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Incest दूध का दम

Smoker king

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Update 5



जब सुबह को मेरा नींद खुलता है तो मैं खुद को बिस्तर पर अकेला पाता हूं। मैं बिस्तर पर लेटे लेटे रात के बारे में सोचने लगता हूं और अपने आप में ही मुस्कुराने लगता हूं।

कुछ देर बाद में उठ के बाहर जाता हूं और अपने सुबह के सारा काम करता हूं फिर मम्मी को कह कर खेत की ओर जाने लगता हूं। रास्ते में ही मैं कालू को भी बुलाने उसके घर चले जाता हूं। काफी देर तक घर का दरवाजा खटखटा के बाद सरिता झांकी गेट को उबासी लेते हुए खुलती है। जिन्हें देखकर साफ नजर आ रहा था कि वे अब तक सो रही थी।

लेकिन मेरे नजर को जो सबसे ज्यादा आकर्षित करता है ।वो था चाची का गाल, जिसके ऊपर दांत का निशान था। देखने से ही पता चल रहा था कि किसी ने काफी बेरहमी से उनके गोरे गाल को काटा था। मुझे समझते देर नहीं लगता कि यह किसका काम है।

चाची मुझे अपनी गाल को घूरते हुए नोटिस कर लेती है। जिसके बाद वह अपने गाल पर हाथ रख के हंसते हुए कहती - देखना रातों को एक कीड़े ने काट लिया।

मैं - मच्छरदानी लगा कर सोना चाहिए था देखो कैसे आपके गोरे गाल को लाल कर दिया। अच्छा जाओ उस कीड़े को बुलाकर लाओ।

यह कहते हुए मैं और चाची घर में घुस के आंगन में आ जाते हैं। तभी चाची समझ आती है कि उनका झूठ पकड़ा गया। जिसके बाद वो शर्मा के वहां से जाने लगती है।

तभी मैं पीछे से उनका हाथ पकड़ लेता हूं और हंसते हुए कहता हूं - क्या हुआ चाची शरमा गई क्या।

चाची अपने हाथ को छुड़ाते हुए - छोड़ना कालू देख लेगा।

मैं - अरे अभी से उससे इतना डरने लगी।

तभी चाची अपने हाथ को छुड़ा के कमरे में भाग जाती है। कुछ देर बाद कालू बाहर आता है और हम दोनों खेत की तरफ चल देते हैं।

यहां पर मैं आपको कालू की मां के बारे में थोड़ा सा बता देता हूं। उसकी मां भी कम सुंदर नहीं है खास करके उनकी दो बड़ी-बड़ी चूचियां जो कि गांव में सबसे बड़ी है‌।जिसे चूसने का ख्वाब गांव का हर आदमी देखता है। कालू की मां ने एक नहीं बल्कि 2 शादियां की है। पहली शादी उनका कालों के बड़े पापा से हुआ था। लेकिन उसके मौत के बाद उन्होंने अपने देवर से ही शादी कर ली जो कि कालू के पापा थे।

खेत में मैं कालू से कहता हूं - लगता है तेरा नींद पूरा नहीं हुआ है।

कालू - ऐसी बात नहीं है बस आज थोड़ा ज्यादा ही आंख लग गया।

मैं - और चाची को भी आंख लगा दीया।

कालू - मतलब

मैं - मतलब ये कि तू कल रात चाची के कमरे में सोया था।

कालू हकलाते हुए - नहीं तो

मैं उसके पीठ पर एक घुसा मारते हुए - साले अब तो सच बोल दे और कितना झूठ बोलेगा सुबह तु चाची के कमरे से निकला था याद कर मैं भी वहीं था। और चाची के गाल पर किया गया मेहनत भी मुझे दिख रहा था।

कालू शर्माते हुए - वो मैं वो मैं

मैं - मैं मैं मैं क्या कर रहा है

कालू - यार तुझे तो सब पता चल गया होगा ना फिर भी तु मुझसे ऐसे सवाल क्यों कर रहे हैं।

मैं - तूने मुझे यह सब के बारे में बताया क्यों नहीं था।

कालू - तुम्हारी मम्मी ने मना किया था।

मैं - अच्छा ये सब छोड़ ये बता की तु चाची के साथ तो रात को कितने दूर तक गया था।

कालू शर्माते हुए - छोड़ ना यार।

फिर कालू मुझे पूरी बात सुनाने लगता है।(आगे की कहानी कालू की जुबानी)


मुझे मेरी मां ने इस खेल के बारे में 1 महीने पहले ही बता दिया था। जिसके कारण हम दोनों के बीच कभी कबार चुम्मा चाटी तो कभी ब्लाउज के ऊपर से ही मां मुझे अपनी चूचियां दबाने दे दी थी। लेकिन कल रात को जैसे ही हम दोनों घर लौटे।

मैं मां को उठाकर सीधा उनके कमरे में ले जाता हूं और बिस्तर पर पटक देता हूं। उसके बाद मैं मां के पूरे चेहरे को पागलों की तरह चूमने चाटने लगता हूं कभी गाल को चूमता तो कभी जीभ से चाटता तो कभी दांत से काट लेता।


मैं अपने आप पे अपना पूरा नियंत्रण खो चुका था। तभी मां मेरी दोनों गालो को पकड़ के अपने होठों को मेरे होठों पर रख देती है जिससे मैं थोड़ा सा शांत होता हूं और शांति से मां की होठों को चूसने लगता हूं।



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हम लोग तब तक एक दूसरे को किस करते हैं जब तक हमारी सांसे नहीं फुल जाता। किस के टूटने के बाद मैं हम दोनों एक दूसरे की आंखों में देखने लगते हैं।

तभी मैं थोड़ा सा नीचे जाता हूं और मां के ब्लाउज का बटन खोलने की कोशिश करने लगता हूं। लेकिन तभी मां मुझे रोक देती है और कहती है - आज तक इतना सब्र किया बस अब कल तक रुक जाओ कल तुझे जो मर्जी हो कर लेना मैं तुझे नहीं रोकूंगी।

उसके बाद में मां के पेट को अपनी जीभ से चाटने लगता हूं। चाटते हुए ही मैं अपनी जीभ को नाभि के अंदर डाल देता हूं और उसे भी चाटने लगता हूं। कुछ देर जी भर के नाभि को चाटने के बाद मैं मम्मी के पेट को चुमने और काटने लगता हूं।



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जिसके कारण मां के पेट पर निशान पड़ जाता है। मां तो मुझे इससे आगे जाने नहीं देती इसलिए मैं पेट को चुनते हुए भी सो जाता हूं। उसके बाद मां मुझे सुबह तेरे आने के बाद उठा देती है। ( अपनी जुबानी)

मैं - वाह भाई तेरी तो मजे हैं।

कालू - क्यों तेरे मजे नहीं है।

मैं - कहां यार कल रात को ही तो मम्मी ने मुझे यह सब के बारे में बताना है। बस पेटीकोट और ब्रा में मेरे साथ सोई थी।

कालू - कोई बात नहीं आज नहीं तो कल तेरी मां भी तुझे सब कुछ करने देगी।

मैं - लेकिन आज रात का तो तुझे इंतजार नहीं हो रहा होगा।

कालू - सही बोल रहे हो यार मुझे जरा सा भी इंतजार नहीं हो रहा। मैं तो मां को इस खेल के खत्म होने से पहले ही उनका पांव भारी कर दूंगा।

उसके बाद हम सब्जियां तोड़ के घर चले आते हैं और वही रोज का दुध और सब्जियों को बाजार जाकर बेचना।

जब मैं घर आता हूं तो मम्मी मुझे खाना खाने को देती है। खाना खाने के बाद मम्मी मुझसे कहती है - तुझे तो खेल के बारे में कुछ पता होगा नहीं।

मैं - मुझे कब बताया जो मुझे पता रहेगा और दूसरों को भी बताने से मना कर दिया।

मम्मी - अच्छा ठीक है ठीक है गुस्सा मत हो। 5 दिनों तक अलग-अलग तरह के खेल होंगे। लेकिन आखिर में जो खेल होता है उसके बारे में मैं जानती हूं। इस खेल को जीतने वाला ही मुखिया बनता है। चाहे तुम पहले कितने भी खेल जीत लो लेकिन अगर तुम इस खेल में हार गए तो तुम मुखिया नहीं बन सकती।

मैं - अच्छा ऐसा कौन सा खेल है।

मम्मी - तुम्हें एक पहलवान के गांड पर थप्पड़ मारना होगा। वह पहलवान अपने जगह पर से कितना दूर हिलता है या चिल्लाता है उसी के मुताबिक इस खेल का विजेता चुना जाता है।

मैं - क्या इतना आसान।

मम्मी - उन पहलवानों को अगर तुम डंडे से भी मारोगे ना तो भी ना वह चिल्लाएगा ना ही अपने जगह पर से हीलेगा इतना ताकतवर होता है वह लोग। तेरे पापा ने इस खेल में सबसे ज्यादा नंबर लाया था। और तेरे मामा अपने गांव में सबसे ज्यादा नंबर लाया था। लेकिन वह लोग आखिर में पहलवान को हिला नहीं पाये जिसके कारण वह दोनों हार जाता है और मुखिया नहीं बनता।

