• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

Adultery तेरे प्यार मे.... (Completed)

Studxyz

Well-Known Member
2,925
16,231
158
होने को कुछ भी हो सकता है. निशा का अधिकार है ये उसे मालूम होना चाहिए कि किसने मारा उसके पति को.

फिर तो गड़बड़ भी हो सकती है कहीं निशा पता लगने पर अंजू की गांड ही ना फाड़ दे अंजू वैसे भी आजकल रह भी कबीर के घर ही रही है
 
Last edited:

HalfbludPrince

मैं बादल हूं आवारा
12,053
83,848
259
फिर तो गड़बड़ भी हो सकती है कहीं निशा पता लगने पर अंजू की गांड ही ना फाड़ दे अंजू वैसे भी आजकल रह भी कबीर के घर ही रही है
दरअसल बदलता वक़्त सब को फिर से एक छत के नीचे ले आया है
 

Studxyz

Well-Known Member
2,925
16,231
158
फिर उसने इतना इंतजार क्यों किया

जिस पति से वो आखरी दिन तक प्यार करती रही जब लंच भी उसके साथ ही किया उसका बदला लेने के लिए इंतज़ार भी कर लिया
 

Studxyz

Well-Known Member
2,925
16,231
158
इसीलिये तो मैं कहता हूं गांव देहात मे अभी भी बहुत सी कहानिया छिपी है कि सुनाए जाने का इंतजार कर रही है

भाई फोजी जी तभी तो आप की कहानियों में एक नयापन एक खुलापन और एक ताज़गी का अहसास होता है जो शहर की भसड़ से बिलकुल अलग है
 
9,471
39,852
218
अपडेट नम्बर 137

क्या ही लाजवाब अपडेट था यह । निशा और कबीर का कन्वर्सेशन पढ़कर एक बार तो ऐसा लगा जैसे कैफी आजमी सर फिर से जिंदा हो गए हो और राजकुमार, प्रिया राजवंश अभिनित हीर रांझा के डायलॉग लिख दिए हो।
गजब का पकड़ है मनीष भाई संवाद लेखन मे आपको।

इस अध्याय के साथ ही निशा का डाकन होने पर खुलासा शुरू हो गया। समझ मे तो यही आ रहा है कि वो रूडा के फैमिली से हो विलोंग्स करती है। पर हकीकत मे है कौन और उसके डाकन बनने के पीछे वजह क्या है , नेक्स्ट कुछ अपडेट मे ही मालूम होगा।

फौजी भाई , इस राय साहब के साथ कुछ न्याय कीजिए ! यह शख्स जब जब दिखता है तब तब मेरे शरीर का ब्लड प्रेशर बढ़ने लगता है। यह आदमी तो अच्छे खासे स्वस्थ इंसान को हाईपरटेंशन का मरीज बना दे !

बहुत बहुत खुबसूरत अपडेट था यह। और कहने की जरूरत नही कि जगमग जगमग भी।
 

HalfbludPrince

मैं बादल हूं आवारा
12,053
83,848
259
#141

“क्या थे तुम महावीर ठाकुर, मैं पता करके ही रहूँगा.” मैंने किताब का वो पन्ना जिस पर पेन से राज बुक स्टोर और उसका पता लिखा था उसे फाड़ कर जेब में रख लिया. मैंने खान का खेतो वाला रास्ता बंद किया और उस तरफ चल दिया जो नकली समाधी की तरफ मुझे ले जाता था .लालच इन्सान की फितरत में होता है तो फिर ऐसा क्या था की इस अथाह सोने के भंडार की किसी को भी परवाह नहीं थी.



जंगल के इस बियाबान में बने इन कमरों ने क्या छिपाया हुआ था . अगर सुनैना की समाधी यहाँ नहीं थी तो फिर क्यों बताया गया की सुनैना की समाधी यहाँ है . कमरों की कुण्डी खोल कर मैंने फिर से देखा सब कुछ वैसा ही था जैसा मैं छोड़ कर गया था . आखिर ऐसा क्या था जो मुझसे छुट रहा था . क्या था जिसे मैं चाह कर भी नहीं देख पा रहा था. शहर जाकर मैंने उस बुक स्टोर को तलाशने की कोशिश की और मेरी तलाश पूरी भी हो गयी . वो दूकान अनोखी थी . इतनी किताबे मैंने कभी नहीं देखि थी .

