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Adultery तेरे प्यार मे.... (Completed)

Yamraaj

Put your Attitude on my Dick......
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ये कमेंट और कुछ नहीं स्वार्थ है भाई आपका अंत को जल्दी से जल्दी जानने का गुजारिश 2 समय भी आप यही कह कर गए थे कि मैं दुबारा कभी पढ़ने वाला इस लेखक को. कहानी मे कब क्या होगा कैसे होगा क्यों होगा इसकी पूर्ण जिम्मेदारी और मर्जी मेरी है. पवित्र प्रेम जैसा दुनिया मे कुछ नहीं होता ये नाकाम आशिकों द्वारा फैलाया गया एक भ्रम है. इस कहानी का इस फोरम पर होने का मतलब ये है कि एक आदमी परिस्तिथियों से जूझते हुए अपनी तन्हाई मिटा रहा है. क्या लगता है हम यहां क्यों लिखते है, क्या लालच है हमे यहां लिखने का और यदि लिखना बंद कर दे तो क्या होगा. दरअसल ये सब कुछ मिथ्या है.
मैं स्टोरी को धीमी नहीं कर रहा मैं चाहूँ तो रोज अपडेट दे सकता हूँ पर परिस्थितियों को देखते हुए मैं अपने साथियो को नेट प्रयोग करने का ज्यादा समय देता हूं ताकि वो अपने परिवारो से वीडियो काल कर पाए.
हम पहले जैसा कैसे लिख पाएंगे वैसा लिखा तो कापी पेस्ट ही होगा ना. इस कहानी की थीम तो आपको लाली वाले एपिसोड मे ही समझ आ जानी चाहिए थी ना.
सबसे महत्वपूर्ण बात दिल अपना प्रीत पराई जैसी कहानी दुबारा नहीं लिखी जा सकती समझिए इस बात को
बाकी आप को इच्छा है आप कहानी को एंजॉय करे ना करे
Bhai kahani aap bahut achhi likhti ho ...

Shuruwat bhi bahut jabrdast hota h ...
Magar wo last tak ban nahi pata ....
Shuru me laga tha kabir aur surajbhan ki dushmani chalegi magar us update ke baad wo dubara jaise kabhi mile hi nahi ......

Shuru me lagta h talware ladegi khun ki holi kheli jayegi dushmani chalegi magar hota kkuch nahi.......

Bs yahi h bhai bahut sari ummiden laga lete h story se bich bich me kuch suspense ke raaj khulate rahte h na to maza aata rahta h....
 

Froog

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नंदनी आदमखोर है यह साफ हो गया पर नंदनी को आदमखोर किसने बनाया यह भी एक राज की बात है दूसरा आदमखोर कौन है
फौजी भाई सस्पेंस न छोड़े ऐसी उम्मीद करना कहानी और लेखक फौजी भाई दौनों के साथ न्याय नहीं होगा
 

HalfbludPrince

मैं बादल हूं आवारा
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#127

मैं- होगा, इस बार फाग मैं ऐसा खेलूँगा की किसी ने नहीं खेला होगा.

भैया- तूने ऐसा किया तो गुलाल की जगह रक्त की ही होगी ये होली

मैं- किसे परवाह है भैया, जानते है दुनिया उसे क्या कहती है डाकन . मैंने एक डाकन का हाथ थामा है , खुशनसीबी है ये मेरी की वो मेरी जिन्दगी में आई .

भैया- काश ये मुझे पहले मालूम होता

मैं- आशिको पर क्या जोर किसी का भैया, वैसे भी आपने मुझसे वादा किया हुआ है की मैं जहाँ चाहूँ जिस से चाहूँ आप मेरी शादी करवा देंगे.



भैया-मैं आज भी अपनी बात पर कायम हूँ , निशा के अलावा तो किसी की तरफ भी इशारा कर

मैं- निशा नहीं तो फिर कोई नहीं

भैया- मुझे धर्म संकट में मत डाल छोटे,

मैं- साथ नहीं दे सकते तो मुझे रोकना भी मत भैया.

भैया- नंदिनी तुम ही समझाओ इसे कुछ

मैं- भाभी ने हमारे प्रेम को आशीर्वाद दे दिया है

भैया ने भाभी की तरफ देखा और बोले- ये क्या अनर्थ किया तुमने नंदिनी क्या कर दिया ये तुमने

भाभी- अपनी मोहब्बत के लिए तुम जमाने से अड़ गए थे अभी, और अगर अपने बच्चे के हक़ के लिए हम खड़े नहीं होंगे तो फिर कौन होगा.

