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Thriller पागल वैज्ञानिक

Siraj Patel

The name is enough
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Hello, Ladies :kiss: & Gentleman, :hi:
We are so glad to Introduce Ultimate Story Contest of this year.

Jaise ki aap sabhi Jante Hain is baar Hum USC contest chala rahe hain aur Kuch Din pahle hi Humne Rules & Queries Thread ka announce kar diya tha aur ab Ultimate Story Contest ka Entry Thread air kar diya hai jo 17th, Nov 2019, 11:59 PM ko close hoga.

Khair ab main point Par Aate Hain Jaisa ki entry thread aired ho chuka hai isliye aap Sabhi readers aur writers se Meri personally request hai ki is contest mein aap Jarur participate kare aur
Apni kalpnao ko shabdon ka rasta dikha ke yaha pesh kare ho sakta hai log use pasand kare.
Aur Jo readers nahi likhna chahte wo bakiyo ki story padhke review de sakte hai mujhe bahut Khushi Hogi agar aap is contest mein participate lekar apni story likhenge to.

Ye aap Sabhi Ke liye ek bahut hi sunhara avsar hai isliye Aage Bade aur apni Kalpanao ko shabdon Mein likhkar Duniya Ko dikha De.

Ye ek short story contest hai jisme Minimum 800 words se maximum 6000 words tak allowed hai itne hi words mein apni story complete Karni Hogi, Aur ek hi post mein complete karna hai aur
Entry Thread mein post karna hai.
I hope aap mujhe niraash nahi Karenge aur is contest Mein Jarur participate Lenge.


:thanks:
On Behalf of Admin Team
Regards :-
Siraj Patel


 

