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Adultery दूधवाला और मेरी पत्नी

Deeply

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दूधवाला और मेरी पत्नी भाग-9


प्रवीण तुम्हारे लिए यही बाधा थी ना तो आज मैने इसकी नस कटवा दी अब यह ना खडा हो सकता है ना बच्चा पैदा कर सकता है बस मूत सकता है अब बताओ बच्चा दोगी

कोमल की आँखो मे आँसू आ गये, और प्रवीण के गले लगाते बोली

कोमल हाँ हॉ प्रवीण तुम्हारी यह कुत्तीया चुदेगी जिस जिस से कहोगे चुदेगी तुम्हे तीन चार बच्चे देगी यह कुत्तिया,
तभी कोमल नंगी हो कर कुत्तिया बन गई
कोमल चाट भोसड़ी नल्ले चाट चुत कल यह दूधवाले से चुदेगी
प्रवीण झट से कोमल की चिकनी चुत चाटने लगा

सुबह कोमल उठी तो जांघो के बीच प्रवीण का सर था शायद रात भर चाटता रहा था कोमल की चुत कोमल भी गर्मा चुकी थी उसमे स्क ठरक सी जाग चुकी थी उसने एक गहरी अगड़ाई ली

उसने सुबह के नित्यकर्म जल्द से निपटा लिये आज वो झीने सी मैक्सी पहनी थी


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उसने ब्रा नही पहना था जिसमे उसकी चुचीया स्पष्ट नजर आ रही थी तो ध्यान से देखने पर उसकी पेंटी भी साफ नजर आ रही थी मैक्सी भी घुटनो तक थी जो उसकी चिकनी गोरी टाँगे साफ झलका रही थी वो मानसिक रूप से दूधवाले से चुदने को तैयार थी और उसे रिझाना था दूधवाले को अपने हुस्न का दिदार करा की आज दूधवाला उसे चोद कर ही जाये
सुबह जब दरवाजे की घंटी बजी, मै समझ गई दूध वाले काका आ गये मैने अपने को आईने मे देखा तो शर्मा गई क्या कलित जवानी लग रही थी मैने नाईटी उठा पेंटी भी उतार दी जब इसे ही चुदना है तो काहे पार्दा करू मैं अपनी नाइटी में ही चली और बर्तन ले कर दरवाजे पर गई, तो देखा वहाँ पर एक 20-21 साल का नौजवान खड़ा था, हाथ में दूध का केन लिए।
मैंने पूछा- तुम कौन हो?
वो बोला- पिताजी को कल बुखार आ आया, तो उन्होने मुझे दूध देने को भेजा है।


मगर इतनी बात करते हुये भी उसने मुझे ऊपर से नीचे तक ताड़ लिया। नाइटी के गहरे गले से दिखते मेरे खुले झूल रहे मम्मे चुची देख उसका लंड खड़ा हो गया… घुटनों तक की नाइटी के नीचे वेक्स की हुई मेरी चिकनी टाँगें। सुबह सुबह का आलस जो मेरे चेहरे पे साफ झलक रहा था। अनजान चहरे को देख कोमल डर सी गई मगर अपने को भरसक सभालने का प्रयास मे लगी थी


मुझे उसका इस तरह घूरना कुछ कुछ बुरा तो लगा, पर मुझे कुछ कुछ रोमांचित भी कर गया। बेशक मैं शादीशुदा हूँ, मगर फिर भी कोई बड़ी चाहत से मेरे बदन को देखे तो मन में सुगबुगाहट तो होती ही है। और थोड़ा सा दर्शन अगर उसने देख भी लिया तो क्या फर्क पड़ गया।

वो तो साला बड़ा हरामी निकला। साला दूध का केन रख कर नीचे फर्श पर बैठा गया वा दूध देने के लिए केन उलट अपने नपने मे दूध डालने लगा। अब जब मैं उसके सामने जा कर खड़ी हुई, तो मेरी मेक्सी के नीचे से उसने पहले ही मेरी नंगी चूत के दर्शन कर लिए।
अब मैं क्या करूँ, अगर खड़ी रहती हूँ, तो भी मेरी चूत उसे दिखेगी, और अगर बैठ जाती हूँ, फिर मेरा सब कुछ उसे दिख जाएगा।

