wives
UPDATE 196सुहागरात-मैं चुपचाप निहारता रहाFirst Time
UPDATE 197सुहागरात- चक्रनितम्बा, फूलो से श्रृंगारFirst Time
UPDATE 198सुहागरात- वासना के ज़्वार-भाटेFirst Time
UPDATE 199सुहागरात-अध्भुत नजाराFirst Time
UPDATE 200सुहागरात पहला ओर्गास्म अनुभवLoving Wives
UPDATE 201सुहागरात लिंग दर्शन पहलाExhibitionist & Voyeur
UPDATE 202अच्छे मजेदार सेक्स का अच्छा पक्ष बार बार करना और दोहरानाLoving Wives
UPDATE 203सुहागरात कौमार्य भेदनLoving Wives
UPDATE 204सुहागरात कौमार्य भेदन फिर प्रथम सम्भोगFirst Time
UPDATE 205सुहागरात कौमार्य भेदन के बाद प्रथम सम्पूर्ण मिलन का आनंदLoving Wives
UPDATE 206सुहागरात में कौमार्य भेदन पहले मोहक मिलन का प्रभावFirst Time
UPDATE 207गर्भाधान के लिए सेवक आपकी सेवा के लिए प्रस्तुत हैIncest/Taboo
UPDATE 208भाभी की सेवाIncest/Taboo
UPDATE 209सुहागरात -कोई देख रहा हैExhibitionist & Voyeur
UPDATE 210सुहागरात- एक साथ तीन का स्नान और सम्भोगLoving Wives
UPDATE 211मेरी सुहागरात और भाभी की संतान की मुरादLoving Wives
A1

 
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पड़ोसियों के साथ एक नौजवान के कारनामे

VOLUME II

विवाह

CHAPTER-1

PART 50

कुंवारी हेमा का कौमार्य भंग


मुझे उसकी बहन मरीना को इतने जोरदार तरीके से चोदते हुए देखकर अब हेमा की काम इच्छा बहुत बढ़ गई थी। और वह तुरंत अब मेरे लंड को अपनी योनि के अंदर लेना चाहती थी मरीना ने मेरा लंड फिर छुआ तो लंड फिर से अकड़ने लगा जिसने हेमा के युवा शरीर को उत्तेजना से कंपा दिया था और वह मेरे बड़े, लम्बे मांसल लंड के साथ अब अपनी बारी आने का इंतजार कर रही थी। जितना उसे पहले डर लगा था इस बार वह उतनी ही ज्यादा उत्सुक थी लंड अंदर लेने के लिए इसलिए इस बार हेमा ने ठान लिया था कि वह अपनी चुत के होठों के बीच मेरा बड़ा लंड लेगी और उन सभी बेतहाशा मनभावन भावनाओं का अनुभव करेगी जो स्पष्ट रूप से उसकी बहन के शरीर में सम्भोग के दौरान हुई थी। लंड को देख कर उत्तेजित हुई हेमा ने अपने निप्पल को उंगलियों में ले कर थोड़ा मोड़ना शुरू कर दिया।

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मैं हेमा को उत्तेजित देख अविश्वास में वहीं खड़ा रहा। वह बहुत मोहक और सुंदर लग रही थी। उसके स्तनों का घेरा छोटा और चमकीला गुलाबी था और उसके निप्पल गहरे गुलाबी रंग के हो गए थे। उसके स्तन निर्दोष थे, एक दूधिया रंग के साथ चिकनी त्वचा और वह अपने साथ खेलती रही और धीरे से कराहने लगी। उसका बायाँ हाथ अब और अधिक जोर से हिल रहा था और उसका दाहिना हाथ उसके सख्त निपल्स को और भी जोर से दबा रहा था ।

उसकी ऐसी हालात देख कर मरीना ने आग्रह किया की मास्टर अब आपको हेमा के साथ सम्भोग करना चाहिए। मैंने अविश्वास में सिर हिलाया तो हेमा ने जोर देकर कहा कि उसे भी इसे आजमाने की अनुमति दी जाए और उसके आग्रह की तीव्रता ने मेरे लंड को भड़का दिया। मुझे मालूम था की हेमा की योनि छोटी थी, वास्तव में बहुत छोटी थी, लेकिन मैं यह भी महसूस कर रहा थी की वह अब हर संभव तरीके से मुझे पाने के लिए दृढ़ और त्यार थी। मैंने कहा हेमा एक बार शुरू होने के बाद अब मैं रुकूंगा नहीं।

तो हेमा बोली, मैंने लड़कियों और मेरी बहन को भी तुम्हारे साथ ऐसा करते देखा है? अगर वे इसे ले सकती हैं तो मैं भी ले सकती हूँ।

तो अब मेरी कुंवारी सचिव हेमा की नथ उतरने जा रही थी।

मैं बोला "तो फिर मेरा लंड मुँह में ले लो तो मजा आ जाएगा।"

मरीना बोली चुसाई मैं कर देती हूँ। "



12

मैंने उसका हाथ उठाया और उसकी उँगलियों को चूसने लगा। मैंने उसे अपनी मजबूत बाहों में करीब खींच लिया और उसे चूमने के लिए उस के करीब अपने होंठ ले जाया गया। मैंने अपनी जीभ उसके मुंह में डाल दी और उसने अपने होठों को चौड़ा करके बाध्य किया। धीरे-धीरे वह मुझे चुंबन करने लगी और एक यौन उन्माद में हमारे हाथ एक-दूसरे के शरीर को सहला रहे थे और हमारी जीभ आपस में गुंथी हुई थी।

फ़िर मैंने हेमा को पकड़ लिया उसे अपने पास खींचा और उसके होंठों का चुम्बन लेने लगा। वह पहले ही इतनी गर्म हो चुकी थी कि ज्यादा कुछ करने की जरूरत नहीं पड़ी और वह भी मुझे जोर-जोर से चूमने लगी। उसने मुझे कस कर पकड़ लिया। काफ़ी देर तक मैं उसके होंठों को चूसता रहा, उसे भी अब इस सब में पूरा मजा आने लगा था।

उधर मरीना मेरा लंड मुँह में ले कर धड़ाधड़ चूसे जा रही थी। मेरा लंड एक बार फ़िर से एकदम खड़ा और कड़क हो गया। मैं हेमा की चूचियाँ दबाने लगा और मैंने दस बारह मिनटों तक चूचियों को खूब दबाया। फिर मैं हेमा की चूचियाँ को पीने लगा। चूचियों को पीने से हेमा की हालत और खराब हो गई, मेरा लंड पूरा सख्त हो चूका था तो मरीना भी अब मेरा लंड चूसना छोड़ वहीं पर बैठ गई और हमारा खेल देखने लगी। मैं अब हेमा की चूचियों को और कस कर चूसने में लग गया। हेमा ने भी मेरा लंड पकड़ कर सहलाना चालू कर दिया।

नेरा एक हाथ हेमा की चिकनी बुर पर चला गया और मैं उस पर हाथ फ़ेरने लगा, परन्तु इस बार मैंने अपनी उंगली उसकी बुर में नहीं डाली क्योंकि मुझे डर था कि कहीं वह फ़िर से ना बिदक जाए, इसलिए मैं सिर्फ़ उसकी बुर को ऊपर से ही मसलता रहा।

मेरी हथेलियों और हेमा के निपल्स के बीच के संपर्क ने स्वाभाविक रूप से लड़की की चूत को पहले से कहीं अधिक गर्म कर दिया।

मेरे होठों में उसके ओंठ थे और मैं पूरी भावना उसे चुंबन करते हुए अपने दुसरे हाथ को उसके स्तनों पर घूमते हुए पीठ पर ले जाकर उसके कामुक नितम्बो को पकड़ा और सहलाना शुरू कर दिया।

जैसे ही मैंने उसके नितम्बो के गालों को जोर से फैलाना शुरू किया तो मेरे हाथ उसकी नंगी गांड पर आ गए। और मैंने उसकी गांड के गालों के बीच में और उसकी चूत में एक उंगली खिसका दी। उसकी छूट उस समय बिलकुल गीली हो टपक रही थी और मुझे उसकी योनि बहुत तंग महसूस हो रही थी मैंने थोड़ा जोर लगा कर मेरी ऊँगली उसमें लगभग एक इंच डाल थी और मैंने उंगली को उसकी गीली चूत के अंदर रगड़ना शुरू कर दिया था।

इस बीच मैंने आवेशपूर्ण चुंबन जारी रखा। मैंने उसके स्तनों को जोर से पकड़ का दबा दिया तो वह कराहने लगी । मैंने उसको मुँह को चूमना बंद कर उसके दाए स्तनों को धीरे से शुमा और फिर चाटा और निप्पलों को कुतरना शुरू कर दिया।



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मेरा मुँह उसके बाएँ निप्पल की ओर बढ़ा और उसे चूसने और कुतरने लगा। , वह कराहती रही और मेरे दूसरे हाथ उसके दाहिने स्तन को पकड़कर उसे दबाने लगा । उसने मेरे सख्त लंड को पकड़ कर सहलाना शुरू कर दिया फिर मैंने अपना मुँह उसके दूसरे निप्पल पर स्थानांतरित कर दिया, जिसे मैंने जोर से चूसा । और मैंने उसके हाथ को अपने लंड की ओर निर्देशित किया और उसे अपनी मर्दानगी का अहसास कराया।

"हे भगवान," वह फुसफुसायी, "यह मेरी कल्पना से बहुत बेहतर है।" उसकी आँखों में वासना का भाव था ।

अब मुझे लग रहा था कि इसकी बुर पूरी तरह से लंड लेने के लिए बेकरार है। परन्तु बुर एकदम नई थी, इसलिए मैंने सोचा कि इसे थोड़ा और तड़फ़ाया जाए ताकि पहली बार लंड लेने में इसकी गर्मी इसके दर्द के एहसास को कम कर दे।

हेमा अब काफ़ी गर्म हो चुकी थी, वह चुदवाने को बेक़रार थी, उसने मुझसे कहा-अब करते क्यों नहीं, जल्दी करो, अब नहीं रहा जा रहा। मेरी बुर में दर्द होने लगा है, डाल दो अब इसमें।



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पर मैं उसकी चूचियों को चूसने में ही लगा हुआ था। तभी उसने मेरा लंड पकड़ा और अपनी बुर की तरफ़ ले जाने की कोशिश करने लगी।

मैं समझ गया कि अब तड़पाना अच्छा नहीं है। मैंने उसे उठा लिया और उसे बेड पर लिटा दिया। और उसे चुंबन किया उसके गालो को चाटा और उसकी गर्दन चाटने केबाद, उसके कंधो को चाटा और फिर उसके स्तनों को चूसा फिर उसके स्तनों के बीच की घाटी को चूसा और उसका प्रत्येक रसीला निप्पल तब तक चूसा जब तक यह बिलकुल लाल नहीं हो गया। मेरा मुँह और नीचे गया और उसकी नाभि में मेरी जीभ घूमी और वह कराहने लगी मैंने उसकी नाभि पर लार के छोटे-छोटे घेरे खींचे। दूसरे हाथ से मैंने उसकी चूत को फैलाया, अपनी तर्जनी और मध्यमा उंगलियों का उपयोग करके उसके सख्त और उत्तेजित भगशेफ को उजागर किया और अपना अंगूठा से उसके भगशेफ को रगड़ दिया। मेरा मुंह उसकी जाँघों पर और नीचे चला गया, और उसके भगशेफ को सहलाने, कुतरने और उसके मलाईदार मांस को चूसने लगा। मैंने ऊँगली तो अंदर धकेलने की कोशिश की, लेकिन ऐसा नहीं कर सका क्योंकि उसकी योनि बहुत टाइट थी मैंने अपनी जीभ को उसकी भगशेफ पर घुमाया और अपनी जीभ से कुशलता से उसे फड़फड़ाना शुरू कर दिया, उसकी भगशेफ को चूसते हुए उंगलियाँ उसकी योनि के अंदर रगड़ने लगा इस बात का ध्यान रखते हुए कि उसके हाइमन पर जोर न पड़े। । वह जोर-जोर से कराहने लगी क्योंकि मेरा चूसना और तेज हो गया ।



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मैंने हेमा की दोनों टांगों को फ़ैला दिया उसके ऊपर चढ़ गया।

उसकी योनि पर लार टपकाने लगा। मैंने उसे चुम कर बोला और ये कुंवारी के तौर पर तुम्हारा आखिरी चुंबन है!

