गढ़-रचना बरुनी अलक चितवनि भौंह कमान।
आघु बँकाई ही बढ़े तरुनि तुरंगम तान॥47॥
बरुनी = पलक के बाल। अलक = मुखड़े पर लटके हुए लच्छेदार केश, वंकिम लट। कमान = धनुष। आघु = (संस्कृत आर्ह) मूल्य, आदर। बँकाई = टेढ़ापन। तुरंगम = घोड़ा।
गढ़ की रचना, पलक के बाल, लट, चितवन, भौंह, धनुष, नवयुवती, घोड़ा और तान- (इन सब) का मूल्य (आदर) टेढ़ाई से ही बढ़ता है।