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Incest नफ़रत !!

कौन सा कीरेदार........पंसद है?


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    63
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DB Singh

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आई लाइक नफरत टाइप स्टोरी। प्लिज कंटिन्यू। इफ पोसिबल। रितेष का नफरत देखना चाहते है हम। दरिंदगी देखना है हमें। प्लिज लेखक महोदय। यदि आप हमारा कमेंट देख रहे हैं तो कृप्या इस कहानी को फिर से शुरू करिये। धन्यवाद 🙏🙏
 

MAD. MAX

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yar ye request mat kiya karo kisi ko bhi chahe vo meri hi story kyu na ho writer ko jarurat hai aapki aap readers ho agar aap log padhkar comment nahi karoge to kya story itne page or itni like le payegi nahi or agar aap log ye kehna band kar do to dekhna har story complete hogi warna har koi aise hi apko tadpta chodd jayega mein khud apni story pe kehta hu wait karo hi mat update aaye padho like or comment karo na aaye to thread open hi mat karo jis tarah bhakti ke bina bhagwaan adhure hai usi tarah readers ke bina writer ka koi vajood nahi staff 10 ka hai story ko hit nahi kar sakta apke bina or jo sahi galat nahi dekh paata vo kya karega band kardo ye sab us me meri bhi story hai are aap log ho to meri story badhegi warna 10 se 20 page me khatam
good night love you readers
Very excellent
 

kamdev99008

FoX - Federation of Xossipians
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***नफरत***

अपडेट -- 16









राकेश के गीरते ही.......वहां खड़े सुलेमान के आदमीयो ने अपनी - अपनी बंदूके रीतेश की कनपटी पर तान दी।

.......सुलेखा के साथ-साथ सभी लोग रीतेश के उपर तनी हुई बंदूके देख कर , घबरा जाते है!!

''लेकीन तभी सुलेमान ने, अपने हाथो से इशारा करते हुए अपने आदमीयो को बंदूक नीचे करने को कहा!!

.......उसके आदमी , रीतेश के कनपटी पर से बंदूक हटा लेते है,

सुलेमान रीतेश को गौर से देखते हुए बोला-

सुलेमान - साबाश ........बेखौफ , ऐसे जाबाज को सुलेमान सलाम ठोकता है। मेरे ही जगह पर आकर.......मेरे इतने सारे आदमीयो के होने के बाद भी , तूमने मेरे बेटे को ही सुला दीया। वाह.......बहादुरी दीखाना ठीक है, लेकीन मेरे बेटे को मारने का तुमने सोचा भी कैसै??

सुलेमान की तेज गुर्राने वाली बात सुनकर....सब के चेहरे रगं उड़ गया...!

सुलेमान - सबकी आखों में खौफ दीख रहा है, लेकीन तू अभी भी बेखौफ खड़ा है,

रीतेश - तेरे बेटे ने गलत जगह हाथ लगा दीया था........तो झटका तो लगेगा ही!!

रीतेश की बात सुनकर सुलेमान जोर से हंसा और अचानक गुस्सा होते हुए बोला-

सुलेमान - ठीक कहा तूने......वैसे ये लड़की कयामत है कयामत , इसे देखकर तो कीसी का भी इमान गड़बड़ा जाये......इस लड़की के लीये ही तूने मेरे बेटे को मारा ,,

......इससे पहले सुलेमान आगे कुछ और बोलता......रीतेश ने राकेश का बाल पकड़ते हुए उठा लीया.......और तभी पीटर ने एक पीस्ल रीतेश की तरफ उछाल दीया ॥ रीतेश पीस्टल को लपकते हुऐ उसने उसकी नोख राकेश के कनपटी पर लगाते हुए बोला-

रीतेश - इससे पहले तू आगे का घीसा पीटा डायलाग बोले......की मै ये करुगां वो करुगां , बल्की सच तो ये है की तू कुछ नही कर सकता ! यहां आने से पहले मैं समझ गया था.....की तू कोयी मसीहा नही.......बल्की तू खुद सागा का चमचा है........!! तू सागा के लीये सालो से काम कर रहा है......मुझे सब पता है!


.......रीतेश की बात सुनकर , सुलेमान की आखें चौड़ी होने लगी......उसके चेहरे पर परेशानी की झलक साफ दीखने लगी-


सुलेमान - वाह........क्या बात है, जीस बात का पता आज तक पुलीस नही लगा पायी......यहां तक की मेरे साथ काम करने वाले लोग को भी भनक नही लगा की मैं सागा के लीये काम करता हूं तो तूझे कैसे पता चल गया की मैं सागा के लीये काम करता हूं...!


........सुलेमान की बात सुनकर , सब लोग भौचक्के हुए खड़े थे । और सबसे ज्यादा शॉक में तो रमेश था की , इतने सालो से वो जो भी काम कर रहा था , वो सुलेमान के लीये नही बल्की सागा के लीये कर रहा था। और ये बात की सुलेमान सागा के लीये काम करता है.....इस बात को रीतेश कैसे जानता है, सीर्फ रमेश नही बल्की , सुलेखा.....वैभवी , हेमा सब लोग यही सोच रहे थे!!