मैं - ऐसा क्या पहलवान लाते हैं या पहाड़।

मम्मी - इसलिए तुझे आज से ही उसकी प्रैक्टिस करना शुरू कर देना चाहिए।

मैं - वह कैसे करूंगा भला।

मम्मी - मेरे ऊपर और किसके ऊपर और कौन करने देगा तुझे अपने ऊपर।

मैं - मम्मी तुम्हें दर्द नहीं होगा

मम्मी - दर्द और मुझे शेरनी को कभी दर्द नहीं होता।

उसके बाद मैं भी तैयार हो जाता हूं। मम्मी मेरे सामने अपने घुटनों पर हाथ रखते हुए थोड़ा सा झुक जाती है। मुझे अपनी गोल मटोल गांड पर मारने के लिए कहती है। जिसके बाद मैं मम्मी की गांड पर एक छोटा सा थप्पड़ मारता हूं।

जिससे मम्मी चिढ़ जाति है और मुझ पर चिल्लाते हुए कहती है - शरीर में दम नहीं है क्या इतना धीरे से क्यों मार रहा है जोर से मार।

मम्मी के ऐसे चिल्लाने से मैं डर जाता हूं। और अचानक ही मम्मी की गांड पर एक जोरदार थप्पड़ जड़ देता हूं। थप्पड़ इतना जोरदार था कि मम्मी के साड़ी पहनने के बावजूद भी घर में एक चट की आवाज गूंज जाती है। और मम्मी मुंह के बल गिर जाती है क्योंकि मम्मी भी इस हमले के लिए तैयार नहीं थी।

मम्मी के गिरते ही मैं उन्हें उठाता हूं। मम्मी दर्द से कराते हुए कहती है - आह मेरा मुंह मेरा कमर मेरा गांड सब तोड़ दिया इस नालायक ने।

मैं - मम्मी मैंने तो पहले ही कहा था लेकिन तुम ही नहीं मानी अब भूखतो।

मम्मी दर्द भरी आवाज में कहती है - ठीक है कुछ नहीं हुआ है आज के लिए इतना ही तू जा अपने काम पर।

मैं - मम्मी मैं आपकी मालिश।

मम्मी मुझे बीच में ही टोकते हुए कहती है - नहीं नहीं कोई जरूरत नहीं है तु जा अपने काम पर।

मैं भी वहां से चले जाने में अपना भलाई समझता हूं।

फिर वही रोज का काम। लेकिन आज मुझे काम में मन नहीं लग रहा था क्योंकि मेरे पूरे मन पर मम्मी हावी हो चुकी थी। कल शाम तक मेरे मन में उनके खिलाफ कोई गलत भाव में था लेकिन आज। सच कहते हैं लोग औरतों के पल्लू के साथ ही मर्द का शराफत पर गिर जाता है। मेरे साथ भी कल वही हुआ मम्मी ने जैसे ही अपने साड़ी और ब्लाउज को उतारा मेरा नियत भी उतर गया। पर अब में भी और नहीं शर्मना चाहता हूं,मैं भी मां के साथ खुल के मजे लेना चाहता हूं। मैं अपने आप में एक दृढ़ निश्चय लेता हूं कि आज मैं भी कालू की तरह अपनी मां को चोद कर रहूंगा। यही सब सोचते हुए मेरा पूरा दिन निकल जाता है।

उसके बाद जब मैं शाम को घर पहुंचता हूं। घर पहुंचते ही मम्मी मुझसे कहती है - अच्छा हुआ जो तू जल्दी आ गया चल जल्दी जाना नहीं है।

मैं - कहां

मम्मी - आज खेल का पहला दिन है तुझे पता नहीं कहां जाना है।

जिसके बाद में भी एक लंबी सांस लेता हूं और मम्मी के पास चला जाता हूं। और उनके कमर पर हाथ रखकर खींच के अपने आप से सटा लेता।

इस वक्त मम्मी का पूरा शरीर मेरे शरीर से चिपका हुआ था। मम्मी मेरे इस व्यवहार से चौक जाती है और मेरे आंखों में एक टक नजर से देखने लगती है। मैं भी आज उन्हें ये बता देना चाहता था कि उसके सामने उसका बेटा नहीं है एक असली मर्द खड़ा है। जो उसके फूल जैसे शरीर को अपने मर्दाना शरीर से पिस कर उसका सारा रस निकाल सकता है।

मम्मी मेरे इस हरकत से जोर-जोर से हंसने लगती है। जिससे मेरे अंदर का आत्मविश्वास टूट जाता है और मैं मम्मी को छोड़ देता हूं। मम्मी हंसते हुए कहती हैं - चल चल बहुत देख ली तेरी मर्दानगी।

उसके बाद हम लोग घर से निकल पड़ते हैं। इस खेल को खेलने वालों का परिचय दे देता हूं।

खिलाड़ी ‌‍और उसकी मां

राजु रुपा

कालू सरिता

महेश कमली

सुरेश गुलाबो

राजेश चंपा


महेश सुरेश राजेश तीनों चचेरे भाई हैं। और उनकी मां कमली गुलाबो चंपा तीनों सगी बहन है। तीनों ने एक ही घर में शादी किया है। तीनों एक से एक कंटाप माल है।

लेकिन तीनों अलग-अलग घर में रहते हैं। आज का खेल राजेश के घर में था। जब हम वहां पहुंचते हैं तो देखते हैं वहां पर सिर्फ हम पांच लड़कों और उनकी मांओं के अलावा मुखिया जी और उनकी पत्नी की थी।

हमारे आने के बाद हम सबको आज के खेल के बारे में बताया जाता है।

मुखिया जी - आज का खेल ये है कि तुम्हें अपनी मां के स्तनों को तब तक दबाना होगा जब तक वह झड़ नहीं जाती। और साथ ही अपने लिंग को तब तक अपनी मां की गांड पर रगड़ा ना होगा जब तक झड़ नहीं जाते। जो सबसे ज्यादा देर और कामुक तरीके से इस खेल को खेलेगा उसे ही विजेता घोषित किया जाएगा।

फिर मुखिया जी सबसे पहले राजेश और उसकी मां चंपा को इस खेल को खेलने के लिए बुलाता है।

मुझे लगता है राजेश इस खेल को खेलने से पहले थोड़ा सा शर्माए या हिचकिचायेगा चाहिए। राजेश आते से ही अपनी मां के सीने से उसका पल्लू हटा देता है। और अपनी मां के पीछे से अपने दोनों हाथों को आगे करता है और ब्लाउज के ऊपर से ही अपनी मां की चुचियों को दबाने लगता है। और साथ ही साड़ी के ऊपर से ही अपने लंड को चंपा की गांड में रगड़ने लगता है। कुछ देर तक तो चंपा शर्म के मारे अपने मुंह से कुछ नहीं निकालती है।लेकिन थोड़े ही देर में वह भी अपना का काबू खो देती है और अपने शरीर को अपने बेटे के ऊपर ढीला छोड़ देती है और साथ ही आहे भरने लगती है - आह्ह आह्ह माई और जोर से।

कुछ देर बाद मुखिया जी हम सबको वही करने को कहते हैं। जिसके बाद सूरेश और महेश भी अपनी मां के साथ वैसे ही करने लगता है।

कुछ देर बाद राजु भी वहां पर रखे एक कुर्सी पर बैठ जाता है और अपनी मां को भी अपने गोद पर बिठा लेता है। और उसकी चुचियों को जोर जोर से दबाने लगता है। कुछ ही देर में आहें भरते हुए चाची भी अपने बेटे के लंड पर अपने गांड को रगड़ने लगती है।



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जब मेरा नजर मुखिया जी पर पड़ता है। वह अपने एक हाथ को अपनी पैंट के अंदर ले जाकर अपने लंड को मसल रहा था और साथ ही दूसरे हाथ से अपनी पत्नी की गांड को।

जब मेरा नजर मम्मी पर पड़ता है। तो वह मुझे भी चालू करने का इशारा करती है। मैं एक लंबी सांस लेकर सोचने लगता हूं कि इसे और भी कामुक कैसे बनाया जा सकता है। तभी मेरा नजर वहां पर रखी एक खाट पर पड़ता है। मैं मम्मी का हाथ पकड़ता हूं और ले जाकर उन्हें उस खाट पर एक तरफ मुंह करके लेटा देता हूं। और मैं खुद उनके पीछे जाकर लेट जाता हूं।मैं अपने एक हाथ को मम्मी के नीचे से ले जाकर उनकी चुची को पकड़ लेता हूं और दूसरे हाथ को ऊपर चलेगा कर दूसरी चूची को पकड़ के दबाने लगता हूं। और पीछे से अपने लंड को मम्मी की गांड पर रगड़ने लगता हूं।

