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Incest पुरा परिवार हवस का शिकार

कहानी का हीरो आप किसे समझ रहे हो ??


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BRIJESH YADAV

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13
10
3
हैप्पी दिवाली मेरे सभी पाठकों को , कुछ अपडेट दिवाली को लेकर ही लिख रहा हूँ । बाकी आज अपडेट मुश्किल हैं पर शायद समय मिले तो दे दूँगा।

हैप्पी दिवाली
Hiiii
 
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Incestlala

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S
अपडेट 9
कहानी में मोड़

शाम 4 बजे का समय था गरिमा अपने कमरे में थी और बरखा अपने बच्चो के आने के इंतज़ार कर रही थी तभी दरवाजे पे एक दस्तक होती है बरखा दरवाजा खोलती है और देखती है आज तीनो एक साथ घर आये थे ऐसा पहली बार था जब निधि ,राहुल और आरोही के साथ आयी हो वरना वो दोनो तो हमेशा साथ ही जाते है साथ आते है ।तभी बरखा की नज़र राहुल पे जाती है वो बस बनियान में था बरखा ये देख पूछ बैठती है
राहुल तेरी शर्ट निधि क्यों पहनी है और तु ऐसे ही घूम रहा है ,राहुल कुछ बोलता उससे पहले ही निधि बोलती है ।मम्मी भाई एक शर्त लगया था तो शर्त के मुताबिक भाई की शर्ट में पहनूंगी और भाई बनियान में ही घर चलेगा ।
बरखा सर खुजाते हुए ये कैसी शर्त थी और भाई बहन में भी कोई शर्त लगती है क्या, चलो अंदर और सब अपने अपने कमरे में आराम कर रहे थे।पर निधि का तो मन शांत ही नही हो रहा था की कल कॉलेज में क्या होगा ।तीनो ने ही मिलकर फैलसा किया था की वो घर पे कुछ नही बताएंगे पर ये बात अब कोई छोटी नही थी।आखिर राहुल ने जिसको मारा वो एक विधायक का बेटा और एक खुद प्रिंसिपल और उसका बेटा था निधि तो डर से काँप रही थी तभी गरिमा उसे हिलाते हुए पूछती है क्या सोच रही है कब से आवाज़ लगा रही हूं पता नही ध्यान कहा है मैडम जी का ,तभी निधि हरबड़ते हुए कु..कुछ नही दीदी बस ऐसे ही कॉलेज की कुछ बाते सोच रही थी की अब एग्जाम आने वाले है कैसे क्लियर होगा ।
गरिमा अच्छा जी अब मैडम झूठ बोलना भी सिख गयी है तेरी बड़ी बहन हूँ तेरे से ज्यादा समझ है मुझे चल बता बात क्या है ।।
निधि - कुछ भी तो बात नही है दीदी आप भी बहुत शक करती हो मुझपे
गरिमा - इसे शक नही कहते है ये तो प्यार है मेरा, मेरी छोटी बेहन परेशान रहे तो मैं कैसे खुश रह सकती हूँ।दोनो बातें करनी लगती है ।इधर आरोही आज राहुल के ही कमरे सो रही थी ।राहुल भी थोड़ा परेशान था की आज वो गुस्से में कुछ ज्यादा आगे बढ़ गया। तभी उसकी नज़र आरोही की गांड पे गयी जो उसकी तरफ ही गांड उठा के सो रही थी ।आरोही की गांड देखते ही राहुल की सारी परेशानी दूर हो जाती है वो आरोही द्वारा बोली हुई बात याद करने लगता है की किस तरह अजय ने उसके दोनो दूधो को मसल दिया और विक्की ने उसकी गांड के उभार को अच्छे से रगड़ दिया था ये सोच के राहुल का लंड सर उठाने लगा उसने आरोही की गांड को उठकर बैठ के देखने लगा।और उसके मुँह से अनायासा ही निकल गया उफ्फ्फ... क्या गांड हैं क्या कटाओ है एक लम्बी आह्ह भरे हुए बोला । उसके मन में एक बात आ गयी इसीलिए तो विक्की ने इस गांड से खेला साला बहुत लकी है मादरचोद मेरी आरोही की चिकन गांड को पकड़ लिया और एक मैं हूँ मेरे सामने गांड उठा के सो रही है और मैं पकड़ना तो दूर उसको सूंघ भी नही पता ।वो अपनी किस्मत पे या इसका भाई होने पे थोड़ा उदास था आखिर आरोही की गांड सच में बावल थी जो हर मर्द के लिए एक कमज़ोरी बन जाती थी । इधर विक्की अंकल आप नही आते तो मैं उस राहुल की माँ चोद देता ,तभी अजय भी बोला हाँ पापा आप बीच में क्यों आये वो बहनचोद अपने आप को समझता क्या है उसकी बहने तो हम चोद के ही रहेंगे।
प्रिंसिपल रामदास - अरे बच्चो मैं बीच में नही आता पर वो निशा रंडी आ गयी ना इस लिए दिखावा करना पड़ा पर मुझे क्या पता था की वो मादरचोद इतना तेज़ निकलेगा की हम तीनो को ही मारने लग जायेगा ।
विक्की - सही कहा अंकल उस मादरचोद की सबसे बड़ी ताकत तो वो रंडी निशा है साली वो ना हो तो उस लोड़े को तो मैं ऐसा मज़ा चखूंगा की उसको अफ़सोस होगा की वो चूत से बहार आया ही क्यों।