Chutiyadr

Well-Known Member
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Update 1
राजधानी नेषनल रिसर्च इन्सटीट्यू आफ बायोसाइंस, देश का एक मात्र रिसर्च इन्सटीट्यूट जहाँ बायोसाइंस के रिसर्च स्कालर, जूनियर तथा सीनियर वैज्ञानिकों को सरकार की और से भरपूर ग्रांट मिलती है। आज तक यहां के वैज्ञानिकों ने सेंकड़ों दवाइयां इजाद की, जिनकी मदद से असाधरण से असाधरण रोगों पर शीघ्र काबू पाया जा सका। नित नई खोजों में षामिल थीं महत्वपूर्ण दवाइयाँ जिनके लिये मानव पूर्ण रूप से वनस्पतियों पर निर्भर था लेकिन नेषनल रिसर्च इन्सटीट्यू आफ बायोसाइंस के कुशल साइंटिस्टों ने पहले इनका केमिकल फार्मूला जाना, फिर उन्हें आर्टिफीसियल ढंग से प्रयोग षाला में तत्वों के निष्चित अनुपात को मिलाकर बनाया। आज भी जो औसधियाँ प्रचलन में हैं जैंसे सिफ्लोक्सीन, क्लोरोक्वीन, जैंसी दवाईयों एवं कैंसर जैसे असाध्य रोग की दवाइ्र्र तैयार करने में इस इन्स्टीट्यूट के वैज्ञानिकों ने महत्वपूर्ण रोल अदा किया है। हाल के प्रयोगों से पता चला है कि कल तक जिस सदाबहार के पौधे को गाय-बैल तक खाने को तैयार नहीं होते थे उस सदसबहार के पौधे में वैज्ञानिक कैंसर जैसे असाध्य रोगों का निदान खोज रहे हैं। आषा यही की जा सकती है कि एक दषक बाद कैंसर से किसी को भी समय से पहले मृत्यु का षिकार नहीं होना पड़ेगा, और इन सब का कारण है उस महान व्यक्ति की लगन, देषप्रेम, और विष्वबंधुत्व जिसे हम डाॅक्टर षिवाजी कृष्णन के नाम से जानते हैं।
लेबोराट्री नेषनल रिसर्च इन्सटीट्यू आफ बायोसाइंस, साड़े चार फिट ऊँची टेबलों पर रखे थे कांच के फ्लास्क, उनसे जुड़ी नलियाँ, जगह-जगह पर नलियों के स्टेण्ड रखे थे, टेबलों के दाएँ एवं बाएँ तरफ बोतलों में विभन्न्ा प्रकार के केमिकल्स वा पावडर रखे थे।
रात के 12ः30 बज रहे थे लेकिनि डाॅक्टर सत्यजीत राय अपने प्रयोंगों में बुरी तरह व्यस्त थे, जूलिया उनकी मदद कर रही थी। जूलिया बीस इक्कीस साल की खूबसूरत युवती थी। उसने एम.एस.सी. बायोसाइंस में पूरी युनीवर्सिटी को टाप किया था...फिर हुआ हुआ उसका सिलेक्सन ‘नेषनल रिसर्च इन्सटीट्यू आफ बायोसाइंस’ में।
डाॅक्टर सत्यजीत राय सुगन्धों को लेबोराट्री में बनाने का प्रयोग कर रहे थे। उनका मत था फल, फूल, पेड़-पौधे, मांस-मटन में पायी जाने वाली खुषबुओं को विभिन्न्ा केमिकल की मदद से बनाया जा सकता है।
