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“तो तुम ही हो वो ,” मैंने कहा
“नहीं मैं नहीं हूँ ” रमा ने शांति से कहा
मैं- तो फिर इस जंगल में जब मौत सर पर नाच रही है तुम क्यों भटक रही हो क्या इरादा है तुम्हारा. और हाँ इस बार कोई झूठ नहीं . मुझे रेस अहब तुम्हारे और मंगू के बीच जो भी है सब मालूम है . इस जंगल ने न जाने क्या क्या छिपाया है तुम्हारी लाश भी कहाँ गायब हुई कोई नहीं जान पायेगा.
रमा- मुझे मौत की धमकी दे रहे हो कुंवर.
रमा ने मुझे ताना मारा.
निशा- रमा, कबीर के सवाल का जवाब दो .
रमा- मुझे राय साहब ने बुलाया था जंगल में
रमा की बात ने हम दोनों को हैरान कर दिया .
मैं- क्या पिताजी भी जंगल में मोजूद है
रमा- शायद हाँ शायद न
निशा- क्या मतलब
रमा- उन्होंने बस इतना कहा था की जंगल में मिलना तुम्हारी जरुरत पड़ेगी.
मैं- जरुरत पर किसलिए
रमा- वो तो नहीं जानती .
मैं- ये तो जानती हो न की मंगू ही आदमखोर बन कर ये काण्ड कर रहा है .
रमा कुछ नहीं बोली
निशा- तो तुम जानती हो इस बारे में . परकाश की हत्या में तुम भी शामिल थी न. ये षड्यंत्र तुमने, मंगू और राय साहब के साथ मिल कर बनाया . प्रकाश को अपने हुस्न के जाल में फंसाया . उसे कुवे पर बुलाया जहाँ पर मंगू ने उसका काम तमाम कर दिया.
रमा की ख़ामोशी बता रही थी की निशा ने जो कहा सच कहा .
मैं- रमा बताओ क्या वजह थी जो परकाश की हत्या हुई.
रमा- उसको मरना ही था , जीना हराम कर दिया था उसने मेरा. उसकी मांगो को पूरा करते करते थक गयी थी मैं. उसे मेरे जिस्म की चाहत थी मैंने अपना जिस्म दिया उसे पर उसका लालच बढ़ता ही गया .इतना बढ़ा की पाप का घड़ा फोड़ना पड़ा. उसे मरना ही था , मैं या राय साहब या फिर मंगू हम तीनो ही हद नफरत करते थे उस से . हम तीनो के पास ही ठोस वजह थी उसे मारने की , पर राय साहब उसकी गलतियों को नजरअंदाज करते आ रहे थे न जाने क्यों ? पर मैंने और मंगू ने निर्णय किया और उसे ठिकाने लगा दिया. हम चाहते तो जंगल में गायब कर सकते थे उसे पर हमने उसकी लाश को खुले में फेंका ताकि दुनिया जान सके की एक कुत्ते को मारा गया .
रमा के होंठ गुस्से से थर थर कांप रहे थे.
निशा- राय साहब की क्या मज़बूरी थी जो प्रकाश को माफ़ किये जा रहे थे वो जबकि तुम तीनो में से सबसे आसानी से प्रकाश का काम तमाम वो ही करवा सकते थे बिना किसी शोर-शराबे के.
रमा- बस यही नहीं मालूम मुझे की क्यों चाहते थे वो उसे. यहाँ तक की वो राय साहब पर नाजायज दवाब बनाये हुए था तब भी वो उसे नजरअंदाज करे हुए थे .
मैं जानता था की वो राय साहब का प्रकाश की माँ से किया हुआ वादा था जिसे वो निभा रहे थे .
निशा- मंगू क्यों नफरत करने लगा था परकाश से.
मैंने भी इस सवाल पर गौर किया न जाने क्यों मेरी धड़कने बढ़ने लगी थी .
रमा- कुछ बाते राज ही रहनी चाहिए कुंवर. उन राजो को इतना गहरा दफ़न हो न चाहिए की वो कबी खुल न सके. इस राज को राज ही रहने दो , वर्ना तुम्हे अफ़सोस होगा की परकाश पहले क्यों नहीं मर गया . क्योंकि ये जानने के बाद तुम्हे जिन्दगी भर मलाल रहेगा की उसे तुम क्यों नहीं मार पाए.
रमा की बात ने हद से जायदा विचलित कर दिया था मुझे. दिल इतनी जोर से धडक रहा था की अगर छाती फाड़ कर बाहर आ गिरता तो कोई ताज्जुब नहीं होता.
“मैं फिर भी जानना चाहूँगा ” बड़ी मुश्किल से बोल पाया मैं
रमा- चंपा, चंपा का शोषण किया था उसने. चंपा को नोच-खसोट रहा था वो . अकेली चंपा ही नहीं बल्कि मैं और कविता भी . हम सब उसके जाल में फंसे थे . पर सबसे जायदा परेशां थी चंपा वो चाह कर भी किसी को बता नहीं पा रही थी की उसके साथ क्या हो रहा है .
रमा की बात ने मुझे और मेरे साथ निशा दोनों को ही हिला कर रख दिया. प्रकाश ने चंपा पर हाथ डाला था . सही ही कहा था रमा ने की मुझे ताउम्र ये मलाल रहेगा की मैं उसे क्यों नहीं मार पाया.
रमा- मंगू जान गया था इस बात को तबसे ही वो फ़िराक में था .
अब मैं समझा था की मंगू का अक्सर गायब रहने का क्या उद्दश्य था . वो ताक में रहता था की कब परकाश को निपटा दे.
रमा- हम ये जान गए थे की प्रकाश ने राय साहब पर दबाव बनाया हुआ है तो फिर मैंने और मंगू ने योजना बनाई और मौका देख कर उसे ढेर कर दिया.
निशा- अब मैं तुमसे सबसे महत्वपूर्ण प्रशन पूछना चाहूंगी. प्रकाश ने तुमसे कबीर को अपने झांसे में लेने के लिए क्यों कहा था . वो तुम्हारा इस्तेमाल कबीर के खिलाफ क्यों करना चाहता था . तुमने कबीर को वो ही सब दिखाया, बताया जो परकाश चाहता था . हमें बताओ क्या चाहता था वो .
रमा- परकाश नहीं चाहता था की कबीर की तलाश पूरी हो. वो नहीं चाहता की कबीर इस जंगल में तलाश करे.
निशा- उसने बताया की कबीर को क्या तलाश थी .
रमा-मुझे लगता है की कबीर जानता है , खैर मुझे राय साहब के पास जाना होगा.
रमा आगे बढ़ गयी रह गए हम दोनों. रमा की बातो ने तमाम मोहरों को फिर से घुमा कर रख दिया था .
निशा- क्या जानते हो तुम
मैं-अतीत, निशा, मुझे अतीत की तलाश है वो अतीत ही है जो हमारे आज को उलझाये हुए है.
निशा ने मेरा हाथ कस कर पकड़ लिया . रात तेजी से बीत रही थी और हम खाली हाथ थे. सवाल अभी भी वही थे की असली आदमखोर कौन था .