मैंने अपनी मेक्सी के आगे वाले हिस्से को खींच कर नीचे करने का निर्थक प्रयास किया, पर इससे तो उसका ध्यान और भी मेरी हुआ वो कमुक हो चला था उसकी आँखो मे वसना के डोरे तेर रहे थे। कल तो मेरी नाइटी घुटनों तक थी, मगर आज तो नईटी जांघों से भी ऊपर थी, मेरी मांसल चिकनी जाघें पूरी तरह से उसके सामने नुमाया थी।

उसे घूरता देख मैंने उसे यूं ही हल्का सा डांट कर पूछा- क्यों बे बैठा क्यों है?
वो बोला- मैडम जी क्या बताऊँ, सुबह सुबह इतना काम करना पड़ता है, मैं थक गया, इस लिए बैठ गया।
मगर उसका ध्यान पूरा मेरी चिकनी चूत की तरफ ही था। मुझे पता था कि वो देख रहा था और मैं भी बेशर्मों की तरह खड़ी उसे दिखा रही थी।

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उसके बाद उसने बड़ी हसरत से एक और नज़र मेरी मेक्सी के नीचे मेरी चूत पर मारी और अपना केन उठा कर चल पड़ा। मैं दरवाजे में खड़ी उसे जाते देखती रही, फिर वापिस अंदर को मुड़ी। बड़े शीशे के सामने पहुँच कर मैंने पाँव के बल बैठ कर देखा।
‘हे भगवान!’ मैं चौंक पड़ी, अगर मैं ऐसे बैठ जाती तो वो मेरी पूरी चूत के खुले दर्शन, दीदार कर लेता। फिर मन में विचार आया, क्या हो अगर मैं उसे अपने खुले दीदार करवा दूँ!
फिर सोचा ‘नहीं यार, अभी छोटा है, नई नई जवानी आई है, पता नहीं हुस्न की यह बाढ़ वो संभाल भी पाएगा या नहीं!’

मगर इतना ज़रूर था कि मेरा मन उस लड़के पर पूरी तरह से बेईमान हो चुका था। कुछ कुछ था, जो मेरे मन की हांडी में पक रहा था। मैं अभी तक यह फैसला नहीं कर पाई थी कि मैं उस लड़के से आगे बात बढ़ाऊँ, या नहीं। अगर बात आगे बढ़ी तो पक्का है मुझे उससे सेक्स तो करना ही पड़ेगा, अब जब उसे अपने जवान और गदराए हुये जिस्म के जलवे दिखा रही हूँ, तो चाहेगा तो वो भी के मैं उसके नीचे लेटूँ। और वैसे भी वो कोई बहुत सुंदर या आकर्षक नहीं था, फिर भी न जाने क्यों उसे गंवार पर मेरा मन मेहरबान हुआ जा रहा था।

मै अंदर गई तो देखा मेरे पति देखे टीवी पर मेरी करतूत देख रहे है बता दूँ उन्होने सारे घर मे सीसीटीवी कैमरे लगा रखे है वो थोड मायूस से थे

कोमल वाह जी तुम जग गये

प्रवीण हॉ और तुम्हारी अदा वा नखरा भी देखा काहे इतने नजदीक जाने के बाद छोड दिया

कोमल अभी वो छोटा था भले गाये पर चढ जाता मगर तुम्हारी गर्म गाये ठंडी कर पाता क्या पता

प्रवीण गाय जब सांड को चढवायेगी तभी पता लगेगा की सांड ठंडी कर पायेगा या नही , ऐसे अंदाजा लगाना व्यर्थ है फिर थोडा बहुत दे देती तो बेचारे का कुछ भला हो जाता

कोमल सांड नही बछड़ा था बेचारा गभीन नही कर पाता, चलो बेकार की बात ना करो तुम चहाते हो तो उसे भी चरवा दूँगी मगर अभी तो ऑफीस जाने की तैयारी करो

