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Adultery तेरे प्यार मे.... (Completed)

kamdev99008

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शायद लेखक का खुद का किरदार झलकता है उनके नायकों में।
यही वो सत्य है जो मुझे मनीष भाई से बांधे है..................... ये भावुक हैं, क्योंकि इनहोने परिवार देखा है, जाना है, समझा है
मैं निर्मोही हूँ.......... क्योंकि मेंने एक मुसाफिर की तरह ना जाने कितने परिवारों को दूर से देखा है, अंजान मंजिल के सफर में............... इसीलिए उनसे मोह नहीं हुआ...................
मेरे बचपन को जब परिवार और माता-पिता चाहिए थे तब नहीं मिले............ और जब मिले तो उन्हें मैं चाहिए था, मुझे उनकी ना जरूरत थी और ना मोह/लगाव

इसीलिए फौजी भाई की और मेरी भावनाओं में अंतर है
मैं हूँ सुनैना की आत्मा का वो टुकड़ा . मैं हूँ वो सच जिसे कोई नहीं जानता .
इतने अपडेट के बाद बता रहे हो............ मेंने कब से पूंछा हुआ है कि कबीर की असली माँ कौन है?

चलो झटका तो नहीं लगा.......... लेकिन राज तो खुला :D
 

@09vk

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#156

कुछ देर तहखाने में ख़ामोशी छाई रही और मैं समझने की कोशिश करने लगा की आत्मा के टुकड़े को कोई कैसे गिरवी रख सकता है.

मैं- क्या ये मुमकिन है

रमा-निर्भर करता है की तुम इसे कैसे समझते हो

मैं- तुम इसे कैसे समझती हो रमा और यदि आत्मा का टुकड़ा गिरवी था तो फिर टूटी आत्मा से सुनैना ने शरीर कैसे त्याग दिया.

रमा- मैं इसे कैसे समझती हूँ . मैं नहीं समझ पायी. राय साहब नहीं समझ पाए रुडा नहीं समझ पाया. अगर हम में से कोई भी इसे समझ पाता तो आज वो सोना यूँ नहीं पड़ा होता लावारिस हालत में

मैं- लालच , क्या मिला तुम सब को ये लालच करके रमा . तुमने अपनी ही बहन से धोखा दिया . मैं हमेशा सोचता था की तुम , तुम इतनी महत्वपूर्ण क्यों हो इस पूरी कहानी में . ऐसा क्या छिपा था जो सामने होकर भी नहीं दिख रहा था , वो तुम थी रमा. वो तुम्हारा रिश्ता था सुनैना से. वो जानती थी तुम सब के मन के लालच को . तुम सबकी ये हवस पूरी न हो जाये इसलिए उसने अपनी आत्मा के टुकड़े को गिरवी रखा या फिर मैं कहूँ उसने उसे कहीं छुपा दिया .

तुम , तुम कभी भी उस जैसी नहीं बन पायी क्योंकि तुम्हारे मन में द्वेष था , घृणा थी . तुम हमेशा सुनैना बनना चाहती थी .

रमा- तुमको सच में ऐसा लगता है . मैं बहुत बेहतर थी उस से .

मैं- पर तुम उस चीज को नहीं समझ पायी . तुमने पूरी उम्र लगा दी ये खोजने में की इस सोने को कैसे हासिल किया जाये. पर तुम कामयाब नहीं रही जानती हो क्यों .

रमा के चेहरे पर अस्मंस्ज देख कर न जाने क्यों मुझे बड़ी ख़ुशी हुई.

मैं- जिस दिन मैंने राय साहब के बाद मंगू को तुझ पर चढ़ते देखा था न मैं उसी दिन जान गया था की तू, तू इस जिस्म का उपयोग किस हद तक कर सकती है . चूत , चूत का नशा इन्सान की सबसे बड़ी कमजोरी जो काम कोई नहीं कर पाए इस छोटे से छेद में वो ताकत होती है . तुम लोगो ने हमेशा मुझे झूठी कहानी सुनाई, मुझे हर बार भटकाया की मैं अतीत की उस डोर को ना तलाश कर सकू. पर तुम्हारी ये बात ही की तुम्हे कोई नहीं पकड़ पायेगा तुम पर भारी पड़ गयी . तुमने सोचा होगा की हम इस चूतिये को भटका रहे थे पर तुम नहीं जानती थी की मैं क्या तलाश कर रहा था .