भैया- सब जानते हुए भी नंदिनी

भाभी- हाँ सब जानते हुए . सब समझते हुए.

भैया- ये जानते हुए भी की क्या कीमत चुकानी पड़ेगी.

भाभी- कब तक कोई न कोई ये कीमत चुकाता रहेगा अभी कब तक कोई न कोई तो खड़ा होगा न . आखिर कब तक अभी कब तक , आपको क्या लगता है कबीर रुक जायेगा. आशिक किस हद तक जा सकते है आपसे बेहतर कौन जानता है .

भैया- नंदिनी, मुझे मेरे भाई की फ़िक्र है

भाभी- आप अपने भाई को जानते है न , आपसे ज्यादा कौन जानता है इसे .

भैया- फिलहाल हमें घर चलना चाहिए . वैसे भी सुबह होने में अब ज्यादा देर बची नहीं है .

मैं समझ गया था की भैया भाभी के आगे त्रिदेव की कहानी नहीं बताना चाहते थे या फिर वो कहानी भाभी भी ठीक से नहीं जानती होंगी. पर इस रात ने मुझे आदमखोर वाली चिंता से मुक्त कर दिया था फिलहाल के लिए तो ऐसा ही मान लिया मैंने.कमरे से निकलने से पहले मैंने एक नजर फिर से उन दीवारों पर डाली जिन्होंने न जाने क्या क्या देखा था . एक बार फिर मुझे लगा की वो कुछ कहना चाहती है मुझसे पर तभी भैया ने चिमनी बुझा दी और हम लोग कुवे पर आ गए. भैया ने गाडी स्टार्ट की और हम घर की तरफ चल दिए जहाँ पर मातम हमारा इंतज़ार कर रहा था .



मैंने किसी से कुछ भी नहीं कहा . एक खाली कोना पकड़ा और मेरी आँखे नींद में डूब गयी. शायद नींद ही मरहम की तरह थी उस वक्त. जब मैं जागा तो देखा की पंडाल, मंडप हटा दिए गए थे . लाशे भी हटा दी गयी थी. जो सामान रह गया था वो इधर उधर बिखरा पड़ा था जैसे किसी ने परवाह ही नहीं की थी उसकी.अंजू मेरे पास आई और बोली- मंगू का कल रात से कुछ पता नहीं है.

मैं- तलाश लूँगा उसे भी. फिलहाल भैया कहा है ये बताओ मुझे .

अंजू- जंगल में

मैं- समझ गया .

मैं तुरंत जंगल की तरफ दौड़ पड़ा. मैं जानता था की भैया मुझे कहा मिलेंगे. वो ठीक मुझे वहां पर मिले जहाँ से ये कहानी शुरू हुई थी, मतलब जहाँ पर कोचवान हरिया पर हमला हुआ था .

भैया- आ गया तू

मैं- आना ही था .

भैया- मैं नहीं जानता की इसके बाद तू क्या सोचेगा . क्या समझेगा पर मैंने निर्णय कर लिया है की तुझे वो सब बताया जाये जो शायद नहीं होना चाहिए था . कहते है की वक्त बलवान होता है , वक्त अपने अन्दर न जाने क्या छिपाए होता है पर तब तक जब तक की कोई वक्त को थाम ने ले. जैसे तूने वकत के पहिये को थाम लिया उसे वापिस से उस दिशा में घुमा दिया जो मैंने कभी नहीं सोचा था .



“त्रिदेव , हाँ हम त्रिदेव ही तो थे, दोस्ती की ऐसी मिसाल जो सबने देखि थी , ये जंगल हमारा घर था . इसने हमारी चढ़ती जवानी को थामा . इसमें खेल पर हम बड़े हुए. हम सोचते थे की इस जंगल को हमसे बेहतर कोई नहीं जानता था पर कहते है न की आधी दुनिया भ्रम में जीती है . मैं भी ऐसे ही भ्रम में था की दोस्ती से बड़ा कुछ नहीं होता. कम से कम मेरे लिए तो बिलकुल नहीं .” भैया ने ये कह कर अपनी सांसो को थामा थोड़े समय के लिए