पूरे घर में सिर्फ - आह्ह आह्ह आह्ह बेटा और जोर से ऊ मां,हां मां

थोड़ी ही देर में धीरे-धीरे करके सब झड़ने लगते हैं। और मम्मी भी कब का झड़ चुकी थी लेकिन अभी तक मेरा नहीं हुआ था। सब लोग मेरे और मम्मी की काम क्रिया को एकटक नजर से देखते थे। मैं समझ जाता हूं कि ऐसे तो मैं झड़ने से रहा। इसलिए मैं मां को पेट के बल लिटा देता हूं और खुद उनके ऊपर चढ़कर लेट जाता हूं और अपने लंड को मम्मी की गांड पर जोर जोर से रगड़ने लगता हूं। जिससे मम्मी मुझे बोलने लगती है - आह्ह धीरे आह्ह बेटा धीरे कर।

लेकिन मैं कहां सुनने वाला था मैं वैसे ही करता रहता हूं और 5 मिनट बाद मेरा भी माल निकल जाता है जिसके बाद मैं मां के ऊपर ही हापने लगता हूं।
 

Abhi32

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जब सुबह को मेरा नींद खुलता है तो मैं खुद को बिस्तर पर अकेला पाता हूं। मैं बिस्तर पर लेटे लेटे रात के बारे में सोचने लगता हूं और अपने आप में ही मुस्कुराने लगता हूं।

कुछ देर बाद में उठ के बाहर जाता हूं और अपने सुबह के सारा काम करता हूं फिर मम्मी को कह कर खेत की ओर जाने लगता हूं। रास्ते में ही मैं कालू को भी बुलाने उसके घर चले जाता हूं। काफी देर तक घर का दरवाजा खटखटा के बाद सरिता झांकी गेट को उबासी लेते हुए खुलती है। जिन्हें देखकर साफ नजर आ रहा था कि वे अब तक सो रही थी।

लेकिन मेरे नजर को जो सबसे ज्यादा आकर्षित करता है ।वो था चाची का गाल, जिसके ऊपर दांत का निशान था। देखने से ही पता चल रहा था कि किसी ने काफी बेरहमी से उनके गोरे गाल को काटा था। मुझे समझते देर नहीं लगता कि यह किसका काम है।

चाची मुझे अपनी गाल को घूरते हुए नोटिस कर लेती है। जिसके बाद वह अपने गाल पर हाथ रख के हंसते हुए कहती - देखना रातों को एक कीड़े ने काट लिया।

मैं - मच्छरदानी लगा कर सोना चाहिए था देखो कैसे आपके गोरे गाल को लाल कर दिया। अच्छा जाओ उस कीड़े को बुलाकर लाओ।

यह कहते हुए मैं और चाची घर में घुस के आंगन में आ जाते हैं। तभी चाची समझ आती है कि उनका झूठ पकड़ा गया। जिसके बाद वो शर्मा के वहां से जाने लगती है।

तभी मैं पीछे से उनका हाथ पकड़ लेता हूं और हंसते हुए कहता हूं - क्या हुआ चाची शरमा गई क्या।

चाची अपने हाथ को छुड़ाते हुए - छोड़ना कालू देख लेगा।

मैं - अरे अभी से उससे इतना डरने लगी।

तभी चाची अपने हाथ को छुड़ा के कमरे में भाग जाती है। कुछ देर बाद कालू बाहर आता है और हम दोनों खेत की तरफ चल देते हैं।

यहां पर मैं आपको कालू की मां के बारे में थोड़ा सा बता देता हूं। उसकी मां भी कम सुंदर नहीं है खास करके उनकी दो बड़ी-बड़ी चूचियां जो कि गांव में सबसे बड़ी है‌।जिसे चूसने का ख्वाब गांव का हर आदमी देखता है। कालू की मां ने एक नहीं बल्कि 2 शादियां की है। पहली शादी उनका कालों के बड़े पापा से हुआ था। लेकिन उसके मौत के बाद उन्होंने अपने देवर से ही शादी कर ली जो कि कालू के पापा थे।

खेत में मैं कालू से कहता हूं - लगता है तेरा नींद पूरा नहीं हुआ है।

कालू - ऐसी बात नहीं है बस आज थोड़ा ज्यादा ही आंख लग गया।

मैं - और चाची को भी आंख लगा दीया।

कालू - मतलब

मैं - मतलब ये कि तू कल रात चाची के कमरे में सोया था।

कालू हकलाते हुए - नहीं तो

मैं उसके पीठ पर एक घुसा मारते हुए - साले अब तो सच बोल दे और कितना झूठ बोलेगा सुबह तु चाची के कमरे से निकला था याद कर मैं भी वहीं था। और चाची के गाल पर किया गया मेहनत भी मुझे दिख रहा था।

कालू शर्माते हुए - वो मैं वो मैं

मैं - मैं मैं मैं क्या कर रहा है

कालू - यार तुझे तो सब पता चल गया होगा ना फिर भी तु मुझसे ऐसे सवाल क्यों कर रहे हैं।

मैं - तूने मुझे यह सब के बारे में बताया क्यों नहीं था।

कालू - तुम्हारी मम्मी ने मना किया था।

मैं - अच्छा ये सब छोड़ ये बता की तु चाची के साथ तो रात को कितने दूर तक गया था।

कालू शर्माते हुए - छोड़ ना यार।

फिर कालू मुझे पूरी बात सुनाने लगता है।(आगे की कहानी कालू की जुबानी)


मुझे मेरी मां ने इस खेल के बारे में 1 महीने पहले ही बता दिया था। जिसके कारण हम दोनों के बीच कभी कबार चुम्मा चाटी तो कभी ब्लाउज के ऊपर से ही मां मुझे अपनी चूचियां दबाने दे दी थी। लेकिन कल रात को जैसे ही हम दोनों घर लौटे।

मैं मां को उठाकर सीधा उनके कमरे में ले जाता हूं और बिस्तर पर पटक देता हूं। उसके बाद मैं मां के पूरे चेहरे को पागलों की तरह चूमने चाटने लगता हूं कभी गाल को चूमता तो कभी जीभ से चाटता तो कभी दांत से काट लेता।


मैं अपने आप पे अपना पूरा नियंत्रण खो चुका था। तभी मां मेरी दोनों गालो को पकड़ के अपने होठों को मेरे होठों पर रख देती है जिससे मैं थोड़ा सा शांत होता हूं और शांति से मां की होठों को चूसने लगता हूं।



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हम लोग तब तक एक दूसरे को किस करते हैं जब तक हमारी सांसे नहीं फुल जाता। किस के टूटने के बाद मैं हम दोनों एक दूसरे की आंखों में देखने लगते हैं।

तभी मैं थोड़ा सा नीचे जाता हूं और मां के ब्लाउज का बटन खोलने की कोशिश करने लगता हूं। लेकिन तभी मां मुझे रोक देती है और कहती है - आज तक इतना सब्र किया बस अब कल तक रुक जाओ कल तुझे जो मर्जी हो कर लेना मैं तुझे नहीं रोकूंगी।

उसके बाद में मां के पेट को अपनी जीभ से चाटने लगता हूं। चाटते हुए ही मैं अपनी जीभ को नाभि के अंदर डाल देता हूं और उसे भी चाटने लगता हूं। कुछ देर जी भर के नाभि को चाटने के बाद मैं मम्मी के पेट को चुमने और काटने लगता हूं।



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जिसके कारण मां के पेट पर निशान पड़ जाता है। मां तो मुझे इससे आगे जाने नहीं देती इसलिए मैं पेट को चुनते हुए भी सो जाता हूं। उसके बाद मां मुझे सुबह तेरे आने के बाद उठा देती है। ( अपनी जुबानी)

मैं - वाह भाई तेरी तो मजे हैं।

कालू - क्यों तेरे मजे नहीं है।

मैं - कहां यार कल रात को ही तो मम्मी ने मुझे यह सब के बारे में बताना है। बस पेटीकोट और ब्रा में मेरे साथ सोई थी।

कालू - कोई बात नहीं आज नहीं तो कल तेरी मां भी तुझे सब कुछ करने देगी।

मैं - लेकिन आज रात का तो तुझे इंतजार नहीं हो रहा होगा।

कालू - सही बोल रहे हो यार मुझे जरा सा भी इंतजार नहीं हो रहा। मैं तो मां को इस खेल के खत्म होने से पहले ही उनका पांव भारी कर दूंगा।

उसके बाद हम सब्जियां तोड़ के घर चले आते हैं और वही रोज का दुध और सब्जियों को बाजार जाकर बेचना।

जब मैं घर आता हूं तो मम्मी मुझे खाना खाने को देती है। खाना खाने के बाद मम्मी मुझसे कहती है - तुझे तो खेल के बारे में कुछ पता होगा नहीं।

मैं - मुझे कब बताया जो मुझे पता रहेगा और दूसरों को भी बताने से मना कर दिया।

मम्मी - अच्छा ठीक है ठीक है गुस्सा मत हो। 5 दिनों तक अलग-अलग तरह के खेल होंगे। लेकिन आखिर में जो खेल होता है उसके बारे में मैं जानती हूं। इस खेल को जीतने वाला ही मुखिया बनता है। चाहे तुम पहले कितने भी खेल जीत लो लेकिन अगर तुम इस खेल में हार गए तो तुम मुखिया नहीं बन सकती।

