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Adultery तेरे प्यार मे.... (Completed)

brego4

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#131

राय साहब अभी तक नहीं लौटे थे, हमले की रात से ही वो गायब थे. इतना बड़ा काण्ड होने के बाद भी वो कैसे अनजान बने रह सकते थे. मुझे भी लगने लगा था की कहीं ये बाप की ही तो साजिश नही. पर किसलिए , मेरे पास वक्त बहुत कम था . निशा को इस घर में लाने से पहले मैं इस तमाम चुतियापे से छुटकारा पा लेना चाहता था ताकि आगे की जिन्दगी आराम से जी सकू मैं. सवालो का अम्बार लगा था मेरे मन के अन्दर .



महावीर ने सोना चुराया था , जिसका आरोप पिताजी ने चाचा पर लगाया था . अथाह सोना था धरती के सीने में थोडा बहुत अगर गायब हुआ भी तो क्या ही फर्क पड़ना था . अंदेशा था की या तो पिताजी को महावीर की कारस्तानी मालूम थी या फिर पिताजी ने ही कोई ऐसा खेल खेला था जिससे की महावीर और चाचा उलझ गए थे , जिस तरह से रमा आजतक पिताजी के साथ थी और पहले बी पिताजी और चाचा के बीच झगडे की वजह रमा बनी थी तो क्या ऐसा नहीं हो सकता था की महावीर को इस्तेमाल किया गया हो.



पिताजी के कमरे से मिली चुडिया , वैसी ही चुडिया कविता के कमरे से मिलना कोई इत्तेफाक नहीं हो सकता था. कुछ तो ऐसा था जिसे समझ नही पा रहा था मैं. लगने लगा था की पिताजी ने कोई चक्रव्यूह रचा है हम लोग जिसके मोहरे मात्र है . कठपुतिलियो को अपने इशारे पर नचा रहे हो जैसे वो. मैंने एक नजर ढलती शाम को देखा और सोचा क्या ये बदलता मौसम किस्मत भी बदल पायेगा क्या



चूत का चक्कर , इन्सान कितना भी शातिर क्यों न हो इस चक्कर में जो उलझा फिर पार नहीं पा पाया. जवानी के जोश से भरे महावीर को अपने हुस्न के जाल में फ़साना रमा के लिए भला कितना मुश्किल रहा होगा. और जो एक बार इस चक्कर में पड़े फिर उसके लिए क्या रिश्ता क्या नाता. उदाहरण मैं खुद था कितनी आसानी से मैं चाची को चोद गया था और फिर सरला से भी सम्बन्ध बना गया था. मुझमे और महावीर में देखा जाये तो ज्यादा फर्क नहीं था . मैं चाची के पास गया और बोला- सर बहुत दुःख रहा है बाम लगा दो

चाची ने बाम लगाना शुरू किया .

मैं- एक बात पुछू

चाची- हाँ

मैं- तू चाहती तो तू रमा को भी मार सकती थी उसने तेरा पति तुझसे छिना था पर ऐसा नहीं किया क्यों

चाची- कितनी रमा को मारती मैं , छोटे ठाकुर ने गाँव की किसी ही औरत को छोड़ा होगा . मैं किस किस से लडती . उन दिनों घर का माहौल बहुत तनाव से भरा था . राय साहब ने पूरा जोर लगाया हुआ था अपने भाई की तलाश करने को . मैंने छोटे ठाकुर को मार तो दिया था पर जानती थी की ये राज छुप नहीं पायेगा. अभिमानु अगर हर कदम मेरे साथ नहीं खड़ा होता तो टूट कर बिखर चुकी होती मैं.



चाची का कहना सही था . किस किस से लडती वो जब कमी खुद उसके पति की थी . न जाने क्यों मुझे लग रहा था की कुछ तो छूट रहा है मुझसे एक बार फिर से मैंने चीजो को जोड़ना शुरू किया. महावीर के मरने के बाद आदमखोर का हव्वा फैलाना , इसका क्या कारन हो सकता था . माना की राय साहब हरगिज नहीं चाहते थे की सोने की खदान का राज किसी को भी मालूम हो पर वो तो पहले ही छिपी हुई थी न . छिपी हुई चीज को छिपाने की भला क्या जरुरत आन पड़ी थी .