- डाॅक्टर 12ः30 बज गये आज का प्रयोग यहीं खतम कर देना चाहिये।
- नहीं जूलिया मुझे आज के प्रयोगों से बहुत आषा हे, तुम जाओ तुम्हारे घर में तुम्हारा इन्तजार हो रहा होगा।
- इन्तजार ......इन्तजार किसका डाॅक्टर मेरा अब इस दुनिया में कोई नहीं।
- ओह..आई. एम.स्वारी। फिर भी रात बहुत हो गई है अतः तुम्हें चले जाना चाहिये।
- डाॅक्टर अकेले काम करने में तुम्हें तकलीफ नहीं होगी और इतनी रात को जाना भी उचित नहीं, इसलिये आज रात मैं यहीं रुक जाती हूँ.....डाॅक्टर मैं चाय बना कर लाती हूँ।
- ओ.के. बेबी...जस्ट एज यू लाईक।
- ठीक है फिर अच्छे बच्चों की तरह इजी चेयर पर बैठ जाइ्र्रये...जब तक मैं चाय ना बना लाऊँ।
- जूलिया तुमने तो मुझे बच्चा ही बना डाला।
जूलिया ने डाॅक्टर की बातों को नजरन्दाज करते हुए कहा डाॅक्टर इतना काम करते आप थकते नहीं हो।
- तुम भी तो बैटी सुबह से मेरा साथ दे रही हो।
- डाॅक्टर मेरी उमर अभी बीस साल हे और आपकी छैयासठ साल.....मेरी बात और .....
- यानी हम बूढ़े हो गये.....
- मेरा मतलब.....
- अच्छा अब चाय बनाओ।
abhi padhna start kiya :reading:
thriller hai aur devnagri me ha ,padne me maja aane wala hai.....
 
Last edited:

Nevil singh

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Mai ye post yha start kar rha hu...aur ise post bhi karunga...kyoki maine start kiya hai to post krna hi ich padega....waise bhi apun ko bakawas krne ki aadat hai to mudde pe aatae hai jo jo mujhe abhi congratulate krega new thread ke liye sun le ye khani apne ek dost ne send ki thi mere ko jo ki incomplete thi but apun ne ise start krne se pehle hi complete kar rakha hai on the basis of my thoughts ..le fir me bakwas krne lga point ye hai ki kewal congratulate hi nhi krna hai updates aakar padhne bhi padenge..aur pasand ho ya na ho like kar ke rebu bhi dena padega wrna apun ..kuch bhi nhi krega kyoki sala apun lucifer ke jaisa mod to hai nhi jo jakar ban kar du ...hmm itna jarur krunga daily man me galiya jarur dunga tum logo ko ha nahi to yad rakhna....sham tak update deta hu tab tak waiting waiting comment kro aur mujhe congartulate kro sumjhe

Aata hu thodi der mai update lekar khi jana nhi
sarahniye.
 

