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Adultery पापी परिवार की बेटी बहन और बहू बेशर्म रंडियां

Nasn

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Awesome..

Outstanding....

घर की रसीली बुरों को चूसना कोई धर्मवीर से सीखे..

एक ही बिस्तर पर शालू और गुंजन की
हाहाकारी चुदाई

मजा आ गया...

धरमवीर बहुत ही पावरफुल कैरेक्टर है।

धरमवीर को ऐसे ही दमदार रखो...👍
 

Bicks

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रात के 9 बज रहे है शालु अपने कमरें में बिस्तर पर लेटे हुए कुछ सोच रही है की तभी गुंज़न वहां आती है. दरवाज़ा बंद कर वो सीधा शालु के पास आ कर बैठ जाती है

गुंज़न- सोच रही है शालु? पापा के बारें में?

शालु- हाँ भाभी...पता नहीं कब मेरी तमन्ना पूरी होगी.

गुंज़न- हो जाएगी मेरी रानी.. बस तू लगे रह. (थोडा सोच कर) शालु तू सोनू पर ट्राय क्यूँ नहीं करती?

शालु- क्या फायेदा भाभी. वो तो पूरा भोंदू राम है.

गुंज़न- तू एक भोंदू राम को सयाना ना बना सकी तो तेरी ये जवानी किस काम की?

शालु : पर भाभी क्या ऐसा हो जायेगा?

गुंज़न- मैंने तो उसे कई बार तेरे चूतड़ों और चुचियों को घूरते हुए देखा है.

शालु- (आँखे बड़ी बड़ी करते हुए) क्या बोल रहे हो भाभी...?


गुंज़न- और क्या? एक दो बार तो मैंने उसे रंगे हाथों पकड़ा भी है. तेरी जवानी से परेशान हो कर बेचारा लंड मुठियाता रहता है.

शालु- सच भाभी? सोनू मेरी जवानी देख कर लंड मुठियाता है?

गुंज़न - हाँ . तेरी जवानी ने उसे परेशान कर रखा है. तू उसे थोडा सा उकसा दे तो तेरे पीछे लंड पकडे आ जायेगा. और घर में एक लंड का इंतज़ाम तो लगभग हो ही गया है. दुसरे का भी हो जाए तो सोच तेरी तो दिन और रात दोनों रंगीन हो जाएगी. दिन में पापा और रात में सोनू....और कभी-कभी दोनों एक साथ....

शालु- उफ़ ...भाभी....!! क्यूँ आग लगा रहीं हैं बदन में....

गुंज़न- आय हाय ...!! दो लंड का नाम सुनते ही देखो तो कैसे चेहरे पर लाली छा गई मेरी प्यारी ननद के... बताना शालु
आगे लेगी और किसका पीछे?

शालु- धत्त भाभी...!! मैं नहीं बताउंगी.....

गुंज़न- अरे बता ना...शर्मा क्यूँ रही है...

शालु- दोनों का एक साथ बूर में ले लुंगी...ऊऊऊऊऊ....

गुंज़न- हाय...!! ...अच्छा अब सुन. सोनू तो तुझे पर पहले से ही लट्टू है. तू बस उसे उकसा दे...समझ तेरा काम बन गया...

गुंज़न- पर भाभी कैसे?

गुंज़न-सोनू अपने कमरे में. तू वहां जा और उस से बातें कर. उसके सामने अपनी जवानी दिखा. माहौल तो गरम कर.

शालु- (हँसते हुए) भाभी आप तो जीनियस हो. आपके पास हर एक समस्या का हल होता है.

गुंज़न- मेरी तारीफ बंद कर और जल्दी से उसके कमरे में जा, और हाँ... कुछ ऐसा पहन के जा जिस से बेचारे सोनू की आँखे चौंधियाँ जाए.

शालु- समझ गई भाभी...आप फ़िक्र मत कीजिये...

चल अब म जा रही हूँ..
गुंज़न कमरे से बहार चली जाती है. शालु अपनी अलमारी में कुछ कपडे ढूढ़ती है और एक बिना बाहं की ढीली फ्रोक निकलती है. फ्रॉक पहन कर वो आईने में देखती और अपने जान ले लेने वाले हुस्न को देख कर मुस्कुरा देती है.
शालु धीरे धीरे सोनू के कमरे की तरफ बढ़ने लगती है.

वहां सोनू अपने कमरे में पहले से ही भाई-बहन की कहानी में खोया हुआ है. शॉर्ट्स में उसका लंड कई बार दीदी को याद कर के किसी नाग की तरह सर उठा चूका था. तभी उसके कानो में शालु की आवाज़ सुनी देती है. "सोनू...!! सोनू...!! सो रहा है क्या?". शालु की आवाज़ सुन के सोनू हडबडाते हुए किताब तकिये केनीचे छुपा देता है. लंड को शॉर्ट्स में किसी तरह से छुपता हुआ वो दरवाज़ा खोलता है. दरवाज़ा खुलते ही सामने शालु दिखाई देती है. बिना बाहं की ढीली फ्रॉक उसकी जांघो तक आ रही है. लम्बे बाल, उठा हुआ सीना, दूध सी गोरी और मोटी जांघे, चेहरे पर मुस्कान और एक हाथ में कंघी लिए पायल खड़ी है.

शालु- ऐसे क्या देख रहा है? सो रहा था क्या?

सोनू- न...नहीं...नहीं तो दीदी...ऐसे ही कुछ पढ़ रहा था...

शालु- (अन्दर आते हुए) भाभी भी सो गई है और पापा भी घर में नहीं है. बोर हो रही थी तो सोचा तेरे साथ थोडा टाइम बिता लूँ...तू बिजी तो नहीं है ना?

सोनू - नहीं..नहीं दीदी...बिलकुल भी नहीं....

सोनू के शॉर्ट्स में लंड फिर से फुदकने लगता है तो वो उच्छल के बिस्तर पर चला जाता है और चादर ओढ़ लेता है.
शालु उसे देख के हँसने लगती है.

शालु- (हँसते हुए) यहाँ गर्मी है और तू चादर ओढ़ रहा है.

शालु सोनू के सामने खड़ी हो कर दोनों हाथों को उठा के बाल बनाने लगती है. शालु के बगल के बाल सोनू को दिखने लगते है. वो आँखे फाड़ फाड़ के देखने लगता है. ये नज़ारा उसने कई बार देखने की कोशिश की थी लेकिन कभी देख नहीं पाया था. आज ये नज़ारा खुद उसके सामने आ कर खड़ा हो गया था.

शालु -(अपने बाल बनाते हुए) अच्छे है ना?

सोनू -(डरते हुए) क...क...क्या दीदी?

शालु- मेरे बाल, और क्या?

सोनू -..कौनसे बाल दीदी?

शालु - मेरे सर के बाल और कहाँ के?

सोनू -(हडबडाते हुए बगलों से नज़र हटाते हुए शालु के सर के बालों पर नज़र डालता है) ह...हाँ ..हाँ दीदी...बहुत अच्छे है.

शालु सोनू की हालत देख कर धीरे धीरे मुस्कुरा रही है. तभी शालु जान बुझ कर हाथ से कंघी गिरा देती है और उठाने के लिए निचे झुकती है. निचे झुकने से शालु की आधी चूचियां और बीच की गहराई दिखने लगती है. सोनू की नज़र सीधे शालु के सीने पर जाती है और वो अपनी दीदी की गोरी गोरी चूचियां और बीच की गली को आँखों से नापने लगता है.

शालु- बड़े है ना मेरे 'बॉल'..?

सोनू -हाँ दीदी...बहुत बड़े 'बॉल' है....

शालु- (झट से खड़ी हो जाती है) 'बॉल' ?? मैं बाल की बात कर रही हूँ और तू 'बॉल' बोल रहा है....तू क्या माराडोना या पेले है जो तुझे हर जगह 'बॉल' दिखाई दे रही है?

शालु की बात सुन कर सोनू का सर घूम जाता है. वो समझ नहीं पा रहा है की शालु करना क्या चाह रही है. उसकी हालत ऐसी है की सामने भुना हुआ मुर्गा रख कर कहा जा रहा हो की आज उपवास करना है. वो झट से बिस्तर पर उठ कर बैठ जाता है और अपने बाल एक बार खींच कर फिर लेट जाता है.

सोनू - दीदी आप क्या मुझे परेशान करने आई हैं?

शालु- मैं कहाँ तुझे परेशान कर रही हूँ? तू तो खुद ही परेशान हो रहा है....

तभी शालु जान बुझ के फिर से कंघी गिरा देती है और वो सीधे पास रखे सोफे के निचे चली जाती है.

शालु- देख...!! तेरी वजह से मेरी कंघी फिर से गिर गई. अब सोफे के निचे से निकालनी पड़ेगी मुझे...

यह बोल कर शालु सोफे के पास जाती है और निचे बैठ जाती है. वो घोड़ी की तरह झुक के सोफे के निचे कंघी देखने लगती है. पीछे से उसकी की फ्रॉक चढ़ के कमर पर आ जाती है और उसकी गोल गोल चुतड और बीच में कसी हुई पैन्टी दिखने लगती है. पैन्टी के आस-पास हलके बाल भी दिखने लगते है.

ये नज़ारा देख कर सोनू तो मानो पागल हो जाता है. वो शॉर्ट्स के ऊपर से ही लंड को मसलने लगता है. उसकी नज़र
शालु की सफ़ेद पैन्टी के अन्दर का नज़ारा देखने की कोशिश करने लगती है. तभी शालु उठ के खड़ी हो जाती है.

शालु-पता नहीं कहाँ चली गई कंघी. तेरे पास है कोई बड़े दांतों वाली कंघी?

सोनू -हाँ है...देता हूँ...

कहते हुए सोनू बिस्तर से हाथ बढ़ा के पास के शेल्फ से कंघी निकलने की कोशिश करता है. शालु इसे एक मौके के रूप में देखती है. वो झट से दौड़ के बिस्तर के पास पहुँच जाती है.

शालु+ तू रहने दे...मैं खुद ही ले लुंगी...

कहते हुए शालु बिस्तर पर चढ़ जाती है और शेल्फ पर झुक कर कंघी देखने लगती है. निचे लेटे सोनू की नज़र सीधे पायल की फ्रॉक के अन्दर जाती है तो उसकी आँखे जैसे बाहर ही आ जाती है. शालु की पैन्टी साफ़ दिखने लगती है, चिकना पेट और उसकी गहरी नाभि, बीना ब्रा के बड़े बड़े भरे हुए सक्त दूध. अपनी बहन के बड़े बड़े दूध देख कर सोनू का लंड शॉर्ट्स में सलामी देने लगता है.

शालु भी जान बुझ कर कंघी ढूंडने में वक़्त लगाती है ताकि सोनू उसके फ्रॉक के निचे से अन्दर का पूरा नज़ारा अच्छे से देख ले. जब शालु को लगता है की सोनू ने पूरा मजा ले लिया है तो वो कंघी ले कर बिस्तर से निचे उतर जाती है.

शालु- तेरी कंघी मैं ले कर जा रही हूँ, तू मेरी सोफे के निचे से निकाल लेना.