प्रिंसिपल रामदास - हाँ बेटा वो निशा ना हो तो उस हरामज़ादे को जिंदा नही जाने देता साली हर बार बीच में आ जाती है ।
अजय - निशा वो साली अपना क्या बिगाड़ लेगी और विक्की के पापा विधायक है पर जो भी हो पापा मुझे उस आरोही की लेनी है साली क्या माल है उफ़.. उसके वो मुलायम चुचे बता नही सकता कितना मज़ा आ रहा था दबाने में आह्ह रंडी आरोही
विक्की - हाँ अंकल कुछ भी बोलो साली माल बहुत मस्त है गांड भी बहुत मुलायम थी साली की यदि वो आपका लोड़ू प्रोफ़ेसर ना आया होता तो साली को वही नंगा करके पटकर चोदता।
प्रिंसिपल रामदास- मैं जानता हूँ वो आरोही माल है मैंने खुद कई बार उसकी गांड देखी है इतनी कम उम्र में उसकी गांड सच में बावल है और वो प्रोफ़ेसर अपना ही बंदा है मैंने उसको बोला हुआ है जब भी बात बढ़े तो संभाल लेना तभी वो तुम लोगो को लेने आया था और उस आरोही की तो बूर तीनो मिलकर फाड़ेंगे ।उसकी वजह से ही उस मादरचोद ने हंगामा किया और हम सब को मारा, कल बताता हूँ रंडी के पिल्ले को की रामदास क्या चीज़ है
अजय - पापा सुना हैं उस राहुल मादरचोद की तीन बहनें है और तीनो ही मस्त माल है ।
विक्की - अच्छा सही तो है तीनो अपनी रंडी बनेगी और मन भर जायेगा तो बाद में तीनो को धंदे पे लगा देंगे और हँसने लगते है ।
प्रिंसिपल रामदास - सही कहा बेटा पर उन रंडियों को बाज़ार में लाने के लिए उस निशा का कुछ करना होगा और तुम्हारे पापा को भी बोलना होगा तभी वो तीनो रंडियों को घर से उठने का काम करेंगे ।
विक्की - सही बोला अंकल पहले इस निशा रांड का कुछ करना पड़ेगा साली ना चूत देती है ना ही साथ देती है साली बस हमारा खेल बिगाड़ देती है । इधर निशा अपने कमरे में सोच रही थी की राहुल में इतनी ताकत है तो उसने कभी विक्की और अजय को सबक क्यों नही सिखाया निशा अभी भी राहुल के उन दमदार पंच को याद कर रही थी ,उफ़.. कितना प्यार करता है अपनी बहनो से तो मुझे कितना करता होगा हाय पर एक नंबर का बुद्दू है पता नही मुझे परपोज़ कब करेगा और मुस्कुरा जाती है ।
सब बैठ के चाय पी रहे थे और इधर उधर की बातें कर रहे थे पर राहुल अपनी ही दुनिया में मगन था तभी निधि बोली भाई कहा खोये हुए है ।अब राहुल क्या बताता निधि को की तेरे ही ख्यालो में हूँ दीदी ,बात ऐसी है की राहुल निधि के उस रूप को याद कर रहा था जब उसने निधि को ब्रा में देखा था उफ्फ्फ.. क्या साइज होगा दीदी इतने मोटे थे यार और खास बात ये की उसकी वो लाल रंग की ब्रा उफ्फ्फ.. ये सब सोच ही रहा था की निधि पूछ बैठती है ।
राहुल - कही नही दीदी बस गाँव की कुछ बातें याद कर रहा था
निधि - अच्छा अंजलि याद आ रही होगी ना आखिर उसने ही तो आम चूसना सिखाया था सॉरी मेरा मतलब आम तोड़ना सिखाया था और राहुल को आँख मर देती है जिसे देख राहुल भी अचंभित था की दीदी ने ये क्या कह दिया और ये आँख क्यों मारी थोड़ी दर सोच के वो समझ जाता है की कही दीदी को सब पाता तो नही है ,नही नही दीदी को कैसे पता होगा वो अंजलि से मिली ही नही है और अंजलि क्यों बताएगी ।पर दूसरी ही तरफ कही अंजलि ने बता तो नही दिया साली वो रंडी बड़ी हरामी है कही सब कुछ बता दिया हो की मैं आरोही की गांड देख मुठ मरता हूँ हे भगवान बचा ले वो डर के मारे कुछ बोल नही पाता ।
आज निधि अपने भाई के प्रति बदल गयी थी इसीलिए उसने सोचा क्यों ना थोड़ा मज़ा भाई से ले ।
गरिमा - क्या- क्या ,क्या बोली तु बहुत बेशर्म हो गयी है
निधि - सॉरी दीदी वो जुबान फिसल गयी थी और फिर से आँख मार देती है जो इस बार आरोही भी देख लेती है ।
ऐसे ही मस्ती मज़ाक चलता रहा और रात हो गयी खाना हुआ सबका और सोने चले गये ।पर फिर वही बात आज फिर वही हुआ ना सुरेश की आँखों में नींद थी ना ही गरिमा की आँखों में पर आज बात अलग थी क्यों की आज सब अपने कमरे जाग ही रहे थे ।
आरोही सोच रही थी की निधि दीदी ने भैया को आँख क्यों मारी और ये अंजलि ने आम तोड़ना सिखाया वो कुछ समझ नही पा रही थी वो अपने ही दिमाग़ में बातें घुमा रही थी। तभी आरोही का फोन बजने लगता है कॉल उसकी दोस्त रोहिणी का आ रहा है ।आरोही कॉल लेती है
आरोही - हेल्लों
रोहिणी - हेल्लो यार सो रही थी क्या
आरोही - नही यार कुछ सोच रही थी तु बता कैसे कॉल किया
रोहिणी - यार मैं भी कुछ सोच रही थी
आरोही - क्या सोच रही थी जो इतना चहक के बोल रही है
रोहिणी - यार तेरे भैया के बारे में क्या मारा यार मैं तो दीवानी हो गयी उनकी और हँसने लगती है
आरोही - अच्छा जी मेरे भैया मेरे है और सोचना भी मत समझी दूर रह उनसे साली वरना अपने भैया से चुदवा दूंगी ।
आरोही को समझ ही नही आया वो क्या बोल गयी तभी रोहिणी बोलती है अरे यार तो चुदवा दे ना मैंने जब से उनको हीरो की तरह मारते देखा है तभी से मन कर रहा है की वो मुझे चोद दे ।
आरोही - भग साली कुतिया तेरी दाल नही गलेगी यहा पे समझी ना
रोहिणी - अच्छा जी और उस निशा का क्या जो तेरे भैया से चुदवाती है साली, सब जानते है वो तेरे भैया का माल है देखा है कभी निशा को किसी और लड़के के साथ घूमते हुए ।
आरोही - हम्म.... तेरी बात में दम है पर क्या करूँ उस साली ने भैया पे जादू कर रखा है
रोहिणी - हाँ तभी तो कह रही हूँ मुझे अपनी भाभी बना ले तेरे भी मज़े करवा दूंगी ।
आरोही - समझ नही आया तेरी शादी होगी तो तु मजे लेगी भैया के साथ पर मेरे मजे कैसे होंगे साली ??
रोहिणी - अरे तुझे भी चुदवा दूंगी ना तेरे राहुल भैया से और हँसने लगती है।
आरोही - आ... साली रंडी क्या बोली तु ऐसा भला होता है क्या एक भाई अपनी बहन की ले सकता क्या
रोहिणी - हाँ मेरी जान आज कल सब मुमकिन है कभी सोच के देख तेरे भैया तेरी चूत मार रहे है तुझे कैसा लगेगा और हँसने लगती है
आरोही - चुप कर साली कुछ भी बोलती है चल में रखती हूँ नींद आ रही है ।बाय
रोहिणी - बाय बेबी और सोचना जो मैं बोली और फिर से हँस के कॉल कट कर देती है ।
आरोही उफ़.. ये रोहिणी भी ना पक्की वाली छिनाल हो गयी है साली कुछ भी बोलती है ।पर तभी एक बार आरोही ,रोहिणी की कही हुई बात याद करती हैं की तेरे भैया तेरी चूत मार रहे है कैसा लगेगा ।ये सोच के ही उसके बदन में एक झुरझुरी होने लगती है आरोही मन में ये मुझे अजीब सा क्यों महसूस हो रहा है ,उफ़.. सच में भैया मुझे चोद सकते है ,तभी उसके दिमाग़ में एक और बात आती है नही नही भैया के साथ छी.. कितनी गंदी बात है और भैया क्या सोचेंगे की मैं उनके लिए ऐसा सोचती हूँ तु भी ना आरोही कुछ भी सोच लेती है और ये रोहिणी की बच्ची को कल कॉलेज में बताती हूँ ।और कमरे की लाइट बंद कर सो जाती हैं।
निधि तो आज सोना ही नही चाहती थी पर गरिमा इसी ताक मैं थी की निधि कब सोयेगी की वो अपने पापा से चुदवाने जाये ।निधि के मन में तो एक ही बात घूम रही थी राहुल कितना अच्छा है अपनी बहनो के लिए इतना प्यार है तो अपनी प्रेमिका और पत्नी के लिए कितना होगा ।तभी निधि निशा के बारे में सोचती है निशा हाँ वही तो हैं शायद मेरी होने वाली भाभी पर साली एक नंबर की खड़ूस है इतना समय से साथ में है पर साली कभी बोलती नही थी चलो अच्छा ही हुआ विक्की ने मेरा टॉप फाड़ दिया इसी बहाने भाई का प्यार और निशा खड़ूस से भी बात हो गयी और मुस्कुरा के सोने लग जाती है करीब एक घंटे बाद गरिमा ,निधि को आवाज़ लगाती है निधि ओ निधि सो गयी क्या । निधि को सोता पाकर गरिमा अपने रात के पति को मैसेज करती है जो इसी ताक में बैठा था की उसका मैसेज कब आएगा और वो कब किचन में जायेगा । एक मैसेज उसके फोन पे आता था जिसको पढ़ कर सुरेश के चेहरे पे मुस्कुराहट आ जाती है फिर वो फोन रख कर चुप के से किचन के लिए निकल लेता है ।इधर गरिमा भी किचन में चली जाती है ।दोनो एक दूसरे को देख मुस्कुरा जाते है और सुरेश बोलता है कब से तेरा इंतेज़ार किये बैठे थे जान तभी गरिमा बोलती है हाँ मेरे राजा जानती हूंँ तुम भी तड़प रहे हो मेरे जैसे ही पर ये निधि आज सोने का नाम ही नही ले रही थी बहुत मुश्किल से सोई है जल्दी से अपना मिलन करते है पति परमेश्वर जी ।इतना बोलते ही दोनो एक दूसरे को बेतहसा चूमने लगते है उम्म.. रोज तुम्हारा थूक का स्वाद बढ़ता जा रहा है सुरेश बोलता है
गरिमा - हाँ जानू सब तुम्हारी वजह से ही है और चूमने लगती है
दोनो हवस में इतने आंधे हो चुके थे की अपने रिश्ते को भूल ही गये था उनको बस एक ही चीज़ याद थी चुदाई और चुदाई इसके अलावा ना गरिमा का दिमाग़ काम करता है ना ही सुरेश का वो तो बस रात का इंतेज़ार करते है अपने बदन की आग को ठंडा करने के लिए चूमा चाटी करते करते कब दोनो नंगे हो गये उन्हे खुद नही पता और फिर वही हवस का नंगा नाच शुरू होता है ।।
आज गरिमा किचन में लेट जाती है और सुरेश उसके ऊपर आकर अपना लंड उसकी बूर पे रख के सटाक से एक जोरदार झटका मार देता है ।।इस झटके से गरिमा की चीख़ निकल जाती है ।
गरिमा - आआह्ह्हह्ह्ह्ह...साले हरामी धीरे से डाल रंडी की औलाद बेटीचोद भड़वे कही भागी नही जा रही हूँ
सुरेश जो अब तक लंड बुर में पेले जा रहा था मस्ती में आकर बोलता है आह ... साली रंडी अपनी औकात मत भूल तु एक रंडी है अपने बाप की रंडी जो हर रात किचन में चुदवाती है आह्ह्ह.. रंडी गरिमा
गरिमा की बूर से रस निकलने लगा था बुर और चिकनी हो गयी रही अब धक्के मरना बहुत आसान हो गया धीरे से मरने पे भी लंड बूर की गहराई में उतर जाता था दोनो ही जवानी की मस्ती में चूर थे तभी किसी के कदमो की आवाज़ होती है दोनो डर जाते है थोड़ी ही देर बाद कोई आहट ना होता हुआ सुन सुरेश फिर पुरी शिद्दत से चूत में लंड पेलने लगता है फिर से दोनो स्वर्ग की सैर करने लगते है काफी देर तक सुरेश का लुंड गरिमा की बुर कुटाई करता है और माल गिराने के करीब पहुंच चुका था दोनो ही जोर जोर से हांफ रहे थे तभी गरिमा एक आअह्ह्ह.. पापा करते हुए झड़ने लगती है और गरिमा के कामरस के आगे सुरेश भी ठहर नही पाता और उसका लंड भी अपना माल उगलने लगता है और उसकी बूर सुरेश के वीर्य से भर जाती है ।
