• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

Adultery प्रीत +दिल अपना प्रीत पराई 2

HalfbludPrince

मैं बादल हूं आवारा
12,053
83,848
259
#11

“क्या हुआ ” मैंने पूछा

वो- खाली है तेरा मन ये ठीक नहीं

मैं- तो क्या करे

वो- तू क्या करेगा नसीब करेगा. जिन गलियों को छोड़ आया है वो तुझे पुकारेंगी .

मैं- ऐसा नहीं होगा . वो दौर कोई और था ये दौर दूसरा है

वो- मैं मिलूंगी तुझसे फिर पूछूंगी

मैं- ठीक है मिलते है फिर

मैंने उस से कहा और उस से विदा ले ली. वो एक बार फिर अपनी सारंगी बजाने लगी.

सुबह घर गया . चाची कही दिखी नहीं मुझे . मैं आँगन में बैठा अख़बार पढ़ रहा था की माँ मेरे पास आई.

“बहुरानी कुछ दिन के लिए मायके जाएगी. तू छोड़ आना ” माँ ने कहा

मैं- ये मेरा काम नहीं है माँ. वहां से कोई आ जाये लेने या भाई छोड़ आये .

माँ- वैसे तो कहता है की माँ तेरा हर कहा मानता हु और जब कोई करने को कहूँ तो तेरे बहाने

मैं- ठीक है माँ आपका हुक्म सर माथे पर भाभी से कहना जल्दी से तैयार हो ले . पर मैं रुकुंगा नहीं वहां .

माँ- हाँ ठीक है मत रुकना .

अब क्या कहता मैं माँ से कुछ भी तो नहीं . घंटे भर बाद जब भाभी ऊपर से नीचे उतरी तो मैं बस उसे देखता ही रह गया. मेरी नजरो ने जो उस चेहरे का दीदार किया चाहते हुए भी मैं खुद को रोक न सका. एक सिम्पल सी गुलाबी साडी माथे पर एक टीका , कानो में बड़े बड़े झुमके . होंठो पर गुलाबी ही लिपस्टिक . खैर मैं भाभी को लेकर उनके मायके की तरफ चल पड़ा .

बहुत देर तक गाड़ी में हम दोनों के बीच ख़ामोशी सी रही .

“क्या बात है कुछ बोलते क्यों नहीं ” भाभी ने चुप्पी तोड़ते हुए कहा.

मैं- आप जानती थी न की मैं नहीं आना चाहता था .

भाभी- मैं चाहती थी की तुम आओ .

मैं- मेरा होना न होना क्या ही फर्क पड़ता है

भाभी- ये तुम कहते हो . तुम ये सोचते हो ?

मैं- कोई और बात करते है

भाभी- सारी बाते बस ये ही तो है .

मैं- कल किसी ने बताया मुझे की मेरा मन खाली है .

भाभी- बेवकूफ था वो जिसने ऐसा बताया .

मैं- मुझे भी ऐसा ही लगा.

भाभी ने अपना हाथ मेरे हाथ पर रखा और बोली- देवर जी , ये जो जीवन है न इसे जीना बड़ा दुश्वार होता है . हर चाह पूरी हो जाये ये सबके नसीब में तो नहीं होता न, किसी के बेहिसाब सुख मिल जाता है किसी को दुःख ये संसार का नियम है . पर इन्सान को निरंतर आगे बढ़ते रहना होता है . यही रीत है .

मैं- रीत के बाते सब करते है

भाभी- तुम किस की बात करते हो

मैं- क्या मालूम

भाभी-- एक दौर आये गा , जब जिंदगी गुलजार होगी आज रीत है पर तब प्रीत होगी . कोई ऐसी आयेगी जो हर कदम तुम्हे थाम कर चलेगी.

मैंने गाड़ी रोक दी . भाभी के गाँव की सीम आ गयी थी .

भाभी- क्या हुआ

मैं- सीम आ गयी है

भाभी- गाँव भी आएगा.

मैं- आप गाड़ी ले जाओ मैं यही से मुड जाता हूँ.

भाभी- मैं पैदल ही चली जाती हूँ कौन सा दूर है . कदमो ने खूब नापा है इन रास्तो को .

मैं- क्यों कर रही है आप ऐसा .

भाभी- मैंने सोचा था की दो दिन तुम मेरे साथ रहोगे यही . मेरे लिए रुक जाओ न , मेरे साथ रहो . तुमने कहा था मुझे

मैं- ठीक है आपकी यही चाह है तो ये ही सही ये भी ठीक है .