भैया-ये बरगद का पेड़ देख छोटे, इसकी शाखाओ पर तुझे वो तीन नाम बहुत सी जगह पर खुदे मिलेंगे जो तुझे परेशां किये हुए है MAP जिस तरीके से हमने ये लिखे कोई भी उस तीसरे छिपे हुए नाम को नहीं समझ सकता था सिवाय हमारे. सब कुछ बड़ा सही था पर हमें ये नहीं मालूम था की इस जंगल में हमसे पहले भी कोई अपनी जिन्दगी जी गया है या जी रहा है , हम नादान तो बस ये ही समझते थे की हम तीनो ही मालिक है इस जंगल के

मैं- अभिमानु, परकाश के अलावा वो तीसरा नाम किसका था भैया

भैया- महावीर ठाकुर का

भैया ने एक गहरी सांस ली . हम दोनों के बीच सन्नाटा छा गया .

भैया त्रिदेवो की तीसरी कड़ी महावीर ठाकुर. उबलती जवानी के जोश से भरे तीन युवाओ की कहानी, त्रिदेव की कहानी जो शुरू हुई उस दोपहर से जिसने हम तीनो की जिंदगियो को बदल दिया. और बदलने वाला कोई और नहीं था सिवाय चाचा के . जैसा मैंने कहा चाचा भी इस जंगल को खुद का हिस्सा मानता था . चाचा को हमने एक दोपहर रमा के साथ देखा , जिन्दगी में ये पहली बार था पर चूँकि मैंने चाचा के बारे में गाँव के लोगो से बहुत सुना था आज देख भी लिया. मुझे उसी दिन से घर्णा हो गयी थी उस से.



“पर कहाँ जानता था की चाचा और रमा को आपतिजनक अवस्था में देखना आगे जाकर क्या करवा देगा. कुछ दिनों बाद महावीर बाहर चला गया पढने के लिए रह गए मैं और प्रकाश . सब ठीक ही था की एक दिन रमा के पति की लाश मिली. और फिर ये सिलसिला शुरू हो गया . पिताजी भी कम नहीं थे चाचा से अय्याशी के मामले में पर उनकी छवि मजबूत थी गाँव में . रमा वो औरत थी जिसके लिए दोनों भाइयो में दरार पड़ गयी बहुत से लोग ऐसा कहते है पर सच मैं जानता हूँ , सच था वो सोना . वो सोने की खान जो मुझे विश्वास है की तूने जान लिया होगा उसके बारे में . ” भैया ने कहा .

मैं- जान लिया है .

भैया- उस खान के बारे में सिर्फ और सिर्फ पिताजी को मालूम था उन्होंने ही तलाश की थी उसकी कैसे ये कोई नहीं जानता पर चाचा को न जाने कैसे ये मालूम हो गया. अपनी अय्याशियों के लिए वो सोना चुराने लगा. पिताजी को ये बात जब मालूम हुई तो दोनों में कलेश हो गया . थोडा वक्त और बीता और महावीर वापिस लौट आया .

मैं- फिर , फिर क्या हुआ ................
 

Suraj13796

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भाई बस ध्यान रखना अंत उतना ही शानदार हो जितनी शानदार ये कहानी अब तक रही है

एक बात और यदि आप दिल से इस कहानी को जल्दी खत्म करना चाह रहे तो कोई बात नही

लेकिन अगर आपके इतने fans के support aur praises के बाद भी अगर आप कुछ चमन चूतियो के बातों से hurt होकर ये कहानी जल्दी खत्म कर रहे तो बहुत गलत है

सिर्फ इस कहानी के साथ ही नहीं, आपके और इस कहानी के fans के साथ भी गलत है।


बाकी आप इस कहानी के मालिक है, आप की मर्जी माथे पर,
we are always with you❣️
 
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Suraj13796

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भाई इन प्रश्नों का ध्यान रखना please
कुछ प्रश्न और जुड़े है
1. सबसे बड़ा सवाल – आदमखोर कौन है
(जरनैल सिंह, महावीर ठाकुर,नंदिनी)



2.क्या रमा ने विशंभर दयाल का पूरा साथ दिया है उसके काले कारनामों में (सोना पाने के लिए वो विशंभर दयाल के साथ थी)

3. वैध को किसने मारा है और क्यों मारा है - शायद उसका उत्तर ( सरला ने परकाश के साथ क्योंकि उसका रंडापा पकड़ लिया था)