"वह शरमाते हुए बोली जी हाँ सर"।

मैंने अपनी हरकतों को जारी रखा फिर उसकी चूत से अधिक रस निकलन शुरू हो गया । और मेरी जीभ और उन्स्की योनि उसके रस और मेरी लार के चिकने संयोजन के साथ चमक रही थी। मैं उसकी योनि और भगशेफ को लगातार चूसता रहा और उसके भगशेफ को हिलाता रहा और उसे तब तक उँगलियों से छेड़ता रहा जब तक कि वह उसके शरीर में कंपकंपी और ऐंठन शुरू नहीं हो गयी। हेमा के मुह से आहे निकल रही थी। वह मेरी उँगलियों द्वारा चूत पर किये जा रहे घर्षण को मजे से महसूस कर रही थी।

जब वह कांपने लगी तो उसकी जांघों के किनारों को अपनी जांघों से दबाते हुए उसकी योनि के ऊपर मैंने लंड एक दो बार घिसा और उस मिले जुले चिकने रस को लंड पर लगा कर लंड को चिकना किया अब मेरा कठोर लंड योनि में जाने के लिए तैयार था।

मैं धीरे-धीरे अपना लंड उसकी बुर में डालने की कोशिश करने लगा, परन्तु उसकी बुर का छेद इतना छोटा था कि मेरा 8 इंच का लंड अंदर नहीं जा रहा था। अत: मैंने अपने दोनों हाथ उसके पैरों के नीचे से ले जाकर उसके दोनों पांव ऊपर उठा लिए, जिससे उसकी चुत ऊपर की ओर उठ गई तथा लंड उसकी चूत के छेद के बिल्कुल सामने आ गया।

मैंने हेमा को चुम और सहला कर गर्म कर शारीरिक तौर पर और हेमा ने मेरे लंड के प्रवेश के लिए खुद को मानसिक तौर पर त्यार किया। वह जानती थी कि प्रवेश करते ही मेरा लंड उसकी योनी को फैला कर चौड़ा कर देगा। वह यह भी जानती थी कि वह मेरे लंड को अपनी योनी के अंदर लेने के लिए आज तक इतनी ज्यादा उत्साहित नहीं हुई थी और इस इच्छा के कारण उसने अपनी एड़ी को एक साथ मेरी गांड के नितम्बो के चारों ओर कस लिया था, उसमें एक विशेष उत्साह था। उसने मेरे, सुडौल शरीर को सहलाया और मुुझे देखकर मुस्कुराई, उसकी कामुक इच्छा की दृष्टि ने मुझे प्रोत्साहित किया।


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जब मैं नहीं हिला, तो उसने अपने कूल्हों को ऊपर की और एक झटका दिया, जिससे उसकी योनी का मुंह में मेरे लंड के सिर घर्षण करते हुए छेद पर टिक गया। उस घर्षण ने उसकी योनी के माध्यम से यौन भावना का एक और चौंकाने वाला झटका भेजा और उसके होठों पर आश्चर्यजनक खुशी की कराह निकली।

मरीना समझ गयी अब मेरा क्या इरादा है और हेमा के स्तन सहलाने लगी और उसे लिप किश करने लगी ।

इससे पहले कि हेमा अपने परमानंद की स्थिति से उबर पाती, मैं जल्दी से खड़ा हो गया और मैंने अपनी उँगलियों से चूत को खोला और लंड का गुलाबी सूपड़ा बिच में रख दिया और अपने सदस्य को उसकी योनि के छेद में लगा कर तेजी से टक्कर मारी कि उसने दर्द और अविश्वास से मेरी ओर देखा। फ़िर मैंने ताकत लगा कर एक ज़ोर का धक्का लगाया और लंड लगभग एक इंच लंड उसकी बुर में घुस गया।

तकलीफ के मारे हेमा का मुँह खुल गया और आँख से पानी आ गया, वह ज़ोर से चिल्लाई "घुस्स्स गया... मरर गई।" हेमा चीखने चिलाने लगी । हाअ, राआआआजा, सरररर आईईई, चोदो और जोर से चोदो। मेरी चूत को फाड़ दी, आआआआ और ज़ोर से, उउउईईईई माँ, आहहहाँ,

हेमा अपने अन्दर उस गहरायी में हो रहे उस अनुभव को लेकर बहुत आश्चर्यकित थी। उसके आश्चर्य ने दर्द को रास्ता दे दिया अभी भी कुछ ही सेकंड पहले से कामोन्माद उत्साह के साथ मिला हुआ आश्चर्य एक ढ़ाके के साथ ही दर्द में बदल गया।

वोह मेरे लिंग को अपनी योनी के दीवारों पर महसूस कर रही थी। मैं एक बार पीछे हटा और अन्दर की ओर दवाब दिया। थोड़ा-सा लंड पीछे किया और फिर से आगे को धक्का दिया, ज्यादा गहरायी तक नहीं पर लंड हेमा की कौमार्य की झिल्ली तक पहुँच चूका था और हायमन से टकरा रहा था लंड लगभग 2 इंच अंदर चला गया था । मेरे लिंग को हेमा ने अपनी योनी रस ने भिगो दिया था, जिससेलंड चिकना हो गया था।

अगली बार मैंने पूरी ताकत के एक धक्का लगा दिया "ओह दीदी" हेमा के मुह से निकला उसके स्तन ऊपर की ओर उठ गए और शरीर पहले ही से उसकी परमानंद की स्थिति के कारण एंठन में था और जैसे ही मेरा गर्म, आकार में बड़ा लिंग पूरी तरह से गीली हो चुकी योनी के अवरोध को भेद कर अंदर घुस गया। लंड चूत के लिप्स को खुला रखते हुए क्लिटोरिस को छूता हुआ वह पूरा अन्दर तक चला गया हेमा की योनी मेरे लिंग के सम्पूर्ण स्पर्श को पाकर व्याकुलता और अजीब से अनुभव से पगला गयी । मेरे हिप्स भी कड़े होकर अंदर को दवाब दे रहे थे और लंड पूरा अन्दर जा चूका था ।



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जैसे ही मेरे लंड ने उसके कौमार्य की पतली झिल्ली को विभाजित किया और उसकी योनी में घुस गया वह चीख पड़ी। वह महसूस कर रही थी कि जितना उसने कभी सोचा होगा उसकी योनी का विस्तार उससे कहीं अधिक हो रहा था। जैसे-जैसे मेरा लंड उसकी योनि में आगे गया वह अद्भुत स्पष्टता के साथ मेरी चुभन को महसूस कर रही थी। मेरे लंड का हर उभार, हर हलचल उसके दिमाग में दर्ज हो गई। हेमा मेरे लंड के प्रति अत्यधिक सचेत हो गई और एक पल में ऐसा लगा कि उसका पूरा शरीर एक अति संवेदनशील योनी में बदल गया है कि वह पूरी तरह से मेरे लंड से भर गयी है।


कहानी जारी रहेगी

दीपक कुमार


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पड़ोसियों के साथ एक नौजवान के कारनामे

VOLUME II

विवाह

CHAPTER-1

PART 51

हस्तमैथुन के साथ-साथ
चुदाई


जैसे ही मेरे लंड ने हेमा के कौमार्य की पतली झिल्ली को विभाजित किया और उसकी योनी में घुस गया वह चीख पड़ी। जितना उसने कभी सोचा था उसकी योनी का विस्तार उससे कहीं अधिक हो रहा था। उसकी टाँगे सीधी हो गयी और हाथ मेरी पीठ पर चले गए, लंड उसकी सील को चीरता हुआ जड़ तक पूरा 8 इंच अन्दर चला गया।

उसके मुँह से दर्द भरी परन्तु उत्तेजनापूर्ण आवाजें निकलने लगीं। फिर हेमा दर्द के मारे कराहने लगी आहहहहह! दीदी बहुत दर्द हो रहा है और हेमा दर्द से छटपटाने लगी । मैंने हेमा को धीरे-धीरे चूमना सहलाना और पुचकारना शुरू कर दिया, मैं बोला मेरी रानी डर मत कुछ नहीं होगा थोड़ा देर में सब ठीक हो जाएगा।

हेमा मेरे से बोली-"प्लीज सर बाहर निकाल लीजिए। मैं मर जाऊँगी, बड़ा दर्द हो रहा हैl" और वह ऊऊऊll आईईईll की आवाजें निकालने लगी। उउउउउइइइइइइ! ओह्ह्ह्हह! सररर! बहुत दर्द हो रहा है। सररर! प्लीज इसे बाहर निकल लो। बस एक बार बाहर निकाल लो । मुझे लग रहा है मेरी फट गयी है और ये आपका लंड अंदर और बड़ा होता जा रहा है, प्लीज सर इसे निकालो। आह! ओह्ह्ह! प्लीज बहुत दर्द हो रहा है। मैं दर्द से मर जाऊँगी, प्लीज! निकालो इसे और हेमा की से आँखों से आंसू की धरा बाह निकली । प्लीज! दीदी सर से बोलो न इसे बाहर निकाल ले । मरीना जो उसके पास में बैठी थी आगे हुई और उन आंसूओं को पी गयी और बोली मेरी बहन बस थोड़ा-सा बार बर्दाश्त कर लो आगे मजा ही मजा है।



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हेमा की चूत बहुत टाइट थी उसकी योनि की मांसपेशिया फैली और मेरे लंड के आसपास कस गयी । मैंने एक बार फिर पूरी ताकत लगा कर पीठ उठा कर लैंड को थोड़ा पीछे खींचने की कोशिश की और फिर मैंने पूरी ताकत से एक और धक्का लगाया और इस बार लण्ड पूरा अंदर समां गया और मैं हेमा के ऊपर गिर गया और मेरा मुँह उसके मुँह पर था और उसे किश करते हुए कुछ देर के लिए मैं उसके ऊपर ही पड़ा रहा ।

हेमा फिर रोने लगी और चुंबन तोड़ कर कलपते हुए बोली सर आपने तो और अंदर घुसा डाला। मुझे बहुत दर्द हो है। अच्छा पूरा नहीं तो थोड़ा-सा बाहर निकाल लो और रोने और कुलबुलाने लगी तो मरीना ने मेरे नितम्बो पर हलकी-सी थाप दी और बोली मास्टर इसकी इतने बात मान लो और थोड़ा पीछे कर लो । तो मैंने थोड़ा-सा लंड पीछे खींच लिया । मेरा इतना करते ही हेमा को जैसे बहुत सारा आराम मिला और हेमा ने रोना बंद कर दिया पर अब हलके-हलके से कराह रही थी ।