रमा की आँखों को मैंने फैलते हुए देखा .

मैं- रमा मैं उस कड़ी को तलाश रहा था जो मुझे इस कहानी से जोडती है . जानती है तु कभी भी सुनैना की आत्मा के टुकड़े को क्यों नहीं ढूंढ पायी . क्योंकि तू जानती ही नहीं थी वो क्या है .



रमा - क्या था वो

मैं- बताऊंगा पर उस से पहले और थोड़ी बाते करनी है . वैसे कुंवे पर तूने चाल सही चली थी पर तोड़ करके बैठा था मैं. तेरा दांव इस लिए फेल हुआ रमा क्योंकि तू ये तो जानती थी की चाचा की कहानी क्या है पर तू इस कहानी का एक माहत्वपूर्ण भाग नहीं जानती थी . तू ये नहीं जानती थी उस रात चाचा पर किसी ने हमला करके लगभग उसकी जान ही ले ली थी . उसने चाचा को मरा समझ कर दफना दिया था पर जीने की लालसा बहुत जिद्दी होती है रमा. वो बेचारा कच्ची मिटटी को हटा कर बाहर निकल आया पर उसे क्या मालुम था की काश उस रात वो मर जाता तो कितना सही रहता . कल जब मैंने चाचा को संक्रमित रूप में देखा तो मैं सोचने पर मजबूर हो गया की अगर ये यहाँ था तो किसने किसने वहां पर कंकाल छुपाया होगा. किस्मत बहुत कुत्ती चीज होती है रमा. देख तूने कंकाल को ठीक उसी गड्ढे में छिपाया जहाँ पर कोई तुझसे पहले चाचा को दफना गया .

चूत के जोर के दम पर तूने दुनिया ही झुका ली थी . पर तू समझ नहीं पायी की हवस के परे इस शक्ति और होती है . तूने चढ़ती जवानी की दहलीज को पार करते तीन दोस्तों को अपने हुस्न के जाल में फंसा लिया .तूने तीनो को वो ही कहानी सुनाई जो मुझे सुनाई थी वो तेरे जाल में फंस भी गए पर महावीर के पास एक चीज थी जिसने मुझे वो सच दिखाया जो वक्त की धुल में ढका हुआ था . महावीर के पास एक कैमरा था रमा जिस से वो चोरी छिपे तस्वीरे खींचता था . मुझे वो तस्वीरे मिली जो छिपा दी गयी थी उन्ही तस्वीरों में मुझे वो मिला जिसकी तलाश थी मुझे. मुझे सच मिला वो सच जो महावीर ने ढूंढा था .

रमा- तेरे जैसा था वो , उसको भी इतनी ही चुल थी अतीत को तलाश करने की एक वो ही था जिसने वो तरीका तलाश लिया था जिस से की सोने के मालिक को काबू कर सकते थे . उसने ही सबसे पहले जाना था की वो कौन था . और यही बात उसके मरने की वजह बन गयी .

मैं- पर तू उसके बारे में एक चीज नहीं जानती थी रमा की वो आदमखोर था . और अगर वो आदमखोर बना तो ये रास्ता उसने खुद ही चुना होगा क्योंकि वो भी मेरी तरह इस कहानी के मूल की तलाश में था . वो सोना नहीं चाहता था . महावीर को जहाँ तक मैंने समझा है वो खुद को सुनैना की आत्मा का टुकड़ा समझता था .

मेरी बात सुन कर रमा की आँखे हैरत से भर गयी .

मैं- पर नहीं , वो नहीं था . वो कभी भी नहीं था

रमा- तो फिर कौन था .