Nevil singh

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Update 1
राजधानी नेषनल रिसर्च इन्सटीट्यू आफ बायोसाइंस, देश का एक मात्र रिसर्च इन्सटीट्यूट जहाँ बायोसाइंस के रिसर्च स्कालर, जूनियर तथा सीनियर वैज्ञानिकों को सरकार की और से भरपूर ग्रांट मिलती है। आज तक यहां के वैज्ञानिकों ने सेंकड़ों दवाइयां इजाद की, जिनकी मदद से असाधरण से असाधरण रोगों पर शीघ्र काबू पाया जा सका। नित नई खोजों में षामिल थीं महत्वपूर्ण दवाइयाँ जिनके लिये मानव पूर्ण रूप से वनस्पतियों पर निर्भर था लेकिन नेषनल रिसर्च इन्सटीट्यू आफ बायोसाइंस के कुशल साइंटिस्टों ने पहले इनका केमिकल फार्मूला जाना, फिर उन्हें आर्टिफीसियल ढंग से प्रयोग षाला में तत्वों के निष्चित अनुपात को मिलाकर बनाया। आज भी जो औसधियाँ प्रचलन में हैं जैंसे सिफ्लोक्सीन, क्लोरोक्वीन, जैंसी दवाईयों एवं कैंसर जैसे असाध्य रोग की दवाइ्र्र तैयार करने में इस इन्स्टीट्यूट के वैज्ञानिकों ने महत्वपूर्ण रोल अदा किया है। हाल के प्रयोगों से पता चला है कि कल तक जिस सदाबहार के पौधे को गाय-बैल तक खाने को तैयार नहीं होते थे उस सदसबहार के पौधे में वैज्ञानिक कैंसर जैसे असाध्य रोगों का निदान खोज रहे हैं। आषा यही की जा सकती है कि एक दषक बाद कैंसर से किसी को भी समय से पहले मृत्यु का षिकार नहीं होना पड़ेगा, और इन सब का कारण है उस महान व्यक्ति की लगन, देषप्रेम, और विष्वबंधुत्व जिसे हम डाॅक्टर षिवाजी कृष्णन के नाम से जानते हैं।
लेबोराट्री नेषनल रिसर्च इन्सटीट्यू आफ बायोसाइंस, साड़े चार फिट ऊँची टेबलों पर रखे थे कांच के फ्लास्क, उनसे जुड़ी नलियाँ, जगह-जगह पर नलियों के स्टेण्ड रखे थे, टेबलों के दाएँ एवं बाएँ तरफ बोतलों में विभन्न्ा प्रकार के केमिकल्स वा पावडर रखे थे।
रात के 12ः30 बज रहे थे लेकिनि डाॅक्टर सत्यजीत राय अपने प्रयोंगों में बुरी तरह व्यस्त थे, जूलिया उनकी मदद कर रही थी। जूलिया बीस इक्कीस साल की खूबसूरत युवती थी। उसने एम.एस.सी. बायोसाइंस में पूरी युनीवर्सिटी को टाप किया था...फिर हुआ हुआ उसका सिलेक्सन ‘नेषनल रिसर्च इन्सटीट्यू आफ बायोसाइंस’ में।
डाॅक्टर सत्यजीत राय सुगन्धों को लेबोराट्री में बनाने का प्रयोग कर रहे थे। उनका मत था फल, फूल, पेड़-पौधे, मांस-मटन में पायी जाने वाली खुषबुओं को विभिन्न्ा केमिकल की मदद से बनाया जा सकता है।
- डाॅक्टर 12ः30 बज गये आज का प्रयोग यहीं खतम कर देना चाहिये।
- नहीं जूलिया मुझे आज के प्रयोगों से बहुत आषा हे, तुम जाओ तुम्हारे घर में तुम्हारा इन्तजार हो रहा होगा।
- इन्तजार ......इन्तजार किसका डाॅक्टर मेरा अब इस दुनिया में कोई नहीं।
- ओह..आई. एम.स्वारी। फिर भी रात बहुत हो गई है अतः तुम्हें चले जाना चाहिये।
- डाॅक्टर अकेले काम करने में तुम्हें तकलीफ नहीं होगी और इतनी रात को जाना भी उचित नहीं, इसलिये आज रात मैं यहीं रुक जाती हूँ.....डाॅक्टर मैं चाय बना कर लाती हूँ।
- ओ.के. बेबी...जस्ट एज यू लाईक।
- ठीक है फिर अच्छे बच्चों की तरह इजी चेयर पर बैठ जाइ्र्रये...जब तक मैं चाय ना बना लाऊँ।
- जूलिया तुमने तो मुझे बच्चा ही बना डाला।
जूलिया ने डाॅक्टर की बातों को नजरन्दाज करते हुए कहा डाॅक्टर इतना काम करते आप थकते नहीं हो।
- तुम भी तो बैटी सुबह से मेरा साथ दे रही हो।
- डाॅक्टर मेरी उमर अभी बीस साल हे और आपकी छैयासठ साल.....मेरी बात और .....
- यानी हम बूढ़े हो गये.....
- मेरा मतलब.....
- अच्छा अब चाय बनाओ।
parsanshniye.
 