मरीना इस बीच हेमा के स्तन और कंधो को सहलाने लगी और जब मरीना ने हेमा की चूत पर हाथ लगाया तो पाया वह सूज चुकी थी मरीना के सहलाने और मेरे चुंबन से कुछ देर के बाद हेमा शांत हो गयी l

जब हेमा शांत हुई तो मुझे वापिस चुंबन करने लगी और बोली आह! अब करो! , चोदो, चोदो मुझे! "वह कराह रही थी, मेरे खिलाफ अपना बदन रगड़ कुलबुला और छटपटा रही थी और उसने अपनी योनी को ऊपर उठा लिया ताकि मुझे इसे भेदने में बेहतर कोण मिल सके।" ऊह, मुझे चोदो, मुझे जोर से चोदो! अब तुम्हारा लंड मैं अपनी योनि में हर तरफ महसूस करना चाहती हूँ! "

ये सुन कर मेरे दिल में कामुक भावनाओं की एक बाढ़-सी आ गई क्योंकि उसने मुझे वही करने का आग्रह किया था जो मैं करना चाहता था। मैंने उसके ऊपर दबाव डाल लंड को थोड़ा बाहर खींचा और फिर अंदर धकेला। उसकी योनी पहले से ही मेरी लार से और साथ ही साथ तंग छोटी सुरंग के भीतर से निकलने वाले मीठे और फिसलन भरे रस से भीग गयी थी, मेरे बड़े लंड का उभरा हुए सिर थोड़ा अंदर फिसल गया। खिंचाव की अनुभूति ने उसे दर्द और आनंद के मिले जुले आश्चर्यजनक भाव से रुला दिया। मेरा लंड उसकी चूत में और फिसल गया और मार्ग की रखवाली करने वाली ऊतक-पतली झिल्ली के घाव से टकरा गया। हेमा की कौमार्य की झिली ने मरीना की तुलना में बहुत कम प्रतिरोध दिया था ।

मैंने लंड को योनि की तंग सुरंग में आगे को धक्का दिया। मैं जितनी जल्दी हो सके उसकी योनी में गहराई तक जाना चाहता था। मैंने बेरहमी से उसकी योनि में लंड को पूरी ताकत से धक्का दे दिया जिससे लंड ने अपना रास्ता बना लिया। मेरे लंड का आधार और अंडकोष उसकी चूत के होंठों से टकरा गए और-और उन्हें चपटा कर दिया और जब उसने महसूस किया के मेरे अंडकोष उसकी योनि से चिपक गए है तो वह जोर से चिल्लाई । मैंने कुछ लम्बे-लम्बे शॉट लगाए जिससे लंड पूरा आराम से जाने लगा फिर मैंने एक अलग रणनीति अपनाई जो मुझे मिली ने सिखाई थी (जिसके वारे में आप मेरी कहानी मेरे अंतरंग हमसफर में पढ़ सकते हैं) ।



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उसके बाद मैंने लंड को बाहर खींचा बस सिर्फ लंडमुंड को उसकी योनी से नहीं निकाला और फिर लंड को अंदर धकेलते हुए मैंने उसे छोटे-छोटे झटके से चोदना शुरू कर दिया। मैंने अपने बड़े लंड को उसकी योनी के मुंह के अंदर और बाहर इस प्रकार किया और उसकी तंग मांसपेशीयो वाली योनि के छेद के अंदर कभी भी लंड को पूरा नहीं घुसाया और पूरा बाहर नहीं निकाला। बुर बड़ी टाईट थी, लंड भी अटक-अटक के जा रहा था। मैं अब अपनी पूरी ताकत लगा कर उसकी बुर में डाल रहा था। हर धक्के पर उसकी मुँह से हल्की-हल्की चीख निकल रही थी।

मरीना बड़े गौर से देख रही थी कि मैं क्या कर रहा था और हेमा को थोड़ा अलग तरीके से चोद रहा था और मरीना से बेहतर उस समय कौन जानता था कि मैंने मरीना को हेमा से बिलकुल अलग तरीके से चोदा था । हेमा की इस तरह की चुदाई के दौरान हर बार मेरा लंड हेमा के G-स्पॉट को सहला और छेड़ रहा था और मरीना कुछ ठगा हुआ महसूस कर रही थी। लेकिन मेरे कक्ष की हवा में कामुकता इतनी प्रबल थी कि मरीना उससे बच नहीं सकी ।

मरीना हमारे उन्मत्त कामुक प्रयासों में अपना जादू जोड़ने के लिए मेरे पास हुई और उसका दाहिना हाथ मेरे नितम्बो तक पहुँच गया, अपने बाए हाथ से वह अपनी योनि को सहला रही थी और दाए हाथ से मेरी बड़ी-बड़ी गेंदों को सहलाने लगी। इस साहसिक कदम ने उसे और भी अधिक कामुक कर दिया और वह मेरे लंड को भी सहलाने लगी। अपने हाथ को तीव्र कोण पर घुमाकर उसने मेरे बड़े लंड की लम्बाई के चारों ओर अपनी ऊँगली का गोला बना लिया। मैं अब मरीना के हाथ की उंगलियों के गोले और हेमा की गर्म नन्ही योनी दोनों को एक साथ चोद रहा था। ये बिलकुल ऐसा था जैसे मरीना मेरे लंड के साथ हस्तमैथुन कर रही थी और इसके साथ-साथ मैं हेमा को चोद रहा था । फिर मैंने महसूस किया कि उसके हाथ की उंगलिया मेरे लंड के चारों ओर बंद हो गयी है वह मेरे लंड को पकड़ कर हेमा की योनि में गहरे घुसा रही थी और मैंने हेमा की प्रतीक्षा कर रही योनी में जोर से धक्का देना शुरू कर दिया। मरीना इस बीच अपना हाथ हेमा की चूत के होंठों को रगड़ रही थी।



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"उह्ह! हेमा तुम्हारी योनि बहुत टाइट है बड़ा मजा आ रहा है! और मैंने हेमा की योनि में शातिर तरीके से मेरे कूल्हों को घुमाते हुए सब तरफ धक्के मारे।" आह! इतनी तंग योनि! मजा आ गया! " मेरा लंड उसकी योनी के अंदर उसकी दीवारों को रगड़ता हुआ और बाहर हो रहा था, जब लंड को मैंने आगे को धकेला तो लंड उसकी विभाजित कौमार्य की झिल्ली के कच्चे घाव को भी रगड़ गया और हेमा जोर से कराह उठी।

जैसे ही मैंने उसकी योनी में प्रवेश किया था हेमा की योनि रस छोड़ने लगी थी और जिस तरह से मैं उसे चोद रहा था उससे उसने पाया कि उसकी पहली चुदाई का हर कदम और भी मजेदार और मनभावन हो गया। मेरे लंड के हर धक्के ने उसको और कामुक कर दिया, जिससे उसके योनि में यौन सुख की और अधिक रोमांचक लहरें आयी और वह आनंद से कराह रही थी और मुश्किल से अपनी सांस ले पा रही थी।

मैंने उसे लिप किश किया मैं उसे लिप किश करता ही रहा वह भी कभी मेरा उप्पर लिप तो कभी लोअर लिप चूसती रही मैंने उसके लिप्स पर काटा उसने मेरे लिप्स को काट कर जवाब दिया, फिर मैं उसके होंठो को चूमने लगा और वह भी मेरा साथ देने लगी फिर मैंने अपनी जीभ उसके मुँह में डाल दी और वह मेरी जीभ को चूसने लगी। फिर मैंने भी उसकी जीभ को चूसा। हेमा अपने शरीर में आ रही कामुक उत्तेजनाओं के कारण मुझे बेकरारी से चूमने चाटने लगी, साथ-साथ मरीना ने उसकी चूची सहलानी और दबानी शुरू कर दी और हेमा सिसकारियाँ ले मजे लेने लगी ।

मरीना ने मेरे लंड को हस्तमैथुन करना जारी रखा और मेरी गेंदों को जितना वह कर सकती थी, प्यार करती रही। साथ-साथ बीच बीच में मरीना ने अपने बाएँ हाथ का इस्तेमाल अपनी चूत के होठों को सहलाने के लिए किया। उसने जितना हो सके खुद को अपनी उँगलियों से चोद दिया और अपने दूसरे हाथ को मेरे लंड और लटकती गेंदों पर रगड़ना जारी रखा। हेमा के प्रति अपनी ईर्ष्या के बावजूद वह यह भी चाहती थी कि हेमा को चुदाई का पूरा आनंद मिले और यह सुनिश्चित करने के लिए मरीना ने अपनी शक्ति में सब कुछ किया।

मेरी चुदाई, किश और मरीना के द्वारा हेमा के स्तनों और उसकी छूट को सहलाने के चार तरफा हमले का वांछित असर हेमा और मेरे पर हुआ जहाँ हेमा की चूत संकुचन करने लगी। वहीँ मैं महसूस कर रहा था कि मेरी गेंदें शुक्राणु के एक और हमले की तैयारी कर रही हैं और मैंने हेमा को जोर से चोदना जारी रखते हुए तेज धक्के लगाने शुरू कर दिए। उसकी योनि की छोटी सुरंग ने मेरे बड़े और मोटे लंड को कस कर पकड़ लिया और मेरे लंड के सिर पर योनि की मांसपेशिया और भी अधिक दबाव डालने लगी। मैंने धक्के लगाना जारी रखा जिससे मेरे लंड ने उसकी योनी के उन हिस्सों के खिलाफ जोर से चुदाई की जिन्हे लंड ने अभी तक छुआ नहीं था । हेमा ने उत्तेजना भरी हुई कराहो के साथ मेरे हर धक्के का जवाब दिया। वह चरम पर पहुँची और अपने पैरों और टांगो को-को मेरे शरीर के चारों ओर और भी सख्त कर दिया। वह तड़पने लगी और कांपने लगी उसने मुझे अपनी पूरी ताकत से मुझे दबाना शुरू कर दिया मैं समझ गया कि अब इसकी बुर को पानी छोड़ना है। मैंने भी अपने धक्कों की रफ़्तार बढ़ा दी। दो मिनट बाद उसकी पकड़ ढीली पड़ गई और हेमा की योनि ने-ने ढेर सारा चुतरस मेरे लंड पर छोड़ दिया।



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मेरे उग्र प्रयासों ने स्वाभाविक रूप से मेरी उत्तेजना को बढ़ा दिया और मेरे लंड का योनि पर घर्षण तेज हो गया। ओह्ह्ह्ह करती हुई हेमा कराहने लगी! " मेरा भी लंड झड़ने को हो गया। मैंने अपने धक्कों की रफ़्तार में और तेजी कर दी, आठ-दस धक्कों के बाद मेरी गेंदें हिल रही थी और मैंने लंड को वापस खींच लिया और हेमा की योनी में एक तेज धक्का मारा और ये स्ट्रोक इतना मजबूत था कि मेरा लंड मरीना की मुट्ठी से फिसल गया और हेमा की योनि में पूरा घुस गया और लंड की पिचकारी छूट पड़ी और सारा का सारा माल हेमा कि चूत में भरता चला गया। मैं उसके ऊपर लेट गया। मेरी और उसकी सांसें बड़ी तेजी से चल रही थीं।