दूसरी सम्भावना ये थी की मंगू जो नकली आदमखोर बन कर घूम रहा था उसकी जानकारी राय साहब को मालूम ही न हो , राय साहब का भी चुतिया काटा जा रहा हो. मंगू गायब था और यदि मेरा अनुमान सही था तो मैं जानता था की वो मुझे कहाँ मिलेगा. रात के अँधेरे को चीरते हुए मैं दबे पाँव चले जा रहा था खदान के उस हिस्से की तरफ जहाँ पर मुझे वो नंगी तस्वीरे पड़ी मिली थी .


अँधेरे में चलते चलते मुझे कोफ़्त होने लगी थी पर दूर जलती मशाल की रौशनी बता रही थी की खान में कोई तो है जरुर. और जब मैं वहां पर पहुंचा तो मैंने जो देखा , ऐसा लगा की फिर से किस्मत ने मुझे छल लिया हो . बिस्तर पर मंगू अकेला नहीं था , उसके साथ ...... उसके साथ कोई और भी थी और वो की और जो थी मैंने सोचा नहीं था की उस से इस हालात में मुलाकात होगी.

hmm to ye end mein kon hai rama ya fir sarla ya koi aur shocking surprise ?
 

brego4

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अगर कहीं भाभी होती तो कबीर बेहोश ही हो जाता हैरान न होता पर जस्सी के बाद भाभियों का कोई भरोसा भी नही

jassi start mein super likeable character that aur aaj tak ki manish bhai ki stories ka sab se memorable character
 

brego4

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इस कमरे में महावीर रहता था और यह बीमारी भी वही लाया था और गांव में उसने ही फैलाई थी भाभी भी उसी का शिकार हुई है चाचा तो ऑल राउंडर निकल ऐसा कोई भी काम नहीं छोड़ा जो उन्होंने नही किया और इन गलतियों की सजा उसे मौत मिली अभिमानु ने बताया की मां की मौत चाचा द्वारा धक्का लगा और सीढ़ी पर गिर कर मर गई मुझे लगता है धक्का जानबूझ कर दिया गया था ताकि उसका राज़ बना रहे क्योंकि चाचा अय्याशी का एक नमूना था जो उसके लिए कुछ भी कर सकता था जब उसने बेटी समान अंजू को नहीं छोड़ा तो उससे हम उम्मीद क्या कर सकते हैं

mangu to maha kamina backstabber type friend nikla

isne or bhi kuch kaand kiye honge

sarla bhi isi ke saath mila hui thi koi badi baat nahi agar champa bhi inke saath mil gayi ho
 

Sanju@

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#129

भैया- एक न एक दिन ये होना ही था पर चाची ये करेंगी सोचा नहीं था , मैने और चाची ने चाचा को उस रात के अँधेरे में दफना दिया और ये बात फैला दी की वो गायब हो गया है . मैने चाचा की गाड़ी को भी ठिकाने लगा दिया. मैं महावीर से मिलने गया पर वो खंडहर में नहीं था , बहुत दिनों बाद मैं उन कमरों में गया जो अब महावीर की अयाशियो के गवाह बन चुके थे. जंगल की ख़ामोशी में मेरा सकून यही बसता था महावीर ने मेरी दोस्ती को छल लिया था . इतनी हताशा मुझे कभी नहीं हुई थी .

और जब हमारी मुलाकात हुई तो हालात अचानक से नाजुक हो गए. राय साहब अपने भाई के गायब होने से परेशान हो गए थे , वो हर हाल में चाचा की तलाश करना चाहते थे , उन्हें महावीर और चाचा की दुश्मनी का मालूम हुआ तो उन्होंने सोच लिया की चाचा के गायब होने में महावीर का हाथ है वो बस एक सुराग की तलाश में थे की कब शक यकीन में बदले और वो महावीर को मार दे.

एक दिन हमारी मुलाकात हुई मेरे सामने मेरे अजीज की जगह एक धूर्त मक्कार महावीर खड़ा था जो मेरे घर की औरतो के बारे में बदनीयती रखता था . उसे अपने किये की जरा भी शर्म नहीं थी

अभी- महावीर तुझसे ये उम्मीद नहीं थी . तेरी हवस की आग में तू मेरे घर की औरतो को झुलसाना चाहता है .

महावीर- औरत और मर्द का एक ही रिश्ता होता है अभी, और क्या फर्क पड़ जायेगा दुनिया की लुगाई के मजे तो ले ही रहे है , अपने घर के हुस्न को चख लिया तो क्या होगा. उस पर सबसे पहला हक़ हमारा ही होना चाहिए न , मैं तो कहता हूँ हम एक सौदा कर लेते है तू मुझे चाची और नंदिनी को चोदने दे बदले में तू मेरे घर की औरतो को चोद लेना .