दोनो ही शांत पड़े हुए हांफ रहे थे थोड़ी देर बाद शांति को तोड़ते हुए गरिमा बोलती है आई लव यू पापा आप दुनिया के सबसे अच्छे पापा हो और उसके होठो पे एक चूमा जड़ देती है ।तभी सुरेश बोलता हैं। आई लव यू टू जान और एक और बात उसको बताता है की नया माल उठाने के लिए इस बार वो सूरत जाने वाला है कुछ दिनों के लिए तभी गरिमा उदास मन से क्या आप को अपनी पत्नी की कोई परवाह नही है जो इतनी दूर जा रहे हो मैं कैसे रहूंगी अपने लंड के बिना एक दिन भी राजा और सुरेश को बाहो में जकड़ लेती है सुरेश भी उसको बाहों में कस लेता है और बोलता है कुछ दिनों की ही बात है जान बस वापस आते ही हनीमून पे चलेंगे ठीक है ।इतना सुन गरिमा खुश हो जाती है जो दिखाई तो नही देता, पर सुरेश उसके बदन की झुरझुरी से समझ गया की वो मान गयी है फिर दोनो जल्दी से अपने अपने कमरे में चले जाते है ।और सो जाते है
सुबह हो चुकी थी। आज कॉलेज में क्या होगा ये सोच आरोही बहुत घबरा रही थी तभी उसकी मम्मी आवाज़ लगती है आरोही बेटा नास्ता कर ले ।आरोही जैसे ही निचे आती है और कुर्सी पे बैठती है सामने राहुल बैठा था उससे देखते ही उसे रात की रोहिणी वाली बात याद आ जाती है की तेरे भैया तेरी चूत मार रहे हो कैसा लगेगा ।ये सोच के वो मुस्कुरा जाती है उसकी सारी परेशानी एक दम से छुमंतर हो जाती है पर दूसरे ही पल वो परेशानी फिर से आरोही के मन को घेर लेती है ।जब तक परेशनियों का हल नही निकल जाता हम कभी खुश नही रह सकते इसीलिए पहले अपनी परेशानी को हल करो और जीवन का आनंद लो ।
सब नास्ता करने बैठ गये थे पर राहुल ,आरोही और निधि बहुत घबरा रहे थे की आज कॉलेज में क्या होगा ।राहुल की तो गांड फट रही थी आज कॉलेज में जाने से ,कल उसने गुस्से में कुछ ज्यादा ही कर दिया पर अब क्या फ़ायदा बिता हुआ कल अब वापस नही आएगा । तीनो के ही चेहरे बता रहा थे की तीनो किसी गहरी सोच में डूबे हुए है तभी गरिमा उन सब को देख के बोलती है क्या हुआ तुम तीनो को ध्यान कहा है तीनो का खा कम रहे हो सोच ज्यादा रहे हो ।
निधि - कु...कुछ नही दीदी बस आज कॉलेज जाने का मन नही है तो वही सोच रही हूँ ।
गरिमा - अरे मन नही है तो मत जा इसमे सोचना क्या है और राहुल तु क्यों नही खा रहा है और तेरी ये लाडली बहना का भी यही हाल है बोलो
आरोही - कुछ नही दीदी भैया आज मुझे शॉपिंग पे ले जाने वाले है पापा से कुछ पैसे चाहिए अब भईया बोल नही पा रहे है वही हम दोनो सोच रहे हैं।
आरोही ने बहुत ही सफाई से झूठ बोल दिया राहुल और निधि को विश्वास नही हो रहा था आरोही इतनी साफ झूठ इतने आराम से बोल गयी ।
सुरेश - पैसे निकाल के राहुल को देता हैं और बोलता है इसमे हिचकिचाहट कैसी बेटा लो ये 5000 हज़ार और अपनी लाडली को अच्छे से शॉपिंग करवा देना ।
आरोही तो सच में सब कुछ भूल के खुश हो गयी की उसके झूठ से 5000 हज़ार रुपये मिल गये ।तभी सुरेश बोलता है ,मुझे कुछ दिनों के लिए मुझे सूरत जाना है
दुकान के लिया माल उठाने तो कोई शरारात मत करना।ये सब सुन बरखा बोलती है ,क्या जी यहा दिल्ली के सप्लायर अच्छा माल नही दे रहे है क्या ??
सुरेश - हाँ बरखा माल भी अच्छा नही मिल रहा है और मैं एक और नई दुकान का भी सोच रहा हूँ ताकि अपना बिज़नेस बढ़े और मेरे बच्चो को कोई तकलीफ ना हो ।
ऐसे ही बाते चलती रही और समय हो गया सब के जाने का ,और सुरेश पहले निकल गया उसके बाद राहुल ,निधि और आरोही आज एक साथ कॉलेज के लिए निकल जाते है ।कॉलेज पहुँच के जैसे ही कॉलेज में जाते है आज सब उन भाई बहन को ही देख रहे थे खास कर राहुल को वो एक हीरो बन के उभरा था जो कल तक एक फट्टू किस्म का लड़का था वो अचानक ही सब के दिल और दिमाग में छा गया था । तभी वो प्रोफ़ेसर जो रामदास का चमचा है राहुल को बोला प्रिंसिपल ऑफिस में आ जाना कुछ देर में और चला जाता है ।ये सुन तीनो ही घबरा जाते है क्या होगा अब तभी उनके पीछे से एक आवाज़ आती है ।
राहुल सुनो ना ये आवाज़ निशा की थी ।तीनो पलट के देखते है निशा उनके पास आकर बोलती है मैं कब से तुम लोगो का इंतेज़ार कर रही थी ।तीनो ही निशा को हाय बोलते है तभी निशा बोलती हैं देखा ना राहुल क्या किया तुमने कल वो प्रिंसिपल अपनी पुरी फ़ौज के साथ ऑफिस में इंतेज़ार कर रहा है पता नही क्या होगा ।ये सुन राहुल के साथ आरोही और निधि की भी गांड फट गयी पर राहुल ने अपने ऊपर डर को हावी नही होने दिया ।और बोला क्या कर लेगा वो प्रिंसिपल और उसके चमचे देख लूंगा सालो को और बोल के ऑफिस की तरफ चल देता है आज उसकी चाल में एक अलग ही स्टाइल थी जो पहले कभी नही थी वो एक शेर की तरह ऑफिस की तरफ चले जा रहा था ।ये सब सुन आरोही और निधि तो डर गयी थी पर निशा थोड़ा मुस्कुरा दी थी क्यों की आज उसने राहुल की मर्दानी देखी थी जो असल में काबिले तारीफ थी
ऑफिस के बहार पुरा कॉलेज इकट्ठा खड़ा था और अंदर बस राहुल ,विक्की ,अजय,निधि,आरोही के साथ प्रिंसिपल ,साथ में विधायक मनमोहन तिवारी भी था और 4 प्रोफ़ेसर जो तिवारी के चमचे ही थे ।राहुल ,और उसकी बहने खड़ी थी जब की बाकी सब बैठे थे ।तभी कमरे की शांति को एक आवाज़ ने भंग किया । क्यों रे छोकरे तेरे खून में बहुत गर्मी है ?? ये आवाज़ विधायक जी की थी जो राहुल की तरफ देखते हुआ बोला ,इधर अजय और विक्की तो आरोही और निधि की जवानी देखने में लगे थे आज दोनो ही मस्त पटखा बन के आयी थी टाइट जीन्स में टॉप कमाल लग रहा था।
राहुल कुछ बोला नही बस चुप खड़ा था की तभी प्रिंसिपल बोला ये भोसड़ीवाले की गांड में ज्यादा ही दर्द हो रहा था अपनी रंडी बहनो के लिए ये सुन राहुल का खून खौलने लगा ।आरोही और निधि भी रंडी शब्द सुन के शर्म से लाल हो गयी थी ।
तिवारी - क्यों बे बहनचोद कुछ बोलता क्यों नही है।तेरी बहन की झांट में लोड़ा दूँ ।
इधर राहुल का गुस्सा बढ़ता ही जा रहा था वो कुछ बोलता तभी निधि बोली हमें माफ़ कर दीजिये गलती हो गयी हमसे तभी आरोही बोल उठी, गलती क्या हुआ दीदी इस कमीने विक्की ने जो किया उसकी सजा मिली है और उसका बाप अपने कमीने बेटे की तरफदारी कर रहा है कितना घटिया इंसान है । वो ये सब एक सांस में बोल गयी ।ये सब सुन तिवारी भी अचंभित था की ये झांट भर की लौंडिया उसे समझा रही हैं।
अजय और विक्की कुछ बोलते उससे पहले ही रामदास बोला ,साली बहन की लोड़ी क्या गलत किया उन्होंने थोड़ा मज़ाक ही तो किया था इसमे थपड़ मरने की ज़रूरत क्या थी और रही तेरी बात तो तु बीच में नही आती तो तुझे कोई छूता भी नही समझी। तभी राहुल बोला मादरचोद रामदास तेरी बहन की चूत फाड़ दूँ भड़वे तिवारी के टट्टे
ये सुन सब ही अचंभित थे की ये क्या हुआ एक बच्चा ऐसा बोल गया।
विक्की - बहनचोद तेरी इतनी हिम्मत हमारे सामने खड़ा होकर हमको गाली देता हैं।
अजय - तेरी बहन की बुर यही चोद देंगे मादरचोद हिजड़े रुक तु तेरा इलाज़ करते है वो मरने जा ही रहे थे की तिवारी उन्हे रोक देता है ।
तिवारी - बहुत गर्मी है तुझ में और तेरी ये बहन आरोही की तरफ देख के बोला इसकी जवानी भी उबाल मार रही है ।इस साली को तो कोठे पे बैठा दूँगा और तु उसका दलाल होगा मादरचोद तिवारी को टक्कर देगा ।
इतने में ऑफिस के दरवाजे पे ठक ठक हुई ।और एक आवाज़ आयी दरवाजा खोलो जल्दी इस आवाज़ में एक कड़कपन था जो तिवारी को हिलाने के लिए काफी था तिवारी रामदास को देखते हुए कौन आया है बे ??
रामदास अपने प्रोफ़ेसर टट्टे को बोल के दरवाजा खुलवाता है और एक आदमी जिसके साथ 4 लोग और थे अंदर आते है ।ऑफिस के बहार खचा खच भीड़ थी ।
उसी भीड़ में निशा भी खड़ी होकर सुन रही थी ।तभी एक आवाज़ फिर आती है और तिवारी जी इलेक्शन जीते नही की गुंडा गर्दी चालू कर दिये तिवारी देख के हताश था की चंद्रभान सिंह का बेटा खुद आया है वो भी किसके लिए तभी विक्की बोलता है तु कौन है बे जो हीरो के माफिक अंदर आया और हँसने लगता है तिवारी विक्की को हँसता हुआ देख गुस्सा में आ जाता है ।
तिवारी जी अपने लौंडे को कुछ सिखाओ यार बिल्कुल ही चुतिया किस्म का है ।
तिवारी - उसकी तरफ से मैं माफ़ी मानता हूँ ये शब्द सुन सब अचंभित होकर देखने लगते है तिवारी जैसा कमीना भी किसी से माफ़ी मांग सकता है ।
विक्की - पापा ये कौन है जिस से आप माफ़ी मांग रहे हो
तभी रामदास बोलता है चुप हो जाओ बेटा बड़ो के बीच नही बोलते है समझा करो ।
सही बोले रामदास वैसे तुम्हारे नाम में राम है पर तुम्हारे अंदर रावण छुपा हुआ है
तिवारी - बात क्या है बताओगे
इन तीनो को जाने दो बस यही बात है ।इधर राहुल ,आरोही और निधि ये हमारे लिए आया है पर ये है कौन हम तो जानते ही नही है ।
तिवारी - तुम्हारा इनसे क्या रिश्ता है जो यहा आये हो
रिश्ता मत पूछिए तिवारी जी बस समझ लीजिये की इनको अब कोई परेशनी नही होनी चाहिए वरना आप परेशनी में आ जाओगे ।
विक्की - क्या बोला बहनचोद तु मेरे पापा को धमकी देता है हम भी देखते है तु यहा से उनको कैसे ले जाता है
तभी एक जोरदार पंच उसके मुँह पे पड़ता है ।वो गिर जाता है और उसके बाद दे लात दे घुसे लगातार उसके बदन पे जख़्म बना रहे थे ।इतनी पिटाई से विक्की की हालत खराब हो जाती है तिवारी खड़ा खड़ा देख रहा था
तभी एक जोर की आवाज़ आती है मैं उन्हे ले जाऊंगा ये समझ लो वरना मैं अपना महंगा जूता घिस के यहा नही आता । इस आवाज़ से कमरे में ही नही बहार खड़े लड़के लड़किया और प्रोफेसर काँप गये थे ।
तिवारी अपने बेटे को पकड़ते हुए ये करना ठीक नही था विशाल तुमने ठीक नही किया इनके लिए मेरे बेटे को मार कर ।
विशाल - तेरे बेटे को जवानी की आग ज्यादा थी इसलिये बुझा दी।
रामदास बात को संभालते हुए विशाल जी ठीक है आप ले जाओ कौन रुकेगा आपको कोई भी नही ।
विशाल ,चंद्रभान सिंह का छोटा बेटा है इसका बस एक ही काम है अपने पापा के दिये हुए हर काम को पुरा करना चाहे जो भी हो जाये । और जहा तक की चंद्रभान सिंह कौन है वो शहर का एक नामचिन गुंडा है जो इस काम के अलावा बहुत कुछ करता है ।
विशाल वहा से निकल जाता है राहुल ,निधि और आरोही धीरे से निकल जाते है ।
Superb update
 
