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Adultery "नरपिशाच"

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"नरपिशाच" हाँ वो "नरपिशाच"ही था.
और राधा बुआ और उन की बेटी राखी उस के गुलाम पिशाचनी.

तीनो निर्वस्त थे आखे अंगारो जेसी दाहक रही थी उस का लौंडा 9" लम्बा और 3" मोटा था. दुनिया की नजरों में वो राधा बुआ का ५० साल का काला कलूटा देहाती गवार नौकर गोपाल था मगर सच तो यही था वो उन का मालिक था. एक शराब की खाली बोतल और एक भरी हुई बोतल टेबल पर रखी थी तीन गिलास और खाने की प्लेट रखी थी राधा बुआ और राखी कुतिया की तरह ज़मीन पर बैठी थी और गोपाल कुर्सी पर बैठा था. उस का काला लौंडा मीनार की तरह सीधा खड़ा था सुपडा अंगारे की तरह दाहक रहा था.जमीन पर चिकन के कुछ टुकड़े पड़े थे जिन को राधा बुआ और राखी जैसे कुतिया खाती हे बेसे ही खा रही थी.
तभी जोर से बिजली कड़की और डर के मारे मेरी चीख निकल गई एक पल के लिए गोपाल की नज़रे मेरी नज़रों से मिली. डर के मारे में काँप उठी एक पल को लगा मानो लकवा मार गया हो दूसरे ही पल बारिस और ठण्ड की फिकर छोड़ में घर की ओर दौड़ पड़ी.
मेने यह भी न सोचा के कोई देखता तो उसे सफ़ेद भीगे कुर्ते में मेरी ३२ साइज की चूचिया साफ़ नज़र आ जाती.जैसे तैसे में घर पहुंचे अच्छा था माँ पापा सो गए थे में सीधा अपने कमरे में पहुंची और सारे कपडे निकाल कर रजाई में घुस गई. ठंड के मारे मेरी कुल्फ़ी जमी हुई थी थोड़ी देर बाद जब ठंड कम हुए तो राधा बुआ के यहां की घटना याद आई.
राधा बुआ दिन भर पूजा पाठ करने वाली 45 साल की विधवा औरत शहर की सब से सम्मानित शिक्षक और उन की बेटी राखी २२ साल की मेरी उम्र की बैंक में जॉब करने वाली संस्कारी माँ की संस्कारी लड़की मोहल्ले की सब से शरीफ संस्कारी पड़ी लिखी फॅमिली.प्याज लहसुन भी न खाने बाला जैन परिवार.
मेरी समझ में नहीं आ रहा था में क्या करूँ न चाहते हुए भी बार बार मेरा धयान में गोपाल का काला लौंडा आ रहा था.वो लोग कितने गंदे तरीके से चुदाई कर रहे थे ऐसी चुदाई तो मैने कभी किसी प्रोन मूवी में भी नही देखी थी. सोचते सोचते मेरी सील पैक चुत पूरी गीली हो गई.मेरा हाथ न चाहते हुए भी चुत पर पहुँच गया. चुत को सहलाते सहलाते मेरी आँखे बंद होने लगी.
में शुरू से सब याद करनी लगी
क्या हुआ था दो घंटे पहले?
 
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रात के दस बज रहे थे सब लोगो ने डिनर कर लिया था मम्मी पापा अपने रूम में चले गए थे. शाम से ही तेज़ बारिश हो रही थी. में भी अपने रूम की तरफ जाने लगी तभी मुझे याद आया की डोर तो लॉक किया ही नहीं में सुबह जोकिंग को जाती हु तो मेन डोर की चाबी मेरे पास ही रहती है जो में अपने रूम में टेबल पर रहती हू.

में रूम में पहुँची तो देखा चाबी टेबल पर नही हे मेने पूरा रूम देख लिया मगर चाबी नही मिली में परेशान हो गई तभी मुझ को याद आया की में दोपहर को राधा बुआ के घर गई थी डोर लॉक कर के और मेने चाबी उन के फ्रिज के ऊपर रख दी थी.ओहो अब क्या करूँ बिना डोर लॉक कर के भी नहीं सोया जा सकता.खिड़की से देखा तो बारिस कम हो गई थी राधा बुआ का घर ज्यादा दूर नहीं है हमारे घर से सो मैने सोचा के जल्दी से जाती हु और चाबी लेकर दो मिनिट में बापस आती हु.में जल्दी जल्दी चलती रात को दस बजे उन के घर पहुँच गई. उन का घर काफी बड़ा था पहले २० फिट का गार्डन था फिर घर था गार्डन में पहुंची तो फिर से तेज़ बारिस शुरू हो गई में दौड़ कर दरवाजे पर पहुंची और साँस लेने लगी. गार्डन के कोने में राधा बुआ का नौकर गोपाल का कमरा था गोपाल राधे बुआ का काफी पुराना नौकर था लेकिन जाने को मुझे पसंद नहीं था वो बहुत ही गन्दा लगता था वो शराब पीता था और दिनभर बीड़ी पीता था जिस से उस में से एक अजीब बदबू आती थी उसके पीले पीले गंदे दांत थे इतना काला रंग की काजल भी शर्मा जाए रात को देख लो तो डर जाओ.और राधा बुआ ४५ साल में भी इतना सिलिम जैसे मदुरि दीक्षित और उन की लड़की राखी २२ साल की कमसिन जवान बिलकुल आलिया जैसी लगती हे.
में दरवाजे की तरफ बड़ी के तभी मुझे किसी औरत की चीख की आवाज सुनाई दी. में रुक गई तोडा डर भी लगा फिर लगा सायद राधा बुआ मूवी देख रही हो क्यों की कल संडे था ऑफिस की छुट्टी थी. तभी चीख की आवाज फिर आई वो आवाज गोपाल के रूम की तरफ से आ रही थी. में डर गई सोचा पुलिस को कॉल करो
लेकिन में मोबाईल लेकर हे नहीं आई थी क्यों की मुझे तो चाबी लेकर दो मिनिट में लौटना था. मुझे क्या पता था के यहाँ कुछ गड़बड़ होगी. अब मुझको राधा बुआ और राखी की फ़िक्र होने लगी मेंने डर पर काबू पाया और पेड़ो के बीच से छुपते छुपते गोपाल के कमरे की और बड़ी. पास पहुंची तो मेंने देखा कमरे का दरवाजा बंद था लेकिन पीछे वाली खिड़की से रोशनी आ रही थी. अब आवाजें और बढ़ गई थी साफ़ पता चल रहा था के कम से कम दो औरतों को कोई मार रहा हे मेरा दम निकला जा रहा था. लेकिन राधा बुआ और राखी के फिकर भी हो रही थी में खिड़की के पास पहुची देखा. रूम में काफी रोशनी थी पर जैसे ही मेने रूम के दूसरी तरफ़ देखा.
ओहो ओहो हे भगवान यह क्या हो रहा हे मुझे अपनी आँखों पर भरोसा नहीं हो रहा था.
मंज़र ही कुछ ऐसा था.
 