Nevil singh

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Update2
कर्नल नागपाल के पास आजकल कोई केस नहीं था। वो अपनी कोठी के लान में इजी चैयर पर बैठ कर सार्जेन्ट दिलीप की बकवास सुन रहे थे। कर्नल नागपाल केन्द्रीय गुप्तचर विभाग के खतरनाक एजेण्ट और सार्जेन्ट दिलीप उनका सहायक.....जिसका चुलबला, हँसमुख स्वभाव विख्यात है।
फादर, सार्जेण्ट दिलीप ने कहा..
- बोलो बेटे
- आज ष्याम का क्या प्रग्राम है।
- कुछ भी नहीं
- में सोच रहा हूँ आज सिल्वर नाईट क्लब जाना चाहिये।
- वो किस खुषी में।
- फादर आज सटर्डे है।
- तो
- आज वहाँ स्पेन की एरिया जेडसन का डान्स हैं
- मेंने तो सुना था से ये डान्स बगैरा पर सरकार ने बेन लगा दिया है...
- सब पर नहीं फादर स्टार क्ल्ब एवं हाॅटेल जिनमें फारेन टूरिस्ट आतें हैं....दे आर फ्री फ्राम दा बैन..
- ओह आई सी..नाओ गो आन तुम क्या कह रहे थे..
- ठीक है मेरी फोर्ड ले जाना मुझे कुछ काम है।
सार्जेंट दिलीप कई दिनों से देख रहा था कर्नल नागपाल के पास कोई केस नहीं था फिर भी वो चिन्तित नजर आते थे और अधिकान्स समय उनका लेबोराट्री में बीतता था। कर्नल ने अपनी कोठी के पीछे स्थित तीन कमरों को लेबोराट्री में बदल दिया था एवं खाली बक्त में ना जाने कौन-कौन सा प्रयोग किया करते थे, सार्जेंट दिलीप को इसकी कोई खबर नहीं रहती थी।
- फादर ये देखो, सार्जेंट दिलीप ने न्यूज पेपर की एक न्यूज पर अंगुली रख दी
- क्या है।
फादर नेषनल रिसर्च लेबोराट्री आफ बायोसाइंस के एक प्रोफेसर ने अपने एक प्रयोग के लिये दस करोड़ रुपये की सहायता मांगी है।
- तो क्या हुआ
- मतलब कुछ नहीं हुआ, गोया दस करोड़ रुपये नहीं दस हजार मांगे हों।
- भाई कोई महत्वपूर्ण प्रयोग कर रहा होगा....अमेरिका में तो अंतरिक्ष के विभन्न्ा प्रयोगों पर अरबों डालर का व्यय आता है।
- फादर यहाँ अंतरिक्ष के प्रयोगों जैसी कोई बात नहीं है।
- तो क्या है।
- वो सुगंधों पर प्रयोग कर रहा है।
- अरे ये तो अच्छी बात है।
- क्या खाक अच्छी बात है भरत में वैसे ही सुगंधों की कोन सी कमी है....साला प्रोफेसर की औलाद मेरा बस चले तो साले की गर्दन काट दूँ।
अच्छा गर्दन बाद में काटना मेंने सुना है आज तुम्हारा सिल्वर नाइ्र्रट क्लब जाने का प्रोग्राम है।
अरे मैं तो भूल ही गया, कह कर सार्जेंट दिलीप उठ खड़ा हुआ।
sadabahar update.
 