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अचानक ही एक जोर का घुसा उसके मुँह पे लगा ।और आयशा से थोड़ी दूरी पे जा गिरा ।ये इतना अचानक था की उसके दोस्त भी कुछ समझ नही पाये और 3-4 घुसे और लात उनके मुँह और शरीर पे जा लगे । वो लोग भी ज़मीन पे पसर गये।उसने आयशा को पकड़ के उठाना चाहा तो आयशा ऑंखें बंद किये ही बोली मुझे छोड़ दे कुत्ते , आयशा आँखें खोलो मैं रोहन हूँ। वो आँख खोल के देखती उससे पहले ही रोहन पे गुड्डू के दोस्तों ने हमला कर दिया ।इधर आयशा रोते रोते ही रोहन को देखी और बोली मुझे बचा लो भैया ,इधर लगातार मार खाने से रोहन की हालत खराब होने लगी। तभी गुड्डू उठ खड़ा हुआ और बोला मारो मादरचोद को और मारो इतना मारो की रंडी के पिल्ला मर जाये ।और आयशा को पीछे से पकड़ के उसकी चूची को मसलने लगता हैं इस अचानक हुए हमले से आयशा चिहूँक उठी और बोली साले हरामी छोड़ मुझे , आयशा गुड्डू से बचने का प्रयत्न किये जा रही थी। इधर आयशा की आवाज़ सुन के रोहन पूरे गुस्से में आग बबूला हो गया और जैसे तैसे अपने आप को संभाल के दोनो का मरने लगा ।इधर गुड्डू उसके बालों को पकड़ के खींचता हुआ ले जाने लगा तभी रोहन को एक ईट मिल जाती हैं जिससे उन दोनो को मरने लगता हैं । आह्ह..ये चींख एक लड़के की होती हैं उसका सर फट चुका था खून तेज़ी से निकलने लगा तभी दूसरे को भी रोहन लपेटे में ले लेता हैं और उसके भी सर पे दे मरता हैं उसका भी सर फट जाता हैं वो दोनो ही ज़मीन पे जा गिरते हैं ।इधर गुड्डू आयशा को पटकर उसके घाघरें को उठा के उसकी कच्छी को उतर ही रहा था की रोहन ने गुड्डू को भी एक ईट दे मारी और वो दूर जा गिरा उसका मुँह फट गया और खून निकलने लगा ।
रोहन और मरता उससे पहले ही उसने एक पिस्तौल निकल ली और रोहन पे तान दी और बोला मादरचोद साले रंडी के पिल्ले तू मारेगा मुझे ।मैं तेरी बहन को तेरे ही सामने चोद के अपनी रखैल बनाऊंगा भड़वे और पिस्तौल का ट्रीगर दबा देता हैं तभी रोहन दूसरी तरफ हो जाता हैं और गोली सीधा एक पेड़ पे लगती हैं ।गुड्डू ये देख के फिर से ट्रीगर दबाता की तभी आयशा उसकी आँखों में मिट्टी फेंक देती हैं जिससे वो इधर उधर लड़खड़ते हुए ट्रीगर दबा देता हैं गोली सीधा रोहन को छूकर निकल जाती हैं तभी आयशा को एक लकड़ी का डंडा दिखाई देता हैं वो उठाकर उसके सर पे दे मारती हैं और गुड्डू की एक चीख़ निकल जाती हैं और वो ज़मीन पे निचे गिरकर बेहोश हो जाता हैं
सब कुछ एक दम शांत हो जाता हैं भरी दोपहर को जंगल के सन्नाटे में नदी के पानी की एक आवाज़ आ रही थी की तभी आयशा एक दम से रोहन से जाकर लिपट जाती हैं ।रोहन भी आयशा को अपनी बाहों में दबोच लेता हैं दोनो ही रोते हुए एक दूसरे के बदन को रगड़ रहे थे।आयशा बस जोर जोर भैया...भैया बोल के
रोते जा रही थी ,रोहन की भी आँख भीग गयी थी। आँखों में आँसू लिए बोला क्यों आयी थी तु यहाँ ,बोला था ना घर से दूर नही जाना हैं।
आयशा तो बस रोये जा रही थी उसको बहुत सुकून मिल रहा था की उसका भाई आज नही आता तो क्या होता वो बस रोहन से लिपटे हुए थी ।तभी रोहन को एहसास होता हैं की आयशा की पीठ पुरी नंगी हैं वो उसकी नंगी पीठ से हाथ हटा लेता हैं ।कुछ देर ऐसे ही आयशा रोहन से लिपटे हुए रोते रही ।और आयशा को भी जब एहसास हुआ की वो अध खुली ब्रा में खड़ी अपने भैया से लिपटी हैं तो एक अजीब से एहसास ने उसे घेर लिया दोनो ही कुछ बोलने की परिस्थिति में नही थे की तभी रोहन बोला की क्यों आयी तुझे मना किया था ना ,आयशा कुछ बोली नही तो रोहन ने उसके बदन को छु लिया और इस छुवान ने आयशा के बदन में आग में घी का काम किया वो मचल गयी और अपने भैया से जोर से लिपट गयी ।इधर रोहन भी एक अजीब से कशमकश में था की आरोही बोली भैया ब्रा का हुक लगा दो ना ।ये सुनते ही रोहन ने आयशा के पीठ को छूने लगा और उस छुवान से आयशा को आनंद आने लगा रोहन हुक का तो पता नही पर उसकी पीठ की गर्माहट से उसके हाथ कांपने लगे थे उसने ब्रा की हुक को जैसे तैसे पकड़ के लगा के अपने हाथ हटने को हुआ ही था की उसको कल रात की बात ने घेर लिया और अचानक ही रोहन ने ब्रा का हुक खोल दिया ।और पीठ सहलाने लगा इस मधुर एहसास से आयशा की आह्ह्ह .. निकल गयी और वो एक दम से रोहन से अलग होकर उसको देखने लगी दोनो ने एक दूसरे को देखा और मुस्कुरा दिये ।आयशा लाल रंग की अध खुली ब्रा में रोहन के सामने सर झुकाये खड़ी थी । तभी रोहन बोला क्यों आयी यहाँ जब मना किया था । कुछ हो जाता तो क्या होता सोचा हैं तूने कभी ,तभी एक हलकी आवाज़ में आयशा बोली आप खान खाने नही आये तो मैं आपको ढूढ़ने चली आयी ।रोहन फिर से बोला इसकी क्या ज़रूरत थी पगली मैं तो घर ही आने वाला था ।
मुझे लगा आप कल रात वाली बात से नाराज़ हो गये हो इसीलिए आपको ढूढ़ते हुए आयी थी ।रोहन बोला मैं नाराज़ नही हूँ बहना में तो सोच के परेशान था की मैंने तुझको नाराज़ कर दिया हैं ये सुन आयशा ने बोला ऐसा कुछ नही हैं और अपनी ब्रा उतार के निचे गिरा देती हैं और बोलती हैं लो देख लो अपनी बहन की जवानी यही मेरी सजा हैं । अचानक हुए इस एहसास से रोहन की तो आँखे बहार आ गयी वो आयशा की चूची को आँखे फाड़ के देख रहा था जिस चूची को देखने के लिए वो सालों से इंतज़ार कर रहा था वो आज अचानक इस तरह देखने को मिल जाएगी उसने सोचा नही था ।
उसने आयशा को देखा तो वो मुस्कुरा रही थी ।आयशा ने आँख मारी और बोली दे दो सजा और मुस्कुरा दी ।रोहन ने भी आव देखा ना ताव आयशा की चूचियों पे टूट पड़ा और चूसने लगा। अपनी चूची पे पहली बार किसी मर्दान मुँह को पाकर आयशा सिसक उठी और उसके मुँह से एक मादक आवाज़ निकली आह्ह्ह...भैया
वही रोहन चूची को मज़े लेकर चूस रहा था ।हम्म्म.. वो चूची के निप्पल पे जीभ घूमने लगा उस मधुर एहसास से आयशा की आहे जंगल के उस सन्नटे में एक मधुर संगीत का काम कर रही थी ।रोहन ने निप्पल को मुँह में भर स्तनपान करने लगता हैं। आह्ह्ह ...भैया मेरे प्यारे भैया ,रोहन तो मदहोश हो चला था उसे कुछ भी होश नही था और ना आयशा को था की कोई उन्हे देख भी सकता हैं रोहन कभी जीभ से तो कभी होंठ से निप्पल को छेड़ता जिससे आयशा की सिसकियाँ निकल जाती । आह्ह ..भैया सजा दो मुझे यही सजा है मेरी की मेरे भैया मेरी जवानी भोगे आह्ह्ह..चुसो भैया आप के लिए ही हैं मेरी ये जवानी आह्ह्ह राजा भैया..! रोहन बारी बारी दोनों ही चूचियों को चूसे जा रहा था दोनों ही वासना की चपेट में आ चुके थे हवस उनके शरीर को अपने गिरफ्त में ले रही थी ।
काफी देर तक भरी दोपहर में नदी के किनारे एक बहन अपने भाई को अपनी जवानी का रस पिला रही थी ।
आयश की बूर इधर रिसने लगी थी बूर में गीला पन पूरे सबाब पे पहुंच चुका था ।इधर रोहन का लंड भी अकड़ने लगा था। धूप बहुत तेज़ थी दोनों ही पसीने से तर बदर हो चुके थे। रोहन निप्पल से खेलने में खोया हुआ था की एक आवाज़ उसके कानो में गयी भैया कोई देख लेगा ।इस आवाज़ से रोहन ने सर उठा के आयशा को देखा वो पसीने से भीग चुकी थी रोहन ने तुरंत आयशा को उठा लिया और नदी के पास बने पुराने पूल के निचे ले गया जहाँ कुछ देर पहले रोहन सोया हुआ था ।वहा बड़े बड़े पेड़ के पत्तों का बिस्तर लगा था ।साथ में नदी का पानी और ठंडी हवा का झुका किसी का भी मन मोह ले ।वो आयशा को लेकर गया और बिस्तर पे लिटा दिया और चूचियों को फिर से चूसने लगा । फिर से आयश सिसकियाँ लेने लगी ।
रोहन ने आयशा को देखा तो वो शर्म से आँखें बंद कर ली ।तभी रोहन आयशा के होठों को देखने लगा गुलाबी रंग की लाली लगाए उसको होंठ रोहन के लंड में झुरझुरी लगाने लगा उसने एक दम से अपने होठों को आयशा के होठों से मिला दिया । दोनों को जब एक दूसरे के होठों का एहसास हुआ तो दोनों का बदन मचल गया और दोनों ने एक दूसरे को कस के पकड़ के होठों के आपस में रगड़ने लगे दोनो ही एक दूसरे के होठों को खा जाना चाहते थे ।आयशा तो अनाड़ी थी पर रोहन तो कई बूरों को ठिकाने लगा चुका था पर ऐसा मज़ा उसे कभी नही आया था ।अपनी सगी बहन के होठों को चूसने में वो मदहोश हो चुका था ।आयशा भी अपना मुँह खोल के रोहन की जीभ अपनी मुँह में भर लेती हैं इधर रोहन भी अपनी जीभ को आयशा के मुँह में घूमने लगता हैं दोनों की जीभ में एक लड़ाई चल रही थी ।एक दूसरे का थूक पीकर दोनो ही आनंदित हो चले थे ।
