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Incest दीवाना चुत का

जय100

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मैं जय कुमार अपने पूरे परिवार के साथ गांव में रहता हूं ।हम लोग ना तो बहुत अमीर है और ना ही गरीब । अच्छा खासा खेत है जिसमे मैं और पिता जी दोनों मेहनत करके इतना कमा लेते है कि घर का खर्चा आराम से चल जाता है और बड़े भैया जो कि फ़ौज में में है और अभी जल्द ही उनकी शादी हुई है 2 महीना रहने के बाद वह वापस काम पर चले गए है।
पापा राजेश्वर कुमार
मा सुमन देवी
हम।2 भाई और 3 बहने
1 पूनम इनकी शादी हो चुकी है
कमलेश जीजा जी
दी के अभी बच्चे नही है।
2 बलवंत कुमार भैया
जूही भाभी
3 सरिता
4 मधु
5 जय कुमार यानी कि मैं

बड़े पापा की फैमली
संजय बड़े पापा
चन्दा बड़ी माँ
इनके दो लड़की है
1 कविता
2ज्योति

मेरे दोस्त
कालू
पवन
राजू
पूजा कालू की बहन
जया राजू की गर्लफ्रैंड
ठाकुर भानु प्रताप सिंह गांव का जमींदार
प्रीति देवी ठाकुर की तीसरी बीवी
पंकज ठाकुर ठाकुर की पहली बीवी का लड़का
अमृता सिंह ठाकुर की दूसरी बीवी की लड़की
भोला ठाकुर का चापलूस मुंशी

उपडेट 1
(कहानी जय की जुबानी चलेगी)
माँ : बहु जा कर जय को उठा दे उसके पापा कबसे इन्तजार कर रहे है खेत मे जाने के लिए यह है कि उठ ही नही रहा है।
भाभी : अच्छा मा जी अभी जाकर उठा देती हूं।
इतना बोल कर भाभी मेरे रूम में आती है तो देखती है कि जय अभी तक सोया हुआ है लेकिन उसका लण्ड रोज की तरह आज भी वैसा ही खड़ा है ।जूही अपने मन मे सोचती है कि हे भगवान यह कैसा लड़का है जब देखो तब खड़ा ही रहता है ।अब इसको मैं इस हालत में कैसे उठाऊ।अभी जूही यही सोच रही थी कि पीछे से उसकी ननद सरिता की आवाज आती है और बोलती है कि
सरिता : क्या भाभी आप रोज इस तरह छुप के छोटे देवर का देखती हो आपको शर्म नही आती है क्या ।
जूही उसकी बात सुनकर उसके पास जाती है और जोर से उसके चूची को दबा कर बोलती है कि
जूही : क्या करूँ ननद रानी इसके लौड़े को देखे बिना तो दिन नही होता कबसे सोच रही हु की इसे जन्नत के दर्शन करा दु लेकिन क्या करूँ इसे तो अपनी बहन की चूत ही पसन्द है। देखती नही कैसे चुचियो को घूरता रहता है।
सरिता : क्या भाभी आप भी कैसी बातें करती रहती हो । हमेशा आपके दिमाग में यही सब गंदगी चलती रहती है क्या। मेरा भाई ऐसा नहीं है आप उसे यूं ही बदनाम करती रहती हो और आप मुझसे ऐसी बातें नहीं किया करो मैं ऐसी बातें नहीं सुन सकती हूं।
जूही : अच्छा तेरा भाई ऐसा नही है ।एक दिन मैं खुद तेरे बुर में उसका लौड़ा नही डाली अपने हाथ से पकड़ कर तो मेरा नाम भी जूही नही समझी मेरी रंडी ननद रानी।
तब तक सुमन की आवाज आती है और बोलती हैकि क्या हुआ बहु जय नही उठ रहा है क्या मैं आउ उठाने।
जूही :मा जी भी ना हमेशा घोड़े पर सवार रहती है एक दिन इनको भी चुदवा दूँगी।
सरीता :क्या भाभी किसी को तो छोड़ दो वह मा है उनके बारे में सोचना भी पाप है।
जूही : पाप पुण्य छोड़ जय को उठा देती हूं फिर बाद में बात करती हूं।
इसके बाद जूही मेरे बिस्तर के पास आकर उठाती है और बोलती है कि
जूही : देवर जी अब उठ जाइए सुबह हो गई है माजी कब से आपका इंतजार कर रही है।
इतना बोल कर वह जाने लगती है तो मैं उनका हाथ पकड़ लेता हूं और बोलता हूं कि
मैं : ऐसे कैसे उठ जाऊं आप शायद भूल रही हैं लेकिन मैं नहीं भूला हु ।
जूही : मैं भूली नही हु देवर जी बस आपका हा का इन्तजार है ।आप हा बोल दे मैं तो कबसे तैयार हूं ।आप ही नही मान रहे है।
मैं :डरता हूँ अगर कोई जान गया तो क्या होगा ।
जूही :अरे यार मैं लड़की हो कर नही डरती हु और आप लड़के होकर डरते हो ।थोड़ी हिम्मत करो डरने से कुछ भी नही होगा ।बस मुठ मारते रहना और अपने भाई की तरह नामर्द बन जाना ।कहने को तो फ़ौज में है लेकिन अपनी बीवी की सील भी नही तोड़ पाये बुर में डालने से पहले ही झड़ जाते थे और ऊपर से गांडू ठहरे ।
मैं :लेकिन यह बात तो कोई नही जानता है ना और ऊपर से आप मुझसे बच्चा मांग रही हो मुझसे।
अभी मैं और कुछ बोलता इससे पहले ही पीछे से सरिता दी कि आवाज आई
सरिता दी :अरे बेशर्मो कुछ तो शर्म कर लो मैं भी यही खड़ी हु।
जूही :तो खड़ी क्यों हो आकर पकड़ लो ना अपने भाई का लण्ड देखो तुम्हे देख कर कैसे ठुमके लगा रहा है
 