महावीर के मुह से ये सुनकर मुझे खुद पर बहुत अफ़सोस हुआ ये क्या बोल गया था . महावीर ने ही मुझे बताया की उसे सोने की खान मिल गयी है वो वहां से सोना लाकर तालाब में छिपा रहा है मौका मिलने पर उसे कहीं महफूज़ कर देगा. पर वो ये नहीं जानता था की वो सोना हमारा ही है . उसकी तमाम अर्नगल बातो से मेरा खून खौल रहा था और एक कमजोर लम्हे में मेरा हाथ उठ गया उस पर. महावीर हक्का-बक्का रह गया , उसके अहंकार पर लगी थी वो चोट.

महावीर- अभी, तो तू ये चाहता है

अभी- महावीर, इस से पहले की देर हो जाये लौट जा और फिर दुबारा इस तरफ मत मुड़ना

महावीर- गलती की तूने अभी

अभी- इस से पहले की गलती हो जाये तू चला जा महावीर

महावीर- अगर तूने सोच ही लिया है तो फिर अब कदम पीछे हटाने का सवाल ही नहीं, इस जंगल ने हमारी दोस्ती देखि है दुश्मनी भी देखने का मौका मिलना चाहिए न इसे.

अभी- मैं फिर कहता हूँ लौट जा.

महावीर- अब तो कोई एक ही लौटेगा

महावीर ने मुझ पर वार किया. मैं भी खुद को ज्यादा देर तक नहीं रोक सका और वो शुरू हो गया जो नहीं होता तो हालात ये ना होते. जल्दी ही महावीर पर मैं भारी पड़ने लगा तो उसने रूप बदल लिया . मैंने कभी नहीं सोचा था की इस बीमारी का ये इस्तेमाल करेगा. उसके सामने मेरा टिकना मुश्किल हो रहा था . उसके वार लगतार मुझे घायल कर रहे थे . जंगल की धरा मेरे रक्त से अपनी प्यास बुझाने लगी थी . पर तभी न जाने कहाँ से नंदिनी आ गयी . वो महावीर पर झपटी पर महावीर के आदमखोर रूप पर खून सवार था उसने नंदिनी को काट लिया. मेरे लिए बर्दाश्त करना आसान नहीं था पर ये सच था , गुस्से से मैंने महावीर को धर लिया. उस वक्त मैं इतना मजबूत नहीं था की आदमखोर की शक्ति के आगे भारी पडू, और मुझे जरुरत भी नहीं पड़ी थी , अचानक ही जंगल गोलियों की आवाजो से गूँज उठा .और जब हमने चलाने वाले को देखा तो हम सब हैरान रह गए. आदमखोर की खाल से रक्त की मोटी मोटी धारा बह रही थी .



धरती पर गिरते ही महावीर अपने असली रूप में आ गया . मौत कितनी भयावह हो सकती है ये मुझसे पूछो कबीर, एक रात पहले ही मुझे मालूम हुआ की मेरी माँ की जान चाचा की वजह से गयी, फिर अपने हाथो से मैंने चाचा की लाश को दफनाया और अब एक और जिसे मैं इतना करीब से जानता था मेरी आँखों के सामने दम तोड़ रहा था . उसने मरते हुए मुझसे बस एक बात कही थी ...........

मैं- उसे गोली किसने मारी थी .

भैया- अंजू, अंजू थी वो .

मैं अब समझ गया था की वो क्यों ये लाकेट पहनती थी क्यों वो शहर चली गयी थी उस वक्त और क्यों उसने ये लाकेट मुझे दिया था .

भैया- इस जंगल ने सबके राज छिपाए थे ये महावीर का राज भी छिपा सकता था पर मैं नहीं चाहता था , मैं चाहता था की उसकी लाश का अंतिम संस्कार होना चाहिए . ये जानते हुए भी की ये एक भूल होगी उसके परिणाम जानते हुए भी मैंने उसकी लाश को गायब नहीं किया.

मैं- क्या कहा था उसने मरने से पहले

भैया- तु जानता है , तू समझ गया होगा की मैं क्यों तुझसे ज्यादा सूरजभान को वरीयता देता था .

मैंने अपना माथा पीट लिया . मेरे सामने जो इन्सान खड़ा था अपने सीने में न जाने क्या क्या लिए बैठा था .