सुलेमान - ए बोल.....तू कैसे जानता है ?

रीतेश - अबे चुतीये......मुझे क्या पता ? मैने तो एक डायलॉग मारा , बाकी तू ही बक दीया सब......

.........ओ माई गॉड.......रीतेश की ये बात सुनकर , तो सब के पैरो तले जमीन ही खीसक गयी.......!

..........वैभवी रीतेश की बात सुनते ही , उससे रहा नही गया तो ......वो हंसने लगी!!

वैभवी को हंसता देख......पीटर भी हंस दीया ,

पीटर (हंसते हुए) - अबे टकले........गेटअप , वेटअप तो ऐसे मार के रखेला है तू जैसे तू इच डान है, पर साला तू तो चुतीया नीकला बे....क्या गुडां बनेगा बे तू .!!

पीटर की बात सुनकर......सब हसने लगे !,

रीतेश - लेकीन , मेरी एक बात समझ में नही आयी ....तेरा नाम सुलेमान और तेरे बेटे का नाम राकेश कैसे??

सुलेमान - तूझे क्या लगता है, तूने ऐक छोटी सी बात का पता लगा लीया तो , बहुत बड़ा तीर मार लीया क्या?? चल तूझे मैं ये भी बता देता हूं की .......की ये मेरा ही बेटा है!! और इसका असली नाम जफर.......है जफर !


पीटर थोड़ा कॉमेडी करते हुए -

पीटर - जफर है जफर .......बोल तो ऐसे रैला बाप जैसे मालूम पड़ता हो साला कही तोप है!

पीटर की बात सुनकर......सुलेमान गुस्से मे बोला!

सुलेमान - अरे वो सुलेमान का बेटा है तो तोप ही है...वो , समझा!!


रीतेश -तो ठीक है , तेरे इस तोप को मै लेकर जा रहा हूं......और हां , मुझे सीर्फ इतना जानना है की , सागा ने मुझे क्यूं फंसाया??

......इतना कहकर , रीतेश जफर के कानो पर बंदूक लगा देता है, रमेश और पीटर भी बंदूक ले कर रीतेश के पीछे -पीछे चल देते है ,, सुलेमान के आदमी अपने हथीयार नीचे कर लेते है , और सब लोग सही सलामत वहां से नीकल जाते है!!


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रीतेश सब को सही सलामत वहा से नीकाल लाया था.......॥

पीटर - भाई इस तोप का आपुन क्या करेगें?
रीतेश - यही तोप अपने को सागा तक , पहुचायेगा......

रमेश - लेकीन भाई, तुम्हारी ये फैमीली.....

रमेश की बात सुनते ही , रीतेश गुस्से में बोला-

रीतेश - हे......ये मेरी फैमीली नही है समझा , और तुम लोग , बहुत हो गया चलो नीकलो अब यहा से.......और उस चुतीये से कह देना, की अब वो चैन से जीने वाला नही है.....

रीतेश का गुस्सा देखकर, सब की हालत खराब हो जाती है!!

हेमा - ब.....बेटा , हम सब तो दीदी को लेने के लीये ही आये थे !!

हेमा की बात सुनकर......सुलेखा ने कहा!

सुलेखा - हेमा मैने कहा था ना की, मै नही आउगीं तो फीर तुम लोग क्यूं वापस आ गये ?

हेमा - वो......वो , दीदी उन्होने कहा था की.....तुम्हे लेकर वंहा से जल्दी नीकल जाये, तो इस लीये हम लोग आये थे !!

हेमा की बात सुनकर......रीतेश का दीमाग घुमा!!

रीतेश - ओ.....तो उसने कहा था ,,

हेमा - हां......

रीतेश - अब ये कहीं नही जायेगी......तुम लोग नीकलो!!

रीतेश , की बात सुनकर वैभवी बोली-

वैभवी - मैं मां को छोड़कर कही नही जाउगीं!!

वैभवी की बात पर, सब लोग ने ऐग्री करते हुए बोला- की हम भी नही जायेगें!!

रीतेश - ओके......ठीक है, तो कोयी नही जायेगा!! ठीक है.......तो चलो सब लोग गांव , अगर कीसी ने भी , उसके साथ मीलने या बात करने या फीर जाने की बात की तो ,. मेरे बारे में पता होगा ही......!

सुलेखा - बेटा मैं तो तुझे , छोड़ने से रही.....बाकी का पता नही।

रीतेश - ओ.......हो, ये अचानक से इतना प्यार ॥

रीया जो कभी बोलती नही थी , वो बोल पड़ी रीतेश की बात सुनकर.....

रीया - वी ऑल लव यू रीतेश......इनफैक्ट डेड भी तुमसे प्यार करते है , लेकीन तुम हो की समझते ही नही हो !!