मैं- तूने कभी समझा ही नहीं रमा ,की हवस के आगे एक शक्ति और होती है और वो होती है प्रेम . बेशक सुनैना के गर्भ में पल रही संतान को अपनाने की हिम्मत रुडा में नहीं थी पर सुनैना ने प्रेम के उस रूप को चुना जिसे मात्रत्व कहते है . माँ, दुनिया की सबसे शक्तिशाली योद्धा होती है . मैं हमेशा सोचता था की इस जंगल से मुझे इतना लगाव क्यों है . क्यों, क्योंकि मैं इस जंगल का अंश हूँ . मैं हूँ सुनैना की आत्मा का वो टुकड़ा . मैं हूँ वो सच जिसे कोई नहीं जानता .
Nice update 👍
 

Raj_sharma

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#156

कुछ देर तहखाने में ख़ामोशी छाई रही और मैं समझने की कोशिश करने लगा की आत्मा के टुकड़े को कोई कैसे गिरवी रख सकता है.

मैं- क्या ये मुमकिन है

रमा-निर्भर करता है की तुम इसे कैसे समझते हो

मैं- तुम इसे कैसे समझती हो रमा और यदि आत्मा का टुकड़ा गिरवी था तो फिर टूटी आत्मा से सुनैना ने शरीर कैसे त्याग दिया.

रमा- मैं इसे कैसे समझती हूँ . मैं नहीं समझ पायी. राय साहब नहीं समझ पाए रुडा नहीं समझ पाया. अगर हम में से कोई भी इसे समझ पाता तो आज वो सोना यूँ नहीं पड़ा होता लावारिस हालत में

मैं- लालच , क्या मिला तुम सब को ये लालच करके रमा . तुमने अपनी ही बहन से धोखा दिया . मैं हमेशा सोचता था की तुम , तुम इतनी महत्वपूर्ण क्यों हो इस पूरी कहानी में . ऐसा क्या छिपा था जो सामने होकर भी नहीं दिख रहा था , वो तुम थी रमा. वो तुम्हारा रिश्ता था सुनैना से. वो जानती थी तुम सब के मन के लालच को . तुम सबकी ये हवस पूरी न हो जाये इसलिए उसने अपनी आत्मा के टुकड़े को गिरवी रखा या फिर मैं कहूँ उसने उसे कहीं छुपा दिया .

तुम , तुम कभी भी उस जैसी नहीं बन पायी क्योंकि तुम्हारे मन में द्वेष था , घृणा थी . तुम हमेशा सुनैना बनना चाहती थी .

रमा- तुमको सच में ऐसा लगता है . मैं बहुत बेहतर थी उस से .

मैं- पर तुम उस चीज को नहीं समझ पायी . तुमने पूरी उम्र लगा दी ये खोजने में की इस सोने को कैसे हासिल किया जाये. पर तुम कामयाब नहीं रही जानती हो क्यों .

रमा के चेहरे पर अस्मंस्ज देख कर न जाने क्यों मुझे बड़ी ख़ुशी हुई.

मैं- जिस दिन मैंने राय साहब के बाद मंगू को तुझ पर चढ़ते देखा था न मैं उसी दिन जान गया था की तू, तू इस जिस्म का उपयोग किस हद तक कर सकती है . चूत , चूत का नशा इन्सान की सबसे बड़ी कमजोरी जो काम कोई नहीं कर पाए इस छोटे से छेद में वो ताकत होती है . तुम लोगो ने हमेशा मुझे झूठी कहानी सुनाई, मुझे हर बार भटकाया की मैं अतीत की उस डोर को ना तलाश कर सकू. पर तुम्हारी ये बात ही की तुम्हे कोई नहीं पकड़ पायेगा तुम पर भारी पड़ गयी . तुमने सोचा होगा की हम इस चूतिये को भटका रहे थे पर तुम नहीं जानती थी की मैं क्या तलाश कर रहा था .

रमा की आँखों को मैंने फैलते हुए देखा .

मैं- रमा मैं उस कड़ी को तलाश रहा था जो मुझे इस कहानी से जोडती है . जानती है तु कभी भी सुनैना की आत्मा के टुकड़े को क्यों नहीं ढूंढ पायी . क्योंकि तू जानती ही नहीं थी वो क्या है .