मैंने गाड़ी गेर में डाली और आगे बढ़ गए. गाँव शुरू होने से पहले वो बावड़ी आई . वो सरकंडे . वो टूटी सीढिया . दिल तो बहुत किया पर मैंने गाड़ी नहीं रोकी. गाँव का वो बाजार आज भी गुलजार था . वो चूडियो की दूकान वो हरी चुडिया आज भी वैसे ही टंगी थी . थोडा आगे वो बनारसी बर्फी वाले की दूकान . गलियों को पार करते हुए हम भाभी के घर की तरफ बढ़ रहे थे . दो मोड़ और पार किये और फिर हम हमारी मंजिल के सामने थे .गाड़ी से उतरे . भाभी ने मेरा हाथ पकड़ा और बोली- आओ

मैं- आप चलो , मैं सामान लेकर आता हूँ .

भाभी- कोई और ले जायेगा .

हम अन्दर आये. सबने अच्छे से स्वागत किया हमारा. चाय नाश्ता हुआ. भाभी अन्दर चली गयी मैं मेहमान खाने में ही रुक गया . मेरे दिल में न जाने क्या था मैं क्या बताऊ .

“मैं थोडा बाहर होकर आता हूँ ” मैंने कहा और मैं वहा से दूर आ गया . मैं पैदल ही निकल पड़ा. मेरे कदम जहाँ मुझे ले जा रहे थे मैं जाना नहीं चाहता पर कुछ चीजों पर आपका बस नहीं होता . मैं एक बार फिर उसी बाजार में था . अर्जुनगढ़ के बाजार में .

“बाबु ये चुडिया देखो, जय पर्दा ने यही चुडिया पहनी थी ” चूड़ी वाली ने कहा .

मुझे हंसी आ गयी .

“सबको ऐसा ही कहती हो. अब तो कुछ नया बोलो. ” मैंने कहा

वो- तुम तो ऐसा कह रहे हो जैसे पहले मेरी दुकान से चूड़ी खरीदी है .

मैं- क्या नाम है आपका गुडिया

वो- जूही .

मैं- तो जूही , आपके पास सबसे अच्छी चुडिया कौन सी है .

“अरे तुझे बोला था न घर रहना तू फिर यहाँ आ गयी , नाक में दम करके रखा है तूने तो ”

जूही- अरे बाप रे माँ आ गयी , बाबू मुझे वो डांटेंगे दर्जन भर चूड़ी ले लो न .

मैं इस से पहले जवाब देता उसकी माँ हमारे पास आ गयी . हमारी नजरे मिली और वो मुझे पहचान गयी .

”आप, आप यहाँ इतने दिनों बाद ” इसके आगे वो कुछ बोलती मैंने इशारे से उसे चुप रहने को कहा .

“बड़ी प्यारी गुडिया है जूही . ” मैंने कहा और जेब से गड्डी निकाल कर जूही के सर पर वार कर उसकी माँ को दे दी. और जाने को मुड गया .

जूही- बाबु, पैसे दिए चूड़ी लेना भूल गए.

मैं- एक दिन आऊंगा


ऐसा लगता था की जैसे बस कल की ही बात हो . आँखों के सामने जैसे सब दौड़ने लगा था . मैंने मेरी साँसों को फूलते हुए महसूस किया. मुझे शायद चक्कर सा आ गया था . मैं वहां से चला ही था मेरे कानो में शंखनाद गूँज उठा.
 

aalu

Well-Known Member
3,073
13,028
143
Ateet kabhi peecha na chhorti, hum bhale hi aage badh jaye, lekin kisi mor pe mulakat ho hi jaati hain kehte hain na duniya gol hain. Usne kaha tha phir se pukarengi wo galiyan.
Na jaane kaun sa purana nata hain us baazar se, kiske liye wo churiyan kharidee thee, adhura pyar, hamesha dard ka sabab ban jata hain, bhabhi bhi uss sach se anjan na hain, phir kyun kheench ke le ke jaa rahi hain, wapas se purane ghao ko kuredne ke liye, sabhi emotional blackmail hi karte hain, aise toh yeh kisi kee baat manega nahin.
Jo dard mila uske liye koi marham dhundh, aise ateet mein rah ke zindagi vyarth toh nahin kar shakte hain, zindagi chalte rahne ke hi naam hain. kal koi aur thee, kal koi bhi hogi, aise hi milte rahte hain log, yeh ruk gaya, hain jaise kisi tejaab se shabkuchh jala dala.

Yeh apni hi sage sambandhio ke saririk bakhan kyun karta rahta hain, na jaane kya hain dil mein, sabhi pahelio mein baat karte hain, ab yeh sankhnaad phir mandir kee chaubare ke taraf le jayegi....

Kya pata phir mil jaye wo....
 
Top