Nasn

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मैं जय कुमार अपने पूरे परिवार के साथ गांव में रहता हूं ।हम लोग ना तो बहुत अमीर है और ना ही गरीब । अच्छा खासा खेत है जिसमे मैं और पिता जी दोनों मेहनत करके इतना कमा लेते है कि घर का खर्चा आराम से चल जाता है और बड़े भैया जो कि फ़ौज में में है और अभी जल्द ही उनकी शादी हुई है 2 महीना रहने के बाद वह वापस काम पर चले गए है।
पापा राजेश्वर कुमार
मा सुमन देवी
हम।2 भाई और 3 बहने
1 पूनम इनकी शादी हो चुकी है
कमलेश जीजा जी
दी के अभी बच्चे नही है।
2 बलवंत कुमार भैया
जूही भाभी
3 सरिता
4 मधु
5 जय कुमार यानी कि मैं

बड़े पापा की फैमली
संजय बड़े पापा
चन्दा बड़ी माँ
इनके दो लड़की है
1 कविता
2ज्योति

मेरे दोस्त
कालू
पवन
राजू
पूजा कालू की बहन
जया राजू की गर्लफ्रैंड
ठाकुर भानु प्रताप सिंह गांव का जमींदार
प्रीति देवी ठाकुर की तीसरी बीवी
पंकज ठाकुर ठाकुर की पहली बीवी का लड़का
अमृता सिंह ठाकुर की दूसरी बीवी की लड़की
भोला ठाकुर का चापलूस मुंशी