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राधा बुआ और उन की बेटी राखी दोनों नंगे खड़े थे और उन का नौकर गोपल चप्पल लिए खड़ा था.
वो भी नंगा था उस के हाथ में चप्पल थी और वो चप्पल से उन दोनों को मार रहा था.
चटाक चटाक उन दोनों के चूतड़ और पीठ पिटाई से पूरी लाल हो चुकी थी ऐसा लग रहा था खून निकल जाए गा वो दोनों जोर जोर से चीख रही थी.
कह रही थी मालिक और जो से मरो हा मैरे मालिक मारो हम गुलामों को मरो अपनी रंडियो को.
उफ़ यह सब देख कर मेरा तो दिमाग ही घूम गया गोपाल का सांप जैसा काला मोटा लोढा देक कर गला सूख गया .दिमाग कुंद हो गया सांसे ढोकनि के तरह तेज़ चलने लगी एक पल लगा के भाग जाऊ लेकिन कदमो ने साथ देने से इंकार कर दिया वासना का ऐसा घिनौना नाच मेने पहले कभी नहीं देखा था और गोपाल का काला साप जैसा गन्दा लोडा देख कर मेरी कुँवारी चुत गीली हो गई.
गोपाल कह रहा था मादरचोद रंडियो अपने मालिक को अपनी चूत और गांड खोल कर दिखाओ कुतिया बन जाओ और पुरे चूतड़ फैला दो
राधा बुआ- हां मालिक हम आप के लिए कुतिया बन रहे हे, बेटा राखी मालिक का हुकम मनो कुतिया बन कर अपने चूतड़ फैला दो, पूरा खोल दो अपनी गांड और चूत का छेद मालिक के सामने.
राखी- जो आज्ञा माते आप न भी कहती तो भी में कुतिया बनती क्यों की गोपाल जी मैरे भी मालिक हे और में भी गोपाल की गुलाम रंडी हु और यही तो मरे पिता हे इन्होने ही तो आप को चोद कर मुझे पैदा किया हे.
दोनो कुतिया बन जाती हे और अपनी गांड ऊपर को उठा कर गोपाल के सामने चूतड़ फैला देती हे.
गोपाल- वह वह क्या मस्त गांड हे तुम माँ बेटियों की राधा २५ साल से गांड मरते मरते और ४५ साल से टट्टी करते करते तेरी गांड का छेद कला होने लगा हे. लेकिन मेरी गुलाम राखी राँड़ का छेड़ा कितना मस्त गुलाबी गुलाबी हे और फैलाओ मेरी रंडियो मुझे पूरा अंदर तक देकना हे.
दोनों माँ बेटी और जोर लगती हे तभी पुऊर पू पुऊर पोऊ राधा बुआ का पाद निकल जाता हे.
गोपाल- हुऊ आएहआ वह मेरी राधा रंडी क्या मस्त खुसबू हे तेरे पाद की मज़ा आ गया मेरी जान और वो जोर जोर से सांसे ले ले कर राधा बुआ के पाद को सुघने लगा.
यह सब देख कर मेरी हालत ख़राब होने लगी मेने अपनी लाइफ में दो चार वार ब्लू फिलिम देखि थी रियल सेक्स तो कभी नही देखा था लण्ड देखे थे लेकिन गोपाल के जैसा भयानक ९" का कला कला और खून जैसे लाल सुपडे बाला लण्ड नहीं देखा था आज इतना ख़तरनाक और गन्दा लाइव सेक्स देख कर मुझे नसा जैसा चढ़ने लगा मैरे जहन पर वासना की खुमारी छाने लगी लगा जैसे कुवारी चूत कुछ कह रही हो मनो मेरी ३२ के चूचिया ३६ की हो गए हो सरे शारीर में चीटिया सी काटने लगी हो.
में जिंदगी की रह गुजर की एक तन्हा मुसाफिर-"सोफिया आलम नकवी" (सोफी)
एक निहायती पाकीज़ा शरीफ शर्मीली किताबी कीड़ा जिसने कभी किताबो से सर उठा कर किसी लड़के की तरफ भी न देखा हो जिसको चूत का एक इस्तमाल पता हो "मूतना" जिस को केवल गांड का एक इस्तमाल पता हो "टट्टी" करना जिस को मुँह का एक इस्तमाल पता हो "खाना" दोस्तों आप लोग खुद सोचो मेरी क्या हालत हो रही होगी जब मेरे सामने मेरी सब से अच्छी सहेली अपनी निहायती शरीफ और इज्जतदार माँ के साथ नंगी होके कुतिया बनीं है एक गंदे नौकर की गुलाम बनी है उस के सामने गांड खोल कर पाद रही है .
 