मैं - अच्छा ऐसा कौन सा खेल है।

मम्मी - तुम्हें एक पहलवान के गांड पर थप्पड़ मारना होगा। वह पहलवान अपने जगह पर से कितना दूर हिलता है या चिल्लाता है उसी के मुताबिक इस खेल का विजेता चुना जाता है।

मैं - क्या इतना आसान।

मम्मी - उन पहलवानों को अगर तुम डंडे से भी मारोगे ना तो भी ना वह चिल्लाएगा ना ही अपने जगह पर से हीलेगा इतना ताकतवर होता है वह लोग। तेरे पापा ने इस खेल में सबसे ज्यादा नंबर लाया था। और तेरे मामा अपने गांव में सबसे ज्यादा नंबर लाया था। लेकिन वह लोग आखिर में पहलवान को हिला नहीं पाये जिसके कारण वह दोनों हार जाता है और मुखिया नहीं बनता।

मैं - ऐसा क्या पहलवान लाते हैं या पहाड़।

मम्मी - इसलिए तुझे आज से ही उसकी प्रैक्टिस करना शुरू कर देना चाहिए।

मैं - वह कैसे करूंगा भला।

मम्मी - मेरे ऊपर और किसके ऊपर और कौन करने देगा तुझे अपने ऊपर।

मैं - मम्मी तुम्हें दर्द नहीं होगा

मम्मी - दर्द और मुझे शेरनी को कभी दर्द नहीं होता।

उसके बाद मैं भी तैयार हो जाता हूं। मम्मी मेरे सामने अपने घुटनों पर हाथ रखते हुए थोड़ा सा झुक जाती है। मुझे अपनी गोल मटोल गांड पर मारने के लिए कहती है। जिसके बाद मैं मम्मी की गांड पर एक छोटा सा थप्पड़ मारता हूं।

जिससे मम्मी चिढ़ जाति है और मुझ पर चिल्लाते हुए कहती है - शरीर में दम नहीं है क्या इतना धीरे से क्यों मार रहा है जोर से मार।

मम्मी के ऐसे चिल्लाने से मैं डर जाता हूं। और अचानक ही मम्मी की गांड पर एक जोरदार थप्पड़ जड़ देता हूं। थप्पड़ इतना जोरदार था कि मम्मी के साड़ी पहनने के बावजूद भी घर में एक चट की आवाज गूंज जाती है। और मम्मी मुंह के बल गिर जाती है क्योंकि मम्मी भी इस हमले के लिए तैयार नहीं थी।

मम्मी के गिरते ही मैं उन्हें उठाता हूं। मम्मी दर्द से कराते हुए कहती है - आह मेरा मुंह मेरा कमर मेरा गांड सब तोड़ दिया इस नालायक ने।

मैं - मम्मी मैंने तो पहले ही कहा था लेकिन तुम ही नहीं मानी अब भूखतो।

मम्मी दर्द भरी आवाज में कहती है - ठीक है कुछ नहीं हुआ है आज के लिए इतना ही तू जा अपने काम पर।

मैं - मम्मी मैं आपकी मालिश।

मम्मी मुझे बीच में ही टोकते हुए कहती है - नहीं नहीं कोई जरूरत नहीं है तु जा अपने काम पर।

मैं भी वहां से चले जाने में अपना भलाई समझता हूं।

फिर वही रोज का काम। लेकिन आज मुझे काम में मन नहीं लग रहा था क्योंकि मेरे पूरे मन पर मम्मी हावी हो चुकी थी। कल शाम तक मेरे मन में उनके खिलाफ कोई गलत भाव में था लेकिन आज। सच कहते हैं लोग औरतों के पल्लू के साथ ही मर्द का शराफत पर गिर जाता है। मेरे साथ भी कल वही हुआ मम्मी ने जैसे ही अपने साड़ी और ब्लाउज को उतारा मेरा नियत भी उतर गया। पर अब में भी और नहीं शर्मना चाहता हूं,मैं भी मां के साथ खुल के मजे लेना चाहता हूं। मैं अपने आप में एक दृढ़ निश्चय लेता हूं कि आज मैं भी कालू की तरह अपनी मां को चोद कर रहूंगा। यही सब सोचते हुए मेरा पूरा दिन निकल जाता है।

उसके बाद जब मैं शाम को घर पहुंचता हूं। घर पहुंचते ही मम्मी मुझसे कहती है - अच्छा हुआ जो तू जल्दी आ गया चल जल्दी जाना नहीं है।

मैं - कहां

मम्मी - आज खेल का पहला दिन है तुझे पता नहीं कहां जाना है।

जिसके बाद में भी एक लंबी सांस लेता हूं और मम्मी के पास चला जाता हूं। और उनके कमर पर हाथ रखकर खींच के अपने आप से सटा लेता।

इस वक्त मम्मी का पूरा शरीर मेरे शरीर से चिपका हुआ था। मम्मी मेरे इस व्यवहार से चौक जाती है और मेरे आंखों में एक टक नजर से देखने लगती है। मैं भी आज उन्हें ये बता देना चाहता था कि उसके सामने उसका बेटा नहीं है एक असली मर्द खड़ा है। जो उसके फूल जैसे शरीर को अपने मर्दाना शरीर से पिस कर उसका सारा रस निकाल सकता है।

मम्मी मेरे इस हरकत से जोर-जोर से हंसने लगती है। जिससे मेरे अंदर का आत्मविश्वास टूट जाता है और मैं मम्मी को छोड़ देता हूं। मम्मी हंसते हुए कहती हैं - चल चल बहुत देख ली तेरी मर्दानगी।

उसके बाद हम लोग घर से निकल पड़ते हैं। इस खेल को खेलने वालों का परिचय दे देता हूं।

खिलाड़ी ‌‍और उसकी मां

राजु रुपा

कालू सरिता

महेश कमली

सुरेश गुलाबो

राजेश चंपा


महेश सुरेश राजेश तीनों चचेरे भाई हैं। और उनकी मां कमली गुलाबो चंपा तीनों सगी बहन है। तीनों ने एक ही घर में शादी किया है। तीनों एक से एक कंटाप माल है।

लेकिन तीनों अलग-अलग घर में रहते हैं। आज का खेल राजेश के घर में था। जब हम वहां पहुंचते हैं तो देखते हैं वहां पर सिर्फ हम पांच लड़कों और उनकी मांओं के अलावा मुखिया जी और उनकी पत्नी की थी।

हमारे आने के बाद हम सबको आज के खेल के बारे में बताया जाता है।

मुखिया जी - आज का खेल ये है कि तुम्हें अपनी मां के स्तनों को तब तक दबाना होगा जब तक वह झड़ नहीं जाती। और साथ ही अपने लिंग को तब तक अपनी मां की गांड पर रगड़ा ना होगा जब तक झड़ नहीं जाते। जो सबसे ज्यादा देर और कामुक तरीके से इस खेल को खेलेगा उसे ही विजेता घोषित किया जाएगा।

फिर मुखिया जी सबसे पहले राजेश और उसकी मां चंपा को इस खेल को खेलने के लिए बुलाता है।

मुझे लगता है राजेश इस खेल को खेलने से पहले थोड़ा सा शर्माए या हिचकिचायेगा चाहिए। राजेश आते से ही अपनी मां के सीने से उसका पल्लू हटा देता है। और अपनी मां के पीछे से अपने दोनों हाथों को आगे करता है और ब्लाउज के ऊपर से ही अपनी मां की चुचियों को दबाने लगता है। और साथ ही साड़ी के ऊपर से ही अपने लंड को चंपा की गांड में रगड़ने लगता है। कुछ देर तक तो चंपा शर्म के मारे अपने मुंह से कुछ नहीं निकालती है।लेकिन थोड़े ही देर में वह भी अपना का काबू खो देती है और अपने शरीर को अपने बेटे के ऊपर ढीला छोड़ देती है और साथ ही आहे भरने लगती है - आह्ह आह्ह माई और जोर से।

कुछ देर बाद मुखिया जी हम सबको वही करने को कहते हैं। जिसके बाद सूरेश और महेश भी अपनी मां के साथ वैसे ही करने लगता है।

कुछ देर बाद राजु भी वहां पर रखे एक कुर्सी पर बैठ जाता है और अपनी मां को भी अपने गोद पर बिठा लेता है। और उसकी चुचियों को जोर जोर से दबाने लगता है। कुछ ही देर में आहें भरते हुए चाची भी अपने बेटे के लंड पर अपने गांड को रगड़ने लगती है।



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जब मेरा नजर मुखिया जी पर पड़ता है। वह अपने एक हाथ को अपनी पैंट के अंदर ले जाकर अपने लंड को मसल रहा था और साथ ही दूसरे हाथ से अपनी पत्नी की गांड को।