रमा - क्या था वो

मैं- बताऊंगा पर उस से पहले और थोड़ी बाते करनी है . वैसे कुंवे पर तूने चाल सही चली थी पर तोड़ करके बैठा था मैं. तेरा दांव इस लिए फेल हुआ रमा क्योंकि तू ये तो जानती थी की चाचा की कहानी क्या है पर तू इस कहानी का एक माहत्वपूर्ण भाग नहीं जानती थी . तू ये नहीं जानती थी उस रात चाचा पर किसी ने हमला करके लगभग उसकी जान ही ले ली थी . उसने चाचा को मरा समझ कर दफना दिया था पर जीने की लालसा बहुत जिद्दी होती है रमा. वो बेचारा कच्ची मिटटी को हटा कर बाहर निकल आया पर उसे क्या मालुम था की काश उस रात वो मर जाता तो कितना सही रहता . कल जब मैंने चाचा को संक्रमित रूप में देखा तो मैं सोचने पर मजबूर हो गया की अगर ये यहाँ था तो किसने किसने वहां पर कंकाल छुपाया होगा. किस्मत बहुत कुत्ती चीज होती है रमा. देख तूने कंकाल को ठीक उसी गड्ढे में छिपाया जहाँ पर कोई तुझसे पहले चाचा को दफना गया .

चूत के जोर के दम पर तूने दुनिया ही झुका ली थी . पर तू समझ नहीं पायी की हवस के परे इस शक्ति और होती है . तूने चढ़ती जवानी की दहलीज को पार करते तीन दोस्तों को अपने हुस्न के जाल में फंसा लिया .तूने तीनो को वो ही कहानी सुनाई जो मुझे सुनाई थी वो तेरे जाल में फंस भी गए पर महावीर के पास एक चीज थी जिसने मुझे वो सच दिखाया जो वक्त की धुल में ढका हुआ था . महावीर के पास एक कैमरा था रमा जिस से वो चोरी छिपे तस्वीरे खींचता था . मुझे वो तस्वीरे मिली जो छिपा दी गयी थी उन्ही तस्वीरों में मुझे वो मिला जिसकी तलाश थी मुझे. मुझे सच मिला वो सच जो महावीर ने ढूंढा था .

रमा- तेरे जैसा था वो , उसको भी इतनी ही चुल थी अतीत को तलाश करने की एक वो ही था जिसने वो तरीका तलाश लिया था जिस से की सोने के मालिक को काबू कर सकते थे . उसने ही सबसे पहले जाना था की वो कौन था . और यही बात उसके मरने की वजह बन गयी .

मैं- पर तू उसके बारे में एक चीज नहीं जानती थी रमा की वो आदमखोर था . और अगर वो आदमखोर बना तो ये रास्ता उसने खुद ही चुना होगा क्योंकि वो भी मेरी तरह इस कहानी के मूल की तलाश में था . वो सोना नहीं चाहता था . महावीर को जहाँ तक मैंने समझा है वो खुद को सुनैना की आत्मा का टुकड़ा समझता था .

मेरी बात सुन कर रमा की आँखे हैरत से भर गयी .

मैं- पर नहीं , वो नहीं था . वो कभी भी नहीं था

रमा- तो फिर कौन था .


मैं- तूने कभी समझा ही नहीं रमा ,की हवस के आगे एक शक्ति और होती है और वो होती है प्रेम . बेशक सुनैना के गर्भ में पल रही संतान को अपनाने की हिम्मत रुडा में नहीं थी पर सुनैना ने प्रेम के उस रूप को चुना जिसे मात्रत्व कहते है . माँ, दुनिया की सबसे शक्तिशाली योद्धा होती है . मैं हमेशा सोचता था की इस जंगल से मुझे इतना लगाव क्यों है . क्यों, क्योंकि मैं इस जंगल का अंश हूँ . मैं हूँ सुनैना की आत्मा का वो टुकड़ा . मैं हूँ वो सच जिसे कोई नहीं जानता .
Wah bhai Kya baat hai dhasu👌🏻👌🏻👌🏻🙏🙏
 

kamdev99008

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तुम सबकी ये हवस पूरी न हो जाये इसलिए उसने अपनी आत्मा के टुकड़े को गिरवी रखा या फिर मैं कहूँ उसने उसे कहीं छुपा दिया .
अब वो आत्मा का टुकड़ा गिरवी विशंभर दयाल के पास था या उनकी पत्नी के पास ........... कबीर को अपने पास छुपाने के लिए रूड़ा को विशंभर दयाल ने अपना बेटा दिया होगा....
दूसरा कोई हाल का पैदा हुआ बच्चा ना तो मिल सकता था, और ना ही बिना बच्चा पैदा किए विशंभर दयाल की पत्नी उसे अपना सकती थी......... राज तभी खुल जाता इन सब के बीच
फिर महावीर विशंभर दयाल का बेटा होना चाहिए था.......... क्योंकि
महावीर को जहाँ तक मैंने समझा है वो खुद को सुनैना की आत्मा का टुकड़ा समझता था .