Nevil singh

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Update3
सार्जेन्ट दिलीप की फोर्ड कार षहर की चैंड़ी सड़कों पर दौड़ती हुई सिल्वर नाईट क्लब की तरफ जा रही थी। सार्जेंट का और सिल्वर नाईट क्लब का चैली दामन का सांथ पिछले पांच ष्षाल से चला आ रहा था। सिल्वर नाईट क्ल्ब के मेनेजर से लेकर हर बैरा तक उसको अच्छी तरह जानता था....जानते तो सिल्वर नाईट क्लब के हर मेम्मबर भी थे उसको कारण था मोन्टी जो अभी सार्जेंट के बगल में पेन्ट सर्ट पहन और फेल्ट हैट पहन कर सिगरेट पी रहा था।
- बैटे तू भी क्या याद करेगा आज तुझे मैं एरिना जेडसन का डान्स दिखा के लाऊँगा।
- ऊ.....ऊ.....ऊ....
- अबे साले गधे तू तो बन्दर का बन्दर ही रहा जानता नहीं है अमेरिका के विलियम साहब के बन्दर ने चार पोयम और पचास देषों के नाम याद कर लिये हैं...बैटे तू भी जल्दी से कर नहीं तो तेरे को फिर से जंगल छोड़ आऊगा।
लेकिन मोन्टी सार्जेंट की बकवास से परे प्रेम से सिगरेट के कस लगा रहा था।
दस मिनिट बाद सार्जेंट क्ल्ब के अहाते में बने कार पार्किंग में कार पार्क कर रहा था। आज जरूरत से ज्यादा भीड़ दिखाई दे रही थी सार्जेंट की लम्बी फोर्ड मुषकिल से एक कोने में खड़ी हो सकी।
सार्जेंट मोन्टी की अंगुलियों को पकड़े क्लब में दाखिल हो गया, क्लब के एक कोने में उसकी सीट रिजर्व थी । सार्जेंट अपनी सीट पर बैठ गया, मोन्टी एक छलांग में उसके सामने था....सार्जेंट को बैठा देख एक बैरा समीप आया।
- क्या लाऊँ सर।
- एरिना जेडसन
वो तो पन्द्रह मिनिट बाद मिलेंगी बैरे ने मुस्कुराते हुए कहा।
- अभी क्या मिलेगा।
- उनको छोड़कर सब कुछ
- तो बैटे वैटर दो पैग पीटर स्काच विद सोडा...
- यस सर
बैरा लम्बे डग भरते हुए बार की तरफ बड़ गया। सार्जेंट धीरे-धीरे टेबल बजा रहा था। क्लब के एक और बने स्टेज पर कलाकार गिटार पर कोई मधुर धुन बजा रहे थे साथ में एक एंगलो इंडियन लड़की इन्गलिष में कोई गाना गा रही थी लेकिन क्लब में सायद ही कोई ऐंसा हो जो उसका गाना सुन रहा हो...मोन्टी आर्केस्टरा की धुन पर बड़े मजे से सिर हिला रहा था....तभी एक सुरीला स्वर सार्जेंट के कानों से टकराया...मैं यहाँ बैठ सकती हूँं।
आफ कोर्स मेडम मेने केवल दो सीट रिजर्व करायीं हैं। सार्जेंट ने बिना सिर उठाये टेबल बजाते हुए जवाब दिया। तब तक बैरा दो पैग पीटर स्काच के ले आया था
- सर योर
सार्जेंट ने सिर उठाया, और देखा सामने एक अत्यधिक खूबसूरत नवयुवती बैठी थी।
हैलो सार्जेंट ने कहा, हैलो उसने जवाब में धीरे से कहा।
- मेंने आप को पहले यहाँ कभी नहीं देखा.....हेना मोन्टी
- मोन्टी ने सिर हिला दिया
- जी में पेहली बार आयी हूँ...आप यहाँ के...
मेडम में अकसर यहाँ आता रहता हूँ....बन्दे को सार्जेंट दिलीप कहते हैं , और ये हैं इन्सपेक्टर मोन्टी...उसने बन्दर की तरफ इषारा किया।
- क्या
- जी हाँ
- मतलब
- ये इन्सपेक्टर मोन्टी हैं।
- ये तो षायद बन्दर है।
मोन्टी ने घूर कर लड़की की तरफ देखा ,फिर सिगरेट के कष लेने लगा।
- देखो आज इसे बन्दर कह दिया चलेगा। आइन्दा नहीं कहना नहीं तो ये बुरा मान जायेगा।
उŸार में मोन्टी ने फिर सिर हिलाया..
- ठीक है बाई दि वे यू आर एन इन्टरेस्टिंग पर्सन..
- जर्रानवाजी के लिये षुक्रिया ,क्या बन्दा अपने सामने बैठी अनिन्ध सुन्दरी का इन्ट्रोडक्सन जान सकता है।
- ओह सार्जेंट में जूलिया हूँ। मेंने आपका बहुत नाम सुना है ,लेकिन मिल पहली बार रही हूँ, आप कर्नल नागपाल के असिस्टेंट हैं ना।
- आप तो अगता है मेरे बारे में सब कुछ जानती हैं ..
- और आपके मोन्टी के बारे में भी।
- क्या लेंगी
- कुछ नहीं
- जब आयी हैं तो कुछ तो लेना ही पड़ेगा विस्की..बियर
- जी में काफी लूंगी
raajdaar update.
 