शालु गाना गुनगुनाते हुए दरवाज़ा लगा कर बाहर चली जाती है. बाहर जाते ही वो चुपके से दरवाज़े के की-होल से अन्दर देखने लगती है की सोनू क्या कर रहा है.
शालु के बाहर जाते ही सोनू झट से अपनी शॉर्ट्स उतार के फेक देता है. उसका 8 इंच का लंड फनफनाता हुआ बाहर आ जाता है. वो अपने फ़ोन पर शालु की एक फोटो देखते हुए लंड को मुठीयाने लगता है. लंड मुठियाते हुए शक की फोटो देख कर सोनू उसके नंगे बदन को याद कर रहा है जो अभी-अभी उसने देखा था. सोनू लंड हिलाते हुए पागलों की तरह बडबडाये जा रहा था, -"ओह मेरी दीदी....!! अपनी जवानी मेरे नाम कर दीजिये...", "देखिये ना...आपका छोटा भाई कैसे लंड हिला रहा है", "शालु दीदी...एक बार अपनी बूर में डलवा लो मेरा", "अगर आपको कुछ नहीं करना तो मत करिए...एक बार...बस एक बार अपने भाई के साथ बाथरूम में नंगी हो कर नहा लीजिये दीदी....आह्ह्ह...!!".

बाहर शालु ये सब देख और सुन रही थी. उसे यकीन नहीं हो रहा था की जो भाई उसके साथ दिन-रात बच्चों की तरह झगड़ता रहता है वो असल में उसकी जवानी का इस कदर दीवाना है. शालु धीरे से अपनी चूची मसल देती है और फिर से अन्दर देखने लगती है अन्दर सोनू पूरे जोश में है. उसका हाथ लंड पर तेज़ रफ़्तार से चले जा रहा है. अब वो लंड हिलाते, फ़ोन पर शालु की फोटो देखते हुए सामने दिवार के पास पहुँच जाता है. दिवार के सामने वो 2-3 बार लंड मुठियाते हुए अपनी कमर ऊपर उठता है और फिर अपने लंड से दिवार पर कुछ लिखने लगता है. वो लंड को पकड़ कर, उसके टोपे को दिवार पर रगड़ते हुए, लंड से निकलती लार से लिखने लगता है. कुछ ही पल में वो लिख कर थोडा पीछे होता है और जोर से - " दीदी..आह्ह्ह....ओह दीदी...आह्ह्ह्ह...." चिल्लाते हुए लंड से गाढ़े पानी की पिचकारियाँ दिवार पर उड़ाने लगता है. 6-7 पिचका शालु के नाम से दिवार पर उड़ाने के बाद वो थक कर बिस्तर पर गिर जाता है.

ये सब देख कर शालु की धड़कन बढ़ जाती है. वो किसी तरह से अपने ऊपर काबू पाती है और दौड़ती हुई अपने कमरे मैं आती है. आज जो उसने सोनू के कमरे में देखा था वो उसने सपने भी नहीं सोचा था. अपने ही छोटे भाई को उसकी बूर के लिए ऐसे तड़पते देख शालु का मन भी मचलने लगा था. अपने कमरे का दरवाज़ा बंद कर, शालु बिस्तर पर लेट जाती है. खुली हुई आँखों से वो सोनू को अपना लंड हाथ में लिए उसकी जवानी के लिए तड़पता देख रही है. गुंज़न ने उसे सीख दी थी की बूर को बस लंड चाहिए, फिर चाहे वो किसी का भी हो. लेकिन शालु अब उस से कहीं ज्यादा आगे बढ़ चुकी थी. लंड और बूर के बेनाम रिश्ते में अब नाम जुड़ने लगे थे. उसकी बूर को लंड तो चाहिए था पर वो लंड अब उसके पापा और भाई का था. समाज के लिए जो पाप था, शालु के लिए वो अब परमसुख पाने का आधार बन चूका था. अपने ही ख्यालों में खोयी हुई, पापा और सोनू की याद में, उसकी आँखे बंद होती है और वो नींद की आगोश में चली जाती है.
Fabulous update very good use of baal and ball
 

Hkgg

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अगली दोपहर 2 बजे शालु और गुंज़न आपस में बाते कर रहे थे

गुंज़न- अच्छा शालु तू तयार है सोनू और बाबूजी से एक साथ मज़ा करने के लिए।

शालु- हा भाभी दिल तो बहुत कर रहा है पर ये सब होगा कैसे।

गुंज़न - वो सब तू मुझ पर छोड़ दे बस जैसा में बोलू वैसा ही कर तू बाकी सब में संभल लूंगी।

शालु - ठीक है भाभी ...तो बोलो मुझे क्या करना है।

गुंज़न - देख अभी सोनू का स्कूल से आने का वक़्त हो गया है
उस के आने से पहले तू जाकर बाबूजी के साथ थोडी मस्ती कर ले।

शालु - ये क्या बोल रही हो भाभी अगर सोनू ने देख लिया तो
वैसे भी वो अभी आता ही होगा।

गुंज़न - इसलिय तो बोल रही हूँ। जब वो ये सब दाखेगा तभी तो वो खुल कर बाबाजी के सामने अपनी दीदी और भीभी पर चढ़ेगा और उसका डर भी कम होगा।

शालु - डर कैसा भाभी।

गुंज़न - बाबूजी का डर शालु जब वो बाबूजी को अपनी खुद
की बेटी और बहु को बजाते दखेगा तो उसे बाबूजी का सारा डर खतम हो जायेगा। और अब तुम देर मत करो वो कभी भी आ सकता हैं

शालु - मुझे तो बड़ी घबराहट हो रही है...क्या सच में तुम ये सब करना चाहती हो"

गुंज़न -अरे हाँ ...ये एक नया adventure होगा...मजा आएगा...और फिर हम बाद में......समझ गयी न"

शालु- ठीक है भाभी...पर सच में तुम बड़ी पागल हो

गुंज़न- पागलपन करने में भी कभी -२ बड़ा मजा आता है...अब तू तैयार है ना?

शालु - हाँ भाभी....ठीक है मैं पूरी तैयार हूँ...

गुंज़न -और हा शालु बाबूजी के साथ मज़ा करते हुए गंदी-2 बात जरूर करना।

शालु - क्यो भाभी।

गुनज़- वो इसलिय.....नंद रानीजी। ...ताकि तेरे भाई को पता चल सके की उसकी दीदी कितनी गंदी है

शालु - ठीक है भाभी।

गुंज़न - और हा जाते वक़्त बाबूजी के लिए चाय भी लेते जान।

शालु - ठीक है भाभी।

शालु चाय ले कर मुस्कुराते हुए धर्मवीर के रूम में जाती है और झुक कर चाय देते हुए कहती है.

शालु - पापा आपकी चाय.

धर्मवीर भी चाय का कप लेते हुए अपनी गर्दन ऊपर-निचे करते हुए, शालु के मोटे दूध के बीच की गहराई का जायेज़ा लेने लगते है. जब शालु ये देखती है तो वो भी अपना सीने बहार निकाल देती है और पापा को पूरा नज़ारा अच्छे से दिखा देती है. गहराई का अच्छे से जायेज़ा लेने के बाद धर्मवीर कहते है.

धर्मवीर- बहुत बढियाँ शालु बेटी. (चाय की चुस्की लेनेते हुए) वाह...!! मजा आ गया...बहुत अच्छी बनी है चाय.

शालु धर्मवीर के ठीक सामने वाले सोफे पर बैठ जाती है.
धर्मवीर मुस्कुरा कर कहते है.

धर्मवीर- आराम से बैठो शालु बेटी.

धर्मवीर की बात समझ कर शालु मुस्कुराते हुए अपने दोनों पैरों को सोफे पर रख लेती है और पूरा खोल देती है. मोटी जाँघों के बीच फूली हुई बूर के बीच घुसी हुई लाल कच्छी देख कर धर्मवीर का मन डोलने लगता है. बूर की फांक में कच्ची घुसी हुई है और आगे से पूरी गीली हो चुकी है. ये इस बात का संकेत था की शालु अब धीरे-धीरे तैयार हो रही थी. अब धर्मवीर भी अपनी दोनों टाँगे सोफे पर रख कर आगे से धोती ऊपर कर के बैठ जाते है. उनका तगड़ा लंड शालु की आँखों के सामने किसी खूंटे की तरह खड़ा था. धर्मवीर के लंड को देख कर शालु की बूर और भी ज्यादा पानी छोड़ने लगती है. वो एक बार अपनी टांगो को मिला कर धीरे से जांघों को आपस में रगड़ देती है और फिर से टाँगे खोल कर बैठ जाती है. धर्मवीर मुस्कुराते हुए चाय पीने लगता है

शालु को धर्मवीर का गधे जैसा लंड उसे पागल कर रहा था.
उधर धर्मवीर का लंड भी फूल के मोटा हो चूका था और नसें पूरी तरह से उभर के दिखने लगी थी. तभी धर्मवीर ने लंड की चमड़ी को खींच कर निचे कर दिया और लंड के मोटे टोपे को पूरी तरह से बाहर निकाल दिया तो शालु की हालत खराब हो गई. धर्मवीर का लंड पहले से भी कहीं ज्यादा मोटा हो चूका था. पापा के लंड को देख कर शालु कच्छी के ऊपर से अपनी बूर रगड़ने लगी थी. ये देख कर धर्मवीर ने अपने हाथों को कमर पर ले गए और एक झटके के साथ धोती की गाँठ खोल दी. धोती सामने से खुल कर सोफे पर गिर गई. अब धर्मवीर सोफे पर पड़ी धोती पर नंगे अपना लंड खड़ा किये बैठे थे.
धर्मवीर के एक इशारे पर शालु किसी कटी पतंग की तरह लहराती हुई उनके पास आ जाती है. सामने खड़ी शालु की कमर को पकड़ के धर्मवीर उसे घुमा देते है जिस से शालु की गांड उनकी तरफ हो जाती है. धर्मवीर शालु की कमर को पकडे हुए अपने मोटे लंड पर बिठाने लगते है. शालु अपने पैरो को घुटनों से मोड़े धीरे-धीरे उनके लंड पर बैठने लगती है. धर्मवीर का लंड शालु को चूतड़ों के बीच घुस जाता है और पीछे शालु की कच्छी में चला जाता है. कच्छी के अन्दर चूतड़ों के बीच रगड़ खाता हुआ धर्मवीर का लंड ऊपर कच्छी से बहार निकल कर शालु की कमर से चिपक जाता है. अब शालु धर्मवीर की गोद में बैठी है और पीछे पापा का लंड उसकी कच्छी में घुसा हुआ है. धर्मवीर शालु के चूतड़ों के बीच की गर्माहट अपने लंड पर साफ़ महसूस कर रहेा था शालु आंख्ने बंद कर पीछे हो कर अपनी पीठ धर्मवीर की छाती पर टिकाती है, धर्मवीर दोनों हाथों को उसकी नाईटी में घुसा के दोनों दूध दबोच लेते है

शालु -अहह और ज़ोर से मसलो इनको अहह आज सारी अकड़ निकाल दो अपनी बेटी की चुचियों की मसल मसल कर नरम कर दो पापा।

धर्मवीर अब बेरहमी से बेटी की चुचियों को मस्ल रहा था शालु अपनी कमर हिला कर धर्मवीर के लंड पर अपनी चूत पर रगड़ रही थी

धर्मवीर ने शालु को पकड़ कर उसे खड़ा किया और उसे अपने सामने लाकर उसकी नाईटी खींच कर उतार दिया
शालु वही पर सोफे लेट गयी शालु की टाँगें सोफे से नीचे लटक रही थी सोफे पर लेटी हुई शालु धर्मवीर की तरफ घुर कर देख रही है और निचे उसकी जांघे खुली हुई है. जाँघों के खुलने से बूर के ओंठ भी खुल गए थे. शालु की खुली हुई बूर का गुलाबी छेद देख कर धर्मवीर का लंड जोर-जोर से झटके लेने लगा. सोफे पर लेटी शालु अपने हाथों से टाँगे खोले कर बैठ जाती है और पापा को तेज़ साँसे लेते हुए घूरने लगती है.