बड़े सलीके से सजी हुई किताबे , देख कर दिल ठहर सा जाये पर मुझे जो चाहिए था वो कही नहीं था .

“मैं कुछ मदद करू ”

मैंने मुड कर देखा एक अधेड़ उम्र का आदमी धोती-कुरता पहने खड़ा था .

मैं- दुकान के मालिक से मिलना है मुझे

वो- मैं ही हूँ मालिक यहाँ का .

मैंने जेब से वो टुकड़ा निकाल कर उसके हाथ में रख दिया. चश्मे के अन्दर फैलती-सिकुड़ती उसकी आँखे अजीब सी हो चली थी .

मैं- इस पन्ने पर यहाँ का पता लिखा है . मैं जानना चाहता हूँ की कौन खरीदता है ये किताबे

उसने मुझे ऐसे देखा ,अगले ही पल मुझे महसूस हो गया की मूर्खतापूर्ण सवाल कर लिया है मैंने. जाहिर है ऐसी किताबो के रसिया बहुत लोग होंगे. मैंने नोटों की गड्डी उसके सामने रखी और बोला- मेरे कुछ सवाल है , ये पैसे तुम्हारे हो सकते है यदि मुझे मेरे जवाब मिलेंगे तो .

मालिक- मेरे पास बहुत से लोग आते है ऐसी किताबे खरीदने के लिए . अब उन हजारो लोगो में से तुम्हारी जरुरत के कौन है ये कैसे मालूम होगा.

मैं- थोडा मुश्किल है जानता हूँ , सवाल ये है की ताजा ग्राहक नहीं करीब सात-आठ या दस साल पहले के ग्राहकों के बारे में जानना है मुझे.

मैंने अपनी जेब से त्रिदेवो की तस्वीर निकाल कर उसके सामने रख दी.

मैं- दिमाग पर थोडा जोर डालो और देखो इनमे से कौन था वो . और वो एक दो बार का नहीं बल्कि नियमित तौर पर आता होगा यहाँ पर.



मैं जानता था की भूसे के ढेर से सुई निकालनी है मुझे . बहुत देर तक वो उस तस्वीर को देखता रहा . उसके चेहरे के भाव स्पस्ट नहीं थे. मेरी धड़कने बेकाबू हो रही थी . सांस फूलने लगी थी. बड़ी शिद्दत से मैं चाहता था की वो इनमे से किसी भी एक पर ऊँगली रख दे.

“एक मिनट रुक “ उसने कहा और अन्दर चला गया कुछ देर बाद वो आया तो उसके पास एक पुराणी डायरी सी थी .

मैं- क्या है ये

मालिक- कुछ साल पहले मैं किताबो के साथ साथ फोटो स्टूडियो का काम भी करता था . ऐसी किताब ले जाने वाले कुछ खास लडको से एक तरह से यारी-दोस्ती सी हो जाती थी. मैं उनकी तस्वीरे उनके नाम के साथ इस डायरी में लगा लेता था , शौक के तौर पर . अगर इनमे से कोई भी हुआ तो मालूम हो जायेगा.



दुनिया में कैसे कैसे शौक थे. खैर, उसने डायरी की तस्वीरे देखनी शुरू की और करीब दस मिनट बाद मेरे दिमाग में हलचल मच गयी , डायरी में तीन तस्वीरे थी, तीन दोस्तों की तस्वीरे. ऐसा कैसे हो सकता था . ये तीनो इस दूकान के पक्के ग्राहक थे. तीन तस्वीरों के निचे महावीर, प्रकाश और अभिमानु लिखा हुआ था नीली स्याही में. मेरा गुरुर, मेरा भाई भी इन किताबो का शौक रखता था . खंडहर के कमरों का राज सबसे पहले उसने ही जाना था . साला दिमाग में जैसे कुछ बचा ही नहीं था .तीनो साथ ही रहते थे, भैया को किताबो का शौक था ये मैं जानता था हो सकता था की वो बस किताबे ही खरीदते हो यहाँ से.