कहानी जारी रहेगी

दीपक कुमार


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पड़ोसियों के साथ एक नौजवान के कारनामे

VOLUME II

विवाह

CHAPTER-1

PART 52

बहनो की साथ-साथ में
चुदाई



मैं हेमा के मम्मे सहला रहा था और देखना चाहता था कि अब उसकी चूत कैसी दिखायी दे रही है। मैंने अपना लंड धीरे से निकाल लिया । लंड मेरे वीर्य, हेमा के चुतरस और खून से सना हुआ था और फिर मैंने देखा कि उसकी चूत थोड़ी चौड़ी हो गयी थी। उसमें से वीर्य और खून दोनों टपक रहे थे पर हेमा के चेहरे पर सन्तुष्टि के भाव थे।

फिर मरीना मुझसे चिपक गयी। हम दोनों एक दूसरे के बदन को सहला रहे थे। मैंने हेमा को और मरीना को बारी-बारी से किस किया। हेमा अपने होंठों को भींच रही थी और रो रही और कराह रही थी। मैंने हेमा को बिस्तर पर तड़पती हुई देखा, दोनों हाथ उसकी पतली जाँघों के बीच दबे हुए थे।

फिर मरीना ने एक रुमाल उठाया और मेरा लंड जो हेमा की चूत के रसो मेरे वीर्य और उसके कुंवारे लहू में सना हुआ था, साफ़ किया और फिर हेमा की चूत को भी साफ़ किया। जब उसने हेमा की चूत को छुआ तो वह कराह उठी, तो मरीना ने वही रखी क्रीम हेमा की चूत के अंदर बाहर लगा दी और उसके गले लग कर, उसे बधाई देते हुए उसे चूमने लगी और बोली मेरी बहना बस अब रो मत जो दर्द होना था वह हो लिया अब आगे मजे जी मजे हैं ।

मरीना के छूने से लंड एक बार फिर तन कर कड़ा हो गया और मैंने मरीना को सुझाव दिया, क्या तुम एक बार फिर चुदना चाहोगी ये अब दुबारा खड़ा हो गया है? मरीना बोली बेशक, मरीना उस सुझाव का पालन करने के लिए बहुत इच्छुक थी।



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जब मैंने कहा कि वह मेरे लंड को फिर से चूस सकती है, तो उसकी आँखें दिलचस्पी से चमक उठीं मेरी उन्मत्त चुदाई ने हेमा की योनी के तेल में मेरे लंड को स्नान करवा कर दिया था। और अब जबकि मेरा लंड मेरे वीर्य से कुछ ही समय में दूसरी बार नहा चुका था और उसकी बहन की गर्म नन्ही योनी के रस और मेरे वीर्य से सना हुआ था तो उसने बिना किसी हिचकिचाहट के सिर हिलाया। उसने अपनी बहन के पास घुटने टेक दिए और धीरे-धीरे लंड को पहले चूमा और लंड पर लगा वीर्य और चूत रस उसने चाटना शुरू कर दिया, यह जाने के लिए कि मरीना क्या कर रही है हेमा ने ऊपर देखा और उसने मरीना को प्रोत्साहन देने के लिए के कुछ शब्दों को फुसफुसाया ।

मरीना को इस असामान्य क्रीम का अनोखा स्वाद बहुत पसंद आया और मरीना को मेरे लंड पर लगे हुए रस विश्वास से परे स्वादिष्ट लगे और फिर उसने हेमा की योनि को भी चाट कर साफ़ किया और फिर मेरे लंड पर लगा पूरा वीर्य और चूत रस उसने जीभ से चाट कर एक गोला बनाया और उसने अपने ओंठ जो मेरे वीर्य और हेमा के रसो के मिले जुले क्रीम से सने हुए थे वह हेमा के ओंठो से लगा दिए और अपना मुँह खोल कर हेमा के मुँह में वह गोला सरका दिया और दोनों बहने उस मलाई के गोले को मिल बाँट कर निगल गयी। फिर मरीना मेरे लंड को चूसने लगी।



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मैं अभी भी अपनी पीठ पर था और मेरे पूरा लंड मरीना के मुँह में था। उसके बाद मरीना ने मेरे लंड को अपने मुंह से निकाला, मैंने मरीना को अपनी बांहों में उठाया और बेड पर लिटा दिया। मैं मरीना को चूमने लगा और फिर मैं उसके ऊपर लेट कर उसके बूब्स से खेलने लगा और धीरे-धीरे उन्हें भींचने लगा। मरीना कि सिसकारियाँ तेज हो रही थीं। मैं उसके निप्पलों को अपने दांतों से दबाने लगा।

हेमा बिस्तर पर इस तरह से लेट गयी ताकि वह मेरे लंड मरीना की योनि के अंदर जाते हुए आसानी से देख सकेl

मैं घुटनो के बल बैठ गया और धीरे से अपना 8 इंच लम्बा लंड को मरीना की चूत पर टिका कर उसकी योनि को रगड़ने लगा तो हेमा ने हाथ बढ़ा कर मेरा लंड मरीना की चूत के द्वार पर लगा दिया। और हेमा कि तरफ़ हँस कर देखते हुए मैंने एक ही झटके में अपना लंड मरीना की चूत में डाल दिया उसे किस करते हुए मेरे हाथ उसके मम्मों को सहलाते हुए उसके चुचकों के खींचते हुए उसकी चूचियाँ दबाने लगा।

हालाँकि कुछ देर पहले हुए पहली चुदाई के कारण मरीना की चूत भी सूजी हुई थी पर धक्के के जोर के कारण और मरीना के थूक से गीला और चिकना होने के कारण लंड पूरा अंदर चला गया। मैंने धीरे-धीरे शॉट लगाने शुरू किए।



अब मैंने मरीना को ठीक वैसे चोदा जैसे कुछ देर पहले हेमा को चोदा था। मैंने लंड को इतना ही बाहर खींचा की सिर्फ लंडमुंड को उसकी योनी में रहे और फिर लंड को अंदर धकेलते हुए मैंने उसे छोटे-छोटे झटके से चोदना शुरू कर दिया। मैंने अपने बड़े लंड को उसकी योनी के मुंह के अंदर और बाहर इस प्रकार किया और उसकी तंग मांसपेशीयो वाली योनि के छेद के अंदर कभी भी लंड को पूरा नहीं घुसाया और पूरा बाहर नहीं निकाला। सूजने के कारण उसकी योनि थोड़ी कस गई थी। मेरा मोटा लम्बा लंड अटक-अटक कर जा रहा था। मुझे टाइट चूत होने के कारण मजा आ रहा था। सूजी होने के कारन मैं थोड़ी ज्यादा ताकत लगा कर उसकी योनि में डाल रहा था। हर धक्के पर उसकी मुँह से हल्की-हल्की चीख निकल रही थी। हाअ, मास्टर राआआआजा, आईसीईई, चोदो और जोर से चोदो। आआआआ और ज़ोर से, उउउईईईई माँ, आहहहाँ,

मरीना उत्तेजना में चिल्ला रही थी और अपने कूल्हे ऊपर हो हिला कर मेरे धक्कों का साथ दे रही थी। हमे चुदाई करते देख कर हेमा भी गर्म हो रही थी ।

फिर कुछ देर में ही मरीना का जिस्म थोड़ा थर्राया अकड़ा और उसने मुझे ज़ोर से भींच लिया और फिर निढाल हो गई लेकिन मेरा लंड अभी नहीं झडा था

तब मैंने अपना लंड मरीना की योनि से बाहर निकाला और हेमा को अपने पास खींच कर उसके ऊपर चढ़ गया और एक ही झटके में अपना लंड हेमा की चूत में डाल दिया । मैंने हेमा को लिप किस करना शुरू कर दिया और काफी देर तक हेमा को लिप किस करता रहा फिर स्तनों को सहलाना और मसलना शुरू कर दिया वह अब मेरा पूरा साथ दे रही थी



अब में उसके बूब्स को चूसने लगा था और अपने एक हाथ से उसके बालों और कानों के पास सहलाने लगा था और फिर कुछ देर के बाद मैंने उसके कानों को भी चूमना शुरू कर दिया। हेमा की चूत मेरे वीर्य और चुतरस से एक दम चिकनी थी और मेरा लंड भी मरीना के रस से चिकना था फिर मैंने धीरे-धीरे धक्के लगाना शुरू किया तो पहले तो वह चिल्लाई, लेकिन फिर कुछ देर के बाद मैंने पूछा कि मज़ा आ रहा है। फिर वह बोली कि हाँ बहुत मज़ा आआआआ रहा है, ...हाईईईईई, म्म्म्मम और फिर वह जोर-जोर से चिल्लाने लगी। फिर कुछ देर के बाद मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी। अब वह मस्ती में कराह रही थी अआह्ह्ह आाइईई और करो, बहुत मजा आ रहा है। अब में अपनी स्पीड धीरे-धीरे बढ़ाता जा रहा था और पूरा लंड अंदर डाल कर बाहर निकाल कर पूरा वापिस अंदर डाल रहा था । मरीना हमारी इस चुदाई को गौर से देख रही थी और हेमा बड़बड़ा रही थी आआआआ, उउउईईईई आईसीईई, चोदो और जोर से चोदो। आहहह सरररर जोर से करो, आहह हाँ।।

फिर कुछ देर के बाद वह बोली हाए! ओह सररर में झड़ने वाली हूँ और फिर मैंने उसकी गांड पकड़कर अपनी स्पीड बढ़ा दी, वह बहुत जल्द अपने कामोन्माद तक पहुँच गयी। जल्द ही मुझे उसकी शरीर की कंपकंपी महसूस हुई और उसकी योनि काम रस से भर गयी और वह पूरी तरह से तृप्त हो गयी।

अब में उसे लगातार धक्के लगा रहा था और फिर में ऐसे ही 10-12 मिनट तक उसको उसी पोज़िशन में चोदता गया और कस कर धक्के लगाते रहा । मुझे लगा मैं भी झड़ने वाला हूँ तो इस बार मैंने लंड को बाहर निकाल लिया मैंने उसका हाथ अपने हाथ से पकड़ कर लंड पर रख कर हाथ को आगे पीछे कर हस्थमैथुन करके तेजी से हिला कर उसे तेज़ी से करने का इशारा किया और उसने मेरे लंड पर अपनी हरकत की रफ़्तार बढ़ा दी। हेमा ने मेरे लंड को जोर से पकड़ लिया और तेजी से अपने हाथ को ऊपर-नीचे करने लगीं और मरीना भी मेरे पास आ गयी और एक हाथ हेमा के हाथ के साथ लंड पर रख कर आगे पीछे कर हस्थमैथुन करने लगी जिससे जल्द ही मेरा शरीर तनावग्रस्त हो गया,



TWIN3

दोनों बहने मेरे वीर्य को इतने करीब से निकलते हुए देखने के लिए उत्साहित थी इसलिए दोनों में मुँह आगे कर दिया और हाथ को लंड पर आगे पीछे करना जारी रखा । लंड ने जल्द ही पिचकारियाँ उन दोनों मुँह पर मार दी जिससे मेरे वीर्य उन दोनों के मुँह, आँखो, गालो, माथे और बालो तक फ़ैल गया और वीर्य हेमा के मुँह से नीचे टपकने लगा तो मरीना उसे देख कर नीचे हुए और वीर्य को चाट गयी और फिर दोनों ने एक दुसरे में मुँह, आँखो, गालो, और माथे पर लगा वीर्य चाट लिया।