मेरी बात सुन कर रमा की आँखे हैरत से भर गयी .

मैं- पर नहीं , वो नहीं था . वो कभी भी नहीं था

लेकिन ये सवाल भी है कि नंदिनी के साथ कबीर कब जुड़ा................ कब से नंदिनी उसे पाल रही है.......... क्या कबीर ही वो वजह था जो नंदिनी इस घर की बहू बनी


अब सवाल करते करते ऊब गया............... फौजी भाई के अपडेट का इंतज़ार
 

Guffy

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कुछ देर तहखाने में ख़ामोशी छाई रही और मैं समझने की कोशिश करने लगा की आत्मा के टुकड़े को कोई कैसे गिरवी रख सकता है.

मैं- क्या ये मुमकिन है

रमा-निर्भर करता है की तुम इसे कैसे समझते हो

मैं- तुम इसे कैसे समझती हो रमा और यदि आत्मा का टुकड़ा गिरवी था तो फिर टूटी आत्मा से सुनैना ने शरीर कैसे त्याग दिया.

रमा- मैं इसे कैसे समझती हूँ . मैं नहीं समझ पायी. राय साहब नहीं समझ पाए रुडा नहीं समझ पाया. अगर हम में से कोई भी इसे समझ पाता तो आज वो सोना यूँ नहीं पड़ा होता लावारिस हालत में

मैं- लालच , क्या मिला तुम सब को ये लालच करके रमा . तुमने अपनी ही बहन से धोखा दिया . मैं हमेशा सोचता था की तुम , तुम इतनी महत्वपूर्ण क्यों हो इस पूरी कहानी में . ऐसा क्या छिपा था जो सामने होकर भी नहीं दिख रहा था , वो तुम थी रमा. वो तुम्हारा रिश्ता था सुनैना से. वो जानती थी तुम सब के मन के लालच को . तुम सबकी ये हवस पूरी न हो जाये इसलिए उसने अपनी आत्मा के टुकड़े को गिरवी रखा या फिर मैं कहूँ उसने उसे कहीं छुपा दिया .

तुम , तुम कभी भी उस जैसी नहीं बन पायी क्योंकि तुम्हारे मन में द्वेष था , घृणा थी . तुम हमेशा सुनैना बनना चाहती थी .

रमा- तुमको सच में ऐसा लगता है . मैं बहुत बेहतर थी उस से .

मैं- पर तुम उस चीज को नहीं समझ पायी . तुमने पूरी उम्र लगा दी ये खोजने में की इस सोने को कैसे हासिल किया जाये. पर तुम कामयाब नहीं रही जानती हो क्यों .

रमा के चेहरे पर अस्मंस्ज देख कर न जाने क्यों मुझे बड़ी ख़ुशी हुई.

मैं- जिस दिन मैंने राय साहब के बाद मंगू को तुझ पर चढ़ते देखा था न मैं उसी दिन जान गया था की तू, तू इस जिस्म का उपयोग किस हद तक कर सकती है . चूत , चूत का नशा इन्सान की सबसे बड़ी कमजोरी जो काम कोई नहीं कर पाए इस छोटे से छेद में वो ताकत होती है . तुम लोगो ने हमेशा मुझे झूठी कहानी सुनाई, मुझे हर बार भटकाया की मैं अतीत की उस डोर को ना तलाश कर सकू. पर तुम्हारी ये बात ही की तुम्हे कोई नहीं पकड़ पायेगा तुम पर भारी पड़ गयी . तुमने सोचा होगा की हम इस चूतिये को भटका रहे थे पर तुम नहीं जानती थी की मैं क्या तलाश कर रहा था .