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मज़ा आ गया राधा रंडी तेरा पाद सूंघ कर आ आआ ऐसे ही कुतिया बानी रहो. गोपाल अपना मुँह राधा बुआ की गांड के खुले छेद के पास ले जा कर अपनी नाक गांड के छेद मै घुसा देता है राधा बुआ मचल ने लगती है आ आआ करने लगती है . गोपाल की काली नाक पूरी गांड के अंदर चली जाती है और तभी वो अपनी साप जैसे लम्बी जीव निकलकर एक दम से राधा बुआ की चूत मै घुसा देता है. आ आआ आ आआ मालिक मैरे मालिक आआ आ आआ जोर से मालिक चाटो मेरी चूत मर गई ओ ए माँ ओ ए राधा बुआ मस्ती में चीखने लगती है. तभी गोपाल नाक और जीव निकाल लेता है और राखी से कहता है. उठ मेरी छोटी रांड मैरे पास आके बैठ राखी उस के पास आ के उस से चिपक जाती है. चल छोटी रांड मेरी नाक चाट तेरी माँ की गांड मै आज नाक से मरू गा आ जा रानी. ह मैरे राजा मैरे मालिक राखी गोपाल का सर पकड़ कर गोपाल की गन्दी काली नाक जो अभी उस की माँ की गांड मै से निकले थी पूरा मुँह में भर लेती है. और जोर जोर से चूसती है और अपनी जीव को नाक के अंदर डाल के ऐसे चाटती है जैसे आइसक्रीम चाट रही हो.गोपाल राखी के दूध जैसे चूतड़ों को अपने पिशाचों जैसे काले काले पंजो से बेदर्दी से मसल रहा था. फिर वो राखी के बाल पकड़ कर अपनी नाक राखी के मुँह से निकलता है. उस की नाक मै से राखी का थूक टपक रहा होता है. चल छोटी रंडी मैरे पीछे जा और जैसे मै अपनी नाक से तेरी माँ की गांड मार रहा हु उसी तरह तू मेरी गांड मार जा छिनाल जा और हां नाक डालने से पहले थोड़ा चाटना भी. और गोपाल राधा बुआ के चूतड़ फैला कर अपनी नाक उन की गांड मै डाल देता है. इस बार राखी के चाटने की बजह से नाक चिकनी हो गई थी सो वो और ज्यादा अंदर तक घुस गई और उस ने अपनी जीव भी बुआ की चूत मै पेाल दी. इस डबल मज़े से राधा बुआ की मस्ती भरी चीख निकल गई.
 
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वहाँ राखी गोपाल के चूतड़ों को फैला कर अपनी नाक से गांड का छेद हलके हलके सहला रही थी और जोर जोर से सांसे ले रही थी ऐसा लग रहा था गोपाल की गांड की बदबू उस के लिए दनिया की सब से अच्छी खुसबू हो. वो दीवानो की तरह गोपाल के गांड सूघ रही थी और द्सरी तरफ उस की माँ भी गांड मरै और चूत चटाई से पागल हुई जा रही थी और जाने क्या क्या बाके जा रही थी. मालिक आ आआ जोर से चाटो खा जाओ मेरी चूत को आ अऊ ओहो मा मैरे सरताज हां यही पिशाब वाला छेद रगड़ो जीव से आआ आ मालिक.
ऐसा गंदगी से भरा सेक्स देख कर मेरी चूत पानी पानी हो रही थी. मेरा हाथ जाने कब मेरी चूत पर पहुंच चूका था. वहाँ राखी भी पागलो की तरह गोपाल की गांड मै कभी जीव तो कभी नाक और कभी जोर जोर से ऊगली डाल रही थी. तभी जोर से पू पूउउ पूउउ पुर पुर पूउउ गोपाल का पाद निकल गया इतनी तेज़ बदबू की मुझे बाहर होने के बाद भी उबकाई आ गई. लेकिन दोनों माँ बेटी तो जैसे पागल ही हो गई उन की आखे लाल लाल पिसचनियो जैसी लगने लगी और राखी ने पूरा गांड का छेद मुँह मै भर लिया और जोर जोर से आम जैसे चूसने लगी. अपना सर पटकने लगी गोपाल की गन्दी काली गांड पर वहाँ राधा बुआ जोर जोर से चिल्ला रही थी. मालिक ह ह आ आआ चाटो जोर से आ मारो मेरी गांड अअअ मारो अपनी रंडी की गांड यह सुनते ही गोपाल गांड से एक बार नाक निकल कर पूरा दम लगा के नाक द्वारा घुसा देता हैं. और जीव को कड़ा कर के सीधा चूत के अंदर कर देता ह अअअ उई माँ मर गई अहा आआ मै गई मालिक अहा मेरी चूत पानी छोड़ रही हैं आआ अअअअअ ओहो पिलो अपनी रांड का पानी आ और राधा बुआ की चूत से माल की पिचकारी छुटती हैं और गोपाल हु हु पिशाचों जैसी आबज़े निकलता और जोर से चाटने लगता हैं. और राधा बुआ का माल खाने लगता हैं .
और में जिंदगी की रह गुजर की एक तन्हा मुसाफिर-"सोफिया आलम नकवी" (सोफी)
जिंदगी के इस पहलु को देख कर सारी तमीज ओ तहजीब, शर्मो हया, किताबी ज्ञान, खानदानी रिवायते.
सब भूल कर चुतियो जैसे चूत की खुजली मिटने की नाकाम कोशिश करती अपनी चूत मसलती पिशाचलीला देखती जा रही थी.
 
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जा छोटी रांड बोतल उठा ला, गोपाल की बात सुनकर राखी MD की बोतल उठा लती है. गोपाल बोतल मुँह से लगा के ३-४ बड़े बड़े घुट भरता है. और बोतल राधा बुआ को दे देता है. और राखी को अपनी गोदी मै खींच लेता है.

राधा बुआ भी बिना कुछ मिलाए सीधा बोतल से है दारू पीने लगती है. और गोपाल राखी को मसलने लगता है. क्या नजारा था एक माँ नंगी बैठी दारू पी रही थी और उस की बेटी नंगी होकर बाप की उम्र के ५० साल के काले कलूटे नौकर की गोद मै बैठी अपना जिस्म नुचवा रही थी. तभी गोपाल राखी को निचे लिटा देता है और खुद उसके ऊपर चढ़ जाता है राखी टांगे खोल कर गोपाल से लिपट जाती है. बड़ी रंडी मेरे पीछे जा और अपने हाथो से मेरा लण्ड अपनी बेटी की चूत मै डाल जा छिनाल जा, हा मेरे राजा अभी डालती हु अपनी बेटी के चूत में आप का लण्ड, आप को याद है मालिक़ जब मैने पहली वार आप का लोढ़ा इस छोटी रंडी के चूत में डाला था, तो साली कैसे चिल्ला उठी थी रांड की चूत फट गए थी, चार दिन तो चल ही नहीं प् रही थी ही ही ही ही .कुतिया तू मेरी माँ है की सौतन साली मेरे मज़े ले रही है, हरामिन तेरी वजह से ही मेरी चूत फटी थी उस दिन रांड, मालिक़ तो कह रहे थे तेल लगा के डाले गे तेरी ही माँ चुदी थी जो बिना तेल के डलवा दिया था, कुतिया साली राधा बुआ गोपाल के पीछे पहुंच कर गोपाल का लण्ड राखी की चूत पर घिसने लगती है. रंडी घिस क्यों रही है डाल न, माँ डालो न गोपाल पापा का लण्ड अपनी बेटी की चूत में, कैसी माँ है तू अपनी बेटी तो तड़पती है, न बेटा न ऐसा नहीं कहते मै बुरी माँ होती तो तुझ को गोपाल जैसा बड़ा लण्ड क्यों दिलाती,