वे दोनों मुझसे सांप के जैसी लिपट गईं. मैं दोनों को चूमता रहा और उनका बदन सहलाता रहा. फिर हम तीनों चिपक कर देर तक सोते रहे।

कहानी जारी रहेगी


कहानी जारी रहेगी

दीपक कुमार


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पड़ोसियों के साथ एक नौजवान के कारनामे

VOLUME II

विवाह

CHAPTER-1

PART 53


अर्धनग्न तरुण- नर्तकी


अगले दिन सुबह फिर मैंने स्नान किया तो स्नान घर में बाल्टी में भी जड़ी बूटी वाला पानी था और उसमे से भी बड़ी मनमोहक ख़ुशबू आ रही थी। उससे स्नान करने के बाद मैं एकदम तरोताज हो गया। फिर मैंने मंदिर जाकर मैंने महर्षि अमर मुनि गुरूजी की आज्ञा अनुसार विधि पूर्वक पूजन करने के लिए दूध और दही गऊ के लिए रोटी, चींटी के लिए आटा और अनाज दाल, पक्षियों के लिए अनाज और आटे की गोली और कुछ रोटी घी और-चीनी का दान किया और उसके बाद विधि विधान से कुल पुरोहित ने पूजन करवाया और बारात विवाह और सुबह के नाश्ते के बाद वधु को लिवाने हिमालय राज महाराज वीरसेन की राजधानी की और हवाई जहाज से निकल गयी ।

हिमालय राज महाराज वीरसेन की राजधानी में पहुँचने के बाद बारात का परम्परागत स्वागत किया गया और सबको बारात घर ठहरा दिया गया भाई महाराज के विवाह की रस्मे रात में होनी थी । दोपहर के भोजन के बाद . और कक्ष में रखी किताब के कुछ पन्नो को पढ़ा और फिर कुछ देर आराम किया और फिर उठा कपडे बदले और मैं अकेला ही बाज़ार घूमने निकला गया।

बाज़ार में चौक में एक जगह भीड़ लगी हुई थी और बीच भीड़ में चौक के बीचो बीच में दूध के समान गोरी, लगभग अर्धनग्न तरुण युवती नृत्य कर रही थी। अति सुंदर उन्मुख यौवन, नीलमणि-सी ज्योतिर्मयी बड़ी-बड़ी आंखें वाली, तीखे कटाक्षों से भरपूर नर्तकी की आँखे शराब के नशे में डूबी हुई थी, उसकी आँखों में नशे के कारण लाल डोरे थे, उसके शंख जैसी लम्बी सुराहीदार गर्दन और उसका चेहरा सुंदर था। उसके गोल-गोल गाल जिन पर उसके बड़े-बड़े गहरे लाल ओंठ चमक रहे थे। उसके दांत मोतियों की माला की तरह चमक रहे थे, गले में सुंदर चमकती हुई स्वर्ण माला बंधी हुई थी और सांप के जैसे लम्बी सघन, गहन, काली, धुंघराली बालो को वेणी थी, जिनमें गुंथे ताज़े फूल और गले में सुंदर फूलो की माला थी । उसके स्तन बड़े और सुदृढ़ थे जो उसकी छोटी-सी चोली में आधे छुपे हुए और आधे उजागर थे उसकी मांसल भुजाओं में सोने के बाजूबंद और उसकी पतली कमर में सोने का कमर बंद था उसके गोल और मोठे नितम्ब, चिकने जाँघे, पैरो में स्वर्ण-पैंजनियाँ थी जो उसके नृत्य के साथ ताल मिला कर सुंदर ध्वनि उतपन्न कर रही थी, सुंदर छोटे-छोटे थिरकते हुए पैरो के साथ लहराती हुई किशोरी चौराहे पर गाती हुई नृत्य कर रही थी ।



DANCE02

उसकी नग्न मांसल बाजुए हवा में लहरा रही थी। पैरो की उंगलियाँ और पैरो के धरती पर लगने से पैजनिया उसी ताल में ध्वनि उत्पन्न कर रही थीं। उसके चारों ओर बच्चे वृद्ध युवा उसे मन्त्र मुघ्ध हो नृत्य करते हुए देख रहे थे। वह किशोरी बहुत देर तक नृत्य करती रही, गाती रही, हंसती रही, हंसाती रही, देखने वाली जनता को लुभाती और रिझाती रही। सभी पुरुष विमोहित हो उस अनावृत उन्मुख यौवन के नृत्य और असौंदर्य को देख हर्षोन्मत्त हो गए।

नृत्य की समाप्ति पर सभी पुरुष उस युवती पर धन बरसाने लगे। उसका यौवन और रूप किसी ने आँखों से पिया तो किसी ने उसके रूप की ज्वाला को हंसकर आत्मसात् किया। किसी ने धन देते हुए उसका कोमल हाथ को स्पर्श किया तो उसने मुस्कुराकर उस पुरुष का हाथ झटक दिया।

वो किसी को देखकर हंस दी तो कई मनचलो ने उसे देख कर आँख मारी और किसी ने उसे देख सीटी मार उसे बुलाया और उसे कुछ रूपये पकड़ा दिये। उसने एकत्रित हुए धन को अपनी कमर में बाँधे थैले में रखा और अपने पैरो में अपनी चप्पलें पहनी और हस्ती मुस्कुराती वही चौक में मधुशाला की और चल दी. उसके पीछे-पीछे उसके न्मत्त अनावृत उन्मुख यौवन को आंखों से पीते उस पर मोहित भीड़ भी चलने लगी। मैं उस का नृत्य मधुशाला के समीप ही खड़ा देख रहा था

वो नर्तकी मधुशाला पर पहुँची तो उसने दूकानदार जो उसका नृत्य देख मग्न हो रहा था

मधुशाला का मालिक दुकानदार उससे बोला । खूब नाची तुम!

उसने दूकानदार से कहा-आपको अच्छा लगा?

दूकान दार बोला-हाँ अच्छा नाचती हो तुम!

वो बोली- लाला! तो फिर शराब दो!

दूकानदार-रूपये निकालो।



dancing

नर्तकी-कौन से रूपये, लाला?

दूकानदार-वही रूपये, जो अभी थैले में रखे हैं।

नर्तकी- लाला! वह तो मेरे परिवार के लिए है।

दूकानदार-तो यहाँ शराब कहाँ है?

नर्तकी- लाला, इन बर्तनो और बोत्तलो में क्या है?

दूकानदार-जो पैसे नहीं देते है, उनके लिए इनमे जहर है।

नर्तकी-अरे लाला! तो जहर ही दे दो।

दूकानदार-मेरे पास जहर बेचने का लाइसेंस नहीं है। शराब लेनी हो तो लो नहीं तो चलती बनो दूकानदार ने दांत निकाल दिए!

नर्तकी- अरे लाला नौटंकी मत करो जल्दी से शराब दो।

दूकानदार-तो ला जल्दी से थैली ढीली कर। पैसे निकाल।

नर्तकी- लाला, तुझे धन क्यों दू?

दूकानदार-यहाँ शराब मुफ्त नहीं बंटती है इसके लिए धन देना पड़ता है, शुल्क लगता है हमे सरकार को टैक्स देना पड़ता है।

नर्तकी-क्या तुमने मेरा नृत्य देखा है, लाला?

दूकानदार-क्यों नहीं देखा, नेत्र है तो देखना पड़ा, पर इसमें मेरा दोष नहीं है। तुम मेरी मधुशाला के सामने आकर क्यों नाची?

नर्तकी पास खड़े हुए मेरे को देख कर बोली बाबू जी इस लाला ने मेरा नृत्य देखा वह भी मुफ्त में और अब शराब देने में नियम बता रहा है? आप ही फैसला कीजिये

मैंने जेब से रूपये निकल कर 500 / - का एक नोट दुकानदार के सामने फेंककर कहा-"पैसे मैं दे रहा हूँ-आप इसको शराब दे दीजिये।

दुकानदार ने हंसकर मेरे दिए रुपयों के नोट को परखा और एक बोतल उठाकर उस तरुण नर्तकी को दे दी और बोतल को खोल कर मुँह में लगाकर वह तरुणी गटागट शराब पीने लगी। आधी बोतल पीकर उसने तृप्त होकर सांस ली, जीभ से होंठों को चाटा-हंसी, फिर झूमती हुई दो कदम आगे बढ़, अपना अनावृत, उन्मुख यौवन मेरे वक्ष से बिल्कुल सटाकर मुझे घूरा और दोनों भुजाओं में बोतल को थाम, ऊंचा कर उसे मेरे होंठों से लगाकर कहा- अब तुम भी पियो।

मैंने तुरंत अपनी भुजाओं में उस तरुणी को समेट लिया और एक ही सांस में वह सारी शराब पी गया। फिर मैंने उस तरुणी के लाल-लाल होंठों पर अपने शराब में भीगे हुए ओंठ रखकर उसे चूमा और कहा-" अब चले ।

कहानी जारी रहेगी

दीपक कुमार


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पड़ोसियों के साथ एक नौजवान के कारनामे

VOLUME II

विवाह

CHAPTER-1

PART 54

मीठा फल



जब मैंने उसे कहा चले वह मेरी और देखने लगी ।

नर्तकी-तुम कुछ अलग हो यहाँ पैसे देने वाले यो बहुत हैं पर दारु पिलाने वाला अकेला तू ही मिला ।

मैं-और पीयेगी मैंने फिर पुछा और पीनी है?

तो मेरी बात सुन कर वह तरुण नर्तकी हंस दी तो उसके उज्ज्वल सफ़ेद दांतो की माला से बिजली-सी कौंध उठी। उसने बोतल फेंक मेरे गले में अपनी बाहें डालकर कहा-"चलो।"

मैं-चलो ।

दोनों परस्पर आलिंगित होकर एक ओर को तेजी से चल दिए। सब भीड़ पीछे रह गयी निश्चित तौर पर मेरे पीछे आ रही मरीना, ईशा और अन्य अंगरक्षको ने भीड़ को रोक दिया होगा।

नर्तकी-तुम्हे पहले कभी नहीं देखा यहाँ?

मैं-मैं यहाँ का नहीं हूँ।

नर्तकी-तो कहाँ के हो?

मैं-मैं पंजाब में जन्म हुआ और अभी सूरत गुजरात से आया हूँ ।

नर्तकी-यहाँ हिमालय राजधानी में क्या करने आये हो?

मैं-तुम्हारे ही लिए आया हूँ! मैंने हंसकर उसे और कसकर अपनी छाती से सटा लिया।

तरुणी ने उसे मुझे थोड़ा दूर धकेलते हुए कहाः

नर्तकी—चल झूठा सच बोल।

मैं-अब तो सच यही है, मैं तुझ पर मोहित हो गया हूँ।

नर्तकी-कब से?

मैं-जब से तुझे पहली बार देख है उसी क्षण से।

नर्तकी-और पहली बार कब देखा तुमने मुझे ।

मैं-जब तुम अभी थोड़ी देर पहले चौक में नाच रही थी ।

मेरी ये बात सुनकर वह थोड़ी-सी चकित हो मुझे देखने लगी और बोली:

नर्तकी-बड़ा हिम्मती है, तू तो ।

मैं-हम्म! तेरा अध्भुत रूप देख हिम्मत आ गयी ।

मैंने उसे पुछा-तुम्हारा नाम क्या है?

नर्तकी-दीप्ति और तुम्हारा?