4. जरनैल सिंह नंदिनी और अभिमानु के शादी के खिलाफ क्यों था( क्योंकि आदमखोर था)

5. राय साहब यदि अंजू से rape करने पर अपने भाई को मार सकता था तो ऐसी कौन सी मजबूरी थी की चंपा के साथ जबरदस्ती करनी पड़ी(चंपा खुद आई थी उसके पास)

6. और काली मंदिर का सोना किसका है, कौन वारिश है?? (छलावा था)

7. त्रिदेव का क्या चक्कर है?( सुनैना, रूढ़ा, विशंभर दयाल)

8. निशा क्यों डाकन बनी ??( डाकन नहीं है विधवा थी इस लिए लोग बाग डाकन कहते थे)

9. कविता इतनी रात को जंगल में क्या कर रही थी ( परकाश से मिलने गई थी मंगू मार दिया)

10. भाभी ने अंजू के लिए ऐसा क्यों कहा था की वो घर की सबसे बिगड़ी लड़की है??(क्योंकि इसके संबंध दूसरे आदमी से थे)

11. काली मंदिर के खंडहर में जरनैल किसको लेकर जाता था क्योंकि रमा और सरला को तो मालूम नहीं है वहा के बारे में ??

12. क्या अंजू को मालूम नहीं की जरनैल मर गया है और अगर मालूम था तो वो जंगल में क्या ढूंढती रहती थी? (सोने का राज ढूंढती थी वो)


13. निशा कबीर का प्यार क्यों नही अपना रही थी। (क्योंकी वो महावीर की विधवा और रूढ़ा की बहु है)

14. क्या अभिमानु को मालूम था की परकाश उसका सौतेला भाई है और वो चंपा, कविता से जबरदस्ती कर रहा है ?? (पता नहीं)

15. मंगू राय साहब का साथ इतना क्यों दे रहा (क्योंकि वो राय साहब का सोना चाहता था)

16. क्या रूढ़ा का शक सही है की विश्मभर दयाल ने सुनैना को मारा है और वो इतना सोना क्या सुनैना का ही है (रूढ़ा ने सुनैना महावीर की हत्या की)


17. सुरजभान का क्या चक्कर है? (महावीर को दिए वचन की वजह से अभिमानु बचा रहा था)

18. अंजू के 5 साल बाद आने का राज? (सोने की तलाश में)

19. कहानी की शुरुआत में एक रात निशा कबीर से मिलने आई थी कुएं, अगले दिन नंदिनी कबीर से जब खेत में मिलने जाती है तो एक बच्चे की लाश देख बेहोश हो जाती है,उ
सको कौन मारा था क्या नंदिनी उसका दिल खाई थी??

20. क्या निशा नही जानती की नंदिनी आदमखोर है और अगर है तो उसने कबीर को बताया क्यों नही और निशा ने ऐसा क्यों कहा था की शादी वाले दिन जो आदमखोर का हमला हुआ था उसमें आदमखोर वाली गंध आ रही थी? (क्योंकि हमला जरनैल सिंह ने किया था)

21. और नंदिनी कबीर को विशंभर दयाल के खिलाफ धीरे धीरे क्यों भड़का रही थी?

22. चंपा के पेट में किसका बच्चा था??

23. रमा की बेटी को किसने मारा था?? (अंजू ने)

24. अंजू की वो तश्वीर किसने खींची थी

25 प्रकाश अंजू से क्या चाहता था (सोने का राज)

26. कबीर ने जो फोटो ढूंढी थी उसमे राय साहब के साथ कौन था

27. अभिमानु नंदिनी और चंपा को क्यों मारा


बहुत ही शानदार अपडेट भाई, दिल खुश कर दिया और मेरे बहुत सारे सवाल अभी आते रहेंगे

तो make sure की जब तक मेरे सारे सवाल का जवाब नही मिलेगा तब तक ये कहानी खत्म ना हो
 
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Riky007

उड़ते पंछी का ठिकाना, मेरा न कोई जहां...
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वक़्त को भला कोई रोक पाया है, जो आप रोकने की कोशिश कर रहे हो ।
एक दिन तो अंत होता ही है हर एक कहानी का..!!




.
.
Spoiler : -

क्या हो अगर एक अच्छी जिंदगी सिर्फ एक स्वप्न बन कर रह जाए ????
कहानी खत्म होती ही है, जिंदगी भी।

पर सब कोई चाहता की काश कुछ और....
 