जब मेरा नजर मम्मी पर पड़ता है। तो वह मुझे भी चालू करने का इशारा करती है। मैं एक लंबी सांस लेकर सोचने लगता हूं कि इसे और भी कामुक कैसे बनाया जा सकता है। तभी मेरा नजर वहां पर रखी एक खाट पर पड़ता है। मैं मम्मी का हाथ पकड़ता हूं और ले जाकर उन्हें उस खाट पर एक तरफ मुंह करके लेटा देता हूं। और मैं खुद उनके पीछे जाकर लेट जाता हूं।मैं अपने एक हाथ को मम्मी के नीचे से ले जाकर उनकी चुची को पकड़ लेता हूं और दूसरे हाथ को ऊपर चलेगा कर दूसरी चूची को पकड़ के दबाने लगता हूं। और पीछे से अपने लंड को मम्मी की गांड पर रगड़ने लगता हूं।

पूरे घर में सिर्फ - आह्ह आह्ह आह्ह बेटा और जोर से ऊ मां,हां मां

थोड़ी ही देर में धीरे-धीरे करके सब झड़ने लगते हैं। और मम्मी भी कब का झड़ चुकी थी लेकिन अभी तक मेरा नहीं हुआ था। सब लोग मेरे और मम्मी की काम क्रिया को एकटक नजर से देखते थे। मैं समझ जाता हूं कि ऐसे तो मैं झड़ने से रहा। इसलिए मैं मां को पेट के बल लिटा देता हूं और खुद उनके ऊपर चढ़कर लेट जाता हूं और अपने लंड को मम्मी की गांड पर जोर जोर से रगड़ने लगता हूं। जिससे मम्मी मुझे बोलने लगती है - आह्ह धीरे आह्ह बेटा धीरे कर।

लेकिन मैं कहां सुनने वाला था मैं वैसे ही करता रहता हूं और 5 मिनट बाद मेरा भी माल निकल जाता है जिसके बाद मैं मां के ऊपर ही हापने लगता हूं।
Awesome update bhai maja agya
 

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Update 5



जब सुबह को मेरा नींद खुलता है तो मैं खुद को बिस्तर पर अकेला पाता हूं। मैं बिस्तर पर लेटे लेटे रात के बारे में सोचने लगता हूं और अपने आप में ही मुस्कुराने लगता हूं।

कुछ देर बाद में उठ के बाहर जाता हूं और अपने सुबह के सारा काम करता हूं फिर मम्मी को कह कर खेत की ओर जाने लगता हूं। रास्ते में ही मैं कालू को भी बुलाने उसके घर चले जाता हूं। काफी देर तक घर का दरवाजा खटखटा के बाद सरिता झांकी गेट को उबासी लेते हुए खुलती है। जिन्हें देखकर साफ नजर आ रहा था कि वे अब तक सो रही थी।

लेकिन मेरे नजर को जो सबसे ज्यादा आकर्षित करता है ।वो था चाची का गाल, जिसके ऊपर दांत का निशान था। देखने से ही पता चल रहा था कि किसी ने काफी बेरहमी से उनके गोरे गाल को काटा था। मुझे समझते देर नहीं लगता कि यह किसका काम है।

चाची मुझे अपनी गाल को घूरते हुए नोटिस कर लेती है। जिसके बाद वह अपने गाल पर हाथ रख के हंसते हुए कहती - देखना रातों को एक कीड़े ने काट लिया।

मैं - मच्छरदानी लगा कर सोना चाहिए था देखो कैसे आपके गोरे गाल को लाल कर दिया। अच्छा जाओ उस कीड़े को बुलाकर लाओ।

यह कहते हुए मैं और चाची घर में घुस के आंगन में आ जाते हैं। तभी चाची समझ आती है कि उनका झूठ पकड़ा गया। जिसके बाद वो शर्मा के वहां से जाने लगती है।

तभी मैं पीछे से उनका हाथ पकड़ लेता हूं और हंसते हुए कहता हूं - क्या हुआ चाची शरमा गई क्या।

चाची अपने हाथ को छुड़ाते हुए - छोड़ना कालू देख लेगा।

मैं - अरे अभी से उससे इतना डरने लगी।

तभी चाची अपने हाथ को छुड़ा के कमरे में भाग जाती है। कुछ देर बाद कालू बाहर आता है और हम दोनों खेत की तरफ चल देते हैं।

यहां पर मैं आपको कालू की मां के बारे में थोड़ा सा बता देता हूं। उसकी मां भी कम सुंदर नहीं है खास करके उनकी दो बड़ी-बड़ी चूचियां जो कि गांव में सबसे बड़ी है‌।जिसे चूसने का ख्वाब गांव का हर आदमी देखता है। कालू की मां ने एक नहीं बल्कि 2 शादियां की है। पहली शादी उनका कालों के बड़े पापा से हुआ था। लेकिन उसके मौत के बाद उन्होंने अपने देवर से ही शादी कर ली जो कि कालू के पापा थे।

खेत में मैं कालू से कहता हूं - लगता है तेरा नींद पूरा नहीं हुआ है।

कालू - ऐसी बात नहीं है बस आज थोड़ा ज्यादा ही आंख लग गया।

मैं - और चाची को भी आंख लगा दीया।

कालू - मतलब

मैं - मतलब ये कि तू कल रात चाची के कमरे में सोया था।

कालू हकलाते हुए - नहीं तो

मैं उसके पीठ पर एक घुसा मारते हुए - साले अब तो सच बोल दे और कितना झूठ बोलेगा सुबह तु चाची के कमरे से निकला था याद कर मैं भी वहीं था। और चाची के गाल पर किया गया मेहनत भी मुझे दिख रहा था।

कालू शर्माते हुए - वो मैं वो मैं

मैं - मैं मैं मैं क्या कर रहा है

कालू - यार तुझे तो सब पता चल गया होगा ना फिर भी तु मुझसे ऐसे सवाल क्यों कर रहे हैं।

मैं - तूने मुझे यह सब के बारे में बताया क्यों नहीं था।

कालू - तुम्हारी मम्मी ने मना किया था।

मैं - अच्छा ये सब छोड़ ये बता की तु चाची के साथ तो रात को कितने दूर तक गया था।

कालू शर्माते हुए - छोड़ ना यार।

फिर कालू मुझे पूरी बात सुनाने लगता है।(आगे की कहानी कालू की जुबानी)


मुझे मेरी मां ने इस खेल के बारे में 1 महीने पहले ही बता दिया था। जिसके कारण हम दोनों के बीच कभी कबार चुम्मा चाटी तो कभी ब्लाउज के ऊपर से ही मां मुझे अपनी चूचियां दबाने दे दी थी। लेकिन कल रात को जैसे ही हम दोनों घर लौटे।

मैं मां को उठाकर सीधा उनके कमरे में ले जाता हूं और बिस्तर पर पटक देता हूं। उसके बाद मैं मां के पूरे चेहरे को पागलों की तरह चूमने चाटने लगता हूं कभी गाल को चूमता तो कभी जीभ से चाटता तो कभी दांत से काट लेता।


मैं अपने आप पे अपना पूरा नियंत्रण खो चुका था। तभी मां मेरी दोनों गालो को पकड़ के अपने होठों को मेरे होठों पर रख देती है जिससे मैं थोड़ा सा शांत होता हूं और शांति से मां की होठों को चूसने लगता हूं।



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हम लोग तब तक एक दूसरे को किस करते हैं जब तक हमारी सांसे नहीं फुल जाता। किस के टूटने के बाद मैं हम दोनों एक दूसरे की आंखों में देखने लगते हैं।

तभी मैं थोड़ा सा नीचे जाता हूं और मां के ब्लाउज का बटन खोलने की कोशिश करने लगता हूं। लेकिन तभी मां मुझे रोक देती है और कहती है - आज तक इतना सब्र किया बस अब कल तक रुक जाओ कल तुझे जो मर्जी हो कर लेना मैं तुझे नहीं रोकूंगी।

उसके बाद में मां के पेट को अपनी जीभ से चाटने लगता हूं। चाटते हुए ही मैं अपनी जीभ को नाभि के अंदर डाल देता हूं और उसे भी चाटने लगता हूं। कुछ देर जी भर के नाभि को चाटने के बाद मैं मम्मी के पेट को चुमने और काटने लगता हूं।



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जिसके कारण मां के पेट पर निशान पड़ जाता है। मां तो मुझे इससे आगे जाने नहीं देती इसलिए मैं पेट को चुनते हुए भी सो जाता हूं। उसके बाद मां मुझे सुबह तेरे आने के बाद उठा देती है। ( अपनी जुबानी)

मैं - वाह भाई तेरी तो मजे हैं।

कालू - क्यों तेरे मजे नहीं है।

मैं - कहां यार कल रात को ही तो मम्मी ने मुझे यह सब के बारे में बताना है। बस पेटीकोट और ब्रा में मेरे साथ सोई थी।

कालू - कोई बात नहीं आज नहीं तो कल तेरी मां भी तुझे सब कुछ करने देगी।

मैं - लेकिन आज रात का तो तुझे इंतजार नहीं हो रहा होगा।

कालू - सही बोल रहे हो यार मुझे जरा सा भी इंतजार नहीं हो रहा। मैं तो मां को इस खेल के खत्म होने से पहले ही उनका पांव भारी कर दूंगा।