धर्मवीर गौर से अपनी बेटी की बूर का ये नज़ारा देखते है और उनके सब्र का बाँध टूट जाता है. वो शालु की बूर को घूरते हुए अपने लंड को एक बार जोर से मुठिया देते है और शालु की तरफ बढ़ने लगते है. पापा को इस तरह से अपनी ओर आता देख शालु की धड़कने तेज़ हो जाती है.

तभी दरवाज़े की घंटी बजती है गुंज़न दरवाज़ा खोलती है तो सामने सोनू खड़ा था. सोनू अन्दर आकर दरवाज़ा बंद कर देते है

सोनू - भाभी आप?? बाकी सब कहाँ है? दीदी ...!! सो रही हो क्या?

गुंज़न- सब अपने कामो में लगे है.

सोनू - कौन सा काम भाभी।

गुंज़न धर्मवीर के इशारे के पास जाकर सोनू को इशारे से अपनी तरफ बुलाती है, सोनू गुंज़न के पास जाता है गुंज़न
सोनू को खिड़की से अन्दर देखने को बोलती हैं सोनू खड़की के पास गया और अन्दर देखने लगा, अन्दर देखते ही उसके तो होश ही उड़ गए,

अंदर शालु को भी पता चला जाता हैं कि उसका भाई और भाभी उने हे देख रहे है तभी धर्मवीर शालु की खुली हुई टांगो के बीच निचे ज़मीन पर बैठ है. सोफे पर बैठी शालु की टाँगे खुली हुई है और धर्मवीर ठीक उसकी बूर के सामने बैठे दोनों हाथों से शालु की जाँघों को पकड़ को और ज्यादा फैलाते हुए अपने ओंठों को बूर के ओंठों पर रख देते है और अपनी जीभ बूर में ठूँस देते है. पापा की जीभ अपनी बूर में महसूस करते ही शालु मस्ती में आ जाती है. आँखे बंद किये वो सिसियाने लगती है.

शालु - सीईईईईईई....!! उफ्फ पापा....!! आहsssss....!!

धर्मवीर शालु की टाँगे और ज्यादा खोलते हुए अपनी जीभ को बूर के अन्दर ठेलने लगते है और साथ ही साथ शालु की बूर से निकलती लार को को चूस के पीने भी लगते है. अपनी लम्बी और मोटी जीभ को पूरी बूर में ठूंसने के बाद बूर से जीभ निकाल लेते है और फिर बूर को निचे से ऊपर तक किसी कुत्ते की तरह चाटने लगते है. शालु जब पापा को अपनी बूर इस तरह से चाटते देखती है तो वो अपनी कमर हलकी सी ऊपर उठा का धीरे-धीरे गोल घुमाने लगती है. ये देख कर धर्मवीर भी अपनी गर्दन गोल घुमाते हुए बूर चाटने लगते है. बाप-बेटी की बूर चाटने और चटवाने की जुगलबंदी ऐसी थी की अगर उस वक़्त स्वयं कामदेव भी वह होते तो अपना लंड मुठिया देते.
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बहार गुंज़न ने आगे आकर सोनू के कंधे पर अपना सर टिका दिया और सोनू के कान में फुसफुसाकर बोली : "देखो जरा हमारी फॅमिली को, तुम्हारी दीदी कैसे अपनी चुत तुम्हरे पापा से चुसवा रही है। सोनू अपने छोटे से दिमाग में ये सब समाने की कोशिश कर रहा था की ये सब हो क्या रहा है.


अंदर शालु अपने दोनों हाथों के सहारे सोफे पर अपनी चौड़ी चुतड उठा के गोल-गोल घुमा रही है, और उसका अपना सगा बाप, अपनी बेटी की चूतड़ों के साथ अपनी गर्दन घुमाते हुए उसकी बूर चाट रहा है. ये नज़ारा सोनू के लंड को खड़ा करने के लिए काफी था.

धर्मवीर शालु की बूर को चाट रहे थे तो कभी अपने ओंठों से बूर के दाने को चूस रहे थे. पापा के इस तरह से बूर चाटने से शालु पूरी तरह से गरमा चुकी थी. कुछ देर बाद धर्मवीर अपने हाथों को शालु की जाँघों ठीक ऊपर कमर को पकड़ कर उसे उल्टा हवा में उठा लेते है. शालु की टाँगे ऊपर की ओर है और सर निचे. धर्मवीर ने अपने हाथों को उसकी कमर में लपेटे रखा था. शालु का पेट पापा की छाती पर चिपका हुआ था और पापा के मुहँ के ठीक सामने उसकी खुली जाँघों के बीच बूर अपने ओठों को खोले हुए थी. निचे शालु के मुहँ के ठीक सामने धर्मवीर का गधे जैसा लंड तन के खड़ा था जीसे शालु आँखे फाड़े निहारे जा रही थी. एक बार फिर से धर्मवीर अपने मुहँ खुली बूर में घुसा देते है. निचे लटकी शालु भी पूरी मस्ती में पापा के खड़े लंड को पकड़ लेती है और उसकी चमड़ी खींच कर पूरी पीछे कर देती है. लंड के मोटे टोपे को देखने के बाद वो अपना मुहँ खोले उसे अन्दर लेने लगती है. लंड का टोपा फूल कर काफी बड़ा हो गया था. आज शालु को उसे अपने मुहँ में लेने में कठनाई हो रही थी. पर आज वो भी पूरे जोश में थी. वो अपने मुहँ को पहले से भी ज्यादा खोलते हुए आधा टोपा मुहँ में ले लेती है.मुहँ के अन्दर अपनी जीभ को टोपे पर घुमाते हुए वो टोपे को चूसने लगती है. शालु को अपने लंड को इस तरह से चुस्त देख धर्मवीर पूरे जोश में उसकी बूर चूसने लगता है.

धर्मवीर -तेरी बूर तो बहुत गरम लग रही है बेटी.

शालु - हाँ पापा. बहुत गरम है. आग फेक रही है.

शालु को उल्टा लटकाए हुए धर्मवीर उसकी बूर चूसते हुए और अपना लंड चुस्वाते हुए अपने बेड की तरफ बढ़ने लगता है. और शालु को बिस्तर पर रख देते है. दोनों बाप-बेटी एक दुसरे से नज़र मिलाते है. दोनों की नज़रों में सिर्फ हवस ही नज़र आ रही थी.धर्मवीर बिस्तर पर पीठ के बल लेट जाते है. अपने लंड की चमड़ी को पूरी तरह से निचे खींच कर पायल को मोटा टोपा दिखाते हुए वो कहते है.

धर्मवीर- आ जा बेटी. खा ले अपने पापा का लंड.

तभी बाहर गुंज़न ने आगे बढकर सोनू लंड पेंट उपर से हाथ में पकड़ा दिया. सोनू के पुरे शरीर में एक करंट सा लगा और
सोनू गुंज़न को हैरानी से देखने लगा।

अंडर धर्मवीर की बात सुन कर शालु अपने हाथों और पैरों पर किसी भूकी शेरनी की चलते हुए पापा के पास जाने लगती है. उसकी नज़रे पापा के मोटे लंड पर टिकी हुई है. पास पहुँच कर वो एक बार पापा के लंड को गौर से देखती है और फिर उस पर टूट पड़ती है. शालु पापा के लंड को पागलों की तरह चूमने और चाटने लगती है. वो कभी लंड के गोटों को मुह में भर के चूस लेती है तो कभी निचे से ऊपर तक लंड को चुम्मियां लेने लगती है. अपनी जीभ निकाल कर लंड को टोपे को चाट लेती है तो कभी बड़ा मुहँ खोलकर टोपे को आधा मुहँ में भर लेती है. अपनी बेटी को इस तरह से लंड से खेलता देख रमेश का लंड और भी ज्यादा फूल जाता है. वो लंड को पकड़ कर पायल के मुहँ में ठूँसते हुए कहते है.

धर्मवीर- खा ले बिटिया अपने पापा के लंड को.

शालु- हाँ पापा.... आज मैं आपके लंड को पूरा खा जाउंगी. पहले मुहँ से खाऊँगी फिर अपनी बूर को खिलाउंगी.
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ये कहकर शालु धर्मवीर लंड को मुहँ में भरने लगती
शालु पर हवस हावी हो चुकी थी. अब धर्मवीर भी अपनी कमर को उठा के शालु के मुहँ में झटके देने लगे थे. आधा लंड शालु के मुहँ में था और पापा के झटकों से वो धीरे-धीरे अन्दर-बाहर होने लगा था. धर्मवीर शालु के सर पर हाथ रख कर उसका सर अपने लंड पर दबा देते है. कुछ देर वैसे ही
शालु के सर को अपने लंड पर दबाये रखने के बाद धर्मवीर अपना हाथ हटा देते है तो शालु अपना सर ऊपर कर लेती है. उसके मुह से लार बह रही है और आँखे लाल हो चुकी है. धर्मवीर शालु को देखते है तो शालु मुस्कुरा देती है.

बहार गुंज़न ने सोनू के लंड पेंट से बहार निकाल कर लंड को हाथ में लेकर सहलाने लगी गुंज़न सोनू के कंधे पर सर रख कर उसके लंड के सुपाडे पर अपने उंगलियों को हिला रही थी और बीच-2 में सोनू की गोलाई को भी अपने हाथ से सहलाते हुए बोली

गुंज़न - देख सोनू कैसे तेरा बाप तेरी दीदी के मुह में अपना मोटा लंड ठोक रहा है।

तभी धर्मवीर शालु की चूतड़ों पर एक थप्पी मारते है तो शालु उठ कर बहट जाती है.धर्मवीर भी बिस्तर पर बैठ जाते है. दोनों की नज़रे आपस में मिलती है तो शालु पापा को देखते हुए बिस्तर पर अपनी टाँगे खोले हुए लेट जाती है.

धर्मवीर अब शालु टागों के बीच बैठ जाते है.

धर्मवीर- तैयार हो ना शालु?

शालु- हाँ पापा..!!

धर्मवीर - पापा का लंड पकड़ के अपनी बूर पर रखो बेटी.

शालु धर्मवीर के लंड के मोटे टोपे को अपनी बूर के मुह पर टिका देती है. धर्मवीर धीरे-धीरे शालु के नंगे बदन पर लेटने लगते है तो शालु भी अपनी बाहे खोले पापा को जकड लेती है. पापा की पीठ को अपने हाथों से कस के पकडे हुए वो पापा की गरदन पर चुम्मियां देने लगती है. धर्मवीर भी अपने हाथों को शालु के कन्धों पर रख कर पकड़ लेते है और अपनी कमर को एक झटका मार कर अपना पूरा लंड शालु की बूर में ठूँस देते है. शालु की चीख निकाल जाती है.