HalfbludPrince

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#128

भैया- वो हुआ जो नहीं होना चाहिए था . पिताजी और चाचा में तल्खी इतनी बढ़ गयी थी की चाचा ने घर आना छोड़ दिया था . न जाने वो कहाँ गायब रहता . मैंने तहकीकात की मालूम हुआ की वो रमा के पास भी नहीं जाता उसने कविता से भी नाता तोड़ लिया था . कभी कभी वो कुवे पर आता. न जाने किस परेशानी में डूबा था वो . मेरे लिए बस ये ही एक समस्या नहीं थी ,एक और मुसीबत थी जो कैसे हल करनी है मैं बिलकुल नहीं जानता था वो मुसीबत थी महावीर .

मैं- कैसे भैया

भैया- वो पहले जैसा नहीं था वो अपने साथ ऐसी मुसीबत ले आया था जो सब कुछ तबाह करने वाली थी . महावीर ही वो आदमखोर था जिसके पंजो के निशान तुमने तालाब के छिपे कमरे में देखे थे . मेरा अजीज दोस्त अपने साथ एक ऐसा श्राप लेकर आया था . देहरादून के जंगलो में उसे न जाने किसने काटा . पर उसका असर बहुत हुआ महावीर पर. गाँव वालो पर इतनी दहशत कभी नहीं थी , हर कोई डरा हुआ था मैने और परकाश ने निर्णय लिया की उस आदमखोर को हम पकड़ कर रहेंगे ऐसे ही एक रात को मेरा सामना उस आदमखोर से इसी जंगल में हुआ मेरे सामने उसने एक हिरन मारा था पर मुझ पर हमला नहीं किया इस बात ने मूझे बहुत सोचने पर मजबूर कर दिया . जैसा तुमने नंदिनी के बारे में महसूस किया था ठीक वैसा ही .



धीरे धीरे उसने मुझसे मिलना छोड़ दिया. अकेला ही रहता वो पर दोस्ती ये ही तो होती है , एक शाम उसने मुझसे कहा की मैं उसे मार दू. ये सुन कर मैं हैरान रह गया . पूछा उस से की क्यों कहा उसने ऐसा तब उसने मुझे बताया की क्यों परेशान है वो . उस वक्त मेरा हाल भी ऐसा ही था जैसा तुम्हारा आजकल है . पर दोस्ती यही तो होती है की मुश्किल वक्त में अपने साथी को ना छोड़े . मैंने महावीर को पूरी जिम्मेदारी ली . वो खंडहर मुझे बहुत प्रिय था , उसकी ख़ामोशी मुझे सकून देती थी . मैं महावीर को चांदनी रात में वहां पर बंद कर देता था और सुबह ले आता था . सब ठीक होने लगा था ऐसा मैं सोचने लगा था .

मैं- फिर

भैया- पर इस जंगल में मेरी नजरो के सामने कुछ ऐसा भी हो रहा था जो नहीं होना चाहिए था या बदकिस्मती जिसे मैं देख नहीं पाया. महावीर ने रमा से नाता जोड़ लिया था न जाने कैसे. ये बात ज्यादा दिन छुप नहीं पायी और एक दिन चाचा ने महावीर को रमा के साथ देख लिया दोनों में लड़ाई हो गयी .चाचा ने महावीर को पीट दिया . पर उसके सीने में जो आग लगी उसने अपना काम बखूबी किया. रमा ने कुछ दिन बाद चाचा का साथ छोड़ दिया और महावीर के साथ मजे करने लगी. चाचा ने भी रमा को भुला दिया और कविता से नाता जोड़ लिया चूँकि रमा कविता की भी सहेली थी महावीर ने उसे भी अपने साथ जोड़ लिया. चाचा ये झटका सह नहीं पाया. दोनों में दुश्मनी हद से ज्यादा बढ़ने लगी थी .

काश ये सब मुझे पहले मालुम होता तो मैं संभाल लेता पर शायद नियति को कुछ और ही मंजूर था .चाचा की परेशानी बढ़ रही थी चाचा एक रात मुझसे मिलने आया और बोला- अभी, महावीर का साथ छोड़ दे .