मैं-दीपक मैं मुस्कुराते हुए बोला ।

दीप्ति-फिर झूठ!

मैं-सच मेरा नाम दीपक है और मैंने अपना आइडेंटिटी कार्ड उसे दिखा दिया ।

दीप्ति-यहाँ क्यों आये थे?

मैं-मेरे भाई की बारात में आया हूँ ।

दीप्ति-इस समय तो यहाँ केवल महाराज कुमारी का विवाह है ।

मैं-मैं दूल्हे का चचेरा भाई हूँ ।

दीप्ति-राजकुमार! तो आप राजकुमार हो । फिर तो आप हमारे लिए पूजनीय हो गए. आप तो हमारे महाराज के जमाता के भाई हो ।

वो तू से आप पर आ गयी ।

दीप्ति-तो उधर चलो।

मैं-क्या ग्राम में या अपने घर ले जाओगी?

दीप्ति-नहीं, आप मेरे साथ पर्वत के ऊपर के उस भाग में चलो।

मैं-वहाँ क्या है?



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how big is my browser

दीप्ति-पर्वत के ऊपर बिलकुल निर्जन जंगल है, फलदार वृक्ष हैं पेड़ो की घनी छाया है, एक तालाब है, उसमें कमल खिले हैं। चलो वही रमण करेंगे,।

मैं-तो फिर चलो।

हम दोनों हाथो में हाथ डाल कर उस घने जंगल में घुस गए।

दोनों पर्वत पर चढ़ गए और पर्वत के ऊपर बड़ा-सा वह भाग निर्जन और वहाँ सघन जंगल था। वहाँ निर्मल जल का सरोवर था, सरोवर में कमल खिले थे और सरोवर के आसपास और भी बहुत से फूल खिले हुए थे और फलदार वृक्ष भी लगे हुए थे।

बड़े और लम्बे पेड़ो की छाया के बीच से दोपहर की धूप छनकर-शीतल होकर सोना—सा बिखेर रही थी। धीरे-धीरे और मीठी ठंडी हवा चल रही थी। तालाब में बत्तखे हंस और सारस, इत्यादि पक्षी तैर रहे थे और बहुत सारी मछलिया थी। तरुणी तालाब से थोड़ा दूर एक विशाल वृक्ष के नीचे सूखे पत्तों पर लेट गई। हंसते हुए उसने कहा

दीप्ति-अब तो मुझे भूख लगी है।

मैंने गर्दन ऊंची कर इधर-उधर देखा और लम्बे-लम्बे कदमो के साथ जंगल में घुस गया।

कुछ मछलिया तालाब से पकड़ी और कुछ फल वृक्षों से तोड़े, कुछ कंद मूल ढूँढें निकाले और उन्हें ले कर उसके पास जल्द ही लौट आया।

तरुणी ने फुर्ती से सूखे ईंधन की इकठा किया और मैंने लाइटर जला कर आग लगा दी।

मैंने मछली के मांस के टुकड़े किए। और फिर दोनों ने मांस और फल कंद मूल भून-भूनकर खाना आरम्भ किया। दीप्ति बहत भूखी थी, वह मजे ले-ले कर मछली का भुना हुआ मांस, फल और कंदमूल खाने लगी। कभी आधा मांस का टुकड़ा खाकर वह मेरे मुंह में ठूस देती, कभी मेरे हाथों में दे देती और कभी हाथो से छीनकर स्वयं खा जाती।

खा-पीकर तृप्त होकर वह मेरी जांघ पर सिर रखकर लेट गई। दोनों भुजाएँ ऊंची करके उसने मेरी कमर में लपेट ली। वह बोली-"बड़े होशियार हो आप, बड़ी जल्दी खाना जुटा लाये।" "मुझे ज्यादा प्रयास करना ही नहीं पड़ा। मछलिया सहज ही पकड़ी गयी और फलो की तो यहाँ भरमार है।" मैंने हंसकर कहा।

मैं-दीप्ति! ये स्थान इतना अच्छा है मछलिया, फल फूल हैं फिर भी निर्जन क्यों है?




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दीप्ति-यहाँ सबको आने की आज्ञा नहीं है ।

मैं-तो तुम कैसे आ गयी ।

दीप्ति-ये हमारे परिवार का स्थान है ।

मुझे मस्ती सूझी।

मैं-दीप्ति! हमारे यहाँ तो खाने के बाद मीठा खाने का चलन है।

दीप्ति-हाँ गुजराती तो खाने में मीठे का प्रयोग कुछ ज्यादा ही करते हैं । अब यहाँ मीठा कहाँ मिलेगा?

मैं-मिलेगा, दीप्ति! मीठा मिलेगा । तुम आँखे बंद करो और एक मिनट बाद खोल देना ।

मैंने एक मीठे फल का टुकड़ा उठाया और आधा मुँह में रख कर उसे दिखाया और ऐसे ही फल मुँह में पकड़ अपना मुँह उसके मुँह के पास ले गया ।

उसने झट मुँह के साथ मुँह लगा दिया और फल खाने लगी तो मैंने फल तो नहीं छोड़ा बल्कि उसका सर पकड़ कर उसको चूमने लगा । वह गू-गू गू करने लगी पर मैंने उसे नहीं छोड़ा और फिर दोनों एक साथ मिल कर फल खाने लगे और फल को चबा कर मैंने फल की लुगदी को दीप्ति के मुँह में धकेल दिया और उसने भी थोड़ा चबाया और फल को वापिस मेरे मुँह में धकेल दिया । इस तरह एक दुसरे में मुँह में हम फल धकेलते हुए फल खाने लगे ।

फिर मैंने अपने होठं दीप्ति के होठ से लगा दिये और एक किस ले लिया। फिर दीप्ति ने भी अपने हाथ मेरी गर्दन के पीछे ले जाकर मेरा मुँह को अपनी तरफ खीचा और अपनी जीभ निकाल कर मेरे होंठो पर जीभ फिराने लगी। उसके थोडी देर इसी तरह से जीभ फिराने के बाद मैंने उसका निचला होंठ अपने होंठो के बीच पकड लिया और फिर उस पर जीभ फिराने लगा।

मैं उसके होंठो को चुसने से पहले मैं गीला कर देना चाहता था। थोडी देर तक इसी तरह उसके होंठो को गिला करने के बाद मैने उसके होंठ चुसने शुरू कर दिये। मैं बहुत जोर-जोर से उसके होंठो को चूस रहा था। इस बीच दीप्ति भी अपनी जीभ निकाल कर मेरे उपरी होंठ के उपर फिरा रही थी और साथ ही साथ अपना बहुत-सा थूक और फल की लुगदी अपने नीचले होंठ के पास जमा कर रही थी जिस से मैं ज्यादा से ज्यादा उसके स्वादिष्ट थूक को पी सकूँ। मैं भी हर थोडी देर में नीचले होंठ को छोड कर उसका थूक अपनी जीभ की मदद से उसके होंठो पर मलने लगता और अच्छी तरह से मल कर फिर से उसके होंठ को चुसने लगता करीब 5-6 मिनट तक मैं ऐसा ही उसके साथ करता रहा।

फिर उसने मेरा निचला होंठ छोड कर मेरा उपरी होंठ अपने दोनों होंठो के बीच पकड लिया और उसको भी अपने थूक से गीला कर दिया। दीप्ति ने भी मेरा नीचला होंठ अपने थूक से गिला कर दिया था। थोडी देर तक वह मेरे होंठ को गीला करती रही और-और मैं उसके ओंठ चुसता रहा फिर एक दम से मैंने अपनी जीभ को नुकीला कर के उसके दाँतों और होंठो के बीच डाल दी और उसके दाँतों पर फिराने लगा। वोह भी अपनी जीभ को नुकीली बना कर मेरे जीभ के नीचे गोल-गोल घुमाने लगी। जिससे उसकी जीभ से लार और फली को लुगदी निकल कर मेरे मुहँ में गिरने लगी और मेरी जीभ के नीचे जमा होने लगी।

थोडी देर इसी तरह से उसके दाँत और होंठ के बीच की और उसके जीभ से टपकती लार मेरे मुँह में जमा हो गयी। फिर मैंने दीप्ति के होंठ मुँह में लेकर चूसने लगा तथा साथ ही साथ मुँह के अन्दर जमी स्वादिष्ट लार में से थोड़ी-सी लार को भी मैं पी गया। । फिर थोडी देर बाद मैंने बची हुई लुगदी और लार दीप्ति के मुँह में जीभ के साथ सरका दी और उसे मजबूर कर दिया की वह उसे पी ले । उसके पीने तक-तक इसी तरह मैं उसका होंठ चुसता और लार उसके मुँह में डालता रहा। फिर दीप्ति ने आखरी बार मेरे होंठो पर अपने होठ रखे और एक गहरा चुम्बन लेकर मेरे से अलग हो गयी। फिर मैंने पूछा कैसा लेगा खाने के बाद मीठा मजा आया दीप्ति?

"अरे वाह प्रिय!" तरुणी हर्षोल्लास से चीख उठी। आनन्दातिरेक से उसने धक्का देकर मेरे को भूमि पर गिरा दिया। फिर मेरे वक्ष पर अपने यौवन के कलश सटाकर मेरे अधर चूमकर बोली ये चुंबन अध्भुत था । मजा आ गया । बड़ा अच्छा चुम्बन किया आपने । किससे से सीखा?

"उसे अपने आगोश में समेटता हुआ मैं बोला-" दीप्ति तू मेरी हो जा, जो जानता हूँ सब सीखा दूंगा । सीखा क्या दूंगा सब तेरे साथ करूँगा और मैंने दोनों भुजाओं में उसे लपेट अपने वक्ष में दबोच लिया और उसकी जांघो को-को अपनी सुपुष्ट जंघाओं में लपेटते हुए बोला-"तब तो तू मेरी ही है।" उसने अपना शरीर मेरे को अर्पण करते हुए आवेशित गर्म श्वास लेते हुए कहा-"हाँ अब मैं तेरी हूँ। आप मेरे साथ जो चाहे सो करो, जैसे चाहो स्वच्छन्द रमण करो, मुझे प्यार करो।"



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दीपक कुमार


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पड़ोसियों के साथ एक नौजवान के कारनामे

VOLUME II

विवाह

CHAPTER-1

PART 55

जल क्रीड़ा


मैंने उसके चेहरे पर एक ऊँगली फिराई और फिर उसके चेहरे को हाथों में लेकर उसके होंठों पर एक गहरा चुम्बन किया।

मैंने अपने दांत तरुणी दीप्ति के दांतों पर रगड़ते हए कहा। मैं तुम्हारे साथ मैं जो चाहे सो करूँ जैसे मेरा मन होगा वैसे तेरे साथ रमण करूँ?

उसने आँखे बंद कर सहमति दी।

मैं-दीप्ति, तुम मुझे बहुत अच्छी लगी।

जवाब में दीप्ति खिलखिला कर हंस दी।



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दीप्ति-झूट, मुझ से पहले कितनी लड़कियों तुम्हे अच्छी लगी? मुझमे ऐसा क्या लगा?

मैं-तुमसे सच बोलूंगा तुम्हारी बात सबसे अलग है । तुम बहुत सुंदर हो और मुझे दुनिया की सबसे सुन्दर लड़की लगती हो!