भैया- उसके बाद मैंने खंडहर से मुह मोड़ लिया. जंगल में वैध से साथ भटकता रहा ताकि नंदिनी के लिए इलाज तलाश कर सकू, वैध ने काफी हद तक नंदिनी की मदद कर भी दी थी , वैध की पुडिया से वो चांदनी रात में भी कंट्रोल कर पाती थी खुद पर. पर किसी ने वैध को मार दिया.और बात बिगड़ गयी हालात ऐसे हुए की एक ही पुडिया बची थी और नंदिनी ने वो तुमसे देने को कहा. हमने निर्णय लिया की अगर वो रूप बदलती भी है तो मैं उसे खंडहर में ले आऊंगा इतने सालो बाद मैंने उस जगह पर कदम रखा और तभी तुम भी वहां पहुँच गए.

मैं- भाभी ने कारीगर को भी तो काटा था वो फिर आदमखोर क्यों नहीं बना

भैया- दरअसल ये अलग अलग लोगो पर अलग असर करता है , मेरा अनुमान है की कारीगर उस वक्त खूब नशे में था तो जहर और शराब के मिश्रण से वो आदमखोर बनने की जगह सड गया . वो न ठीक से मर पाया न जिन्दा रहा . जब थोड़ी बहुत सुध आई तो वो भटकते हुए गाँव में पहुंचा जहाँ हमने मुठभेड़ में मार दिया उसे. मेरे ख्याल से सब कुछ जान गए हो तुम

मैं-मैंने क्या जाना , मैंने तो कुछ सुना ही नहीं

मैंने इतना कहा और भैया से लिपट गया .
चाचा और राय साहब तो थे ही अय्याश महावीर तो इनका भी बाप निकल साला ये भी महाचोदू निकला और इसी अय्याशी की वजह से उसने घर की औरतों को भी नहीं छोड़ा इन बातो से हीअभिमानु और महावीर में दुश्मनी हुई और उस लड़ाई में भाभी को बीमारी मिली और महावीर को मौत । साले महावीर ने तो दोस्ती के नाम पर धोका दिया दोस्त के नाम पर एक कलंक था जिसको अंजू ने मिटा दिया अब तो दवाई की पुड़िया भी खतम हो गई है और वैध भी नहीं रहा
 
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Froog

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इस थ्रेड पर उपस्थित सभी पाठकों को से क्षमा चाहता हूँ कि किसी के भी कमेन्ट को लाइक नहीं कर पा रहा हूँ , लाइक करने पर लाइक का पेज दो बार खुलता है फिर भी लाइक नहीं होता
फौजी भाई आप बेशक देना दन अपडेट पोस्ट कर रहे हैं पर फिर भी यह कहानी 1000 पेज जरूर पूर्ण करेगी ।
आपकी स्टोरी में सस्पेंस भरपूर है कुछ सबालों के जबाब बेशक छोटे से जबाब में मिल गये और आगे भी आप शायद ऐसा ही करेंगे
लेकिन कुछ सबालों का जबाब विस्तार से मिले तो अच्छा लगेगा , खास कर निशा के डायन बनने के कारण का विस्तार पूर्वक वर्णन
 

Aakash.

ᴇᴍʙʀᴀᴄᴇ ᴛʜᴇ ꜰᴇᴀʀ
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Chacha ki tarah hi mangu bhi bahot hi gira hua hai, apni hi bahan ka ghar ujaad diya aise bhai hone se to bhai na hona accha hai, agar champa ko chodke baaki sabhi baato ko najarandaz bhi kar diya jaaye to bhi uska kirdaar maila hi lag raha hai hume. Saza ise bhi milni chahiye jaisa kabir ne kaha tha thik waisa hi honga champa ke saamne maut di jaayegi use...

Agle update me dhamkedaar fighting scene honga bahot maza aane wala hai jaldi se update de do...
 

Sanju@

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मैं बहुत कुछ जान गया था , पानी में पड़ा सोना किसका था , वो चुदाई की किताबे जाहिर था की सहर से महावीर लाया था पर अभी भी बहुत कुछ जानना बाकि था यदि महावीर ठाकुर को अंजू ने मार दिया था तो फिर कविता , कविता किससे मिलने जाती थी जंगल में. मान लिया की कविता भी महावीर से चुदती होगी पर जब महावीर मर ही गया था तो वो किससे मिलने गयी थी . और सबसे महत्वपूर्ण सवाल रमा या कविता ने कमरे में रखे बैग से सोना क्यों नहीं चुराया. कविता के कमरे से नोटों की गद्दिया और जेवर जरुर मिले थे जो महावीर ने ही उसे दिए होंगे या फिर राय साहब ने ये जानना बहुत जरुरी था.