उसके बाद हम सब्जियां तोड़ के घर चले आते हैं और वही रोज का दुध और सब्जियों को बाजार जाकर बेचना।

जब मैं घर आता हूं तो मम्मी मुझे खाना खाने को देती है। खाना खाने के बाद मम्मी मुझसे कहती है - तुझे तो खेल के बारे में कुछ पता होगा नहीं।

मैं - मुझे कब बताया जो मुझे पता रहेगा और दूसरों को भी बताने से मना कर दिया।

मम्मी - अच्छा ठीक है ठीक है गुस्सा मत हो। 5 दिनों तक अलग-अलग तरह के खेल होंगे। लेकिन आखिर में जो खेल होता है उसके बारे में मैं जानती हूं। इस खेल को जीतने वाला ही मुखिया बनता है। चाहे तुम पहले कितने भी खेल जीत लो लेकिन अगर तुम इस खेल में हार गए तो तुम मुखिया नहीं बन सकती।

मैं - अच्छा ऐसा कौन सा खेल है।

मम्मी - तुम्हें एक पहलवान के गांड पर थप्पड़ मारना होगा। वह पहलवान अपने जगह पर से कितना दूर हिलता है या चिल्लाता है उसी के मुताबिक इस खेल का विजेता चुना जाता है।

मैं - क्या इतना आसान।

मम्मी - उन पहलवानों को अगर तुम डंडे से भी मारोगे ना तो भी ना वह चिल्लाएगा ना ही अपने जगह पर से हीलेगा इतना ताकतवर होता है वह लोग। तेरे पापा ने इस खेल में सबसे ज्यादा नंबर लाया था। और तेरे मामा अपने गांव में सबसे ज्यादा नंबर लाया था। लेकिन वह लोग आखिर में पहलवान को हिला नहीं पाये जिसके कारण वह दोनों हार जाता है और मुखिया नहीं बनता।

मैं - ऐसा क्या पहलवान लाते हैं या पहाड़।

मम्मी - इसलिए तुझे आज से ही उसकी प्रैक्टिस करना शुरू कर देना चाहिए।

मैं - वह कैसे करूंगा भला।

मम्मी - मेरे ऊपर और किसके ऊपर और कौन करने देगा तुझे अपने ऊपर।

मैं - मम्मी तुम्हें दर्द नहीं होगा

मम्मी - दर्द और मुझे शेरनी को कभी दर्द नहीं होता।

उसके बाद मैं भी तैयार हो जाता हूं। मम्मी मेरे सामने अपने घुटनों पर हाथ रखते हुए थोड़ा सा झुक जाती है। मुझे अपनी गोल मटोल गांड पर मारने के लिए कहती है। जिसके बाद मैं मम्मी की गांड पर एक छोटा सा थप्पड़ मारता हूं।

जिससे मम्मी चिढ़ जाति है और मुझ पर चिल्लाते हुए कहती है - शरीर में दम नहीं है क्या इतना धीरे से क्यों मार रहा है जोर से मार।

मम्मी के ऐसे चिल्लाने से मैं डर जाता हूं। और अचानक ही मम्मी की गांड पर एक जोरदार थप्पड़ जड़ देता हूं। थप्पड़ इतना जोरदार था कि मम्मी के साड़ी पहनने के बावजूद भी घर में एक चट की आवाज गूंज जाती है। और मम्मी मुंह के बल गिर जाती है क्योंकि मम्मी भी इस हमले के लिए तैयार नहीं थी।

मम्मी के गिरते ही मैं उन्हें उठाता हूं। मम्मी दर्द से कराते हुए कहती है - आह मेरा मुंह मेरा कमर मेरा गांड सब तोड़ दिया इस नालायक ने।

मैं - मम्मी मैंने तो पहले ही कहा था लेकिन तुम ही नहीं मानी अब भूखतो।

मम्मी दर्द भरी आवाज में कहती है - ठीक है कुछ नहीं हुआ है आज के लिए इतना ही तू जा अपने काम पर।

मैं - मम्मी मैं आपकी मालिश।

मम्मी मुझे बीच में ही टोकते हुए कहती है - नहीं नहीं कोई जरूरत नहीं है तु जा अपने काम पर।

मैं भी वहां से चले जाने में अपना भलाई समझता हूं।

फिर वही रोज का काम। लेकिन आज मुझे काम में मन नहीं लग रहा था क्योंकि मेरे पूरे मन पर मम्मी हावी हो चुकी थी। कल शाम तक मेरे मन में उनके खिलाफ कोई गलत भाव में था लेकिन आज। सच कहते हैं लोग औरतों के पल्लू के साथ ही मर्द का शराफत पर गिर जाता है। मेरे साथ भी कल वही हुआ मम्मी ने जैसे ही अपने साड़ी और ब्लाउज को उतारा मेरा नियत भी उतर गया। पर अब में भी और नहीं शर्मना चाहता हूं,मैं भी मां के साथ खुल के मजे लेना चाहता हूं। मैं अपने आप में एक दृढ़ निश्चय लेता हूं कि आज मैं भी कालू की तरह अपनी मां को चोद कर रहूंगा। यही सब सोचते हुए मेरा पूरा दिन निकल जाता है।

उसके बाद जब मैं शाम को घर पहुंचता हूं। घर पहुंचते ही मम्मी मुझसे कहती है - अच्छा हुआ जो तू जल्दी आ गया चल जल्दी जाना नहीं है।

मैं - कहां

मम्मी - आज खेल का पहला दिन है तुझे पता नहीं कहां जाना है।

जिसके बाद में भी एक लंबी सांस लेता हूं और मम्मी के पास चला जाता हूं। और उनके कमर पर हाथ रखकर खींच के अपने आप से सटा लेता।

इस वक्त मम्मी का पूरा शरीर मेरे शरीर से चिपका हुआ था। मम्मी मेरे इस व्यवहार से चौक जाती है और मेरे आंखों में एक टक नजर से देखने लगती है। मैं भी आज उन्हें ये बता देना चाहता था कि उसके सामने उसका बेटा नहीं है एक असली मर्द खड़ा है। जो उसके फूल जैसे शरीर को अपने मर्दाना शरीर से पिस कर उसका सारा रस निकाल सकता है।

मम्मी मेरे इस हरकत से जोर-जोर से हंसने लगती है। जिससे मेरे अंदर का आत्मविश्वास टूट जाता है और मैं मम्मी को छोड़ देता हूं। मम्मी हंसते हुए कहती हैं - चल चल बहुत देख ली तेरी मर्दानगी।

उसके बाद हम लोग घर से निकल पड़ते हैं। इस खेल को खेलने वालों का परिचय दे देता हूं।

खिलाड़ी ‌‍और उसकी मां

राजु रुपा

कालू सरिता

महेश कमली

सुरेश गुलाबो

राजेश चंपा


महेश सुरेश राजेश तीनों चचेरे भाई हैं। और उनकी मां कमली गुलाबो चंपा तीनों सगी बहन है। तीनों ने एक ही घर में शादी किया है। तीनों एक से एक कंटाप माल है।

लेकिन तीनों अलग-अलग घर में रहते हैं। आज का खेल राजेश के घर में था। जब हम वहां पहुंचते हैं तो देखते हैं वहां पर सिर्फ हम पांच लड़कों और उनकी मांओं के अलावा मुखिया जी और उनकी पत्नी की थी।

हमारे आने के बाद हम सबको आज के खेल के बारे में बताया जाता है।

मुखिया जी - आज का खेल ये है कि तुम्हें अपनी मां के स्तनों को तब तक दबाना होगा जब तक वह झड़ नहीं जाती। और साथ ही अपने लिंग को तब तक अपनी मां की गांड पर रगड़ा ना होगा जब तक झड़ नहीं जाते। जो सबसे ज्यादा देर और कामुक तरीके से इस खेल को खेलेगा उसे ही विजेता घोषित किया जाएगा।

फिर मुखिया जी सबसे पहले राजेश और उसकी मां चंपा को इस खेल को खेलने के लिए बुलाता है।

मुझे लगता है राजेश इस खेल को खेलने से पहले थोड़ा सा शर्माए या हिचकिचायेगा चाहिए। राजेश आते से ही अपनी मां के सीने से उसका पल्लू हटा देता है। और अपनी मां के पीछे से अपने दोनों हाथों को आगे करता है और ब्लाउज के ऊपर से ही अपनी मां की चुचियों को दबाने लगता है। और साथ ही साड़ी के ऊपर से ही अपने लंड को चंपा की गांड में रगड़ने लगता है। कुछ देर तक तो चंपा शर्म के मारे अपने मुंह से कुछ नहीं निकालती है।लेकिन थोड़े ही देर में वह भी अपना का काबू खो देती है और अपने शरीर को अपने बेटे के ऊपर ढीला छोड़ देती है और साथ ही आहे भरने लगती है - आह्ह आह्ह माई और जोर से।

कुछ देर बाद मुखिया जी हम सबको वही करने को कहते हैं। जिसके बाद सूरेश और महेश भी अपनी मां के साथ वैसे ही करने लगता है।

