nice update..!!भाग 23
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रात का समय था। पवन दिन भर काम की थकान में चारपाई पर पड़ा सुस्ता रहा था।
सुमन देवी ने आज उसके लिए अच्छा पकवान बनाया। पवन ने बड़े प्यार से खाना खाया। और वह चारपाई पर पड़ा सोने की कोशिश करने लगा।
कुसुम उसके बाद शर्म व हया के मारे उसके सामने नहीं आ सकी। पवन ने उसे नजरों से ताडने की काफी कोशिश की। लेकिन कुसुम थोडी देर के लिए उसकी तरफ देखती फिर अपनी नजरें घुमा लेती। कुसुम के मन में जब भी यह ख्याल आता यह लड़का उसका होनेवाला पति है वह और ज्यादा सहम जाती। वह आनेवाले दिनों के सपनों मे खो जाने लगी।
रात का कामकाज निपटाकर सुमन देवी पवन के पास आई। उसके पास बैठकर पहले तो आज पूरे दिन के बारे में इधर-उधर की बातें की। फिर उन्होनें असली मुद्दे पर अपनी बात रख दी।
"देखो बेटा, तुम्हें देखकर पता नहीं क्यों हमें लगता है तुम्हारे साथ हमारा गहरा रिश्ता है। जान पहचान है। मेरी बात का बुरा मत मानना, तुम ने कहा था, तुम ने शादी नहीं की! तुम कुसुम के बारे में पूछ रहे थे, मैं तुम्हें बता देती हूँ, मेरी बेटी शादी के लायक हो गई है। मैं तुम्हें अपना बेटा मानने लगी हूँ। इस लिए कह रही हुँ, मेरी बेटी कुसुम भी तुम्हें पसंद करने लगी है। तो क्या तुम कुसुम से शादी करोगे? देखो मैं तुम्हें किसी चीज की कमी महसूस नहीं होने दूँगी।"
सुमन देवी की अलटप बातों का मतलब पवन समझ चुका था। उसे जिस बात का डर था वही होने जा रहा था। यह लोग उसे ही कुसुम से बियाह करवाने की सोच रहे हैं। लेकिन वह चाह कर भी ऐसा नहीं कर सकता था।
"माजी, मुझे भी आप लोग अच्छे लगते हैं। कुसुम एक बहुत ही अच्छी लड्की है, कोई खुशनसीब ही होगा जो कुसुम से शादी करेगा। लेकिन माजी, मैं कुसुम से शादी नहीं कर सकता। मेरी बात का बुरा ना माने। इसका मतलब यह नहीं है कि मैं कुसुम को पसंद नहीं करता। बल्कि मैं पसंद करता हूँ। लेकिन मेरी कुछ मजबूरियाँ है। इस लिए मैं,,,,"
"कोई बात नहीं बेटा। मैं समझ सकती हूँ। तुम ने जिस तरह से दिल खोलकर अपनी बात कह दी, उससे मुझे अंदाजा हो गया है जरुर तुम्हारी कोई मजबूरी होगी। मेरी बेटी की किस्मत में जो होना है वही होगा। मैं भी पागल हूँ, बेकार में सपने देखने लगी थी। तुम सो जाओ बेटा।" सुमन देवी उठकर जाने लगी।
"माजी आप चिंता न करे। मुझे यकीन है कुसुम का बियाह किसी अच्छे लडके के साथ ही होगा। आप देख लेना।" सुमन देवी पवन की तरफ देखकर एक फीकी मुस्कान देती है और कुसुम के पास सोने चली जाती है।
पवन ने एक दोबार सोचा वह वापिस बर्तमान में चला जाये।
लेकिन यहां पर एक दिन गुजारने के बाद अब उसे अपनी नानी और भविश्य में होनेवाली माँ की चिंता होने लगी। उसके साथ ही पवन ने खेत पर काम शुरु किया था, वह चाहता है उसे कम से कम खेत को खेती के लायक बनाया जाये। जिससे उसकी नानी की परेशानी किसी हद तक कम हो। यही सब कुछ सोचता हुआ पवन नींद की आगोश में चला गया।
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अगली सुबह को फिर से पवन खेत पे चला गया। उसने सुबह-सुबह ही काम शुरु कर दिया। आज उसे पूरे खेत की सफाई करनी है। देखते देखते सूरज सिर के ऊपर आ गया । पवन काम करता रहा। कभी कभी आराम करने के लिए नीम के छाव में बैठ जाता और घर की तरफ देखकर कुसुम का इन्तज़ार करने लगता। कल की तरह कुसुम उसे बुलाने नहीं आई। लेकिन काफी देरी के बाद उसने देखा सुमन देवी अपने हाथ में रोटी लेकर हाजिर हुई।
पवन को और अपनी खेत को देखकर सुमन देवी को इस लडके पर बड़ा तरस आ गया। सुमन देवी ने दिल ही दिल में सोचा, आखिर यह लड़का चाहता क्या है? क्यों यह हमारी मदद कर रहा है?'