भैया की पीठ पर वो निशान तभी बने होंगे जब वो भाभी को सँभालते होंगे. इस कहानी का अब तक का सार लालच और चुदाई, ही था पर मैंने मोहब्बत की थी . मुझे थामना था उस डोर को जो इस झमेले में हाथो से फिसल रही थी . और मंगू का भी तो देखना था उस चूतिये के मन में क्या चल रहा था , अपनी ही बहन को रगड रहा था , राय साहब से चुदवा रहा था .



त्रिदेव की कहानी जानकार मैं और परेशां हो गया था .अभिमानु भैया सर पर खड़े तूफान को नहीं भांप पाए थे पर मैंने जान लिया था की जब ये तूफ़ान वापिस लौटेगा तो सब तबाह कर देगा. घर आने पर मैंने देखा की अंजू छत पर है तो मैं उसके पास चला गया .

अंजू- कहा थे तुम

मैं- त्रिदेव की कहानी सुन रहा था .

मैंने अपने गले से लाकेट उतारा और अंजू के हाथ में रख दिया .

मैं-नहीं रख पाऊंगा इसे.

अंजू- दुनिया का सबसे बड़ा बोझ रिश्तो का होता है कबीर, उन रिश्तो का जो हमसे जुड़े है . बेशक हमारे पास चॉइस होती है की हम जब चाहे उन रिश्तो की डोर को तोड़ कर खुद को मुक्त कर सकते है पर वो रिश्ते हमें नहीं छोड़ते हमेशा हमारे साथ रहते है . ये लाकेट भी वैसा ही है .जानते हो इसे अपने सीने से क्यों लगाया मैंने , क्योंकि ये रिश्ते ही तो है , ये रिश्तो के बंधन जो हमें जोड़ते है . परिवार , हमारी सबसे बड़ी शक्ति परिवार होता है . उस शाम अगर मैंने, नंदिनी और अभिमानु ने वो राज नहीं दबाया होता तो ये परिवार कभी का बिखर गया होता. हमें हर पल ये मालूम था की इसके क्या परिणाम होंगे .

किसी की जान लेना , इस से घ्रणित और क्या होगा . मैं आज भी जरा सी आहट पर जाग जाती हूँ , दुनिया मुझे पागल समझती है पर मैं क्या हूँ , क्या खोया है मैंने ये बस मैं ही जानती हूँ . वक्त के साथ हमने भी अपने अपने भरम पाले हुए है , जंगल में भटकते है झूठी आस लिए की न जाने कहा से महावीर आकर सामने खड़ा हो जायेगा. बहुत मुश्किल होता है अपने परिवार की गलतियों को छिपाना.महावीर कभी समझ ही नै पाया की उसकी असली शक्ति अपनों का साथ है , वो मुर्ख तो अपनों का ही सौदा करने चला था .क्या एक लड़की, औरत के जिस्म का मोल बस इतना ही है की कोई भी उसे अपने तले रौंद दे, क्या औरत गुलाम है पुरुषो की .

मेरे पास अंजू की किसी भी बात का कोई जवाब नहीं था .

मैं- अगर आप को ये मालूम होता की महावीर ही आदमखोर है तो क्या आप उसे मारती.

अंजू- उसके पापो का घड़ा भर गया था उसे मरना ही था मैं नहीं तो कोई और मार देता. दुःख बस ये है की जिन हालातो में ये हुआ वो हालात ठीक नहीं थे, उसे ना मारती तो नंदिनी और अभिमानु को खोना पड़ता .

अंजू ने मेरा हाथ अपने हाथ में लिया और बोली- चांदी तुम्हारे जज्बातों को काबू में रखेगी. मन विचलित नहीं होगा तुम्हारा.

अंजू ने वापिस से लाकेट मुझे दे दिया न जाने कैसे वो जान गयी थी मेरा राज भी .

अंजू- मैं कल लौट जाउंगी शहर वापिस

मैं- थोड़े दिन रुक जाओ.मैं निशा को ले आऊ उसके बाद. बल्कि ये घर तुम्हारा ही तो है तुम्हे कही नहीं जाना .