मैंने चाचा से पूछा की वो क्यों कह रहा है ऐसा चाचा ने मुझे कुछ नहीं बताया और वापिस मुड गया . पर तूफ़ान सर पर था और मैं हवाओ को नहीं भांप पा रहा था . महावीर ने काफी हद तक अपने आप पर काबू पाना सीख लिया था . मैं भी खुश था पर महावीर के मन में पाप ने घर कर लिया था . वो चाचा को ब्लेकमेल करने लगा.

ये मेरे लिए एक और झटका था .

मैं- कैसे और क्यों .

भैया- चाचा का सब कुछ एक झटके में महावीर ने हथिया लिया था . चाचा नफरत की आग में जल रहा था ऊपर से मेले में रुडा और चाचा की दंगल में लड़ाई हो गयी थी . चाचा ने ऐसा पाप किया जिसके लिए उसे मैं भी मार देता वो काम था अंजू का बलात्कार .रुडा से दुश्मनी के चलते चाचा ने मासूम अंजू को शिकार बना लिया. ये बात हमारी माँ को मालूम हो गयी थी , उन्होंने चाचा को खूब भला बुरा कहा और धमकी दी की पिताजी के सहर से आते ही वो उनको सब बता देंगी

चाचा ये हरगिज नहीं चाहता था क्योंकि जो भूल उस से हुई थी वो कोई नादानी नहीं थी जिसे माफ़ कर दिया जाये राय साहब अंजू को बेहद स्नेह करते थे . चाचा माँ के हाथ पाँव जोड़ने लगा पर माँ बहुत गुस्से में थी , उसी बीच चाचा का धक्का माँ को लग गया और वो सीढियों से गिर गयी , और ऐसी गिरी की फिर कभी उठ ही नहीं पायी .

महावीर सहर से अपने साथ एक कैमरा लाया था न जाने कैसे उसने इस घटना की फोटो खींच ली .



मेरी आँखों से आंसू बहने लगे,

मैं- माँ की हत्या चाचा ने की और आपने कुछ नहीं किया भैया

भैया- जब मुझे ये मालूम हुआ उस से पहले ही चाचा मर चूका था . महावीर का कैमरा नहीं मिलता मुझे तो मैं ये कभी नहीं जान पाता छोटे.

बहुत मुश्किल था जज्बातों को सँभाल कर रखना मैंने आंसुओ को बहने दिया इस दर्द का बह जाना ही ठीक था .

कुछ देर बाद भैया ने बोलना शुरू किया.

भैया-महावीर की रगों में हवस दौड़ने लगी थी . रमा और कविता के साथ जिस्मो के खेल में वो इतना मग्न था की उसने मुझसे भी नाता तोड़ लिया था , और जानता है उसने अपना ठिकाना कहाँ बनाया खंडहर के छिपे कमरे में . सहर से वो अपने साथ वो रंगीन किताबे लाया जो तूने देख ही ली होंगी वहां पर. खैर, एक रात फिर चाचा मुझसे मिलने आया और बोला- की महावीर उस से कुछ चाहता था .मैंने पूछा की क्या तो चाचा बोला की वो तेरी चाची के साथ सोना चाहता है . ये सुनकर मेरे कदमो तले से जमीन खिसक गयी मेरा इतना अजीज दोस्त जिसे भाई माना मैंने , जिसके राज को अपने सीने में दफन कर लिया वो मेरे घर की इज्जत से खेलना चाहता था . मुझे गुस्सा तो बहुत आया मैंने अगले दिन महावीर से मिलने का सोचा, चाचा ने बताया की उसने चाची की नहाती हुई नंगी तस्वीरे बना ली है और यदि चाचा ने उसकी बात नहीं मानी तो वो गाँव के घर घर में वो तस्वीरे फेंक देगा. ये बहुत बड़ी धमकी थी . मैंने महावीर से मिलने से पहले सोचा की चाचा और महावीर की खिंची हुई है क्या पता चाचा मुझे भड़का रहा हो महावीर के प्रति. मैंने सच का पता लगाने के लिए महावीर के ठिकाने की तलाशी ली तो मालुम हुआ की चाचा सही कह रहा था . चाची की तस्वीरों को मैंने जला दिया पर कुछ तस्वीरे वो भी मिली जिस से मुझे चाचा पर भी गुस्सा आया ये वो ही तस्वीरे थी जिनकी वजह से माहवीर चाचा पर दबाव बना रहा था . मैं बहुत गुस्से में भरा था , पर जब तक मैं चाचा के पास पंहुचा चाची ने मार दिया था उसे. मेरे लिए एक नयी मुसीबत और तैयार हो गयी थी .






