Nevil singh
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surili updatr.Update 17
कर्नल ने चाबी ताले में डाली अचानक उसका ध्यान किवाड़ पर गया उसे कुछ याद आया लेकिन वह षायद अपने विचारों की स्वयम् पुश्टी नहीं कर पा रहा था, सार्जेंट की आंखों में भी विचित्र भाव झलक रहे थे................उसे मालुम था दर्वाजे पर कर्नल ने जो बाल चिपकाये थे वे इस समय नहीं दिख रहे थे।
अंत में कर्नल ने चाबी ताले में डालकर घुमा दी......................कपाट खालने से पहले पतलून में खुंसी 38 केलीबर की भारी मोजर रिवाल्वर निकालकर हाथ में ले ली............वैंसी ही एक रिवाल्वर अब सार्जेंट के हाथ में भी थी।
कर्नल और सार्जेंट में आखों ही आंखों में कुछ इषारा हुआ दानों एक दूसरे की मंषा समझ गये, सार्जेंट दीवाल से सट कर खड़ा हो गया कर्नल ने एक जोर की लात किवाड़ पर मारी और हवा में उछलकर दूसरे ही पल वो कमरे के अंदर था।
तभी सार्जेंट को गोली चलने की आवाज सुनाई दी, एक व्यक्ति तेजी से बाहर भागा। लेकिन सार्जेंट मुस्तेद था उसने टांग अड़ा दी.................वह मुंह के बल गिर पड़ा, लेकिन बला की फुर्ती से उठ खड़ा हुआ उसका दाहिना हाथ खून से सना हुआ था षायद कर्नल की गोली उसके हाथ में लगी थी, उसने फ्लाइंग किक सार्जेंट की छाती पर मारी, सार्जेंट दर्द से दोहरा हो गया लेकिन अगले ही पल संभल गया उसके चहरे पर हिंसा के भाव थे अब तक वह उस व्यक्ति को जिन्दा पकड़ना चाहता था इसलिये पिस्तोल का उपयोग नहीं कर रहा था , उसने पतलून् में खुंसी पिस्तोल फिर से खींच ली, वो पिस्तोल सीधी ही करता की, उसकी किक सीधी पिस्तोल में लगी और पिस्तोल हवा में उछलकर गेलरी से होती हुयी नीचे लान में चली गयी, लेकिन वह भी अपनी झोंक में फर्स पर गिर गया था, इसके पहले कि वह संभलता सार्जेंट उसके उपर सवार हो गया और उसके बालों को पकड़ कर खींचा....................लेकिन यह क्या उसके सारे बाल उसके हाथ में आ गये अब उसकी सफाचट खोपड़ी से वह और खतरनाक दिखने लगा था।
तो आप हैं.........क्या कहते हैं ...अच्छा ट्रेवलिंग एजेंट, सार्जेंट ने उसका सिर बजा दिया वो दर्द से दोहरा हो गया, खड़े हो जाओ माई डिअर मिट्टी क षेर..........वह खड़ा हुआ, और पलट कर एंसा भागा मानों माना हुआ एथलीट हो, सार्जेंट उसके पीछे भागा वो हाॅटल से निकलकर सीधे एक मोटर साइकिल की तरफ दौड़ा एक ही किक में मोटर साइकिल स्टार्ट कर तूफानी रफ्तार से भाग निकला।
उसको मोटर साईकिल स्टार्ट करता देख सार्जेंट अपनी कार की तरफ बड़ा उसने फुरती से कार स्टार्ट की ,लेकिन कार एक तरफ झुक रही थी। सार्जेंट ने उतरकर देखा कार के एक चक्के में बिल्कुल हवा नहीं थी।
सार्जेंट जानता था अब पीछा करने का कोई फायदा नहीं वो तो ना जाने कहां निकल गया होगा, लेकिन वह निष्चित रूप से वही व्यक्ति है जो उसे ट्रेवलिंग एजेंसी पर मिला था।
सार्जेंट लाबी से होते हुए रूम में आया लेकिन फिर उसके आष्चर्य का ठिकाना नहीं रहा कर्नल का कहीं अता पता नहीं था, एक जर्मन रिवाल्वर दरवाजे के पास पड़ी थी, सार्जेंट ने बड़ी सावधानी से रूमाल की मदद से रिवाल्वर उठाकर सूटकेष में रख ली।
कर्नल आखिर गया तो कहां गया, इससे भी अहम प्रष्न वो गया कहां से। लेकिन सार्जेंट को अपनी ही बुद्धी पर तरस आ गया क्योंकि खिड़की खुली थी, उसने झांक कर देखा वह होटल का पिछवाड़ा था और खिड़की की बगल से पाइप नीचे तक गई थी। कर्नल जैसे व्यक्ति का उससे नीचे उतरना कतई असम्भव नहीं था।
वो षोच रहा था अब वो क्या करे क्योंकि उसके पास अब कोई काम नहीं था।