अब आयशा की साँसे फूलने लगी तो उसने रोहन को मुक्का मरने लगी रोहन को तो कुछ होश ही नही था अंत में जाकर आयशा ने रोहन को धक्का दिया तो रोहन आयशा के होठों को ही चूस रहा था की वो एक दम से पीछे हुआ जिससे आयशा के होंठ रोहन के दाँत में आ गये और हलका कट उसके होठों में गया।और आयशा की एक आह्ह्ह निकल जाती हैं आह्ह्ह.. भैया और जोर जोर से साँसे लेने लगती हैं तभी रोहन बोलता हैं क्या हुआ आयशा।
आयशा सांस लेते हुए बोली मार दोगे क्या सांस तो लेने दो कितने भूखे हो आप और मुस्कुरा देती हैं इस बात को सुन रोहन भी मुस्कुरा जाता हैं । आयशा शर्म की लाली लिए कितनी अच्छा जगह हैं ना भैया ।रोहन को कुछ ना बोलता देख आयशा बोली चलो घर चलते हैं ये सुनते ही रोहन तुरंत बोला और तेरी सजा का क्या होगा ।इस बात पे आयशा मुस्कुरा के बोली तो सजा दे दो ।और फिर से दोनों चूमने लगते हैं । इधर रोहन होंठ चूसने के साथ साथ आयशा के चूचियों से भी खेलने लगा था ।दोनो ही मस्ती की चरम सीमा पे पहुंच चुके थे । वो कब नग्न हो गये उनको खुद ही एहसास नही हुआ ।इधर गुड्डू फोन नही उठा रहा था तो उसके बॉस को चिंता होने लगी वो तुरंत ही नदी के लिए निकल गया और पहुंच के देखा तो गुड्डू बेहोश पड़ा था उसके सर पे एक चोट लगी थी।उसने गुड्डू को उठाया और अपने दोनों लड़को भी भी तैसे तैसे लेकर वहा से निकल गया ।इधर कुछ ही दूरी पे भाई बहन अपनी हवस मिटाने में लगे हुए थे ।रोहन आयशा के पूरे बदन चूम चूम ले लाल कर चुका था उसका अंग अंग थूक से भीग गया था ।रोहन ने टाँगे खोल के बूर देखना चाह पर आयशा शर्म के मारे बूर पे हाथ रख ली ।रोहन ने उसके हाथों को चूम के बोला जान हटाओ ना हाथ, मुझे स्वर्ग का रास्ता देखना हैं आयशा शर्म के मारे आँखें बंद किये हुए ही हाथ की पकड़ ढीली कर देती हैं रोहन भी बुर देखने के लिए बहुत उत्सुक था ।उसने जल्दी से हाथ को हटा के बुर को देखने लगा ।बूर हलकी झांटे से भारी हुई थी ।उसकी आँखें तस से मस नही हो रही थी वो पलक झपकाना तो भूल ही गया था ।तभी आयशा ने आँखें खोल के देखते हुए बोली क्या हुआ भैया अच्छा नही लगा क्या उसकी आवाज़ में एक चिंता थी ।रोहन मुस्कुरा के आयशा को देखा और बोला ये तो वो खजाना हैं ।जिससे आयशा मुस्कुरा दी ।
रोहन बूर को चूमने लगता हैं ,अपनी बूर पे रोहन का मुँह का एहसास पाकर वो एक लम्बी सांस के साथ एक आह्ह्ह भरती हैं । आह्ह्ह ...भैया।
रोहन बूर को चाटने लगा बूर पे हलकी झांटे उसकी सुभा बढ़ा रही थी ।वो झांटो को हटा के बूर के छेद पे जीभ घूमता हैं जिससे आयशा की सिसकरी निकल जाती है।
दोनो ही हवस में अंधे हो चुके थे ।रोहन वासना में आकर झांटों को भी चाटने लगा और अपना मुँह उनमे रगड़ते हुए बोला आह्ह..आयशा और बूर को खोल के देखने लगा अंदर का गुलाबी फांक देख रोहन का लंड पुरी तरह सख्त हो चुका था। उसने जीभ को छेद में घुसा दिया और लापा लाप जीभ घूमने लगा बुर बहुत कसी हुई थी ।पर जितना हो सकता था रोहन अपनी जीभ घुसने में लगा हुआ था ।
आह्ह्ह ... भैया उम्म्म...चाटो भैया आउच आराम से करो ना ,रोहन बूर को थूक से पुरा गीला कर चुका था उसने लंड पे ढेर सारा थूक मल के बूर पे रख के जोर से धक्का दे मारा लंड बूर को चिरता हुआ आधा अंदर समा गया इस जोरदार प्रहार को आयशा संभाल नही पायी और जोर से चिल्ला उठी आह्ह्ह.... भैया.... फट गयी ।रोहन ने आयशा को देखा तो उसकी आँखों में आँसु आ गये थे ।रोहन ने लंड थोड़ा बहार करके एक और जोरदार झटका दे मारा और इस बार आयशा बुरी तरह बिन पानी मछली की तरह छटपटा के रह गयी ।उसकी आँखों से आँसू निकलने लगे थे वो रोने लगी थी ।और रोते हुए बोली आह्ह्ह.. भैया निकल दो बहुत दर्द हो रहा हैं ।रोहन ने आयशा को देखा और उसके आंसुओं को अपने मुँह भर लिया और बोला जान पहली चुदाई का दर्द तो सहन करना पड़ता हैं और अब तो तुम कली से फूल हो चुकी हो ।ये सुन आयशा के चेहरे पे हलकी मुस्कान आ जाती हैं ।
रोहन भी धीरे धीरे लंड अंदर बहार करने लगता हैं ।आउच भैया दुखता हैं धीरे करो ना ।रोहन रुक जाता हैं और उसको चूमने लगता हैं कुछ देर के बाद चूमते चूमते ही कमर चलाने लगता हैं और अब आयेशा को थोड़ा अच्छा लगने लगता है आह्ह्ह.. भैया ।रोहन अब जोर जोर से बूर चोदने लगा थोड़ी देर में ही बुर पानी छोड़ने लगी वो चिकनापन बढ़ गया और अब लंड आराम से बुर की गहराई में उतर रहा था ।आह्ह्ह...आयशा मज़ा आ रहा हैं ना ।हाँ भैया बहुत मज़ा आ रहा हैं आह्ह ... भैया चोदो अपनी बहन को उफ्फ्फ..कितना मज़ा आता हैं चुदवाने में आहह..राजा भैया भोग लो मेरी जवानी को आह्ह्ह...भैया।
आज आयशा ने अपना कौमार्य अपने भैया को सौंप दिया था दोनों ही चुदाई के खेल का आनंद लूट रहे थे ।रोहन का सपना आज पुरा हो गया था वो घपा घप पेले जा रहा था और आयशा भी मस्ती में सिसकियाँ लेते हुए चुदवा रही थी ।दोनो ही जोर जोर से साँसे ले रहे थे नदी के किनारे हवा के ठंडा झुका का चुदाई को और आनंदित कर रहा था । ऐसे ही चुदाई चलती रही और दोनों चरमसुख लेने के करीब थे की आयशा का शरीर काँपने लगा और वो जोर से चिल्लाने लगी आह्ह्ह .. भैया मुझे कुछ हो रहा हैं आह्ह्ह ...करते हुए झड़ने लगी और ढीली पड़ गयी और रोहन अभी भी बुर में धक्के मारे जा रहा था ।अब आयशा को बूर में जलन होने लगी। वो बोलने लगी भैया निकल दो जल रहा हैं अंदर पर रोहन तो अपनी ही धुन में था उसने चोदना बंद नही किया और कुछ ही समय में उसका लंड अकड़ने लगा और लंड बूर के अंदर ही पिचकारी मरने लगा आह्ह्ह ... आयशा रंडी मेरी बहन कहक आयशा पे गिर पड़ा ।आयशा ने रोहन को झटक के गिरा दिया और दोनो काफी देर तक लेट रहे ।तभी आयशा बोली क्या बोला था अपने में रंडी हूँ।रोहन आयशा को देखता हैं और मुस्कुरा के बोलता हैं माफ़ कर दे आयशा वो चुदाई की मस्ती में निकल गया ।और चुदाई में गाली ना दो तो मज़ा कैसा ये सुन आयेशा भी मुस्कुरा देती हैं और बोलती हैं आप सच में बहुत गंदे हो ।और झूठा गुस्सा दिखाते हुए बोली अपनी बहन के साथ भला ऐसा करता हैं क्या छी.. तभी रोहन उसके ऊपर आ जाता हैं और बोलता हैं जब बहन इतनी मस्त हो तो भाई कैसे बहनचोद ना बने ।ये सुन दोनों ही मुस्कुरा के चूमने लगते हैं ।थोड़ी देर की होंठ चुसाई के बाद आयशा बोली भैया घर नही चलना हैं क्या ।रोहन ने समय का अंदाजा लगाए तो पता चला की शाम होने वाली हैं ।वो जल्दी से उठकर बैठ गया और अपने लंड को देखा लंड पे हलका खून लगा था और साथ में वीर्य भी ,आयशा उठने को हुई तो उसकी चूत में एक तेज़ दर्द हुआ और उसकी आह्ह्ह निकल गयी ।जैसे तैसे वो बैठी तो पत्ते पे लाल और सफ़ेद सा कुछ देख के डर गयी और बोली ये क्या हैं ।
रोहन मुस्कुराया और बोला ये हमारे मिलन की निशानी हैं जान तभी आयशा लंड को देखती हैं उसपे भी खून लगा था वो ये देख मुस्कुरा देती हैं ।और बोलती हैं आप गंदे भैया हो और नदी में डुबकी लगा देती हैं रोहन भी नदी में कूद जाता हैं दोनो मस्ती में नंगे होकर नहा रहे थे आज आयशा बहुत खुश थी पर उसकी खुशी को ग्रहण लगने वाला था ।वो जल्दी से नहा के कपड़े पहन ने लगे की तभी आयेशा को दोपहर की बात याद आयी जो चुदाई के समय बिल्कुल ही भूल गयी थी की उसकी चोली तो फट चुकी हैं अब घर पे क्या बोलेगी ।रोहन भी अब परेशान होने लगा की वो जल्दी से अपनी कमीज को आयशा को पहना दिया और चल दिये फटी हुई चोली उठने ।वहा पहुंच के चोली उठा ली पर वहा कोई नही था ।तभी आयेशा बोली भैया वो लोग कहाॅं गये ।कही भी गये तु क्यों फिकर करती हैं और घर को चल देते हैं ।