 

Froog

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भाई इन प्रश्नों का ध्यान रखना please
कुछ प्रश्न और जुड़े है
1. सबसे बड़ा सवाल – आदमखोर कौन है

उत्तर नंदिनी ठाकुर

2.क्या रमा ने विशंभर दयाल का पूरा साथ दिया है उसके काले कारनामों में

3. वैध को किसने मारा है और क्यों मारा है - शायद उसका उत्तर मंगू है (आगे clear करना एक बार)

4. जरनैल सिंह नंदिनी और अभिमानु के शादी के खिलाफ क्यों था (क्योंकि वो जानता था की नंदिनी आदमखोर है)

5. राय साहब यदि अंजू से rape करने पर अपने भाई को मार सकता था तो ऐसी कौन सी मजबूरी थी की चंपा के साथ जबरदस्ती करनी पड़ी

6. और काली मंदिर का सोना किसका है, कौन वारिश है?? (शायद त्रिदेव का)

7. त्रिदेव का क्या चक्कर है?(परकाश अभिमानु तो मालूम है लेकिन महावीर ठाकुर कौन है)

8. निशा क्यों डाकन बनी ??

9. कविता इतनी रात को जंगल में क्या कर रही थी (शायद परकाश से मिलने गई थी)

10. भाभी ने अंजू के लिए ऐसा क्यों कहा था की वो घर की सबसे बिगड़ी लड़की है??

11. काली मंदिर के खंडहर में जरनैल किसको लेकर जाता था क्योंकि रमा और सरला को तो मालूम नहीं है वहा के बारे में ??

12. क्या अंजू को मालूम नहीं की जरनैल मर गया है और अगर मालूम था तो वो जंगल में क्या ढूंढती रहती थी?

13. निशा कबीर का प्यार क्यों नही अपना रही थी।

14. क्या अभिमानु को मालूम था की परकाश उसका सौतेला भाई है और वो चंपा, कविता से जबरदस्ती कर रहा है ??

15. मंगू राय साहब का साथ इतना क्यों दे रहा

16. क्या रूढ़ा का शक सही है की विश्मभर दयाल ने सुनैना को मारा है और वो इतना सोना क्या सुनैना का ही है


17. सुरजभान का क्या चक्कर है?

18. अंजू के 5 साल बार आने का राज??

19. कहानी की शुरुआत में एक रात निशा कबीर से मिलने आई थी कुएं, अगले दिन नंदिनी कबीर से जब खेत में मिलने जाती है तो एक बच्चे की लाश देख बेहोश हो जाती है,उ
सको कौन मारा था क्या नंदिनी उसका दिल खाई थी??

बहुत ही शानदार अपडेट भाई, दिल खुश कर दिया और मेरे बहुत सारे सवाल अभी आते रहेंगे

तो make sure की जब तक मेरे सारे सवाल का जवाब नही मिलेगा तब तक ये कहानी खत्म ना हो (इस कहानी को पहले पेज और पहले दिन से पढ़ रहा हूं वो भी regular, इतना हक बनता है मेरा)
सही कहा आपने अगर किसी एक भी सबाल का जवाब नहीं मिला तो कहानी अधूरी रह जायगी ।सबाल इतनें है कि दो-चार अपडेट में नहीं मिल सकते हर सबाल के लिए कम से कम एक अपडेट लगेगा
फौजी भाई सस्पेंस अधूरा न छोड़े कहानी अपने हर सबाल का चाहती है
जब तक हर सबाल का जवाब नहीं मिलता कहानी अधूरी ही रहेगी
 

HalfbludPrince

मैं बादल हूं आवारा
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सही कहा आपने अगर किसी एक भी सबाल का जवाब नहीं मिला तो कहानी अधूरी रह जायगी ।सबाल इतनें है कि दो-चार अपडेट में नहीं मिल सकते हर सबाल के लिए कम से कम एक अपडेट लगेगा
फौजी भाई सस्पेंस अधूरा न छोड़े कहानी अपने हर सबाल का चाहती है
जब तक हर सबाल का जवाब नहीं मिलता कहानी अधूरी ही रहेगी
ये अधीरता किसलिए मित्र
 
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