ले बेटा ले ले चूत मै लण्ड बुझा ले अपनी पियास ले रंडी मालिक का लोढ़ा, और वो गोपाल का लण्ड पकड़ कर राखी की चूत की छेद पर टिकाती है. बेस ही गोपाल जोर का झटका देता है और राखी की सुखी चूत मै गोपाल का आधा लण्ड घुस जाता है. माँ मर गई माँ आ ई आ ई माँ आ ई आआ राखी जोर से चीख पड़ती है, तभी गोपाल दूसरा झटका मर कर पूरा लण्ड छोटी रांड की चूत मै पेल देता है. अब तो राखी हलाल होते बकरे जैसे चिल्ला ने लगी राधा जल्दी से जाके अपनी गांड राखी के मुँह पर टिका कर बैठ गई, और गांड से पूरा जोर लगा के राखी का मुँह और नाक दवा दी, और गोपाल जोर जोर से झटके मर ने लगा राखी जलबिन मछली जैसे तड़प रही थी, उस की सगी माँ अपनी गांड से उस का मुँह और नाक बंद किए थी, वो साँस नहीं ले पा रही थी उस ने पूरी दम लगा के राधा को अपने मुँह से हटाया, और जोर जोर से खांसने लगी उस के मुँह से थूक का गुब्बारा उड़ने, लगा वो खासती जा रही थी और उस की माँ हस रही थी, है है है है मालिक़ देखो रंडी को कैसे फाड् फाड़ा रही है, लेकिन गोपाल को कुछ कहाँ सुनाई दे रहा था, वो तो राखी की चूत को आज भोसड़ा बनाने वाला था, राखी भी अब समल चुकी थी साली थी तो रंडी माँ की रंडी औलाद, राधा साली कुतिया तरे बाप ने तेरी माँ को कुत्तों से चुदवाया होगा हरामजादी तब तू पैदा हुई होगी, कैसी माँ है तू साली मेरी जान निकाल दी, अरे मेरा छोटा सा बेटा गुसा नहीं करते माँ तेरे को बहुत प्यार करती है, ले मुँह खोल मम्मी तेरे को दारू पिलाती है, और राधा MD की बोतल राखी के मुँह से लगा देती है, राखी 3-4 बड़े बड़े घुट लगती है आ हु ह जोर से राजा चोदो अपनी रांड को आ आआ ह हु आ, दारू और लण्ड के नसे मै राखी आसमान मै उड़ने लगती है, गोपाल भी ह हु ह हु करता पूरी ताकत से झटके मरता जाता है, बड़ी गुलाम हमारे सामने खड़ी हो जा मेरा होने वाला है तू जानती है न तुझे क्या करना है, ह मालिक़ और राधा बुआ उन के सामने खड़ी हो गई, और यह क्या वो उन दोनों के ऊपर पिशाब करने लगी, ह हु आ मूत रांड ओट जोर से ह ह हु हु आआ गोपाल तो मनो पिशाब पीकर पागल हो गया फट फट फट फट इतना जोर से चोदने लगा मनो शताब्दी ट्रैन जा रही हो,

और राखी भी पिशाब से नाहा गई थी और मुँह खोले अपनी सगी माँ का पिशाब पीती भी जा रही थी, आआ हह ह ह आ आआ माँ मालिक़ मर गई आ निकला मेरा निकला आआ ह इ इ आ आ राखी चिल्लाते हुआ झड़ने लगी,और गोपाल भी एक तेज़ झटका मर कर राखी के ऊपर गिर पड़ा और और उस के काले लण्ड का लावा राखी की चूत मै फूट पड़ा, .थोड़ी देर गोपाल उठ कर राखी के पास गया और अपना माल से सना लण्ड राखी के मुँह मै डाल कर बोलै, चल रांड साफ़ कर मेरा लण्ड तेरी चूत मै जाके यह गन्दा हो गया, राखी ने तुरंत मुँह खोला और माल की सफेदी से भिड़ा उस का कला लण्ड
मुँह मै लेकर चाट ने लगी, और राधा बुआ जल्दी से जाके अपनी बेटी की चूत पर झुक गई, और जींव निकल कर गोपाल और अपनी बेटी की चुदाई से निकला अमृत खाने लगी.

और में जिंदगी की रह गुजर की एक तन्हा मुसाफिर-"सोफिया आलम नकवी" (सोफी)
खिड़की पर खड़ी मनो पत्थर बन गई थी ऐसा खौफनाक सेक्स देख कर मेरी कुवारी चूत पानी पानी हो गई थी दिमाक कह रहा था भाग जा सोफी लेकिन कदम साथ नहीं दे रहे थे चुदाई राखी की हुई थी गांड मेरी फट गई थी.
एक वाक्य मै कहो तो "चूत दरिया और गांड" समंदर हो गई थी .
न तन्हाई दिख रही थी, न जिंदगी का होश था, न रह गुजर दिख रही थी.
तभी जोर से बिजली कड़की और मै बेहोसी के आलम मै डूबी चीख पड़ी और मेरी नजर "नरपिशाच" की नजरो से मिली .
 