Superb update
 
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Incestlala

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राहुल को होश आने लगा था पर वो अभी भी अपनी आँखें पुरी तरह से अपनी आँखें नही खोल पा रहा था।
उसने नज़रे दौड़राई और देखा तो चारों तरफ कूप अंधेरा था । कुछ भी दिखाई नही दे रहा था ।
तभी किसी के कदमों की आहट उसके कानों में गयी ।दरवाजा खुलने की आवाज़ हुई और एक तेज़ रौशनी कमरे में फैल गयी पुरा कमरा प्रकाश में नहा गया ।
तभी राहुल पे पानी की बाल्टी उड़ेल दी गयी ।
आह कौन हैं वो लड़खड़ती हुई जुबान में बोला। वो पानी से होश में आया और आँखें खोले देखने लगा उसके सामने चार मर्द खड़े थे वो उनको देखे जा रहा था । वो उठने की कोशिश करने लगा पर उसके हाथ पैर बन्दे हुए थे वो जोर से चिल्ला के बोला कौन हो तुम मेरी बहन कहा हैं ।

" सवाल मैं करूंगा तु बस जवाब देगा एक भारी सी आवाज़ उन चारों मर्दों के पीछे से आयी। राहुल ने नज़रे गड़ा के देखना चाहा वो देख के चौंक गया ।और बोला आप।
" आपने मुझे क्यों बंधा हुआ हैं मेरी बहन कहा हैं ?
" लगाता हैं तुमने सुना नही सवाल मेरा होगा जवाब तुम्हरा ।

"उसके लिए एक कुर्सी लगायी गयी वो आकर बैठा बाकी लोग बहार चले गये । राहुल गुस्से से जल रहा था उसकी आँखें गुस्से से लाल हो रही थी ।अपनी आरोही को देखने के लिए तपड़ रहा था की फिर उस आदमी ने कुछ कहा ।"
" निशा को कब से जानते हो ??
" राहुल बस एक टक देखता रहा और बोला आपका निशा से क्या मतलब हैं आप उसके बारे में क्यों पूछ रहे हो ।
" वो आदमी गुस्सा होते हुए बोला लगता हैं तु ऐसे नही मानेगा वो उठा और उठकर जाने लग ।
"तभी राहुल बोला में बस बता दूंगा पर मेरी आरोही कहा हैं ये बता तो बस प्लीज ।
" वो बैठा और बोला मेरे सवालों का जवाब दो फिर आरोही के बारे में जो पूछना चाहते हो पूछ लेना बस इतना जान लो वो अभी सही सलामत हैं ।
" तो पूछिए क्या पूछना है आपको राहुल निराश होकर बोला ।
" निशा को कब से जानते हो और तुम्हारा क्या रिश्ता हैं उससे ??
" जी वो निशा और मैं एक ही कॉलेज में पढ़ते हैं । पर उससे पहले ही मैं निशा को जानता था। क्योंकि हम एक ही स्कूल में भी साथ पढ़ते थे । और वो मेरी सबसे अच्छी दोस्त हैं ।
" और बताओ ?
" और कुछ नही जो हैं बता दिया ।
" चुतिया समझता हैं तु मुझे तु वही राहुल हैं ना जिसको किसी तिवारी नाम के विधायक ने परेशान किया था । सिर्फ दोस्त होते तो निशा रो कर मुझे कॉल नही करती ।और इतना जल्दी वो किसी के लिए सहयता नही लेती पर तुम्हारे लिए लिया ।


ये सुनते ही राहुल चौंक गया उसका मुँह खोला रह गया और सामने वाले आदमी को देखे जा रहा था अब वो सब समझ गया था की उस दिन अचानक ही कोई उसे और उसकी बहनों को कोई बचाने कैसे आया तो वो निशा ने किया पर कैसे वो इतने बड़े आदमी को कैसे जानती हैं पुरानी सारी बातें उसके दिमाग़ में घूमने लगी कही निशा इनकी बेटी तो नही ,तिवारी की वो बात उसको याद आ गयी
"तभी वो आदमी बोला बता बात क्या हैं ।
" आप को निशा क्यों कॉल की क्या रिश्ता हैं आपका ??
" चुप साले सवाल में करूंगा जवाब तु देगा समझा ।वरना तेरी उस लौंडिया क्या नाम था आरोही याद हैं ना ।
" राहुल थोड़ा घबरा गया था वो बोला निशा और मैं एक दूसरे को प्यार करते हैं मैं उसको बहुत चाहता हूँ वो एक दम से बोल गया ।
" एक हलकी मुस्कुराहट लिए वो आदमी बोला हम्म.. तो ये भी बता की उस तिवारी के लड़के तुझे और निशा को अभी भी परेशान कर रहे हैं ।
" जी हैं वो पता नही हमारा पीछा नही छोड़ रहे हैं वो हमको परेशान करते ही रहते हैं ।
" तु निशा को सच्चे दिल से चाहता हैं या ऐसे ही मज़े लेने का सोच रहा हैं सच बता ।
" जी मैं निशा को बहुत चाहता हूँ मैं उसको बोल नही पाया कभी पर मुझे उससे बहुत प्रेम हैं उसकी आँखें नम हो गयी थी ।
"एक हलकी हंसी गूँजी ।राहुल उधर ही देखने लगा । वो आदमी बोला अच्छा सही हैं और जाने लगा ।
" रुको मेरी बहन कहा हैं मुझे खोलो प्लीज । वो रोता रहा पर वो चला गया ।


***********

इधर निशा ने राहुल को कई कॉल किये पर उसका वो एक भी कॉल नही उठा रहा था । निशा परेशान हो गयी थी ना राहुल आया ना ही आरोही वो सोच ही रही थी की पीछे किसी ने उसके गांड पे हाथ लगा दिया । वो पलट के देखी तो विक्की और अजय खड़े थे ।
"हाये क्या मस्त मुलायम चुतर हैं विक्की बोला ।
" निशा ने गुस्से से उसको देखा और बोली लगता हैं तेरे दिन फिर गये हैं जो तु मुझे छूने की हिम्मत की हैं।
" जाने मन उस नपुंसक में क्या रखा हैं एक बार हमसे चुदवा के देखो ना । विक्की ने ये बोला और दोनों हँसने लगे ।
" हरामज़ादे बोल के निशा निकल गयी ।


"इधर आरोही को होश में लगया गया वो होश मैं आते ही चिल्लाने लगी कौन हो तुम लोग, कहा हूँ मैं छोड़ दो मुझे ,मेरे भईया कहा हैं ।"
" चुप एक दम चुप दोनों सही सलामत हो कुछ देर में घर छोड़ देंगे । उसका मुँह बंद कर दिया आँखों पे पट्टी बाँधने लगे तो आरोही छटपटाने लगी। पर जैसे तैसे हाथ और चेहरा ढक के गाडी में बैठा दिया ऐसा ही राहुल के साथ भी किया गया और उसको भी गाडी में बैठा दिया । करीब आधे घंटे के बाद उनको उतार के उनके हाथ खोल दिये और चले गये ।आरोही और राहुल ने अपने चेहरे से कपड़ा हटाया और दोनों ने एक दूसरे को देखा और गले लग गये ।दोनों की आँखें नम होने लगी।
"तु ठीक तो हैं ना आरोही...वो उसके बदन को इधर उधर करके देखा ।
" हाँ भईया में ठीक हूँ आप तो ठीक हो ना।
" तुझे किसी ने कुछ किया तो नही किसी ने मारा हो सवाल किया हो ।
" नही भइया कुछ नही हुआ हैं मैं तो बेहोश हो गयी थी। जब उठी तो एक बड़े से बेड पे सोई हुई थी । और मुझे तो जूस भी दिया गया ।
राहुल समझ जाता हैं की ये सब उससे पूछने के लिए किया गया था इसमे आरोही कुछ नही जानती ।
" वो लोग कौन थे भइया, थे तो कमीने पर जूस और खाना देने का समझ नही आया ।
" पता नही कौन थे ।
"वो आरोही से झूठ बोलता हैं और जब उनकी नज़र आस पास के घरों पे जाती हैं तो वो हैरान थे ये तो उनका ही मोहल्ला हैं और सामने ही उनका घर भी था । दोनों खुशी से एक दूसरे को देखे और घर की तरफ चल दिये । उसने आरोही को ये बात ना बताने के लिए बोल दिया । आरोही ने भी सर हाँ में हिला दी ।

निधि ,आयेशा और रोहन कैरम खेल रहे थे की दरवाजे की घंटी बजी और रोहन खोलने गया ।
" कौन हैं रोहन निधि ने दूर से ही पूछा ।
" कौन होगा दीदी मैं हूँ आरोही ने अपने स्टाइल मैं बोली ।
" अच्छा ये महारानी और महाराजा आये हैं चलो बैठ के आराम करो फिर खाना खुद ही निकाल के खा लेना देखो हमारा खेल चल रहा हैं ।

राहुल और आरोही सड़ा हुआ मुँह के कमरे में चले जाते । आरोही बिस्तर पे पसर के सो जाती हैं पर राहुल तो किसी और आग में ही जल रहा था ।उसने निशा को कॉल करने के लिए अपना फोन ढूढ़ा पर मिला नही ।उसे याद आया कही उनके घर पे तो नही रह गया । वो सर पकड़ के बेड पे बैठता बोला। लग गये लोड़े...

*******

इधर ऑफिस में गरिमा आज कपिल से आँख नही मिला पा रही थी पर आज आकाश से उसकी अच्छी दोस्ती हो गयी थी दोनों ने आज काफी समय साथ ही गुज़ारा उधर कपिल अपने केविन में बैठा गरिमा की चुदाई के सपने में खोया हुआ था ।
शाम हो चली थी राहुल तैयार होकर निकलने वाला होता हैं की रोहन उसको बोलता कहा जा रहा हैं मुझे भी साथ ले यार ।
" आता हूँ फिर चलते हैं ।

पलक ने गरिमा से कॉल पे बात कर रही थी ।
" क्या सोचा साली तूने बताई भी नही नाराज़ हो गयी हैं ।
" नहीं यार तुझसे कैसी नाराज़गी पर मैं अभी तक सोच नही पायी हूँ मैं रात को बताती हूँ ।
" चल ठीक हैं कोई जबरदस्ती नही हैं तु सोच के बता देना जब मैं तो तेरा भला सोच के बोली थी ।

*******

निशा की आँख दरवाजे की घंटी से खुलती हैं वो जाकर दरवाजा खोलती हैं । तो सामने राहुल खड़ा था उसको देख वो हैरान होती हैं। पर राहुल गुस्से से आग बाबूला हुए जा रहा था वो निशा को पकड़ के दरवाजा बंद किया और निशा को बिस्तर पे पटक दिया ।
" राहुल ये क्या मज़ाक हैं
" चुप बिल्कुल चुप अब सवाल में करूंगा तुम बस जवाब दोगी ।

"निशा राहुल की ऐसी हरकत से आँखें फाड़े ही उसको देख रही थी । वो कुछ बोलना चाहती थी पर बोल नही पा रही थी ।"