मैं दीप्ति को देखने लगा उसके होंठो पर एक बहुत हलकी-सी मुस्कान आ गयी और उसके गाल थोड़े और गुलाबी से हो गए। उसकी सरल मुस्कान, उसकी चंचल चितवन, लम्बे बाल और उसके सुन्दर चेहरे पर उन बालों की एक दो लटें, उसकी सुन्दरता को और बढ़ा रहे थे। पतली, लेकिन लम्बी और स्वस्थ बाहें। उसकी चोली से साफ़ पता लग रहा था कि उसके स्तन भी बहुत शानदार हैं । बड़े-बड़े गोल और दृढ़ लेकिन तरुण स्तन, जैसे मानो बड़े आकार के अनार हों। स्वस्थ, गोल और युवा नितम्ब। साफ़ और सुन्दर आँखें, भरे हुए होंठ-बाल-सुलभ अठखेलियाँ भरते हुए और उनके अन्दर सफ़ेद दांत!। रंग साफ़ और गोरा पहाड़ी चेहरे वाली, आँखें काली या गहरी भूरी, लाल रंग के भरे हुए होंठ और अन्दर सफ़ेद दांत की माला, एक बेहद प्यारी-सी छोटी-सी तीखी नाक और पहाड़ी लालिमा हुए गाल! उम्र अट्ठारह की पर लगती थी षोडशी जैसी भोली किन्तु तेज तरार ।



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दीप्ति का मतलब होता है ज्योति वैसी ही मन को प्रकाशमान और आराम देने वाली करने वाली सुन्दरता! प्रकाश में जैसे सभी रंग विधमान होते हैं वैसे ही मेरे मन में पल-पल नए-नए रंग भरती हुई दीप्ति का व्तक्तित्व था । उसकी सुन्दरता और उसके स्वभाव के भोलेपन और जैसी वह बेबाक थी और इसमें कोई आश्चर्य नहीं था कि मैं उस पर मोहित हो गया था ।

ठंडी ठंडी हवा चल रही थी और घने पेड़ो के बीच में से दोपहर की धुप छन कर आ रही थी और उस हवा की आद्रता माहौल को मनोरम बना रही थी ।

शिरीष के वृक्ष की सघन छाया में से छनकर दोपहर की सुनहरी धूप उनके अनावृत और वस्त्रो रहित सुंदर अंगों पर पड़ रही थी। उस तालाब में-में पक्षी कलरव कर रहे थे। ऍम दोनों निश्चल, उस निर्जन वन में सुखी हुई नरम पत्तियों और शिरीष के फूलो के ढेर के ऊपर लेटे हुए आपस में चिपके हुए एक दूसरे में समाए हुए आनन्दातिरेक से लिपटे हुए पड़े थे। शिरीष के फूल उसके ऊपर गिर रहे थे ।

दीप्ति ने मेरे कान में ओंठ लगाकर कहा-" अब उठो।

मैं दीप्ति के होंठों पर होंठ रखकर उसके स्तनों पर अपने स्तनों का भार डालते हुए होंठों ही में कहा-" थोड़ा ठहरो।

दीप्ति-अभी नहीं। देखो सूर्य की किरणें तिरछी हो चलीं हैं। "



swim2

उसने मेरे को धकेलकर अपने से पृथक् किया और हंसती हुई मुझे खींचकर तालाब में ले गयी और खुद जल में उतर गई। फिर हम दोनों उस निर्जन वन के उस शांत तालाब के शुद्ध ठन्डे जल में क्रीड़ा करने लगे। हमारे जल में उतरते ही उस शांत तालाब का जल जीवंत हो उठा और जल में तरंगे उठने लगी और कलरव कर रहे पक्षी उड़ने लगे वे सभी पक्षी जल क्रीड़ा कर रहे हम दोनों साथी और साक्षी थे और हम दोनों एक दुसरे के पूरक थे ।

मैंने जल की कुछ अंजुलिया भर के दीप्ति पर डाला तो उसने भी जल की बौछार मार कर मुझे पानी से भिगो दिया। हम दोनों तालाब के जल में मछली जैसे विचरने लगे। फिर दीप्ति जल में डुबकी लगायी तो मैं उसे ढूँढ़ लाया। फिर दोनों तैरते हुए दूर तक चले गए और उसके बाद दोनों एक साथ चिपक कर बहुत देर तक तैरते रहे। एक साथ तैरते हुए कभी हमारे वक्ष परस्पर टकराये तो कभी हमारे ओंठ आपस में चिपक जाते। जब मस्ती में भर कर दीप्ति ने जल की बौछार मेरे पर मारी तो मैं उसके पीछे लपका तो वह तो हाथ नहीं आयी पर उसकी छोटी-सी चोली या अंगिया खुल कर मेरे हाथ में आ गयी। वह मेरी अंगिया दो बोलती हुई मेरे पीछे लपकी मैंने नहीं दिए तो मेरे कपडे खींच कर मेरे बदन से अलग कर दिए और मैंने भी उसकी छोटी-सी घाघरी जो उसने कमर के नीचे पहनी हुई थी वह खींची और उतार दी । अब हम दोनों तालाब के जल में बिकुल नंगे थे ।




swim0
मैंने उसके निर्वसन-अनावृत शरीर को अपनी दोनों बलिष्ठ भुजाओं में सिर से ऊंचा उठाकर ज़ोर से किलकारी मार जल में अपने साथ चिपका कर लिटा लिया। हम दोनों जल में ऐसे ही खेलते रहे और सूर्य क्षितिज पर अस्त होने जाने लगा। जलक्रीड़ा बहुत देर करने के कारण थकी हुई दीप्ति ने मेरा हाथ थाम लिए और तालाब के जल से बाहर निकली। पानी की बूंदे हम दोनों के पानी में भीगे हुए अंगों पर से फिसल-फिसल कर मोती की भांति इधर-उधर जमीन पर बिखरने लगी जिससे हम जिस मार्ग से तालाब में से निकले थे उस मार्ग में पानी की कतारे बन गयी थी।

जब वह ताल से निकली तो वह इस समय ओस में भीगी नाज़ुक पंखुड़ी वाले गुलाबी कमल के फूल के जैसे लग रही थी! मैंने पहली बार पूर्णतया नग्न, खड़ा हुआ देखा। मैंने उसके नग्न शरीर की परिपूर्णता की मन ही मन प्रशंशा की। उसके शरीर पर वसा की अनावश्यक मात्रा बिलकुल भी नहीं थी। उसके गोरी चिकनी जांघे और टाँगे दृढ़ मांस-पेशियों की बनी हुई थीं। मेरे लिंग में उत्थान आने लगा।

वह तालाब के किनारे एक शिला पर थकान और आलस के भाव से चित्त लेट गई। अपराह्न की पीली धूप उसके सम्पूर्ण निर्वस्त्र शरीर पर फैल गई। मैं भी उसके पीछे-पीछे वहीं आ खड़ा हुआ। पानी मेरे बदन से भी टपक रहा था। मैं अपनी बाहो में बहुत सारे कमल के फूल तालाब में से इकठे कर लाया था। उन्हें मैंने दीप्ति पर बिखेर दिया।


कहानी जारी रहेगी

दीपक कुमार


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deeppreeti

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पड़ोसियों के साथ एक नौजवान के कारनामे

VOLUME II

विवाह

CHAPTER-1

PART 56


फूलों से प्राकृतिक शृंगार



तरुणी दीप्ति ने मेरे पूरे शरीर को भरपूर दृष्टि से देखा और उसकी निगाहें मेरे खड़े हुए लंड पर जम गयी और उसने बाहें फैला कर कहा-राजकुमार आप बहुत प्यारे हो। मुझे भी आप बहुत प्रिय हो । मेरे प्रियतम आ आओ और मुझे प्यार करो।

मैं उसे चूमते हुए बोला: मेरी प्रियतमा पहले तुम्हारा थोड़ा-सा शृंगार कर दू । बस थोड़ा सा इन्तजार करो . ये हमारा प्रथम मिलन है मैं इसे विशेष बनानां चाहता हूँ ।


डॉक्टर होने का जीवविज्ञान का छात्र होने के कारण मुझे कुछ प्राकृतिक सौंदर्य साधनो का ज्ञान था इसलिए मैं एक बार फिर उस पास के जंगल में घुस गया और कुछ फल, लकडिया, पत्तिंया और ढेर सारे फूल, चुन लाया ।



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मैंने सबसे पहले चंदन की लकड़ी घिस चंदन का लेप तरुणी के चेहरे छाती गर्दन, पीठ बाजुओं टांगो और नितम्बो पर मल दिया और हाथो पर मेहँदी की पत्तियों का रस मल दिया तो उसने भी चंदन का लेप मेरे पर मल दिया । कुदरती अनछुए पदार्थ थे इसलिए बहुत जल्द ही उन्होंने अपना असर दिखा दिया ।

फिर मैंने उसके गोरे गालो पर पलाश और लोध्र के फूलो को मसल कर गुलाबी रंग मल दिया, उसकी पलकों को पहाड़ो पर मिलने वाली एक वनस्पति जिसे मसलने पर काला पदार्थ मिलता है वह काला रंग उसकी पलकों पर लगा दिया और आग में शैलेय का काजल बनाया और उसे दीप्ति की सुंदर बड़ी आँखों में लगा दिया। गुलाबी, सफ़ेद, लाल, पीले ,केसरी कमल, चंपा, गुलाब, मोगरा, मोतिया और अन्य सभी तरह के फूलो को मसल कर उनका सुंगंधित रस उसकी चिकनी जांघो और सारे बदन पर मला तो उसका बदन और पूरा माहौल उन फूलो की शानदार सुगंध से महकने लगा। फिर मैंने दीप्ति के पैरो पर अलता के पेड़ो से निकाल कर लाया हुआ लाल रंग का रस मल के शोभायुक्त किया। सिर के बालो में सफ़ेद लाल पीले केसरी कमल, चंपा, गुलाब, मोगरा और मोतिया और अन्य सभी तरह के फूलो को गूंध कर फूल मालाये लगा दी और, पिंडलियों पर चुकंदर को मसल कर उसका लाल रस निकाल कर मसल दिया। उसके ओंठो पर चुकंदर का लाल रंग मल दिया ।



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भीनी-भीनी मोगरे, गुलाब, और चमेली की फूल मालाएँ बना कर दीप्ति की तरुण और पतली कमर पर फूल माला बाँध दिया। पेडू पर पतली कमर और नाभि के नीचे गज़रे की यह लटकन बहुत खूबसूरत लग रही थी।

फिर मैंने गेंदे के फूलो की मालाओ को उसकी छाती पर ऐसे बाँधा जैसे उसने फूलो की चोली पहनी हुई हो और दो फूल मालाये उसकी बाजुओं में कमल की नाल के साथ बाजू बंद की तरह लपेट दिए और दो कमल की नाल के साथ फूल मालाये उसकी जांघो में भी बाँध दी।



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फिर कर उसके और एक फूलो का मुकुट बना कर उसके सर पर सजा कर उससे थोड़ा दूर हुआ और उसे भरपूर ऊपर से नीचे पूरे फूलो के शृंगार में देखा तो देखता ही रहा गया तरुण और सुंदर दीप्ति इस मनोरम फूलो के शृंगार से रमणीय हो, मानो वनदेवी का मूर्तिमान रूप हो ऐसे चमक उठी और मैं उसे खड़ा-खड़ा देखता रह गया और मेरे खड़े लंड ने उत्तेजित होकर एक ठुमका लगाया ।

वैसे तो आज के समय में बाज़ार में कॉस्मेटिक सौंदर्य प्रसाधनो की भरमार है पर प्राकृतिक फूलो और पत्तियों के रस के श्रृंगारित हो दीप्ति का रूप खिल उठा था और उसका अद्भुत प्राकृतिक तरुण सौंदर्य मेरे सामने प्रगट हुआ था कि मैं किंकर्तव्य मूढ़ की तरह अचंभित हो खड़ा उस कामदेवी को देखता रहा ।

उसने मुझे ऐसे देख आँखों से पुछा क्या हुआ?