कुछ देर बाद राजु भी वहां पर रखे एक कुर्सी पर बैठ जाता है और अपनी मां को भी अपने गोद पर बिठा लेता है। और उसकी चुचियों को जोर जोर से दबाने लगता है। कुछ ही देर में आहें भरते हुए चाची भी अपने बेटे के लंड पर अपने गांड को रगड़ने लगती है।



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जब मेरा नजर मुखिया जी पर पड़ता है। वह अपने एक हाथ को अपनी पैंट के अंदर ले जाकर अपने लंड को मसल रहा था और साथ ही दूसरे हाथ से अपनी पत्नी की गांड को।

जब मेरा नजर मम्मी पर पड़ता है। तो वह मुझे भी चालू करने का इशारा करती है। मैं एक लंबी सांस लेकर सोचने लगता हूं कि इसे और भी कामुक कैसे बनाया जा सकता है। तभी मेरा नजर वहां पर रखी एक खाट पर पड़ता है। मैं मम्मी का हाथ पकड़ता हूं और ले जाकर उन्हें उस खाट पर एक तरफ मुंह करके लेटा देता हूं। और मैं खुद उनके पीछे जाकर लेट जाता हूं।मैं अपने एक हाथ को मम्मी के नीचे से ले जाकर उनकी चुची को पकड़ लेता हूं और दूसरे हाथ को ऊपर चलेगा कर दूसरी चूची को पकड़ के दबाने लगता हूं। और पीछे से अपने लंड को मम्मी की गांड पर रगड़ने लगता हूं।

पूरे घर में सिर्फ - आह्ह आह्ह आह्ह बेटा और जोर से ऊ मां,हां मां

थोड़ी ही देर में धीरे-धीरे करके सब झड़ने लगते हैं। और मम्मी भी कब का झड़ चुकी थी लेकिन अभी तक मेरा नहीं हुआ था। सब लोग मेरे और मम्मी की काम क्रिया को एकटक नजर से देखते थे। मैं समझ जाता हूं कि ऐसे तो मैं झड़ने से रहा। इसलिए मैं मां को पेट के बल लिटा देता हूं और खुद उनके ऊपर चढ़कर लेट जाता हूं और अपने लंड को मम्मी की गांड पर जोर जोर से रगड़ने लगता हूं। जिससे मम्मी मुझे बोलने लगती है - आह्ह धीरे आह्ह बेटा धीरे कर।

लेकिन मैं कहां सुनने वाला था मैं वैसे ही करता रहता हूं और 5 मिनट बाद मेरा भी माल निकल जाता है जिसके बाद मैं मां के ऊपर ही हापने लगता हूं।
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फिर हम वहां से सीधा गांव के कुल देवता के मंदिर चले जाते हैं, जहां पे पहले ही सब आ चुके थे शिवाय मुखिया जी के।

मंदिर के बाहर एक पीपल का पेड़ है वहीं पर कई सारी कुर्सियां लगी हुई थी, उन्हीं कोर्सों में से एक कुर्सी पे पापा और उनके बगल में कालू बैठा हुआ था जिस तरफ गांव के सारे मर्द बैठे हुए थे, और वही औरतों के साइड सरिता चाची एक कुर्सी पर बैठी हुई थी जो कि हम से पहले ही आ चुकी थी।

मैं जाकर कालू और पापा के पास बैठ जाता हूं और वही मम्मी सरिता चाची के पास जाकर बैठ जाती है।

मैं पापा से कुछ सवाल करता इससे पहले ही वहां पर मुखिया जी और पंडित जी आ गये, गांव के दो बुजुर्गों के सम्मान में गांव के सारे लोग अपने जगह पर खड़ा हो गए।

तभी मुखिया जी हम सब को बैठने के लिए कहते हैं, और खुद खड़े होकर कहते हैं - आज हम यहां 20 सालों बाद खेले जाने वाले खेल दूध का दम को खेलने वाली लोगों का नाम लिखने आए हैं।

तभी भीड़ में से एक लड़का पूछता है यह कैसा खेल है जिसके बारे में हमें नहीं पता, जिसके बाद मुखिया जी कहते हैं - हमारे गांव में एक आदमी 20 साल तक की मुखिया बन के रह सकता है और वह कौन होगा इसका चुनाव इसी खेल से होता है,20 साल बाद खेले जाने के कारण इस खेल के बारे में लोग ज्यादा बात नहीं करते हैं जिसके कारण तुम्हें पता नहीं है।

इस बार मैं पूछता हूं- तो इसका नाम दूध का दाम रखने का क्या कारण है।

मुखिया जी - क्योंकि इस खेल को जीतने वाला आदमी तो मुखिया बनता है लेकिन उस आदमी की मां को इस गांव का शेरनी कहा जाता है जिनके दूध में सबसे ज्यादा ताकत होती है, इसलिए इसका नाम दूध का दाम है।

कालू - इस खेल को कैसे खेला जाता है

मुखिया जी - मान लो अगर इस खेल को 10 लोग खेलता तो इसे 10 दिन तक खेला जाता, लेकिन तुम पांच लोग हो इसलिए इसे 5 दिन तक तुम्हारे ही घरों में खेला जाएगा।

तभी एक और लड़का बोलता है- इसमें किस तरह के खेल होते हैं।

मुखिया जी - इस खेल में हर एक मर्द को अपनी मर्दानगी साबित करनी होती है वह भी अपनी मां के ऊपर ही, 5 दिनों तक तुम लोगों को अपनी मां के साथ एक वासना भरा खेल खेलना होगा जो जीतेगा उसे इस गांव का नया मुखिया बनाया जाएगा, और इनाम के रूप में एक भेंस दी जाएगी जो रोजाना 20 लीटर दूध देती है।

मुझे ये बात सुनकर इतना गुस्सा आ जाता है कि मैं मुखिया को लात मारने के लिए उठने ही वाला था लेकिन तभी मुझे एहसास होता है कि किसी ने मेरे हाथ को जोर से पकड़ रखा है जब मैं उस तरफ मुड़ कर देखता हूं तो वह कोई और नहीं मेरे पापा थे।

तभी पंडित जी कहते हैं - जो जो इस खेल में शामिल हो रहा है उनकी माये अपने कबूतरों को लेकर मंदिर में चलें।

जिसके बाद मम्मी और बाकी 4 औरतें उठकर वहां से चली जाती है और मैं पापा से कहता हूं - पापा आपने मुझे रोका क्यों मैं कैसे अपनी मां के साथ ऐसा खेल खेल सकता हूं छी।

पापा - गलती हमारी है जो हमने तुम्हें इस खेल के बारे में नहीं बताया।

मैं - लेकिन कल वह मां के साथ कुछ भी करने को कह सकते हैं जो मैं कैसे करूंगा और क्या आपको बुरा नहीं लगेगा मैं आपकी पत्नी के साथ।

पापा - बेटा अभी तुम शांत बैठो घर में तुम्हारी मां तुम्हें सब बता देगी।

मैं कुछ नहीं बोलता हूं चुपचाप बैठ जाता हूं कुछ ही देर बाद सारी औरतें और पंडित जी मंदिर से बाहर आ जाते हैं,उनके हाथों में उनका कबूतर नहीं था जो कि शायद उन लोगों ने मंदिर में ही रख दिया हो,

फिर वे हम सब लड़कों को अपने पास बुलाते हैं और हमारे हाथों में एक धागा बांध देते हैं, जब मैं ध्यान से देखता हूं तो वैसे ही धागे मेरी मम्मी और बाकी औरतों के हाथों में भी बांधा गया था।

उसके बाद खेल को लेकर कुछ बातें होने लगती है,जिस पर मेरा बिल्कुल भी ध्यान नहीं था मैं तो सिर्फ कालू और बाकी उन तीन लड़कों को देख रहा था जो उस खेल को खेलने वाला था, वे सब लोग इस खेल के लिए काफी उत्साहित लग रहे थे।

कुछ ही देर में बैठक खत्म हो जाती है और हम सब को अपने घर जाने का इजाजत मिल जाता है जिसके बाद हम लोग घर जाने लगते हैं, मम्मी और सरिता चाची दोनों एक साथ बातें करते हुए जा रही थी और वही मैं कालू के साथ जा रहा था कालू चुपचाप था जैसे उसने कोई पाप कर दिया हो।

मैं - सच-सच बताना तुझे इस खेल के बारे में पता था ना।

कालु - हां यार पता था मेरी मां ने बताया था

मैं गुस्से से - मुझे क्यों नहीं बताया

कालू - यार क्या बताता।

यह कहकर कालू चुप हो जाता है, उसका घर आ चुका था और वह दौर के अपने घर में चला जाता है मैं उसे और कुछ नहीं पूछ पाता हूं, मैं मन में सोचता हूं कितना भागेगा कल सुबह तो तू मेरे पास ही आएगा।

उसके बाद मैं और मम्मी भी घर आ जाते हैं घर में घुसते ही मैं मम्मी से कहता हूं - मम्मी ये सब क्या है।

मम्मी - मैं तुझे सब सुबह बता दूंगी अभी जाकर सो जाओ।

मैं - नहीं

मैं आगे कुछ बोलता उससे पहले ही मम्मी गुस्से में बोलती है - बोला ना तुझे सुबह बात करेंगे अभी जा जा के सो जा।