अंजू- निशा का हाथ थामने की कीमत चुकानी पड़ेगी कबीर, एक बार फिर सोच लो

मैं- उस से प्रेम सोच कर नहीं किया था मैंने, और फिर मोल भाव का सोचा तो क्या ख़ाक मोहब्बत की मैंने

अंजू- आशिकी इम्तिहान लेती है

मैं- देख लूँगा.

अंजू- तुम अकेले नहीं हम सब ही देखेंगे फिर
अंजू ने मेरे कंधे पर हाथ रखा और निचे चली गयी . मेरी नजर सामने चोबारे में लगी भैया-भाभी की तस्वीर पर पड़ी. मैं मुस्कुरा पड़ा दुनिया की सबसे खूबसूरत जोड़ी को देख रहा था मैं. तभी मुझे निशा का ख्याल आया और दिल धडक उठा. अजीब सी बेताबी , सुरूर चढ़ने लगा मुझ पर . सोचने लगा न जाने कैसे लम्हे होंगे वो जब वो मेरे इतना करीब होगी , उस पर मेरा हक़ होगा. उसकी खनकती चुडिया जब मेरे कानो में गूंजेगी , उसकी लहराती जुल्फे मेरे सीने को छू जाएँगी . उसकी कमर में हाथ डाल कर जब उसे अपने आप से जोड़ लूँगा , उसकी गर्म सांसे मेरे लबो को अधीरता की तरफ ले जायेंगी.



“कबीर , क्या सोच रहे हो खड़े खड़े इधर आओ जरा ” भाभी की आवाज ने मुझे ख्यालो की दुनिया से बाहर ला पटका .

मैं-अ आया भाभी

भाभी- चंपा से मिल लो. थोड़ी बात चित कर लो . तुम्हारा साथ हौंसला देगा उसे .

मैं- जी , वैसे एक बात पूछनी थी आपसे

भाभी- जानती हूँ क्या पूछना चाहते हो तुम

मैं- तो फिर बताओ

भाभी- कविता की मौत का आरोप तुम पर इसलिए लगाया मैंने ताकि तुम सोचो उस चीज को , मैं परेशान थी की आखिर कौन था वो जो आदमखोर को दुबारा जिन्दा कर रहा था . कविता एक महत्वपूर्ण कड़ी थी .उसकी मौत सामान्य नाही थी किसी ने उसे मार डाला. सवाल ये था की क्यों इतने साल बाद क्यों . दूसरी तरफ तुम थे जो अतीत को उधेड़ रहे थे . मैं चाहती थी की तुम तलाश करो कविता के कातिल को तुम पता लगाओ की कौन था वो जिसने अतीत को दुबारा से जिन्दा किया. कौन था वो जो गड़े मुर्दे उखाड़ रहा था . तुमसे बेहतर कौन था मेरे पास जो ये काम करता . अपने से दूर किया मैंने तुम को ताकि तुम समझ सको जंगल को , कातिल को

मैं- पर मैं कविता के कातिल को तलाश नहीं कर पाया .

भाभी- उसे भी पकड़ लोगे. उसके आलावा भी तुमने बहुत कुछ पा लिया है जंगल में

मैं जानता था की भाभी किस बारे में बात कर रही थी .
धीरे धीरे सब राज खुल रहे हैं उस चोर का भी पता चल गया है जिसने तालाब में सोना छुपाया था और वह महावीर था वह भी चाचा की तरह था और इन दोनो सजा उनको मिल गई अंजू ने सही कहा है की सबसे बड़ी ताकत परिवार ही होती है जिसे अभिमानु ने जोड़ने की बहुत कोशिश कि हैऔर जिसने खोया है दर्द भी वही जानता है उसका ।अंजू को कबीर का राज मालूम चल गया है इसलिए वो लोकिट उसे वापस दे दिया है अब सवाल ये है कि आखिर निशा के प्यार के लिए कबीर को क्या कीमत चुकानी पड़ेगी भाभी अंजू भैया सब एक ही बात बोल रहे हैं कि भारी कीमत चुकानी पड़ेगी आखिर निशा का राज क्या है????
 

HalfbludPrince

मैं बादल हूं आवारा
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तभी अचानक से सरला ने अपना लहंगा मेरे मुह पर फेंक दिया दो पल के लिए मैं उसमे उलझ गया और मंगू ने मुझ पर वार किया. ताकत में मंगू लगभग मेरे बराबर ही था . ऊपर से सरला के धोखा दिया था . मैं सकते में था पर मुझे साथ ही समझ आ रहा था की भैया कितने मजबूर रहे होंगे जब अपने दोस्त महावीर से लड़ना पड़ा था उन्हें पर मैं कमजोर नहीं था . मैंने मंगू को उठा कर पटका और एक लात सरला के पेट में मारी.