" ये बताओ योगराज देशमुख कौन हैं तुम्हरा ??
ये सुन निशा की आँखें बड़ी हो जाती हैं वो कुछ नही बोलती हैं तो राहुल गुस्से से उसको पकड़ के उसकी गांड पे जोर से मरता हैं ।।वही निशा की एक दर्द भरी आह्ह्ह निकल जाती हैं । उसकी आँखें नम हो चुकी थी ।वो राहुल को अपनी नम आँखों से देखती हैं और बोलती हैं तुम जानवर हो क्या ये क्या कर रहे हो । मुझे दर्द होता हैं । मैं भी इंसान हूँ हर कोई मुझे बस जानवर समझता हैं तुमपे भरोसा किया था की तुम एक अच्छे इंसान हो पर तुम भी एक जानवर ही निकले राहुल वो रोने लगती हैं ।
राहुल का मन भी ऐसा नही था वो तो बस आज हुए घटना से गुस्से में था उसने निशा को देखा उसकी आँखों में आंसु आ चुके थे ।पर वो बहार आकर गिरते की राहुल ने उसपे होंठ लगा दिये और वो उसके होठों से मुँह समा गये । निशा को जब ये एहसास हुआ तो वो राहुल से दूर होकर उसको देखी ।राहुल की आँखें भी भीग चुकी थी । उसको विश्वास नही हो रहा था की उसके दर्द से राहुल को भी दर्द होता हैं ये देख वो हलकी सी मुस्कुरा दी । और बोली ।

" तुम क्यों रो रहे हो तुम तो मुझे मरने आये हो ना बिना कुछ जाने लो मार लो वो अपनी गांड उभार दिखाते हुए बोली ।

जिसे देख राहुल ने उसपे हाथ रखा और निशा डर गयी पर राहुल ने आहिस्ता से एक ऊँगली गांड की दरार में घुसा दी जिससे निशा के मुँह से आउच निकल गया और वो जब समझी तो मुस्कुरा दी राहुल ने गोलाईयों को सहलाया और चूम लिया । निशा मचल के रह गयी । जहाँ कुछ देर पहले गुस्सा और नफरत थी अब वही प्यार और सिर्फ प्यार था ।दोनों ने एक दूसरे को देखा और मुस्कुरा दिये ।

" माफ़ कर दो निशा वो मैं गुस्से में कुछ ज़्यादा ही कर दिया ।
" निशा कुछ नही बोली ।तो राहुल ने उसकी गांड में फंसी हुई ऊँगली को हलके से आगे पीछे किया और निशा की आह्ह निकल गयी ।
"वो राहुल को देखी और बोली क्यों किया गुस्सा जब इतना प्यार करते हो तो ।
" तुम्हारे पापा की वजह से उसने एक सपाट उतर दिया।

जिसे सुन निशा का चेहरा मुरझा गया । और पर दूसरे ही पल वो जब समझी की राहुल क्या बोला तो वो आँखे। बड़ी करके बड़ी तुमको कैसे पता मेरे पापा कौन हैं

" मुझे पता हैं तुम गृहमंत्री योगराज की बेटी हो
" निशा तो जैसे कुछ बोल ही नही पायी की राहुल ये कैसे जानता हैं वो तुरंत अलग हुई और बोली तुमको किसने बताया ।
" राहुल मुस्कुरा के बोला अपने बाप से ही पूछ लेना जाने मन आरोही और मुझे किडनैप करवाया था ,अब उसकी बेटी चोद के बदला लूँगा ।
" निशा मुस्कुरा दी और बोली छी... तुमको शर्म नही आती हैं ऐसी गंदी बातें करने में , और उन्होंने किडनैप क्यों किया और कब??
" राहुल पुरी बात बता देता हैं कैसे उसको और आरोही को पकड़ा और बेहोश किया और तुम्हारे बारे में सवाल पूछा गया ।

ये सब सुन निशा गुस्सा होने लगती हैं ।उनकी हिम्मत कैसे हुई तुमको इस तरह अगवा करने की वो जल्दी से फोन उठा के कॉल करने वाली होती हैं की राहुल उसको पकड़ के रोक देता हैं ।
"
" मत करो कॉल मेरे जाने के बाद करना और ये बताओ की वो निशा को अपने पास बैठा के बोला ।की तुम इस तरह छुप के अकेले क्यों रहती हो जब इतना परिवार हैं तो,
" वो परिवार मेरा नही हैं राहुल । वो भावुक होकर बोली
" राहुल को कुछ समझ नही आया और बोला कुछ समझा नही कहना क्या चाहती हो ।
" क्या सुनना चाहते हो ?
" यही की इतने बड़े घर की बेटी इस तरह छुप के क्यों रहती हैं ।
"तुम जानना चाहते हो तो सुनों मेरी माँ एक रखैल थी । योगराज की रखैल जिसके जिस्म से अपनी भूख मिटाता था पर एक दिन वो पेट से हो गयी और मैं उनकी कोख में आ गयी थी । जैसे तैसे मेरा जन्म हुआ और कुछ सालों के बाद माँ चल बसी पर उनके जाने के बाद मेरे साथ जानवरों जैसा सालूक होने लगा मेरी सौतेली माँ जो दुनिया की नज़र में योगराज देशमुख की पत्नी हैं ।और उनके बेटे और बेटी मुझे रंडी की बेटी बोलते थे। मुझे ज़लील करते थे । मैं तंग आकर खुदखुशी करना चाहती थी पर नही कर पायी इतनी हिम्मत नही थी राहुल मुझमे पर एक दिन में परेशान होकर घर से भाग गयी उस समय में १४ साल की थी ।पर मुझे पापा ने तैसे जैसे मुझे ढूढ़ लिया और फिर मुझे अपने साथ रखने लगा पर मैंने साफ मना कर दिया।
की मैं यहा नही रहूंगी और मुझे आम इंसान की तरह ही जीना हैं तो उन्होंने ऐसा किया और फिर इस तरह की ज़िंदगी की शुरुवात हुई ।और स्कूल में तुम्हे पहली बार देखा ,तुमको देखते ही मुझे पता नही ऐसा क्यों लगा की तुम मेरे अपने हो मेरे हर दुख दर्द को समझोगे देखते ही देखते हम दोनों दोस्त बन गये पर तुम में बस एक कमी थी तुम डरते थे । जो मुझे बिल्कुल भी अच्छा नही लगता था राहुल पर उस दिन कॉलेज में तुमको मर्दो की तरह देख मुझे सबसे ज़्यादा खुशी हुई। निशा की आँखें ये बोलते समय नम हो चुकी थी ।
" राहुल मैं एक हवस की निशानी हूँ ना की प्यार की मेरे बाप को जिस्म की भूख थी ना की प्यार की मैं उसी का नतीजा हूँ ।

वो रोने लगी थी राहुल ने उसको अपनी बहों में भर लिया और सांत्वना देता हुआ उसके पीठ रगड़ने लगा ।
दोनों का जिस्म इतना पास था की अब उसके बदन में गर्मी बढ़ने लगी और अचानक ही राहुल और निशा के होंठ मिल गये। पर दोनों में से कोई भी होठों को चूस नही रहा था ।तभी राहुल मे निशा के निचे के होठों को भरकर चूसने लगा । आहिस्ता आहिस्ता निशा ने भी साथ देना चालू कर दिया और दोनों एक दूसरे के होठों को मज़े लेकर चूसने लगे बदन में गर्मी और उनके यौन अंगों में आग अब बढ़ने लगी थी ।मोहब्बत का ये सिलसिला चल ही रहा था की दरवाजे की घंटी बजी और रंग में भंग हो गया । दोनों अलग हुए । निशा शर्म की लल्ली लिए पलट गयी । राहुल भी मुस्कुरा दिया ।

"निशा ने अपने को ठीक किया और दरवाजा खोलने गयी ।"
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गरिमा और राहुल की साँसे अब फूलने लगी थी। तभी गरिमा ने राहुल के लंड को पकड़ के दबा दिया। जिससे राहुल ने आह्ह..करते हुए बोला दीदी मार दोगी क्या ।
उसने गरिमा को देखा तो वो जोर जोर से साँसे ले रही थी और एक मुस्कुराहट लिए हुए बोली ।

" मार तो तु देगा। थोड़ा तो सांस लेने दे कितनी देर से चूस रहा हैं थोड़ा सबर तो कर ले।
" राहुल मुस्कुरा के बोला तुम जैसी माल दीदी हो तो कौन सबर करेगा ।
" अच्छा जी ।

फिर से दोनों के होंठ मिल गये और वही सिलसिला फिर चलने लगा ।इस बार होंठ चुसाई के साथ साथ एक दूसरे के गुप्तांगों को भी सहलाने लगे थे राहुल गरिमा की चूत को उसकी सलवार के ऊपर से ही रगड़ रहा था और गरिमा अपने छोटे भाई के लोड़े को पकड़ के सहला रही थी । दोनों ही भूल गये थे की छत के दरवाजे की कुंडी नही लगयी हैं।

दीदी चलो टंकी की तरफ यहा कोई देख लेगा ।
गरिमा मुस्कुरा दी और बोली
" बाप किचन में बुलाता हैं और बेटा टंकी की तरफ साले दोनों कमीने हो ।

राहुल की हलकी हंसी निकल गयी और बोला बाप ने खूब मलाई खा ली अब बेटा खायेगा और गरिमा को टंकी की तरफ लेकर छत पे बैठा के उसके होठों को चूसने लगा । कुछ देर ऐसे ही चलता रहा और दोनों अलग हुए ।राहुल ने अपने कपड़े उतार के टंकी के करीब ही छत पे बिछा दिया जिसे देख गरिमा हँसने लगी ।

" क्या हुआ दीदी ।
" कुछ नही लगता हैं मेरी किस्मत में फर्श पे ही ठुकवाना लिखा हैं बिस्तर पे नही ।

ये सुन राहुल भी मुस्कुरा दिया और गरिमा की चूची को पकड़ के दबाने लगा ।
आह्ह्ह..आउच धीरे कर राजा आह्ह्ह...