शालु - मार दिया मुझे साले।
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अपनी बेटी के मुहँ से गाली सुन कर धर्मवीर को ना जाने क्यूँ अच्छा लगता है और वो धीरे-धीरे अपनी कमर को आगे पीछे करते हुए शालु की बूर में लंड पेलने लगते है

बहार गुंज़न सोनू की टाँगों के बीचे में आ गयी और उसके लंड के सुपाडे की चमड़ी को पीछे करके गुलाबी छेद अपनी उंगलियों से सहलाने लगी फिर लंड पर झुक कर अपनी जीभ से सोनू के लंड के सुपाडे को चाटने लगी सोनू के जिस्म में करेंट दौड़ गया.गुंज़न अपनी जीभ को सोनू के लंड के सुपाडे के चारो तरफ घुमा कर चाट रही थी फिर उसने लंड के सुपाडे को मूँह में ले लिया और सुपाडे को चूसने लगी सोनू की मस्ती का कोई ठिकाना नही था गुंज़न का सर तेज़ी से ऊपर नीचे हो रहा था और गुंज़न के होंठ सोनू के लंड के सुपाडे पर कसे हुए थे और सोनू के लंड का सुपाडा आंदार बाहर हो रहा था
गुंज़न अब आधे से ज़यादा लंड मूँह में लेकर चूस रही थी और हाथ से सोनू के आंडो को सहला रही थी गुंज़न ने सोनू के लंड को मूँह से निकाल कर सोनू के आंडो को चाटना शुरू कर दिया सोनू तो जैसे जन्नत की सैर कर रहा था

अंदर धर्मवीर का मोटा लंड शालु की बूर को फैलाता हुआ अन्दर-बाहर होने लगता है. शालु की बूर के ओंठ फैलकर
धर्मवीर के मोटे लंड पर कस चुके थे. धर्मवीर का लंड किसी मोटे खूंटे की तरह उसकी बूर में अन्दर-बाहर हो रहा था. बूर और लंड की लार सफ़ेद घने झाग का रूप ले चुकी थी. शालु भी अब पापा को अपनी बाहों में बाँध चुकी थी और टांगों से उनकी कमर को.

धर्मवीर- मजा आ रहा है ना पापा का लंड बूर में लेते हुए?

शालु -सीईईई.....हाँ पापा..!!

धर्मवीर - और ले...पूरा ले ले पापा का लंड. अपने पापा को गाली देती है बदमाश...!!

शालु - आह...!! आई एम सॉरी पापा......!! आह....!!

धर्मवीर शालु की बूर में लंड पलते हुए कहते है.

धर्मवीर- सॉरी किस बात की बेटी. तेरा बाप अपनी ही सगी बेटी की बूर चोद रहा है, बेटिचोद बन गया है. बेटिचोद के आगे 'साले' किस खेत की मूली है. अब बोल.... क्या बोलेगी अपने पापा को?

शालु- आह पापा...!! मत बोलिए ऐसा. मैं बहुत गन्दी लड़की बन जाउंगी.... आह्ह्ह....!!

धर्मवीर अपनी बेटी को गन्दी लड़की ही तो बनाना है मुझे. बोल ना पायल..... क्या बोलेगी अपने पापा को?

धर्मवीर की बात सुनकर शालु के अन्दर की गन्दी लड़की जाग जाती है जो बेशर्मी की सारी सीमायें लांघने के लिए तैयार है.

शालु - (चिलाते हुए) बेटिचोद....!! बेटिचोद हो आप पापा.....!! अपनी ही सगी बेटी की बूर में लंड दे कर उसकी चुदाई करने वाले बेटिचोद हो आप.... आह्ह्हह्हssssss....!!

शालु के मुहँ से अपने लिए 'बेटिचोद' सुनकर धर्मवीर के लंड में एक नया जोश भर जाता है. शालु को कस कर बाहों में पकडे हुए धर्मवीर अपनी कमर को उसकी जाँघों के बीच जोर-जोर से पटकते हुए ठाप मारने लगते है.

धर्मवीर -हाँ शालु.!! तेरा बाप बेटिचोद है. बहुत बड़ा बेटिचोद हूँ मैं.

शालु भी अब अपनी कमर को उठा के पापा का लंड लेने लगती है. अब उसे इस गंदे खेल में बहुत ज्यादा मजा आने लगता है. बाप-बेटी का ये गन्दा रिश्ता हवस और बेशर्मी की नयी सीमायें तय करने लगा था.

शालु- हाँ पापा..खूब चोदीये अपनी बेटी को. चोद-चोद कर चुदक्कड़ बना दीजिये मुझे.

धर्मवीर - हाँ मेरी बिटिया रानी. पापा तुझे एक नंबर की चुदक्कड़ बना देंगे.


धर्मवीर पूरे जोश में शालु की बूर पर ठाप पर ठाप मारने लगते है. कमरे में 'ठप्प-ठप्प' की अवाजा गूंजने लगती है. बाप-बेटी के चुदाई के इस महासंग्राम से बिस्तर जोर-जोर से हिलने लगता है मानो भूकंप के झटके झेल रहा हो.

उधर बहार बाप-बेटी चुदाई के खेल देख सोनू बहुत जयदा उत्तेजित होकर सोनू गुंज़न के मुह को चोदने लगता हैं
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अंदर धर्मवीर शालु के उपर से उतर कर बेड पर लेट जाता है

शालु एक दम धर्मवीर के उपर चड जाती है और धर्मवीर का लंड पकड़ कर उसे अपनी चुत पर फिट कर नीचे भेट्जाती हैं लंड पूरा का पूरा शालु की चुत में समा जाता हैशालु धर्मवीर का लंड अपनी चुत में लेकर फुदकते हुए बड़ बड़ने लगती है

शालु-रंडी हूँ मैं आपकी पापा....!! पापा की रंडी हूँ मैं...!!"

धर्मवीर के मोटे लंड पर उच्छलती हुई शालु पूरी बेशर्मी के साथ अपने पापा का मोटा लंड बूर में लिए जा रही थी. बिस्तर पर लेटे हुए धर्मवीर उसकी भारी चूतड़ों को हाथों से सहारा देते हुए शालु को लंड पर उच्छलने में मदद कर रहे थे. दोनों हाथों को उठा कर शालु अपने बालों को संवारती हुई पापा के लंड पर उच्छल रही थी.

धर्मवीर - हाँ शालु...हाँ...!! पापा की रंडी है तू. अपनी रंडी बिटिया को पापा रोज पटक-पटक के बूर चुदाई करेंगे.
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आ रहा है ना मज़ा , मेरी शालु रानी ? “

शालु -“ओह्ह …..पापा …”, शालु-चिल्ला कर लंड ले रही थी- अहह.. हमम्म् उम्म्ह… अहह… हय… याह… आह और तेज़ मादरचोद.. अहह प्लीज़ फाड़ दो मेरी चूत को.. और अन्दर तक डाल फाड़ दे आज.. मेरी बुर.. आह.. मज़ा आ रहा है.. चोद अपनी रंडी को.. और चोद मादरचोद.. और तेज़ से चोद..चोदो.. .. मैं .. कब से मोटे लंड से चुदवाना चाह रही थी.. ..
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धर्मवीर -तेरी गुलाबी चूत, तुझे अपनी रानी बना लूंगा, तुझे पूरी की पूरी रंडी बना दूगा, ओह्ह्ह्ह्ह्ह मेरी जान, बस ऐसे ही चुदती रह तू |
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बहार सोनू गुंज़न के मुह को तेजी 2 से चोदने लगा और कुछ ही देर में उस ने अपने वीर्य की पिचकारी गुंज़न के मुह में भरनी सुरु कर दी गुंज़न का मुह सोनू के गरम 2 माल से पुरा भर गया।

गुंज़न खड़ी होकर उसके बालों को सहलाने लगी। गुंज़न देख कर हैरान थी कि सोनू का लंड अभी भी वैसे ही खड़ा था गुंज़न एक बार फिर सोनू के लंड को हाथ में लेकर सहलाने
लगी


अंदर शालु बिस्तर पर उच्छल कर किसी कुतिया की तरह अपने दोनों हाथ पांव बिस्तर पर रख देती है. धर्मवीर शालु को कुतिया की तरह बिस्तर पर देखते है शालु आगे से झुक कर पीछे अपनी गान्ड को ऊपर की तरफ कर ली जिसे शालु की चूत बाहर की तरफ आ गयी

शालु -चल पीछे आ जा और डाल दे अपना लंड मेरी चूत में और मुझे कुतिया की तरह चोद दे

धर्मवीर शालु को कुतिया की तरह बिस्तर पर देखते है तो अपने लंड को मसलते हुए उसके पीछे घुटनों के बल बैठ कर अपने एक हाथ से शालु की चुतड को खोल कर दुसरे हाथ से लंड को पकड़ कर उसकी बूर पर रखते है और एक झटका देते है तो उनका लंड बूर आधा घुस जाता है. शालु की चूतड़ों को पकडे धर्मवीर अपनी कमर का जोर लगाते है तो लंड बूर में धंसने लगता है रमेश अब अपनी कमर को हिलाते हुए शालु की बूर चोदने लगते है. शालु मस्ती में पापा से कहती है.

शालु- बहुत मज़ा आआ रहा पापा अब मेरे बालों को पकड़ कर खींच और पूरी ताक़त से अपना लंड मेरे भोसड़ी में पेल
कर कुतिया की तरह चोद दो।
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धर्मवीर -(अपननी कमर जोर-जोर से हिलाते हुए) हाँ बिटिया रानी.... तेरा पापा अपनी कुतिया बेटी को कुत्ते की तरह चोदेगा.....