"माजी कुसुम नहीं आई?" पवन ने पहले ही पूछ लिया।
"कुछ नहीं बेटा, बस वह आना नहीं चाह रही थी। उसकी तबीयत थोडी खराब है। मैं ने कई बार उससे कहा, तुम्हें रोटी पहूँचाने के लिए। तुम उसकी चिंता न करो। यह रोटी खा लो बेटा। सुबह से काम में लगे हो।"
"माजी, क्या वह मेरी वज़ह से नाराज है?"
"नहीं बेटा, ऐसा मत कहो। तुम्हारी वजह से क्यों होगी? बस अपनी किस्मत से लड़ रही है। छोटी है ना, अभी उसे दुनियादारी की समझ नहीं है। तुम्हें वह पसंद करने लगी थी। लेकिन जब कल मैं ने उसे तुम्हारे बारे में कहा, बेचारी टूट चुकी है। बेटा एक बात पूछो, तुम घर नहीं जाओगे? भला कितने दिन तक यहां रहोगे? मेरा मतलब है तुम्हारी माँ बहन तुम्हारे लिए परेशान तो नहीं हो रही होगी?"
"ऐसी कोई बात नहीं है माजी, मेरी माँ और बहन को पता है मैं हफ्ते हफ्ते तक इस तरह घर से बाहर रहता हूँ। आप उनकी फिक्र ना करे। मुझे एकबार कुसुम से बात करनी है। क्या आप कुसुम को मेरे पास भेज सकती हैं? मैं उसे समझाऊँगा। मैं अपनी मजबूरी उसे खोलकर बताना चाहता हूँ।"
"अब इस से क्या फायदा, लेकिन तुम कह रहे हो तो मैं भेज दूँगी। तुम यह खाना खा लो बेटा। मैं थोडी देर में हवेली चली जाऊँगी। मैं कुसुम से कह देती हूँ वह आ जायेगी तुम्हारे पास। ध्यान रखना उसका।"
"ठीक माजी। आप चिंता न करें।"
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पवन कुछ देर तक चुपचाप बैठा हुआ सोच में डूबा था। इतने में कुसुम आ गई। कुछ दूरी पर खडी होकर बड़े नाज से कहने लगी,
"क्या बात है? मुझे क्यों बुलाया! तुम्हें जो बताना था वह अम्मा को बता तो दिया। अब क्या रह गया है?" पवन समझ चुका था कुसुम उससे क्यों नाराज हो रही है!