रमा की आँखों को मैंने फैलते हुए देखा .

मैं- रमा मैं उस कड़ी को तलाश रहा था जो मुझे इस कहानी से जोडती है . जानती है तु कभी भी सुनैना की आत्मा के टुकड़े को क्यों नहीं ढूंढ पायी . क्योंकि तू जानती ही नहीं थी वो क्या है .



रमा - क्या था वो

मैं- बताऊंगा पर उस से पहले और थोड़ी बाते करनी है . वैसे कुंवे पर तूने चाल सही चली थी पर तोड़ करके बैठा था मैं. तेरा दांव इस लिए फेल हुआ रमा क्योंकि तू ये तो जानती थी की चाचा की कहानी क्या है पर तू इस कहानी का एक माहत्वपूर्ण भाग नहीं जानती थी . तू ये नहीं जानती थी उस रात चाचा पर किसी ने हमला करके लगभग उसकी जान ही ले ली थी . उसने चाचा को मरा समझ कर दफना दिया था पर जीने की लालसा बहुत जिद्दी होती है रमा. वो बेचारा कच्ची मिटटी को हटा कर बाहर निकल आया पर उसे क्या मालुम था की काश उस रात वो मर जाता तो कितना सही रहता . कल जब मैंने चाचा को संक्रमित रूप में देखा तो मैं सोचने पर मजबूर हो गया की अगर ये यहाँ था तो किसने किसने वहां पर कंकाल छुपाया होगा. किस्मत बहुत कुत्ती चीज होती है रमा. देख तूने कंकाल को ठीक उसी गड्ढे में छिपाया जहाँ पर कोई तुझसे पहले चाचा को दफना गया .

चूत के जोर के दम पर तूने दुनिया ही झुका ली थी . पर तू समझ नहीं पायी की हवस के परे इस शक्ति और होती है . तूने चढ़ती जवानी की दहलीज को पार करते तीन दोस्तों को अपने हुस्न के जाल में फंसा लिया .तूने तीनो को वो ही कहानी सुनाई जो मुझे सुनाई थी वो तेरे जाल में फंस भी गए पर महावीर के पास एक चीज थी जिसने मुझे वो सच दिखाया जो वक्त की धुल में ढका हुआ था . महावीर के पास एक कैमरा था रमा जिस से वो चोरी छिपे तस्वीरे खींचता था . मुझे वो तस्वीरे मिली जो छिपा दी गयी थी उन्ही तस्वीरों में मुझे वो मिला जिसकी तलाश थी मुझे. मुझे सच मिला वो सच जो महावीर ने ढूंढा था .

रमा- तेरे जैसा था वो , उसको भी इतनी ही चुल थी अतीत को तलाश करने की एक वो ही था जिसने वो तरीका तलाश लिया था जिस से की सोने के मालिक को काबू कर सकते थे . उसने ही सबसे पहले जाना था की वो कौन था . और यही बात उसके मरने की वजह बन गयी .

मैं- पर तू उसके बारे में एक चीज नहीं जानती थी रमा की वो आदमखोर था . और अगर वो आदमखोर बना तो ये रास्ता उसने खुद ही चुना होगा क्योंकि वो भी मेरी तरह इस कहानी के मूल की तलाश में था . वो सोना नहीं चाहता था . महावीर को जहाँ तक मैंने समझा है वो खुद को सुनैना की आत्मा का टुकड़ा समझता था .

मेरी बात सुन कर रमा की आँखे हैरत से भर गयी .

मैं- पर नहीं , वो नहीं था . वो कभी भी नहीं था

रमा- तो फिर कौन था .