शालु- हाँ पापा...!! मुझे कुतिया बना के खूब जोर-जोर से मेरी बूर चोदीये. मेरी बूर पूरी फैला दीजिये.
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शालु - आ आ.. चोदो.. .. चोदो.. अपनी घोड़ी की.. चूत.. को मज़े से भर दो..पापा .. मोटा लंड मस त्टत्त.. है.. चोदो.. .. आ आ अह ह.. चोद.. .. आ आ अहह.. मेरे.. घोड़े.. घोड़ी.. को.. ऊपर.. चढ़ कर.. चोदो.. .. घोड़ी .. मस्त हो गई.. ..मज़ा आ रहा है एये ए आहा आ हा.. चोदो.. चोदो.. और चोदो.. चूत को फाड़ दो.. अ.. चोदो.. मज़ा आ रहा है.. .. ज़ोर.. से चोदो.. ओ.. ऊ.
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धर्मवीर -क्डी्ड्डी्ीी रंडी की चूत लेकर पैदा हुई है साली, इतना कसकर चोद रहा हूँ, फिर भी मरी जा रही है लंड के लिए साली हरामन कुतिया | कितना भी चोदो भूखी की भूखी ही रहती है | साली आधा घंटा हो गया है अपने मुसल लंड से तेरी चूत कूटते कूटते मसलते मसलते, इसकी चुदास अभी भी उतनी ही बरक़रार है


शालु जोश में बोली - अब कसके चोदो मुझे पापा , जीतनी तेज चोदना चाहते हो.......... जैसे चोदना चाहते हो , उठा के बिठा के, लिटा के, बस चोद दो मुझे | अब मुझे कुछ नहीं चाहिए | अब बस चुदना है मुझे | जमकर चोदो मुझे जैसे चोद सकते हो | मेरी चूत की सारी अकड़ निकाल दो अपने मुसल लंड से, मेरी चूत की सारी खुजली मिटा दो, मेरे जिस्म में लगी हवस की सारी आग बुझा दो |

धर्मवीर पूरे जोश के साथ शालु के बालों को पकड़े हुए शालु की चूत में लंड पेलने लगा धर्मवीर की जांघे शालु के बड़े-2 चुतड़ों से टकरा रही थी और ठप-2 की आवाज़ गूँज रही थी.बीच-बीच में वो शालु की चूतड़ों पर थप्पड़ जड़ देते है तो मस्ती में झूम उठती है. बूर पलते हुए धर्मवीर अपनी कमर को रोक देते है और शालु की कमर पकड़ कर जोर-जोर से आगे-पीछे करते हुए अपने लंड पर मारने लगते है. शालु भी मस्ती में अपनी चूतड़ों को आगे-पीछे करते हुए पापा के लंड पर मारते लगती हैं।

उधर बहार गुंज़न आगे झुक कर पीछे अपनी गान्ड को
ऊपर की तरफ कर ली जिसे गुंज़न की चूत बाहर की तरफ आ गयी

गुंज़न -चल डाल दे अपना लंड मेरी चूत में और चोद दे।

सोनू गुंज़न के पीछे आ गया और अपने लंड को पकड़ कर
गुंज़न की चूत के छेद पर टिका दिया गुंज़न ने अपनी चूत को पीछे की ओर धकेला लंड का सुपाडा गुंज़न की चूत के अंदर चला गया।
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सोनू पूरी तेज़ी से गुंज़न की चूत को चोद रहा था गुंज़न हर धक्के के साथ अह्ह्ह्ह अहह ओह कर रही थी और पनी चूत को पीछे की तरफ धकेल कर सोनू का लंड अपनी चूत में ले रही थी
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पर अंदर शालु की जोरदार चुदाई अपने बाबा धर्मवीर को
करता देखकर सोनू जायदा देर नही टिक सका और एक बार फिर अपना रस गुंज़न की चूत मे खाली कर दिया।

गुंज़न समझ गई की सोनू शालु को अपने पापा के साथ चुदाई से कुछ जायदा ही उतजित है और ये सब चोचकर गुंज़न भी खड़ी 2 ही अपना पानी बहने लगी।


परंतु अंदर धर्मवीर शालु को बिस्तर पर पटक देते है और बेड के किनारे कर देता है और ख़ुद नीचे खड़ा हो कर अपने मोटे लंड को उसकी बूर में ठूँस कर वो उस पर लेट जाते है. शालु भी अपनी टाँगे उठा कर खोल देती है. धर्मवीर उसकी बूर में पूरे जोश में लंड पेलने लगते है. धर्मवीर की कमर की रफ़्तार इतनी तेज़ हो चुकी थी की सारा कमरा सिर्फ 'ठप्प ठप्प ठप्प ठप्प' की आवाज़ से ही गूंज रहा था.

धर्मवीर- बहुत मजा दे रही है बेटी तेरी बूर. अपनी बेटी की कसी हुई बूर में लंड पेलने का मजा और किसी बूर में नहीं है.

शालु के मुंह से चीखें निकलने लगीं और कहने लगी- आह्ह … अहह बस होने ही वाला है पापा , और जोर से चोद, आह्ह … घुसेड़ दे पूरा लंड मेरी चूत में. फाड़ दे अपनी रंडी बेटी की चूत को आज! हाय , बहुत अच्छे. पेलो मेरी चूत को, जोर से पेलो. फाड़ दो मेरी चूत को, आज तो इतनी हसींन चुदाई हो रही है इस छिनाल चूत रानी की. साली को लंड लेने का बहुत शौक था. चोद दो, फाड़ दो आ अ आ आह ह हह.
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धर्मवीर- भोसड़ी की, मेरा लौड़ा खा जा, साली कुतिया तुझे तो एक दिन अपने दोस्तों के साथ मिल कर चोदूंगा, भेन की लौड़ी, तेरी चूत का भोंसड़ा बना दूँगा, तेरी मां की चूत .. हाय क्या चुत है तेरी तो साली, तुझे तो कॉल गर्ल होना चाहिये था छिनाल

शालु - आअहह…. फक मी…फक मी हार्ड……फक मी…………….फिर से फाड् दो आज मेरी चूत को…ओह चोद, मुझे चोदो, मेरे,को और जोर से चोदो। ओह,,,,,, मेरे चुदक्कड पापा ,, भोसड़ी वाले .....और जोर से मारो मेरी चूत कोो. .. ओह....ओह...आआह्ह......बहनचोद.....मेरा अब निकल रहा,, ह्ह्ह्
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धर्मवीर- शालु बेटी....लगता है अब मुझे पानी गिरना ही पड़ेगा.

शालु- गिरा दीजिये पापा....मेरी बूर में अपना पानी गिरा दीजिये....

धर्मवीर भी शालु की सुन कर अपनी कमर की गति तेज़ कर देते है

धर्मवीर -हाँ बेटी. तेरी बूर में ही अपना पानी गिराऊंगा. अपनी बिटिया के बच्चेदानी को अपने पानी से भर दूंगा.

शालु - आह्ह्ह...!! हाँ पापा...भर दीजिये मेरी बच्चेदानी को अपने लंड के पानी से.....आह्ह्हह्ह....!!

धर्मवीर जोर-जोर से झटके देते हुए अपने लंड को शालु की बूर में अन्दर तक ठूँस देते है. शालु भी दर्द सहते हुए पापा का लंड पूरा अपनी बूर में डलवा लेती है. २०-२५ जोरदार तेज़ झटकों के बाद धर्मवीर का पानी शालु की बूर में निकलने लगता है.
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धर्मवीर- आह्ह्ह्हह्ह...!! मेरी बिटिया रानी....अपनी बूर में भारवाले पापा का पानी....आह्ह्ह्हह्ह.....!!

शालु- आहह्ह्ह्हह...!! पापा...!! अपने लंड के पानी की आखरी बूँद भी मेरी बूर में ही गिराइयेगा....आह्ह्हह्ह....!!

शालु की बूर में धर्मवीर का लंड झटके खाता हुआ गाढ़ा पानी उगलने लगता है. शालु को अपनी बूर में किसी बाढ़ की अनुभूति होती है. वो मस्ती में अपनी बूर के ओंठों को पापा के लंड पर सक्त करते हुए सारा पानी लंड से निचोड़ कर अपनी बूर के अन्दर गिरवा लेती है. धर्मवीर शालु की नंगी पीठ पर गिर जाते है. शालु एक जिम्मेदार बेटी का फ़र्ज़ निभाते हुए अपने पापा का सारा बोझ अपनी पीठ पर उठा लेती है.
धर्मवीर का लंड अब भी शालु की बूर में ही घुसा हुआ है. शालु और धर्मवीर दोनों तेज़ी से साँसे ले रहे है. बाप-बेटी का एक साथ इस तरह से झड़ना उनके बीच के प्या
को देख कर बहार खड़े सोनू भी तीसरी झड़ जाता।
 

Nasn

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Great Thread...मज़ा
आ गया

धर्मवीर बहुत ही पावरफुल कैरेक्टर है।

outstandid
Amazing...
 
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prasha_tam

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अगली दोपहर 2 बजे शालु और गुंज़न आपस में बाते कर रहे थे

गुंज़न- अच्छा शालु तू तयार है सोनू और बाबूजी से एक साथ मज़ा करने के लिए।

शालु- हा भाभी दिल तो बहुत कर रहा है पर ये सब होगा कैसे।

गुंज़न - वो सब तू मुझ पर छोड़ दे बस जैसा में बोलू वैसा ही कर तू बाकी सब में संभल लूंगी।

शालु - ठीक है भाभी ...तो बोलो मुझे क्या करना है।

गुंज़न - देख अभी सोनू का स्कूल से आने का वक़्त हो गया है
उस के आने से पहले तू जाकर बाबूजी के साथ थोडी मस्ती कर ले।

शालु - ये क्या बोल रही हो भाभी अगर सोनू ने देख लिया तो
वैसे भी वो अभी आता ही होगा।

गुंज़न - इसलिय तो बोल रही हूँ। जब वो ये सब दाखेगा तभी तो वो खुल कर बाबाजी के सामने अपनी दीदी और भीभी पर चढ़ेगा और उसका डर भी कम होगा।

शालु - डर कैसा भाभी।

गुंज़न - बाबूजी का डर शालु जब वो बाबूजी को अपनी खुद
की बेटी और बहु को बजाते दखेगा तो उसे बाबूजी का सारा डर खतम हो जायेगा। और अब तुम देर मत करो वो कभी भी आ सकता हैं

शालु - मुझे तो बड़ी घबराहट हो रही है...क्या सच में तुम ये सब करना चाहती हो"

गुंज़न -अरे हाँ ...ये एक नया adventure होगा...मजा आएगा...और फिर हम बाद में......समझ गयी न"

शालु- ठीक है भाभी...पर सच में तुम बड़ी पागल हो

गुंज़न- पागलपन करने में भी कभी -२ बड़ा मजा आता है...अब तू तैयार है ना?

शालु - हाँ भाभी....ठीक है मैं पूरी तैयार हूँ...

गुंज़न -और हा शालु बाबूजी के साथ मज़ा करते हुए गंदी-2 बात जरूर करना।

शालु - क्यो भाभी।

गुनज़- वो इसलिय.....नंद रानीजी। ...ताकि तेरे भाई को पता चल सके की उसकी दीदी कितनी गंदी है

शालु - ठीक है भाभी।

गुंज़न - और हा जाते वक़्त बाबूजी के लिए चाय भी लेते जान।

शालु - ठीक है भाभी।

शालु चाय ले कर मुस्कुराते हुए धर्मवीर के रूम में जाती है और झुक कर चाय देते हुए कहती है.

शालु - पापा आपकी चाय.

धर्मवीर भी चाय का कप लेते हुए अपनी गर्दन ऊपर-निचे करते हुए, शालु के मोटे दूध के बीच की गहराई का जायेज़ा लेने लगते है. जब शालु ये देखती है तो वो भी अपना सीने बहार निकाल देती है और पापा को पूरा नज़ारा अच्छे से दिखा देती है. गहराई का अच्छे से जायेज़ा लेने के बाद धर्मवीर कहते है.

धर्मवीर- बहुत बढियाँ शालु बेटी. (चाय की चुस्की लेनेते हुए) वाह...!! मजा आ गया...बहुत अच्छी बनी है चाय.

शालु धर्मवीर के ठीक सामने वाले सोफे पर बैठ जाती है.
धर्मवीर मुस्कुरा कर कहते है.

धर्मवीर- आराम से बैठो शालु बेटी.