Nevil singh

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Update no 4
सार्जेंट ने एक बैरे को पास बुलाया और काफी का आर्डर दिया।
पांच मिनिट के पष्चात जूलिया काफी की चुस्कियां ले रही थी...अचानक हाल की लाईट गोल हो गयी। मोन्टी कुरसी पर खड़ा हो गया ,सार्जेंट का दिमाक चकराया। जूलिया की तो चीख निकलने वाली थी तभी स्टेज पर हलकी गुलाबी लाईट का प्रकास का गोला दिखाई देने लगा , गोला धीरे-धीरे बड़ा होता गया, अब गोले के मध्य में एक खूबसूरत लड़की मधुर मुस्कान के साथ खड़ी थी...उसके जिस्म पर गुलाबी रंग के गाऊन नुमां वस्त्र थे...सार्जेंट को इस प्रकार के डान्स में गाऊन की उपयोगिता समझ में नहीं आ रही थी।
आर्केस्ट्रा का स्टेज भी हलके गुलाबी प्रकास से नहा रहा था , साधकों ने आर्केस्ट्रा पर मधुर धुन छेड़ दी थी...एरिना का षरीर आर्केस्ट्रा की धुन पर बिजली की गति से थिरक रहा था, सार्जेंट को गाऊन की उपयोगिता का पता लगता दिख रहा था। एरिना आर्केस्ट्रा की धुन पर गोल-गोल घूम रही थी। उसका गाउन गर्दन से ऊपर तक उठ रहा था, उसके घूमने की रफ्तार बड़ती जा रही थी।अचानक एरिना इतने जोर से घूमी कि उसका गाऊन हवा में उड़ गया,सार्जेंट के मुख से षिसकारी निकली। हाल में हल्का सा गुलाबी प्रकास छाया हुआ था सभी मंत्र मुग्ध डान्स देख रहे थे वह नाम मात्र के कपढ़ों में बिजली की गति से थिरक रही थी या यूं कहो कि उसका अंग-अंग थिरक रहा था। अब केवल एरिना पर सर्च लाईट का सफेद दूधिया प्रकास पढ़ रहा था, बह और अधिक मादक दिखाई दे रही थी, उसके डान्स करने का अन्दाज भी बदलता जा रहा था, सार्जेंट अपने दिमाक पर जोर डाल रहा था, उसे लग रहा था मानों उसने उसे कहीं देखा है। लेकिन उसे कुछ याद नहीं आ रहा था।
आर्केस्ट्रा की तेज धुन अचानक बन्द हो गई, उसने सभी को झुक-झुक कर सलाम किया और स्टेज से ओझल हो गयी।
क्लब का हाल एक बार फिर प्रकास से नहा गया, सार्जेंट अभी तक एरिना के विशय में ही सोच रहा था ,मोण्टी नई सिगरेट जला रहा था, जूलिया अभी भी आर्केस्ट्रा का मधुर धुन गुनगुना रही थीं
- सार्जेंट कहां खो गये।
- षोच रहा था वो खुषनसीब कोन होगा ............
- किसकी बात कर रहे हो..
- ...जिसके साथ इसकी षादी होगी....दूधिया बदन,सांचे में ढला षरीर, बांकी चितवन......
- मैं चली सार्जेंट
- अरे कहां अभी से
- अरे बाबा साड़े ग्यारह बज रहे हैं
उसने हाथ घड़ी में टाइम देखा।
- कहां रहती हैं आप
- नेषनल रिसर्च लेबोराट्री आफ बायो सांइस के पीछे बने क्वार्टर में।
- मैं आप को ड्रोप कर दूंगा चलिये।
- लेकिन आप तो सिविल लाईन में रहते हैं।
- अरे आप को कैंसे मालुम।
- मैंने कहा ना तुम्हारे बास की फेन हू
और मेरी नहीं, सार्जेंट ने रोनी सूरत बनाकर कहा।
- तुम्हारी भी, उसने मुस्कराते हुये कहा।
तुम्हारी भी, खेर चलो..चलो इन्स्पेक्टर मोन्टी,....मोन्टी ने सिर हिलाया, एवं तीनो क्लब से बाहर आ गये।
- आप नेषनल लेबोराट्री में काम करती हैं।
हां डाॅक्टर सत्यजीत राय की असिस्टेण्ट हूं।
बस अगले मोड़ पर दाहिने मोड़ दीजिये, अरे-अरे कहां ले जा रहे हो, मेरा घर आ गया। सार्जेंट ने अपना दाहिना पैर एक्सीलेटर से हटा कर ब्रेक के पैडल दबाया कार दाहिने और के एक क्वार्टर के सामने खड़ी हो गयी। क्वार्टर का बाहरी भाग सुन्दर पुश्पों के पौधों से सुषोभित हो रहा था, निष्चित रूप से यहां रहने वाला फूलों से प्रेम करने वाला है.......नहीं वाली है, अपने सोचने पर सार्जेंट के चेलरे पर मुस्कान आगई।
- आईये
- नहीं फिर कभी मेडम, दिन में नहीं तो वही बात हो जायेगी.....हम हैं आप हैं और ये तनहाई......
- आई थिंक यू आर नाॅट ....जस्ट लाईक देट ....आई हेव नो एनी प्राबलम फ्राम योर साइट एनी वे एस यू लाईक ओके गुड नाईट....
- गुड नाईट बट् थेंक्स टू सर्टीफाई माई करेक्ट....नाओ अगेन स्वीट ड्रीम मेडम।
जूलिया के चेहरे पर हलकी मुस्कान आ गयी.....वो अपने फ्लेट का दरवाजा खोलने लगी।
सार्जेंट ने कार स्टार्ट कर गयेर में डाल दी।.....