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सुबह काफी देर से नींद खुली शरीर टूट सा रहा था आखो में अभी भी नींद की खुमारी थी.
सोफी ओ सोफी माँ की आवाज आई जल्दी आ ऑन्टी आई है, मै आँखे मलती दूसरे कमरे में पहुंची .
सामने सोफे पर राधा बुआ बैठी थी सफ़ेद खादी की साड़ी, गले में पतली सी चेन, आखो पर चश्मा, माथे पर पूजा का टीका, तेजमय चेहरा, देख कर लगता था कोई पवित्र साधबी बैठी हो,
एक पल में मुझ को रात की घटना याद आ गई पुरे शरीर में भय की लहर दौड़ गई, टांगे काँपने लगी सुबह सुबह उन को यहां देख कर मेरा तो दम ही निकल गया, तभी दूसरी तरफ देखा तो शरीर को लकवा मार गया टट्टी रोकना मुश्किल हो गया वहाँ नरपिशाच बैठा था, जमीन पर सर झुकाए उकडू जैसे पुराने खानदानी नौकर बैठते, थे वो चाय पी रहा था जमीन पर बैठा जैसे कोई गुलाम हो ,जैसे कोई पालतू कुत्ता हो, इस मै कुछ नया नहीं था, बुआ राखी गोपाल यह लोग रोज ही आते रहते थे हमारे यहां ,और गोपाल हमेशा ऐसी कुत्ता स्टायल में ही बैठ ता था, लेकिन कल रात जो मेने देखा था उसे देख कर इन लोगो का काला डरवना सच मेरे सामने आ गया था. साधबी की चेहरे के पीछे छिपी पिशाचनी और नौकर के भेष में छुपा पिशाच.
आओ बेटा आओ देखो राधा बुआ तुम से मिलने आई है.
पापा की आवाज सुन कर जैसे मै मौत की नींद से जागी, पापा और माँ ऑफिस जाने को तयार थे, और राधा बुआ सामने बैठी चाय पी रही थी, और गोपाल जमीन पर बैठा था ,मेरे पापा मम्मी दोनों टीचर है सुबह 6 बजे स्कूल जाते है, में रोज 5 बजे उठती हूँ, लेकिन कल रात देर तक जागने की बजह से आज सुबह भी देर से उठी,
में डरते डरते बुआ के पास जाके बैठ गई
क्या हुआ सोफी बेटा आज तो तुम ने मुंह भी नहीं धोया अभी तक, देखो में तो मंदिर भी हो आई .
बू बू बुआ जी आज न न नींद तोडा देर से खुली.
चलो भाई आप लोग बात करो हम लोग स्कूल जाते है, शाम को मिलते है बहिन जी कहते हुए पापा मम्मी अपने अपने बैग लेकर उठ खड़े होती है, यह सुनते ही मेरी गांड फट के चौड़ी हो जाती है, में कुछ कहना चाहती हूँ ,लेकिन आवाज नहीं निकलती तभी राधा बुआ अपने हाथ से मेरा हाथ पकड़ लेती है, में डर के मारे पत्थर बन जाती हूँ, पापा मम्मी चले जाते है तभी मुझे राधा बुआ के आवाज सुनाई देती है, मालिक दरवाजा बंद कर दो पिशाच उठा और दरवाजा बंद करके सामने सोफे पर बैठ जाता है, सीन बदल जाता है गोपाल सोफे पर बैठा है राधा बुआ जमीन पर उस के पेरो के पास और में अपना अर्ध जिन्दा शरीर लिए सामने सोफे पर.
क्यों रे सोफिया कैसा लगा कल रात का शो. तू जल्दी चली गई थी बाद में तो और मज़ा आया.
गोपाल की बात सुनकर मेरा गाला सुकने लगा, बुआ जी मुझे माफ़ कर दो में किसी से कुछ नहीं कहुगी,
माँ की कसम खाती हूँ, आप लोग जाओ मेरे घर से.
चुप साली रांड कुतिया मेरी गुलाम से क्या बात करती है मुझ से बोल जो बोलना है.
गाली सुनकर में काँप गई जिंदगी में पहली वार किसी ने मुझे गाली दी थी, डर और बढ़ गया रात को में देख ही चुकी थी राधा बुआ गोपाल की गुलाम थी, सो उन से बात करने का कोई फायदा नहीं था.
गोपाल जी में माँ की कसम खाती हूँ, में आप लोगो की कोई बात कभी किसी से नहीं कहुँगी, आप लोग मेरे घर से चले जाओ और मुझको गाली मत दो,
माँकिलोड़ी तेरी माँ चोदू , साली कल जब तू आई थी तभी देख लिया था मेने तुझको, रंडी तू केवल कमरे में एक तरफ ही देख रही थी, कुतिया कमरे क़े दूसरी तरफ देखती तो तुझे पाता चलता, की सारे घर में कैमरे लगे है, तू जैसे ही घर क़े सामने पहुंचे थी, तभी से हम सब तुझ को देख रहे थे, साली तू शरीफ होती तो चूत खुजाती खुजाती हमारी चुदाई नहीं देखती दो घंटे तक हरामिन रांड बड़ी शरीफ बनती है.
कैमरे वाली बात सुनकर मेरी फटी गांड चार इंच और फट गई.
वो कहे जा रहा था तू क्या हम लोगो को चूतिया समझती है, साली तेरे जैसी हजार लोडिया चोद कर फेक दी मैने,
"तू क्या समझती है में इस रंडी का नौकर हूँ? मेरी असलियत जानकर तू यही बैठे बैठे मर जायेगी "
 