धर्मवीर की बात समझ कर शालु मुस्कुराते हुए अपने दोनों पैरों को सोफे पर रख लेती है और पूरा खोल देती है. मोटी जाँघों के बीच फूली हुई बूर के बीच घुसी हुई लाल कच्छी देख कर धर्मवीर का मन डोलने लगता है. बूर की फांक में कच्ची घुसी हुई है और आगे से पूरी गीली हो चुकी है. ये इस बात का संकेत था की शालु अब धीरे-धीरे तैयार हो रही थी. अब धर्मवीर भी अपनी दोनों टाँगे सोफे पर रख कर आगे से धोती ऊपर कर के बैठ जाते है. उनका तगड़ा लंड शालु की आँखों के सामने किसी खूंटे की तरह खड़ा था. धर्मवीर के लंड को देख कर शालु की बूर और भी ज्यादा पानी छोड़ने लगती है. वो एक बार अपनी टांगो को मिला कर धीरे से जांघों को आपस में रगड़ देती है और फिर से टाँगे खोल कर बैठ जाती है. धर्मवीर मुस्कुराते हुए चाय पीने लगता है

शालु को धर्मवीर का गधे जैसा लंड उसे पागल कर रहा था.
उधर धर्मवीर का लंड भी फूल के मोटा हो चूका था और नसें पूरी तरह से उभर के दिखने लगी थी. तभी धर्मवीर ने लंड की चमड़ी को खींच कर निचे कर दिया और लंड के मोटे टोपे को पूरी तरह से बाहर निकाल दिया तो शालु की हालत खराब हो गई. धर्मवीर का लंड पहले से भी कहीं ज्यादा मोटा हो चूका था. पापा के लंड को देख कर शालु कच्छी के ऊपर से अपनी बूर रगड़ने लगी थी. ये देख कर धर्मवीर ने अपने हाथों को कमर पर ले गए और एक झटके के साथ धोती की गाँठ खोल दी. धोती सामने से खुल कर सोफे पर गिर गई. अब धर्मवीर सोफे पर पड़ी धोती पर नंगे अपना लंड खड़ा किये बैठे थे.
धर्मवीर के एक इशारे पर शालु किसी कटी पतंग की तरह लहराती हुई उनके पास आ जाती है. सामने खड़ी शालु की कमर को पकड़ के धर्मवीर उसे घुमा देते है जिस से शालु की गांड उनकी तरफ हो जाती है. धर्मवीर शालु की कमर को पकडे हुए अपने मोटे लंड पर बिठाने लगते है. शालु अपने पैरो को घुटनों से मोड़े धीरे-धीरे उनके लंड पर बैठने लगती है. धर्मवीर का लंड शालु को चूतड़ों के बीच घुस जाता है और पीछे शालु की कच्छी में चला जाता है. कच्छी के अन्दर चूतड़ों के बीच रगड़ खाता हुआ धर्मवीर का लंड ऊपर कच्छी से बहार निकल कर शालु की कमर से चिपक जाता है. अब शालु धर्मवीर की गोद में बैठी है और पीछे पापा का लंड उसकी कच्छी में घुसा हुआ है. धर्मवीर शालु के चूतड़ों के बीच की गर्माहट अपने लंड पर साफ़ महसूस कर रहेा था शालु आंख्ने बंद कर पीछे हो कर अपनी पीठ धर्मवीर की छाती पर टिकाती है, धर्मवीर दोनों हाथों को उसकी नाईटी में घुसा के दोनों दूध दबोच लेते है

शालु -अहह और ज़ोर से मसलो इनको अहह आज सारी अकड़ निकाल दो अपनी बेटी की चुचियों की मसल मसल कर नरम कर दो पापा।

धर्मवीर अब बेरहमी से बेटी की चुचियों को मस्ल रहा था शालु अपनी कमर हिला कर धर्मवीर के लंड पर अपनी चूत पर रगड़ रही थी

धर्मवीर ने शालु को पकड़ कर उसे खड़ा किया और उसे अपने सामने लाकर उसकी नाईटी खींच कर उतार दिया
शालु वही पर सोफे लेट गयी शालु की टाँगें सोफे से नीचे लटक रही थी सोफे पर लेटी हुई शालु धर्मवीर की तरफ घुर कर देख रही है और निचे उसकी जांघे खुली हुई है. जाँघों के खुलने से बूर के ओंठ भी खुल गए थे. शालु की खुली हुई बूर का गुलाबी छेद देख कर धर्मवीर का लंड जोर-जोर से झटके लेने लगा. सोफे पर लेटी शालु अपने हाथों से टाँगे खोले कर बैठ जाती है और पापा को तेज़ साँसे लेते हुए घूरने लगती है.


धर्मवीर गौर से अपनी बेटी की बूर का ये नज़ारा देखते है और उनके सब्र का बाँध टूट जाता है. वो शालु की बूर को घूरते हुए अपने लंड को एक बार जोर से मुठिया देते है और शालु की तरफ बढ़ने लगते है. पापा को इस तरह से अपनी ओर आता देख शालु की धड़कने तेज़ हो जाती है.

तभी दरवाज़े की घंटी बजती है गुंज़न दरवाज़ा खोलती है तो सामने सोनू खड़ा था. सोनू अन्दर आकर दरवाज़ा बंद कर देते है

सोनू - भाभी आप?? बाकी सब कहाँ है? दीदी ...!! सो रही हो क्या?

गुंज़न- सब अपने कामो में लगे है.

सोनू - कौन सा काम भाभी।

गुंज़न धर्मवीर के इशारे के पास जाकर सोनू को इशारे से अपनी तरफ बुलाती है, सोनू गुंज़न के पास जाता है गुंज़न
सोनू को खिड़की से अन्दर देखने को बोलती हैं सोनू खड़की के पास गया और अन्दर देखने लगा, अन्दर देखते ही उसके तो होश ही उड़ गए,

अंदर शालु को भी पता चला जाता हैं कि उसका भाई और भाभी उने हे देख रहे है तभी धर्मवीर शालु की खुली हुई टांगो के बीच निचे ज़मीन पर बैठ है. सोफे पर बैठी शालु की टाँगे खुली हुई है और धर्मवीर ठीक उसकी बूर के सामने बैठे दोनों हाथों से शालु की जाँघों को पकड़ को और ज्यादा फैलाते हुए अपने ओंठों को बूर के ओंठों पर रख देते है और अपनी जीभ बूर में ठूँस देते है. पापा की जीभ अपनी बूर में महसूस करते ही शालु मस्ती में आ जाती है. आँखे बंद किये वो सिसियाने लगती है.

शालु - सीईईईईईई....!! उफ्फ पापा....!! आहsssss....!!

धर्मवीर शालु की टाँगे और ज्यादा खोलते हुए अपनी जीभ को बूर के अन्दर ठेलने लगते है और साथ ही साथ शालु की बूर से निकलती लार को को चूस के पीने भी लगते है. अपनी लम्बी और मोटी जीभ को पूरी बूर में ठूंसने के बाद बूर से जीभ निकाल लेते है और फिर बूर को निचे से ऊपर तक किसी कुत्ते की तरह चाटने लगते है. शालु जब पापा को अपनी बूर इस तरह से चाटते देखती है तो वो अपनी कमर हलकी सी ऊपर उठा का धीरे-धीरे गोल घुमाने लगती है. ये देख कर धर्मवीर भी अपनी गर्दन गोल घुमाते हुए बूर चाटने लगते है. बाप-बेटी की बूर चाटने और चटवाने की जुगलबंदी ऐसी थी की अगर उस वक़्त स्वयं कामदेव भी वह होते तो अपना लंड मुठिया देते.
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बहार गुंज़न ने आगे आकर सोनू के कंधे पर अपना सर टिका दिया और सोनू के कान में फुसफुसाकर बोली : "देखो जरा हमारी फॅमिली को, तुम्हारी दीदी कैसे अपनी चुत तुम्हरे पापा से चुसवा रही है। सोनू अपने छोटे से दिमाग में ये सब समाने की कोशिश कर रहा था की ये सब हो क्या रहा है.


अंदर शालु अपने दोनों हाथों के सहारे सोफे पर अपनी चौड़ी चुतड उठा के गोल-गोल घुमा रही है, और उसका अपना सगा बाप, अपनी बेटी की चूतड़ों के साथ अपनी गर्दन घुमाते हुए उसकी बूर चाट रहा है. ये नज़ारा सोनू के लंड को खड़ा करने के लिए काफी था.

धर्मवीर शालु की बूर को चाट रहे थे तो कभी अपने ओंठों से बूर के दाने को चूस रहे थे. पापा के इस तरह से बूर चाटने से शालु पूरी तरह से गरमा चुकी थी. कुछ देर बाद धर्मवीर अपने हाथों को शालु की जाँघों ठीक ऊपर कमर को पकड़ कर उसे उल्टा हवा में उठा लेते है. शालु की टाँगे ऊपर की ओर है और सर निचे. धर्मवीर ने अपने हाथों को उसकी कमर में लपेटे रखा था. शालु का पेट पापा की छाती पर चिपका हुआ था और पापा के मुहँ के ठीक सामने उसकी खुली जाँघों के बीच बूर अपने ओठों को खोले हुए थी. निचे शालु के मुहँ के ठीक सामने धर्मवीर का गधे जैसा लंड तन के खड़ा था जीसे शालु आँखे फाड़े निहारे जा रही थी. एक बार फिर से धर्मवीर अपने मुहँ खुली बूर में घुसा देते है. निचे लटकी शालु भी पूरी मस्ती में पापा के खड़े लंड को पकड़ लेती है और उसकी चमड़ी खींच कर पूरी पीछे कर देती है. लंड के मोटे टोपे को देखने के बाद वो अपना मुहँ खोले उसे अन्दर लेने लगती है. लंड का टोपा फूल कर काफी बड़ा हो गया था. आज शालु को उसे अपने मुहँ में लेने में कठनाई हो रही थी. पर आज वो भी पूरे जोश में थी. वो अपने मुहँ को पहले से भी ज्यादा खोलते हुए आधा टोपा मुहँ में ले लेती है.मुहँ के अन्दर अपनी जीभ को टोपे पर घुमाते हुए वो टोपे को चूसने लगती है. शालु को अपने लंड को इस तरह से चुस्त देख धर्मवीर पूरे जोश में उसकी बूर चूसने लगता है.

धर्मवीर -तेरी बूर तो बहुत गरम लग रही है बेटी.

शालु - हाँ पापा. बहुत गरम है. आग फेक रही है.

शालु को उल्टा लटकाए हुए धर्मवीर उसकी बूर चूसते हुए और अपना लंड चुस्वाते हुए अपने बेड की तरफ बढ़ने लगता है. और शालु को बिस्तर पर रख देते है. दोनों बाप-बेटी एक दुसरे से नज़र मिलाते है. दोनों की नज़रों में सिर्फ हवस ही नज़र आ रही थी.धर्मवीर बिस्तर पर पीठ के बल लेट जाते है. अपने लंड की चमड़ी को पूरी तरह से निचे खींच कर पायल को मोटा टोपा दिखाते हुए वो कहते है.

धर्मवीर- आ जा बेटी. खा ले अपने पापा का लंड.