तो मैं उसे तालाब के किनारे ले गया और उसे तालाब के शांत निर्मल जल में उसकी सुंदर रमणीय छवि दिखलाई। शांत निर्मल जल में अपनी छवि देख कर वह भी देखती ही रह गयी ।

वो लजाते हुए बोली हाय! ये मैं हूँ ! इतनी सुंदर इतनी प्यारी !



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मैं चुपके से पीछे गया और बाकी बचे हुए मोगरे, गुलाब, कमल, चंपा, मोतिया, गैंदे और चमेली की सुगन्धित फूलो के फटा फट सेज सजा दी और एक माला उठायी तो दीप्ति पलटी और मुझे देख लजाते हुए मेरे पास आ गयी और मेरे हाथो से वह माला ले ली और मेरे गले में डाल दी मैंने भी दूसरी माला उठायी और उसके गले में डाल दी । मैंने उसे अपने गले में लगा लिया और फिर जो सेज मैंने सजाई थी वहाँ ले गया और उसे बिठा दिया ।

दीप्ति की आँखें एक नए रोमांच, कौतुक और भय से बंद होती जा रही थी। पता नहीं अब मैं उसके साथ कैसे और क्या-क्या करूँगा और सिकुड़ कर बैठ गई। और मेरे लम्बे लंड को उसने कनखियों से देखा और प्रेम मिलन के बारे में सोचा तो वो लजा गयी . दीप्ति बस एक नज़र भर ही मेरे को देख पाई और फिर लाज के मारे अपनी मुंडी नीचे कर ली।

मैं बोला - आप ठीक से बैठ जाएँ!

आप बहुत सुंदर लग रही हो मैंने कहा तो उसने मेरी और देखा और मेरे होंठों पर शरारती मुस्कान देख कर दीप्ति एक बार फिर से लजा गई और लाज के मारे कुछ बोलने की स्थिति में तो नहीं थी बस मुझे जगह देने के लिए थोड़ा सा और पीछे सरक गई। कई बार जब लाज से जो बात होंठ नहीं बोल पाते तो आँखें, अधर, पलकें, ऊँगलियाँ और देह के हर अंग बोल देते हैं। जब वो पीछे सरकी तो मेरे अंग अंग में अनोखी सिहरन सी दौड़ गयी और हृदय की धड़कने तो जैसे बिना लगाम के घोड़े की तरह भागने लगी । उसने सरक कर मुझे पास बैठने का इशारा कर दिया था।



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मुझे याद था की मेरी सेक्स गुरु मिली जिसके बारे में आप मेरी कहानी अंतरंग हमसफ़र में पढ़ सकते हैं उसने बताया था की स्त्री पुरुष के सच्चे यौन संबंधों का अर्थ मात्र दो शरीरों का मिलन नहीं बल्कि दो आत्माओं का भावनात्मक रूप से जुड़ना होता है। प्रेम में मिलन के दौरान सम्भोग या सेक्स अपनी भावनाओं को उजागर करने का बहुत अच्छा विकल्प या साधन होता है। ये वो साधन है जिससे हम अपने साथी को बता सकते हैं कि मैं तुमसे कितना प्यार करता हु। यह क्रिया दोनों में परस्पर नजदीकी और गहरा प्रेम बढ़ाती है। ख़ास तौर पर प्रथम मिलन को आनंदमय, मधुर और रोमांचकारी बनाना चाहिए , ताकि यही आनंद बार बार मिले इसके लिए दोनों हमेशा लालायित रहे ।

कहानी जारी रहेगी

दीपक कुमार


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aamirhydkhan

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फूलों से प्राकृतिक शृंगार



मैं एक बार फिर उस पास के जंगल में घुस गया और कुछ फल, लकडिया, पत्तिंया और ढेर सारे फूल, चुन लाया ।

मैंने सबसे पहले चंदन की लकड़ी घिस चंदन का लेप तरुणी के चेहरे छाती गर्दन, पीठ बाजुओं टांगो और नितम्बो पर मल दिया और हाथो पर मेहँदी की पत्तियों का रस मल दिया तो उसने भी चंदन का लेप मेरे पर मल दिया । कुदरती अनछुए पदार्थ थे इसलिए बहुत जल्द ही उन्होंने अपना असर दिखा दिया ।

फिर मैंने उसके गोरे गालो पर पलाश और लोध्र के फूलो को मसल कर गुलाबी रंग मल दिया, उसकी पलकों को पहाड़ो पर मिलने वाली एक वनस्पति जिसे मसलने पर काला पदार्थ मिलता है वह काला रंग उसकी पलकों पर लगा दिया और आग में शैलेय का काजल बनाया और उसे दीप्ति की सुंदर बड़ी आँखों में लगा दिया। गुलाबी, सफ़ेद, लाल, पीले ,केसरी कमल, चंपा, गुलाब, मोगरा, मोतिया और अन्य सभी तरह के फूलो को मसल कर उनका सुंगंधित रस उसकी चिकनी जांघो और सारे बदन पर मला तो उसका बदन और पूरा माहौल उन फूलो की शानदार सुगंध से महकने लगा। फिर मैंने दीप्ति के पैरो पर अलता के पेड़ो से निकाल कर लाया हुआ लाल रंग का रस मल के शोभायुक्त किया। सिर के बालो में सफ़ेद लाल पीले केसरी कमल, चंपा, गुलाब, मोगरा और मोतिया और अन्य सभी तरह के फूलो को गूंध कर फूल मालाये लगा दी और, पिंडलियों पर चुकंदर को मसल कर उसका लाल रस निकाल कर मसल दिया। उसके ओंठो पर चुकंदर का लाल रंग मल दिया ।

भीनी-भीनी मोगरे, गुलाब, और चमेली की फूल मालाएँ बना कर दीप्ति की तरुण और पतली कमर पर फूल माला बाँध दिया। पेडू पर पतली कमर और नाभि के नीचे गज़रे की यह लटकन बहुत खूबसूरत लग रही थी।

फिर मैंने गेंदे के फूलो की मालाओ को उसकी छाती पर ऐसे बाँधा जैसे उसने फूलो की चोली पहनी हुई हो और दो फूल मालाये उसकी बाजुओं में कमल की नाल के साथ बाजू बंद की तरह लपेट दिए और दो कमल की नाल के साथ फूल मालाये उसकी जांघो में भी बाँध दी।

फिर कर उसके और एक फूलो का मुकुट बना कर उसके सर पर सजा कर उससे थोड़ा दूर हुआ और उसे भरपूर ऊपर से नीचे पूरे फूलो के शृंगार में देखा तो देखता ही रहा गया तरुण और सुंदर दीप्ति इस मनोरम फूलो के शृंगार से रमणीय हो, मानो वनदेवी का मूर्तिमान रूप हो ऐसे चमक उठी और मैं उसे खड़ा-खड़ा देखता रह गया और मेरे खड़े लंड ने उत्तेजित होकर एक ठुमका लगाया ।

वैसे तो आज के समय में बाज़ार में कॉस्मेटिक सौंदर्य प्रसाधनो की भरमार है पर प्राकृतिक फूलो और पत्तियों के रस के श्रृंगारित हो दीप्ति का रूप खिल उठा था और उसका अद्भुत प्राकृतिक तरुण सौंदर्य मेरे सामने प्रगट हुआ था कि मैं किंकर्तव्य मूढ़ की तरह अचंभित हो खड़ा उस कामदेवी को देखता रहा ।

उसने मुझे ऐसे देख आँखों से पुछा क्या हुआ?

तो मैं उसे तालाब के किनारे ले गया और उसे तालाब के शांत निर्मल जल में उसकी सुंदर रमणीय छवि दिखलाई। शांत निर्मल जल में अपनी छवि देख कर वह भी देखती ही रह गयी ।

वो लजाते हुए बोली हाय! ये मैं हूँ ! इतनी सुंदर इतनी प्यारी !

मैं चुपके से पीछे गया और बाकी बचे हुए मोगरे, गुलाब, कमल, चंपा, मोतिया, गैंदे और चमेली की सुगन्धित फूलो के फटा फट सेज सजा दी और एक माला उठायी तो दीप्ति पलटी और मुझे देख लजाते हुए मेरे पास आ गयी और मेरे हाथो से वह माला ले ली और मेरे गले में डाल दी मैंने भी दूसरी माला उठायी और उसके गले में डाल दी । मैंने उसे अपने गले में लगा लिया और फिर जो सेज मैंने सजाई थी वहाँ ले गया और उसे बिठा दिया ।

दीप्ति की आँखें एक नए रोमांच, कौतुक और भय से बंद होती जा रही थी। पता नहीं अब मैं उसके साथ कैसे और क्या-क्या करूँगा और सिकुड़ कर बैठ गई। और मेरे लम्बे लंड को उसने कनखियों से देखा और प्रेम मिलन के बारे में सोचा तो वो लजा गयी . दीप्ति बस एक नज़र भर ही मेरे को देख पाई और फिर लाज के मारे अपनी मुंडी नीचे कर ली।

मैं बोला - आप ठीक से बैठ जाएँ!

आप बहुत सुंदर लग रही हो मैंने कहा तो उसने मेरी और देखा और मेरे होंठों पर शरारती मुस्कान देख कर दीप्ति एक बार फिर से लजा गई और लाज के मारे कुछ बोलने की स्थिति में तो नहीं थी बस मुझे जगह देने के लिए थोड़ा सा और पीछे सरक गई। कई बार जब लाज से जो बात होंठ नहीं बोल पाते तो आँखें, अधर, पलकें, ऊँगलियाँ और देह के हर अंग बोल देते हैं। जब वो पीछे सरकी तो मेरे अंग अंग में अनोखी सिहरन सी दौड़ गयी और हृदय की धड़कने तो जैसे बिना लगाम के घोड़े की तरह भागने लगी । उसने सरक कर मुझे पास बैठने का इशारा कर दिया था।

मुझे याद था की मेरी सेक्स गुरु मिली जिसके बारे में आप मेरी कहानी अंतरंग हमसफ़र में पढ़ सकते हैं उसने बताया था की स्त्री पुरुष के सच्चे यौन संबंधों का अर्थ मात्र दो शरीरों का मिलन नहीं बल्कि दो आत्माओं का भावनात्मक रूप से जुड़ना होता है। प्रेम में मिलन के दौरान सम्भोग या सेक्स अपनी भावनाओं को उजागर करने का बहुत अच्छा विकल्प या साधन होता है। ये वो साधन है जिससे हम अपने साथी को बता सकते हैं कि मैं तुमसे कितना प्यार करता हु। यह क्रिया दोनों में परस्पर नजदीकी और गहरा प्रेम बढ़ाती है। ख़ास तौर पर प्रथम मिलन को आनंदमय, मधुर और रोमांचकारी बनाना चाहिए , ताकि यही आनंद बार बार मिले इसके लिए दोनों हमेशा लालायित रहे ।


प्रकृतिक श्रृंगार अति सुंदर अपडेट , बधाई !!
 
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