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फिर कौन हो आप ?
बताऊगा रांड सब बताऊगा लेकिन पहले तुझ को भी इस की तरह मेरा गुलाम बनना होगा कुतिया .
नहीं मुझे नहीं बनना किसी का गुलाम आप जाओ यहाँ से सब लोग इनके जैसे गंदे नहीं होते.
साली छिनार बड़ी शरीफ बनती है, रात मै क्या माँ चुदा रही थी चूत मसल मसल कर यही देख रही थी ना देख मेरा लण्ड राज इस को देख कर ही तेरी चूत गीली हो गई थी, बोल हरामिन और वो अपना काला घोड़े जैसा लण्ड बहार निकाल कर बैठ गया .
बंद करो इस को मुझे गन्दी बातें पसंद नहीं, और तमीज़ से बोलो मुझ से में इन रंडियो के जैसे तुम्हारी गुलाम नहीं हूँ.
वो अपना लण्ड पकडे सहला रहा था ना चाहते हुऐ भी में एक टक लण्ड को निहारे जा रही थी. तभी उस ने लण्ड की खाल निचे की सूपड़ा बहार निकला आलूबुखारे जैसा लाल लाल सूपड़ा खाल हटते ही अजीब सी स्मेल रूम मै फेल गई.
उस को सूघ कर मेरी हालत और ख़राब होने लगी, में जोर जोर से सासे लेने लगी दिमाक से काबू हटने लगा, आखे वासना की आग से लाल हो गई, वो मेरे पास और पास आया .और सूपड़ा मेरी नाक से सटा दिया, मेने जोर से सांस खींची मनो सुपडे पर हेरोइन डली हो मै सीधा आसमान में पहुंच गई, जाने कब मैरे मुँह से मेरी जीव बहार निकली और सुपडे के छेद से टच हो गई, तभी वो पीछे हट गया और सोफे पर जा के बैठ गया,
मुझे झटका लगा आसमान से सीधा जमीं पर गिरी, लाल आखो और भूखी कुतिया के तरह जीव निकले मै लण्ड के तरफ देख रही थी.
साली राधा तू फालतू बैठी बैठी क्या माँ चुदा रही है चल मेरे पैर साफ़ कर ,जब ताक में इस रांड से बात करता हूँ.
राधा बुआ सफ़ेद खादी की साड़ी, गले में पतली सी चेन, आखो पर चश्मा, माथे पर पूजा का टीका, तेजमय चेहरा, पवित्र साधबी या कहु गोपाल के चरणों की दासी, गोपाल की रांड, गोपाल की गुलाम, कुतिया जैसे झुक कर गोपाल के गंदे कीचड़ लगे पैर अपने तेजमय चेहरा से रगड़ने लगती है, जैसे कोई पालतू कुतिया अपने मालिक को प्यार कर रही हो, उस क़े पैर को चाट कर.
क्या देख रही है मेरे लण्ड को सोफिया रांड, भोक जल्दी कुतिया लण्ड लेना है बोल सोफी रंडी.
में जैसे पागल हो गई थी, ड्र्ग एडिट हो गई थी, में एक शरीफ पढ़ाकू खानदानी कुवारी लड़की, एक नौकर के गंदे लण्ड की गुलाम बनती जा रही थी, क्या हो रहा था मुझे, जुवां साथ नहीं दे रही थी मैरे मुँह से कोई आवाज नहीं निकल पा रही थी .
बोल रांड तुझे यही लण्ड चाहिए ना देख ध्यान से देख सुपडे को, देख यह जो काला सफ़ेद लगा है, यह राधा रांड की गांड और मैरे लण्ड का माल है, तेरे जाने के बाद मेने इस की गांड मारी थी, तब का लगा है खास तेरे लिए बचाया है, नहीं तो इस की बेटी और यह रोज दोनों मिलकर चाट कर मेरि गांड और लण्ड साफ़ करती है, कल मेने केवल गांड साफ़ कराई थी,लण्ड तेरे लिया बचा लिया था, बोल कुतिया चाटेगी गांड और लण्ड का मिक्स माल चूसेगी मेरा लण्ड बनेगी मेरि गुलाम रंडी.
वासना की आग में जलते हुऐ, मेरी सराफत की माँ चुद गई, मेरी पाकीज़गी मेरी गांड मै घुस गई, खानदानी रिबायतो पर मेने मूत दिया, और बोली हां गोपाल तुम जो कहोगे में वो करूगी, बनुगी तेरी रंडी बनुगी, तेरी गुलाम, मुझे गांड और लण्ड का मिक्स माल चाटने दो अपने लण्ड से.
तड़ाक तड़ाक दो जोरदार थपड पड़ते है मेरी आखो से आँसू निकल पड़े.
राधा बुआ किसी पिसाहचणी के तरह मैरे सामने खाड़ी थी, बिखरे बाल चेहरा कीचड़ और थूक से भिड़ा हुआ. मुझ से जाने क्या गलती हो गई थी जो बुआ ने मुझ को दो थप्पड़ मार दिय.
रंडी अब तू मालिकः की गुलाम बन गई फिर भी मालिक का नाम लेती है.
गलती हो गई बुआ माफ़ कर दो में गुलामी के रूल नहीं जानती.
मालिक से माफ़ी मांग जब मालिक बैठा हो तो किसी और से कुछ नहीं मांगते, जो भी मांगना हो मालिक से मांगते है, चिंता मत कर में सब सीखा दूगी, तुझे जा कुतिया बन के मालिक के पास जा और माफ़ी मांग.
मै कुतिया जैसी बनी पूउउ पूउउ पूउउउउउ पूउउ मेरा पाद छुट पड़ा, मै सीधा उठ कर यहाँ आ गई थी, मेने ना पेस्ट किया था ना टट्टी सो जोर से मेरा पाद छुट पड़ा.
में शर्म से पानी पानी हो गई २२ साल से सीख रही थी, लड़कियों और औरतो को केबल टट्टी में पादना चाहिए, मेने भी पहलीवार किसी के सामने पादा था.
मालिक गलती हो गई में आज टट्टी नहीं गई सो पाद निकल गया.
लेकिन मालिक और बुआ तो जैसे दूसरी दुनिया में बिचरण कर रहे थे, जोर जोर से सांस ले ले कर दोनों मेरा पाद सूंघ रहे थे, उन को देख कर मेने भी जोर से सांस ली उफ़ उफ़ दिमाक घूम गया, उफ़ वही हेरोइन का नशा चढ़ने लगा, में भी उन की तरह जोर जोर से सांसे लेने लगी और अपना पाद सुघने लगी.

भली सांगत का असर इस को कहते है, २२ साल से रोज पादती थी लेकिन लेकिन कहाँ जानती थी, की इतनी दिव्य खुसबू होती है, हेरोइन जैसा नशा होता है, आज गोपाल और राधा बुआ जैसे भले लोगो से मिलकर यह ज्ञान की बात पता चली,
तभी तो कहा गया है "जाति न पूछो साधु की, पूछ लीजिये ज्ञान, मोल करो तरवार का, पड़ा रहन दो म्यान" जब भी मौका मिले ज्ञानियों से ज्ञान ले लो .

यहाँ पर में उन भाई बहिनो से कहना चाहुगी जो लोग हेरोइन का नशा करते है, एक बार अपना पाद सूंघ कर देखे शायद उन को हेरोइन सुघने की जरूरत ना पड़े "पाद" से ही काम चल जाए.
 