तभी बाहर गुंज़न ने आगे बढकर सोनू लंड पेंट उपर से हाथ में पकड़ा दिया. सोनू के पुरे शरीर में एक करंट सा लगा और
सोनू गुंज़न को हैरानी से देखने लगा।

अंडर धर्मवीर की बात सुन कर शालु अपने हाथों और पैरों पर किसी भूकी शेरनी की चलते हुए पापा के पास जाने लगती है. उसकी नज़रे पापा के मोटे लंड पर टिकी हुई है. पास पहुँच कर वो एक बार पापा के लंड को गौर से देखती है और फिर उस पर टूट पड़ती है. शालु पापा के लंड को पागलों की तरह चूमने और चाटने लगती है. वो कभी लंड के गोटों को मुह में भर के चूस लेती है तो कभी निचे से ऊपर तक लंड को चुम्मियां लेने लगती है. अपनी जीभ निकाल कर लंड को टोपे को चाट लेती है तो कभी बड़ा मुहँ खोलकर टोपे को आधा मुहँ में भर लेती है. अपनी बेटी को इस तरह से लंड से खेलता देख रमेश का लंड और भी ज्यादा फूल जाता है. वो लंड को पकड़ कर पायल के मुहँ में ठूँसते हुए कहते है.

धर्मवीर- खा ले बिटिया अपने पापा के लंड को.

शालु- हाँ पापा.... आज मैं आपके लंड को पूरा खा जाउंगी. पहले मुहँ से खाऊँगी फिर अपनी बूर को खिलाउंगी.
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ये कहकर शालु धर्मवीर लंड को मुहँ में भरने लगती
शालु पर हवस हावी हो चुकी थी. अब धर्मवीर भी अपनी कमर को उठा के शालु के मुहँ में झटके देने लगे थे. आधा लंड शालु के मुहँ में था और पापा के झटकों से वो धीरे-धीरे अन्दर-बाहर होने लगा था. धर्मवीर शालु के सर पर हाथ रख कर उसका सर अपने लंड पर दबा देते है. कुछ देर वैसे ही
शालु के सर को अपने लंड पर दबाये रखने के बाद धर्मवीर अपना हाथ हटा देते है तो शालु अपना सर ऊपर कर लेती है. उसके मुह से लार बह रही है और आँखे लाल हो चुकी है. धर्मवीर शालु को देखते है तो शालु मुस्कुरा देती है.

बहार गुंज़न ने सोनू के लंड पेंट से बहार निकाल कर लंड को हाथ में लेकर सहलाने लगी गुंज़न सोनू के कंधे पर सर रख कर उसके लंड के सुपाडे पर अपने उंगलियों को हिला रही थी और बीच-2 में सोनू की गोलाई को भी अपने हाथ से सहलाते हुए बोली

गुंज़न - देख सोनू कैसे तेरा बाप तेरी दीदी के मुह में अपना मोटा लंड ठोक रहा है।

तभी धर्मवीर शालु की चूतड़ों पर एक थप्पी मारते है तो शालु उठ कर बहट जाती है.धर्मवीर भी बिस्तर पर बैठ जाते है. दोनों की नज़रे आपस में मिलती है तो शालु पापा को देखते हुए बिस्तर पर अपनी टाँगे खोले हुए लेट जाती है.

धर्मवीर अब शालु टागों के बीच बैठ जाते है.

धर्मवीर- तैयार हो ना शालु?

शालु- हाँ पापा..!!

धर्मवीर - पापा का लंड पकड़ के अपनी बूर पर रखो बेटी.

शालु धर्मवीर के लंड के मोटे टोपे को अपनी बूर के मुह पर टिका देती है. धर्मवीर धीरे-धीरे शालु के नंगे बदन पर लेटने लगते है तो शालु भी अपनी बाहे खोले पापा को जकड लेती है. पापा की पीठ को अपने हाथों से कस के पकडे हुए वो पापा की गरदन पर चुम्मियां देने लगती है. धर्मवीर भी अपने हाथों को शालु के कन्धों पर रख कर पकड़ लेते है और अपनी कमर को एक झटका मार कर अपना पूरा लंड शालु की बूर में ठूँस देते है. शालु की चीख निकाल जाती है.

शालु - मार दिया मुझे साले।
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अपनी बेटी के मुहँ से गाली सुन कर धर्मवीर को ना जाने क्यूँ अच्छा लगता है और वो धीरे-धीरे अपनी कमर को आगे पीछे करते हुए शालु की बूर में लंड पेलने लगते है

बहार गुंज़न सोनू की टाँगों के बीचे में आ गयी और उसके लंड के सुपाडे की चमड़ी को पीछे करके गुलाबी छेद अपनी उंगलियों से सहलाने लगी फिर लंड पर झुक कर अपनी जीभ से सोनू के लंड के सुपाडे को चाटने लगी सोनू के जिस्म में करेंट दौड़ गया.गुंज़न अपनी जीभ को सोनू के लंड के सुपाडे के चारो तरफ घुमा कर चाट रही थी फिर उसने लंड के सुपाडे को मूँह में ले लिया और सुपाडे को चूसने लगी सोनू की मस्ती का कोई ठिकाना नही था गुंज़न का सर तेज़ी से ऊपर नीचे हो रहा था और गुंज़न के होंठ सोनू के लंड के सुपाडे पर कसे हुए थे और सोनू के लंड का सुपाडा आंदार बाहर हो रहा था
गुंज़न अब आधे से ज़यादा लंड मूँह में लेकर चूस रही थी और हाथ से सोनू के आंडो को सहला रही थी गुंज़न ने सोनू के लंड को मूँह से निकाल कर सोनू के आंडो को चाटना शुरू कर दिया सोनू तो जैसे जन्नत की सैर कर रहा था

अंदर धर्मवीर का मोटा लंड शालु की बूर को फैलाता हुआ अन्दर-बाहर होने लगता है. शालु की बूर के ओंठ फैलकर
धर्मवीर के मोटे लंड पर कस चुके थे. धर्मवीर का लंड किसी मोटे खूंटे की तरह उसकी बूर में अन्दर-बाहर हो रहा था. बूर और लंड की लार सफ़ेद घने झाग का रूप ले चुकी थी. शालु भी अब पापा को अपनी बाहों में बाँध चुकी थी और टांगों से उनकी कमर को.

धर्मवीर- मजा आ रहा है ना पापा का लंड बूर में लेते हुए?

शालु -सीईईई.....हाँ पापा..!!

धर्मवीर - और ले...पूरा ले ले पापा का लंड. अपने पापा को गाली देती है बदमाश...!!

शालु - आह...!! आई एम सॉरी पापा......!! आह....!!

धर्मवीर शालु की बूर में लंड पलते हुए कहते है.

धर्मवीर- सॉरी किस बात की बेटी. तेरा बाप अपनी ही सगी बेटी की बूर चोद रहा है, बेटिचोद बन गया है. बेटिचोद के आगे 'साले' किस खेत की मूली है. अब बोल.... क्या बोलेगी अपने पापा को?

शालु- आह पापा...!! मत बोलिए ऐसा. मैं बहुत गन्दी लड़की बन जाउंगी.... आह्ह्ह....!!

धर्मवीर अपनी बेटी को गन्दी लड़की ही तो बनाना है मुझे. बोल ना पायल..... क्या बोलेगी अपने पापा को?

धर्मवीर की बात सुनकर शालु के अन्दर की गन्दी लड़की जाग जाती है जो बेशर्मी की सारी सीमायें लांघने के लिए तैयार है.

शालु - (चिलाते हुए) बेटिचोद....!! बेटिचोद हो आप पापा.....!! अपनी ही सगी बेटी की बूर में लंड दे कर उसकी चुदाई करने वाले बेटिचोद हो आप.... आह्ह्हह्हssssss....!!

शालु के मुहँ से अपने लिए 'बेटिचोद' सुनकर धर्मवीर के लंड में एक नया जोश भर जाता है. शालु को कस कर बाहों में पकडे हुए धर्मवीर अपनी कमर को उसकी जाँघों के बीच जोर-जोर से पटकते हुए ठाप मारने लगते है.

धर्मवीर -हाँ शालु.!! तेरा बाप बेटिचोद है. बहुत बड़ा बेटिचोद हूँ मैं.

शालु भी अब अपनी कमर को उठा के पापा का लंड लेने लगती है. अब उसे इस गंदे खेल में बहुत ज्यादा मजा आने लगता है. बाप-बेटी का ये गन्दा रिश्ता हवस और बेशर्मी की नयी सीमायें तय करने लगा था.

शालु- हाँ पापा..खूब चोदीये अपनी बेटी को. चोद-चोद कर चुदक्कड़ बना दीजिये मुझे.

धर्मवीर - हाँ मेरी बिटिया रानी. पापा तुझे एक नंबर की चुदक्कड़ बना देंगे.


धर्मवीर पूरे जोश में शालु की बूर पर ठाप पर ठाप मारने लगते है. कमरे में 'ठप्प-ठप्प' की अवाजा गूंजने लगती है. बाप-बेटी के चुदाई के इस महासंग्राम से बिस्तर जोर-जोर से हिलने लगता है मानो भूकंप के झटके झेल रहा हो.

उधर बहार बाप-बेटी चुदाई के खेल देख सोनू बहुत जयदा उत्तेजित होकर सोनू गुंज़न के मुह को चोदने लगता हैं
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अंदर धर्मवीर शालु के उपर से उतर कर बेड पर लेट जाता है

शालु एक दम धर्मवीर के उपर चड जाती है और धर्मवीर का लंड पकड़ कर उसे अपनी चुत पर फिट कर नीचे भेट्जाती हैं लंड पूरा का पूरा शालु की चुत में समा जाता हैशालु धर्मवीर का लंड अपनी चुत में लेकर फुदकते हुए बड़ बड़ने लगती है

शालु-रंडी हूँ मैं आपकी पापा....!! पापा की रंडी हूँ मैं...!!"

धर्मवीर के मोटे लंड पर उच्छलती हुई शालु पूरी बेशर्मी के साथ अपने पापा का मोटा लंड बूर में लिए जा रही थी. बिस्तर पर लेटे हुए धर्मवीर उसकी भारी चूतड़ों को हाथों से सहारा देते हुए शालु को लंड पर उच्छलने में मदद कर रहे थे. दोनों हाथों को उठा कर शालु अपने बालों को संवारती हुई पापा के लंड पर उच्छल रही थी.