मैं- तूने कभी समझा ही नहीं रमा ,की हवस के आगे एक शक्ति और होती है और वो होती है प्रेम . बेशक सुनैना के गर्भ में पल रही संतान को अपनाने की हिम्मत रुडा में नहीं थी पर सुनैना ने प्रेम के उस रूप को चुना जिसे मात्रत्व कहते है . माँ, दुनिया की सबसे शक्तिशाली योद्धा होती है . मैं हमेशा सोचता था की इस जंगल से मुझे इतना लगाव क्यों है . क्यों, क्योंकि मैं इस जंगल का अंश हूँ . मैं हूँ सुनैना की आत्मा का वो टुकड़ा . मैं हूँ वो सच जिसे कोई नहीं जानता .
Majboor kar diye sir jii tumne aakhir review dene ke liye jo jhatke de rahe hona abhi tak story mein un sab mein sab se bada jhatka yeh hi hai

Awesome Story And Awesome Writing bhai abhi tak ki padhi sab hi story best thi lekin yeh alag level par hai maza aa gaya padh kar
 

Thakur

Alag intro chahiye kya ?
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कुछ देर तहखाने में ख़ामोशी छाई रही और मैं समझने की कोशिश करने लगा की आत्मा के टुकड़े को कोई कैसे गिरवी रख सकता है.

मैं- क्या ये मुमकिन है

रमा-निर्भर करता है की तुम इसे कैसे समझते हो

मैं- तुम इसे कैसे समझती हो रमा और यदि आत्मा का टुकड़ा गिरवी था तो फिर टूटी आत्मा से सुनैना ने शरीर कैसे त्याग दिया.

रमा- मैं इसे कैसे समझती हूँ . मैं नहीं समझ पायी. राय साहब नहीं समझ पाए रुडा नहीं समझ पाया. अगर हम में से कोई भी इसे समझ पाता तो आज वो सोना यूँ नहीं पड़ा होता लावारिस हालत में

मैं- लालच , क्या मिला तुम सब को ये लालच करके रमा . तुमने अपनी ही बहन से धोखा दिया . मैं हमेशा सोचता था की तुम , तुम इतनी महत्वपूर्ण क्यों हो इस पूरी कहानी में . ऐसा क्या छिपा था जो सामने होकर भी नहीं दिख रहा था , वो तुम थी रमा. वो तुम्हारा रिश्ता था सुनैना से. वो जानती थी तुम सब के मन के लालच को . तुम सबकी ये हवस पूरी न हो जाये इसलिए उसने अपनी आत्मा के टुकड़े को गिरवी रखा या फिर मैं कहूँ उसने उसे कहीं छुपा दिया .

तुम , तुम कभी भी उस जैसी नहीं बन पायी क्योंकि तुम्हारे मन में द्वेष था , घृणा थी . तुम हमेशा सुनैना बनना चाहती थी .

रमा- तुमको सच में ऐसा लगता है . मैं बहुत बेहतर थी उस से .

मैं- पर तुम उस चीज को नहीं समझ पायी . तुमने पूरी उम्र लगा दी ये खोजने में की इस सोने को कैसे हासिल किया जाये. पर तुम कामयाब नहीं रही जानती हो क्यों .

रमा के चेहरे पर अस्मंस्ज देख कर न जाने क्यों मुझे बड़ी ख़ुशी हुई.

मैं- जिस दिन मैंने राय साहब के बाद मंगू को तुझ पर चढ़ते देखा था न मैं उसी दिन जान गया था की तू, तू इस जिस्म का उपयोग किस हद तक कर सकती है . चूत , चूत का नशा इन्सान की सबसे बड़ी कमजोरी जो काम कोई नहीं कर पाए इस छोटे से छेद में वो ताकत होती है . तुम लोगो ने हमेशा मुझे झूठी कहानी सुनाई, मुझे हर बार भटकाया की मैं अतीत की उस डोर को ना तलाश कर सकू. पर तुम्हारी ये बात ही की तुम्हे कोई नहीं पकड़ पायेगा तुम पर भारी पड़ गयी . तुमने सोचा होगा की हम इस चूतिये को भटका रहे थे पर तुम नहीं जानती थी की मैं क्या तलाश कर रहा था .

रमा की आँखों को मैंने फैलते हुए देखा .

मैं- रमा मैं उस कड़ी को तलाश रहा था जो मुझे इस कहानी से जोडती है . जानती है तु कभी भी सुनैना की आत्मा के टुकड़े को क्यों नहीं ढूंढ पायी . क्योंकि तू जानती ही नहीं थी वो क्या है .