"बैठ जाओ कुसुम, मुझे तुम्हें कुछ बताना है।" पवन के इस गम्भीर आवाज में कुसुम पुतले के मानींद बैठ गई।
"देखो कुसुम, मैं जानता हूँ, तुम्हारे दिल में मुझे लेकर कुछ अरमान होंगे। कोई खुश किस्मत होगा जिससे तुम्हारी शादी होगी। मेरी जो मजबूरियाँ हैं मैं चाह कर भी तुम लोगों को नहीं बता सकता। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि मैं तुम्हें पसंद नहीं करता। जिंदगी में यह पहला मौका है जब मुझे कोई लड्की इतनी अच्छी लगी। और वह तुम हो कुसुम। पता नहीं जाने अनजाने में मैं भी तुम से प्यार करने लगा हुँ। लेकिन मैं तुम से शादी नहीं कर सकता।"
"क्यों नहीं कर सकते? बताओ मुझे। क्या तुम्हारी माँ बहन को मैं पसंद नहीं आऊँगी? मैं उनके कदमों में गिर जाऊँगी। मेरा यकीन करो। तुम्हारी तरह मेरा भी यह पहला मौका की कोई लड़का मुझे इतना अच्छा लगा। नहीं तो गावँ में छिछोरे लडकों की कमी नहीं है। मुझे लगता है तुम्हारे साथ ही मेरा भाग्य जुड़ा है। नहीं तो यूं दो दिन में बिना कुछ बोले बिना सुने यह कुसुम किसी अंजान लडके के प्रेम में नहीं गिरती।"
कुसुम आज अपने मन की बात बेझिझ्क बोले जा रही थी। उसे खुद हैरानी होती है उसने इतना कुछ आखिर कैसे कह दिया। वह तो एक शर्मीली सीधी सादी लड्की है। और कहते कहते उसकी आंखों से दो बूँद आंसू टपक पडे।
"मत रोओ! कुसुम। मैं तुम्हारे दिल के हाल से ज्ञात हुँ। तुम्हारी जो दुविधा है वह मेरी परेशानी नहीं है। मेरी माँ अगर तुम्हें देखेगी तो वह तुम्हें जरुर पसंद करेगी। तुम हो ही इत्नी सुन्दर। लेकिन जिंदगी में हर एक की अपनी अपनी किस्मत होती है। शायद मेरी और तुम्हारी किस्मत में एक दुसरे के साथ प्यार करना लिखा है। शादी बियाह नहीं है। पर तुम मेरी बात का विश्वास करो, तुम्हारी शादी एक बहुत ही अच्छे लडके से होगी। शायद मेरे से भी ज्यादा अच्छा। वह तुम्हें जरुर पसंद आयेगा।"
"तुम्हें कैसे पता? मेरे लिए कोई राजकुमार आयेगा क्या? अब उस बुढढे के सिवा मेरी किस्मत में कोई नहीं है।" कुसुम अपनी आंसू पोछती हुई बोली।
"एसा नहीं होगा। कम से कम मेरे होते हुए तो नहीं।"
"देखा जाएगा। मैं चलती हूँ। अम्मा ने मुझे काकी के पास ठहरने को कहा है।"
कुसुम जिस तरह दुखी मन से आई थी उससे ज्यादा दुख लेकर वह घर की तरफ चली गई। पवन उसका दुख देखकर मन में अशांत होने लगा था। उसका दिल कर रहा था, वह कुसुम को सारी बातों से आगाह कर दे। लेकिन इसका कोई फायदा नहीं होगा। क्यौंकि वह लोग पवन का यकीन नहीं करेंगे।
पवन को अब जल्दी से जल्दी खेत की सफाई का काम खत्म करना था। उसने सोच लिया, बस अब नहीं। वह फिलहाल यहां से चला जाएगा। नहीं तो यह लोग उसे लेकर बेकार में सपने सजाने लगेंगे।
पवन दुगनी रफतार और मेहनत से आज समय से पहले ही खेत का बाकी काम खत्म कर लेता है। और ठीक शाम ढलने के थोडी देर बाद,जब सूरज डूबने लगा, वह अपने समययान के गोल बटन को घुमाकर दोबारा उसी जगह आ जाता है जहाँ से वह अतीत में गया था।
suman ne direct pawan se shaadi ki baat ki lekin ab pawan bhi kya kar sakta hai kyunki real me toh woh kusum ka beta hi hai..lekin pawan bhi young kusum se pyaar karne laga hai lekin kismat aage kiska jor chalta hai..ab pawan wapas toh aagaya lekin usse firse jana padega..!!