dilbahar update
 

Nevil singh

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Update no 5
Dr Shivaji Krishnan National research laboratory of Bioscience ke head aur unke sath unki office desk ke aage baithe hai unhi ki laboratory ke kabil scientist Dr Satyajit Rai.
-Sir mujhe apne research ke liye..10 Cr rupees chahiye..
-Mr Rai 10 Cr rupees koi choti amount nahi hai...
- Sir mere experiments se hmari country kha se kha pahuch sakti hai
-Mujhe to aisa nhi lagta Mr Rai
-Sir mere experiment and research abhi incomplete hai..but abhi bhi unme itni progress hai ki agar mai apne resarch ko aage badhane ke liye 10 cr ki jagah 10 billions bhi mangu to govt ko dena hi padega
-mtlb kya hai aapka
-destruction i mean tabahi
-kehna kya chahte hai aap
-mai yeh kah rha hu ki agar mujhe 10 cr nhi mile to mai aisi tabahi mchaunga ki pure bharat ka baccha baccha kaap uthega..
-Mr Rai aap hame dhamki de rahe hai
- ye dhamki nhi warning hai
- mai aapki dhamkiyo mai nhi aa sakta naahi govt se itna bda amount sanction kra sakta hu ..isliye better hoga aap secreteriat se help le.....
-Vo to mai lunga hi.
-acha aab aap ja sakte hai
-Sir kya aap mujhe bhga rahe hai
-Mr Rai mujhe puri laboratory dekhna hota hai..is faltu ki bakwas ke liye i cant waste my time..yes agar aap ke experiment really important rahe to mai apne special revenue se 8- 10lakha dilwa sakta hu
- 8-10 lakh ka amount aap apne pass rakhiye sir but meri warning yad rakhiyega..
-I said get out..Dr Shivaji krishnan ko first time itna gussa aaya tha..
Budha Satyajit Rai teji se cabin ke bahar chla gya..uske chehre par pareshani ki lakire saaf dekhi ja sakti thi ..gusse se chehra pura laal ho gya tha...
Mai is desh ko dikha dunga ki mai kon hu aur mai kya kar sakta hu ..hmare desh mai aur hazaro institutes hai jha mujhe kam mil sakta hai..bank se mai 10Cr ka loan le sakta hu...Dr satyajit rai soch rahe the aur unka tension kuch kam ho rha tha
gule guljaar update.
 

Nevil singh

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Update no 6
Kayi saari baato ko sochte hue..Dr stayajit rai apni 90s ki purani motercycle ko bank ke aage park krte hai..unhone brown colour ka suit pehna hua tha aur upar brown hat aur black shoes....
Dr rai teji se bank ke andar jate hai and sidha manager ke kamre ki traf nikal jaate
Mr Shukla..I am Dr Styajit rai from national research institute of bioscience..
Aaiye sir have a seat .manager ne bade hi tarike se bola..btaiye mai aapki kya help krta hu...
Kar to aap bahut kuch sakte hai par sawal yeh hai ki aap karenge ya nhi...
-Janab hum to baithe hi isiliye hai..aapki sewa ke liye ya yu kahiye ki aap logo ki sewa krne ki hi to salary lete hai.
-Thanks .mujhe ummid hai aap mera kam krenge
-ji ha ab hame point par aana chahiye
-Yes Mr Shukla mai bhi yhi chahta hu..par soch rha hu silsila kha se suru kru..mai ek scientist hu aur research kar rha hh
-Aap suru se btaiye
-mai sugandho par research kar rha hu ..mai jis laboratory mai kam krta hu wo mere liye sufficient nhi hai
Aur mere research mai kaphi paise kharch honge..mujhe new machines chaiye sath hi mai ek alag lab bnana chahta hu jha mujhe asistants ki bhi requirement padegi..
-yes doctor
-Mr shukla USA mai mera ek friend architect haiek friend meri hi trah bioscientist ka scientist hai..such pucha jaye to hmari friendship hmare subjects same hone ke karan hue..to Mai bol rha tha ki maine unse contact kiya tha..aur apni iccha btayi ...as per him mere is plan ke first stage mai hi 10 Cr lagenge aur aage aur kharch hoga..uski detail hum bad mai prepare krne wale the but pehla plan hi waise ka waise reh gya
-kya
-ji ha mujhe apne head of institute se expectation thi vah mere liye new lab khulwa de.but unhone na sirf mujhe mna kar diya balki mujhe beiijat bhi kiya.....
Happy holi bhai logo
dilruba update.
 
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