दोनों के होंठ मिले हुए थे साथ में राहुल गरिमा की चूची मसले जा रहा था । आहिस्ता आहिस्ता गरिमा राहुल के बिछाये हुए कपड़ो पे लेट गयी। और दोनों एक दूसरे के जिस्म को रगड़ के गरम करने लगे ।

राहुल ने सलवार के ऊपर से ही गरिमा की बूर को चूम लिया जिससे गरिमा सिसक उठी ।
गरिमा उठी और अपने कपड़े खोलने लगी । और वो ब्रा और पैंटी पहने हुए लेट गयी। हलकी चांदनी रात में गरिमा का बदन चमक रहा था राहुल ने आव देखा ना ताव चूत पे मुँह लगा दिया और पैंटी के ऊपर से ही चाटने लगा । राहुल के थूक से पैंटी गीली होने लगी । तभी उसने पैंटी को साइड किया और गरिमा का खज़ाना उसके सामने था उसने फोन की टॉर्च जला के बूर को देखना चाहा तो गरिमा ने बंद करवा दिया और बोली कभी और देख लेना जल्दी से चोदो।

राहुल ने गरिमा की पैंटी को उतार के सुंघा और सर में पहन लिया जिसे गरिमा देख हँसने लगी । राहुल ने चूत पे एक चुम्बन किया और अपनी जीभ को ऊपर से निचे तक चूत के मुलायम मांस को चाटने लगा । गरिमा इस एहसास में अपनी आँखें बंद कर ली । राहुल अपनी जीभ चूत की फांको में घुसाने की कोशिश करने लगा । उसने चूत को हलके से फैलाया और अपनी जीभ को घुसा दिया । इस मधुर एहसास से गरिमा की आह्ह्ह..निकल गयी।
राहुल जीभ को चूत में घूमाने लगा वो जितना अंदर हो सके उतना जीभ घुसाए जा रहा था । इधर गरिमा का जिस्म मस्ती में काँपने लगा था वो जोर जोर से आहे भरने लगी ।

" आह्ह्ह...भाई....और अंदर तक चाट आह्ह्ह...बहनचोद....

इधर राहुल चूत के दाने को अपनी जीभ से कुरेदने लगा जिससे गरिमा मदहोश हो गयी और मस्ती में सिसकियाने लगी ।
" आह्ह्ह...बहनचोद...साले आह्ह..ओह्ह्ह...खा जायेगा क्या...

चूत पुरी तरह पनियाने लगी थी हलका नमकीन सा स्वाद राहुल के मुँह में जाने लगा गरिमा की चूत थूक से पुरी तरह साराबोर हो चुकी थी। राहुल ने गरिमा की चूची को पकड़ा और दबाने लग और एक चूची को मुँह में भर के पीने लगा ।राहुल निप्पलों को मुँह भर के निप्पलों से खेलने लगा ।
इधर गरिमा का जिस्म आग की तरह तपने लगा उसके जिस्म में हवस समा चुकी थी । गरिमा राहुल के सर को पकड़ के अपनी चूची में दबाने लगी । राहुल भी बारी बारी दोनों चूचियों को मुँह लेकर चूस चूस से दबा रहा था । तभी गरिमा ने राहुल को ऊपर खींच लिया और होठों को होठों से मिला के चूमने लगी । दोनों ही इस बात से बेखबर थे की उनका ये खेल कोई देख रहा था।

गरिमा उठी और राहुल लेट गया और गरिमा ने राहुल के लंड को पकड़ के अपने होठों में भर ली और चूसने लगी ।गरिमा के मुँह में जाते ही राहुल मचलने लगा उसके मुँह की गर्माहट से उसका लंड पिघलने लगा वो जोर जोर से सिसकियाने लगा ।
" आह्ह्ह....दीदी...चुसो आह्ह...उफ्फ्फ...क्या मस्त चुस्ती हो ।

गरिमा लंड को लपा लप लॉलीपॉप की तरह चाटने और चूसने में लगी हुई थी । वो लंड के उपरी भाग पे ऐसे जीभ लगाती की राहुल कसक के रह जाता । चांदनी रात में लंड चमकने लगा था पुरा लंड थूक से सना हुआ था ।प्री-कम की बूँद आती और गरिमा उसके अपनी जीभ से चाट के उसका स्वाद लेती । जब वो लंड को मुँह से बहार करती तो थूक की एक लाइन उसके मुँह से लंड तक बन जाती ।

" आह्ह्ह...दीदी अब चोदने दे नही तो झाड़ दूंगा ।

ये सुन गरिमा हलका सा मुस्कुराई और लेट गयी । राहुल ने लिंग को गरिमा की योनि पे रखा और आहिस्ता से जोर लगाया तो लिंग का उपरी भाग योनि को खोलता समा गया। इधर गरिमा सिसक उठी । राहुल ने आहिस्ता आहिस्ता ही लिंग को योनि में प्रवेश करवा दिया और राहुल का लिंग गरिमा की योनि के अंदर की गर्माहट लेने लगा । दोनों को ही एक अजीब से एहसास ने घेर लिया । उनपे वासना का सुरूर छाने लगा और कब दोनों हिलने लगे पता ही नही चला । राहुल आहिस्ता आहिस्ता अपने धक्के तेज़ करते जा रहा था और गरिमा छत पे आसमान को देखते हुए अपने ही सगे भाई का लंड अपनी चूत की गहराई में उतरवा रही थी । दोनों ही चुदाई का का ये खेल खेलने में मशरूफ़ थे ।और इधर बरखा उनको देख रही थी बरखा को विश्वास नही हो रहा था की उसकी बेटी और बेटा अपने पवित्र रिश्ते को इस तरह अपनी हवस में कुचल देंगे ।
गरिमा और राहुल दोनो की ही सांसे तेज़ होने लगी थी उनका बदन पसीने से भीगने लगा । और राहुल का लंड गरिमा की चूत की गहराई नाप के बहार आता फिर चला जाता । दोनों ही मस्ती में आकर जोर जोर से धक्के मरने लगे गरिमा भी निचे से गांड उठा उठा के अपने भाई का साथ देने लगी ।

" आह्ह्ह...चोद साले माँ के लोड़े भड़वे चोद हरामी आह्ह्ह...ओह्ह्ह
" ले साली रंडी आह्ह...बाप से चुदवाती हैं छिनाल तो भाई का भी ले आह्ह...मेरी रंडी दीदी

गरिमा ने अपनी टाँगे राहुल के कमर पे लपेट ली और उसको अपनी तरफ खींचने लगी । दोनों ही चुदाई के इस खेल का आनंद उठा रहे थे ।गरिमा की चूत रस छोड़ने लगी और लंड अंदर बहार करने में अब राहुल को आसान लगने लगा वो पुरी रफ़्तार से अपनी दीदी की चूत को चोदने लगा ।
इधर बरखा की बूर भी ये सब देख और सुन के गीली होने लगी वो ये सुन के और भी सन्न थी की सुरेश और गरिमा भी चुदाई करते थे । पर वो ये सब भूल गयी जब उसने दोनों की गरम बातें सुनी वो अपनी बूर को रगड़ने लगी ।

चुदाई का ये सिलसिला काफी समय तक चलता रहा और दोनों का जिस्म कांपने लगा । दोनों ही चरमसुख को पाने के करीब पहुंच चुके थे ।तभी गरिमा का बदन अकड़ने लगा और उसने अपने नाखून राहुल की पीठ में गाड़ा दिये । जिससे राहुल की एक दर्द भरी आवाज़ आयी ।आह्ह...ये दर्द एक मीठे दर्द की तरह लगा राहुल को और वो जोर जोर से झटके मारने लगा ।

" आह्ह्ह्ह...बहनचोद गयी मैं आह्ह्ह्ह...मादरचोद, चोद साले अपनी बहन को आह्ह..रंडी की औलाद ।

बोलते हुए गरिमा की चूत पानी फेंकने लगी । अपने लंड पे गरम गरम द्रव्ये को महसूस करके राहुल भी ज़्यादा समय तक नही टिका और गरिमा की चूचियों को भींच के झड़ने लगा ।उसका लंड झटके मार मार के अपने अंदर से सफ़ेद मलाई गरिमा की योनि में छोड़ने लगा ।गरिमा की योनि अपने ही भाई के वीर्य से लबा लब भरने लगी और वो जोर जोर से हांफ्ते हुए एक दूसरे पे पसर गये ।

दोनों ही अपनी साँसे काबू करने में लगे हुए थे दोनों का बदन पसीना पसीना हो चुका था । इधर बरखा भी धीरे से निकल ली ।
" आह्ह..दीदी मज़ा आ गया सच में तुम कमाल की चीज़ हो तभी पापा रोज़ किचन में पेलते थे ।
" गरिमा मुसकुराई और बोली साले तु भी कुछ कम नही हैं दीदी की चूत को ऐसे रगड़ रहा था की कोई बाज़ारू रांड हूँ ।
कुछ देर दोनों भाई बहन बात किये और गरिमा ने कपड़े पहन कर निचे भाग आयी ।

**********
इधर रोहन निधि के पास बैठा बाते कर रहा था और निधि बेचारी शर्म के मारे चादर से बहार नही आना चाहती थी।
तभी गरिमा आयी और रोहन वहा से चला गया। और निधि को राहत महसूस हुई।
इधर बरखा की बूर में चुनचुनी काट रही थी । उसने सुरेश को उठाना चाहा पर वो नही उठा तो वो मन मारकर सोने की कोशिश करने लगी ।

सब सो चुके थे ।तभी आयेशा की आँख खोली और वो बाथरूम गयी और वापस आयी तो अपने फूफ़ा जी को हॉल में देखा वो इधर उधर टहल रहे थे ।

" क्या हुआ फूफ़ा जी इतनी रात को आप यहाँ क्या कर रहे हो ।

"सुरेश अचानक ही एक आवाज़ सुन के उस तरफ देखा और बोला आयेशा बेटा तु इतनी रात को क्या कर रही हैं ।

" फूफ़ा जी मैं तो बाथरूम गयी थी पर आप इतनी रात को यहाँ कैसे ।
" आँख खुल गयी और नींद नही आ रही थी तो सोचा थोड़ा टहल लूं ।
" आयेशा अपने मन में नींद कैसे आएगी बेटी की बूर जो नही मिली होगी ।और मुस्कुरा दी ।
" जिसे सुरेश ने देख लिया और बोला क्या हुआ मेरी आयेशा मुस्कुरा क्यों रही हैं
" कुछ नही फूफ़ा जी मैं चलती हूँ

वो जाने को हुई की उसका पैर मूड गया और वो गिरने को हुई तभी सुरेश ने उसे जैसे तैसे पकड़ लिया । और आयेशा ने अपने फूफ़ा जी को धन्यवाद बोला । तभी उसको एहसास हुआ की उसके फूफ़ा जी का एक हाथ उसकी गांड की गोलाई को थामे हुए हैं और एक हाथ उसके पीठ से होता हुआ उसके चूचियों को छू रहा था । जब सुरेश को भी अपने हाथ में कुछ मुलायम सा महसूस हुआ तो वो समझ गया ।और जल्दी से दोनों अलग हुए । आयेशा जाने को हुई ।पर उसके मन में कुछ अजीब हो रहा था जो वो समझ नही पा रही थी ।इधर सुरेश को भी मांस का वो टुकड़ा पकड़ के एक गजब का एहसास हुआ जिसे वो फिर से छूना चाहता था ।
ये सब रोहन दरवाजे से खड़ा होकर देख रहा था वो एक गुस्से और बदले की आग में जलने लगा ।

**************
रोज की तरह सुबह हुई ।और नाश्ते के लिए मारा मारी जारी थी ।इधर राहुल और गरिमा एक दूसरे को देख मुस्कुरा रहे थे । बारी बारी जिसको जहा जाना था वो निकल गये ।



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