मंगू- सरला बचना नहीं चाहिए ये , अगर ये बचा तो फिर हमारे लिए मुसीबत हो जाएगी.

मैं- मुसीबत तो तुम्हरे लिए हो ही गयी है धोखेबाजो.

सरला उछल कर मेरी पीठ पर बैठ गयी और मेरे गले में अपने दोनों हाथ डाल कर गला दबाने लगी. आगे से मंगू ने भी अपने हाथ मेरी गर्दन पर कस दिए. मैं दोहरी गिरफ्त में था . मैंने मंगू के पैर पर लात मारी और खुद को बिस्तर पर गिरा लिया . सरला मेरे निचे आ गयी. मैंने उसकी पकड़ से छूटते ही दो तीन थप्पड़ दिए उसे और मंगू को धर लिया.

मैं पहले मंगू से निपटना चाहता था , सरला से मुझे दो सवालों के जवाब चाहिए थे .

एक पल मेरे दिमाग में ये ख़याल आया और इसी में मामला हाथ से निकल गया मंगू ने एक फावड़े से मेरे सर पर वार कर दिया. चोट जोरदार लगी थी आँखों के आगे तारे नाच गए . मंगू का अगला वार मेरी बाह पर हुआ फावड़े का नुकीला हिस्सा मेरी बांह में धंस गया था .

“आह ” मैं अपनी चीख नहीं रोक पाया .

मंगू- ये तो शुरुआत है कबीर. अपने बड़ो के कर्मो का फल छोटो को चुकाना पड़ता है तू खुशकिस्मत है जो तेरी तक़दीर में ये मुकाम आया.

मेरा सर भनभना रहा था , मंगू के लगातार वार मुझे कमजोर कर रहे थे . फावड़े की चोट मुझे बेहाल कर रही थी . हाथ पैर मारते हुए मेरे हाथ में मेरी बेल्ट आ गयी जो पास में ही पड़ी थी . मैंने उसे पकड़ा और मंगू के हाथ पर मारी . फावड़ा गिर गया. मैंने जोर लगाते हुए मंगू को धकेला और फावड़ा उठा लिया. अचानक से ही ये सब हुआ तन्न्न की जोरदार आवाज हुई और मंगू का सर फट गया.

नहीईईई “” सरला चीख पड़ी .

मैं- तेरा हिसाब बाद में करूँगा रुक जरा

पर सरला घाघ औरत थी , जितना मैं समझ रहा था वो उस से कहीं ज्यादा शातिर थी. उसने फुर्ती करते हुए मशाल बुझा दी . अचानक से हुए अँधेरे ने थोड़ी देर के लिए मुसीबत बढ़ा दी मेरी. मंगू ने मेरे पैरो पर वार किया .

मैं- मंगू ख़त्म करते है इस खेल को .

मैंने मंगू के अन्डकोशो पर जोरदार लात मारी वो जमीं पर गिर गया .मैं उसकी छाती पर बैठा और उसके गले पर अपनी गिरफ्त बढ़ा दी . वो हाथ पैर मारने लगा पर मुझ पर इतना उन्माद छा गया था की अब रुकने वाला था मैं



मैं- बस सब शांत हो जायेगा मंगू सब शांत हो जायेगा. भाई माना था तुझे पर तूने दगा किया कभी तुझे नौकर नहीं समझा पर न जाने क्यों तेरी आँखों पर लालच की पट्टी पड़ गयी देख आज तेरे आस पास कितना लालच है पर तू खाली हाथ जायेगा इस दुनिया से

इतना कह कर मैंने मंगू के गले पर और दवाब बढ़ा दिया . जब तक की वो हाथ पैर पटकता रहा धीरे धीरे उसका बदन शांत हो गया . मेरा दिल जल रहा था पर मैं रोया नहीं . उसकी लाश को एक बार भी नहीं देखा मैंने . इस बीच सरला वहां से भाग चुकी थी और मैं जानता था की वो कहाँ जाएगी.



पूरा गाँव अँधेरे में डूबा था . बिजली नहीं थी . पर मेरे कदम जानते थे की कहाँ जाना है. मैंने कविता के कमरे की खिड़की को हल्का सा धक्का दिया और अन्दर घुस गया . घर में सन्नाटा था पर मैं इस धोखे को जानता था . वैध के कमरे में जाते ही मैंने सरला को दबोच लिया .