रमा - क्या था वो

मैं- बताऊंगा पर उस से पहले और थोड़ी बाते करनी है . वैसे कुंवे पर तूने चाल सही चली थी पर तोड़ करके बैठा था मैं. तेरा दांव इस लिए फेल हुआ रमा क्योंकि तू ये तो जानती थी की चाचा की कहानी क्या है पर तू इस कहानी का एक माहत्वपूर्ण भाग नहीं जानती थी . तू ये नहीं जानती थी उस रात चाचा पर किसी ने हमला करके लगभग उसकी जान ही ले ली थी . उसने चाचा को मरा समझ कर दफना दिया था पर जीने की लालसा बहुत जिद्दी होती है रमा. वो बेचारा कच्ची मिटटी को हटा कर बाहर निकल आया पर उसे क्या मालुम था की काश उस रात वो मर जाता तो कितना सही रहता . कल जब मैंने चाचा को संक्रमित रूप में देखा तो मैं सोचने पर मजबूर हो गया की अगर ये यहाँ था तो किसने किसने वहां पर कंकाल छुपाया होगा. किस्मत बहुत कुत्ती चीज होती है रमा. देख तूने कंकाल को ठीक उसी गड्ढे में छिपाया जहाँ पर कोई तुझसे पहले चाचा को दफना गया .

चूत के जोर के दम पर तूने दुनिया ही झुका ली थी . पर तू समझ नहीं पायी की हवस के परे इस शक्ति और होती है . तूने चढ़ती जवानी की दहलीज को पार करते तीन दोस्तों को अपने हुस्न के जाल में फंसा लिया .तूने तीनो को वो ही कहानी सुनाई जो मुझे सुनाई थी वो तेरे जाल में फंस भी गए पर महावीर के पास एक चीज थी जिसने मुझे वो सच दिखाया जो वक्त की धुल में ढका हुआ था . महावीर के पास एक कैमरा था रमा जिस से वो चोरी छिपे तस्वीरे खींचता था . मुझे वो तस्वीरे मिली जो छिपा दी गयी थी उन्ही तस्वीरों में मुझे वो मिला जिसकी तलाश थी मुझे. मुझे सच मिला वो सच जो महावीर ने ढूंढा था .

रमा- तेरे जैसा था वो , उसको भी इतनी ही चुल थी अतीत को तलाश करने की एक वो ही था जिसने वो तरीका तलाश लिया था जिस से की सोने के मालिक को काबू कर सकते थे . उसने ही सबसे पहले जाना था की वो कौन था . और यही बात उसके मरने की वजह बन गयी .

मैं- पर तू उसके बारे में एक चीज नहीं जानती थी रमा की वो आदमखोर था . और अगर वो आदमखोर बना तो ये रास्ता उसने खुद ही चुना होगा क्योंकि वो भी मेरी तरह इस कहानी के मूल की तलाश में था . वो सोना नहीं चाहता था . महावीर को जहाँ तक मैंने समझा है वो खुद को सुनैना की आत्मा का टुकड़ा समझता था .

मेरी बात सुन कर रमा की आँखे हैरत से भर गयी .

मैं- पर नहीं , वो नहीं था . वो कभी भी नहीं था

रमा- तो फिर कौन था .


मैं- तूने कभी समझा ही नहीं रमा ,की हवस के आगे एक शक्ति और होती है और वो होती है प्रेम . बेशक सुनैना के गर्भ में पल रही संतान को अपनाने की हिम्मत रुडा में नहीं थी पर सुनैना ने प्रेम के उस रूप को चुना जिसे मात्रत्व कहते है . माँ, दुनिया की सबसे शक्तिशाली योद्धा होती है . मैं हमेशा सोचता था की इस जंगल से मुझे इतना लगाव क्यों है . क्यों, क्योंकि मैं इस जंगल का अंश हूँ . मैं हूँ सुनैना की आत्मा का वो टुकड़ा . मैं हूँ वो सच जिसे कोई नहीं जानता .
Hmm matlab abtak jo hua kya wo bhram tha ? Sunaina ke aatma ka ansh Kabeer kaise he ? Kya wo uska beta he ? Agar ha to kya Ray sahab se keh ke usne bacho ki adla badli karai ? Ya fir aatma ke ansh ko kabir ke andar bo diya jaise pendrive se dusre ke PC laptop me malware install karte ho ? :hmm:
 
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