रीतेश - कौन है ये.....?

रीया - तुम्हारी बहन हूं मैं !!

रीतेश - देखो मेरी माताओ और बहनो.......मेरा दीमाग मत खराब करो.....मेरा दुनीया में सीर्फ मेरी एक दादी थी ,, उसके जाने के बाद अब कोयी नही.......सब कुछ ठीक होता , अगर मैं जेल ना आया होता ॥ मुझे जेल कराने वाला कोयी और नही वो तुम्हारा बाप और इसका पती है!!

रीतेश की बात सुनकर हेमा ने कहा-

हेमा - आलराईट देन.......अगर तुम जो बोल रहे हो वो तुम साबीत कर के दीखा सकते हो!!

रीतेश - मै तुम्हे साबीत करके क्यूं दीखाउं?? तुम हो कौन??

हेमा - आय एम नो बडी......लेकीन अगर ये साबीत हो जाये की तुम्हे जेल कराने वाले वही है तो फीर.......ये तो पता लगाना है की उन्होने आखीर ऐसा क्यूं कीया??

रीतेश - ठीक कहा ,, तुम लोग से रीश्ता तो कभी नही जुड़ेगा , लेकीन एक इसानीयत के नाते मैं ये साबीत जरुर करुगां......और सीर्फ तीन महीनो में .......और ये तीन महीना तुम लोग ना ही उससे बात करोगे और ना ही मुझसे ज्यादा क्लोज होने की कोशीश करोगे....

हेमा - ओके , हम तैयार है......


रीतेश - ठीक है.......चलो!!

फीर........सब लोग , गाड़ी में बैठते है , और गाड़ी वंहा से चल पड़ती है!!
20 महीने पहले की थी ये अपडेट अब फिर से इन्तजार
 

atulthrking

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Siraj Patel

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Hello everyone.

We are Happy to present to you The annual story contest of XForum


"The Ultimate Story Contest" (USC).

Jaisa ki aap sabko maloom hai abhi pichhle hafte hi humne USC ki announcement ki hai or abhi kuch time pehle Rules and Queries thread bhi open kiya hai or Chit Chat thread toh pehle se hi Hindi section mein khula hai.

Well iske baare mein thoda aapko bata dun ye ek short story contest hai jisme aap kisi bhi prefix ki short story post kar sakte ho, jo minimum 700 words and maximum 7000 words tak ho sakti hai. Isliye main aapko invitation deta hun ki aap is contest mein apne khayaalon ko shabdon kaa roop dekar isme apni stories daalein jisko poora XForum dekhega, Ye ek bahot accha kadam hoga aapke or aapki stories ke liye kyunki USC ki stories ko poore XForum ke readers read karte hain.. . Isliye hum aapse USC ke liye ek chhoti kahani likhne ka anurodh karte hain.

Aur jo readers likhna nahi chahte woh bhi is contest mein participate kar sakte hain "Best Readers Award" ke liye. Aapko bas karna ye hoga ki contest mein posted stories ko read karke unke upar apne views dene honge.

Winning Writers ko Awards k alawa Cash prizes bhi milenge jinki jaankaari rules thread mein dedi gayi hai, Total 7000 Rupees k prizes iss baar USC k liye diye jaa rahe hain, sahi Suna aapne total 7000 Rupees k cash prizes aap jeet shaktey hain issliye derr matt kijiye or apni kahani likhna suru kijiye.

Entry thread 7th February ko open hoga matlab aap 7 February se story daalna shuru kar sakte hain or woh thread 28th February tak open rahega is dauraan aap apni story post kar shakte hain. Isliye aap abhi se apni Kahaani likhna shuru kardein toh aapke liye better rahega.

Aur haan! Kahani ko sirf ek hi post mein post kiya jaana chahiye. Kyunki ye ek short story contest hai jiska matlab hai ki hum kewal chhoti kahaniyon ki ummeed kar rahe hain. Isliye apni kahani ko kayi post / bhaagon mein post karne ki anumati nahi hai. Agar koi bhi issue ho toh aap kisi bhi staff member ko Message kar sakte hain.


Rules Check karne ke liye is thread ka use karein — Rules & Queries Thread

Contest ke regarding Chit Chat karne ke liye is thread ka use karein — Chit Chat Thread



Prizes
Position Benifits
Winner 3000 Rupees + Award + 5000 Likes + 30 days sticky Thread (Stories)
1st Runner-Up 1500 Rupees + Award + 3000 Likes + 15 day Sticky thread (Stories)
2nd Runner-UP 1000 Rupees + 2000 Likes + 7 Days Sticky Thread (Stories)
3rd Runner-UP 750 Rupees + 1000 Likes
Best Supporting Reader 750 Rupees Award + 1000 Likes
Members reporting CnP Stories with Valid Proof 200 Likes for each report



Regards :- XForum Staff
 
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