“छोड़ कबीर मुझे ” सरला घुटी आवाज में बोली.

मैं- छुपने के लिए सबसे कमजोर जगह चुनी तूने. कहा था न तुझ पर भरोसा कर रहा हूँ भरोसा मत तोडना मेरा. तुझे क्या माना था मैंने और तू क्या निकली. पर फ़िक्र कर तुझे नहीं मारूंगा . तेरे खून से अपने हाथ गंदे नहीं करूँगा. मेरे सवाल है जवाब दे और सच बोलेगी तू वर्ना पूरा गाँव तेरा तमाशा देखेगा. उस रात कोचवान ने ऐसा क्या देख लिया था जो वो पागल हो गया था

सरला-उसने मुझे परकाश से चुदवाते हुए देख लिया था .

इस नए खुलासे ने मुझे हैरान कर दिया था. परकाश मादरचोद तीनो रंडियों को पेल रहा था.

सरला- सबसे पहले हम तीनो को छोटे ठाकुर ने चोदा था . पर फिर रमा का मोह टूट गया उसने महावीर ठाकुर से यारी कर ली . महावीर ठाकुर सहर से लौटे थे . रमा उनके किस्से बताती हमको. कविता को भी चोद चुके थे वो और फिर मैं भी उनके साथ सो ली. महावीर ठाकुर शहर से काफी चीजे लाते हमारे लिए. तरह तरह की रंगीन किताबे दिखाते और वैसे ही चोदते हमको. अलग तरह के कपडे लाते खुद सजाते हमको . पर फिर एक रात खबर आई की महावीर ठाकुर मर गए. छोटे ठाकुर उसी दौरान गायब हो गए थे .

वक्त बड़ा नाजुक हो गया था . रमा गाँव छोड़ कर मलिकपुर में पहले ही बस चुकी थी . मैंने और कविता ने निर्णय लिया की अब ये अब बंद करेंगे . और ऐसा हमने किया भी . कुछ साल ऐसे ही बीत गये पर मुसीबत फिर से लौट आई. इस बार परकाश था न जाने कैसे उसके पास हम तीनो की नंगी तस्वीरे थी जिसमे हम महावीर के साथ सम्भोग में लिप्त थी . वो भी हमसे जिस्म ही चाहता था . बेशक हम को उन तस्वीरों से फर्क नहीं पड़ना था गाँव में तो बदनाम थे ही पर फिर रमा के कहने पर हम ने उस से भी नाता जोड़ लिया. पर उसको कविता सबसे ज्यादा पसंद थी . उस रात जब मेरे पति के साथ वो घटना हुई तब मैं और परकाश जंगल में मोजूद थे. परकास के शौक भी निराले थे वो अपने साथ जानवरों की पोशाके लाता था वो पहन कर हम लोग जंगल में चुदाई करते थे .

उस रात बदकिस्मती से मेरा पति उस तरफ निकल आया. जंगल में अफवाहे तो फैली हुई ही थी , मेरे पति ने हम दोनों को आदमखोर या डाकन समझ लिया और उसे दौरा पड़ गया . परकाश के पास कोई दवाई थी जो उसने मेरे पति को दी जिस से उसकी हालात और ख़राब हो गयी. प्रकाश ने गाँव में नकली ओझा भी बुलाया था जिसने अफवाहों को गर्म कर दिया हर कोई ये समझने लगा की जंगल में डायन है पञ्च के लड़के को भी प्रकाश ने ही वो दवाई पिलाई थी .

अब मुझे परकास के घर में मिली उन पोशाको का राज समझ आ गया था दवाई उसे कविता देती होगी.

मैं- अपने पति को मौत का रास्ता दिखा दिया तूने .

सरला कुछ नहीं बोली.

मैं- वैध को क्यों जान देनी पड़ी.

सरला- वैध जंगल में बहुत दखल दे रहा था हर रात ही पता नहीं क्या करने जाता था वो हम लोगो को उसकी वजह से परेशानी हो रही थी इसलिए उसे रस्ते से हटाना पड़ा.

मैं- परकाश ने ही कहा हो गा की कबीर से सम्बन्ध बना ले

सरला ने हाँ में सर हिलाया

मैं- परकाश क्या चाहता था .

सरला- वो महावीर के कातिल को तलाश रहा था ..
 
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