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वाह रानी वाह क्या मस्त खुसबू है तेरे पाद की मज़ा आ गया तेरा पाद सूघ कर, चल पहते तुझे टट्टी करवा दू चल नंगी हो कर कुतिया बनी बाथरूम की और चल,
और में अपने मालिक का हुकुम मानती कुतिया की तरह चलने लगी राधा बुआ भी मेरे पीछे पीछे कुतिया बन कर चलने लगी,
और गोपाल हम दोनों के पीछे चल रहा था मुझे बहुत जोर से टट्टी लग रही थी, और कुतिया बनकर चलने से बार बार मेरा पाद निकल जा रहा था जो सीधा राधा बुआ के मुँह से टकरा रहा था, लेकिन राधा बुआ बुरा मानने की जगह अपना मुँह खोल कर जोर से सांस लेकर मेरी गांड से निकलती गन्दी बदबू को सूघ रही थी, और गोपाल भी पूरी मस्ती में आके मेरी गांड की महक को मज़े से सूंग रहा था, बाथरूम में पहुँचते ही गोपाल ने मेरे बाल पकड़ कर मुझे उठाया और कमोड पर बैठा दिया, और अपना गन्दा लण्ड जो कालरात की राधा बुआ की गांड मराई से लण्ड के माल और राधा बुआ के गांड के माल से सना था मेरी नाक के पास ले आया, और अपनी लण्ड की चमड़ी नीचे कर के सुपडे को खोल दिया, चमड़ी नीचे होते ही लण्ड से बहुत है गन्दी बदबू आई, लेकिन अब तो मुझे यह सारी गंदगी मानो हेरोइन का नशा लग रही थी, मेरी आखे बंद होने लगी किसी कामुक कुतिया की तरह मेने अपनी लार टपकती जीव से उस का सूपड़ा चाट लिया, सुपडे पर लगा घिनोना माल मुझे अमृत लगा मेने सुपडे को अपनी पाकीजा मुँह में भर लिया और अपनी जीव से उसे चाटने ली, और वो गंदगी निगलने लगी ,गोपाल अपनी पैर फेळके मेरे सामने खड़ा था राधा बुआ कुतिया बनी गोपाल के पीछे बैठी थी और सर ऊपर करे जीव से गोपाल की गांड और उस के अंण्डे चाटे जा रही थी, उन के मुँह से भी कुतिया जैसी लार बह रही थी ,तभी गोपाल ने मेरे सर को पकड़ा और बिना कुछ कहे जोर का झटका मर के मेरे पाकीजा मुँह में अपना गंदगी से सना लण्ड पेल दिया, मुझे जोर का झटका लगा मेरा मुँह मनो फट गया सास रुक गई, गोपाल का लम्बा मोटा लण्ड सीधा मेरे गले में जाके फास गया, मुझे जोर से मितली सी आ गई और बहुत ही जोर से मेरे गांड सी टट्टी और चूत से पिशाब निकल पड़ी, मेरी नाक से पतला पतला पानी बहने लगा मेरी आखो से आसुओं की बारिस होने लगी ,मेरी टट्टी से पूरा कमोड भर गया मेरी चूत से निकलती पिशाब गोपाल की गाड़ चाट रही राधा बुआ के मुँह पर पड़ रही थी, तभी गोपाल ले आधा लण्ड बहार खींचा और फिर एक झटके में पूरा गले तक पेल दिया झटका लगते ही मेरी चूत से पिशाब की पिचकारी निकली जो राधा व के मुँह पर गिरी, गोपाल जोर जोर से सांसे ले ले कर बाथरूम में भरी बदबू को सूघ रहा था, हर सांस के साथ उस का नशा बढ़ता जा रहा था राधा बुआ अब अपना मुँह मेरी पिशाब निकलती चूत पर रख दिया और मेरी चूत को जोर जोर से चूसना सुरु कर दिया, गोपाल ने भी अब अपने झटको की रफ़्तार बड़ा दी, वो तेज़ी से अपने लण्ड से मेरे मुँह को चोदने लगा उस के हर झटके के साथ मेरी गांड से टट्टी निकल कर कमोड में गिर रही थी और चूत से पिशाब निकल कर राधा बुआ के मुँह में जा रहा था, जिसे बुआ बड़े मज़े और उत्तेजना के साथ पीती जा रही थी, अब मुझे भी गोपाल का लण्ड अपने गले में लेना अच्छा लगने लगा था बाथरूम में फैली टट्टी की बदबू का नशा मुझपर भी चढ़ता जा रहा था, में भी पूरा मुँह खोले गोपाल के गंदगी से भरे लण्ड से अपना गला चुदवाती जा रही थी बुआ की जीव मेरी चूत में हलचल मचा रही थी ,जिंदगी में पहली वार मुझे वासना की ताकत का एहसास हो रहा था मेरे जैसी पाकीजा पर्दानशी पड़ी लिखी खानदानी लड़की वासना की आग में जल कर कितना घिनोना सेक्स कर रही थी ,एक मामूली नौकर की गुलाम बन गई थी,


यही होता हे दुनिया का सब से खतरनाक नशा वासना का नशा, जिस के सर चढ़ने के बाद इंसान नरपिचाश बन जाता है, उसे और कुछ नहीं दिखता न छोटे बड़े का भेद न रिस्तो की मर्यादा न समाज जाती धरम के बनाये नियम, वासना के नशे में डुवा इंसान कुछ भी कर सकता है, वो बलात्कार कर सकता है, वो मर्डर कर सकता है, वो पारिवारिक रिस्तो को कलंकित कर सकता है, वो दुनिया का घिनोने से भी घिनोना काम कर सकता है,