मैं- एक मिनट, तूने बताया की फोटोग्राफी का काम भी था उस समय ये बता इन तीनो में से कैमरा किसके पास था या फिर इनमे से किसी ने रील धुलवाई हो तुझसे.

मालिक- ये बताना तो मुश्किल है और इन बातो को समय भी बहुत हो गया. पर अगर इनमे से किसी ने भी मुझसे कैमरा ख़रीदा होगा तो उस कैमरा को यदि मैं देख लू तो बता पाउँगा.

मैं- इतना यकीं कैसे तुझे

मालिक- यकीन क्यों नहीं होगा. दस साल पहले शहर में एक मात्र फोटो की दूकान मेरी ही थी , वो तो आग की वजह से नुकसान ज्यादा हो गया वर्ना आज बात ही कुछ और होती.

आग क्या इस की आग और प्रकाश के घर पर लगी आग में कुछ समानता हो सकती थी . मैंने सोचा .

मैं- क्या औरते भी आती है उस तरह की किताबे खरीदने तुझसे

मालिक- धत्त

बस एक सवाल मुझे परेशान किये हुए था की दोस्त भी अगर दोस्तों से कोई बात छुपाये तो इसका क्या मतलब हो सकता है . माना की सबके अपने राज होते है पर इतनी गहरी दोस्ती में कुछ छुपाया जाये तो फिर शक करना बनता था . हो सकता था की ये तीनो ही मिल कर चुदाई करते हो . हो सकता था की महावीर और उसके बाद प्रकाश भी उसी रस्ते पर चल पड़ा हो.



मुझे उस कैमरा को हर हाल में ढूँढना था और साथ ही एक चक्कर और लगाना था शहर का . घर लौटने से पहले मैं वैध के मकान में घुसा और उस शीसी में से कुछ गोलियों को पुडिया बना कर रख लिया जो सरला ने मुझे दिखाई थी जिनका इस्तेमाल प्रकाश करता था अपने शिकार के साथ . घर पहुँचते ही मैंने निशा को अपने सीने से लगा लिया. उसके लबो को चूमा और उसे लेकर छत पर चला गया .

मैं- बस एक बात पूछनी है

निशा- क्या

मैं- क्या तू जानती थी की महावीर ही वो आदमखोर था .?
 

Suraj13796

💫THE_BRAHMIN_BULL💫
279
2,818
123
कबीर को अभी भी पूरा सच बताया ही नहीं गया है, बहुत कुछ है जो उस से छिपाया गया हो।

पूरी संभावना है की रेणुका की नहाती हुई तस्वीरे अभिमानु ने खींची हो और बाद में महवीर को देकर जरनैल सिंह को ब्लैकमेल किया हो
मतलब ये तो है नहीं की चाची घर में नहा रही है कोई भी ऐरा गैरा बाहर का आदमी खींच कर फोटो ले गया हो, घर के ही किसी ने खींच कर दी होंगी वो तस्वीरे

या ये भी हो सकता जरनैल सिंह, महावीर, परकाश और अभिमानु सब मिले हुए, सोने को ही लेकर उनमें लड़ाई छिड़ी हो

कबीर ने जो सवाल पूछा है की अगर उसका उत्तर हां देती है निशा की महावीर ही आदमखोर था वो ये बात जानती है तो एक हिसाब से ये कबीर के साथ सीधे सीधे धोखा होगा।
लेकिन इस से इस बात का जवाब भी मिल जायेगा की निशा काली मंदिर क्या करने जाती थी, शायद महावीर के कातिल को ढूंढने

रही बात निशा और कबीर की तो कहानी के title से इतना तो पता चल रहा है की निशा का प्यार कबीर के लिए सच्चा है।
एक वो ही तो है जिसने कबीर को तब बचाया है जब उसने की कोई उम्मीद भी नही थी, उस चांद रात को निशा नहीं आई होती तो शायद कबीर खेतों में ही पड़ा रहता मरे हुए

कबीर से शादी के पीछे कुछ और मकसद भी हो सकते है लेकिन मुख्य वजह कबीर ही है।

खैर जो भी हो कहानी का अंत किसी लहू से लिख कर खत्म होगी
May be राय साहब, अभिमानु या कबीर में से कोई एक
 
Last edited:
Top