उपडेट 1
(कहानी जय की जुबानी चलेगी)
माँ : बहु जा कर जय को उठा दे उसके पापा कबसे इन्तजार कर रहे है खेत मे जाने के लिए यह है कि उठ ही नही रहा है।
भाभी : अच्छा मा जी अभी जाकर उठा देती हूं।
इतना बोल कर भाभी मेरे रूम में आती है तो देखती है कि जय अभी तक सोया हुआ है लेकिन उसका लण्ड रोज की तरह आज भी वैसा ही खड़ा है ।जूही अपने मन मे सोचती है कि हे भगवान यह कैसा लड़का है जब देखो तब खड़ा ही रहता है ।अब इसको मैं इस हालत में कैसे उठाऊ।अभी जूही यही सोच रही थी कि पीछे से उसकी ननद सरिता की आवाज आती है और बोलती है कि
सरिता : क्या भाभी आप रोज इस तरह छुप के छोटे देवर का देखती हो आपको शर्म नही आती है क्या ।
जूही उसकी बात सुनकर उसके पास जाती है और जोर से उसके चूची को दबा कर बोलती है कि
जूही : क्या करूँ ननद रानी इसके लौड़े को देखे बिना तो दिन नही होता कबसे सोच रही हु की इसे जन्नत के दर्शन करा दु लेकिन क्या करूँ इसे तो अपनी बहन की चूत ही पसन्द है। देखती नही कैसे चुचियो को घूरता रहता है।
सरिता : क्या भाभी आप भी कैसी बातें करती रहती हो । हमेशा आपके दिमाग में यही सब गंदगी चलती रहती है क्या। मेरा भाई ऐसा नहीं है आप उसे यूं ही बदनाम करती रहती हो और आप मुझसे ऐसी बातें नहीं किया करो मैं ऐसी बातें नहीं सुन सकती हूं।
जूही : अच्छा तेरा भाई ऐसा नही है ।एक दिन मैं खुद तेरे बुर में उसका लौड़ा नही डाली अपने हाथ से पकड़ कर तो मेरा नाम भी जूही नही समझी मेरी रंडी ननद रानी।
तब तक सुमन की आवाज आती है और बोलती हैकि क्या हुआ बहु जय नही उठ रहा है क्या मैं आउ उठाने।
जूही :मा जी भी ना हमेशा घोड़े पर सवार रहती है एक दिन इनको भी चुदवा दूँगी।
सरीता :क्या भाभी किसी को तो छोड़ दो वह मा है उनके बारे में सोचना भी पाप है।
जूही : पाप पुण्य छोड़ जय को उठा देती हूं फिर बाद में बात करती हूं।
इसके बाद जूही मेरे बिस्तर के पास आकर उठाती है और बोलती है कि
जूही : देवर जी अब उठ जाइए सुबह हो गई है माजी कब से आपका इंतजार कर रही है।
इतना बोल कर वह जाने लगती है तो मैं उनका हाथ पकड़ लेता हूं और बोलता हूं कि
मैं : ऐसे कैसे उठ जाऊं आप शायद भूल रही हैं लेकिन मैं नहीं भूला हु ।
जूही : मैं भूली नही हु देवर जी बस आपका हा का इन्तजार है ।आप हा बोल दे मैं तो कबसे तैयार हूं ।आप ही नही मान रहे है।
मैं :डरता हूँ अगर कोई जान गया तो क्या होगा ।
जूही :अरे यार मैं लड़की हो कर नही डरती हु और आप लड़के होकर डरते हो ।थोड़ी हिम्मत करो डरने से कुछ भी नही होगा ।बस मुठ मारते रहना और अपने भाई की तरह नामर्द बन जाना ।कहने को तो फ़ौज में है लेकिन अपनी बीवी की सील भी नही तोड़ पाये बुर में डालने से पहले ही झड़ जाते थे और ऊपर से गांडू ठहरे ।
मैं :लेकिन यह बात तो कोई नही जानता है ना और ऊपर से आप मुझसे बच्चा मांग रही हो मुझसे।
अभी मैं और कुछ बोलता इससे पहले ही पीछे से सरिता दी कि आवाज आई
सरिता दी :अरे बेशर्मो कुछ तो शर्म कर लो मैं भी यही खड़ी हु।
जूही :तो खड़ी क्यों हो आकर पकड़ लो ना अपने भाई का लण्ड देखो तुम्हे देख कर कैसे ठुमके लगा रहा है
शानदार शुरुआत...
 

Desi Man

Well-Known Member
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बढ़िया कहानी है दोस्त
भाभी तो बड़ी तेज है पूरा परिवार ठुकवा के ही मानेगी
 
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