वासना से बड़ा कोई नशा नहीं

मेरे मुँह से थूक के छींटे उड़े जा रहे थे, गोपाल अपना पूरा लण्ड मेरे गले तक पेले जा रहा था, उस के बड़े बड़े झाटो से भरे अंडकोश मेरे चेहरे से टकरा रहे थे, मेरी नाक से बहता पानी गोपाल के लण्ड पर लग कर मेरे मुँह में जा रह था, बुआ भी जोर जोर से मेरी चूत को चाटे जा रही थी, कभी कभी वो मेरी क्वारी चूत को पूरा मुँह में भर कर हलके हलके दातो से काट रही थी ,अब बुआ के हाथ मेरी अनछुई चूचियों पर पहुंच गए वो चूत पीते पीते मेरे निपल मसलने लगी लगी मेरी चूचियों को मसलने लगी, वहां गोपाल भेडियो जैसे गुर्राने लगा, ले कुतिया ले अपने मालिक का लण्ड अपने मुँह में, पूरा मुँह खोल कुतिया साली तेरी माँ को चोदू रांड हरामिन देखो साली को कैसे मुँह चुदबाते चुदबाते हग रही है, रंडी की औलाद तेरी माँ ने हजारो से चुद कर तुझे पैदा किया होगा साली रंडी खोल मुँह ,ले मेरा लण्ड,
किसी ने जिंदगी में पहलीवार मुझे इतनी गन्दी गन्दी गालिया दी थी लेकिन में तो इस समय दुनिया के सब से खतरनाक वासना के नशे में डूबी थी, इस समय तो मुझे यह गालियां भी बहुत अच्छी लग रही थी, में पूरा दम लगाके गोपाल का लण्ड अपने गले में लेती जा रही थी, बुआ के चूसने से मेरी चूत में भी आग लगने ले थी मेने अपने दोनों हाथो से बुआ सा सर अपनी चूत पर दवा दिया बुआ भी मेरी हालत समझ गई,
और उन्होंने अपनी जीव मेरी चूत में पेल दी बुआ की जीव चूत में जाते ही में सिहर गई कुझे जोर के कप कपी सी आई और मेरी चूत से माल की धार फूट पड़ी , बुआ और जोर जोर से मेरी चूत में जीव पेलने लगी और मेरी चूत से बहता चूत का ताज़ा ताज़ा माल चाटने लगी,
वह गोपाल भी झड़ने के करीब था, ले मेरी नयी गुलाम ले खा अपने मालिक का माल, पिले अपने मालिक का लण्ड का माल बन जा मेरी रंडी आ आ आआ ,और गोपाल ने मेरा सर पकड़ कर जोर से अपना पूरा लण्ड मेरे गले में पेल दिया और उस के लण्ड से गरम गरम माल मेरे गले में टपकने लगा, अपने गले में लण्ड के माल को महसूस कर में बुआ के मुँह में झड़ती जा रही थी, और गोपाल का माल निगलती जा रही थी, मेरे मुँह में पूरा माल छोड़ कर गोपाल ने लण्ड मेरे मुँह से नकल लिया में में आँखे बंद किये वासना के नशे में हवा में उड़ रही थी,

चल रांड तैयार हो जा अपने मालिक के पिशाब से नहाकर खुद को पवित्र कर और मेरा पिशाब पीकर अपनी गुलामी साबित कर, चल अब तुझे रोज मेरा पिशाब पीना होगा और इसी से नहाना होगा,

मेने अध् खुली आखो से देखा तो, गोपाल अपना लण्ड लिए मेरे सामने खड़ा था,
पिशाब से नहाने और पीने की बात सुन कर मेरे बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ गई में कुछ ज्यादा सोच पाती उस से पहले गोपाल के लण्ड से निकल कर पिशाब की मोटी धार मेरे चेहरे पर पड़ी,
उफ़ कितनी तीखी गंध थी एक बूढ़े शराबी की पीली पीली बदबूदार पिशाब एक कुवारी खूबसूरत खानदानी लड़की के मुँह पर पड़ रही थी, वासना के नशे से मेरा मुँह अपने आप खुल गया, और में गोपाल का कसेला घिनौना पीला पीला पिशाब पिने लगी एक घुट पीते ही में और मदहोस हो गई और कमोड से उठ कर गोपाल के सामने घुटनो के बल बैठ कर मेने उस का पिशाब करता लण्ड अपने मुँह में भर लिया और दीवानो की तरह उस का पिशाब निगलने लगी,
हा हा हा हा देख राधा रांड देख साली को बड़ी शरीफ पाकीज़ा बन रही थी, देख कुतिया को कैसे अपनी हगी हगाई गांड लेकर मेरे लण्ड का पिशाब पी रही है, देख राधा देख यह मेरी सब से अच्छी गुलाम बनेगी, चल राधा तू मूत इस के ऊपर और अपने मूत से नहा इस को, मेरा मूत तो यह साली पूरा पीकर ही मनेगी,
में गोपाल का पिशाब पी रही थी और राधा बुआ में मेरे ऊपर मूतना सुरु कर दिया वो मेरे सर पर मूत रही थी में उन के गरम गरम मूत से नहाने लगी मेरा नशा और बाद गया, मेने दोनों हाथो से गोपाल की गांड पकड़ कर अपना मुँह उस के पिशाब करते लण्ड पर दवादिया और उस का लण्ड फिर से मेरे गले में समां गया और उस के लण्ड से निकलती गरम पिशाब की धार सीधा मेरे पेट में जाने लगी,
पिशाब ख़तम हो जाने के बाद गोपाल ने मेरे बाल पकड़ कर लण्ड मेरे मुँह से निकल लिया और मुझे दक्का दिया में पीछे खिसक गई और कमोड का सहारा लेकर टिक गई , में हगने के बाद टट्टी सनी गांड लेकिन पिशाब से नहाई, चेहरे पर लण्ड का माल नाक थूक भिड़ाये, कमोड से टिक गई, वो कमोड जो मेरी टट्टी से भरा था दो मिनिट पहले जहां मेरा मुँह चुद रहा था, इतनी गंदे माहौल में मुझे कुछ भी बुरा नहीं लग रहा था इन सब गन्दी चीजों से मेरा नशा और बड़ रहा था, में सारी दुनिया को भूल कर वासना के नशे में डूब चुकी थी ,

चल राधा घर चलते है, और तू सुन मेरी नयी गुलाम आज रात ८ बजे हमारे घर आ जाना,

आज तुझे में लड़की से औरत बनाऊगा, आज में तेरी चूत की सील खोल कर तुझे अपनी रंडी बनाऊगा,

अपना गुलाम बनाऊगा,

आज की रात तेरा नया जनम होगा,

आज की रात में तुजे " नरपिचाश " बनाऊगा, आज की रात तेरा " रक्त स्नान " होगा,
 
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