प्रवीण नही यार दो दिन की छुटी ली है डाँ ने नस तोड़ने के बाद दो दिन आराम करने को कहा है,
तभी कोमल ने प्रवीण का रिंग लगे नुनी को पकड़ा


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कोमल सच प्रवीण यह हमे कभी बच्चा नही दे पाता इसकी यही दशा होनी चाहिये

प्रवीण तभी मैने इस कॉटे को हमारे बीच से अलग किया जिससे हमारा असल मकसद पूरा हो सके

कोमल सच प्रवीण मै कसम खाती हूँ तुम्हे जल्द बच्चा दूंगी जिससे इसकी कमी को दूर कर समाज का मुॅह हमेशा हमेशा के लिए बंद कर सकू जिससे समाज तुम्हे असल मर्द समझ सके

प्रवीण आई लव यू कोमल

कोमल आई लव यू प्रवीण
 

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दूधवाला और मेरी पत्नी भाग-10

कोमल आँगन मे लगे नल पर नहाने लगी वही थोड़ी दूर पर प्रवीण शंतरज की गोट रखे खेलने का नाटक कर रहा था मगर उसका ध्यान कोमल को नहाते देखने मे ही था गजब की सुंदरता थी कोमल मे नहाते वक्त तो किसी अपसरा से कम ना लगती थी

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झीनी गीले पेटीकोट मे उसके गोल बडे स्तन तो गजब ढा रहे था तो गोरा रंग का बदन और उसके भारी बडे चुतड़ो का दृश्य किसी को भी घायल कर देगा

तभी रमेश जो उसका पड़ोसी था दोनो की छ्त अपस मे जुड़ी थी और रमेश की छत से प्रवीण के किराये के मकान का आँगन पूर्ण रूप से दिखता था, तभी एक आवाज दोनो के कानो को सुनाई दी

रमेश नमस्कार भा भा.... ई....... या

उसकी निगाह जैसी ही कोमल पर गई तो रमेश की जुबा को जैसे लकवा मार गया

तभी प्रवीण बोल उठा

प्रवीण अरे नमस्कार रमेश कैसे हो क्या खाली हो यदि खाली हो तो एक शतरंज की बाजी हो जाये




रमेश जी भईया मे तो खाली हूँ




प्रवीण तो छ्त से फलांग मार हमारी छत पर आ जाओ जीना खुला हुआ है नीचे चले आओ


कोमल कुछ समझ पाती तब तक तहमद बनियान पहने रमेश उसके घर मे दाखिल हो चुका था

कोमल उसे देख हरबड़ाते खडी हो उठी हड़बड़ाहट मै उसका पहना एक मात्र पेटीकोट नीचे गिर पड़ा
कोमल शर्म से दिवार से सट गई
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रमेश यह नजरा देख आवाक रह गया उसने प्रवीण की तरफ देखा तो पाया जैसे प्रवीण को कुछ मतलब ही नही वो शतरंज की गोटिया बछाने मे व्यस्त था और सामने अप्सरा नंगी खडी थी कोमल के भारी गोल चुतड़ो से रमेश पर बिजली गिरा दी थी उसका लंड तहमद मे खडा हो चुका था उसने तहमद के नीचे नेकर नही पहना था जिसका परिणाम था कि तहमद खडे लंड से तंम्बु बन चुका था तहमद का आगे का हिस्सा गीला हो चुका था लंड के झटको से तहमद ऐसे हिल रहा था जैसे कोई जानवर तहमद मे घुस गया हो और उछल कुद मचा रहा हो

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रमेश का नौ इंची लंबा वा कलाई जितना मोटा लंड तहमद मे जितना हो सकता था उछल कुद मचा रहा था
सामने नंगी कोमल की गांड उसे चोदने को मजबूर कर रही थी, लंड की नस जैसे फटने को हो चली थी

कोमल हाये जी पेटीकोट गिर गया उठा दो ना

प्रवीण यार मै बिसात बिछा रहा हूँ आज रमेश को एक बाजी हरा कर रहूँगा , यार तु जा ऊठा कर पहना दे पेटीकोट भाभी है तेरी

रमेश कॉपते कदमो से कोमल की तरफ बढा
 
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