मम्मी भी गुस्सैल स्वभाव की थी उसे जब गुस्सा आ जाता है तो वह किसी को कुछ नहीं समझती इसीलिए मैं अपने कमरे में चला जाता हूं।


मैं अपने कमरे में चला जाता हूं और अपने कपड़े खोलकर नीचे फर्श पर ही फेंक देता हूं। भले ही मैं उस खेल के खिलाफ था लेकिन जब से मैंने उसके बारे में मुखिया जी के मुंह से सुना था, तब से ना जाने क्यों मेरा लंड मेरे अंडर वियर में खड़ा था यह बैठने का नाम ही नहीं ले रहा था।

लेकिन मैं उस पर ज्यादा ध्यान नहीं देता हूं और अपने बिस्तर पे जाकर एक ब्लैंकेट ओढ़ के लेट जाता हूं। अभी मुझे लेटे हुए कुछ ही देर हुआ था कि तभी मेरे कमरे का दरवाजा खुल जाता है। जिसे मैंने सिर्फ सटा दिया था कुंडी नहीं लगाया था, मैं अभी सोच ही रहा था कि ये कैसे खुल गया।

तभी पाइलों की आवाज के साथ मम्मी मेरे कमरे के अंदर आ जाती है। जब मैं उन्हें देखता हूं तो देखता ही रह जाता हूं।

मम्मी ने सिर्फ एक ब्रा और पेटिकोट पहना था।



ऐसा नहीं है कि मैंने मम्मी को कभी ऐसे हालात में नहीं देखा था। मैंने तो कई बार मम्मी को नहाते हुए उनकी बड़ी-बड़ी चूचियां और मोटी जांघों को भी देखा है। कई बार तो मैंने उनकी नंगी पीठ पर नहाते हुए साबुन भी मला है। जहां उन हालातों के बीज भी मुझे मेरे मन में मम्मी को लेकर कोई गलत विचार नहीं आया था।

लेकिन इस वक्त ना जाने क्यों मम्मी मुझे बहुत सुंदर लग रही थी जैसे वे दुनिया की सबसे सुंदर और आखरी महिला हो। उनका वो गोरा बदन, खुले हुए बाल, आंखों में काजल, माथे पे एक छोटी सी बिंदिया। और थोड़ा सा नीचे जाने पर। उनके छोटे से ब्रा में कैद चुचियां जीसे काफी मुश्किल से उस ब्रा ने अपने कैद में रखा था। उनकी दोनों पहाड़ों के बीच बने उस खाई ने मेरे मुंह में पानी ला दिया था। थोड़ा सा और नीचे जाने पर मुझे मम्मी की थोड़ी सी मोटी लेकिन गोल सि पेट दिखती है। पेट की सुंदरता को चार चांद लगाने के लिए उसके ऊपर एक गहरी बड़ी सी गोल नाभि दिखती है। जो मेरे मुंह में आए पानी को मेरे गले से धकेलने के लिए काफी था। लेकिन थोड़ा सा और नीचे जाने से तो मेरा जान ही निकल जाता है। उन्होंने पेटीकोट को इतना नीचे पहना था की उनके चूत के बाल दिख रहा था।



मम्मी वैसी ही मेरे सामने खड़ा होकर मुझे खुद को काफी देर तक निहारने देती है। जिन्हें मैं अभी बिना पलके झपकाए निहारते जा रहा था।

मम्मी चलते हुए मेरे बेद के किनारे आके खड़ा हो जाती है। उनकी पायलों की आवाज सुन मेरा ध्यान टूटता है। और मैं तुरंत ही अपनी गलती का एहसास करते हुए मम्मी से कहता हूं - क्या हुआ मम्मी आपको कुछ चाहिए था क्या।

मम्मी पहले मेरे बिस्तर पर बैठती है और फिर मेरे सिर पर हाथ फेरते हुए कहती है - मैं तो सिर्फ देखने आई थी कि मेरा राजा बेटा सोया या नहीं।

मैं मम्मी के चेहरे की मुस्कान और उनके प्यार से मोहित होके अपने आप को बंद कर देता हूं और कहता हूं - अभी कहां मम्मी, अभी तो मुझे कमरे में आए सिर्फ 10 मिनट ही हुआ है।

मम्मी अपने चेहरे की मुस्कान को और भी बढ़ाते हुए - 10 नहीं 20 मिनट हो गया है तुझे कमरे में आए, लेकिन 10 मिनट से तो तु मुझे एकदक नजरों से घूरे जा रहा था ऐसा क्या दिख गया तुझे तेरी मम्मी में।

मैं अपने आंख को एक झटके में खोल देता हूं और हकलाते हुए मम्मी से कहता हूं - कुछ भी तो

नहीं

मम्मी झुकती है और मेरे सिर पर चूमते हुए कहती है - कितना उलझ गया है मेरा बेटा कभी कहता है मैं तुम्हारे साथ वो सब कैसे करूंगा, और अभी मुझे ऐसे देख रहा था जैसे वो मुझे अभी जिंदा खा जाएगा।

शर्म के मारे मैं मम्मी की इस बात का कोई जवाब नहीं देता। तभी मम्मी कहती है - और हां आज मैं तुम्हारे साथ ही सोना चाहती हूं

मैं - नहीं, मतलब क्यों

मम्मी - कुछ जरूरी बात बताना है तुम्हें।

यह कहते हुए मम्मी मेरे ब्लैंकेट को थोड़ा सा उठाती है और उसके अंदर आ कर मुझसे चिपक कर लेट जाती है। मैं पीठ के बल सीधा हौके लेटा था। मम्मी मुझे अपनी और चेहरा करने को कहती है। जिसके बाद मैं अपना चेहरा मम्मी की ओर करके लेट जाता हूं।

अब हम दोनों अपने गरम सांसो को महसूस कर पा रहे थे। मैंने अपने दोनों हाथों को बड़ी मुश्किल से अपने दोनों टांगों के बीच लंड के पास काबू में कर के रखा था, जिससे मेरा खड़ा लैंड भी थोड़ा बहुत छुपा हुआ था। तभी मम्मी मेरे एक हाथ को वहां से निकलती है और अपने मखमली कमर पर रख देती है। और खुद अपना एक हाथ मेरे गाल पर रख देती है। इसके बाद तो जैसे मेरा हिलना नामुमकिन सा हो जाता है।



मम्मी - अगर मेरा राजा बेटा इस खेल को जीत के मुझे इस गांव की शेरनी बना देता है तो मैं उसे खुद को चोदने दूंगी।

मम्मी ने ये बात को इतनी आसानी से कह दिया। अगर मैं अपने होश में रहता तो मुझे जरूर गुस्सा आता है। लेकिन अभी मैं अपने ऊपर से पूरा नियंत्रण खो चुका जिसके कारण मेरे मुंह से क्या की जगह निकल जाता है - सच में

ये केह के मैं अपनी नजर को नीचे कर लेता हूं। जिस पर मम्मी मेरे होठों पर हल्का सा चुम्मा दे देती है और कहती है - इसमें शर्माने वाली कौन सी बात है। तुम्हारे पापा ने भी तो तुम्हारी दादी के साथ और तुम्हारे मामा ने तुम्हारी नानि के साथ ये सब किया है अब तुम मेरे साथ करोगे।

मैं - जब हमारे घर में सब ने अपनी मां के साथ इस खेल को खेला है, तो आपने मुझे कभी कुछ बताया क्यों नहीं।

मम्मी - जब तुमने अपनी पढ़ाई को बीच में ही छोड़ दिया। तब मैंने ठान लिया था कि मैं तुम्हें यह सौभाग्य कभी भी नसीब नहीं होने दूंगी। लेकिन तुमने अपनी सूझबूझ से खुद को साबित कर दिया इसलिए मैंने भी अपना मन बदल लिया।

मैं मम्मी से और भी बातें करना चाहता था लेकिन मम्मी ने मुझे सो जाने को कह दिया और खुद भी सो गई। मैंने भी अपनी आंखें बंद कर लिया लेकिन मेरी आंखों में नींद तो था नहीं। जहां पर मैं 30 मिनट पहले इस खेल का विरोध कर रहा था। वही पर मेरी मम्मी ने बड़ी चालाकी से ना कि मुझे मनाया बल्कि मेरे सोच को भी अपनी प्रति वासना से भर दिया। मेरे अंदर भी अब मम्मी की शरीर की रचना का निरीक्षण करने का मन करने लगा था। ये सब सोचते हुए ही मुझे नींद आ जाता है।

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Very very nice and hot hot 🔥🔥 update
 

Napster

Well-Known Member
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बहुत ही गरमागरम कामुक और उत्तेजक अपडेट है भाई मजा आ गया
आखिर एक अनोखा और कामुकता से भरपूर मादक खेल प्रारंभ हो ही गया आगे देखते हैं ये खेल क्या धमाचौकडी करता हैं
अगले रोमांचकारी धमाकेदार और चुदाईदार अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा
 
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