धर्मवीर - हाँ शालु...हाँ...!! पापा की रंडी है तू. अपनी रंडी बिटिया को पापा रोज पटक-पटक के बूर चुदाई करेंगे.
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आ रहा है ना मज़ा , मेरी शालु रानी ? “

शालु -“ओह्ह …..पापा …”, शालु-चिल्ला कर लंड ले रही थी- अहह.. हमम्म् उम्म्ह… अहह… हय… याह… आह और तेज़ मादरचोद.. अहह प्लीज़ फाड़ दो मेरी चूत को.. और अन्दर तक डाल फाड़ दे आज.. मेरी बुर.. आह.. मज़ा आ रहा है.. चोद अपनी रंडी को.. और चोद मादरचोद.. और तेज़ से चोद..चोदो.. .. मैं .. कब से मोटे लंड से चुदवाना चाह रही थी.. ..
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धर्मवीर -तेरी गुलाबी चूत, तुझे अपनी रानी बना लूंगा, तुझे पूरी की पूरी रंडी बना दूगा, ओह्ह्ह्ह्ह्ह मेरी जान, बस ऐसे ही चुदती रह तू |
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बहार सोनू गुंज़न के मुह को तेजी 2 से चोदने लगा और कुछ ही देर में उस ने अपने वीर्य की पिचकारी गुंज़न के मुह में भरनी सुरु कर दी गुंज़न का मुह सोनू के गरम 2 माल से पुरा भर गया।

गुंज़न खड़ी होकर उसके बालों को सहलाने लगी। गुंज़न देख कर हैरान थी कि सोनू का लंड अभी भी वैसे ही खड़ा था गुंज़न एक बार फिर सोनू के लंड को हाथ में लेकर सहलाने
लगी


अंदर शालु बिस्तर पर उच्छल कर किसी कुतिया की तरह अपने दोनों हाथ पांव बिस्तर पर रख देती है. धर्मवीर शालु को कुतिया की तरह बिस्तर पर देखते है शालु आगे से झुक कर पीछे अपनी गान्ड को ऊपर की तरफ कर ली जिसे शालु की चूत बाहर की तरफ आ गयी

शालु -चल पीछे आ जा और डाल दे अपना लंड मेरी चूत में और मुझे कुतिया की तरह चोद दे

धर्मवीर शालु को कुतिया की तरह बिस्तर पर देखते है तो अपने लंड को मसलते हुए उसके पीछे घुटनों के बल बैठ कर अपने एक हाथ से शालु की चुतड को खोल कर दुसरे हाथ से लंड को पकड़ कर उसकी बूर पर रखते है और एक झटका देते है तो उनका लंड बूर आधा घुस जाता है. शालु की चूतड़ों को पकडे धर्मवीर अपनी कमर का जोर लगाते है तो लंड बूर में धंसने लगता है रमेश अब अपनी कमर को हिलाते हुए शालु की बूर चोदने लगते है. शालु मस्ती में पापा से कहती है.

शालु- बहुत मज़ा आआ रहा पापा अब मेरे बालों को पकड़ कर खींच और पूरी ताक़त से अपना लंड मेरे भोसड़ी में पेल
कर कुतिया की तरह चोद दो।
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धर्मवीर -(अपननी कमर जोर-जोर से हिलाते हुए) हाँ बिटिया रानी.... तेरा पापा अपनी कुतिया बेटी को कुत्ते की तरह चोदेगा.....

शालु- हाँ पापा...!! मुझे कुतिया बना के खूब जोर-जोर से मेरी बूर चोदीये. मेरी बूर पूरी फैला दीजिये.
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शालु - आ आ.. चोदो.. .. चोदो.. अपनी घोड़ी की.. चूत.. को मज़े से भर दो..पापा .. मोटा लंड मस त्टत्त.. है.. चोदो.. .. आ आ अह ह.. चोद.. .. आ आ अहह.. मेरे.. घोड़े.. घोड़ी.. को.. ऊपर.. चढ़ कर.. चोदो.. .. घोड़ी .. मस्त हो गई.. ..मज़ा आ रहा है एये ए आहा आ हा.. चोदो.. चोदो.. और चोदो.. चूत को फाड़ दो.. अ.. चोदो.. मज़ा आ रहा है.. .. ज़ोर.. से चोदो.. ओ.. ऊ.
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धर्मवीर -क्डी्ड्डी्ीी रंडी की चूत लेकर पैदा हुई है साली, इतना कसकर चोद रहा हूँ, फिर भी मरी जा रही है लंड के लिए साली हरामन कुतिया | कितना भी चोदो भूखी की भूखी ही रहती है | साली आधा घंटा हो गया है अपने मुसल लंड से तेरी चूत कूटते कूटते मसलते मसलते, इसकी चुदास अभी भी उतनी ही बरक़रार है


शालु जोश में बोली - अब कसके चोदो मुझे पापा , जीतनी तेज चोदना चाहते हो.......... जैसे चोदना चाहते हो , उठा के बिठा के, लिटा के, बस चोद दो मुझे | अब मुझे कुछ नहीं चाहिए | अब बस चुदना है मुझे | जमकर चोदो मुझे जैसे चोद सकते हो | मेरी चूत की सारी अकड़ निकाल दो अपने मुसल लंड से, मेरी चूत की सारी खुजली मिटा दो, मेरे जिस्म में लगी हवस की सारी आग बुझा दो |

धर्मवीर पूरे जोश के साथ शालु के बालों को पकड़े हुए शालु की चूत में लंड पेलने लगा धर्मवीर की जांघे शालु के बड़े-2 चुतड़ों से टकरा रही थी और ठप-2 की आवाज़ गूँज रही थी.बीच-बीच में वो शालु की चूतड़ों पर थप्पड़ जड़ देते है तो मस्ती में झूम उठती है. बूर पलते हुए धर्मवीर अपनी कमर को रोक देते है और शालु की कमर पकड़ कर जोर-जोर से आगे-पीछे करते हुए अपने लंड पर मारने लगते है. शालु भी मस्ती में अपनी चूतड़ों को आगे-पीछे करते हुए पापा के लंड पर मारते लगती हैं।

उधर बहार गुंज़न आगे झुक कर पीछे अपनी गान्ड को
ऊपर की तरफ कर ली जिसे गुंज़न की चूत बाहर की तरफ आ गयी

गुंज़न -चल डाल दे अपना लंड मेरी चूत में और चोद दे।

सोनू गुंज़न के पीछे आ गया और अपने लंड को पकड़ कर
गुंज़न की चूत के छेद पर टिका दिया गुंज़न ने अपनी चूत को पीछे की ओर धकेला लंड का सुपाडा गुंज़न की चूत के अंदर चला गया।
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सोनू पूरी तेज़ी से गुंज़न की चूत को चोद रहा था गुंज़न हर धक्के के साथ अह्ह्ह्ह अहह ओह कर रही थी और पनी चूत को पीछे की तरफ धकेल कर सोनू का लंड अपनी चूत में ले रही थी
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पर अंदर शालु की जोरदार चुदाई अपने बाबा धर्मवीर को
करता देखकर सोनू जायदा देर नही टिक सका और एक बार फिर अपना रस गुंज़न की चूत मे खाली कर दिया।

गुंज़न समझ गई की सोनू शालु को अपने पापा के साथ चुदाई से कुछ जायदा ही उतजित है और ये सब चोचकर गुंज़न भी खड़ी 2 ही अपना पानी बहने लगी।


परंतु अंदर धर्मवीर शालु को बिस्तर पर पटक देते है और बेड के किनारे कर देता है और ख़ुद नीचे खड़ा हो कर अपने मोटे लंड को उसकी बूर में ठूँस कर वो उस पर लेट जाते है. शालु भी अपनी टाँगे उठा कर खोल देती है. धर्मवीर उसकी बूर में पूरे जोश में लंड पेलने लगते है. धर्मवीर की कमर की रफ़्तार इतनी तेज़ हो चुकी थी की सारा कमरा सिर्फ 'ठप्प ठप्प ठप्प ठप्प' की आवाज़ से ही गूंज रहा था.

धर्मवीर- बहुत मजा दे रही है बेटी तेरी बूर. अपनी बेटी की कसी हुई बूर में लंड पेलने का मजा और किसी बूर में नहीं है.

शालु के मुंह से चीखें निकलने लगीं और कहने लगी- आह्ह … अहह बस होने ही वाला है पापा , और जोर से चोद, आह्ह … घुसेड़ दे पूरा लंड मेरी चूत में. फाड़ दे अपनी रंडी बेटी की चूत को आज! हाय , बहुत अच्छे. पेलो मेरी चूत को, जोर से पेलो. फाड़ दो मेरी चूत को, आज तो इतनी हसींन चुदाई हो रही है इस छिनाल चूत रानी की. साली को लंड लेने का बहुत शौक था. चोद दो, फाड़ दो आ अ आ आह ह हह.
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धर्मवीर- भोसड़ी की, मेरा लौड़ा खा जा, साली कुतिया तुझे तो एक दिन अपने दोस्तों के साथ मिल कर चोदूंगा, भेन की लौड़ी, तेरी चूत का भोंसड़ा बना दूँगा, तेरी मां की चूत .. हाय क्या चुत है तेरी तो साली, तुझे तो कॉल गर्ल होना चाहिये था छिनाल

शालु - आअहह…. फक मी…फक मी हार्ड……फक मी…………….फिर से फाड् दो आज मेरी चूत को…ओह चोद, मुझे चोदो, मेरे,को और जोर से चोदो। ओह,,,,,, मेरे चुदक्कड पापा ,, भोसड़ी वाले .....और जोर से मारो मेरी चूत कोो. .. ओह....ओह...आआह्ह......बहनचोद.....मेरा अब निकल रहा,, ह्ह्ह्
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धर्मवीर- शालु बेटी....लगता है अब मुझे पानी गिरना ही पड़ेगा.

शालु- गिरा दीजिये पापा....मेरी बूर में अपना पानी गिरा दीजिये....

धर्मवीर भी शालु की सुन कर अपनी कमर की गति तेज़ कर देते है

धर्मवीर -हाँ बेटी. तेरी बूर में ही अपना पानी गिराऊंगा. अपनी बिटिया के बच्चेदानी को अपने पानी से भर दूंगा.

शालु - आह्ह्ह...!! हाँ पापा...भर दीजिये मेरी बच्चेदानी को अपने लंड के पानी से.....आह्ह्हह्ह....!!

धर्मवीर जोर-जोर से झटके देते हुए अपने लंड को शालु की बूर में अन्दर तक ठूँस देते है. शालु भी दर्द सहते हुए पापा का लंड पूरा अपनी बूर में डलवा लेती है. २०-२५ जोरदार तेज़ झटकों के बाद धर्मवीर का पानी शालु की बूर में निकलने लगता है.
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धर्मवीर- आह्ह्ह्हह्ह...!! मेरी बिटिया रानी....अपनी बूर में भारवाले पापा का पानी....आह्ह्ह्हह्ह.....!!

शालु- आहह्ह्ह्हह...!! पापा...!! अपने लंड के पानी की आखरी बूँद भी मेरी बूर में ही गिराइयेगा....आह्ह्हह्ह....!!

शालु की बूर में धर्मवीर का लंड झटके खाता हुआ गाढ़ा पानी उगलने लगता है. शालु को अपनी बूर में किसी बाढ़ की अनुभूति होती है. वो मस्ती में अपनी बूर के ओंठों को पापा के लंड पर सक्त करते हुए सारा पानी लंड से निचोड़ कर अपनी बूर के अन्दर गिरवा लेती है. धर्मवीर शालु की नंगी पीठ पर गिर जाते है. शालु एक जिम्मेदार बेटी का फ़र्ज़ निभाते हुए अपने पापा का सारा बोझ अपनी पीठ पर उठा लेती है.
धर्मवीर का लंड अब भी शालु की बूर में ही घुसा हुआ है. शालु और धर्मवीर दोनों तेज़ी से साँसे ले रहे है. बाप-बेटी का एक साथ इस तरह से झड़ना उनके बीच के प्या
को देख कर बहार खड़े सोनू भी तीसरी झड़ जाता।
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